• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर..

Gary1511

Active Member
956
798
108
अगले दिन भी ठीक उसी प्रकार से हुआ.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी का इंतजार करते रहे.. मेरी रूपाली दीदी ने उनको अनदेखा कर दिया.. ठाकुर रणवीर सिंह ने बातचीत करने की कोशिश की मेरी बहन से... मेरी दीदी ने बड़ी शालीनता के साथ में जवाब दिया और वहां से निकल गई... ठाकुर साहब मेरी बहन को पाने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे.. अगले दिन उन्होंने मेरी दीदी की चूड़ी और कंगन से भरे हुए हाथ को छूने का भी प्रयास किया... दीदी ने किसी तरह खुद को बचाया.. मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी कि ठाकुर साहब के अंदर वासना की आग जल रही है उनके लिए .. ठाकुर रणवीर सिंह मेरी बहन की लेने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे.. अगले 2 दिन तक ऐसा ही होता रहा... मेरी दीदी बेहद घबराई हुई थी उन दिनों.. उन्होंने मुझसे इस बात का जिक्र तो नहीं किया पर मुझे ठीक-ठाक अंदाजा था इस बात का कि ठाकुर साहब की नियत खराब हो चुकी है मेरी बहन के लिए..

एक दिन जब मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब को अनदेखा करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया अपनी मर्दाना ताकत दिखाने के लिए.. दीदी ने जब अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो सफल नहीं हो पाई.. ठाकुर रणवीर सिंह ठहाका लगाकर हंसने लगे फिर मेरी दीदी को जाने दिया..
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी जीजू को कुछ भी नहीं बताती थी.. मुझे भी नहीं.. जीजू तो हमेशा बिस्तर पर ही पड़े हो गए रहते थे.. वह खुद से कोई भी काम नहीं कर पाते थे.. मैं अपनी 12वीं की परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था.. मेरी रूपाली दीदी की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक होती जा रही थी... उन्होंने नौकरी ढूंढने की भी कोशिश की पर कहीं सफलता नहीं मिली... थक हार कर मेरी रुपाली दीदी निराश होने लगी.. कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था उनकी जिंदगी में..


images-66

aslimonalisa-post-2019-12-23-09-15-2

अब मेरी रूपाली दीदी बेहद मजबूर और कमजोर महसूस कर रही थी.. मेरे और सोनिया की स्कूल के अगले महीने की फीस देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे.. मेरी रूपाली दीदी इन्हीं सोचो में डूबी हुई परेशान हो रही थी तभी अचानक हमारे घर की बेल बजी...
जब मेरी रूपाली दीदी ने दरवाजा खोला दोसा में ठाकुर रणवीर सिंह खड़े थे.. लंबे चौड़े ..हमारे घर का पूरा दरवाजा ही उनके शरीर से ढक गया था...
ठाकुर साहब: रुपाली जी.. अंदर आ सकता हूं क्या.. आपके पति विनोद से मिलना था..
मेरे रूपाली दीदी: जी ठाकुर साहब.. अंदर आइए.. मेरे पति अभी सो रहे हैं..
ठाकुर साहब: कोई बात नहीं रुपाली जी , मैं इंतजार कर लूंगा..
मेरी दीदी ठाकुर साहब का इरादा पूरी तरह से समझ रही थी .. कुछ ही देर में उन्होंने इंतजाम कर दीया मेरे जीजा जी को ठाकुर साहब से मिलवाने का.. जीजू के कमरे में घुसने के बाद ठाकुर साहब थोड़े हैरान हुए.. हमारे घर की गरीबी देख..
ठाकुर साहब: नमस्ते विनोद जी.. कैसे हैं आप.. मेरा नाम ठाकुर रणवीर सिंह.. मैं इसी मोहल्ले में रहता हूं.. आप का हाल-चाल जानने के लिए आया हूं..
मेरे जीजू: (घबराते हुए मुस्कुराते हुए) नमस्ते ठाकुर साहब...
ठाकुर साहब: आपकी पत्नी रुपाली जी बहुत अच्छी हैं.. आपकी बड़ी सेवा करती हैं.. मुझे देख कर बड़ा अच्छा लगा..
जीजू: जी धन्यवाद.
ठाकुर साहब: अच्छा विनोद जी.. मैं अब आपसे विदा लेता हूं.. कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कह सकते है आप..
ठाकुर रणवीर सिंह खड़े हो गए और बाहर की ओर जाने लगे.. मेरी दीदी भी उनके पीछे-पीछे दरवाजे तक आई.. दरवाजा बंद करने के लिए.. उसके पहले ही ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी से पूछ लिया..
ठाकुर साहब: आपकी छोटी बेटी कहां है?
मेरी रुपाली दीदी: अभी वह सो रही है..
ठाकुर साहब: 2 महीने की है ना..
मेरे रूपाली दीदी: हां ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: रुपाली जी बुरा ना मानो तो आपसे एक बात पूछूं? आपके घर का खर्चा कैसे चलता है..
मेरी रूपाली दीदी: जी वह कुछ सेविंग है.. कोई तकलीफ नहीं है..
ठाकुर साहब: अच्छा रुपाली जी.. किसी भी चीज की जरूरत हो तो बताइएगा..
मेरी दीदी: जी ठाकुर साहब धन्यवाद..
जाने से पहले ठाकुर ने मेरी रूपाली दीदी के भरपूर जोबन को अपनी निगाहों से घूर घूर के देख अपनी लार टपका दी.. मेरी दीदी ने अपने बदन को अच्छी तरह से ढक के रखा हुआ था.. उन्होंने कोई मौका नहीं दिया ठाकुर साहब को... यहां तक कि मेरी बहन ने अपने पेट के हिस्से को भी ढक के रखा था... मेरी बहन को देखकर ठाकुर साहब मुस्कुराए.. मेरी दीदी ने दरवाजा बंद कर लिया... ठाकुर साहब चले गय..


aslimonalisa-post-2020-01-15-09-16
अगले दिन फिर से ठाकुर साहब हमारे घर पर उपस्थित थे... मेरे जीजू से मिलने के बहाने.. उनका ज्यादातर समय मेरे रूपाली दीदी से ही बातचीत करने में गुजरा.. ठाकुर साहब तो चले गए थे... पर पिछले कुछ दिनों में हमारे घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने लगी थी...
मेरी रूपाली दीदी खुद को बेहद असहाय महसूस करने लगी थी.. उन्होंने जिस से भी मदद मांगी सब इंकार कर देते थे.. ठाकुर साहब प्रतिदिन मेरी बहन से बातचीत करते थे... मेरी रूपाली दीदी के मन में ठाकुर साहब के प्रति जो डर था वह कम होने लगा था.. इसके बावजूद भी मेरी दीदी हमेशा उनसे बच के रहना चाहती थी...
कुछ दिनों के बाद ठाकुर साहब हमारे घर पर आए... और मेरे जीजू से मुलाकात की.. जब वह जाने के लिए दरवाजे पर खड़े थे.. तब मेरी रूपाली दीदी ने उनको रोक लिया..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी है.. अगर आप बुरा ना मानो तो..
ठाकुर तो बहुत खुश ..... हां बोलो रुपाली जी..
मेरी रूपाली दीदी: मुझे कुछ पैसों की जरूरत है.. प्लीज मेरी मदद कीजिए..
ठाकुर साहब: पैसे? देखिए रुपाली जी.. बुरा मत मानिए मगर यहां कोई किसी की मदद पैसों से बेवजह नहीं करता...
मेरी दीदी: प्लीज ठाकुर साहब मैं बहुत मजबूर हूं..
ठाकुर साहब: क्या जरूरत आ गई है आपको..
मेरी रूपाली दीदी: मेरा छोटा भाई और मेरी बड़ी बेटी के स्कूल की फीस देनी है...
ठाकुर साहब: कितने पैसों की जरूरत है आपको रुपाली जी.
मेरी रूपाली दीदी: 2000 ... प्लीज ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: 2,000 तो कुछ ज्यादा है रुपाली जी.. मैं आपको पैसे तो दे दूंगा पर मेरी एक शर्त है..
मेरी रूपाली दीदी: क्या ठाकुर साहब?
ठाकुर साहब: क्या हम छत के ऊपर चल सकते हैं.. वहां पर कोई भी नहीं होगा.. मैं वही बताऊंगा..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब यहीं पर बता दीजिए ना..
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली जी जैसी आपकी मर्जी... मुझे आपकी चोली खोल के 30 मिनट तक आपका दूध पीना है.. बदले में मैं आपको ₹2000 दे दूंगा...
मेरी रूपाली दीदी: क्या?
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी शालीनता के साथ ठाकुर साहब को दरवाजे से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया... मेरी दीदी ने बड़े संयम के साथ काम लिया था उस वक्त... ठाकुर साहब नाराज तो हुए थे उस वक्त पर वह चले गए... मेरी दीदी दरवाजा बंद करने के बाद रोने लगी..
ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी शर्मिंदा हो गई थी.. उनका चेहरा लाल हो गया था... आज तक किसी मर्द ने मेरी बहन के साथ इतनी गंदी बात नहीं की थी..
जाते जाते ठाकुर साहब ने कहा था: एक बार फिर से सोच लो रुपाली जी.. दोबारा क्या पता मैं आऊं ही नहीं.. मेरी दीदी ने ठाकुर के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया था... ठाकुर साहब समझ चुके थे की घरेलू पतिव्रता नारी को अपने जाल में फंसा ना इतना आसान नहीं है.. वह आगे कुछ बोले बिना वहां से निकल गय... उनके जाने के बाद मेरी रूपाली दीदी अपने ख्यालों में खोई सोच रही थी... कितना घटिया आदमी है .. एक औरत की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता है.. कुछ देर में ही मेरी दीदी अपने घर के कामों में ही व्यस्त हो गई...


ox-D7glq-ZRs-MB8rtoz-Ck-Kvxe-G2-Oi-HLd-Z38o-Oh-Bv-AVN1h-AMJii3-VVmc-Dt2-Ii-Znit-E7-KD4c4-Rs-OBv-Wia-


aslimonalisa-post-2020-10-17-17-29-2
अगले दिन भी जब मेरी रूपाली दीदी अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए जा रही थी उस वक्त भी ठाकुर साहब रास्ते में खड़े थे.. मुस्कुराते हुए सिगरेट पीते हुए मेरी बहन को घूर रहे थे... मेरी दीदी ने उनको अनदेखा करने की कोशिश की... अब तो दिनचर्या बन चुकी थी ठाकुर साहब की.. मेरी बहन को दूर से देख कर ही परेशान करना.. वह कभी भी मेरी बहन के पास नहीं आते थे... दूर से ही देखते थे... मेरी रूपाली दीदी के लिए यह सब कुछ बेहद अजीब था... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब से नफरत करने लगी थी.. और ठाकुर रणवीर सिंह उनकी वासना तो और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मेरी बहन के लिए... किसी भी कीमत पर वह मेरी दीदी को अपने बिस्तर पर ले जाना चाहते थे... मेरी बहन की अनदेखी की वजह से उनके अंदर का जानवर जाग जाता था.... वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाते थे मेरी दीदी को पटक के उनकी लेने के लिए..

दूसरी तरफ मेरी रूपाली दीदी भी हमेशा डरी हुई रहती थी कि ठाकुर साहब ने अगर उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की तो वह क्या कर पाएगी... अपनी जान देने के अलावा मेरी रूपाली दीदी के पास और कोई चारा नहीं था.. मेरी दीदी आत्महत्या करने के बारे में सोच रही थी अगर ठाकुर साहब ने उनको जबरदस्ती कुछ किया तो..


किसी तरह दिन गुजरते रहे.. 2 महीने हो चुके थे मेरे जीजा जी के एक्सीडेंट के.. हमारे घर की माली हालत बिल्कुल खत्म हो चुकी थी.. घर में एक पैसा नहीं बचा हुआ था... मेरी बहन परेशान थी... मेरे जीजू बोल तो पाते थे पर कुछ कर नहीं पाते थे.. घर में राशन की भी तकलीफ होने लगी थी.. बनिया उधार देने से मना करने लगा था... मेरी रूपाली दीदी मुस्कुराते हुए सारा दर्द झेल रही थी... सारा का सारा पैसा तो मेरे जीजू की दवा दारू में ही खर्च हो रहा था.. और उनकी स्थिति भी संभल नहीं रही थी ..
एक दिन मेरे रुपाली दीदी बनिया की दुकान से राशन लेकर लौट रही थी तो रास्ते में एक बाइक आके रुक उनके सामने खड़ी हो गई... ठाकुर साहब ने मेरी बहन को रोक लिया था... पहले तो मेरी दीदी ठाकुर साहब को देखकर घबरा गई फिर उन्होंने खुद को संभाला...
ठाकुर साहब: रुपाली जी. आओ बैठ जाओ.. मेरी बाइक पर.. मैं आपको घर तक पहुंचा देता हूं..
मेरी रूपाली दीदी उनको अनदेखा करते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगी.
ठाकुर साहब मेरी दीदी का पीछा करने लगे.. साड़ी के अंदर छुपी हुई मेरी बहन की गांड बुरी तरह हिल रही थी... ठाकुर साहब का लोड़ा खड़ा हो गया था मेरी बहन की हिलती गांड देखकर...
ठाकुर साहब ने आगे बढ़ते हुए मेरे रूपाली दीदी का हाथ पकड़ लिया.. उन्होंने इतनी जोर से मेरी दीदी का हाथ थामा कि मेरी बहन के हाथ की एक चूड़ी टूट गई.. मेरी दीदी कसमसआने लगी.. ठाकुर साहब को छोड़ने की गुहार करने लगी... बीच सड़क पर..
ठाकुर रणवीर सिंह: मेरे साथ बैठ जा मेरी बाइक पर.. क्यों इतना तमाशा कर रही हो.. ज्यादा तो नहीं कह रहा तुमसे.. आओ बैठो ना रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: क्यों आप मुझे परेशान कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए ठाकुर साहब.. मेरे बच्चे मेरे घर पर इंतजार कर रहे होंगे..
ठाकुर साहब: क्यों? क्या करोगी घर पर जाकर... अपने बच्चों को अपना दूध पिलाओगी...
मेरी रूपाली दीदी : आप जाइए यहां से वरना वरना मैं शोर मचा के लोगों को बुला लूंगी..
ठाकुर साहब: शोर मचाने से क्या होगा रूपाली..तुमको क्या लगता है कोई तुमको बचाने आएगा.. मैं चाहूं तो अभी तुम्हें यही सड़क पर ही पटक तुम्हारी... खैर छोड़ो जाने दो..
ठाकुर साहब वहां से बिना देरी किए हुए चले गए.. मेरी दीदी ने देखते हुए राहत की सांस ली.. और तेज कदमों से अपने अपार्टमेंट में घुस गई..
मेरी रूपाली दीदी बेहद अपमानित महसूस कर रही थी.. वह सोच रही थी अगर उनका पति अपाहिज नहीं होता तो ठाकुर साहब की हिम्मत नहीं होती उनसे इतनी गंदी भाषा में बात करने के लिए...
मेरी रूपाली दीदी जीजाजी के बेडरूम में गई ... उन्होंने मेरे जीजू का हाथ पकड़ा... मेरे जीजू सोए हुए नहीं थे... वह मेरी बहन की तरफ ही देख रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी: विनोद मुझे चुम्म लो ना.. मुझे प्यार करो ना...
जीजू ने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया उनके होठों को अपने होठों में दबोच को चूसने लगे... मेरी दीदी उनको चूसने लगी... पर मेरे जीजू निढाल हो कर लेट गय.. उनके अंदर शक्ति नहीं बची थी...



N6-Ocgw02wb-Ho-ITs0-PM4bii-T6t-Pg4l-F-8r-QEON6-Rk2-EUpug-D4s7t-LNcv3xtfah-SPi-Cfv-U3-X49-JRx6-AA


aslimonalisa-post-2019-12-23-09-15-3
Nice
 

YourWifeKaLover

New Member
7
5
3
Bhai kahani badhiya hai but update bahot slow hai. 2 2 hafte mein ek chhoti update(ek poora scene bhi nahi) aane se poora maza kharab ho gaya hai
 

Mohinise

New Member
7
17
4
Bhai kahani badhiya hai but update bahot slow hai. 2 2 hafte mein ek chhoti update(ek poora scene bhi nahi) aane se poora maza kharab ho gaya hai
Thakur ke sath sath tum bhi chodo apni beha ko to aur maja aayega story me
 
427
833
93
update please
 

babasandy

Active Member
1,369
2,563
159
मेरी रूपाली दीदी: – आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! की सिसकारियाँ लेने लगीं और उन्होंने अपने हाथ को पीछे करके ठाकुर साहब के सिर को पकड़ लिया... अब ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार और अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे..
दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे...
ठाकुर साहब की हिलती कमर दीदी की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी.. मेरी रूपाली दीदी की चूत फ़ैलने लगी और लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी.. फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी मेरी बहन..
वह पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था.. ऐसा लग रहा था कि कभी भी टूट सकता है... मेरी बहन की हाथों की चूड़ियां और पैरों की पायल खनखन छन छन की आवाज कर रही थी.. मैं हॉल में लेटा हुआ सब कुछ सुन पा रहा था.. मेरी आंखों की नींद उड़ी हुई थी..

eliza-ibarra-pornworld-interracial-side-fuck

अगले 10 मिनट तक ठाकुर साहब इसी अंदाज में मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे.. उसके बाद उन्होंने अपना हथियार बाहर निकाल लिया.. और मेरी बहन को उठाकर बिस्तर पर चौपाया कर दिया.. कुत्तिया के पोज में.. और खुद पीछे आकर मेरी बहन के गुलाबी छेद में अपना मोटा मुसल फिर से पेल दिया... एक जबरदस्त झटके के साथ ही मोटा लौड़ा मेरी दीदी की चुत को रगड़ता पूरा का पूरा जड़ तक अंदर समा चुका था...
...उईइइइइइइइइइ माँ , प्लीज ैमाँ ओह्ह आह नहीईईईई..
अब ठाकुर साहब पीछे से मेरी बहन की ठुकाई कर रहे थे... इस पोजीशन में उनका पूरा का पूरा हथियार मेरी बहन के अंदर बाहर हो रहा था.. उनकी बड़ी आंड मेरी दीदी की गांड से टकरा रही थी...
मेरी रूपाली दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी दुधारू चूचियां उनके मंगलसूत्र के साथ झूला झूल रही थी.. क्योंकि पीछे से ठाकुर साहब बड़े जोर-जोर से मेरी दीदी को पेल रहे थे.. अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी ठाकुर साहब ने मेरी बहन के अंदर..
ठाकुर साहब मेरी बहन को घोड़ी बनाकर पीछे से बड़े जबरदस्त तरीके से पेल रहे थे... अब मेरी रूपाली दीदी के मुंह से भी कामुक सिसकियां और जोर जोर से निकल रही थी.. मेरी दीदी को अच्छी तरह पता था कि मैं हॉल में सोया हुआ और जगह हुआ हूं... और ठाकुर साहब के झटकों ने उन को बेहाल कर रखा था... वह अपनी सिसकियों पर काबू नहीं पा रही थी.. मैं सब कुछ सुन रहा था... मुझे तो डर बस इस बात का था कि अगर जीजू ने सुन लिया तो उनके दिल पर क्या बीतेगी...
ठाकुर साहब: आहह.. ! आ आहह.. ! आ आ आ आ आ आ आ..म म... रूपाली... आई लव यू..
मेरी रुपाली दीदी:::आहह.. ! आ आहह.. ! आ... बस ठाकुर साहब.. प्लीज अब और नहीं..आहह.. उंहम म..
. पर मेरे लिए सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि मेरी दीदी भी पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी... बल्कि सच कहूं तो उन्हें बेहद आनंद आ रहा था... मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में.... अपने यौन सुख के उन्माद में मेरी दीदी को यह भी याद नहीं रहा कि उनका भाई बगल के कमरे में लेटा हुआ सब कुछ सुन रहा है...

Lage-Raho-Doctor-Season-1-Episode-3-pink-1

ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी दीदी को बिस्तर पर पटक दिया और ऊपर आकर ठुकाई करने लगे.. इस खेल का अंत होने वाला था..
मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब को धीरे से कहा: अब बस कीजिए.. ! मैं बहुत थक गई हूँ.. !
ठाकुर साहब ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उनकी रफ्तार और तेज हो चुकी थी... कसी गुलाबी चिकनी मुनिया ने ठाकुर साहब के औजार को पिघला दिया था... मेरी बहन इस खेल में जीतने वाली थी.. झड़ने से पहले ठाकुर साहब ने मेरी बहन के अंदर 4-5 जबरदस्त झटके दिए... और अपना मक्खन मेरी बहन की कोख में भर दिया... तकरीबन 30 सेकंड तक वह मेरी बहन की कोख को भरते रहे.. अपनी मलाई से.. पूरा झड़ने के बाद भी कुछ देर तक मेरी बहन को पेल रहे थे... अपने मुरझाए हुए लोड़े से... मेरी बहन साथ ही झड़ गई थी... दोनों एक दूसरे से लिपट के सुस्ताने लगे थे... अब कमरे के अंदर थोड़ी शांति थी...

Lage-Raho-Doctor-Season-1-Episode-1-03

Lage-Raho-Doctor-Season-1-Episode-1-02

रात तकरीबन 2:00 बज चुके थे.. ठाकुर साहब तो बुरी तरह थक गए थे.. वह मेरी बहन के बगल में लेटकर नंगे ही सो गय और खर्राटे लेने लगे..
मेरी रूपाली दीदी का भी बुरा हाल था.. वह भी नंगी ही सो गई.. एक पतिव्रता नारी आज किसी गैर मर्द के बगल में नंगी सोई हुई थी.. कुछ ही दिनों में यह एक बहुत बड़ा बदलाव हो गया था मेरी बहन के लिए.. अब मुझे भी नींद आ गई थी वह मैं भी सो गया था.. सुबह तकरीबन 5:00 बजे मेरी रूपाली दीदी की आंख खुली..
मेरी दीदी ठाकुर साहब के साथ नंगी लेटी हुई थी एक चादर के नीचे... इस अहसास को महसूस करके ही मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई... पर दोनों एक दूसरे के इतने करीब थे कि मेरी वाली दीदी गर्म हो रही थी.. वासना की आग में पागल हो रही थी... ठाकुर साहब का खड़ा था..लंबा मोटा लण्ड मेरी बहन की नाभि में चुभ रहा था... घरेलू और पतिव्रता औरत होने के नाते मेरी रुपाली जी देश शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब के औजार को अपने हाथ में लेना चाहती थी...
ठाकुर साहब गहरी नींद में थे.. और खर्राटे ले रहे थे... उनकी नींद का फायदा उठाकर और अपनी सारी शरम ताक पर रखकर मेरी बहन ने उनके हथियार को अपने हाथ में थाम लिया.. और सहलाने लगी..
हाय राम कितना बड़ा है ... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी.
ठाकुर साहब के खड़े लण्ड को हिलाते हुए अपने हाथ से पकड़ते हुए मेरी रूपाली दीदी ने अपने छेद पर लगा दिया और खुद उसको रगड़ रही थी.. मेरी बहन आज अपने आप से ही युद्ध कर रही थी.. यह क्या पाप कर रही है वह? खुद ही एक जानवर को जगा रही है... अपने होशो हवास गवा कर मेरी बहन गुंडे को जगा रही थी... ठाकुर साहब की आंख खुल गई.. नया एहसास हो गया था कि क्या हो रहा है.. सुबह के 5:30 बज चुके थे..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को खींच कर अपने ऊपर बिठा लिया.. और उनको देख कर मुस्कुराने लगे.. मेरी दीदी शर्म से पानी पानी हो गई थी.. ठाकुर साहब की तरफ देख भी नहीं पा रही थी...
ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी बहन को पेल दिया था..उनका आधा लण्ड, मेरी रूपाली दीदी के चूत के अंदर चला गया और ठाकुर साहब धीरे धीरे मेरी दीदी के कानों मे कुछ कहते हुए, अपना लण्ड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगे..
ठाकुर साहब: क्या हुआ रूपाली... और पास आओ ना मेरे..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब प्लीज.. आपने जो बस आज सोनिया के लिए किया... मैं तो बस आभारी हूं आपकी.... आपने बहुत बड़ा एहसान की हमारे ऊपर... मेरी बेटी के चेहरे पर खुशी आज बहुत दिनों के बाद दिख रही थी..

Mystery-Rajsi-Verma-hot-kiss-scene-07

ठाकुर साहब: अच्छा.. तो आज की रात जो तुम मेरे साथ सोई हो.. यह उसके लिए है?
मेरी रूपाली दीदी: जी वह... ठाकुर साहब ..वह बात.. (आवाज में कंपन हो रही थी मेरी बहन की)..
ठाकुर साहब: तो क्या कल रात तुम मेरे साथ नहीं सोओगेई...?
मेरी रूपाली दीदी: देखिए ठाकुर साहब प्लीज आप ऐसी बातें मत कीजिए.. सुबह के 5:00 बज चुके हैं.. मेरे पति विनोद सुबह 5:30 बजे उठ जाते हैं.. अगर उन्होंने देख लिया कि हमारे कमरे का दरवाजा बंद है तो पता नहीं क्या सोचेंगे..
ठाकुर साहब: उसे जो भी सोचना है सोचने दो.. तुम्हारा भाई भी तो हॉल में सोया हुआ है.. वह तो देख ही रहा होगा कि हमारे बेडरूम का दरवाजा बंद है.. उसे तो अंदाजा हो रहा होगा कि हम लोग क्या कर रहे हैं अंदर ..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब.. मेरे छोटे भाई के बारे में कुछ मत बोलिए.. वह भी छोटा है बहुत .. उसे नहीं पता होगा.. वैसे भी उसको नींद आ जाती है...
ठाकुर साहब: खैर छोड़ो ...रूपाली आई लव यू... तुम तो जानती हो ना..
मेरी रूपाली दीदी: कैसी बातें कर रहे हैं आप... मैं आपकी बेटी की उम्र की हूं... प्लीज ऐसा मत बोलिए..
सुबह 5:00 बजे ही मेरी आंख खुल गई थी उन दोनों की बातें सुनकर.. मैं अपनी सांसे रोक के उन दोनों की बातें सुन रहा था...
ठाकुर साहब ने अभी भी मेरी बहन को अपनी बाहों में जकड़ रखा था.. मेरी रूपाली दीदी नंगी होकर ठाकुर साहब की जांघों के ऊपर बैठी हुई थी.. स्थिति कुछ ऐसी थी कि मेरी रूपाली दीदी की गांड की दरार ठाकुर साहब की दोनों जांघों के बीच में थी. ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी दीदी की गांड के छेद को सहलाया.. अपनी बीच वाली उंगली से उन्होंने मेरी बहन की गांड के छेद पर एक लंबी सी लकीर खींच दी...
ठाकुर साहब की इस हरकत से मेरी रूपाली दीदी अंदर से सिहर गई.. कांपने लगी... लेकिन अपने मुंह से कुछ नहीं बोल सकी.. ठाकुर साहब ने जब अपनी हरकत दोहराई ...
मेरी रूपाली दीदी : “म्मम्मम्मम्मम्मम्म” नहीं ठाकुर साहब प्लीज..
ठाकुर साहब: तुम्हें अपने पति विनोद में आखिर क्या दिखता है.. मानता हूं कि वह अपाहिज है और अभी लाचार है... लेकिन आखिर वह क्यों तुम्हें मेरे साथ सोने दे रहा है? क्या उसे नहीं पता कि मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या कर सकता हूं...
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब.. मैं बस सोनिया की खुशी देखकर आपके पास आई थी.. मैं बार-बार आपके लिए ऐसा नहीं कर सकती हूं.. मैं मर जाऊंगी..
ठाकुर साहब: तुम इतनी हसीन और खूबसूरत हो रूपाली.. कोई भी पैसे वाला तुम्हें 2 मिनट में मिल जाएगा और तुम्हें रानी बनाकर रखेगा.. क्यों इस विनोद के लिए बैठी हुई हो अभी तक..
मेरी रूपाली दीदी: विनोद मेरे पति हैं..

hot-kiss

ezgif-4-da9df0cdca8f

ठाकुर साहब: देखना रूपाली.. एक दिन तुम खुद ही थक जाओगी विनोद से.. तब मैं तुमसे पूछूंगा..
ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी को बहुत बुरा लग रहा था.. मेरी रूपाली दीदी अपने पति से बहुत प्यार करती थी.. और मेरे जीजू के बारे में ठाकुर साहब जिस तरह से बात कर रहे थे उनको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था.. मेरी बहन की आंखों में आंसू आने लगे थे..
ठाकुर साहब ने मेरी दीदी के चेहरे को अपने पास खींचा और उनके होठों पर चुम्मा लेने लगे.. दीदी भी ठाकुर साहब को प्यार से चूमने लगी थी.. मेरी बहन अच्छी तरह जानती थी कि अभी के लिए उन्हें ठाकुर साहब को सहयोग देना ही पड़ेगा..
दोनों के बीच का चुंबन बेहद प्यारा था.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी बाहें ठाकुर साहब के गले में डाल दी थी... ठाकुर साहब अपने दोनों हाथों से मेरी बहन की गांड को बड़े प्यार से मसल रहे थे.. दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे थे.. ठाकुर साहब बार-बार मेरी दीदी की गांड के छेद के साथ छेड़खानी कर रहे हैं ... पर अभी तक उन्होंने अपनी उंगली मेरी बहन की गांड के छेद में डाली नहीं थी... ठाकुर साहब इंतजार कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी की नरम गरम मक्खन मुनिया और उसके ऊपर की झांठ का स्पर्श पाकर ठाकुर साहब का लंड बुर्ज खलीफा की तरह खड़ा हो गया था.. एक बार फिर वह मेरी बहन की लेने के लिए तैयार हो चुके थे..
मेरी रुपाली दीदी भी अच्छी तरह जान रही थी कि एक बार फिर ठाकुर साहब उनको सुबह होने से पहले पेलाई करेंगे..
दोनों के होंठ है आपस में रगड़ खा रहे थे.. दोनों की होठों की लार टपक रही थी चुंबन के दौरान... आप दोनों के बीच का चुंबन बहुत गहरा और बहुत कामुक हो चुका था...
.. मेरी रुपाली दीदी अपना पूरा धैर्य और संतुलन खोती जा रही थी.. अपने मान मर्यादा को भूल चुकी थी.. मेरी बहन खुद ही अपनी गरम गुलाबी कसी हुई चूत को ठाकुर साहब के फौलादी मुसल के ऊपर रगड़ने लगी..

ezgif-com-gif-maker-2

Porn-GIF-cc-indian-desi-breast-sucking-boobs-bhabi-small

दोनों के मुंह से..आअह्ह्ह्ह ऊऊऊऊओ --- ह्ह्ह्हह्ह्ह्हम्मम्मम !!!” की आवाजें निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब लगातार मेरी बहन की गांड को मसल रहे थे.. और उनकी गांड के छेद के साथ छेड़खानी कर रहे थे.. अभी तक ठाकुर साहब ने अपनी उंगली अंदर नहीं घुसआई थी.. ठाकुर साहब की इन हरकतों से मेरी दीदी बेहद शर्मिंदा महसूस कर रही थी.. उनका अपाहिज पति और बेवकूफ भाई बगल के कमरों में सोया हुआ है और वह खुद एक लोकल गुंडे के साथ जो यहां का पॉलीटिशियन भी है , मेरी बहन के बदन के साथ खेल रहा है.. एक पतिव्रता औरत होने के कारण मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो रही थी..
वह कहते हैं ना प्यार और हवस के आगे किसी का बस नहीं चलता.. मेरी रूपाली दीदी का भी वही हाल था.. दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी जवान कामुक बहन ठाकुर रणवीर सिंह के बिस्तर में अपनी सारी मान मर्यादा लाज शर्म भूल कर उनका सहयोग दे रही थी.. उनका भाई और उनका पति घर में मौजूद था.. मैं तो जगा हुआ था और सुन भी रहा था उनके बीच की आवाज .. जो धीरे-धीरे आ रही थी..
ठाकुर साहब अभी भी मेरी रुपाली दीदी को चूम रहे थे.. हालांकि मेरी दीदी थोड़ा बहुत विरोध कर रही थी.. दोनों उसी बिस्तर में एक दूसरे से लिपट के एक दूसरे को पटकने का प्रयास कर रहे थे.. कभी ठाकुर साहब मेरी दीदी के ऊपर सवार हो रहे थे ..कभी मेरी दीदी ठाकुर साहब के ऊपर... सुबह के 5:30 बज चुके थे.. रात बीत चुकी थी और सवेरा होने वाला था... दोनों बिल्कुल नंगे थे..

229257947-163457669219758-2720361358460816696-n

551-1000
 

babasandy

Active Member
1,369
2,563
159
tumblr-oads5s-FZKJ1vtoo9oo4-400-gifv
 
Top