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Adultery मैफिल ए चुदास-Season 1

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kamdev99008

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nagma married hai..uska nigah yek amir budhau se ho chuka hai...hina pyar karti jarur hai pr sanju se bahot kuch chupai rakhi abhi maa aur hina bhukdegi
ok..... nagma married hai..... meine dhyan nahin diya tha.................... lekin married to hina bhi hai ab tak
jab hina khud talak lekar shadi karna chahti hai................... to uski beti ka talak karwakar shadi kar lo......................
hinaq aur abdul dono ka pakka ilaj ho jayega.............. donon miya biwi ko tharak chadhi hai................... ek maa ko chodta hai to dusri bete ko................ aur shadi bhi karne ko utawle hain
kameene ke sath maha kameena hona padta hai

maa aur sakina to chhooti belagam ghodiyan hain..............dono widhwa hain......................
un donon ko to shadi karne ki jarurat hai......................... to unki shadiyan karke unki jaruratein poori karke kaise unka fayda hi hoga unhein

mera suggestion hai....................... confuse mat ho jana............................
jaise apko sahi lage vaise likhna.........................

mera dimag kuchh jyada hi kameena hai...................... maafi aur raham to mere aspas se bhi nahin gujarte.................
to aisi khurafate sochta rahta hu...............ap logo ki kahaniya padhkar
 
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Tinkuram

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Story is though fantastic yet little confusing. Put some images in the story.
 
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ok..... nagma married hai..... meine dhyan nahin diya tha.................... lekin married to hina bhi hai ab tak
jab hina khud talak lekar shadi karna chahti hai................... to uski beti ka talak karwakar shadi kar lo......................
hinaq aur abdul dono ka pakka ilaj ho jayega.............. donon miya biwi ko tharak chadhi hai................... ek maa ko chodta hai to dusri bete ko................ aur shadi bhi karne ko utawle hain
kameene ke sath maha kameena hona padta hai

maa aur sakina to chhooti belagam ghodiyan hain..............dono widhwa hain......................
un donon ko to shadi karne ki jarurat hai......................... to unki shadiyan karke unki jaruratein poori karke kaise unka fayda hi hoga unhein

mera suggestion hai....................... confuse mat ho jana............................
jaise apko sahi lage vaise likhna.........................

mera dimag kuchh jyada hi kameena hai...................... maafi aur raham to mere aspas se bhi nahin gujarte.................
to aisi khurafate sochta rahta hu...............ap logo ki kahaniya padhkar
Maine Bhi pahle Thik Ayse Hi socha Tha Pr issue Ye Hua Ki Jis Reason Se Nagma Ne shadi ki hai vo hai paisa,to vo talaq nahi degi.Abdul Aur Hina Me Tharak Jarur hai Pr Unke pyar me bhi sacchai hai agar vo shadi karne ki soch rahe hai.Nagma to vaise Bhi chud jayegi kyoki budhau pati se tang jarur aai hogi..Hina Ko Koi Bhai Nahi hai.uske maa ki sirf do aulade vo aur shakina..agr hina ya talaq karake nagma se shadi kar leta sanju to shakina ke hisse ki jaydad nhi milti,jaise maa boli hai ki unke pass jaydad hai.abhi hina vash me hai shakina biwi hai.hina ko sanju chahiye vo use jb chaiye tb milega aur shakina kuch bol bhi nahi payegi badi bahan ki dar se.

bhai vaise mai sakht nahi hu rishto ke mamle me pr practical soch hai meri as writer posibilities pr research krke likhta hu..Jo hai vo hai...

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Episode 7

(सुलभता के लिए संजू की जगह"मैं"का इस्तेमाल होगा।)

दोपहर 12 बजे

एक दिन अयसेही बाहर से टहलते हुए घूम फिरके घर आ रहा था तो मुझे सिमा चाची दिखाई दी।वो बर्तन बेचती थी चॉल में।
मुझे देख मुस्करके बोली:क्यो संजू घर बन्द है आज सविता कहा है।
उनकी बात से मैं चौक सा गया।
मैं:क्यो घर में नही है क्या?

सीता चाची:नही न,बहोत पुकारा खुद ही बोली उसे बर्तन लेने है और खुद ही गायब

मैं:ठीक है मैं बोल दूंगा।

सीता चाची:कोई त्योहार है क्या?

मैं थोड़ा बीचक कर:नही नही अइसी कोई बात नही।

सीता चाची:वो भी है मैं ही बुड़बक हु।तुम्हारे पिताजी का देहांत हुआ है इतनी जल्दी त्योहार को मनाता है।कुछ चाहिए होगा तो घर से आके लेके जाना।कल से मैं घर से ही सामान बेचूंगी गर्मी से अभी चला नही जाता।

मैं:ठीक है चाची,मैं आता हु.!!!

मैं थोड़ा चौक सा गया।मुझे कुछ आशंका हुई मै झट से घर आ गया।घर आया तो देखा की किचन का दरवाजा बन्द है।मैं दरवाजा ठोक दिया कोई जवाब नही आया।अयसेही दो बार किया पर कोई जवाब नही।फिर गुस्से में लाथो से दरवाजा खोला।अंदर अब्दुल चाचा और मा रंगरेलिया मना रहे थे।

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मुझे देख अब्दुल की गोटिया जाम हो गयी।मैं सीधा मा के पास गया।अंदर गुस्सा बहोत था पर फिर भी मैंने बहोत शांति से बात करने लगा।

मैं:आपको उसदिन समझाया था की दिन दहाड़े अइसी अय्याशी मत किया करो।अगर कोई बाहर वाला आ गया तो हमारे परिवार के चरित्र का दर्शन हो जाएगा।

मा:पर अभी तो शादी होने वाली है हम लोगो की।

मैं:हा तो,दिन भर चुत मरवाते फ़िरोगी।तुमने बोला इसलिए मैं इस रिश्ते के लिए मान गया।आप इतना समझ लो व्यक्तिस्वतंत्र है पर इसका मतलब ये नही की जो भी करे वो समाज को मंजूर हो।हम जो रिश्ते बना रहे है वो अभी तक बाहर नही गए है।

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संजू की माँ -सविता उम्र करीब 38 पार, हाउसवाइफ,

मा:पर मैं अब्दुल जी को पसन्द करती हु और तुभी हिना को पसन्द करते हो और अभी शकीना को भी।

इतना होने तक शकीना चाची हिना चाची और उनकी मा आबिदा बेगम आ जाती है।

मैं:पहले मुझे यही लगा की तुम जो कर रही हो उसे प्यार है ओर नही वो तो हवस है। तुम्हारे पाव तो कब्र तक जा चुके है,तेरे वजह से कुछ कांड होगा तो मैं बाहर मुह दिखाने लायक नही रहूंगा।शादी के बाद जो करना है वो कर ले।और उससे पहले करना है तो दिनदहाड़े तो मत कर आसपड़ोस के लोग आते रहते है।

आबिदा बेगम:अरे तो उसमे कौनसी बड़ी बात है,बोल देना जो सच है।

मैं:आप उम्र में बड़ी हो अइसी बात आप बोलेंगी इसकी आशा नही थी।

हिना चाची:पर हुआ क्या,क्या जाएगा बोंलने में।

मैं:हिना चाची आपको नही मालूम क्या इस चॉल के बारे में।

हिना चाची चुप सी हो गयी।हिना चाची को चुप देख शकीना ने अपना संयम छोड़ा।

शकीना चाची:क्यो क्या बात है?!

मैं:मेरे पापा के रिश्तेदारों के बारे में हमे कुछ मालूम नही।मा पिताजी का लव मैरिज है।पर बहोत साल यहां रहने की वजह से ये चॉल ही पापा का परिवार बन गया है।इस बात को चॉल के लोग कभी नही मानेंगे।उल्टा अब्दुल चाचा को मारेंगे और इन दोनो का मुह भी काला कर देंगे।

आबिदा:तो हम पुलिस बुलवा लेंगे।

मैं:आपको सच में लगता है अइसे मसलों में पुलिस मदत करेगी।वो सिर्फ सुरक्षा देगी।बाकी कुछ कर भी नही सकति।

हिना अब्दुल से:क्यो री तुझे कितनी बार बोला है तेरे निठल्ले लन्ड पे काबू रख।काम पर ध्यान दे।शादी के बाद जितना मजा करना है कर ले।

मा:उनकी क्या गलती।तुम भी तो मजे लेते हो संजू।तुम्हारी भी शादी हो ही रही है।

मैं:मैं आपके खुशी के लिए ये सब कर रहा था।अगर मुझे बलि का बकरा बना कर मेरी ही इज्जत की धज्जियाँ उड़ाना चाहती हो तुम्हारी हवस के चक्कर में तो मोहतरमा मेरा राम राम लो।मुझे ये शादी मंजूर ही नही।आप जो चाहे करो मुझे आपसे आपसे आपसे जुड़े लोगो से कोई वास्ता नही रखना।जितनी मुझे खुशी प्यारी है उतनी ही इज्जत भी।चॉल मेरा परिवार है मेरा बचपन गुजर गया यहां।उन्हें छोड़के नही होगा मुझसे कुछ।

मैं वहां से निकल कर घर से बाहर आ गया।दरवाजे पर नगमा थी।लगता है उसने सब बाते सुन ली थी।

शकीना:मैं हु ही मनहूस ,मेरे साथ कोई रिश्ता नही टिकता।

हिना अब्दुल से:अबे भड़वे तेरे लन्ड के चक्कर में सारा बना बनाया बिघड गया।और तू सविता चुत में इतनी खुजली हो गयी की इंसानियत रिश्ते नाते भूल गयी।

आबिदा:तू उसे क्यो कोस रही हो।हर बार नौटंकी तो संजू करता है।अगर इन्होंने इश्क़ किया तो ये सब करना हक़ है इनका।

मा:हा वही तो।मै भी वही बोल रही हु।

हिना ने नगमा को देख:तुझे क्या लगता है नगमा,अभी तू भी बोल ही दे।

नगमा:मुझे इसमे संजू सही लग रहा है।

आबिदा और मा एक दूसरे को ताकने लगी।थोड़ा खिसक कर आबिदा बेगम बोली:अइसा तुम्हे क्यो लगता है भला?!

नगमा:नही तो क्या दिनदहाड़े किसीने इनको इस अवस्था में पकड़ लिया होता तो संजू की ही बदनामी होती न।समाज के रोष को कौन संभालेगा।ये लोग शादी करके निकल जाएंगे।उसे यही रहना है तो उसे सब लोगो को संभालना होगा।कल लोग उसे मा का दल्ला बोलने लगेंगे तो उसपे क्या बीतेगी।

मा:पर हमारे अरमानों का क्या?!

नगमा:उसने मना कब किया था।उसने रात ढले जो करना है करो बोला था तो दिन दहाड़े दोपहर के 12 बजे ये हरकते करने की क्या जरूरत।

शकीना:पर नगमा अभी क्या करे।कैसे वैसे तो संजू मान गया था अभी उसे मनाएगा कोन,उसका गुस्सा भी बड़ा जहरीला है।

नगमा:खेल हम सबने बिगाड़ा है हम सब मिलकर संभालेंगे और संवारेंगे इस मसले को।

हिना:पर कैसे,अभी तो वो किसीकी बात नही मानेगा तू तो उसे बचपन से जानती है कितना जिद्दी है वो।

मा:क्या मैं सच में गलती कर दी!???

हिना:क्यो तुझे अभी भी तुम्हारी गलती का अहसास नही हुआ।

शकीना:अभी आप लोग मत झगड़ो।हिना दी इनका कुछ नही बिगड़ेगा हम दोनो का।

हिना:हा शकीना सही फरमाया इस भड़वे और रंडी ने तो खुद की आग बुझा दी पर हमारे जिंदगी में आग लगा दी।

अब्दुल को उन लोगो में घर के बाहर भेज दिया और औरते मिल कर सोचने लगी की फिरसे कैसे संजू को मनाया जा,संजू यानी मैं।

मैं हमेशा गुस्सा होने के बाद बगीचा,बीच पे घुमके आता था।उस टाइम भी मैं देर शाम तक बगीचे में घूमता रहा ।7 बजे बगीचा बन्द हुआ तब मैं घर आ गया।घर में पूरा सन्नाटा था।मैं सीधा अंदर के कमरे में जाकर बेड पर बैठ गया।क्योकि गुस्से से फिरसे दिमाग घूम गया था।सर दुखने लगा था।

तभी आहिस्ता से किसी के हाथो का स्पर्श मुझे माथे पर हुआ।मैं जैसे झटका लगता है वैसे उठ गया।शकीना डर कर पीछे हो गयी।

मैं:आप यहाँ पर क्या कर रहे हो?

शकीना:पति की सेवा,कर्तव्य है मेरा।

मैं:आप सुबह के वाकिये के वक्त मौजूद थी तो आपको अलग से समझाना नही पड़ेगा इसकी आशा है

शकीना:पर इसमे मेरी क्या गलती।मैं तो कोई घटियापन्ति नही की अभीतक।

मैं:देखो मैं सच में माफी चाहता हु आपसे पर मुझे अभी कोई मन नही है।किसीसे रिश्ता जोड़ने का।

शकीना:पर आप मुझे बहोत पसन्द हो।और कल तक तो आप भी मुझे पसन्द करते थे।

मैं:वो कल की बात थी आज नही।

इतना बोलके मैं उठ कर जाने लगा तो हिना चाची आ गयी।पूरी नंगी थी।

Desi-Aunty-Big-Boobs-hot-nude-xxx-pic.jpg


हिना-अब्दुल की बीवी,उम्र करीब 40 से 43 साल,हाउसवाइफ

मैं:हिना चाची ये क्या बेहूदगी है।आप अभी कितनी भी कोशिश कर लो।कुछ फायदा नही।इंसानियत और आपकी भावनाये समझ कर मैं इन बातों के लिए तैयार हुआ था पर यहां पर कोई मेरे बारे में सोचता ही नही तो प्लीज आप दोनो अपने घर चले जाओ।

हिना चाची:अरे वो तो होने वाली जोरू थी मैं तो रखैल हु।मुझसे क्या शिकवा।

मैं:हिना चाची ये सब बातों का ये वक्त नही और सही समय भी नही।मुझे खाना खाना है।आप लोग चले जाओ।

हिना चाची:तो चलो न मेरी जान मैं खाना खिला देती हु।

मैं कुछ बोलती उससे पहले वो मुझे किचन में डायनिंग पर खींचते लेके गयी।शकीना भी दरवाजा बन्द करके नंगी मेरे पास आके बैठ गयी।दो नंगी गदराई औरते मेरे बाजू में बैठी थी,मैं अंदर से पिघल जरूर रहा था पर बाहर से पूरा सख्त था।अगर इस बार मैं पिघल गया इतनी आसानी से तो पूरी जिंदगी इनका कुत्ता बन कर रहना पड़ेगा।

busty-doodhwali-bhabhi-ki-nude-photo.jpg


शकीना- हिना की विधवा बहन।उम्र करीब 38 से 40 साल।अचानक से पति के मौत के बाद ससुराल से निकाला गया।पिताजी ने उसके दूसरे निकाह की कोशिश की पर कलमुँही समझ किसीने उसे निकाह नही किया।6 साल से करीब विधवा वाली जिंदगी जी रही है।363436 का मजबूत बदन

औरते थी तो मैं ज्यादा गुस्सा नही कर रहा था।क्योकि मेरा गुस्सा इतना खराब था की शब्दो में बया नही हो सकता।दोनो बहने अपनी आधी से ज्यादा उम्र पार थी।एक शादीशुदा तो दूसरी विधवा।दोनो का बदन कसा हुआ था।मुझे ये रिश्ता जरूर रखना था पर मा जिस तरह से इस बात को ले जा रही थी वो मुझे पसन्द नही आ रहा था।मुझे मा के बर्ताव में काफी बदलाव दिख रहा था।बेटे की तो उसे पड़ी ही नही थी।मान लिया उसने इश्क़ किया पर दिनदहाड़े अय्याशी करना मतलब अपने बेटे को ही झांट पे मारना।और मैं तो सीधा नही हु,और सीधा रहना भी मेरे लिए वाजिब नही था।इश्क़ में लोग कुछ भी कर सकते है।और अगर ये लोग मुझे कुछ भी नही समझते तो मुझे इन्हें मेरी मौजुदगी का अहसास तो कराना पड़ेगा ना।

मैं इन सब बातों को सोच ही रहा था की मुझे गर्मी सी महसूस हुई।होश में आके गौर किया तो मालूम पड़ा की ,दोनो बहने मेरे बाजुमे रखे दोनो बाजू के कुर्सियों पे बैठ गयी थी।उनके अंदर से जो हवस की आग बाहर आ रही थी उसकी वो गर्मी थी।उस गर्मी ने ही मेरे लन्ड को खड़ा किया।

हिना चाची ने एक निवाला लिया,मैंने सोच ही लिया था की मैं मना कर दूंगा पर उन्होंने कुछ और ही किया।वो निवाला खुद खा लिया।अभी मै आगे का सोचु उससे पहले उन्होंने अपना मुह मेरे मुह में डाला और सारा झूठा निवाला मेरे मुह में।और थोड़ी देर मुह वैसे ही रख दिया और दूर हो गयी।ये कुछ अलग ही था।मैं तो पूरा हैरान हो चुका था। मैंने पहिला निवाला खत्म किया औऱ राहत की सास ली पर मुझे मालूम नही था की दूसरा निवाला भी तैयार था क्योकि दूसरा निवाला शकीना की ओर से था।और जो निवाला उसने दिया ओ हिना से काफी बड़ा मजबूत और स्वादिष्ट था।आज तक चम्मच हाथ से जितना मजा नही आया उससे ज्यादा मजा किसीके रासिले मुह से निवाला खाके खाना खाने में आ रहा था।

खाना खत्म करके जब हाथ धोने गया तो हिना चाची ने हाथ धोते हुए पानी का मग गलती से मेरे ऊपर गिराया।मुझे मालूम था की ये गलती नही है,पर घटना इस तरह प्लान की गयी थी की मैं उनको उस बात पे कुछ बोल ही नही पाया।मुझे मालूम था की इनको मुझे नंगा करना है।हिना ने बिना मुझसे पूछे या अइसे कहा जाए की मुझे बिना पता लगे मेरे शॉर्ट को अंडरवेअर के साथ ही नीचे खिंच लिया और शकीना ने टीशर्ट को बनियान के साथ ऊपर खींच लिया।

जैसे ही उसका अहसास हुआ मैंने झट से जाके अलमारी खोली।और इस बार मुझे सबसे बड़ा झटका लगा।अलमारी में मेरा कोई सामान नही था।मैंने बाथरूम के बाजू में देखा तो वहां भी कोई कपड़ा नही था।इसका मतलब ये पूरा प्लानिंग कर रखे थे।मैंने उनके पास देखा तो जो कपड़े निकाले वो भी उन्होंने पानी में पूरे गीले कर वॉशिंग मशीन में डाल दिया।मुझे इनके ईरादे साफ मालूम पड़ रहे थे।पर सख्ती बरतते हुए मैं नंगा ही जाके बाहर बैठ गया।

हॉल और किचन के बीच में जहा पर एक छोटा बैडरूम था जहा टीव्ही था मैं वहाँ जाके बैठ गया।टीव्ही चालू की तो उसपर भी हॉट फ़िल्म चलने लगी।अब तो पूरा दिमाग हिल रहा था मेरा।मैं उधर से उठ जाता उससे पहले वो दोनो रंडिया मेरे बाजू में आके बैठ गयी।

मैं:ये क्या चल रहा है आप लोगो का!!?क्यो परेशान कर रहे हो मुझे।

हिना चाची:अरे मैं तो अपने यार को मजे दे रही हु।

शकीना चाची:और मैं मेरे होने वाले शौहर की सेवा कर रही हु।

मैं:मैंने करने बोला था??मुझे जरूरत नही है इसकी।अभीतक किया उसकेलिए थैंक यु अभी चलते बनो।

शकीना:अरे अइसे कैसे सेवा आधी अधूरी नही छोड़ी जाती।और मेरे बड़े पतिदेव की सेवा पूरी हो गई पर छोटे पतिदेव की तो बाकी है।(उन्होंने लन्ड को हाथ में पकड़ लिया।मुझे सिहरन सी हुई।शरीर में करन्ट से दौड़ पड़ा।)

हिना:वो देख शकीना संजू भी मुझे अइसे ही किस करेगा।

शकीना:और वो देख हिना उसका लन्ड मैं अइसे ही मुह में लुंगी।

हिना:कुछ भी।तू क्या लेगी अपनी मुह में।कितना बड़ा है देख।

शकीना:तो क्या हुआ मैं ले सकती हु।

(बोलते बोलते वो लन्ड को मुह में ले लेती है।उसका देख हिना भी मेरे ओंठो पे कब्जा कर देती है।)

ये जो ऊपर हुआ वो टीव्ही पर लगी हॉट फ़िल्म पर आधारित था।उनकी प्लानिंग वही थी जो वो कर रहे है पर फ़िल्म को जरिया बना दिया था।

मैं कितना भी सख्त बनू पर हवस का कीड़ा आपको अंदर से नोचने लगे तो उसकी प्रतिक्रिया जाने अनजाने में दिखाई देना चालू हो जाती है।मैंने भी होश खोते हुए हिना के गर्दन को दबोचा और कस के दबाकर रखा अपने मुह पर,वो खुद ही मेरे ओंठो को चूस रही थी और मुझे भी अपने रसिंले ओंठो का रसपान करवा रही थी।

दूसरा हाथ से शकीना चाची की गर्दन को पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगा।उनका पूरा मुह आखिर तक लेके जा रहा था जहाँतक वो जा सकता था।कुछ देर बाद दोनो सीधा होक मेरे कंधे पर सर टिकाए बैठ गयी।

शकीना:तुम तुम्हारी मा की गलती की सजा मुझे क्यो दे रहे हो।मैं तुम्हे बहोत पसंद करने लगी हु।प्लीज मेरे साथ अइसे मत करो।

हिना:ये कलमुँही ये प्यारव्यर हद में ।संजू शौहर जरूर तेरा होगा पर वो हमेशा मेरा रहेगा,प्यार भी मेरे से ही करेगा।

शकीना:वो मालूम है दीदी पर मैं तो प्यार कर सकती हु।उतना हक तो मेरा है ही और वो करे या न करे वो उसका फैसला है।

हिना:वो नही करेगा तेरे से प्यार,वो सिर्फ मेरे से ही प्यार करेगा,क्यो संजू मेरी जान!!?

मैं:देखो शकीना मुझे तुमसे शादी करने से कोई अयतराज नही है।पर मा और अब्दुल चाचा अभी जो हरकते कर रहे है उसके परिणाम गलत हो सकते है।वो जो कर रहे है वो करे उसमे मुझे कोई प्रॉब्लम नही पर उसका ढंग और समय तो सही होना चाहिए।

शकीना:पर तुम्हे अइसा क्यो लग रहा है की परिणाम गलत होंगे।

मैं:क्योकि सुबह सीता चाची यहाँ से आके गयी।आपको नही मालूम पर हिना चाची को मालूम है,उनका पूरी चॉल से बहुत करीबी रिश्ता है।अगर दोपहर को ये लोग पकड़े जाते तो वो हंगामा कर देती।ये लोग मार खाते ही ऊपर से मेरी इज्जत की भी धज्जियां उड़ जाती।और अगर इसके बाद भी इनकी हरकते चालू रही शादी होने तक और पकड़े गए तो चॉल वाले ही ये शादी तुड़वा देंगे।

हिना:मैं तुम्हे यकीन दिलाती हु ये हुआ सो हुआ इसके बाद ये दोनो अइसी कौनसी भी हरकत नही करेंगे जिससे तुम्हे कोई ठेच पोहुँचे।ठीक है।अभी तो मान जा मेरी जान।

मैं:ठीक है,इतना भरोसा तो आप पे मैं कर ही सकता हु।पर अभी शादी होने तक इसकी जिम्मेदारी आपकी है।

शकीना चाची:अरे उसकी चिंता आप छोड़ो ,आप तैयार हो गए हो तो अभी उनको हम देख ही लेंगे ,क्यो हिना दी।

हिना:हा शकीना मेरी जान, संजू तेरे लिए कुछ भी कर लेंगी ये हिना और शकीना,बस तुम हमारे हो जाना।

इस बात पर हम तीनो हसने लगे।

शकीना मेरे लन्ड को हाथ में लिए:हिना दी सही यार ढूंढ रखा है आपने ,जितना तगड़ा बदन है उतना ही तगड़ा लन्ड है।

हिना:फिर क्या,कोई शक ही नही।बस तू कलमुँही बीच में घुस रही है।नही तो संजू सिर्फ मेरा है।

शकीना:कोई और होता तो बीच रास्ते से हट भी जाती पर अभी सोचना भी मत।तुम कितना भी इनसे प्यार करो चुदाओ पर शौहर तो मेरे ही बनेंगे।कुछ ही सही पर प्यार तो नसीब होगा शौहर के लिहाजो में।

हिना चाची:हा हा ठीक है।उतना खुला छूट दे दिया तुझे।पर अभी लन्ड को छोड़ वो मुझे चाहिए।

हिना चाची ने शकीना का हाथ हटा कर मेरा लन्ड खुद के हाथ में ले लिया और मुह में लेके चुसने लगी।ये बात से शकीना थोड़ी सहम सी गयी।मुझे उसकी गिरी हुई सूरत पर प्यार सा आने लगा।

मैं आंखों के इशारों में शकीना से:क्या हुआ?।

उन्होंने गर्दन हिलाक़े कुछ नही कहा और थोड़ा और सहम गयी।क्या करे एकतरफा प्यार होता ही अइसा है।पर मुझे भी बुरा सा लगने लगा हिना चाची के इस बर्ताव से तो मैंने उनके पीछे से जो हाथ था वो कस लिया जिससे वो मेरे बदन से पूरा चिपक गयी और जैसे ही चौक कर उसने मुझे देखा मैंने उसके ओंठो को चुसना चालू किया।काफी देर तक चलता रहा ये पर जब बीच में मुझे अकड़न सी आयी।क्योकि हिना जो मेरे लन्ड को चूस रही थी उसकी वजह से मैं झड़ने वाला था और जैसे ही मैं झड गया।शकीना भी नीचे झुक कर हिना के साथ मेरा गाढ़ा रस मिल जुल कर चाट कर निगल गयी।मुझे अभी सोना था क्योकि ज्यादा गुस्से से दिमाग मेरा बहोत दुख रहा था और उसका इलाज सिर्फ एक ही था सुकून की पूरी नींद।दोनो रंडियों को तो वैसे भी चोदने को मिल जाता कभी भी अगर सेहत अछि रहे तो।
 
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(सुलभता के लिए संजू की जगह"मैं"का इस्तेमाल होगा।)

दोपहर 12 बजे

एक दिन अयसेही बाहर से टहलते हुए घूम फिरके घर आ रहा था तो मुझे सिमा चाची दिखाई दी।वो बर्तन बेचती थी चॉल में।
मुझे देख मुस्करके बोली:क्यो संजू घर बन्द है आज सविता कहा है।
उनकी बात से मैं चौक सा गया।
मैं:क्यो घर में नही है क्या?

सीता चाची:नही न,बहोत पुकारा खुद ही बोली उसे बर्तन लेने है और खुद ही गायब

मैं:ठीक है मैं बोल दूंगा।

सीता चाची:कोई त्योहार है क्या?

मैं थोड़ा बीचक कर:नही नही अइसी कोई बात नही।

सीता चाची:वो भी है मैं ही बुड़बक हु।तुम्हारे पिताजी का देहांत हुआ है इतनी जल्दी त्योहार को मनाता है।कुछ चाहिए होगा तो घर से आके लेके जाना।कल से मैं घर से ही सामान बेचूंगी गर्मी से अभी चला नही जाता।

मैं:ठीक है चाची,मैं आता हु.!!!

मैं थोड़ा चौक सा गया।मुझे कुछ आशंका हुई मै झट से घर आ गया।घर आया तो देखा की किचन का दरवाजा बन्द है।मैं दरवाजा ठोक दिया कोई जवाब नही आया।अयसेही दो बार किया पर कोई जवाब नही।फिर गुस्से में लाथो से दरवाजा खोला।अंदर अब्दुल चाचा और मा रंगरेलिया मना रहे थे।

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मुझे देख अब्दुल की गोटिया जाम हो गयी।मैं सीधा मा के पास गया।अंदर गुस्सा बहोत था पर फिर भी मैंने बहोत शांति से बात करने लगा।

मैं:आपको उसदिन समझाया था की दिन दहाड़े अइसी अय्याशी मत किया करो।अगर कोई बाहर वाला आ गया तो हमारे परिवार के चरित्र का दर्शन हो जाएगा।

मा:पर अभी तो शादी होने वाली है हम लोगो की।

मैं:हा तो,दिन भर चुत मरवाते फ़िरोगी।तुमने बोला इसलिए मैं इस रिश्ते के लिए मान गया।आप इतना समझ लो व्यक्तिस्वतंत्र है पर इसका मतलब ये नही की जो भी करे वो समाज को मंजूर हो।हम जो रिश्ते बना रहे है वो अभी तक बाहर नही गए है।

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मा:पर मैं अब्दुल जी को पसन्द करती हु और तुभी हिना को पसन्द करते हो और अभी शकीना को भी।

इतना होने तक शकीना चाची हिना चाची और उनकी मा आबिदा बेगम आ जाती है।

मैं:पहले मुझे यही लगा की तुम जो कर रही हो उसे प्यार है ओर नही वो तो हवस है। तुम्हारे पाव तो कब्र तक जा चुके है,तेरे वजह से कुछ कांड होगा तो मैं बाहर मुह दिखाने लायक नही रहूंगा।शादी के बाद जो करना है वो कर ले।और उससे पहले करना है तो दिनदहाड़े तो मत कर आसपड़ोस के लोग आते रहते है।

आबिदा बेगम:अरे तो उसमे कौनसी बड़ी बात है,बोल देना जो सच है।

मैं:आप उम्र में बड़ी हो अइसी बात आप बोलेंगी इसकी आशा नही थी।

हिना चाची:पर हुआ क्या,क्या जाएगा बोंलने में।

मैं:हिना चाची आपको नही मालूम क्या इस चॉल के बारे में।

हिना चाची चुप सी हो गयी।हिना चाची को चुप देख शकीना ने अपना संयम छोड़ा।

शकीना चाची:क्यो क्या बात है?!

मैं:मेरे पापा के रिश्तेदारों के बारे में हमे कुछ मालूम नही।मा पिताजी का लव मैरिज है।पर बहोत साल यहां रहने की वजह से ये चॉल ही पापा का परिवार बन गया है।इस बात को चॉल के लोग कभी नही मानेंगे।उल्टा अब्दुल चाचा को मारेंगे और इन दोनो का मुह भी काला कर देंगे।

आबिदा:तो हम पुलिस बुलवा लेंगे।

मैं:आपको सच में लगता है अइसे मसलों में पुलिस मदत करेगी।वो सिर्फ सुरक्षा देगी।बाकी कुछ कर भी नही सकति।

हिना अब्दुल से:क्यो री तुझे कितनी बार बोला है तेरे निठल्ले लन्ड पे काबू रख।काम पर ध्यान दे।शादी के बाद जितना मजा करना है कर ले।

मा:उनकी क्या गलती।तुम भी तो मजे लेते हो संजू।तुम्हारी भी शादी हो ही रही है।

मैं:मैं आपके खुशी के लिए ये सब कर रहा था।अगर मुझे बलि का बकरा बना कर मेरी ही इज्जत की धज्जियाँ उड़ाना चाहती हो तुम्हारी हवस के चक्कर में तो मोहतरमा मेरा राम राम लो।मुझे ये शादी मंजूर ही नही।आप जो चाहे करो मुझे आपसे आपसे आपसे जुड़े लोगो से कोई वास्ता नही रखना।जितनी मुझे खुशी प्यारी है उतनी ही इज्जत भी।चॉल मेरा परिवार है मेरा बचपन गुजर गया यहां।उन्हें छोड़के नही होगा मुझसे कुछ।

मैं वहां से निकल कर घर से बाहर आ गया।दरवाजे पर नगमा थी।लगता है उसने सब बाते सुन ली थी।

शकीना:मैं हु ही मनहूस ,मेरे साथ कोई रिश्ता नही टिकता।

हिना अब्दुल से:अबे भड़वे तेरे लन्ड के चक्कर में सारा बना बनाया बिघड गया।और तू सविता चुत में इतनी खुजली हो गयी की इंसानियत रिश्ते नाते भूल गयी।

आबिदा:तू उसे क्यो कोस रही हो।हर बार नौटंकी तो संजू करता है।अगर इन्होंने इश्क़ किया तो ये सब करना हक़ है इनका।

मा:हा वही तो।मै भी वही बोल रही हु।

हिना ने नगमा को देख:तुझे क्या लगता है नगमा,अभी तू भी बोल ही दे।

नगमा:मुझे इसमे संजू सही लग रहा है।

आबिदा और मा एक दूसरे को ताकने लगी।थोड़ा खिसक कर आबिदा बेगम बोली:अइसा तुम्हे क्यो लगता है भला?!

नगमा:नही तो क्या दिनदहाड़े किसीने इनको इस अवस्था में पकड़ लिया होता तो संजू की ही बदनामी होती न।समाज के रोष को कौन संभालेगा।ये लोग शादी करके निकल जाएंगे।उसे यही रहना है तो उसे सब लोगो को संभालना होगा।कल लोग उसे मा का दल्ला बोलने लगेंगे तो उसपे क्या बीतेगी।

मा:पर हमारे अरमानों का क्या?!

नगमा:उसने मना कब किया था।उसने रात ढले जो करना है करो बोला था तो दिन दहाड़े दोपहर के 12 बजे ये हरकते करने की क्या जरूरत।

शकीना:पर नगमा अभी क्या करे।कैसे वैसे तो संजू मान गया था अभी उसे मनाएगा कोन,उसका गुस्सा भी बड़ा जहरीला है।

नगमा:खेल हम सबने बिगाड़ा है हम सब मिलकर संभालेंगे और संवारेंगे इस मसले को।

हिना:पर कैसे,अभी तो वो किसीकी बात नही मानेगा तू तो उसे बचपन से जानती है कितना जिद्दी है वो।

मा:क्या मैं सच में गलती कर दी!???

हिना:क्यो तुझे अभी भी तुम्हारी गलती का अहसास नही हुआ।

शकीना:अभी आप लोग मत झगड़ो।हिना दी इनका कुछ नही बिगड़ेगा हम दोनो का।

हिना:हा शकीना सही फरमाया इस भड़वे और रंडी ने तो खुद की आग बुझा दी पर हमारे जिंदगी में आग लगा दी।

अब्दुल को उन लोगो में घर के बाहर भेज दिया और औरते मिल कर सोचने लगी की फिरसे कैसे संजू को मनाया जा,संजू यानी मैं।

मैं हमेशा गुस्सा होने के बाद बगीचा,बीच पे घुमके आता था।उस टाइम भी मैं देर शाम तक बगीचे में घूमता रहा ।7 बजे बगीचा बन्द हुआ तब मैं घर आ गया।घर में पूरा सन्नाटा था।मैं सीधा अंदर के कमरे में जाकर बेड पर बैठ गया।क्योकि गुस्से से फिरसे दिमाग घूम गया था।सर दुखने लगा था।

तभी आहिस्ता से किसी के हाथो का स्पर्श मुझे माथे पर हुआ।मैं जैसे झटका लगता है वैसे उठ गया।शकीना डर कर पीछे हो गयी।

मैं:आप यहाँ पर क्या कर रहे हो?

शकीना:पति की सेवा,कर्तव्य है मेरा।

मैं:आप सुबह के वाकिये के वक्त मौजूद थी तो आपको अलग से समझाना नही पड़ेगा इसकी आशा है

शकीना:पर इसमे मेरी क्या गलती।मैं तो कोई घटियापन्ति नही की अभीतक।

मैं:देखो मैं सच में माफी चाहता हु आपसे पर मुझे अभी कोई मन नही है।किसीसे रिश्ता जोड़ने का।

शकीना:पर आप मुझे बहोत पसन्द हो।और कल तक तो आप भी मुझे पसन्द करते थे।

मैं:वो कल की बात थी आज नही।

इतना बोलके मैं उठ कर जाने लगा तो हिना चाची आ गयी।पूरी नंगी थी।

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मैं:हिना चाची ये क्या बेहूदगी है।आप अभी कितनी भी कोशिश कर लो।कुछ फायदा नही।इंसानियत और आपकी भावनाये समझ कर मैं इन बातों के लिए तैयार हुआ था पर यहां पर कोई मेरे बारे में सोचता ही नही तो प्लीज आप दोनो अपने घर चले जाओ।

हिना चाची:अरे वो तो होने वाली जोरू थी मैं तो रखैल हु।मुझसे क्या शिकवा।

मैं:हिना चाची ये सब बातों का ये वक्त नही और सही समय भी नही।मुझे खाना खाना है।आप लोग चले जाओ।

हिना चाची:तो चलो न मेरी जान मैं खाना खिला देती हु।

मैं कुछ बोलती उससे पहले वो मुझे किचन में डायनिंग पर खींचते लेके गयी।शकीना भी दरवाजा बन्द करके नंगी मेरे पास आके बैठ गयी।दो नंगी गदराई औरते मेरे बाजू में बैठी थी,मैं अंदर से पिघल जरूर रहा था पर बाहर से पूरा सख्त था।अगर इस बार मैं पिघल गया इतनी आसानी से तो पूरी जिंदगी इनका कुत्ता बन कर रहना पड़ेगा।

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औरते थी तो मैं ज्यादा गुस्सा नही कर रहा था।क्योकि मेरा गुस्सा इतना खराब था की शब्दो में बया नही हो सकता।दोनो बहने अपनी आधी से ज्यादा उम्र पार थी।एक शादीशुदा तो दूसरी विधवा।दोनो का बदन कसा हुआ था।मुझे ये रिश्ता जरूर रखना था पर मा जिस तरह से इस बात को ले जा रही थी वो मुझे पसन्द नही आ रहा था।मुझे मा के बर्ताव में काफी बदलाव दिख रहा था।बेटे की तो उसे पड़ी ही नही थी।मान लिया उसने इश्क़ किया पर दिनदहाड़े अय्याशी करना मतलब अपने बेटे को ही झांट पे मारना।और मैं तो सीधा नही हु,और सीधा रहना भी मेरे लिए वाजिब नही था।इश्क़ में लोग कुछ भी कर सकते है।और अगर ये लोग मुझे कुछ भी नही समझते तो मुझे इन्हें मेरी मौजुदगी का अहसास तो कराना पड़ेगा ना।

मैं इन सब बातों को सोच ही रहा था की मुझे गर्मी सी महसूस हुई।होश में आके गौर किया तो मालूम पड़ा की ,दोनो बहने मेरे बाजुमे रखे दोनो बाजू के कुर्सियों पे बैठ गयी थी।उनके अंदर से जो हवस की आग बाहर आ रही थी उसकी वो गर्मी थी।उस गर्मी ने ही मेरे लन्ड को खड़ा किया।

हिना चाची ने एक निवाला लिया,मैंने सोच ही लिया था की मैं मना कर दूंगा पर उन्होंने कुछ और ही किया।वो निवाला खुद खा लिया।अभी मै आगे का सोचु उससे पहले उन्होंने अपना मुह मेरे मुह में डाला और सारा झूठा निवाला मेरे मुह में।और थोड़ी देर मुह वैसे ही रख दिया और दूर हो गयी।ये कुछ अलग ही था।मैं तो पूरा हैरान हो चुका था। मैंने पहिला निवाला खत्म किया औऱ राहत की सास ली पर मुझे मालूम नही था की दूसरा निवाला भी तैयार था क्योकि दूसरा निवाला शकीना की ओर से था।और जो निवाला उसने दिया ओ हिना से काफी बड़ा मजबूत और स्वादिष्ट था।आज तक चम्मच हाथ से जितना मजा नही आया उससे ज्यादा मजा किसीके रासिले मुह से निवाला खाके खाना खाने में आ रहा था।

खाना खत्म करके जब हाथ धोने गया तो हिना चाची ने हाथ धोते हुए पानी का मग गलती से मेरे ऊपर गिराया।मुझे मालूम था की ये गलती नही है,पर घटना इस तरह प्लान की गयी थी की मैं उनको उस बात पे कुछ बोल ही नही पाया।मुझे मालूम था की इनको मुझे नंगा करना है।हिना ने बिना मुझसे पूछे या अइसे कहा जाए की मुझे बिना पता लगे मेरे शॉर्ट को अंडरवेअर के साथ ही नीचे खिंच लिया और शकीना ने टीशर्ट को बनियान के साथ ऊपर खींच लिया।

जैसे ही उसका अहसास हुआ मैंने झट से जाके अलमारी खोली।और इस बार मुझे सबसे बड़ा झटका लगा।अलमारी में मेरा कोई सामान नही था।मैंने बाथरूम के बाजू में देखा तो वहां भी कोई कपड़ा नही था।इसका मतलब ये पूरा प्लानिंग कर रखे थे।मैंने उनके पास देखा तो जो कपड़े निकाले वो भी उन्होंने पानी में पूरे गीले कर वॉशिंग मशीन में डाल दिया।मुझे इनके ईरादे साफ मालूम पड़ रहे थे।पर सख्ती बरतते हुए मैं नंगा ही जाके बाहर बैठ गया।

हॉल और किचन के बीच में जहा पर एक छोटा बैडरूम था जहा टीव्ही था मैं वहाँ जाके बैठ गया।टीव्ही चालू की तो उसपर भी हॉट फ़िल्म चलने लगी।अब तो पूरा दिमाग हिल रहा था मेरा।मैं उधर से उठ जाता उससे पहले वो दोनो रंडिया मेरे बाजू में आके बैठ गयी।

मैं:ये क्या चल रहा है आप लोगो का!!?क्यो परेशान कर रहे हो मुझे।

हिना चाची:अरे मैं तो अपने यार को मजे दे रही हु।

शकीना चाची:और मैं मेरे होने वाले शौहर की सेवा कर रही हु।

मैं:मैंने करने बोला था??मुझे जरूरत नही है इसकी।अभीतक किया उसकेलिए थैंक यु अभी चलते बनो।

शकीना:अरे अइसे कैसे सेवा आधी अधूरी नही छोड़ी जाती।और मेरे बड़े पतिदेव की सेवा पूरी हो गई पर छोटे पतिदेव की तो बाकी है।(उन्होंने लन्ड को हाथ में पकड़ लिया।मुझे सिहरन सी हुई।शरीर में करन्ट से दौड़ पड़ा।)

हिना:वो देख शकीना संजू भी मुझे अइसे ही किस करेगा।

शकीना:और वो देख हिना उसका लन्ड मैं अइसे ही मुह में लुंगी।

हिना:कुछ भी।तू क्या लेगी अपनी मुह में।कितना बड़ा है देख।

शकीना:तो क्या हुआ मैं ले सकती हु।

(बोलते बोलते वो लन्ड को मुह में ले लेती है।उसका देख हिना भी मेरे ओंठो पे कब्जा कर देती है।)

ये जो ऊपर हुआ वो टीव्ही पर लगी हॉट फ़िल्म पर आधारित था।उनकी प्लानिंग वही थी जो वो कर रहे है पर फ़िल्म को जरिया बना दिया था।

मैं कितना भी सख्त बनू पर हवस का कीड़ा आपको अंदर से नोचने लगे तो उसकी प्रतिक्रिया जाने अनजाने में दिखाई देना चालू हो जाती है।मैंने भी होश खोते हुए हिना के गर्दन को दबोचा और कस के दबाकर रखा अपने मुह पर,वो खुद ही मेरे ओंठो को चूस रही थी और मुझे भी अपने रसिंले ओंठो का रसपान करवा रही थी।

दूसरा हाथ से शकीना चाची की गर्दन को पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगा।उनका पूरा मुह आखिर तक लेके जा रहा था जहाँतक वो जा सकता था।कुछ देर बाद दोनो सीधा होक मेरे कंधे पर सर टिकाए बैठ गयी।

शकीना:तुम तुम्हारी मा की गलती की सजा मुझे क्यो दे रहे हो।मैं तुम्हे बहोत पसंद करने लगी हु।प्लीज मेरे साथ अइसे मत करो।

हिना:ये कलमुँही ये प्यारव्यर हद में ।संजू शौहर जरूर तेरा होगा पर वो हमेशा मेरा रहेगा,प्यार भी मेरे से ही करेगा।

शकीना:वो मालूम है दीदी पर मैं तो प्यार कर सकती हु।उतना हक तो मेरा है ही और वो करे या न करे वो उसका फैसला है।

हिना:वो नही करेगा तेरे से प्यार,वो सिर्फ मेरे से ही प्यार करेगा,क्यो संजू मेरी जान!!?

मैं:देखो शकीना मुझे तुमसे शादी करने से कोई अयतराज नही है।पर मा और अब्दुल चाचा अभी जो हरकते कर रहे है उसके परिणाम गलत हो सकते है।वो जो कर रहे है वो करे उसमे मुझे कोई प्रॉब्लम नही पर उसका ढंग और समय तो सही होना चाहिए।

शकीना:पर तुम्हे अइसा क्यो लग रहा है की परिणाम गलत होंगे।

मैं:क्योकि सुबह सीता चाची यहाँ से आके गयी।आपको नही मालूम पर हिना चाची को मालूम है,उनका पूरी चॉल से बहुत करीबी रिश्ता है।अगर दोपहर को ये लोग पकड़े जाते तो वो हंगामा कर देती।ये लोग मार खाते ही ऊपर से मेरी इज्जत की भी धज्जियां उड़ जाती।और अगर इसके बाद भी इनकी हरकते चालू रही शादी होने तक और पकड़े गए तो चॉल वाले ही ये शादी तुड़वा देंगे।

हिना:मैं तुम्हे यकीन दिलाती हु ये हुआ सो हुआ इसके बाद ये दोनो अइसी कौनसी भी हरकत नही करेंगे जिससे तुम्हे कोई ठेच पोहुँचे।ठीक है।अभी तो मान जा मेरी जान।

मैं:ठीक है,इतना भरोसा तो आप पे मैं कर ही सकता हु।पर अभी शादी होने तक इसकी जिम्मेदारी आपकी है।

शकीना चाची:अरे उसकी चिंता आप छोड़ो ,आप तैयार हो गए हो तो अभी उनको हम देख ही लेंगे ,क्यो हिना दी।

हिना:हा शकीना मेरी जान, संजू तेरे लिए कुछ भी कर लेंगी ये हिना और शकीना,बस तुम हमारे हो जाना।

इस बात पर हम तीनो हसने लगे।

शकीना मेरे लन्ड को हाथ में लिए:हिना दी सही यार ढूंढ रखा है आपने ,जितना तगड़ा बदन है उतना ही तगड़ा लन्ड है।

हिना:फिर क्या,कोई शक ही नही।बस तू कलमुँही बीच में घुस रही है।नही तो संजू सिर्फ मेरा है।

शकीना:कोई और होता तो बीच रास्ते से हट भी जाती पर अभी सोचना भी मत।तुम कितना भी इनसे प्यार करो चुदाओ पर शौहर तो मेरे ही बनेंगे।कुछ ही सही पर प्यार तो नसीब होगा शौहर के लिहाजो में।

हिना चाची:हा हा ठीक है।उतना खुला छूट दे दिया तुझे।पर अभी लन्ड को छोड़ वो मुझे चाहिए।

हिना चाची ने शकीना का हाथ हटा कर मेरा लन्ड खुद के हाथ में ले लिया और मुह में लेके चुसने लगी।ये बात से शकीना थोड़ी सहम सी गयी।मुझे उसकी गिरी हुई सूरत पर प्यार सा आने लगा।

मैं आंखों के इशारों में शकीना से:क्या हुआ?।

उन्होंने गर्दन हिलाक़े कुछ नही कहा और थोड़ा और सहम गयी।क्या करे एकतरफा प्यार होता ही अइसा है।पर मुझे भी बुरा सा लगने लगा हिना चाची के इस बर्ताव से तो मैंने उनके पीछे से जो हाथ था वो कस लिया जिससे वो मेरे बदन से पूरा चिपक गयी और जैसे ही चौक कर उसने मुझे देखा मैंने उसके ओंठो को चुसना चालू किया।काफी देर तक चलता रहा ये पर जब बीच में मुझे अकड़न सी आयी।क्योकि हिना जो मेरे लन्ड को चूस रही थी उसकी वजह से मैं झड़ने वाला था और जैसे ही मैं झड गया।शकीना भी नीचे झुक कर हिना के साथ मेरा गाढ़ा रस मिल जुल कर चाट कर निगल गयी।मुझे अभी सोना था क्योकि ज्यादा गुस्से से दिमाग मेरा बहोत दुख रहा था और उसका इलाज सिर्फ एक ही था सुकून की पूरी नींद।दोनो रंडियों को तो वैसे भी चोदने को मिल जाता कभी भी अगर सेहत अछि रहे तो।
Bilkul sahi ja rahe ho......
In randiyon ka kutta nahi banna
Balki
Inko apni kutiya bana ke rakhna hai

Khaskar maa ko full dominate karna padega
Wo sanju ko kuchh samajh hi nahi rahi
 

Kabir

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