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Niceपहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #2
हमारी शादी को अब ढाई महीने हो गए! हमारा जीवन मस्त चल रहा था! ऐसा लग रहा था कि हम किसी सुन्दर से सपने को जी रहे हों! कि अचानक एक दिन गैबी बीमार होने लगी। पिछले दो दिनों से गैबी बाथरूम में जा कर उल्टियाँ करती। उसने शुरू शुरू में सोचा कि हो सकता है कि फ्लू हुआ हो, या पेट में कोई तकलीफ हो। मुझे लग रहा था कि शायद उसका लीवर किसी कारणवश खराब हो गया हो। गैबी डाक्टरों को ले कर थोड़ी लापरवाह और थोड़ी डरपोक थी - इसलिए अपने आप से वहाँ नहीं जा रही थी। मैं उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जा पा रहा था क्योंकि मेरी ऑफिस में लंबी शिफ्ट हो रही थी। लेकिन मैंने उसको ढेरों कसमें वायदे दे कर डॉक्टर के पास जाने के लिए मजबूर अवश्य किया। वैसे भी वो अगर विश्वविद्यालय जा सकती थी, तो डॉक्टर के पास भी जा सकती थी। खैर, देर रात, मैं जब घर लौटा तो उसने दरवाजा खोला। गैबी अभी भी थोड़ी थकी हुई सी लग रही थी। मैंने उसे अपने गले से लगाया और पूछा,
“हाउ आर यू, माय लव?” मुझे उसके साथ डॉक्टर के पास न जा पाने का सोच कर बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन क्या कर सकता था, “आर यू फ़ीलिंग बेटर? डॉक्टर ने क्या कहा?”
उसने मेरी तरफ देखा और फिर सोफे पर बैठ कर रोने लगी। मैं उसके पास गया और उसके बगल में बैठ गया। दिल में किसी अनजानी आशंका ने घर कर लिया।
‘कहीं कोई सीरियस बात तो नहीं हो गई!’ मैंने सोचा।
“क्या हुआ हनी?” मैंने पूछा, अब वाकई डर लग रहा था मुझे।
गैबी ने मेरी ओर न देखते हुए अपने आँसू पोंछे।
“हनी... ओह गॉड... प्लीज मुझ से नाराज़ मत होना!” उसने मेरी ओर देखते हुए विनती की। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
“नाराज़... अरे क्या हो गया? क्या कह रही हो? डॉक्टर ने क्या कहा?” मुझे पहेलियाँ बूझना बहुत ख़राब लगता है, ख़ास तौर पर तब, जब सेहत का सवाल हो।
गैबी ने खुद को संयत करने की कोशिश की, फिर एक गहरी साँस ले कर बोली,
“हनी, डॉक्टर ने कहा... कि... वो... कि मैं... कि मैं... मैं... हनी, आई ऍम प्रेग्नेंट!”
“क्या!” मेरा मुँह खुले का खुला ही रह गया, “आर यू... सच में?”
उसने 'हाँ' में सर हिलाया, “अबाउट टू मन्थस नाउ!” वो फुसफुसाते हुए बोली और फिर नीचे, अपने पैरों की ओर देखते हुए बोली, “आई ऍम सॉरी हनी! मुझे प्रीकाशन लेना चाहिए था!”
‘गैबी प्रेग्नेंट है! वाह!’ मन ही मन बाप बनने की सम्भावना से मैं आह्लादित हो गया। वैवाहिक जीवन में माँ बाप बनना संभवतः सबसे बड़ा मुकाम होता है!
“तुम्हे प्रीकाशन लेना चाहिए था? तुम्हे? हा हा हा! मुझे लगता है कि, इसमें मेरा भी पार्टिसिपेशन बराबर का है!” मैंने गैबी को चूमते हुए कहा।
मेरे चुम्बन से गैबी का कुछ कहना और रोना दोनों बंद हो गया - हम कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसके पेट को सहलाने के लिए उसकी कमीज को थोड़ा ऊपर खींच लिया। जैसे ही उसने मुझे अपना पेट छूते हुए महसूस किया, उसने हमारा चुंबन तोड़ दिया। मेरी आँखों में देखते ही गैबी प्रसन्नता से कराह उठी। उसने मेरे चेहरे को बड़ी कोमलता से सहलाया।
“आई लव यू!” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
“तुम नाराज नहीं हो, हनी?”
“नाराज़? पागल हो गई हो तुम!” मैंने दुलारते हुए गैबी से कहा, “ऐसा है सेन्होरा, तुम तो अब मेरे साथ फंस गई हो! एक लंबे समय के लिए!” मैं मुस्कुराया, “तुम मुझे छोड़ के जाना भी चाहो, तो नहीं जा सकती!”
मेरा हाथ उसकी जींस पर चला गया और मैंने उसकी जींस को खोलना शुरू कर दिया। गैबी मुस्कुराई और अपनी जींस और पैंटी उतरवाने में मेरी मदद करने लगी।
“मैं तुमको छोड़ कर जाऊँगी हनी? मैं?” कमर के नीचे नंगी होने के बाद गैबी ने बड़ी अदा और बड़ी मोहब्बत से कहा, “मैं तो बस यही चाहती हूँ - तुम्हारे साथ रहना! बस!”
मैं मुस्कुराया और कहा, “हनी, डू यू वांट द बेबी?”
“ओह डार्लिंग! योर बेबी इस व्हाट आई वांट मोर दैन एनीथिंग!”
“बढ़िया है फिर! देन लेट अस बिकम पेरेंट्स!”
गैबी की बाँछे खिल गईं, “वैरी सून माय लव! वैरी सून!”
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एक सप्ताह बाद जब काजल सवेरे सवेरे घर आई, तो उसको भी मितली महसूस हो रही थी।
गैबी ने उससे उसके साथ डॉक्टर के पास चलने को कहा।
“दीदी, चलो मेरे साथ डॉक्टर के पास!”
“क्यों दीदी?”
“मुझे लगता है कि तुम भी प्रेग्नेंट हो!”
“भी?” काजल ने हँसते हुए कहा, “क्या दीदी, तुम प्रेग्नेंट हो?”
“हाँ ना!” गैबी शरमाते हुए बोली, “दो महीने!”
“क्या!” काजल यह बात सुन कर खूब खुश हो गई, “दीदी! ये तो बड़ी सुन्दर खबर है! बहुत बहुत बधाई हो!”
“हा हा हा! थैंक यू दीदी, थैंक यू!” गैबी हँसते हुए बोली, “लेकिन तुम चलो मेरे साथ!”
“अरे दीदी, मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूँ?”
“क्यों, तुम सेक्स नहीं कर रही हो क्या?”
“हा हा! नहीं नहीं, वो बात नहीं! सेक्स तो कर रही हूँ, लेकिन तुम दोनों को रोज़ रोज़ मन भर के दूध भी तो पिलाती हूँ!”
“उसका प्रेग्नेंसी से क्या लेना देना?”
“दूध पिलाने वाली औरतें प्रेग्नेंट नहीं होतीं!”
“ऐसी बेवकूफ़ी वाली बातें न करो, और चलो डॉक्टर के पास!”
डॉक्टर ने गैबी की शंका को तुरंत कन्फर्म कर दिया। काजल भी दो महीने से प्रेग्नेंट थी! बेशक, यह बात काजल ने मुझे नहीं बताई! लेकिन चूँकि यह बात गैबी को मालूम थी, तो उसने मुझे बता दिया। मैं इस खबर से बहुत खुश नहीं था : काजल के पहले से ही दो बच्चे थे, और उसको एक और बच्चे की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी! उसके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी, और ऊपर से उसका उसके हस्बैंड से झगड़ा भी चल रहा था, जो कब तलाक की शकल ले लेगा, कहना मुश्किल था। लेकिन, मैंने काजल के सामने उसकी प्रेग्नेंसी पर अपनी अप्रसन्नता नहीं दिखाई। आखिरकार, यह काजल का जीवन था, और बच्चा करने या न करने का उसका अपना निर्णय था! लेकिन सच में, मेरे घर में दो दो गर्भवती महिलाओं का होना बड़ा दिलचस्प था। मैंने काजल से कह दिया, कि वो काम का ज्यादा बोझ न ले, और केवल खाना पकाने पर ध्यान दे। उसको अपना ख्याल रखने की जरूरत थी। लेकिन काजल तो खैर काजल ही थी - उसने मुझसे कहा कि ‘दीदी’ को उसकी जरूरत है। चूँकि यह गैबी का पहला बच्चा था, इसलिए उसको एक अनुभवी देखभाल की आवश्यकता थी।
जब गैबी और मैंने माँ और डैड को गैबी की प्रेग्नेंसी के बारे में पता चला, तो वे बहुत खुश हुए! बहुत बहुत खुश! माँ की प्रतिक्रिया ऐसी थी जैसे उनकी अपनी संतान करने की वर्षों से दबी हुई इच्छा की पूर्ति हो गई हो! उन्होंने कहा कि वो अगले ही हफ़्ते हमसे मिलने आएँगे। यह तो और भी अच्छी बात थी! हमको दो दिनों के लिए ही सही, लेकिन सहारा तो हो ही जाता! फिर हमने उनको काजल की प्रेग्नेंसी के बारे में भी बताया। मुझे आश्चर्य हुआ कि माँ और डैड दोनों ही इस बात पर उतने ही प्रसन्न हुए जितने गैबी की प्रेग्नेंसी के बारे में सुन कर हुए! लेकिन इसमें मुझे आश्चर्य नहीं करना चाहिए थे। वो दोनों काजल से बहुत प्यार करते थे, और उसको अपनी बेटी की तरह मानते थे।
अगले सप्ताहांत जब वो हमसे मिलने आए, तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि उपहार स्वरुप वो काजल और गैबी दोनों के लिए एक जैसी ही सोने की ज़ंजीर लाए थे! मैं सचमुच आश्चर्यचकित था! मैंने भी उनसे ऐसा करने की कभी उम्मीद नहीं की थी। काजल भी माँ और डैड के प्यार से हैरान थी! वो बहुत देर तक माँ के आलिंगन लिपटी रोती रही। यह एक खुशी का दिन था; यह एक भावनात्मक दिन था; यह एक यादगार दिन था! माँ डैड बस तीन दिन ही हमारे साथ रहे, और फिर वापस चले गए। डैड को वापस ऑफिस ज्वाइन करना था, और माँ के बिना उनका गुज़ारा न होता! और सभी हम फिर से अपनी दिनचर्या में वापस रम गए। चार और महीने जैसे पलक झपकते निकल गए।
bahot dukhad update..!!पहला प्यार - पल दो पल का साथ - Update #3
एक शाम, जब मैं ऑफिस से वापस लौटा, तो मैंने पाया कि गैबी अभी तक विश्वविद्यालय से नहीं लौटी थी। ऐसा नहीं है कि वो कभी भी देर से नहीं आती थी - जब से उसने विश्वविद्यालय ज्वाइन किया था, तब से वो तीन चार बार देर से आई थी। लेकिन इतनी देर कभी नहीं लगी।
‘हो सकता है,’ मैंने सोचा, ‘कि किसी ज़रूरी काम से उसको रोकना पड़ा हो!’ इसलिए मैंने थोड़ा इंतज़ार करने का सोचा।
लेकिन जब वो मेरे घर आने के तीन घंटे बाद भी जब वापस नहीं लौटी तो मुझे चिंता होने लगी। बहुत चिंता! मेरी छठी इंद्रिय को लगने लगा कि हो न हो, गैबी के साथ कुछ न कुछ अनिष्ट हो गया है। मैंने उसके गाइड प्रोफेसर को उनके ऑफिस में कॉल लगाया; लेकिन वहाँ कोई नहीं था। इसलिए मैंने उनके घर पर फोन किया! तो उन्होंने मुझे बताया कि गैबी वो लगभग पांच घंटे पहले ही यूनिवर्सिटी से निकल गई थी, घर के लिए!
‘पांच घंटे पहले?’ कुछ तो गड़बड़ था! उसने पांच घंटे पहले ऑफिस छोड़ा था, और अभी तक घर नहीं आई थी! गैबी के लिए ऐसा कुछ करना बहुत ही अनियमित था, इसलिए मैं बहुत अधिक चिंतित हो गया।
मैं बिना देर किए, लापता व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पास के पुलिस स्टेशन गया। जैसा हमेशा होता है, पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी! उनका कहना था कि छः सात घंटे की देरी क्या देरी है? ज़रूर वो किसी दोस्त से मिलने गई होगी। लेकिन फिर मैंने उन्हें समझाया कि गैबी एक विदेशी है, और यहाँ के विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही है। इसलिए उसको इस शहर में अपने विश्वविद्यालय के कुछ लोगों को छोड़कर, और किसी का अता पता नहीं है, और न जान पहचान!
बड़ी आनाकानी और मेरी विनती करने के बाद आखिरकार पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार हुई। उन्होंने मुझसे गैबी के बारे में सारी जानकारी ली। भारतीय पुलिस का अंदाज़ और रवैया दोस्ताना नहीं होता। आपको पुलिस स्टेशन में बैठने को पूछ लें, वही बहुत बड़ी बात हो जाती है। इसलिए, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब पुलिस के कुछ लोग मुझसे बड़ी सहानुभूति से बात कर रहे थे। निश्चित रूप से कुछ तो गड़बड़ था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी यूनिवर्सिटी से घर कैसे आती जाती है, तो मैंने बताया कि वह आमतौर पर सिटी बस का इस्तेमाल करती है।
इतना सुन कर वो सभी कुछ देर के लिए चुप हो गए। जब मैंने ज़ोर दे कर पूछा कि आखिर बात क्या है, वो उन्होंने जो कहा, उससे मुझे लगा कि जैसे मेरे सर पर कोई बम गिर गया हो! उन्होंने बताया कि कुछ घंटों पहले एक बस की दुर्घटना हो गई थी, जिसमें दो महिलाओं सहित पाँच लोगों की मौत हो गई थी, कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
मरने वाली महिलाओं में एक विदेशी भी थी!
वो जितना मुझे बताते जाते, उतना ही मेरा दिल भारी होता जाता। वो मुझे कुछ पूछ रहे थे, और मैं उनको यंत्रवत सब बता रहा था। लेकिन मस्तिष्क में मानों एक झंझावात चल रहा था -
‘गैबी मुझे ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकती है…’ अभी तो हमने साथ में जीना शुरू भी नहीं किया, और अभी ही ये!
मुझसे जानकारी लेने के कोई एक घंटे बाद एक इंस्पेक्टर ने अंततः पुष्टि करी कि मेरी गैबी वास्तव में उन दो महिलाओं में से एक थी, जिनकी उस बस दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी!
मैं आपको कोई रक्तरंजित विवरण नहीं देना चाहता! लेकिन मेरी सुंदर सी गैबी का बेजान, विकृत, और कुचला हुआ शरीर देखना, मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला दृश्य था! मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी ही जिंदगी ने मेरा शरीर छोड़ दिया है... जैसे गैबी के साथ मेरी खुद की संजीवनी चली गई हो। मैं अपने घुटनों के बल गिर गया और रोने लगा। पुलिस और मुर्दाघर के लोग मुझे सांत्वना देते रहे, और पूछने लगे कि क्या कोई है जिससे वे संपर्क कर सकते हैं, या मुझे सहारा देने के लिए बुला सकते हैं। जब मैं जवाब नहीं दे सका, तो उन्होंने खुद मेरी जेब की तलाशी ली, और डैड का फ़ोन विवरण ले कर उनको कॉल किया। यह खबर सुन कर डैड और माँ का क्या हाल हुआ होगा, मुझे नहीं मालूम! एक झटके से मेरी जीवन की ज्योति जाती रही - गैबी और हमारा होने वाला बच्चा! होनी कितनी क्रूर हो सकती है और जीवन कितना क्षणभंगुर!
उसके बाद और क्या क्या हुआ, मुझे ठीक से याद नहीं।
Kahani ek akalpniy mode par aa Gai hai , aage dekhte hai ki kya hoga
Intjar rahega agle update ka
Nice update..!!
खुशियों से भरा, पर अंत मे बहुत ही मार्मिक घटना से अपडेट का अंत.....
ऐसे अंत की उम्मीद नहीं थी।
Nice
bahot dukhad update..!!
bhai gaby ke accident tak thik tha lekin usko marna thik nahi lag raha hai..unka agar bachha nahi rehta toh bhi thik tha lekin gaby ka mar jana yeh uske character ke sath nainsafi hai..gaby aur apne hero ki abhi abhi nayi suruwat huyi thi aur yeh sab huva..yeh bahot hi galat lag raha hai..please yaar usse marne mat do..!!![]()
बहुत दुखद अंत हुआ
कहानी बहुत बढ़िया चल रही है लेकिन आपको ऐसा पार्ट नही डालना था।![]()
Bhai aapki lekhni ko salam he, kahani me dukhad mod aa gaya he hum Pathak log gebi se भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हे और उनकी मौत को पढ़ना सच में में बहुत ज्यादा दुखदायक हे।