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Incest यह क्या हुआ

rajesh bhagat

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Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
Sara Raj khul gaya ab Rajesh badla lene ki koshish karega udhar balendra bhi apne sapne pura karne ki koshish karega
शुक्रिया
Super excellent update to Thakur Balendra singh sabak sikhane ka time aachuka hai thakur ke ghar ki sabhi ladies ko Rajesh ke niche letna hoga waiting for next
Thanks
 
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rajpoot01

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Nice update....
 

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Rajesh bhai agr ho skta hai toh pls index daal dijiye, purane updates padhne me aasani hogi
 

Sanju@

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राजेश अखाड़े से घर पहुंचा, तब तक उसका ताऊ जी केशव खेत जा चुका था।
पदमा _आ गया बेटा, अखाड़े से।
राजेश _हा ताई।
पदमा_बेटा जा अब तू नहा ले, कुछ देर में भुवन भी खेत से आ जायेगा।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश टावेल, बनियान और अंडर वियर लेकर घर के पीछे बाड़ी में नहाने चला गया।
वहा पहले टॉयलेट में जाकर फ्रेस हो गया।
फिर बोर चालू कर नहाने लगा। वह सिर्फ उंडर वियर में था।
पदमा _अरे बहु, राजेश तो ऐसे ही नहाने चला गया, साबुन तो लें गया ही नही, जाओ उसे साबुन दे आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम साबुन का डिब्बा ले कर बाड़ी में गया।
वहा जाकर, देखा राजेश सिर्फ अंडर वियर में है।
उसका फौलादी बदन को देखकर मुस्कुराने लगी।
तभी राजेश की नजर, पुनम पर गया।
राजेश _अरे भौजी तुम कब आई।
पुनम _बस अभी आई, देवर जी तुम साबुन लाना तो भुल ही गए, मां जी ने साबुन दे आने को कहा, लो साबुन लगा कर नहाओ।
राजेश _ओह शुक्रिया, भौजी।
पुनम _वैसे देवर जी एक बात कहूं?
राजेश _कहिए भौजी क्या बात करनी हैं?
पुनम _काफी अच्छी बॉडी बना रखी है आपने, पहलवानों की तरह। लगता है काफी पसीने बहाते हो अखाड़े पे।
राजेश _भौजी, लडकियों को इंप्रेस करने के लिए आज कल लड़को को अपनें बॉडी पे बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
पुनम _अच्छा देवर जी, ये बॉडी लडकियों को इंप्रेस करने के लिए बनाए हो। तब तो शहर में तुम्हारी कई गर्लफ्रेंड रही होगी आपकी।
राजेश _थी एक, पर हम दोनो में झगड़ा हो गया, वो विदेश चली गईं। और मैं यहां आ गया।
पुनम _इतना अच्छा मुंडा को छोड़कर चली गईं, आखिर ऐसा क्या बात हो तुम दोनो के बीच?
राजेश अपनें बदन पे,साबुन लगाने लगा,
पुनम की नजर राजेश के अंडर वियर पर गया, उसमें बड़ा उभार देख कर मुस्कुराने लगी।
राजेश _भौजी, अब ये लंबी कहानी है, फिर कभी बताऊंगा।
पुनम _देवर जी, शरीर के हर हिस्से पर अच्छे से साबुन लगाना। कोइ हिस्सा छूट न जाए।
राजेश _भौजी, अगर ऐसी बात है तो, मेरा हाथ पीठ पर नही पहुंच पा रहा आप ही लगा दीजिए।

पुनम _, न, बाबा, कहीं सासु मां आ गई तो, क्या समझेगी।
राजेश _कह देना, देवर को नहला रही थी।
पुनम _अच्छा, तु छोटा बच्चा थोड़ी है, जो नहलाना पड़ेगा।

मैं अब चलती हूं, नही तो सासु मां पूछेगी की इतनी देर तक क्या कर रही थी?

पुनम मुस्कुराते हुवे वहा से चली गई।
पदमा _बहु दे आई, राजेश को साबुन।
पुनम _हा मां जी।
पदमा _चल, अब आजा, नास्ता बनाने में मेरी मदद कर।
पुनम _ठीक है मां जी।
कुछ देर बाद, राजेश नहाकर आ गया।
पदमा _बेटा, वहा आलमारी में तेल, कंघी वगैरा, होगा।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश, शरीर पे तेल लगाकर, अपने बालो पे कंघी कर लिया।
अपने कमरे में आराम करने लगा।
तभी भुवन खेत से घर पहुंचा।
पदमा _आ गया बेटा खेत से।
भुवन _हा मां, आ गया। राजेश अखाड़े पर गया था कि नही।
पदमा _गया था बेटा, वह अखाड़े से आकार नहा भी लिया अपनें कमरे मे होगा।
जा तु भी नहा ले फिर राजेश और तुम, दोनो साथ में नाश्ता कर लेना।
भुवन _ठीक है मां।
कुछ देर में भुवन भी नहा कर आ गया।
पदमा, राजेश के कमरे में गई।
राजेश _अरे ताई आप।
पदमा _बेटा चलो नाश्ता कर लो।
राजेश _भुवन भईया खेत से आ गया क्या?
पदमा _हा बेटा, वह नहा भी लिया। नाश्ता के लिए तुम्हारा राह देख रहा है।
चलो आ जाओ।
राजेश, पदमा के पीछे चल पड़ा।
भुवन कीचन पर बैठ राजेश का इन्तजार कर रहा था।
राजेश जब कीचन में पहुंचा,
भुवन _आओ राजेश बैठो, कैसा रहा तुम्हारा अखाड़ा का पहला दिन।
राजेश _बहुत अच्छा भईया, लड़को ने अच्छा सपोर्ट किया? अभ्यास के लिए बहुत अच्छा देशी जुगाड किया है। मुझे अभ्यास करने में बड़ा मजा आया।
भुवन _चलो, अच्छी बात है, अब तुम्हारे जिम की चिन्ता खत्म हुईं।
पुनम, ने दोनो के लिए नाश्ता लगाई ।
दोनो ने नाश्ता किया।
भुवन _वाह भई नाश्ता करके तो मजा आ गया, क्यू भई राजेश।
राजेश _हां भाई, भौजी के हाथो में जादू है। बड़ा स्वादिष्ट नाश्ता बना था।
भुवन _भई राजेश, अब तुम घर में रह कर अपनी कलेक्टरी की तैयारी करो, बोर लगे तो दोस्तो के पास या खेत में आ जाना टहलने। मै खेत जा रहा हूं, बाबू जी के लिए नाश्ता ले कर।
राजेश _ठीक है भुवन भईया।
भुवन _मां ये आरती कहा है कहीं दिख नही रही है।
पदमा _बेटा वो अपनी सहेली मधु के घर गई है, कुछ काम था उसको।
भुवन _ये लडकी भी न दिन भर अपनी सहेली मधु के घर ही घुसी रहती है।
भुवन अपनें कमरे में गया।
भुवन _अरे पुनम जरा इधर आना,
पुनम _जी अभी आई,
पुनम अपनें ससुर के लिए नाश्ता डिब्बा में डालकर, कमरे में पहुंची।
पुनम _बोलो जी क्या बात है?
भुवन _ने पुनम को अपनी बाहों में भर लिया।
पुनम _क्या कर रहे हो जी छोड़ो न कोइ आ जायेगा।
भुवन _अरे मेरी जान, खेत जाने से पहले एक बार तेरी ले तो लू। नही तो खेत में मन नही लगेगा।
पुनम _क्यू, खेत मेंकाम करने वाली औरतें तुम्हारे मन बहलाने के लिए है न।
भुवन _हाय जो मजा तेरी लेने में आता है, वो मजा उनमें नही।
पुनम _अच्छा, ऐसा क्या खास है मुझमें।
भुवन _हाय, ये दूधदूध से भरे, स्तन मसल मसल कर, पी कर लेने में बड़ा मज़ा आता है।
पुनम _न बाबा, अब मैं आपको दूध पीने नही दूंगा।
भुवन _वो क्यू?
पुनम _आधा दूध तो तुम ही पी जाते हो, मुन्ना के लिए कम पड़ जाता है। अब वह भी ज्यादा दूध पीने लगा है।
भुवन _तुम्हारा दूध है ही इतना स्वादिष्ट, हम बेटे और बाप दोनो को बहुन्त पसंद है तुम्हारा दूध।
चल अब घोड़ी बन जा। जल्दी कर मुझे खेत जाना है, मां ढूंढे गी, कहा चला गया।
पुनम खाट को पकड़ के झुक गई।
भुवन ने उसका चड्डी नीचे खींच दिया और उसकी बुर चाटने लगा।
थोड़े ही देर में पुनम की बुर पानी छोड़ने लगी।
उसकी मूंह से सिसकारी निकलने लगी।
भुवन ने, देर न करते हुए, अपना land पे थूक लगाया और पुनम की बुर में रख कर गच से पेल दिया।
पुनम सिसक उठी।
भुवन, पुनम केक़मर को दोनो हाथों से पकड़ कर गपागप चोदना शुरु कर दिया।
कमरे में पुनम की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
इधर आरती अपनी सहेली के घर से आ गई।
पदमा _अरे, तु कहा घूम रही है सुबह सेअभीआ रही है ।जवान छोरी है, डर लगता है कहीं हमारा मूंह काला न करा दे।
आरती _मां आपको बता कर, गई थी न मधु घर जा रही हूं। फिर भी, मुझ पर तो आपको भरोसा ही नहीं।
पदमा _ठिक है, ठिक है, देख तो तुम्हारा भईया कहा रह गया, उसे खेत जाना है।
आरती _ठीक है मां।
आरती, भुवन के कमरे की ओर गई। कामरा अंदर से बंद था।
आरती दरवाज़े पर कान लगा कर सुनी।
कमरे मे पुनम की मादक सिसकारी गूंज रही थी, जिसे सुनकर आरती समझ गई की अंदर क्या चल रहा है।
वह मुस्कुराते हुए वहां से चली गई।
पदमा _अरे अपनें भाई को बोला की नही खेत के लिए लेट हो रहा है।
आरती _नही मां, भईया कमरे में है, मैं कमरे में गई नही। आरती शरमाने लगी।
पदमा_क्यू क्या huwa ?
आरती _, मां, ओ, भईया और भौजी,,,,,
पदमा _, क्या huwa तुम्हारे भईया भौजी को, शर्मा क्यू रही हो,,,
आरती _मां, कमरे के अन्दर भईया और भौजी,,
मुझे बताने में शर्म आ रही है, ख़ुद ही पता कर लो,,,

तुमसे तो एक काम भी ढंग से नहीं होता,,
पदमा ख़ुद ही चली गईं,,
वह दरवाजे के पास गई, दरवाजा धकेली, खुला नही।
उसे पुनम की मादक सिसकारी सुनाई पड़ी।
उसने अपना अपना सिर पकड़ लिया।
हे भगवान इस लड़के को मां बहन छोटा भाई किसी का कोइ लाज लहजा है? दिन में ही दारवाजा बंद कर के chudai करने लगता है।
पदमा _वहा से चली गईं।
आरती , मुस्कुराते हुवे बोली क्या हुआ मां, भैया को बोल दिए न खेत के लिए लेट हो रहा है।
वह मुंह बंद कर हसने लगी।
पदमा _चुप कर, बेशर्म कहीं कि तुझे भी अपने भाई की तरह शर्मों हया है नही।
आरती _मां, अब भईया तो रात में घर में रहते नही खेत में सोते हैं। तो अपनें बीबी को प्यार दिन में ही करेंगे न।
पदमा _अरे हमारी नही तो कम से कम राजेश का तो ख्याल करना चाहिए। उसे पता चलेगा तो क्या कहेगा? मां बहन के रहते ही बीबी के साथ शुरु हो जाता है। संस्कार नाम की चीज नही।
कुछ देर बाद भुवन कमरे से बाहर निकला।

भुवन _अच्छा मां, मैं खेत जा रहा हूं।
पदमा _ठीक है बेटा, अपने बापू के लिए नाश्ता रखा है कि नही।
भुवन _रखा हूं मां।
थोड़ी देर बाद पुनम भी बाहर निकली, और अपनी बुर धोनेबाड़ी के मूत्रालय में गई।
इधर आरती हस रही थी।
पुनम जब आई।
पदमा ने पुनम को घूरते हुए कहा,,
क्यू re तुम्हे कल भी कहा था, राजेश आया huwa है। तु भुवन को मना क्यू नही करती।
पुनम _मां जी आपका बेटा, मेरा सुनता कहा हैं।
पदमा _मैं अच्छी तरह समझती हूं, तु भी कम नही। तुम्हे भी खुब खुजली मची रहती है।
शर्मो, हया नाम का चीज ही नहीं इस घर में।
आरती _मां अब भौजी को क्यू डांट रही हो। बेटा को तो कुछ बोली नहीं।
पदमा _तु चुप रह बेशरम कहीं की।
जाओ तुम लोग भी नहा कर नाश्ता कर लो।
आरती और पुनम दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
दोनों नहाने लगे।
आरती _भौजी, भईया के साथ खुब मजा लें रही थी। पूरे कमरे में तुम्हारे सिसकारी गूंज रही थी।
लगता है खुब मजा आ रही थी आपको।
पुनम _जब तुम्हारी, शादी होगी न तब पता चलेगा।
कैसा लगता है?
आरती _न बाबा मुझे शादी नही करनी।
पुनम _क्यू? तुम्हारा मन नही करता क्या? सब करने का।
आरती _करता है, पर
आरती _डर लगता है कहीं मेरा पति भी मधु के पति की तरह शराबी निकल गया तो। मेरी भी जिंदगी नर्क बन जाएगी। उससे अच्छा तो उंगली से काम चला लूंगी।
पुनम _कब तक उंगली से काम चलाएगी। कब तक अपना मटका लेकर गांव में घूमती रहेगी।
शादी तो करनी ही पड़ेगी। और सभी लड़के शराबी तो नही होते न।
आरती _फिर भी मुझे डर लगता है, मेरी भी जिंदगी मधु की तरह बर्बाद न हो जाए।


दोनो नहा कर नाश्ता कर लिए
अपनें अपनें काम में लग गए।
राजेश अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था।
कुछ देर बाद किसी ने घर का दरवाजा खटखटाया।
पदमा _अरे आरती जरा देखो कौन है दरवाजे पर।
आरती ने दरवाजा खोला।
कोइ आदमी था।
आदमी _राजेश यहीं रहता है?
आरती _हां, आप कौन है?
आदमी _मुझे ठाकुर साहब ने भेजा है। आज शाम को हवेली में पार्टी रखा गया है। उसमें राजेश को आमंत्रित किया गया है।
तुम राजेश को यह जानकारी दे देना।
आरती _जी मैं राजेश भईया को, बता दूंगी।
वह आदमी चला गया।
आरती अंदर आई।
पदमा _कौन था री?
आरती _मां, ठाकुर का कोइ आदमी आया था।
पदमा _ठाकुर का आदमी, वो हे भगवान वो यहां क्यू आया था।
आरती _बता रहा था कि आज हवेली में पार्टी है राजेश भईया को आमन्त्रित किया है।
पदमा _क्या? पर उन्हें कैसे पता चला कि राजेश यहां आया है। और राजेश को क्यू बुलाया है? हे भगवान,,
पदमा राजेश के कमरे में गई,,
राजेश _ताई आप, आइए बैठिए।
क्या बात है ताई डरी सहमी लग रही है।
पदमा _अरे बेटा, ठाकुर का आदमी आया था, कह रहा था कि हवेली में पार्टी है, तुम्हे बुलाया है।
राजेश _इसमें भयभीत होने की बात क्या है?
पदमा _बेटा शायद तुम नही जानते, ठाकुर सूरजपुर वालो को अपना दुश्मन समझता है। फिर वह तुम्हे क्यू बुलाया है पार्टी में।
राजेश _ताई, दिव्या जी के कहने पर बुलाया होगा?
पदमा_कौन दिव्या बेटा?
राजेश _ठाकुर की छोटी बेटी।
पदमा _बेटा तु दिव्या को कैसे जानता है?
राजेश _ताई, जब मैं ट्रैन से गांव आ रहा था तब उस ट्रैन से दिव्या जी भी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर अपनें गांव आ रही थी।
रात में कुछ बदमाशो ने उससे छेड़खानी करने लगे, मैने उसकी मदद की।
पदमा_बेटा, तुम उसके हवेली में मत जाना। ये ठाकुर अच्छा आदमी नही है बेटा। और तुम उसकी बेटी से कोइ मेल जोल मत रखना।
कहीं उच्च नीच हो गया तो हम तुम्हारे माता पिता को क्या जवाब देंगे?
राजेश _ताई आप खमोखा परेशान हो रही हो, मुझे कुछ नही होगा।
पदमा _नही बेटा, तुम पार्टी में नही जाओगे। तुम नही जानते यहां क्या huwa है?
राजेश _ताई क्या huwa है यहां? मुझे भी बताओ। आखिर क्यू ठाकुर इस गांव के लोगो को अपना दुश्मन मानते हैं।
पदमा _बेटा मैं ये बाते तुम्हे बताना नही चाहती थी, पर अब तुम्हे बताना जरूरी हो गया है।
सुनो क्या huwa था यहां,,,,,,,,
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश और पूनम की बीच थोड़ी मस्ती मजाक होने लगी है राजेश को हवेली से बुलावा आया है शेखर और सुनीता के गांव ना आने की वजह का पता चलेगा
 

Sanju@

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पदमा ने गांव में बीती घटना के बारे में राजेश को बताने लगी।
पदमा _बेटा तुम्हारे दादा मानव प्रसाद और ठाकुर के पिता, महेंद्र सिंह बहुत अच्छे दोस्त थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह एक भले इन्सान थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह तुम्हारे दादा को बहुत मानते थे।
तुम्हारे दादा का आस पास के गांव में बहुत मान सम्मान था।
ठाकुर महेंद्र सिंह, हर छोटे बड़े कार्यों में तुम्हारे दादा जी से सलाह लिया करते थे।
दोनो के घर में एक दूसरे का आना जाना लगा रहता था।
बात आज से तुम्हारे जन्म के पहले की है।
तुम्हारे पापा, शेखर पढ़ाई में बहुत तेज़ था। हमेशा क्लास में अव्वल आता था।
कालेज की पढ़ाई के बाद शेखर की बैंक में नौकरी लग गई।
नौकरी लगने के बाद तुम्हारे दादा जी शेखर के लिए एक अच्छी लडकी की तलाश करने लगे।
एक दिन ठाकुर महेंद्र सिंह के साथ तुम्हारे दादा जी दूर किसी कार्यक्रम में गए हुए थे।
वहा पर सुनीता तुम्हारी मां अपनें पिता जी के साथ आए हुवे थे। जब तुम्हारे दादा जी की नजर सुनीता पर पड़ी तो उसे शेखर के लिए सुनीता पसन्द आया।
वह उसके पिता जी से मिला और सुनीता के पिता को अपना इरादा बताया।
उस समय तुम्हारे दादा का बड़ा मान सम्मान था। सुनीता के पिता जी ने रिश्ता के लिए हामी भर दी।
इस प्रकार तुम्हारी मां इस घर में बिहा के आई।
नई बहु को आशीर्वाद देने ठाकुर महेंद्र सिंह घर आए। साथ में अपनें बेटे बलेंद्र सिंह को भी लेकर आए थे।
ठाकुर बालेंद्र सिंह एक नंबर का अय्याश था। उसकी शादी हो चुकी थी, वह दो लडकियों के पिता भी बन चूके थे।
लेकिन गांव के खुबसूरत बहु बेटियो पर वह बुरी नजर रखता था।
ठाकुर बालेंद्र सिंह की नजर जब तुम्हारी मां पर पड़ी टू वह सुनीता की खूबसूरती का दीवाना हो गया।

उस दिन के बाद बालेंद्र सिंह सुनीता को पाने के लिए बेचैन रहने लगा।

उसने गांव में एक जासूस लगा रखा था।
शेखर को ड्यूटी के लिए धरमपुर जाना पड़ता था। वह रोज घर से आना जाना नही कर सकता था। क्यू की साधन नही था अतः वह सप्ताह में एक दिन घर आता था।
तुम्हारे चाचा भी कालेज की पढ़ाई धरमपुर कालेज से कर रहे थे वह भी शेखर के साथ ही आना जाना कर रहा था।
तुम्हारे ताऊ और मैं खेत चले जाते थे।
ज्योति उस समय 4वर्ष की और भुवन 2वर्ष का था, मैं उन दोनो को घर में सुनीता के पास ही छोड़ देती थी।
तुम्हारे दादा जी, ठाकुर महेंद्र सिंह के साथ इधर उधर के कार्यक्रमों में चले जाते थे। सुनीता और बच्चे ही घर में रह जाते थे।
जब सुनीता घर में अकेली होती इस बात की जानकारी बालेंद्र सिंह को उसके जासूस से हो जाता था।
बालेंद्र सिंह सुनीता को रिझाने के लिए घर आ जाता था।
बालेंद्र सिंह दरवाजा खटखटाया,,
सुनीता इस वक्त कौन हो सकता है?
सुनीता दरवाजा खोली,,,
सामने बालेंद्र सिंह था।
सुनीता _अरे छोटे ठाकुर जी, आप।
बालेंद्र _ यहां से गुजर रहा था, प्यास लगी थी, सोंचा पानी पी लेता हूं।सुनीता, अंदर आने के लिए नही कहोगी।

सुनीता _माफ करना, छोटे ठाकुर अभी घर में कोइ नही है।
बालेंद्र _सुनीता, हम पराय थोड़े ही है, हमारे और आपके घर में तो एक दूसरे परिवारों का आना जाना लगा रहता है। हमारे पिता जी और तुम्हारे ससुर जिगरी दोस्त है। इस नाते
हम तुम्हारे जेठ है।
पानी पिला दो,,
सुनीता _आइए बैठिये, मैं अभी पानी लेकर आई।
सुनीता गिलास में पानी लेकर आई,,
बालेंद्र सिंह की ओर गिलास आगे बढ़ाई,,
बालेंद्र सिंह ने गिलास के साथ सुनीता का हाथ भी पकड़ लिया।
सुनीता अपना हाथ छुड़ाई,,
सुनीता_छोटे ठाकुर, ये आप क्या कर रहे हैं?
बालेंद्र सिंह _सुनीता तुम बहुत सुन्दर हो, सच में जब से तुम्हे देखा है, मैं ठीक से सो नहीं पा रहा हूं।
सुनीता _छोटे ठाकुर, ये आप क्या कह रहे हैं। में किसी और की अमानत हूं। आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
बालेंद्र सिंह _सुनीता, जब से तुम्हे देखा है तुम मेरे दिल में उतर गई हो। मुझे तुमसे प्यार हो गया है?
सुनीता _छोटे ठाकुर, आप यहां से चले जाइए।
मै किसी और की अमानत हूं। आपको मेरे बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
बालेंद्र सिंह _मैं तो अपनी दिल की बात बताने आया था। अभी मैं जा रहा हूं। तुम मेरे बारे मे सोचना।
बालेंद्र सिंह चला गया।
सुनीता डर गई थी।
दो दिन बाद ठाकुर सुनीता को घर में अकेली पाकर फिर आ गया।
सुनीता _छोटे ठाकुर आप फिर आ गए।
बालेंद्र सिंह _क्या करू सुनीता, दिल मानता नहीं है? देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं?
ठाकुर सोने की कंगन लेके आया था।
देखो येतकंगन लाखो की है तुम्हारे हाथो में खुब जचेगी।
आओ मैं अपनें हाथो से पहना दू।
सुनीता _छोटे ठाकुर, कृपया आप यहां से चले जाइए।मैने कहा न मैं किसी और की पत्नि हूं। आपको ये सब शोभा नहीं देता।
घर में आपके बीवी और बच्चे हैं उनका तो ख्याल करो।
बालेंद्र सिंह _घर में बीवी है तो क्या हुआ? तुम एक बार मेरी बन जाओ, मै तुम्हे रानी बना कर रखूंगा।
शेखर तुम्हे क्या दे पायेगा।
मेरी बनकर रहोगी, तो यहां की रानी कहलाओगी । मैं तो कहता हूं तुम शेखर को छोड़ दो।
सुनीता _छोटे ठाकुर, मुझे नहीं बनना है, रानी, मै अपनें पति के साथ बहुत खुश हूं।
और कृपया करके आप यहां से चले जाइए।
बालेंद्र सिंह _ठीक है, सुनीता मैं अभी जा रहा हूं, फिर आऊंगा। कोइ जल्दी नही है, अच्छे से सोच लो।
बालेंद्र सिंह वहा से चला गया।
सुनीता ने जब, शेखर घर आया तो इस बात की जानकारी उसको दी की छोटे ठाकुर उस पर बुरी नियत रखता है। और अकेली पाकर घर आकार मुझे रिझाने की कोशिश करता है।
शेखर _देखो सुनीता, तुम हो ही इतनी खुबसूरत, गांव के सारे मर्द देखकर तुम्हे आहे भरते हैं।

छोटे ठाकुर भी, तुम्हारा दीवाना हो गया है, यह सुनकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। इतनी सुन्दर जो बीवी पाया है।
वैसे तुम समझदार हो मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।
थोडा समझदारी से काम लो, ठाकुर परिवार और हमारे परिवार के बीच अच्छे संबंध है, गलत कदम से रिश्ते खराब न हो जाए।
सुनीता _यहीं सोंचकर तो अब तक सह रही हूं जी, नही तो उसका प्यार का भूत कब का उतार चुकी होती।
पदमा _इस तरह बेटा, ठाकुर बालेंद्र सिंह, घर में जब सुनीता अकेली होती, वह सुनीता को रिझाने का प्रयास करता।
और एक दिन तो हद हो गई।
बालेंद्र सिंह ने सुनीता को अपनी बाहों में जकड़ लिया।
सुनीता गुस्से में आकर बालेंद्र सिंह के गालों पर कई थप्पड़ जड़ दिया।
सुनीता _छोटे ठाकुर, बर्दास्त की भी एक सीमा होती हैं। मैने कहा न मैं अपनें पति के अलावा किसी और के बारे में सोंच नही सकती।
तुम यहां से चले जाओ, और आज के बाद तुम इस घर में कभी मत आना।
छोटे ठाकुर _सुनीता, ये तुमने अच्छा नही किया? मैं जिसे चाहता हूं उसे पाकर रहता हूं।
ये थप्पड़ मैं याद रखूंगा।
मैं तुम्हे प्यार से पाना चाहता था। लेकिन तुम नही मानी।
मैं इस अपमान का बदला जरूर लूंगा।
पदमा _बेटा इस घटना के बाद, ठाकुर ख़ुद को अपमानित महसूस करने लगा, वह अपनें अपमान का बदला लेने मौके के तलाश में रहने लगा।
एक दिन घर में कोइ नही था सिर्फ सुनीता अकेली थी।
बालेंद्र सिंह अपनें साथियों के साथ, घर आ पहुंचा।
सुनीता _छोटे ठाकुर, उस दिन थप्पड़ खाने के बाद भी तुम नही सुधरे।
बालेंद्र सिंह _साली, उसी अपमान का बदला लेने ही तो आया हूं। बहुत गुमान है न तुम्हे अपनी खूबसूरती पर।
आज मैं तुम्हे किसी को अपना मूंह दिखाने लायक नही छोडूंगा।
उठा लो साली को।
पदमा _बेटा तुम्हारी मां को बालेंद्र सिंह के साथी, उसका मूंह बंद कर, घर से दूर खेत में बने झोपड़े की ओर ले जाने लगा,,
तभी, शेखर का दोस्त सुनीता को बचाने आ गया। बालेंद्र सिंह के साथी और शेखर के दोस्त के बीच लड़ाई huwa,
बालेंद्र सिंह के साथी अधिक थे। उनके सामने ज्यादा देर तक टिक न सका। वह बुरी तरह घायल हो गया।
बालेंद्र सिंह के साथी सुनीता को झोपड़े में ले गए।
वहा झोपड़े में ले जाकर बंद कर दिया।
कुछ देर बाद झोपड़े में बालेंद्र सिंह पहुंचा।
सुनीता _छोटे ठाकुर ये तुम ठिक नही कर रहे हो। कृपया मुझे जाने दो, मैं किसी और की पत्नि हूं।
बालेंद्र _साली, मैने तुम्हे प्यार से समझाया, मनाया, तुम नही मानी।
ठाकुर बालेंद्र सिंह जिसे चाहता है उसे पाकर रहता है। साली दो टके की औरत मुझे थप्पड़ मारा।
आज मैं तुम्हे किसी को मुंह दिखाने लायक नही छोडूंगा।
बालेंद्र सिंह ने सुनीता की साड़ी खींचने लगा, सुनीता उसे रोकने की बहुत कोशिश की पर वह ठाकुर को रोक न सकी।
बालेंद्र सिंह ने साड़ी खींचकर अलग कर दिया।
बालनेद्र सिंह _बांध दो साली की हाथ पैर खाट पे।
बालेंद्र सिंह के साथियों ने सुनीता को खाट पे लेटा कर उसकी हाथ पैर खाट से बांध दिया।
सुनीता चीखने चिल्लाने लगी।
बालेंद्र सिंह _साली और चीख यहां कोइ नही आने वाला तुम्हे बचाने।
इधर शेखर का दोस्त लखन, किसी तरह तुम्हारे दादा जी के पास पहुंचा जो पास के गांव में ठाकुर महेंद्र सिंह के साथ किसी कार्यक्रम में गया।
तुम्हारे दादा ने यह बात ठाकुर को बताया , दोनो जीप से लखन और अपने साथी को लेकर उस झोपड़े की ओर पहुंचे ।
इधर इस बात से बेखबर, ठाकुर सुनीता की आबरू लूटने के लिए उसकी ब्लाउज को फाड़ने ही वाला था की ठाकुर और तुम्हारे दादा वहा पहुंच गए।
बालेंद्र सिंह को गंदी हरकत करता देखकर ठाकुर बहुत क्रोधित हो गया।
इधर तुम्हारे दादा ने सुनीता की हाथ पैर जो खाट पे बंधा था को खोला।
सुनीता अपनी साड़ी पकड़ कर ख़ुद को छिपाते हुवे रोने लगी।
इधर ठाकुर ने अपने बेटे के गालों पे कई थप्पड़ जड़े।
ठाकुर _नालायक, तुमने मुझे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। ऐसी गंदी हरकत करते हुवे तुम्हे शर्म नही आई। तुमने खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला दिया। दूर हो जा मेरी नजरो से।
ठाकुर _मानव, ये तुम्हारा गुनाह गार है इसे कड़ी से कड़ी सजा दो।
पदमा _गांव वाले भी इकट्ठा हो चूके थे।
कुछ लोगो ने कहा की इसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। गांव के नियम के अनुसार किसी औरत की इज़्ज़त पर हाथ डालने वाले को सर मुड़वाकर गधे में बिठाकर प्यार गांव में घुमाया जाता है, इसे भी यहीं सजा मिलनी चाहिए।
सभी गांव वालो ने कहा की इनको भी यहीं सजा मिलनी चाहिए।
बालेंद्र सिंह का सिर मुड़वा दिया गया और उसे गधे में बिठाकर पूरे गांव में घुमाया गया।
इस घटना के कुछ दिन बाद तुम्हारे दादा और ठाकुर मंदिर के स्थापना कार्यक्रम में गए हुवे थे, कुछ नकाब पोशो ने बंदूक से गोली मारकर दोनो की हत्या कर दिया।
कुछ लोगो ने कहा की वे नकाब पोश नक्सली थे।
तुम्हारे दादा और ठाकुर लोगो को नक्सली बनने से रोकते थे, इससे नाराज होकर नक्सलियों ने दोनो की हत्या कर दी।
कुछ लोग इसमें बालेंद्र सिंह का आदमियों का हाथ मानते है ।
ठाकुर के चले जाने के बाद।
बालेंद्र सिंह _लोगो पर जुर्म करने लगा।
पदमा _बेटा, तुम्हारे दादा जी के चले जाने के बाद, सुनीता बहुत डर गई, वह शेखर से कहा की अपना ट्रांसफर कहीं दूर सहर में करवाले।
तुम्हारे पापा ने अपना ट्रांसफर दूर करवा लिया।
सुनीता और शेखर गांव को छोडकर हमेशा के लिए चले गए।
इधर बालेंद्र सिंह गांव के लोगो को अपना दुश्मन मानता है और यहां के लोगो को मौका मिलने पर प्रताड़ित करता है।
बेटा जब ठाकुर को पता चलेगा तुम सुनीता के बेटे हो, वो तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
इसलिए तुम उसके हवेली में मत जाना।
राजेश को गांव की घटना के बारे में पता चलने के बाद, उसका शरीर अत्यंत गुस्से से भर गया। वाह दांत भींचते हुए कहा,,
राजेश _अब तो मैं हवेली जरूर जाऊंगा ताई, मेरी मां का अपमान करने वाले को हिसाब तो चुकाना पड़ेगा।
मेरे मां की आंसुओ का हिसाब उससे ले के रहुंगा।
बहुत ही शानदार अपडेट है राजेश को अपनी मां और पिताजी के गांव छोड़ने की वजह का पता चल गया है और वह उसका बदला लेना चाहता है इसलिए वह हवेली जाना चाहता है लगता हैं राजेश को अपना बदला लेने के लिए दिव्या को मोहरा बनाना पड़ेगा
 
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