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Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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एक स्पेशल थैंक्स HalfbludPrince और Moon Light जी का भी बनता है, जिनके कारण ये कहानी लिखने का मन किया। 🙏🏽
मैंने हमेशा से कहा है हम सबको अपने विचार दुनिया तक जरूर पहुंचाने चाहिए
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मैंने हमेशा से कहा है हम सबको अपने विचार दुनिया तक जरूर पहुंचाने चाहिए
कभी लिखता था, वन लाइनर, वो भी पॉलिटिकल।

खैर वो छोड़िए, कहानी कैसी थी ये बताइए?
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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fountain_pen

Prime
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#1 The Accident....

जंगल के बीचों बीच एक काली गाड़ी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी, जिसे कोई 26- 27 साल का का एक हैंडसम सा आदमी चला रहा था। तभी उसका फोन बजता है।

आदमी: हां बस 3 से 4 घंटे में।पहुंच जाऊंगा। और पहुंचते ही कॉल करता हूं, होटल की बुकिंग है, उसका नाम याद नही, कहीं रुक कर बताता हूं।

फोन पर: .......

आदमी: हां पता है, सब कुछ इसी काम पर निर्भर करता है, हमारी आने वाली पूरी जिंदगी इस से जुड़ी है, काम खतम करूंगा जल्द ही। फिर आ कर मिलता हूं।

और फोन कट जाता है, शायद जंगल में सिग्नल की कोई दिक्कत होती है।

फिर उसका हाथ ने जेब से एक कार्ड निकाला जो किसी होटल का लग रहा था। जिसपर एक बड़ी सी हवेली की फोटो बने थी और लिखा था...

"Woods Villa"
Outer hill Road
Hameerpur

शाम के 4 बज रहे थे और उसे भूख सी लग रही थी। थोड़ा आगे जाने पर एक बस्ती जैसी दिखाई दी, उसमे एक कैफे था।

गाड़ी बाहर खड़ी करके वो अंदर गया, काउंटर पर एक 18 साल का लड़का बैठा था। लड़के ने उसका स्वागत किया और एक टेबल तक ले गया। वहां बैठने के बाद आदमी ने मेनू देख कर एक कॉफी और सैंडविच का आर्डर किया।

कोई 20 मिनिट के बाद उसके टेबल पर ऑर्डर सर्व हो चुका था। खाते खाते उसकी बात कैफे वाले लड़के से होने लगी, और उसने कैफे वाले लड़के से हमीरपुर के रास्ते के बारे में पूछा।

कैफे वाले लड़के ने बताया की यहां से अभी कोई 2 घंटे कम से कम लगेंगे, और रास्ता सही है, लेकिन...

"लेकिन क्या??"

"हमीरपुर से पहले घाटी पड़ती है और उसका आखिरी वाला मोड़ बहुत खतरनाक है, अक्सर धुंध रहती है वहां शाम के वक्त, और कई एक्सीडेंट हो चुके हैं वहां, वैसे भी अभी 5 बजने वाले है और एक घंटे में ही अंधेरा घिर जायेगा। तो जरा सम्हाल कर गाड़ी चलाएगा।"

"हम्म्, और कुछ?"

"नही, और सब सही है, बस वहां पर जरा सतर्क रहिएगा। फिर उस मोड़ से 5 किलोमीटर बाद शहर की आबादी शुरू हो जाती है।"

"अच्छा। चलो ठीक है ध्यान रखूंगा। कितने पैसे hue तुम्हारे?"

लड़का बिल लेकर आता है, और आदमी ने अपने पर्स से उसे पैसे दे कर वाशरूम की तरफ निकल गया, जो कैफे के दरवाजे के पास में ही था। फिर 5 मिनट बाद वो बाहर निकल कर अपनी गाड़ी में बैठ कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाता है। उसके जाते समय कैफे वाला लड़का उसे नही दिखता, शायद वो और कस्टमर्स का ऑर्डर लेने अंदर की तरफ चला गया था। बाहर अंधेरा छाने लग था।

समय शाम के 6:30, गाड़ी हमीरपुर की घाटी को लगभग पार कर ही चुकी थी और मौसम साफ था, कुछ 2 या 3 मोड़ और थे, कि तभी उसका फोन फिर से बजा।

आदमी: हां डार्लिंग, बोला था न की पहुंचते ही कॉल करूंगा, अभी बस पहुंचने वाला ही हूं।

फोन: ......

आदमी: हां बस कल से ही इस काम में लग जाऊंगा, और जितनी जल्दी होगा उसको खत्म करके वापस आता हूं। आखिर हम दोनो की जिंदगी का सवाल जुड़ा है इस काम से। बस डार्लिंग कुछ दिनो की बात है, फिर हम साथ होंगे और अच्छी जिंदगी बिताएंगे क्योंकि इस काम के बाद ही तो पैसे आयेंगे अपने पास।

फोन: ......

आदमी: हां डार्लिंग, Love... आआ ओह नो...

और एक जोर का धमाका होता है....

गाड़ी एक मोड़ पर एकदम से अनियंत्रित हो कर खाई की तरफ ढलान पर मुड़ जाती है और एक पत्थर से टकरा जाती है। लड़के का सर जोर से स्टीयरिंग से टकरा कर खून से लथपथ हो जाता है, और उसका होश खोने लगता है, गलती से उसका पैर एक्सीलेटर पर लगता है और गाड़ी पत्थर से छूट कर उलट कर खाई की ओर फिसलने लगती है, और लड़का बेहोश हो जाता है।

कुछ देर बाद लड़के को जरा सा होश आता है, और वो निकलने की कोशिश करता है, मगर वो कामयाब नही होता। उसकी गाड़ी खाई के एकदम किनारे किसी तरह से बस अटकी हुई होती है, जो उसके बाहर निकलने की कोशिश से हिलने लगती है। तभी उसके कान में एक आवाज आती है।

"हाथ दो अपना"


वो एक तरफ देखता है तो बाहर रोशनी में उसे कोई खड़ा दिखता है, चेहरा नही दिखता लेकिन कंधे के पीछे लहराते बाल, और उसकी ओर बढ़ता एक हाथ जिसपर लंबे नाखून थे वो उसे दिखता है। आदमी अपना हाथ उस ओर बढ़ा देता है और फिर से बेहोश हो जाता है......

हैल्प करने के लिए आने वाली लड़की के क्लिफ पर झुका हुआ होने‌ पर ग्रेविटी की वजह से चेहरा खुद से ही बालों‌(अगर वो खुले हुए थे तब) से ढक जाता.

बाकी कथानक और शब्द चयन जबरदस्त :thumbup:
 
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Prime
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#3 what is in the name....

डॉक्टर आश्चर्य से उस आदमी को देखते हुए अपना फोन निकल कर किसी को कॉल करता है

"हेलो, डॉक्टर सिद्धार्थ से बात हो सकती है क्या??"

फोन:....

"जी जैसा मैंने आपको उस एक्सीडेंट वाले पेसेंट के बारे में बताया था, उसे कुछ भी याद नही है, और आश्चर्य की बात है की सर पर ऐसी कोई बड़ी चोट नहीं है।"

फोन:.......

"जी मैं अभी एमआरआई और बाकी के टेस्ट्स करवाता हूं, आप जल्दी आने की कोशिश करिए।"

डॉक्टर: आपके कुछ टेस्ट्स करवाने में हैं जल्दी से, तब तक सीनियर न्यूरो कंसलटेंट डॉक्टर सिद्धार्थ भी आ जायेंगे, आप परेशान न हो, सब सही होगा, सिस्टर इनको जल्दी से लैब में ले कर चलिए।"

कोई 2 घंटे बाद उसी कमरे में डॉक्टर सिद्धार्थ सारी रिपोर्ट्स को देखते हुए, "आपके सर पर तो ऊपरी तौर पर कोई बड़ी चोट के निसान नही है, लेकिन शायद एक्सीडेंट के सदमे से आपकी यादाश्त पर एक झटका लगा है, जो आपके घरेलू वातावरण में जाने से कुछ समय बाद सही हो जायेगा।"

आदमी: पर डॉक्टर, मुझे तो कुछ याद भी नहीं है, मेरा घर कहां है ये भी नही, तो मैं घर जाऊंगा कैसे??

सिद्धार्थ: अब इसमें तो आपकी मदद बस पुलिस ही कर सकती है, हालांकि एक एक्सीडेंट के तौर पर आपका केस पुलिस के पास गया होगा जरूर, तो आप उनसे मदद के सकते हैं, डॉक्टर चंदन आपकी मदद करेंगे इसमें।

डॉक्टर चंदन: जी दरअसल इनको अनामिका जी ले कर आई थी तो इसीलिए रमाकांत अंकल के कारण मैंने पुलिस को इनफॉर्म नही किया था, एक्सीडेंट उनके सामने ही हुआ था, गाड़ी के अनियंत्रित होने से, तो ऐसी कोई बात नही थी, फिर भी मैं एक बार उनसे बात करता हूं।

डॉक्टर सिद्धार्थ: अच्छा, फिर तो सही किया पुलिस को न बता कर, वरना बेकार में अनामिका बिटिया से पुलिस पूछताछ करती। वैसे बात करो, क्योंकि अब तो पुलिस की जरूरत है।

डॉक्टर चंदन: जी बिलकुल, आइए मैं आपको बाहर तक छोड़ कर आता हूं।

और दोनो डॉक्टर कमरे से निकल जाते हैं। थोड़ी देर में डॉक्टर चंदन वापस आते हुए।

"वैसे मेरा नाम चंदन मित्रा है, और अब जब आपको आपका नाम नही पता, तो चलिए आज से आपको हम लोग अमर बुलाते हैं। क्योंकि आप मौत को मात दे कर आए है।"

आदमी मुस्कुराते हुए: "जी बेहतर, कम से कम कोई तो बुलाया जाने वाला नाम होना ही चाहिए ना। अमर ही सही है।"

डॉक्टर: " सही है, आप आराम करिए तब तक, और मैं जरा रमाकांत अंकल से बात कर लेता हूं। वैसे एक बात और, आपको यहां लगभग एक हफ्ते ही रहे हैं, लेकिन अभी तक न तो आपकी खबर लेने कोई आया है, ना ही कोई ऐसी खबर है कि शहर में कोई मिसिंग है, तो आप इस शहर के तो नही लगते हैं। और अगर जो बाहर कहीं से हैं तो अब तक तो कोई न कोई पुलिस में आपके गुम होने की खबर तो करता?"

डॉक्टर के जाने के बाद अमर सोच में डूब गया।

"मुझे कुछ याद नहीं है, और डॉक्टर कह रहे है कि कोई मुझे ढूंढने भी नही आया, इसका मतलब तो यही है कि शायद मेरा कोई नही है इस दुनिया में। लेकिन मैं हूं कौन??"

"पुलिस की मदद लूं या नहीं? कहीं मैं किसी गलत राह का कोई आदमी न होऊं जिसकी पुलिस तलाश कर रही हो, और पुलिस की मदद ले।कर कहीं बुरा न फस जाऊं।"

इसी उधेड़बुन में अमर की आंख फिर से लग जाती है।

कुछ देर बाद उसकी नींद डॉक्टर चंदन के उठाने से खुलती है। उसके साथ में वही लड़की होती है जो सूनी नजरों से अमर की ओर देख रही होती है।

चंदन: अमर जी, रमाकांत उनके तो कही बाहर रहने के कारण तो आ नही पाए, लेकिन उन्होंने अनामिका जी को भेज है, आपसे बात करने।

अमर मुस्कुराते हुए: जी अनामिका जी, कैसी है आप? आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी जान बचाई। पता नही मैं आपका ये अहसान कैसे चुकाऊंगा?

अनामिका: जी ये तो मेरा फर्ज था, इसमें अहसान की कोई बात नही है, बताइए, चंदन कह रहे थे कि कुछ बात करनी है आपको?

चंदन: दरअसल अनामिका अमर की यादाश्त को चुकी है, और इसको कुछ भी याद नही कि ये कौन है या इसका घर कहां है, तो इसमें पुलिस की मदद लगेगी, और मैने तुम लोग के चलते अभी तक पुलिस को इनफॉर्म नही किया है, तो उसी के सिलसिले में बात करनी थी।

अनामिका: चंदन अगर जो इसमें पुलिस की मदद लगनी है तो आप पुलिस को इनफॉर्म कर दीजिए, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं कर लूंगी। बस इनकी मदद हो जानी चाहिए।

चंदन: फिर ठीक है, मैं पुलिस को इनफॉर्म कर देता हूं।

अमर: डॉक्टर जरा मुझे कुछ समय दीजिए पुलिस को इनफॉर्म करने से पहले।

चंदन: वो क्यों भला??

अमर: असल में मुझे लगता नही कि पुलिस कोई खास मदद कर पाएगी, क्योंकि अगर जो मेरा कोई इस दुनिया में होता तो अब तक मुझे ढूंढता इस शहर में आ गया होता। वैसे मेरा फोन कहां है? क्योंकि मुझे याद है की एक्सीडेंट के समय मैं गाड़ी में किसी से बात कर रहा था। अनामिका जी क्या आपको पता है??

अनामिका: जैसे ही मैंने आपको गाड़ी के बाहर खींचा, आपकी गाड़ी खाई में गिर गई थी, और आस पास तो मुझे फोन नही दिखा आपका शायद गाड़ी के साथ खाई में चला गया।

अमर: ओह, वही एक उम्मीद थी, देखते है फिर कैसे पता चलता है।

फिर सभी बाहर निकल जाते हैं।

अमर सोचते हुए: "मुझे पुलिस के अलावा किसी और तरीके से पता करना होगा अपने बारे में, कही किसी चक्कर में न फस जाऊं पुलिस की मदद ले कर। डॉक्टर चंदन से खुल कर बात करता हूं।"

तभी उसे बाहर से आवाज सुनाई देती है।


अनामिका: चंदन तुमने वो ही नाम क्यों रखा, तुम्हे तो सब पता है ना........


achcha likhte ho bhaai.
 
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plot(story) main dum hai to last main jabardasti suspanse daalna zaruri nhi lagta riky bhai
#4 The Shadow...

चंदन: "अनु देखो जो बीत गया उसका क्या तुम जिंदगी भर शोक मनाओगी? सब भूल कर आगे क्यों नही बढ़ती तुम?"

अनामिका: "चंदन मैंने बहुत कोशिश कर ली, अब मुझसे नही होता, मेरी जिंदगी उस वाकए के बाद वहीं रुक गई है। और फिर भी तुम्हे यही नाम मिला?"

चंदन: "वो कौन सा तुम्हारे घर रहने आ रहा है? तुम यहां आना ही नही, बस।"

अनामिका:"ठीक है, अब मैं चलती हूं, अगर जो पुलिस की जरूरत पड़ती है तो बताना मुझे।"

ये बातें सुन कर अमर के दिमाग में एक बार अनामिका का चेहरा घूम जाता है, शक्ल से वो कोई खास आकर्षक नही थी, पर उसकी आंखे जो बहुत सूनी होने के बावजूद भी अमर को अपनी ओर आकर्षित करती महसूस हो रही थी। उसे शायद कोई बहुत बड़ा दुख है जो अमर को अभी नही मालूम था।

तभी डॉक्टर चंदन वापस से उसके कमरे में आता हैं।

चंदन: अमरजी, क्या मैं पूछ सकता हूं की आप पुलिस की हेल्प क्यों नही लेना चाहते?

अमर: देखिए डॉक्टर...

चंदन: यू कैन कॉल में चंदन, अपना दोस्त ही समझिए, वैसे भी आपको अभी मेरे सिवा और कोई बात करने वाला नही मिलेगा। तो बिना झिझक आप अपनी परेशानी बताएं।

अमर मुस्कुराते हुए: चंदन जी शुक्रिया मेरा दोस्त बनने के लिए। कम से कम अब कोई मेरा अपना तो हुआ कहने के लिए।

चंदन: अरे वैसी कोई बात नही अमर जी, वैसे भी मेरा पेशा ही है लोगों से घुल मिल कर बात करने का, और दूसरा इस शहर में मेरा भी कोई अच्छा दोस्त नही है अभी तक, बस इसीलिए।

अमर: ये तो अच्छी बात है कि आप मुझे अपना अच्छा दोस्त मानते हैं। देखिए चंदन जी, मुझे लगता है कि मैं इस दुनिया में अकेला ही हूं, वरना अगर जो कोई मेरा होता तो अब तक ढूंढने आ ही जाता। और मुझे एक डर और भी है।

चंदन: वो क्या??

अमर: जैसा मुझे अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ भी नही मालूम, मुझे डर है कि कहीं मैं जुर्म की दुनिया में काम करने वाला कोई व्यक्ति न होऊं। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो पुलिस मुझे सजा दिलवा देगी, और मैं जिसे कुछ पता ही नही, अपनी बेगुनाही कैसे साबित करूंगा। हो सकता है कि मैने कई गुनाह किए हो, मगर बिना जाने उनकी सजा कैसे काट सकता हूं??

चंदन: बात तो आपकी सही है, पुलिस को इन्वॉल्व करना खतरनाक हो सकता है, हो सकता ही इससे आपका कोई दुश्मन हो जो आपके लिए खतरा बन जाय। चलिए मैं पर्सनल लेवल पर कुछ कोशिश करता हूं।

अमर: थैक्यू दोस्त।

चंदन: अरे दोस्त भी बोलते हो और थैंक्यू भी। चलो आप आराम करो, मैं जाता हूं अभी।

अगले दिन अमर कंपाउंडर की मदद से कॉरिडोर में टहल रहा होता है, कि तभी उसे ऐसा लगता है कि रोड के उस तरफ एक पेड़ के पीछे से कोई उसे देख रहा है। अमर उस ओर देखने लगता है पर कोई दिखता नही, उसे लगता है कि कोई वहम हुआ है उसको। फिर बाकी का दिन वैसे ही बीत जाता है।


रात के 3 बजे कुछ आवाज से अमर की नींद खुलती है और वो रूम में चारो तरफ देखने लगता है, मगर उसे कोई दिखता नही। वो फिर से सोने की कोशिश करता है, तभी उसको लगता है की उसके सिरहाने पर कोई खड़ा है। हैरत से वो पलटकर देखता है तो कोई लंबा सा साया उसे दिखता है, जिसके हाथ के एक खंजर होता है, और वो साया खंजर ऊपर उठा कर......
 
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