• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मेरे गाँव की नदी (Completed)

normal_boy

Active Member
1,108
1,636
159
kadak nangi jawani,,,, fek raha hun maal bhen ke liye
 

meenashah6162

New Member
84
36
34
आज जब कुआँ खुद चल कर प्यासे के पास आया था तो कल्लू एक बूंद भी गँवाना नहीं चाहता था वो अपने माँ को दिन भर पेलना चाहता था। उसे दिन भर अपने लंड के नीचे लेटाकर चोदना चाहता था।

कल्लू;अपने माँ को गोद में उठा लेता है और उसे खेत में लेटा देता है और झट से उसके ऊपर चढ़ जाता है।

अपने दोनों हाथों में निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर वो निर्मला को चुमते हुए अपने लंड को निर्मला के चूत पर घीसने लगता है।

कल्लू:माँ तेरी चूत मुझे चाहिए।

निर्मला:-हाँ हाँ ले ले मेरी चूत बेटा आह आह।चोद डाल अपनी माँ को बना ले तेरे लंड की रानी आह अब और मत तडपा मुझे पेल न अंदर आह।

कल्लू ;कहाँ डालूँ मा।

निर्मला;नीचे हाथ डाल कर कल्लू के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है और उसे अपने चूत के मुहाने पर लगा देती है। यहाँ मेरे बच्चे यहाँ।

निर्मला;अब तो मना नहीं करेगी ना माँ।

निर्मला;नहीं नहीं अब मना नहीं करुँगी जब जहाँ जैसे चाहेगा वहाँ चुदायेंगी तेरी माँ तुझसे बस डाल दे मेरे अंदर।घुसा दे अपना पूरा लंड अपनी माँ की चूत में।



कल्लू ;अपने कमर को ऊपर के तरफ उठाता है और दन से उसे निर्मला के चूत पर दबा देता है।

एक बेटे का लंड सारे बंधन तोड कर सारी कस्मे भूल कर अपने माँ की रसीली चूत में घुस जाता है।

निर्मला चीख पडती है।हाय बेटे दर्द हो रहा है।



कल्लू;आज वो दिन नहीं है जब एक बेटे अपने माँ के दर्द को सुनकर रुक जाए।वो दूसरा धक्का देता है और ये वाला धक्के से लंड निर्मला के बच्चेदानी तक जा रहा है।निर्मला की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और निर्मला के दोनों पैर कल्लू के कमर से लिपट जाते है ।वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

कल्लू;कुछ पल उस एहसास को महसूस करता है और फिर अपने माँ के दोनों ब्रैस्ट को दबाते हुए लंड को आगे पीछे करता चला जाता है।

निर्मला;हाय रे बेटा मेरा आहह मेरी चूत है ना वो अहह

मेरे बेटा धीरे से कर ना आह।पहले पहले धक्के तो सभी को भी दर्द देते है।

निर्मला तो दो बच्चों की माँ थी उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगता सँभालने में ।जब चूत की चिकनाहट लंड को सहलाने लगती है और जब चूत की दिवारें पूरी तरह खुल जाते है तो निर्मला भी पागल सी हो जाती है।

अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवानी बना देता है और वो अपने बेटे के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।

निर्मला:आह।और जोर से बेटा और जोर से

आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये आह।

मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहह

चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आह।

निर्मला वो औरत थी जो कल्लू के धक्कों को बड़ी आसानी से सह रही थी और मस्ती में उससे और ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी।सच कहा है किसी ने ग़ुरू ग़ुरू होता है और चेला चेला।गुड़िया तो कल्लू के पेलने पर चीखने लगती थी। यहाँ वो औरत थी जिस ने इस सांड को पैदा की थी। भला वो उस लंड से कैसे पनाह माँगती। आज कल्लू को अपने माँ की ताकत का एहसास हुआ था।

कल्लू ;जितने ज़ोर से लण्ड को चूत में घुसाता

निर्मला उतने ही ताकत से अपने कमर को ऊपर उठा कर उसे और अंदर ले लेती है।

निर्मला पागल हो गई थी अपने दोनों हाथों के नाखुनो से वो कल्लू के पीठ को कुरेदते हुए उसे और ज़ोर से चोदने के लिए पुकार रही थी।

जब माँ पुकारती है तो बेटे को आना पड़ता है और कल्लू वही कर रहा था वो निर्मला को जबरदस्त धक्के के साथ पेल रहा था और निर्मला अपने बेटे को इतनी आसानी से रुकने देने वालों में से न थी।



खेत में पच पच की आवाज़ें गूंज रही थी।कल्लू अपने लंड को पूरा निकलता है घच से फिर अपनी माँ की गीली चूत में पूरा लंड जड़ तक पेल देता।

निर्मला के बीच बीच में चीखने की आवाजे।

जब कल्लू का लण्ड उसके बेच्चेदानी से टकरा जाता।

कल्लू पसीने में नहा चूका था और उसके नीचे लेती हुए निर्मला भी दमा दम हो गई थी मगर दोनों के कमर लगातार हील रही थी। कल्लू की पकड़ अपने माँ के ब्रैस्ट पर और मज़बूत होती चली जाती है।

और निर्मला की चूत से पानी टिप टिप करके रिसने लगता है।वो जोश दिन भर कम नहीं होने वाला था ये दोनों अच्छी तरह से जानते थे।



दोनो पिछले 30 मिनट से जोरदार चुदाई में लगे हुए थे

और लण्ड की मार चूत पर जारी थी।

निर्मला अपना मुह खोल देती है और उसका ज़ुबान बाहर की तरफ निकल आता है उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। कल्लू के धक्कों से उसे सँभलने का मौका नहीं मिल रहा था।

निर्मला -चोद मुझे बेटा चोद अपनी माँ को।अपनी माँ को चोद रहा है ना तु। मेरी चूत में अपना लंड डाल कर जहाँ से मैंने तुझे निकाली थी वहीँ अपना मोटा लण्ड डाल के आह।कैसी है तेरी माँ की चूत मेरे लाल

आह और जोर से चोद आह।



कल्लू;माँ तेरी चूत मुझे पहले मिल गई होती तो कसम से कहीं भी नहीं जाता दिन रात इसी में पडा रहता। आह।

निर्मला;आज से इसी में रखूँगी तुझे दिन रात मुझे चोदेगा ना अपनी माँ को जब दिल कहेंगा मेरा आ ह ।

कल्लू;हां माँ आज से बस तुझे ही चोदुँगा मैं हर जगह।



निर्मला;कहाँ कहाँ चोदेगा मुझे आह।

कल्लू;हर जगह माँ हर जगह।

जब तक तेरे तीनो सुराख़ में नहीं पेल देता तब तक नहीं रुकुंगा आज मैं।

निर्मला;तीनो सुराखों में बेटा।

कल्लू;हाँ माँ तेरी चूत और मुह तो ले चुके है मेरा लण्ड बस तेरी गाण्ड बाकी है आहह उसे भी चोद लूँ एक बार तभी रुकेगा तेरा बेटा आह ह।

निर्मला;मैं भी तुझे रुकने नहीं दूंगी बेटा।

हर जगह लूँगी तेरा लंड।

खेत में।नदी में तो ले चुकी हूँ।

नहाते हुए

पेशाब करते हुए

किचन में

खाना खाते हुए

हर जगह मुझे चोदना मेरी बेटी की चूत चाटते हुए भी चोदना। मेरी बहु के सामने नंगी करके चोदना मुझे बेटा।

कल्लू;हाँ माँ मैं चोदुंगा तुझे अपनी बहन गुड़िया की चूत पर झुका कर।



जब मेरी शादी होगी तो तेरी बहु के सामने भी तुझे चोदुँगा तुझे आहः ले साली।

दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है और लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए कल्लू अपना सारा पानी अपनी माँ निर्मला के चूत में निकालने लगता है

उसके साथ साथ निर्मला भी झड़ते चली जाती है।

दोनो एक दूसरे को चुमते हुए अपने साँसें धीमी करने लगते है।

कुछ देर बाद फिर से निर्मला कल्लू के लण्ड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी। दोबारा उसे अपने अंदर लेने की चाह उसे बेचैन कर रही थी।



कल्लू;अपने पास में पड़ी हुए तेल की बोतल उठा लेता है और उसे अपने लण्ड पर उंडेल कर लंड चिकना कर देता है।निर्मला को समझते हुए देर नहीं लगती की कल्लू ऐसा क्यूँ कर रहा है।फिर वह तेल को निर्मला के गांड के छेद पर भी खूब प्यार से लगाता है और साथ ही साथ उसमे अपनी ऊँगली भी पेलता रहता है।



लण्ड और गांड पर तेल लगाने के बाद कल्लू निर्मला को एक कुतिया के पोज में कर देता है।

बडी सी चमकती हुए गाण्ड कल्लू के सामने आ जाती है। इस गाण्ड को तो देख देख कितने बार कल्लू अपने लंड को खड़ा करके गुड़िया और चाची की चूत में घुसाया करता था।और आज यही गाण्ड कल्लू के सामने झुकी हुई थी।

कल्लू;एक थप्पड निर्मला के गाण्ड पर जड़ देता है।

निर्मला:आह। क्या करते हो माँ हूँ मै तुम्हारी।



देवा;उसे सहलाते हुए।रांड भी तो है।

इतने सालों से तडपा जो रही है इस गांड के लिए। एक गाण्ड पर थपड क्या मारा चीख पड़ी साली रंडी।

निर्मला;आहह दर्द होता है ना।

कल्लू ;असली दर्द अब होंगा मेरी जान को।

कल्लू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे निर्मला के गाण्ड के सुराख़ पर घिसता है। निर्मला अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा और वही होता है कल्लू के लंड का सुपाडा निर्मला की कुँवारी गाण्ड में अटक जाता है।

निर्मला ;आहह गया क्क्या.........



वह पीछे मुड़ कर देखती है।

सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और निर्मला की आँखों में ऑंसू आ गये थे। कल्लू उसे पूरी तरह सीधा कर देता है और निर्मला अपने कमर को ऊपर के तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।

कल्लू;दोनों हाथों में अपनी माँ के काँधे को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ निर्मला के गांड में उतारता चला जाता है।

निर्मला अपनी चीखें छूपाने के लिए पेंटी अपने मुह में ठूँस लेती है। मगर गुं गुं हूं की आवाज़ें फिर भी उसके मुह से निकल रही थी

कल्लू;तब तक नहीं रुकता जब तक पूरा का पूरा लंड गाण्ड में नहीं चला जाता। जब कल्लू लण्ड को खिचता है तो थोड़ा सा खून भी उसके लंड से लग जाता है।

जो निर्मला के गाण्ड से निकल रहा था।

कल्लू ;तुझे दर्द हो रहा था तो मुझे रुकने के लिए बोली क्यूँ नही माँ।

निर्मला;मुड कर कल्लू के आँखों में देखने लगती है।

बहुत तड़पाया हैं मैंने तुझे ।जो तड़प का दर्द तूने सहा है मेरी वजह से उस दर्द के सामने ये दर्द तो कुछ भी नहीं है। रुक मत खोल दे आज अपने माँ के हर सुराख़ को।

और कल्लू अपने माँ की आज्ञा का पालन करते हुए तेल से सना हुवा लंड गप की आवाज़ के साथ अपनी माँ निर्मला की गांड में उतार देता है।

निर्मला ;आह बेटे आह। और ज़ोर से।जालिम और ज़ुल्म कर अपने माँ पर ।तेरा हर ज़ुल्म सहना चाहती हूँ मै आज से हर दिन हर रात हर सुबह हर घडी ही चोद मुझे आह।

कल्लू;गप गप अपनी माँ की गाण्ड मारने लगता है

हलांकी दोनों को दर्द भी हो रहा था मगर वो मोहब्बत ही क्या जिस में दर्द न हो। सच्ची मोहब्बत में दर्द भी होता है और उस दर्द का मजा भी खूब होता है।

कल्लू अब अपनी पूरी ताकत से निर्मला की गांड मारने लगता है।वह गांड में लंड पेलने के साथ ही कभी कभी निर्मला के गांड पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे निर्मला के गोरे गोरे चूतड़ लाल हो गए थे।1 घंटे तक जबरदस्त धक्को के साथ चुदाई के बाद कल्लू अपना पूरा माल अपनी माँ की गांड में ही भर देता है।इतनी देर में निर्मला 2 बार झड़ चुकी थी।

दोनों कुछ देर शांत हो जाते है।फिर कल्लू अपनी माँ की गांड को साफ करता है।और अपनी माँ की चूत और चूचों से खेलने लगता है।जिससे कुछ ही देर बाद उसका लंड खड़ा होने लगता है जिसे वह निर्मला को चूसने का इशारा करता है।जिसे निर्मला अपने मुँह में ले लेती है।

पाँच मिनट चूसने पर ही कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।



अब कल्लू अपनी माँ की चूत पर झुक जाता है।

कल्लू अपनी मा की चूत की फांको को दोनो हाथो से फैलाकर उसकी चूत के दाने से रिस्ते पानी को अपनी जीभ से दबा-दबा कर जैसे-जैसे चूस्ता है निर्मला उह आ ओ बेटे करने लगती है,कल्लू उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और फिर अपनी मा की पूरी चूत को सूंघते हुए अपनी जीभ चूत के छेद मे भर-भर कर उसका रस चूसने लगता है।





निर्मला अपने हाथो से अपनी चूत को और फैला देती है और कल्लू बड़े आराम से अपनी मा की चूत को चूस्ते हुए अपनी मा की गुदाज गान्ड को दबाता हुआ उसके छेद मे उंगली डाल-डाल कर सहलाता रहता है





कल्लू अपनी मा की चूत चूस-चूस कर उसे लाल कर देता है और निर्मला की टाँगे काँपने लगती है वह सीधे ज़मीन पर लेट जाती है और कल्लू को अपने उपर खीच लेती है।



कल्लू अब ज़रा भी देर नही करता है और अपनी मा की मोटी जाँघो को फैला कर जब अपनी मा की फूली हुई गुदाज चूत देखता है तो पागल हो जाता है और अपनी माँ की चूत की फांको को खूब फैला-फैला कर चाटना शुरू कर देता है, निर्मला अपनी मोटी गान्ड उचका-उचका कर अपने बेटे का मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है।





कल्लू अपने मुँह मे अपनी मा की चूत पूरी भर कर खूब कस-कस कर चूसने लगता है और निर्मला अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ते हुए पानी छोड देती है, कल्लू सारा पानी चाटने के बाद अपनी मा की चूत को उपर अच्छे से उभार कर अपना मोटा लंड अपनी मा की चूत के छेद मे लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका लंड उसकी मा की चूत मे पूरा एक ही बार मे समा जाता है।

कल्लू अपनी माँ के उपर चढ़ कर उसके दूध दबोचते हुए उसकी चूत को कस-कस कर चोदने लगता है, निर्मला आह बेटे आह करती हुई नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपने बेटे के मोटे लंड पर मारने लगती है, कल्लू अपनी माँ पर चढ़ कर खूब कस-कस कर उसकी चूत कूटना शुरू कर देता है निर्मला अपनी दोनो टाँगो को उठाए अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड खूब कस-कस कर लेने लगती है।



थोड़ी देर बाद कल्लू अपनी मा को घोड़ी बना देता है और जब उसकी मोटी गान्ड को देखता है तो सीधे अपना मुँह अपनी मा की गान्ड से लगा कर चाटने लगता है वह कभी अपनी मा की गान्ड को चाट्ता है और कभी थोड़ा नीचे मुँह लेजा कर उसकी फूली हुई चूत के छेद को पीने लगता है।



निर्मला अपने बेटे द्वारा इस तरह अपनी गान्ड और चूत चाटने से मस्त हो जाती है तभी कल्लू अपना लंड पकड़ कर अपनी मा की चूत मे पीछे से कस कर पेल देता है और निर्मला आह हाय बेटे बड़ा मस्त लंड है तेरा चोद और चोद अपनी मा को खूब कस-कस कर चोद आज फाड़ दे अपनी मा की मस्तानी चूत को खूब तेज ठोकर मार अपने लंड की फाड़ दे बेटे फाड़ दे अपनी मा की चूत को आह आह आहह।



कल्लू अपनी मा की चूत मार-मार कर मस्त लाल कर देता है और फिर कल्लू अपने लंड को बाहर निकाल कर बड़े प्यार से अपनी मा की चूत को चाटने लगता है वह निर्मला को पूरी तरह मुँह के बल ज़मीन से सटा कर उसकी गुदाज मोटी गान्ड को उपर उठा कर अपनी मा की गान्ड के छेद मे थूक लगा-लगा कर पहले अपनी एक उंगली डाल कर चूत चाटने लगता है





फिर कल्लू अपनी दो उंगलिया अपनी मा की गान्ड मे डाल कर उसकी चूत के गुलाबी और रसीले छेद को चूसने लगता है।



निर्मला मस्ती मे झुकी हुई अपने भारी चूतड़ मटकाती रहती है और सीसियती रहती है।

तभी कल्लू पास मे रखी तेल की शीशी से तेल डाल कर अपनी मा की गुदा मे उंगली से अंदर तक ठुसने लगता है वह अपनी मा की गान्ड के छेद को अपनी उंगलियो से तेल लगा-लगा कर खूब चिकना कर देता है



फिर कल्लू अपने मोटे लंड को पूरा तेल मे भिगो कर अपने लंड के टोपे को अपनी मा की तेल मे सनी हुई गुदा से सटा कर अपनी मा के चुतड़ों को अपने हाथो मे कस कर थाम लेता है और फिर कचकचा कर एक तगड़ा धक्का अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका आधे से ज़्यादा लंड फिसलता हुआ उसकी माँ की गान्ड मे समा जाता है।

निर्मला अपने बेटे के द्वारा ऐसा तगड़ा धक्का अपनी गान्ड मे खाने के बाद एक दम से हाय मर गई रे आह कल्लू बहुत मोटा लंड है बेटे तेरा आह आह आ।

कल्लू अपनी मा की बात सुन कर अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर एक जबरदस्त शॉट अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका पूरा लंड उसकी मा की गान्ड मे उतर जाता है और निर्मला का बदन ऐंठ जाता है, अब कल्लू धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी मा की गान्ड मे आगे पीछे करने लगता है, धीरे-धीरे निर्मला भी अपने चुतड़ों को पीछे की ओर धकेलने लगती है, आह बेटे आह कल्लू बहुत अच्छा लग रहा है।



कल्लू अब अपने लंड की रफ़्तार को थोडा बढ़ा कर सटासट अपनी मा की गान्ड मे अपने मोटे लंड को पेलने लगता है, कल्लू अपनी मा की मोटी-मोटी जाँघो को सहलाते हुए उसकी गान्ड को खूब कस-कस कर ठोकने लगता है।कल्लू इतनी जोर से अपनी माँ निर्मला की गांड मारने लगता है की वह मूतने लगती है।जिसे देखकर कल्लू और उतेजित हो जाता है और अपनी माँ की कसी गांड को फाड़ने लगता है।निर्मला मज़े से सिसियति रहती है।



अब कल्लू अपने पैरो के पंजो के बल बैठ कर अपनी मा निर्मला की गान्ड की मस्त ठुकाई चालू कर देता है और निर्मला आह आ करती हुई कल्लू का लंड अपनी गान्ड मे लेने लगती है।



जब निर्मला से रहा नही जाता है तो वह एक दम से ज़मीन पर पसर जाती है कल्लू सीधे अपनी मा की गान्ड पर लेट जाता है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी मा की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता है और फिर से अपनी मा की गान्ड मे अपने लंड को खूब गहराई तक पेलने लगता है, कल्लू लगभग आधे घंटे तक अपनी मा की मोटी गान्ड मार-मार कर लाल कर देता है और फिर उसका पानी उसकी मा की मोटी गान्ड मे छूट जाता है।



निर्मला उठ कर कल्लू के लंड को किसी कुतिया की भाँति सूंघते हुए चूसने लगती है और कल्लू अपनी मा को पूरी नंगी करके उसके मोटे-मोटे दूध उसके गुदाज पेट और उसकी चूत मे खूब सारा तेल लगा कर उसे खूब चिकनी कर देता है उसके बाद कल्लू निर्मला को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूत मे अपना लंड फिर से पेल देता है और अपनी मा के होंठो को पीते हुए उसके दूध दबा-दबा कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगता है।



निर्मला अपने पेरो को हवा मे उठा कर मोड़ लेती है और कल्लू के लंड को अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है, कल्लू अपनी मा की गान्ड के नीचे हाथ डाल कर उसके भारी चुतड़ों को अपने हाथो मे भर कर ज़ोर से दबोचते हुए अपनी मा की चूत मे सटासट लंड डाल-डाल कर ठोकने लगता है, कल्लू निर्मला की चूत ठोक-ठोक के पूरी सूजा देता है और मस्त लाल चूत को चोद्ते हुए अपना पानी अपनी मा की चूत मे भर देता है।



निर्मला की चूत अपने बेटे के तगड़े लंड को पाकर मस्त हो जाती है, उस दिन पूरा दिन कल्लू अपनी माँ निर्मला को तरह-तरह के आसनो मे खूब कस कर चोद्ता है उसके बाद शाम को कल्लू अपनी माँ के साथ अपने घर वापस आता है।

रात को गुड़िया सहेली के बर्थडे में थोडा लेट से आती है।वह दिनभर के भागदौड़ में थक गई थी।इसलिए अपनी माँ के पास सो जाती है।कल्लू भी दिनभर अपनी माँ की चुदाई करके थका हुवा था।वह भी जल्दी ही सो जाता है।



सुबह बाबा बताते है की वह गुड़िया की माँ के साथ शहर जा रहे है।कुछ बैंक का काम था।वह कल्लू से बोलते है की गुड़िया के साथ खेतों में चले जाना।हमलोग शाम तक आएंगे।

कल्लू गुड़िया की तरफ देखकर मुस्कुराता है की आज दिनभर खेतों में मज़ा आएगा।गुड़िया भी अपनी चूत सहला कर इशारा करती है।



जब बाबा और माँ शहर चले जाते है तो कल्लू गुड़िया को बाँहों में भर लेता है और उसके रसीलें होठों को चूसने चाटने लगता है।फिर गुड़िया के कोमल हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख देता है जिसे गुड़िया सहलाने लगती है।और अपने भइया के मुह में अपनी जीभ डाल देती है।

कल्लू:गुड़िया चल जल्दी से खेतों में आज तुझे खेतों में पूरी नंगी करके चोदने का मन कर रहा है।कितना मज़ा आएगा जब तू खेतो में पूरी नंगी होगी और मैं तुझे अपने लंड पर चढ़ा लूंगा।

गुड़िया :चलो भइया।मैं क्या पहन लूँ।



कल्लू:अपनी टॉप और स्कर्ट पहन ले बिना ब्रा पेंटी के।और थोडा मेरा लौड़ा चूस दे अभी।मैं तेरी मस्त गांड देखते हुए खेतो तक चलूँगा।

गुड़िया अपने भइया का लंड धोती से निकालती है और जीभ से चाटने लगती है।कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।

कल्लू:अब चल मेरी जान।नहीं तो यही पेलना शुरू कर दूंगा।

दोनों खेतो की और चल देते है।रास्ते भर गुड़िया स्कर्ट हटा कर अपनी मोटी मोटी गाँड दिखाकर कल्लू को पागल बना देती है।कल्लू जब उसकी गांड में ऊँगली करना चाहता है तो भाग जाती है।

कल्लू मन ही मन :आज तो खेतो में नंगी करके कुतिया बना के तेरी गांड नहीं मारी तो मेरा नाम कल्लू नहीं।साली मेरे सामने गाँड मटकाती है।

फिर दोनों खेत में बनी झोपडी में जाते है।फिर गुड़िया खटिया के निचे बिस्तर लगा देती है।और दोनों बाते करने लगते है।



गुड़िया- ओके भइया. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।

कल्लू- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार रात में तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।

कल्लू की बातों से गुड़िया उत्तेज़ित होने लगी थी। वो कल्लू की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।

कल्लू- आह गुड़िया तुम्हारे हाथ भी बहुत मुलायम हैं.. लंड पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।

गुड़िया कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए तैयार हो गई थी।

कल्लू- आह..गुड़िया उफ़.. तेरे ये रसीले होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..

गुड़िया- भइया आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शरीफ बनके जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा चुदाई में है.. वो पढाई में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा बदन जलने लगा है।

गुड़िया सीधी होकर बाँहें फैलाए खटिया के निचे लेट गई..कल्लू समझ गया कि अब उसको क्या करना है।कल्लू ने गुड़िया का टॉप निकाल दिया।गुड़िया टॉप ने निचे कुछ नहीं पहनी थी।उसके ठोस चुचिया तनी हुई थी।कल्लू उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।

कल्लू अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।

गुड़िया- आह.. भइया उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..काट डालो इन निप्पलों को बहुत परेसान करते है।

दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। कल्लू का लौड़ा टपकने लगा।

गुड़िया- आह.. भइया.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जल रही है . आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. इसकी मालिश कर दो न..

कल्लू- अभी लो मेरी गुड़िया रानी..अभी तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भइया के लंड को..

कल्लू ने गुड़िया के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। फिर कल्लू ने गुड़िया का स्कर्ट भी उतार दिया अब गुड़िया पूरी नंगी थी।गुड़िया बिना पेंटी पहने ही घर से आई थी।गुड़िया की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।

गुड़िया- सस्सस्स आह.. भाई.. अब रहा नहीं जा रहा है आह.. प्यार से चाटना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..

कल्लू- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी बुर की चुदाई करूँगा..



कल्लू अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे गुड़िया की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।

गुड़िया- आह.. उहह.. भइया मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।

कल्लू अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. गुड़िया की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।

गुड़िया- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह..पेल दो अपने मोटे लौड़ें को मेरी रसीली चूत में आह. आह…



कल्लू भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।

गुड़िया- आह.. पेलो मेरे राजा भइया.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..।

कल्लू ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और गुड़िया की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और गुड़िया के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।



गुड़िया- आह..भइया अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी निगोड़ी चूत की सारी गर्मी निकाल दो आह..

कल्लू जोर जोर से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। गुड़िया भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई..दोनों का तापमान बढ़ने लगा।

खच..चच . फच..फच.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें झोपडी में गूंजने लगीं।

गुड़िया- आह पेलो भइया. चोद डालो अपनी छोटी बहन को अपनी गुड़िया को।. आह.. आईईइ।



कल्लू- ले गुड़िया.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह भोसड़ा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..दिन भर आज खेतो में दौड़ा दौड़ा के पेलूँगा तुझे।



दस मिनट तक कल्लू पूरी ताकत से गुड़िया को चोदता रहा। अब कल्लू तो पक्का चोदू बन चूका था।अब कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और अनुभव बढ़ गया था। मगर गुड़िया की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।

गुड़िया- आई आई.. आह.. भाई और जोर से पेलो.मैं झड़ने वाली हूँ। आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..।



कल्लू ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। गुड़िया का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।

गुड़िया अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। कल्लू ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और गुड़िया के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।

गुड़िया समझ गई कि कल्लू उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।

कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद कल्लू ने आसान बदल दिया। वो घुटनों के बल झोपडी में खड़ा हो गया.. जिसे देख कर गुड़िया मुस्कुराई।

गुड़िया- क्या हुआ भइया.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?

कल्लू- मेरी जान लंड को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।

गुड़िया हँसती हुई अपने भइया के मोटे लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।

कल्लू- आह्ह.. आह्ह.. बस गुड़िया.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह।

गुड़िया घुटनों के बल अच्छी तरह पैर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. कल्लू। को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम मस्त घोड़ी बनी है।

कल्लू- वाह.. मेरी गुड़िया क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी रसीली चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।

कल्लू ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

गुड़िया- आईईइ.. भइया आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. जितनी बार चाहो चोद लेना..

कल्लू- अरे मेरी प्यारी गुड़िया. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब आराम से करूँगा।



कल्लू अब गुड़िया की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ गुड़िया की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो गुड़िया की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।

थोड़ी देर की मस्ती के बाद गुड़िया फिर से गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर कल्लू के मज़े को दुगुना बनाने लगी।

गुड़िया- आह.. आह.. पेलो भाई.. आह्ह.. आज के दिन हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. जोर से पेलो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।



कल्लू अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। चूत की गर्मी से पिघल कर आख़िर कर कल्लू के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर गुड़िया की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।



अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. गुड़िया की कमर में दर्द होने लगा था। जैसे ही कल्लू ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। कल्लू भी उसके पास ही लेट गया।

गुड़िया- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।





कल्लू- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।

गुड़िया- मज़ा ही तो ले रही हूँ..आज तो चुदवाने ने बहुत मज़ा आया। मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?



कल्लू- गुड़िया सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.

गुड़िया-नहीं भइया.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या..अभी का मेरा हो गया.. अब बाद में देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..



कल्लू- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ गुड़िया तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..

गुड़िया- नो नो भाई.बहुत दर्द होगा।तुमने पहले बताया नहीं ।नहीं तो मैं तेल लेकर आती।

कल्लू-अरे गुड़िया।मेरे पास सारा इंतज़ाम है।मैंने तेल की शीशी भी रखी है।

गुड़िया-ठीक है भइया ।गांड बाद में मार लेना।कल्लू- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..।

गुड़िया- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भोसड़ा बना के दम लोगे.. ठीक है भइया.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..

कल्लू- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..





गुड़िया ऐसे ही हॉस्टल की बातें करने लगी और कल्लू बस उसको सुनता रहा। आधे घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद कल्लू का मन दोबारा चुदाई का हो गया।

कल्लू धीरे-धीरे गुड़िया के जिस्म को सहलाने लगा।उसके रसीले होंठो को चूसने लगा। ऐसी कच्ची कली को जल्दी ही उसने फिर से गरम कर दिया..।



इस बार वो सीधा लेट गया और गुड़िया को ऊपर लेटा कर नीचे से अपना लंड गुड़िया की रसीली चूत में फंसाकर एक झटका दिया, लंड कच से घुसता चला गया।गुड़िया भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।

इस बार गुड़िया कल्लू को चोद रही थी।

लंबी चुदाई के बाद दोनों झर गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।





कुछ देर बाद कल्लू का लंड खड़ा हो जाता है।वह गुड़िया की गांड पर रगड़ने लगता है।

गुड़िया- अरे भइया, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।

कल्लू- अरे इसको पता है.. आज मुलायम कुँवारी गाण्ड का मज़ा मिलने वाला है।

गुड़िया- हाँ मिलेगा.. लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे रसीले होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर ये मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद लास्ट में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे इतनी आसानी से नहीं.कुँवारी गांड नहीं मिलेगी।

कल्लू- अरे यार ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..

गुड़िया- नही भैया। आपने तो लगता है पॉवर वाली गोली खा रखी है… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. और साथ में मेरी गांड के छेद को आयल लगाकर चिकना भी कर दो।फिर आराम से गाँड मारते रहना।



कल्लू ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद दोनों चूमा-चाटी में लग गए। दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।कुछ देर बाद गुड़िया ने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी प्यास!

कल्लू ने गुड़िया के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।

गुड़िया- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..

कल्लू- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..

गुड़िया- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया..पेलो जोर जोर से.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.... आह्ह.. आइ..।

कल्लू और स्पीड से पेलने लगा.. गुड़िया से ऐसे तगड़े झटके बर्दास्त नहीं हुए वो झड़ने के करीब आ गई।

गुड़िया- आह्ह.. भाई तेज.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. गई.. आह्ह.. आइ आइ..

गुड़िया कमर हिलाकर झड़ने लगी उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो ‘घपा-घाप’ लौड़ा पेल रहा था।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ़फ्फ़..

कल्लू ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो गुड़िया तड़प सी गई..- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भइया.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..

कल्लू- तेरा तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..

गुड़िया- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?

कल्लू ने गुड़िया के मुँह पर लौड़ा लगा दिया और हाथ से उसके बाल पकड़ कर लौड़ा उसके गालों पर घुमाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..

कल्लू- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..

गुड़िया- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..

कल्लू- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..

गुड़िया- प्लीज भइया.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..

कल्लू खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक गुड़िया भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त कुतिया बन गई थी.. उसको देख के कल्लू खुश हो गया।



कल्लू- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद गांड की छेद पूरी खोल दूँगा..

इतना कहकर कल्लू खटिया के निचे लगे बिस्तर पर आ गया और कुतिया बनी गुड़िया की गाण्ड को सहलाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।

कल्लू ने आयिल गुड़िया की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।



कल्लू उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो गुड़िया को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।

कल्लू बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और गुड़िया बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।

कल्लू- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तूम खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.तूम जानती नहीं गांड मराने में चूत से भी ज्यादा मज़ा आता है।

गुड़िया- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी छोटी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..

कल्लू ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।

कल्लू- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी प्यारी सी छोटी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।

कल्लू ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।

उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो कल्लू ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा का टोपा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर गुड़िया की गाण्ड में होने लगी।

गुड़िया- ऐइ.. आईईइ.. आह… भइया.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..

कल्लू- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।

गुड़िया- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत पेल देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..

कल्लू हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे कल्लू बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर गुड़िया की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।

कुछ देर तक कल्लू धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो भइया आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भइया सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..



कल्लू अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं तो उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद कल्लू ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।

गुड़िया-आह.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?

कल्लू- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..

गुड़िया- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।

कल्लू- सबर कर मेरी गुड़िया.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..

इतना कहकर कल्लू ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद गुड़िया की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

तेल की बोतल साइड में रख कर कल्लू ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, गुड़िया मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।

तभी कल्लू ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ गुड़िया बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ कल्लू भी उसके ऊपर गिर गया।

पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो गुड़िया के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

कल्लू को भी ये अहसास हो गया कि गुड़िया को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।

कल्लू कुछ देर वैसे ही गुड़िया के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।

गुड़िया- आ आह्ह.. भइया.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..

कल्लू अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..

कल्लू- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दे.. उसके बाद मज़े ही मज़े..

गुड़िया- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..

कल्लू अब स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा। वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा।

अब गुड़िया को दर्द भी कम महसूस हो रहा था। वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत रस टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है आह्ह.. जोर जोर से मेरी गांड मारो आह्ह.. फास्ट..

गुड़िया को अब मज़ा आने लगा था। वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से पूरी घोड़ी बन गई थी और कल्लू अब उसके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद कल्लू ने गुड़िया की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उसको बड़ा सुकून मिला।

गुड़िया की गाण्ड को भर कर ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर निकाला और कल्लू बिस्तर पर लेट कर लंबी साँसें लेने लग गया।

गुड़िया की गाण्ड से वीर्य टपक कर बाहर आने लगा.. वो भी कल्लू के बराबर में लेट गई।

गुड़िया- क्या भाई.. आज तो आपने हद ही कर दी.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. कितनी ज़ोर से गाँड में लौड़ा घुसाया.. मेरी जान निकाल दी आपने।

कल्लू- अरे यार वो ग़लती से हो गया था.. नहीं मैं तो प्यार से ही कर रहा था। वैसे तेरी गाण्ड बहुत टाइट है.. मज़ा आ गया आज तो..

गुड़िया- आपको तो मज़ा आ गया.. मेरी तो हालत खराब हो गई ना.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे गाण्ड में लौड़ा घुसा हुआ है.. और दर्द भी बहुत हो रहा है। देखो बिस्तर पर ठीक से गाण्ड टिक भी नहीं रही.. इसी लिए करवट लेकर लेटी हुई हूँ।

कल्लू- हा हा हा.. मेरी प्यारी गुड़िया. पहली बार में ऐसा होता है.. अब रोज मरवाओगी.. तो आदत पड़ जाएगी.. उसके बाद दर्द नहीं मज़ा मिलेगा।

गुड़िया- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब जल्दी से उठो.. मेरी चूत में खुजली हो रही है.. इसमें डालो अब अपना मोटा लौड़ा..

कल्लू- थोड़ा दम लेने दे मेरी जान.... अभी 5 मिनट में लौड़ा खड़ा हो जाएगा। उसके बाद ना कहना कि बस करो मैं थक गई हूँ.. तेरी चूत की प्यास मिटा कर दोबारा गाण्ड मारूँगा तेरी..

गुड़िया- हाँ मार लेना.. मगर रस मेरी चूत में ही डालना.. बड़ा सुकून मिलता है.. जब चूत में गर्म रस अन्दर जाता है।

कल्लू- अब तेरा सूसू नहीं आ रहा क्या.. गाण्ड मारने के वक्त तो बहुत चिल्ला रही थी तू?

गुड़िया- उस वक्त आया था.. अब नहीं आ रहा है।

कल्लू- जाओ कर लो.. नहीं लौड़ा अन्दर जाएगा तो दोबारा बोलोगी.. तब तक मैं थोड़ा रेस्ट कर लूँ।

गुड़िया- हाँ सही कहा आपने.. चुदाई के वक्त फिर से आ गया तो हमारा मज़ा खराब हो जाएगा।

गुड़िया जब उठी तो उसको गाण्ड में दर्द महसूस हुआ.. वो जब चलने लगी तो उसकी चाल बदल गई दर्द की वजह से.. वो कूल्हे उठा कर चल रही थी। गुड़िया गाण्ड को मटकाती हुई सीधी झोपडी के पीछे की तरफ़ चली गई।

कल्लू आराम से लेटा हुआ था तभी उसके दिमाग़ में कोई बात आई और वो उठकर सीधा झोपडी के पीछे की तरफ़ भागा तो देखा गुड़िया पेशाब करने बैठी ही थी कि कल्लू को देख कर खड़ी हो गई और चौंकती हुई बोली- ओह्ह.. भइया. ये क्या है मैं तो डर गई.. आप ऐसे अचानक आ गए?

कल्लू- अच्छा हुआ तूने सूसू नहीं किया.. मेरा भी सूसू आया है चल दोनों साथ में करेंगे.. मज़ा आएगा..

गुड़िया- हा हा हा भाई.. कुछ भी सूसू साथ में करने में क्या मज़ा?

कल्लू- तू देख तो सही.. मैं क्या करता हूँ.. मज़ा ना आए तो कहना..

गुड़िया- जो करना है जल्दी करो.. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा.. बड़े ज़ोर का सूसू आया है।

कल्लू निचे बैठ गया और गुड़िया को करीब खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा कर उसके मम्मों को चूसने लगा। उसका लौड़ा एकदम कड़क हो गया.. तो उसने गुड़िया की चूत पर लौड़ा टिका दिया और हल्का सा अन्दर पेल दिया।

गुड़िया- आह्ह.. भाई क्या कर रहे हो.. पहले सूसू तो करने दो.. आप बाद में आराम से चोद लेना।

कल्लू- मेरी जान.. मैं चोद नहीं रहा हूँ.. अब तू ज़ोर लगा के सूसू कर.. देख कितना मज़ा आता है..

गुड़िया को बात समझ आ गई.. तो वो मुस्कुराने लगी और अपने भइया के गले में हाथ डालकर एक किस कर दिया।

कल्लू- अब सूसू करो.. मैं धीरे-धीरे तुम्हारी चूत में लौड़ा डालूँगा.. बहुत मज़ा आएगा।

गुड़िया ने सूसू करना शुरू कर दिया उसकी चूत से सीटी की आवाज़ निकलने लगी.. उसकी गर्म-गर्म सूसू कल्लू की जाँघों पर लगी.. तो उसको बहुत मज़ा आया और उसी पल कल्लू ने भी सूसू की धार गुड़िया की चूत में मार दी। गुड़िया एकदम से चिहुँक सी गई.. उसको चूत में अजीब सा अहसास होने लगा।

जब दोनों सूसू कर चुके तो एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।

गुड़िया- हा हा हा भाई आपकी सूसू कितना गर्म थी.. मेरी चूत की सिकाई हो गई.. थोड़ा सा गाण्ड में भी कर देते तो मज़ा आ जाता।

कल्लू- तेरी चूत से कौन सी कोल्ड ड्रिंक बाहर आई है.. वो भी गर्म ही थी और तेरी गाण्ड वाली इच्छा भी दोबारा में पूरी कर दूँगा।

गुड़िया- भइया आपकी पूरी जाँघें और पेट सूसू से सन गया है.. पहले नहा लें.. उसके बाद झोपडी में जाएँगे.. नहीं तो पूरा बिस्तर खराब हो जाएगा और बदबू भी आएगी..

कल्लू- ठीक है मेरी जान.. लेकिन ऐसा मत कहो कि बदबू आएगी.. ये तो अमृत है.. मेरा तो दिल करता है तेरी चूत से निकला इसका एक-एक कतरा पी जाऊँ।

गुड़िया- छी: छी: कितने गंदे हो आप.. सूसू पीने की बात कर रहे हो..

कल्लू- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान।

गुड़िया- अच्छा अब बातें बंद..।पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओ भइया।

कल्लू:ठीक है गुड़िया।लेकिन एक शर्त पर मैं जैसे जैसे कहूँगा।तुम करोगी।देखता हु इस चुदाई में तुम जीतती हो या मैं।

कल्लू:गुड़िया आ थोडा मेरा लंड चूस दे मैं तुझे गोद में उठाकर चोदना चाहता हूँ।

गुड़िया कल्लू के आगे बैठ जाती है और उसके लंड को पहले जीभ से चाटने लगती है।फिर वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगती है।

कल्लू:गुड़िया अब तो तू लंड चूसने में पूरी एक्सपर्ट हो गई है।आ मेरी गोद में और अपनी चूत मेरे लंड पर रखकर बैठ जा।गुड़िया अपने भैया की गोद में चढ़कर अपने कोमल हाँथो से कल्लू भइया के लंड को अपनी रसीली चूत में सेट करती है और उसपर बैठ जाती है।कल्लू का लंड गुड़िया की गीली चूत में जड़ तक घुस जाता है।

अब कल्लू गुड़िया को गोद में उठाकर खेत में घुमा घुमा कर चोदने लगता है।कुछ ही देर की चुदाई में गुड़िया पूरा गरम हो जाती है और गोद में ही अपने भइया के लंड पर कूदने लगती है।

फिर कुछ देर बाद कल्लू गुड़िया को गोद से उतारकर कुतिया बना देता है।पीछे से अपना मोटा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में पेल देता है।फिर वह गुड़िया के दोनों पैर को ऊपर उठा देता है और गुड़िया को हाथों के बल आगे चलने को कहता है।गुड़िया कुतिया बनी अपने दोनों हाथों के बल आगे चलने लगती है।और कल्लू पीछे से अपना लंड पेलता जाता है।

अब गुड़िया को पुरे खेत में कुतिया बना कर दौड़ा दौड़ा के पेलता है।आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद गुड़िया झर जातो है तब कल्लू अपना लंड गुड़िया की चूत से निकालकर उसे सामने बिठा देता है और पूरा वीर्य गुड़िया के पुरे शरीर पर गिरा देता है।गुड़िया का बदन कल्लू के वीर्य से भीग जाता है।

गुड़िया:भइया देखो तुमने मुझे पूरा गन्दा कर दिया।चलो अब नदी में नहाकर आते है।मेरा पूरा बदन गन्दा हो गया है।

कल्लू:ठीक है गुड़िया चलो।लेकिन पहने कपडे तो पहन लो।गुड़िया अपना टॉप और स्कर्ट पहन लेती है और दोनों नदी के तरफ चल देते है।

गुड़िया:अरे भइया मई तो भूल ही गई थी की जब तुम माँ को तैरना सिखाने लाये थे तो क्या क्या किया।माँ के मोटे मोटे गांड का मज़ा लिया की नहीं।

कल्लू:अरे गुड़िया ।बहुत मज़ा आया माँ के साथ।जब माँ को नंगा करके तैरना सीखा रहा था।तो गहराई में जाने पर जब माँ मेरे लंड पर चढ़ गई थी तो मैंने धीरे से अपना लंड माँ की गदराई चूत में घुसा दिया था।फिर तो माँ इतनी गरम हो गई थी की मेरे गोद में चढ़कर एक घंटे तक अपनी चूत चुदवाती रही।

गुड़िया:सच भइया माँ बहुत चुद्दकड़ है।अब तो तुम्हारे मज़े ही मज़े है।जब मैं शहर चली जाउंगी तब माँ को खेतो में नंगा करके चोदते रहना।



कल्लू:हाँ मेरी गुड़िया।माँ की बात करके तूने फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया।चल अब नदी आ गई है।हमदोनो नंगे नहाते है।तू मेरी गोद में चढ़ जा।आज तुझे भी माँ की तरह चोद दूँ।

गुड़िया अपने कपडे उतार कर पूरी नंगी हो जाती है।कल्लू भी नंगा हो जाता है और गुड़िया को गोद में उठा लेता है।फिर अपना लंड गुड़िया की चूत में पेल देता है और दोनों गर्दन भर पानी में चले जाते है।कल्लू अपनी बहन के रसीले होठो को चाटने चूसने लगता है।और निचे से लंड को धीरे धीरे गुड़िया की चूत में पेलने लगता है।

गुड़िया भी अपने भइया के चेहरे को चाटने चूसने लगती है।अपने चूंचियों को अपने भैया को चुसाने लगती है।दोनों को कितना मज़ा आ रहा है।



आधा घंटा पानी में मस्ती करने के बाद दोनों की उत्तेजना बढ़ गई और वहीं कम पानी में लाकर कल्लू ने गुड़िया को हाथ के सहारे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लौड़ा घुसा दिया और स्पीड से चोदने लगता है।

गुड़िया- आ आह्ह..पेलो भइया.. आह्ह.. आह्ह.. जोर जोर से.. आइ.. आह्. आह्ह.. उई.. मजा आ रहा है।



गुड़िया की बातों से कल्लू को और जोश आ गया, वो उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर से चोदने लगा।

दस मिनट में गुड़िया की रसधार बह गई.. मगर कल्लू तो अभी बाकी था.. वो कहाँ रुकने वाला था। वो ‘दे दना दन’ चोदता रहा पेलता रहा।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. आह्ह.. चूत ही आ आह्ह.. मारते रहोगे क्या.. आ आह्ह.. दर्द होने लगा है.. अब तो गाण्ड भी खुल गई है.. तो उसमें पेल दो न..

कल्लू- हाँ मेरी रानी.. मन तो मेरा भी तेरी गाण्ड मारने का ही है.. मगर मैं तुम्हारे कहने का वेट कर रहा था।

इतना कहकर कल्लू ने लौड़ा चूत से निकाला और गुड़िया के गांड पर थूक लगा दिया और ‘ठप’ से पूरा लंड एक साथ गाण्ड में घुसा दिया।

गुड़िया- ऐइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई आराम से डालो ना.. आह्ह.. आज ही तो गाण्ड की ओपनिंग हुई है.. आह्ह..

कल्लू- क्या करूँ जान.. तुम्हारी टाइट गाण्ड को जल्दी से खोलना चाहता हूँ मैं ताकि फिर तुम्हें तकलीफ़ ना हो।

कल्लू स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा।

करीब 20 मिनट बाद गुड़िया दोबारा गर्म हो गई.. उसकी चूत फिर से रिसने लगी और कल्लू का लौड़ा भी अब आग उगलने को बेताब था.. तो उसने लौड़ा गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया।अब तो कल्लू कभी अपना लंड अपनी बहन की चूत में घुसाता तो कभी गाण्ड में घुसा के पेलने लगता।गुड़िया भी किसी रंडी की तरह गरम हो गई थी ।



वह भी अपनी गांड और चूत दोनों मस्ती में चुदवा रही थी कुतिया बनके।कल्लू ने तेज तेज धक्के मार मार के गुड़िया के गांड और चूत के छेद को पूरा फैला दिया था। जल्दी ही उसका लावा फूट गया.. उसके साथ साथ गुड़िया भी झड़ गई।



गुड़िया- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. मज़ा आ गया भाई.. आपके रस से चूत को सुकून मिलता है.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया।

कल्लू- उफ्फ.. मज़ा तो मुझे आ रहा है तेरी चूत और गाण्ड इतनी टाइट है कि क्या बताऊ हमेशा चोदने का दिल करता है।।

गुड़िया- हाँ भाई.. जितना चोदना हो.. चोद लेना।



कल्लू- हाँ सही कहा.. चल अब तेरी एक इच्छा और पूरी कर देता हूँ.. बड़े ज़ोर का सूसू आई है.. तेरी गाण्ड में गर्म सूसू करके तुझे मज़ा देता हूँ.. तू भी क्या याद करेगी अपने भाई को.. चल घोड़ी बन जा जल्दी से..

गुड़िया घोड़ी बन गई.. कल्लू का लौड़ा पूरा तो कड़क नहीं था.. मगर उसने दोनों हाथों से गुड़िया की गाण्ड को फैला कर लौड़े का सुपारा गाण्ड में फँसा दिया और ज़ोर लगा कर सूसू करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. कितना गर्म है.. मज़ा आ गया आह्ह..।



फिर दोनों एक दूसरे को नहलाते है।फिर दोनों शाम को घर आ जाते है।



अब कल्लू बहुत खुश था।उसकी बर्षो की इच्छा पूरी हो गई थी।उसके गाँव की नदी के कारण ही उसे उसकी माँ बहन और चाची की मस्त चूत और गांड मिली थी।



समाप्त समाप्त

समाप्त

समाप्त

समाप्त समाप्त

समाप्त
 
  • Like
Reactions: netsunil

DesiPathan87

इश्क ओदा पौणा ही आ मैनू किंवे वी
377
374
64
इतना कहकर कल्लू ने लौड़ा चूत से निकाला और गुड़िया के गांड पर थूक लगा दिया और ‘ठप’ से पूरा लंड एक साथ गाण्ड में घुसा दिया।
गुड़िया- ऐइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई आराम से डालो ना.. आह्ह.. आज ही तो गाण्ड की ओपनिंग हुई है.. आह्ह..
कल्लू- क्या करूँ जान.. तुम्हारी टाइट गाण्ड को जल्दी से खोलना चाहता हूँ मैं ताकि फिर तुम्हें तकलीफ़ ना हो।
कल्लू स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा।
करीब 20 मिनट बाद गुड़िया दोबारा गर्म हो गई.. उसकी चूत फिर से रिसने लगी और कल्लू का लौड़ा भी अब आग उगलने को बेताब था.. तो उसने लौड़ा गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया।अब तो कल्लू कभी अपना लंड अपनी बहन की चूत में घुसाता तो कभी गाण्ड में घुसा के पेलने लगता।गुड़िया भी किसी रंडी की तरह गरम हो गई थी ।

वह भी अपनी गांड और चूत दोनों मस्ती में चुदवा रही थी कुतिया बनके।कल्लू ने तेज तेज धक्के मार मार के गुड़िया के गांड और चूत के छेद को पूरा फैला दिया था। जल्दी ही उसका लावा फूट गया.. उसके साथ साथ गुड़िया भी झड़ गई।

गुड़िया- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. मज़ा आ गया भाई.. आपके रस से चूत को सुकून मिलता है.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया।
कल्लू- उफ्फ.. मज़ा तो मुझे आ रहा है तेरी चूत और गाण्ड इतनी टाइट है कि क्या बताऊ हमेशा चोदने का दिल करता है।।
गुड़िया- हाँ भाई.. जितना चोदना हो.. चोद लेना।

कल्लू- हाँ सही कहा.. चल अब तेरी एक इच्छा और पूरी कर देता हूँ.. बड़े ज़ोर का सूसू आई है.. तेरी गाण्ड में गर्म सूसू करके तुझे मज़ा देता हूँ.. तू भी क्या याद करेगी अपने भाई को.. चल घोड़ी बन जा जल्दी से..
गुड़िया घोड़ी बन गई.. कल्लू का लौड़ा पूरा तो कड़क नहीं था.. मगर उसने दोनों हाथों से गुड़िया की गाण्ड को फैला कर लौड़े का सुपारा गाण्ड में फँसा दिया और ज़ोर लगा कर सूसू करने लगा।
गुड़िया- आह्ह.. भाई.. कितना गर्म है.. मज़ा आ गया आह्ह..।

फिर दोनों एक दूसरे को नहलाते है।फिर दोनों शाम को घर आ जाते है।

अब कल्लू बहुत खुश था।उसकी बर्षो की इच्छा पूरी हो गई थी।उसके गाँव की नदी के कारण ही उसे उसकी माँ बहन और चाची की मस्त चूत और गांड मिली थी।





समाप्त

Bahut mast kahani hai bhai, maa behen chudte time paseene se bheeg jaatin to aur maza aata
 

DesiPathan87

इश्क ओदा पौणा ही आ मैनू किंवे वी
377
374
64
आज जब कुआँ खुद चल कर प्यासे के पास आया था तो कल्लू एक बूंद भी गँवाना नहीं चाहता था वो अपने माँ को दिन भर पेलना चाहता था। उसे दिन भर अपने लंड के नीचे लेटाकर चोदना चाहता था।

कल्लू;अपने माँ को गोद में उठा लेता है और उसे खेत में लेटा देता है और झट से उसके ऊपर चढ़ जाता है।

अपने दोनों हाथों में निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर वो निर्मला को चुमते हुए अपने लंड को निर्मला के चूत पर घीसने लगता है।

कल्लू:माँ तेरी चूत मुझे चाहिए।

निर्मला:-हाँ हाँ ले ले मेरी चूत बेटा आह आह।चोद डाल अपनी माँ को बना ले तेरे लंड की रानी आह अब और मत तडपा मुझे पेल न अंदर आह।

कल्लू ;कहाँ डालूँ मा।

निर्मला;नीचे हाथ डाल कर कल्लू के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है और उसे अपने चूत के मुहाने पर लगा देती है। यहाँ मेरे बच्चे यहाँ।

निर्मला;अब तो मना नहीं करेगी ना माँ।

निर्मला;नहीं नहीं अब मना नहीं करुँगी जब जहाँ जैसे चाहेगा वहाँ चुदायेंगी तेरी माँ तुझसे बस डाल दे मेरे अंदर।घुसा दे अपना पूरा लंड अपनी माँ की चूत में।



कल्लू ;अपने कमर को ऊपर के तरफ उठाता है और दन से उसे निर्मला के चूत पर दबा देता है।

एक बेटे का लंड सारे बंधन तोड कर सारी कस्मे भूल कर अपने माँ की रसीली चूत में घुस जाता है।

निर्मला चीख पडती है।हाय बेटे दर्द हो रहा है।



कल्लू;आज वो दिन नहीं है जब एक बेटे अपने माँ के दर्द को सुनकर रुक जाए।वो दूसरा धक्का देता है और ये वाला धक्के से लंड निर्मला के बच्चेदानी तक जा रहा है।निर्मला की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और निर्मला के दोनों पैर कल्लू के कमर से लिपट जाते है ।वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

कल्लू;कुछ पल उस एहसास को महसूस करता है और फिर अपने माँ के दोनों ब्रैस्ट को दबाते हुए लंड को आगे पीछे करता चला जाता है।

निर्मला;हाय रे बेटा मेरा आहह मेरी चूत है ना वो अहह

मेरे बेटा धीरे से कर ना आह।पहले पहले धक्के तो सभी को भी दर्द देते है।

निर्मला तो दो बच्चों की माँ थी उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगता सँभालने में ।जब चूत की चिकनाहट लंड को सहलाने लगती है और जब चूत की दिवारें पूरी तरह खुल जाते है तो निर्मला भी पागल सी हो जाती है।

अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवानी बना देता है और वो अपने बेटे के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।

निर्मला:आह।और जोर से बेटा और जोर से

आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये आह।

मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहह

चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आह।

निर्मला वो औरत थी जो कल्लू के धक्कों को बड़ी आसानी से सह रही थी और मस्ती में उससे और ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी।सच कहा है किसी ने ग़ुरू ग़ुरू होता है और चेला चेला।गुड़िया तो कल्लू के पेलने पर चीखने लगती थी। यहाँ वो औरत थी जिस ने इस सांड को पैदा की थी। भला वो उस लंड से कैसे पनाह माँगती। आज कल्लू को अपने माँ की ताकत का एहसास हुआ था।

कल्लू ;जितने ज़ोर से लण्ड को चूत में घुसाता

निर्मला उतने ही ताकत से अपने कमर को ऊपर उठा कर उसे और अंदर ले लेती है।

निर्मला पागल हो गई थी अपने दोनों हाथों के नाखुनो से वो कल्लू के पीठ को कुरेदते हुए उसे और ज़ोर से चोदने के लिए पुकार रही थी।

जब माँ पुकारती है तो बेटे को आना पड़ता है और कल्लू वही कर रहा था वो निर्मला को जबरदस्त धक्के के साथ पेल रहा था और निर्मला अपने बेटे को इतनी आसानी से रुकने देने वालों में से न थी।



खेत में पच पच की आवाज़ें गूंज रही थी।कल्लू अपने लंड को पूरा निकलता है घच से फिर अपनी माँ की गीली चूत में पूरा लंड जड़ तक पेल देता।

निर्मला के बीच बीच में चीखने की आवाजे।

जब कल्लू का लण्ड उसके बेच्चेदानी से टकरा जाता।

कल्लू पसीने में नहा चूका था और उसके नीचे लेती हुए निर्मला भी दमा दम हो गई थी मगर दोनों के कमर लगातार हील रही थी। कल्लू की पकड़ अपने माँ के ब्रैस्ट पर और मज़बूत होती चली जाती है।

और निर्मला की चूत से पानी टिप टिप करके रिसने लगता है।वो जोश दिन भर कम नहीं होने वाला था ये दोनों अच्छी तरह से जानते थे।



दोनो पिछले 30 मिनट से जोरदार चुदाई में लगे हुए थे

और लण्ड की मार चूत पर जारी थी।

निर्मला अपना मुह खोल देती है और उसका ज़ुबान बाहर की तरफ निकल आता है उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। कल्लू के धक्कों से उसे सँभलने का मौका नहीं मिल रहा था।

निर्मला -चोद मुझे बेटा चोद अपनी माँ को।अपनी माँ को चोद रहा है ना तु। मेरी चूत में अपना लंड डाल कर जहाँ से मैंने तुझे निकाली थी वहीँ अपना मोटा लण्ड डाल के आह।कैसी है तेरी माँ की चूत मेरे लाल

आह और जोर से चोद आह।



कल्लू;माँ तेरी चूत मुझे पहले मिल गई होती तो कसम से कहीं भी नहीं जाता दिन रात इसी में पडा रहता। आह।

निर्मला;आज से इसी में रखूँगी तुझे दिन रात मुझे चोदेगा ना अपनी माँ को जब दिल कहेंगा मेरा आ ह ।

कल्लू;हां माँ आज से बस तुझे ही चोदुँगा मैं हर जगह।



निर्मला;कहाँ कहाँ चोदेगा मुझे आह।

कल्लू;हर जगह माँ हर जगह।

जब तक तेरे तीनो सुराख़ में नहीं पेल देता तब तक नहीं रुकुंगा आज मैं।

निर्मला;तीनो सुराखों में बेटा।

कल्लू;हाँ माँ तेरी चूत और मुह तो ले चुके है मेरा लण्ड बस तेरी गाण्ड बाकी है आहह उसे भी चोद लूँ एक बार तभी रुकेगा तेरा बेटा आह ह।

निर्मला;मैं भी तुझे रुकने नहीं दूंगी बेटा।

हर जगह लूँगी तेरा लंड।

खेत में।नदी में तो ले चुकी हूँ।

नहाते हुए

पेशाब करते हुए

किचन में

खाना खाते हुए

हर जगह मुझे चोदना मेरी बेटी की चूत चाटते हुए भी चोदना। मेरी बहु के सामने नंगी करके चोदना मुझे बेटा।

कल्लू;हाँ माँ मैं चोदुंगा तुझे अपनी बहन गुड़िया की चूत पर झुका कर।



जब मेरी शादी होगी तो तेरी बहु के सामने भी तुझे चोदुँगा तुझे आहः ले साली।

दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है और लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए कल्लू अपना सारा पानी अपनी माँ निर्मला के चूत में निकालने लगता है

उसके साथ साथ निर्मला भी झड़ते चली जाती है।

दोनो एक दूसरे को चुमते हुए अपने साँसें धीमी करने लगते है।

कुछ देर बाद फिर से निर्मला कल्लू के लण्ड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी। दोबारा उसे अपने अंदर लेने की चाह उसे बेचैन कर रही थी।



कल्लू;अपने पास में पड़ी हुए तेल की बोतल उठा लेता है और उसे अपने लण्ड पर उंडेल कर लंड चिकना कर देता है।निर्मला को समझते हुए देर नहीं लगती की कल्लू ऐसा क्यूँ कर रहा है।फिर वह तेल को निर्मला के गांड के छेद पर भी खूब प्यार से लगाता है और साथ ही साथ उसमे अपनी ऊँगली भी पेलता रहता है।



लण्ड और गांड पर तेल लगाने के बाद कल्लू निर्मला को एक कुतिया के पोज में कर देता है।

बडी सी चमकती हुए गाण्ड कल्लू के सामने आ जाती है। इस गाण्ड को तो देख देख कितने बार कल्लू अपने लंड को खड़ा करके गुड़िया और चाची की चूत में घुसाया करता था।और आज यही गाण्ड कल्लू के सामने झुकी हुई थी।

कल्लू;एक थप्पड निर्मला के गाण्ड पर जड़ देता है।

निर्मला:आह। क्या करते हो माँ हूँ मै तुम्हारी।



देवा;उसे सहलाते हुए।रांड भी तो है।

इतने सालों से तडपा जो रही है इस गांड के लिए। एक गाण्ड पर थपड क्या मारा चीख पड़ी साली रंडी।

निर्मला;आहह दर्द होता है ना।

कल्लू ;असली दर्द अब होंगा मेरी जान को।

कल्लू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे निर्मला के गाण्ड के सुराख़ पर घिसता है। निर्मला अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा और वही होता है कल्लू के लंड का सुपाडा निर्मला की कुँवारी गाण्ड में अटक जाता है।

निर्मला ;आहह गया क्क्या.........



वह पीछे मुड़ कर देखती है।

सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और निर्मला की आँखों में ऑंसू आ गये थे। कल्लू उसे पूरी तरह सीधा कर देता है और निर्मला अपने कमर को ऊपर के तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।

कल्लू;दोनों हाथों में अपनी माँ के काँधे को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ निर्मला के गांड में उतारता चला जाता है।

निर्मला अपनी चीखें छूपाने के लिए पेंटी अपने मुह में ठूँस लेती है। मगर गुं गुं हूं की आवाज़ें फिर भी उसके मुह से निकल रही थी

कल्लू;तब तक नहीं रुकता जब तक पूरा का पूरा लंड गाण्ड में नहीं चला जाता। जब कल्लू लण्ड को खिचता है तो थोड़ा सा खून भी उसके लंड से लग जाता है।

जो निर्मला के गाण्ड से निकल रहा था।

कल्लू ;तुझे दर्द हो रहा था तो मुझे रुकने के लिए बोली क्यूँ नही माँ।

निर्मला;मुड कर कल्लू के आँखों में देखने लगती है।

बहुत तड़पाया हैं मैंने तुझे ।जो तड़प का दर्द तूने सहा है मेरी वजह से उस दर्द के सामने ये दर्द तो कुछ भी नहीं है। रुक मत खोल दे आज अपने माँ के हर सुराख़ को।

और कल्लू अपने माँ की आज्ञा का पालन करते हुए तेल से सना हुवा लंड गप की आवाज़ के साथ अपनी माँ निर्मला की गांड में उतार देता है।

निर्मला ;आह बेटे आह। और ज़ोर से।जालिम और ज़ुल्म कर अपने माँ पर ।तेरा हर ज़ुल्म सहना चाहती हूँ मै आज से हर दिन हर रात हर सुबह हर घडी ही चोद मुझे आह।

कल्लू;गप गप अपनी माँ की गाण्ड मारने लगता है

हलांकी दोनों को दर्द भी हो रहा था मगर वो मोहब्बत ही क्या जिस में दर्द न हो। सच्ची मोहब्बत में दर्द भी होता है और उस दर्द का मजा भी खूब होता है।

कल्लू अब अपनी पूरी ताकत से निर्मला की गांड मारने लगता है।वह गांड में लंड पेलने के साथ ही कभी कभी निर्मला के गांड पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे निर्मला के गोरे गोरे चूतड़ लाल हो गए थे।1 घंटे तक जबरदस्त धक्को के साथ चुदाई के बाद कल्लू अपना पूरा माल अपनी माँ की गांड में ही भर देता है।इतनी देर में निर्मला 2 बार झड़ चुकी थी।

दोनों कुछ देर शांत हो जाते है।फिर कल्लू अपनी माँ की गांड को साफ करता है।और अपनी माँ की चूत और चूचों से खेलने लगता है।जिससे कुछ ही देर बाद उसका लंड खड़ा होने लगता है जिसे वह निर्मला को चूसने का इशारा करता है।जिसे निर्मला अपने मुँह में ले लेती है।

पाँच मिनट चूसने पर ही कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।



अब कल्लू अपनी माँ की चूत पर झुक जाता है।

कल्लू अपनी मा की चूत की फांको को दोनो हाथो से फैलाकर उसकी चूत के दाने से रिस्ते पानी को अपनी जीभ से दबा-दबा कर जैसे-जैसे चूस्ता है निर्मला उह आ ओ बेटे करने लगती है,कल्लू उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और फिर अपनी मा की पूरी चूत को सूंघते हुए अपनी जीभ चूत के छेद मे भर-भर कर उसका रस चूसने लगता है।





निर्मला अपने हाथो से अपनी चूत को और फैला देती है और कल्लू बड़े आराम से अपनी मा की चूत को चूस्ते हुए अपनी मा की गुदाज गान्ड को दबाता हुआ उसके छेद मे उंगली डाल-डाल कर सहलाता रहता है





कल्लू अपनी मा की चूत चूस-चूस कर उसे लाल कर देता है और निर्मला की टाँगे काँपने लगती है वह सीधे ज़मीन पर लेट जाती है और कल्लू को अपने उपर खीच लेती है।



कल्लू अब ज़रा भी देर नही करता है और अपनी मा की मोटी जाँघो को फैला कर जब अपनी मा की फूली हुई गुदाज चूत देखता है तो पागल हो जाता है और अपनी माँ की चूत की फांको को खूब फैला-फैला कर चाटना शुरू कर देता है, निर्मला अपनी मोटी गान्ड उचका-उचका कर अपने बेटे का मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है।





कल्लू अपने मुँह मे अपनी मा की चूत पूरी भर कर खूब कस-कस कर चूसने लगता है और निर्मला अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ते हुए पानी छोड देती है, कल्लू सारा पानी चाटने के बाद अपनी मा की चूत को उपर अच्छे से उभार कर अपना मोटा लंड अपनी मा की चूत के छेद मे लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका लंड उसकी मा की चूत मे पूरा एक ही बार मे समा जाता है।

कल्लू अपनी माँ के उपर चढ़ कर उसके दूध दबोचते हुए उसकी चूत को कस-कस कर चोदने लगता है, निर्मला आह बेटे आह करती हुई नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपने बेटे के मोटे लंड पर मारने लगती है, कल्लू अपनी माँ पर चढ़ कर खूब कस-कस कर उसकी चूत कूटना शुरू कर देता है निर्मला अपनी दोनो टाँगो को उठाए अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड खूब कस-कस कर लेने लगती है।



थोड़ी देर बाद कल्लू अपनी मा को घोड़ी बना देता है और जब उसकी मोटी गान्ड को देखता है तो सीधे अपना मुँह अपनी मा की गान्ड से लगा कर चाटने लगता है वह कभी अपनी मा की गान्ड को चाट्ता है और कभी थोड़ा नीचे मुँह लेजा कर उसकी फूली हुई चूत के छेद को पीने लगता है।



निर्मला अपने बेटे द्वारा इस तरह अपनी गान्ड और चूत चाटने से मस्त हो जाती है तभी कल्लू अपना लंड पकड़ कर अपनी मा की चूत मे पीछे से कस कर पेल देता है और निर्मला आह हाय बेटे बड़ा मस्त लंड है तेरा चोद और चोद अपनी मा को खूब कस-कस कर चोद आज फाड़ दे अपनी मा की मस्तानी चूत को खूब तेज ठोकर मार अपने लंड की फाड़ दे बेटे फाड़ दे अपनी मा की चूत को आह आह आहह।



कल्लू अपनी मा की चूत मार-मार कर मस्त लाल कर देता है और फिर कल्लू अपने लंड को बाहर निकाल कर बड़े प्यार से अपनी मा की चूत को चाटने लगता है वह निर्मला को पूरी तरह मुँह के बल ज़मीन से सटा कर उसकी गुदाज मोटी गान्ड को उपर उठा कर अपनी मा की गान्ड के छेद मे थूक लगा-लगा कर पहले अपनी एक उंगली डाल कर चूत चाटने लगता है





फिर कल्लू अपनी दो उंगलिया अपनी मा की गान्ड मे डाल कर उसकी चूत के गुलाबी और रसीले छेद को चूसने लगता है।



निर्मला मस्ती मे झुकी हुई अपने भारी चूतड़ मटकाती रहती है और सीसियती रहती है।

तभी कल्लू पास मे रखी तेल की शीशी से तेल डाल कर अपनी मा की गुदा मे उंगली से अंदर तक ठुसने लगता है वह अपनी मा की गान्ड के छेद को अपनी उंगलियो से तेल लगा-लगा कर खूब चिकना कर देता है



फिर कल्लू अपने मोटे लंड को पूरा तेल मे भिगो कर अपने लंड के टोपे को अपनी मा की तेल मे सनी हुई गुदा से सटा कर अपनी मा के चुतड़ों को अपने हाथो मे कस कर थाम लेता है और फिर कचकचा कर एक तगड़ा धक्का अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका आधे से ज़्यादा लंड फिसलता हुआ उसकी माँ की गान्ड मे समा जाता है।

निर्मला अपने बेटे के द्वारा ऐसा तगड़ा धक्का अपनी गान्ड मे खाने के बाद एक दम से हाय मर गई रे आह कल्लू बहुत मोटा लंड है बेटे तेरा आह आह आ।

कल्लू अपनी मा की बात सुन कर अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर एक जबरदस्त शॉट अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका पूरा लंड उसकी मा की गान्ड मे उतर जाता है और निर्मला का बदन ऐंठ जाता है, अब कल्लू धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी मा की गान्ड मे आगे पीछे करने लगता है, धीरे-धीरे निर्मला भी अपने चुतड़ों को पीछे की ओर धकेलने लगती है, आह बेटे आह कल्लू बहुत अच्छा लग रहा है।



कल्लू अब अपने लंड की रफ़्तार को थोडा बढ़ा कर सटासट अपनी मा की गान्ड मे अपने मोटे लंड को पेलने लगता है, कल्लू अपनी मा की मोटी-मोटी जाँघो को सहलाते हुए उसकी गान्ड को खूब कस-कस कर ठोकने लगता है।कल्लू इतनी जोर से अपनी माँ निर्मला की गांड मारने लगता है की वह मूतने लगती है।जिसे देखकर कल्लू और उतेजित हो जाता है और अपनी माँ की कसी गांड को फाड़ने लगता है।निर्मला मज़े से सिसियति रहती है।



अब कल्लू अपने पैरो के पंजो के बल बैठ कर अपनी मा निर्मला की गान्ड की मस्त ठुकाई चालू कर देता है और निर्मला आह आ करती हुई कल्लू का लंड अपनी गान्ड मे लेने लगती है।



जब निर्मला से रहा नही जाता है तो वह एक दम से ज़मीन पर पसर जाती है कल्लू सीधे अपनी मा की गान्ड पर लेट जाता है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी मा की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता है और फिर से अपनी मा की गान्ड मे अपने लंड को खूब गहराई तक पेलने लगता है, कल्लू लगभग आधे घंटे तक अपनी मा की मोटी गान्ड मार-मार कर लाल कर देता है और फिर उसका पानी उसकी मा की मोटी गान्ड मे छूट जाता है।



निर्मला उठ कर कल्लू के लंड को किसी कुतिया की भाँति सूंघते हुए चूसने लगती है और कल्लू अपनी मा को पूरी नंगी करके उसके मोटे-मोटे दूध उसके गुदाज पेट और उसकी चूत मे खूब सारा तेल लगा कर उसे खूब चिकनी कर देता है उसके बाद कल्लू निर्मला को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूत मे अपना लंड फिर से पेल देता है और अपनी मा के होंठो को पीते हुए उसके दूध दबा-दबा कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगता है।



निर्मला अपने पेरो को हवा मे उठा कर मोड़ लेती है और कल्लू के लंड को अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है, कल्लू अपनी मा की गान्ड के नीचे हाथ डाल कर उसके भारी चुतड़ों को अपने हाथो मे भर कर ज़ोर से दबोचते हुए अपनी मा की चूत मे सटासट लंड डाल-डाल कर ठोकने लगता है, कल्लू निर्मला की चूत ठोक-ठोक के पूरी सूजा देता है और मस्त लाल चूत को चोद्ते हुए अपना पानी अपनी मा की चूत मे भर देता है।



निर्मला की चूत अपने बेटे के तगड़े लंड को पाकर मस्त हो जाती है, उस दिन पूरा दिन कल्लू अपनी माँ निर्मला को तरह-तरह के आसनो मे खूब कस कर चोद्ता है उसके बाद शाम को कल्लू अपनी माँ के साथ अपने घर वापस आता है।

रात को गुड़िया सहेली के बर्थडे में थोडा लेट से आती है।वह दिनभर के भागदौड़ में थक गई थी।इसलिए अपनी माँ के पास सो जाती है।कल्लू भी दिनभर अपनी माँ की चुदाई करके थका हुवा था।वह भी जल्दी ही सो जाता है।



सुबह बाबा बताते है की वह गुड़िया की माँ के साथ शहर जा रहे है।कुछ बैंक का काम था।वह कल्लू से बोलते है की गुड़िया के साथ खेतों में चले जाना।हमलोग शाम तक आएंगे।

कल्लू गुड़िया की तरफ देखकर मुस्कुराता है की आज दिनभर खेतों में मज़ा आएगा।गुड़िया भी अपनी चूत सहला कर इशारा करती है।



जब बाबा और माँ शहर चले जाते है तो कल्लू गुड़िया को बाँहों में भर लेता है और उसके रसीलें होठों को चूसने चाटने लगता है।फिर गुड़िया के कोमल हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख देता है जिसे गुड़िया सहलाने लगती है।और अपने भइया के मुह में अपनी जीभ डाल देती है।

कल्लू:गुड़िया चल जल्दी से खेतों में आज तुझे खेतों में पूरी नंगी करके चोदने का मन कर रहा है।कितना मज़ा आएगा जब तू खेतो में पूरी नंगी होगी और मैं तुझे अपने लंड पर चढ़ा लूंगा।

गुड़िया :चलो भइया।मैं क्या पहन लूँ।



कल्लू:अपनी टॉप और स्कर्ट पहन ले बिना ब्रा पेंटी के।और थोडा मेरा लौड़ा चूस दे अभी।मैं तेरी मस्त गांड देखते हुए खेतो तक चलूँगा।

गुड़िया अपने भइया का लंड धोती से निकालती है और जीभ से चाटने लगती है।कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।

कल्लू:अब चल मेरी जान।नहीं तो यही पेलना शुरू कर दूंगा।

दोनों खेतो की और चल देते है।रास्ते भर गुड़िया स्कर्ट हटा कर अपनी मोटी मोटी गाँड दिखाकर कल्लू को पागल बना देती है।कल्लू जब उसकी गांड में ऊँगली करना चाहता है तो भाग जाती है।

कल्लू मन ही मन :आज तो खेतो में नंगी करके कुतिया बना के तेरी गांड नहीं मारी तो मेरा नाम कल्लू नहीं।साली मेरे सामने गाँड मटकाती है।

फिर दोनों खेत में बनी झोपडी में जाते है।फिर गुड़िया खटिया के निचे बिस्तर लगा देती है।और दोनों बाते करने लगते है।



गुड़िया- ओके भइया. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।

कल्लू- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार रात में तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।

कल्लू की बातों से गुड़िया उत्तेज़ित होने लगी थी। वो कल्लू की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।

कल्लू- आह गुड़िया तुम्हारे हाथ भी बहुत मुलायम हैं.. लंड पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।

गुड़िया कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए तैयार हो गई थी।

कल्लू- आह..गुड़िया उफ़.. तेरे ये रसीले होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..

गुड़िया- भइया आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शरीफ बनके जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा चुदाई में है.. वो पढाई में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा बदन जलने लगा है।

गुड़िया सीधी होकर बाँहें फैलाए खटिया के निचे लेट गई..कल्लू समझ गया कि अब उसको क्या करना है।कल्लू ने गुड़िया का टॉप निकाल दिया।गुड़िया टॉप ने निचे कुछ नहीं पहनी थी।उसके ठोस चुचिया तनी हुई थी।कल्लू उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।

कल्लू अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।

गुड़िया- आह.. भइया उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..काट डालो इन निप्पलों को बहुत परेसान करते है।

दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। कल्लू का लौड़ा टपकने लगा।

गुड़िया- आह.. भइया.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जल रही है . आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. इसकी मालिश कर दो न..

कल्लू- अभी लो मेरी गुड़िया रानी..अभी तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भइया के लंड को..

कल्लू ने गुड़िया के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। फिर कल्लू ने गुड़िया का स्कर्ट भी उतार दिया अब गुड़िया पूरी नंगी थी।गुड़िया बिना पेंटी पहने ही घर से आई थी।गुड़िया की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।

गुड़िया- सस्सस्स आह.. भाई.. अब रहा नहीं जा रहा है आह.. प्यार से चाटना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..

कल्लू- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी बुर की चुदाई करूँगा..



कल्लू अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे गुड़िया की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।

गुड़िया- आह.. उहह.. भइया मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।

कल्लू अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. गुड़िया की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।

गुड़िया- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह..पेल दो अपने मोटे लौड़ें को मेरी रसीली चूत में आह. आह…



कल्लू भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।

गुड़िया- आह.. पेलो मेरे राजा भइया.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..।

कल्लू ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और गुड़िया की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और गुड़िया के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।



गुड़िया- आह..भइया अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी निगोड़ी चूत की सारी गर्मी निकाल दो आह..

कल्लू जोर जोर से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। गुड़िया भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई..दोनों का तापमान बढ़ने लगा।

खच..चच . फच..फच.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें झोपडी में गूंजने लगीं।

गुड़िया- आह पेलो भइया. चोद डालो अपनी छोटी बहन को अपनी गुड़िया को।. आह.. आईईइ।



कल्लू- ले गुड़िया.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह भोसड़ा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..दिन भर आज खेतो में दौड़ा दौड़ा के पेलूँगा तुझे।



दस मिनट तक कल्लू पूरी ताकत से गुड़िया को चोदता रहा। अब कल्लू तो पक्का चोदू बन चूका था।अब कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और अनुभव बढ़ गया था। मगर गुड़िया की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।

गुड़िया- आई आई.. आह.. भाई और जोर से पेलो.मैं झड़ने वाली हूँ। आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..।



कल्लू ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। गुड़िया का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।

गुड़िया अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। कल्लू ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और गुड़िया के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।

गुड़िया समझ गई कि कल्लू उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।

कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद कल्लू ने आसान बदल दिया। वो घुटनों के बल झोपडी में खड़ा हो गया.. जिसे देख कर गुड़िया मुस्कुराई।

गुड़िया- क्या हुआ भइया.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?

कल्लू- मेरी जान लंड को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।

गुड़िया हँसती हुई अपने भइया के मोटे लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।

कल्लू- आह्ह.. आह्ह.. बस गुड़िया.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह।

गुड़िया घुटनों के बल अच्छी तरह पैर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. कल्लू। को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम मस्त घोड़ी बनी है।

कल्लू- वाह.. मेरी गुड़िया क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी रसीली चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।

कल्लू ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

गुड़िया- आईईइ.. भइया आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. जितनी बार चाहो चोद लेना..

कल्लू- अरे मेरी प्यारी गुड़िया. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब आराम से करूँगा।



कल्लू अब गुड़िया की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ गुड़िया की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो गुड़िया की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।

थोड़ी देर की मस्ती के बाद गुड़िया फिर से गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर कल्लू के मज़े को दुगुना बनाने लगी।

गुड़िया- आह.. आह.. पेलो भाई.. आह्ह.. आज के दिन हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. जोर से पेलो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।



कल्लू अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। चूत की गर्मी से पिघल कर आख़िर कर कल्लू के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर गुड़िया की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।



अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. गुड़िया की कमर में दर्द होने लगा था। जैसे ही कल्लू ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। कल्लू भी उसके पास ही लेट गया।

गुड़िया- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।





कल्लू- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।

गुड़िया- मज़ा ही तो ले रही हूँ..आज तो चुदवाने ने बहुत मज़ा आया। मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?



कल्लू- गुड़िया सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.

गुड़िया-नहीं भइया.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या..अभी का मेरा हो गया.. अब बाद में देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..



कल्लू- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ गुड़िया तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..

गुड़िया- नो नो भाई.बहुत दर्द होगा।तुमने पहले बताया नहीं ।नहीं तो मैं तेल लेकर आती।

कल्लू-अरे गुड़िया।मेरे पास सारा इंतज़ाम है।मैंने तेल की शीशी भी रखी है।

गुड़िया-ठीक है भइया ।गांड बाद में मार लेना।कल्लू- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..।

गुड़िया- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भोसड़ा बना के दम लोगे.. ठीक है भइया.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..

कल्लू- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..





गुड़िया ऐसे ही हॉस्टल की बातें करने लगी और कल्लू बस उसको सुनता रहा। आधे घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद कल्लू का मन दोबारा चुदाई का हो गया।

कल्लू धीरे-धीरे गुड़िया के जिस्म को सहलाने लगा।उसके रसीले होंठो को चूसने लगा। ऐसी कच्ची कली को जल्दी ही उसने फिर से गरम कर दिया..।



इस बार वो सीधा लेट गया और गुड़िया को ऊपर लेटा कर नीचे से अपना लंड गुड़िया की रसीली चूत में फंसाकर एक झटका दिया, लंड कच से घुसता चला गया।गुड़िया भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।

इस बार गुड़िया कल्लू को चोद रही थी।

लंबी चुदाई के बाद दोनों झर गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।





कुछ देर बाद कल्लू का लंड खड़ा हो जाता है।वह गुड़िया की गांड पर रगड़ने लगता है।

गुड़िया- अरे भइया, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।

कल्लू- अरे इसको पता है.. आज मुलायम कुँवारी गाण्ड का मज़ा मिलने वाला है।

गुड़िया- हाँ मिलेगा.. लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे रसीले होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर ये मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद लास्ट में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे इतनी आसानी से नहीं.कुँवारी गांड नहीं मिलेगी।

कल्लू- अरे यार ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..

गुड़िया- नही भैया। आपने तो लगता है पॉवर वाली गोली खा रखी है… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. और साथ में मेरी गांड के छेद को आयल लगाकर चिकना भी कर दो।फिर आराम से गाँड मारते रहना।



कल्लू ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद दोनों चूमा-चाटी में लग गए। दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।कुछ देर बाद गुड़िया ने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी प्यास!

कल्लू ने गुड़िया के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।

गुड़िया- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..

कल्लू- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..

गुड़िया- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया..पेलो जोर जोर से.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.... आह्ह.. आइ..।

कल्लू और स्पीड से पेलने लगा.. गुड़िया से ऐसे तगड़े झटके बर्दास्त नहीं हुए वो झड़ने के करीब आ गई।

गुड़िया- आह्ह.. भाई तेज.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. गई.. आह्ह.. आइ आइ..

गुड़िया कमर हिलाकर झड़ने लगी उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो ‘घपा-घाप’ लौड़ा पेल रहा था।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ़फ्फ़..

कल्लू ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो गुड़िया तड़प सी गई..- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भइया.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..

कल्लू- तेरा तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..

गुड़िया- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?

कल्लू ने गुड़िया के मुँह पर लौड़ा लगा दिया और हाथ से उसके बाल पकड़ कर लौड़ा उसके गालों पर घुमाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..

कल्लू- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..

गुड़िया- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..

कल्लू- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..

गुड़िया- प्लीज भइया.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..

कल्लू खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक गुड़िया भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त कुतिया बन गई थी.. उसको देख के कल्लू खुश हो गया।



कल्लू- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद गांड की छेद पूरी खोल दूँगा..

इतना कहकर कल्लू खटिया के निचे लगे बिस्तर पर आ गया और कुतिया बनी गुड़िया की गाण्ड को सहलाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।

कल्लू ने आयिल गुड़िया की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।



कल्लू उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो गुड़िया को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।

कल्लू बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और गुड़िया बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।

कल्लू- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तूम खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.तूम जानती नहीं गांड मराने में चूत से भी ज्यादा मज़ा आता है।

गुड़िया- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी छोटी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..

कल्लू ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।

कल्लू- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी प्यारी सी छोटी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।

कल्लू ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।

उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो कल्लू ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा का टोपा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर गुड़िया की गाण्ड में होने लगी।

गुड़िया- ऐइ.. आईईइ.. आह… भइया.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..

कल्लू- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।

गुड़िया- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत पेल देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..

कल्लू हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे कल्लू बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर गुड़िया की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।

कुछ देर तक कल्लू धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो भइया आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भइया सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..



कल्लू अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं तो उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद कल्लू ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।

गुड़िया-आह.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?

कल्लू- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..

गुड़िया- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।

कल्लू- सबर कर मेरी गुड़िया.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..

इतना कहकर कल्लू ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद गुड़िया की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

तेल की बोतल साइड में रख कर कल्लू ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, गुड़िया मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।

तभी कल्लू ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ गुड़िया बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ कल्लू भी उसके ऊपर गिर गया।

पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो गुड़िया के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

कल्लू को भी ये अहसास हो गया कि गुड़िया को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।

कल्लू कुछ देर वैसे ही गुड़िया के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।

गुड़िया- आ आह्ह.. भइया.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..

कल्लू अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..

कल्लू- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दे.. उसके बाद मज़े ही मज़े..

गुड़िया- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..

कल्लू अब स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा। वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा।

अब गुड़िया को दर्द भी कम महसूस हो रहा था। वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत रस टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है आह्ह.. जोर जोर से मेरी गांड मारो आह्ह.. फास्ट..

गुड़िया को अब मज़ा आने लगा था। वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से पूरी घोड़ी बन गई थी और कल्लू अब उसके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद कल्लू ने गुड़िया की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उसको बड़ा सुकून मिला।

गुड़िया की गाण्ड को भर कर ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर निकाला और कल्लू बिस्तर पर लेट कर लंबी साँसें लेने लग गया।

गुड़िया की गाण्ड से वीर्य टपक कर बाहर आने लगा.. वो भी कल्लू के बराबर में लेट गई।

गुड़िया- क्या भाई.. आज तो आपने हद ही कर दी.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. कितनी ज़ोर से गाँड में लौड़ा घुसाया.. मेरी जान निकाल दी आपने।

कल्लू- अरे यार वो ग़लती से हो गया था.. नहीं मैं तो प्यार से ही कर रहा था। वैसे तेरी गाण्ड बहुत टाइट है.. मज़ा आ गया आज तो..

गुड़िया- आपको तो मज़ा आ गया.. मेरी तो हालत खराब हो गई ना.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे गाण्ड में लौड़ा घुसा हुआ है.. और दर्द भी बहुत हो रहा है। देखो बिस्तर पर ठीक से गाण्ड टिक भी नहीं रही.. इसी लिए करवट लेकर लेटी हुई हूँ।

कल्लू- हा हा हा.. मेरी प्यारी गुड़िया. पहली बार में ऐसा होता है.. अब रोज मरवाओगी.. तो आदत पड़ जाएगी.. उसके बाद दर्द नहीं मज़ा मिलेगा।

गुड़िया- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब जल्दी से उठो.. मेरी चूत में खुजली हो रही है.. इसमें डालो अब अपना मोटा लौड़ा..

कल्लू- थोड़ा दम लेने दे मेरी जान.... अभी 5 मिनट में लौड़ा खड़ा हो जाएगा। उसके बाद ना कहना कि बस करो मैं थक गई हूँ.. तेरी चूत की प्यास मिटा कर दोबारा गाण्ड मारूँगा तेरी..

गुड़िया- हाँ मार लेना.. मगर रस मेरी चूत में ही डालना.. बड़ा सुकून मिलता है.. जब चूत में गर्म रस अन्दर जाता है।

कल्लू- अब तेरा सूसू नहीं आ रहा क्या.. गाण्ड मारने के वक्त तो बहुत चिल्ला रही थी तू?

गुड़िया- उस वक्त आया था.. अब नहीं आ रहा है।

कल्लू- जाओ कर लो.. नहीं लौड़ा अन्दर जाएगा तो दोबारा बोलोगी.. तब तक मैं थोड़ा रेस्ट कर लूँ।

गुड़िया- हाँ सही कहा आपने.. चुदाई के वक्त फिर से आ गया तो हमारा मज़ा खराब हो जाएगा।

गुड़िया जब उठी तो उसको गाण्ड में दर्द महसूस हुआ.. वो जब चलने लगी तो उसकी चाल बदल गई दर्द की वजह से.. वो कूल्हे उठा कर चल रही थी। गुड़िया गाण्ड को मटकाती हुई सीधी झोपडी के पीछे की तरफ़ चली गई।

कल्लू आराम से लेटा हुआ था तभी उसके दिमाग़ में कोई बात आई और वो उठकर सीधा झोपडी के पीछे की तरफ़ भागा तो देखा गुड़िया पेशाब करने बैठी ही थी कि कल्लू को देख कर खड़ी हो गई और चौंकती हुई बोली- ओह्ह.. भइया. ये क्या है मैं तो डर गई.. आप ऐसे अचानक आ गए?

कल्लू- अच्छा हुआ तूने सूसू नहीं किया.. मेरा भी सूसू आया है चल दोनों साथ में करेंगे.. मज़ा आएगा..

गुड़िया- हा हा हा भाई.. कुछ भी सूसू साथ में करने में क्या मज़ा?

कल्लू- तू देख तो सही.. मैं क्या करता हूँ.. मज़ा ना आए तो कहना..

गुड़िया- जो करना है जल्दी करो.. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा.. बड़े ज़ोर का सूसू आया है।

कल्लू निचे बैठ गया और गुड़िया को करीब खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा कर उसके मम्मों को चूसने लगा। उसका लौड़ा एकदम कड़क हो गया.. तो उसने गुड़िया की चूत पर लौड़ा टिका दिया और हल्का सा अन्दर पेल दिया।

गुड़िया- आह्ह.. भाई क्या कर रहे हो.. पहले सूसू तो करने दो.. आप बाद में आराम से चोद लेना।

कल्लू- मेरी जान.. मैं चोद नहीं रहा हूँ.. अब तू ज़ोर लगा के सूसू कर.. देख कितना मज़ा आता है..

गुड़िया को बात समझ आ गई.. तो वो मुस्कुराने लगी और अपने भइया के गले में हाथ डालकर एक किस कर दिया।

कल्लू- अब सूसू करो.. मैं धीरे-धीरे तुम्हारी चूत में लौड़ा डालूँगा.. बहुत मज़ा आएगा।

गुड़िया ने सूसू करना शुरू कर दिया उसकी चूत से सीटी की आवाज़ निकलने लगी.. उसकी गर्म-गर्म सूसू कल्लू की जाँघों पर लगी.. तो उसको बहुत मज़ा आया और उसी पल कल्लू ने भी सूसू की धार गुड़िया की चूत में मार दी। गुड़िया एकदम से चिहुँक सी गई.. उसको चूत में अजीब सा अहसास होने लगा।

जब दोनों सूसू कर चुके तो एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।

गुड़िया- हा हा हा भाई आपकी सूसू कितना गर्म थी.. मेरी चूत की सिकाई हो गई.. थोड़ा सा गाण्ड में भी कर देते तो मज़ा आ जाता।

कल्लू- तेरी चूत से कौन सी कोल्ड ड्रिंक बाहर आई है.. वो भी गर्म ही थी और तेरी गाण्ड वाली इच्छा भी दोबारा में पूरी कर दूँगा।

गुड़िया- भइया आपकी पूरी जाँघें और पेट सूसू से सन गया है.. पहले नहा लें.. उसके बाद झोपडी में जाएँगे.. नहीं तो पूरा बिस्तर खराब हो जाएगा और बदबू भी आएगी..

कल्लू- ठीक है मेरी जान.. लेकिन ऐसा मत कहो कि बदबू आएगी.. ये तो अमृत है.. मेरा तो दिल करता है तेरी चूत से निकला इसका एक-एक कतरा पी जाऊँ।

गुड़िया- छी: छी: कितने गंदे हो आप.. सूसू पीने की बात कर रहे हो..

कल्लू- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान।

गुड़िया- अच्छा अब बातें बंद..।पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओ भइया।

कल्लू:ठीक है गुड़िया।लेकिन एक शर्त पर मैं जैसे जैसे कहूँगा।तुम करोगी।देखता हु इस चुदाई में तुम जीतती हो या मैं।

कल्लू:गुड़िया आ थोडा मेरा लंड चूस दे मैं तुझे गोद में उठाकर चोदना चाहता हूँ।

गुड़िया कल्लू के आगे बैठ जाती है और उसके लंड को पहले जीभ से चाटने लगती है।फिर वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगती है।

कल्लू:गुड़िया अब तो तू लंड चूसने में पूरी एक्सपर्ट हो गई है।आ मेरी गोद में और अपनी चूत मेरे लंड पर रखकर बैठ जा।गुड़िया अपने भैया की गोद में चढ़कर अपने कोमल हाँथो से कल्लू भइया के लंड को अपनी रसीली चूत में सेट करती है और उसपर बैठ जाती है।कल्लू का लंड गुड़िया की गीली चूत में जड़ तक घुस जाता है।

अब कल्लू गुड़िया को गोद में उठाकर खेत में घुमा घुमा कर चोदने लगता है।कुछ ही देर की चुदाई में गुड़िया पूरा गरम हो जाती है और गोद में ही अपने भइया के लंड पर कूदने लगती है।

फिर कुछ देर बाद कल्लू गुड़िया को गोद से उतारकर कुतिया बना देता है।पीछे से अपना मोटा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में पेल देता है।फिर वह गुड़िया के दोनों पैर को ऊपर उठा देता है और गुड़िया को हाथों के बल आगे चलने को कहता है।गुड़िया कुतिया बनी अपने दोनों हाथों के बल आगे चलने लगती है।और कल्लू पीछे से अपना लंड पेलता जाता है।

अब गुड़िया को पुरे खेत में कुतिया बना कर दौड़ा दौड़ा के पेलता है।आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद गुड़िया झर जातो है तब कल्लू अपना लंड गुड़िया की चूत से निकालकर उसे सामने बिठा देता है और पूरा वीर्य गुड़िया के पुरे शरीर पर गिरा देता है।गुड़िया का बदन कल्लू के वीर्य से भीग जाता है।

गुड़िया:भइया देखो तुमने मुझे पूरा गन्दा कर दिया।चलो अब नदी में नहाकर आते है।मेरा पूरा बदन गन्दा हो गया है।

कल्लू:ठीक है गुड़िया चलो।लेकिन पहने कपडे तो पहन लो।गुड़िया अपना टॉप और स्कर्ट पहन लेती है और दोनों नदी के तरफ चल देते है।

गुड़िया:अरे भइया मई तो भूल ही गई थी की जब तुम माँ को तैरना सिखाने लाये थे तो क्या क्या किया।माँ के मोटे मोटे गांड का मज़ा लिया की नहीं।

कल्लू:अरे गुड़िया ।बहुत मज़ा आया माँ के साथ।जब माँ को नंगा करके तैरना सीखा रहा था।तो गहराई में जाने पर जब माँ मेरे लंड पर चढ़ गई थी तो मैंने धीरे से अपना लंड माँ की गदराई चूत में घुसा दिया था।फिर तो माँ इतनी गरम हो गई थी की मेरे गोद में चढ़कर एक घंटे तक अपनी चूत चुदवाती रही।

गुड़िया:सच भइया माँ बहुत चुद्दकड़ है।अब तो तुम्हारे मज़े ही मज़े है।जब मैं शहर चली जाउंगी तब माँ को खेतो में नंगा करके चोदते रहना।



कल्लू:हाँ मेरी गुड़िया।माँ की बात करके तूने फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया।चल अब नदी आ गई है।हमदोनो नंगे नहाते है।तू मेरी गोद में चढ़ जा।आज तुझे भी माँ की तरह चोद दूँ।

गुड़िया अपने कपडे उतार कर पूरी नंगी हो जाती है।कल्लू भी नंगा हो जाता है और गुड़िया को गोद में उठा लेता है।फिर अपना लंड गुड़िया की चूत में पेल देता है और दोनों गर्दन भर पानी में चले जाते है।कल्लू अपनी बहन के रसीले होठो को चाटने चूसने लगता है।और निचे से लंड को धीरे धीरे गुड़िया की चूत में पेलने लगता है।

गुड़िया भी अपने भइया के चेहरे को चाटने चूसने लगती है।अपने चूंचियों को अपने भैया को चुसाने लगती है।दोनों को कितना मज़ा आ रहा है।



आधा घंटा पानी में मस्ती करने के बाद दोनों की उत्तेजना बढ़ गई और वहीं कम पानी में लाकर कल्लू ने गुड़िया को हाथ के सहारे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लौड़ा घुसा दिया और स्पीड से चोदने लगता है।

गुड़िया- आ आह्ह..पेलो भइया.. आह्ह.. आह्ह.. जोर जोर से.. आइ.. आह्. आह्ह.. उई.. मजा आ रहा है।



गुड़िया की बातों से कल्लू को और जोश आ गया, वो उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर से चोदने लगा।

दस मिनट में गुड़िया की रसधार बह गई.. मगर कल्लू तो अभी बाकी था.. वो कहाँ रुकने वाला था। वो ‘दे दना दन’ चोदता रहा पेलता रहा।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. आह्ह.. चूत ही आ आह्ह.. मारते रहोगे क्या.. आ आह्ह.. दर्द होने लगा है.. अब तो गाण्ड भी खुल गई है.. तो उसमें पेल दो न..

कल्लू- हाँ मेरी रानी.. मन तो मेरा भी तेरी गाण्ड मारने का ही है.. मगर मैं तुम्हारे कहने का वेट कर रहा था।

इतना कहकर कल्लू ने लौड़ा चूत से निकाला और गुड़िया के गांड पर थूक लगा दिया और ‘ठप’ से पूरा लंड एक साथ गाण्ड में घुसा दिया।

गुड़िया- ऐइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई आराम से डालो ना.. आह्ह.. आज ही तो गाण्ड की ओपनिंग हुई है.. आह्ह..

कल्लू- क्या करूँ जान.. तुम्हारी टाइट गाण्ड को जल्दी से खोलना चाहता हूँ मैं ताकि फिर तुम्हें तकलीफ़ ना हो।

कल्लू स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा।

करीब 20 मिनट बाद गुड़िया दोबारा गर्म हो गई.. उसकी चूत फिर से रिसने लगी और कल्लू का लौड़ा भी अब आग उगलने को बेताब था.. तो उसने लौड़ा गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया।अब तो कल्लू कभी अपना लंड अपनी बहन की चूत में घुसाता तो कभी गाण्ड में घुसा के पेलने लगता।गुड़िया भी किसी रंडी की तरह गरम हो गई थी ।



वह भी अपनी गांड और चूत दोनों मस्ती में चुदवा रही थी कुतिया बनके।कल्लू ने तेज तेज धक्के मार मार के गुड़िया के गांड और चूत के छेद को पूरा फैला दिया था। जल्दी ही उसका लावा फूट गया.. उसके साथ साथ गुड़िया भी झड़ गई।



गुड़िया- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. मज़ा आ गया भाई.. आपके रस से चूत को सुकून मिलता है.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया।

कल्लू- उफ्फ.. मज़ा तो मुझे आ रहा है तेरी चूत और गाण्ड इतनी टाइट है कि क्या बताऊ हमेशा चोदने का दिल करता है।।

गुड़िया- हाँ भाई.. जितना चोदना हो.. चोद लेना।



कल्लू- हाँ सही कहा.. चल अब तेरी एक इच्छा और पूरी कर देता हूँ.. बड़े ज़ोर का सूसू आई है.. तेरी गाण्ड में गर्म सूसू करके तुझे मज़ा देता हूँ.. तू भी क्या याद करेगी अपने भाई को.. चल घोड़ी बन जा जल्दी से..

गुड़िया घोड़ी बन गई.. कल्लू का लौड़ा पूरा तो कड़क नहीं था.. मगर उसने दोनों हाथों से गुड़िया की गाण्ड को फैला कर लौड़े का सुपारा गाण्ड में फँसा दिया और ज़ोर लगा कर सूसू करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. कितना गर्म है.. मज़ा आ गया आह्ह..।



फिर दोनों एक दूसरे को नहलाते है।फिर दोनों शाम को घर आ जाते है।



अब कल्लू बहुत खुश था।उसकी बर्षो की इच्छा पूरी हो गई थी।उसके गाँव की नदी के कारण ही उसे उसकी माँ बहन और चाची की मस्त चूत और गांड मिली थी।



समाप्त समाप्त

समाप्त

समाप्त

समाप्त समाप्त

समाप्त
Ye Kaisa comment hai, poore do update copy paste kar diye ?
 
Last edited:

DesiPathan87

इश्क ओदा पौणा ही आ मैनू किंवे वी
377
374
64
आज जब कुआँ खुद चल कर प्यासे के पास आया था तो कल्लू एक बूंद भी गँवाना नहीं चाहता था वो अपने माँ को दिन भर पेलना चाहता था। उसे दिन भर अपने लंड के नीचे लेटाकर चोदना चाहता था।

कल्लू;अपने माँ को गोद में उठा लेता है और उसे खेत में लेटा देता है और झट से उसके ऊपर चढ़ जाता है।

अपने दोनों हाथों में निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर वो निर्मला को चुमते हुए अपने लंड को निर्मला के चूत पर घीसने लगता है।

कल्लू:माँ तेरी चूत मुझे चाहिए।

निर्मला:-हाँ हाँ ले ले मेरी चूत बेटा आह आह।चोद डाल अपनी माँ को बना ले तेरे लंड की रानी आह अब और मत तडपा मुझे पेल न अंदर आह।

कल्लू ;कहाँ डालूँ मा।

निर्मला;नीचे हाथ डाल कर कल्लू के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है और उसे अपने चूत के मुहाने पर लगा देती है। यहाँ मेरे बच्चे यहाँ।

निर्मला;अब तो मना नहीं करेगी ना माँ।

निर्मला;नहीं नहीं अब मना नहीं करुँगी जब जहाँ जैसे चाहेगा वहाँ चुदायेंगी तेरी माँ तुझसे बस डाल दे मेरे अंदर।घुसा दे अपना पूरा लंड अपनी माँ की चूत में।



कल्लू ;अपने कमर को ऊपर के तरफ उठाता है और दन से उसे निर्मला के चूत पर दबा देता है।

एक बेटे का लंड सारे बंधन तोड कर सारी कस्मे भूल कर अपने माँ की रसीली चूत में घुस जाता है।

निर्मला चीख पडती है।हाय बेटे दर्द हो रहा है।



कल्लू;आज वो दिन नहीं है जब एक बेटे अपने माँ के दर्द को सुनकर रुक जाए।वो दूसरा धक्का देता है और ये वाला धक्के से लंड निर्मला के बच्चेदानी तक जा रहा है।निर्मला की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और निर्मला के दोनों पैर कल्लू के कमर से लिपट जाते है ।वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

कल्लू;कुछ पल उस एहसास को महसूस करता है और फिर अपने माँ के दोनों ब्रैस्ट को दबाते हुए लंड को आगे पीछे करता चला जाता है।

निर्मला;हाय रे बेटा मेरा आहह मेरी चूत है ना वो अहह

मेरे बेटा धीरे से कर ना आह।पहले पहले धक्के तो सभी को भी दर्द देते है।

निर्मला तो दो बच्चों की माँ थी उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगता सँभालने में ।जब चूत की चिकनाहट लंड को सहलाने लगती है और जब चूत की दिवारें पूरी तरह खुल जाते है तो निर्मला भी पागल सी हो जाती है।

अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवानी बना देता है और वो अपने बेटे के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।

निर्मला:आह।और जोर से बेटा और जोर से

आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये आह।

मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहह

चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आह।

निर्मला वो औरत थी जो कल्लू के धक्कों को बड़ी आसानी से सह रही थी और मस्ती में उससे और ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी।सच कहा है किसी ने ग़ुरू ग़ुरू होता है और चेला चेला।गुड़िया तो कल्लू के पेलने पर चीखने लगती थी। यहाँ वो औरत थी जिस ने इस सांड को पैदा की थी। भला वो उस लंड से कैसे पनाह माँगती। आज कल्लू को अपने माँ की ताकत का एहसास हुआ था।

कल्लू ;जितने ज़ोर से लण्ड को चूत में घुसाता

निर्मला उतने ही ताकत से अपने कमर को ऊपर उठा कर उसे और अंदर ले लेती है।

निर्मला पागल हो गई थी अपने दोनों हाथों के नाखुनो से वो कल्लू के पीठ को कुरेदते हुए उसे और ज़ोर से चोदने के लिए पुकार रही थी।

जब माँ पुकारती है तो बेटे को आना पड़ता है और कल्लू वही कर रहा था वो निर्मला को जबरदस्त धक्के के साथ पेल रहा था और निर्मला अपने बेटे को इतनी आसानी से रुकने देने वालों में से न थी।



खेत में पच पच की आवाज़ें गूंज रही थी।कल्लू अपने लंड को पूरा निकलता है घच से फिर अपनी माँ की गीली चूत में पूरा लंड जड़ तक पेल देता।

निर्मला के बीच बीच में चीखने की आवाजे।

जब कल्लू का लण्ड उसके बेच्चेदानी से टकरा जाता।

कल्लू पसीने में नहा चूका था और उसके नीचे लेती हुए निर्मला भी दमा दम हो गई थी मगर दोनों के कमर लगातार हील रही थी। कल्लू की पकड़ अपने माँ के ब्रैस्ट पर और मज़बूत होती चली जाती है।

और निर्मला की चूत से पानी टिप टिप करके रिसने लगता है।वो जोश दिन भर कम नहीं होने वाला था ये दोनों अच्छी तरह से जानते थे।



दोनो पिछले 30 मिनट से जोरदार चुदाई में लगे हुए थे

और लण्ड की मार चूत पर जारी थी।

निर्मला अपना मुह खोल देती है और उसका ज़ुबान बाहर की तरफ निकल आता है उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। कल्लू के धक्कों से उसे सँभलने का मौका नहीं मिल रहा था।

निर्मला -चोद मुझे बेटा चोद अपनी माँ को।अपनी माँ को चोद रहा है ना तु। मेरी चूत में अपना लंड डाल कर जहाँ से मैंने तुझे निकाली थी वहीँ अपना मोटा लण्ड डाल के आह।कैसी है तेरी माँ की चूत मेरे लाल

आह और जोर से चोद आह।



कल्लू;माँ तेरी चूत मुझे पहले मिल गई होती तो कसम से कहीं भी नहीं जाता दिन रात इसी में पडा रहता। आह।

निर्मला;आज से इसी में रखूँगी तुझे दिन रात मुझे चोदेगा ना अपनी माँ को जब दिल कहेंगा मेरा आ ह ।

कल्लू;हां माँ आज से बस तुझे ही चोदुँगा मैं हर जगह।



निर्मला;कहाँ कहाँ चोदेगा मुझे आह।

कल्लू;हर जगह माँ हर जगह।

जब तक तेरे तीनो सुराख़ में नहीं पेल देता तब तक नहीं रुकुंगा आज मैं।

निर्मला;तीनो सुराखों में बेटा।

कल्लू;हाँ माँ तेरी चूत और मुह तो ले चुके है मेरा लण्ड बस तेरी गाण्ड बाकी है आहह उसे भी चोद लूँ एक बार तभी रुकेगा तेरा बेटा आह ह।

निर्मला;मैं भी तुझे रुकने नहीं दूंगी बेटा।

हर जगह लूँगी तेरा लंड।

खेत में।नदी में तो ले चुकी हूँ।

नहाते हुए

पेशाब करते हुए

किचन में

खाना खाते हुए

हर जगह मुझे चोदना मेरी बेटी की चूत चाटते हुए भी चोदना। मेरी बहु के सामने नंगी करके चोदना मुझे बेटा।

कल्लू;हाँ माँ मैं चोदुंगा तुझे अपनी बहन गुड़िया की चूत पर झुका कर।



जब मेरी शादी होगी तो तेरी बहु के सामने भी तुझे चोदुँगा तुझे आहः ले साली।

दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है और लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए कल्लू अपना सारा पानी अपनी माँ निर्मला के चूत में निकालने लगता है

उसके साथ साथ निर्मला भी झड़ते चली जाती है।

दोनो एक दूसरे को चुमते हुए अपने साँसें धीमी करने लगते है।

कुछ देर बाद फिर से निर्मला कल्लू के लण्ड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी। दोबारा उसे अपने अंदर लेने की चाह उसे बेचैन कर रही थी।



कल्लू;अपने पास में पड़ी हुए तेल की बोतल उठा लेता है और उसे अपने लण्ड पर उंडेल कर लंड चिकना कर देता है।निर्मला को समझते हुए देर नहीं लगती की कल्लू ऐसा क्यूँ कर रहा है।फिर वह तेल को निर्मला के गांड के छेद पर भी खूब प्यार से लगाता है और साथ ही साथ उसमे अपनी ऊँगली भी पेलता रहता है।



लण्ड और गांड पर तेल लगाने के बाद कल्लू निर्मला को एक कुतिया के पोज में कर देता है।

बडी सी चमकती हुए गाण्ड कल्लू के सामने आ जाती है। इस गाण्ड को तो देख देख कितने बार कल्लू अपने लंड को खड़ा करके गुड़िया और चाची की चूत में घुसाया करता था।और आज यही गाण्ड कल्लू के सामने झुकी हुई थी।

कल्लू;एक थप्पड निर्मला के गाण्ड पर जड़ देता है।

निर्मला:आह। क्या करते हो माँ हूँ मै तुम्हारी।



देवा;उसे सहलाते हुए।रांड भी तो है।

इतने सालों से तडपा जो रही है इस गांड के लिए। एक गाण्ड पर थपड क्या मारा चीख पड़ी साली रंडी।

निर्मला;आहह दर्द होता है ना।

कल्लू ;असली दर्द अब होंगा मेरी जान को।

कल्लू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे निर्मला के गाण्ड के सुराख़ पर घिसता है। निर्मला अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा और वही होता है कल्लू के लंड का सुपाडा निर्मला की कुँवारी गाण्ड में अटक जाता है।

निर्मला ;आहह गया क्क्या.........



वह पीछे मुड़ कर देखती है।

सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और निर्मला की आँखों में ऑंसू आ गये थे। कल्लू उसे पूरी तरह सीधा कर देता है और निर्मला अपने कमर को ऊपर के तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।

कल्लू;दोनों हाथों में अपनी माँ के काँधे को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ निर्मला के गांड में उतारता चला जाता है।

निर्मला अपनी चीखें छूपाने के लिए पेंटी अपने मुह में ठूँस लेती है। मगर गुं गुं हूं की आवाज़ें फिर भी उसके मुह से निकल रही थी

कल्लू;तब तक नहीं रुकता जब तक पूरा का पूरा लंड गाण्ड में नहीं चला जाता। जब कल्लू लण्ड को खिचता है तो थोड़ा सा खून भी उसके लंड से लग जाता है।

जो निर्मला के गाण्ड से निकल रहा था।

कल्लू ;तुझे दर्द हो रहा था तो मुझे रुकने के लिए बोली क्यूँ नही माँ।

निर्मला;मुड कर कल्लू के आँखों में देखने लगती है।

बहुत तड़पाया हैं मैंने तुझे ।जो तड़प का दर्द तूने सहा है मेरी वजह से उस दर्द के सामने ये दर्द तो कुछ भी नहीं है। रुक मत खोल दे आज अपने माँ के हर सुराख़ को।

और कल्लू अपने माँ की आज्ञा का पालन करते हुए तेल से सना हुवा लंड गप की आवाज़ के साथ अपनी माँ निर्मला की गांड में उतार देता है।

निर्मला ;आह बेटे आह। और ज़ोर से।जालिम और ज़ुल्म कर अपने माँ पर ।तेरा हर ज़ुल्म सहना चाहती हूँ मै आज से हर दिन हर रात हर सुबह हर घडी ही चोद मुझे आह।

कल्लू;गप गप अपनी माँ की गाण्ड मारने लगता है

हलांकी दोनों को दर्द भी हो रहा था मगर वो मोहब्बत ही क्या जिस में दर्द न हो। सच्ची मोहब्बत में दर्द भी होता है और उस दर्द का मजा भी खूब होता है।

कल्लू अब अपनी पूरी ताकत से निर्मला की गांड मारने लगता है।वह गांड में लंड पेलने के साथ ही कभी कभी निर्मला के गांड पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे निर्मला के गोरे गोरे चूतड़ लाल हो गए थे।1 घंटे तक जबरदस्त धक्को के साथ चुदाई के बाद कल्लू अपना पूरा माल अपनी माँ की गांड में ही भर देता है।इतनी देर में निर्मला 2 बार झड़ चुकी थी।

दोनों कुछ देर शांत हो जाते है।फिर कल्लू अपनी माँ की गांड को साफ करता है।और अपनी माँ की चूत और चूचों से खेलने लगता है।जिससे कुछ ही देर बाद उसका लंड खड़ा होने लगता है जिसे वह निर्मला को चूसने का इशारा करता है।जिसे निर्मला अपने मुँह में ले लेती है।

पाँच मिनट चूसने पर ही कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।



अब कल्लू अपनी माँ की चूत पर झुक जाता है।

कल्लू अपनी मा की चूत की फांको को दोनो हाथो से फैलाकर उसकी चूत के दाने से रिस्ते पानी को अपनी जीभ से दबा-दबा कर जैसे-जैसे चूस्ता है निर्मला उह आ ओ बेटे करने लगती है,कल्लू उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और फिर अपनी मा की पूरी चूत को सूंघते हुए अपनी जीभ चूत के छेद मे भर-भर कर उसका रस चूसने लगता है।





निर्मला अपने हाथो से अपनी चूत को और फैला देती है और कल्लू बड़े आराम से अपनी मा की चूत को चूस्ते हुए अपनी मा की गुदाज गान्ड को दबाता हुआ उसके छेद मे उंगली डाल-डाल कर सहलाता रहता है





कल्लू अपनी मा की चूत चूस-चूस कर उसे लाल कर देता है और निर्मला की टाँगे काँपने लगती है वह सीधे ज़मीन पर लेट जाती है और कल्लू को अपने उपर खीच लेती है।



कल्लू अब ज़रा भी देर नही करता है और अपनी मा की मोटी जाँघो को फैला कर जब अपनी मा की फूली हुई गुदाज चूत देखता है तो पागल हो जाता है और अपनी माँ की चूत की फांको को खूब फैला-फैला कर चाटना शुरू कर देता है, निर्मला अपनी मोटी गान्ड उचका-उचका कर अपने बेटे का मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है।





कल्लू अपने मुँह मे अपनी मा की चूत पूरी भर कर खूब कस-कस कर चूसने लगता है और निर्मला अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ते हुए पानी छोड देती है, कल्लू सारा पानी चाटने के बाद अपनी मा की चूत को उपर अच्छे से उभार कर अपना मोटा लंड अपनी मा की चूत के छेद मे लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका लंड उसकी मा की चूत मे पूरा एक ही बार मे समा जाता है।

कल्लू अपनी माँ के उपर चढ़ कर उसके दूध दबोचते हुए उसकी चूत को कस-कस कर चोदने लगता है, निर्मला आह बेटे आह करती हुई नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपने बेटे के मोटे लंड पर मारने लगती है, कल्लू अपनी माँ पर चढ़ कर खूब कस-कस कर उसकी चूत कूटना शुरू कर देता है निर्मला अपनी दोनो टाँगो को उठाए अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड खूब कस-कस कर लेने लगती है।



थोड़ी देर बाद कल्लू अपनी मा को घोड़ी बना देता है और जब उसकी मोटी गान्ड को देखता है तो सीधे अपना मुँह अपनी मा की गान्ड से लगा कर चाटने लगता है वह कभी अपनी मा की गान्ड को चाट्ता है और कभी थोड़ा नीचे मुँह लेजा कर उसकी फूली हुई चूत के छेद को पीने लगता है।



निर्मला अपने बेटे द्वारा इस तरह अपनी गान्ड और चूत चाटने से मस्त हो जाती है तभी कल्लू अपना लंड पकड़ कर अपनी मा की चूत मे पीछे से कस कर पेल देता है और निर्मला आह हाय बेटे बड़ा मस्त लंड है तेरा चोद और चोद अपनी मा को खूब कस-कस कर चोद आज फाड़ दे अपनी मा की मस्तानी चूत को खूब तेज ठोकर मार अपने लंड की फाड़ दे बेटे फाड़ दे अपनी मा की चूत को आह आह आहह।



कल्लू अपनी मा की चूत मार-मार कर मस्त लाल कर देता है और फिर कल्लू अपने लंड को बाहर निकाल कर बड़े प्यार से अपनी मा की चूत को चाटने लगता है वह निर्मला को पूरी तरह मुँह के बल ज़मीन से सटा कर उसकी गुदाज मोटी गान्ड को उपर उठा कर अपनी मा की गान्ड के छेद मे थूक लगा-लगा कर पहले अपनी एक उंगली डाल कर चूत चाटने लगता है





फिर कल्लू अपनी दो उंगलिया अपनी मा की गान्ड मे डाल कर उसकी चूत के गुलाबी और रसीले छेद को चूसने लगता है।



निर्मला मस्ती मे झुकी हुई अपने भारी चूतड़ मटकाती रहती है और सीसियती रहती है।

तभी कल्लू पास मे रखी तेल की शीशी से तेल डाल कर अपनी मा की गुदा मे उंगली से अंदर तक ठुसने लगता है वह अपनी मा की गान्ड के छेद को अपनी उंगलियो से तेल लगा-लगा कर खूब चिकना कर देता है



फिर कल्लू अपने मोटे लंड को पूरा तेल मे भिगो कर अपने लंड के टोपे को अपनी मा की तेल मे सनी हुई गुदा से सटा कर अपनी मा के चुतड़ों को अपने हाथो मे कस कर थाम लेता है और फिर कचकचा कर एक तगड़ा धक्का अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका आधे से ज़्यादा लंड फिसलता हुआ उसकी माँ की गान्ड मे समा जाता है।

निर्मला अपने बेटे के द्वारा ऐसा तगड़ा धक्का अपनी गान्ड मे खाने के बाद एक दम से हाय मर गई रे आह कल्लू बहुत मोटा लंड है बेटे तेरा आह आह आ।

कल्लू अपनी मा की बात सुन कर अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर एक जबरदस्त शॉट अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका पूरा लंड उसकी मा की गान्ड मे उतर जाता है और निर्मला का बदन ऐंठ जाता है, अब कल्लू धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी मा की गान्ड मे आगे पीछे करने लगता है, धीरे-धीरे निर्मला भी अपने चुतड़ों को पीछे की ओर धकेलने लगती है, आह बेटे आह कल्लू बहुत अच्छा लग रहा है।



कल्लू अब अपने लंड की रफ़्तार को थोडा बढ़ा कर सटासट अपनी मा की गान्ड मे अपने मोटे लंड को पेलने लगता है, कल्लू अपनी मा की मोटी-मोटी जाँघो को सहलाते हुए उसकी गान्ड को खूब कस-कस कर ठोकने लगता है।कल्लू इतनी जोर से अपनी माँ निर्मला की गांड मारने लगता है की वह मूतने लगती है।जिसे देखकर कल्लू और उतेजित हो जाता है और अपनी माँ की कसी गांड को फाड़ने लगता है।निर्मला मज़े से सिसियति रहती है।



अब कल्लू अपने पैरो के पंजो के बल बैठ कर अपनी मा निर्मला की गान्ड की मस्त ठुकाई चालू कर देता है और निर्मला आह आ करती हुई कल्लू का लंड अपनी गान्ड मे लेने लगती है।



जब निर्मला से रहा नही जाता है तो वह एक दम से ज़मीन पर पसर जाती है कल्लू सीधे अपनी मा की गान्ड पर लेट जाता है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी मा की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता है और फिर से अपनी मा की गान्ड मे अपने लंड को खूब गहराई तक पेलने लगता है, कल्लू लगभग आधे घंटे तक अपनी मा की मोटी गान्ड मार-मार कर लाल कर देता है और फिर उसका पानी उसकी मा की मोटी गान्ड मे छूट जाता है।



निर्मला उठ कर कल्लू के लंड को किसी कुतिया की भाँति सूंघते हुए चूसने लगती है और कल्लू अपनी मा को पूरी नंगी करके उसके मोटे-मोटे दूध उसके गुदाज पेट और उसकी चूत मे खूब सारा तेल लगा कर उसे खूब चिकनी कर देता है उसके बाद कल्लू निर्मला को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूत मे अपना लंड फिर से पेल देता है और अपनी मा के होंठो को पीते हुए उसके दूध दबा-दबा कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगता है।



निर्मला अपने पेरो को हवा मे उठा कर मोड़ लेती है और कल्लू के लंड को अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है, कल्लू अपनी मा की गान्ड के नीचे हाथ डाल कर उसके भारी चुतड़ों को अपने हाथो मे भर कर ज़ोर से दबोचते हुए अपनी मा की चूत मे सटासट लंड डाल-डाल कर ठोकने लगता है, कल्लू निर्मला की चूत ठोक-ठोक के पूरी सूजा देता है और मस्त लाल चूत को चोद्ते हुए अपना पानी अपनी मा की चूत मे भर देता है।



निर्मला की चूत अपने बेटे के तगड़े लंड को पाकर मस्त हो जाती है, उस दिन पूरा दिन कल्लू अपनी माँ निर्मला को तरह-तरह के आसनो मे खूब कस कर चोद्ता है उसके बाद शाम को कल्लू अपनी माँ के साथ अपने घर वापस आता है।

रात को गुड़िया सहेली के बर्थडे में थोडा लेट से आती है।वह दिनभर के भागदौड़ में थक गई थी।इसलिए अपनी माँ के पास सो जाती है।कल्लू भी दिनभर अपनी माँ की चुदाई करके थका हुवा था।वह भी जल्दी ही सो जाता है।



सुबह बाबा बताते है की वह गुड़िया की माँ के साथ शहर जा रहे है।कुछ बैंक का काम था।वह कल्लू से बोलते है की गुड़िया के साथ खेतों में चले जाना।हमलोग शाम तक आएंगे।

कल्लू गुड़िया की तरफ देखकर मुस्कुराता है की आज दिनभर खेतों में मज़ा आएगा।गुड़िया भी अपनी चूत सहला कर इशारा करती है।



जब बाबा और माँ शहर चले जाते है तो कल्लू गुड़िया को बाँहों में भर लेता है और उसके रसीलें होठों को चूसने चाटने लगता है।फिर गुड़िया के कोमल हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख देता है जिसे गुड़िया सहलाने लगती है।और अपने भइया के मुह में अपनी जीभ डाल देती है।

कल्लू:गुड़िया चल जल्दी से खेतों में आज तुझे खेतों में पूरी नंगी करके चोदने का मन कर रहा है।कितना मज़ा आएगा जब तू खेतो में पूरी नंगी होगी और मैं तुझे अपने लंड पर चढ़ा लूंगा।

गुड़िया :चलो भइया।मैं क्या पहन लूँ।



कल्लू:अपनी टॉप और स्कर्ट पहन ले बिना ब्रा पेंटी के।और थोडा मेरा लौड़ा चूस दे अभी।मैं तेरी मस्त गांड देखते हुए खेतो तक चलूँगा।

गुड़िया अपने भइया का लंड धोती से निकालती है और जीभ से चाटने लगती है।कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।

कल्लू:अब चल मेरी जान।नहीं तो यही पेलना शुरू कर दूंगा।

दोनों खेतो की और चल देते है।रास्ते भर गुड़िया स्कर्ट हटा कर अपनी मोटी मोटी गाँड दिखाकर कल्लू को पागल बना देती है।कल्लू जब उसकी गांड में ऊँगली करना चाहता है तो भाग जाती है।

कल्लू मन ही मन :आज तो खेतो में नंगी करके कुतिया बना के तेरी गांड नहीं मारी तो मेरा नाम कल्लू नहीं।साली मेरे सामने गाँड मटकाती है।

फिर दोनों खेत में बनी झोपडी में जाते है।फिर गुड़िया खटिया के निचे बिस्तर लगा देती है।और दोनों बाते करने लगते है।



गुड़िया- ओके भइया. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।

कल्लू- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार रात में तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।

कल्लू की बातों से गुड़िया उत्तेज़ित होने लगी थी। वो कल्लू की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।

कल्लू- आह गुड़िया तुम्हारे हाथ भी बहुत मुलायम हैं.. लंड पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।

गुड़िया कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए तैयार हो गई थी।

कल्लू- आह..गुड़िया उफ़.. तेरे ये रसीले होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..

गुड़िया- भइया आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शरीफ बनके जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा चुदाई में है.. वो पढाई में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा बदन जलने लगा है।

गुड़िया सीधी होकर बाँहें फैलाए खटिया के निचे लेट गई..कल्लू समझ गया कि अब उसको क्या करना है।कल्लू ने गुड़िया का टॉप निकाल दिया।गुड़िया टॉप ने निचे कुछ नहीं पहनी थी।उसके ठोस चुचिया तनी हुई थी।कल्लू उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।

कल्लू अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।

गुड़िया- आह.. भइया उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..काट डालो इन निप्पलों को बहुत परेसान करते है।

दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। कल्लू का लौड़ा टपकने लगा।

गुड़िया- आह.. भइया.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जल रही है . आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. इसकी मालिश कर दो न..

कल्लू- अभी लो मेरी गुड़िया रानी..अभी तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भइया के लंड को..

कल्लू ने गुड़िया के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। फिर कल्लू ने गुड़िया का स्कर्ट भी उतार दिया अब गुड़िया पूरी नंगी थी।गुड़िया बिना पेंटी पहने ही घर से आई थी।गुड़िया की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।

गुड़िया- सस्सस्स आह.. भाई.. अब रहा नहीं जा रहा है आह.. प्यार से चाटना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..

कल्लू- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी बुर की चुदाई करूँगा..



कल्लू अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे गुड़िया की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।

गुड़िया- आह.. उहह.. भइया मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।

कल्लू अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. गुड़िया की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।

गुड़िया- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह..पेल दो अपने मोटे लौड़ें को मेरी रसीली चूत में आह. आह…



कल्लू भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।

गुड़िया- आह.. पेलो मेरे राजा भइया.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..।

कल्लू ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और गुड़िया की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और गुड़िया के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।



गुड़िया- आह..भइया अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी निगोड़ी चूत की सारी गर्मी निकाल दो आह..

कल्लू जोर जोर से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। गुड़िया भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई..दोनों का तापमान बढ़ने लगा।

खच..चच . फच..फच.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें झोपडी में गूंजने लगीं।

गुड़िया- आह पेलो भइया. चोद डालो अपनी छोटी बहन को अपनी गुड़िया को।. आह.. आईईइ।



कल्लू- ले गुड़िया.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह भोसड़ा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..दिन भर आज खेतो में दौड़ा दौड़ा के पेलूँगा तुझे।



दस मिनट तक कल्लू पूरी ताकत से गुड़िया को चोदता रहा। अब कल्लू तो पक्का चोदू बन चूका था।अब कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और अनुभव बढ़ गया था। मगर गुड़िया की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।

गुड़िया- आई आई.. आह.. भाई और जोर से पेलो.मैं झड़ने वाली हूँ। आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..।



कल्लू ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। गुड़िया का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।

गुड़िया अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। कल्लू ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और गुड़िया के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।

गुड़िया समझ गई कि कल्लू उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।

कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद कल्लू ने आसान बदल दिया। वो घुटनों के बल झोपडी में खड़ा हो गया.. जिसे देख कर गुड़िया मुस्कुराई।

गुड़िया- क्या हुआ भइया.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?

कल्लू- मेरी जान लंड को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।

गुड़िया हँसती हुई अपने भइया के मोटे लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।

कल्लू- आह्ह.. आह्ह.. बस गुड़िया.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह।

गुड़िया घुटनों के बल अच्छी तरह पैर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. कल्लू। को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम मस्त घोड़ी बनी है।

कल्लू- वाह.. मेरी गुड़िया क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी रसीली चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।

कल्लू ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

गुड़िया- आईईइ.. भइया आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. जितनी बार चाहो चोद लेना..

कल्लू- अरे मेरी प्यारी गुड़िया. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब आराम से करूँगा।



कल्लू अब गुड़िया की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ गुड़िया की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो गुड़िया की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।

थोड़ी देर की मस्ती के बाद गुड़िया फिर से गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर कल्लू के मज़े को दुगुना बनाने लगी।

गुड़िया- आह.. आह.. पेलो भाई.. आह्ह.. आज के दिन हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. जोर से पेलो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।



कल्लू अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। चूत की गर्मी से पिघल कर आख़िर कर कल्लू के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर गुड़िया की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।



अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. गुड़िया की कमर में दर्द होने लगा था। जैसे ही कल्लू ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। कल्लू भी उसके पास ही लेट गया।

गुड़िया- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।





कल्लू- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।

गुड़िया- मज़ा ही तो ले रही हूँ..आज तो चुदवाने ने बहुत मज़ा आया। मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?



कल्लू- गुड़िया सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.

गुड़िया-नहीं भइया.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या..अभी का मेरा हो गया.. अब बाद में देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..



कल्लू- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ गुड़िया तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..

गुड़िया- नो नो भाई.बहुत दर्द होगा।तुमने पहले बताया नहीं ।नहीं तो मैं तेल लेकर आती।

कल्लू-अरे गुड़िया।मेरे पास सारा इंतज़ाम है।मैंने तेल की शीशी भी रखी है।

गुड़िया-ठीक है भइया ।गांड बाद में मार लेना।कल्लू- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..।

गुड़िया- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भोसड़ा बना के दम लोगे.. ठीक है भइया.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..

कल्लू- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..





गुड़िया ऐसे ही हॉस्टल की बातें करने लगी और कल्लू बस उसको सुनता रहा। आधे घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद कल्लू का मन दोबारा चुदाई का हो गया।

कल्लू धीरे-धीरे गुड़िया के जिस्म को सहलाने लगा।उसके रसीले होंठो को चूसने लगा। ऐसी कच्ची कली को जल्दी ही उसने फिर से गरम कर दिया..।



इस बार वो सीधा लेट गया और गुड़िया को ऊपर लेटा कर नीचे से अपना लंड गुड़िया की रसीली चूत में फंसाकर एक झटका दिया, लंड कच से घुसता चला गया।गुड़िया भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।

इस बार गुड़िया कल्लू को चोद रही थी।

लंबी चुदाई के बाद दोनों झर गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।





कुछ देर बाद कल्लू का लंड खड़ा हो जाता है।वह गुड़िया की गांड पर रगड़ने लगता है।

गुड़िया- अरे भइया, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।

कल्लू- अरे इसको पता है.. आज मुलायम कुँवारी गाण्ड का मज़ा मिलने वाला है।

गुड़िया- हाँ मिलेगा.. लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे रसीले होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर ये मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद लास्ट में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे इतनी आसानी से नहीं.कुँवारी गांड नहीं मिलेगी।

कल्लू- अरे यार ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..

गुड़िया- नही भैया। आपने तो लगता है पॉवर वाली गोली खा रखी है… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. और साथ में मेरी गांड के छेद को आयल लगाकर चिकना भी कर दो।फिर आराम से गाँड मारते रहना।



कल्लू ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद दोनों चूमा-चाटी में लग गए। दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।कुछ देर बाद गुड़िया ने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी प्यास!

कल्लू ने गुड़िया के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।

गुड़िया- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..

कल्लू- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..

गुड़िया- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया..पेलो जोर जोर से.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.... आह्ह.. आइ..।

कल्लू और स्पीड से पेलने लगा.. गुड़िया से ऐसे तगड़े झटके बर्दास्त नहीं हुए वो झड़ने के करीब आ गई।

गुड़िया- आह्ह.. भाई तेज.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. गई.. आह्ह.. आइ आइ..

गुड़िया कमर हिलाकर झड़ने लगी उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो ‘घपा-घाप’ लौड़ा पेल रहा था।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ़फ्फ़..

कल्लू ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो गुड़िया तड़प सी गई..- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भइया.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..

कल्लू- तेरा तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..

गुड़िया- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?

कल्लू ने गुड़िया के मुँह पर लौड़ा लगा दिया और हाथ से उसके बाल पकड़ कर लौड़ा उसके गालों पर घुमाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..

कल्लू- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..

गुड़िया- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..

कल्लू- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..

गुड़िया- प्लीज भइया.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..

कल्लू खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक गुड़िया भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त कुतिया बन गई थी.. उसको देख के कल्लू खुश हो गया।



कल्लू- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद गांड की छेद पूरी खोल दूँगा..

इतना कहकर कल्लू खटिया के निचे लगे बिस्तर पर आ गया और कुतिया बनी गुड़िया की गाण्ड को सहलाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।

कल्लू ने आयिल गुड़िया की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।



कल्लू उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो गुड़िया को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।

कल्लू बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और गुड़िया बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।

कल्लू- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तूम खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.तूम जानती नहीं गांड मराने में चूत से भी ज्यादा मज़ा आता है।

गुड़िया- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी छोटी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..

कल्लू ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।

कल्लू- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी प्यारी सी छोटी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।

कल्लू ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।

उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो कल्लू ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा का टोपा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर गुड़िया की गाण्ड में होने लगी।

गुड़िया- ऐइ.. आईईइ.. आह… भइया.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..

कल्लू- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।

गुड़िया- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत पेल देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..

कल्लू हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे कल्लू बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर गुड़िया की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।

कुछ देर तक कल्लू धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो भइया आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भइया सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..



कल्लू अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं तो उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद कल्लू ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।

गुड़िया-आह.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?

कल्लू- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..

गुड़िया- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।

कल्लू- सबर कर मेरी गुड़िया.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..

इतना कहकर कल्लू ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद गुड़िया की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

तेल की बोतल साइड में रख कर कल्लू ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, गुड़िया मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।

तभी कल्लू ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ गुड़िया बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ कल्लू भी उसके ऊपर गिर गया।

पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो गुड़िया के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

कल्लू को भी ये अहसास हो गया कि गुड़िया को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।

कल्लू कुछ देर वैसे ही गुड़िया के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।

गुड़िया- आ आह्ह.. भइया.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..

कल्लू अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..

कल्लू- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दे.. उसके बाद मज़े ही मज़े..

गुड़िया- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..

कल्लू अब स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा। वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा।

अब गुड़िया को दर्द भी कम महसूस हो रहा था। वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत रस टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है आह्ह.. जोर जोर से मेरी गांड मारो आह्ह.. फास्ट..

गुड़िया को अब मज़ा आने लगा था। वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से पूरी घोड़ी बन गई थी और कल्लू अब उसके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद कल्लू ने गुड़िया की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उसको बड़ा सुकून मिला।

गुड़िया की गाण्ड को भर कर ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर निकाला और कल्लू बिस्तर पर लेट कर लंबी साँसें लेने लग गया।

गुड़िया की गाण्ड से वीर्य टपक कर बाहर आने लगा.. वो भी कल्लू के बराबर में लेट गई।

गुड़िया- क्या भाई.. आज तो आपने हद ही कर दी.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. कितनी ज़ोर से गाँड में लौड़ा घुसाया.. मेरी जान निकाल दी आपने।

कल्लू- अरे यार वो ग़लती से हो गया था.. नहीं मैं तो प्यार से ही कर रहा था। वैसे तेरी गाण्ड बहुत टाइट है.. मज़ा आ गया आज तो..

गुड़िया- आपको तो मज़ा आ गया.. मेरी तो हालत खराब हो गई ना.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे गाण्ड में लौड़ा घुसा हुआ है.. और दर्द भी बहुत हो रहा है। देखो बिस्तर पर ठीक से गाण्ड टिक भी नहीं रही.. इसी लिए करवट लेकर लेटी हुई हूँ।

कल्लू- हा हा हा.. मेरी प्यारी गुड़िया. पहली बार में ऐसा होता है.. अब रोज मरवाओगी.. तो आदत पड़ जाएगी.. उसके बाद दर्द नहीं मज़ा मिलेगा।

गुड़िया- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब जल्दी से उठो.. मेरी चूत में खुजली हो रही है.. इसमें डालो अब अपना मोटा लौड़ा..

कल्लू- थोड़ा दम लेने दे मेरी जान.... अभी 5 मिनट में लौड़ा खड़ा हो जाएगा। उसके बाद ना कहना कि बस करो मैं थक गई हूँ.. तेरी चूत की प्यास मिटा कर दोबारा गाण्ड मारूँगा तेरी..

गुड़िया- हाँ मार लेना.. मगर रस मेरी चूत में ही डालना.. बड़ा सुकून मिलता है.. जब चूत में गर्म रस अन्दर जाता है।

कल्लू- अब तेरा सूसू नहीं आ रहा क्या.. गाण्ड मारने के वक्त तो बहुत चिल्ला रही थी तू?

गुड़िया- उस वक्त आया था.. अब नहीं आ रहा है।

कल्लू- जाओ कर लो.. नहीं लौड़ा अन्दर जाएगा तो दोबारा बोलोगी.. तब तक मैं थोड़ा रेस्ट कर लूँ।

गुड़िया- हाँ सही कहा आपने.. चुदाई के वक्त फिर से आ गया तो हमारा मज़ा खराब हो जाएगा।

गुड़िया जब उठी तो उसको गाण्ड में दर्द महसूस हुआ.. वो जब चलने लगी तो उसकी चाल बदल गई दर्द की वजह से.. वो कूल्हे उठा कर चल रही थी। गुड़िया गाण्ड को मटकाती हुई सीधी झोपडी के पीछे की तरफ़ चली गई।

कल्लू आराम से लेटा हुआ था तभी उसके दिमाग़ में कोई बात आई और वो उठकर सीधा झोपडी के पीछे की तरफ़ भागा तो देखा गुड़िया पेशाब करने बैठी ही थी कि कल्लू को देख कर खड़ी हो गई और चौंकती हुई बोली- ओह्ह.. भइया. ये क्या है मैं तो डर गई.. आप ऐसे अचानक आ गए?

कल्लू- अच्छा हुआ तूने सूसू नहीं किया.. मेरा भी सूसू आया है चल दोनों साथ में करेंगे.. मज़ा आएगा..

गुड़िया- हा हा हा भाई.. कुछ भी सूसू साथ में करने में क्या मज़ा?

कल्लू- तू देख तो सही.. मैं क्या करता हूँ.. मज़ा ना आए तो कहना..

गुड़िया- जो करना है जल्दी करो.. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा.. बड़े ज़ोर का सूसू आया है।

कल्लू निचे बैठ गया और गुड़िया को करीब खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा कर उसके मम्मों को चूसने लगा। उसका लौड़ा एकदम कड़क हो गया.. तो उसने गुड़िया की चूत पर लौड़ा टिका दिया और हल्का सा अन्दर पेल दिया।

गुड़िया- आह्ह.. भाई क्या कर रहे हो.. पहले सूसू तो करने दो.. आप बाद में आराम से चोद लेना।

कल्लू- मेरी जान.. मैं चोद नहीं रहा हूँ.. अब तू ज़ोर लगा के सूसू कर.. देख कितना मज़ा आता है..

गुड़िया को बात समझ आ गई.. तो वो मुस्कुराने लगी और अपने भइया के गले में हाथ डालकर एक किस कर दिया।

कल्लू- अब सूसू करो.. मैं धीरे-धीरे तुम्हारी चूत में लौड़ा डालूँगा.. बहुत मज़ा आएगा।

गुड़िया ने सूसू करना शुरू कर दिया उसकी चूत से सीटी की आवाज़ निकलने लगी.. उसकी गर्म-गर्म सूसू कल्लू की जाँघों पर लगी.. तो उसको बहुत मज़ा आया और उसी पल कल्लू ने भी सूसू की धार गुड़िया की चूत में मार दी। गुड़िया एकदम से चिहुँक सी गई.. उसको चूत में अजीब सा अहसास होने लगा।

जब दोनों सूसू कर चुके तो एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।

गुड़िया- हा हा हा भाई आपकी सूसू कितना गर्म थी.. मेरी चूत की सिकाई हो गई.. थोड़ा सा गाण्ड में भी कर देते तो मज़ा आ जाता।

कल्लू- तेरी चूत से कौन सी कोल्ड ड्रिंक बाहर आई है.. वो भी गर्म ही थी और तेरी गाण्ड वाली इच्छा भी दोबारा में पूरी कर दूँगा।

गुड़िया- भइया आपकी पूरी जाँघें और पेट सूसू से सन गया है.. पहले नहा लें.. उसके बाद झोपडी में जाएँगे.. नहीं तो पूरा बिस्तर खराब हो जाएगा और बदबू भी आएगी..

कल्लू- ठीक है मेरी जान.. लेकिन ऐसा मत कहो कि बदबू आएगी.. ये तो अमृत है.. मेरा तो दिल करता है तेरी चूत से निकला इसका एक-एक कतरा पी जाऊँ।

गुड़िया- छी: छी: कितने गंदे हो आप.. सूसू पीने की बात कर रहे हो..

कल्लू- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान।

गुड़िया- अच्छा अब बातें बंद..।पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओ भइया।

कल्लू:ठीक है गुड़िया।लेकिन एक शर्त पर मैं जैसे जैसे कहूँगा।तुम करोगी।देखता हु इस चुदाई में तुम जीतती हो या मैं।

कल्लू:गुड़िया आ थोडा मेरा लंड चूस दे मैं तुझे गोद में उठाकर चोदना चाहता हूँ।

गुड़िया कल्लू के आगे बैठ जाती है और उसके लंड को पहले जीभ से चाटने लगती है।फिर वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगती है।

कल्लू:गुड़िया अब तो तू लंड चूसने में पूरी एक्सपर्ट हो गई है।आ मेरी गोद में और अपनी चूत मेरे लंड पर रखकर बैठ जा।गुड़िया अपने भैया की गोद में चढ़कर अपने कोमल हाँथो से कल्लू भइया के लंड को अपनी रसीली चूत में सेट करती है और उसपर बैठ जाती है।कल्लू का लंड गुड़िया की गीली चूत में जड़ तक घुस जाता है।

अब कल्लू गुड़िया को गोद में उठाकर खेत में घुमा घुमा कर चोदने लगता है।कुछ ही देर की चुदाई में गुड़िया पूरा गरम हो जाती है और गोद में ही अपने भइया के लंड पर कूदने लगती है।

फिर कुछ देर बाद कल्लू गुड़िया को गोद से उतारकर कुतिया बना देता है।पीछे से अपना मोटा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में पेल देता है।फिर वह गुड़िया के दोनों पैर को ऊपर उठा देता है और गुड़िया को हाथों के बल आगे चलने को कहता है।गुड़िया कुतिया बनी अपने दोनों हाथों के बल आगे चलने लगती है।और कल्लू पीछे से अपना लंड पेलता जाता है।

अब गुड़िया को पुरे खेत में कुतिया बना कर दौड़ा दौड़ा के पेलता है।आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद गुड़िया झर जातो है तब कल्लू अपना लंड गुड़िया की चूत से निकालकर उसे सामने बिठा देता है और पूरा वीर्य गुड़िया के पुरे शरीर पर गिरा देता है।गुड़िया का बदन कल्लू के वीर्य से भीग जाता है।

गुड़िया:भइया देखो तुमने मुझे पूरा गन्दा कर दिया।चलो अब नदी में नहाकर आते है।मेरा पूरा बदन गन्दा हो गया है।

कल्लू:ठीक है गुड़िया चलो।लेकिन पहने कपडे तो पहन लो।गुड़िया अपना टॉप और स्कर्ट पहन लेती है और दोनों नदी के तरफ चल देते है।

गुड़िया:अरे भइया मई तो भूल ही गई थी की जब तुम माँ को तैरना सिखाने लाये थे तो क्या क्या किया।माँ के मोटे मोटे गांड का मज़ा लिया की नहीं।

कल्लू:अरे गुड़िया ।बहुत मज़ा आया माँ के साथ।जब माँ को नंगा करके तैरना सीखा रहा था।तो गहराई में जाने पर जब माँ मेरे लंड पर चढ़ गई थी तो मैंने धीरे से अपना लंड माँ की गदराई चूत में घुसा दिया था।फिर तो माँ इतनी गरम हो गई थी की मेरे गोद में चढ़कर एक घंटे तक अपनी चूत चुदवाती रही।

गुड़िया:सच भइया माँ बहुत चुद्दकड़ है।अब तो तुम्हारे मज़े ही मज़े है।जब मैं शहर चली जाउंगी तब माँ को खेतो में नंगा करके चोदते रहना।



कल्लू:हाँ मेरी गुड़िया।माँ की बात करके तूने फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया।चल अब नदी आ गई है।हमदोनो नंगे नहाते है।तू मेरी गोद में चढ़ जा।आज तुझे भी माँ की तरह चोद दूँ।

गुड़िया अपने कपडे उतार कर पूरी नंगी हो जाती है।कल्लू भी नंगा हो जाता है और गुड़िया को गोद में उठा लेता है।फिर अपना लंड गुड़िया की चूत में पेल देता है और दोनों गर्दन भर पानी में चले जाते है।कल्लू अपनी बहन के रसीले होठो को चाटने चूसने लगता है।और निचे से लंड को धीरे धीरे गुड़िया की चूत में पेलने लगता है।

गुड़िया भी अपने भइया के चेहरे को चाटने चूसने लगती है।अपने चूंचियों को अपने भैया को चुसाने लगती है।दोनों को कितना मज़ा आ रहा है।



आधा घंटा पानी में मस्ती करने के बाद दोनों की उत्तेजना बढ़ गई और वहीं कम पानी में लाकर कल्लू ने गुड़िया को हाथ के सहारे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लौड़ा घुसा दिया और स्पीड से चोदने लगता है।

गुड़िया- आ आह्ह..पेलो भइया.. आह्ह.. आह्ह.. जोर जोर से.. आइ.. आह्. आह्ह.. उई.. मजा आ रहा है।



गुड़िया की बातों से कल्लू को और जोश आ गया, वो उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर से चोदने लगा।

दस मिनट में गुड़िया की रसधार बह गई.. मगर कल्लू तो अभी बाकी था.. वो कहाँ रुकने वाला था। वो ‘दे दना दन’ चोदता रहा पेलता रहा।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई.. आह्ह.. चूत ही आ आह्ह.. मारते रहोगे क्या.. आ आह्ह.. दर्द होने लगा है.. अब तो गाण्ड भी खुल गई है.. तो उसमें पेल दो न..

कल्लू- हाँ मेरी रानी.. मन तो मेरा भी तेरी गाण्ड मारने का ही है.. मगर मैं तुम्हारे कहने का वेट कर रहा था।

इतना कहकर कल्लू ने लौड़ा चूत से निकाला और गुड़िया के गांड पर थूक लगा दिया और ‘ठप’ से पूरा लंड एक साथ गाण्ड में घुसा दिया।

गुड़िया- ऐइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई आराम से डालो ना.. आह्ह.. आज ही तो गाण्ड की ओपनिंग हुई है.. आह्ह..

कल्लू- क्या करूँ जान.. तुम्हारी टाइट गाण्ड को जल्दी से खोलना चाहता हूँ मैं ताकि फिर तुम्हें तकलीफ़ ना हो।

कल्लू स्पीड से गुड़िया की गाण्ड मारने लगा।

करीब 20 मिनट बाद गुड़िया दोबारा गर्म हो गई.. उसकी चूत फिर से रिसने लगी और कल्लू का लौड़ा भी अब आग उगलने को बेताब था.. तो उसने लौड़ा गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया।अब तो कल्लू कभी अपना लंड अपनी बहन की चूत में घुसाता तो कभी गाण्ड में घुसा के पेलने लगता।गुड़िया भी किसी रंडी की तरह गरम हो गई थी ।



वह भी अपनी गांड और चूत दोनों मस्ती में चुदवा रही थी कुतिया बनके।कल्लू ने तेज तेज धक्के मार मार के गुड़िया के गांड और चूत के छेद को पूरा फैला दिया था। जल्दी ही उसका लावा फूट गया.. उसके साथ साथ गुड़िया भी झड़ गई।



गुड़िया- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. मज़ा आ गया भाई.. आपके रस से चूत को सुकून मिलता है.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया।

कल्लू- उफ्फ.. मज़ा तो मुझे आ रहा है तेरी चूत और गाण्ड इतनी टाइट है कि क्या बताऊ हमेशा चोदने का दिल करता है।।

गुड़िया- हाँ भाई.. जितना चोदना हो.. चोद लेना।



कल्लू- हाँ सही कहा.. चल अब तेरी एक इच्छा और पूरी कर देता हूँ.. बड़े ज़ोर का सूसू आई है.. तेरी गाण्ड में गर्म सूसू करके तुझे मज़ा देता हूँ.. तू भी क्या याद करेगी अपने भाई को.. चल घोड़ी बन जा जल्दी से..

गुड़िया घोड़ी बन गई.. कल्लू का लौड़ा पूरा तो कड़क नहीं था.. मगर उसने दोनों हाथों से गुड़िया की गाण्ड को फैला कर लौड़े का सुपारा गाण्ड में फँसा दिया और ज़ोर लगा कर सूसू करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. कितना गर्म है.. मज़ा आ गया आह्ह..।



फिर दोनों एक दूसरे को नहलाते है।फिर दोनों शाम को घर आ जाते है।



अब कल्लू बहुत खुश था।उसकी बर्षो की इच्छा पूरी हो गई थी।उसके गाँव की नदी के कारण ही उसे उसकी माँ बहन और चाची की मस्त चूत और गांड मिली थी।



समाप्त समाप्त

समाप्त

समाप्त

समाप्त समाप्त

समाप्त
Ye Kaisa comment hai ?
 

Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
137,095
114,627
354
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

veerpal

I don't have dirty mind but have sexy imagination.
55
52
18
राकेश भाई और कोई स्टोरी
 

Pal bhai

Member
402
956
93
Nice
गीतिका घाघरे के अंदर पूरी नंगी थी जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, मै तो एक दम से मस्त हो गया और न जाने कहा से मेरे हांथो में इतनी ताकत आ गई की मैंने गीतिका को और ऊपर करते हुए उठा दिया और गीतिका की चुत वाला हिस्सा मेरे मुह के सामने आ गया।
मैने अपनी आँखे बंद कर ली और गीतिका की चुत को अपने मुह पर दबाने लगा, लेकिन घाघरे का अगला हिस्सा चुत को ढके हुए था और मै गीतिका की बुर को
सूँघने की कोशिश कर रहा था, और फिर अचानक मैंने अपने मुह को गीतिका की चुत के ऊपर दबाते हुए उसकी फुली चुत को घाघरे के ऊपर से ही पप्पी लेनी
शुरु कर दी, तभी गीतिका के मुह से आवाज निकली यस और मैंने जब ऊपर देखा तो उसके हाथ में आम आ चूका था।

गीतिका : भैया अब उतारो भी लेकिन आराम से मैंने गीतिका पर पकड़ ढिली की और वह धीरे धीरे निचे की तरफ फ़िसलने लगी, जब वह निचे फ़िसलने लगी तो पहले उसका नंगा पेट मेरे मुह के सामने आया और मैंने भरपूर उसके नंगे पेट पर अपने होठो को फेरा और फिर जब वह और निचे सरकी तो उसके मोटे मोटे दूध मेरे
मुह के सामने आ गये।

लेकिन मुझे यह ध्यान नहीं था की गीतिका जब और निचे सरकेगी तो मेरा खड़ा लंड उसकी चुत को रोक लेगा और जैसे ही गीतिका की चुत मेरे लंड के पास पहुची लंड से उसकी बुर घिस गई और मेरे डण्डे की वजह से शायद गीतिका की फाँके एक बार खुल कर बंद हो गई या फिर उसके भग्नाशे से मेरे लंड
का घर्षण हो गया और गीतिका के मुह से आह जैसे शब्द निकल पड़े और गीतिका अब जमीन पर खड़ी थी।

उसकी नजर मेरी नज़रो से बच कर मेरे खड़े लंड
पर जा रही थी जो धोती के अंदर से तम्बू बनाये खड़ा था और गीतिका के चेहरे पर मंद मंद मुस्कान फैल गई थी लेकिन उसका चेहरा कुछ लाल हो गया था और
सच कहु तो गीतिका मुझे बहुत चुदासी चुत नजर आ रही थी उसका चेहरा देख कर ही लग रहा था की उसकी बुर जरुर लंड के लिए पानी छोड़ रही होगी, फिर भी मै जानना चाहता था और ऊपर से वह अपनी चड्डी भी पहन कर नहीं आई थी मतलब उसके अंदर कुछ चल जरुर रहा था, गीतिका ने उस आम को चुसना शुरू कर दिया और मै उसके रसीले होठो को देखने लगा फिर जब उसने मेरी ओर नजरे उठा कर देखि तो उसकी नशीली आँखे ऐसी लग रही थी जैसे कह रही हो की भइया अपनी बहन की कुंवारी चुत में अपना मस्त लंड पेल दोगे क्यN
Nice story
 
Top