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Adultery मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी?

Umakant007

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मेरी आँखें खुलीं मैने मोबाइल मे देखा सुबह के सवा चार बज रहे थे, मुझे सुबह सवा नौ की फ्लाइट ले कर बॅंगलॉर जाना था.



मैने कॅब वाले को फोन लगाया ही था कि बगल में लेटी शिखा ने मेरी छाती पर सिर रखकर उसे अपने गालों से आहिस्ता आहिस्ता सहलाया|



मेरे ठंडे बदन पर उसके घने बालों गर्म हाथों और नर्म मुलायम गालों की छुअन का अहसास बड़ा ही मीठा था,



दूसरी ओर से फ़ोन रिसीव कर लिया गया था,



अचानक ही उस मीठे अहसास की जगह तेज जलन ने ले ली|



“उफ़” मैं दर्द से कराहा, और फ़ोन काट दिया



मेरी छाती के बाल शिखा की हीरे की अंगूठी में फँस कर टूट गये थे



“ही ही ही” शिखा मेरी इस हालत पर हंस पड़ी|



“सोई नहीं शिखा?” उसके माथे को लेते हुए ही प्यार से चूमते हुए पूछा”नींद नहीं आई रात में?”



“उन्हूँ”अंगड़ाई लेते हुए वह बोली और एकदम से मेरे उपर औंधी लेट गयी”तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो यह सोच कर पूरी रात जागती रही”फिर मेरी छाती को चूमते हुए धीरे से बोली”जाना ज़रूरी है?”



“काम है भई, जाना तो पड़ेगा, और २-३ दिन की तो बात है” मैने प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए बोला.



“यहा पर भी तो हम काम ही कर रहे हैं”वह शरारत से बोली और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया”



हाँ भई, तुम्हारा पति तो वहाँ कॉल सेंटर में काम कर रहा है और यहाँ तुम्हे मेरे साथ काम करना हैं, क्यों?” मैने उसको चिढ़ाते हुए कहा, और अगले ही पल उसने मुझे चिढ़ाने की सज़ा दे दी



“आईई...आहह उफ़” मेरे मुँह से चीख निकल गयी… उसने गुस्सा कर मेरे छाती के निप्पल्स पर जोरों से काट खाया”



छी...थू...थू” वह एकदम से उठी, नाइट लॅंप की रोशनी में मैं कुछ देख नही पाया, लेकिन वह बाथरूम की ओर लपकी.



“क्या हुआ?” मैने उठकर बनियान पहनते हुए कहा लेकिन अभी वह बाथरूम में ही थी.



मैं उठ कर वॉश बेसिन की ओर मुँह धोने गया और टॉवेल से मुँह पोंछ ही रहा था कि वह बाहर निकली.



“बाथरूम का नल खराब हो गया है बदलवा लेना” उसने अपने बाल ठीक करते कहा”पानी टपक रहा है”



“तुम ही कर दो न दिनभर में... मुझे तो कुछ देर में निकलना है” मैने मुँह पोंछते कहा



“अच्छा जी? मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी? जो तुम्हारे घर के सब काम करूँ” उसने पूछा



“नहीं तो मेरे बाथरूम के नल को बदलवाने कि तुम्हें क्या सुझि?” मैने भौंहें उचकाई



“मुझे क्या पड़ी है” उसने मुँह बिचका कर कहा



मैं उसकी इस अदा पर हंस पड़ा



“और तुम यह छाती में कड़वा पाउडर क्यों लगाते हो?” उसने गुस्सा होते हुए पूछा



“नहीं तो क्या चॉकलेट लगाऊ?” मैने शेविंग का झाग बनाते हुए कहा



“उस कड़वे पाउडर के गंदे टेस्ट से मुँह खराब हो गया मेरा”वह बुरा सा मुँह बनाते हुए मेरे बगल से गुज़री तो मैने पीछे से उसको अपनी बाँहों में भर लिया



“अभी आपके मुँह का टेस्ट ठीक कर देता हूँ मेडम”



“हटो मुझे चाय बनाने दो” वह कसमसाई



“पहले मुझे अपनी शिखा के मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो” मैं उसकी गर्दन को चाटते हुए बोला और हम दोनो एक बार फिर बिस्तर पर गये और एक दूसरे में फिर से खो गये.



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शिखा बेंद्रे
, अपने पति राजन बेंद्रे के साथ मेरे सामने वाले फ्लॅट में रहती थी, दोनो की शादी हुए 3 साल हो गये लेकिन कोई औलाद नहीं|



राजन एक कंपनी में काम करता था और टुरिंग जॉब होने की वजह से सफ़र करता|



शिखा एक हाउसवाइफ थी. दोनो अपर मिडिल क्लास मराठी कपल थे और गैर मराठी लोगों से ज़्यादा बात नहीं करते.



वह तो मैं तीन महीने पहले इनके सामने वाले फ्लॅट में शिफ्ट हुआ तो बात चीत शुरू हुई.







मुझे आज भी याद है वो दिन जब शिखा ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया था|

दोपहर के बारह बज रहे थे और मैं अभी सो कर उठा ही था, टूथ ब्रश हाथ में लिए हुए मैं टूथ पेस्ट लगा ही रहा था की घंटी बजी”अब कौन मरने आ गया इस वक्त”मैने सोचा और दरवाज़ा खोला|

जो सामने देखा तो हैरान रह गया. हरी रेशमी ट्रडीशनल नौ गज की पीली साड़ी पहने एक दम गोरी, पतली बौहों, बड़ी आँखों और लाल होंठों वाली सुंदर लड़की अपना पल्लू ठीक करते हुए सामने खड़ी थी.

“भाभी जी घर पर हैं?” उसने पूछा उसके होंठ एक दूसरे से जुदा हुए हुए और मैं एकटक उन्हें देखता रहा

“भाभी जी घर पर हैं?” उसने तेज आवाज़ में पूछा.

मेरा ध्यान टूटा”ओह... माफ़ कीजिएगा अपने कुछ कहा?”“मैने पूछा

भाभी जी घर पर हैं?” एक एक शब्द पर ज़ोर देती हुई शिखा ने झल्ला कर पूछा.

“जी नहीं, मैं शादीशुदा नहीं हूँ”मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैं अभी भी उसकी सुंदरता को एकटक अपनी आँखों से निहार रहा था, वाकई शिखा ऐसी खूबसूरत दिखती थी कि हर मर्द वैसी खूबसूरत बीवी पाने की दुआ करता हो.

“क्या? आर यू बॅचलर?” पीछे से एक तेज आवाज़ सुनाई दी मैने देखा तकरीबन पाँच फुट ८ इंच का साँवले से थोड़ा काला और दुबला आदमी बनियान और पायज़मा पहने सामने खड़ा था|

“जी साहब” मैने जवाब दिया

“हाउ इस दिस पॉसिब्ल? और सोसाइटी डोज़्न्ट अलौज़ बॅचलर टेनेंट” वह आदमी अपनी इंग्लीश झाड़ते हुए बोला

“आई बेग युवर पार्डन, आई एम नॉट ए टेनेंट आई एम ओनर” मैने कहा

“ओ आई सी...सॉरी आई फॉर मिस अंडरस्टॅंडिंग”वह झेंपते हुए बोला

मैने बुदबुदाते हुए कहा”यू शुड बी...”

“वॉट? डिड यू साइड सम्तिंग?” उसने चौंक कर पूछा

“साले के कान बड़े तेज हैं”मैने मन ही मन सोचा”आई जस्ट विस्पर्ड इट्स ओके”मैने मुस्कुराते कहा

“एनीवे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ... आई एम राजन बेंद्रे असोसीयेट वाइस प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” लेकिन वह अपनी बात पूरी न कर सका,

उसकी पत्नी शिखा चिल्लाई”अर्रर...दूध उबल गया” शिखा को दूध जलने की महक आई और वह उल्टे पाँव भागी

“वॉट? हाउ कम?” राजन ने उसकी ओर मूड कर तेज़ आवाज़ में कहा”स्टुपिड वुमन...”

मैं सन्न रह गया मैने शिखा को देखा, उसे अपने पति द्वारा किसी अंजन आदमी के सामने की गयी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसकी आँखें भर आईं,

मैं कुछ कहने जा ही रहा था कि राजन बेंद्रे मेरी ओर मुखातिब हुआ

“एक्सकूज़ अस” और मेरा कहना न सुनते हुए”भड़ाक” से मेरे मुँह पर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.

राजन के लिए गुस्से, और शिखा के लिए हमदर्दी और दोनो के अजीबोगरीब बिहेवियर से हैरत भरे जसबातों मुझ पर हावी हो गये”चूतिया साला” गुस्से से यह लफ्ज़ मेरे मुँह से निकला|”.

जी साहब” नीचे सीढ़ियों से आवाज़ आई

यह आवाज़ लुटिया रहमान कि थी, लुटिया हमारी सोसाइटी में कचरा बीना करता था और कान से कमज़ोर था.”साहेब अपने अपुन को याद किया?”

“नहीं भई”मैने मुँह फेरते कहा, राजन की अपनी बीवी से बदसलूकी से मेरा मन उचट गया था.

“साहेब कचरा डाले नही हैं क्या आज?”

“डॅस्टबिन में पड़ा है उठा लो” मैने कहा और अंदर चला गया.



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Umakant007

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एक दिन सुबह उठकर मैने अख़बार लेने के लिए दरवाज़ा खोला, तो शिखा अपने फ्लॅट की चौखट पर रंगोली बना रही थी अपने बालों को तौलिए में लपेटे और पतला झीना गाऊन पहने वह कोई मराठी गाना गुनगुना रही थी.

उसकी मीठी आवाज़ शहद की तरह मेरे कानों में घुल रही थी, और मैं वहीं खड़ा रह कर उसकी नशीली खूबसूरती को अपनी आँखों से पी रहा था.

गालों पे घिर आई बालों की पतली लट को उसने अपने हाथों से हटाने की कोशिश की, मेरी नज़रें उसके उरूजों पर टिक गयीं, झीने गऊन में उसके उरूजों में उभार आया था,

मैं पेपर उठाने नीचे झुका तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने बालों की लट को हटाने की कोशिश की तो रंगोली का सफेद रंग उसकी आँख में चला गया|

“उफ़” उसने अपनी आखों को मींचते हुए आवाज़ निकाली और कराहने लगी, रंगोली के रंग उसकी आखों में चुभ रहा था|

अब या तो यह हुस्न का जादू था, या मेरे दिल में उसके लिए हमदर्दी चाहे जो कह लें मुझे उसका यूँ दर्द से कराहना सहा नहीं गया और मैं पेपर छोड़ कर उसे उठाने गया| पहली बार उसे इतने करीब से देख रहा था मैने अपने हाथों से उसे हौले से उठाया,

वह अभी भी कराह रही थी

“आखें खोलिए” मैने कहा

“न...नहीं जलता है...”

“मुझे देखने दो...”

“न...नहीं”

“प्लीज़ मिसेज़ राजन”

उसने आँखें खोलीं अपने आप को मेरी बाहों में देख कर वह घबराई टुकूर टुकूर इधर उधर देखने लगी, उसके हाथ में पकड़ी रंगोली का रंग मुझ पर उडेल दिया

“घबराईए नहीं मैं आपकी आँखों में फूँक मारता हूँ, ठंडक लगेगी”

“न...नहीं आप जाइए में देख लूँगी” वह गिड गिडाआई”

मैने उसको अपनी बाहों को कस कर पकड़ लिया, मुझे उसका जिस्म अपनी बाहों के बीच महसूस जो करना था सो यह मौका हाथ से कैसे जाने देता.

उसने आखें खोली और मैने फूँक मारी

“आहह...” उसने मानों चैन की सांस ली

“वाट्स हॅपनिंग देयर?” मैने राजन की आवाज़ सुनी

शिखा एक झटके से मुझसे अलग हट कर एक कोने में खड़ी हो गयी, मैं भी बिजली की तेज़ी अपना पेपर पकड़े फ्लॅट में लपका.

राजन बाहर आया और शिखा से कहा”आर यू ओके? शिखा क्या हुआ?”

“अँ?” शिखा से उसकी ओर देखा”क...क...कु.कुछ न नहीं... कुछ भी तो नहीं” उसने हकलाते हुए कहा और हंस दी

“क्या बिनडोक पना है” राजन झुंझलाते हुए बोला

मैं पेपर की आड़ से उनको देख रहा था और राजन को देखा मेरी हँसी छूट गयी राजन बदहवासी में लुँगी लपेटे आया था, और इसके अलावा उसने कुछ पहना नही था उसको इस हालत में देख कर मैं अपनी हँसी नहीं रोक पाया,

उसकी बीवी शिखा भी मुँह छुपा कर हँसने लगी

मुझे देख कर वह उसी हालत में मेरे घर आया”ओह... मिसटर? सॉरी फॉर डॅट डे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ आई एम राजन बेंद्रे असोसिएट वाइज़ प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” उसने मुस्कुराते कहा

मैने उसकी बात काटते हुए कहा”नाईस मीटिंग योउ मिस्टर बेंद्रे आई एम अमन मलिक” और शेक हॅंड के लिए हाथ बढ़ाया

उसने भी हंसते हुए हाथ तो बढ़ाया पर फिर उसे अहसास हुआ की उसी लुँगी सरकने लगी है... वह कभी एक हाथ से अपनी लुँगी पकड़ता कभी दोनो हाथों से मशक्कत करता

उसे यूँ अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उट पटांग हरकतें करते देख बड़ा मज़ा आ रहा था उसकी हालत वाकई बड़ी शर्मनाक थी, किसी भी पल उसकी लुँगी खिसकती.

“एक्सक्यूस मी, मिस्टर मलिक, आई विल सी यू लेटर, यू नो ई हॅव टू अटेंड एन इंपॉर्टेंट बिज़्नेस राइट नाउ, होप यू वॉन'त माइंड” बेंद्रे अपनी लूँगी संभालते बोला

“टेक इट ईज़ी मिसटर बेंद्रे” मैने मुस्कुरा कर कहा

“शिखा...? शिखा?” वह अपने घर के अंदर घुसते हुए अपनी बीवी के नाम से चिल्लाए जा रहा था”चाय अब तक क्यों नहीं बनी अब तक?”

अब जाहिर था सुबह सुबह हुई अपनी इस दुर्गति का गुस्सा उसे बेचारी शिखा पर निकालने था.

“पूरा पागल है यह बेंद्रे” मैने का”हरामी, चूतिया साला”

 

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मेरी नौकरी एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में थी, जाहिर था वर्किंग अवर्स इधर उधर होते थे. घर पर कोई नहीं था, बूढ़ी माँ भाई और उसके परिवार के साथ दिल्ली में रहतीं थी और मैं यहाँ नौकरी के वास्ते पुणे में रहता था.

सामने रहने वाले राजन बेंद्रे एक मल्टी नॅशनल बॅंक के आई टी डिपार्टमेंट में एवीपी था और खूब कमाता था इसी वजह से वह खुद को दूसरों से उँचा समझता, बिल्डिंग में रहने वाले ज़्यादातर लोग रिटाइर्ड बॅंक के एंप्लायीस थे और सीधे साधे थे| उनमें सबसे उँची हैसियत बेंद्रे की ही थी इसलिए लोगों से ऐंठा रहता.

लोग बाग उसकी अमीरी से काफ़ी जलते और पीठ पीछे खूब गालियाँ देते.

उसकी बीवी शिखा बेंद्रे जितनी खूबसूरत दिखती थी उतनी ही खूबसूरत और उम्दा लड़की थी, हमेशा बिल्डिंग के लोगों की मदद में आगे रहती थी, बिल्डिंग में कई घरेलू फंक्षन्स में लोगों के यहाँ उसका आना जाना होता| हालाँकि वह राजन जितनी पढ़ी लिखी तो न थी लेकिन संस्कृत में उसने एम ए किया था और अब वह पीएचडी करना चाहती थी,

लेकिन राजन को उसका आगे पढ़ना या नौकरी करना सख़्त नापसंद था. अपना खाली वक्त काटने वह बिल्डिंग के क्लब हाउस में वीकेंड को बड़ों को योगा सिखाती और छोटों को संस्कृत श्लोक, लेकिन उसके पति राजन को यह भी पसंद नहीं था.



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एक दिन शनिवार की शाम को ऑफीस से घर आते वक्त मैं पीने का सामान ले आया, दोस्तों के साथ पीने का प्रोग्राम था| तो मैं जल्दी घर आ कर तैयारियाँ करने लगा| फ्रिज खोला तो पता चला बर्फ जमाना भूल गया था, अब बाज़ार जाने की हिम्मत नहीं बची थी मैने सोचा, पड़ोसियों से पूछा जाए

मैने बेंद्रे के घर की बेल बजाई और कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला, सामने देखा शिखा खड़ी थी, शायद अभी अभी नहा कर आई थी|

“ओह अमन जी आप? अंदर आइए न”उसने स्वागत करते हुए कहा और मुस्कुराइ

“जी नहीं ठीक है, मैं तो बस थोड़ी बर्फ माँगना चाहता था, घर पर मेहमान आने वाले हैं” मैने कहा

“जी आप कुछ मिनट बैठिए, मैं अपनी पूजा ख़त्म कर आपको बर्फ देती हूँ, तब तक आप बैठ कर टीवी देखिए' उसने समझते हुए कहा.

अब मरता क्या न करता, कुछ देर यहीं बैठ कर बोर होना था, सोचा बैठे बैठे इसी को देख कर अपनी आँखों की प्यास मिटाई जाए. मैं अंदर आ कर सोफे में बैठ गया और वह पूजा घर की तरफ चली गयी जो सोफे से दिखता था| मैने देखा सामने शू रॅक के उपर फेंग शुई के बंबू ट्री रखा हुआ था उसी के बगल में एक फोटो फ्रेम रखी थी जिसमे राजन और शिखा की शादी की तस्वीर थी.”ओह, इन गहनों को पहने और शादी के जोड़े में शिखा कितनी खूबसूरत दिख रही है, जैसे कोई अप्सरा हो” मैने सोचा और इधर उधर देखा दीवारों पर सर्टिफिकेट फ्रेम टँगे हुए थे| जो शिखा ने कई कॉंपिटेशन में जीते थे.”अच्छा तो शिखा इतनी ट्रडीशनल होते हुए भी टॅलेंटेड है” मैने मन ही मन सोचा

“शुभम करोती...” मुझे शिखा के श्लोक सुनाई दिये.

मेरा मन मे उसके लिये रेस्पेक्ट और भी बढ़ गयी, की इतनी अमीर होते हुए भी वह अपनी जड़ों को नहीं भूली. वहीं उसका बदतमीज़ पति जो किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं करता. मैं यही सोच कर हैरान था की

इतने में शिखा आरती का थाल पकड़े मेरी ओर आई”लीजिये अमन जी आरती लीजिये” और मुस्कुराई

मैने चुपचाप”आरती ली और अपने मुंह पर हाथ फेरे.

“माफ करियेगा लेकिन पूजा के कारण मैने आपको चायपानी तक नहीं पूछा” उसने माफी मांगते कहा

“जी वह सब रहने दीजिये, मुझे बस इस कंटेनर में बर्फ दे दीजिये, चाय पीने मैं फिर कभी आऔंगा” मैने कहा

“जी अभी लीजिये” वो कंटेनर ले कर अंदर गयी और बर्फ से भर कर उसे मुझे थमाया.”कुछ मदद लगे तो बताईयेगा” वह हंस कर बोली”

जी जरूर” मैने उसको थॅंक्स कहा और अपने फ्लॅट चले आया. अंदर पँहुचा तो पता चला दोस्त लोगों को ऑफीस में काम आया.है इसलिये वो देर से आयेंगे,

मैने सोचा शाम के वक़्त घर बैठ कर बोर होने से अच्छा है थोड़ा बाहर घूम लिया जाए

 

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मैं फ्लॅट के बाहर निकला तो शिखा मेरी ओर पीठ कर ताला लगा रही थी. उसने पंजाबी सूट पेहना हुआ था और उसकी लम्बी चोटी उसकी कमर के नीचे लटक रही थी,

मैं उसकी खूबसूरती को देख ही रहा था कि वह पीछे मुड़ी ”ओह अमन जी अच्छा हुआ जो आप बाहर आ गये, देखिये ना ये ताला जाम हो गया, प्लीज़ ताला लगने में मेरी मदद कीजिये” वह बोली

“लाइये” मैं उसकी ओर बढ़ा”ताला चाभी मुझे दीजिये, मैं लगाता हूँ ताला” कह कर मैने उसकी ओर हाथ बढ़ाया.

लेकिन उसने अपना हाथ खींच लिया”न... नहीं आप मुझे यह ताला लगाना सिखाईये, राजन बाज़ार से नया ताला कल ही लाये हैं अगर उन्हें पता चला कि मुझे यह ताला लगाना नहीं आता तो बहुत नाराज़ होंगे” उसने घबराए हुए कहा

“अरे छोडिये शिखा ज़ी, ताला लगाने में कौन सी बड़ी बात है? मैं आपको सिखाता हूँ आप ताला लगाइये”

“जी अच्छा” वह मुड़ी और ताला लगाने लगी,

मैं उसके एकदम करीब जा कर पीछे खड़ा हो गया, उधर मेरा लंड भी उसकी फूली गांड़ को देख कर बड़ा होने लगा हालांकि वह ताला लगने की अभी भी कोशिश कर रही थी.

मैने उसके करीब जा कर उसके बदन से उठति भीनी भीनी खुश्बू को महसूस किया ही था की उसने ताला लगा कर जोर से झटका दिया और वह पीछे हटी. उसके एकदम से पीछे हटने की वजह से उसके सिर से मेरी नाक टकरा गयी, और मैने उसके खुशबूदार काले घने बालों को सूंघा, उसकी बम भी मेरे कड़क लंड से टकरा गयी,

“ओह अमन जी सॉरी आपको लगी तो नहीं?” उसने चिंतित हो कर पूछा

मैं अपनी नाक को सहला रहा था

“अपना हाथ हटाओ मुझे देखने दो” उसने मेरा हाथ हटते कहा

“अरे आपकी नाक से तो खून आ रहा है” उसने परेशान होते हुए कहा

“अरे ये मामूली चोट है मैं मुँह धो कर आता हूँ” मैने कहा

“नही... नही आपको मेरी वजह से चोट लगी है, आइए में आपको डॉक्टर जोशी के पास ले चलती हूँ”

“अरे शिखा जी ये मामूली चोट है आप परेशन मत होइए”

“नही अमन जी आप इस चोट को इग्नोर ना करे, आपको मेरे साथ चलने में ऑक्वर्ड हो रहा है तो मैं डॉक्टर साहब को बुला लाती हूँ, वह पहले फ्लोर पर ही रहते हैं” उसने समझाते हुए कहा

“जैसा आप ठीक समझे” मैने हार कर कहा, मुझसे उसकी बात काटी नही गयी

“जी अच्छा, आप अंदर जा कर आराम कीजिए मैं डॉक्टर को ले आती हूँ” कहकर वह तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगी.

इधर मैं घर आ कर मुँह धोया और सोफे पे बैठ गया लेकिन खून अभी भी बह ही रहा था, दरवाज़ा मैने जान बूझ कर खुला ही रखा.

 

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10 मिनिट बाद वह हाँफती हुई उपर आई और बेल बजाई|

“अरे शिखा जी आइए बैठिए”

“डॉक्टर साहब किसी एमर्जेन्सी केस में हॉस्पिटल गये हैं”

“जी कोई बात नही, आप मेरे वजह से तकलीफ़ ना लें, मैने जख्म धो लिया है”

“लेकिन अभी भी आपकी नाक से खून बहना बंद नही हुआ”

“वो रुक जाएगा, आप आराम से बैठिए तो सही?” मैने कहा

“एक मिनिट” कह कर वो उल्टे पाँव अपने फ्लॅट की ओर भागी

“अब ये कहाँ चली गयी? बेफ़लतू में मेरे कारण टेन्षन लेती है” मैने परेशान होते हुए सोचा. नाक तो कम्बख़्त अभी भी दुख रही थी और खून था की साला रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

इतने में शिखा एक बड़ा सा प्याज़ ले कर अंदर आई

“ये क्या लाई हो?” मैने पूछा

“यह कटा हुआ प्याज़ है, इसकी तेज़ गंध सूंघने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है” उसने समझते हुए बोला

“और जो खून निकलना बंद ना हुआ तो”

“अरे तुम सूंघ के तो देखो” कहकर उसने कटी हुई प्याज़ मेरे नथुनो की ओर बढ़ाई

मैने एक लंबी साँस ले कर उसकी गंध खींची...”आहह”

“अब थोड़ी देर नाक को इस टिश्यू पेपर से दबाए रखो और हर पाँच मिनिट में ऐसे ही दोबारा सांस लो” उसने फरमान सुनाया.

देखते ही देखते नाक से खून बहना बंद हो गया

“अरे वाह अपने तो कमाल कर दिया शिखा जी” मैने उसकी तारीफ करते हुए कहा ”आपके देसी इलाज ने तो मेरा जख्म ठीक कर दिया”

“ये आयुर्वेद है अमन जी हर मर्ज की दावा है इसमे” उसने बताया

“अछा?” “हन” “आपको कैसे मालूम?”

“मैने आयुर्वेद पढ़ा है”

“तो आप वैद्य भी हैं?”

“थोड़ी बहुत नुस्खे जानती हूँ”

“जो भी हो, आपके नुस्खे से मेरी नाक का खून बहना बंद हो गया, बहुत बहुत शुक्रिया आपका” मैने धन्यवाद देते हुए उसको बोला

“अरे अमन जी आप तो शर्मिंदा कर रहे हैं, आप बैठिए आराम कीजिए आपके लिए मैं हल्दी वाला गर्म दूध ले आती हूँ” उसने जवाब दिया और अपने फ्लॅट की तरफ चली गयी.

“कितनी प्यारी और केरिंग औरत है यह” मैने सोचा”मुझे ऐसी बीवी मिल जाए तो पलकों पर बिता कर रखूँगा”


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“आउच” मैने ज़ोरो से चीखा

शिखा ने मेरी चादर खींच ली थी

“बीप... बीप... बीप”“ओह साला अलार्म बज गया” मैने उठते हुए कहा

“ढपाक” की आवाज़ के साथ शिखा मेरे उपर औंधे मुँह कूदी और मुझे वापस बिस्तर पर पीठ के बल गिरा दिया अब वो मेरे उपर सवार थी और मैं पूरा नंगा पीठ के बल उसके नीचे लेटा हुआ था

“हटो शिखा अभी इस सब का वक़्त नही है” मैने उसको हटाने की कोशिश की”आआह नही” मैं दोबारा दर्द से कराहा उसने मेरे कान ज़ोरों से अपने दाँतों तले दबाए और काट खाए”उफ्फ”

“सुनो” वह फुस फुसाई

“नही देखो अलार्म क्लॉक बज रही है...5:30 बजे ड्राइवर आएगा, बॅंगलुर की फ्लाइट पकड़नी है” मैने मना करते हुए कहा

“हा हा हा” वह हंसते हुए बोली वो मेरी जांघों पर बैठ गयी मेरा लंड एकदम तन कर उसकी नाभि पर टिक गया, मेरे लंड को उसके गर्म मुलायम गद्देदार पेट का अहसास हुआ

“अभी मैं तुम्हे शिखा एरलाइन्स की फ्लाइट पर ले चलती हूँ” वह हंसते हुए बोली और फिर घुटनों के बाल बैठ कर तोड़ा उठ कर उसने अपनी अंडरगार्मेंट निकाल कर बगल में फेंक दी, दाएँ हाथ से उसने नाइट लॅंप बुझा दिया और बाएँ हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी पुच्चि में बेदर्दी से खींच कर घुसाया.

“उफ्फ क्या कर रही हो” मैं दर्द से चीखा

“तुम्हे प्यार कर रही हूँ” उसने झुक कर अपनी नाक मेरी नाक से टकरा कर कहा और बाए गाल को अपने जीभ से सहलाया”अभी 4:30 ही हुए हैं फ्लाइट सवा आठ की है, चलो ना एक शॉट मारते हैं” उसने मनाते हुए कहा

“आइी ईई”

“क्या हुआ मेरे राजा?”

“उफ़फ्फ़” मैं दोबारा हल्के से चीखा मेरा सबूत लंड उसकी पुच्चि में जा घुसा था और अब उसकी पुच्चि में धंसते हुए मेरे लंड का गुलाब खिल उठा था.

“अया” मेरे गर्म गुलाब को अपने अंदर पा कर उसने चैन की साँस ली.

मैने देखा मेरी जांघों को बीच अपनी टाँग फैलाए मेरे लंड को अपनी योनि में दबाए वह घुटनो के बल खड़ी हुई थी, उसके दोनो हथेलियन मेरी हथेलियों पर टिकी थी उसने अपनी गर्दन पीछे की ओर झुकाई और उसकी पुकचि मेरे लंड के इर्द गिर्द तेज़ी से दबाव बनाते हुए आ धँसी अब की बार मैने उसकी हथेलियों पर दो उंगलियों के बीच अपनी उंगलियाँ फसाईं और अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट ली और उसे उपर की ओर धक्का दिया.

“अयाया...उफ़फ्फ़” वह दर्द से बिलबिला उठी और उतनी ही तेज़ी से मुझ पर आ गिरी.

हमारी गर्म सांसो की आवाज़ से आज समा हाँफ रहा था सर्द अंधेरी रात में हम दोनो के जिस्म से पसीना पसीना हो गये थे वो धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी, उसके उपर नीचे होते हुई जिस्म की छुअन से मेरा गुलाब भी अंदर बाहर होने लगा हौले हौले उसने अपनी स्पीड बधाई और उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी.

मैं उसकी तेज चलती साँसों की आवाज़ सुन कर हंस पड़ा ऐसे लग रहा था जैसे कोई स्टीम एंजिन पफ पफ करते हुए जा रहा हो.

“क्या हुआ ऐसे पागलों के जैसे हंस क्यो रहे हो?” वह गुस्सा हो कर बोली और उसने मेरे लंड पर अपनी चूत की दीवारों से दबाव बढ़ाया,

मुझे गुदगुदी हो रही थी”हा हा हा” मैने उस गुदगुदी से खुद को बचाने के लिए खुद को सिकोड़ना चाहा

“आइ नही.....तुम्हारी चिकनी डंडी मेरी गिरफ़्त से निकल रही है... हँसो मत” वह अपने दाँत भींच कर बोली - उसने अपने हथेलियों की पकड़ मेरी हथेलियों पर और मज़बूत की, किसी भी कीमत पर वो मेरे लंड को अपनी छूट से निकालने नही देना चाहती थी

“स्लॉप” की आवाज़ से मेरा लंड उसकी पुच्चि से निकल गया मैने देखा उस नीली रोशनी में मेरी जांघों के बीच मेरा लंड मीनार की तरह टन कर खड़ा था और हमारी मुहब्बत के रंग में सराबोर हो कर चौदहवी के चाँद की तरह चमक रहा था.

“सब गड़बड़ कर दिया तुमने” शिखा शिकायती लहज़े में बोली”कुछ देर अपनी हँसी कंट्रोल नही कर सकते थे?”“तुम जानते हो की अब 4-5 दीनो तक मुझे तुम्हारा प्यार नही मिलेगा” उसकी आँखों में आँसू भर आए”तुम हमेशा अपनी मनमानी करते हो” उसने रुआंसी हो कर कहा”कभी मेरा ख़याल नही करते”



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