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Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर..

poorva

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Koi members help Kare... ek member is site par apni account banana chatata h. Par abhi tak uski account nahi ban raha h. Jha email par jo code aata h. Woh sayad nahi aa raha please help kre or batao kaise woh apna account Bana skta h.
membar ne apana e mail id thik se likha na ho
 

aamirhydkhan

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मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर.




भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि जब मेरी रुपाली दीदी बाथरूम से बाहर निकली सोनिया ने उनको नहीं देखा... दीदी बुरी हालत में थी... लाइट ऑफ करके उन्होंने जैसे तैसे अपने कपड़े उतारे और फिर नई साड़ी पहन ली..

ठाकुर साहब अभी भी बाथरूम के अंदर ही थे.. सोनिया एक बार फिर सो चुकी थी.. मैंने देखा कि मेरी रुपाली दीदी अपने बेडरूम से बाहर निकलकर किचन में गई है और पानी पी रही है... थोड़ी देर के बाद उसी बेडरूम से ठाकुर साहब भी बाहर निकले.. और किचन में मेरी बहन के पास गय.. मैं अभी भी सोया नहीं था और उनकी बातें सुन रहा था.. किचन के अंदर दोनों बात कर रहे थे...

ठाकुर साहब: आओ ना रुपाली कुछ देर बात करते हैं..

मेरी रूपाली दीदी: नहीं मुझे सोनिया के पास जाना है..

ठाकुर साहब: चली जाना.. इतनी भी क्या जल्दी है.

मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज ठाकुर साहब.. अब और नहीं...

ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को छोड़ दिया... और खुद हॉल के अंदर आकर सोफे के ऊपर बैठ गया.. बिल्कुल मेरे बेड के पास.. जिसके ऊपर मैं सोने का नाटक कर रहा था.. मेरी रूपाली दीदी किचन से बाहर निकली और बेडरूम के अंदर जाने लगी थी... फिर न जाने
क्या सोचकर वापस मुड़कर आई और ठाकुर साहब के पास बैठ गई सोफे पर.. मैंने अपनी आंखें जोर से बंद कर रखी थी...
ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को बड़े प्यार से अपनी बाहों में ले रखा था और उनके गाल को चूम रहे थे..

ठाकुर साहब: कल सुबह में 2 दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं..

मेरी रूपाली दीदी: अच्छा..

ठाकुर साहब: तुम्हें कितने पैसे देकर जाऊं? तुम्हें घर चलाना होगा ना.

मेरी रूपाली दीदी: जितना ठीक लगे दे दीजिए..

ठाकुर साहब: मैंने कपबोर्ड मैं ₹10000 रख दिय है... जितना मर्जी हो उतना खर्च करना..

मेरी दीदी: जी अच्छा..

ठाकुर साहब: कैसा लगा..?

मेरी दीदी: क्या?

ठाकुर साहब: वही जो हम दोनों के बीच में हुआ..

मेरी रूपाली दीदी: देखिए आप मुझसे ऐसी बातें मत कीजिए.. जो भी हुआ बहुत गलत किया आपने.. मैं विनोद की बीवी हूं.. उनके दो बच्चों की मां हूं..

ठाकुर साहब: और मेरी क्या हो?

मेरी रूपाली दीदी: देखिए ऐसी बातें हमें शोभा नहीं देती है.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए.. हां ... मेरा भाई यहीं पर सोया हुआ.. अगर जाग गया तो क्या सोचेगा..?

ठाकुर साहब मेरी बहन के होंठों को चूमने का प्रयास करने लगे.

मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज ठाकुर साहब... मैं आपकी बेटी की उम्र की हूं.. मेरे पति आपको अपने पापा की तरह समझते हैं..

ठाकुर साहब: और तुम क्या समझती हो रूपाली..

मेरी रूपाली दीदी: कुछ नहीं..

ठाकुर साहब: तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं? मंगलसूत्र लाऊंगा तो पहन लोगी क्या मेरे लिए...

मेरी दीदी: यह आप क्या बोल रहे हैं..

ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ मेरी रूपाली दीदी की साड़ी के अंदर घुसा दिया और चोली के ऊपर से उनकी एक चूची को जोर से मसल दिया... आज फिर मेरी बहन ने ब्रा नहीं पहन रखी थी... मेरी दीदी के नर्म मुलायम चूची को ठाकुर साहब अच्छी तरह महसूस करने लगे.. मेरी बहन के मुंह से एक हल्की मीठी सिसकारी निकल गई..ओहहहहह... दीदी के मुंह से बस इतना ही निकला..

ठाकुर साहब: कितने प्यारे मीठे दोनों मीठे आम है तुम्हारे रूपाली.. कसम से... क्या करूं.. हमेशा दबाने का मन करता है.. और मुंह में लेकर चूसने का मन करता है... तब तक चूसने का मन करता है जब तक कि इनमें से दूध ना निकलने लगे ..

ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरे रुपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई.. उनका चेहरा लाल हो गया था शर्म के मारे...

मैं भी अपनी आंखें बंद किए हुए चुपचाप ठाकुर साहब की कामुक बातें सुन रहा था .. मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि ठाकुर साहब इतने कामुक और रोमांटिक भी हो सकते हैं...

मेरी रुपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब प्लीज... ऐसी बातें मत कीजिए.. प्लीज अब यह सब कुछ बंद हो जाना चाहिए.
 

babasandy

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aslimonalisa-post-2021-10-07-11-11Meri Rupali didi
 

babasandy

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ठाकुर साहब मेरी बहन की उस चूची को और जोर से मसलने लगे और मेरी दीदी के पास आकर उन्होंने मेरी बहन के होठों पर एक चुम्मा लिया. दोनों अब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी: आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. नहीं ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: प्लीज रूपाली... कल मैं जा रहा हूं.. एक बार और कर लेने दो ना..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब..आअहह!"ओह्ह्ह्ह..आअहह! नहीं अब और नहीं...
ठाकुर साहब जीभ निकालकर मेरी बहन की गर्दन को चाटने लगे थे..
अचानक मेरे जीजा जी के बेडरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज मुझे सुनाई पड़ी..


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ठाकुर साहब ने बड़ी तेजी से मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और उनको लेकर बालकनी में चले गए.. ठाकुर साहब नहीं चाहते थे कि मेरे जीजा उनको कितनी संदिग्ध हालत में देख ले... क्योंकि मेरी बहन की साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटा हुआ था और ठाकुर साहब ने अपने पजामे का नाडा भी ढीला कर लिया था..
कुछ क्षणों के बाद मेरे अपाहिज जीजू अपने व्हीलचेयर पर बेडरूम से बाहर निकल कर आए.. उन्होंने बेड पर मुझे सोता हुआ पाया.. उन्होंने देखा कि ठाकुर साहब के बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ है... वह ठाकुर साहब के बेडरूम में घुस गए.. सोनिया बेड पर सोई हुई थी... और नूपुर पालने में सोई हुई थी.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर रणवीर सिंह दोनों ही गायब थे... मेरी जीजू को बहुत अजीब लगा... वह उस बेडरूम के बाथरूम में गय.. लाइट जला कर उन्होंने देखा वहां कोई नहीं था.. उन्होंने मन ही मन सोचा कि शायद मेरी रूपाली दीदी किचन में होगी.. वह बाथरूम से निकल रहे थे कि उनके पैरों के ऊपर चिपचिपा सा पदार्थ लगा हुआ था... उनको हैरानी हुई देखकर...
मेरी जीजू अपनी उंगलियों से उठाकर उस पदार्थ को अपने नाक के पास लेकर गय... नाक के पास ले जाते ही उन्हें एहसास हो गया कि यह क्या चीज है... किसी मर्द का ताजा विर्य.. जो अभी अभी निकला था.. मेरे जीजू का दिल और दिमाग दोनों बैठ गया..
 
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babasandy

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बड़ी तेजी से अपने व्हीलचेयर को दौड़आते हुए मेरे जीजू बेडरूम से बाहर निकले और किचन में जाकर देखा मेरी दीदी चाय बना रही थी... ठाकुर साहब हॉल में सोफे पर बैठे हुए थे..
मैं सोया हुआ था.. झूठ मत ...
मेरे जीजू: अरे आप लोग सोए नहीं अभी तक?
ठाकुर साहब: मुझे नींद नहीं आ रही थी और चाय पीनी थी.. इसीलिए रूपाली को जगाया... चाय पीने के लिए..
मेरे जीजू: जी अच्छा....
मेरी रूपाली दीदी: आप सो जाइए... हम भी बस सोने ही वाले हैं चाय पीने के बाद...
मेरे जीजू को उन दोनों का व्यवहार कुछ अजीब लग रहा था... मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी साड़ी अपनी नाभि के बहुत नीचे बांध रखी थी.. ऐसा मेरे जीजू ने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरी दीदी का व्यवहार भी कुछ बदला-बदला से लग रहा था उनको..
मेरी जूजू वही हाल में ही रहे.. वह मेरी दीदी और ठाकुर साहब से बातचीत करने के मूड में थे... ठाकुर साहब को मेरे जीजू की उपस्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी..
मेरे जीजू: रूपाली... कल सोनिया के स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग है ना.. तुम चली जाना..
मेरी रूपाली दीदी: हां चली जाऊंगी.. पर सोनिया पूछ रही थी कि पापा क्यों नहीं जा सकते... उसे बुरा लग रहा था..
मेरे जीजू: मैं कैसे जाऊंगा.. तुम तो देख ही रही हो मेरी हालत..
मेरे जीजा जी का सिर झुक गया था..
मेरी रूपाली दीदी: बेचारी .. सोनिया का तो बस एक ही सपना था कि उसके पापा उसको स्कूल छोड़ने जाए और फिर स्कूल से लेने आए.. पर अब क्या कर सकते हैं.. कुछ नहीं कर सकते..
मेरी दीदी की बातें सुनकर जीजा जी का मुंह लटक गया था.. पर ठाकुर साहब को यह एक सुनहरा अवसर लग रहा था..
ठाकुर साहब: अगर मैं सोनिया का पापा बनके उसके स्कूल जाऊं तो... उसको भी अच्छा लगेगा ना.. क्या बोलते हो तुम लोग..


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मेरी दीदी हैरान थी ठाकुर साहब की बात सुनकर और उनकी तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन की तरफ भी देख रहे थे और कुटिल मुस्कान फेंक रहे थे.. मेरे जीजू तो बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहे थे कि क्या जवाब दे ठाकुर साहब की बात का...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... मैं अकेली ही चली जाऊंगी..
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है? आखिर सोनिया को भी तो अच्छा ही लगेगा.. बोलो विनोद...
मेरे जीजू: हां ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं रूपाली.. सोनिया को बहुत अच्छा लगेगा...
मेरी रूपाली दीदी: अरे आप क्या बोल रहे हो.. लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में..
मेरे जीजू: अरे लोगों की छोड़ो.. हमें अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए... लोगों की बातों के बारे में नहीं..
ठाकुर साहब: बिल्कुल ठीक कह रहे हो विनोद... मैं और रूपाली कल सोनिया के स्कूल में उसके मम्मी पापा बनकर चले जाएंगे.. है ना रूपाली?
मेरी बहन ने कोई जवाब नहीं दिया तो ठाकुर साहब वहां से उठकर चले गए.. उनके चेहरे पर मायूसी थी....
मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि शायद ठाकुर साहब नाराज हो कर चले गए हैं..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी जल्दी से किचन का काम खत्म कर दिया.. उसके बाद जीजू को लेकर उनके बेडरूम में गई और उनको बेड पर सुलाने के बाद वह ठाकुर साहब के बेडरूम में गई.. मेरी बहन ने देखा ठाकुर साहब बेड के एक किनारे पर सोए हुए थे और सोनिया दूसरे किनारे पर लेटी हुई थी... बीच में खाली जगह थी.. दीदी समझ गई कि यह जगह किसके लिए है... मेरी रुपाली दीदी बीच में जाकर लेट गई.. ठाकुर साहब धीरे-धीरे उनके पास आने लगे.. ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया दोनों के ऊपर.. दोनों अब बिल्कुल करीब आ चुके थे.
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है तुम्हें अगर मैं सोनिया का पापा बन कर जाऊं तो?
मेरी रूपाली दीदी: लोग क्या सोचेंगे...
ठाकुर साहब: लोगों को क्या पता रूपाली.. मैं सोनिया का बाप हूं या तुम्हारा पति विनोद.. उनको कैसे पता चलेगा?
मेरी रूपाली दीदी: आपको तो कल सुबह जल्दी जाना है.. सुबह 6:00 बजे...
ठाकुर साहब: अगर सोनिया की खुशी के लिए थोड़ा लेट भी हो जाऊंगा तो क्या प्रॉब्लम है..


aslimonalisa-post-2021-10-07-11-11


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ठाकुर साहब की बात सुनकर मेरी बहन पिघल गई और उनकी बाहों में समा गई.. ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ लिपट गए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के पेट पर हाथ रख दिया और उनकी नाभि को ढूंढ निकाला अपनी उंगलियों से.. उन्होंने मेरी बहन के पेटीकोट का नाड़ा नाड़ा ढीला किया और नीचे खिसका दिया... अपने बीच वाली उंगली वह मेरी बहन की नाभि में गोल गोल घुमाने लगे.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी और उनके पास आ गई.. एक कामुक सिसकारी उनके मुंह से निकली...
ऊह्ह… अह्ह… मम्मी... रूपाली दीदी करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी रूपाली दीदी को पलंग पर ही पछाड़ दिया था और उनके ऊपर आकर मेरी बहन को पेलने की पूरी तैयारी कर चुके थे.. एक बार फिर.. साड़ी उठाके...
अचानक सोनिया जाग गई और रोने लगी.... मम्मी मम्मी करने लगी.. दोनों एक दूसरे से अलग हो गए... मेरे रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और थपकी देते हुए उसको सुलाने की कोशिश करने लगी... ठाकुर साहब बगल में लेटे हुए देख रहे थे.. अब और कुछ भी कर पाना बहुत मुश्किल था.. वैसे भी आज ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के साथ मिलकर खूब जम के मजा लिया था..
मेरी रूपाली दीदी उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी ..उनके सपनों की अप्सरा थी ..उनके ख्वाबों की मलिका थी ... और आज की रात ठाकुर साहब दो बार चोद चुके थे मेरी बहन को.. वह सो गया.
मेरी रुपाली दीदी भी सो गई.. और मैं भी सो गया बाहर हॉल में..
आज की तूफानी रात गुजर चुकी थी..


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chusu

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मैं सोया हुआ था.. झूठ मत ...
मेरे जीजू: अरे आप लोग सोए नहीं अभी तक?
ठाकुर साहब: मुझे नींद नहीं आ रही थी और चाय पीनी थी.. इसीलिए रूपाली को जगाया... चाय पीने के लिए..
मेरे जीजू: जी अच्छा....
मेरी रूपाली दीदी: आप सो जाइए... हम भी बस सोने ही वाले हैं चाय पीने के बाद...
मेरे जीजू को उन दोनों का व्यवहार कुछ अजीब लग रहा था... मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी साड़ी अपनी नाभि के बहुत नीचे बांध रखी थी.. ऐसा मेरे जीजू ने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरी दीदी का व्यवहार भी कुछ बदला-बदला से लग रहा था उनको..
मेरी जूजू वही हाल में ही रहे.. वह मेरी दीदी और ठाकुर साहब से बातचीत करने के मूड में थे... ठाकुर साहब को मेरे जीजू की उपस्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी..
मेरे जीजू: रूपाली... कल सोनिया के स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग है ना.. तुम चली जाना..
मेरी रूपाली दीदी: हां चली जाऊंगी.. पर सोनिया पूछ रही थी कि पापा क्यों नहीं जा सकते... उसे बुरा लग रहा था..
मेरे जीजू: मैं कैसे जाऊंगा.. तुम तो देख ही रही हो मेरी हालत..
मेरे जीजा जी का सिर झुक गया था..
मेरी रूपाली दीदी: बेचारी .. सोनिया का तो बस एक ही सपना था कि उसके पापा उसको स्कूल छोड़ने जाए और फिर स्कूल से लेने आए.. पर अब क्या कर सकते हैं.. कुछ नहीं कर सकते..
मेरी दीदी की बातें सुनकर जीजा जी का मुंह लटक गया था.. पर ठाकुर साहब को यह एक सुनहरा अवसर लग रहा था..
ठाकुर साहब: अगर मैं सोनिया का पापा बनके उसके स्कूल जाऊं तो... उसको भी अच्छा लगेगा ना.. क्या बोलते हो तुम लोग..


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मेरी दीदी हैरान थी ठाकुर साहब की बात सुनकर और उनकी तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन की तरफ भी देख रहे थे और कुटिल मुस्कान फेंक रहे थे.. मेरे जीजू तो बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहे थे कि क्या जवाब दे ठाकुर साहब की बात का...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... मैं अकेली ही चली जाऊंगी..
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है? आखिर सोनिया को भी तो अच्छा ही लगेगा.. बोलो विनोद...
मेरे जीजू: हां ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं रूपाली.. सोनिया को बहुत अच्छा लगेगा...
मेरी रूपाली दीदी: अरे आप क्या बोल रहे हो.. लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में..
मेरे जीजू: अरे लोगों की छोड़ो.. हमें अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए... लोगों की बातों के बारे में नहीं..
ठाकुर साहब: बिल्कुल ठीक कह रहे हो विनोद... मैं और रूपाली कल सोनिया के स्कूल में उसके मम्मी पापा बनकर चले जाएंगे.. है ना रूपाली?
मेरी बहन ने कोई जवाब नहीं दिया तो ठाकुर साहब वहां से उठकर चले गए.. उनके चेहरे पर मायूसी थी....
मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि शायद ठाकुर साहब नाराज हो कर चले गए हैं..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी जल्दी से किचन का काम खत्म कर दिया.. उसके बाद जीजू को लेकर उनके बेडरूम में गई और उनको बेड पर सुलाने के बाद वह ठाकुर साहब के बेडरूम में गई.. मेरी बहन ने देखा ठाकुर साहब बेड के एक किनारे पर सोए हुए थे और सोनिया दूसरे किनारे पर लेटी हुई थी... बीच में खाली जगह थी.. दीदी समझ गई कि यह जगह किसके लिए है... मेरी रुपाली दीदी बीच में जाकर लेट गई.. ठाकुर साहब धीरे-धीरे उनके पास आने लगे.. ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया दोनों के ऊपर.. दोनों अब बिल्कुल करीब आ चुके थे.
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है तुम्हें अगर मैं सोनिया का पापा बन कर जाऊं तो?
मेरी रूपाली दीदी: लोग क्या सोचेंगे...
ठाकुर साहब: लोगों को क्या पता रूपाली.. मैं सोनिया का बाप हूं या तुम्हारा पति विनोद.. उनको कैसे पता चलेगा?
मेरी रूपाली दीदी: आपको तो कल सुबह जल्दी जाना है.. सुबह 6:00 बजे...
ठाकुर साहब: अगर सोनिया की खुशी के लिए थोड़ा लेट भी हो जाऊंगा तो क्या प्रॉब्लम है..


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ठाकुर साहब की बात सुनकर मेरी बहन पिघल गई और उनकी बाहों में समा गई.. ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ लिपट गए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के पेट पर हाथ रख दिया और उनकी नाभि को ढूंढ निकाला अपनी उंगलियों से.. उन्होंने मेरी बहन के पेटीकोट का नाड़ा नाड़ा ढीला किया और नीचे खिसका दिया... अपने बीच वाली उंगली वह मेरी बहन की नाभि में गोल गोल घुमाने लगे.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी और उनके पास आ गई.. एक कामुक सिसकारी उनके मुंह से निकली...
ऊह्ह… अह्ह… मम्मी... रूपाली दीदी करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी रूपाली दीदी को पलंग पर ही पछाड़ दिया था और उनके ऊपर आकर मेरी बहन को पेलने की पूरी तैयारी कर चुके थे.. एक बार फिर.. साड़ी उठाके...
अचानक सोनिया जाग गई और रोने लगी.... मम्मी मम्मी करने लगी.. दोनों एक दूसरे से अलग हो गए... मेरे रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और थपकी देते हुए उसको सुलाने की कोशिश करने लगी... ठाकुर साहब बगल में लेटे हुए देख रहे थे.. अब और कुछ भी कर पाना बहुत मुश्किल था.. वैसे भी आज ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के साथ मिलकर खूब जम के मजा लिया था..
मेरी रूपाली दीदी उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी ..उनके सपनों की अप्सरा थी ..उनके ख्वाबों की मलिका थी ... और आज की रात ठाकुर साहब दो बार चोद चुके थे मेरी बहन को.. वह सो गया.
मेरी रुपाली दीदी भी सो गई.. और मैं भी सो गया बाहर हॉल में..
आज की तूफानी रात गुजर चुकी थी..


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sahi........................
 
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