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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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Well to begin with, the index itself got me. All my life I have been obsessively particular about neatness. I loved the way you have named each part of the story....मेरी छुटकी ननदिया
और सबसे बढ़कर वो उनकी ममेरी बहन।
वो पास के मोहल्ले में थी लेकिन अक्सर आ जाती थी। गुड्डी नाम था।
अभी ग्यारहवीं में गयी है,और जैसे इस उमर की लड़कियों में होती है , एकदम चैटर बॉक्स.
और एकदम चिपकू , अपने भैय्या से , हर समय , मेरे भैया ये नहीं करते , मेरे भैया वो नहीं करते।
लेकिन लगती कैसी थी ?
मैं ये कह सकती थी जैसे ग्यारहवीं में पढने वाली लड़कियां लगती हैं , वाली जिनपे अभी अभी जवानी चढ़ी हो।
लेकिन ये बेईमानी होगी।
जब मेरी शादी में आई थी बारात में तो उसके कच्चे टिकोरे ही आग लगा रहे थे
और अब तो कुछ दिन पहले जवानी की राते मुरादों के दिन वाली उम्र हो गयी।
मैं और मेरी जिठानी उसे चिढ़ाते थे , अरे अब तो इंटर में आ गयी है इंटरकोर्स कर ले तो ऐसा बिदकती थी की
लम्बी ठीक ठाक , ५-४ होगी ,
गोरी ,हंसती है तो गाल में गहरे गड्ढे पड़ते हैं।
और उभार ,
एकदम जम के दिखते हैं , खूब कड़े कड़े कच्ची अमिया जैसे छोटे लेकिन मस्त, उसके क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही बड़े ।
हिप्स भी कड़े और गोल।
जैसा की फिराक ने कहा था , वैसी ही बल्कि थोड़ी बढ़ चढ़ कर ,
लड़कपन की अदा है जानलेवा
गजब की छोकरी है हाथ भर की
और मुझे भी कई बार लगा की सिर्फ वही नहीं चिपकी रहती , इनके मन में भी उसके लिए कुछ 'सॉफ्ट ( या हार्ड !) कार्नर ' है।
शादी के कुछ दिन बाद गाने हो रहे थे और मुझे मेरी जेठानी ने उकसाया गारी गाने के लिए ,
और गारी का असली टारगेट तो ननद ही होती है , तो बस मैं चालू हो गयी उसके टिकोरों की खुल के तारीफ करने
मंदिर में घी के दिए जले मंदिर में
मैं तुमसे पूछूं हे ननदी रानी , हे गुड्डी रानी ,
तोहरे जोबना का कारोबार कैसे चले ,
और उसका सम्बन्ध पहले अपने भैया फिर सैयां से जोड़ने ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे हलवइया का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे , अरे गुड्डी रानी का यार रे ,
लड्डू पे लड्डू खिलाये चला जाय , , अरे चमचम पे चमचम चुसाये चला जाय ,
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे दरजी का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे अरे ननदिया का यार रे ,
अरे चोलिया पे चोलिया सिलाये चला जाय , अरे जुबना उसका दबाये चला जाए
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे मेरी सासु जी का लड़का , तो गुड्डी जी का यार रे गुड्डी जी का यार
अरे सेजों पर मौज उड़ाए चलाय जाय कहना ना माने रे।
अरे मेरी मम्मी का लड़का , अरे मेरा प्यारा भैया तो गुड्डी जी का यार रे , अरे ननदिया का यार रे ,..
टाँगे दोनों उठाये चला जाय , अरे जाँघे उसकी फैलाये चला जाय
कहना ना माने रे
और उसी समय कहीं से वो आगये , फिर ऐसे घूरा उन्होंने की तुरंत गाना बजाना सब बंद।
और उस दिन तो मैं उस के चक्कर में इतना ,कह नहीं सकती कितना खराब लगा।
उनकी एक आदत और ख़राब ,
कोई भी सामान अपनी जगह नहीं रखते ,सब इधर उधर।
एकदिन तकिये के नीचे कंडोम रखे थे जो सरक कर बिस्तर पर आगये ,
कोई आया तो जल्दी से मैंने पास में पड़े हमारे वेडिंग अल्बम में उसे रख दिया।
रात में वो कमरे में आये , तो वेडिंग एल्बम उन्होंने खोल कर देखा।
कंडोम जिस पेज पर थे , वहां गुड्डी की फोटोग्राफ्स थे ,शादी में डांस करते।
मैंने उन्हें इतना गुस्सा और दुखी कभी नहीं देखा था। वो वैसे भी कैंसरियन थे , राशि के हिसाब से ,
और गुस्सा होने पे या अकसर वैसे भी अपने शेल में घुस जाते थे।
उन्होंने कंडोम उठाकर झटक कर फर्श पर फ़ेंक दिया जैसे मैंने कैसी गन्दी चीज गुड्डी की तस्वीर के साथ रख दी हो।
और फिर सम्हाल कर उस की फोटो को पोंछा और अपने हाथ से नीचे वाले ड्राअर में एलबम को रख के बंद किया।
और बिना मुझसे कुछ बोले , मेरी ओर पीठ कर के सो गए।
अरे बाप रे कोमल मैमजोरू का गुलाम भाग २३५ - शेयर, म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस पृष्ठ १४२६
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शेयर बाजार शनिवार को नही खुलता, crisis की शुरुआत सोमवार से हुई होगी,भाग २३५-
शेयर, -म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस
३२,४९,५८८
जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था , इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।
खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती ,
और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ...
इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।
ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।
पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।
बीयर मार्केट पर हावी थे।
घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले
------
म्युचुअल फंड्स की हालत सेंसेक्स से भी ज्यादा खराब थी , अगर ओवरआल सेंसेक्स , १ % गिरा तो म्युचुअल फंड्स ५ से ६ % गिरे थे।
४१६ म्युचुअल फंड्स में से ४०१ को नुक्सान हुआ था सिर्फ जिन्होंने आईटी सेक्टर में ज्यादा फोकस किया था वही थोड़ा रुपये के दाम गिरने से फायदे में थे।
हुआ ये था की इन फंड मैनेजर्स ने लिक्विडिटी की चिंता छोड़ कर ,...
और रियल एस्टेट गिरने के बाद लोगों ने म्युचुअल फंड में पैसा लगाया भी , लेकिन ,... एक के बाद एक हर सेक्टर , ... इंफ़्रा ,... पावर ,... बैंकिग ,.... फाइनेंस ,.. और अब उस का क्युमलेटिव असर ,
इन लोगो की स्ट्रेटजी थी की किसी तरह अपनी कम्पनी का शेयर , ....पर जो पुल डाउन हुआ था उसमें मैंने चेक किया हमारी कम्पनी का शेयर भी सैटरडे को गिरना शुरू हो गया था।
इनकी स्ट्रेटजी तो मल्टी प्रांगड़ थी , लेकिन ,... और सिर्फ यही एक छेद इनकी प्लानिंग में हुआ था , जिसे प्लग करना बहुत जरुरी था।
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सोना मोना ने इतनी परफेक्ट स्ट्रेटजी बनायी थी, बंबई से लौटने के बाद जीजू लोगों के साथ कितनी मस्ती, लेकिन ये अचानक क्या,
हाँ अब बस एक बात समझ में आ गयी थी की रात में एक बजे इनके ऑफिस का फोन क्यों आया और क्यों सुबह पांच बजे इन्हे आफिस जाना पड़ा और ये इतने क्यों स्ट्रेस्ड लग रहे थे, या तो कहीं से कुछ लीक हुआ या कुछ और अब ये कैसे इन्हे काउंटर करेंगे.
और एक बात और समझ में आ गयी थी की ये क्राइसिस पहले से भी ज्यादा तगड़ी है, कोई है जो इनकी कम्पनी को एक्वायर करने की कोशिश कर रहा है और मार्केट गिरने से जल्द ही एक दो दिन में अगर कुछ नहीं हुआ तो अपने बन्दों के जरिये वो धीरे धीरे इनकी कम्पनी में अपना स्टेक बढ़ा लेगा, और हफ्ते भर के अंदर ही अपना दांव खेल देगा, जो कुछ इन्हे करना है बस अगले दो चार दिनों में ही
और अगर एक बार उस गुमनाम कम्पनी ने हमें एक्वायर किया तो सबसे पहले जिन लोगों की छुट्टी होगी उसमे हम लोग होंगे। फिर ये टाउनशिप, शहर और गुड्डी की कोचिंग, और अगर कहीं मजबूरन हमें के बार फिर इनके मायके जाना पड़ा, बिटविन द जॉब्स के चक्कर में फिर तो जेठानी अबकी,
मैं ब्रेकफास्ट बना रही थी , सोच रही थी , देवता पीर मना रही थी की इनका फोन आया
"गुड्डी के दो फेसबुक अकाउंट , पासवर्ड के साथ ,.."
मैं समझ गयी कुछ उनको जरूरत होगी , गुड्डी के पास तो वैसे भी ६-७ अकाउंट थे , मैंने दो थोड़े शराफत वाले उनको दे दिए।
वो दोनों अकाउंट मैंने अपने फोन पर भी ऐक्टिवेट कर लिए ,...
थोड़ी देर बाद उसी पर मेसेज आया , मम्मी को बोलने के लिए बात करने के लिए।
गुड्डी वाले फेसबुक से मेरे लिए मेसेज आया मेसेंजर पे, मैं तो गुड्डी क्या उसकी हर सहेली के हर फेसबुक अकाउंट पे थी। मैं समझ गयी यही हैं।
और उन्हें भी डर है फोन के लीक होने का, इसलिए आफिस के कम्प्यूटर से या किसी सिक्योर डिवाइस से फेसबुक के मेसेंजर से शार्ट टर्म, उन्हें उनके मेल पर भी भरोसा नहीं था।
लेकिन मम्मी का टेक्स्ट पहले ही आगया था , न गाली न समधन का हाल चाल , सिर्फ ये कहाँ है।
मैंने बताया सुबह से आफिस में हैं।
अब वही फेसबुक अकाउंट मैंने मम्मी को पास कर दिया।
मुझे मम्मी पे पूरा भरोसा था और मम्मी से ज्यादा मम्मी के एकलौते दामाद पर,
और अगर मम्मी और मम्मी के दामद मिल जाएँ तो किसी की माँ चोद सकते थे, और अभी तो मेरे सोना मोना की माँ ही बाकी थी, आएगा उनका भी नंबर आएगा, जल्द आएगा लेकिन पहले ये क्राइसिस किसी तरह निबट जाए
और दामाद सास में बात चीत हो गयी ,
थोड़ी देर में मिसेज डी मेलो का फोन आया , साहब शाम की फ्लाइट से दिल्ली जा रहे हैं। मैं उनका ट्रेवल बैग तैयार कर के रखूं। बाद में पता चला की सास दामाद में क्या साजिश हुयी।
कुछ बात बहुत सीरियस थी तभी मम्मी से बात करने के लिए इन्होने ये तरीका इस्तेमाल किया। मम्मी को कुछ कुछ इनकी कम्पनी के क्राइसिस का अंदाजा तो था ही, फिर उनके पास अपने मार्केटिंग रिसर्च वाले, डाटा अनॅलिएटिक्स लेकिन इन सबसे बढ़कर उनका कांटेक्ट, नेटवर्क और बिजनेस सेन्स
खैर मैंने अपना काम कर दिया था, ये जाने इनकी सास।
मैं अपनी ननद की ओर मुड़ी
मैं ब्रेकफास्ट लेकर गुड्डी के पास गयी तो वो भी परेशान लग रही थी। ढेर सारी किताबे , लैपटॉप खोल कर बैठी।
Is bar jkg ka andaz kuchh alag laga. Sas aur damad kya khichdi pakane vale hai. Is par najar rahegi. Muje ye bahot achha lagta hai ki aap consept pe jabardast kam karti ho. Ye share market vagera ka muje knowledge nahi hai. Par jab aap tash ke patte pure khologi to yakinan maza aaega.भाग २३५-
शेयर, -म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस
३२,४९,५८८
जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था , इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।
खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती ,
और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ...
इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।
ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।
पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।
बीयर मार्केट पर हावी थे।
घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले
------
म्युचुअल फंड्स की हालत सेंसेक्स से भी ज्यादा खराब थी , अगर ओवरआल सेंसेक्स , १ % गिरा तो म्युचुअल फंड्स ५ से ६ % गिरे थे।
४१६ म्युचुअल फंड्स में से ४०१ को नुक्सान हुआ था सिर्फ जिन्होंने आईटी सेक्टर में ज्यादा फोकस किया था वही थोड़ा रुपये के दाम गिरने से फायदे में थे।
हुआ ये था की इन फंड मैनेजर्स ने लिक्विडिटी की चिंता छोड़ कर ,...
और रियल एस्टेट गिरने के बाद लोगों ने म्युचुअल फंड में पैसा लगाया भी , लेकिन ,... एक के बाद एक हर सेक्टर , ... इंफ़्रा ,... पावर ,... बैंकिग ,.... फाइनेंस ,.. और अब उस का क्युमलेटिव असर ,
इन लोगो की स्ट्रेटजी थी की किसी तरह अपनी कम्पनी का शेयर , ....पर जो पुल डाउन हुआ था उसमें मैंने चेक किया हमारी कम्पनी का शेयर भी सैटरडे को गिरना शुरू हो गया था।
इनकी स्ट्रेटजी तो मल्टी प्रांगड़ थी , लेकिन ,... और सिर्फ यही एक छेद इनकी प्लानिंग में हुआ था , जिसे प्लग करना बहुत जरुरी था।
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सोना मोना ने इतनी परफेक्ट स्ट्रेटजी बनायी थी, बंबई से लौटने के बाद जीजू लोगों के साथ कितनी मस्ती, लेकिन ये अचानक क्या,
हाँ अब बस एक बात समझ में आ गयी थी की रात में एक बजे इनके ऑफिस का फोन क्यों आया और क्यों सुबह पांच बजे इन्हे आफिस जाना पड़ा और ये इतने क्यों स्ट्रेस्ड लग रहे थे, या तो कहीं से कुछ लीक हुआ या कुछ और अब ये कैसे इन्हे काउंटर करेंगे.
और एक बात और समझ में आ गयी थी की ये क्राइसिस पहले से भी ज्यादा तगड़ी है, कोई है जो इनकी कम्पनी को एक्वायर करने की कोशिश कर रहा है और मार्केट गिरने से जल्द ही एक दो दिन में अगर कुछ नहीं हुआ तो अपने बन्दों के जरिये वो धीरे धीरे इनकी कम्पनी में अपना स्टेक बढ़ा लेगा, और हफ्ते भर के अंदर ही अपना दांव खेल देगा, जो कुछ इन्हे करना है बस अगले दो चार दिनों में ही
और अगर एक बार उस गुमनाम कम्पनी ने हमें एक्वायर किया तो सबसे पहले जिन लोगों की छुट्टी होगी उसमे हम लोग होंगे। फिर ये टाउनशिप, शहर और गुड्डी की कोचिंग, और अगर कहीं मजबूरन हमें के बार फिर इनके मायके जाना पड़ा, बिटविन द जॉब्स के चक्कर में फिर तो जेठानी अबकी,
मैं ब्रेकफास्ट बना रही थी , सोच रही थी , देवता पीर मना रही थी की इनका फोन आया
"गुड्डी के दो फेसबुक अकाउंट , पासवर्ड के साथ ,.."
मैं समझ गयी कुछ उनको जरूरत होगी , गुड्डी के पास तो वैसे भी ६-७ अकाउंट थे , मैंने दो थोड़े शराफत वाले उनको दे दिए।
वो दोनों अकाउंट मैंने अपने फोन पर भी ऐक्टिवेट कर लिए ,...
थोड़ी देर बाद उसी पर मेसेज आया , मम्मी को बोलने के लिए बात करने के लिए।
गुड्डी वाले फेसबुक से मेरे लिए मेसेज आया मेसेंजर पे, मैं तो गुड्डी क्या उसकी हर सहेली के हर फेसबुक अकाउंट पे थी। मैं समझ गयी यही हैं।
और उन्हें भी डर है फोन के लीक होने का, इसलिए आफिस के कम्प्यूटर से या किसी सिक्योर डिवाइस से फेसबुक के मेसेंजर से शार्ट टर्म, उन्हें उनके मेल पर भी भरोसा नहीं था।
लेकिन मम्मी का टेक्स्ट पहले ही आगया था , न गाली न समधन का हाल चाल , सिर्फ ये कहाँ है।
मैंने बताया सुबह से आफिस में हैं।
अब वही फेसबुक अकाउंट मैंने मम्मी को पास कर दिया।
मुझे मम्मी पे पूरा भरोसा था और मम्मी से ज्यादा मम्मी के एकलौते दामाद पर,
और अगर मम्मी और मम्मी के दामद मिल जाएँ तो किसी की माँ चोद सकते थे, और अभी तो मेरे सोना मोना की माँ ही बाकी थी, आएगा उनका भी नंबर आएगा, जल्द आएगा लेकिन पहले ये क्राइसिस किसी तरह निबट जाए
और दामाद सास में बात चीत हो गयी ,
थोड़ी देर में मिसेज डी मेलो का फोन आया , साहब शाम की फ्लाइट से दिल्ली जा रहे हैं। मैं उनका ट्रेवल बैग तैयार कर के रखूं। बाद में पता चला की सास दामाद में क्या साजिश हुयी।
कुछ बात बहुत सीरियस थी तभी मम्मी से बात करने के लिए इन्होने ये तरीका इस्तेमाल किया। मम्मी को कुछ कुछ इनकी कम्पनी के क्राइसिस का अंदाजा तो था ही, फिर उनके पास अपने मार्केटिंग रिसर्च वाले, डाटा अनॅलिएटिक्स लेकिन इन सबसे बढ़कर उनका कांटेक्ट, नेटवर्क और बिजनेस सेन्स
खैर मैंने अपना काम कर दिया था, ये जाने इनकी सास।
मैं अपनी ननद की ओर मुड़ी
मैं ब्रेकफास्ट लेकर गुड्डी के पास गयी तो वो भी परेशान लग रही थी। ढेर सारी किताबे , लैपटॉप खोल कर बैठी।