पदमा आंगन में बैठकर चावल साफ़ करने लगी। इधर कमरे में भुवन और पुनम के बीच chudai अंतिम अवस्था में पहुंच गई। भुवन ने पुनम को घोड़ी बनाकर। जमकर पेला और अन्त में अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया।
आधा वीर्य बहकर पुनम की टांगों में बहने लगा।
वह कमरे से निकल कर बाड़ी की ओर भागी।
पदमा ने उसे घूरते हुए देखा। जब पुनम की आंख उसकी सास से मिली तो वह शर्मा गई।
बाड़ी में बनी मूत्रालय में जाकर वह बाल्टी में भरी पानी से अपनी बुर धोने लगी।
वीर्य जो टांगों में बह रही थी उसको साफ की।
फिर वह आंगन में आ गईं।
पुनम _मां जी, दो चावल को मैं साफ़ कर देती हूं।
पदमा _क्यूं re कुछ शर्म वगैरा है की नही बाजू वाले कमरे में मेहमान है और दिन में ही शुरु हों गए।
पुनम शर्माते हुवे।
पुनम _मां जी आपका बेटा कहा मानता है? मैने उसे मना किया पर वह माना नही।
पदमा _चावल मैं साफ़ कर रही हूं तुम खाना बनाओ, जाओ सब्जी कांटो।
पुनम _कौन सी सब्जी बनाऊं मां जी।
पदमा _बाड़ी से तोड़कर करेला, और भाजी लाई है, जाओ बनादो। दाल भी चढ़ा देना।
कुछ रोटियां भी सेक देना।
पुनम _ठीक है मां जी।
पुनम कीचन में जाकर खाना बनाने लगी।
कुछ देर में आरती भी पहुंची।
पदमा _तु कहा चली गई थी re,
आरती _मां मैं अपनी सहेली, मधु के घर गई थी।
पदमा _जाओ हाथ पैर धोलो और कीचन में जाकर अपनी भौजी की मदद करो।
आरती भी कीचन में चली गई और भाभी की मदद करने लगी।
जब भोजन तैयार हों गया।
पदमा राजेश के कमरे में पहुंची।
राजेश अपनें साथ कुछ पुस्तके लाया था। ताकि आई ए एस की तैयारी कर सके। वह पुस्तक पड़ रहा था।
पदमा _राजेश बेटा,,
राजेश _जी ताई, आइए बैठिए।
पदमा _अरे बेटा, भोजन तैयार हो गया है चलो हाथ मूंह धोकर आ जाओ।
राजेश _ताई, भुवन भैया आ गया।
पदमा _हा बेटा वो तो कब का आ चुका है। अपनें कमरे में आराम कर रहा है। बहुत मेहनत किया न अपनी बीबी के साथ थक गया है।
राजेश _मैं समझा नही ताई।
पदमा _बेटा, जब तेरी शादी होगी न तो तू भी समझ जाएगा। चल अब आ जा।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा भुवन के कमरे में गया।
अरे मुआ चल तु भी खाना खा लें फिर मुझे भी तुम्हारे बापू के लिए खाना लें जाना है, नही तो वह भूखा रह जायेगा।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन अपनें कमरे से निकल कर राजेश के कमरे मे गया।
भुवन _अरे, राजेश चलो भोजन करते हैं। डाकिया बाबू ने तुम्हे घर तक छोड़ा न। कोइ परेशानी तो नहीं हुईं।
राजेश _ नही भाई, आने में कोई दिक्कत नही हुई।अभी अभी ताई आई थी बुलाने।
राजेश और भुवन दोनो हाथ धोकर भोजन के लिए कीचन में पहुंचते हैं।
पूनम दोनो को खाना परोश्ती है।
दाल चावल सब्जी रोटी।
भुवन _वाह, आज तो खाने में मजा आ जायेगा।
भाई राजेश तुम्हारे आने से तो हमें भी अच्छा खाना खाने को मिल रहा है।
वाह क्या खुशबू आ रही है, भोजन में।
राजेश _भाभी के हाथ में तो जादू है बड़ा स्वादिष्ट भोजन बना है।
भुवन _भाई, ये जादू तो तुम्हारे आने के बाद ही देखने को मिल रहा है। नही तो आर रूखा सूखा ही खाकर काम चलाना पड़ता है। किसी को कुछ बोलो तो, उल्टा हमें ही सुनना पड़ता था।
पुनम _क्यों जी कब तूमने रूखा सूखा खाना खाया है? आप तो ऐसे बोल रहे है कि मैं मन से खाना नही बनाती, मूंह फुलाते हुवे बोली।
भुवन _लो कुछ बोलो तो मुंह फुलाकर बैठ जाती है। कुछ बोलना ही बेकार है।
तभी पदमा पहुंची,,
पदमा _क्या हों गया re मुआ कही का क्यो आपनी लुगाई सै झगड़ रहा है?
भुवन _कुछ नही मां, मैं तो खाना की तारीफ कर रहा थाकि आज खाना बड़ा स्वादिष्ट बनाई है पुनम ने।
आरती _भईया मैने भी मदद की है खाना बनाने में भाभी की।
भुवन _अच्छा तो सब मिलकर राजेश की खातिर दारी में लगे हुवे है।
पदमा _तुम्हे जलन हो रही है क्या? तुम्हारे छोटे भाई की खातिर दारी होने से,,
भुवन _अरे नही मां, मुझे क्यू जलन होने लगा, मैं तो खुश हूं कि राजेश के आ जाने के बाद अच्छा अच्छा खाने को मिलेगा।
पदमा _बहु राजेश को दो और रोटी दो।
राजेश _नही ताई, मेरा पेट भर गया।
पदमा _अरे बेटा, तू खाने में शर्मा मत यह तुम्हारा ही घर है। वैसे भी इस घर और जमीन पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना भुवन का।
जमीन जायदाद का बटवारा हुवा नही है।
राजेश _ताई एक बात पूछनी थी आपसे?
पदमा _पूछो, बेटा ।
राजेश _चाचा और चाची अलग क्यू रहते हैं? आप लोगो के साथ क्यू नही?
पदमा _अब क्या बताऊं बेटा, तुम्हारी चाची और हमारे बीच किसी बात को लेकर अनबन हों गई। तुम्हारे चाचा जी तो साथ ही रहना चाहते थे। पर तुम्हारी चाची के आगे उसका भी नही चलता।तुम्हारे चाची के कहने पर,अलग से घर बना लिए और वही रहते है।तुम्हारी चाची, इस गांव के सरपंच है,तुम्हारे चाचा जी दुकान चलाते है। कृषि कार्य में तो उन्हे रुचि है नही, खेत को तुम्हारे ताऊ और भुवन के जिम्मे छोड़ दिया है।
यहां आते समय जो बड़ा सा किरानाऔर निर्माण सामग्री, और कृषि खाद का दुकान देखा होगा वह सब तुम्हारे चाचा जी ही चलाते है।
भुवन और राजेश दोनो ने दोनो भोजन कर लिए, उसके बाद दोनो राजेश के कमरे में चले गए।
इधर पदमा ने भी भोजन किया उसके बाद अपनें पति के लिए भोजन लेकर खेत चली गई।
कुछ देर आराम करने के बाद,,
भुवन _राजेश चलो अब तैयार हो जाओ। तुम्हे गांव घुमा लाऊ।
राजेश कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
जैसे ही वे गालियों में पहुंचे, गांवों वाले राजेश को देखकर पूछते, भुवन गांव में नया लगता है, ये युवक कोन है ये।
भुवन सभी को राजेश का परिचय कराता।
गांव में जो जो मुख्य चीजे थी, प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, गोठन, सभी का भ्रमण किया।
राजेश _भुवन भईया, मैं चाचा चाची से मिलना चाहता हूं, चलो उसके घर चलते है।
भुवन _राजेश, चाची तो मुझे पसन्द नही करती, मूझसे बातचीत नही करती।
चलो चाचा जी से मिलवा देता हूं।
राजेश _भुवन भईया ऐसा भी क्या बात हो गई जो चाची जी आपसे बातचीत नही करती।
भुवन _इसकेे बारे में कभी बताऊंगा, छोटे अभी मत पूछो।
लो चाचा जी का दुकान आ गया।
भुवन का चाचा माधव प्रसाद उम्र 40वर्ष।
दुकान में ही था,,
भुवन _नमस्ते चाचा जी,
माधव _अरे, भुवन आओ बैठो,
भुवन ने माधव का पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश ने भी पैर छूकर प्रणाम चाचा जी कहा।
माधव _अरे भुवन ये कौन है?
भुवन _चाचा जी पहचानो ये कौन है?
माधव _इसकी सकल तो बाबू जी से काफी मिलती है। कौन है ये,,
भुवन _चाचा जी, ये राजेश है, शेखर चाचा का लडका, आज सुबह ही शहर से आया है।
माधव प्रसाद _ये शेखर भईया का लडका राजेश है!
माधव का खुशी का ठिकाना न रहा,
अरे भईया भाभी और तुम लोगो से मिलने के लिए आंखे तरस रही थी।
मैं बता नही सकता की तूमको गांव में देखकर कितना खुशी महसूस कर रहा हूं।
तु अकेला आया है की भईया भाभी भी साथ में आए है।
राजेश _चाचा जी पापा को तो ड्यूटी से छुट्टी ही नही मिलता।
माधव प्रसाद _जानता हूं बेटा बैंक वालो की ड्यूटी।
वैसे तु सुबह का आया है और अब मिलने आया है।
बेटा तु इधर से ही तो गुजरा होगा। मूझसे आते ही मिल लिया होता।
राजेश _चाचा जी मैं आपको कैसे पहचानता, पहली बार जो आया हूं?
माधव _हां राजेश सच कहा तुमने।
चलो बेटा घर के अन्दर चलो, तुम्हारी चाची से मिलो।
घर दूकान से ही लगा था।
माधव ने अपनी पत्नि सविता को आवाज़ दिया।
अरे सुनती हो देखो तो कौन आया है।
दो तीन बार आवाज़ देने के बाद सविता बाहर आई।
सबिता उम्र 37 वर्ष, गांव की सरपंच है, पहले माधव सरपंच था, जब पंचायत चुनाव में सीट 50%महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया, माधव की जगह सविता सरपंच बन गई, सविता कालेज तक पढ़ी थी।
सबिता_क्या huwa जी क्यू चिल्ला रहे हो?
माधव _देखो तो कौन आया है?
सविता _, कौन है ये?
माधव _शेखर भईया का लडका, राजेश, आज ही शहर से आया है।
राजेश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता _जीता रह।
वैसे इतने दिनो बाद गांव कि याद कैसे आई?
राजेश _जी चाची मैरी कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई है तो आप लोगो से मिलने का बड़ा मन था, कुछ दिन रहने चला आया।
माधव _अरे सविता, ऐसे ही खड़े खड़े बाते करती रहेगी की घर के अन्दर ले जाकर चाय वगैरा भी पिलाएगी।
सविता _देखो जी मैं तो अभी पंचायत के काम से पंचायत भवन जा रही। अभी मेरे पास समय नहीं।
तुम चाय वाले के दुकान से चाय मंगा कर पिला दो।
सविता वहा से चली गई।
माधव _राजेश तुम आपनी चाची की बातों का बुरा मत मानना। जुबान की थोड़ी कड़वी है पर दिल की बहुंत अच्छी है।अभी जल्दी में है न इसलिए,,
माधव ने राजेश और भुवन से दुकान में रखे चेयर पर बैठने कहा।
माधव _आओ बेटा बैठो।
क्या लोगो ठंडा या गरम?
भुवन _चाचा जी अभी तो गर्मी लग रही है, चाय तो रहने दो।
माधव ने दुकान में रखें फ्रीज से ठंडा का दो बाटल निकाला, और बोला,, लो बेटा ठंडा पियो।
अच्छा राजेश, भईया भाभी कैसे है?
यहां से जाने के बाद, गांव को तो बिल्कुल भुल ही गए।
राजेश _मां और पापा वहा अच्छे से है चाचा जी, पापा तो आप लोगो को बहुत मिस करते है। पर ड्यूटी से उन्हे समय नहीं मिल पाता गांव आने के लिए।
राजेश _चाचा जी एक बात पूछनी थी आपसे, आप तो यहां के सरपंच रह चूके है। गांव इतना पिछड़ा huwa क्यू है?
माधव _गांव के विकाश के लिए मैंने बहुँत प्रयास किया, राजेश पर सरकार की योजना का लाभ मिलने के लिए विधायक जी का सहयोग मिलना जरूरी है। उसके बीना अनुमोदन के कोइ भी कार्य पास नही हो सकता। यहा के विधायक ठाकुर बलेन्द्र सिंह नही चाहते की सरकार के किसी भी योजना का लाभ इस गांव के लोगो को मिले।
राजेश _चाचा जी ऐसा क्या हो गया था कि ठाकुर साहब इस गांव के खिलाफ हो गए हैं।
माधव _समय आने पर धीरे धीरे सब पता चल जायेगा राजेश, अभी उस बात को न जानो तो ही बेहतर है।
बात चित करते हुवे काफी समय हो गया।
भुवन _अच्छा चाचा जी मैं राजेश को खेत घुमा के ले आऊं, राजेश वहा बापू से भी मिल लेगा।
माधव _क्या राजेश बड़े भईया से अभी तक नही मिले हैं?
भुवन _कहा, चाचा जी, बापू तो सुबह से ही खेत निकल गए थे।
माधव _ठीक है, जाओ राजेश खेत घूम आओ। बड़े भईया से भी मिल लेना, वे बहुत खुश होंगे।
राजेश _ठीक है चाचा जी। हमे इजाजत दीजिए। पैर छूकर इजाज़त लिया।
माधव _जी ता रह बेटा, आते रहना।
राजेश _अभी, तो कुछ दिन यहां रहूंगा। आता रहूंगा आपके पास बैठने।
माधव _ठिक है बेटा।
राजेश और भुवन दोनो खेत की ओर चले गए।
भुवन _राजेश यह कच्ची सड़क सीधा नदी की ओर जाता हैं।
शाम को दोस्तो के साथ टहलने जाते है।
कुछ देर में ही वे खेत पहुुंच गए।
भुवन _लो भाई हम अपना खेत पहुँच गए।
ये कटीले तार से घिरा जो जमीन है। क़रीब 30एकड़। ये हमारा खेत है। खेत के चारो ओर मेड के किनारे किनारे,फल दार पेड़ लगे थे।
खेत के अन्दर जाने के लिए लकड़ी और घांस फुश का एक दस फीट लंबा 5फीट चौड़ा दरवाजा लगा था।
दरवाजा खोलकर वे अंदर गए।
अंदर एक झोपड़ा बना था जिसकी दिवारे मिट्टी की ऑर छत खपरैल की ।
वे झोपड़े के अंदर गए।
झोपड़े में एक खाट रखा था। उस पर मोटा चादर तकिया और एक कंबल था।
झोपड़ा के बाहर मटका , रखा था जिस में पीने के लिए पानी रखा था।
भुवन _आओ, राजेश बैठो खाट में।
राजेश खाट में बैठ गया।
राजेश _अरे भुवन भईया, ताऊ जी दिखाई नहीं दे रहे।
भुवन _वो खेत में मजदूरों के साथ होंगे। मां भी होगी। बापू के लिए खाना लेके आई थी। शाम को मजदूरों के साथ ही चली जाती है।
चलो बापू से मिलवाता हूं।
भुवन राजेश को उस ओर ले गए जिधर मजदूर काम कर रहे थे।
खेत में विभिन्न प्रकार के सब्जियां फल फूल अनाज लगे हुवे थे।
गांव की महिलाए खेत में काम करने आती थी।
पास पहुंचने पर भुवन ने आवाज़ लगाया।
भुवन _बापू, ओ बापू।
भुवन के पिता का नाम केशव प्रसाद था, उम्र 50 वर्ष।
केशव _क्या huwa बेटा क्यू चिल्ला रहा है? केशव मजदूरों के साथ खेत में काम कर रहा था, वह खड़ा होकर, भुवन की ओर देखने लगा। पदमा भी देखने लगी, गांव की महिलाए जो खेत में काम कर रही थी वे भी देखने लगे, आखिर बात क्या है?
भुवन _बापू देखो कौन आया है?
पदमा _भुवन, राजेश को लेकर आया है!
केशव खेत के मेड की ओर जाने लगा।
पास जाने के बाद।
राजेश ने पैर छूकर, अपने ताऊ जी को प्रणाम किया।
केशव _खुश रह बेटा । अरे बेटा तुम यहां में क्यू चले आए।
अरे भुवन, राजेश को यहां क्यू ले आया
यहां खेत के मेड़ों पर चलने में परेशानी हुईं होगी। आवाज़ लगा दिया होता मैं झोपड़े के पास ही चला आता।
राजेश _अरे नही ताऊ जी, मैं भी आप ही लोगो की तरह इन्सान हूं। आप लोग कठिन रास्तों पर चल सकते है काम कर सकते हैं तो मैं क्यू नही?
केशव _तुम्हारी बातों से ही लगता है की सुनीता और शेखर ने तुम्हे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।
केशव _बेटा तुम लोगो को देखने के लिए तो आंखे तरस रहा था। अच्छा huwa जो गांव चला आया। तु तो बिलकुल अपनें दादा जी पे गया है।
ऐसा लग रहा है की बापू फिर से घर आ गए हैं।
चलो बेटा झोपड़ी पर चलकर बातचीत करते हैं।
वे झोपड़ी पे चले आए फिर कुछ देर बैठकर घर की हाल चाल पूछने एवम सुख दुख की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद चित करने के बाद,,,
केशव _भुवन बेटा तुम राजेश को खेत दिखाओ मैं खेत में पानी पला देता हूं।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन राजेश को खेत घूमाने लगा, खेत मे काम करने वाले गांव की औरतों को राजेश का परिचय कराने लगे।
खेत घूमने के बाद, राजेश और भुवन दोनो झोपड़ी पे आ गए और खाट पर लेट गए।
इधर शाम ढलने से पहले महिलाए अपनी घर के लिए निकलने लगी।
सभी महिलाए जो एक साथ घर के लिए निकली।
पदमा झोपड़े के पास रुकी।
पदमा _बेटा, मैं घर जा रही हूं, कुछ देर बाद तुम भी राजेश को लेकर घर आ जाना।
भुवन _ठीक है मां।
पदमा खाली बर्तन लेकर चली गई जिसमे खाना लेकर आईं थी।
अन्य महिलाए भी कतारबद्ध चलने लगी। भुवन, उन महिलाओं को जाते हुवे देख रहा था।
और मुस्कुरा रहा था। महिलाए भी भुवन को देखकर मुस्कुरा रही थी।
जब सभी महिलाए आगे निकल गई, पीछे चलने वाली महिला जो क़मर मटका मटका के चल रही थी।
भुवन ने उसके पिछवाड़े में एक छोटा पत्थर फेक कर मारा।
उस उस औरत ने पीछे मुड़कर देखा। राजेश ने उसे हाथ से कुछ इशारा किया।
उस औरत ने मुस्कुराते हुवे सिर हिलाई। फिर चली गईं।
राजेश ने यह सब देख लिया।
महिलाओं के जाने के बाद, दोनो फिर खाट में लेट गए।
राजेश _भुवन भईया, एक बात पूछूं।
भुवन _राजेश तुम्हे जो भी पूछना रहता है सीधा पूछा करो, इजाज़त लेने की क्या जरूरत?
राजेश _भईया, ये औरत कौन थी, और क्या इशारा किया था उनको।
भुवन _ राजेश,पहले यह बताओ, तुम्हारी तो कालेज में कई गर्लफ्रेंड रही होगी, तुम तो अपने कालेज के बेस्ट स्टूडेंट थे।
राजेश _इक दो गर्ल फ्रैंड थी।
भुवन _कभी, बुर का मजा लिया है?
राजेश _भईया मैं समझा नही।
भुवन _अरे,अभी तक किसी की चूत मारा है की नही।
राजेश _भईया, ये आप क्या कह रहे है।
भुवन _अरे तु तो लडकियों की तरह शर्मा रहा है।
लगता है तु अभी तक बुर का मजा नही चखा है।
अरे बुर मारने का असली मज़ा तो इसी उम्र में आता है।
मैने जिसे इशारा किया वह सरला काकी है! क्या मस्त मॉल है शाली।chudai में खुब मजा देती है।
आज मैने उसे रात में खेत में बुलाया है।
राजेश _क्या भईया, भाभी को पता चला तो, यहा, खेत में क्या गुल खिला रहे हों , वैसे भी भाभी बहुत सुन्दर है उसके रहते ये सब,,
भुवन _अरे, तु अभी बुर का मजा नही चखा है न इसलीय ऐसा बोल रहा है। घर की मुर्गी दाल बराबर होता है। अरे असली मजा तो दूसरे का मॉल चुराकर खाने में है। मैं तो कहता हूं तु भी आज रात मेरे साथ खेत में सोने आ जाना दोनो मिलकर सरला काकी की बुर का मजा लेंगे। क्या रस छोड़ती है साली।
यह गांव पिछड़ा जरूर है लेकिन यहां की औरतें एक से बडकर एक है।
गांव का कानून भी शख्त है अगर किसी के साथ जबरदस्ती किया तो मूंह काला कर गधे में बिठाकर पूरे गांव में घुमाते है।
पर इन औरतों को पटा लो तो खुब मजा देती है।
मैने तो खेत में काम करने वालियों में कई को पटा रखा है।
सरला काकी पसंद न आए तो किसी दूसरे को पसन्द कर लेना, मैं बात करूंगा, वो मना नहीं करेगी, बोलो क्या कहते हो।
राजेश _नही भईया आप ही मजा कीजिए।
तभी भुवन का बापू झोपड़े में आया।
केशव _क्या बाते हो रही है दोनो भाईयो में।
भुवन _कुछ नही बापू, मैं राजेश को गांव के लोगो के बारे में बता रहा था। यहां के लोग बड़े सीधे साधे है।
अच्छा बापू अब हम लोग चलते है।
केशव _अच्छा बेटा रात को आ जाना सोने के लिए।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन और राजेश दोनो घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुंचने के बाद,,,
पदमा _आ गए तुम दोनो।
बहु दोनो के लिए चाय ले आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम चाय लेकर आई, दोनो चाय पीने लगे,,
इधर हवेली में,,
माखन, ठाकुर के पास पहुंचा।
ठाकुर _बोलो माखन पता चला उन मादर चोदो के बारे में जिन लोगो नेठाकुर बलेंद्रसिंह के बेटी के इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश किए थे।
माखन _हा मालिक वे हमारे ही पार्टी के लड़के थे। उन्हे पता नही था की दिव्या आपकी बेटी है।
उन मादर चोदो को लेकर क्यू नही आया?
माखन _ट्रैन पे सवार कोइ लडका उन लोगो को मारकर ट्रैन से फेक दिया मालिक, एक लडका बचा है, उसी से जानकारी मिला वह लडका भी अपने अंतिम सांसे गिन रहा है, वह शायद ही बचेगा।
ठाकुर _अच्छा huwa मारे गए शाले, अगर जिन्दा बचते तो मेरे हाथो मारे जाते।
मुनीम _ठाकुर साहब मुझे तो राजेश का गांव आना कुछ अच्छा नही लग रहा। अकेले ही बदमाशो पर भारी पड़ गया।
ठाकुर _हूं, लगता है सुनीता ने मर्द को पैदा किया है वो , पर तुम चिन्ता मत करो, हमारे आदमियों से कह दो उस लड़के पर नजर रखे।
मुनीम जी कल की पार्टी की तैयारी चल रही है न।
मुनीम _आप चिन्ता न करे मालिक सब तैयारी अच्छे चल रही है।
ठाकुर _देखो मुनीम जी किसी प्रकार की कोइ कमी न रहे।
मुनीम _जी, मालिक।
मलिक आपसे एक बात पूछनी थी?
ठाकुर _बोलो, मुनीम जी क्या बात है?
मुनीम _दिव्या बेटी बोली है की कल के पार्टी में राजेश को भी निमंत्रण भेजने, क्या करना है? उसे बुलाने।
ठाकुर सोच में पड़ गया।
ये सूरजपुर वालो से तो मुझे नफरत है, पर दिव्या बेटी ने कहा है तो बुला लो, पर उस लड़के की हरकतों पर कड़ी नज़र रखने को बोल देना अपने आदमियों से।
मुनीम जी _ठीक है मालिक।