Episode 23
शांत और मनमोहक रात में, चंद्रमा एक बडे चमकदार मोती की तरह आकाश में टहल रहा था, और समुद्र तट पर अपनी चांदी की चमक बिखेर रहा था। चाँदनी की रोशनी से चूमी हुई रेत हज़ारों छोटे तारों के तरह चमक रही थी। जैसे ही लहरों ने समुद्र के किनारे को कोमलता से सहलाया, उन्होंने प्रकृति द्वारा बनाई गई एक मधुर धुन बनाई, एक सौम्य लोरी जो प्रत्येक लयबद्ध उछाल और वापसी के साथ बजती थी।
हवा में ताज़गी भरी ठंडक थी, जो समुद्र के उतार और प्रवाह के साथ पूर्ण सामंजस्य में थी। ठंडी हवा लयबद्ध लहरों के माध्यम से गहराई के रहस्यों को फुसफुसाती हुई, किनारे पर टहल रहे नशे में धुत आदमी की रीढ़ में सिहरन पैदा कर रही थी। जैसे ही वह इस अलौकिक दुनिया में गहराई से भटकता गया, उसके कदमों ने ठंडी, नम रेत पर छाप छोड़ी, जहां भूमि, समुद्र और आकाश रात की एकता में नृत्य करते थे।
चंद्रमा की चांदी जैसी चमक ने आदमी के अस्थिर पथ को रोशन कर दिया, जिससे लंबी, विकृत छायाएं निकलती थीं जो लगातार चलती लहरों के साथ बहती हुई प्रतीत होती थीं। वह आगे बढ़ता गया, नमकीन समुद्री हवा का मादक मिश्रण और रात की खुशबू उसके चारों ओर एक लबादे की तरह लिपटी हुई थी। इस रहस्यमय क्षेत्र में, वह केवल एक पथिक था, जो चंद्रमा के जादू से मोहित हो गया था, और उस पारलौकिक मुठभेड़ से अनभिज्ञ था जो उसका इंतजार कर रही थी।
इस खूबसूरत माहौल में, समुद्र की लहरों की आवाज के साथ, पायल की मधुर आवाज। पायल की वह आवाज आदमी ने सुनी और वह उसकी ओर मुड़ गया।
जब वह मुड़ा तो उसे सफेद साड़ी में एक महिला दिखाई दी। वह बहुत कामुक लग रही थी। उन्होंने खुद को सफेद साड़ी में बेहद कामुक तरीके से लपेटा हुआ था। उसके सफेद ब्लाउज से उसके बड़े स्तन की दरार दिख रही थी। उसकी गोरी कमर पे नाभि दिख रही थी, इससे वह और भी कामुक लग रही थी। उनकी सफेद पारदर्शी साड़ी में कमर के नीचे से उसका शरीर आंशिक रूप से देखा जा सकता है।
चाँद की चाँद की चांदनी में नहाई उसकी त्वचा एक नरम, अलौकिक चमक बिखेरती हुई प्रतीत हो रही थी। हल्की हवा उसके लंबे, आबनूस बालों के साथ खेल रही थी, बालों की लटें रात में नाच रही थीं। उसकी गहरी, अभिव्यंजक आँखों में एक रहस्यमय आकर्षण था, और वे एक मंत्रमुग्ध निमंत्रण से चमक रहे थे।
जैसे ही उसने नशे में धुत आदमी को रहस्यमयी मुस्कान के साथ देखा, उसके होंठ, जो गुलाब की तरह गहरे लाल रंग में रंगे थे। उसकी उपस्थिति अनुग्रह और आकर्षण की एक मनमोहक दृश्य पैदा कर रही थी , जिसने आदमी की इंद्रियों पर एक अमिट छाप छोड़ दी, उसे रात के मंत्रमुग्ध कर देने वाले जादू में अपनी और अधिक आकर्षित किया।
उस स्त्री को देखकर पुरुष का हृदय कामना से भीग गया। लड़खड़ाते कदमों से उसकी ओर बढ़ा।
आदमी: इस सुमसान रात में तुम अकेली यहाँ क्या कर रही हो?
औरत (कामुक मुस्कान के साथ ): में अपने साथी की रह देख रही हु।
आदमी लड़खड़ाते हुवे चारो तरफ घूमता है और बोलता है।
आदमी: कौन कमबख्त, इस हसीन औरत को यहाँ अकेली रह देखने मजबूर करे हुवे है।
ये बोलते बोलते हुवे वो आदमी गिरने को हुवा, तो उस औरत ने उसे थाम लिया अपने हाथो से।
उसके छुवन भर से उस आदमी ने बदन में सिहरन ही दौड़ गयी। उसकी आँखों में देख देखता हुवा बोला।
आदमी: शुक्रिया आपका , आपने मुझे थम लिया। पर अपने प्यार में गिरने से किसे बचा पाओगी।
औरत: में आपका की ही तो रह देख रही थी।
आदमी ये सुन के पागलो की तरह ज़ूम उठता हे।
आदमी: आप जैसी परी मेरे इंतज़ार में?
औरत बस कामुकता से मुस्कुरा देती है। उसकी मुस्कान देख कर आदमी उसे अपने से लगा देता है, और उसके बदन से आती मादक खुशबु को महसूस करने लगता है। वो पागलो की तरह उसके बदन को चूमने लगता है, और अपने होठो को औरत के होठ से मिला देता है।
जैसे ही उसके होठ उससे मिलते हे तो, उसे ऐसा लगा जैसे उसने आजतक का सबसे मधुर स्वाद चखा हो। इस चुम्बन ने उसके शराब के नशे को और भी गहरा कर दिया। वो पागलो की तरह उसके होठो को चूम रहा था, जिसे वो कही भागी जा रही हो। बड़ी देर तक उसके होठो को चूमने के बाद वो उससे अलग होता है, और गहरी गहरी सांसे लेने लगता है।
औरत(कामुकता से): बस इतने में ही थक गये?
आदमी: अभी तो शुरुवात हुवी है।
ऐसा कहते ही वो उसके बदन से साड़ी को अलग करने लगता है। साड़ी के अलग होते ही , उसका बदन चाँद की चांदनी में नहाने लगता है, और उस चांदनी की चमक से चमकने लगता है।
उसके बदन को थोड़ी देर निहार ने के बाद , वो उसके स्तनों को ब्लाउज से आज़ाद कर देता है, और उनको कामुकता से दबाने लगा। औरत हर दबाव पर कामुकता से कराह उठती है। जब आदमी ने उसके स्तन को चूमा तो उसे और भी मीठा स्वाद महसूस हुआ। ये स्वाद को महसूस कर वो उसे पागलो की तरह चूसता रहता है।
धीरे-धीरे दोनों अपने वस्त्रों से मुक्त हो जाते हैं। उसके बदन को देखने के बाद वो उसके बदन के हर हिस्से को चूमने लगा. उसने अपने मन पर नियंत्रण खोना शुरू कर दिया। वह अपने आप को उसके अंदर धकेलना शुरू कर देता है। हर लहर के साथ, आदमी खुद को उसमें धकेल रहा था। और हर धक्को के साथ औरत का बदन रेत से रगड़ खा रहा था। थोड़ी देर बाद आदमीम उसे अपने ऊपर लेता है और खुद उसके निचे लेट जाता है। औरत की रेत से सनी पीठ चांद की चांदनी में चमक रही थी। वो बड़ी ही कामकुता से समुन्दर की लेहरो के साथ उसके ऊपर से धक्के लगा रही थी।
कुछ देर बाद वह जोर-जोर से सांस लेने लगा। यह जानने के बाद कि वह कुछ ही देर में थक गया है। उससे उसकी इच्छा पूरी नहीं होगी. औरत का चेहरा और शरीर बदलने लगता है. एक समय पर वह कामुक औरत दिखती थीं, अब वह एक बूढ़ी औरत लगने लगी थी। उसके नाखून बड़े होने लगे.
आदमी की आंखें बंद हैं, उसे सीने पर किसी नुकीली चीज का एहसास हुआ और वह धीरे-धीरे उसके शरीर पर खरोंच रही है। उसे लगा कि वह मस्ती और कामुकता से खरोंच रही है, लेकिन अचानक उसे दर्द होने लगा। उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसे एक बूढ़ी औरत दिखाई देती है। वह चौंक जाता है. उसने सोचा कि, वह एक खूबसूरत औरत के साथ मजा कर रहा है, लेकिन अब यह बूढ़ी औरत है।
आदमी: तुम कौन हो?
औरत: मैं यक्षिणी हूं, तेरी मौत ।
इसी बात के साथ उस पर हमला कर दिया. उसकी आँखें और चेहरा उसके नाखूनों से देती है। फिर वह उसकी छाती पर अपने नाख़ूने से घाव देती हैं।
इसके बाद उसने उसके दिल पर हमला करा। उसने अपना हाथ उसकी छाती के अंदर धकेल दिया। उसका दिल पकड़ लिया और उसे बाहर निकाल लिया। अत्यंत तीव्र पीड़ा के साथ आदमी के प्राण ने शरीर छोड़ दिया।
वह उसके उपर से उठ खड़ी हुई और बड़े ही भयानक तरीके से चिल्लाने लगी। उसके हाथ में उस आदमी का दिल था। उस दिल को वो अपने पास लाती है। और उससे कच्चा चब्बने लगाती है। दिल से बाकि बचा हुवा खून बहार बह निकलता है, और उसके मुँह से होते हुवे उसके बदन पे बेहने लगता है। उसके ऐसा रूप बहोत ही भयानक लग रहा था। जैसे ही उसने दिल को खा लिया, उसका रूप पहले की तरह कामुक दिखने लगता है, चाँद की चांदनी के खून सा सना हुवा उसका चमकीला बदन. वो फिर से एक बार ज़ोर से चीखती है, उसकी डरावनी चीख इस हसीं रात को डरावना बना देती हैं।
==============================================================
सूर्य की किरणों के साथ सुबह होती है। वेदांत और राहुल हवेली के कमरे में सोये हुवे थे. तभी हवेली का मुख्य दरवाज़े की बहोत ही ज़ोर से खटखटाने की आवाज़ आती है. वेदांत उस आवाज़ को सुन के उठ जाता है। और अपनी आखे पे हाथ चोरता हुवा वो निचे आता है, और मुख्य दरवाज़ा खोलता है। दरवाज़ा खोलते ही उसे सामने प्रिया दिखती है।
प्रिया बड़ी बड़ी सांसे ले रही थी जैसे वो बहोत ही तेज़ी से भाग कर आयी हो। उसकी आँखों से आंसू बहे जा रहे थे। प्रिया को रोता हुवा देख वेंदात उससे पूछता है।
वेंदात: क्या हुवा प्रिया, ऐसे हाफ क्यों रही हो? और रो क्यों रही हो?
प्रिया (रोते हुए ): वेदांत, वेदांत
प्रिया रोते हुवे सुबक रही थी, जिस से वो ठीक से बोल नहीं पा रही थी।
वेंदात: तुम अंदर आओ , आराम से बताओ क्या हुवा।
प्रिया: वो आदित्य और सिद्धार्थ को पुलिस पकड़ के ले गयी है।