अगली सुबह जब सीमा कालेज जाने के लिए निशा के घर पहुंची।
सुजाता उसी समय ऑफिस जानें के लिए निकल रही थी
सीमा _आंटी, निशा कहा है?
सुजाता _, सीमा बेटा आज निशा की तबियत ठीक नहीं है, पूछने पर कह रही थी कि उसके सिर में दर्द है। वह आज कालेज नही जाऊंगी, बोल रही थी। अपने को में आराम कर रही है।
तुम बात करके देखो आख़िर बात क्या है?
सीमा _ठीक है आंटी।
सीमा, निशा के कमरे में पहुंची।
निशा सो रही थी, किसी सोच में डूबी हुई थी।
सीमा ने आवाज दी, निशा,,,,,,
निशा ने कोई जवाब नही दिया,,
वह निशा के करीब गई।
बेड पर बैठ कर जब उसके सिर पर हाथ रख बोली,
निशा क्या huwa है तुम्हे? कहा खोई हुई हो?
निशा _सीमा तुम कब आई?
सीमा _मैने तुमको आवाज दी तुमने सुना ही नहीं। कहा खोई हुई हो।
आंटी कह रही थी की तुम्हारी तबियत ठीक नहीं।
निशा _हां, सीमा आज मेरी तबियत ठीक नहीं है, मै आज कालेज नही जा रही।
सीमा _मै तुम्हे अच्छी तरह जानती हूं। तुम्हारी तबियत ठीक न होने पर भी तुम कालेज मिस नही करती,बोलो आख़िर बात क्या है?
तुम्हारी आंखे सूजी हुई लग रही है, जैसे तुम रात भर रोई हो। बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा की आंखो में आंसु आ गए।
निशा _कुछ भी तो नही।
सीमा _निशा तुम रो रही हो, बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा, सीमा के गोद में अपना सिर रखकर रोने लगी।
सीमा _मेरा दिल घबरा रहा है। निशा आख़िर बात क्या है? बताओ मुझे।
निशा _मै तुम्हे नही बता सकती।
सीमा _निशा, ऐसी क्या बात है को मुझे नही बता सकती?अगर तुम मुझे अपनी बहन समझती हो तो बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा _राज किसी और से,,,
सीमा _निशा, ये तुम क्या कह रही हो?
ऐसा नहीं हो सकता। ये तुम्हारा वहम होगा।
क्या ये राज ये बात राज ने तुमसे कहा?
निशा ने न में सिर हिलाया
सीमा _फिर तुम यह कैसे मान ली की वह किसी और से प्यार करता है? मैंने राज की आंखो में तुम्हारे लिए प्यार देखा है?
निशा _मै सच कह रही हूं।
सीमा _कौन है वो?
आख़िर मै भी तो जानू, तुमसे बेहतर राज के लिए।
निशा _मै नही बता सकती?
सीमा _नही सीमा मुझे, बताना ही होगा। मै तुम्हारे आंखो में आंसू नहीं देख सकती बोलो,, कौन है वो, बताओ मुझे।
निशा _नही, सीमा मुझे इस बारे में मत पूछो, मै नही बता सकती।
सीमा _नही निशा मुझे बताना ही होगा तुम्हे तुम्हे, कौन है वो? बोलो
सीमा के बार बार जिद करने पर,,
निशा _पहले तुम वादा करो यह बात किसी को नही बताओगी?
सीमा _क्या मुझ पर भरोसा नहीं?
निशा _, भरोसा नहीं करती तो क्या मैं इतना कुछ बताती।
सीमा _मै हम बचपन की सहेली ही नही बहन जैसी है मै हमेशा तुम्हारी खुशियां ही चाही है। बताओ मुझे कौन है वो?
निशा _मेरी मॉम,,,
सीमा _निशा तुम पागल हो गई हो? तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रही हो?
निशा _मै सच कह रही हूं। मैने अपने आंखो से देखा है। दोनो को प्यार,,,,
निशा रोने लगी,,
सीमा _नही ये नही हो सकता !
सीमा भी सोचने में मजबूर हो गई।
सीमा _पर ये सब huwa कैसे?
निशा _शायद, सोनपुर में अकेले रहने के दौरान वे करीब आ गए होंगे।
सीमा _कोई और होता तो मैं तुम्हे कुछ सलाह देती, तुम्हारी मां है, अब आगे जो भी करना है फैसला तुम्हे ही लेना होगा।
निशा _मैने फैसला कर लिया है?
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _मै राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _निशा अगर,आंटी को पता चले की तुम राजेश से प्यार करती हो तो शायद वह राजेश को अपने से अलग कर दे। तुम कहो तो मैं आंटी से बात करू की तुम राज को पसंद करती हो।
निशा _नही, सीमा एसा भूलकर भी न करना, तुम्हे मेरी कसम।
मैं अपनी मॉम से बहुत प्यार करती हूं। डैड के बीमार रहने के बाद, वह जैसे सजना, संवारना, ठीक से हंसना सब भूल चुकी थी।राजेश के आने से उसको पहली बार इतना खुश होते देखा है ।
मैं अपनी मॉम की खुशी के लिए राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _क्या यह इतना आसान है?
निशा _जानती हूं। राजेश को भूल पाना आसान नहीं इसलिए मैंने एक और फैसला लिया है।
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _दो माह बाद एग्जाम खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के पास लंदन चली जाऊंगी।
सीमा _पर तुम्हारा सपना तो आगे अपनी मॉम का सहारा बनने का है न। उसकी कंपनी को आगे बढ़ाने का।
निशा _मै पढ़ाई के बाद वही किसी नई प्रॉजेक्ट पर काम करूंगी। जिससे मॉम की कंपनी और आगे बड़ सके।
सीमा _ओह निशा, ये सब क्या हो गया?
सीमा ने निशा को अपने सीने से लगा लिया। उसकी आंखो से भी आंसू बहने लगी।
कुछ देर बाद सीमा ने कहा,,,
निशा अब आंसू बहाने से अच्छा है हालात से लड़ना, जो होगा ऊपर वाले पे छोड़ दो।
यहां घर में रहेगी तो अकेली घुट घुट कर अपनी हालात और खराब कर लेगी। चलो मेरे साथ कालेज। मै तुम्हे अकेली नहीं छोड़ सकती।
अगर तुम नही जावोगी तो मै भी कालेज नही जाऊंगी।
निशा _सीमा, मुझ अभागन का साथ छोड़ दो, नही तो मेरे साथ तुम्हारी भी किस्मत खराब हो जाएगी।
सीमा _निशा, मै तो तुम्हारी साया हूं, साया। तू जहा जाएगी हमेशा साथ ही रहूंगी। मैने तो बचपन से ही यह फैसला कर लिया है।
निशा _सीमा,,
सीमा _हां, मेरी बहना।
दोनो एक दूसरे को गले लगा कर रोने लगे।
सीमा _अब चलो, तुम फ्रेश होकर जल्दी तैयार हो जाओ।
इधर राजेश कालेज पहुंचता है।
कैंटीन में,,
भगत _भाई ये पार्टी वाले बार बार काल करके मुझे अपने पार्टी में शामिल होने के लिए फोर्स कर रहे हैं।
राजेश _तुम, उनसे कहो जो भी फैसला लूंगा वह एग्जाम के बाद ही लूंगा।
अभी मुझे अपनी पढ़ाई पर फोकस करना है।
भगत _ठीक है भैया।
राजेश _वैसे तुमने जो फेस बुक और इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट बनाया है उसका क्या हाल चाल है?
भगत _भैया, लाखो फालोवर जुड़ चुके हैं और रोज सैकड़ों नई फालोवर जुड़ रहे हैं। मेरे विचारो को लोग खूब लाइक कमेंट्स और शेयर कर रहे है। अधिकांश लोग तो कह रहे हैं की खुद की नई पार्टी बनाओ। हम आपके साथ है।
राजेश _गुड। फालोवर की संख्या जितनी बड़े अच्छी बात है। तुम उसमे अपनी नई नई विचारो को पोस्ट करते रहा करो।
और अपने फालोवर को अप्रैल तक सब्र रखने बोलो। फिर आगे का प्लान बताया जाएगा।
राजेश _ठीक है भाई।
भगत _आगे कुछ दिनों बाद इंटर कालेज फुटबाल टूर्नामेंट होना है। इसका आयोजन हमारे ही कालेज में होना है।
इसके लिए आवश्यक तैयारियों पर चर्चा के लिए। छात्र संघ और कालेज प्रशासन के बीच दोपहर में बैठक रखा गया है।
राजेश _ये तो अच्छी बात है। टूर्नामेंट में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। दूसरे कालेज से आने वाले छात्रों की सुविधाओ एवम ठहरने की व्यवस्था उनकी सुरक्षा पर चर्चा करना जरूरी है।
भगत _भाई, मीटिंग में हमारे कॉलेज की फुटबाल टीम के चयन पर भी चर्चा होगी। आपको टीम में कप्तान बनाने के लिए मैं पहल करूंगा। नियम के अनुसार जो स्टूडेंट लोकल टूर्नामेंट में भाग लेता है उसी को उसके परफामेंस के आधार पर टीम में शामिल किया जाता है । आप लोकल टूर्नामेंट में भाग नही ले पाए थे, तो आपका इस बार टीम में चयन के लिए, पुराने नियम पर विचार करना पड़ेगा।
राजेश _नही भगत, टीम मेंमेरा चयन के लिए अनावश्यक दबाव मत बनाना। नियम सबके लिए समान होना चाहिए। मैने लोकल टूर्नामेंट में भाग नही लिया था, तो टीम में मेरा चयन करना, नियम विरुद्ध होगा।
भगत _पर भाई लगातार दो बार हमारे कालेज को आप ही ने चैंपियन बनाया है, इस बार आप नही खेलेंगे तो फिर टूर्नामेंट जीतेंगे कैसे?
राजेश _अरे नही हमारे टीम में सब अच्छे प्लेयर्स है। रोहन में भी काबिलियत है, मुझे यकीन है उसके नेतृत्व में सभी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगें।
भगत _भाई, हम जानते है कि रोहन टूर्नामेंट जीतने के लिए जी जान लूटा देगा, पर उसका इगो, कही टीम पर भारी न पड़ जाए।
राजेश _देखते है, क्या होता है? फिर हाल हमारे कालेज को उस पर विश्वास करना ही पड़ेगा।
दोपहर लंच के समय,,
सीमा _निशा, कैंटीन चले कॉफी पीने।
निशा _नही, सीमा अब मै कभी कैंटीन नही जाऊंगी।
सीमा _निशा, शायद तुम भूल रही हो राज तुम्हारा अभी भी बहुत अच्छा दोस्त हैं। उसका प्यार न मिला तो क्या? दोस्ती थोड़े ही छोड़ देगी।
निशा _मुझे डर है कि राज के सामने आने पर मैं कमजोर न पड़ जाऊं।
सीमा _ऐसा नही होने दूंगी, मै तुम्हारे साथ हूं।
चलो।
दोनो कैंटीन में चले गए।
वहा पर राजेश अकेला मिला।
सीमा _हाय राजेश।
राजेश _हेलो सीमा, हेलो निशा जी।
निशा _हेलो राज ।
सीमा _राज आजआप अकेले है।
राजेश _हां, भगत और कुछ दोस्त आज कालेज प्रशासन के साथ मीटिंग अटेंड कर रहे हैं।
राजेश _काफ़ी लेंगी आप दोनो।
सीमा _क्यू नहीं।
राजेश ने तीन कॉफी मंगाया।
राजेश _निशा जी आज आपके चेहरे में कुछ उदास लग रही है। कुछ बात है क्या?
निशा _नही राजेश, वो आंख में कचड़ा चला गया था न इसलिए आंख कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राजेश _दिखाओ अपनी आंखे, फुख मारकर कचरा बाहर निकाल दू। तुमको राहत मिलेगी।
निशा _ओह राजेश कचरा निकल चुका है, तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं।
राजेश _वैसे निशा जी आपने कल बहुत अच्छा पानी पूरी बनाया था। खा कर मजा आ गया।
निशा _thanks राजेश
सीमा _राजेश तुम इतने दिनो तक सोनपुर में रहे, काफ़ी इंजॉय किए होगे वहा। हमें भी तो बताओ कुछ।
राजेश _वहा की वादियां बहुत अच्छी है, अगर तुम लोग होते तो और मजा आता।
निशा _Rajesh, तुमने हमें बुलाया ही नहीं, अगर तुम बुलाते तो हम वहा जरूर पहुंच ,,,
राजेश _वहा तुम लोगो का जाना थोडा रिस्की था न मज़दूर यूनियन वालो से,,
इसलिए तुम लोग न आए तो ही अच्छा था।
सीमा _तुम्हे चोंट लगी तो आंटी ने काफी अच्छी देखभाल की होगी आपका।
राजेश _ओ हां सुजाता मैम की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उसने मेरी दिन रात देखभाल की।
उसके बाद तीनो काफी पीने लगे।
सीमा _जब से आप लोग सोनपुर से आए है। आंटी तो आपकी तारीफ करते नही थक रही। लगता है तुमने आंटी पर भी अपना जादू चला दिया है।
राजेश तुमने फ्यूचर के बारे में क्या सोचा है?
राजेश _सीमा जी आप लोग तो जानते ही हो कि आगे मेरा लक्ष्य क्या है?
सीमा _वो तो जानते ही हैं, और तुम अपने लक्ष्य को भी प्राप्त कर लोगे, हमे यकीन है पर उसके बाद क्या?
राजेश _जी मै समझा नही।
सीमा _भई, जिंदगी जीने के लिए हमसफर भी तो चाहिए उसके बारे में बात कर रही हूं।
राजेश _ओह, उसके बारे में तो कुछ सोचा ही नहीं।
सीमा _पर हमे तो लगा कि तुम अपने लिए हमसफर ढूंढ चुके हो।
कैसा हमसफर चाहिए तुमको, हम तुम्हारे दोस्त हैं, शायद हम कुछ मदद कर सके। तुम्हारे आस पास कोई हो तो बताओ। उदाहरण के लिए।
राजेश _मुझे तो सुजाता मैम की तरह सुंदर,काबिल और मां के समान प्यार करने वाली पत्नी चाहिए।
सीमा _ओह, तो तुम निशा को क्यू पसंद नही कर लेते? वह सुजाता आंटी की परछाई ही है और वह मां की तरह तुमको प्यार करेगी?
राजेश खामोश हो गया,,
निशा चीखी ,,
सीमा, ये तुम क्या बकवास कर रही हो?
सीमा को अपनी गलती का अहसास हो गया,,
सीमा _सॉरी निशा मै तो मजाक कर रही थी।
राजेश तुम क्या सोचने लगें, मै तो सिर्फ मजाक कर रही थी।
निशा _राजेश ये लड़की तो पागल है कुछ भी बोल देती है, तुम इसकी बातो को दिल से न लेना।
अच्छा राजेश अब क्लास का समय हो रहा है, हम चलते हैं।
राजेश ने हां में सिर हिलाया।
राजेश निशा को जाते हुए देखने लगा,,,
निशा _सीमा ये तुमने क्या किया? राज को ये सब बोलने की क्या जरूरत थी।
सीमा _सॉरी निशा पता नही, ये सब मेरे मुंह से कैसे निकल गया?
निशा _राजेश अब मेरे बारे में न सोचें तो ही अच्छा है।
तुमने ये ठीक नहीं किया।
सीमा _सॉरी निशा, माफ कर दो मुझे प्लीज, तुम्हारे आंखो की आंसू मुझे देखे नही जाते।
निशा _सीमा तुम मूझसे वादा करो, राज से तुम कभी भी नहीं बताओगी की मैं उससे प्यार करती हूं।
सीमा _निशा, मै तुमसे वादा करती हूं। मैं ये बात राजेश को कभी नहीं बताऊंगी।
इधर राजेश के मन में सीमा की बात ने काफ़ी गहरा प्रभाव डाला था।
कालेज के छुट्टी के बाद राजेश जब घर पहुंचा,,
वह किचन में जाकर, सुनिता को पीछेसे अपनी बाहों में भर लिया ।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हां, मां।
राजेश ने सुनिता की गालों को चूमने चाटने लगा।
सुनिता _अरे क्या कर रहा है तुमने फिर शैतानी शुरू कर दी।
राजेश _अपनी मां से प्यार कर रहा हूं, इसमें शैतानी क्या?
इधर राजेश सुनिता को और जकड़ लिया, उसका land उसकी गाड़ में धस गया।
जिससे सुनिता सिसक उठी।
राजेश _क्या huwa मां?
सुनिता _अपना छोटू को सम्हालो, गलत जगह जानें की कोशिश कर रहा है।
राजेश _तो सही जगह पहुंचा दो न अपने छोटे बेटे को।
सुनिता _चल हट बदमाश कही का जब देखो तब मस्ती सूझी रहती हैं।
राजेश _थोडा दुदू ही पीला दो ।
सुनिता_जानती हूं, दुदू पीने के बहाने मुझे गर्म करता है ताकि आसानी से तुम्हारी बातो में आ जाऊं।
चल हट, मुझे काम करना है। जाओ अपने कमरे में।
राजेश ने सुनिता की ओंठ को मुंह में भरकर चूस दिया फिर अपने कमरे में भाग गया।
सुनिता _बेशरम कही का, बिल्कुल आवारा बन गया है, और मुस्कुराने लगी।
राज अपने कमरे में जानें के बाद, फ्रेश होकर बेड पार आराम करने लगा।
वह सीमा द्वारा कही गई बातों के बारे में सोचने लगा,,
निशा, सुजाता की परछाई है उसे क्यू पसंद नही कर लेते। वह तुम्हे मां जैसे प्यार भी करेगी।
फिर उसे याद आया,किस प्रकार जब वह निराश हो गया था, तब निशा ने उसे इससे उबारा।
निशा के साथ जो उसने कालेज फंक्शन में परफार्म किया था, वह याद आने लगा।
प्राय के द्वारा कही गई बाते,,
निशा तुम पर मरती है,, इसका तुम्हे अहसास नही। तुम दोनो की जोड़ी सबसे बेस्ट होगी।
फिर उसे अपनी मां की कही बाते याद आया कि तुम अमीर घर की लड़कियों से दूर ही रहना।
राजेश उलझन में फस गया,,
वह मोबाइल में कैद निधा की फ़ोटो निकाल कर देखने लगा।
तभी उसकी मां कमरे में आई।
सुनिता _बेटा क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही मां, बस आराम कर रहा था।
सुनिता _चलो भोजन के लिए तुम्हारे पापा वेट कर रहे हैं।
राजेश _ठीक है मां, मै अभी आया।
कुछ देर बाद राजेश, भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर उपस्थिति दे दिया था।
शेखर _सुनिता, गांव से भैया ने फ़ोन किया था। बोल रहा था की उसकी बहू को लडकी हुई है। जिसका नामकरण संस्कार अगले संडे को है। हमे निमंत्रण दिया है।
सुनिता _ये तो खुशी की बात है। काश हम जा पाते।
राजेश _मां आख़िर बात क्या है? आप लोग गांव जाते क्यू नही हो? पूछने पर भी आप लोग कुछ बताते नही। वहा ताऊ, ताई, चाचा चाची और भाई बहन सब है, मेरा उनसे मिलने का कितना मन है पर न तुम लोग जाते हो न मुझे जानें देते। आख़िर क्यू?
सुनिता _बेटा, वह बहुत पिछडा गांव है वहा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए हम वहा नही जाते।
राजेश _मां तुम न जाती हो वह समझ आता है पर पापा भी नहीं जाते। जबकि उनके बड़े और छोटे भाई वहा रहते हैं। क्या सुविधा के अभाव होने से कोई अपने भाईयो को भूल सकता है l
शेखर _बेटा, मुझे भी याद आता है मेरे भाईयो का पर हमारा वहा न जानें में भलाई है।
राजेश _पापा आख़िर बात क्या है?
सुनिता _राजेश, कितने बार कहा है? तुम इस बारे में मत पूछा करो।
राजेश _सॉरी मॉम।
रात को सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _क्या कर रहे हो जनाब?
राजेश _मैम आप। कुछ नही सोने की कोशिश कर रहा था।
सुजाता _क्यू नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _हां, किसी के खयालों में खोया था।
सुजाता _कौनहै वह खुशनसीब मै भी तो जानू?
राजेश _आप के शिवा कौन हो सकता है?
सुजाता _अच्छा, तो अभी तक काल क्यू नही किया।
राजेश _अब मुझे क्या पता आप कहा पर हो।
सुजाता _चल झूठा कही का।
अच्छा सुनो, आई मिस यू सो मच
मैं कल शाम को होटल में एक कमरा बुक कर दी हूं।
तुम कालेज से सीधा वही आ जाना, मै वही मिलूंगी।
तुम्हारे बिना रह पाना मुस्किल है मेरे लिए।
राजेश _किसी को पता चल गया तो।
सुजाता _तुम उसकी चिंता मत करो किसी को पता नहीं चलेगा।
अच्छा अब मै रखती हूं बाई।
राजेश _ओके बाई।
अगले दिन सुजाता ने अपने कंपनी के अधिकारियो की मीटिंग रखी थी। कंपनी के अधिकारियो से कंपनीकी स्थिति पर जानकारी लेने।
अधिकारियो ने बताया कि कंपनी के सारे प्रॉजेक्ट फिर से शुरू हो गए है।
हमारे निवेशक फिर से हमारी कंपनी पर भरोसा जता रहे हैं। कंपनी के शेयर में लगातार तेजी बना huwa है। हम बहुत जल्द पुरानी स्थिति को प्राप्त कर लेंगे।
सुजाता ने खुशी जाहिर की।
शाम को 4बजे सुजाता ने राजेश को काल कर होटल के बारे में जानकारी देकर जल्द पहुंचने को कहा।
सुजाता जल्द ऑफिस से निकल कर होटल मे पहुंच चुकी थी।
राजेश कालेज से छुट्टी के बाद फाइव स्टार होटल पहुंचा।
मैनेजर ने राजेश को देखते ही पहचान लिया।सुजाता ने मैनेजर को पहले ही राजेश का फ़ोटो mobile पर सेंड कर दिया था। और कह दिया था की जब वह आए तो मेरे कमरे में बिना किसी पूछताछ के भेज देना ।
जब मैनेजर ने राजेश को देखा,,
मैनेजर _आप राजेश है।
राजेश _जी।
आप मेरे साथ आइए।
राज मैनेजर के पीछे चला गया।
मैनेजर ने राजेश को रूम के बाहर छोड़ कर आया।
राजेश ने सुजाता को काल किया,,मैम मै रूम नंबर 24 के बाहर खड़ा हूं।
सुजाता ने दरवाज़ा खोला। और राजेश कमरे के अन्दर प्रवेश किया।
सुजाता ने दरवाज़ा बंद कर राजेश के गले में अपनी बाहें डाल दिया।
सुजाता _मै कब से वेट कर रही थी।
राजेश ने सुजाता के अपने बाहों मे जकड़ लिया।
आज तो आप बहुत हॉट लग रही हो,,
राजेश ने सुजाता को अपनी गोद में उठा लिया।
वे एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
राजेश ने सुजाता को बेड पे लिटा दिया।
सुजाता उठ कर बैठ गई, और राजेश के ओंठ चूसने लगी।
फिर वह गीत गाने लगी,,,
चलो प्यार मुझे करो,,,
अंग से अंग लगाके, प्रेम सुधा बरसादे,,
दासी तेरी प्यासी रही कितनी जनम,,,
भरो मांग मेरी भरो,,
चलो प्यार मुझे करो,,
बिन तेरे मेरा कोई और नहीं
मेरे प्यार की कच्ची डोर नही
पिया लेके मन की कली
तेरी पूजा करने चली प्रियतमा
चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,
दिल मेरा है तेरा ये जान ले
मेरी दीवानगी पहचान ले
सांस रुक भी गई जो सनम
लेके आऊंगा फिर मैं जनम प्रियतमा,
चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,
अंग से अंग लगाके प्रेम सुधा बरसादे
तेरे लिए बेचैन था कितने जनम,,
इधर निशा घर आने के बाद अपने कमरे में आकार राजेश को याद कर गीत गाने लगी,,,
शिकवा नहीं किसी से,,,
किसी से गिला नहीं,,,
नसीब में नहीं था,,
हमको मिला नहीं,,