• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

Himanshu kumar

Live your life celebrating not victory
243
282
63
Update do bhai
 

Sanju@

Well-Known Member
4,835
19,511
158
गांव पहुंचने से पहले एक मंदिर आया।
डाकिया बाबू _शहरी बाबू ये शिव जी का मंदिर है। यहां से गुजरने के पहले लोग इनके दर्शन करते है।
मै भी जब भी इस गांव में आता हूं। प्रभु का दर्शन करता हूं।
आइए मंदिर चलते है।
राजेश सायकल से उतर कर मंदिर का सीढ़ी चढ़ने लगा।
तभी अचानक तेज हवा चलने लगा।
मंदिर की घंटियां हवा की तेज झोखो से हिलने लगी।
घंटियां बजने लगी।
मंदिर का पुजारी मंदिर जो एक बुजुर्ग व्यक्ति था, वह बाहर की ओर देखने लगा। उसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
ये घंटियां अचानक क्यू बजने लगी।
राजेश मंदिर का सीढ़ी चढ़ गया।
डाकिया सायकल खड़ा कर राजेश के पीछे आया।
इधर पुजारी की नजर राजेश पर पड़ा।
वह राजेश को पहचानने की कोशिश करने लगा।
मंदिर की घंटियां बज रही थी।
उसे लगा की कोई फरिश्ता आया है।
पुजारी _मानव।
वह राजेश को एक टक देखने लगा।
तभी डाकिया सामने आया।
डाकिया _बाबा ये शहरी बाबू है, ये शहर से आया है।
गांव जा रहा था, तो मैंने कहा पहले मंदिर जा कर प्रभु के दर्शन कर लेते है।
राजेश ये मंदिर का पुजारी है।
पुजारी राजेश को हतप्रभ देखता रहा।
राजेश _प्रणाम बाबा।
पुजारी _जीते रहो बेटा।
पुजारी _तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है बेटा।
राजेश _शेखर।
पुजारी _क्या तुम मानव के पोते हो?
राजेश _जी बाबा, मेरे दादा जी का नाम मानव प्रसाद था, अब वह इस दुनियां में नही है।
क्या आप उसे जानते थे?
पुजारी _तुम्हारी सकल तो तुम्हारे दादा जी से काफी मिलती है। एक पल तो मुझे लगा की तुम मानव हो।
पुजारी _हे प्रभु ऐसा लगता है तुमने मानव को फिर से वापस भेज दिया है।
ये घंटियां पहली बार ऐसे बज रही है। लगता है बेटा तुम इस गांव में फरिश्ता बन कर आए हो।

राजेश _मै कोई फरिश्ता नही बाबा, मै तो खुद जिंदगी से चोट खाकर आया हूं।
राजेश ने शिव जी का दर्शन कर अपना शीश झुकाकर प्रणाम किया।
पुजारी _लो बेटा प्रसाद।
पुजारी ने उसे प्रसाद दिया।
राजेश _बाबा आप मेरे दादा जी को जानते थे।
पुजारी _बेटा तुम्हारे दादा जी को कौन नहीं जानता।
वह बहुत सज्जन व्यक्ति थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह और तुम्हारे दादा जी परम मित्र थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह,तुम्हारे दादा जी की सलाह के बिना कोई कार्य नहीं करते थे। दोनो का का दूर दूर तक आदर और सम्मान था।
पर एक दिन इस मंदिर के स्थापना दिवस के दिन दोनो मंदिर में पूजा करने आए थे।
कुछ नकाब पोशो ने बंदूक से गोली मारकर उन दोनो की हत्या कर दी।
इसी मंदिर के सीढ़ी पर मेरे आंखो के सामने तुम्हारे दादा और ठाकुर महेंद्र सिंह ने दम तोड़ा था।
लोग तो उनकी हत्या को लेकर कई तरह की बाते करते हैं, पर सच्चाई क्या है वह प्रभू ही जानता है।
तुम्हारे दादा के गुजर जाने के बाद

इस गांव के बुरे दिन शुरू हो गए।
मुझे लगता है तुमअपनी इच्छा से नही, प्रभु ने तुम्हे यहां भेजा है यहां पिछड़े गरीब लोगो की मदद करने।
बाबा की बातो को सुनकर राजेश के मन में ढेर सारे सवाल उमड़ने लगे।
मां और पापा ने कभी इस बारे में मुझे बताया क्यू नही?
अब यहां आया हूं तो सारी बातें पता चल ही जाएगी।
राजेश ने बाबा को प्रणाम कर कहा,,
अच्छा बाबा अब मै चलता हूं।
डाकिया ने राजेश को उसके ताऊ जी के घर तक छोड़ा।
घर वाले उनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
राजेश जैसे ही घर के आंगन में गया।
सभी लोग उसे गौर से देखने लगे।
राजेश ने उन लोगो से कहा,,
जी मै राजेश हूं।
ताई _अरे बेटा तू आ गया। मै तेरी ताई। कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे।
राजेश ने अपनी ताई की पैर छूकर प्रणाम किया।
ताई की उम्र थी 44 वर्ष नाम था पदमा।

पदमा _जीता रह बेटा। भुवन तो तुम्हे लाने गया था। वो मुआ कहा है।
राजेश _ताई, हम बाइक से आ रहे थे की रास्ते पर बाइक पंचर हो गया। भुवन भईया ने मुझे डाकिया बाबू के साथ गांव भेज दिया वह बाइक बनाकर आएगा।
पदमा _गांव की सड़के तो पैदल चलने के लायक नही है बेटा, तुम्हे तो बडी तकलीफ हुई होगी ऊबड़ खाबड़ सड़क से आने में।
तू थक गया होगा बेटा आ बैठ खाट पे।
पदमा ने अपनी बहु को आवाज़ लगाई।
बहु, राजेश के लिए पानी ले आ।
बहु का नाम था पूनम उम्र 22वर्ष।
पूनम पानी लेकर आई।
पूनम ने राजेश को पानी देने लगी,,
पदमा _बेटा ये तेरी भौजाई है। भुवन की लुगाई।
पूनम राजेश की पैर छूने नीचे झुकी।
राजेश _भाभी ये आप क्या कर रही है? आप मुझसे बडी है।
पदमा _बेटा, इधर भौजाई, देवर का पैर छूती है। उसे रिवाज निभाने दे।
राजेश _पर ताई ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
पदमा _अरे बेटा, कुछ दिनो में तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी।
अरे आरती तू वहा खड़ी होकर क्या देख रही है चल अपनी भईया का पैर छू।
आरती, भुवन की छोटी बहन है उम्र 20वर्ष 12वो तक पढ़ाई की है।
आरती, राजेश का पैर छू कर बोली,, प्रणाम भईया।

पदमा _बेटा, ये भुवन की छोटी बहन आरती है । इसके लिए भी कोई अच्छा सा लडका मिल जाए तो इसका भी हाथ पीला कर गंगा नहाले।
भुवन की बडी बहन ज्योति पास की गांव में बिहा के गई है।
राजेश _ताई, ताऊ जी नही दिख रहे।
पदमा _बेटा तुम्हारे ताऊ जी खेत गया है।
बहु, राजेश का सामान कमरे में रख दो।
पूनम _जी मां जी।

पदमा ने राजेश के आने से पहले ही एक कमरे की सफाई करवा दी थी।
बेटा घर में सब कैसे है ?तुम्हारे मां तुम्हारे बाबू जी, तुम्हारी बहन।
राजेश _सब अच्छे है ताई।
पदमा _बेटा तू यात्रा से थक गया होगा, एक काम करो, पहले नहा लो। बहु तुम्हारे लिए नाश्ता बना देगी। नाश्ता करने के बाद तुम आराम करना।
अब बात चीत तो होती रहेगी।
राजेश _ठीक है ताई।
तभी कमरे से बच्चे की रोने की आवाज़ आई।
पदमा _बहु मुन्ना रो रहा है, लगता है उसे भूख लगी है। जाओ उसे दूध पिला दो। फिर राजेश के लिए नाश्ता बना देना।
पूनम _ठीक है मां जी।
पदमा _आरती, जाओ तुम राजेश के नहाने के लिए बोर चालू कर देना। उसे नहाने के लिए साबुन भी दे दो।
राजेश अपने कमरे मे गया। अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। टावेल, अंडरवियर, बनियान लेकर।
आरती के पीछे पीछे घर के पीछे बाड़ी में चला गया।
घर के पीछे जानवरो के रहने के लिए। झोफड़ा बना था जहा गाय और भैंस को बांध कर रखा जाता था। कुछ साग सब्जियो फल फूल के पेड लगें थे।
बाड़े में एक कुवा था जिसमे मोटर पंप फिट था।
मोटर पंप के स्वीच के लिए छोटा सा ईट का रूम बना था। बाड़े में शौचालय और मूत्रालय अलग अलग बने थे।
बाड़े चारो ओर से ईट कि ऊंची दीवारों से घिरा था। बाहर वाले बाड़े के अंदर नही देख सकते थे।
आरती ने कुवे पर लगा मोटर पंप चालू कर दिया। पम्प का पानी एक छोटे से टंकी में जा रहा था। टंकी से पानी ओवर फ्लो होकर साकसब्जियो में जा रहा था।
आरती _लो भईया मैने पंप चालू कर दिया अब नहा लो।
अगर शौचालय जाना हो तो उधर है।
राजेश _ठीक है आरती, तुम अब जाओ मैं नहाकर आता हूं।
आरती _ठीक है भईया, अगर किसी चीज की आवश्यकता हो तो आवाज देना।
राजेश _ठीक है।
राजेश ने पहले टूथ पेस्ट लेकर ब्रश किया।
अपना कपड़ा उतारा । सिर्फ अंडर वियर और बनियान में आ गया।

फिर शौचालय जाकर फ्रेस हुआ।
Fresh होने के बाद टंकी में भरा पानी जग से निकाल कर नहाने लगा। यह सब उनके लिए नया अनुभव था।
नहाने के बाद अपना अंडर वियर बनियान निकाल कर धो कर सूखने के लिए डाल दिया। नया अंडर वियर और बनियान पहन कर अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। फिर वहा से चला गया।
घर के आंगन में पहुंचने पर
पदमा _नहा लिया बेटा लो ये तेल और कंघी। तेल लगाकर बालो में कंघी कर लो।
तेल लगाकर कंघी करने के बाद,
पदमा _बहु, राजेश के लिए नाश्ता लगा दो।
पूनम ने राजेश के बैठने के लिए चटाई लगा दिया। सामने लकड़ी का बना एक पीड़हा रख दिया।
एक प्लेट पर घी का बना पराठा और एक प्लेट पर आलू की सब्जी लगा दिया।
पदमा चलो बेटा नाश्ता कर लो।
नाश्ता बड़ा स्वादिष्ट बना था।
राजेश _वाह भाभी नाश्ता तो बड़ा स्वादिष्ट बना है खाकर आनद आ गया।
पूनम _लो देवर जी एक और पराठा लो।
राजेश _नही भाभी मेरा हो गया।
पूनम _ये क्या देवर जी सिर्फ चार पराठे में हो गया। लगता है तुम खाने में शर्मा रहें हो।
राजेश _नही भाभी सच में हो गया।
नाश्ता कर लेने के बाद,,
पदमा _बेटा अब तुम जाकर अपने कमरे में आराम करो।
राजेश अपने कमरे में जाकर लकड़ी के पलंग जिसमें गद्दा लगा था, जाकर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भुवन आया,
भुवन _मां, राजेश आया क्या?
पदमा _अरे मुआ तू कहा रह गया था। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है।
भुवन _मां बाइक पंचर हो गया था। उसे बनवा के आ रहा हूं।
पदमा _जा तू भी नहा कर नाश्ता करले।
भुवन _राजेश ने नाश्ता किया।
पदमा _हा, वह नहाकर नाश्ता करके आराम कर रहा है।
भुवन भी नहाने चला गया।
नहाकर आया तो पूनम ने उसके लिए नाश्ता बनाया।
घी का पराठा देखकर खुश हो गया।
भुवन _आह क्या खुशबू आ रही है पराठे की लगता है राजेश के आने से अब अच्छा नाश्ता खाने को मिलेगा।
वाह क्या स्वाद है मेरी जान, लगता है अपने देवर के लिए बड़ी प्यार से बनाई हो। हाय हम तो तरस ही गए थे ऐसे नाश्ता के लिए।
पूनम _देखो जी राजेश शहर से आया है पता नही उसे नाश्ता पसंद आएगा की नही इसलिए बडी मेहनत से आज नाश्ता बनाई है।
भुवन _हूं ये तो है भई।
भुवन ने नाश्ता कर लेने के बाद,,
भुवन _मां, मै सोच रहा हूं की राजेश को गांव घुमा लाऊ।
पदमा _अरे बेटा, राजेश को थोडा आराम करने दे वह भगा थोड़े ही जा रहा है। बाद में घुमा लाना।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन भी अपने कमरे मे आराम करने लगा।

इधर जब दिव्या घर पहुंची तो उसकी मां रत्नावती थाली में फूल और दिया सजाकर उसकी आरती उतारी।
दिव्या ने उसकी पैर छूकर प्रणाम किया।
रत्नावति _जीती रह मेरी बच्ची, मै कब से तुम्हारी राह देख रही थीं। आखिर डाक्टर बनकर अपने मां और पिता का तुमने नाम रौशन कर दिया।
दिव्या _ये तो तुम्हारे आशीर्वाद का फल है मां।
रत्नावती_बेटी तू थक गई होगी जाओ अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ। फिर साथ में नाश्ता करेंगे।
दिव्या _ठीक है मां।
इधर ठाकुर ने अपने आदमियों को अपने खास आदमी माखन को बुलाकर लाने कहा,,
कुछ देर में माखन पंहुचा,,,
माखन _मालिक आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _हां, माखन, तुम पता करके बताओ किन मादरचोदो कीइतनी हिम्मत हो गई की ठाकुर बलेन्द्र सिंह की बेटी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की, उन मादर चोदो को जिंदा या मुर्दा मेरे पास लाओ।
माखन,_ठीक है मालिक।
माखन वहा से चला गया।
ठाकुर _मुनीम जी हमारी छोटी बेटी की डाक्टर बनने की खुशी में कल एक पार्टी रखो। हमारे जीतने भी रिश्ते दार मित्र है उसे आमन्त्रित करो।
मुनीम _जी मलिक।
इधर भुवन अपने कमरे में आराम कर रहा था तभी बाजू में सोया बच्चा रोने लगा।
भुवन ने पुनम को आवाज़ लगाया।
भुवन _अरे कहा हो
पुनम कमरे में आई।

पुनम_क्या हुआ जी
भुवन_, मुन्ना रो रहा है लगता है इसे भूख लगी है।
पूनम पलंग पर बैठ गई
वह मुन्ने को अपने गोद में लेकर उसे प्यार करने लगा,,
पुनम _अ ले, अले मेला, बेटा क्यू रो रहा है? मेले बेटे को भूख लगी है। मेला बेटा दूदू पिएगा।
पुनम ने ब्लाउज का एक बटन खोला और चोली उठाकर एक चूची बाहर निकाल लिया, चूचक को मुन्ने के मुंह में डाल दिया। प्यार से मुन्ने का बाल सहलाने लगा।
दूध से भरी मस्त चूची को देखकर भुवन का land खड़ा हो गया।
उससे रहा न गया। उसने एक हाथ से पुनम की दूसरी चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा।
पुनम _अजी क्या कर रहे हों? बाजू वाले कमरे में मेहमान आया huwa है और आप, कोई कमरे में आ गया तो।
भुवन _अरे मेरी जान, इस कमरे में जब दोनो हो तो कौन आएगा।
तेरी मस्त चूचियां देखकर रहा नही जाता।
मुझे भी भूख लगी है। मुझे भी दूध पिलाओ।
पुनम _अभी तो नाश्ता किए हो फिर भूख लगने लगी।
भुवन _अरे मेरी जान भूख मुझे नही इसको लगी है इसकी प्यास बुझाओ।
भुवन ने पुनम का एक हाथ पकड़कर अपने land पर रख दिया।
पुनम _इसकी भूख तो मिटती ही नहीं है, जब देखो सर उठा के खड़ा हो जाता है।
भुवन _तेरी जैसी मस्त मॉल पास हो तो भूख तो लगेगी।
भुवन ने दूसरी चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
पुनम एक हाथ से उसका land सहलाने लगा।

इधर बच्चा दूध पीता पीता सो गया।
भूवन _लगता है मुन्ना सो गया।
चल आजा बैठ जा मेरे land पे।

पुनम ने बच्चे को पलंग के किनारे लिटा दिया।
भुवन ने अपना लूंगी और चड्डी निकाल दिया। उसका land हवा में ठुमकने लगा।
पुनम ने अपनी चड्डी, उतार दी और पलंग पर चढ़ गई।
भुवन के द्वारा चूची मसलने और पीने से वह भी गर्म हो चुकी थी। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
वह भुवन के land को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रख कर बैठ गई।
Land सरसराता huwa अंदर चला गया।
भुवन अपने दोनो हाथों से पुनम की चूची थाम लिया।
पुनम land पर उछल उछल कर चुदने लगी।
दोनो को बहुत मज़ा आने लगा,,,,
भुवन अपनी क़मर उठा उठा कर पुनम की योनि में land Ko गहराई तक ले जाने की कोशिश करने लगा जिससे दोनो को संभोग की अपार सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में पुनम की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
इधर पदमा को बहु से कुछ काम था तो वह उसे ढूंढते हुए उसके कमरे की ओर आई। दारवाजे के पास पहुंचते ही उसे मादक सिसकारी सुनाई पड़ी,,
वह समझ गई अंदर क्या चल रहा है।
पदमा _इस मुआ का तो कोई समय ही नहीं है जब देखो,chudai करने लग जाता है।
बाजू वाले कमरे में छोटा भाई मौजूद है, इसे कोई लाज शर्म है नही सुरु हो गया,,, बुर चोदने।
चोदरा कही का,,,
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है राजेश अपने गांव पहुंच गया है पुजारी की बातों से लगता है कि सूरज के दादा और ठाकुर की मौत एक राज बन कर रह गई है जिससे दो परिवारों व गांव में दुश्मनी हो गई है मंदिर की घंटियों का बजना ये दर्शाता हैं कि राजेश अपनी मर्जी से नहीं आया ये उसकी नियति थी
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,409
9,087
159
गांव पहुंचने से पहले एक मंदिर आया।
डाकिया बाबू _शहरी बाबू ये शिव जी का मंदिर है। यहां से गुजरने के पहले लोग इनके दर्शन करते है।
मै भी जब भी इस गांव में आता हूं। प्रभु का दर्शन करता हूं।
आइए मंदिर चलते है।
राजेश सायकल से उतर कर मंदिर का सीढ़ी चढ़ने लगा।
तभी अचानक तेज हवा चलने लगा।
मंदिर की घंटियां हवा की तेज झोखो से हिलने लगी।
घंटियां बजने लगी।
मंदिर का पुजारी मंदिर जो एक बुजुर्ग व्यक्ति था, वह बाहर की ओर देखने लगा। उसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
ये घंटियां अचानक क्यू बजने लगी।
राजेश मंदिर का सीढ़ी चढ़ गया।
डाकिया सायकल खड़ा कर राजेश के पीछे आया।
इधर पुजारी की नजर राजेश पर पड़ा।
वह राजेश को पहचानने की कोशिश करने लगा।
मंदिर की घंटियां बज रही थी।
उसे लगा की कोई फरिश्ता आया है।
पुजारी _मानव।
वह राजेश को एक टक देखने लगा।
तभी डाकिया सामने आया।
डाकिया _बाबा ये शहरी बाबू है, ये शहर से आया है।
गांव जा रहा था, तो मैंने कहा पहले मंदिर जा कर प्रभु के दर्शन कर लेते है।
राजेश ये मंदिर का पुजारी है।
पुजारी राजेश को हतप्रभ देखता रहा।
राजेश _प्रणाम बाबा।
पुजारी _जीते रहो बेटा।
पुजारी _तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है बेटा।
राजेश _शेखर।
पुजारी _क्या तुम मानव के पोते हो?
राजेश _जी बाबा, मेरे दादा जी का नाम मानव प्रसाद था, अब वह इस दुनियां में नही है।
क्या आप उसे जानते थे?
पुजारी _तुम्हारी सकल तो तुम्हारे दादा जी से काफी मिलती है। एक पल तो मुझे लगा की तुम मानव हो।
पुजारी _हे प्रभु ऐसा लगता है तुमने मानव को फिर से वापस भेज दिया है।
ये घंटियां पहली बार ऐसे बज रही है। लगता है बेटा तुम इस गांव में फरिश्ता बन कर आए हो।

राजेश _मै कोई फरिश्ता नही बाबा, मै तो खुद जिंदगी से चोट खाकर आया हूं।
राजेश ने शिव जी का दर्शन कर अपना शीश झुकाकर प्रणाम किया।
पुजारी _लो बेटा प्रसाद।
पुजारी ने उसे प्रसाद दिया।
राजेश _बाबा आप मेरे दादा जी को जानते थे।
पुजारी _बेटा तुम्हारे दादा जी को कौन नहीं जानता।
वह बहुत सज्जन व्यक्ति थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह और तुम्हारे दादा जी परम मित्र थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह,तुम्हारे दादा जी की सलाह के बिना कोई कार्य नहीं करते थे। दोनो का का दूर दूर तक आदर और सम्मान था।
पर एक दिन इस मंदिर के स्थापना दिवस के दिन दोनो मंदिर में पूजा करने आए थे।
कुछ नकाब पोशो ने बंदूक से गोली मारकर उन दोनो की हत्या कर दी।
इसी मंदिर के सीढ़ी पर मेरे आंखो के सामने तुम्हारे दादा और ठाकुर महेंद्र सिंह ने दम तोड़ा था।
लोग तो उनकी हत्या को लेकर कई तरह की बाते करते हैं, पर सच्चाई क्या है वह प्रभू ही जानता है।
तुम्हारे दादा के गुजर जाने के बाद

इस गांव के बुरे दिन शुरू हो गए।
मुझे लगता है तुमअपनी इच्छा से नही, प्रभु ने तुम्हे यहां भेजा है यहां पिछड़े गरीब लोगो की मदद करने।
बाबा की बातो को सुनकर राजेश के मन में ढेर सारे सवाल उमड़ने लगे।
मां और पापा ने कभी इस बारे में मुझे बताया क्यू नही?
अब यहां आया हूं तो सारी बातें पता चल ही जाएगी।
राजेश ने बाबा को प्रणाम कर कहा,,
अच्छा बाबा अब मै चलता हूं।
डाकिया ने राजेश को उसके ताऊ जी के घर तक छोड़ा।
घर वाले उनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
राजेश जैसे ही घर के आंगन में गया।
सभी लोग उसे गौर से देखने लगे।
राजेश ने उन लोगो से कहा,,
जी मै राजेश हूं।
ताई _अरे बेटा तू आ गया। मै तेरी ताई। कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे।
राजेश ने अपनी ताई की पैर छूकर प्रणाम किया।
ताई की उम्र थी 44 वर्ष नाम था पदमा।

पदमा _जीता रह बेटा। भुवन तो तुम्हे लाने गया था। वो मुआ कहा है।
राजेश _ताई, हम बाइक से आ रहे थे की रास्ते पर बाइक पंचर हो गया। भुवन भईया ने मुझे डाकिया बाबू के साथ गांव भेज दिया वह बाइक बनाकर आएगा।
पदमा _गांव की सड़के तो पैदल चलने के लायक नही है बेटा, तुम्हे तो बडी तकलीफ हुई होगी ऊबड़ खाबड़ सड़क से आने में।
तू थक गया होगा बेटा आ बैठ खाट पे।
पदमा ने अपनी बहु को आवाज़ लगाई।
बहु, राजेश के लिए पानी ले आ।
बहु का नाम था पूनम उम्र 22वर्ष।
पूनम पानी लेकर आई।
पूनम ने राजेश को पानी देने लगी,,
पदमा _बेटा ये तेरी भौजाई है। भुवन की लुगाई।
पूनम राजेश की पैर छूने नीचे झुकी।
राजेश _भाभी ये आप क्या कर रही है? आप मुझसे बडी है।
पदमा _बेटा, इधर भौजाई, देवर का पैर छूती है। उसे रिवाज निभाने दे।
राजेश _पर ताई ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
पदमा _अरे बेटा, कुछ दिनो में तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी।
अरे आरती तू वहा खड़ी होकर क्या देख रही है चल अपनी भईया का पैर छू।
आरती, भुवन की छोटी बहन है उम्र 20वर्ष 12वो तक पढ़ाई की है।
आरती, राजेश का पैर छू कर बोली,, प्रणाम भईया।

पदमा _बेटा, ये भुवन की छोटी बहन आरती है । इसके लिए भी कोई अच्छा सा लडका मिल जाए तो इसका भी हाथ पीला कर गंगा नहाले।
भुवन की बडी बहन ज्योति पास की गांव में बिहा के गई है।
राजेश _ताई, ताऊ जी नही दिख रहे।
पदमा _बेटा तुम्हारे ताऊ जी खेत गया है।
बहु, राजेश का सामान कमरे में रख दो।
पूनम _जी मां जी।

पदमा ने राजेश के आने से पहले ही एक कमरे की सफाई करवा दी थी।
बेटा घर में सब कैसे है ?तुम्हारे मां तुम्हारे बाबू जी, तुम्हारी बहन।
राजेश _सब अच्छे है ताई।
पदमा _बेटा तू यात्रा से थक गया होगा, एक काम करो, पहले नहा लो। बहु तुम्हारे लिए नाश्ता बना देगी। नाश्ता करने के बाद तुम आराम करना।
अब बात चीत तो होती रहेगी।
राजेश _ठीक है ताई।
तभी कमरे से बच्चे की रोने की आवाज़ आई।
पदमा _बहु मुन्ना रो रहा है, लगता है उसे भूख लगी है। जाओ उसे दूध पिला दो। फिर राजेश के लिए नाश्ता बना देना।
पूनम _ठीक है मां जी।
पदमा _आरती, जाओ तुम राजेश के नहाने के लिए बोर चालू कर देना। उसे नहाने के लिए साबुन भी दे दो।
राजेश अपने कमरे मे गया। अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। टावेल, अंडरवियर, बनियान लेकर।
आरती के पीछे पीछे घर के पीछे बाड़ी में चला गया।
घर के पीछे जानवरो के रहने के लिए। झोफड़ा बना था जहा गाय और भैंस को बांध कर रखा जाता था। कुछ साग सब्जियो फल फूल के पेड लगें थे।
बाड़े में एक कुवा था जिसमे मोटर पंप फिट था।
मोटर पंप के स्वीच के लिए छोटा सा ईट का रूम बना था। बाड़े में शौचालय और मूत्रालय अलग अलग बने थे।
बाड़े चारो ओर से ईट कि ऊंची दीवारों से घिरा था। बाहर वाले बाड़े के अंदर नही देख सकते थे।
आरती ने कुवे पर लगा मोटर पंप चालू कर दिया। पम्प का पानी एक छोटे से टंकी में जा रहा था। टंकी से पानी ओवर फ्लो होकर साकसब्जियो में जा रहा था।
आरती _लो भईया मैने पंप चालू कर दिया अब नहा लो।
अगर शौचालय जाना हो तो उधर है।
राजेश _ठीक है आरती, तुम अब जाओ मैं नहाकर आता हूं।
आरती _ठीक है भईया, अगर किसी चीज की आवश्यकता हो तो आवाज देना।
राजेश _ठीक है।
राजेश ने पहले टूथ पेस्ट लेकर ब्रश किया।
अपना कपड़ा उतारा । सिर्फ अंडर वियर और बनियान में आ गया।

फिर शौचालय जाकर फ्रेस हुआ।
Fresh होने के बाद टंकी में भरा पानी जग से निकाल कर नहाने लगा। यह सब उनके लिए नया अनुभव था।
नहाने के बाद अपना अंडर वियर बनियान निकाल कर धो कर सूखने के लिए डाल दिया। नया अंडर वियर और बनियान पहन कर अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। फिर वहा से चला गया।
घर के आंगन में पहुंचने पर
पदमा _नहा लिया बेटा लो ये तेल और कंघी। तेल लगाकर बालो में कंघी कर लो।
तेल लगाकर कंघी करने के बाद,
पदमा _बहु, राजेश के लिए नाश्ता लगा दो।
पूनम ने राजेश के बैठने के लिए चटाई लगा दिया। सामने लकड़ी का बना एक पीड़हा रख दिया।
एक प्लेट पर घी का बना पराठा और एक प्लेट पर आलू की सब्जी लगा दिया।
पदमा चलो बेटा नाश्ता कर लो।
नाश्ता बड़ा स्वादिष्ट बना था।
राजेश _वाह भाभी नाश्ता तो बड़ा स्वादिष्ट बना है खाकर आनद आ गया।
पूनम _लो देवर जी एक और पराठा लो।
राजेश _नही भाभी मेरा हो गया।
पूनम _ये क्या देवर जी सिर्फ चार पराठे में हो गया। लगता है तुम खाने में शर्मा रहें हो।
राजेश _नही भाभी सच में हो गया।
नाश्ता कर लेने के बाद,,
पदमा _बेटा अब तुम जाकर अपने कमरे में आराम करो।
राजेश अपने कमरे में जाकर लकड़ी के पलंग जिसमें गद्दा लगा था, जाकर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भुवन आया,
भुवन _मां, राजेश आया क्या?
पदमा _अरे मुआ तू कहा रह गया था। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है।
भुवन _मां बाइक पंचर हो गया था। उसे बनवा के आ रहा हूं।
पदमा _जा तू भी नहा कर नाश्ता करले।
भुवन _राजेश ने नाश्ता किया।
पदमा _हा, वह नहाकर नाश्ता करके आराम कर रहा है।
भुवन भी नहाने चला गया।
नहाकर आया तो पूनम ने उसके लिए नाश्ता बनाया।
घी का पराठा देखकर खुश हो गया।
भुवन _आह क्या खुशबू आ रही है पराठे की लगता है राजेश के आने से अब अच्छा नाश्ता खाने को मिलेगा।
वाह क्या स्वाद है मेरी जान, लगता है अपने देवर के लिए बड़ी प्यार से बनाई हो। हाय हम तो तरस ही गए थे ऐसे नाश्ता के लिए।
पूनम _देखो जी राजेश शहर से आया है पता नही उसे नाश्ता पसंद आएगा की नही इसलिए बडी मेहनत से आज नाश्ता बनाई है।
भुवन _हूं ये तो है भई।
भुवन ने नाश्ता कर लेने के बाद,,
भुवन _मां, मै सोच रहा हूं की राजेश को गांव घुमा लाऊ।
पदमा _अरे बेटा, राजेश को थोडा आराम करने दे वह भगा थोड़े ही जा रहा है। बाद में घुमा लाना।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन भी अपने कमरे मे आराम करने लगा।

इधर जब दिव्या घर पहुंची तो उसकी मां रत्नावती थाली में फूल और दिया सजाकर उसकी आरती उतारी।
दिव्या ने उसकी पैर छूकर प्रणाम किया।
रत्नावति _जीती रह मेरी बच्ची, मै कब से तुम्हारी राह देख रही थीं। आखिर डाक्टर बनकर अपने मां और पिता का तुमने नाम रौशन कर दिया।
दिव्या _ये तो तुम्हारे आशीर्वाद का फल है मां।
रत्नावती_बेटी तू थक गई होगी जाओ अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ। फिर साथ में नाश्ता करेंगे।
दिव्या _ठीक है मां।
इधर ठाकुर ने अपने आदमियों को अपने खास आदमी माखन को बुलाकर लाने कहा,,
कुछ देर में माखन पंहुचा,,,
माखन _मालिक आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _हां, माखन, तुम पता करके बताओ किन मादरचोदो कीइतनी हिम्मत हो गई की ठाकुर बलेन्द्र सिंह की बेटी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की, उन मादर चोदो को जिंदा या मुर्दा मेरे पास लाओ।
माखन,_ठीक है मालिक।
माखन वहा से चला गया।
ठाकुर _मुनीम जी हमारी छोटी बेटी की डाक्टर बनने की खुशी में कल एक पार्टी रखो। हमारे जीतने भी रिश्ते दार मित्र है उसे आमन्त्रित करो।
मुनीम _जी मलिक।
इधर भुवन अपने कमरे में आराम कर रहा था तभी बाजू में सोया बच्चा रोने लगा।
भुवन ने पुनम को आवाज़ लगाया।
भुवन _अरे कहा हो
पुनम कमरे में आई।

पुनम_क्या हुआ जी
भुवन_, मुन्ना रो रहा है लगता है इसे भूख लगी है।
पूनम पलंग पर बैठ गई
वह मुन्ने को अपने गोद में लेकर उसे प्यार करने लगा,,
पुनम _अ ले, अले मेला, बेटा क्यू रो रहा है? मेले बेटे को भूख लगी है। मेला बेटा दूदू पिएगा।
पुनम ने ब्लाउज का एक बटन खोला और चोली उठाकर एक चूची बाहर निकाल लिया, चूचक को मुन्ने के मुंह में डाल दिया। प्यार से मुन्ने का बाल सहलाने लगा।
दूध से भरी मस्त चूची को देखकर भुवन का land खड़ा हो गया।
उससे रहा न गया। उसने एक हाथ से पुनम की दूसरी चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा।
पुनम _अजी क्या कर रहे हों? बाजू वाले कमरे में मेहमान आया huwa है और आप, कोई कमरे में आ गया तो।
भुवन _अरे मेरी जान, इस कमरे में जब दोनो हो तो कौन आएगा।
तेरी मस्त चूचियां देखकर रहा नही जाता।
मुझे भी भूख लगी है। मुझे भी दूध पिलाओ।
पुनम _अभी तो नाश्ता किए हो फिर भूख लगने लगी।
भुवन _अरे मेरी जान भूख मुझे नही इसको लगी है इसकी प्यास बुझाओ।
भुवन ने पुनम का एक हाथ पकड़कर अपने land पर रख दिया।
पुनम _इसकी भूख तो मिटती ही नहीं है, जब देखो सर उठा के खड़ा हो जाता है।
भुवन _तेरी जैसी मस्त मॉल पास हो तो भूख तो लगेगी।
भुवन ने दूसरी चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
पुनम एक हाथ से उसका land सहलाने लगा।

इधर बच्चा दूध पीता पीता सो गया।
भूवन _लगता है मुन्ना सो गया।
चल आजा बैठ जा मेरे land पे।

पुनम ने बच्चे को पलंग के किनारे लिटा दिया।
भुवन ने अपना लूंगी और चड्डी निकाल दिया। उसका land हवा में ठुमकने लगा।
पुनम ने अपनी चड्डी, उतार दी और पलंग पर चढ़ गई।
भुवन के द्वारा चूची मसलने और पीने से वह भी गर्म हो चुकी थी। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
वह भुवन के land को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रख कर बैठ गई।
Land सरसराता huwa अंदर चला गया।
भुवन अपने दोनो हाथों से पुनम की चूची थाम लिया।
पुनम land पर उछल उछल कर चुदने लगी।
दोनो को बहुत मज़ा आने लगा,,,,
भुवन अपनी क़मर उठा उठा कर पुनम की योनि में land Ko गहराई तक ले जाने की कोशिश करने लगा जिससे दोनो को संभोग की अपार सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में पुनम की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
इधर पदमा को बहु से कुछ काम था तो वह उसे ढूंढते हुए उसके कमरे की ओर आई। दारवाजे के पास पहुंचते ही उसे मादक सिसकारी सुनाई पड़ी,,
वह समझ गई अंदर क्या चल रहा है।
पदमा _इस मुआ का तो कोई समय ही नहीं है जब देखो,chudai करने लग जाता है।
बाजू वाले कमरे में छोटा भाई मौजूद है, इसे कोई लाज शर्म है नही सुरु हो गया,,, बुर चोदने।
चोदरा कही का,,,
Bahut hee badhiya update diya hai … dekhte hai yanha Rajesh ka naseeb kya naya gul khilane wala hai …

Apne dada ka hamsakal hone ka kya fayada yaa nuksaan hai … yeh dekhna bada dilchasp hoga….

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,409
9,087
159
Intezaar rahega agle update ka …
 

rajesh bhagat

Active Member
905
4,654
124
पदमा आंगन में बैठकर चावल साफ़ करने लगी। इधर कमरे में भुवन और पुनम के बीच chudai अंतिम अवस्था में पहुंच गई। भुवन ने पुनम को घोड़ी बनाकर। जमकर पेला और अन्त में अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया।
आधा वीर्य बहकर पुनम की टांगों में बहने लगा।
वह कमरे से निकल कर बाड़ी की ओर भागी।
पदमा ने उसे घूरते हुए देखा। जब पुनम की आंख उसकी सास से मिली तो वह शर्मा गई।
बाड़ी में बनी मूत्रालय में जाकर वह बाल्टी में भरी पानी से अपनी बुर धोने लगी।
वीर्य जो टांगों में बह रही थी उसको साफ की।
फिर वह आंगन में आ गईं।
पुनम _मां जी, दो चावल को मैं साफ़ कर देती हूं।
पदमा _क्यूं re कुछ शर्म वगैरा है की नही बाजू वाले कमरे में मेहमान है और दिन में ही शुरु हों गए।
पुनम शर्माते हुवे।
पुनम _मां जी आपका बेटा कहा मानता है? मैने उसे मना किया पर वह माना नही।
पदमा _चावल मैं साफ़ कर रही हूं तुम खाना बनाओ, जाओ सब्जी कांटो।
पुनम _कौन सी सब्जी बनाऊं मां जी।
पदमा _बाड़ी से तोड़कर करेला, और भाजी लाई है, जाओ बनादो। दाल भी चढ़ा देना।
कुछ रोटियां भी सेक देना।
पुनम _ठीक है मां जी।
पुनम कीचन में जाकर खाना बनाने लगी।
कुछ देर में आरती भी पहुंची।
पदमा _तु कहा चली गई थी re,
आरती _मां मैं अपनी सहेली, मधु के घर गई थी।
पदमा _जाओ हाथ पैर धोलो और कीचन में जाकर अपनी भौजी की मदद करो।
आरती भी कीचन में चली गई और भाभी की मदद करने लगी।
जब भोजन तैयार हों गया।
पदमा राजेश के कमरे में पहुंची।
राजेश अपनें साथ कुछ पुस्तके लाया था। ताकि आई ए एस की तैयारी कर सके। वह पुस्तक पड़ रहा था।
पदमा _राजेश बेटा,,
राजेश _जी ताई, आइए बैठिए।
पदमा _अरे बेटा, भोजन तैयार हो गया है चलो हाथ मूंह धोकर आ जाओ।
राजेश _ताई, भुवन भैया आ गया।
पदमा _हा बेटा वो तो कब का आ चुका है। अपनें कमरे में आराम कर रहा है। बहुत मेहनत किया न अपनी बीबी के साथ थक गया है।
राजेश _मैं समझा नही ताई।
पदमा _बेटा, जब तेरी शादी होगी न तो तू भी समझ जाएगा। चल अब आ जा।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा भुवन के कमरे में गया।
अरे मुआ चल तु भी खाना खा लें फिर मुझे भी तुम्हारे बापू के लिए खाना लें जाना है, नही तो वह भूखा रह जायेगा।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन अपनें कमरे से निकल कर राजेश के कमरे मे गया।
भुवन _अरे, राजेश चलो भोजन करते हैं। डाकिया बाबू ने तुम्हे घर तक छोड़ा न। कोइ परेशानी तो नहीं हुईं।
राजेश _ नही भाई, आने में कोई दिक्कत नही हुई।अभी अभी ताई आई थी बुलाने।
राजेश और भुवन दोनो हाथ धोकर भोजन के लिए कीचन में पहुंचते हैं।
पूनम दोनो को खाना परोश्ती है।
दाल चावल सब्जी रोटी।
भुवन _वाह, आज तो खाने में मजा आ जायेगा।
भाई राजेश तुम्हारे आने से तो हमें भी अच्छा खाना खाने को मिल रहा है।
वाह क्या खुशबू आ रही है, भोजन में।
राजेश _भाभी के हाथ में तो जादू है बड़ा स्वादिष्ट भोजन बना है।
भुवन _भाई, ये जादू तो तुम्हारे आने के बाद ही देखने को मिल रहा है। नही तो आर रूखा सूखा ही खाकर काम चलाना पड़ता है। किसी को कुछ बोलो तो, उल्टा हमें ही सुनना पड़ता था।
पुनम _क्यों जी कब तूमने रूखा सूखा खाना खाया है? आप तो ऐसे बोल रहे है कि मैं मन से खाना नही बनाती, मूंह फुलाते हुवे बोली।
भुवन _लो कुछ बोलो तो मुंह फुलाकर बैठ जाती है। कुछ बोलना ही बेकार है।
तभी पदमा पहुंची,,
पदमा _क्या हों गया re मुआ कही का क्यो आपनी लुगाई सै झगड़ रहा है?
भुवन _कुछ नही मां, मैं तो खाना की तारीफ कर रहा थाकि आज खाना बड़ा स्वादिष्ट बनाई है पुनम ने।
आरती _भईया मैने भी मदद की है खाना बनाने में भाभी की।
भुवन _अच्छा तो सब मिलकर राजेश की खातिर दारी में लगे हुवे है।
पदमा _तुम्हे जलन हो रही है क्या? तुम्हारे छोटे भाई की खातिर दारी होने से,,
भुवन _अरे नही मां, मुझे क्यू जलन होने लगा, मैं तो खुश हूं कि राजेश के आ जाने के बाद अच्छा अच्छा खाने को मिलेगा।
पदमा _बहु राजेश को दो और रोटी दो।
राजेश _नही ताई, मेरा पेट भर गया।
पदमा _अरे बेटा, तू खाने में शर्मा मत यह तुम्हारा ही घर है। वैसे भी इस घर और जमीन पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना भुवन का।
जमीन जायदाद का बटवारा हुवा नही है।
राजेश _ताई एक बात पूछनी थी आपसे?
पदमा _पूछो, बेटा ।
राजेश _चाचा और चाची अलग क्यू रहते हैं? आप लोगो के साथ क्यू नही?
पदमा _अब क्या बताऊं बेटा, तुम्हारी चाची और हमारे बीच किसी बात को लेकर अनबन हों गई। तुम्हारे चाचा जी तो साथ ही रहना चाहते थे। पर तुम्हारी चाची के आगे उसका भी नही चलता।तुम्हारे चाची के कहने पर,अलग से घर बना लिए और वही रहते है।तुम्हारी चाची, इस गांव के सरपंच है,तुम्हारे चाचा जी दुकान चलाते है। कृषि कार्य में तो उन्हे रुचि है नही, खेत को तुम्हारे ताऊ और भुवन के जिम्मे छोड़ दिया है।
यहां आते समय जो बड़ा सा किरानाऔर निर्माण सामग्री, और कृषि खाद का दुकान देखा होगा वह सब तुम्हारे चाचा जी ही चलाते है।
भुवन और राजेश दोनो ने दोनो भोजन कर लिए, उसके बाद दोनो राजेश के कमरे में चले गए।
इधर पदमा ने भी भोजन किया उसके बाद अपनें पति के लिए भोजन लेकर खेत चली गई।
कुछ देर आराम करने के बाद,,
भुवन _राजेश चलो अब तैयार हो जाओ। तुम्हे गांव घुमा लाऊ।
राजेश कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
जैसे ही वे गालियों में पहुंचे, गांवों वाले राजेश को देखकर पूछते, भुवन गांव में नया लगता है, ये युवक कोन है ये।
भुवन सभी को राजेश का परिचय कराता।
गांव में जो जो मुख्य चीजे थी, प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, गोठन, सभी का भ्रमण किया।
राजेश _भुवन भईया, मैं चाचा चाची से मिलना चाहता हूं, चलो उसके घर चलते है।
भुवन _राजेश, चाची तो मुझे पसन्द नही करती, मूझसे बातचीत नही करती।
चलो चाचा जी से मिलवा देता हूं।
राजेश _भुवन भईया ऐसा भी क्या बात हो गई जो चाची जी आपसे बातचीत नही करती।
भुवन _इसकेे बारे में कभी बताऊंगा, छोटे अभी मत पूछो।
लो चाचा जी का दुकान आ गया।
भुवन का चाचा माधव प्रसाद उम्र 40वर्ष।
दुकान में ही था,,
भुवन _नमस्ते चाचा जी,
माधव _अरे, भुवन आओ बैठो,
भुवन ने माधव का पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश ने भी पैर छूकर प्रणाम चाचा जी कहा।
माधव _अरे भुवन ये कौन है?
भुवन _चाचा जी पहचानो ये कौन है?
माधव _इसकी सकल तो बाबू जी से काफी मिलती है। कौन है ये,,
भुवन _चाचा जी, ये राजेश है, शेखर चाचा का लडका, आज सुबह ही शहर से आया है।
माधव प्रसाद _ये शेखर भईया का लडका राजेश है!
माधव का खुशी का ठिकाना न रहा,
अरे भईया भाभी और तुम लोगो से मिलने के लिए आंखे तरस रही थी।
मैं बता नही सकता की तूमको गांव में देखकर कितना खुशी महसूस कर रहा हूं।
तु अकेला आया है की भईया भाभी भी साथ में आए है।
राजेश _चाचा जी पापा को तो ड्यूटी से छुट्टी ही नही मिलता।
माधव प्रसाद _जानता हूं बेटा बैंक वालो की ड्यूटी।
वैसे तु सुबह का आया है और अब मिलने आया है।
बेटा तु इधर से ही तो गुजरा होगा। मूझसे आते ही मिल लिया होता।
राजेश _चाचा जी मैं आपको कैसे पहचानता, पहली बार जो आया हूं?
माधव _हां राजेश सच कहा तुमने।
चलो बेटा घर के अन्दर चलो, तुम्हारी चाची से मिलो।
घर दूकान से ही लगा था।
माधव ने अपनी पत्नि सविता को आवाज़ दिया।
अरे सुनती हो देखो तो कौन आया है।
दो तीन बार आवाज़ देने के बाद सविता बाहर आई।
सबिता उम्र 37 वर्ष, गांव की सरपंच है, पहले माधव सरपंच था, जब पंचायत चुनाव में सीट 50%महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया, माधव की जगह सविता सरपंच बन गई, सविता कालेज तक पढ़ी थी।
सबिता_क्या huwa जी क्यू चिल्ला रहे हो?
माधव _देखो तो कौन आया है?
सविता _, कौन है ये?
माधव _शेखर भईया का लडका, राजेश, आज ही शहर से आया है।
राजेश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता _जीता रह।
वैसे इतने दिनो बाद गांव कि याद कैसे आई?
राजेश _जी चाची मैरी कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई है तो आप लोगो से मिलने का बड़ा मन था, कुछ दिन रहने चला आया।
माधव _अरे सविता, ऐसे ही खड़े खड़े बाते करती रहेगी की घर के अन्दर ले जाकर चाय वगैरा भी पिलाएगी।
सविता _देखो जी मैं तो अभी पंचायत के काम से पंचायत भवन जा रही। अभी मेरे पास समय नहीं।
तुम चाय वाले के दुकान से चाय मंगा कर पिला दो।

सविता वहा से चली गई।
माधव _राजेश तुम आपनी चाची की बातों का बुरा मत मानना। जुबान की थोड़ी कड़वी है पर दिल की बहुंत अच्छी है।अभी जल्दी में है न इसलिए,,
माधव ने राजेश और भुवन से दुकान में रखे चेयर पर बैठने कहा।
माधव _आओ बेटा बैठो।
क्या लोगो ठंडा या गरम?
भुवन _चाचा जी अभी तो गर्मी लग रही है, चाय तो रहने दो।
माधव ने दुकान में रखें फ्रीज से ठंडा का दो बाटल निकाला, और बोला,, लो बेटा ठंडा पियो।
अच्छा राजेश, भईया भाभी कैसे है?
यहां से जाने के बाद, गांव को तो बिल्कुल भुल ही गए।
राजेश _मां और पापा वहा अच्छे से है चाचा जी, पापा तो आप लोगो को बहुत मिस करते है। पर ड्यूटी से उन्हे समय नहीं मिल पाता गांव आने के लिए।
राजेश _चाचा जी एक बात पूछनी थी आपसे, आप तो यहां के सरपंच रह चूके है। गांव इतना पिछड़ा huwa क्यू है?
माधव _गांव के विकाश के लिए मैंने बहुँत प्रयास किया, राजेश पर सरकार की योजना का लाभ मिलने के लिए विधायक जी का सहयोग मिलना जरूरी है। उसके बीना अनुमोदन के कोइ भी कार्य पास नही हो सकता। यहा के विधायक ठाकुर बलेन्द्र सिंह नही चाहते की सरकार के किसी भी योजना का लाभ इस गांव के लोगो को मिले।
राजेश _चाचा जी ऐसा क्या हो गया था कि ठाकुर साहब इस गांव के खिलाफ हो गए हैं।
माधव _समय आने पर धीरे धीरे सब पता चल जायेगा राजेश, अभी उस बात को न जानो तो ही बेहतर है।
बात चित करते हुवे काफी समय हो गया।
भुवन _अच्छा चाचा जी मैं राजेश को खेत घुमा के ले आऊं, राजेश वहा बापू से भी मिल लेगा।
माधव _क्या राजेश बड़े भईया से अभी तक नही मिले हैं?
भुवन _कहा, चाचा जी, बापू तो सुबह से ही खेत निकल गए थे।
माधव _ठीक है, जाओ राजेश खेत घूम आओ। बड़े भईया से भी मिल लेना, वे बहुत खुश होंगे।
राजेश _ठीक है चाचा जी। हमे इजाजत दीजिए। पैर छूकर इजाज़त लिया।

माधव _जी ता रह बेटा, आते रहना।
राजेश _अभी, तो कुछ दिन यहां रहूंगा। आता रहूंगा आपके पास बैठने।
माधव _ठिक है बेटा।
राजेश और भुवन दोनो खेत की ओर चले गए।
भुवन _राजेश यह कच्ची सड़क सीधा नदी की ओर जाता हैं।
शाम को दोस्तो के साथ टहलने जाते है।
कुछ देर में ही वे खेत पहुुंच गए।
भुवन _लो भाई हम अपना खेत पहुँच गए।
ये कटीले तार से घिरा जो जमीन है। क़रीब 30एकड़। ये हमारा खेत है। खेत के चारो ओर मेड के किनारे किनारे,फल दार पेड़ लगे थे।
खेत के अन्दर जाने के लिए लकड़ी और घांस फुश का एक दस फीट लंबा 5फीट चौड़ा दरवाजा लगा था।
दरवाजा खोलकर वे अंदर गए।
अंदर एक झोपड़ा बना था जिसकी दिवारे मिट्टी की ऑर छत खपरैल की ।
वे झोपड़े के अंदर गए।
झोपड़े में एक खाट रखा था। उस पर मोटा चादर तकिया और एक कंबल था।
झोपड़ा के बाहर मटका , रखा था जिस में पीने के लिए पानी रखा था।
भुवन _आओ, राजेश बैठो खाट में।
राजेश खाट में बैठ गया।
राजेश _अरे भुवन भईया, ताऊ जी दिखाई नहीं दे रहे।
भुवन _वो खेत में मजदूरों के साथ होंगे। मां भी होगी। बापू के लिए खाना लेके आई थी। शाम को मजदूरों के साथ ही चली जाती है।
चलो बापू से मिलवाता हूं।
भुवन राजेश को उस ओर ले गए जिधर मजदूर काम कर रहे थे।
खेत में विभिन्न प्रकार के सब्जियां फल फूल अनाज लगे हुवे थे।
गांव की महिलाए खेत में काम करने आती थी।
पास पहुंचने पर भुवन ने आवाज़ लगाया।
भुवन _बापू, ओ बापू।
भुवन के पिता का नाम केशव प्रसाद था, उम्र 50 वर्ष।
केशव _क्या huwa बेटा क्यू चिल्ला रहा है? केशव मजदूरों के साथ खेत में काम कर रहा था, वह खड़ा होकर, भुवन की ओर देखने लगा। पदमा भी देखने लगी, गांव की महिलाए जो खेत में काम कर रही थी वे भी देखने लगे, आखिर बात क्या है?
भुवन _बापू देखो कौन आया है?
पदमा _भुवन, राजेश को लेकर आया है!
केशव खेत के मेड की ओर जाने लगा।
पास जाने के बाद।
राजेश ने पैर छूकर, अपने ताऊ जी को प्रणाम किया।
केशव _खुश रह बेटा । अरे बेटा तुम यहां में क्यू चले आए।
अरे भुवन, राजेश को यहां क्यू ले आया
यहां खेत के मेड़ों पर चलने में परेशानी हुईं होगी। आवाज़ लगा दिया होता मैं झोपड़े के पास ही चला आता।
राजेश _अरे नही ताऊ जी, मैं भी आप ही लोगो की तरह इन्सान हूं। आप लोग कठिन रास्तों पर चल सकते है काम कर सकते हैं तो मैं क्यू नही?
केशव _तुम्हारी बातों से ही लगता है की सुनीता और शेखर ने तुम्हे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।
केशव _बेटा तुम लोगो को देखने के लिए तो आंखे तरस रहा था। अच्छा huwa जो गांव चला आया। तु तो बिलकुल अपनें दादा जी पे गया है।
ऐसा लग रहा है की बापू फिर से घर आ गए हैं।
चलो बेटा झोपड़ी पर चलकर बातचीत करते हैं।
वे झोपड़ी पे चले आए फिर कुछ देर बैठकर घर की हाल चाल पूछने एवम सुख दुख की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद चित करने के बाद,,,
केशव _भुवन बेटा तुम राजेश को खेत दिखाओ मैं खेत में पानी पला देता हूं।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन राजेश को खेत घूमाने लगा, खेत मे काम करने वाले गांव की औरतों को राजेश का परिचय कराने लगे।
खेत घूमने के बाद, राजेश और भुवन दोनो झोपड़ी पे आ गए और खाट पर लेट गए।
इधर शाम ढलने से पहले महिलाए अपनी घर के लिए निकलने लगी।
सभी महिलाए जो एक साथ घर के लिए निकली।
पदमा झोपड़े के पास रुकी।
पदमा _बेटा, मैं घर जा रही हूं, कुछ देर बाद तुम भी राजेश को लेकर घर आ जाना।
भुवन _ठीक है मां।
पदमा खाली बर्तन लेकर चली गई जिसमे खाना लेकर आईं थी।
अन्य महिलाए भी कतारबद्ध चलने लगी। भुवन, उन महिलाओं को जाते हुवे देख रहा था।
और मुस्कुरा रहा था। महिलाए भी भुवन को देखकर मुस्कुरा रही थी।
जब सभी महिलाए आगे निकल गई, पीछे चलने वाली महिला जो क़मर मटका मटका के चल रही थी।
भुवन ने उसके पिछवाड़े में एक छोटा पत्थर फेक कर मारा।
उस उस औरत ने पीछे मुड़कर देखा। राजेश ने उसे हाथ से कुछ इशारा किया।
उस औरत ने मुस्कुराते हुवे सिर हिलाई। फिर चली गईं।
राजेश ने यह सब देख लिया।
महिलाओं के जाने के बाद, दोनो फिर खाट में लेट गए।
राजेश _भुवन भईया, एक बात पूछूं।
भुवन _राजेश तुम्हे जो भी पूछना रहता है सीधा पूछा करो, इजाज़त लेने की क्या जरूरत?
राजेश _भईया, ये औरत कौन थी, और क्या इशारा किया था उनको।
भुवन _ राजेश,पहले यह बताओ, तुम्हारी तो कालेज में कई गर्लफ्रेंड रही होगी, तुम तो अपने कालेज के बेस्ट स्टूडेंट थे।
राजेश _इक दो गर्ल फ्रैंड थी।
भुवन _कभी, बुर का मजा लिया है?
राजेश _भईया मैं समझा नही।
भुवन _अरे,अभी तक किसी की चूत मारा है की नही।
राजेश _भईया, ये आप क्या कह रहे है।
भुवन _अरे तु तो लडकियों की तरह शर्मा रहा है।
लगता है तु अभी तक बुर का मजा नही चखा है।
अरे बुर मारने का असली मज़ा तो इसी उम्र में आता है।
मैने जिसे इशारा किया वह सरला काकी है! क्या मस्त मॉल है शाली।chudai में खुब मजा देती है।
आज मैने उसे रात में खेत में बुलाया है।
राजेश _क्या भईया, भाभी को पता चला तो, यहा, खेत में क्या गुल खिला रहे हों , वैसे भी भाभी बहुत सुन्दर है उसके रहते ये सब,,
भुवन _अरे, तु अभी बुर का मजा नही चखा है न इसलीय ऐसा बोल रहा है। घर की मुर्गी दाल बराबर होता है। अरे असली मजा तो दूसरे का मॉल चुराकर खाने में है। मैं तो कहता हूं तु भी आज रात मेरे साथ खेत में सोने आ जाना दोनो मिलकर सरला काकी की बुर का मजा लेंगे। क्या रस छोड़ती है साली।
यह गांव पिछड़ा जरूर है लेकिन यहां की औरतें एक से बडकर एक है।
गांव का कानून भी शख्त है अगर किसी के साथ जबरदस्ती किया तो मूंह काला कर गधे में बिठाकर पूरे गांव में घुमाते है।
पर इन औरतों को पटा लो तो खुब मजा देती है।
मैने तो खेत में काम करने वालियों में कई को पटा रखा है।
सरला काकी पसंद न आए तो किसी दूसरे को पसन्द कर लेना, मैं बात करूंगा, वो मना नहीं करेगी, बोलो क्या कहते हो।
राजेश _नही भईया आप ही मजा कीजिए।
तभी भुवन का बापू झोपड़े में आया।
केशव _क्या बाते हो रही है दोनो भाईयो में।
भुवन _कुछ नही बापू, मैं राजेश को गांव के लोगो के बारे में बता रहा था। यहां के लोग बड़े सीधे साधे है।
अच्छा बापू अब हम लोग चलते है।
केशव _अच्छा बेटा रात को आ जाना सोने के लिए।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन और राजेश दोनो घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुंचने के बाद,,,
पदमा _आ गए तुम दोनो।
बहु दोनो के लिए चाय ले आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम चाय लेकर आई, दोनो चाय पीने लगे,,
इधर हवेली में,,
माखन, ठाकुर के पास पहुंचा।
ठाकुर _बोलो माखन पता चला उन मादर चोदो के बारे में जिन लोगो नेठाकुर बलेंद्रसिंह के बेटी के इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश किए थे।
माखन _हा मालिक वे हमारे ही पार्टी के लड़के थे। उन्हे पता नही था की दिव्या आपकी बेटी है।
उन मादर चोदो को लेकर क्यू नही आया?
माखन _ट्रैन पे सवार कोइ लडका उन लोगो को मारकर ट्रैन से फेक दिया मालिक, एक लडका बचा है, उसी से जानकारी मिला वह लडका भी अपने अंतिम सांसे गिन रहा है, वह शायद ही बचेगा।
ठाकुर _अच्छा huwa मारे गए शाले, अगर जिन्दा बचते तो मेरे हाथो मारे जाते।
मुनीम _ठाकुर साहब मुझे तो राजेश का गांव आना कुछ अच्छा नही लग रहा। अकेले ही बदमाशो पर भारी पड़ गया।
ठाकुर _हूं, लगता है सुनीता ने मर्द को पैदा किया है वो , पर तुम चिन्ता मत करो, हमारे आदमियों से कह दो उस लड़के पर नजर रखे।
मुनीम जी कल की पार्टी की तैयारी चल रही है न।
मुनीम _आप चिन्ता न करे मालिक सब तैयारी अच्छे चल रही है।
ठाकुर _देखो मुनीम जी किसी प्रकार की कोइ कमी न रहे।
मुनीम _जी, मालिक।
मलिक आपसे एक बात पूछनी थी?
ठाकुर _बोलो, मुनीम जी क्या बात है?
मुनीम _दिव्या बेटी बोली है की कल के पार्टी में राजेश को भी निमंत्रण भेजने, क्या करना है? उसे बुलाने।
ठाकुर सोच में पड़ गया।
ये सूरजपुर वालो से तो मुझे नफरत है, पर दिव्या बेटी ने कहा है तो बुला लो, पर उस लड़के की हरकतों पर कड़ी नज़र रखने को बोल देना अपने आदमियों से।
मुनीम जी _ठीक है मालिक।


 
Top