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Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर..

deeppreeti

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मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर..

  • by babasandy


भीमा के अंदर खुद कामदेव आकर समा गए थे.. अगले आधे घंटे तक उसने मेरी रूपाली दीदी को कामशास्त्र के सारे पाठ से परिचय करवाया...... उसने मेरी दीदी दीदी को लगभग हर आसन में चोदा..... कभी मेरी दीदी की दोनों टांगे उसके कंधों पर थी और उनकी चूचियां उसकी हाथों की मजबूत पकड़ में.... कभी मेरी दीदी की एक टांग उसके कंधे पर और दीदी की चूची उतनी ही बेरहमी से दबाई जा रही थी... उसने मेरी रूपाली दीदी को कभी घोड़ी बनाया तो कभी कुत्तिया... उसने मेरी दीदी को करवट लिटा के उनकी एक टांग हवा में उठा के पीछे से चोदा... फिर उनको दोहरी करके भी चोदा.. सच तो यह है कि उसके "लण्ड" ने मेरी रूपाली दीदी के आगे वाले छेद का कचुंबर निकाल दिया था..

मेरी दीदी भी उसका पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी...मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में है... उनकी 4 साल की बेटी सोनिया बिस्तर के ऊपर सो रही थी.. और मेरी दीदी खुद बेड के नीचे बिल्कुल नंगी अवस्था में देहाती गवार हजाम भीमा के साथ लिपटकर हवस का गंदा खेल खेल रही थी.. ना जाने कितनी बार मेरी दीदी झड़ चुकी थी..
भीमा का स्टैमिना और उसकी ताकत देख कर और समझ कर मेरी दीदी हैरान और परेशान थी... वह अपनी पूरी रफ्तार से मेरी दीदी की खेत की जुताई कर रहा था... आखिरी चरम सीमा की तरफ पहुंचने लगा था यह खेल...

भीमा ने ने अपने लण्ड का माल मेरी दीदी की कोख में फिर भर दिया.... मेरी दीदी की बच्चेदानी भीमा के लोड़े की मलाई से भर गई... कुछ देर तक दोनों कांपते रहे... दोनों पसीने से भीग चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर संतुष्टि थी.... ऐसा लग रहा था जैसे अभी अभी उनके पति ने यानी मेरे जीजू ने मेरी दीदी को भरपूर यौन सुख दिया हो...... दीदी के चेहरे पर कोई भी ग्लानि के बाद दिखाई नहीं दे रहे थे... उनकी आंखें आधी खुली आधी बंद थी.... कामुकता की कठिन अग्नि में जलने के बाद मेरी दीदी का चेहरा शांत लग रहा था...भीमा लुढ़क कर लेट गया मेरी दीदी के बगल में... उसका काला मोटा हाहाकारी लोड़ा बिल्कुल गीला था चमक रहा था.. और धीरे-धीरे मुरझाने भी लगा था... मेरी रूपाली दीदी की हालत तो बहुत ही खराब थी...
मेरी रूपाली दीदी जमीन पर बिखरी पड़ी थी बिल्कुल नग्न ... उनकी दोनों टांगे फैली हुई थी और गाढ़ा सफेद वीर्य मेरी दीदी की चूत से टपक रहा था... मेरी दीदी को कुछ भी होश नहीं था.. बाल बिखरे हुए, हाथों की चूड़ियां भी टूट गई थी, सूखे हुए होठों एक मुस्कान तैर गई... मेरी दीदी होश में आने लगी थी.. उनको एहसास हुआ था कि अभी अभी उन्होंने क्या किया है, और मेरी दीदी को इस बात के लिए कोई शर्मिंदगी नहीं थी..

भीमा अभी मेरी बहन को ही देख रहा था...

भौजी... बड़ा मस्त बाड़ू तू... मजा आ गया भौजी.. तोहार बहुत ही ज्यादा टाइट बा छेदा... साला हमार मुसल को पूरा जकड़ कि हमारा सारा पानी चूस लिया... इतना टाइट छेद वाली हमको आज तक नहीं मिली थी... बुरचोदी.... बोलते हुए मेरी बहन के होठों पर चुम्मा लिया भीमा ने..

मेरी दीदी ने भी उसके चुम्मा का जवाब चुम्मा से दिया और उसकी छाती पर प्यार से मुक्का मार कर बोलने लगी...

हाय रे भैया जी... कितने जालिम हो आप बिल्कुल भी रहम नहीं किया आपने हम पर... इतने जोर जोर से भी कोई करता है.. देखो तुम मेरा क्या हाल बना दिया है आपने...
मेरी बहन की बातें सुनकर भीमा मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चिकनी मुनिया जो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसमें से भीमा का सफेद वीर्य टपक रहा था, की तरफ देखने लगा और हंसने भी लगा... मेरी दीदी शर्म से लाल हो गई..

सही बोल रही हो भौजी... आज हमको कुछ ज्यादा ही जोश आ गया था... आप को देख कर तो कोई भी मर्द रुक नहीं सकता है... हम तो पागल हो गया था... और हमारा यह औजार साला आपको देखने के बाद मान ही नहीं रहा था.. भीमा बोला..

मेरी बहन उसकी छाती पर सर रखकर सुस्ताने लगी थी..

भीमा के देहाती लंड का मोटा हुआ फूला लाल सुपाडा देखकर मेरी दीदी के मुंह में पानी आने लगा था... वह अपने जज्बातों को काबू करने की कोशिश कर रही है लेकिन असफल हो रही थी.. मेरी बहन उसके देहाती मोटे मुसल को अपने हाथों से सहलाने लगी थी... सोनिया तो अभी भी सोई हुई थी... मेरी बहन ने सर उठा कर एक बार सोनिया की तरफ देखा... और निश्चिंत होने के बाद भीमा की चौड़ी छाती पर अपना सर रख के दोबारा से उसके अजगर को जगाने का प्रयास करने लगी..

मेरी बहन को अपने ही व्यवहार पर खुद ही आश्चर्य हो रहा था.. एक सती सावित्री औरत होने के नाते उन्होंने अपने आप से कभी भी इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी.. लेकिन आज तो मामला उनके हाथ से ज्यादा ही बाहर निकल गया था.. एक बार बुरी तरह चुद चुकी मेरी बहन एक बार फिर से वही खेल खेलना चाह रही थी देहाती मर्द भीमा के साथ..
लेकिन अपने मुंह से बोलना भी नहीं चाहती थी.. एक भारतीय संस्कारी औरत होने के नाते..

मेरी रूपाली दीदी की चिकनी चूत का दर्द उन्हें परेशान कर रहा था... लेकिन इस मीठे दर्द के साथ उनके गुलाबी छेद में कीड़ा काटने लगा था... वासना और हवस का कीड़ा...
मेरी बहन अपने कोमल हाथों में औजार पकड़कर हिलाने लगी थी जोर-जोर से... मेरी दीदी की मेहनत रंग लाई और गवार भीमा का औजार फिर से पूरी तरह तैयार हो गया 2 मिनट के अंदर में...
पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.... वह तो खर्राटे मार रहा था.. भीमा नींद की आगोश में जा चुका था.. पहली बार के ही संभोग से वह पूरी तरह संतुष्ट हो गया था और उसे नींद आ गई थी... उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि मेरी बहन दोबारा करना चाहती है...

मेरी रूपाली दीदी निराश होकर उसके चेहरे की तरफ देखने लगी.. मेरी बहन ने उसको हिलाया लेकिन भीमा पर तो कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था...

एक बार तो मेरी रुपाली दीदी के मन में ख्याल आया क्यों ना देहाती लंड के ऊपर बैठकर खुद ही इसकी सवारी करती हूं, वैसे भी कौन देखने वाला है यहां पर.. लेकिन फिर मेरी दीदी अपनी सोच पर शर्मआ गई... और भीमा के ऊपर चढ़कर उसकी सवारी करने का इरादा भी मेरी बहन ने अपने दिल से निकाल दिया... अपने दिल में और अपने नीचे वाले छेद में एक मीठी सी कसक लेकर मेरी दीदी मुस्कुराते हुए और लड़खड़ाते हुए उठ कर खड़ी हो गई.. नंगी हालत में मेरी रूपाली दीदी खोली के अंदर इधर-उधर घूम घूम के अपने कपड़े ढूंढ रही थी..

चूत से भीमा का वीर्य टपक रहा था और चूची से दूध.. जैसे तैसे करके मेरी बहन ने अपने सारे कपड़े पहन लिय अपनी पेंटी के अलावा... जो भीमा ने फाड़ दी थी...

कपड़े पहनने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने झुक कर भीमा के लोड़े को थाम लिया और उसके ऊपर बहुत सारे चुंबन का बौछार कर दिया...

खुली से बाहर निकल कर मेरी दीदी ने दुकान का शटर बड़ी मुश्किल से उठाया और फिर अपनी बेटी को गोद में लेकर दुकान से बाहर निकल गई...

मेरी बहन को तकलीफ हो रही थी इस प्रकार से सोनिया को गोद में लिय घर तक पैदल जाना मुश्किल था उनके लिए..

लेकिन उनकी मुश्किल को आसान बनाने के लिए एक नौजवान मर्द अपना रिक्शा बाहर ही खड़ा किए हुए था..

यह लड़का और कोई नहीं बल्कि बिल्लू ही था.. बिल्लू की उम्र तकरीबन 22 साल रही होगी... बिल्कुल तंदुरुस्त गबरू जवान मर्द था बिल्लू... उसका रंग काला था पर दिखने में बहुत आकर्षक लगता था... मेरी रूपाली दीदी ने तो उस पर ध्यान ही नहीं दिया था लेकिन उसकी निगाहें मेरी बहन पर ही टिकी हुई थी... भीमा की दुकान पर जाते हुए उसने मेरी बहन को देखा था और अच्छी तरह पहचान भी लिया था...
मेम साहब मैं आपको कहीं पर छोड़ दूं क्या ...बिल्लू ने पूछा..

हां भैया जी... बोलकर मेरी रूपाली दीदी उसके रिक्शे पर बैठ गई.. सोनिया अभी भी मेरी दीदी की गोद में ही सोई हुई थी..

हमको ठाकुर रणवीर सिंह के घर पर छोड़ दो... दीदी ने कहा.



NOTE: ये कहानी मूल लेखक babasandy द्वारा ही लिखी गयी है परन्तु इस फोरम पर अधूरी है .... मुझे इसके कुछ भाग अन्यत्र मिल गए तो उन्हें पोस्ट कर रहा हूँ
 

vinay k

V k
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जब सेक्स हुआ ही नही तो सेक्स वाली फोटो नही डालनी चाहिए
 

vinay k

V k
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क्या भीमा के साथ भी रूपाली सेक्स करेगी
 
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