उसने रोते कहा”अगर राजन बाप बन सकता तो मैं तुम्हारे पास आती भी नहीं” उसने अपने दोनो हाथों से मुँह छुपा लिया”मेरे पति राजन ने औलाद की उम्मीद हो छोड़ दी थी, वह तो मेरे सास ससुर थे जिन्होने उसे मुझे तलाक़ देने को कहा”“बिल्डिंग के औरतें मेरी पीठ पीछे मुझे बांझ कहती है, जानते हो मुझे कैसा लगता है?” उसने मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए कहा”तुम नहीं समझोगे.
“शिखा, जब तुम्हें मालूम है कि तुम्हारा पति बाप बनने के काबिल नहीं तो छोड़ क्यों नहीं देती उसे?” मैने एक एक शब्द पर ज़ोर देते कहा”तलाक़ दे दो उसे, और मेरे साथ चलो, हम शादी करेंगे और कहीं दूसरे शहर बस जाएँगे”
“नहीं”उसने भड़क कर कहा”मुझे यह साबित करना है कि कमी मुझमें नहीं राजन में है” उसका चेहरा तमतमा गया”मेरे प्रेग्नेंट होते ही जब राजन खुश होगा तब मैं यह राज सबके सामने जाहिर कर दूँगी कि मेरे पेट में पल रहा बीज किसका है” उसने कहा
“इससे क्या फायदा?” मैने पूछा
“मुझे राजन को मज़ा चखाना है” उसने मुत्ठियाँ भींचते हुए कहा
“देखो शिखा, तुम जो मेरे पास आती हो और मेरे साथ सेक्स करती हो यह सब तुम माँ बनने के लिए नहीं करती” मैने समझाते बोला
“फिर? तुम्हें क्या मैं ऐसी वैसी लगती हूँ?” उसने भौहें तरेर कर पूछा
“नहीं मेरा यह मतलब नहीं था”
“क्या मतलब था”
“यही कि तुम्हारा राजन के उपर गुस्सा है इसलिए यह सब तुम करती हो”
“नहीं यह मेरा राजन के लिए प्यार है”
“नहीं यह गुस्सा और जलन ही है जो तुमसे यह सब करवा रही है” मैने उसकी बात काटते कहा”तुम्हें यह बर्दाश्त नहीं कि तुम्हारे जैसी सुंदर बीवी के होते हुए राजन अपनी सेक्रेटरी के साथ रातें बिताता है”
“हाँ मेरा खून खौल जाता है, इसमें मेरी क्या ग़लती है?” उसने पूछा
“ग़लती तुम्हारी नहीं हालात ग़लत हैं, और तुम उन्हें सुधार नहीं सकती” मैने उसे समझाया
“कोशिश तो कर ही सकती हूँ?” उसने नर्म हो कर कहा
“उसके माँ बाप, तुमको बांझ ठहरा कर तलाक़ करवा देंगे तुम दोनो का, कैसे सुधरोगी हालातों को?” मैने सवाल किया
“इसीलिए तो तुमसे कह रही हूँ मेरी मदद करो” उसने हाथ जोड़ कर कहा
“देखो शिखा मैं तुमको पहले भी कह चुका हूँ, तुम्हें प्रेगनेंट बनाने के लिए इस सब में पड़ना नहीं चाहता”मैने साफ किया
“तुम पहले भी कई लड़कियों से सेक्स कर चुके हो, क्या मैं नहीं जानती? हर शनिवार और रविवार की रात तुम क्या करते थे?” शिखा ने मुझे धमकाते हुए कहा
“शिखा, उससे तुम्हारा कोई लेने देना नहीं” मैने उसको डाँटते कहा
“लेना देना है, हमारे बीच तय हुआ था कि तुम मुझे औलाद दोगे और मैं तुम्हें सेक्स” उसने याद दिलाते हुए कहा
“हाँ, लेकिन तुम बार बार उस राजन को बीच में ले आती हो”
“क्यों न लाऊँ?” उसने पूछा
“मुझे वह पसंद नहीं”
“तो उस दिन नवमी के रोज जब मैं मंदिर गयी थी तो आप दोनो मिल कर रंडी क्यों चोद रहे थे?” उसने पूछा
मैं सन्न रह गया.”रंडी तुम्हारा पति राजन लाया था, उसने दलाल का नंबर मुझसे लिया था, जब दलाल रंडी ले कर पंहुचा तो राजन के पास पैसे नहीं थे, राजन मेरे शौक जानता था उसने मुझसे पैसे माँगें और साथ में मज़ा लेने को कहा, मैंने पैसे दिया और अपने हिस्से की खुशी लूट ली” मैने समझाते हुए कहा
“झूठ, मेरा राजन कभी ऐसा नहीं कर सकता, उसे तुमने बिगाड़ा है” उसने वापस मुझे मारते हुए कहा
“तुमने अपनी आँखों से देखा है उसे यह सब करते हुए शिखा” मैने कहा”मुझ पर इल्ज़ाम मत लगाओ, राजन कोई दूध पीता है?
“तुम भी बेहद अजीब हो शिखा, तुम्हारा पति तुम्हे अपने पैरों की जूती समझता है, तुम्हारी रेस्पेक्ट नही करता फिर भी तुम उसे अपना पति मानती हो?” मैने उसको झकझोर कर पूछा
“हाँ क्योंकि वो मेरा पति है, अग्नि को साक्षी मान कर हमारी शादी हुई है” उसने अपने आपको मुझसे छुड़ाते कहा|
“किस शादी की बात कर रही हो शिखा?” मैने चिल्लाते हुए पूछा”ऐसी शादी जहाँ राजन दूसरी औरतों के साथ नाजायज़ रिश्ते बनाए और तुम उसके के लिए अपनी जवानी रातों में अकेले गुज़ार दो?” मैने कहना जारी रखा”ऐसी शादी जहाँ तुमको हर पल यह अहसास कराया जाए की तुम उसकी लाइयबिलिटी हो?”“ऐसी शादी जहाँ तुम्हारा पति बाप बनने के काबिल नही और समाज तुमको बांझ ठहराए?”“क्या मतलब ऐसे रिश्ते का?”
वह अपना चेहरा हथेलियों में छुपा कर रोती रही, मेरी कही सच्ची बातों को वो काट नही सकती थी