पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #6
हम दोनों कुछ भी बोलने से पहले थोड़ा सुस्ताने लगे। काजल ही पहले बोली,
“ओरे बाबा रे! मोरे गेलो!” उसने एक साँस भरी, “मेरे शेर! तुमने मेरे सारे कस-बल खोल दिए! लेकिन सच में, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है! मेरी योनि ऐसी खिंची जैसे मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह संभव है! और यह तब, जब मैं दो बच्चों की माँ हूँ!”
उसने शरमाते और खिलखिलाते हुए कहा।
“दीदी (गैबी) बहुत भाग्यशाली है! उसे खुश रखना। मुझे पता है कि तुम उसे खुश रखोगे!”
काजल बिना रुके, अनवरत, कुछ न कुछ बोले चली जा रही थी - शायद सम्भोग के बाद की शर्मिंदगी या अधीरता के कारण! तो मैंने उसको चुप कराने के लिए उसके होंठ पर एक चुंबन दे दिया। काजल पहले तो चुप हो गई, फिर हँसने लगी। हमारा मैथुन बहुत श्रमसाध्य था - मुझे एहसास हुआ कि अचानक ही हम दोनों बेहद थक गए थे। मेरा पेय तो मेरे सामने ही था - मैंने अपना मुँह काजल के चूचक पर लगाया और उसका मीठा दूध पीने लगा। कुछ देर में दूध आना लगभग बंद हो गया, तो मैं दूसरा स्तन धीरे धीरे से पीने लगा। धीरे धीरे शरीर की थकावट कम होने लगी - यही प्रभाव काजल के ऊपर भी दिख रहा था। फिर भी मुझे लग रहा था कि उसके मन में बहुत कुछ चल रहा है, जो कि जल्दी ही सामने आ गया।
“तुम जानते हो अमर…” काजल अन्यमनस्क सी बोली, “कभी-कभी मेरी सहेलियाँ मुझसे पूछती हैं कि मैं उस उजड्ड, लफ़ंगे के साथ कैसे निभा रही हूँ! ..... गरीब होने में कुछ भी गलत नहीं है, न कोई ख़राबी! लेकिन काम न करना, निठल्ले बैठे रहना, और केवल दूसरे लोगों के पैसे पर जीना गलत है। हरामख़ोरी है। वह ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह सभी का मालिक हो! कुछ नहीं करता है। एक नौकरी से दूसरी नौकरी में - जैसे कपड़े बदल रहा हो... और ऊपर से रंडीबाज़ी! जो दो पैसे घर आते हैं सब उड़ा देता है हरामखोर! जब सुनील के एडमिशन की बात आई, तो उसने कुछ भी नहीं किया। बाप ऐसा होता है क्या.....?”
गुस्से से कही हुई इस बात पर काजल का शरीर काँपने लगा। मैंने उसको संयत करने के लिए अपने आलिंगन में भर लिया और सहलाया। कुछ देर के बात वो कुछ संयत हुई,
“लेकिन फिर हमारी लाइफ में तुम आए! किसी फ़रिश्ते के जैसे। तुमने हमको बचाया! वरना सुनील का क्या होता? उसकी पढ़ाई लिखाई का क्या होता? वो भी कहीं मजदूरी कर रहा होता, और वो हरामखोर उसके पैसे भी उड़ा रहा होता। और तुम - तुम सुनील को पढ़ाते हो, उसके साथ खेलते हो, उसको सिखाते हो! बिलकुल जैसे किसी अच्छे बाप को करना चाहिए!”
काजल की आँखों से आँसू गिरने लगे; मैंने उसका दूध पीना रोक दिया। वो इतनी गंभीर बातें कर रही थी, तो मैं बचकानी हरकत कर के उसका मूड ऑफ़ नहीं करना चाहता था। उसने कहना जारी रखा,
“सच में! हमको तो तुम्ही ने सम्हाला।” और फिर कुछ सोच कर चुप हो गई, फिर शर्म से मुस्कुराई, “अमर, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ! और बहुत आदर भी! आज मैंने जो भी किया, उसी प्यार और आदर की निशानी के रूप में किया। कभी कभी सोचती हूँ कि कितना अच्छा होता, अगर हम तुम जुड़े होते - हम एक परिवार होते!”
“हम हैं एक परिवार, काजल! तुम और तुम्हारे बच्चे, क्या मेरे कुछ नहीं हो? माँ और डैड, दोनों ही तुम सब को कितना प्यार करते हैं! उन्होंने क्या तुमको किसी अलग नज़र से देखा है कभी?”
काजल मुस्कुराई, “इसीलिए तो कहती हूँ - मेरी किस्मत भी अच्छी है! उतनी अच्छी नहीं, लेकिन ख़राब तो बिलकुल नहीं! इसी प्यार के कारण ही तो मैं तुम्हारे संग ‘करने’ के लिए मरी जा रही थी!”
“काजल .... मेरी काजल, तुम्हें कुछ भी करने की ज़रुरत नहीं है। तुमने पहले ही मुझे बहुत प्यार और खुशियाँ दी हैं! मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया करना चाहिए, जो तुम मुझे इस तरह से सम्हालती हो; मुझ से इस तरह से प्यार करती हो!”
हम एक दूसरे के आलिंगन में बंधे, कुछ देर तक अपने अपने परिवारों के बारे में बात करते रहे। हमारे प्रथम सम्भोग में क्षय ऊर्जा थकावट, और उससे उत्पन्न होने वाले सुख के भाव से हमको नींद तो आ रही थी, लेकिन फिर भी हम देर रात तक बातें करते रहे। बीच बीच में मैं उसके स्तनों को खाली भी करता जाता। जहाँ मैं स्वादिष्ट दूध का पान कर रहा था, वहीं बेचारी काजल केवल पानी से ही काम चला रही थी। फिर हम दोनों को ही लगा कि एक एक कप चाय हो जाती, तो आनंद आता। तो काजल बिस्तर से उठी, और दबे पाँव रसोई की ओर चल दी। गैबी के कमरे का दरवाज़ा बंद था, इसलिए उनके जागने का डर कम था।
मैं भी उसके पीछे पीछे ही चल दिया। काजल ने पूरी निर्वस्त्र हो कर ही चाय बनाई। इस बात का डर तो था कि कोई बाहर की खिड़की से देख न ले, लेकिन आधी रात के बाद कौन ऐसी ताका झाँकी करता है? चाय बनाते समय उसके हर अंग को मैं छूता रहा, सहलाता रहा। चाय बन जाने पर हम दोनों ने साथ ही में चाय पी और वापस बिस्तर में लेट गए। मैंने काजल का हाथ लिया और अपने इस समय कोमल हो चले लिंग पर रख दिया, और बड़ी कोमलता से उसके पूरे शरीर को सहलाने लगा। काजल भी उतनी ही कोमलता से मेरा लिंग सहलाने लगी। एक दूसरे को ऐसे सहलाते हुए, हमने बातचीत भी को भी जारी रखा। हमको बहुत अच्छा लग रहा था! इस तरह का अनुभव बहुत सुकून देने वाला हो सकता है। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि हमने अभी अभी विवाहेत्तर सम्बन्ध बनाया है - बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे काजल और मैं खुद भी विवाहित हों। हम बहुत देर तक ऐसी ही छोटी छोटी बातें करते रहे। जब हमारी बातें भी समाप्त हो गईं, तब हम प्रेमियों की भाँति एक दूसरे को चूम कर, एक दूसरे की बाहों में सो गए। मुझको तो बड़ी गहरी नींद आई - लेकिन न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे काजल ने नींद के दौरान कई बार मुझे चूमा, और मेरे कान में “थैंक यू” कहा!
और फिर अचानक ही नींद खुली - अभी तो भोर ही हो रही थी, और अभी भी अंधेरा था! शायद सुबह के पाँच बजे जैसा कुछ था। मैं उठा। रात में बहुत सारा द्रव पीने से पेशाब करने की मजबूरी! मैंने लाइट नहीं जलाई, क्योंकि मैं काजल, या किसी और को जगाना नहीं चाहता था। मैं बाथरूम में गया, पेशाब से राहत ली, और फिर गैबी को देखने के लिए मास्टर बेडरूम में चला गया। बिस्तर पर गैबी, सुनील और लतिका एक लाइन से सो रहे थे। मैंने न जाने क्या सोच कर रजाई का कोना उठाया, और गैबी को चेक किया। हम्म... जैसी कि उम्मीद थी, गैबी कमर के ऊपर नंगी थी।
‘स्साले सुनील! मेरी बीवी के साथ चांस ले लिया!’ मैंने सोचा और मुस्कुराया।
मैं वापस आ कर काजल के साथ लेट गया। पेशाब करने से पहले मेरा लिंग कठोर था, और मुझे एहसास हुआ कि मेरा लिंग अभी भी उतना ही कठोर था। इस दीर्घकालीन स्तम्भन के कारण उसमे हल्का सा दर्द भी होने लग गया था - उसको अपने गंतव्य की तलाश थी, जिसको भेद कर उसको थोड़ा शांति मिल सके! जब तलवार उग्र हो जाए, रक्त-पिपासु जाए, तब उसको शांत करने के लिए एक आरामदायक म्यान में डाल देना चाहिए। काजल के वही म्यान थी, जिसकी मेरी उग्र तलवार को तलाश थी! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मैं जो कर रहा हूँ, क्या वो ठीक है या नहीं, और सोती हुई काजल के ऊपर वापस चढ़ गया।
सोते समय, उसके पैर बंद हो गए थे, और मुझे उन्हें फैलाने के लिए उसके पैरों के बीच अपना घुटना रखना पड़ा, ताकि मैं उसके पैरों के बीच जा सकूं। मैंने महसूस किया कि अपने शरीर पर हलचल महसूस कर के उसका सिर हिल रहा है, और वो नींद में कुछ बड़बड़ा रही है। मैंने अपना लिंग उसकी योनिद्वार पर सहलाया। मैं यह देख कर चकित रह गया कि काजल का छिद्र अभी भी चिकना था - हालाँकि उसकी चिकनाई मेरे गर्म लिंग पर ठंडी ठंडी महसूस हो रही थी। थोड़ा सा बल लगाने पर लिंगमुण्ड, उसकी योनि के दरवाज़ों को खोलता हुआ अंदर घुसने लगा! ‘वाह! अपार आनंद!’ मैंने लिंग को पूरा अंदर तक घुसाया, और फिर बाहर निकाला - काजल के पैर जैसे स्वतःप्रेरणा से खुलते चले गए। लिंग की पूरी लंबाई पर काजल की योनि का चिकना घर्षण! ‘अद्भुत आनंद’! मैं धीरे धीरे उसके अंदर और बाहर होने लगा। काजल जागने लगी। मैं उसकी सांसों में होने वाले बदलाव सुन सकता था। नींद में ही उसके हाथ मेरी बाहों पर आ कर रुके और उसी को थामे वो आँखें बंद किये जागती रही। फिर उसने अपने घुटने ऊपर की तरफ़ मोड़ लिए, और मुझे और जगह देने के लिए उसके हाथ सरक कर मेरी पीठ पर आ गए।
“मम्म... बहुत अच्छा लग रहा है।” उसने बुदबुदाया।
जैसे जैसे वो जाग रही थी, उसकी मुझको अपने और पास लाने की कोशिश और बढ़ती जा रही थी। उसने अपने दाहिने हाथ से मुझको अपनी तरफ़ और खींचने की कोशिश करी, और बाएं हाथ से, जहाँ हम इस समय जुड़े हुए थे, वहाँ छूती है। मैं थोड़ा सा बाहर निकल कर उसको मेरा स्तम्भन छूने को देता हूँ।
“उम्म्म्म!” उसके गले से गुनगुनाने जैसी आवाज़ आई।
काजल को किस बात पर आनंद आ रहा था, उसको तो वो ही जाने। लेकिन उसकी उँगलियों गाँठें मेरे पेट पर चुभ रहे थे और धक्का लगाने पर मुझे पेट पर दर्द हो रहा था। शायद उसको अचानक ही यह एहसास हुआ - और उसने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। मैंने बाहर से अंदर एक शक्तिशाली धक्का लगाया - काजल की आह निकल गई। मेरी इस हरकत से जैसे उसके यौवन रस के स्रोत पर लगा बाँध टूट गया हो - और अचानक से ही उसकी योनि से कामरस निकलने लगा। बड़ी सुखदायक गर्मी और चिकनाई थी। ऐसी मीठी यंत्रणा महसूस करते हुए, काजल ने अपने होंठ काट लिए, और उसके हाथ, बड़े प्रेम-पूर्वक मेरे सर पर आ गए। हमारे शरीरों के रसायनों की मिश्रित गंध आने लगी थी। जैसे ही मैंने अगला पूरा धक्का लगाया, काजल ने मेरे सर को अपने स्तनों की ओर दबाया। हाँ, इसको तो मैं भूल ही गया था! उसके स्तन तो उसके मीठे मीठे दूध से भरे होंगे अब!
“पी लो!” उसने कराहती हुई आवाज में कहा।
मैंने जब अपना सर नीचे किया, तो ठीक अपनी नाक के सामने दूध और कामोत्तेजन से सूजा हुआ उसका चूचक पाया। मैंने सहर्ष उसको चारों ओर से अपने होंठों में बंद कर के सुरक्षित कर लिया, और उसको चूसने लगा। काजल की मत्त आवाज़ ने मुझे भी मत्त कर दिया और मेरे अंडकोषों की हलचल बता रही थी कि वे तन गए थे! उस अवस्था में उसके अंदर धक्के लगाना और एक ही समय में उसका दूध पीना कठिन था! लेकिन मैं ये दोनों ही आनंददायक कार्य बंद नहीं करना चाहता था। काजल के हाथ मेरे नितम्बों पर आ कर स्थापित हो गए, और वो अपने हाथों से मुझे धक्के मारने के लिए प्रेरित करने लगी। खुद को थोड़ा सा व्यवस्थित करने के बाद मैंने पाया कि एक पोजीशन में मैं धक्के लगाना और दुग्धपान करना - दोनों ही एक साथ कर सकता हूँ। सौभाग्य से, उस पोजीशन में मैं हर धक्के के साथ उसके भगशेफ को कुचलने और रगड़ने में भी कामयाब हो पा रहा था, जो पहले संभव नहीं था। भूख तो लगी ही हुई थी, इसलिए मैं एक भूखे बच्चे की तरह दूध चूस रहा था, और साथ ही साथ काजल को इस अनोखे सम्भोग का अद्भुत अनुभव भी करा रहा था। थोड़ी देर में काजल ऐसी कामुक आवाज़ें निकालने लगी कि मेरे खुद के अंदर उसको तेजी से भोगने की भावना बलवती होने लगी। तो मेरे धक्कों की गति तेज हो गई। काजल भी उन्मुक्त हो कर इस प्रातःकालीन सम्भोग का आनंद उठा रही थी। न जाने कब की दबी लालसा इस समय उसकी कराहों, रुदन, और आहों के रूप में बाहर आ रही थी। जल्दी ही मेरे शरीर में भी कामोन्माद के चरम के ठीक पहले वाली अनुभूति होने लगी। बस दो और पलों बाद मैं आनंदातिरेक से कराह उठा - मेरा जीवनदायक और सुखदायक द्रव, मेरे लिंग के माध्यम से प्रवाहित हो कर काजल के गर्भ में स्थापित होने लगा।
उस समय मेरे लिए काजल की कोख को अपने वीर्य से भरने से बड़ा कोई अन्य काम नहीं था! मैं बस यही चाहता था - संभव है कि काजल भी ठीक यही चाहती थी। मैंने एक बात और देखी - काजल पर वीर्य का बहुत ही शांतिदायक प्रभाव पड़ता है। सम्भोग के बाद कल रात भी वो काफी शांत लग रही थी। इस समय भी, जब उसका गर्भ मेरे वीर्य से भर गया, तो वो ज़ोर से मुस्कुराई और खुशी ख़ुशी मुझसे लिपट कर सो गई। मैंने कुछ देर आराम किया, और कोई हरकत नहीं करी। मुझे डर था कि वो कहीं जाग न जाय। जब काजल गहरी नींद में सो गई, वो फिर मैं उठकर अपने दैनिक क्रियाकलापों को करने लगा।
लेकिन वो बहुत देर नहीं सोई। मेरे उठने के कोई दस मिनट बाद ही काजल भी उठ गई! आज तो मैं नंगा ही घर में घूम रहा था। जब काजल ने मुझे इस तरह से घर के चारों ओर घूमते देखा, तो वह शरमा गई। कमरे से बाहर निकलने से पहले उसने अपना ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिया था। साड़ी पहनने की जरूरत उसको महसूस नहीं हुई। मैं उसे इस तरह से देखकर स्पष्ट रूप से प्रसन्न था। जब वह मेरे पास आई, तो मैंने बड़े प्यार से उसके होंठों को चूमा। उसने भी बड़े प्यार से मेरा सर पकड़ कर, और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ घुमाते हुए उस चुम्बन का उत्तर दिया। चुम्बन टूटने के बाद उसने मुझे अपने आलिंगन में ज़ोर से भींच लिया! उसके स्तन मेरी छाती से दब रहे थे। मैं उनकी कोमलता को महसूस कर रहा था और उनसे निकलने वाले मीठे मीठे दूध का स्वाद याद करने लगा!
“ओह अमर!” उसने शर्म से फुसफुसाते हुए कहा, “मेरी तो सुहागरात हो गई! .... तुमने मुझे ऐसे चोदा है कि....”
उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया। लेकिन उसको कुछ भी कहने की ज़रुरत भी नहीं थी। मुझे मालूम था कि मैंने काजल को उत्तम यौन-सुख की अनुभूति कराई है। मेरा हाथ ऊपर चला गया - उसके स्तन पर। मैं थोड़ा नीचे झुका और मैंने अपना चेहरा उसके स्तनों पर फिराया। काजल कराह उठी। काजल की शर्म काफी कम हो गई थी, और मैं देख सकता था कि वो अपनी भावनाएं अब अधिक प्रदर्शित कर रही थी। उसकी प्रतिक्रिया को देखकर, मैंने बारी बारी से, ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों स्तनों को चूमा। उसके चूचक पुनः जागृत हो कर चौकन्ने हो गए।
“ओह …” वो कराही, “अमर! बदमाश कहीं के! तुम्हारा पेट नहीं भरता?” वो कह तो रही थी, लेकिन खुद मेरे सर को अपने स्तनों में भींच रही थी। उसको खुद भी मुझे स्तनपान कराना अच्छा लगता है!
“ये बिलकुल मीठे, रसीले आमों की जोड़ी हैं ... और तुमको तो मालूम ही है कि इन आमों को मैं उम्र भर खा सकता हूँ!” मैंने उसे चिढ़ाया।
“फिर... आह्ह्ह... जितना तुम्हारा मन हो, जब भी तुम्हारा मन हो, इनको पिओ!” उसने कहा।
जिस तरह से मैं उससे लिपटा था, वो काम करना असंभव था। मैं काजल से एक फुट ऊँचा था, और हाँलाकि मैं उसके स्तनों पर दावत उड़ा रहा था, लेकिन फिर भी, मेरा पूरा शरीर उसके चारों ओर लिपटा हुआ था। उस स्थिति में, मेरा स्तंभित लिंग भी उसकी जांघों पर चुभ रहा था। काजल ने उसे छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया।
“हे भगवान! तुम फिर से तैयार हो! हा हा हा! कमाल का नुनु है! वाह! मेरे शेर!” काजल मेरे पूरी तरह से खड़े लिंग को देखकर दंग रह गई! अगर मैंने फिर से उसको भोगने की इच्छा दिखाई, तो क्या होगा! उसने सोचा।
“ये नुनु है?”
वो मुस्कुराई, और ‘न’ में सर हिलाई।
“तो फिर क्या है?”
“लौड़ा! मज़बूत लौड़ा!” उसने फुसफुसाते हुए कहा, जिससे केवल मैं सुन सकूँ, “इतना बड़ा... इतना गर्म... इतना मोटा!”
“तुम्हें मेरा लौड़ा अपने अंदर बढ़िया लगता है?” दो बार संभोग करने के बाद यह प्रश्न बेमानी हो जाता है।
“ओह! तुम्हें नहीं पता कि कितना अच्छा लगता है! इसको अंदर लेने में जान निकल जाती है, लेकिन जब बाहर निकल जाता है तो सब खाली खाली सा हो जाता है! और.... मैं.... मुझे.... तुमको फिर से अपने अंदर लेने का मन है!” उसकी आँखें शरारत से चमक उठीं।
मैंने धीरे से काजल को अपनी ओर खींच लिया, और उसके होठों पर एक नरम चुम्बन दिया। काजल मेरी इस प्यार भरी अभिव्यक्ति से अछूती नहीं रही,
“अमर.... मेरे अमर! तुमने आज मुझे फिर से अपने औरत होने का एहसास दिलाया है। तुमको मालूम है? तुमने मुझे ऐसे प्यार किया है कि मेरे प्यार भी भूख भी बढ़ गई। तुमने मुझे चाहे जाने का एहसास कराया है! ज़िन्दगी में आज पहली बार ऐसा महसूस कर रही हूँ! तुम्हारी दीवानी तो मैं बहुत दिनों से हूँ .... अगर हमारा मिलन नहीं हुआ होता, तो मैं पागल हो जाती!”
“काजल, तुम बहुत प्यारी और दयालु हो।”
मैं उसके बालों में अपनी उँगलियाँ फिराई, और उसके होंठों, गालों, और माथे पर थोड़े और नरम चुंबन दिए। उसने अपनी आँखें बंद कर ली, और अपने ऊपर बरस रहे प्यार का आनंद लेती रही।
“बहुत अच्छा लगता है जब तुम मुझे इस तरह से प्यार करते हो! ... मेरा आदमी ... उसने मुझे इस तरह से कभी प्यार ही नहीं किया!” तो आखिरकार, मेरी और उसके पति की तुलना वाली बात आ ही गई, “वो केवल मेरे अंदर चार धक्के लगाता है, और फिर सो जाता है। तुमने मुझे आज औरत होने का एहसास कराया है!”
“काजल, कहो तो तुमसे भी शादी कर लूँ?”
“हा हा! अच्छा जी! मतलब आप दो दो लड़कियों को सताना चाहते हैं?”
“हाँ! जितना हो सके, उतनी लड़कियों को सुख मिले, तो क्या गलत है?”
“कोई गलत नहीं है! भगवान् करे कि तुमको ऐसे ही सुख मिले!”
“हा हा हा! अरे काजल, तुम तो सीरियस हो गई!”
“नहीं! मैं सच में चाहती हूँ, कि तुमको खूब सुख मिले। तुमको जब भी मेरी ज़रुरत हो, मुझसे ज़रूर कहना। मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ी रहूँगी!”
मैं उसकी बात समझ रहा था, और उसकी भावनाएँ भी। लेकिन मैं ज्यादा बात नहीं करना चाहता था - मुझे उसके दूधिया स्तनों को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था! लेकिन मैं उन्हें ब्लाउज के कपड़े के ऊपर से चूस रहा था। उसके स्तनों से निकलते दूध ने उसके ब्लाउज को पहले ही गीला कर दिया था। जैसा कि मैंने बताया, काजल ने केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था, इसलिए, मुझे उनसे छुटकारा पाने की जरूरत थी।
“फिलहाल तो मैं तुमको नंगा करना चाहता हूँ!”
“हा हा हा! बोका!”
मैं उसकी कमर पर अपना हाथ बढ़ाया, और उसके पेटीकोट की डोरी खोल दी; बाकी का काम गुरुत्वाकर्षण ने कर दिखाया, और काजल नीचे से नग्न हो गई। उसकी सांसें भारी हो रही थीं और उसकी हर सांस के साथ उसके स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे। ओह भगवान्! ऐसी सुन्दर स्त्री को ऐसे कपड़ों में रखना ही घोर पाप है - घोर अन्याय है! मैंने जल्दबाज़ी में उसका ब्लाउज खोलना शुरू कर दिया। इतनी बार काजल के कपड़े उतारने के बाद भी हर बार नया सा लगता है - इस समय भी मेरे अंदर बहुत अधिक आत्म-संयम नहीं था। मैं जितनी बार हो सकता था, काजल के साथ कामुक सम्भोग करने को तैयार बैठा था। उसी उत्तेजना के कारण मेरे हाथ काँप रहे थे, और मेरा शरीर भी काँप रहा था। कुछ देर संघर्ष करने के बाद मैंने आखिरकार उसका ब्लाउज खोल दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया। काजल खिलखिला कर हंस पड़ी,
“हा हा हा हा हा! मेरे अमर! इतनी ब्याकुलता! ये तो सिर्फ मेरी ब्लाउज थी।” उसने हँसते हुए कहा।
फिर उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैंने उसके शानदार स्तनों में अपना चेहरा डुबो लिया और एक-एक करके उनसे अमृत चूसने लगा। काजल ख़ुशी के मारे किलकारियाँ भरने लगी। मैं जब अपनी जीभ से उसके चूचकों को छेड़ता और चुभलाता, तब उसका शरीर कुछ ऐसे काँप जाता जैसे उसको बिजली के झटके लग रहे हों। उसने अपनी पीठ पीछे की तरफ झुकाई, और खुशी से कराह उठी।
कुछ देर बाद उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा, “अमर, एक बार और करो?”
‘बड़ी ख़ुशी से!’ मैंने मन ही मन सोचा, और उसे अपनी बाँहों में उठा लिया, और अपने कमरे की ओर चलने लगा। दूसरी ओर काजल एक नटखट लड़की की तरह व्यवहार कर रही थी। उसने बड़े प्यार से मेरे बाल खींचे, और मेरा चेहरा अपने पास ले आई।
“मुझे कस के चोदो! मेरे अंदर ही अपना बीज छोड़ना!” उसने मुझसे कहा।
जब मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया, तो वह पहले से ही कामाग्नि में जल रही थी। तीसरी बार! मज़ा आ गया!
“जल्दी से मेरे अंदर आ जाओ, अमर! अब मैं और इंतजार नहीं कर सकती …”
बिस्तर पर लेटी हुई वो बार-बार अपनी कमर ऊपर उठा रही थी - यह दिखाने के लिए कि मुझे अपने अंदर लेने के लिए उसके अंदर कैसी प्रचंड इच्छा थी। उसकी योनि पर काले घने बाल उसकी योनि के होंठों को छुपा रहे थे। मैंने धीरे से उसके चीरे को सहलाया - मेरी उंगली गीली हो गई! काजल पूरी तरह तैयार थी! फिर से! मेरे स्पर्श पर वो खुशी से कराह उठी! काजल बिस्तर पर लेटी हुई थी - सूरज की झीनी झीनी रौशनी में उसके नंगे शरीर को देखना अद्भुत था। काजल को आप ‘raw beauty’ कह सकते हैं - प्राकृतिक सुंदरता! कोई बनावट नहीं। कोई मेकअप नहीं। ख़ालिस सौंदर्य! मैंने उसके ऊपर लेटते हुए अपने हाथों को उसके कंधों पर उसकी पीठ के पीछे एक अर्ध-आलिंगन में रखा। मेरा सीना उसके स्तनों से मिला, हमारे पेट एक दूसरे के खिलाफ दब रहे थे, मेरी जांघें उसकी जांघों पर टिकी हुई थीं, और मेरा लिंग उसके श्रोणि पर, उसकी योनि पर टिका हुआ था! यह एक सम्पूर्ण आलिंगन था। मेरा लिंग अपने घर में जाने के लिए व्याकुल हो रहा था। काजल भी मेरे की जैसी बेचैन थी। उसने अपनी योनि को मेरे लिंग पर दबाया।
“अंदर आओ न!” उसने वासना भरी मीठी आवाज में कहा।
उसने मुझे प्रवेश देने के लिए अपने पैरों को चौड़ा किया, मेरे लिंग को पकड़ लिया, और अपने योनि के होंठों के बीच रख दिया।
“काजल, मेरी जान .... मैं तुम्हारा कौन हूँ?”
वो पहले तो ठहरी, फिर मुस्कुराई, और बोली, “तुम मेरे सब कुछ हो!” फिर मुझे चूम कर बोली, “मेरे दोस्त हो! मेरे भाई हो! मेरे साजन हो! तुम सब कुछ हो!”
“आई लव यू, काजल!”
“अब और सताओ - धक्का लगाओ! इसे मेरे अंदर ले आओ।”
मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, और एक ही झटके में उसके अंदर पूरे का पूरा समां गया। मुझे मालूम नहीं था, लेकिन उस धक्के में वाकई बहुत अधिक शक्ति थी। उस धक्के से हमा दोनों के ही श्रोणि आधार पूरी तरह से जुड़ गए। काजल जोर से चिल्लाई, और उसकी आँखों से आँसू निकल गए।
“शह्ह्ह…” मैंने उसको चुप कराया।
“आह्ह्ह! हे भगवान! ऐसे बेदर्दी से न करो - दर्द होता है।” उसने शिकायत की।
मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए - उतनी ज़ोर से तो नहीं, लेकिन धीरे भी नहीं। काजल जोर-जोर से कराह रही थी और चिल्ला रही थी, जैसे कि उसको किसी के सुनने या हमारे पकड़े जाने की कोई चिंता ही न हो! कुछ हद यह निर्भयता ठीक भी थी! गैबी को पहले से ही पता था कि हम क्या कर रहे हैं - और बाकी तीनों में केवल उसी को सम्भोग की समझ थी। सुनील को नहीं पता था, कि उसकी माँ और उसके ‘भैया’ के बीच में क्या हो रहा है। अब ऐसे में अगर वो उठ कर हमें ऐसे देख लेता है, तो? इन ख़यालों के साथ साथ एक और ख़याल दिमाग में आया - काजल को जैसा दर्द हो रहा था, उसको देख कर मैं हैरान रह गया। पहली बात तो यह थी कि हाँलाकि मैं उसे पिछले छः घंटे से भी कम समय में तीसरी बार भोग रहा था, उसकी योनि पूरी तरह से कामरस से भीगी हुई थी - लेकिन, वो फिर भी दर्द महसूस कर रही थी। क्या मेरा लिंग सच में इतना बड़ा और मोटा था? मुझे इस बात का ठीक ठीक पता नहीं था। यह भी संभव है कि इतनी कम देर में इतनी अधिक बार सम्भोग होने के कारण काजल की योनि आहत हो गई हो? खैर, वो सब बाद में देखेंगे - फिलहाल मैं अपनी गति को बढ़ाते हुए उसकी योनि से अंदर-बाहर होने लगा। शुरू शुरू में धीमी - फिर मध्यम - फिर तेज, और फिर बहुत तेज गति! समय बीतने पर उसका दर्द कम होता गया, और वो फिर से खुशी से कराहने लगी। अपने चरम आनंद को नियंत्रित करने के लिए काजल अपने निचले होंठ को अपने दांतों से दबा रही थी। उसे इस तरह से संतुष्ट और व्यभिचारिणी के रूप में देखना बहुत ही सुखद दृश्य था। मुझे यह देखकर बहुत संतोष हुआ कि मैं उसे इतना आनंद दे पा रहा हूं।
उसकी योनि से अब रस रिसने लगा। यह एक स्वर्गीय अनुभव था। हम दोनों अपने नग्न शरीरों के परस्पर आलिंगन का भरपूर आनंद ले रहे थे। हम हर अंग पर जुड़े हुए थे - आमने-सामने, छाती से छाती, पेट से पेट, जांघ से जांघ, और हमारे जननांग, अनादिकालीन प्रेम के शाश्वत कार्य में बद्ध थे। मैं उसकी योनि की आरामदायक गहराई का आनंद लेते हुए उसके शरीर के अंदर-बाहर हो रहा था। उसने मेरे नितंबों को अपने हाथों से जकड़ लिया, और मुझे अपनी योनि की ओर दबाने लगी।
“और तेज़, और तेज़ अमर... मेरे साजन, और तेज़।” उसने कामुकता से कहा।
तो मैंने उसको भोगने की गति कुछ और बढ़ा दी। काजल बिना किसी पूर्व चेतावनी के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। आनंद के शिखर पर पहुँचते ही वो कामुकता से चीख पड़ी। हमारे सम्भोग ने हमारी काम अभिव्यक्ति को जंगली बना दिया। मुझे पता था कि इस घर में तो क्या, यहां तक कि पास पड़ोस में भी हर कोई काजल की चीख सुन सकता है! लेकिन काजल की चीख इस बात की भी उद्घोषणा कर रही थी कि मैं किसी स्त्री के साथ सम्भोग कर रहा था, और वो स्त्री उस सम्भोग का पूरा आनंद उठा रही थी। मैं काजल से पहले स्खलित न होने के लिए खुद को नियंत्रित कर तो रहा था, लेकिन यह काम बड़ा मुश्किल साबित हो रहा था। मैंने अपना ऊपरी शरीर उसके ऊपर से उठा लिया और उसे कूल्हों से पकड़ कर उठा लिया, और थोड़ा तेज से धक्के लगाने लगा। काजल ने मुझे अपने पूरा अंदर तक पहुँचने के लिए अपनी जाँघों को यथासंभव चौड़ा कर लिया। मैं उसकी टांगों के बीच तेजी से दोलन करने लगा। प्रत्येक धक्के के साथ, उसके दोनों स्तन हिंसक रूप से ऊपर-नीचे हो रहे थे। मेरा बिस्तर चरमरा गया। उसकी चूड़ियाँ बज रही थीं, और पायलें भी। और सबसे बढ़ कर यह बात कि वो ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी और पूरी बेशर्मी से अपने आनंद, और अपनी आकाँक्षाओं का ज्ञापन दे रही थी। यह सब इतना कामुक था कि मैं खुद को रोक नहीं सकता था।
मेरा स्खलन भी बलपूर्वक आया। मैंने अपने जीवन रस को काजल की कोख की गहराई में उड़ेल दिया, और सब कुछ भाग्य पर छोड़ दिया। मेरे स्खलित होते ही, काजल ने कराहते हुए मेरे नितंबों को अपने पैरों से जकड़ लिया। आनंद और परमानंद की लहरें हमारे शरीर में दौड़ती रहीं। इस समय हमारे गुप्तांग एक ही स्वर में धड़क रहे थे। मेरा लिंग उसकी योनि में मेरे बीज का छिड़काव कर रहा था, उसकी योनि उसको दुह रही थी। जब मैं पूरी तरह से स्खलित हो गया, तो मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गया और उसके स्तनों को जोर से दबाने लगा। काजल मेरी पीठ पर हाथ रखकर मुझे अपने में भींच रही थी। हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे। मुझे उम्मीद थी कि मैंने काजल को उसके पूरे जीवन के सबसे अच्छे ओर्गास्म दिए होंगे। मुझे गर्व था कि एक दो बच्चों की माँ को मैंने इस तरह से संतुष्ट किया है। हम पूरी तरह से निश्चिंत पड़े हुए थे - एक दूसरे का हाथ थामे - न कोई डर, न कोई चिंता! कुछ समय बाद, मेरा लिंग नरम हो कर बाहर निकल गया!