नया सफ़र - लकी इन लव - Update #4
उस डिनर डेट के बाद तो जैसे मुझको हमारे रिश्ते को ले कर एक हरी झण्डी मिल गई। जहाँ एक ओर मेरे मन में गैबी की यादें अभी भी ताज़ा थीं, वहीं दूसरी ओर मुझे लग रहा था कि डेवी ने भी मेरे मन में और दिल में अपना एक अलग ही, एक अद्वितीय सा स्थान बना लिया था। उसको अपनी पत्नी के रूप में सोचना अब मुझे अखरता नहीं था। बल्कि मुझे एक तरह की संतुष्टि ही मिलती थी इस विचार से! सच ही है - जीवन बहुत लम्बा है, और मैं इसी दिवाली के आस पास ही तेईस का हुआ था! इतनी जल्दी भाग्य के अत्याचार से हार मान लेना मूर्खता होती! देवयानी और मेरे बीच यदि कुछ बेमेल था, तो बस केवल हमारी अपनी बनाई हुई रीतियों के कारण था। अगर साथी प्रेम करने वाला हो, आकर्षक को, बुद्धिमान हो, तो उससे विवाह क्यों न किया जाए? हमारी बात चीत डिनर डेट के बात बहुत बढ़ गई - लेकिन मिलना नहीं हो पा रहा था। अगले ही हफ़्ते क्रिसमस का त्यौहार था। उसके बाद अक्सर ऑफिस में लोग हफ्ता या दस दिनों की छुट्टियाँ लेते थे। मैं भी छुट्टी लेता, लेकिन देवयानी के कारण रुक गया - अगर वो बहुत व्यस्त नहीं है, तो इस बार घर जाना कैंसिल! लेकिन डेवी थोड़ी व्यस्त अवश्य थी! लोग छुट्टियों पर जाएँ, उसके पहले ऑफिस हमेशा ही एक क्रिसमस पार्टी रखती थी। मतलब, मिलना अब जल्दी ही होना था!
ऑफिस की क्रिसमस पार्टी बड़ी अनोखी होती थी - चूँकि मेरी यह कंपनी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी थी, इसलिए वहाँ का ऑफिस कल्चर भी बाहर का था। बहुत ही अनौपचारिक तरीक़े से लोग पेश आते थे। किसी को सर/मैम नहीं कहा जाता था - सभी नाम से बुलाए जाते थे, चाहे वो किसी भी पद पर क्यों न हो! क्रिसमस पार्टी के दौरान किस्म किस्म के खेल होते - और उसके लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं होती थी। कोई भी, कुछ भी कर सकता था। इसको वहाँ ‘रोस्ट’ बोलते थे। रोस्ट में किसी को भी ‘रोस्ट’ किया जा सकता था - मतलब किसी की भी खिंचाई की जा सकती थी, या किसी के भी नाम पर हँसी मज़ाक किया जा सकता था। और इस सब का एक ही नियम था - कोई बुरा नहीं मानेगा! ऑफिस में इसको ठंडक वाली होली भी कहा जाता था - ‘बुरा न मानो - रोस्ट है’ वाले अंदाज़ में! आज कल यह सब कई स्थानों में होता है, लेकिन मैं कोई पच्चीस साल पहले की बात बता रहा हूँ। यह सब तब देश में नया नया था। खैर! तो चौबीस तारीख़ को रोस्ट का आयोजन हुआ। उस दिन कोई काम नहीं होता था - बस मौज मस्ती होती थी!
तो शुरू हुआ खेल - जॉय मास्टर्स - मतलब दो लोग जो महफ़िल में मज़ा करवाते थे - ने छोटे छोटे खेलों से दोपहर की मस्ती शुरू करी। कोई स्किट खेली गई, जिसमे सीईओ से ले कर चपरासी तक सभी की जम कर छीछालेदर की गई। पूरे हाल में हँसी के ठहाके उड़ रहे थे। फिर जिनकी सगाई या शादी हुई, या जिनके बच्चे हुए, या जिनके यहाँ कोई भी ख़ुशी का समाचार आया, उनकी खबर सबमें बाँटी गई। उसकी ख़ुशी में मिठाईयाँ भी बाँटी गईं। कुछ लोगों ने गाने गा कर अपने अपने गले साफ़ किए। फिर आया एक नया चैप्टर - वोटिंग का! भिन्न भिन्न उपाधियों के लिए लोगों ने वोट डाले थे। सबसे खड़ूस बॉस, सबसे खूबसूरत लड़की, सबसे मर्दाना लड़का, सबसे अमीर एम्प्लॉई, सबसे खर्चीला व्यक्ति, और फिर अंत में आया ‘सबसे बढ़िया जोड़ी’!
मैं बड़े मजे में केक खा रहा था कि जॉय मास्टर ने उद्घोषणा करी - “इस साल हमारे ऑफिस की सबसे बढ़िया और रोमांटिक जोड़ी है, देवयानी और अमर की!”
ये सुनना था कि मेरी टीम के लोग ‘भाई और भाभी की जय हो’, ‘जोड़ी सलामत रहे’, ‘दूधो नहाओ, पूतो फलो’ वाले नारे लगाने लगे! मुझे समझते देर नहीं लगी कि हो न हो, ये पूरी इन्हीं लोगों की शैतानी है! वो तो बाद में मालूम चला कि इसके लिए बाक़ायदा वोटिंग की गई थी, और ऑफिस के कम से कम 80% लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था - बस, जो उम्मीदवार लोग थे (मतलब जोड़ियाँ), उनको ही यह नहीं बताया गया। और हमको कम से कम आधे लोगों ने वोट दिया था। मतलब, लगभग पूरे ऑफिस को मालूम था कि देवयानी और मेरे बीच में कुछ तो है! सच में, कुछ भी छुपाया नहीं जा सकता!
मैं अपने माथे और आँखों को मनोज कुमार जी के स्टाइल में छुपाए हुए हँस रहा था, और देवयानी गुस्से से जॉय मास्टर को घूर रही थी। मुझे उम्मीद है, कि उसके घूरने में गुस्सा कम, और शर्म अधिक थी।
“कॉन्ग्रैचुलेशन्स डेवी एंड अमर! आई नाउ इनवाइट आवर फेवरेट जोड़ी ऑन स्टेज! लेट अस गिव देम अ बिग हैंड!”
“धत्त!” डेवी ने आँखें तरेरते हुए कहा।
“अरे यार! प्यार किया तो डरना कैसा?” जॉय मास्टर ने डेवी को छेड़ा, “डोंट बी अ स्पोइल स्पोर्ट! रिमेम्बर, दिस इस बुरा न मानो - रोस्ट है, इवेंट!”
मैं हँसते हुए डेवी के पास गया, और उसका हाथ थाम कर स्टेज पर चला गया। पूरे हाल में तालियाँ और सीटियाँ बज रही थीं, और ‘भाई और भाभी की जय हो’ के नारे लग रहे थे।
दूसरे जॉय मास्टर ने हम दोनों को ‘किसमी’ टॉफी बार गिफ्ट में दी - एक बार - हम दोनों को शेयर करने के लिए!
“ये आप दोनों के शेयर करने के लिए - किसमी टॉफ़ी बार!” उसने माइक पर उद्घोषणा करी।
पीछे से अनगिनत ‘मुआह’ ‘मुआह’ ‘पुच्च’ ‘पुच्च’ की आवाज़ें आने लगीं। देवयानी शर्म से पानी पानी हो गई। अपने प्रमोशन और ग्रोथ को ले कर उसकी जो भी शंकाएँ थीं, वो एक तरफ़ हो गईं और मुझको ले कर उसने जो भी ‘गोपनीयता’ बनाई हुई थी, वो सब बेकार हो गई। मैंने हँसते हुए वो टॉफ़ी डेवी को पकड़ा दी कि तुम्ही खाओ!
लेकिन ऐसे आसानी से कोई कैसे छूट सकता है? जॉय मास्टर ने तुरंत कहा, “वाह! भाई ने तो अपनी कमाई अभी से इनको देनी शुरू कर दी!”
हाल में फिर से ठहाके गूँज उठे।
“इसकी लाइफ बड़ी शांति से गुजरेगी!” डेवी के बॉस ने भी चुटकी ली।
“हाँ,” मेरे बॉस ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई, “हिज फ़ण्डामेंटल्स आर राइट!”
मैं स्टेज से उतरने लगा, तो जॉय मास्टर ने कहा, “अरे, आप कहाँ चल दिए? रुकिए तो सही पाँच मिनट! ज़रा हमको भी मालूम चले कि आप दोनों की जोड़ी कितनी पक्की है?”
अब तक मैं भी शर्मिंदा होने लगा था। लेकिन रोस्ट का मतलब ही है कि शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।
“अब क्या करना है?” मैंने झेंपते हुए कहा।
“अरे अभी तक तो बाकी लोगों ने किया। अब हम दोनों आप दोनों से कुछ क्वेशन्स पूछेंगे, और आप उसके आंसर्स देंगे! हम आपके आंसर्स आपके पार्टनर से वेरीफाई करेंगे! सही सही निकले, तो इसका मतलब आपकी जोड़ी पक्की है!”
“अरे यार! छोड़ दो!”
“ऐसे कैसे?” जॉय मास्टर ने कहा, और बोला, “तो पहला क्वेशन - अमर आप से - डेवी का फेवरेट कलर क्या है?”
मुझे नहीं मालूम था, लेकिन अब खेल में हिस्सा तो लेना ही था, “पिंकिश रेड,” मैंने तपाक से कहा, “इट इस द कलर ऑफ़ जॉय, एंड डेवी इस सो जॉयफुल!”
जॉय मास्टर मुस्कुराई, “डेवी, इस इट करेक्ट?”
“यस!” देवयानी ने मुस्कुराते हुए कहा।
मुझे आश्चर्य हुआ - तुक्का सही लगा!
“क्या बात है अमर!” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “तो नेक्स्ट क्वेशन, डेवी आपके लिए - व्हाट इस अमर्स फेवरेट कलर?”
“ही लव्स ऑल द कलर्स!”
मैंने सर हिला कर हामी भरी, ‘क्या बात है! डेवी को तो मालूम है यह बात!’
“अमेजिंग!” जॉय मास्टर बोली, “तो नेक्स्ट क्वेशन, अमर, डेवी का मोस्ट प्रेफर्ड फ़ूड क्या है?”
“छोले भठूरे!”
“और ड्रिंक?”
“कॉफ़ी!”
“डेवी,” उसने पूछा, “इस ही करेक्ट?”
देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया, मुस्कुराते हुए। शायद अब उसको भी इस खेल में मज़ा आ रहा था।
“वाओ! डेवी, अमर का फेवरेट फ़ूड एंड ड्रिंक क्या है?”
“फ़ूड, दही एंड ड्रिंक, दूध!”
कमाल है! मैंने तो कभी उसको अपनी पसंद ऐसे खुले आम नहीं बताई, फिर भी देवयानी को यह कैसे मालूम है?
“अमर, आपके अंदाज़े से डेवी का क्या वेट है?”
“फिफ्टी टू केजी!”
ये वाला तो बिलकुल सही होगा।
“नॉट टू बैड - शी इस फ़िफ्टी वन!”
“एंड, व्हाट डू यू थिंक अबाउट अमर, डेवी?”
“धत्त, ये सब मुझे नहीं मालूम!”
“अरे यार, बस अंदाज़े से बताओ न!”
“एट्टी थ्री ऑर एट्टी फोर!” देवयानी ने अनिच्छा से कहा!
“नाइस! स्पॉट ऑन!”
ऐसे ही तीन चार और प्रश्न पूछे गए, जिसके उत्तर मैंने और देवयानी से सही सही दिए!
इसलिए दूसरे जॉय मास्टर ने इस खेल को बीच में ही रोकते हुए कहा, “अमेजिंग! दे डेसर्व टू बी आवर बेस्ट कपल! गाइस, गिव देम अ वैरी बिग हैंड वन्स अगेन!”
मैंने हाथ जोड़ कर सभी का अभिवादन किया, और शर्म से लाल हुए चेहरे के साथ स्टेज से नीचे उतर आया।
हमारे बाद किसी और के रोस्ट होने की बारी थी!
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“अमर, हाय!” देवयानी की एक सहकर्मी मेरे पास आ कर बोली।
“हाय सीमा!”
“यू नो व्हाट? शी रियली लव्स यू!”
“आई नो!”
“नो यू डोंट!” सीमा ने कहा, “आई मीन नॉट फुल्ली! यू सी, परहैप्स, एक्सेप्ट फॉर थे आंसर फॉर हर वेट, यू वर रॉंग इन आल आंसर्स!”
“रियली?”
“हाँ! डेवी को ब्लू और ब्लू के शेड्स पसंद आते हैं! उसका फेवरेट फ़ूड है चिकन, और ड्रिंक है मिल्क! शी इस क्रेजी अबाउट उदित नारायण एंड नॉट कुमार सानू! शी डस नॉट लाइक अन्य एक्टर्स फ्रॉम बॉलीवुड, बट शी लाइक्स मिलिंद सोमन!”
“मतलब मेरा हर आंसर रॉंग था?”
“हाँ - लेकिन तुम अभी भी नहीं समझे!”
“मतलब?”
“अरे बुद्धू, शी लव्स यू सो मच दैट शी कैन नॉट लेट अदर्स नो दैट यू डोंट नो अबाउट हर लाइक्स!”
“ओह!”
“हाँ! ओह!” सीमा मुस्कुराई, “लेकिन तुम इसकी चिंता मत करो! लुक्स लाइक यू बोथ आर ऑन द राइट पाथ इन योर रिलेशनशिप! आल द बेस्ट!”
सीमा ने कहा और वहाँ से निकल ली।
उसके जाने के दो ही सेकंड बाद देवयानी मेरे पास आई,
“क्या कह रही थी सीमा?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।
“कुछ नहीं,” मैंने बात छुपा ली, “मुझको बधाई दे रही थी!”
“किस बात की?”
“दुनिया की सबसे अच्छी लड़की का प्यार पाने की बधाई!” मैंने मुस्कुराते हुए, और बड़े प्यार से देवयानी को देखा!
उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गई।
“बहुत परेशान किया इन लोगों ने!”
“हा हा हा! इट वास् अ गुड फन! आई होप तुमको ये बात बाहर निकलने से कोई दिक्कत न हो!”
“अरे नहीं! एवरीवन इस टेकिंग इट पोसिटीवली!”
“सच में?”
“हाँ! इट इस अ बिट अर्ली, बट आई ऍम अ स्ट्रांग कन्टेंडर फॉर द एजीऍम रोल!”
“ओह वाओ डेवी! ये तो बहुत अच्छी खबर है! आई ऍम सो हैप्पी!”
“यू मस्ट!” देवयानी ने सच में एक गर्लफ्रेंड वाली अदा से कहा। उसके बोलने में एक अधिकार वाला भाव था। मुझे सुन कर अच्छा लगा।
“चलो,” उसने कहा, “यहाँ से भाग चलते हैं! इसके पहले कोई हमारी और खिंचाई करे, यहाँ से जाना ही ठीक है!”
“ओके! कहाँ चलना है?”
“घर?”
“तुम्हारे?”
“तुम्हारे!”
“ओह!”
“क्यों, कोई प्रॉब्लम है?”
“नहीं! कोई प्रॉब्लम नहीं! बस, ठीक से कोई इंतजाम नहीं है!”
“कॉफ़ी तो पिलाओगे न?” वो मुस्कुराई!
“हा हा! कॉफ़ी ही नहीं, दूध भी पिलाऊँगा!” मैंने संजीदगी से कहा, “कम!”
आज देवयानी अपनी कार नहीं लाई थी, इसलिए मैं उसको अपनी कार में ले कर अपने घर की ओर चल दिया। न जाने क्यों गैबी को हवाई अड्डे से वापस लाते समय के दृश्य मेरे मानस पटल पर कौंध गए! मैंने कार का स्टीरियो सिस्टम चला दिया। एक पुरानी फिल्म की कैसेट से गाना बज रहा था,
‘साँसों की ज़रूरत है जैसे...
साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िन्दगी के लिए...
बस एक सनम चाहिए...
आशिक़ी के लिए’
देवयानी फिर से बड़ी अदा से मुस्कुराई। लेकिन कुछ बोली नहीं।
ऑफिस से घर का रास्ता कार से पंद्रह मिनट का था। लिहाज़ा हम घर शीघ्र ही पहुँच गए।
घर पर आ कर गैबी सोफे पर बैठते हुए बोली,
“अमर एक बात तो बताओ - तुमको कैसी लड़की चाहिए अपने लिए?”
“तुम!”
“अरे यार - सेफ आंसर मत दो! इट इस ओके! आई ऍम अ बिग गर्ल! मुझे मालूम है कि मैं तुम्हारे लिए आइडियल मैच नहीं हूँ! लेकिन कम से कम मालूम तो हो, कि तुमको कैसी लड़की चाहिए?”
“डेवी, ये तुमने क्या कह दिया? प्लीज़ अंडरस्टैंड दिस - तुम मेरे लिए परफेक्ट से भी परफेक्ट हो! आई लव यू! आई रियली डू! तुम्हारे अंदर वो सारी खूबियाँ हैं, वो सारे गुण हैं, जो मुझे मेरी लाइफ पार्टनर में चाहिए - सब खूबियाँ जो मुझे चाहिए, और उसके अलावा और भी बहुत सी खूबियाँ!”
“गैबी कैसी थी?”
“बहुत अच्छी थी! जेंटल! लविंग! सीधी सादी!” मैं जैसे पूर्रणी यादों में एक बार फिर से खो गया, “क्यों पूछा डेवी?”
“गैबी के मुकाबले मैं कैसी हूँ?”
“यार, तुम्हारा और उसका या किसी और लड़की का कोई मुकाबला या बराबरी नहीं है!”
“नहीं, वैसे नहीं पूछा! आई जस्ट वांट टू नो कि जो क़्वालिटीस तुमको अपनी बीवी में चाहिए वो मुझमें हैं क्या?”
“डेवी - मैंने पहले ही कहा है कि तुम परफेक्ट से भी अधिक परफेक्ट हो मेरे लिए! ये क्वेशन तो मुझे पूछना चाहिए! मैं कैसा हूँ तुम्हारे लिए?”
“तुम अच्छे न होते, तो तुम्हारे पास आती?” देवयानी ने दो टूक कहा, “इतनी डेस्पेरेट नहीं हूँ!”
फिर एक गहरी साँस ले कर बोली, “तुम मुझे बहुत पहले से ही पसंद आते थे। थोड़ा अड़ियल लगते थे, लेकिन अच्छे लगते थे! अब तो और भी अच्छे लगते हो!”
मैं मुस्कुराया।
“मुझे गैबी से मिलवाओगे?” डेवी ने अचानक ही बड़ी कोमलता और बड़ी शिष्टता से कहा।
“डेवी तुम खुद को गैबी से कंपेयर मत करो! तुम्हारे गुण, तुम्हारी क्वालिटीस अलग हैं, तुम अलग हो। तुम यूनीक हो। तुमको पसंद करने का, तुमको चाहने का यह सब रीज़न है।”
“नहीं नहीं! मेरा मतलब है कि मैं गैबी को देखना चाहती हूँ। बिना उसको देखे, समझे, शायद मैं तुम्हारे जीवन में जगह न बना पाऊँ!”
“तुम्हारी जगह तो कब की बन चुकी है मेरे जीवन में! तुमको जब से अपनी माना है, तब से! उसके पहले से भी!”
“फिर भी!” देवयानी ने कहा, फिर आगे बोला, “अच्छा, मैं सेक्सी लगती हूँ?”
“बहुत! बहुत ही सेक्सी! यू आर वेरी ब्यूटीफुल! एंड हॉट!”
“ह्म्म्म!” डेवी अपनी बढ़ाई सुन कर प्रसन्न अवश्य हुई, “एंड?”
“यार - प्लीज ऐसे मत सोचो कि मैं ड्राई आदमी हूँ! तुम मुझे बहुत पसंद हो, और तुम बहुत सेक्सी लगती हो! यह बात तुमको मालूम है! मैंने कभी छुपाई ही नहीं!”
“आई नो! लेकिन तुम मुझे गैबी की तस्वीरें क्यों नहीं दिखाते?”
“ओह! वो? देयर आर अ फ्यू प्राइवेट पिक्स अस वेल!”
“ऐसी, जो मुझसे छुपाई जाएँ?”
बात तो सही थी। पत्नी के रूप में देवयानी को मेरे हर पहलू का ज्ञान होना चाहिए। उससे कुछ भी नहीं छुपा सकता! यह बात तो सही थी।
“नहीं! तुमसे मैं कुछ भी नहीं छुपा सकता! प्लीज गिव मी अ मिनट! आई विल शो यू हर एंड आवर पिक्स!”
गैबी और मेरा साथ बस गिन-चुन कर छः महीने का ही था। लेकिन मेरे पास हमारी शादी के पूर्व, शादी की, सुहागरात की, उसके बाद की, और फिर उसकी गर्भावस्था की तस्वीरें थीं। जाहिर सी बात है, गैबी की, और गैबी के साथ मेरी, कम से कम आधी तस्वीरें नग्नावस्था में थीं। करीब छः सौ तस्वीरों वाले पाँच एल्बम, जो आज भी मेरे पास सुरक्षित हैं, मैंने देवयानी को थमा दिए, और किचन में कॉफ़ी बनाने चला गया। मुझे लग रहा था कि डेवी को उन तस्वीरों के साथ अकेला छोड़ देना चाहिए! संभव है कि हमारी अंतरंग तस्वीरों को देख कर वो थोड़ा असहज महसूस करने लगे।
थोड़ा अजीब तो लगता ही है - डेवी और मैंने अभी तक एक दूसरे को चूमा भी नहीं था। लेकिन, वो उन तस्वीरों में मुझको और मेरी पूर्व पत्नी को पूर्ण नग्न देख सकती थी। एक तरह से ठीक भी लग रहा था - डेवी मुझसे उम्र में बड़ी थी। अगर वो मुझे नग्न देख भी लेती है, तो क्या नुकसान हो जाएगा?
अपने हिसाब से मैंने डेवी को पर्याप्त समय दिया था कि वो सारी नहीं, तो कम से कम तीन एल्बम तो देख ही ले। उसके बाद तो अधिकतर गैबी के गर्भावस्था और हमारी साथ में बाहर की तस्वीरें थीं। लेकिन जब मैं वापस कॉफ़ी ले कर डेवी के पास लौटा तो पाया कि वो पहले एल्बम के आखिरी सफ़ों पर थी - जिसमे गैबी की सुहागरात वाली तस्वीरें थीं!
मुझे देखते ही वो बोली, “गैबी बहुत सुन्दर थी... और बहुत सेक्सी भी!”
“हाँ! ये लो, कॉफ़ी!”
“मैं इतनी सेक्सी नहीं हूँ!”
“वो तुम मुझे डिसाइड करने दो!”
“तुम भी कुछ कम नहीं लगते!” वो दबी दबी मुस्कुराहट देती हुई बोली।
“आई नो!” मैं भी मुस्कुराया, “चलो, अभी कॉफ़ी पी लो!”
डेवी ने एल्बम बंद किया और कॉफ़ी पीने लगी।
“मिस्टर सिंह, आप मिस्टर शर्मा से क्या कहेंगे?” उसने अचानक ही पूछ लिया।
“अब ये मिस्टर शर्मा कौन हैं?”
“मेरे डैडी!”
“ओह! हाँ राइट राइट।”
“तो बोलो, उनसे क्या कहोगे?”
“किस मामले में?”
“अरे, जब मेरा हाथ माँगने आओगे, तब!”
“मतलब मेरे लिए होप है?!”
“बिना होप के ही ये सब मेहनत कर रहे हो?” वो हँसने लगी!
“हा हा हा! नहीं नहीं! उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।”
“अभी इतना मत उड़ो। तुम अभी भी छोटे भाई और बॉय फ्रेंड के बीच में कहीं हो।”
“यार डेवी, कम से कम भाई से ऊपर तो उठा! लेकिन यार, ये तो बड़ी स्लो प्रोग्रेस है।”
“स्लो कहाँ है? एक ही तो हफ़्ता हुआ है हमारी डिनर डेट से?”
“ह्म्म्म। लगता है एक और डेट करनी होगी!”
“आई एम लिसनिंग!” डेवी मुस्कुराते हुए बोली, “कोई आईडिया है डेट का?”
“फ़िल्म देखोगी मेरे साथ?”
“कौन सी?”
“कोई भी - जो तुमको पसंद हो।”
“ह्म्म्म। ठीक है! कब?”
“मैं तो हुकुम का गुलाम हूँ। जब कहोगी, जहाँ कहोगी, बंदा वहाँ हाज़िर हो जाएगा!”
“हम्म! मैं एक हफ़्ते की छुट्टी ले रही हूँ!”
“कल से?”
“हाँ!”
“मैं क्या करूँ?” मैंने डेवी से अपने लिए सुझाव माँगा।
“तुम भी ले लो!” उसने कहा, “तुम्हारी टीम में भी तीन लोग छुट्टी पर जा रहे हैं!”
“छुट्टी तो मैं तभी लूँगा अगर तुम मेरे साथ टाइम बिताओगी! नहीं तो क्या फायदा?”
“आई कैन मीट यू!” वो सोचते हुए बोली, “लेकिन घर पर भी टाइम बिताना है यार! डैडी हमेशा कहते हैं कि मैं एनफ टाइम नहीं बिताती! और दीदी और उनके बच्चे भी आ रहे हैं दो तीन दिनों के लिए!”
“ठीक है! देन आई विल वर्क! लेकिन तुमको जिस दिन मन करे, या जब फ्री हो, मुझे बता देना!”
“ओके सर!”
“अब कल का मूवी का प्लान बना लें?”