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प्यारी दुलारी ननद
मैं और कम्मो दोनों खिलखिलाते रहे और मेरे मन में अपनी उस प्यारी दुलारी ननद की सुरतिया घूमती रही, एकदम वय संधि पर खड़ी,
गुलाबी चम्पई चेहरा देखो तो लगता है जैसे अभी दूध के दांत नहीं टूटे हों, खिलखिलाती है तो लगता है खील फूट रही है, पर नज़र थोड़ी जैसे नीचे आती है उभरते उभारों पर ( अपनी क्लास वालियों से २१ ही थे ) तो बस लगता है एकदम लेने लायक हो गयी है.
कम्मो तो आँखों में झलकती छलकती मन की भाषा पढ़ लेती थी, बोली,...
" अरे ऐसी उमर में ही तो लौंडे ललचाना शुरू कर देते हैं, भौंरों की भीड़ लगने लगती है. "
बात कम्मो की एकदम सही थी, और कम्मो फिर अपने रंग में आ गयी, ...
" और जानत हो, एहि चूँचिया उठान वाली जउन उमरिया हो, ओहि में कउनो लौंडिया क जबरदस्त चुदाई होय जाए न , थोड़ा जबरदस्ती, थोड़ा मनाय पटाय के , बस देखा कुछै दिन में खुदे लौंड़ा खोजे लागी। जउने दिन लंड न खायी, नींद न आयी,...छिनार तो छोड़ा रण्डियन क कान कटाय देई , और चूँची तो हमरे तोहरे ई ननदिया क देखा कुछै दिन में ३० बी से ३२ सी हो जायेगी। "
और इसी बात ने मुझे एक बल्कि दो बातें याद दिला दी, जो मेरे मन में बड़ी देर से कुलबुला रही थीं, एक तो ननद रानी की सेंचुरी बनवाने की, १०० बार नहीं १०० मर्द चढ़वाने वाली २१ दिन में, और दूसरी बात उसे मशहूर बनाने की , जिल्ला टॉप माल तो वो थी ही, पूरे शहर में और उस से ज्यादा अपनी गली में मोहल्ले में , अपने स्कूल में मशहूर हो जाए की , चलती है।
और ये दोनों बाते मैंने कम्मो भौजी को बता दी.
कम्मो भौजी जोर से हंसी और फिर उन्होंने मुझे कस के अँकवार में भींच लिया और जोर से हड़काया,
" इतनी प्यारी दुलारी, जिल्ला टॉप माल, हम दोनों की ननद और खाली १०० मर्द, २१ दिन में,... कम से कम सवा सौ, शुभ संख्या है. पक्का। लेकिन दूसरकी बात ज्यादा जरूरी है, ननद रानी को मशहूर करने वाली, ओकरे स्कूल में बल्कि कुल स्कूलों में, गली मोहल्ले में हर जगह ये बात फ़ैल जाए एक बार न की रानी जी, टाँगे फ़ैलाने लगी हैं, बुलबुल चारा घोंटने लगी है, फिर तो लौंडन क उ भीड़ लागि न की पुलिस बोलावे क पड़ी। और वो बात सबसे ज्यादा फैलाएंगी लड़कियां और औरतें जेकरे सामने ई जांघ फैलाएंगी, चूतड़ उछाल उछाल के चुदवायेगी यारों से और वो लड़कियां ओहि के स्कूल की हों और,... "
बात कम्मो भौजी की एकदम सही थी. लेकिन कौन ?
पर मुझे पूछना नहीं पड़ा, इस सवाल का जवाब भी, कम्मो भौजी के पास था,
" अरे वही दोनों आधा आधा, बगल के कालोनी में ही रहती हैं, और एकदम हम लोग जब कहें जहाँ कहें, ... " कम्मो ने बात सुलझा दी।
" फिफ्टी -फिफ्टी " मैं मुस्कराते हुए बोली, सही है।
मैं और कम्मो दोनों खिलखिलाते रहे और मेरे मन में अपनी उस प्यारी दुलारी ननद की सुरतिया घूमती रही, एकदम वय संधि पर खड़ी,
गुलाबी चम्पई चेहरा देखो तो लगता है जैसे अभी दूध के दांत नहीं टूटे हों, खिलखिलाती है तो लगता है खील फूट रही है, पर नज़र थोड़ी जैसे नीचे आती है उभरते उभारों पर ( अपनी क्लास वालियों से २१ ही थे ) तो बस लगता है एकदम लेने लायक हो गयी है.
कम्मो तो आँखों में झलकती छलकती मन की भाषा पढ़ लेती थी, बोली,...
" अरे ऐसी उमर में ही तो लौंडे ललचाना शुरू कर देते हैं, भौंरों की भीड़ लगने लगती है. "
बात कम्मो की एकदम सही थी, और कम्मो फिर अपने रंग में आ गयी, ...
" और जानत हो, एहि चूँचिया उठान वाली जउन उमरिया हो, ओहि में कउनो लौंडिया क जबरदस्त चुदाई होय जाए न , थोड़ा जबरदस्ती, थोड़ा मनाय पटाय के , बस देखा कुछै दिन में खुदे लौंड़ा खोजे लागी। जउने दिन लंड न खायी, नींद न आयी,...छिनार तो छोड़ा रण्डियन क कान कटाय देई , और चूँची तो हमरे तोहरे ई ननदिया क देखा कुछै दिन में ३० बी से ३२ सी हो जायेगी। "
और इसी बात ने मुझे एक बल्कि दो बातें याद दिला दी, जो मेरे मन में बड़ी देर से कुलबुला रही थीं, एक तो ननद रानी की सेंचुरी बनवाने की, १०० बार नहीं १०० मर्द चढ़वाने वाली २१ दिन में, और दूसरी बात उसे मशहूर बनाने की , जिल्ला टॉप माल तो वो थी ही, पूरे शहर में और उस से ज्यादा अपनी गली में मोहल्ले में , अपने स्कूल में मशहूर हो जाए की , चलती है।
और ये दोनों बाते मैंने कम्मो भौजी को बता दी.
कम्मो भौजी जोर से हंसी और फिर उन्होंने मुझे कस के अँकवार में भींच लिया और जोर से हड़काया,
" इतनी प्यारी दुलारी, जिल्ला टॉप माल, हम दोनों की ननद और खाली १०० मर्द, २१ दिन में,... कम से कम सवा सौ, शुभ संख्या है. पक्का। लेकिन दूसरकी बात ज्यादा जरूरी है, ननद रानी को मशहूर करने वाली, ओकरे स्कूल में बल्कि कुल स्कूलों में, गली मोहल्ले में हर जगह ये बात फ़ैल जाए एक बार न की रानी जी, टाँगे फ़ैलाने लगी हैं, बुलबुल चारा घोंटने लगी है, फिर तो लौंडन क उ भीड़ लागि न की पुलिस बोलावे क पड़ी। और वो बात सबसे ज्यादा फैलाएंगी लड़कियां और औरतें जेकरे सामने ई जांघ फैलाएंगी, चूतड़ उछाल उछाल के चुदवायेगी यारों से और वो लड़कियां ओहि के स्कूल की हों और,... "
बात कम्मो भौजी की एकदम सही थी. लेकिन कौन ?
पर मुझे पूछना नहीं पड़ा, इस सवाल का जवाब भी, कम्मो भौजी के पास था,
" अरे वही दोनों आधा आधा, बगल के कालोनी में ही रहती हैं, और एकदम हम लोग जब कहें जहाँ कहें, ... " कम्मो ने बात सुलझा दी।
" फिफ्टी -फिफ्टी " मैं मुस्कराते हुए बोली, सही है।
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