किचन से बर्तन के उठापटक की आवाज़ आ रही थी। अब समय था कि मैं एक अच्छे पति का कर्त्तव्य निभाऊँ। जल्दी से लिपस्टिक पोंछ कर मैं किचन की ओर चल पड़ी। और जाकर बिना मौका दिए, झट से पीछे से परिणिता को गले लगा लिया। मैंने उससे कहा, “तुम थक गयी होगी। मैंने तुम्हारे लिए पहले ही खाना बना रखा है। तुम टेबल पर बैठो मैं खाना गरम करके लाता हूँ।” उसकी आँखों में अभी भी थोड़ी नाराज़गी थी पर कम होने के आसार दिख रहे थे। परिणिता की नज़रो में तो मैंने एक अच्छे पति होने का एक काम तो किया था। पर सच तो यह था कि दोपहर में साड़ी पहनकर घर के काम और खाना बनाने में जो ख़ुशी मुझे मिली थी, मैं उसको समझा नहीं सकती थी। मैंने टेबल पे प्लेट और कैंडल पहले ही लगा रखी थी। यह सब घर के काम करके औरत होने का सुख वो ही समझ सकता है जिसे यह मौका कम मिलता हो। इन्टरनेट पे मेरी सभी सहेलियां ऐसे मौके की तलाश में रहती है। हम तो रेसिपीज भी एक्सचेंज करती है जो शायद असली जीवन में कभी न करें।
अब टेबल पर खाना लग चूका था और खुशबूदार कैंडल भी जल रही थी। कैंडललाइट में परिणिता नाराज़ ही सही पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। उसने गुस्से से मेरी तरफ देखा और कहा, “मैं तुमसे कई बार कह चुकी हूँ कि तुम जब भी यह करते हो….”। उसके पूरा कहने के पहले ही मैंने उसके होठो पे पहले हाथ रख दिया और फिर उसे एक प्यार भरा किस दिया। मेरे होंठो पर एक बार फिर लिपस्टिक लग चुकी थी। “मेरे होंठो पर जब तुम्हारी लिपस्टिक लगती है, वही मेरी फेवरेट है।”, मैंने कहा। मेरी और देख कर फिर वो हँसने लगी। चलो एक मुश्किल तो दूर हुई थी। फिर खाना खाकर और थोड़ी देर बातें कर हम दोनों सोने चले गए।
बिस्तर पर सोने से पहले मन में बस एक ही विचार चल रहा था कि काश, परिणिता मेरी भावनाओं को स्वीकार कर पाती। मेरे अंदर की स्त्री को भी जीने का उतना ही हक़ है। कुछ देर ऐसा सोच कर मैंने परिणिता की और देखा और उसे अपनी बाहों में ले लिया। स्पूनिंग करते वक़्त हाथ पत्नी के स्तनों पर चले गए। मैंने उसकी lingerie से हाथ डालकर उसके स्तनों को प्यार से छूना शुरू किया। वो अब मेरे और पास आ गयी थी। तब यह एहसास हुआ कि पति पत्नी के जीवन से जुड़े पहलूओं में यह भी कितना प्यारा पहलू है। कम से कम इस वक़्त मैं पति बन कर परिणिता को उसकी सब परेशानियों से दूर कर उसे सुरक्षित अनुभव कराना चाहता था। यदि मुझमे एक प्यार से भरी स्त्री है जो मेरे लिए ख़ास मायने रखती है तो मेरा सुरक्षा देने वाला पुरुषरूप भी उतना ही महत्वपूर्ण है मेरे लिए। यह सोचकर मैं भी सो गया।
पर उस रात को जो होने वाला था वो हमारे जीवन को हमेशा के लिए बदल देने वाला था। रात गहरी हो चुकी थी और नया सवेरा एक अद्भुत घटना के साथ आने वाला था जो आज तक हमारी समझ से बाहर है।
अगली सुबह क्या हुआ। कैसे बताऊँ? थोड़ी सी शर्म आ रही है! औरतें ऐसी बातें करने में थोड़ा शर्माती भी है। पर मेरी यह कहानी तो एक पति पत्नी की कहानी है। फिर ऐसे विषयों से दूर भी नहीं रहा जा सकता। वैसे भी हम एक सामान्य पति-पत्नी तो थे नहीं। यहाँ मैं पति हूँ जिसके भीतर एक औरत भी छुपी हुई। तो यूँ कहे कि सामान्य शादी शुदा कपल में एक आदमी और एक औरत होते है, हमारे रिश्ते में एक आदमी और दो औरतें थी। हर क्रोसड्रेसर की यही कहानी है। जहाँ दो औरतें हो जाए वहां थोड़ी खींचतान तो होती ही है। पर मैं विषय से भटक रही हूँ।
उस दिन सुबह सुबह सूरज को रौशनी मेरे चेहरे पर पड़ी तो आँख खुली। वो सुबह संडे की थी। और संडे सुबह प्यार करने वाले दम्पत्तियों के बीच क्या होता है सभी को पता है। खुशनुमा सुबह थी और दिल में प्यार उमड़ रहा था। मैंने आँखें बंद की और परिणिता की ओर पलट गयी। बंद आँखों के साथ ही परिणिता के होंठो को चुम ली। मुझे फिर शर्म आ रही है पर फिर भी बताती हूँ। मेरी तरह ही परिणिता ने भी मेरे होंठो को चूमना शुरू किया। न जाने क्या बात थी पर जो उत्तेजना आज मेरे होंठो पे महसूस हो रही थी वो बाकी दिनों से बहुत अलग थी। मैंने उत्तेजना में परिणिता को अपने पास खिंच लिया। आँख बंद कर एक दुसरे को छूने में जो एह्सास है वो आँखें खोल कर छूने में नहीं है। इस ज़ोर के चुम्बन से मन और कामुक भावनाओं से उत्तेजित हो रहा था। और जब ज़ोर से एक दुसरे को सीने से लगाए, तो मैं तो बस अपना वश ही खो दी थी। आज तो सीने में जो हलचल हो रही थी उससे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे सीने पर स्तन उग आये हो। कुछ तो अलग था आज पर इतना अच्छा था कि कुछ और सोचने का मन ही न किया। और तभी मैंने नीचे कुछ महसूस किया। क्षमा चाहती हूँ यदि आपको पढ़ कर ठीक न लगे तो। नीचे पुरुष लिंग पूरी तरह से तना हुआ महसूस हुआ। वहां हाथ ले जाने पर पता चला की वह लिंग मेरा नहीं है! मैंने किसी और पुरुष का लिंग अपने हाथो में पकड़ा हुआ था! और जैसे ही यह हुआ, दोनों शरीर एक दुसरे से दूर हो गए। अब आँखें खुल चुकी थी। पर जो आँखें देख रही थी वह दिमाग यकीन नहीं कर पा रहा था।
मैं एक पुरुष को किस कर रही थी! और वो मेरी आँखों के सामने था। मैं जो भी हूँ, मुझे हमेशा लड़कियां ही आकर्षित करती रही है। यह पहली बार था कि मैंने किसी पुरुष के होंठो को चुम रही थी। दिल की धड़कने बहुत तेज़ हो गयी थी और कामोत्तेजना ख़त्म। दिमाग ने काम करना मानो बंद कर दिया था। दिमाग कह रहा था कि शायद यह बुरा सपना है, सो जाओ तो सब ठीक हो जाएगा। पर इन्द्रियां कह रही थी यह सपना नहीं है। और मेरे सामने वाला भी उतना ही विचलित लग रहा था। दो लोग हैरानी से एक दुसरे की ओर देख रहे थे।
आज सालों बाद भी यकीन नहीं होता कि ऐसा भी कुछ हुआ था और हो सकता है। आखिर जो मेरे सामने था वो यकीन करने लायक नहीं था। मेरे सामने जो पुरुष था वो कोई और नहीं मैं ही था। या यूँ कहे उसका शरीर मेरा था! और मैं अपनी पत्नी परिणिता के शरीर में थी! डरते हुए मैंने कहा, “परिणिता?” और उसने कहा, “प्रतीक? ये तुम हो?” Body Swapping या शरीर का बदलना: अब तक फिल्मों में ही देखा था। और फिल्मों में दो लोगो के शरीर बदलने के बाद बस कॉमेडी होती है। लड़की के शरीर में लड़के का दिमाग चलने लगता है, और लड़के के शरीर में लड़की का दिमाग। और अंत में सब ठीक हो जाता है।
पर हमारी कहानी में सब इतना आसान नहीं था। परिणिता के शरीर में मेरे विचार तो दौड़ रहे थे पर हॉर्मोन तो परिणिता के ही थे। जो दिमाग था वो भी काफी कुछ परिणिता का ही था। या यूँ समझ लो कि हॉर्मोन, दिमाग और आत्मा की खिचड़ी में हम दोनों के दिमाग का दही होने वाला था। आज तो हम दोनों उन दिनों की बातों को याद करके थोड़ा हँस लेते है पर तब सब जितना कंफ्यूसिंग था और जितनी इमोशनल परेशानियाँ हमको सहनी पड़ी, वो तो हम ही जानते है। मेरी इस कहानी में यही सब आपको बताने वाली हूँ। यदि आपको लग रहा है कि क्योंकि मैं क्रोसड्रेसर हूँ और मैं औरतों की तरह रहना चाहती थी, इसलिए मुझे परिणिता के शरीर में जाकर बहुत ख़ुशी मिली होगी। तो यह पूरी तरह सच नहीं है क्योंकि अपनी सुविधानुसार औरत बन कर रहना बड़ा आसान है और वास्तविकता में औरत होना बहुत कठिन।
अपनी आगे की कहानी आगे के भागों में लिखती रहूंगी। तो इंतज़ार करिये!