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Incest मेरी मां सुधा – घर की बड़ी बहू

Bittoo

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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
अच्छी शुरुआत
पर कहानी का प्लॉट जाना पहचाना
 
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Premkumar65

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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
good update.
 
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Abhishek Kumar98

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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
Ye bechari Kanchna buri fasi es haiwan ke sath waise bhai main hero kaun ha isme please ye bata do
 
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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया है
बेचारी कांचन विर के विकराल लंड को देख कर ही कांप गयी वो ना चिल्लाती और घर वाले ना पहुचते तो उसकी चुद की धज्जिया उड जाती
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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sunoanuj

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Jabardast updates 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 
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Sensual intimacy

All I want Is Your Warm Hug
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Super update upcoming update ka intezar me

Bahut badhiya start kiye ho
Lagta hai aage bahut maza aayega

Nice update magar bechari kanchan ke sath bohot bura kiya isne bhale hi wo uski biwi ho but koi aisa janwaro jaisa thode karta hai wo bhi first night mai jo dono couple ke liye yadgar raat hota hai yaha pyar Kam r@p€ jyada lagta hai...
Waise yaha cousin bhai ka itna bada land dikha kar Jane kya karne wale ho mujhe laga tha beta bhabhi ko pyaar karega aur maa ke sath bhi sirf beta hi hoga but ab doubt araha hai pls ise clear kardo Sensual intimacy

Bechari kanchan
ab tera kya hoga veer

Fantastic update


अच्छी शुरुआत
पर कहानी का प्लॉट जाना पहचाना

good update.

Ye bechari Kanchna buri fasi es haiwan ke sath waise bhai main hero kaun ha isme please ye bata do

Aur bade bade updates do

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया है
बेचारी कांचन विर के विकराल लंड को देख कर ही कांप गयी वो ना चिल्लाती और घर वाले ना पहुचते तो उसकी चुद की धज्जिया उड जाती
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Intazar rahega update ka

Jabardast updates 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

Thanks for commenting friends
Keep reading...
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Nice starting
 
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