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Nice update
Lagta hai Amar ki asmanjas aur uske prashno ka samadhan ho gaya hai
Nice post
Thanks Avsji
काजल को हम पहले भी कई अवतार मे देख चुके हैं और हर अवतार , हर रूप मे वो हमे लाजवाब करते हुए आई। इस बार उसे 'अमर निवास ' मे घर की मुखिया और पथ प्रदर्शक के रूप मे देखा हमने।
ऐसी सुशील , कुलवंति, फूलवति और परिपक्व महिला नही देखा कभी हमने। कौन कहेगा यह औरत घर घर जाकर नौकरानी का काम किया करती थी! कौन विश्वास करेगा कि यह महिला खूब पढ़ी लिखी भी नही है!
उसने अमर और उसके परिवार के लिए जितना कुछ किया उतना शायद ही कोई कर सके!
और उसी के संस्कार का असर है कि उसका पुत्र सुनील भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक ऐसी महिला को पत्नि बनने का दर्जा देने जा रहा है जो उससे उम्र मे डबल से भी अधिक है।
दुनिया मे शायद ही कोई ऐसी मां होगी जो इस बेमेल शादी के लिए अपनी रजामंदी दे! अपने एकलौते और कमाऊ पुत्र के लिए चालीस साल से भी ऊपर और एक जवान पुत्र के मां से रिश्ता जोड़ने के लिए परमिशन दे !
अमर को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए जो काजल उसके लाइफ मे आई। अमर को उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने काजल को उसके घर पर काम करने के लिए भेजा। अमर को उस मां का नमन करना चाहिए जिसने काजल जैसी पुत्री पैदा किया।
अमर की दुविधा बिल्कुल ही जायज थी। अचानक से ऐसी खबर किसी भी इंसान का होश उड़ा दे। मर्द जाति ही स्वार्थी होता है। उसे सबसे पहले अपने हित और मान सम्मान की चिंता होती है। लेकिन महिलाएं खुद से ज्यादा अपने परिवार और प्रेमी की खैरियत की फिक्र करती है। और वही काजल ने किया। अमर को अच्छी तरह से कन्विंश किया।
गांव के पुजारी जी मुझे उस वक्त भी काफी पंहुचे हुए लगे थे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन का वचन कभी ब्यर्थ नही जाता। प्रभू के सच्चे दूत होते हैं वो। पुजारी जी भी उसी श्रेणी मे आते थे।
काजल का कहना है कि वो भी शादी के बंधन मे बंधेगी जैसा कि उन संत पुरुष की भविष्य वाणी थी। मुझे बहुत अच्छा लगेगा काजल को सुहागन के रूप मे देखकर।
लेकिन मै अभी भी हैरान हूं कि रचना कहां गायब हो गई!
पुराने फिल्मी गानों का मै बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इन अनुभाग मे आपने बहुत ही अच्छे अच्छे गानो से हमे रूबरू करवाया। धरती मूवि का " खुदा भी आसमां से " , इसके बाद मेला और सत्यम शिवम सुन्दरम मूवि का गीत सभी शानदार गीत हैं।
सभी अपडेट बहुत ही खूबसूरत थे अमर भाई।
हाल फिलहाल तो पर्व का मौसम था और आप को इन सभी पर्व की हार्दिक बधाई।
अपडेट हमेशा की तरह जगमग जगमग।
अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।काजल को हम पहले भी कई अवतार मे देख चुके हैं और हर अवतार , हर रूप मे वो हमे लाजवाब करते हुए आई। इस बार उसे 'अमर निवास ' मे घर की मुखिया और पथ प्रदर्शक के रूप मे देखा हमने।
ऐसी सुशील , कुलवंति, फूलवति और परिपक्व महिला नही देखा कभी हमने। कौन कहेगा यह औरत घर घर जाकर नौकरानी का काम किया करती थी! कौन विश्वास करेगा कि यह महिला खूब पढ़ी लिखी भी नही है!
उसने अमर और उसके परिवार के लिए जितना कुछ किया उतना शायद ही कोई कर सके! और उसी के संस्कार का असर है कि उसका पुत्र सुनील भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक ऐसी महिला को पत्नि बनने का दर्जा देने जा रहा है जो उससे उम्र मे डबल से भी अधिक है।
दुनिया मे शायद ही कोई ऐसी मां होगी जो इस बेमेल शादी के लिए अपनी रजामंदी दे! अपने एकलौते और कमाऊ पुत्र के लिए चालीस साल से भी ऊपर और एक जवान पुत्र के मां से रिश्ता जोड़ने के लिए परमिशन दे !
अमर को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए जो काजल उसके लाइफ मे आई। अमर को उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने काजल को उसके घर पर काम करने के लिए भेजा। अमर को उस मां का नमन करना चाहिए जिसने काजल जैसी पुत्री पैदा किया।
अमर की दुविधा बिल्कुल ही जायज थी। अचानक से ऐसी खबर किसी भी इंसान का होश उड़ा दे। मर्द जाति ही स्वार्थी होता है। उसे सबसे पहले अपने हित और मान सम्मान की चिंता होती है। लेकिन महिलाएं खुद से ज्यादा अपने परिवार और प्रेमी की खैरियत की फिक्र करती है। और वही काजल ने किया। अमर को अच्छी तरह से कन्विंश किया।
गांव के पुजारी जी मुझे उस वक्त भी काफी पंहुचे हुए लगे थे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन का वचन कभी ब्यर्थ नही जाता। प्रभू के सच्चे दूत होते हैं वो। पुजारी जी भी उसी श्रेणी मे आते थे।
काजल का कहना है कि वो भी शादी के बंधन मे बंधेगी जैसा कि उन संत पुरुष की भविष्य वाणी थी। मुझे बहुत अच्छा लगेगा काजल को सुहागन के रूप मे देखकर।
लेकिन मै अभी भी हैरान हूं कि रचना कहां गायब हो गई!
पुराने फिल्मी गानों का मै बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इन अनुभाग मे आपने बहुत ही अच्छे अच्छे गानो से हमे रूबरू करवाया। धरती मूवि का " खुदा भी आसमां से " , इसके बाद मेला और सत्यम शिवम सुन्दरम मूवि का गीत सभी शानदार गीत हैं।
सभी अपडेट बहुत ही खूबसूरत थे अमर भाई।
हाल फिलहाल तो पर्व का मौसम था और आप को इन सभी पर्व की हार्दिक बधाई।
अपडेट हमेशा की तरह जगमग जगमग।
आपकी लेखनी को सलामपहला प्यार - Update #3
गैबी को शुक्रवार की रात को भारत आना था, जो मेरे लिए बहुत उपयुक्त दिन था, क्योंकि शुक्रवार मेरा सप्ताहांत होता है। और सबसे अच्छी बात, कि मैं उसको दो दिन सारी आवश्यक जगहें दिखा सकता था, और उसे भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने में मदद कर सकता था। विदेशियों के लिए भारत आ कर तुरंत सेटल होना आसान नहीं होता, चाहे वे कहीं से भी आए हों। मैं एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी करने के लिए पहुँच गया। उस टर्मिनल पर दर्शक दीर्घा में खड़े खड़े मैं गैबी के आने का लंबा और दर्दनाक इंतजार करने लगा [दर्दनाक इसलिए क्योंकि मुझे मेहमानों को लेने रेलवे स्टेशनों या हवाई अड्डे जाने और वहाँ पर उनका इंतज़ार करने का अच्छा खासा अनुभव है, और इस काम से मुझे नफरत है]! ख़ैर, एक लम्बे इंतज़ार के बाद मुझे गैबी निकासी के गलियारे से आती हुई दिखी।
गैबी अपनी फोटो में जैसी दिखती थी, उतनी ही छरहरी लग रही थी! उसके बाल गहरे लाल रंग के थे, और पोनीटेल में बंधे हुए थे। उसने एक पतली ऑफ-व्हाइट शर्ट और हल्के नीले रंग की डेनिम जींस पहनी हुई थी। चूँकि उसकी शर्ट थोड़ी झीनी सी थी, इसलिए उसमें से उसकी काली ब्रा आसानी से दिख रही थी। उसने अपने सूटकेस के हत्थे को मज़बूती से पकड़ रखा था - न जाने क्यों वो डरी सहमी हुई सी लग रही थी। उसके चेहरे पर एक चिंतित सा भाव था। वैसे यह आश्चर्य की बात नहीं थी - वो पहली बार अपने देश से बाहर आई थी, और भारत का अनुभव करना किसी भी नए व्यक्ति के लिए एक कठिन काम हो सकता है। उसकी आँखें तेजी से उसके चारों ओर देख रही थीं। उसका लगेज बहुत सारा नहीं था - मैं समझ गया था कि उसके लिए सब कुछ केवल अपने दम पर जुगाड़ना कितना कठिन रहा होगा। मैं खुद भी, बहुत मना कर, मिन्नतें कर के, उसको भारत लाने में सफल हुआ था। मैंने उसकी आनाकानी करने पर उसको डाँटा भी था। मैंने उसको कहा था कि उसके प्रेमी, और होने वाले पति के रूप में, मुझे उसकी हर तरह से मदद करने का अधिकार है। अगर वो चाहती है, तो वो मुझे पैसे वापस कर सकती है, लेकिन मेरे पैसे, मेरे संपत्ति पर उसका भी मेरे जितना ही हक़ है। यह बात मैंने कई दिनों तक दोहराई थी, और तब कहीं जा कर वो यहाँ आने को तैयार हुई थी। एक दिन तो उसने कमाल कर दिया - उसने मुझसे पूछा कि मैं काजल को कितना वेतन देता हूँ। वो चाहती थी कि घर का काम वो कर देगी, जिससे उसको काजल का वेतन मिल सके। मैंने गैबी की इस बात पर उसको जम कर डाँटा और समझाया कि मैं अपनी नौकरानी से बहुत प्यार करता हूँ और उसे जाने नहीं देना चाहता! बेचारी गैबी अपने भविष्य को लेकर इतनी अनिश्चित थी कि वो तय नहीं कर पा रही थी कि उसका भारत आना सही है भी, या नहीं! और यह सब तब जब हमने एक दूसरे के लिए अपने प्यार का इज़हार कर दिया था; और मैं उसको बोल भी चुका था कि मैं उससे शादी करना चाहता था। खैर, अच्छा हुआ कि उसने अपनी मूर्खतापूर्ण हठ को छोड़ दिया और हमारा मिलने का इंतजार खत्म हो गया।
उसे देखते ही मुझे अपने चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान महसूस हुई। मैंने उसे पुकारा,
“गैबी! इधर!” मैंने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से हाथ हिलाया।
जैसे ही उसने मुझे देखा, उसका चेहरा खिल उठा और वह मेरी ओर भागने लगी - न अपने सामान की परवाह, न खुद की।
“हनी!” वह मेरी तरफ भागते हुए चिल्ला रही थी।
उसकी आवाज बहुत तेज थी। उसके चेहरे के भाव ऐसे लग रहे थे, जैसे वो कई दिनों से समुद्र के बीच में फंसी रही हो, और बस अभी अभी ही उसको वह बचाया गया हो। उसके चेहरे पर उपस्थित भय के भावों का स्थान राहत, आनंद, और उत्साह के भावों ने ले लिया।
“हनी!” जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा, उसने वही शब्द दोहराया। वह मुझे देखकर कितनी भावुक हो गई थी!
“माय हार्ट!”
इतना प्यार!
मुझे पता था कि मैं भी उससे बहुत प्यार करता हूँ! लगभग चिल्लाते हुए गैबी मेरी ओर दौड़ी, अपना सामान ट्रॉली पीछे छोड़कर मुझ पर कूद पड़ी। मैंने उसे अपने आलिंगन में उठा लिया - इस तरह से कि उसके पैर मेरी कमर के चारों ओर और उसकी बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थीं। आगे जो हुआ वह मेरे लिए थोड़ा सा शर्मनाक था क्योंकि सब देख रहे थे। गैबी मेरे मुँह पर अपने मुँह को रख कर खुले मुँह के साथ मुझे चूमने लगी! मुझे इस अचानक हुए हमले से उबरने में कुछ सेकंड लगे और फिर मैं भी उसके चुम्बन का जवाब उतनी ही उत्साह से देने लगा। उसके पैर मेरे कमर को चारों ओर से पकड़े हुए थे, और मैंने उसके नितम्ब अपने हाथों में थाम रखे थे। हम दोनों पूरी भावना, पूरे उत्साह के साथ एक दूसरे को ‘फ्रेंच किस’ कर रहे थे। मैंने अपने पूरे जीवन में इस तीव्रता से कभी किसी को नहीं चूमा था, और इस चुम्बन का मुझ पर एक स्पष्ट और सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। मेरा लिंग अचानक ही स्तंभित होने लगा। आस-पास के लोग हमें उत्सुक हैरानी से देख रहे थे : जाहिर सी बात है, सभी यही सोच रहे होंगे कि हम एक शादीशुदा जोड़ा हैं! तब एक देसी आदमी के लिए एक विदेशी बीवी होना, एक बड़ी उपलब्धि थी। ‘नेबर्स एनवी, ओनर्स प्राइड’ वाली हालत!
“गैबी...?”
“हम्म मम्म?” वह प्यार से मेरी आँखों में देख रही थी।
अपनी तस्वीरों में गैबी जैसी दिखती है, उससे कहीं अधिक सुंदर थी।
“तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो! और मैं बहुत खुश हूँ कि तुम अब मेरे साथ, मेरे पास हो!”
“माय हार्ट! मेरे पास जो कुछ भी है वह तुम्हारा है। सब कुछ! तुम हो, बस.... अब कुछ नहीं चाहिए! बस तुम्हारा प्यार …”
“गैबी, यू आर गॉड्स गिफ्ट [तुम भगवान् का दिया उपहार हो] ... और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!!”
हम इसी तरह से कुछ देर ऐसी ही मीठी मीठी बातें करते रहे। अब तो बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं। लेकिन अंत में, हमने अपना आलिंगन तोड़ा और उसका सामान ट्रॉली से उठाया और हम ले कर पार्किंग में चले आये और फिर अपनी कार में बैठ गए। मैं आम-तौर पर तेज ड्राइव करता हूँ, लेकिन उस दिन, दिल चाह रहा था कि एयरपोर्ट से घर का सफर बस चलता रहे। इसलिए, मैं कार धीरे चला रहा था। मेरी कार के स्टीरियो पर एक हल्का, रोमांटिक संगीत चल रहा था, जिसे गैबी भी पसंद कर रही थी। उसको समझ में तो नहीं आ रहा होगा, यह तो तय है। ड्राइव के दौरान उसने मुझे प्यार से छुआ।
“माय बिग एंड स्ट्रांग बॉय!”
वो मुझे देख कर बहुत खुश थी, और उसके चेहरे पर प्रशंसा और गौरव वाले भाव थे। लगभग डेढ़ साल तक चले ऑनलाइन सम्बन्ध में आज हम पहली बार एक दूसरे के सामने थे। इसलिए आज वो मुझे छूने और महसूस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। तो उसने मुझे छुआ - कभी मेरी बाहों को, तो कभी छाती को, तो कभी जांघों की मांसपेशियों को! जब उसने मेरी जांघों को छुआ, तो मुझे गुदगुदी सी हुई - आंशिक रूप से उसके स्पर्श के उत्तर में, और आंशिक रूप से इस प्रत्याशा में कि वह आगे क्या करने वाली है। मुझे उम्मीद थी कि वह मेरे लिंग को महसूस करेगी, और उसने निराश नहीं किया। मानो मेरे मन की बात पढ़ते हुए उसकी हथेली मेरे लिंग पर पहुंच गई,
“माय सिनामन....” उसने मुस्कुराते हुए कहा। मेरा लिंग पहले से बिलकुल सख्त बना बैठा था।
“डू यू वांट टू बी फ़्री ऑफ़ दिस स्टुपिड फ़ैब्रिक?”
[गैबी और मैं शुरू शुरू में अंग्रेज़ी, फ़िर अंग्रेज़ी-हिंदी, और फिर हिंदी और पुर्तगाली में बात करते हैं - लेकिन यहाँ पर सब हिंदी में ही लिखा जाएगा - तीन भाषाओं में एक ही बात लिखने का धैर्य नहीं है मुझमे!]
इस समय गैबी मुझसे बात नहीं कर रही थी; इस समय वो मेरे लिंग से बात कर रही थी।
सच कहूँ? मैं तो चाहता भी था यही था कि ऐसा कुछ हो। उसने मेरी ज़िप खोल दी, और मेरे अंडरवियर के माध्यम से वो मेरे लिंग तक पहुंच गई। कुछ ही सेकंड में, उसके हाथ ने मेरे लिंग को मुक्त कर दिया था और ज़िप के सामने से बाहर निकाल लिया था। मुझे उसके बाहर निकलते ही कार के एयर-कंडीशनर की ठंड का एहसास हुआ। उस समय बहुत लोगों के पास कार ही नहीं होती थी, और एयर-कंडीशनर कार तो बहुत ही कम होती थीं। गैबी ने मेरे कठोर, पूरी तरह से स्तंभित लिंग को पहली बार मूर्त रूप में देखा था। मेरा लिंग बाहर की तरफ़ सीधा निकला हुआ था; उसकी चमड़ी थोड़ा पीछे की ओर खिंची हुई थी और इस कारण लिंगमुण्ड थोड़ा दिख रहा था। उसने अपनी हथेली और उंगलियों को शाफ्ट के चारों ओर लपेट लिया, थोड़ा दबाया - स्तम्भन इतना मज़बूत था कि उस मामूली से दबाव से तो थोड़ा भी नहीं दबा।
गैबी के गले से एक आश्चर्यजनक आह निकल गई,
“तुमको मालूम है, हनी,” उसने मुझसे कहना शुरू किया - उसकी आवाज स्पष्ट रूप से यौन उत्तेजना के साथ थोड़ी कर्कश हो गई थी - “... जितना मैं संभाल सकती हूँ, ये उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। मेरी योनि इसके मुकाबले.... छोटी है …”
वो मुझे बताते बताते मेरे लिंग को पकड़े पकड़े हस्तमैथुन दे रही थी।
मैं पहले से ही यौन तनाव के अपने चरम पर था। मैंने पिछले तीन दिनों से न तो हस्तमैथुन किया था, और न ही काजल के निकट गया था, क्योंकि मैं खुद को बचा रहा था, जिससे गैबी के साथ बिस्तर पर अच्छा परफॉर्म कर सकूं। लेकिन अब वही बात मुझे परेशानी दे रही थी। शीघ्र ही स्खलन होने का वास्तविक खतरा मँडरा रहा था, जबकि मैं ऐसा करने से पहले बहुत समय लेना चाहता था। मैंने कार रोकी और सड़क के किनारे खड़ी कर दी।
“गैबी, अगर तुम यह करना जल्दी ही नहीं रोकती हो, तो मैं तुम्हारे हाथ में ही स्खलित हो जाऊँगा!”
“सच में, मेरी जान? अच्छा!” उसने इतना कहा, और फिर झुक कर उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया।
उसने धीरे धीरे मेरे लिंग को चूसना और हाथ से पंप करना शुरू कर दिया - धीरे-धीरे, क्योंकि उसको मालूम था कि कैसा भी तेज़ घर्षण मुझे तत्काल स्खलित कर देगा। उसके मुँह की नरम गर्माहट, और इस मधुर मुख-मैथुन ने मुझे कामुक आनंद से झकझोर कर रख दिया। मैं जैसे इच्छाशक्ति को सम्हाले अटका हुआ था - कि अभी स्खलित हुआ, कि तभी स्खलित हुआ। गैबी भी चाहती थी कि मैं मुख मैथुन से होने वाले आनंद का मज़ा देर तक लूँ। इसलिए वो धीरे धीरे यह सब कर रही थी। शायद वो खुद भी मेरी मरदाना गंध से उत्तेजित हो गई थी। मेरे लिंगमुण्ड से शिश्नाग्रच्छद कब का हट चुका था, और उसकी जीभ उसको गुदगुदी कर रही थी और साथ ही साथ उसको चूस भी रही थी। उसने बड़े प्यार से मुझको मुख-मैथुन का सुख दिया, तब तक, जब तक कि उस पता नहीं लग गया कि मैं स्खलित होने वाला हूँ। गैबी के प्रयासों के बावज़ूद, मैं जल्दी ही स्खलित हो गया - मेरा स्खलन विस्फोट की भाँति ही महसूस हुआ। गैबी मुझे मुँह में ही लिए लगातार चूसती रही, और पीती रही। जब तक मेरे लिंग ने स्खलन करना जारी रखा, तब तक गैबी ने चूसना और पीना जारी रखा। जब पूरा खाली हो गया, तब भी गैबी ने कुछ देर उसको चूसा और फिर मेरे लिंग को मुक्त कर दिया।
“मज़ा आया, मेरी जान? तुम को यह पसंद आया?” उसने पूछा।
‘मज़ा आया? पसंद आया? अरे भगवान! मैं तो स्वर्ग में तैर रहा था।’
मैंने बस ‘हाँ’ में सर हिलाया, और मुस्कुराया। फिर से गाड़ी चलाने से पहले मुझे अपने होश और सांस लेने में कुछ समय लगा।
जूही जी, आप का बचपन कैसा गुजरा होगा, मै अच्छी तरह से समझ सकता हूं। पिता का साया कम उम्र मे ही उठ जाना और मां को वैधव्य रूप मे तिल तिल आंसू बहाते हुए देखना...फाइनेंशियल एंड फ्यूचर की असुरक्षित भावना, सब कुछ बहुत बहुत ज्यादा कठीन हुआ होगा।अमर जी ,निसंदेह आप मेरे फेवरेट लेखक हे और रहेंगे ,अगर मेरी विवाहित ज़िंदगी रंगो से सरोबार हे तो उसकी वजह आप भी हे।
आप की कोई भी कहानी पढ़ लो सेक्स का मूड तो बन ही जाता हे ,असल में देवयानी की मृत्य के बाद मुझे आपकी इस कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी थी ,मुझे उसकी मृत्य का गहरा दुःख पंहुचा था ,एक आत्मविश्वासी और बिंदास लड़की का अंत मुझे भाया नहीं तो मेने काफी समय तक आपकी इस स्टोरी को पढ़ा नहीं।
दीपावली के दिन में थोड़ा फ्री थी तो यूही आपकी इस कहानी के आखिर के कुछ अंश पड़ना शुरू किये आप यकीं कीजिये की में २ घंटे तक पढ़ती रही। मुझे मेरा अतीत याद आ गया। मेरे अभी के डैड और मॉम का रोमांस याद आ गया। मेरी मॉम मेरी अच्छी फ्रेंड भी हे उन्होंने मुझे काफी दिनों बाद बताया की उन्हें तुम्हारे डैड के साथ सेक्स कर जवानो जैसी फीलिंग आती हे।
में अब चाचा को डैड ही कहती हु ,उन्होंने मॉम से कभी बच्चे की इच्छा जाहिर नहीं की वो यही कहते रहे हम जूही को ही अपना पूरा प्यार देंगे। में तो अब भी उनसे कहती हु मुझे कोई बहन भाई ला दो तो वो मुझ पर ही टाल देते हे अब तेरी उम्र हे ये सब करने की।
देखिये समाज की बात मेरे समझ में आती हे उन्हें इस बात से चिढ़ होती हे की किसी विधवा का फिर से जीवन कैसे संवर सकता हे और उसकी शादी कैसे हो सकती हे। आपने इस कहानी में जिक्र भी किया हे जब सुनील सुमन को कहता हे की 50 साल के व्यक्ति से शादी कर उन्हें सहारा तो मिल सकता हे लेकिन सुख नहीं ,उन्हें भी उस उम्रदराज व्यक्ति का ख्याल रखना पड़ेगा।
मेरी बुआओं का फंदा दूसरा था वोउनकी सोच थी की मॉम किसी दूसरे से शादी कर लेगी तो उन्हें प्रॉपर्टी छोड़नी पड़ेगी और उनके हिस्से में प्रॉपर्टी आ जाएगी ,लेकिन चाचा से शादी के बाद प्रॉपर्टी का कुछ नहीं होगा। मेरी बुआओँ ने मेरे मॉम और डैड को जितना बदनाम किया होगा उतना तो अन्य लोगो ने भी नहीं कहा होगा। कुछ बाते तो ऐसे भी की ,की अगर इतनी ही आग लग रही थी तो कोठे पर बैठ जाती।
भुला दिया अब हमने सब।
आपको ,अंजलि भाभी को और दोनों बच्चियों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये। एक शेर जो मुझे आपके लिए बेहद पसंद हे
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू,
इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में।
अमर के वश का ही नही है जो वो इस रिश्ते को नकार दे। अमर की भावनाएं वही है जैसा लगभग हर मर्द मे पाया जाता है। काजल शुरुआत से ही सबकुछ जानती समझती थी लेकिन अमर को यह सब अचानक से सरप्राइज किया गया। कोई भी व्यक्ति भौचक्का हो सकता है।अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।
काजल सच में इस परिवार की नीव है और समय समय पर उसने ये साबित भी किया है। जिस तरह उसने सुनील और सुमन के रिश्ते को संभाला है वो बहुत ही प्रशंसनीय है।
लगता है महंत जी ने बहुत कुछ बताया है काजल को भविष्य के बारे में जिसमे उसके और अमर के एक होने की भी संभावना है।
वैसे भी दोनो "बिन फेरे हम तेरे" वाले क्रम में चल ही रहे है। अब महंत जी की और क्या बाते सच होती है वो भी देखने योग्य होगा। अति सुंदर अपडेट।
अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।
काजल सच में इस परिवार की नीव है और समय समय पर उसने ये साबित भी किया है। जिस तरह उसने सुनील और सुमन के रिश्ते को संभाला है वो बहुत ही प्रशंसनीय है।
लगता है महंत जी ने बहुत कुछ बताया है काजल को भविष्य के बारे में जिसमे उसके और अमर के एक होने की भी संभावना है।
वैसे भी दोनो "बिन फेरे हम तेरे" वाले क्रम में चल ही रहे है। अब महंत जी की और क्या बाते सच होती है वो भी देखने योग्य होगा। अति सुंदर अपडेट।