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इंटरवल
एक बार फिर उसने पलंग से उतरने की कोशिश की तो जोर से चिल्ख उठी , मैंने सहारा दिया , मैं समझ रही थी उसकी हड़बड़ी ,
पहले उसने मजबूरी में जैसे अपने भइया की ओर देखा , जैसे उसका जाने का मन न कर रहा हो पर बहुत मज़बूरी हो , ... फिर मेरी ओर ,
अबकी मैंने उसे मेसेज नहीं दिखाया , बल्कि उसके घर फोन लगाया , ये बताते हुए की मैंने अपनी छोटी ननद को किडनैप कर लिया है और अब कल दिन में ही वापस करुँगी , असल में इस बारे में मेसेज पहले ही मैंने दे दिया था उसके यहाँ से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया था ,
और हँसते हुए उधर से जवाब आया तेरी ननद है जो चाहे करो , ...
गुड्डी के चेहरे पर जैसे हजार वॉट का बल्ब जल गया हो , और उससे ज्यादा उनके चेहरे पर , ... मैंने अब मेसेज खोल कर अपनी ननद के आगे कर दिया ,
मुस्कराते हुए उसने मुझसे पूछा , मतलब
जवाब उसने दिया जिसके हाथ में उसकी जवानी और जोबन का मुस्तकबिल था ,
कम्मो ने ,
" मतलब ननद रानी ये इंटरवल है , ये सिर्फ ट्रेलर था फिल्म अभी बाकी है। "
मैंने अपनी ननद को गले लगा लिया और उसकी ओर से जवाब दिया ,
" मेरी ननद को समझती क्या हैं आप , डरती क्या है आप के देवर से ,... "
लेकिन तबतक जोर का हूटर बजा , और जो जो उसका मतलब नहीं समझते थे , कम्मो और गुड्डी रानी , जोर से उछल पड़े ,
लेकिन मैं और ये उसका मतलब समझते थे , ये दौड़ कर दीवाल पर टंगी अपनी शर्ट और टाई की ओर हूटर का मतलब था उनकी कांफ्रेंस कॉल , कई सात समुंदर पार देशो में यहाँ जब शाम ढलती है तो आफिस खुल जातें हैं , कहीं सुबह हो जाती है , ... और ये अलार्म उन्होंने सेट कर रखा था २० मिनट की वार्निंग का ,
मैंने और मुझसे पहले इनकी छोटी साली ने और सास ने कसम धरा रखी थी , जब होली में ये ससुराल में रहेंगे तो कोयो फोन वोन नहीं , मेरी माँ अपनी समधन की रगड़ाई का मौका क्यों छोड़तीं , बोलीं , " ई फ़ोन ,वोन अपनी महतारी के भोंसड़ी में छोड़ के आना समझे "
तो अपनी कम्पनी और बाकी सभी लोगों से उन दस दिनों के लिए तो उन्होंने पूरी छुट्टी ले रखी थी , पर यहाँ पर तो ,... हाँ बस २० मिनट की वार्निंग हम लोगों को सेट होने के लिए , ... कांफ्रेंस काल में मैं भी उन्हें छोड़ कर , कमरे में कोई आ जा नहीं सकता था , कमरे के एक कोने में टेबल और लैपटॉप उन्होंने सेट कर रखा था ,
तो बस मैंने कम्मो और ननद को नीचे चलने के लिए हांका , कम से कम दो घंटे की छुट्टी ,
गुड्डी ने बस पहला कदम रखा तो दर्द से दुहरी , अपनी जांघ के के पास कस के उसने पकड़ लिया , ... मुस्कराते हुए मैंने और कम्मो ने उसे दोनों ओर से सहारा दिया ,
मुझे अपनी सुहाग रात के बाद की सुबह आ गयी , जेठानी ने मुझे रात के नौ बजे इनके कमरे में छोड़ा था और साफ़ बोल के गयीं थी , सुबह नौ बजे तक के लिए , और ठीक नौ बजे मेरी दो नटखट ननदें आ गयीं थी , नीचे ले जाने के लिए , .... रात भर मूसल चला था , हलाकि मैंने बहुत सम्हला , पर हलकी सी चिलख , 'वहां ' उठ ही गयी , बस झट से मेरी दोनों ननदों ने दोनों ओर से सहारा दिया और लगी छेड़ने ,
बस जिस तरह से मैंने और कम्मो ने अपनी ननद को सहारा दिया था ,
लेकिन सीढ़ी पर से उतरते समय , गुड्डी के ' वहां ' जोर से चिलख उठी , ... और फिर मैंने और कम्मो ने ,
ननदें छोड़ती हैं क्या सुहागरात के बाद भौजाई को चिढ़ाने का कोई मौका जो मैं छोड़ती अपनी ननद को छेड़ने का ,
दर्द नहीं भी हो तो भी ननदें ये पूछने का मौका नहीं छोड़तीं , ' भाभी बहुत दर्द हुआ क्या भइया के साथ '
बेचारी नयी नवेली दुल्हन तो शर्मा के रह जाती है पर कोई जेठानी अपनी देवरानी की ओर से कुँवारी ननदों की रगड़ाई जरूर करने में लग जातीं ,
" अरे बोला देतीं हु अपने भाई को , तुम लोग भी ले लो दर्द का मजा , नहीं तो चार दिन बाद चौथी के के नेकी भौजी के भैया लोग आयंगे , ले लेना उनके साथ दर्द का मजा "
गुड्डी ने सीढ़ी से जैसे ही उतरना शुरू किया , बहुत जोर से चिलख उठी उसकी जाँघों के बीच ,
बेचारी ने जिस तरह से मेरी ओर देखा , लग रहा था साफ़ कह रही हो भाभी अब एक सीढ़ी नहीं उतर पाउंगी , बहुत दर्द हो रहा है ,
एक बार फिर उसने पलंग से उतरने की कोशिश की तो जोर से चिल्ख उठी , मैंने सहारा दिया , मैं समझ रही थी उसकी हड़बड़ी ,
पहले उसने मजबूरी में जैसे अपने भइया की ओर देखा , जैसे उसका जाने का मन न कर रहा हो पर बहुत मज़बूरी हो , ... फिर मेरी ओर ,
अबकी मैंने उसे मेसेज नहीं दिखाया , बल्कि उसके घर फोन लगाया , ये बताते हुए की मैंने अपनी छोटी ननद को किडनैप कर लिया है और अब कल दिन में ही वापस करुँगी , असल में इस बारे में मेसेज पहले ही मैंने दे दिया था उसके यहाँ से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया था ,
और हँसते हुए उधर से जवाब आया तेरी ननद है जो चाहे करो , ...
गुड्डी के चेहरे पर जैसे हजार वॉट का बल्ब जल गया हो , और उससे ज्यादा उनके चेहरे पर , ... मैंने अब मेसेज खोल कर अपनी ननद के आगे कर दिया ,
मुस्कराते हुए उसने मुझसे पूछा , मतलब
जवाब उसने दिया जिसके हाथ में उसकी जवानी और जोबन का मुस्तकबिल था ,
कम्मो ने ,
" मतलब ननद रानी ये इंटरवल है , ये सिर्फ ट्रेलर था फिल्म अभी बाकी है। "
मैंने अपनी ननद को गले लगा लिया और उसकी ओर से जवाब दिया ,
" मेरी ननद को समझती क्या हैं आप , डरती क्या है आप के देवर से ,... "
लेकिन तबतक जोर का हूटर बजा , और जो जो उसका मतलब नहीं समझते थे , कम्मो और गुड्डी रानी , जोर से उछल पड़े ,
लेकिन मैं और ये उसका मतलब समझते थे , ये दौड़ कर दीवाल पर टंगी अपनी शर्ट और टाई की ओर हूटर का मतलब था उनकी कांफ्रेंस कॉल , कई सात समुंदर पार देशो में यहाँ जब शाम ढलती है तो आफिस खुल जातें हैं , कहीं सुबह हो जाती है , ... और ये अलार्म उन्होंने सेट कर रखा था २० मिनट की वार्निंग का ,
मैंने और मुझसे पहले इनकी छोटी साली ने और सास ने कसम धरा रखी थी , जब होली में ये ससुराल में रहेंगे तो कोयो फोन वोन नहीं , मेरी माँ अपनी समधन की रगड़ाई का मौका क्यों छोड़तीं , बोलीं , " ई फ़ोन ,वोन अपनी महतारी के भोंसड़ी में छोड़ के आना समझे "
तो अपनी कम्पनी और बाकी सभी लोगों से उन दस दिनों के लिए तो उन्होंने पूरी छुट्टी ले रखी थी , पर यहाँ पर तो ,... हाँ बस २० मिनट की वार्निंग हम लोगों को सेट होने के लिए , ... कांफ्रेंस काल में मैं भी उन्हें छोड़ कर , कमरे में कोई आ जा नहीं सकता था , कमरे के एक कोने में टेबल और लैपटॉप उन्होंने सेट कर रखा था ,
तो बस मैंने कम्मो और ननद को नीचे चलने के लिए हांका , कम से कम दो घंटे की छुट्टी ,
गुड्डी ने बस पहला कदम रखा तो दर्द से दुहरी , अपनी जांघ के के पास कस के उसने पकड़ लिया , ... मुस्कराते हुए मैंने और कम्मो ने उसे दोनों ओर से सहारा दिया ,
मुझे अपनी सुहाग रात के बाद की सुबह आ गयी , जेठानी ने मुझे रात के नौ बजे इनके कमरे में छोड़ा था और साफ़ बोल के गयीं थी , सुबह नौ बजे तक के लिए , और ठीक नौ बजे मेरी दो नटखट ननदें आ गयीं थी , नीचे ले जाने के लिए , .... रात भर मूसल चला था , हलाकि मैंने बहुत सम्हला , पर हलकी सी चिलख , 'वहां ' उठ ही गयी , बस झट से मेरी दोनों ननदों ने दोनों ओर से सहारा दिया और लगी छेड़ने ,
बस जिस तरह से मैंने और कम्मो ने अपनी ननद को सहारा दिया था ,
लेकिन सीढ़ी पर से उतरते समय , गुड्डी के ' वहां ' जोर से चिलख उठी , ... और फिर मैंने और कम्मो ने ,
ननदें छोड़ती हैं क्या सुहागरात के बाद भौजाई को चिढ़ाने का कोई मौका जो मैं छोड़ती अपनी ननद को छेड़ने का ,
दर्द नहीं भी हो तो भी ननदें ये पूछने का मौका नहीं छोड़तीं , ' भाभी बहुत दर्द हुआ क्या भइया के साथ '
बेचारी नयी नवेली दुल्हन तो शर्मा के रह जाती है पर कोई जेठानी अपनी देवरानी की ओर से कुँवारी ननदों की रगड़ाई जरूर करने में लग जातीं ,
" अरे बोला देतीं हु अपने भाई को , तुम लोग भी ले लो दर्द का मजा , नहीं तो चार दिन बाद चौथी के के नेकी भौजी के भैया लोग आयंगे , ले लेना उनके साथ दर्द का मजा "
गुड्डी ने सीढ़ी से जैसे ही उतरना शुरू किया , बहुत जोर से चिलख उठी उसकी जाँघों के बीच ,
बेचारी ने जिस तरह से मेरी ओर देखा , लग रहा था साफ़ कह रही हो भाभी अब एक सीढ़ी नहीं उतर पाउंगी , बहुत दर्द हो रहा है ,
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