Fantasticचंदा
मंझली ( मेरी मंझली बहन , दसवें में पढ़ती थी , मुझसे ठीक छोटी ) ,
ने अब आलमोस्ट धक्का देकर अपनी छोटी बहन को हटा दिया और खुद ' सिंहासन ' पर बैठ गयी
और मेरी सहेली , पक्की दोस्त , चंदा थी न बगल में उकसाने को , बोली ,
" कभी कभी अँधेरे में अंधे के हाथ बटेर लग जाती है , अब इसकी नाप के सही साइज बताइये जीजू तब मानूंगी आप को। "
" और अब की चूं चूं किये न , तो बस ,... कोहनी तक गांड में पेल दूंगी , मायके में महतारी बहन सब कर चूँची दबाते होंगे यहाँ आयके ,... "
बुआ ने उन्हें जोर से हड़काया
और अबकी उन्होंने बिना देर किये , ... थोड़ी देर तक नाप जोख की ,
और बोल दिया
३२ सी।
उसके बाद तो करीब आधी दर्जन सालिया हर उम्र की , गाँव की ,
छुटकी और मंझली की सहेलियां , हर शेप और साइज की , लेकिन सबकी नाप जोख उन्होंने एकदम सही सही की
और सब से अंत में चंदा , ..
लेकिन उसके पहले चंदा ने पहले तो छुटकी और मंझली का झगड़ा सुलझाया ,
छुटकी का कहना तो सिन्दूर दान उसने किया , इसलिए जब जीजू होली में आएंगे , तो सुहागरात उसके साथ ,
लेकिन मंझली का कहना था वो वो बड़ी है , इसलिए पहले उसके साथ , ...
वो बेचारे अपनी दोनों सालियों के बीच फंसे मुस्करा रहे थे ,
मेरी बम्बई वाली भाभी ने मेरी दोनों छोटी बहनों को छेड़ा ,
" हे तेरे जीजू मारे डर के देखना , होली में ससुराल आएंगे ही नहीं , अपनी बहनों के साथ होली मनाएंगे ,... "
अब दोनों अपना झगड़ा भूल के इनके पीछे पड़ गयीं ,
साथ में मेरी मौसी भी मेरी बहनों का साथ दे रही थीं और चंदा भी ,
" अरे ऐसे कैसे नहीं आएंगे होली में , एक बार बोल दिए हैं तो , अपंनी महतारी के भोंसडे में जा के छिपेंगे तो वहां से भी खींच लाएंगे हाथ डाल के ,... "
मौसी बोलीं
वो दोनों एक साथ इनके पीछे पड़ गयीं , ... जीजू प्रॉमिस प्रॉमिस , होली का प्रॉमिस
और फिर चंदा भी ,
" अरे जीजू , लोग सालियों के लिए क्या नहीं कर देते आप जरा सा होली में आने से , बोल दीजिये न , मैं बोल रही हूँ एकदम फायदे का सौदा है प्लीज जीजू।"
और इन्होने मेरी दोनों बहनों से भी प्रॉमिस किया ,
चंदा से भी और हर तरह की कसम भी खायी की पहली होली वो ससुराल में ही बिताएंगे , और एक दो दिन नहीं पूरी रंग पंचमी , ...
" चल जीजू ने तुम दोनों की बात मान ली , अब ये समझ ले की जीजू सुहाग रात तो तुम दोनों के साथ मनाएंगे लेकिन सुहाग दिन मेरे साथ , जीजू से क्या शर्म ,.. दिन दहाड़े इनकी इज्जत लूटूँगी , खुले आँगन में ,... नो शेयरिंग "
और ये कह के चंदा धसक के इनकी गोद में और खुद पकड़ के उनके दोनों हाथ अपने उभारों पर ,...
चंदा , मेरी सिर्फ सहेली नहीं , सब कुछ हम राज ,..
एक तो गाँव की , फिर पड़ोस की की पट्टी की ही , पहली क्लास से हम लोग साथ साथ पढ़े , साथ साथ बड़े हुए , साथ साथ मस्ती की ,...
और इनसे मेरा टांका भिड़वाने में भी उसका पूरा हाथ था , उसी ने पहले इनकी भाभी से फिर मेरी भाभी से ,... फिर मम्मी से भी ,...
और ये भी जानते थे इस बात को ,...
और ' ऊपर वाली मंजिल के मामले में ' गाँव में , स्कूल में शुरू से मैं सबसे बीस थी , सिवाय चंदा के , वो मेरी टक्कर की थी , थोड़ी ज्यादा ही ,...
लेकिन चंदा ने उन्हें हड़का लिया ,
" जीजू , मैं छोटी छोटी बच्चीयां नहीं , जिसको ले जा रहे हैं न उसी की समौरिया हूँ , सिर्फ चार दिन छोटी उससे ,... सीधे अंदर हाथ डालिये , और आज आप को ज्यादा झंझट न हो इसलिए ब्रा भी नहीं पहना मैंने , ऐसी साली मिलेगी आपको कहीं ,... "
और जब तक वो समझते समझते उनके दोनों हाथ , अपने हाथों से पकड़ के ,... सीधे अंदर अपने उभारों पर ,...
और उनके कान में बोली ,
" जीजू , पांच मिनट तक कम से कम , ...तब साइज बताइयेगा ,... और उसके बाद भी ये मत समझ जाइएगा की मैं इत्ती आसानी से इस सिंहासन से उठने वाली हूँ , और न आपके हाथ बाहर निकलेंगे ,.. "
अब तक आधे दर्जन से ज्यादा छोटी सालियों की तो नाप जोख कर चुके थे वो २८ से ३२ वाली ,
... इसलिए अब वो भी हलके हलके , पहले सहलाते रहे , और एक बार चंदा ने घूर कर देखा तो , हलके हलके दबाने मसलने लगे ,
लेकिन चंदा पक्की मेरी सहेली थी , ...
उनकी छोटी सालियों ने उनके कपड़ों की तो सारी बटने खोल ही दी थीं , पैंट की भी बेल्ट किस साली के कब्जे में थी , पता नहीं , बटन हुक ,...बस ज़िप के सहारे ,...
और चंदा ने अपने बड़े बड़े चूतड़ बहुत हल्के हलके अपने जीजू के खूंटे पर रगड़ना शुरू किया ,
उनकी सलहजें देख रही थीं , मुस्करा रही थीं ,... और मैं मुश्किल से मुस्कराहट रोक रही थी
३४ डी।
" सही जवाब "
चंदा बोली ,
लेकिन न वो उनकी गोद से उतरी न उन्हें हाथ बाहर निकालने दिया , हाँ उसके चूतड़ों की रफ़्तार अब उनके खूंटे पर रगड़ने की अब और तेज हो गयी , और वो भी चोली के अंदर ,...
" लगता है अपनी बहनों की चूँची खूब दबाये हैं बचपन से , तभी एकदम सही अंदाजा है। "
उनकी एक सलहज बोली
पर समधन कैसे बच जातीं तो उनकी बुआ सास बोलीं ,
" अरे महतारी , बुआ , मौसी सब कर , ... चूँची खूब दबाए होंगे , ... '
मम्मी के लिए चुप रहना मुश्किल हो रहा था और वैसे भी पहले दिन, से वो आँख मूँद के अपने दामाद का ही पक्ष लेती थीं , वो बोली
" तुम सब न इतना सीधा साधा , अरे ओनकर माई बहन सब बचपन से पक्की छिनार , झांटे आने के पहले से ही लौंड़ा ढूंढती है ,
पूरे मोहल्ले से दबवाती है मिजवाती हैं चूँची , देखो अबहीं एंकर महतारी खुदे फ़ोन पर बतायीं की कातिक में कुत्ते से , दुलहा के मामा से चोदवाई के इन्हे जनले हई ,
तो इहो कबो कबो अपने माई बहिनी , बुआ , मौसी का चूँची दबाय दिया तो कौन बुरा किया ,
अरे उ छिनार खुदे इनके हाथ पकड़ के अपनी चूँची पर , ... "
कोहबर में इनकी सास के साथ एक सिर्फ और था जो इनका पक्ष ले रहा था , इनकी गोद में बैठी साली ,
मेरी सहेली , चंदा ,
मम्मी का साथ देती वो बोली
आप एकदम सही कह रही हैं ,... और मुड़ कर इनके गाल पर एक जबरदस्त चुम्मी ले ली , और सबसे बोली
" देखिये हमारे जीजू हैं श्रीमान सत्यवादी , ... "