पहला प्यार - विवाह - Update #17
जब डैड माँ का पेटीकोट उनकी कमर से नीचे खींच रहे थे, तो माँ ने लड़खड़ाते हुए, अस्थिर से स्वर में कहा, “कु... कुछ तो शर्म करो... बच्चे हमें देख रहे हैं…”
माँ उस समय तक बहुत उत्तेजित थीं, और आसन्न सम्भोग को रोकने में असमर्थ और शक्तिहीन थीं।
“अरे बच्चों के सामने शर्म कैसी? ये हमारे बच्चे भी तो दिन रात यही एक काम कर रहे हैं!”
डैड ने कहा और उन्होंने माँ का पेटीकोट उनके नितंबों से सरकाते हुए उतार दिया। अगले कुछ ही सेकंड में, माँ, अपने जन्म के समय जैसी ही, पूरी तरह से नग्न थीं। यह अद्भुत था! बेशक, मैंने अपने जीवन में पहली बार माँ को इस तरह नग्न देखा था। बेशक, डैड, गैबी और काजल ने पहले भी उन्हें ऐसे नग्न देखा था। लेकिन मेरे लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था। माँ लगभग काजल जैसी ही दिखती थीं - बस उनकी योनि का रंग काजल की योनि के मुकाबले अधिक गोरा था, और उनके होंठ इस समय थोड़े मोटे और उभरे हुए थे। यह बात छिपी हुई नहीं थी कि माँ बुरी तरह से कामोत्तेजित थीं। हम सभी उनकी योनि के होठों पर उनकी योनि के रस की हल्की सी चमक देख सकते थे।
‘वाह!’ मैंने सोचा।
इसके बाद, डैड अपना पजामा उतारने लगे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि डैड, काजल और गैबी के सामने नग्न होने के लिए इतने उत्सुक हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि शायद वो दो अन्य महिलाओं के सामने होने के कारण इस तरह से उत्सुक और उत्तेजित थे! जल्द ही, वो हमारे सामने अपने अंडरवियर में खड़े थे, और जबकि कमर के ऊपर उन्होंने सारे कपड़े पहने हुए थे। हम देख सकते थे कि उनके लिंग का स्तम्भन उनके अंडरवियर पर अपना दबाव बना रहा था।
“पूरा,” माँ ने हाँफते हुए, फुसफुसा कर कहा, “पूरा उतारो…”
तो, डैड अपने सारे कपड़े उतारने में व्यस्त हो गए, और जब वो ऐसा करने में व्यस्त थे, तो गैबी ने हाथ बढ़ा कर, धीरे से माँ के भगशेफ को अपनी ऊँगली से गुदगुदाया। मुझे नहीं पता कि गैबी क्या सोच रही थी। संभव है कि उसने सोचा हो कि अगर माँ उसकी योनि को छू सकती है, तो वो भी उनकी योनि को छू सकती है। माँ का भगशेफ कामोत्तेजना के उत्साह से भर गया, और अपने फन से बाहर उभर आया। गैबी ने उनकी उभरी हुए भगशेफ की चुटकी ली। उसकी इस हरकत पर माँ का पूरा शरीर ऐसे काँप गया, जैसे उनको बिजली का झटका लगा हो!
“श... श... शैतान बच्ची,” माँ ने कराहते हुए कहा, “तुम... तुम अपनी माँ को इस तरह से नहीं छेड़ सकती…”
उस समय तक, डैड अपनी चड्ढी को छोड़ कर अपने बाकी सभी कपड़े उतार चुके थे। उसका लिंग, चड्ढी के ढीले ढाले कपड़े के खिलाफ जबरदस्ती जोर दे रहा था। कोई भी देख सकता था कि वो भी सम्भोग के लिए पूरी तरह से तैयार थे। उन्होंने अपने जंघिया की डोरी की गाँठ खोल दी, और अपने उत्तेजित लिंग को मुक्त कर दिया। जब मैंने उनका लिंग देखा तो मैं मन ही मन मुस्कुराया। निःसंदेह, मेरा लिंग डैड के मुकाबले से कम से कम डेढ़ इंच अधिक लंबा, और कम से कम एक इंच अधिक मोटा था। अभी बस कुछ ही साल पहले उनके लिंग को देख कर मुझे डर लगता था। लेकिन अब, अगर वो मेरा लिंग देख लें, वो संभव है कि वो, मेरे लिंग के आकार से ईर्ष्या करने लगें! मुझे लगता है, कि अब काजल और गैबी को भी इस तथ्य का एहसास हो गया होगा। लेकिन यह सब मेरे बारे में नहीं था। यह मेरे माता-पिता के बारे में था।
डैड ने माँ की जाँघों को चौड़ा किया, और खुद को उनके बीच में व्यवस्थित किया। मुझे लगता है कि थोड़े रूढ़िवादी, या यह कह लीजिए कि थोड़े बूढ़े लोगों में निश्चित रूप से सम्भोग को मसालेदार बनाने की चालाकी की कुछ कमी होती है। अश्लील सामग्री के संपर्क में आने के कारण, हम युवा लोग फोरप्ले और संभोग, दोनों को अधिक देर तक चलाने के लिए अधिक इच्छुक रहते हैं। एक तरफ़ मैं हूँ, जो सेक्स करने से पहले गैबी को उत्तेजित करने में काफी समय लेता हूँ, और दूसरी तरफ़ डैड हैं, जो नंगा होते ही माँ के अंदर अपना लिंग डालने को तत्पर थे। शायद उन्होंने ऐसा इसलिए किया हो क्योंकि यह सब उनके लिए भी नया हो! शायद उन्होंने अपना लिंग अंदर डालने में जल्दी दिखा दी - माँ की योनि की सुरक्षा प्रणाली अप्रत्याशित रूप से सामने आ गई, और माँ लगभग चीख पड़ीं,
“धीरे ... धीरे …” माँ ने अनुरोध किया।
लेकिन डैड आराम से सम्भोग करने के मूड में नहीं थे। वो पहले ही धक्के में माँ के अंदर तक उतर गए। माँ ने डैड के गर्म शरीर को अपने शरीर पर; उनकी सांसों को अपने कान पर; और उनके दृढ़ लिंग को अपनी योनि के अंदर महसूस किया।
“मर गई बाबा…”
मैं सहमत हूँ, कि जो दोनों हमारे सामने सम्भोग कर रहे थे वो मेरे माँ और डैड थे; लेकिन मैं यह भी मानता हूँ, कि इसका प्रभाव मेरे ऊपर बहुत अधिक हो रहा था। मैं उनको ऐसे सेक्स करते देख बहुत उत्साहित हो गया था। यह झूठ होगा, अगर मैं यह कहूँ, कि इस पूरे कामुक दृश्य ने मुझको यौन रूप से प्रभावित नहीं किया! हाल ही में मैं इक्कीस का हुआ था, और किसी भी कामुक बात पर उत्तेजित होना, मेरे लिए बहुत ही आसान था! तो, मैं भी सम्भोग के लिए तैयार था। लेकिन मैं खुद को गैबी के साथ सेक्स करने के लिए नहीं ला सका। उसका एक कारण यह भी था कि काजल भी वहाँ उपस्थित थी! और अगर मैं और गैबी भी सेक्स करने लगे तो, वो खुद को अकेला और दुखी महसूस करेगी। और दूसरा कारण यह था कि जब से हमने अपना वैवाहिक जीवन शुरू किया था, तब से प्राप्त होने वाले सम्भोग से गैबी की योनि चोटिल हो चुकी थी। तो, मैंने सोचा, मैं फिलहाल अभी के लिए सेक्स नहीं करूँगा।
इसी बीच माँ ने डैड को अपनी ओर खींच लिया और फुसफुसाते हुए कहा, “आई लव यू।”
डैड अति उत्साह और प्रसन्नता से भर गए! उनके पास इस कामुक कल्पना को जीने के लिए दर्शकदीर्घा और एक इच्छुक साथी था। उन्होंने एक लय का निर्माण करते हुए खुद को माँ की योनि की गहराई के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। उन्होंने माँ की ओर देखा, और मन ही मन उनकी नग्न सुंदरता की भूरि भूरि प्रशंसा करी! माँ वाकई बहुत प्यारी लग रही थीं! माँ के स्तन, सम्भोग की लय के साथ ही हिल रहे थे। जैसे-जैसे वे सम्भोग के चरम पर पहुँचते गए, उनकी दोनों साँसें भारी होती गईं। माँ ने उनको और अंदर आने देने के लिए अपने घुटनों को ऊपर उठाया, और अपने पैरों को डैड की कमर के चारों ओर लपेट लिया! और डैड को अपने में भींच लिया।
“मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।” डैड ने बड़े प्रेम से जवाब दिया!
माँ ने एक संतोषजनक आह भरी! उन्होंने अपने हाथों से डैड के अंडकोष को पकड़ा और बड़े कोमलता से निचोड़ा! उधर डैड माँ को भोगना जारी रखे थे। आज के इस सार्वजनिक प्रेम-प्रसंग में, माँ डैड की समान रूप से इच्छुक साथी थीं। दोनों अपने स्खलन पर पहुँचने से पहले कुछ और देर तक सम्भोग करते रहे। वर्षों के अभ्यास के कारण दोनों ही एक साथ अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच सकते थे। माँ भी डैड के धक्को से मेल खाते हुए, अपने कूल्हों को चला रही थीं। हम सब देख सकते थे कि वो कितनी गीली थीं! अपने माता-पिता को सम्भोग के निषिद्ध फल का आनंद लेते हुए देखना अद्भुत है! इसी क्रिया से आपकी सृष्टि होती है!
लेकिन ईमानदारी वाली बात कहूँगा - डैड ने माँ से जिस तरह सम्भोग किया, उससे मुझे थोड़ी निराशा हुई। यह तीन मिनट भी नहीं चला, और इसमें कोई फोरप्ले भी नहीं था। हाँ, यह पूरी क्रिया भावातिरेक से भरी हुई ज़रूर थी। और हाँ, यह प्रचंड प्रेम से भी भरी हुई थी। लेकिन फिर, मैं कोई फैसला सुनाने वाला कौन था? अगर माँ को मज़ा आया, तो मुझे लगता है, डैड की तकनीक ठीक थी। हर कोई स्त्री घंटों तक सम्भोग नहीं करना चाहती! वास्तविक जीवन पोर्नोग्राफी की तरह नहीं होता है।
डैड की संतुष्ट घुरघुराने की आवाज़ से मेरे अपने विचारों की ट्रेन टूट गई - उन्होंने माँ के अंदर स्खलन किया था। प्रत्येक स्खलन के साथ, वो अपने बीज को अधिक से अधिक उनके अंदर जमा करने की कोशिश कर रहे थे। छः से आठ बार ज़ोर लगाने के बाद अंततः उनके पास जमा करने के लिए और कुछ नहीं बचा था। अंत में, वो माँ के बगल गिर पड़े, और उनको अपने गले से लगा कर उनको प्यार से चूमने लगे।
“थैंक यू, माय लव!” उन्होंने चुम्बनों के बीच कहा, “आनंद आ गया!”
“ओह गॉड! यू आर हॉट!” माँ ने डैड की बढ़ाई करते हुए कहा।
‘हॉट!’ मैंने सोचा, ‘आप लोगों को देखना चाहिए कि गैबी और मैं क्या करते हैं। काजल और मैंने क्या किया। वो ‘हॉट’ है।’
माँ अभी केवल पैंतीस-छत्तीस साल की थीं, और वो अभी एक जननक्षम युवा महिला थीं! अगर वो डैड के उस प्रदर्शन से संतुष्ट थी, तो जाहिर सी बात है कि उनके वैवाहिक आनंद के लिए, सिर्फ सेक्स के अलावा और भी बहुत कुछ होना चाहिए। निःसंदेह, डैड और माँ में बहुत गहरा प्रेम था। दोनों ने एक दूसरे के लिए बहुत त्याग किया था, और मेरे पैदा होने के बाद उन दोनों ने ही मेरे लिए बहुत त्याग किया था। उन्होंने मुझे सफल बनाने के लिए सब कुछ किया। अब मैं जो कुछ भी था, उन्हीं की वजह से था।
‘जब डैड माँ के अंदर स्खलित हो रहे है, तो वो गर्भवती क्यों नहीं होती हैं?’ लेकिन तभी अचानक मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा।
डैड ने माँ के एक चूचक को चूमा।
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूँगा …”
“क्या, ठाकुर साहब?” माँ ने बड़ी कोमलता से कहा।
“तुमको प्यार करना, वो भी हमारे बच्चों के सामने …”
माँ मुस्कुराई, “अरे ठीक है। ये हमारे ही बच्चे हैं... कोई बात नहीं।”
मैं चकित था कि कैसे माँ और डैड हम सभी को अपना बच्चा मानते थे। उनके लिए काजल भी उनकी ही संतान थी - जबकि काजल माँ से महज दो साल छोटी थी! मेरे कई पाठकों को यह बेहद अजीब लगेगा। लेकिन मेरे माता-पिता ऐसे ही हैं। दोनों ही प्यार करने वाले! दोनों ही स्नेही! दोनों ही नरम दिल! दोनों ही कोमल आत्माएं!
“क्या तुम लोग समझे,” माँ ने अंत में हम सभी को सीधे संबोधित करते हुए कहा, “इस तरह हमने तुमको बनाया है... हमारे प्यार ने तुमको बनाया है... तुम सभी को... हाँ काजल - तुमको भी! तुम भी मेरी बेटी हो। एक पल के लिए भी आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि तुम मेरे परिवार का हिस्सा नहीं हो! तुम मेरा परिवार हो! मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं तुमको सुरक्षित रखूँगी! तुम मेरे परिवार का हिस्सा हो - मेरी बेटी हो। तुमको, तुम्हारे बच्चों को सुरक्षित रखने का यही मेरा तरीका है!”
काजल, जो खुद भी हमारी ही तरह एक भावुक मनुष्य थी, माँ की बातें सुन कर भावनाओं से भर गई, और भावातिरेक में आ कर रोने लगी।
“ओह माँ जी ... माँ जी …” उसने बार-बार कहा और माँ के गले लग गई।
माँ ने उसे अपने गले से लगाते हुए चूमा, “एक पल के लिए भी खुद को इस घर से अलग मत समझना, ठीक है?”
“कभी नहीं माँ!” काजल ने कहा और हम में से किसी की परवाह न करते हुए अपना चेहरा माँ के सीने में छुपा लिया।
डैड माँ से अलग हो कर हट गए, क्योंकि वहाँ उन तीनों के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। उन्होंने हमारी ओर देखा,
“और तुम दोनों भी काजल को अपना समझो - अपने परिवार कर हिस्सा समझो!”
“हम मानते हैं, डैडी!”
“ये दोनों ही मानते हैं बाबू जी! दोनों ही मानते हैं!” काजल ने हमारे साथ ही कहा, “मैं इनके साथ अपने रिश्ते के नाम को नहीं जानती, लेकिन मुझे पता है कि ये दोनों ही मेरे हैं।”
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भावनाओं था ज्वार थमा, तो हम सभी सम्हल गए। दोपहर होने वाली थी, तो नहाने धोने का समय हो ही गया था। माँ ने अपने कपड़े वापस पहन लिए और सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। सबसे अच्छा मुझे यह लगा कि अब काजल को हमारे परिवार में पूर्ण स्वीकृति मिल गई थी। उसको अपनी बेटी कहना, माँ और डैड के प्रेम की पराकाष्ठा थी। काजल अभी भी भावनाओं के ज्वार भाटे में फंसी हुई थी। उसके मन में कई सारे विचार आ रहे थे -
‘पंडित जी ने कल कहा था उसको कि वो इसी कुटुंब का हिस्सा है! और आज ही माँ और डैड दोनों ने उसको अपनी बेटी घोषित कर दिया! है न कमाल की बात? और तो और, अमर और गैबी दीदी दोनों ही, बहुत समय से ही उसको अपना मानते हैं!’
माँ को अपने पास देख कर वो वापस उनसे लिपट गई। माँ उससे बमुश्किल दो या ढाई साल ही बड़ी रही होंगी, लेकिन उनके अंक में काजल को वही सुख, वही सुकून मिल रहा था, जैसा अपनी माँ के अंक में! सच में, जहाँ प्रेम होता है, वहीं स्वर्ग होता है!
इतने में सुनील दिन भर के खेल और मस्ती के बाद घर वापस लौटा।
“आ गए नवाब साहब?” काजल ने उसको देख कर कहा, “और ये क्या जंगली जैसी हालत बना ली है तूने?”
“अरे ठीक है! मत कहो उसको कुछ! अपने घर आया है। थोड़ा मस्ती मज़ा तो होनी चाहिए, कि नहीं?” माँ ने कहा, और फिर सुनील की तरफ़ मुखातिब होते हुए बोली, “क्या क्या किया सुनील बेटा दिन भर?”
न जाने क्यों सुनील माँ को देखते ही शरमाने लगता।
“और क्या कर रहा होगा माँ जी, शकल देखिए इसकी - भूत जैसी शकल बना रखी है! कहीं मुँह काला कर के आया होगा!” काजल ने हँसते हुए सुनील को छेड़ा।
“धत्त! तू भी न! सुनील बेटे, तुम अपनी अम्मा की बात पर बुरा मत मानना - वो मज़ाक कर रही है! ठीक है, बेटा? मुझे बताओ - नए दोस्तों के साथ मस्ती चल रही है सुनील बेटा?” माँ ने प्यार से पूछा।
“जी! आज आलू और गंजी भून के खाई....” सुनील ने उत्साह से कहना शुरू किया, “और खेत से मीठी मीठी छीमी भी!”
“अरे घर में खाना नहीं मिलता क्या तुझे!” काजल ने हँसते हुए कहा, “पूरा दिन भर बस खाता ही रहा, और वो भी बाहर!”
“अरे, फिर से? बोला न, मत छेड़ो उसको! अपने घर आया है, छुट्टियाँ हैं, नए दोस्त और नया माहौल है! इतना तो बनता ही नहीं!” माँ ने मुस्कुराते हुए, बड़े प्यार से कहा, “चल सुनील बेटा, मैं तुमको नहला देती हूँ?”
“आप? नहीं नहीं, मैं अपने आप से नहा लूँगा!” सुनील ने हिचकते और शर्माते हुए कहा।
“क्या बात है नवाब साहब,” काजल ने उसको चिढ़ाते हुए कहा, “परसों तक तो आप बिना मेरे नहलाए, नहा ही नहीं पाते थे, और आज आप खुद से नहा लेंगे? क्या बात है! दारूण!”
“काजल!” माँ ने काजल को सुनील को न छेड़ने की चेतावनी दी, और कहा, “अरे कोई बात नहीं। मेरे सामने शरमा रहा है, और कुछ नहीं!” माँ ने स्नेह से कहा, “सुनील, मैं भी तुम्हारी अम्मा जैसी ही हूँ! सुनील बेटा, तुम्हारी अम्मा थकी हुई है न! खूब काम करा है उसने! मैं नहला देती हूँ न?”
यह कह कर माँ ने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सुनील को निश्चित रूप से सबके सामने नग्न होने में शर्म तो आ रही थी, लेकिन, सबसे अधिक शर्म उसको आ रही थी माँ के सामने नग्न होने में! माँ भी इस बात को समझ रही थीं, इसलिए उन्होंने उसकी कुछ इज़्ज़त रखते हुए फिलहाल उसकी चड्ढी उसके शरीर पर ही छोड़ दी, और उसको नहलाने का इंतज़ाम करने लगीं। लेकिन जब वो उसको नहलाने को हुईं, तो माँ ने उसकी चड्ढी भी नीचे सरका दी। सुनील शर्म के मारे अपने छुन्नू को माँ से छुपाने लगा। गैबी और काजल उसकी इस हरकत पर मुस्कुराए बिना न रह सके!
“अरे,” माँ भी सुनील की हरकत पर हँसने लगीं, “इसमें शर्माने वाली क्या बात है? हाथ हटाओ न!”
सुनील ने कुछ देर तो न-नुकुर किया, लेकिन जब उसने अपना हाथ हटाया, तो उसका अपरिपक्व लिंग, अपने पूर्ण स्तम्भन पर खड़ा हुआ था।
“क्या रे,” काजल ने उसको चिढ़ाते हुए कहा, “तोमार नुनु दारिये आछे केनो?”
“गाँव की किसी सुन्दर सी लड़की की याद आ रही होगी!” गैबी ने भी सुनील को छेड़ा, “क्यों सुनील?”
“तुम दोनों मेरे लड़के को मत छेड़ो!” माँ ने सुनील के शरीर पर गुनगुना पानी डालते हुए कहा, “सुनील बेटा, खूब सुन्दर सा छुन्नू है तुम्हारा! और ये (उसके अण्डकोष को अपनी हथेली में लेते हुए) भी खूब हेल्दी हैं! खूब अच्छा खाया पिया करो - खराब खाना मत खाना कभी भी; एक्सरसाइज किया करो; कभी कोई बुरी आदतें मत पालना; और इनका (उसके अण्डकोष को सहलाते हुए) खूब ख्याल रखना - कोई चोट मत लगने देना। ठीक है?”
सुनील ने ‘हाँ’ में सर हिलाया। माँ ने उसके साथ ही ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहना जारी रखा,
“हाँ, एक सुन्दर सी बहू लाएँगे फिर तुम्हारे लिए!”
सुनील ने बड़े शर्माते हुए माँ को देखा और मुस्कुराया।
“हैं,” काजल ने माँ की बात पर हामी भरते हुए कहा, “किना तोमार नुनु शोक्तो ओ शुन्दर होले, तुमि एकटा शुन्दर बोऊ धोरा!”
सुनील ने शर्माते हुए फिर से माँ को देखा।
“हैं, ठीक तार मातो!” काजल ने हँसते हुए कहा।
काजल की बात पर सुनील और ज़ोर से शर्मा गया।
“क्या गिटिर पिटिर हो रही है बंगाली में, माँ बेटे के बीच?” माँ ने उनकी बातें न समझते हुए कहा।
“हा हा हा! कुछ नहीं माँ जी! मैं तो बस ये कह रही थी कि इसके लिए खूब सुन्दर सी बहू लाएँगे हम!”
“हाँ, वो तो है,” माँ ने उसको रगड़ते हुए कहा, “अमर के बाद तो तुम्हारा ही नंबर है! हा हा!”
फिर माँ ने सुनील को अच्छे से नहलाया। पानी गरम नहीं, लेकिन गुनगुना अवश्य था। वैसे भी अब वातावरण में थोड़ी गर्मी हो गई थी, इसलिए पानी शरीर को वैसा खराब नहीं लग रहा था, जैसा दो घंटे पहले लगता। खैर, स्नान के बाद सुनील को साफ़ कपड़े पहना दिए गए। और वो वहाँ से अपना बाकी की मौज मस्ती करने के लिए निकल गया।
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