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Adultery मै परिणीता (पति - पत्नी अंतर्दवंद)

Rahul_Singh1

आपकी भाभी (Crossdesar)
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बिना सेक्स के ही आग लगा देने वाला विस्तृत वर्णन आपकी लेखनी के पैनेपन को दर्शाता है
हिन्दी में आप जैसे लेखक यहां बहुत थोड़े ही हैं
avsji SANJU ( V. R. ) manu@84 Shetan
Rekha rani
आप भी देखें

Congratulations for new story
Ek alag hatkar vishay par kahani shuru ki gayi hai, abhi tak ke sabhi update bahut behtarin likhe gaye hai,
Ek mard ke man me chhupe uske estree bhav se uska gender change ko bahut hi nayi sehlli me likha gya hai, abhi mukhya prinita kaise apne aap ko mard ke rup me svikar karti hai padhna aur bhi rochak hoga
Ye vakei adbhut lekhni hai. Purusarth ko nari ka ehsas. Ye alag hi nahi anokha bhi hai. Lekhak ne jo kalpna ki hai. Use bilkul sahi map dand se jataya hai.
जहाँ तक मेरी सोच पहुँच नही पाई, उसे इस राइटर ने लिख भी दिया... "मै अपनी रनिंग स्टरी मे (कसूरवार कौन) मे बिल्लू के बेटे को जनाना पात्र में दर्शीने की कल्पना ही शुरु नही कर पा रहा था, और कहानी को रोक दिया.... लेकिन यहाँ लिखने वाले भी पहले आ गये। लगता हैं मेरी उम्र के साथ सोच की रफ्तार कम हो गयी है।

कहानी का विषय नया है, crossdesar पति का एक किस्सा धुंधला सा याद है यूपी मे एक पुलिस अधिकारी ने मीरा का रूप धर लिया था, ये न्यूज़ अखबार में सुर्खियों में काफी रही थी।

फिल्हाल इस कहानी में स्त्री को पुरस्त्व का अहसास होना देखना बांकी है...????
Bohot hi kathin vishay chuna hai,writer saheb apne.umeed hai aap kahani ko puri karenge.
Rahul_Singh1
अब तो धुरंधर आलोचक/पाठक भी बुला लिये
अपडेट में देरी बर्दाश्त नहीं होगी :D
I also remember this news. !
New update posted
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे। जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीँ मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। पहली बार अपने नए शरीर को नहाते वक़्त छूकर मैं उत्तेजित हो रही थी। शॉवर में बहते हुए गर्म पानी के नीचे मेरी उँगलियाँ मेरे शरीर में आग लगा रही थी और मैं बस अपनी नयी योनि में बेकाबू होकर ऊँगली डालने ही वाली थी। अब आगे।

तभी अचानक मेरे अंदर का पति जाग गया और बिना कुछ किये मैं झट से शावर से बाहर आ गयी। अपने लंबे काले गीले बालो को आदतन रगड़ रगड़ कर टॉवल से पोंछने लगी। पर जैसे मेरे हाथों का अपना खुद का दिमाग चल पड़ा और वो फिर धीमे धीमे टॉवल से दबा कर बालों को सुखाने लगे। और फिर सामने झुक कर झट से सर उठा कर मैंने बालों को झटक कर बाल सीधे किये। इस दौरान मेरे स्तन ज़ोर से हिल पड़े। एक औरत बनने की मादकता मुझ पर भारी पड़ रही थी। रह रह कर अपने नए शरीर से खेलने का मन कर रहा था। किसी तरह कुछ करके मैं बाहर निकली।

बाहर परिणीता अपने घुटनो को पकड़ कर उसमे सिर छुपाये उदास बैठी थी। मेरे लिए अजीब सी स्थिति थी। सामने परिणीता मेरे पुराने पुरुष शरीर में थी। मेरे बाहर आने की आवाज़ सुनकर उसने सिर उठाया और मेरी ओर देखा। उसकी वो आँखें तो मेरी थी पर उसमे गुस्सा परिणीता का साफ़ झलक रहा था जिसे देख कर मैं समझ गयी कि मैंने कुछ गलती कर दी है।


“प्रतीक!!!”, वो मुझ पर चीख पड़ी। “यह क्या तरीका है? तुम पागल हो गए हो! टॉवल कोई ऐसे ब्रेस्ट्स के निचे लपेटता है?जल्दी से ब्रेस्ट्स पर से लपेटो!”

मैंने अपने लड़के वाली आदत अनुसार कमर के निचे टॉवल लपेटा था। जल्द से मैंने अपने स्तनों को ढका। चूँकि मैंने अपना टॉवल उपयोग किया था, उसकी लंबाई थोड़ी छोटी थी और मेरी कमर के नीचे का हिस्सा अब दिख रहा था।

मैं आगे कुछ कह पाती उसके पहले ही परी मुझ पर भड़क पड़ी, ” यह क्या है? तुमने अपना लड़को वाला अंडरवियर पहन लिया है!”

“पर परी! मैं तुम्हारी पेंटी कैसे पहन सकता हूँ? तुम्हे पसंद नहीं कि मैं कोई भी लड़कियों वाले कपडे तुम्हारे सामने पहनू। “, मैंने ईमानदारी से जवाब दिया क्योंकि सचमुच परी को यह पसंद नहीं था।

“तुम भूल रहे हो कि तुम मेरे शरीर में हो! मेरे शरीर को मेरे कपडे पहनाओ!”

“तो क्या तुम भी अब मेरे लड़को वाले कपडे पहनोगी?”, मैंने पूछा।

“हाँ! मैं अपनी ड्रेसेस तुम्हारे शरीर पर चढ़ा कर निकलूंगी तो दुनिया तो हम पर हँसेगी ही और मेरी ड्रेसेस भी ख़राब हो जाएगी! क्या तुम्हारे पास ज़रा भी अक्ल नहीं है? और किसने तुम्हे मेरे बालों को धोने कहा था। मैंने कल ही तो धोये थे। और देखो कैसे तुमने उन्हें गूँथ दिया है। मैंने इतने प्यार से संभाल कर इन्हें लंबा किया और तुम इन्हें एक दिन में ख़राब कर दोगे।” परिणीता की बात तो सच थी। मुझे भी लग रहा था कि मुझे बालों को इस तरह रगड़ रगड़ कर नहीं पोंछना चाहिए था। पर मेरे पास औरत होने का अनुभव न था।

“चलो, अब जल्दी से सही कपडे पहनो।”, गुस्से में परिणीता बोली।


मैंने उसके ड्रावर से एक सुन्दर सी गुलाबी रंग की पेंटी और मैचिंग ब्रा निकाली। मुझे एक बात की ख़ुशी तो थी की मुझे झट से ब्रा पहनना आता था। छुप छुप कर ही सही पर आसानी से ब्रा पहनना सिख चुकी थी मैं। परिणिता ने मुझे ब्रा पेंटी पहनते देखा पर कुछ बोली नहीं। ब्रा और पेंटी मेरी स्मूथ त्वचा पर परफेक्ट फिट आ गयी। पहली बार मैं असली स्तनों पर ब्रा पहन रही थी। परफेक्ट फिट का कम्फर्ट मेरे स्तनों पर पहली बार महसूस की थी। अचानक ही मेरे दिमाग में कहीं से एक तस्वीर उभरी कि जैसे कोई मेरी ब्रा उतार कर मेरे स्तनों को होठो से चुम रहा है। मैंने अपना सिर हिलाया तो थोड़ा होश सा आया। मैं खुद को कमरे में लगे आईने में एक पल को देखि। मैं बहुत सेक्सी लग रही थी। क्योंकि परिणीता मुझे देख रही थी, मैं जल्दी से उसका क्लोसेट खोल कर कपडे ढूंढने लगी पहनने के लिए। मैं फिर किसी कारण से उसे नाराज़ नहीं करना चाहती थी।


क्लोसेट खोलते ही एक तरफ मुझे उसकी सुन्दर महँगी साड़ियाँ दिखी। परी ने इन्हें मुश्किल से एक बार पहनी होगी या वो भी नहीं। मेरा उन्हें पहनने का बड़ा मन करता रहा है पर मैंने कभी उसकी साड़ियों को हाथ नहीं लगाया। आज तो जैसे मैं हक़ से इन साड़ियों को देख कर निहार रही थी। क्या आज एक पहन लूँ ? कौनसी पहनू? सच कहूँ तो मुझे पता था कि किस साड़ी पर मेरा पहले से दिल आया हुआ था। पर परिणीता के सामने मैं कुछ देर कंफ्यूज होने का नाटक करना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि उसे लगे कि हमारी इस नयी स्थिति में मैं बहुत खुश हूँ। मैं यह सब सोच ही रही थी कि परिणिता ने कहा, “आज दिवाली नहीं है कि आप साड़ी पहनो। मैंने एक ड्रेस निकाल कर रखी है कल रात से ही, आज पहनने के लिए। उसे पहन लेना। मैं नहाने जा रही हूँ। मेरे आते तक तैयार रहना| मुझे पता है तुम्हे ड्रेस पहनना आता ही होगा।


परिणीता इस बारे में गलत थी। मैं पारंपरिक भारतीय नारी के सामान थी, मुझे ड्रेस पहनने का ज्यादा अनुभव नहीं था। मैं ही जानती हूँ कि कितनी मुश्किल से मैंने ड्रेस में पीछे पीठ पर चेन चढ़ाई थी। परी ने साथ में एक पेंटीहोज भी रखी थी पहनने के लिए। यहाँ ठण्ड के दिनों में औरतें पैरो को ढकने के लिए पेंटीहोस पहनती है। स्मूथ पैरो पे पैंटीहोज पहनना बड़ा आसान था। मुझे बहुत ज़रुरत भी महसूस हो रही थी क्योंकि मुझे ठण्ड लग रही थी। घर का तापमान तो ठीक ही था पर पता नहीं क्यों आज ज्यादा ठण्ड लग रही थी और ऊपर से यह घुटनो तक की ड्रेस। पता नहीं परी ऐसे मौसम में भी क्यों छोटी लंबाई की ड्रेस पहनती है! मुझे मेरी अपनी हरी साड़ी याद आ गयी जो मैंने कल शाम को पहनी थी। ठण्ड में भी अच्छी गर्म थी वो और मैं ऊपर से निचे तक पूरी तरह उससे ढंकी हुई थी। कहीं से ठण्ड लगने का सवाल ही नहीं था।

अब मैंने एक मैचिंग स्वेटर भी निकाल कर पहन लिया था। और बस परी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगी। परी बहुत देर लगा रही थी। मुझे थोड़ी चिंता होने लगी थी। न जाने क्या बात हो गयी थी।
अब दोनों को एक दूसरे को सिखाना पड़ेगा, ख़ासकर परिणीता को, क्योंकि उसे पुरूष बनने का कोई अनुभव नहीं, लेकिन परिणीता के शरीर में विद्यमान पतिदेव को तो शौक ही स्त्री बनने का है। अब उन्हें भी असली स्त्री होने और स्त्री बनने का अंतर पता चल जाएगा :D
 
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Tiger 786

Well-Known Member
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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे। जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीँ मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। पहली बार अपने नए शरीर को नहाते वक़्त छूकर मैं उत्तेजित हो रही थी। शॉवर में बहते हुए गर्म पानी के नीचे मेरी उँगलियाँ मेरे शरीर में आग लगा रही थी और मैं बस अपनी नयी योनि में बेकाबू होकर ऊँगली डालने ही वाली थी। अब आगे।

तभी अचानक मेरे अंदर का पति जाग गया और बिना कुछ किये मैं झट से शावर से बाहर आ गयी। अपने लंबे काले गीले बालो को आदतन रगड़ रगड़ कर टॉवल से पोंछने लगी। पर जैसे मेरे हाथों का अपना खुद का दिमाग चल पड़ा और वो फिर धीमे धीमे टॉवल से दबा कर बालों को सुखाने लगे। और फिर सामने झुक कर झट से सर उठा कर मैंने बालों को झटक कर बाल सीधे किये। इस दौरान मेरे स्तन ज़ोर से हिल पड़े। एक औरत बनने की मादकता मुझ पर भारी पड़ रही थी। रह रह कर अपने नए शरीर से खेलने का मन कर रहा था। किसी तरह कुछ करके मैं बाहर निकली।

बाहर परिणीता अपने घुटनो को पकड़ कर उसमे सिर छुपाये उदास बैठी थी। मेरे लिए अजीब सी स्थिति थी। सामने परिणीता मेरे पुराने पुरुष शरीर में थी। मेरे बाहर आने की आवाज़ सुनकर उसने सिर उठाया और मेरी ओर देखा। उसकी वो आँखें तो मेरी थी पर उसमे गुस्सा परिणीता का साफ़ झलक रहा था जिसे देख कर मैं समझ गयी कि मैंने कुछ गलती कर दी है।


“प्रतीक!!!”, वो मुझ पर चीख पड़ी। “यह क्या तरीका है? तुम पागल हो गए हो! टॉवल कोई ऐसे ब्रेस्ट्स के निचे लपेटता है?जल्दी से ब्रेस्ट्स पर से लपेटो!”

मैंने अपने लड़के वाली आदत अनुसार कमर के निचे टॉवल लपेटा था। जल्द से मैंने अपने स्तनों को ढका। चूँकि मैंने अपना टॉवल उपयोग किया था, उसकी लंबाई थोड़ी छोटी थी और मेरी कमर के नीचे का हिस्सा अब दिख रहा था।

मैं आगे कुछ कह पाती उसके पहले ही परी मुझ पर भड़क पड़ी, ” यह क्या है? तुमने अपना लड़को वाला अंडरवियर पहन लिया है!”

“पर परी! मैं तुम्हारी पेंटी कैसे पहन सकता हूँ? तुम्हे पसंद नहीं कि मैं कोई भी लड़कियों वाले कपडे तुम्हारे सामने पहनू। “, मैंने ईमानदारी से जवाब दिया क्योंकि सचमुच परी को यह पसंद नहीं था।

“तुम भूल रहे हो कि तुम मेरे शरीर में हो! मेरे शरीर को मेरे कपडे पहनाओ!”

“तो क्या तुम भी अब मेरे लड़को वाले कपडे पहनोगी?”, मैंने पूछा।

“हाँ! मैं अपनी ड्रेसेस तुम्हारे शरीर पर चढ़ा कर निकलूंगी तो दुनिया तो हम पर हँसेगी ही और मेरी ड्रेसेस भी ख़राब हो जाएगी! क्या तुम्हारे पास ज़रा भी अक्ल नहीं है? और किसने तुम्हे मेरे बालों को धोने कहा था। मैंने कल ही तो धोये थे। और देखो कैसे तुमने उन्हें गूँथ दिया है। मैंने इतने प्यार से संभाल कर इन्हें लंबा किया और तुम इन्हें एक दिन में ख़राब कर दोगे।” परिणीता की बात तो सच थी। मुझे भी लग रहा था कि मुझे बालों को इस तरह रगड़ रगड़ कर नहीं पोंछना चाहिए था। पर मेरे पास औरत होने का अनुभव न था।

“चलो, अब जल्दी से सही कपडे पहनो।”, गुस्से में परिणीता बोली।


मैंने उसके ड्रावर से एक सुन्दर सी गुलाबी रंग की पेंटी और मैचिंग ब्रा निकाली। मुझे एक बात की ख़ुशी तो थी की मुझे झट से ब्रा पहनना आता था। छुप छुप कर ही सही पर आसानी से ब्रा पहनना सिख चुकी थी मैं। परिणिता ने मुझे ब्रा पेंटी पहनते देखा पर कुछ बोली नहीं। ब्रा और पेंटी मेरी स्मूथ त्वचा पर परफेक्ट फिट आ गयी। पहली बार मैं असली स्तनों पर ब्रा पहन रही थी। परफेक्ट फिट का कम्फर्ट मेरे स्तनों पर पहली बार महसूस की थी। अचानक ही मेरे दिमाग में कहीं से एक तस्वीर उभरी कि जैसे कोई मेरी ब्रा उतार कर मेरे स्तनों को होठो से चुम रहा है। मैंने अपना सिर हिलाया तो थोड़ा होश सा आया। मैं खुद को कमरे में लगे आईने में एक पल को देखि। मैं बहुत सेक्सी लग रही थी। क्योंकि परिणीता मुझे देख रही थी, मैं जल्दी से उसका क्लोसेट खोल कर कपडे ढूंढने लगी पहनने के लिए। मैं फिर किसी कारण से उसे नाराज़ नहीं करना चाहती थी।


क्लोसेट खोलते ही एक तरफ मुझे उसकी सुन्दर महँगी साड़ियाँ दिखी। परी ने इन्हें मुश्किल से एक बार पहनी होगी या वो भी नहीं। मेरा उन्हें पहनने का बड़ा मन करता रहा है पर मैंने कभी उसकी साड़ियों को हाथ नहीं लगाया। आज तो जैसे मैं हक़ से इन साड़ियों को देख कर निहार रही थी। क्या आज एक पहन लूँ ? कौनसी पहनू? सच कहूँ तो मुझे पता था कि किस साड़ी पर मेरा पहले से दिल आया हुआ था। पर परिणीता के सामने मैं कुछ देर कंफ्यूज होने का नाटक करना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि उसे लगे कि हमारी इस नयी स्थिति में मैं बहुत खुश हूँ। मैं यह सब सोच ही रही थी कि परिणिता ने कहा, “आज दिवाली नहीं है कि आप साड़ी पहनो। मैंने एक ड्रेस निकाल कर रखी है कल रात से ही, आज पहनने के लिए। उसे पहन लेना। मैं नहाने जा रही हूँ। मेरे आते तक तैयार रहना| मुझे पता है तुम्हे ड्रेस पहनना आता ही होगा।


परिणीता इस बारे में गलत थी। मैं पारंपरिक भारतीय नारी के सामान थी, मुझे ड्रेस पहनने का ज्यादा अनुभव नहीं था। मैं ही जानती हूँ कि कितनी मुश्किल से मैंने ड्रेस में पीछे पीठ पर चेन चढ़ाई थी। परी ने साथ में एक पेंटीहोज भी रखी थी पहनने के लिए। यहाँ ठण्ड के दिनों में औरतें पैरो को ढकने के लिए पेंटीहोस पहनती है। स्मूथ पैरो पे पैंटीहोज पहनना बड़ा आसान था। मुझे बहुत ज़रुरत भी महसूस हो रही थी क्योंकि मुझे ठण्ड लग रही थी। घर का तापमान तो ठीक ही था पर पता नहीं क्यों आज ज्यादा ठण्ड लग रही थी और ऊपर से यह घुटनो तक की ड्रेस। पता नहीं परी ऐसे मौसम में भी क्यों छोटी लंबाई की ड्रेस पहनती है! मुझे मेरी अपनी हरी साड़ी याद आ गयी जो मैंने कल शाम को पहनी थी। ठण्ड में भी अच्छी गर्म थी वो और मैं ऊपर से निचे तक पूरी तरह उससे ढंकी हुई थी। कहीं से ठण्ड लगने का सवाल ही नहीं था।

अब मैंने एक मैचिंग स्वेटर भी निकाल कर पहन लिया था। और बस परी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगी। परी बहुत देर लगा रही थी। मुझे थोड़ी चिंता होने लगी थी। न जाने क्या बात हो गयी थी।
Bohot badiya update
 
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निस्संदेह एक अनूठे विषय का आप ने चुनाव किया है ।
क्राॅस ड्रेसर को आप तीन कैटेगरी मे बांट सकते हैं । पहला , वह जो किसी हार्मोनल असंतुलन के कारण लड़कियों के परिधानों की ओर आकर्षित होते हैं । बाद मे इन लोगों मे शारीरिक बदलाव आने लगते हैं और ये अपना जेंडर बदलवा लेते है ।
दूसरा , ऐसे लोग जो अभिनय करते समय स्त्री रूप मे दिखाई पड़ते हैं । इनके साथ कोई हार्मोनल समस्या नही होती । तीसरे ऐसे लोग हैं जिन्होने क्राॅस ड्रेसिंग को स्टाइल बना लिया है । ये प्रयोग अथवा फैशन के लिए ही क्राॅस ड्रेसिंग का इस्तेमाल करते है ।

लेकिन यहां नायक के साथ सिर्फ क्राॅस ड्रेसिंग की ही समस्या नही है बल्कि नायक और नायिका दोनो के शरीर का एक दूसरे के साथ स्वैपिंग हो चुका है । और यह सब स्वेच्छापूर्वक नही बल्कि कुदरती चमत्कार है । ऐसा वास्तविक जीवन मे कभी होता नही ।

खैर , अगर इसे हम कुदरती श्राप ही मान कर चलें तो यह वास्तव मे हसबैंड वाइफ के लिए बहुत ही बड़ी मुश्किल घड़ी है । शरीर दूसरे का , पर आत्मा और दिल दिमाग खुद का । नायक के लिए भले ही यह सब कुछ खास परेशान करने वाला न हो पर नायिका परिणिता के लिए बहुत बड़ी प्रोब्लम क्रिएट हो गई है ।
कभी-कभार तो लगता है प्रतीक साहब सपने तो नही देख रहे है ! उनका मन मस्तिष्क पर आखिरकार औरत बनने का भूत जो सवार हो गया है ।
वैसे इस सिचुएशन मे अंतर्द्वंद की परिस्थिति आनी ही आनी ही थी ।

बहुत बढ़िया लिख रहे है आप । देखते है इस विपरीत सिचुएशन और संकट काल का वो किस तरह सामना करते हैं ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।
 

Rekha rani

Well-Known Member
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Awesome update
Pratik ke sharer badalne ke bad ke manobhav bahut achhe se likhe ja rahe hai lekin mujhe wait hai prinita ke pratik ke body me Kaisa anunabhav kar rahi hai jaise prteek ab ek lady ke sharer me mahsus kar raha hai naye youn ango ke sath mahsus kar rha hai,
 

Rahul_Singh1

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अब दोनों को एक दूसरे को सिखाना पड़ेगा, ख़ासकर परिणीता को, क्योंकि उसे पुरूष बनने का कोई अनुभव नहीं, लेकिन परिणीता के शरीर में विद्यमान पतिदेव को तो शौक ही स्त्री बनने का है। अब उन्हें भी असली स्त्री होने और स्त्री बनने का अंतर पता चल जाएगा :D
Awesome update
Pratik ke sharer badalne ke bad ke manobhav bahut achhe se likhe ja rahe hai lekin mujhe wait hai prinita ke pratik ke body me Kaisa anunabhav kar rahi hai jaise prteek ab ek lady ke sharer me mahsus kar raha hai naye youn ango ke sath mahsus kar rha hai,
Bohot badiya update
निस्संदेह एक अनूठे विषय का आप ने चुनाव किया है ।
क्राॅस ड्रेसर को आप तीन कैटेगरी मे बांट सकते हैं । पहला , वह जो किसी हार्मोनल असंतुलन के कारण लड़कियों के परिधानों की ओर आकर्षित होते हैं । बाद मे इन लोगों मे शारीरिक बदलाव आने लगते हैं और ये अपना जेंडर बदलवा लेते है ।
दूसरा , ऐसे लोग जो अभिनय करते समय स्त्री रूप मे दिखाई पड़ते हैं । इनके साथ कोई हार्मोनल समस्या नही होती । तीसरे ऐसे लोग हैं जिन्होने क्राॅस ड्रेसिंग को स्टाइल बना लिया है । ये प्रयोग अथवा फैशन के लिए ही क्राॅस ड्रेसिंग का इस्तेमाल करते है ।

लेकिन यहां नायक के साथ सिर्फ क्राॅस ड्रेसिंग की ही समस्या नही है बल्कि नायक और नायिका दोनो के शरीर का एक दूसरे के साथ स्वैपिंग हो चुका है । और यह सब स्वेच्छापूर्वक नही बल्कि कुदरती चमत्कार है । ऐसा वास्तविक जीवन मे कभी होता नही ।

खैर , अगर इसे हम कुदरती श्राप ही मान कर चलें तो यह वास्तव मे हसबैंड वाइफ के लिए बहुत ही बड़ी मुश्किल घड़ी है । शरीर दूसरे का , पर आत्मा और दिल दिमाग खुद का । नायक के लिए भले ही यह सब कुछ खास परेशान करने वाला न हो पर नायिका परिणिता के लिए बहुत बड़ी प्रोब्लम क्रिएट हो गई है ।
कभी-कभार तो लगता है प्रतीक साहब सपने तो नही देख रहे है ! उनका मन मस्तिष्क पर आखिरकार औरत बनने का भूत जो सवार हो गया है ।
वैसे इस सिचुएशन मे अंतर्द्वंद की परिस्थिति आनी ही आनी ही थी ।

बहुत बढ़िया लिख रहे है आप । देखते है इस विपरीत सिचुएशन और संकट काल का वो किस तरह सामना करते हैं ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।

मुझे खुशी हो रही है ये कहानी आप सभी पाठकों के दिल को छू रही है...! Thanks all of you.

Crossdessing का इतिहास काफी पुराना रहा है, कुछ प्राचीन कहानियों में राजाओं को रानियों के वस्त्र धारण कर समागम करते हुए लिखा गया है। भारतीय सिनेमा में भी नामी कलाकारों को महिलाओ के रोल निभाते हुए भी देखा जाता रहा है। UP बिहार के कुछ गाँवों में लोंडा नाच आज भी चलन में है।

आज के आधुनिक युग में परिधान बदल गया है स्त्रियों ने मर्दो के परिधान पर कब्जा कर लिया है, पैंट्स शर्ट पहने हुए स्त्रियाँ अपने आप को पुरुषो के सम कछ, खड़ा दिखना चाहती है। स्त्रियाँ जब पुरुषो के परिधान पहनती है तो उनकी मनोदशा हाव भाव कुछ निराले ही होते है जिसका प्रमाण गाँव देहात में शादियों मे होने वाले औरतों की अठखेलिया।

कहानी में परणिता की बॉडी स्वेप का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है.. Next update posted.
 

Rahul_Singh1

आपकी भाभी (Crossdesar)
54
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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे।

जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीं मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। रह रह कर मेरा औरत वाला नया शरीर मुझे उत्तेजित कर रहा था। शरीर में न जाने कैसी आग लगी हुई थी। बस हर पल खुद को छूने की इच्छा हो रही थी। इस वक़्त परिणीता नहाने गयी हुई थी और मैं कमरे में तैयार हो रही थी। अब आगे –


आज परिणिता नहाने में बहुत समय लगा रही थी। बाथरूम में एकांत में वो न जाने क्या सोच रही होगी। उसका नाज़ुक शरीर अब पुरुष का हो गया था। ये बदलाव उसके लिए भी बहुत बड़ा बदलाव है। सँभलने और स्थिति को समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही। इन सब के बीच मैं बाहर तैयार हो रही थी। मेरा नया नज़ाकत भरा शरीर मुझे मदहोश किये जा रहा था। मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि जब ऐसी अजीबोगरीब हालात में परिणिता परेशान है, मैं कैसे कामुक विचार अपने मन में ला सकती हूँ। मैंने खुद का ध्यान भटकाने के लिए इधर उधर देखना शुरू किया। मेरी नज़र फिर से परिणिता की सुन्दर साड़ियों पर चली गयी। उसके पास एक से एक महँगी साड़ियां है पर शादी के वक़्त उसकी माँ ने उसे बहुत सी घरेलु सस्ती साड़ियां भी दी थी ताकि परिणिता उन्हें घर के काम करते वक़्त पहने। सब की सब बस अलमारी में ही रखी हुई है! यहाँ अमेरिका में परी ने उन्हें कभी पहना ही नहीं! उनमे से एक साड़ी थी जो थोड़ी साटिन मटेरियल की थी। मैं हमेशा से उसे पहनना चाहती थी। मैं तो सोच कर ही मचल रही थी की वो साड़ी मेरी नयी कोमल त्वचा पर कितनी अच्छी लगेगी। जब वो मखमली साड़ी मेरी त्वचा को छुएगी और पल्लू उस कोमल त्वचा पर फिसल जायेगा तो मेरा रोम रोम झूम उठेगा। मेरे नए मख्खन की तरह मुलायम स्तन और मेरी बड़ी नितम्ब को साड़ी चूमते हुए जब चिपक जायेगी, यह तो सोच कर ही मैं मदहोश हो रही थी। मेरा मन फिर न चाहते हुए कामुक विचारो में खो गया था।

मैंने खुद को फिर ऐसा सोचने से रोका। मुझे ध्यान आया कि मेरे बाल अब तक गीले थे और मैंने अब तक गुंथे हुए बालो को सूधारा नहीं था। परिणिता के बाथरूम से बाहर आने के पहले ठीक कर लेती हूँ नहीं तो वो और नाराज़ हो सकती थी। मैं आईने की ओर बढ़ी। हेयर ड्रायर को चालू की। मैंने कभी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया था पर परिणिता को उपयोग करते देखा ज़रूर था। पहले तो लगा की बहुत मुश्किल होगी। थोड़ी हुई भी क्योंकि मेरे बाल शैम्पू करने के बाद गूँथ गए थे। पर जितनी आसानी से मैंने पहली बार में ही ड्रायर का उपयोग किया, मुझे खुद पर गर्व हो रहा था कि मैं अपने लंबे बालो को अच्छे से सूखने में कामयाब रही। आईने में खुद को देखते हुए बाल सुखा रही थी मैं। और इस वक़्त मेरे घुटनो तक लंबी ड्रेस पहनी थी। इस ड्रेस के ऊपरी हिस्से में काफी गहरा तो नहीं पर थोड़ा झुक कर बाल सूखाने की वजह से स्तनों के बीच क्लीवेज दिख रहा था। और तो और मैंने पुशअप ब्रा पहन रखी थी तो स्तन उभरे हुए और बड़े लग रहे थे। मैं सोच रही थी कि इस शरीर के साथ औरतें बिना कामुक हुए कुछ काम कैसे कर पाती होगी। पर फिर भी शुक्र है ब्रा का जिसने मेरे स्तनों को कस कर एक जगह स्थिर रखा था। इसके पहले जब मैंने नाइटी पहनी हुई थी तब मेरे स्तनों का हर एक कदम पर उछाल मुझे ज्यादा उतावला कर रहा था। मेरा बेकाबू मन फिर कामुक विचारो की ओर मुझे धकेल रहा था।



तभी बाथरूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी। “मैं बस तैयार हूँ!”, मैंने तुरंत कहा ताकि परिणिता नाराज़ न हो कि इतना समय लगा कर भी मैं तैयार नहीं हूँ।

“प्रतीक, एक प्रॉब्लम है!”, परिणीता ने धीरे से कहा।

मैं जल्द से परिणिता की और बढ़ चली। नहाने के बाद भी उसने रात को पहनने वाले नाईट ड्रेस पहन लिया था जो कि मेरा पुरुषो वाला पैजामा और शर्ट था। परिणिता कभी ऐसा नहीं करती है। नहाने के बाद तुरंत वो साफ़ नए कपडे पहनती है। जब मैंने परिणिता को थोड़ा दूर से ही देखा तो मुझे हँसी आ गयी। मैं मुस्कुराने लगी।

परिणीता भले अब पुरुष शरीर में थी पर उसके चेहरे पर पहले वाली ही मासूमियत झलक रही थी। वही मासूमियत जब उसे लगता है कि उससे कोई गलती हो गयी है और उसे पता नहीं कि उस गलती को सुधारे कैसे। जैसे वो सॉरी कहना चाहती हो।

“मैं पिछले २० मिनट से कोशिश कर रही हूँ पर यह जा नहीं रहा है! हेल्प मी, प्रतीक!”, उसने मासूमियत से कहा। परिणीता का अपने तने हुए पुरुष लिंग की ओर इशारा किया।

मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ चली। परिणीता अब मुझसे बहुत ऊँची हो चुकी थी। उससे आँखें मिलाने के लिए मुझे सिर उठा कर उसकी ओर देखना पड़ रहा था। “इसमें कोई मुश्किल नहीं है। मैं तो इतने सालो से इसको संभालता रहा हूँ।”, मैंने कहा। फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाला, लिंग को पकड़ा और कहा, “देखो, इसे हाथ से यूँ पकड़ो और ऊपर की ओर पॉइंट करो। इससे यह बाहर उभर कर नहीं दिखेगा। और थोड़ी देर बाद खुद ही छोटा हो जायेगा।” मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया। और वैसे भी उसमे इतना भी तनाव नहीं आया था कि यह बड़ा कठिन काम हो।

पर यह क्या! लिंग को हाथ से छोड़ते ही मुझे कुछ अजीब से बेचैनी का एहसास होने लगा। बिना कुछ और सोचे, मैं शर्माती हुई पलट गयी। मैं शर्मा क्यों रही थी? क्या हो रहा था मुझे? शायद मैं नहीं चाहती थी कि परिणीता मुझे कामुक होते देखे। पर मैं इतना ज्यादा शर्मा रही थी जैसे नयी दुल्हन शर्माती हो। मैंने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लिया। ज़रूर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।



परिणिता मेरी ओर न देख कर अपनी मुसीबत से लड़ रही थी। “प्रतीक, यह तो और बड़ा हो गया है। इसे ठीक करो प्रतीक, प्लीज़!”, परिणिता अपनी पेंट में बढ़ते हुए लिंग को देखते हुए बोली। शायद उसने मुझे शरमाते हुए देखा न था। मैं अपने आप को सँभालते हुए फिर परिणिता की और पलटी। चेहरे पे गंभीर भाव लायी। अपने हाथो से ड्र्रेस को थोड़ा नीचे की और खींचते हुए ठीक की। फिर घुटनो के बल झुक कर परिणीता के पुरुष लिंग की ओर ऐसे देखने लगी जैसे अब मैं समस्या का निदान करने ही वाली हूँ।

मेरा चेहरा और लिंग दोनों अब एक ही लेवल पर थे। मैंने अपने चेहरे के भाव और गंभीर करने का असफल प्रयास किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू। फिर मैंने धीरे से परीणिता की पैंट को निचे सरकाया। उसका लिंग तुरंत पैंट से बाहर आकर मेरी चेहरे की ओर तन गया। मेरे मन में क्या हो रहा था, समझ नहीं आ रहा था। कल रात तक यह लिंग मेरा हुआ करता था। मैंने पिछले कई महीनो से उसको इतना कठोर और तना हुआ महसूस नहीं किया था। कितना बड़ा हो गया था ये! मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। कल तक जो मेरा लिंग था मैं उसी की ओर आकर्षित हो रही थी। मैं लंबी गहरी सांसें ले रही थी। मेरे स्तन, लग रहा था जैसे और बड़े हो गए हो। ब्रा में कसाव और ज्यादा लग रहा था। मुझे यकीं है कि मेरे निप्पल और कठोर हो गए थे। मैं अपनी ब्रा में कठोर निप्पल महसूस कर पा रही थी। पुरुष लिंग बढ़ कर और तन कर मेरे चेहरे के बहुत पास आ गया था। मेरे हाथ उस लिंग को पकड़ लेना चाह रहे थे। मेरे होंठ उसे चूमना चाह रहे थे। जी चाह रहा था कि बस आंखे बंद करके तुरंत उस लिंग को पकड़ कर अपने स्तनों के बीच रगड़ लूँ। हाय, ये क्या हो रहा था मुझे! मैं पुरुष लिंग की तरफ कैसे आकर्षित हो रही थी!! और तो और अब मेरी स्त्री योनि में भी जो होना शुरू हुआ जिसे मैं शब्दो में लिख भी नहीं सकती। सब कुछ बहुत नया था मेरे लिए।

मैं झट से अपने पैरो पे खड़ी हो गयी और उस लिंग से विपरीत दिशा की ओर पलट गयी। जल्दबाज़ी में उठने और पलटने से मेरे बाल मेरे चेहरे के सामने बिखर गए थे। अपने दोनों हाथों से बालो को ठीक करते हुए अपने कान के पीछे करते हुए मैंने परिणीता से कहा, “परी, जल्दी से ड्रावर से अंडरवियर निकाल कर पहन लो और फिर ये जीन्स और टी शर्ट पहन लो। और लिंग को ऊपर की ओर घूम कर रखना। अंडरवेअर, जीन्स और बेल्ट के नीचे वो दब कर रहेगा तो उभरेगा नहीं फिर।”



परिणीता ने वैसा ही किया। शर्ट पहन कर वो बोली, “लड़का होना कितना आसान है! झट से जीन्स टी शर्ट पहनो, ५ सेकंड में बाल भी कंघी हो गए, और मैं तैयार।” परिणीता मुस्कुराते हुए मेरे बगल में आकर बैठ गयी। उसके नए शरीर के सामने कितना छोटा महसूस कर रही थी मैं खुद को। मैं भी फिर मुस्कुरा दी, और झूठा सा गुस्सा दिखाते हुए उसके सीने पे अपनी नाज़ुक मुट्ठी से चोट की और उसके सीने पे सर रख दी। उसने भी मुझे बाहों में पकड़ लिया। सब कुछ इतना स्वाभाविक था जैसे हम दोनों सालों से इस तरह का उलट जीवन जी रहे है जिसमे वो पति हो और मैं पत्नी। परिणीता बोली, “अब अपने लंबे बालों को सुखाकर तुम्हे पता तो चल गया होगा कि लड़की होना आसान नहीं है! वहां मेरा पर्स रखा है, उसमे से लिपस्टिक निकाल लाओ। मैं तुम्हे लगा देती हूँ।” उसने पर्स की ओर इशारा किया। “परी, इतना भी मुश्किल नहीं है लड़की होना! मैंने पहली बार में ही सब सही से कर लिया। और लिपस्टिक लगाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रुरत नहीं है, मैं खुद लगा सकता हूँ।”, ऐसा बोलकर पर्स से लिपस्टिक निकाल कर मैं अपने होठो पे लगाने लगी। यम्मी! परिणीता की लिपस्टिक की क्वालिटी बहुत बेहतर थी उन लिपस्टिक से जिनका उपयोग मैं छुप छुप कर तैयार होते हुए करती थी। परिणीता भी मुस्कुरा दी मुझे परफेक्ट तरह से लिपस्टिक लगाए देख कर।

इस थोड़े से हंसी मज़ाक में हम दोनों की कामुक भावनायें ख़त्म सी हो गयी थी। पर पूरी तरह नहीं। सुबह से उठने के बाद से मुझे तो समझ आ चूका था कि एक छोटी से चिंगारी मेरी कामुक भावनाओं को फिर से जगाने के लिए काफी है। एक बात का एहसास हम दोनों को अभी तक नहीं हुआ था कि जहाँ एक तरफ नए शरीर में, दिमाग में जो विचार आ रहे थे वो तो हमारे अपने थे, पर इस शरीर में वो हॉर्मोन दौड़ रहे थे जिसकी हमें आदत नहीं थी। यही वजह थी कि हम अपनी कामुकता को वश में नहीं कर पा रहे थे। जहाँ पुरुष हॉर्मोन परिणीता के लिंग तो कठोर कर रहे थे वही स्त्री हॉर्मोन मुझे कामोत्तेजित कर रहे थे। और हम दोनों को उन्हें वश में करने का कोई अनुभव न था। न जाने आगे इसका क्या असर होने वाला था। हुम्, मैं तो जानती हूँ पर आप नहीं। जानना चाहते है तो पढ़ते रहिये। और कमेंट अवश्य करे। इंतज़ार करूंगी।
 

Rekha rani

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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे।

जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीं मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। रह रह कर मेरा औरत वाला नया शरीर मुझे उत्तेजित कर रहा था। शरीर में न जाने कैसी आग लगी हुई थी। बस हर पल खुद को छूने की इच्छा हो रही थी। इस वक़्त परिणीता नहाने गयी हुई थी और मैं कमरे में तैयार हो रही थी। अब आगे –


आज परिणिता नहाने में बहुत समय लगा रही थी। बाथरूम में एकांत में वो न जाने क्या सोच रही होगी। उसका नाज़ुक शरीर अब पुरुष का हो गया था। ये बदलाव उसके लिए भी बहुत बड़ा बदलाव है। सँभलने और स्थिति को समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही। इन सब के बीच मैं बाहर तैयार हो रही थी। मेरा नया नज़ाकत भरा शरीर मुझे मदहोश किये जा रहा था। मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि जब ऐसी अजीबोगरीब हालात में परिणिता परेशान है, मैं कैसे कामुक विचार अपने मन में ला सकती हूँ। मैंने खुद का ध्यान भटकाने के लिए इधर उधर देखना शुरू किया। मेरी नज़र फिर से परिणिता की सुन्दर साड़ियों पर चली गयी। उसके पास एक से एक महँगी साड़ियां है पर शादी के वक़्त उसकी माँ ने उसे बहुत सी घरेलु सस्ती साड़ियां भी दी थी ताकि परिणिता उन्हें घर के काम करते वक़्त पहने। सब की सब बस अलमारी में ही रखी हुई है! यहाँ अमेरिका में परी ने उन्हें कभी पहना ही नहीं! उनमे से एक साड़ी थी जो थोड़ी साटिन मटेरियल की थी। मैं हमेशा से उसे पहनना चाहती थी। मैं तो सोच कर ही मचल रही थी की वो साड़ी मेरी नयी कोमल त्वचा पर कितनी अच्छी लगेगी। जब वो मखमली साड़ी मेरी त्वचा को छुएगी और पल्लू उस कोमल त्वचा पर फिसल जायेगा तो मेरा रोम रोम झूम उठेगा। मेरे नए मख्खन की तरह मुलायम स्तन और मेरी बड़ी नितम्ब को साड़ी चूमते हुए जब चिपक जायेगी, यह तो सोच कर ही मैं मदहोश हो रही थी। मेरा मन फिर न चाहते हुए कामुक विचारो में खो गया था।

मैंने खुद को फिर ऐसा सोचने से रोका। मुझे ध्यान आया कि मेरे बाल अब तक गीले थे और मैंने अब तक गुंथे हुए बालो को सूधारा नहीं था। परिणिता के बाथरूम से बाहर आने के पहले ठीक कर लेती हूँ नहीं तो वो और नाराज़ हो सकती थी। मैं आईने की ओर बढ़ी। हेयर ड्रायर को चालू की। मैंने कभी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया था पर परिणिता को उपयोग करते देखा ज़रूर था। पहले तो लगा की बहुत मुश्किल होगी। थोड़ी हुई भी क्योंकि मेरे बाल शैम्पू करने के बाद गूँथ गए थे। पर जितनी आसानी से मैंने पहली बार में ही ड्रायर का उपयोग किया, मुझे खुद पर गर्व हो रहा था कि मैं अपने लंबे बालो को अच्छे से सूखने में कामयाब रही। आईने में खुद को देखते हुए बाल सुखा रही थी मैं। और इस वक़्त मेरे घुटनो तक लंबी ड्रेस पहनी थी। इस ड्रेस के ऊपरी हिस्से में काफी गहरा तो नहीं पर थोड़ा झुक कर बाल सूखाने की वजह से स्तनों के बीच क्लीवेज दिख रहा था। और तो और मैंने पुशअप ब्रा पहन रखी थी तो स्तन उभरे हुए और बड़े लग रहे थे। मैं सोच रही थी कि इस शरीर के साथ औरतें बिना कामुक हुए कुछ काम कैसे कर पाती होगी। पर फिर भी शुक्र है ब्रा का जिसने मेरे स्तनों को कस कर एक जगह स्थिर रखा था। इसके पहले जब मैंने नाइटी पहनी हुई थी तब मेरे स्तनों का हर एक कदम पर उछाल मुझे ज्यादा उतावला कर रहा था। मेरा बेकाबू मन फिर कामुक विचारो की ओर मुझे धकेल रहा था।



तभी बाथरूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी। “मैं बस तैयार हूँ!”, मैंने तुरंत कहा ताकि परिणिता नाराज़ न हो कि इतना समय लगा कर भी मैं तैयार नहीं हूँ।

“प्रतीक, एक प्रॉब्लम है!”, परिणीता ने धीरे से कहा।

मैं जल्द से परिणिता की और बढ़ चली। नहाने के बाद भी उसने रात को पहनने वाले नाईट ड्रेस पहन लिया था जो कि मेरा पुरुषो वाला पैजामा और शर्ट था। परिणिता कभी ऐसा नहीं करती है। नहाने के बाद तुरंत वो साफ़ नए कपडे पहनती है। जब मैंने परिणिता को थोड़ा दूर से ही देखा तो मुझे हँसी आ गयी। मैं मुस्कुराने लगी।

परिणीता भले अब पुरुष शरीर में थी पर उसके चेहरे पर पहले वाली ही मासूमियत झलक रही थी। वही मासूमियत जब उसे लगता है कि उससे कोई गलती हो गयी है और उसे पता नहीं कि उस गलती को सुधारे कैसे। जैसे वो सॉरी कहना चाहती हो।

“मैं पिछले २० मिनट से कोशिश कर रही हूँ पर यह जा नहीं रहा है! हेल्प मी, प्रतीक!”, उसने मासूमियत से कहा। परिणीता का अपने तने हुए पुरुष लिंग की ओर इशारा किया।

मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ चली। परिणीता अब मुझसे बहुत ऊँची हो चुकी थी। उससे आँखें मिलाने के लिए मुझे सिर उठा कर उसकी ओर देखना पड़ रहा था। “इसमें कोई मुश्किल नहीं है। मैं तो इतने सालो से इसको संभालता रहा हूँ।”, मैंने कहा। फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाला, लिंग को पकड़ा और कहा, “देखो, इसे हाथ से यूँ पकड़ो और ऊपर की ओर पॉइंट करो। इससे यह बाहर उभर कर नहीं दिखेगा। और थोड़ी देर बाद खुद ही छोटा हो जायेगा।” मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया। और वैसे भी उसमे इतना भी तनाव नहीं आया था कि यह बड़ा कठिन काम हो।

पर यह क्या! लिंग को हाथ से छोड़ते ही मुझे कुछ अजीब से बेचैनी का एहसास होने लगा। बिना कुछ और सोचे, मैं शर्माती हुई पलट गयी। मैं शर्मा क्यों रही थी? क्या हो रहा था मुझे? शायद मैं नहीं चाहती थी कि परिणीता मुझे कामुक होते देखे। पर मैं इतना ज्यादा शर्मा रही थी जैसे नयी दुल्हन शर्माती हो। मैंने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लिया। ज़रूर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।



परिणिता मेरी ओर न देख कर अपनी मुसीबत से लड़ रही थी। “प्रतीक, यह तो और बड़ा हो गया है। इसे ठीक करो प्रतीक, प्लीज़!”, परिणिता अपनी पेंट में बढ़ते हुए लिंग को देखते हुए बोली। शायद उसने मुझे शरमाते हुए देखा न था। मैं अपने आप को सँभालते हुए फिर परिणिता की और पलटी। चेहरे पे गंभीर भाव लायी। अपने हाथो से ड्र्रेस को थोड़ा नीचे की और खींचते हुए ठीक की। फिर घुटनो के बल झुक कर परिणीता के पुरुष लिंग की ओर ऐसे देखने लगी जैसे अब मैं समस्या का निदान करने ही वाली हूँ।

मेरा चेहरा और लिंग दोनों अब एक ही लेवल पर थे। मैंने अपने चेहरे के भाव और गंभीर करने का असफल प्रयास किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू। फिर मैंने धीरे से परीणिता की पैंट को निचे सरकाया। उसका लिंग तुरंत पैंट से बाहर आकर मेरी चेहरे की ओर तन गया। मेरे मन में क्या हो रहा था, समझ नहीं आ रहा था। कल रात तक यह लिंग मेरा हुआ करता था। मैंने पिछले कई महीनो से उसको इतना कठोर और तना हुआ महसूस नहीं किया था। कितना बड़ा हो गया था ये! मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। कल तक जो मेरा लिंग था मैं उसी की ओर आकर्षित हो रही थी। मैं लंबी गहरी सांसें ले रही थी। मेरे स्तन, लग रहा था जैसे और बड़े हो गए हो। ब्रा में कसाव और ज्यादा लग रहा था। मुझे यकीं है कि मेरे निप्पल और कठोर हो गए थे। मैं अपनी ब्रा में कठोर निप्पल महसूस कर पा रही थी। पुरुष लिंग बढ़ कर और तन कर मेरे चेहरे के बहुत पास आ गया था। मेरे हाथ उस लिंग को पकड़ लेना चाह रहे थे। मेरे होंठ उसे चूमना चाह रहे थे। जी चाह रहा था कि बस आंखे बंद करके तुरंत उस लिंग को पकड़ कर अपने स्तनों के बीच रगड़ लूँ। हाय, ये क्या हो रहा था मुझे! मैं पुरुष लिंग की तरफ कैसे आकर्षित हो रही थी!! और तो और अब मेरी स्त्री योनि में भी जो होना शुरू हुआ जिसे मैं शब्दो में लिख भी नहीं सकती। सब कुछ बहुत नया था मेरे लिए।

मैं झट से अपने पैरो पे खड़ी हो गयी और उस लिंग से विपरीत दिशा की ओर पलट गयी। जल्दबाज़ी में उठने और पलटने से मेरे बाल मेरे चेहरे के सामने बिखर गए थे। अपने दोनों हाथों से बालो को ठीक करते हुए अपने कान के पीछे करते हुए मैंने परिणीता से कहा, “परी, जल्दी से ड्रावर से अंडरवियर निकाल कर पहन लो और फिर ये जीन्स और टी शर्ट पहन लो। और लिंग को ऊपर की ओर घूम कर रखना। अंडरवेअर, जीन्स और बेल्ट के नीचे वो दब कर रहेगा तो उभरेगा नहीं फिर।”



परिणीता ने वैसा ही किया। शर्ट पहन कर वो बोली, “लड़का होना कितना आसान है! झट से जीन्स टी शर्ट पहनो, ५ सेकंड में बाल भी कंघी हो गए, और मैं तैयार।” परिणीता मुस्कुराते हुए मेरे बगल में आकर बैठ गयी। उसके नए शरीर के सामने कितना छोटा महसूस कर रही थी मैं खुद को। मैं भी फिर मुस्कुरा दी, और झूठा सा गुस्सा दिखाते हुए उसके सीने पे अपनी नाज़ुक मुट्ठी से चोट की और उसके सीने पे सर रख दी। उसने भी मुझे बाहों में पकड़ लिया। सब कुछ इतना स्वाभाविक था जैसे हम दोनों सालों से इस तरह का उलट जीवन जी रहे है जिसमे वो पति हो और मैं पत्नी। परिणीता बोली, “अब अपने लंबे बालों को सुखाकर तुम्हे पता तो चल गया होगा कि लड़की होना आसान नहीं है! वहां मेरा पर्स रखा है, उसमे से लिपस्टिक निकाल लाओ। मैं तुम्हे लगा देती हूँ।” उसने पर्स की ओर इशारा किया। “परी, इतना भी मुश्किल नहीं है लड़की होना! मैंने पहली बार में ही सब सही से कर लिया। और लिपस्टिक लगाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रुरत नहीं है, मैं खुद लगा सकता हूँ।”, ऐसा बोलकर पर्स से लिपस्टिक निकाल कर मैं अपने होठो पे लगाने लगी। यम्मी! परिणीता की लिपस्टिक की क्वालिटी बहुत बेहतर थी उन लिपस्टिक से जिनका उपयोग मैं छुप छुप कर तैयार होते हुए करती थी। परिणीता भी मुस्कुरा दी मुझे परफेक्ट तरह से लिपस्टिक लगाए देख कर।

इस थोड़े से हंसी मज़ाक में हम दोनों की कामुक भावनायें ख़त्म सी हो गयी थी। पर पूरी तरह नहीं। सुबह से उठने के बाद से मुझे तो समझ आ चूका था कि एक छोटी से चिंगारी मेरी कामुक भावनाओं को फिर से जगाने के लिए काफी है। एक बात का एहसास हम दोनों को अभी तक नहीं हुआ था कि जहाँ एक तरफ नए शरीर में, दिमाग में जो विचार आ रहे थे वो तो हमारे अपने थे, पर इस शरीर में वो हॉर्मोन दौड़ रहे थे जिसकी हमें आदत नहीं थी। यही वजह थी कि हम अपनी कामुकता को वश में नहीं कर पा रहे थे। जहाँ पुरुष हॉर्मोन परिणीता के लिंग तो कठोर कर रहे थे वही स्त्री हॉर्मोन मुझे कामोत्तेजित कर रहे थे। और हम दोनों को उन्हें वश में करने का कोई अनुभव न था। न जाने आगे इसका क्या असर होने वाला था। हुम्, मैं तो जानती हूँ पर आप नहीं। जानना चाहते है तो पढ़ते रहिये। और कमेंट अवश्य करे। इंतज़ार करूंगी।
Awesome update
Dilchasp banti ja rahi hai kahani,
Pariniti ki situation bhi abhi parteek ki najar se hi dikhi hai , uttejit ling ke karan pariniti ki manosthiti sahi se nahi samne aayi
 
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