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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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अंतराल - विपर्यय - Update #15


कमरे में बच्चों के चहकने और हँसी की आवाज़ें आ रही थीं, इसलिए नींद नहीं आ रही थी। हाँ, सुकून अवश्य ही बहुत मिल रहा था।

कुछ देर के बाद काजल कमरे में आई।

“सो गए?”

“नहीं काजल।”

“नींद नहीं आ रही है?”

“अरे ऐसी कोई बात नहीं है। दिन भर के काम से थक गया था न! और तुमने भी इतना एक्साईटमेंट दे दिया आज। बस।”

काजल हँसने लगी, “हाँ न! मैं बहुत बड़ी गधी हूँ! कोई इंतजाम नहीं किया, बस सगाई करवाने चल पड़ी इनकी।”

“कोई बात नहीं। मैं हूँ न!”

“हाँ,” काजल अदा से मुस्कुराई, “तुम हो! तुम्हारे कारण मुझे बहुत बल मिलता है।”

“और तुम्हारे कारण मुझको। इसीलिए तुमको खोने का डर लगा रहता है मुझे हमेशा!” मैंने गहरी साँस लेते हुए बड़ी गंभीरता से कहा।

“अरे,” काजल चौंकी, “मुझे क्यों खो दोगे?”

“तुम मेरी थोड़े ही हो। अगर तुम मुझे छोड़ कर जाना चाहोगी, तो किस हक़ से रोकूँगा तुमको?”

“क्या अमर? क्या कह रहे हो तुम? कैसी कैसी बातें कर रहे हो?”

“कुछ नहीं! मेरी बात पर ध्यान न दो!”

“नहीं! ऐसे नहीं करो। बोलो न अपने मन की बातें! कुछ नहीं तो दिल तो हल्का हो जाएगा।”

हाँ, बात तो सही कह रही थी काजल।

“कुछ नहीं... बस, शायद कुछ अधिक ही सोच रहा हूँ!” मैंने गहरी साँस भरी, और आगे बोला, “लेकिन यार काजल, ये तो सब बहुत जल्दी जल्दी हो गया!”

“हाँ - जल्दी जल्दी तो हुआ है। लेकिन सोचती हूँ कि देर कर के क्या होगा?” काजल ने दो टूक बोला, “दोनों एक दूसरे को पसंद हैं! दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं! फिर देर करने का क्या मतलब?”

“नहीं नहीं! मेरा वो मतलब नहीं है! मुझे थोड़ा सा समय तो दो - मुझे चार घंटा पहले तो ये भी नहीं मालूम था कि सुनील और माँ एक दूसरे को पसंद करते हैं, और शादी करना चाहते हैं। अचम्भा तो होगा ही न!”

“हाँ, वो तो है।” काजल ने समझदारी से कहा, और आगे जोड़ा, “लेकिन अमर, तुमको सच में कोई ऑब्जेक्शन तो नहीं है?”

“नहीं काजल! ऑब्जेक्शन क्यों होगा? दोनों जने एडल्ट हैं; कोई उनको शादी करने से रोक थोड़े ही सकता है!”

“नहीं, ये तो हुआ लॉजिकल रीज़न! तुम्हारा इमोशनल रिएक्शन क्या है? तुम इन दोनों के रिश्ते से खुश तो हो न? तुमको ठीक तो लग रहा है न?”

काजल की बात पर मैं कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया।

काजल का प्रश्न वाजिब था। मुझे समझ में आ रहा था कि हमारे - मतलब हम दोनों परिवारों के आगे की दिशा, सुनील और माँ के विवाह पर मेरी प्रतिक्रिया पर बहुत अधिक निर्भर करती है! अगर मैं उनके विवाह पर आपत्ति उठाता हूँ, तो उनकी शादी तो नहीं होगी, लेकिन बहुत संभव है कि मेरे सभी अज़ीज़ लोग मुझसे दूर हो जाएँ! एक अद्भुत सी बात थी कि माँ को अपने जीवन में एक सम्बल मिला था। इतनी कम उम्र में उनसे वैधव्य वाला जीवन व्यतीत करने की उम्मीद करना एक मूर्खतापूर्ण आग्रह था। मुझे मालूम था कि उनकी खुशियाँ वापस लाने में सुनील का बहुत बड़ा योगदान है। ये तो मैंने भी देखा था कि कैसे उसके आने के बाद माँ के चेहरे पर मुस्कान वापस आ गई थी। लेकिन माँ के प्रति उसके प्रेम के बारे में जान कर मुझे अनोखा आश्चर्य हुआ था।

सुना तो था कि कुछ लोगों को अपने से कहीं बड़ी उम्र की महिलाओं से प्रेम हो जाता है - लेकिन उसको प्रेम नहीं, शारीरिक या भावनात्मक आकर्षण - एक तरह की फंतासी - कहना अधिक उचित होगा। सुनील उन लोगों से अलग निकला! वो किसी कामुक फंतासी के कारण नहीं, बल्कि विशुद्ध प्रेम के कारण माँ के साथ होना चाहता था। किसी के साथ विवाह करने और घर बसाने की इच्छा रखना, उसके प्रति प्रतिबद्धता रखना, और केवल सम्भोग करने की इच्छा रखने में बहुत अंतर होता है। सुनील माँ का जीवनसाथी बनना चाहता है, इसलिए मुझे माँ के लिए अच्छा लगा और सुनील के लिए भी। प्रेम पाना वैसे ही कठिन कार्य है। वैसे भी कुछ देर पहले भी सुनील से बात कर के मैं बहुत संतुष्ट हो गया था।

लेकिन उसके मेरी माँ के साथ होने वाले अंतरंग सम्बन्ध की परिणति के बारे में सोच कर मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था। हम दोनों परिवारों में एक क्रॉस (X) जैसा सम्बन्ध था - एक तरफ मैं और काजल रोमांटिक और ग़ैर-रोमांटिक सम्बन्ध में थे; और अब सुनील और माँ विवाह सम्बन्ध में बंधने वाले थे। यह एक बड़ी अनोखी सी स्थिति थी। एक अबूझ पहेली! रिश्तों का उलझाव! लेकिन बस यह कारण, कि मैं और काजल अपने सम्बन्ध को ले कर कन्फ़्यूज़्ड हैं, सुनील और माँ भी शादी न करें, बहुत ही बेवक़ूफ़ी भरा विचार है! उन दोनों को सुखी रहने का पूरा अधिकार है।

इस शादी के लिए सुनील भी इच्छुक है और मेरी माँ भी!

जल्दी ही मेरी माँ उसके बच्चों को जन्म देंगी!

यह विचार अजीब तो था ही, और बहुत अपरिचित भी!

अक्सर देखा जाता है कि जब किसी परिवार में, दो संतानों की उम्र में बहुत अधिक अंतर (जैसे कि दस या पंद्रह साल) आ जाता है, तब बड़ी संतान को अपने से कनिष्ठ संतान के आने पर अजीब सा लगता है। अजीब केवल इस बात पर ही नहीं लगता कि उसका अपनी माँ पर एकाधिकार समाप्त हो गया, बल्कि इस बात पर भी लगता है कि उन दोनों के बीच कैसा रिश्ता है? हाँ - पारिवारिक दृष्टि से भाई-बहन जैसा रिश्ता है, लेकिन भावनात्मक रूप से? तो जब मेरी माँ की अगली संतान होगी, तो मैं उसको पिता की दृष्टि से देखूँ या भाई की? मोटा मोटा हिसाब भी लगाया जाए तो माँ की अगली संतान होने के समय मैं लगभग तीस का होऊँगा! उस संतान के पिता से भी बड़ा! क्या मुसीबत है!

और तो और, यहाँ पर तो वो संतान भी किसी अन्य पुरुष से होने वाली थी! अन्य पुरुष! किसी पुत्र के लिए, अपनी माँ को, अपने पिता के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के साथ देखना और सोचना बहुत ही कठिन काम है! यह एक दिल बैठा देने वाला विचार है। हाँ - मानता हूँ कि यह एक बकवास विचार है, लेकिन क्या करें मानव वृत्ति का? ठीक है - डैड अब जीवित ही नहीं थे, और उनकी माँ पर कोई मिलकियत नहीं थी। फिर भी! जो मन में आ रहा है, वो मैं आप सभी से शेयर कर रहा हूँ। यह तो हुई मेरे मन की व्यथा। उसकी माँ और सुनील के जीवन में कोई महत्ता नहीं थी। क्यों? क्योंकि उस व्यथा के मूल में मेरी मूर्खता थी।

माँ का मुझसे परे भी अपना जीवन है। वो अपने जीवन को अपनी स्वेच्छा से जी सकती हैं - इस बात का उनको पूरा अधिकार है। सबसे बड़ी बात यह कि माँ बमुश्किल तैंतालीस की थीं, और उनके सामने एक लम्बा जीवन पड़ा था। यह जीवन वैधव्य की अवस्था में नहीं कट सकता। उनका जीवन दुःख में नहीं कट सकता। इसलिए उचित था कि वो उस व्यक्ति के साथ हो लें, जिनके साथ उनको सुख मिले, आनंद मिले, और अग्रिम जीवन की एक दिशा मिले।

“काजल, मैं खुश हूँ! बहुत खुश! अगर माँ और सुनील साथ में खुश रहते हैं, तो मैं भी बहुत खुश हूँ!”

काजल मुस्कुराई, “मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम भी इस बात से बहुत खुश हो! लेकिन मैं समझती हूँ। तुम्हारी जगह अगर मैं होती न, तो मैं भी समझती!” उसने मेरे बालों को उँगलियों से सहलाते हुए कहा, “अब देखो न - दोनों की शादी के बाद तुम्हारा और सुनील का रिश्ता भी बदल जाएगा! मेरा और तुम्हारा रिश्ता चाहे जैसा रहे, लेकिन सुनील तो अब तुम्हारी माँ का पति बनने वाला है। एक तरह से तुम्हारा... पापा!”

“व्हाट? हा हा हा हा!”

“हाँ! और नहीं तो क्या?”

“तो क्या तुम मेरी दादी हो जाओगी?” मैं अभी भी हँस रहा था।

“पता नहीं!” काजल भी हँसने लगी; मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके स्तन पर चिकोटी काटी।

आऊ! लेकिन हो सकता है न, कि वो उस तरह से बिहैव करने लगे कभी! देखे तो हो ही तुम कि वो जब चाहता है, तब कितना मैच्योर बन जाता है!”

“अरे यार! ये तो बहुत अजीब सा है!”

“हाँ न! लेकिन ये सब पॉसिबिलिटीज हैं।” काजल ने कहा, “इसीलिए कहती हूँ कि मैं समझती हूँ! लेकिन ये सब जब होगा, तब होगा, और तब देखेंगे।”

“हाँ! सही कहती हो! फिलहाल मुझे बस माँ की ख़ुशियों की परवाह है, और सुनील की ख़ुशियों की परवाह है। दोनों ही मेरे बेहद अज़ीज़ हैं, और दोनों ही मेरे प्यारे! इसलिए मैं बहुत खुश हूँ!”

काजल मुस्कुराई, “और तुम खुश हो, इसलिए मैं भी बहुत बहुत खुश हूँ!”

उसने कहा, और अपने कपड़े उतारने लगी।

“इस लाल पार साड़ी में तुम बहुत सुन्दर लग रही थी आज!”

“तो फिर कहा क्यों नहीं?”

“कह तो रहा हूँ!”

“हाँ, जब ये साड़ी उतर रही है, तब कह रहे हो!”

“बिना साड़ी के तुम और भी अधिक सुन्दर लगती हो!”

“अच्छा जी?” वो अपनी ब्लाउज के बटन खोलते हुए अदा से बोली, “इतना मस्का मारने की ज़रुरत नहीं है। यू विल गेट लकी टुनाइट!”

“हा हा हा!”

“अमर, मैं तुमको एक बात बताती हूँ, थोड़ा ध्यान से सुनना!”

“ओके!”

“तुमको वो बड़ेगांव वाले महंत जी याद हैं?”

“हाँ! याद हैं! लेकिन वो तो अब नहीं रहे! क्यों? उनकी याद कैसे आ गई?”

“हाँ - वो तो मुझे मालूम है! लेकिन एक बात है, जो मैंने अभी तक तुमको नहीं बताई।” काजल एक गहरी साँस ले कर बोली, “जब हमारी बच्ची…” बोलते बोलते काजल का गला भर आया, “उस समय मुझे इतना दुःख हुआ था, कि मैं उनसे मिलने वहाँ चली गई। किसी को बताए बिना! क्या करती मैं? बाबूजी और दीदी... मेरा मतलब बहू... मेरा बहुत ख़याल रख रहे थे, लेकिन फिर भी! मन में मलाल तो था ही! मैं उनसे केवल यह पूछना चाहती थी कि कभी मेरा दुःख कम भी होगा या नहीं! और अगर कम होगा, तो कैसे और कब?”

“ओह! काजल तुमको मुझसे भी तो बात करनी चाहिए थी न?” मैंने निराश होते हुए कहा, “मुझको भी अपने से दूर कर दिया?”

“अरे, मेरी बात का मुद्दा वो नहीं है। तुम मुझसे कभी दूर हो भी नहीं सकते! पहले मेरी बात सुन तो लो!”

“अच्छा, फिर?”

“महंत जी उस समय बहुत कमज़ोर थे... लगभग मरणासन्न! बहुत खराब तबीयत थी उनकी। मैंने बहुत हाथ पाँव जोड़े, तब तो जा कर लोगों ने मिलने दिया उनसे। उनसे काफी महीनों बाद मिली थी, लेकिन उन्होंने मुझे तुरंत पहचान लिया!”

मैंने सर हिलाया। मेरी उनसे कोई ख़ास जान पहचान नहीं थी। माँ और डैड उनके अधिक करीबी थे। उन तीनों में एक अलग तरह की आत्मीयता थी। एक तरह से वो उनके आध्यात्मिक गुरु ही थे। और पितामह जैसे!

काजल बोली, “उन्होंने मुझे देखते ही कहा, ‘आ गई? मैं तो कब से तुम्हारे आने की राह देख रहा था, पुत्री!’”

“सच में, उन्होंने ऐसा कहा?”

काजल ने ‘हाँ’ में सर हिलाया, “कसम से!”

कमाल की बात है न?

“मैं खुद भी हैरान थी! उन्होंने कहा कि बस ये ही एक आखिरी काम करना बाकी रह गया था उनका! इसको ख़तम कर के अब वो शांति से बैकुण्ठ जा सकते हैं!”

“क्या काम करना बाकी रह गया?”

“तुमको उनके आशीर्वाद याद हैं?”

“नहीं?”

“नहीं याद हैं?”

“नहीं! कुछ तो गोल गोल, अजीब सा बोल रहे थे वो!”

“गोल गोल नहीं बोल रहे थे! वो आशीर्वाद दे रहे थे हम सभी को! अगर तुमको याद नहीं तो मैं बताती हूँ। उनके आशीर्वाद ऐसे थे, जैसे कि उन्होंने भविष्य देख लिया हो। बाकी लोगों का नहीं मालूम, लेकिन मुझे इस बात का संदेह पहली मुलाकात में ही हो गया था, और इसीलिए मैं उनके पास गई थी।”

“संदेह कैसे हुआ?”

“बताती हूँ। उन्होंने मुझसे कहा कि, ‘अपने दुखों से भाग कर यहाँ आई है, पुत्री! लेकिन तू घबराई हुई क्यों है? अब तो तेरे सब दुःख दूर होने वाले हैं, और सुख के दिन शुरू हो रहे हैं।”

“उनके इतना कह देने भर से मेरे सीने से जैसे बोझ उतर गया हो! लेकिन जिस काम के लिए गई थी, वो तो करना ही था। इसलिए मैंने सबसे पहले सुनील के बारे में उनसे पूछा। उन्होंने बताया कि वो बहुत तरक्की करेगा। ‘उच्च शिक्षा मिलेगी’, ‘धन धान्य की कमी नहीं रहेगी’, और ‘उसका परिवार बहुत सुखी रहेगा’ - ऐसा कहा था उन्होंने।”

अब ये कोई ऐसी अनहोनी बात तो नहीं है। लेकिन मैंने केवल काजल की बात में हाँ में हाँ मिलाई।

“मैंने हाथ जोड़ कर उनसे और बताने को कहा, तो उन्होंने बताया था कि मुझे एक बड़ी अद्भुत सी बहू मिलेगी - ऐसी बहू, जिससे मेरा नाता न केवल माँ-बेटी जैसा होगा, बल्कि सगी बहनों जैसा भी होगा! लाखों में एक बहू होगी मेरी! ऐसी कि उसके पैर जैसे ही मेरे घर में पड़ेंगे, वो मेरा घर खुशियों से भर देगी। उसके आते ही हमारे जीवन में सारे सुख आ जाएँगे! और मेरा घर, उसके आने से भरा पूरा हो जाएगा!”

मैं मुस्कुराया।

‘क्या सच में वो माँ को काजल की बहू के रूप में देख पा रहे थे? यह सब सुन कर तो ऐसा ही लगता है। सच में - माँ और काजल का सम्बन्ध तो माँ-बेटी वाला, और सखी-सहेलियों वाला तो है ही! कमाल है! अगर ऐसा है, तो सुनील और माँ के रिश्ते में काँटा बनने का तो मैं सोच भी नहीं सकता।’

“जब मैंने पूछा कि क्या मैं नाम पूछ सकती हूँ बहू का, तो उन्होंने कहा कि ‘कुछ बातें तो भविष्य के लिए ही सुरक्षित छोड़ दे, पुत्री! समय आने पर तू खुद समझ जाएगी और तू अति-प्रसन्न भी होगी! लेकिन मैं इतना तो कह सकता हूँ कि मुझे लगता है कि परमात्मा ने तुम दोनो का संबंध बड़े स्नेह से, अपने ही हाथों से बनाया है। इसीलिए तो तुम दोनों के सम्बन्ध में ऐसी प्रगाढ़ता रहेगी! आह! अति-सुंदर है तुम दोनों के बारे में सोचना!’”

“तो ये सब महंत जी माँ के लिए बोल रहे थे?”

“हाँ न!” काजल ने कहा, “वही तो समझा रही हूँ तुमको! खैर, जब सुनील की तरफ़ से चिंता ख़तम हो गई, तो फिर मैंने उनसे लतिका के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि वो ‘श्री’ का रूप है! जैसा तुम अभी उसके बारे में सोचती हो, वो वैसी नहीं है, उससे कहीं अधिक गुणी है। वो बहुत तरक्की करेगी, और उसकी तरक्की से हम सभी चकित रह जाएँगे और गर्व भी करेंगे!” काजल यह सब कहते हुए दमक रही थी मानों।

“यह तो बहुत अच्छी बात है न?”

काजल मुस्कुराई, “लतिका की शादी के बारे में जब मैंने पूछा, तो उन्होंने कहा कि वो अपने पसंद के लड़के से प्रेम विवाह करेगी, और उसके तीन बच्चे होंगे। उन्होंने ये भी कहा कि मेरी बहू और मेरी बेटी, दोनों गुणवती, रूपवती, और संस्कारी होंगी!”

“तीन बच्चे भी बता दिए?”

“हाँ - अरे पूरा सुनो तो! ... मुझे हमेशा ही महंत जी की बातें समझ में नहीं आती थीं, लेकिन धीरे धीरे उनकी सब बातें साफ होने लगीं। फिर महंत जी की बातें याद आने लगीं। याद करो, उन्होंने बहू के लिए दो बार कहा था कि पुत्रवती भव! अब भला बताओ तो, बाबू जी की तो नसबंदी हो गई थी, तो उसके बाद बहू के बच्चे होना तो संभव ही नहीं है न!”

“अरे काजल, तुम कहना क्या चाहती हो?”

“मैं ये कहना चाहती हूँ, कि महंत जी को बहुत पहले ही मालूम हो गया था कि बहू को बच्चे होंगे! वो भी कम से कम दो!”

“क्या बोल रही हो काजल?” बात समझ में आ रही थी, लेकिन फिर भी अनोखी थी।

“अब मुझे और बहू को ही ले लो - हमारा तो एक लम्बे समय से माँ बेटी वाला रिश्ता रहा है। पहले वो मेरी माँ अब मैं उसकी! और तो और, हम दोनों सगी बहनों जैसी हैं!”

‘भविष्यदृष्टा व्यक्ति!’ मैंने सोचा, ‘कोई अचम्भा नहीं कि वो महंत जी समाज से दूर ही रहते थे। जिसको भविष्य दिखता हो, वो सुख से कैसे रह सकता है? हमारे आस पास कितने ही लोग दुःखी रहते हैं; रोज़ मृत्यु होती है! इतना दुःख कौन देखना चाहता है? कितना बड़ा बोझ है ये शक्ति!’

“और महंत जी ने मुझसे कहा भी तो था, ‘तुम इसी कुटुंब का हिस्सा हो, और सदैव रहोगी’। उन्होंने कहा था कि नहीं!”

“कहा तो था।” काजल की बात बड़ी अविश्वसनीय थी, लेकिन कुछ कुछ सच्चाई लग रही थी इसमें, “तो तुम उनकी बातों को सच मानती हो?”

“हाँ - झूठ मानने का कोई कारण नहीं है!”

“हम्म्म तो मतलब, इस हिसाब से माँ को दो और बच्चे होंगे?”

“हाँ न! लड़के! ... पुत्रवती भव!”

“हा हा!”

“दोनों को यह बात बताना मत!”

“हा हा हा!”

“क्यों हँसे?”

“कुछ नहीं! हँस नहीं रहा हूँ - बस, खुश हो रहा हूँ और सोच रहा हूँ - सुनील और मेरी माँ साथ में! पति और पत्नी!”

“क्यों? तुम भी तो मेरे साथ हो - सुनील की माँ के साथ!”

“हाँ! वो बात तो है! वैसे सच में! अगर माँ को बच्चे हो जाएँ, वो बहुत खुश होंगी। उनकी बड़ी तमन्ना थी एक और बच्चे की।”

“अरे, अब क्या परेशानी है? हो जाएंगे!”

“हा हा हा! सोचना भी मुश्किल है! सुनील और माँ!”

“ज्यादा मत सोचो!” काजल ने राज़ की बात खोलते हुए कहा, “दोनों के बीच सेक्स हो भी चुका है!”

“क्या?”

“हाँ न! आज ही!” काजल ने आँखें नचाते हुए कहा।

“तुमको कैसे पता? तुमने पूछा था?”

“दोनों ने बताया!”

“हा हा हा! सही है सुनील!”

“और क्या! जब एक होना ही है, तो देर क्यों करे!”

“वो भी है! ये दोनों खुश रहें, बस!”

“अरे, बहुत खुश रहेंगे। महंत जी ने बताया था!”

“उन्होंने बताया था ये सब?”

“हाँ! उस समय यकीन नहीं हुआ था मुझे, लेकिन अब सब कुछ समझ में आ गया है।”

“तुमने अपने बारे में नहीं पूछा?”

“मेरे बच्चे खुश हैं, तो और क्या चाहूँ खुद के लिए?”

“ठीक है! मत बताओ! जब समय आएगा तो तुम ही बताओगी, खुद!”

काजल मुस्कुराई - जाहिर सी बात थी, महंत जी ने उसको और भी बहुत कुछ बताया होगा। लेकिन माँ के बारे में उनकी भविष्यवाणी तो मुझे भी याद आ गई।

“बताया तो है!”

“क्या?” मैं चौंका, “क्या बताया?”

“यही कि मेरी भी शादी होगी!” वो शर्माते हुए बोली।

“क्या बात है! किससे?”

“अब ये मैं कैसे बता सकती हूँ! उन्होंने नाम थोड़े ही बताया!”

“हम्म! वो बात भी सही है!” मैं मुस्कुराया - खुद को काजल के पति के रूप में सोचते हुए मैंने कहा, “और बच्चे कितने होंगे?”

“एक और!”

“वाह! आई ऍम सो हैप्पी!”

सच में बहुत ख़ुशी की बात थी। काजल और मैं - और हमारी एक संतान! ख़ुशी है भाई! बहुत ख़ुशी!

“चलो फिर,” मैंने उसकी पेटीकोट उतारते हुए कहा, “हमारे बच्चे का इंतजाम करते हैं!”

“शादी की तैयारी की बात कर लें?”

“बाद में!” मैंने कहा, और काजल के साथ आत्मसात हो गया।

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काजल को हम पहले भी कई अवतार मे देख चुके हैं और हर अवतार , हर रूप मे वो हमे लाजवाब करते हुए आई। इस बार उसे 'अमर निवास ' मे घर की मुखिया और पथ प्रदर्शक के रूप मे देखा हमने।
ऐसी सुशील , कुलवंति, फूलवति और परिपक्व महिला नही देखा कभी हमने। कौन कहेगा यह औरत घर घर जाकर नौकरानी का काम किया करती थी! कौन विश्वास करेगा कि यह महिला खूब पढ़ी लिखी भी नही है!
उसने अमर और उसके परिवार के लिए जितना कुछ किया उतना शायद ही कोई कर सके! और उसी के संस्कार का असर है कि उसका पुत्र सुनील भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक ऐसी महिला को पत्नि बनने का दर्जा देने जा रहा है जो उससे उम्र मे डबल से भी अधिक है।
दुनिया मे शायद ही कोई ऐसी मां होगी जो इस बेमेल शादी के लिए अपनी रजामंदी दे! अपने एकलौते और कमाऊ पुत्र के लिए चालीस साल से भी ऊपर और एक जवान पुत्र के मां से रिश्ता जोड़ने के लिए परमिशन दे !

अमर को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए जो काजल उसके लाइफ मे आई। अमर को उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने काजल को उसके घर पर काम करने के लिए भेजा। अमर को उस मां का नमन करना चाहिए जिसने काजल जैसी पुत्री पैदा किया।

अमर की दुविधा बिल्कुल ही जायज थी। अचानक से ऐसी खबर किसी भी इंसान का होश उड़ा दे। मर्द जाति ही स्वार्थी होता है। उसे सबसे पहले अपने हित और मान सम्मान की चिंता होती है। लेकिन महिलाएं खुद से ज्यादा अपने परिवार और प्रेमी की खैरियत की फिक्र करती है। और वही काजल ने किया। अमर को अच्छी तरह से कन्विंश किया।

गांव के पुजारी जी मुझे उस वक्त भी काफी पंहुचे हुए लगे थे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन का वचन कभी ब्यर्थ नही जाता। प्रभू के सच्चे दूत होते हैं वो। पुजारी जी भी उसी श्रेणी मे आते थे।

काजल का कहना है कि वो भी शादी के बंधन मे बंधेगी जैसा कि उन संत पुरुष की भविष्य वाणी थी। मुझे बहुत अच्छा लगेगा काजल को सुहागन के रूप मे देखकर।
लेकिन मै अभी भी हैरान हूं कि रचना कहां गायब हो गई!

पुराने फिल्मी गानों का मै बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इन अनुभाग मे आपने बहुत ही अच्छे अच्छे गानो से हमे रूबरू करवाया। धरती मूवि का " खुदा भी आसमां से " , इसके बाद मेला और सत्यम शिवम सुन्दरम मूवि का गीत सभी शानदार गीत हैं।

सभी अपडेट बहुत ही खूबसूरत थे अमर भाई।
हाल फिलहाल तो पर्व का मौसम था और आप को इन सभी पर्व की हार्दिक बधाई।
अपडेट हमेशा की तरह जगमग जगमग।
 
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avsji

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Supreme
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Nice update
Lagta hai Amar ki asmanjas aur uske prashno ka samadhan ho gaya hai
Nice post
Thanks Avsji

जी भाई! काफी हद तक!
लेकिन वस्तुस्थिति से दो-चार होने में समय लगेगा! अमर का बस initial shock ही कम हुआ है।
 

avsji

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काजल को हम पहले भी कई अवतार मे देख चुके हैं और हर अवतार , हर रूप मे वो हमे लाजवाब करते हुए आई। इस बार उसे 'अमर निवास ' मे घर की मुखिया और पथ प्रदर्शक के रूप मे देखा हमने।
ऐसी सुशील , कुलवंति, फूलवति और परिपक्व महिला नही देखा कभी हमने। कौन कहेगा यह औरत घर घर जाकर नौकरानी का काम किया करती थी! कौन विश्वास करेगा कि यह महिला खूब पढ़ी लिखी भी नही है!

नारी तेरे रूप अनेक! सच में - काजल एक अवतारी स्त्री ही लगती है। कोई अद्भुत संयोग रहा होगा जब काजल ने अमर के घर में पदार्पण किया था। अमर के एक भले काम के बदले में उसने इतना कुछ कर दिया अमर एंड फॅमिली के लिए, कि उसका बदला चुकाया ही नहीं जा सकता।

आजकल लोगों की शिक्षा का स्तर देख कर लगता है कि अशिक्षित होना ही अच्छा है। साक्षरता और बुद्धिमत्ता में ज़मीन और आसमान का अंतर होता है। आज लोग साक्षर तो हैं, लेकिन बहुतों में न तो बुद्धि है, और न ही विवेक! ऐसी शिक्षा सतही है और overrated है। सही है कि काजल को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला, लें अपनी सखी की संगत में रह कर उसने भाषा ज्ञान और अन्य बातें सीखीं अवश्य! नौकरानी बनना या कंपनी चलाना - कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं है, अगर ईमानदारी से किया जाए!

काजल की बात करी जाए, तो अवश्य ही उसमें ये सारे गुण हमेशा से रहे होंगे। लेकिन उसके पूर्वपति को इन गुणों की न कोई कद्र थी और न ही आवश्यकता। संसार के कैसे गंदे रूप देखे रहें होंगे काजल ने, लेकिन सुमन के परिवार की संगत में आते ही उसके जीवन से कड़वाहट निकल गई, और वो भी उन्ही के रंग में रंग गई।

उसने अमर और उसके परिवार के लिए जितना कुछ किया उतना शायद ही कोई कर सके!

ये बात सौ प्रतिशत से भी अधिक सही है। अमर जिस भी मुकाम पर है आज, उस तक उसको पहुंचाने में काजल के त्याग और बलिदान की बड़ी भूमिका है।

और उसी के संस्कार का असर है कि उसका पुत्र सुनील भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक ऐसी महिला को पत्नि बनने का दर्जा देने जा रहा है जो उससे उम्र मे डबल से भी अधिक है।

हाँ - बच्चों की सोच माँ बाप के दिए हुए संस्कारों पर बहुत अधिक निर्भर करती है। सुनील अगर इतना सुलझा हुआ है, तो काजल के संस्कारों का असर है। लेकिन सुमन भी कोई कम नहीं है। गुणों की खान है। और... सुनील को उसने भी अपने भी कई सारे संस्कार तो दिए ही हैं।

दुनिया मे शायद ही कोई ऐसी मां होगी जो इस बेमेल शादी के लिए अपनी रजामंदी दे! अपने एकलौते और कमाऊ पुत्र के लिए चालीस साल से भी ऊपर और एक जवान पुत्र के मां से रिश्ता जोड़ने के लिए परमिशन दे !

बहुत ही सही बात कही है आपने! संभव ही नहीं होता यह करना।

अमर को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए जो काजल उसके लाइफ मे आई। अमर को उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने काजल को उसके घर पर काम करने के लिए भेजा। अमर को उस मां का नमन करना चाहिए जिसने काजल जैसी पुत्री पैदा किया।

अमर को अपने भाग्य पर बहुत ही गर्व है। वो काजल को अपनी सफलता का श्रेय हमेशा ही देता है। और तो और, काजल की माली हैसियत अमर की कंपनी में अमर से अधिक है। वो जानती है ये बात - लेकिन उसको तो जैसे फ़र्क़ ही नहीं पड़ता इसका। ये सब बातें शीघ्र ही खुलने वाली हैं।

अमर की दुविधा बिल्कुल ही जायज थी। अचानक से ऐसी खबर किसी भी इंसान का होश उड़ा दे। मर्द जाति ही स्वार्थी होता है। उसे सबसे पहले अपने हित और मान सम्मान की चिंता होती है। लेकिन महिलाएं खुद से ज्यादा अपने परिवार और प्रेमी की खैरियत की फिक्र करती है। और वही काजल ने किया। अमर को अच्छी तरह से कन्विंश किया।

हाँ - अमर में कई सारे गुण हैं, लेकिन बहुत सी कमियाँ भी हैं। स्वार्थ उनमें से सबसे बड़ी कमी है। मानवीय संवेदनाएँ भी अपेक्षाकृत कम हैं (सुनील के साथ अक्सर ये contrast दिखाया गया है)। फिलहाल अमर संयत हो गया है - initial shock से उबर गया है। लेकिन जीवन तो बहुत लम्बा होता है। देखते हैं, क्या होता है।

गांव के पुजारी जी मुझे उस वक्त भी काफी पंहुचे हुए लगे थे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन का वचन कभी ब्यर्थ नही जाता। प्रभू के सच्चे दूत होते हैं वो। पुजारी जी भी उसी श्रेणी मे आते थे।

पुजारी जी महात्मा थे। ऐसे निष्कपटी सन्यासी बिरले ही होते हैं। हाँ - सुमन के बनाए आचारों की उनको भी ललक थी। भगवान करे - ऐसी सरल सी ललक सभी में हो। उन्ही के जैसे अमर के ससुर जी भी हैं। इतने बड़े पदाधिकारी, इतनी संपत्ति, इतना ज्ञान, लेकिन घमंड एक पैसे का भी नहीं! अमर वाकई बहुत ही अधिक भाग्यशाली है - जितना सोचता है, उससे कहीं अधिक!

काजल का कहना है कि वो भी शादी के बंधन मे बंधेगी जैसा कि उन संत पुरुष की भविष्य वाणी थी। मुझे बहुत अच्छा लगेगा काजल को सुहागन के रूप मे देखकर।

हाँ। काजल की शादी होगी। यह कहानी आज तक लगा लें, तो लगभग पाँच दशकों की कहानी है। तीन दशक पूरे हो गए हैं।

लेकिन मै अभी भी हैरान हूं कि रचना कहां गायब हो गई!

अरे संजू भाई - रचना बैठी थोड़े ही है अमर के लिए! अमर का जीवन चल रहा है, तो उसका भी तो चल ही रहा होगा न!
लेकिन जैसा मैंने पहले लिखा था, रचना की वापसी होगी। कुछ ही वर्षों की बात है, लेकिन होगी वापसी!

पुराने फिल्मी गानों का मै बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इन अनुभाग मे आपने बहुत ही अच्छे अच्छे गानो से हमे रूबरू करवाया। धरती मूवि का " खुदा भी आसमां से " , इसके बाद मेला और सत्यम शिवम सुन्दरम मूवि का गीत सभी शानदार गीत हैं।

हा हा हा! जी भाई - पुराने गाने तो मुझे भी बेहद पसंद हैं। लगभग हर कहानी में कुछ गाने डाल ही देता हूँ।

सभी अपडेट बहुत ही खूबसूरत थे अमर भाई।
हाल फिलहाल तो पर्व का मौसम था और आप को इन सभी पर्व की हार्दिक बधाई।
अपडेट हमेशा की तरह जगमग जगमग।

बहुत बहुत धन्यवाद मित्र! त्योहारों के लिए आपको भी ढेर सारी शुभकामनाएँ! आशा है कि सभी लोग स्वस्थ हैं, सानंद हैं!
 

Lib am

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काजल को हम पहले भी कई अवतार मे देख चुके हैं और हर अवतार , हर रूप मे वो हमे लाजवाब करते हुए आई। इस बार उसे 'अमर निवास ' मे घर की मुखिया और पथ प्रदर्शक के रूप मे देखा हमने।
ऐसी सुशील , कुलवंति, फूलवति और परिपक्व महिला नही देखा कभी हमने। कौन कहेगा यह औरत घर घर जाकर नौकरानी का काम किया करती थी! कौन विश्वास करेगा कि यह महिला खूब पढ़ी लिखी भी नही है!
उसने अमर और उसके परिवार के लिए जितना कुछ किया उतना शायद ही कोई कर सके! और उसी के संस्कार का असर है कि उसका पुत्र सुनील भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक ऐसी महिला को पत्नि बनने का दर्जा देने जा रहा है जो उससे उम्र मे डबल से भी अधिक है।
दुनिया मे शायद ही कोई ऐसी मां होगी जो इस बेमेल शादी के लिए अपनी रजामंदी दे! अपने एकलौते और कमाऊ पुत्र के लिए चालीस साल से भी ऊपर और एक जवान पुत्र के मां से रिश्ता जोड़ने के लिए परमिशन दे !

अमर को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए जो काजल उसके लाइफ मे आई। अमर को उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने काजल को उसके घर पर काम करने के लिए भेजा। अमर को उस मां का नमन करना चाहिए जिसने काजल जैसी पुत्री पैदा किया।

अमर की दुविधा बिल्कुल ही जायज थी। अचानक से ऐसी खबर किसी भी इंसान का होश उड़ा दे। मर्द जाति ही स्वार्थी होता है। उसे सबसे पहले अपने हित और मान सम्मान की चिंता होती है। लेकिन महिलाएं खुद से ज्यादा अपने परिवार और प्रेमी की खैरियत की फिक्र करती है। और वही काजल ने किया। अमर को अच्छी तरह से कन्विंश किया।

गांव के पुजारी जी मुझे उस वक्त भी काफी पंहुचे हुए लगे थे। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन का वचन कभी ब्यर्थ नही जाता। प्रभू के सच्चे दूत होते हैं वो। पुजारी जी भी उसी श्रेणी मे आते थे।

काजल का कहना है कि वो भी शादी के बंधन मे बंधेगी जैसा कि उन संत पुरुष की भविष्य वाणी थी। मुझे बहुत अच्छा लगेगा काजल को सुहागन के रूप मे देखकर।
लेकिन मै अभी भी हैरान हूं कि रचना कहां गायब हो गई!

पुराने फिल्मी गानों का मै बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इन अनुभाग मे आपने बहुत ही अच्छे अच्छे गानो से हमे रूबरू करवाया। धरती मूवि का " खुदा भी आसमां से " , इसके बाद मेला और सत्यम शिवम सुन्दरम मूवि का गीत सभी शानदार गीत हैं।

सभी अपडेट बहुत ही खूबसूरत थे अमर भाई।
हाल फिलहाल तो पर्व का मौसम था और आप को इन सभी पर्व की हार्दिक बधाई।
अपडेट हमेशा की तरह जगमग जगमग।
अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।

काजल सच में इस परिवार की नीव है और समय समय पर उसने ये साबित भी किया है। जिस तरह उसने सुनील और सुमन के रिश्ते को संभाला है वो बहुत ही प्रशंसनीय है।

लगता है महंत जी ने बहुत कुछ बताया है काजल को भविष्य के बारे में जिसमे उसके और अमर के एक होने की भी संभावना है।
वैसे भी दोनो "बिन फेरे हम तेरे" वाले क्रम में चल ही रहे है। अब महंत जी की और क्या बाते सच होती है वो भी देखने योग्य होगा। अति सुंदर अपडेट।
 

Lutgaya

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पहला प्यार - Update #3


गैबी को शुक्रवार की रात को भारत आना था, जो मेरे लिए बहुत उपयुक्त दिन था, क्योंकि शुक्रवार मेरा सप्ताहांत होता है। और सबसे अच्छी बात, कि मैं उसको दो दिन सारी आवश्यक जगहें दिखा सकता था, और उसे भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने में मदद कर सकता था। विदेशियों के लिए भारत आ कर तुरंत सेटल होना आसान नहीं होता, चाहे वे कहीं से भी आए हों। मैं एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी करने के लिए पहुँच गया। उस टर्मिनल पर दर्शक दीर्घा में खड़े खड़े मैं गैबी के आने का लंबा और दर्दनाक इंतजार करने लगा [दर्दनाक इसलिए क्योंकि मुझे मेहमानों को लेने रेलवे स्टेशनों या हवाई अड्डे जाने और वहाँ पर उनका इंतज़ार करने का अच्छा खासा अनुभव है, और इस काम से मुझे नफरत है]! ख़ैर, एक लम्बे इंतज़ार के बाद मुझे गैबी निकासी के गलियारे से आती हुई दिखी।

गैबी अपनी फोटो में जैसी दिखती थी, उतनी ही छरहरी लग रही थी! उसके बाल गहरे लाल रंग के थे, और पोनीटेल में बंधे हुए थे। उसने एक पतली ऑफ-व्हाइट शर्ट और हल्के नीले रंग की डेनिम जींस पहनी हुई थी। चूँकि उसकी शर्ट थोड़ी झीनी सी थी, इसलिए उसमें से उसकी काली ब्रा आसानी से दिख रही थी। उसने अपने सूटकेस के हत्थे को मज़बूती से पकड़ रखा था - न जाने क्यों वो डरी सहमी हुई सी लग रही थी। उसके चेहरे पर एक चिंतित सा भाव था। वैसे यह आश्चर्य की बात नहीं थी - वो पहली बार अपने देश से बाहर आई थी, और भारत का अनुभव करना किसी भी नए व्यक्ति के लिए एक कठिन काम हो सकता है। उसकी आँखें तेजी से उसके चारों ओर देख रही थीं। उसका लगेज बहुत सारा नहीं था - मैं समझ गया था कि उसके लिए सब कुछ केवल अपने दम पर जुगाड़ना कितना कठिन रहा होगा। मैं खुद भी, बहुत मना कर, मिन्नतें कर के, उसको भारत लाने में सफल हुआ था। मैंने उसकी आनाकानी करने पर उसको डाँटा भी था। मैंने उसको कहा था कि उसके प्रेमी, और होने वाले पति के रूप में, मुझे उसकी हर तरह से मदद करने का अधिकार है। अगर वो चाहती है, तो वो मुझे पैसे वापस कर सकती है, लेकिन मेरे पैसे, मेरे संपत्ति पर उसका भी मेरे जितना ही हक़ है। यह बात मैंने कई दिनों तक दोहराई थी, और तब कहीं जा कर वो यहाँ आने को तैयार हुई थी। एक दिन तो उसने कमाल कर दिया - उसने मुझसे पूछा कि मैं काजल को कितना वेतन देता हूँ। वो चाहती थी कि घर का काम वो कर देगी, जिससे उसको काजल का वेतन मिल सके। मैंने गैबी की इस बात पर उसको जम कर डाँटा और समझाया कि मैं अपनी नौकरानी से बहुत प्यार करता हूँ और उसे जाने नहीं देना चाहता! बेचारी गैबी अपने भविष्य को लेकर इतनी अनिश्चित थी कि वो तय नहीं कर पा रही थी कि उसका भारत आना सही है भी, या नहीं! और यह सब तब जब हमने एक दूसरे के लिए अपने प्यार का इज़हार कर दिया था; और मैं उसको बोल भी चुका था कि मैं उससे शादी करना चाहता था। खैर, अच्छा हुआ कि उसने अपनी मूर्खतापूर्ण हठ को छोड़ दिया और हमारा मिलने का इंतजार खत्म हो गया।

उसे देखते ही मुझे अपने चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान महसूस हुई। मैंने उसे पुकारा,

“गैबी! इधर!” मैंने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से हाथ हिलाया।

जैसे ही उसने मुझे देखा, उसका चेहरा खिल उठा और वह मेरी ओर भागने लगी - न अपने सामान की परवाह, न खुद की।

“हनी!” वह मेरी तरफ भागते हुए चिल्ला रही थी।

उसकी आवाज बहुत तेज थी। उसके चेहरे के भाव ऐसे लग रहे थे, जैसे वो कई दिनों से समुद्र के बीच में फंसी रही हो, और बस अभी अभी ही उसको वह बचाया गया हो। उसके चेहरे पर उपस्थित भय के भावों का स्थान राहत, आनंद, और उत्साह के भावों ने ले लिया।

“हनी!” जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा, उसने वही शब्द दोहराया। वह मुझे देखकर कितनी भावुक हो गई थी!

“माय हार्ट!”

इतना प्यार!

मुझे पता था कि मैं भी उससे बहुत प्यार करता हूँ! लगभग चिल्लाते हुए गैबी मेरी ओर दौड़ी, अपना सामान ट्रॉली पीछे छोड़कर मुझ पर कूद पड़ी। मैंने उसे अपने आलिंगन में उठा लिया - इस तरह से कि उसके पैर मेरी कमर के चारों ओर और उसकी बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थीं। आगे जो हुआ वह मेरे लिए थोड़ा सा शर्मनाक था क्योंकि सब देख रहे थे। गैबी मेरे मुँह पर अपने मुँह को रख कर खुले मुँह के साथ मुझे चूमने लगी! मुझे इस अचानक हुए हमले से उबरने में कुछ सेकंड लगे और फिर मैं भी उसके चुम्बन का जवाब उतनी ही उत्साह से देने लगा। उसके पैर मेरे कमर को चारों ओर से पकड़े हुए थे, और मैंने उसके नितम्ब अपने हाथों में थाम रखे थे। हम दोनों पूरी भावना, पूरे उत्साह के साथ एक दूसरे को ‘फ्रेंच किस’ कर रहे थे। मैंने अपने पूरे जीवन में इस तीव्रता से कभी किसी को नहीं चूमा था, और इस चुम्बन का मुझ पर एक स्पष्ट और सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। मेरा लिंग अचानक ही स्तंभित होने लगा। आस-पास के लोग हमें उत्सुक हैरानी से देख रहे थे : जाहिर सी बात है, सभी यही सोच रहे होंगे कि हम एक शादीशुदा जोड़ा हैं! तब एक देसी आदमी के लिए एक विदेशी बीवी होना, एक बड़ी उपलब्धि थी। ‘नेबर्स एनवी, ओनर्स प्राइड’ वाली हालत!

“गैबी...?”

“हम्म मम्म?” वह प्यार से मेरी आँखों में देख रही थी।

अपनी तस्वीरों में गैबी जैसी दिखती है, उससे कहीं अधिक सुंदर थी।

“तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो! और मैं बहुत खुश हूँ कि तुम अब मेरे साथ, मेरे पास हो!”

“माय हार्ट! मेरे पास जो कुछ भी है वह तुम्हारा है। सब कुछ! तुम हो, बस.... अब कुछ नहीं चाहिए! बस तुम्हारा प्यार …”

“गैबी, यू आर गॉड्स गिफ्ट [तुम भगवान् का दिया उपहार हो] ... और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!!”

हम इसी तरह से कुछ देर ऐसी ही मीठी मीठी बातें करते रहे। अब तो बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं। लेकिन अंत में, हमने अपना आलिंगन तोड़ा और उसका सामान ट्रॉली से उठाया और हम ले कर पार्किंग में चले आये और फिर अपनी कार में बैठ गए। मैं आम-तौर पर तेज ड्राइव करता हूँ, लेकिन उस दिन, दिल चाह रहा था कि एयरपोर्ट से घर का सफर बस चलता रहे। इसलिए, मैं कार धीरे चला रहा था। मेरी कार के स्टीरियो पर एक हल्का, रोमांटिक संगीत चल रहा था, जिसे गैबी भी पसंद कर रही थी। उसको समझ में तो नहीं आ रहा होगा, यह तो तय है। ड्राइव के दौरान उसने मुझे प्यार से छुआ।

“माय बिग एंड स्ट्रांग बॉय!”

वो मुझे देख कर बहुत खुश थी, और उसके चेहरे पर प्रशंसा और गौरव वाले भाव थे। लगभग डेढ़ साल तक चले ऑनलाइन सम्बन्ध में आज हम पहली बार एक दूसरे के सामने थे। इसलिए आज वो मुझे छूने और महसूस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। तो उसने मुझे छुआ - कभी मेरी बाहों को, तो कभी छाती को, तो कभी जांघों की मांसपेशियों को! जब उसने मेरी जांघों को छुआ, तो मुझे गुदगुदी सी हुई - आंशिक रूप से उसके स्पर्श के उत्तर में, और आंशिक रूप से इस प्रत्याशा में कि वह आगे क्या करने वाली है। मुझे उम्मीद थी कि वह मेरे लिंग को महसूस करेगी, और उसने निराश नहीं किया। मानो मेरे मन की बात पढ़ते हुए उसकी हथेली मेरे लिंग पर पहुंच गई,

“माय सिनामन....” उसने मुस्कुराते हुए कहा। मेरा लिंग पहले से बिलकुल सख्त बना बैठा था।

“डू यू वांट टू बी फ़्री ऑफ़ दिस स्टुपिड फ़ैब्रिक?”

[गैबी और मैं शुरू शुरू में अंग्रेज़ी, फ़िर अंग्रेज़ी-हिंदी, और फिर हिंदी और पुर्तगाली में बात करते हैं - लेकिन यहाँ पर सब हिंदी में ही लिखा जाएगा - तीन भाषाओं में एक ही बात लिखने का धैर्य नहीं है मुझमे!]

इस समय गैबी मुझसे बात नहीं कर रही थी; इस समय वो मेरे लिंग से बात कर रही थी।

सच कहूँ? मैं तो चाहता भी था यही था कि ऐसा कुछ हो। उसने मेरी ज़िप खोल दी, और मेरे अंडरवियर के माध्यम से वो मेरे लिंग तक पहुंच गई। कुछ ही सेकंड में, उसके हाथ ने मेरे लिंग को मुक्त कर दिया था और ज़िप के सामने से बाहर निकाल लिया था। मुझे उसके बाहर निकलते ही कार के एयर-कंडीशनर की ठंड का एहसास हुआ। उस समय बहुत लोगों के पास कार ही नहीं होती थी, और एयर-कंडीशनर कार तो बहुत ही कम होती थीं। गैबी ने मेरे कठोर, पूरी तरह से स्तंभित लिंग को पहली बार मूर्त रूप में देखा था। मेरा लिंग बाहर की तरफ़ सीधा निकला हुआ था; उसकी चमड़ी थोड़ा पीछे की ओर खिंची हुई थी और इस कारण लिंगमुण्ड थोड़ा दिख रहा था। उसने अपनी हथेली और उंगलियों को शाफ्ट के चारों ओर लपेट लिया, थोड़ा दबाया - स्तम्भन इतना मज़बूत था कि उस मामूली से दबाव से तो थोड़ा भी नहीं दबा।

गैबी के गले से एक आश्चर्यजनक आह निकल गई,

“तुमको मालूम है, हनी,” उसने मुझसे कहना शुरू किया - उसकी आवाज स्पष्ट रूप से यौन उत्तेजना के साथ थोड़ी कर्कश हो गई थी - “... जितना मैं संभाल सकती हूँ, ये उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। मेरी योनि इसके मुकाबले.... छोटी है …”

वो मुझे बताते बताते मेरे लिंग को पकड़े पकड़े हस्तमैथुन दे रही थी।

मैं पहले से ही यौन तनाव के अपने चरम पर था। मैंने पिछले तीन दिनों से न तो हस्तमैथुन किया था, और न ही काजल के निकट गया था, क्योंकि मैं खुद को बचा रहा था, जिससे गैबी के साथ बिस्तर पर अच्छा परफॉर्म कर सकूं। लेकिन अब वही बात मुझे परेशानी दे रही थी। शीघ्र ही स्खलन होने का वास्तविक खतरा मँडरा रहा था, जबकि मैं ऐसा करने से पहले बहुत समय लेना चाहता था। मैंने कार रोकी और सड़क के किनारे खड़ी कर दी।

“गैबी, अगर तुम यह करना जल्दी ही नहीं रोकती हो, तो मैं तुम्हारे हाथ में ही स्खलित हो जाऊँगा!”

“सच में, मेरी जान? अच्छा!” उसने इतना कहा, और फिर झुक कर उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया।

उसने धीरे धीरे मेरे लिंग को चूसना और हाथ से पंप करना शुरू कर दिया - धीरे-धीरे, क्योंकि उसको मालूम था कि कैसा भी तेज़ घर्षण मुझे तत्काल स्खलित कर देगा। उसके मुँह की नरम गर्माहट, और इस मधुर मुख-मैथुन ने मुझे कामुक आनंद से झकझोर कर रख दिया। मैं जैसे इच्छाशक्ति को सम्हाले अटका हुआ था - कि अभी स्खलित हुआ, कि तभी स्खलित हुआ। गैबी भी चाहती थी कि मैं मुख मैथुन से होने वाले आनंद का मज़ा देर तक लूँ। इसलिए वो धीरे धीरे यह सब कर रही थी। शायद वो खुद भी मेरी मरदाना गंध से उत्तेजित हो गई थी। मेरे लिंगमुण्ड से शिश्नाग्रच्छद कब का हट चुका था, और उसकी जीभ उसको गुदगुदी कर रही थी और साथ ही साथ उसको चूस भी रही थी। उसने बड़े प्यार से मुझको मुख-मैथुन का सुख दिया, तब तक, जब तक कि उस पता नहीं लग गया कि मैं स्खलित होने वाला हूँ। गैबी के प्रयासों के बावज़ूद, मैं जल्दी ही स्खलित हो गया - मेरा स्खलन विस्फोट की भाँति ही महसूस हुआ। गैबी मुझे मुँह में ही लिए लगातार चूसती रही, और पीती रही। जब तक मेरे लिंग ने स्खलन करना जारी रखा, तब तक गैबी ने चूसना और पीना जारी रखा। जब पूरा खाली हो गया, तब भी गैबी ने कुछ देर उसको चूसा और फिर मेरे लिंग को मुक्त कर दिया।

“मज़ा आया, मेरी जान? तुम को यह पसंद आया?” उसने पूछा।

‘मज़ा आया? पसंद आया? अरे भगवान! मैं तो स्वर्ग में तैर रहा था।’

मैंने बस ‘हाँ’ में सर हिलाया, और मुस्कुराया। फिर से गाड़ी चलाने से पहले मुझे अपने होश और सांस लेने में कुछ समय लगा।
आपकी लेखनी को सलाम
अफसोस हो रहा है कि इतना समय तक इस शानदार कहानी से दूर रहा। लेकिन खुशी इस बात कि है कि अपदेट का इन्तजार नही करना पडेगा। बहुत ही जबरदस्त लिखा है आपने ।
आपकी सभी कहानिया गजब है। और मैने बाकी सभी पढी भी है। पुनः साधुवाद।
 
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अमर जी ,निसंदेह आप मेरे फेवरेट लेखक हे और रहेंगे ,अगर मेरी विवाहित ज़िंदगी रंगो से सरोबार हे तो उसकी वजह आप भी हे।
आप की कोई भी कहानी पढ़ लो सेक्स का मूड तो बन ही जाता हे ,असल में देवयानी की मृत्य के बाद मुझे आपकी इस कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी थी ,मुझे उसकी मृत्य का गहरा दुःख पंहुचा था ,एक आत्मविश्वासी और बिंदास लड़की का अंत मुझे भाया नहीं तो मेने काफी समय तक आपकी इस स्टोरी को पढ़ा नहीं।
दीपावली के दिन में थोड़ा फ्री थी तो यूही आपकी इस कहानी के आखिर के कुछ अंश पड़ना शुरू किये आप यकीं कीजिये की में २ घंटे तक पढ़ती रही। मुझे मेरा अतीत याद आ गया। मेरे अभी के डैड और मॉम का रोमांस याद आ गया। मेरी मॉम मेरी अच्छी फ्रेंड भी हे उन्होंने मुझे काफी दिनों बाद बताया की उन्हें तुम्हारे डैड के साथ सेक्स कर जवानो जैसी फीलिंग आती हे।
में अब चाचा को डैड ही कहती हु ,उन्होंने मॉम से कभी बच्चे की इच्छा जाहिर नहीं की वो यही कहते रहे हम जूही को ही अपना पूरा प्यार देंगे। में तो अब भी उनसे कहती हु मुझे कोई बहन भाई ला दो तो वो मुझ पर ही टाल देते हे अब तेरी उम्र हे ये सब करने की।
देखिये समाज की बात मेरे समझ में आती हे उन्हें इस बात से चिढ़ होती हे की किसी विधवा का फिर से जीवन कैसे संवर सकता हे और उसकी शादी कैसे हो सकती हे। आपने इस कहानी में जिक्र भी किया हे जब सुनील सुमन को कहता हे की 50 साल के व्यक्ति से शादी कर उन्हें सहारा तो मिल सकता हे लेकिन सुख नहीं ,उन्हें भी उस उम्रदराज व्यक्ति का ख्याल रखना पड़ेगा।
मेरी बुआओं का फंदा दूसरा था वोउनकी सोच थी की मॉम किसी दूसरे से शादी कर लेगी तो उन्हें प्रॉपर्टी छोड़नी पड़ेगी और उनके हिस्से में प्रॉपर्टी आ जाएगी ,लेकिन चाचा से शादी के बाद प्रॉपर्टी का कुछ नहीं होगा। मेरी बुआओँ ने मेरे मॉम और डैड को जितना बदनाम किया होगा उतना तो अन्य लोगो ने भी नहीं कहा होगा। कुछ बाते तो ऐसे भी की ,की अगर इतनी ही आग लग रही थी तो कोठे पर बैठ जाती।
भुला दिया अब हमने सब।
आपको ,अंजलि भाभी को और दोनों बच्चियों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये। एक शेर जो मुझे आपके लिए बेहद पसंद हे
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू,
इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में।
जूही जी, आप का बचपन कैसा गुजरा होगा, मै अच्छी तरह से समझ सकता हूं। पिता का साया कम उम्र मे ही उठ जाना और मां को वैधव्य रूप मे तिल तिल आंसू बहाते हुए देखना...फाइनेंशियल एंड फ्यूचर की असुरक्षित भावना, सब कुछ बहुत बहुत ज्यादा कठीन हुआ होगा।
मै आपके चाचा को सलाम करता हूं। उन्होंने परिवार के विरूद्ध डिसिजन लिया और आप को एंव आपकी मम्मी को जीने की राह दिखाई। ऐसे इंसान को सत सत नमन।

इंसान की जीवनी ऐसे ही चलती है। दुख ही हमारे साथी हुआ करते हैं और सुख सिर्फ मेहमान।
जब हम जानते हैं कि कौन साथी है और कौन मेहमान तो क्यों न साथी को ही अपने जीवन का अंश मान लें! आप देखना, तब हर दुख मे भी आपके चेहरे पर मुस्कान होगी।

बहुत अच्छा लगा आपके विचार पढ़कर। हमेशा खुश रहिए और स्वस्थ रहिए।
 
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अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।

काजल सच में इस परिवार की नीव है और समय समय पर उसने ये साबित भी किया है। जिस तरह उसने सुनील और सुमन के रिश्ते को संभाला है वो बहुत ही प्रशंसनीय है।

लगता है महंत जी ने बहुत कुछ बताया है काजल को भविष्य के बारे में जिसमे उसके और अमर के एक होने की भी संभावना है।
वैसे भी दोनो "बिन फेरे हम तेरे" वाले क्रम में चल ही रहे है। अब महंत जी की और क्या बाते सच होती है वो भी देखने योग्य होगा। अति सुंदर अपडेट।
अमर के वश का ही नही है जो वो इस रिश्ते को नकार दे। अमर की भावनाएं वही है जैसा लगभग हर मर्द मे पाया जाता है। काजल शुरुआत से ही सबकुछ जानती समझती थी लेकिन अमर को यह सब अचानक से सरप्राइज किया गया। कोई भी व्यक्ति भौचक्का हो सकता है।
अमर को भी आखिरकार संस्कार उसके माता पिता से मिला है। वो किसी के खुशी मे रूकावट बन ही नही सकता।
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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अमर अभी भी पूरी तरह इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाया है मगर मां की खुशी के लिए वो इस रिश्ते को नकारना भी नही चाहता है। लगता है अभी इसका आंतरिक द्वंद चलता रहेगा।

जी भाई! आपने सही कहा।
सुनील और सुमन के रिश्ते को अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं, और अमर का उसमें कोई स्थान भी नहीं।
दोनों में प्रेम है, और सुनील अमर की माँ को वो ख़ुशी दे रहा है, जो उसके लिए संभव ही नहीं है।
लेकिन हाँ - शादी के बाद सुनील के साथ उसका रिश्ता बदल जाएगा। शायद वो इस तथ्य से भी दो चार नहीं हो पा रहा हो?
क्या पता?

काजल सच में इस परिवार की नीव है और समय समय पर उसने ये साबित भी किया है। जिस तरह उसने सुनील और सुमन के रिश्ते को संभाला है वो बहुत ही प्रशंसनीय है।

काजल इस परिवार की नींव है
इसीलिए सभी उसको ही मालकिन मानते हैं। सुमन भी और अमर भी।
उसका कहा कभी टल नहीं सकता। वो अलग बात है कि बे-सर-पैर की बातें वो करती नहीं।
सुमन और सुनील को ले कर उसने जो इनिशिएटिव दिखाया है, वो अभूतपूर्व है!

लगता है महंत जी ने बहुत कुछ बताया है काजल को भविष्य के बारे में जिसमे उसके और अमर के एक होने की भी संभावना है।
वैसे भी दोनो "बिन फेरे हम तेरे" वाले क्रम में चल ही रहे है। अब महंत जी की और क्या बाते सच होती है वो भी देखने योग्य होगा। अति सुंदर अपडेट।

हाँ - और अमर और काजल के सम्बन्ध के कारण अमर का confusion और भी बढ़ गया है।
भविष्य में बहुत कुछ होना है। साथ में बने रहें! :)
 
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