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Nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #7
ऐसा लगा कि जैसे पूरी नींद भर मुझे केवल सपने ही आते रहे - डीप स्लीप तो शायद हो ही नहीं पाई - बस आर-ई-ऍम (रैपिड आई मूवमेंट) स्लीप में ही रह गई नींद! कोई बात नहीं - उस बात का मुझे कोई मलाल नहीं था। नींद तो फिर भी आते रहेगी! लेकिन नींद में सपने बड़े अनोखे अनोखे थे - रंगीन भी! लेकिन याद नहीं कि सपनों में क्या क्या हुआ! खैर, जब मैं उठा तो मैंने खुद को बिस्तर में अकेला पाया। थकावट पूरी तरह से उतरी नहीं थी, और बेहद कम नींद के कारण सर भी थोड़ा घूम रहा था। मैं बिस्तर में उठ कर बैठ गया। देवयानी को अपने पास न पा कर थोड़ी निराशा तो अवश्य हुई। फिर से शादीशुदा होना बेहद अच्छा एहसास था, और मुझे कल से ही अपने विवाहित होने के हर पल का मज़ा भी आ रहा था। बाहर अभी भी अँधेरा था - मतलब अभी भी सुबह तो नहीं ही हुई थी। बाहर से रौशनी छन छन कर कमरे के अंदर आ रही थी। मैंने नज़रें घुमा कर देखा, तो देखा कि डेवी के कपड़े सभी ज़मीन पर ही पड़े हुए थे। प्यास लगी थी, और सूसू भी। इस कमरे से लगा हुआ कोई बाथरूम नहीं था, इसलिए कमरे से बाहर जाना ही पड़ता। मैं बिस्तर से उठा - और देखा कि उसकी ब्रा अभी भी वहीं पड़ी है, जहाँ मैंने रात में उसे फेंका था। यह दृश्य देखना भी बहुत मादक होता है - मैं ऐसा नहीं हूँ जो अपनी मेहबूबा के कपड़े देख कर मस्ती में आ जाए, लेकिन वो दृश्य अपने आप ही में अनूठा था। क्यों था - वो बता पाना मुश्किल है। कमरे के दरवाज़े की तरफ़ चलते हुए मैंने देखा कि मेरे वीर्य की कुछ बूँदें ज़मीन पर गिरी हुई हैं। संभव तो था - मुझे यकीन है कि मैंने उसे पूरा भर दिया होगा!
बाहर निकलने से पहले मैंने देखा कि किसी कारणवश, कमरे में मेरा कोई अन्य कपड़ा मौजूद नहीं था। हाँ - मेरा ओवरनाइट बैग शायद नीचे ही रह गया था। मैंने चारों तरफ़ देखा - मेरा कुर्ता भी गायब था। मुझे लगा कि कहीं डेवी ने तो नहीं पहन लिया? ज़रूर यही हुआ होगा - उसके तो सारे कपड़े यहीं पड़े हुए थे। और मुझे मालूम था कि ये उसका कमरा नहीं था - केवल कमारी सुहागरात के लिए इसकी व्यवस्था की गई थी। मैंने सोचा कि पायजामा ही पहन कर चलता हूँ, लेकिन मन नहीं किया। उतने से काम की तैयारी के लिया इतना अधिक काम करना - कोई ठीक नहीं लगा। इसलिए मैंने सिर्फ अपना अंडरवियर पहना और कमरे से बाहर चला आया। मैंने दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा - अभी तो सुबह के 5:30 बज रहे थे! केवल तीन घंटे की ही नींद हुई थी अभी तक! टॉइलट से निकल कर मैं पानी पीने के लिए नीचे रसोई की तरफ़ चल दिया। रसोई से आवाज़ तो आ रही थी - मैंने मन ही मन मनाया कि काश वहाँ डेवी ही हो। कोई और होगा, तो बहुत एम्बैरस्मेंट होगा!
मैं दबे पाँव चलते हुए रसोई के सामने पहुँचा - रास्ते में हर कमरे का दरवाज़ा बंद मिला, और अंदर से कोई आहट नहीं सुनाई दी। मतलब अच्छी बात थी! रसोई में झाँक कर देखा तो देखा कि डेवी ने वाकई मेरा ही कुर्ता पहना हुआ था। वो चूल्हे के सामने खड़े हो कर कुछ गर्मा रही थी, या कुछ पका रही थी। ज़रूर ही उसको भूख लगी होगी - उसको खाना पकाते हुए देख कर मुझे भी कुछ खाने का मन होने लगा। जैसे ही मैं रसोई के अंदर आया, उसको मेरी आहत मिली - वो घूमी, और मुझको देखते ही संसार की सबसे खूबसूरत मुस्कान में मुस्कुराने लगी।
“गुड मॉर्निंग, माय डिअर हस्बैंड!” उसने कहा, “मैं जल्दी उठ गई, और फिर नींद नहीं आई! सोचा कि आपको जगा न दूँ, इसलिए नीचे आ गई। ... और अब मुझे भूख भी लग गई। इसलिए, सोचा कि कुछ कल रात का ही गरम कर के खा लेती हूँ!”
हमने कल रात आवश्यकता से अधिक खाना आर्डर कर दिया था। होटल स्टाफ ने सब कुछ पैक कर के हमको दे दिया। स्वादिष्ट भोजन को ऐसे जाया नहीं किया जाना चाहिए न!
मैं मुस्कुराया।
डेवी के चेहरे पर प्यार, गर्व, उत्साह, थकान, और प्रसन्नता के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।
“आपको भी भूख लगी है?” उसने पूछा, “कुछ खिला दूँ?”
मैंने देखा कि जिस तरह से डेवी मेरी तरफ़ मुड़ी हुई थी, मैं उसके स्तनों के चढ़ाव उतार को देख सकता था।
‘क्या कमाल का फिगर है!’
मुझे पता था कि वो कुर्ते के नीचे नंगी थी - उसके अंडरगारमेंट्स तो वहीं, बेडरूम में ही पड़े थे।
‘तो क्या उसने अपनी पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी?’ मैंने सोचा।
लेकिन फिर कमरे से बाहर मुझे ज़मीन पर वीर्य की बूँदें नहीं दिखाई दीं।
‘क्या उसने अपनी योनि से मेरा वीर्य साफ कर दिया?’ ‘या फिर उसने दूसरी पैंटी पहन ली है?’
सवेरे सवेरे ऐसे ख़याल - लेकिन क्या करूँ? बदमाश दिमाग! और ऐसी सुन्दर बीवी! और क्या सोचूँ? कल रात हमने चार बार सेक्स किया था। मतलब उसकी योनि मेरे वीर्य से पूरी तरह से भरी हुई थी। जाहिर सी बात है, उसको कम से कम चड्ढी तो पहननी ही पड़ेगी न! नहीं तो सारा माल उसके पैरों पर रिसना शुरू हो जाएगा - अगर अभी तक नहीं हुआ है तो! यह ख्याल मेरे मन में आया ही था कि मैं फिर से उत्तेजित होने लगा!
‘हे भगवान्!’ मैं तो अब खुद ही आश्चर्यचकित होने लगा, ‘कल रात ऐसा क्या खा लिया मैंने?’
उधर डेवी मुझे कौतूहल से देखते हुए बोली, “क्या हुआ जान? क्या सोच रहे हैं आप?”
“कुछ नहीं! हाँ - कुछ खाने का मन तो है। और प्यास भी लगी है!”
“ओह, एक सेकंड!” कह कर डेवी पानी निकालने लगी।
जब उसने मुझे पानी का ग्लास थमाया, तो मैंने फुसफुसाते हुए कहा, “यार, नीचे कुछ पहना है?”
“हा हा हा! अच्छा, तो ये सोचा जा रहा था?” डेवी ने हँसते हुए कहा, “हाँ, यू डफ़र! कल रात तुमने मुझे पूरी तरह से भर दिया... इतना कि इट स्टार्टेड टू लीक! इसलिए मुझे वो नॉन-सेक्सी, कॉटन पैंटीज़ पहननी पड़ गई। देखो?”
उसने कहा और मेरे कुर्ते का हेम (निचला सिरा) उठाकर मुझे अपनी चड्ढी दिखाई। एक तो इस बात से कि डेवी मेरे खेल में पूरी तरह से हिस्सा लेती है, और दूसरा यह कि वो इतनी सेक्सी है - इन दोनों ही बातों से डेवी को ले कर मेरी उत्तेजना कभी कम नहीं हो सकती - यह बात मैं अब तक समझ गया था। मैंने देखा - उसकी पैंटीज़ से उसकी योनि का कैमल-टो साफ़ दिखाई दे रहा था। और उसको देख कर अनोखा आनंद मिल रहा था मुझे। उसकी योनि अभी भी रिस रही थी, और चड्ढी का सामने वाला निचला हिस्सा गीला हो रहा था। पानी पी कर मैंने उसे कुर्ता उतारने में मदद की।
“क्या मिस्टर सिंह, बीवी आपको नंगी चाहिए हमेशा?” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
“नंगी नहीं होगी, तो घुसाऊंगा कैसे?” मैंने बड़ी बेशर्मी से कहा।
सच में, अपनी बीवी के साथ इतने खुलेपन से और बेशर्मी से बातें करना - यह एक अलग ही तरह का आनंद है।
“घुसाना कोई ज़रूरी है?” देवयानी ने कहा। वो अभी भी मुस्कुरा रही थी।
“और नहीं तो क्या! ऐसी सेक्सी बीवी को बिना लगातार चोदे भी कोई रह सकता है क्या?”
मेरी बात पर डेवी नर्वस हो कर हँसने लगी। उसको भी मेरा इस तरह से ‘गन्दी बात’ करना अच्छा लग रहा था। क्षण भर में वो मेरे सामने केवल अपनी सूती पैंटी पहने खड़ी थी। थोड़ी थोड़ी ठंडक तो थी ही - लिहाज़ा, डेवी के चूचक, और उसके एरोला पर उपस्थित छोटे छोटे दाने (मोंटगोमरी ग्लैंड्स) और उसके स्तनों पर उपस्थित रौंगटे खड़े हो गए।
मैं मुस्कुराया, “मेरी जान! मुझे कल से ही बहुत अच्छा महसूस हो रहा है! आई थिंक, आई जस्ट लव बीइंग मैरिड टू यू! आई ऍम प्राउड टू बी योर हस्बैंड!”
डेवी बड़े गर्व से मुस्कराई!
अचानक ही वो संयत हो गई - जैसे कि उसको इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था कि वो नग्न थी, और घर कोई भी अन्य प्राणी किसी भी क्षण वहाँ आ सकता था। मैंने उसके पीछे जा कर उसको अपनी बाँहों में भर लिया, और अपना एक हाथ नीचे उसकी चड्ढी के ऊपर से, उसकी योनि पर चलाया। चड्ढी गीली तो थी ही - मैंने उसकी योनि के होंठों के बाच अपनी मध्यमा उँगली को दबाया तो एक हलकी सी, पचपिचाने की आवाज़ आई।
‘ओह भगवान्!’
उसकी योनि अभी भी मेरे जीवनदायक रस से भरी हुई थी। मुझे जान कर बहुत खुशी हुई। शायद उत्तेजना, या फिर दर्द के कारण डेवी के मुँह से एक हल्की सी कराह निकल गई।
“जानती हो,” मैंने कहा, “मुझे सपना आया था कि तुम मेरे सीमन से इतनी भर गई हो, कि तुम्हारी चूत से वो टपक टपक कर, तुम्हारी जाँघों पर फिसलते हुए रिस रहा था!”
“ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं तुम्हारी हूँ,” डेवी ने बड़ी मोहक अदा से कहा, “और तुम्हारा सपना सही था - मैं तुम्हारे सीमन से भरी हुई हूँ, और जब से मैं उठी हूँ, तब से वो मेरी जाँघों से हो कर रिस रहा है।”
उसने इतनी कामुकता से ये बात बोली कि एक बार फिर से मेरा लिंग उसको भोगने के लिए तैयार हो गया। मैं डेवी से बिलकुल सट कर खड़ा था, तो उसको अपने नितम्बों पर मेरे स्तम्भन की चुभन महसूस होने लगी। उसने एक कामुक ‘उम्म्म्म’ की आवाज़ निकाली। बाप रे! जो भी रही सही कसर थी, वो भी जाती रही।
डेवी ने कहा, “ओह गॉड! यू आर सो हॉर्नी! तुम फिर से रेडी हो गए... और वो भी इतनी जल्दी!”
बेशक, उसके लहज़े में शिकायत बिलकुल भी नहीं थी।
“आर यू रेडी?” मैंने पूछा।
“हा हा! एक न्यूली वेडेड ब्राइड जितनी तैयार हो सकती है, मैं भी उतनी ही तैयार हूँ! हा हा! लेकिन हनी, अगर आप मुझे आगे भी इसी तरह से रैविश करना चाहते हैं न, तो मेरे लिए कुछ एनर्जी टेबलेट्स ले आइए! बिना उसके तो मैं पस्त हो जाऊँगी! हा हा!” उसने एक दबी हुई हँसी हँसते हुए कहा।
मुझे मालूम था कि वो किचन में खाने आई थी, लेकिन मेरे कारण कुछ और ही करने लगी। थोड़ा बुरा लगा, लेकिन क्या करता? प्रकृति के सामने मैं विवश था! मैं, उसके पैरों के बीच खुद को समायोजित (एडजस्ट) करने के लिए आगे बढ़ा, और उधर डेवी मुझे ग्रहण करने के लिए एडजस्ट करने लगी। सुबह की ठंडक तो थी ही, और चूंकि हम दोनों ही नग्न थे, और हमारे शरीरों पर पसीने की एक पतली सी परत चढ़ी हुई थी, इसलिए हमको थोड़ी ठंडक महसूस हो रही थी। मैंने डेवी के परिपक्व, युवा और कामुक शरीर को देखा।
‘ये सुंदर सी पंजाबी कुड़ी, अब मेरी पत्नी है!’ मैंने सोचा। बहुत की ऊर्जा देने वाला ख़याल था ये - दो बीवियाँ और दोनों ही एक से बढ़ कर एक रूपसियाँ! कैसी किस्मत!
उधर थकी हुई होने के बावजूद, डेवी भी इस बात से चकित थी, कि वो एक बार फिर से यौन आनंद लेने की संभावना से इतनी उत्तेजित हो गई थी। उसने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा संभव भी है। हमारी सुहागरात शुरू हुए छः घंटे से बस कुछ ही ऊपर हुआ था, और उतने में चार बार सम्भोग हो चुका था। हम दोनों का ही शरीर मथ गया था - और अब फिर से - पांचवीं बार वो सम्भावना बन रही थी! बाप रे! डिस्कवरी चैनल की एक डाक्यूमेंट्री में उसने सुना था कि बाघ और बाघिन, अपनी कोर्टशिप के दौरान, एक हफ़्ते में औसतन सौ या सवा सौ बार सम्भोग करते हैं! मतलब कोई बीस बार हर रोज़! सुना है कि बाघिन को बड़ी तकलीफ़ होती है सम्भोग के दौरान क्योंकि बाघ के लिंग पर काँटे होते हैं। उसको भी तकलीफ़ हो रही थी - काँटों के कारण नहीं, बल्कि हर सम्भोग के दौरान अपनी योनि में होने वाले अभूतपूर्व खिंचाव के कारण!
जैसे ही मेरे हाथ और होंठ उसके शरीर के हर कोने को सहलाने और चूमने लगे, देवी अपने ओर्गास्म के वक्र पर चढ़ने लगी। पिछले सम्भोगों ने उसके शरीर को किसी वाद्ययन्त्र की तरह छेड़ दिया था, और उसके शरीर में अभी भी उन सम्भोगों का कम्पन उपस्थित था। उसको उत्तेजित होने के लिए किसी फोरप्ले की आवश्यकता नहीं थी - फोरप्ले से उसको सम्भोग के जैसा ही आनंद मिल जाता। लिहाज़ा अब उसको वैसा ही अनुभव हो रहा था। उसको चूमते चूमते, मैं उसकी योनि को चूमने लगा; उसने मुझे और अधिक पहुँच देने के लिए अपने कूल्हों को थोड़ा आगे की तरफ़ उठा दिया, और मेरे मुँह का स्वागत करने के लिए अपनी योनि को ऊपर उठाते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
उसकी योनि का स्वाद थोड़ा अजीब हो गया था। पाठकों को मालूम होगा कि स्वाद का असली दारोमदार दरअसल महक पर होता है। उसकी योनि में उपस्थित वीर्य की महक बासी हो चली थी। मन तो नहीं किया - लेकिन जिस काम का बीड़ा उठाया है, वो काम पूरा तो करना ही चाहिए न! तो मैंने उसकी योनि के होंठों और उसकी भगशेफ को छेड़ना शुरू कर दिया। जब मैंने उसकी योनि के होंठों को अपने अंगूठों से फैला कर अलग किया, तो देवयानी की आह निकल गई। और उसको अपने मुँह में भरने से उसकी चीख भी!
थोड़ी देर के मुख-मैथुन के बाद,
“हनी, ये बहुत बढ़िया लग रहा है!”
डेवी उत्तेजना के कारण तनाव में थी, लेकिन फिर भी वो अपना अनुभव मुझे बता रही थी।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे पता है।”
जहाँ मेरा मुँह उसकी योनि में व्यस्त था, वहीं मेरे हाथ उसके स्तनों पर जम गए थे। मैंने अपनी तर्जनी और अंगूठे के बीच उसके एक एक चूचकों को पकड़ कर दबाया, घुमाया और खींचा। उत्तेजनावश उसके हाथ भी मेरे हाथों के ऊपर ही आ जमे। डेवी अब एक ऐसे बिंदु पर थी, जहाँ उसको ओर्गास्म होना अपरिहार्य था। सच में - चार सम्भोग होने के बावजूद, मैं डेवी को शारीरिक संवेदनाओं में एक नई तीव्रता का अनुभव दे पा रहा था! कुछ ही देर में उसका शरीर थरथर कर के काँपने लगा, और वो आज रात के अपने अनगिनत चरमोत्कर्षों में से एक और का आनंद उठाने लगी। मैं भी तो तैयार ही बैठा हुआ था। लेकिन मैंने पहले उसको शांत हो जाने दिया। जब वो अपनी उत्तेजना के चरम शिखर से नीचे उतरने लगी, तो उसको मेरा भी ख़याल आया। मेरी हालत को भांपते हुए उसे अपने शरीर में होने वाले कामुक तनाव पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल लगा। अब फिर से मिलने की घड़ी आ पहुंची थी।
Nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #8
“हनी,” वो फुसफुसाई, “कम इनसाइड नाऊ प्लीज़!”
हाँ। मैंने लगभग तुरंत ही उसकी योनि और भगशेफ को चूसना बंद किया और खड़े हो कर, उसकी पैंटी के निचले हिस्से एक साइड में खिसकाते हुए उसकी योनि को नग्न कर दिया। और उसके कुछ कहने से पहले मैं उसकी प्रतीक्षारत योनि के भीतर एक ही झटके में पहुँच गया।
आरंभिक घुटी हुई कराहों के बाद वो बोली, “हनी, पैंटी को उतार दो?”
“नहीं,” मैंने हाँफते हुए कहा, “न तो उतना समय है, और न ही उसकी ज़रुरत!”
ऐसी हालत में भी डेवी हंसने लगी।
किचन काउंटर-टॉप के सिरे पर, उसके कूल्हों को हल्का सा टिका कर, मैंने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। मुझे लगता है कि सम्भोग से उठने वाले शारीरिक कम्पन और स्पंदन और देवयानी के चरमोत्कर्ष के आनंद के अनुभवों में अंतर लगभग मिट सा गया था। दोनों ही स्थितियों में उसकी प्रतिक्रिया अब एक सी ही हो गई थी - क्या पता, उसको एक बार फिर से ओर्गास्म का आनंद आ रहा हो, या फिर थोड़ी देर पहले वाला ओर्गास्म अभी भी चल रहा हो! कुछ भी हो, लेकिन कुछ ही देर में डेवी के शरीर में वही जानी पहचानी जुम्बिश (कम्पन) शुरू हो गई, जो बहुत जल्दी ही बहुत तीव्र भी हो गई! बहुत संभव है कि उसको एक प्रोलोंगड (दीर्घकालीन) ओर्गास्म का आनंद मिल रहा हो। मैंने उसके एक चूचक को मुँह में ले कर जीभ से चुभलाया। उसकी तो आहें निकल गईं। हो ही नहीं सकता कि घर में किसी ने न सुना हो!
उसके हाथों ने मेरे कूल्हों को मजबूती से पकड़ रखा था, और हर धक्के के साथ जोर से मुझे अपनी ओर खींच रहा था।
“आई... आई ऍम कमिंग!” उसने हाँफते हुए कहा।
‘हाँ, ये हुई न बात!’
“एन्जॉय इट, मेरी जान! बिना किसी शर्म के!” मैंने कहा।
देवयानी का ओर्गास्म देर तक चला - और उस पूरे समय तक मैंने धक्के लगाना कम नहीं किया। उसकी आहें, रोने जैसी होने लगीं। सच में, उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे।
रो रही थी, या हँस रही थी? समझ पाना मुश्किल हो गया था।
उधर, उसको इस तरह से अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचता देख कर मेरा लिंग और भी अधिक कठोर हो गया। कामतिरेक में उसके पैरों ने मेरे कूल्हों के गिर्द खुद को लपेट लिया था, जिससे मुझे भी उसके और अंदर जाने में सहूलियत हो रही थी, और डेवी को और भी आनंद आ रहा था। हाँ, लेकिन इस क्रिया ने मेरे धक्कों की तीव्रता कम कर दी। लेकिन अब वो चिरंतन चली आ रही प्रक्रिया मैं चाह कर भी नहीं रोक पाता - बिना स्खलित हुए। तो मैंने धक्के लगाने जारी रखे। न जाने उसकी योनि की किस गहराई तक मेरा लिंग चला जा रहा था - डेवी हर बार मेरे धक्कों पर चिहुंक जाती।
इस डर से कि घर का कोई प्राणी जाग कर रसोई में न आ जाए, मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख कर गहरा चुंबन दिया। और लगभग उसी समय, मेरे लिंग ने भी जो भी नव-निर्मित वीर्य था, वो सब उसकी कोख में छोड़ दिया। उसकी चूत ने मेरे लिंग को तब तक दूध पिलाया जब तक कि वह स्थिर और लंगड़ा नहीं हो गया। यूँ खड़े हो कर सम्भोग करना और भी अधिक थका देने वाला काम था। लिहाज़ा हम दोनों वहीं किचन काउंटर-टॉप की ठंडी ठंडी स्लैब पर ढेर हो गए। बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता - तपती हुई देह पर ठंडा पत्थर! वो भी फरवरी के महीने में! बस कुछ ही साँसे भरने के बाद मैं वहाँ से हट गया, और देवयानी को भी अपनी गोदी में उठा कर डाइनिंग रूम की कुर्सी पर बैठा दिया।
वो मुस्कुराई, “मेरे शेर!”
“हम्म?” मुझे समझ नहीं आया, लेकिन अपने लिए ये शब्द मुझे बहुत अच्छा लगा।
“तुम मेरे शेर हो! माय टाइगर!”
मैं मुस्कुराया।
“इससे पेट भर गया हो, तो कुछ खिला दूँ?” उसने पूछा।
“इससे पेट कभी नहीं भरेगा! लेकिन हाँ, अब कुछ खा लेते हैं!”
तो देवयानी उठी, और एक प्लेट में हम दोनों के लिए खाना ले कर आई और मुझे भी खिलाने लगी, और खुद भी खाने लगी। हम बातें करते हुए खाने लगे - देवयानी ने मुझे अपने जीवन की और भी बातें बताईं। जब पेट की क्षुधा कुछ शांत हुई तो वो बोली,
“जानू, सो जाएँ? मैं तो थक गई!”
“हाँ! चलो!” कह कर मैंने उसको अपनी गोदी में उठा लिया।
“आऊ! हा हा हा! क्या बात है मिस्टर सिंह? बड़े रोमांटिक मूड में हैं आज आप तो?”
“जानेमन, जब तुम पास होती हो, तो बिना रोमांटिक हुए कैसे रहा जाए!”
“हा हा हा हा! तुम और तुम्हारी बातें!”
मैं देवयानी को अपनी गोदी में उठाए हुए ही सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। न जाने क्यों उसको मेरी इस हरकत पर आश्चर्य हुआ। जब मैं उसको उठा कर सीढ़ियाँ चढ़ रहा था, तो वो मुझे ऐसी नज़रों से देख रही थी कि जैसे उसको यकीन ही न हुआ हो कि मैं ऐसा भी कुछ कर सकता हूँ। उसकी नज़र में उसको अपनी गोदी में उठा कर दो फ्लाइट ऑफ़ स्टेयर्स चढ़ना, बेहद इरोटिक काम था। जब मैं उसको ‘हमारे’ कमरे में ले आया, तो वो बोली,
“हनी, आई ऍम सो वेट! आई कैंट बिलीव!”
“क्या हो गया?” मैंने हँसते हुए कहा।
“तुम मुझे अपनी गोदी में उठा कर यहाँ तक ले आए - सच में! मेरी चूत पानी पानी हो गई है!” वो ये सब कह तो रही थी बड़ी कामुक अदा से, लेकिन उसकी आँखों से आँसू छलक गए, “कहाँ से सीखा अपनी औरत को इतना अच्छा फ़ील करवाना?”
“ये तो राज़ की बात है मेरी जान! ऐसे थोड़े न बताना चाहिए!” मैं मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन... मेरा लण्ड अभी नहीं तैयार है!”
“इट्स ओके! आप जब चाहो, तब करो!” उसकी आँखों और चेहरे पर भक्ति वाला भाव था, “यू आर माय गॉड! आई लव यू! आई लव यू सो मच!”
“एंड आई लव यू टू! फॉरएवर!”
डेवी के मन में मुझको ले कर अनेकानेक सुखद भाव थे - सबसे बड़ा भाव था मेरे बच्चों की माँ बनने का! उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन बस अपने गर्भ में पनपने वाले जीवन-चक्र की प्रत्याशा में रहस्यमय अंदाज़ में मुस्कुरा दी! हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और उसने मेरे चेहरे को अपने सीने से लगा कर कहा,
“सो जा मेरा बच्चा!”
मुझे सच में देवयानी के प्यार करने का अंदाज़ बहुत पसंद आने लगा था - कभी तो वो मेरे पैर छू कर आदर सम्मान देती, तो कभी मुझसे अपने दोस्त की तरह बर्ताव करती, या फिर एक कामुक प्रेमिका के जैसे मेरी यौन क्षुधा को हर संभव तरीके से शांत करती! और अब, वो एक माँ के जैसे मुझे शांत करने का प्रयास कर रही थी। क्या एक आदर्श पत्नी ऐसी ही होती है? क्या उसके इतने रूप होते हैं? अगर हाँ, तो मैं देवयानी को पा कर धन्य हो गया सच में! कौन सा गुण नहीं था उसमें! रूप और सौंदर्य में भी अव्वल! शरीर भी मादक! और बेहद उत्तेजक लड़की!
मैं उसकी बात पर मुस्कुराने लगा।
“आई लव यू इन आल पॉसिबल वेज़!” उसने कहा।
मुझे एक तरह से अपनी ही बात का उत्तर मिल गया - मैं उसके एक चूचक को मुँह में ले कर पीने लगा। और एक हाथ से उसकी चड्ढी नीचे सरकाने लगा।
वो हँसी, “तुम्हारा मक्खन मेरे अंदर से निकल जाएगा!”
“कोई बात नहीं,” मैंने कहा, “जितना चाहिए, उतना अंदर पहुँच गया है!”
“हनी?” कुछ देर चुप रह कर वो बोली।
“हाँ?”
“एक बात पूछूँ?”
“हाँ बोलो न! क्या हुआ, मेरी जान?”
“तुमको मुझसे शादी कर के अच्छा तो लग रहा है न?”
“अरे! ये कैसा सवाल है मेरी जान?” मैंने कहा, “आई ऍम प्राउड टू बी योर हस्बैंड! आई मस्ट थैंक यू फॉर अक्सेप्टिंग मी!”
वो मुस्कुराई।
पुरानी बातें याद करते हुए मैं थोड़ा जज़्बाती हो गया, “गैबी के जाने के बाद तो मुझे लगा था कि जैसे उसके साथ ही मेरी सारी ख़ुशियाँ चली गई हैं! वो चली गई और उसके साथ ही मेरा बच्चा भी! मेरे सब तरफ अँधेरा जो गया था यार! लेकिन फिर तुमने मुझे सम्हाला - और ऐसे कि जैसे मैं कभी गिरा ही नहीं था। तुमने मुझे एक नई ज़िन्दगी दे दी है देवयानी! और तुम्हारे साथ जीने का जो मज़ा आ रहा है, वो मैं बयान नहीं कर सकता! आई लव यू!”
डेवी फिर से मुस्कुराई और उसने मुझे होंठों पर चुम्बन दिया।
“मुझसे अलग कभी मत होना!”
“कभी नहीं!”
“थैंक यू!”
“चलो अब! मेरे बाबू को सुला दूँ?” उसने कहा और अपना एक स्तन मेरे मुँह में दे दिया।
मैंने प्रसन्नता से उसके चूचक को ग्रहण किया और ‘हाँ’ में सर हिलाया।
उसके बाद हम दोनों को आसानी से नींद आ गई।
**
“गेट अप, किड्स!” मैंने किसी की आवाज़ सुनी, “इतनी देर तक सोते रहोगे तो घर कब जाओगे?”
मैं आँखें मींचता हुआ उठा, तो देखा सामने जयंती दी बैठी हुई थीं, जो अपने हाथ में कप पकड़े हुए उसमे से चुस्कियाँ लेते हुए, और मुस्कुराते हुए, हमें जगा रही थीं।
“हाय दीदी!” देवयानी भी उठ गई थी।
“हाय योरसेल्फ! पिंकी, साढ़े नौ बज गए हैं - उठो अब! तैयार नहीं होना है?”
“क्यों?” डेवी भी मेरी ही तरह उनींदी थी पूरी तरह।
“अरे, अपने ससुराल नहीं जाना है?”
“हाय भगवान्! साढ़े नौ!” डेवी कराहते हुए उठी और अचानक ही अपनी हालत का ध्यान कर के शर्म से लाल हो गई, “क्या दीदी, तुम कितनी देर से बैठी हो यहाँ?”
“कुछ देर से! एक दूसरे से लिपट कर सोते हुए तुम दोनों बहुत क्यूट लग रहे थे, इसलिए जाने का मन नहीं हुआ!” जयंती दी वहाँ से जाने की जल्दी में बिलकुल भी नहीं दिख रही थीं।
मुझे मालूम था कि दोनों बहने आपस में बहुत खुली हुई हैं। और अब ये बात यहाँ दिख भी रही थी।
“दीदी कह रही थीं कि ग्यारह बजे बहू के स्वागत का मुहूर्त है! और तुम दोनों अभी तक सो रहे हो।” जयंती दी समझा रही थीं, “उठो, नहा लो! तैयार हो जाओ - मैंने बढ़िया सा नाश्ता बनाया है। फिर चलते हैं, तुम्हारे ससुराल!”
“उम्म्म्म!” देवयानी ने अंगड़ाई लेते हुए कहा, “पूरा बदन टूट रहा है!”
“सुहागरात में यही होता है मेरी लाडो!” दी ने चटकारे लेते हुए उसको छेड़ा, “अगर आज तुम्हारा बदन नहीं टूटा होता, तो मैं कहती कि कुछ तो गड़बड़ है तुम्हारे हस्बैंड में!”
यह मज़ेदार सी बात है कि लोग शादी से पहले और बाद में किसी की सेक्सुअलिटी पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। शादी से पहले हर कोई इस बात को लेकर उत्सुक लगता है, ‘क्या इन्होने सेक्स किया होगा’, ‘कितनी बार किया होगा’, ‘कहाँ किया होगा’ इत्यादि! लेकिन शादी हो जाने के बाद इस कोई भी तरह के सवाल नहीं पूछता। उनको आश्चर्य तब हो, जब उनको ये मालूम पड़े कि नवविवाहितों के बीच सेक्स न हुआ हो! अन्यथा, यह तो स्वाभाविक माना जाता है कि नवविवाहित जोड़े सम्भोग अवश्य करेंगे।
दीदी की बात पर मुझे हँसी आ गई और उसी समय मेरे पेट से गुड़ गुड़ की आवाज़ आने लगी।
“भूख लगी है क्या, अमर?” दीदी ने पूछा।
“भूख तो लगी ही होगी, दीदी!” डेवी ने शर्माते हुए और हँसते हुए कहा, “रात में हमने पाँच बार किया!”
“क्या!” जयंती दी की आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं, “हा हा! तुम दोनों पागल हो गए हो! अमर, अरे भई थोड़ा आराम से! इतना करोगे तो घिस घिस कर तुम्हारा सुंदर सा पीनस इवेपोरेट (वाष्पित) हो जाएगा!”
उस बात पर दोनों बहनें दिल खोलकर हँस पड़ीं। मैं भी उनकी ठिठोली में शामिल हो गया!
“पाँच बार! वाओ! और अभी गिन कर बारह घंटे भी नहीं हुए हैं।” जयंती दी इस रहस्योद्घाटन पर अचंभित थीं।
“ही इस माय शेर!” डेवी ने गर्व से कहा।
“हाँ! बिलकुल! और अब यह तुम्हारा फ़र्ज़ है कि तुम उसका ख़्याल रखो, पिंकी!” दीदी ने मुस्कराते हुए कहा, और फिर बोली, “अमर, तुम ब्रश कर लो! मैं कुछ लाती हूँ तुम्हारे खाने के लिए! क्या खाओगे?”
“कुछ भी दीदी! सवेरे डेवी ने कुछ खिला दिया था!”
“ओह, तो वो तुम दोनों थे! वही मैं सोच रही थी कि किचन से ‘ऐसी वैसी’ आवाज़ें क्यों आ रही थीं!” उन्होंने फिर से हमको छेड़ा।
“दीदी!” देवयानी ने बनावटी नाराज़गी दिखाई।
“अरे यार! तुम दोनों वो सब नहीं करोगे, तो और कौन करेगा?” जयंती दी ने बड़ी दरियादिली से कहा, और आगे जोड़ा, “तुम्हारा हनीमून पीरियड तो अभी अभी ही शुरू हुआ है - और मेरी विश है कि ये हनीमून, तुम दोनों के उम्र भर चलता रहे!”
कितना सुन्दर सा आशीर्वाद था! पूरे शादी-शुदा जीवन में कितने सारे बदलाव आते हैं! शुरू शुरू का प्रेमाकर्षण बाद में धीरे धीरे कम हो जाता है। शादी शुदा ज़िन्दगी, एक ढर्रे पर चलने लगती है, जिसमे न तो कोई रोमांच ही रहता है, और न ही कोई रोमांस। परिवार बढ़ता है तो पति पत्नी वाला रिश्ता न जाने कहीं खो सा जाता है। दोनों केवल माँ बाप बन कर रह जाते हैं। ऐसे में अगर दोनों के बीच प्रेम और रोमांस बना रहे, तो क्या बात है! जयंती दी हम दोनों को वही आशीर्वाद दे रही थीं।
“थैंक यू सो मच दीदी!” मैंने बड़े आभार से कहा।
जयंती दी मुस्कुराईं, “नहीं अमर, थैंक यू कहने जैसा कुछ नहीं है! तुम दोनों का रोमांस बना रहे - मुझे यही चाहिए!” फिर अचानक से कुछ याद करते हुए, “चलो, जल्दी जल्दी रेडी हो जाओ। मैं लाती हूँ कुछ खाने के लिए!”
Nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #9
घर जाने से पहले हमें अंतरंग होने का कोई और अवसर नहीं मिला।
हमने स्नान किया, नाश्ता किया और अपने घर जाने के लिए तैयार हो गए। देवयानी ने एक बहुरंगी लहंगा, उससे मिलती बैकलेस चोली पहनी थी, और चुनरी ओढ़ी थी। मैंने एक कसीदा हुए कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहना हुआ था। गाड़ी में डेवी का सामान - उसके कपड़े लत्ते - और घर में सभी को देने के लिए उपहार इत्यादि थे। मैं ड्राइवर था - अगर ट्रैफिक आसान रहे, तो उसके घर से मेरे घर तक पहुँचने में आधे घंटे से भी ज्यादा समय नहीं लगता। मेरे एक अनन्य और बुद्धिमान मित्र ने मुझको एक बार सलाह दी थी कि ऐसी लड़की से शादी न करना जो तुम्हारे ही शहर में रहती हो। उनका मानना था कि ऐसा होने से लड़की के परिवार का तुम्हारी लाइफ में दखल होने का बड़ा डर रहता है। बात तो सही है - लेकिन मेरा मानना था कि नए नवेले जोड़े की ज़िन्दगी में न तो लड़की के, और न ही लड़के के परिवार का किसी भी तरह से दखल होना चाहिए। दोनों को अपने जीने का तरीक़ा खुद ही निकालना चाहिए। सफल विवाहित जीवन का कोई एक फार्मूला नहीं हो सकता। उसके लिए प्रेम और पारस्परिक सम्मान आवश्यक है - लेकिन न जाने ही कितनी अन्य बातें भी महत्वपूर्ण होती हैं। खैर!
मेरी माँ सुबह से ही अपनी नई बहू के उसके घर आगमन के स्वागत की तैयारी में लगी हुई थी। यह एक मज़ेदार बात थी - क्योंकि देवयानी कोई पहली बार तो इस घर नहीं आ रही थी। उसने और मैंने साथ मिल कर, अपनी पसंद के हिसाब से हमारा घर पहले से ही सजाया और तैयार कर लिया था। हमारी शादी से पहले ही घर में सभी फर्नीचर और अन्य सुविधाएं व्यवस्थित थीं। तो माँ क्यों इतना व्यस्त थीं, कहना कठिन था। शायद माँ का मन... उनकी ममता और नई बहू के आने का उत्साह हो?
शादी के बाद होने वाली रस्मों में सबसे प्रमुख होती है नई दुल्हन का अपने नए घर में आगमन की रस्म! यह रस्म स्वाभाविक रूप से दूल्हे के घर पर होती है, जहाँ दुल्हन की सास, अपनी बहू का गर्मजोशी से स्वागत करती है। तो, जब हम पहुंचे, तो मेरी माँ, मेरे डैड और कुछ पड़ोसियों के साथ, पूजा की थाल लिए दरवाज़े पर खड़ी थीं। उन्होंने हम दोनों की आरती उतारी, फिर हमारे माथे पर तिलक लगाया। यह सब होने के बाद हमने दोनों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके चरण स्पर्श किया। देवयानी ने काजल के भी पैर छुए और मुझे भी वैसा ही करने का इशारा किया। मुझे काजल के पैर छूने में कोई बुराई नहीं लगी - इसलिए मैंने भी उसके पैर छू कर उसका आशीर्वाद लिया। वैसे भी, हमारा सम्बन्ध अब तक बहुत अलग हो चला था।
जब यह सब हो गया, तो काजल ने देवयानी से कहा कि अब वो घर में प्रवेश करे। उसने डेवी से कहा कि वो अपने दाहिने पैर से चावल से भरे कलश को गिरा दे, और फिर महावर के घोल से भरी थाल में पैर रख कर घर के अंदर चलती जाए। बेशक, हम इन अनुष्ठानों के बारे में जानते हैं।
तो देवयानी ने वह सब कुछ किया। उसके हर कदम पर, घर की फ़र्श पर दूर तक डेवी के पैरों के शुभ, लाल-गुलाबी रंग के चिन्ह बनते गए। इन सब रस्मों को आज चाहे कैसा भी माना जाए, लेकिन देख कर अच्छा बहुत लगता है। इन सब रस्मों के सांकेतिक महत्त्व भी बड़े हैं! उधर डेवी घर में चलती जा रही थी, और इधर मैं चुपचाप उसके पीछे-पीछे चल रहा था।
“अमर, बहू अपने आप चल रही है! क्या तुम उसको उठा नहीं सकते?” डैड ने मुझे छेड़ा।
“अरे डैड! डेवी चल सकती है!” मैंने कहा।
“इतनी बॉडीबिल्डिंग करने का क्या फायदा? मुझे देखो - बिना किसी बॉडीबिल्डिंग के मैं अपनी बीवी को अपनी गोदी में उठा सकता हूँ! और तुम! वो भी अपनी नई दुल्हन को!” डैड अभी भी मुझको छेड़ रहे थे।
“वो भारी है, डैड!” मैंने अप्रत्यक्ष रूप से डेवी को छेड़ा।
“अभी कहाँ?” माँ ने छूटते ही कहा, “उसको भारी करने के लिए तुमको काम शुरू करना है... या शायद कर दिया है तुमने? कल रात से ही!”
हे प्रभु! नव-विवाहित जोड़ों से जिसको देखो, वो ही मज़ाक करने लगता है। और ये तो मेरी माँ थीं!
“क्या माँ! आप भी!” मैंने नाखुशी का नाटक किया, लेकिन भीतर से प्रसन्न हुआ और डेवी को उठा कर दालान से होते हुए हमारे शयनकक्ष में ले जाने लगा।
“उहम्म...” जब मैंने अपनी दुल्हन को गोदी में उठाया तो हल्के से कराह उठा।
“अरे अरे! इतने में ही थक गए?” माँ हँसी, “और ये तब जब देवयानी बिल्कुल भी भारी नहीं है... या हो सकता है कि शायद, तुम ही बूढ़े हो रहे हो! डोंट वरी! आज से शिलाजीत का कोर्स शुरू कर देते हैं तुम्हारे लिए!”
“माँ! कम से कम आप तो मेरी टाँग न खींचिए!”
मेरे इस तरह से चिढ़ने पर डेवी भी हँसने लगी - वो बहुत देर से अपना नई बहू वाला, शांत, गंभीर, शर्मीला, संकोची रूप धारण किए हुए थी। लेकिन अब उससे भी रहा नहीं गया। माँ को भी मालूम था कि कब उनको शांत हो जाना है। उन्होंने मेरी खिंचाई करनी छोड़ी और हँसते हुए अपने पति के पास चली गईं।
जब हमने अपने बेडरूम में प्रवेश किया, तो देवयानी फुसफुसाते हुए बोली, “बूढ़े आदमी!”
“अच्छा जी? आप भी?”
“नहीं हनी! आई ऍम सो लुकिंग फॉरवर्ड टू ग्रो ओल्ड विद यू! बस यही!” वो मुस्कुराई, “आई लव यू!”
हाँ! अपने जीवन साथी के साथ उम्र बिताना तो बड़ा सुखद ख़याल होता है। मैंने मुस्कुराते हुए ही उसे बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी बाहों में भर के एक लम्बा और भावुक सा चुंबन दिया। जब हमारा चुम्बन टूटा तो डेवी की साँस थोड़ी उथली सी हो गई।
“हम्म...” वो फिर से फुसफुसाते हुए बोली, “आप इतने बूढ़े भी नहीं हुए हैं मिस्टर सिंह!”
हमने फिर से चूमा।
प्रिय पाठकों! अपनी नवविवाहित दुल्हन से प्यार करना कितना मोहक होता है, इसका आख्यान करना कठिन है! पति पत्नी के सम्बन्ध में एक प्रकार का ठहराव होता है, एक दृढ़ता होती है। उसके कारण एक दूसरे से प्रेम करना और भी आनंददायक होता है। आप बिना किसी रोक टोक के, लम्बे समय तक एक दूसरे से प्रेम कर सकते हैं!
मैंने डेवी की चोली के पीछे की डोरियों को खोल दिया।
डेवी मुस्कुराई, “ओह गॉड! आर यू अगेन रेडी तो रेविश मी आलरेडी?”
“ओह, यू हैव नो आईडिया!” मैं अपना कुर्ता उतारते हुए मुस्कुरा दिया।
न जाने कहाँ से इतनी क्षमता आ गई थी! सच में - ऐसी कामुकता मैंने न तो काजल के साथ, और न ही गैबी के साथ महसूस करी थी। कुछ अनोखी बात तो थी देवयानी में! मैंने डेवी की चुनरी को न छेड़ते हुए, उसकी चोली उतार दी। पारदर्शी चुनरी से ढँकी हुई, अपनी आंशिक नग्नता में डेवी आश्चर्यजनक रूप से प्यारी लग रही थी। मैंने जल्दी से अपने बैग में से जयंती दी का दिया हुआ कैमरा निकाला और जल्दी जल्दी उसकी कुछ तस्वीरें उतार लीं। कुछ भी कहो - मेरे इन बचकाने खेलों का आनंद डेवी भी ले रही थी। जब मैं उसकी तस्वीरें उतार रहा था, तो वो मुस्कुरा रही थी, और हँस रही थी। अंत में, वो बिस्तर से उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने सेट्टी पर बैठकर अपने गहने उतारने लगी। उसने अभी भी अपना लहंगा पहना हुआ था। इस बीच, मैं पूरी तरह से नग्न हो गया, और आगे की कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गया।
मुझे एक छोटी सी शरारत सूझी - मैं उसके पीछे आ कर, उसके दाहिनी तरफ़ आ कर खड़ा हो गया। उसको ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपने गहने उतारते देखना बड़ा सेक्सी था! डेवी ने दर्पण में मुझे उसको देखते हुए देखा। वो मुस्कुराई। उसने ध्यान दिया कि उसके कंधे के ऊपर मेरा स्तम्भन दिख रहा था, तो शरमाते हुए मुस्कुराई, और अपना सर ‘न’ में इस तरह हिलाया कि लगे कि ‘इस आदमी का भगवान् ही मालिक है’!
दर्पण में हमारा अक्स बहुत मजेदार था… देवयानी कमर के ऊपर नग्न थी, जबकि मैं पूरा ही नग्न खड़ा था। मैंने आगे जो किया, मुझे यकीन है कि उसने अनुमान भी नहीं लगाया होगा! मैंने अपनी कमर को हल्का सा ट्विस्ट करते हुए घुमाया, ताकि मेरा पूरा तना हुआ लिंग उसके गाल पर एक थप्पड़ लगा दे। यह इतना अचानक हुआ कि पहले तो उसे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब उसको समझा कि उसके साथ क्या हुआ, तो उसने नकली गुस्से में दर्पण में मेरी तरफ़ देखा। मैंने उसके गुस्से की अनदेखी करते हुए उसको फिर से अपने लिंग से थप्पड़ लगाया। मेरी इस हरकत से उसका गुस्सा, एक फीकी मुस्कान में बदल गया! मैंने फिर से उसको उसी तरह से थप्पड़ लगाया। इस बार वो हंसने लगी! जैसे ही डेवी हँसी, उसके निरंकुश स्तन कामुकता से हिलने लगे!
“खूब शरारती है तू!” उसने कहा।
“क्या करूँ यार! जब भी मैं तुमको देखता हूँ, मेरी शरारत खुद-ब-खुद बाहर निकलने लगती है!”
“हम्म... देन, आई मस्ट डिसिप्लिन डिस नॉटी बॉय!”
उसने कहा, और मुड़कर मेरे लिंग के सिरे को अपनी चुटकी से पकड़ा - जैसे अक्सर लोग छोटे बच्चों की नाक के सिरे को चुटकी में पकड़ते हैं - और थोड़ा सा हिलाया। मेरा लिंग टस से मस नहीं हुआ।
“ओउ... लगता है लिटिल चैंपियन गुस्से में है!” उसने शरारत से कहा।
“गुस्से में नहीं है! मेरा लिटिल चैम्पियन अपनी दोस्त की गोद में बैठना चाहता है।”
“ओह हनी! मुझे वहाँ दर्द हो रहा है! आई ऍम सॉरी! लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं दो दिन पहले ठीक भी हो पाऊँगी!”
मैं निराश हो गया था। हाँ, डेवी की बात सही तो थी ही। इतने कम समय में इतनी बार! और उसे आराम करने का अवसर ही नहीं मिला।
“लेकिन,” उसने मुझे देखते हुए कहा, “मैं तुमको एक अच्छा सा ओरल दे दूँ? तुमको पसंद आएगा!”
कैसी अद्भुत सी बात थी!
मैं इस लड़की से प्यार करता था... और उसको मेरी ज़रूरतों का इतना ख्याल था। लेकिन मैं क्या करता - डेवी पास होती, तो खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो पा रहा था। मैंने फिर से डेवी को चूमा, और फिर धीरे से अपना लिंग उसके मीठे से मुँह के अंदर खिसका दिया। वो अगले ही पल मुझे मौखिक सुख का अलौकिक आनंद देने लगी। और... उसी समय माँ ने हमारे कमरे में प्रवेश किया।
जब उन्होंने हमें इतनी अंतरंग अवस्था में देखा तो वो थोड़ी चौंक गई, लेकिन फिर उन्होंने जल्दी ही अपने को सामान्य कर लिया और कहा,
“बेटे, ये बहू को बाद में खिलाना... पहले उसे खाना तो खिला दो!”
और इतना बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गईं, अपने पीछे दरवाजा बंद करते हुए!
देवयानी मौखिक सम्भोग देना बंद कर हँसने लगी! यह सब कितना मज़ेदार था! उसने सब कुछ ‘बाद में’ करने का वायदा किया, और फिर हमने दोपहर के भोजन करने के लिए घर के ही कपड़े पहने। इस बीच मैंने डेवी को संक्षेप में बता दिया कि मेरा माँ और डैड के साथ बहुत खुला हुआ सम्बन्ध था। थोड़ा बहुत तो उसको मैंने पहले भी बताया था, लेकिन अब जा कर उसको हमारे रिश्ते के खुलेपन के बारे में पता चला। मैंने उसे बताया कि कैसे मेरी माँ, गैबी और काजल को अपनी बेटी मानती हैं और यह कि देवयानी को भी वैसा ही प्यार उनसे मिलेगा। मैं जो कुछ कह रहा था, उसे देवयानी ने ध्यान से, उत्सुकता से और मनोरंजक ढंग से सुना। फिर उसने मुझसे कहा कि वो भी माँ और डैड के साथ ऐसा ही रिश्ता रखना चाहेगी। मुझे मालूम था कि यह सब सुनने के बाद वो वैसा ही चाहेगी!
खाने की टेबल पर बड़ा खुशनुमा माहौल था। हम सातों लोगों ने देर तक उस स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। रात में नींद नहीं आई थी, और भोजन भी काफ़ी गरिष्ठ था - इसलिए हमको तुरंत ही नींद आने लगी। इसलिए खाने की टेबल से उठ कर हम सीधा सोने चले गए। रात में वैसे भी हमारी शादी का रिसेप्शन था। हमको कुछ नहीं करना था - कैटरिंग कंपनी ने सारा इंतजाम कर रखा था। वो सब इंतजाम डेवी और मैंने मिल कर पहले ही कर दिया था। कोई चार घंटे बाद जब हम सो कर उठे, तो देखा कि ऑफिस से कई मित्र हमसे मिलने आये हुए थे। उनसे कुछ देर बातें कर के, हम दोनों रिसेप्शन के लिए तैयार होने लगे।
हमारा रिसेप्शन शानदार अच्छा था - डेवी ने पुनः एक लहंगा-चोली पहनी हुई थी, और अपने दुल्हन वाले पूरे साज-श्रृंगार से अलंकृत थी। वो वापस किसी रानी जैसी ही लग रही थी। मैंने एक सूट पहना हुआ था - वैसे तो मैं अच्छा लग रहा था, लेकिन देवयानी के सामने मैं मामूली लग रहा था। खैर, रिसेप्शन में लड़के को कौन देखता है! बड़ा आनंददायक माहौल था। सब कुछ हँसी ख़ुशी हो रहा था। डेवी और मेरे बहुत सारे कॉमन फ्रेंड आए हुए थे! कई सारे थे, जो हमारी कोर्ट और मंदिर वाली शादी में शामिल नहीं हो सके थे। वो सभी रिसेप्शन समारोह का लुत्फ उठाने आ पहुंचे थे। मस्ती भरी रात थी; हमने बॉलीवुड के कई गानों पर डांस किया, मस्ती की, और फिर हमने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया! सब बड़ा मज़ेदार था।
हमें बहुत सुबह ही हनीमून के लिए निकलना था, इसलिए हमारे दोस्तों ने हमें सोने ही नहीं दिया। हमने हनीमून की यात्रा के लिए अपने बैग पहले ही पैक कर लिए थे। लिहाज़ा, रिसेप्शन का बहुत ही आनंद आया! हनीमून के लिए हम अंडमान जा रहे थे। वहाँ के लिए एक फ्लाइट जाती थी कलकत्ता से सुबह सुबह। तो हमको दिल्ली से कलकत्ता के लिए और भी सवेरे निकलना था - लगभग रात में! तो दोस्तों के साथ हंसी मज़ाक करते हुए कब फ्लाइट का समय हो गया, पता ही नहीं चला। डेवी और मैंने सभी से विदा ली, एयरपोर्ट की ओर चल दिए। हमको छोड़ने के लिए हमारे दोस्त भी साथ ही आए थे। इतना प्यार पा कर हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा। हमारी शादी-शुदा ज़िन्दगी का आगाज़ बड़ा ही सुखद था - और मैं भगवान् से यही कामना कर रहा था कि उसका अंजाम भी वैसा ही सुखद रहे।
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Bahut hi behtareen updates he brother. Waakai me mai har baar aapko yah kahne se khud ko rok nahi pata ki aapki lekhni shandar he. In teno updates me devi se pyar hi show hua but wo bhi hamare liye aapki upastithi k liye bahut tha. Ab dekhte he aage aap is kahani me kya naya dikhate he. Thanks for your hard work. Waiting for next.
Nice update..!!
Naye jode ke maje hi alag hote hai..ab kitchen me hi sex karenge dono..!!
Nice update..!!
Bahot badhiya likha hai bhai kitchen wala scene..jayanti didi ka character bhi bahot badhiya hai..!!
Nice update..!!
Devi ko ab pata chala hoga ki amar kitna khula huva hai Devi ke sath..!! Ab toh honeymoon me aur maja aanewala hai..!!
Devyani kitta laad krti hai Amar se, maza hi aa jata hai.
धन्यवाद मित्र! साथ बने रहेंBahut hi sundar updates waiting for next
बहुत बहुत धन्यवाद भाई!
किचन में मोहब्बत करना खतरे से खाली नहीं है भाई!
गर्मी में तो ठीक है, लेकिन सर्दी में ठण्डा स्लैब जानलेवा हो सकता है। और गैस के चूल्हे का भी ध्यान रखना चाहिए!
जयंती दी हैं बहुत अच्छी - आगे भी उनका ज़िक्र आता रहेगा। बस, थोड़ा इंतज़ार और - फिर हनीमून करवाते हैं![]()