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Adultery मैली

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naag.champa

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मैली
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अनुक्रमाणिका
अध्याय १ // अध्याय २ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५ // अध्याय ६

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naag.champa

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अध्याय ४



“तो फिर तूने क्या किया? क्या तूने लाडला के सामने बैठकर मूत दिया?” सासू मां आलता देवी ने मुझसे पूछा|

मैंने कहा, “ मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था, सासु मैया| तब तक लाल बाबा के घर काफी लोग आ चुके थे... और उस वक्त अगर मैं हां ना कुछ करती हूं तो शायद लाडला नहीं नौटंकी शुरू कर देता और फिर मुश्किल हो जाती... क्योंकि लाल बाबा के मानने वालों में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं उनकी कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... और उनमें से एक औरत ने तो एक बार पूछ लिया था कि लाल बाबा मुझे अपने घर कपड़े पहन कर रहने की इजाजत क्यों देते हैं? इसलिए मैं कोई नया झमेला नहीं चाहती थी... इसलिए मैं लाडला के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी पहला कर उकडूं होकर बैठ गई और जैसे ही मैं मूतने के लिए बैठने वाली थी उसी वक्त लाडला ने हैरत के साथ उससे पूछा, “अरे यह क्या? तुम्हारी दोनों टांगों के बीच में एकदम बाल क्यों नहीं है... मुझे इतना तो पता है कि लड़कियों की दाढ़ी मूछें नहीं होती तो क्या तुम लड़कियों की झांटें भी नहीं होती है?”



उसकी यह बात सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई, “नहीं रे जानेमन! लड़कियों की भी झांटे होती है लेकिन चूँकि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ इसलिए मुझे अपने दोनों के बीच के हिस्से को बिल्कुल साफ सुथरा रखना पड़ता है ताकि जब मेरे मालिक यानी कि तेरे अब्बू मुझे नंगी करें तुम मुझे देख कर उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए”

मैंने गौर किया कि लाडला फटी फटी आंखों से मुझे देख रहा है| आज जिंदगी में पहली बार उसने किसी औरत का यौनांग बिल्कुल साफ-साफ देखा था... और फिर मैंने कोई देर नहीं की मैंने उससे कहा, “यह देख जानेमन लाडला, लड़कियां कैसे मूतती है”

यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गई और फिर मैंने उसके सामने मूत दीया| न जाने क्यों मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि लाडला यह देख रहा है कि लड़कियों के दो टांगों के बीच में लड़कों की तरह कुछ लटक रही रहा कुछ झूल नहीं रहा... लड़कियों को कुछ पकड़ने की जरूरत भी नहीं है वह सिर्फ बैठ जाती है और फिर उनके यौन अंग से मूत की धारा निकलती है|

ओ मेरे हल्के पीले रंग के बहते हुए मूत को देखता रहा... उसके बाद मैंने साबुन से अच्छी तरह से अपने यौनांग को धोया और फिर उठकर अपनी साड़ी ठीक करने से पहले अपनी दो उंगलियों में नारियल का तेल लगा कर अच्छी तरह से अपने यौनांग के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लिया|

लाडला में फिर हैरत से पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो मैली दिद्दी (दीदी)”

मेरे प्यार से उसके गालों पर हाथ फिर कर कहा, “अब थोड़ा सब्र रख जानेमन लाडला थोड़ी ही देर के बाद तुझे सब कुछ समझ में आ जाएगा”

इसके बाद में उसके कंधे पर हाथ रखकर मैं उसको उसके कमरे में ले गई और उसको पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके उसमें कुंडी लगा दी|

पूरा कमरा थोड़ा सा अंधेरा हो गया और साथ ही में मुझे ऐसा लगने लगा कि कमरे के माहौल में थोड़ी कामुकता छा गई है|

इतने में लाडला बोल उठा, “मैली दिद्दी (दीदी), मेरा दिल न जाने क्यों जोर जोर से धड़क रहा है... और जैसा कि मैंने देखा कमरे का दरवाजा बंद करके तुम तो अब्बू सामने बिल्कुल नंगी हो जाती हो”

“हां मेरी जानेमन लाडला तूने बिल्कुल ठीक कहा... और मैंने तुझे बताया था ना कि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ; इसलिए मेरे मालिक जब मुझे कमरे में ले जाकर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं तो यह मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊं”

“ तो तुमने अब तक की साड़ी क्यों पहन रखी है? फिलहाल तो तुम एक बंद कमरे में मेरे साथ अकेली हो तुम अपनी यह साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी क्यों नहीं हो जाती?”

मैंने अपने बालों को खोलते हुए मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मेरे को बिल्कुल नंगी देखना तो तेरी ख्वाहिश है ना? तो तू खुद पास आकर मेरे साड़ी क्यों नहीं उतार देता?”

मेरी न्योते से लाडला बड़ा खुश हुआ| जल्दी से उठ कर आया और सबसे पहले तो उसने मेरे सीने से मेरा आंचल हटा दिया और उसके बाद बड़े ध्यान से वह मेरे स्तनों को देखने लगा... मेरे अंदर भी हल्की-हल्की गर्मी सी आने लगी शायद इसीलिए मेरी चूचियां उभर आई थी| लाडला से मानव रहा नहीं गया वो हल्के हल्के अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दुलार ने लगा और फिर वह बोला, “तुम्हारे यह दुद्दू (स्तन) कैसे तंग तंग लेकिन बिल्कुल नरम-नरम है, मैली दिद्दी (दीदी) “

मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे ही होते हैं मेरी जानेमन लाडला”

“अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी), क्या तुम मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर खेलने दोगी?”

“क्यों नहीं? इसके अलावा आज तो मुझे तेरे को बहुत कुछ सिखाना और समझाना भी है लेकिन उसके लिए पहले मुझे तेरे सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा... जानेमन लाडला, क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) की साड़ी को खोल कर उसे बिल्कुल नंगी नहीं करेगा?”

“हां हां हां, क्यों नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल खुली और मैं भी देखना चाहता हूं... काश मेरे बाल भी तुम्हारे जैसे रेशमी घूंगराले घने और लंबे होते”

“अरे कोई बात नहीं... वैसे भी तेरे बाल औरों के मुकाबले बिल्कुल कमर तक लंबे और बहुत सुंदर है... अब देर मत कर, मेरी साड़ी उतार कर तू मुझे नंगी कर दे और उसके बाद मैं भी तेरी लुंगी और बनियान उतार दूंगी... और उसके बाद हम दोनों नंगा नंगी एक साथ बिस्तर पर लेट जाएंगे... उसके बाद हम लोग एक खेल खेलेंगे... जैसे तेरे हो मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी करके लिटा कर मेरे साथ खेलते हैं वैसे तू भी सिर्फ मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर ही क्यों मेरे पूरे बदन के साथ खेलना”

लाडला से रहा नहीं जा रहा होगा, उसने और कोई देर नहीं की… उसने जल्दी-जल्दी है मेरी साड़ी उतार दी और उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया... मैंने भी सबसे पहले उसकी लूंगी की गांठ खोलकर उसे ढीला किया लेकिन लूंगी मेरे हाथ से फिसल गई और झप से नीचे गिर गई... मैंने देखा कि पहले के मुकाबले उसका लिंग थोड़ा और बड़ा और बड़ा बड़ा सा लग रहा था... लेकिन उस अब मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया मैंने उसकी बनियान उतार दी और उसको भी पूरा नंगा कर दिया... वैसे तो मैं रोज ही उसे नंगा करके रह जाती हूं लेकिन आज मैंने तुम्हारा उसको सर से पांव तक देखा...

लंबाई में वह मेरे से करीब 3 या 4 इंच छोटा होगा और उसका बदन बिल्कुल दुबला पतला एकदम लल्लू पंजू की तरह था|

कितने में लाडला का ध्यान उसकी दो टांगों के बीच के हिस्से में गया और वह हैरत से बोला, “अरी मैली दिद्दी (दीदी), यह क्या हो रहा है? इससे पहले तो कभी मेरा नन्नू (लिंग) इतना बड़ा और इतना सख्त कभी नहीं हुआ था”

“ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “चिंता मत कर जानेमन लाडला, तेरा नन्नू (लिंग) अभी और भी बड़ा और- और भी सख्त होने वाला है”

उस वक्त लाडला के दिमाग में बहुत सारी बातें बिजली की तरह को उधर ही थी उसने अनजाने में ही मेरे यौनांग पर हाथ फेरते- फेरते मुझसे पूछ लिया, “मैली दिद्दी (दीदी) तुम लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता?”

“ ही ही ही ही” मुझे दोबारा हंसी आ गई, और मैंने कहा, “ नहीं रे जानेमन लाडला, लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता... और हां एक और बात...” अब मैंने उंगली उठा कर उसको समझाने के तरीके से बताया, “ लड़कों के नुन्नू (यौनांग) को 'लंड' कहते हैं... और इन अण्डों को 'टट्टे' कहते हैं... और हम लड़कियों की नुन्नू (यौनांग) को ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’के नाम से जाना जाता है… अब बोल मेरी जान... मैंने तुझे क्या सिखाया?”

“लड़कों के 'लंड' और 'टट्टे' होते हैं और लड़कियों की ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’... लड़कों का खड़ा हो जाता है लेकिन लड़कियों का नहीं होता”

“अरे वाह मेरी जानेमन लाडला तो सब सीख गया है... चल अब हम दोनों नंगा नंगी बिस्तर पर जाके लेट जाते हैं”

“हां हां हां” लाडला बहुत खुश होकर बोला|

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया|

इतनी देर से मेरी सासू मा आलता देवी बड़े ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “ तो क्या बिस्तर पर लेटने के साथ ही तूने उसके साथ चुदाई कर ली?”

“जी नहीं, सासु मैया... वैसे तो सोचने वाली बात यह है कि लाडला की उम्र करीब है 21- 22 साल की है... लेकिन उसकी बनावट और बदन यहां तक की दिमाग के हिसाब से भी वह बहुत ही कच्चा है... अब तो उसे देखा है और आपकी समझ गई होंगी कि कोई अगर दूर से उसे खुले बालों में देखें तो पहले पहले शायद वो यही सोचेगा कि यह कोई 13- 14 साल की लड़की है... इसलिए मैंने सोचा कि अगर एकदम शुरू शुरू में मैंने उसका लिंग अपनी यौनांग में घुसा दिया तो शायद उसे दर्द होगा... क्योंकि बचपन में उसके लिंग की चमड़ी को आगे से छील लिया गया था इसलिए जब वह मेरी चुत में अपना लंड घुसायेगा तू उसकी चमड़ी सिकुड़ कर एकदम पीछे चली जाएगी और शायद पहली बार उसको दर्द भी हो सकता है... इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं उसका लंड अपने हाथों की मुट्ठी में लेकर हिला हिला कर उसे उस खूबसूरत मस्ती का एहसास करा दूं जिसकी उसे बहुत जरूरत है, उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके अपने मालिक यह दिए हुए हुकुम के मुताबिक मैं उसकी हवस को भड़का कर उसे असली खेल के मजे का एहसास करवाऊंगी...”

क्रमशः
 
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Lutgaya

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अध्याय ४



“तो फिर तूने क्या किया? क्या तूने लाडला के सामने बैठकर मूत दिया?” सासू मां आलता देवी ने मुझसे पूछा|

मैंने कहा, “ मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था, सासु मैया| तब तक लाल बाबा के घर काफी लोग आ चुके थे... और उस वक्त अगर मैं हां ना कुछ करती हूं तो शायद लाडला नहीं नौटंकी शुरू कर देता और फिर मुश्किल हो जाती... क्योंकि लाल बाबा के मानने वालों में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं उनकी कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... और उनमें से एक औरत ने तो एक बार पूछ लिया था कि लाल बाबा मुझे अपने घर कपड़े पहन कर रहने की इजाजत क्यों देते हैं? इसलिए मैं कोई नया झमेला नहीं चाहती थी... इसलिए मैं लाडला के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी पहला कर उकडूं होकर बैठ गई और जैसे ही मैं मूतने के लिए बैठने वाली थी उसी वक्त लाडला ने हैरत के साथ उससे पूछा, “अरे यह क्या? तुम्हारी दोनों टांगों के बीच में एकदम बाल क्यों नहीं है... मुझे इतना तो पता है कि लड़कियों की दाढ़ी मूछें नहीं होती तो क्या तुम लड़कियों की झांटें भी नहीं होती है?”

उसकी यह बात सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई, “नहीं रे जानेमन! लड़कियों की भी झांटे होती है लेकिन चूँकि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ इसलिए मुझे अपने दोनों के बीच के हिस्से को बिल्कुल साफ सुथरा रखना पड़ता है ताकि जब मेरे मालिक यानी कि तेरे अब्बू मुझे नंगी करें तुम मुझे देख कर उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए”

मैंने गौर किया कि लाडला फटी फटी आंखों से मुझे देख रहा है| आज जिंदगी में पहली बार उसने किसी औरत का यौनांग बिल्कुल साफ-साफ देखा था... और फिर मैंने कोई देर नहीं की मैंने उससे कहा, “यह देख जानेमन लाडला, लड़कियां कैसे मूतती है”

यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गई और फिर मैंने उसके सामने मूत दीया| न जाने क्यों मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि लाडला यह देख रहा है कि लड़कियों के दो टांगों के बीच में लड़कों की तरह कुछ लटक रही रहा कुछ झूल नहीं रहा... लड़कियों को कुछ पकड़ने की जरूरत भी नहीं है वह सिर्फ बैठ जाती है और फिर उनके यौन अंग से सवारी की तरह मूत की धारा निकलती है|

ओ मेरे हल्के पीले रंग के बहते हुए मूत को देखता रहा... उसके बाद मैंने साबुन से अच्छी तरह से अपने

यौनांग को धोया और फिर उठकर अपनी साड़ी ठीक करने से पहले अपनी दो उंगलियों में नारियल का तेल लगा कर अच्छी तरह से अपने यौनांग के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लिया|

लाडला में फिर हैरत से पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो मैली दिद्दी (दीदी)”

मेरे प्यार से उसके गालों पर हाथ फिर कर कहा, “अब थोड़ा सब्र रख जानेमन लाडला थोड़ी ही देर के बाद तुझे सब कुछ समझ में आ जाएगा”

इसके बाद में उसके कंधे पर हाथ रखकर मैं उसको उसके कमरे में ले गई और उसको पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके उसमें कुंडी लगा दी|

पूरा कमरा थोड़ा सा अंधेरा हो गया और साथ ही में मुझे ऐसा लगने लगा कि कमरे के माहौल में थोड़ी कामुकता छा गई है|

इतने में लाडला बोल उठा, “मैली दिद्दी (दीदी), मेरा दिल न जाने क्यों जोर जोर से धड़क रहा है... और जैसा कि मैंने देखा कमरे का दरवाजा बंद करके तुम तो भूखे सामने बिल्कुल नंगी हो जाती हो”

“हां मेरी जानेमन लाडला तूने बिल्कुल ठीक कहा... और मैंने तुझे बताया था ना कि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ; इसलिए मेरे मालिक जब मुझे कमरे में ले जाकर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं तो यह मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊं”

“ तो तुमने अब तक की साड़ी क्यों पहन रखी है? फिलहाल तो तुम एक बंद कमरे में मेरे साथ अकेली हो तुम अपनी यह साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी क्यों नहीं हो जाती?”

मैंने अपने बालों को खोलते हुए मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मेरे को बिल्कुल नंगी देखना तो तेरी ख्वाहिश है ना? तो तू खुद पास आकर मेरे साड़ी क्यों नहीं उतार देता?”

मेरी न्योते से लाडला बड़ा खुश हुआ| जल्दी से उठ कर आया और सबसे पहले तो उसने मेरे सीने से मेरा आंचल हटा दिया और उसके बाद बड़े ध्यान से वह मेरे स्तनों को देखने लगा... मेरे अंदर भी हल्की-हल्की गर्मी सी आने लगी शायद इसीलिए मेरी चूचियां उभर आई थी| लाडला से मानव रहा नहीं गया वो हल्के हल्के अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दुलार ने लगा और फिर वह बोला, “तुम्हारे यह दुद्दू (स्तन) कैसे तंग तंग लेकिन बिल्कुल नरेंद्र हमसे है, मैली दिद्दी (दीदी) “

मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे ही होते हैं मेरी जानेमन लाडला”

“अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी), क्या तुम मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर खेलने दोगी?”

“क्यों नहीं? इसके अलावा आज तो मुझे तेरे को बहुत कुछ सिखाना और समझाना भी है लेकिन उसके लिए पहले मुझे तेरे सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा... जानेमन लाडला, क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) की साड़ी को खोल कर उसे बिल्कुल नंगी नहीं करेगा?”

“हां हां हां, क्यों नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल खुली और मैं भी देखना चाहता हूं... काश मेरे बाल भी तुम्हारे जैसे रेशमी घूंगराले घने और लंबे होते”

“अरे कोई बात नहीं... वैसे भी तेरे बाल औरों के मुकाबले बिल्कुल कमर तक लंबे और बहुत सुंदर है... अब देर मत कर, मेरी साड़ी उतार कर तू मुझे नंगी कर दे और उसके बाद मैं भी तेरी लुंगी और बनियान उतार दूंगी... और उसके बाद हम दोनों नंगा नंगी एक साथ बिस्तर पर लेट जाएंगे... उसके बाद हम लोग एक खेल खेलेंगे... जैसे तेरे हो मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी करके लिटा कर मेरे साथ खेलते हैं वैसे तू भी सिर्फ मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर ही क्यों मेरे पूरे बदन के साथ खेलना”

लाडला नहीं होगा और कोई देर नहीं की उसने जल्दी-जल्दी है मेरी साड़ी उतार दी और उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया... मैंने भी सबसे पहले उसकी लूंगी की गांठ खोलकर उसे ढीला किया लेकिन लूंगी मेरे हाथ से फिसल गई और झप से नीचे गिर गई... मैंने देखा कि पहले के मुकाबले उसका लिंग थोड़ा और बड़ा और बड़ा बड़ा सा लग रहा था... लेकिन उस अब मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया मैंने उसकी बनियान उतार दी और उसको भी पूरा नंगा कर दिया... वैसे तो मैं रोज ही उसे नंगा करके रह जाती हूं लेकिन आज मैंने तुम्हारा उसको सर से पांव तक देखा...

लंबाई में वह मेरे से करीब 3 या 4 इंच छोटा होगा और उसका बदन बिल्कुल दुबला पतला एकदम लल्लू पंजू की तरह था|

कितने में लाडला का ध्यान उसकी दो टांगों के बीच के हिस्से में गया और वह हैरत से बोला, “अरी मैली दिद्दी (दीदी), यह क्या हो रहा है? इससे पहले तो कभी मेरा नन्नू (लिंग) इतना बड़ा और इतना सख्त कभी नहीं हुआ था”

“ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “चिंता मत कर जानेमन लाडला, तेरा नन्नू (लिंग) अभी और भी बड़ा और- और भी सख्त होने वाला है”

उस वक्त लाडला के दिमाग में बहुत सारी बातें बिजली की तरह को उधर ही थी उसने अनजाने में ही मेरे यौनांग पर हाथ फेरते- फेरते मुझसे पूछ लिया, “मैली दिद्दी (दीदी) तुम लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता?”

“ ही ही ही ही” मुझे दोबारा हंसी आ गई, और मैंने कहा, “ नहीं रे जानेमन लाडला, लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता... और हां एक और बात...” अब मैंने उंगली उठा कर उसको समझाने के तरीके से बताया, “ लड़कों के नुन्नू (यौनांग) को 'लंड' कहते हैं... और इन अण्डों को 'टट्टे' कहते हैं... और हम लड़कियों की नुन्नू (यौनांग) को ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’के नाम से जाना जाता है… अब बोल मेरी जान... मैंने तुझे क्या सिखाया?”

“लड़कों के 'लंड' और 'टट्टे' होते हैं और लड़कियों की ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’... लड़कों का खड़ा हो जाता है लेकिन लड़कियों का नहीं होता”

“अरे वाह मेरी जानेमन लाडला तो सब सीख गया है... चल अब हम दोनों नंगा नंगी बिस्तर पर जाके लेट जाते हैं”

“हां हां हां” लाडला बहुत खुश होकर बोला|

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया|

इतनी देर से मेरी सासू मा आलता देवी बड़े ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “ तो क्या बिस्तर पर लेटने के साथ ही तूने उसके साथ चुदाई कर ली?”

“जी नहीं, सासु मैया... वैसे तो सोचने वाली बात यह है कि लाडला की उम्र करीब है 21- 22 साल की है... लेकिन उसकी बनावट और बदन यहां तक की दिमाग के हिसाब से भी वह बहुत ही कच्चा है... अब तो उसे देखा है और आपकी समझ गई होंगी कि कोई अगर दूर से उसे खुले बालों में देखें तो पहले पहले शायद वो यही सोचेगा कि यह कोई 13- 14 साल की लड़की है... इसलिए मैंने सोचा कि अगर एकदम शुरू शुरू में मैंने उसका लिंग अपनी यौनांग में घुसा दिया तो शायद उसे दर्द होगा... क्योंकि बचपन में उसके लिंग की चमड़ी को आगे से छीन लिया गया था इसलिए जब वह मेरी चुत में अपना लंड घुसायेगा तू उसकी चमड़ी सिकुड़ कर एकदम पीछे चली जाएगी और शायद पहली बार उसको दर्द भी हो सकता है... इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं उसका लंड अपने हाथों की मुट्ठी में लेकर हिला हिला कर उसे उस खूबसूरत मस्ती का एहसास करा दूं जिसकी उसे बहुत जरूरत है, उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके अपने मालिक यह दिए हुए हुकुम के मुताबिक मैं उसकी हवस को भड़का कर उसे असली खेल के मजे का एहसास करवाऊंगी...”


क्रमशः
वाह naag.champa ji
कमाल का लिखती हो आप
वर्तनी अशुद्ध करके मत लिखें प्लीज।
आप को अपनी खूबसूरती की कसम।
 
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वाह naag.champa ji
कमाल का लिखती हो आप
वर्तनी अशुद्ध करके मत लिखें प्लीज।
आप को अपनी खूबसूरती की कसम।
आपके सुझाव और टिप्पणियों के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद|

जैसा कि मैंने कहा था, आमतौर पर मैं अपनी कहानियों में वर्तनी काफी साफ होती है, लेकिन इस कहानी में मैंने एक देहाती माहौल पैदा करने के लिए जानबूझकर वर्तनी में अशुद्धि को प्रयोग के रूप में किया...

आशा है मेरी बाकी कहानियों में आपको ऐसी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा|
 
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naag.champa

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अध्याय ५


सासु मां आलता देवी सुराही से एक गिलास ठंडा पानी भर के मेरे लिए लेकर आई और फिर पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?”

मैं काफी देर से बोले जा रही थी इसलिए सचमुच मेरा गला नहीं सूख रहा था| मैं एक ही सांस में पूरा गिलास पानी पी गई; और फिर मैंने बोला जारी रखा-

वैसे तो आप जानती हैं सासु मैया, आपने लाल बाबा से मिलकर जो इंतजाम किया और उसके बाद मुझे आपकी इजाजत मिल गई, इसलिए पराए मर्दों की बिस्तर में बदन पसारने का मुझे अच्छा सा तजुर्बा हो गया है|

इसलिए जब मैं लाडला को लेकर उसके साथ बिस्तर में लेट गई है तो मुझे कोई परेशानी महसूस नहीं हुई| और उस हालात में मैं उससे लिपट कर उसे प्यार से सेलानी लगी| हम दोनो के नंगे बदन एक दूसरे से छू रहे थे... और लाडला को एक अजीब सा उसकाव महसूस हो रहा था... लेकिन बनावट से लाडला बहुत ही दुख का मतलब था उसके मुकाबले लाल बाबा का बदन बिल्कुल गठीला और हट्टा कट्टा सा था... जिसकी छुअन का एहसास बहुत ही अच्छा लगता था...

लेकिन लाडला को जो महसूस हो रहा था वह बिल्कुल अलग था|



कोतुहल और उत्साह से भरी एक नई बात ना मानो उसके सारे तन और मन को उत्तेजित कर रहा था... कुछ देर तक मेरे साथ लिपट कर लेटे रहने के बाद खुद ब खुद उठ बैठा और मेरे पूरे बदन पागलों की तरह सहलाता... जैसे कि मानो वह कुछ खोज रहा है और वह से मिल नहीं रहा... उसने इससे पहले किसी भी औरत का यौनांग नहीं देखा था इसलिए मेरे बदन का वह हिस्सा उसका पूरा का पूरा ध्यान खींच रहा था...

वह बार-बार मेरे यौनांग कि लोगों को उंगलियों से दबा दबा कर देख रहा था और अनजाने में उसने अपनी उंगलियां अंदर डालने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे रोक लिया...

इसी बीच लाडला न जाने कितनी बार उससे बोल चुका था, “मैली दिद्दी (दीदी), तुम्हारे बदन को लेकर ऐसे खेलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा है... और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है... मेरा नुन्नु अंदर ही अंदर अपने आप काँप सा रहा है और पता नहीं मुझे एक अजीब से मीठे-मीठे दर्द का भी एहसास हो रहा है... और देखो मेरा यह नन्नू अपने आप ही कितना बड़ा और सख्त हो गया है...”

मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि लाडला के अंदर धीरे-धीरे कामुकता कर रही है और चूँकि दूसरों के बिस्तरों में बदन पसारने में मैं काफी तजुर्बे दार हूं इसलिए मैंने उससे कहा, “अब सुन मेरी बात जानेमन लाडला... तेरी ख्वाहिश के मुताबिक और तेरे अब्बू के हुकुम के हिसाब से मैं तेरे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी लेट गई हूँ... और तू मेरे पूरे नंगे बदन से खेल रहा है... “

अब मेरी एक बार तो मानेगा? तुम मेरे दुद्दूयों (स्तनों) की चूचियों को थोड़ा चूस दे... इससे मुझे भी बड़ा मजा आएगा”



“हां- हां- हां, क्यों नहीं... क्यों नहीं” लाडला एकदम लालच और हवस की गर्मी में बहक के बड़ा खुश हो कर के मेरी चूचियों को चूसने लगा... मैंने अपनी दूसरी चूची उसके हाथों में पकड़ा दिया और वह इशारा समझ कर उसे अपनी उंगलियों सेदबा दबा कर खेलने लगा...

लेकिन कुछ ही देर बाद उसने मेरे से एक अजीब से सवाल किया...

“ऐसा कैसा सवाल किया लाडला में तेरे से?”, सासू मां आलता दीदी है बहुत ही ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी और ऐसी भड़कती हुई हालत में लाडला के सवाल का जिक्र उन्हें बड़ा ही अजीब लग रहा था...



“ही ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी और मैंने कहा, “सासु मैया, अगर आप उसका सवाल सुनोगे तो आप ही हंसने लगोगी... उसने मुझसे पूछा अरे यह क्या मैली दिद्दी (दीदी)?... तुम्हारे दुद्दू (स्तन) इतने सूखे सूखे क्यों है?”

मैंने भी हैरत नहीं आकर उससे पूछा, “सूखे सूखे? क्या मतलब?”

उसने कहा, “ मैं तुम्हारी दुद्दूयों (स्तनों) को चूस रहा हूं, मैली दिद्दी (दीदी) लेकिन इनमें से तो दूध ही नहीं निकल रहा”

अब मैं उसके सवाल का क्या जवाब दूं? अब मैं उसे कैसे समझाऊं कि जिन औरतों के छोटे-छोटे बच्चे हुआ करते हैं उन्हीं के स्तनों में दूध आता है... और मुझे मालूम था कि इस वक्त अगर मैं उसे यह सब समझाने बैठ गई की औरतों को बच्चा कैसे होता है तो हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ज्यादा ही दूर पड़ेगा इसलिए मैंने उसके सवाल को टाल दिया और कहा, “हर चीज के लिए एक वक्त होता है, मेरे दुद्दूयों (स्तनों) में जब दूध आएगा, तब मैं तुझे जरूर पिलाऊंगी”

लाडला जिस तरह से मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूस रहा था वह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने दोबारा उससे कहा, “ अरे तू रुक क्यों गया जानेमन लाडला, मेरी दुद्दूयों (स्तनों) की चुचियों को चूसता रह... क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) को प्यार नहीं करना चाहता?”

लाडला मेरी बातों को सुनकर फिर से ललचाया और फिर खुशी खुशी “हां हां हां” बोलकर वह दोबारा मेरी चूचियों को चूसने लगा|

लाडला मुझसे बिल्कुल चिपक के और लिपट के लेटा हुआ था उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ा दी थी... और अब मुझे लगने लगा कि मौका अच्छा है| मैंने धीरे से उसकी टांग को अपने बदन से हटाया और फिर उसके अध खड़े लिख दो अपने हाथ की मुट्ठी में पकड़ लिया और फिर उसे ऊपर-नीचे ऊपर- नीचे हिलाने लगी...

जैसे ही मैं ऐसा करने लगी, लाडला की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई है... और मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूसने लगा... मुझसे भी रहा नहीं गया मैंने उसके माथे को चूमने लगी... धीरे धीरे मैंने देखा कि लाडला हल्का-हल्का हिलने डुलने और छटपटाने लगाया है... मैं समझ गई कि धीरे धीरे उसके अंदर का ज्वार बढ़ रहा है... इसलिए मैंने सोचा कि अब मेरी बारी... मैंने उसके बदन पर एक टांग चढ़ाकर उसके बदन को पलक से दबा कर रखा और अपने दूसरे हाथ से उसको कस कर पकड़ लिया था कि वह ज्यादा हिलडुल ना सके और उसके बाद मैंने और तेजी से उसके लिंग को हिलाना शुरू किया...

इतने में लाडला का लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया था और एकदम लोहे की तरह सख्त हो चुका था... दूर-दूर से सांसे ले रहा था और आगे बढ़ रहा था... और उसके मुंह से दबी हुई आवाज में भी निकलने लगी थी... “ममम... ऊँ... हूँ... ममम... ऊँ... हूँ... ममम... ऊँ... हूँ...”

मैंने उसे छोड़ा नहीं, मैंने अपनी पूरी ताकत से उसे बिस्तर पर दबाए रखा और उसका लिंग हिलाती रही... क्योंकि मुझे मालूम था... भले ही मुझे जबरदस्ती करनी पड़े लेकिन आज उसको इस बात का तजुर्बा करवाना बहुत ही जरूरी था... उसके बाद ज्यादा देर नहीं लगी... लाडला का बदन अचानक कांप उठा... और करीब-करीब एक चुल्लू हल्का गरम इला चिपचिपा धात (वीर्य) उसके लिंग से फूट पड़ा और मेरा हाथ और मेरी मुट्ठी उससे गीली हो गई... लेकिन उसका माल (वीर्य) उसके बाप के माल (वीर्य) की तरह गाढ़ा नहीं था... मैंने अपनी नजरों को झुका कर देखा... लाडला अपनी आंखें मूंदे हुए हांफ रहा था... उसका चेहरा एक अनजानी खुशी और चैन की भावना से भरी हुई थी...

मैंने उसके चेहरे से उसके उलझे उलझे बालों को हटाया और फिर उसे अपनी पकड़ से अलग करके उसे कुछ देर तक चूमती और चाटती रही और फिर मैंने उससे पूछा, “बोल मेरी जान लाडला, कैसा लगा तुझे?”

लाडला हाँफते हुए बोला, “ अरे बाप रे... अरे बाप रे... मुझे तो बहुत मजा आया मैली दिद्दी (दीदी)... जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा एहसास हुआ है... मैं तो यह चाहता हूं तुम हर रोज मेरे साथ ऐसा ही करो”

“हां क्यों नहीं? तुझे अगर यह सब अच्छा लगा... तो तुझे खुश करके मुझे भी खुशी मिलेगी”

फिर लाडला को यह एहसास हुआ कि उसके लिंग से कुछ अजीब सी चीज फूट पड़ी थी, उसने हैरत से मुझसे पूछा, “ मेरे नुन्नू से वह क्या निकला, मैली दिद्दी (दीदी)?”

मैंने बड़े प्यार से स्पीक वालों को से लाया और फिर उसे उसकी सच्चाई से रूबरू करवाया, “मैं बताती हूं ना जानेमन लाडला... तेरे नुन्नू से जो चीज निकली है... उसे कहते हैं- ' सड़का'... या फिर 'माल' या फिर 'धात'... और जिस तरह से मैंने तेरा नुन्नू अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाया... उसे कहते हैं मुठ मारना... लड़की लोग जब मुठ मारते हैं तो उन्हें ऐसी मस्ती का एहसास होता है और वक्त आने पर उनके नन्नू से सड़का फूट पड़ता है…”

मेरी बात पूरी होने से पहले ही लाडला ने बीच में ही सवाल किया, “अच्छा, मैली दिद्दी (दीदी) सड़का क्यों निकलता है?... क्या होता है इससे?”

मैंने उसे समझाते हुए कहा, “हर मर्द की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह औरतों की चुत में अपना सड़का गिराए... चुत का मतलब याद है ना तुझे, लाडला?”

“हां हां हां... वही तो तुम लड़कियों की पेशाब करने वाली जगह...”, यह कहकर लाडला ने प्यार से मेरे यौनांग पर हाथ फेरा...

“हां तूने बिल्कुल ठीक कहा... और जैसा कि मैं कह रही थी लड़के लोग जो भी लड़कियों की चुत मैं अपना ही है सड़का गिराते हैं... तुझे सी खुशी और मदहोशी का एहसास तुझे हुआ वैसा ही लड़कियों को भी होता है...”

“अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी)... तुमने तो मेरा नुन्नू हाथ की मुट्ठी में पकड़ कर हिला हिला के मुझे तो एकदम बहुत खुश कर दिया... लेकिन तुम लड़कियां ऐसा क्या करती हो?”

“हम लोग और कर ही क्या कर सकते हैं, जानेमन लाडला... अगर हम लोगों का दिल करता है तो हम लोग अपनी चुत के अंदर उंगली डालकर हिला लेती है...”

“अरे वाह बड़ी अच्छी बात है, तुमने मेरे साथ जैसा किया उससे तो मुझे बड़ा मजा आया अगर तुम चाहो तो मैं अपनी उंगलियां डालकर हिला हिला कर तुमको भी मैं खुश कर दूं?”

मैंने कहा, “नहीं-नहीं- नहीं... तुझे मेरी फुद्दी में यानी कि चुत में उंगली डालने की जरूरत नहीं है... मैं तो यह चाहती हूं कि तू अपना लंड यानी कि नन्नू मेरी फुद्दी में डाल कर हिलाये...”

“अरे हां हां हां हां... अब मैं समझा अब्बू जब तुम्हारे ऊपर लेटते हैं तो अपना नुन्नू यानी के लंड तुम्हारी फुद्दी में घसेड़ देते हैं और उसके बाद अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे करके तब तक हिलाते हैं जब तक उनके लंड से सड़का नहीं फूट पड़ता... उसके बाद तुम दोनों को बड़ा मजा आता है और फिर अब्बू तुमसे अलग हो जाते हैं... हां हां हां... अब मैं सब कुछ समझ गया”

चलो गनीमत है कि इतनी देर में लाल बाबा के बेटे लाडला ने दो और दो जोड़कर 22 का आंकड़ा बना लिया है...

“अरे वाह! मेरी जानेमन लाडला तो बहुत समझदार हो गया है उसे सब कुछ एकदम समझ में आ गया है...”



“लेकिन मैली दिद्दी (दीदी), देखो ना मेरा नन्नू फिर से कैसे छोटा और एकदम निढाल सा हो गया है... एकदम नरम नरम... मैं इसे तुम्हारी फुद्दी में कैसे घुसाउँगा?”

“तू उसकी चिंता क्यों कर रहा है जानेमन लाडला मैं हूं ना तेरी लौंडिया... तेरी मैली दिद्दी (दीदी) मैं दोबारा तेरे नन्नू को खड़ा करके बिल्कुल सख्त सा खम्बे जैसा लंड बना दूंगी और उसके बाद तू अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसा देना...”

क्रमशः
 
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naag.champa

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Jabardast kahani hai
आपको मेरी लिखी हुई कहानी पढ़कर अच्छी लगी, इस बार कि मुझे बहुत खुशी है|😊

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏
 
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naag.champa

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अध्याय ६


“तो इसका मतलब यह हुआ कि लाल बाबा के बेटे लाडला का यह जिंदगी का पहला एहसास था... और जिंदगी में पहली बार उसका सड़का (वीर्य) फुटकर निकला था?” मेरी सासू मां आलता देवी ने मुझसे सवाल किया|

मैंने कहा “हां”

बातों ही बातों में मैं न जाने कब मैं अपनी सासू मा आलता देवी की गोद में सर रखकर अपने वतन को बिल्कुल ठीक ना छोड़ कर लेट गई थी; इस बात का मुझे ध्यान ही नहीं| उन्होंने मेरे खुले बालों में प्यार से उंगलियां चलाते हुए पूछा, “तेरी बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि तू ने जबरदस्ती ही उसको अपनी जिंदगी का सबसे हसीन एहसास दिलाया...”

“जी हां आपने बिल्कुल ठीक कहा”

“मुझे तो ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार किसी कुंवारी लड़की के साथ जिंदगी में पहली बार सुहागरात मनाया जाता है... और उसका कुंवारी पना फाड़ दिया जाता है”

“ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “आपका कहना लगभग सही है ,सासु मैया”

“लेकिन जहां तक मैं जानती हूं पुराने जमाने की बड़ी बूढ़ी औरतें हैं यह कहा करती है कि जैसे किसी कुंवारी लड़की को पहली बार भोगना किसी आदमी के लिए किस्मत की बात है ठीक वैसे ही किसी लड़की के लिए एक कुंवारे लड़के के साथ सोना उतना ही अहम है... खासकर ऐसे किसी आदमी या फिर लड़के का निकला हुए माल (वीर्य) को कुबूल करना... तो तूने क्या किया? क्या तूने सिर्फ ऐसे ही अपना हाथ पोंछ लिया?”

“हां हां हां, मैं पुराने जमाने की बड़ी-बड़ी औरतों की यह सब बातों को अच्छी तरह से जानती हूं, सासु मैया| इसलिए जब लाल बाबा का बेटा लाडला अपनी आंखें मूंद कर हाफ रहा था तब मैंने उसकी नजरें बचाकर अपने हाथ में लगा हुआ उसका सड़का (वीर्य) चाट चाट के चूसा और फिर मैं उसे निगल गई...”

“चलो अच्छा हुआ, यह तो तूने बहुत अच्छा किया... लाडला का गिरा हुआ पहला सड़का तू अगर अपनी योनि में ना ले सकी तो तू उसे पी गई... अच्छा हुआ कि तूने उसे यूं ही बर्बाद ना जाने दिया... लेकिन तू यह पुराने जमाने की औरतों वाली बातें कब से जानती है?”

“यह तुम्हें ठीक से नहीं कह सकती लेकिन इतना तो मुझे याद है जब तक मेरी नदियां का बांध टूटा (मेरा मासिक शुरू हुआ)... तब मेरी उम्र क्या रही होगी 12 या 13 साल की होंगी मैं... मैं तब तक सब कुछ जान चुकी थी... यहां तक की आदमी और औरत के बीच संबंध के बारे में भी”

मेरा जवाब सुनकर मेरी सासू मां आलता देवी फिर से हंस पड़ी और उन्होंने कहा, “ तब तो तेरे कुटुंब और अड़ौसी पड़ोसियों का क कहना बिल्कुल ठीक था कि तुम बहुत कच्ची उम्र में ही शरीर और मन से जल्दी ही पक गई थी यानी कि उम्र के हिसाब से जल्दी ही तेरे अंदर जवानी आ गई थी.. हा हा हा”

“ही ही ही ही ही ही”

"अच्छा उसके बाद क्या हुआ" मेरी सासू मा आलता देवी ने लाल बाबा के बेटे लाडला के बारे में पूछा|

मैंने फिर से बोलना शुरू किया-

लाल बाबा के बेटे लाडला के लिए यह एक बहुत ही हसीन और मदहोश कर देने वाला एहसास था वह काफी देर से ऐसे बिस्तर पर पड़ा रहा मानव हो नशे में हो और शायद उसे ऐसा लग रहा था कि उसने अपनी जिंदगी का एक बहुत ही अहम मुकाम हासिल कर दिया है और अब शायद उसे जिंदगी में कुछ और करने की कोई जरूरत भी नहीं है...

लेकिन अपने मालिक लाल बाबा के हुकुम के मुताबिक मेरी यह जिम्मेदारी बनती थी कि मैं उसको पूरी तरह से शारीरिक संपर्क के बारे में तजुर्बे दार बना दूं और यह उसके लिए उसकी जिंदगी की एक नई सीढ़ी बन जाएगी...

इसलिए मैंने उसको उसका आने के लिए दोबारा अपनी कोशिश शुरू कर दी... और मैं उसे प्यार से दुलारने और पुचकारने लगी|

मैं उसको चूमने लगी... उसके होठों पर, पलकों पर, गर्दन पर छाती में और फिर उसकी नाभि की छेद में अपनी जीभ डाल कर उसे उस गाने की कोशिश करने लगी...

कुछ देर बाद मुझे लगने लगा कि वह धीरे-धीरे गरम हो रहा है और उसका लिंग भी धीरे बड़ा हो रहा है| यह देखकर मैंने और देर नहीं की... और मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसके अंडकोष को चाटने लगी...

लाडला को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन अनजाने में ही है वह भी मेरे बालों में अपनी उंगली घुसा कर धीरे-धीरे सहलाने लगा... और आप तो अच्छी तरीके से जानती है सासू मैया कि वह लोग जात और धर्म में परे मलेछ (दूसरे धर्म के) है और उनके अंगों के सिरों की चमड़ी का टांका छिला हुआ रहता है...

इसलिए जितना तक हो सके मैंने उसके लिंग की चमड़ी को नीचे की तरफ खींच दिया और और उसका गुलाबी गुलाबी कुंवारा लिंग दिखने में न जाने क्यों मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... और मेरा जी ललचाया और मैं उसको चाटने लगी... धीरे धीरे लाडला के अंदर कामना का सैलाब उमड़ने लगा… मैं उस वक्त पूरा जी जान लगाकर उसके लिंग को अपने मुंह के अंदर डाल कर दबा दबा कर चूस रही थी...

"हां यह तूने अच्छा किया.." सासू मां आलता देवी ने कहा, " ऐसा करने से अनजाने में ही लाडला की समझ में यह आ जाएगा की लड़कियों की पुद्दी में अपना लंड घुसाने से लड़कों को कैसा एहसास होता है..."

" हां, सासु मैया... मेरे ख्याल से लाडला को भी जरूर ऐसा ही लग रहा होगा... "

"फिर क्या हुआ?"

मैंने गौर किया कि लाडला का लंड अब काफी सख्त और खड़ा हो चुका था... मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है इसलिए मैं भी उसके बगल में लेट गई और फिर मैंने उससे कहा, "मेरी जानेमन लाडला, क्या तू अपनी है मैली दिद्दी (दीदी) की फुद्दी (योनि) में अपना खंबा नहीं गढ़ेगा?"



गहरी और लंबी सांसों के बीच बड़े ही भोलेपन से लाडला ने पूछा, " खंबा करने का मतलब क्या है, मैली दिद्दी (दीदी)?"

"धत तेरी की..."

मेरे मुंह से निकलने वाला था, ' धत्त तेरी की पागल कहीं का'... लेकिन मैंने अपने आप को रोक लिया... क्योंकि मैं जाती थी 'पागल' शब्द सुनकर लाडला को बहुत गुस्सा आता है और इस वक्त मैं उससे नाराज नहीं करना चाहती थी|

आखिरकार मेरे मालिक लाल बाबा ने मुझे एक हुक्म दिया था और उसकी तामील करना मेरी जिम्मेदारी थी, इसलिए मैंने अपने आपको एंड मौके पर किसी तरह संभाल कर उसे समझाया, "अरे मेरी भोली जानेमन लाडला, देख देख देख तेरा नन्नू ऐसे खड़ा होकर एकदम खंभे जैसा लंड बन गया है... अब तुझे इसे मेरी फुद्दी (योनि) में घुसा कर मेरे ऊपर लेट जाना है... और उसके बाद जैसा कि तूने देखा था कि तेरे अब्बू किस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... कर रहे थे और मजे ले रहे थे तुझे वैसा ही करना है... और तुझे ऐसा तब तक करने देना है जब तक की तेरी लंड से सड़का नहीं फूट पड़ता... तूने देखा था थोड़ी देर पहले ही तुझे एकदम से कितनी खुशी और एक बहुत ही हसीन एहसास हुआ था? वैसा ही तेरे साथ दोबारा होगा... इसी को कहते हैं फुद्दी (योनि) में अपना खंबा गाढ़ना..."

यह कहकर लेटे लेटे ही मैंने अपनी दोनों टांगे फैला दी|



"अरे हां... अच्छा अच्छा अच्छा" यह बोलकर लाडला झटपट उठ बैठा और उसके बाद मेरे यो नाम को देखते हुए बोला, "लेकिन मैली दिद्दी (दीदी), तुम्हारी फुद्दी (योनि) तो एकदम सपाट बंद है... अपने मुंह की तरह इसे भी खोलो ना? तभी तो मैं अपना नन्नू इसके अंदर डाल पाऊंगा"

मैंने मन ही मन सोचा इस बंदे को कुछ भी नहीं आता... इसे तो यह भी नहीं मालूम कि औरतों की फुद्दी (योनि) को मुंह तरह खोला नहीं जाता|

लेकिन मैंने वक्त जायर नहीं किया और मैंने कहा, "हां हां जरूर... यह ले.." यह कह कर मैंने अपनीउंगलियों से अपने यूनान के दोनों लबों को थोड़ा फैला दिया, "और हां, देख रहा है ना तेरा नन्नू कैसे खड़ा होकर सख्त होकर एकदम खंभे जैसा लंड बन गया है? इसलिए तू अपने नुन्नू को लंड ही बोलेगा..."

" हां... हां... हां... ठीक है... ठीक है... ठीक है..." लाडला बड़े ही जोश में आकर मेरी योनि में धीरे धीरे अपना लिंग घुसाने लगा...

"अरे बाप रे... मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है... मैली दिद्दी (दीदी), थोड़ा थोड़ा दर्द भी हो रहा है"

"एकदम रुकना नहीं मेरी जानेमन लाडला... तेरे से जितना हो सके अपने खंभे को उतना ही अंदर डाल... अगर जरूरत पड़े, तो जोर लगाकर ही सही है और उसके बाद तो मेरे ऊपर लेट जा"



लाडला ने बिल्कुल एक आज्ञाकारी लड़के की तरह जैसा जैसा मैंने कहा बिल्कुल वैसा ही किया और उसके बाद वह मेरे ऊपर लेट गया|

मैंने उसको अपनी आगोश में ले लिया और मैं जानती थी कि अनजाने में ही उसके ज़हन में भी की यौन भावनाएं धड़कने लगी थी... इसलिए बिना कहे ही वह भी मुझसे लिपटकर मुझे प्यार से सहलाने और दुलारने लगा और फिर अपने आप ही अपनी कमर को ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... हिला हिला कर... मजे लेने लगा...

इतने में मुझे भी सब कुछ अच्छा लगने लगा और मेरी सांसे भी गहरी और लंबी होने लगी थी... और मैंने उसे थोड़ा और उकसाने के लिए उसकी कान में घुस घुस आया, "जानता है रे जानेमन लाडला? लड़की लोग जब इस तरह से अपना लंड लड़कियों की फुद्दी (योनि) मैं डाल कर हिलाते हैं तो उसे क्या कहते हैं?"

"क्या कहते हैं, मैली दिद्दी (दीदी)?" लाडला ने कांपती हुई आवाज में मुझसे पूछा|

मैंने उसे समझाया, "इसे कहते हैं, ठुकाई करना या फिर ठापना..."

तब तक लाडला के मुंह से दबी दबी से आए हैं और आवाजें निकलने लगी थी, "उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- .... उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- .... उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- ...."

और उसके बाद मुझे कुछ बोल नहीं है समझाने की जरूरत नहीं पड़ी, उसने खुद ब खुद अपने मैथुन की गति बढ़ा दी... क्योंकि अब तक लाडला को एक अनजाने मजेदार फल के रस का स्वाद मिल गया था और वह उसी में मगन हो उठा था... उसके अंदर हवस की लहरें उमड़ने लगी थी और वह उसी अनजाने बहाव में बहता गया...

और पूरे कमरे में सिर्फ हम दोनों की गहरी सांसे... आहें और ठपाने की आवाज गूंजने लगी... थप! थप! थप! थप! थप! थप!

लाडला का किसी औरत के साथ यह पहला तजुर्बा था इसलिए ज्यादा देर तक वह अपना जोश बरकरार नहीं रख पाया... इसलिए इससे पहले की मुझे खुशी मिल पाती लाडला अपने आप को रोक नहीं पाया और उसका वीर्य मेरे अंदर फूट पड़ा और फिर वह मेरे ऊपर ही लेटे लेटे सुस्ताने लगा...

मेरी बातें सुनकर मेरी सासू मां आलता देवी को भी बड़ा मजा आ रहा था वह भी मस्ती भरे स्वर में मेरे से बोली, "अरे वाह रे वाह! तेरी बातों को सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि तूने अपने मालिक के हुकुम की बखूबी तामील की है... और इसके साथ ही तूने उस लड़कियों वाली आदतों वाले लौंडे लाडला को बहुत सारी बातें और शब्द भी सिखा दिए जिसका उसको तक खुद ब खुद पता चल जाना चाहिए था... अच्छा फिर तूने क्या किया?"

मेरे ऊपर कुछ देर तक एकदम निढाल होकर बड़े रहने के बाद लाडला मुझे छोड़कर मेरे बगल में लेट गया| पर मुझे ऐसा लग रहा था कि तभी उसको शायद कोई होश नहीं है, इसलिए मैंने खुद ही उसके चेहरे से उसके उलझे उलझे लंबे बालों को हटाया और फिर प्यार से उसके चेहरे को छोड़कर खुद ही अपनी फुद्दी (योनि) में उंगली डालकर हिलाने लगी...

उस दिन शायद उसके बाद थोड़ी देर के लिए मैं सो गई थी|

जब दरवाजे पर दस्तक हुई है तो मेरी नींद खुली| घर में तो और कोई है ही नहीं इसलिए मैं समझ गई कि और कोई नहीं यह खुद लाल बाबा खुद ही आकर दरवाजा खटखटा रहे हैं|

लगता है एक-एक करके लाल बाबा को मानने वाले जा चुके हैं और उनकी अगली वादत का वक्त हो गया है|

मैहर बड़ा कर बिस्तर से उठी और जल्दी जल्दी किसी तरह से अपने बदन पर साड़ी लपेटी|

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, लाल बाबा मेरे उलझे उलझे बाल और चेहरे की हालत को देख कर ही समझ गए थे किमैंने उनके हुकुम का बखूबी तामील किया था... लेकिन इस हड़बड़ी में जी बिल्कुल भूल ही गई थी लाडला पलक पर बिल्कुल नंगा सो रहा है|

मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूं, इसलिए सबसे पहले तो मैंने लाल बाबा से माफी मांगी, "माफ कीजिएगा मालिक, आपके लड़के को प्यार करते करते शायद मैं भी सो गई थी..."



लाल बाबा ने कहा, "ठीक है... ठीक है... कोई बात नहीं" फिर उन्होंने मुझे सर से पांव तक एक बार अच्छी तरह से देखा और फिर उन्होंने कहा, "अब तू चल मेरे कमरे में..."

यह कहकर उन्होंने मेरे खुले बालों को समेट कर अपने बाएं हथेली की मुट्ठी में एक पोनीटेल कितना पकड़ा और बड़े जतन के साथ मुझे अपने कमरे में ले गए...

मैं यह बात जानती हूं कि उनका मेरे बालों को इस तरह से पकड़ने का मतलब क्या था| वह यह जताना चाहते थे कि उनका मेरे ऊपर पूरा पूरा अधिकार है और वह जो चाहे मेरे साथ कर सकते हैं क्योंकि मैं उनकी एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... इसलिए हमें चुपचाप सर झुका कर उनके साथ साथ उनके कमरे में चली गई...

मुझे कमरे के अंदर ले जाने के साथ ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया... और मैं चुपचाप अपनी जैसे तैसे अरे बेटी हुई साड़ी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर उनके बिस्तर पर लेट गई और मैंने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया|



लालबाबा भी अपनी बनियान और लूंगी उतार कर एकदम नंगे हो गए और धीरे-धीरे मेरे ऊपर लेट गए...



मुझे लगता है मेरी वैसी हालत और अपने बेटे को नंगा देखकर शायद उनके मन में भी हवस का जोहार उमर आया था या फिर वह जानते थे की लाडला के लिए गे पहला तजुर्बा है इसलिए शायद मुझे शांत नहीं कर पाया होगा... हो सकता है इसीलिए वह दोबारा मुझे मेरे बालों को पकड़कर अपने कमरे में लेकर गए...

लाडला के मुकाबले लाल बाबा शरीर और मन से काफी काबिल है और उनका बदन भी काफी गठीला है और उनके पास तो उम्र का तजुर्बा भी है... लाडला तो खुद शांत होकर सो रहा था, लेकिन मैं प्यासी रह गई थी अच्छा हुआ कि लाल बाबा मुझे अपने कमरे में लेकर आए ताकि मेरी अधूरी प्यास बुझ सके...

***

इसलिए उस दिन मुझे काफी देर लग गई थी... फिर भी मैंने लाल बाबा के बिस्तर से उठने के बाद अपनी साड़ी पहनते हुए मुझसे बोली, "मेरे मालिक, अब मैं जाकर आपके बेटे लाडला को नींद से उठा देती हूं... आज तो मुझे उसके बालों में तेल लगाने का मौका ही नहीं मिला और ना ही मैंने उसकी कंघी- चोटी की है... "

लाल बाबा का मिजाज मुझे उस दिन दोबारा भोगने के बाद काफी खुश था, वह बोले, "ठीक है... ठीक है... ठीक है... मेरे बेटे को तैयार करके अपने घर की तरफ रवाना दे... घर जाकर तो तुझे घर की रसोई भी सवाल नहीं है ना?"



मैं अपने बालों कंघी- चोटी को जुड़े में बांधती हुई बोली , "जी हां मालिक, आपने बिल्कुल सही फरमाया..."

लाल बाबा ने कुछ सोचा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, " अच्छा एक बात बता, मैली... तेरी विधवा सास मांस मछली तो खाती होगी?"

"हां हां मालिक, आप की मेहरबानियां मिलने से पहले तो हमारे घर में बहुत ही तंगी चल रही थी... इसलिए जल्दी जो मिलता था हम लोग खा लेते थे... कभी कबार जब मुझे इधर उधर शादी वगैरा में बर्तन मांजने का काम मिल जाता था, तो वहां से पैसों के साथ खाना भी मिल जाता था... तब सेखाने में अगर कुछ अच्छा मिल जाता था तो हम दोनों मिल बांट के खा लेते थे..."

"बड़ी अच्छी बात है, आज जब तू घर वापस जाने के लिए निकलेगी तब मैं तेरे हाथ में एक पर्ची में लिख कर दे दूंगा... तू सीधे जुम्मन मियां की बिरयानी की दुकान में चली जाना वह तुझे दो लोगों की बिरयानी दे देगा..."

इसके बाद में लाडला के बालों में तेल लगा कर चोटियां बना कर उसके चेहरे पर और बदन पर पाउडर लगाकर... जुम्मन मियां की दुकान से खाना लेकर घर लौटी थी..."

मेरी सासू मां आलता देवी प्यार से मेरे गालों को सहलाती हुई बोली, "तू जब से मेरे घर आई है, मेरे घर की तंगी है दूर हो गई है... आज तेरी बदौलत हम थोड़ा अच्छा और पेट भर के खाना खा पा रहे हैं... मैंने तुझे लाल बाबा की कनीज़ -बंधीया-रखैल बनाकर जरूर रखा है लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई चारा भी तो नहीं था..."

"सासु मैया, इस बात पर मुझे कोई एतराज नहीं है... मैंने आपसे कहा था मैंने हंसी खुशी सब कुछ मान लिया है"

इसके बाद हम दोनों कुछ देर तक चुपचाप ऐसे ही बैठे रहे, फिर मैंने कहा, "सासु मैया, आज रसोई में जाकर के और खाना बनाने की जरूरत नहीं है... क्योंकि जैसा कि मैंने आपसे कहा था कि आज लाल बाबा के घर मैंने मांस पकाया है... दोनों ने हमारे लिए भी उसमें से कुछ हिस्सा निकालकर दे दिया है... और उन्होंने जितना दिया है उससे हम दोनों का दो वक्त का खाना आराम से पूरा पड़ जाएगा..."

यह बात सुनकर मेरी सांसों में आलता दीदी बहुत ही खुश हुई, और उसके बाद उत्सुकता वश उन्होंने मुझसे पूछा, "अच्छा एक बात बता, तेरी जानेमन लाडला के अंदर क्या अभी भी वह लड़कियों वाली आदतें बरकरार है?"

"जी हां सासु मैया" मैंने हंसकर कहा, "अभी तो सिर्फ 10 या 15 दिन ही हुए हैं कि लाडला मेरे ऊपर लेट रहा है... मुझे लगता है उसकी शख्सियत में बदलाव आने में अभी काफी वक्त लगने वाला है... और हां और एक बात आजकल लगभग हर रोज ही मुझे घर आने में देर हो रही है क्योंकि सबसे पहले तो मैं घर का सारा काम करती हूं... खाना बनाती हूं... उसके बाद लाल बाबा के बिस्तर पर अपना बदन पसार देती हूं... फिर लाडला को नहलाना- धुलना उसके बाद उसको अपने ऊपर लिटाना... उसके बाद हम दोनों को खाना परोसना और फिर घर के लिए रवाना होने से पहले आजकल लाल बाबा लगभग हर रोज मेरे बालों को पकड़कर मुझे अपने कमरे में दोबारा लेकर जाते हैं मुझे चोदने के लिए... आज भी वही हुआ"

मेरी बातें सुनकर मेरी सासू मा आलता देवी कुछ सोचने लग गई और फिर उन्होंने कहा, फिर तो मुझे ऐसा लगता है कि तू उन लोगों की जितनी खिदमत करती है उसके हिसाब से तेरी भरपाई में भी थोड़ा इजाफा होना चाहिए... मैं लाल बाबा से बात करके देखती हूं... अब उन्हें बताना पड़ेगा कि तेरी तनख्वाह के साथ-साथ अब हम दोनों के लिए दो वक्त के खाने का भी इंतजाम कर दे... क्योंकि तू तो उनके घर के सारे काम करती हैं... झाड़ू पोछा करना चूल्हा चौका करना... कपड़े धोना वगैरा-वगैरा और फिर उन दोनों के बिस्तरों को भी गर्म करना..."

मैंने मुस्कुराकर कहा, " तू जैसा आप ठीक समझें को कीजिए, सासु मैया... मैं तो सिर्फ आपका कहा मान कर चल रही हूं"

"हां री मेरी बच्ची मैली, मैं तो तेरी तेरी सास... तेरी मां जैसी... लेकिन अगर देखा जाए तो तेरे ऊपर हुकुम चलाना मेरा हक बनता है... और जब तक मेरा लड़का जेल में है तू मेरे हुकुम के मुताबिक दूसरे के घर जाकर दूसरे मर्द होकर बिस्तर में अपना बदन पसार कर थोड़ा बहुत लेचारी की बदौलत थोड़ा बहुत चुदाई करके अगर घर में थोड़े बहुत पैसे लेकर आ रही है तो इसमें बुरा ही क्या है?"

अबे धीरे-धीरे उठ कर बैठी और अपना साड़ी उतार कर अपने ब्लाउज के हुक खोलते हुए अपनी सासू मां आलता देवी से कहा, "सासु मैया, अब मैं जाकर नहा लेती हूं उसके बाद मैं आपका खाना परोस दूंगी... वैसे मैं दोबारा यह बात कहना चाहूंगी कि लाडला के अंदर बदलाव आने में अभी काफी वक्त लगेगा..."

" हा हा हा हा हा, इसमें हमें तो कोई नुकसान नहीं होने वाला गूगल की अच्छा ही होगा| तू जितने दिन लाल बाबा की और उनके बेटे की जैसे सेवा करती रहेगी तब तक तो हम लोगों के परिवार में तंगी का कोई नामोनिशान ही नहीं रहेगा..."

मैं मुस्कुरा कर नहाने चली गई... उस दिन की तरह आज भी बहुत देर हो गई थी| खाना खाने के बाद मुझे थोड़ा आराम करना है और उसके बाद रात को अच्छी तरह सोना भी है क्योंकि अगले दिन समय दोबारा मुझे काम पर निकलना पड़ेगा... और लाल बाबा और उनके बेटे की खिदमत करके उन दोनों को खुश भी रखना होगा...



*** समाप्त ***
 
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Adirshi

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"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Lutgaya

Well-Known Member
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कहानी समाप्त हो गई या आगे बढेगी naag.champa जी
बहुत शानदार कहानी है आपकी।
 
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