अगले दिन सुबह उठते ही अखाड़ा, चला गया, वहा अखाड़े पे लड़के कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे।
बिरजू _अरे राजेश, आओ।
राजेश _अरे बिरजू भईया, लगता है कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी बड़े जोरों से चल रही है।
बिरजू _हा राजेश, इस बार लड़के बड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस बार हर हाल में यह प्रतियोगिता जितना है।
हर बार भानगढ़ वाले ही यह प्रतियोगिता जीतता आया है।
पर इस बार हम उन्हे कड़ी टक्कर देना चाहते हैं।
राजेश, मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
राजेश _बोलो बिरजू भईया क्या बात है?
बिरजू _क्यू न तुम भी हमारी कबड्डी टीम में शामिल हो जाओ।
मुझे लगता है हमारी टीम अभी परफेक्ट नही है। तुम्हारा शरीर एकदम फिट है।
राजेश_पर बिरजू भईया मैने तो कभी कबड्डी खेली नही है।
बिरजू _राजेश, कबड्डी ताकत और दिमाक दोनो का खेल है और मुझे लगता है ये दोनो तुम्हारे पास है।
अभी कबड्डी प्रतियोगिता में थोड़ा समय है तब तक तुम अच्छे से सीख जाओगे।
राजेश _बिरजू भईया, आप कह रहे हो तो मैं टीम में शामिल होने तैयार हूं, लेकिन सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। किसी ने मना किया तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।
बिरजू के दोस्त _राजेश, तुम भी कबड्डी की प्रैक्टिस करो, अगर तुम्हारा खेल अच्छा लगा तो कोइ तुम्हारे टीम में शामिल होने से नाराज नहीं होंगे।
बिरजू _हा, ये ठीक रहेगा।
राजेश _ठीक है।
बिरजू _तो ठीक है, चलो आज से ही प्रैक्टिस शुरू कर दो।
राजेश भी उन लोगों के साथ प्रैक्टिस करने लगा।
इधर हवेली में मंत्री और उसके परिवार घर जाने के लिए तैयार हो गए।
मंत्री _अच्छा ठाकुर साहब अब हमें इजाज़त दीजिए।
ठाकुर _अरे यार, नाश्ता तैयार हो चूका है। नाश्ता करके निकलना, मैं तो कह रहा था कि भाभी जी और विक्की को कुछ दिनो के लिए यहीं छोड़ दो। अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। हमारे परिवार एक दूसरे को अच्छे से जान लेंगे।
मंत्री जी _ठाकुर साहब, इन लोगो को यहीं कुछ दिनो के लिए छोड़ तो देता, पर कुछ काम है, कुछ मेहमान भी घर में आने वाले हैं इसलिए जाना जरूरी है।
कुछ दिनो बाद विक्की को भेज दूंगा, दिव्या और विक्की एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लेंगे।
ठाकुर _ठीक है ठाकुर साहब जैसी आपकी ईच्छा। आइए नाश्ता करते है।
मंत्री और ठाकुर के परिवार सभी डाइनिंग हॉल में एक साथ बैठ कर भोजन करने लगते है।
ठाकुर अपने बीबी रत्ना से कहा,,
ठाकुर _रत्ना, मंत्री जी अपने बेटे विक्की के लिए दिव्या का हाथ मांग रहे हैं।
मैंने तो कहा ये हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है। तुम्हारा क्या विचार है।
रत्ना _जैसे आप उचित समझे, पर एक बार दिव्या को पुछ लेते तो,,,
ठाकुर _दिव्या हमारी लाडली बेटी है, हम जो भी फ़ैसला लेंगे उसकी भलाई के लिए लेंगे। वैसे तुम कह रही हो तो अभी पुछ लेते हैं।
बेटी दिव्या, विक्की के साथ शादी होने से तुम्हे कोइ एतराज तो नही। मैने तो हा कह दिया है, फिर भी अगर तुम्हे कोइ आपत्ति हो तो कह सकती हो,,
दिव्या ने अपनी मां की ओर देखा,,
वह क्या कहे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दिव्या _पिता जी, इतनी जल्दी शादी, अभी तो मुझे बड़ा सा हॉस्पिटल खोलकर लोगो की सेवा करनी है। मैं डाक्टर ही इसलिए बनी हूं की हमारा क्षेत्र काफी पिछड़ा है यहां के लोगो को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है, मैं शादी करके यहां से चली गई तो, मेरा डाक्टर बनने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
मंत्री _अरे बेटा, तुम चिन्ता मत करो, तुम चाहो तो शादी के बाद यहीं रहना, विक्की, आना जाना करता रहेगा।
ठाकुर _लो, बेटी अब तो तुम्हारा डाक्टर बनने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और शादी भी।
अब तो कोइ समस्या नहीं न,,
दिव्या _जी पापा,,
दिव्या और कुछ बोल नहीं पाई।
ठाकुर _लो मंत्री जी, मिठाई खाओ, अब तो सभी तैयार है शादी के लिए।
ठाकुर ने रागनी के पैर को अपनें पैर से सहलाया और आंखे मारी।
रागिनी मुस्कुराने लगी।
भाभी जी क्यू न आप कुछ दिन यहीं रुक जाती, यहां पहाड़, झरने घांटी, और भी बहुत कुछ है देखने के लिए। आपको कुछ दिन स्वर्ग की सैर करा देते।
रागिनी _भाई साहब मेरी भी बड़ी ईच्छा थी स्वर्ग की सैर करने की पर क्या करे मजबूरी है जाना पड़ेगा।
ठाकुर _कोइ बात नहीं भाभी जी अब तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। जन्नत की सैर जब आवोगी तब करा देगें।
रागिनी की पैर को अपनें पैर से सहलाते हुए कहा।
नाश्ता कर लेने के बाद, मंत्री और उसके परिवार ठाकुर परिवार से इजाज़त लेकर घर चले गए।
इधर ठाकुर कुछ समय के बाद लक्षमण पुर कार्यालय चले गए जहा लोगो की समस्या सुनते थे।
इधर राजेश जब आखाड़ा से आया।
भुवन _अरे राजेश, आ गया अखाड़े से।
राजेश _हां, भईया।
भुवन _जाओ नहाकर तैयार हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं। मुझे बापू के लिए नाश्ता लेकर खेत भी जाना है।
राजेश _ठीक है भईया।
राजेश पीछे बाड़ी में जाकर फ्रेश होकर नहाने लगा।
तभी वहा पुनम नाश्ता बनाने के बाद बर्तन धोने के लिए बर्तन धोने पहुंची।
पुनम _क्यू देवर जी कैसा रहा कल की पार्टी?
राजेश _भुवन भईया ने तो बताया होगा ही भौजी!
पुनम _तुम्हारे भईया तो बता रहा था कि तुमने पार्टी में गाना गया। तुमने कभी बताया नही की तुम गाना भी गाते हो।
राजेश _आपने तो कभी पूछा नही भौजी।
पुनम _अच्छा ये बताओ अपनी भौजी को कब गाना सुनाओगे?
राजेश _आप जब कहो, पर गाना सुनाने के बदले दोगी क्या?
पुनम _क्या चाहिए तूमको?
राजेश _जो मांगूंगा वो दोगी, बोलो?
पुनम _मुझे पता है तुम क्या मांगोगे?
राजेश _अच्छा, ये मैं भी तो जानू, मैं क्या मांगने वाला हूं?
पुनम _मां का दूध।
दोनो खिलखिलकर हसने लगे।
राजेश _वाह भौजी तुम तो अंतर्यामी हो? बिना बताए ही जान जाती हो।
पुनम _बच्चू मुझे सब पता है तुम्हारे इरादे क्या है?
पुनम बर्तन धो रही थी, और राजेश अपने बदन में साबुन लगा रहा था।
राजेश _क्या इरादे है भौजी, मैं भी तो जानू?
पुनम _यहीं कि तुम्हारे इरादे नेक नही है।
राजेश _वो कैसे?
पुनम _तुम्हारे उम्र के लड़के दूध पीता कम है और दूध के गुब्बारे से खेलता ज्यादा है।
राजेश _हूं, मतलब तुम मुझे उन्ही लड़को में से एक समझती हो। मैं वैसा नही हूं? मैं उससे खेलूंगा नही सिर्फ पियूंगा।
पुनम _न बाबा, तुम्हारे उम्र के लड़को का कोइ भरोसा नहीं। मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली।
राजेश _ठीक है फिर मैं भी गाना तभी सुनाऊंगा, जब दोगी?
पुनम _ मतलब तुम मतलबी हो।
पुनम नाराज होते हुए बोली?
राजेश _अरे भौजी, लगता है तुम नाराज हो गई। मैं तो मजाक कर रहा था। हम फ्री में सुना देगें अपनी भौजी को गाना। पर सही समय आने पर।
पुनम _प्रोमिस।
राजेश _प्रोमिस।
पुनम बर्तन धो कर चली।
राजेश भी नहाकर चला गया।
नाश्ता करने के बाद भुवन खेत चला गया और राजेश आईएएस की तैयारी करने लगा।
इधर सरपंच, सचिव और पंचगण विधायक जी से मिलने के लिए उसके लक्ष्मण पुर कार्यालय पहुंचे।
कार्यलय के सामने विधायक जी से मिलने लोगो की भीड़ थी। विधायक के पी ए से लोग अपने आने का प्रयोजन बता रहे थे।
एक एक करके विधायक का पीए विधायक से मिलने के लिए अंदर भेज रहे थे।
पीए _विधायक जी, सुरज पूर के सरपंच सविता जी अपने को लेकर आए हैं आपसे मिलने।
ठाकुर _क्या? सुरज पूर की सरपंच आई है?
वे लोग क्यू आए हैं? उन्हे पता है हम उनसे मिलना नही चाहते फिर भी। क्या समस्या लेकर आए है?
पीए _आवास योजना से संबंधित है।
ठाकुर _हा हा हा, आखिर मेरे चौखट पे आने मजबूर हो ही गए।
पीए _क्या करना है विधायक जी। उन्हे अंदर भेजूं।
ठाकुर _आने दो, मैं भी तो जानू, देखू क्या फरियाद करते हैं, पर सिर्फ सरपंच को ही अंदर भेजना।
पीए _ठीक है विधायक जी।
पीए ने बाहर जाकर सविता से कहा सिर्फ सरपंच ही अंदर जा सकता है?
सविता ने सभी लोगो से कहा की तुम लोग यहीं रुको मैं विधायक जी से मिलकर आती हूं।
सविता अंदर गई।
ठाकुर _आइए सविता जी, कहिए क्या फरियाद लेकर आई है आप।
सविता _नमस्ते विधायक जी।
ठाकुर _नमस्ते, आइए बैठिए।
विधायक _कहिए क्या सेवा कर सकता हूं मैं।
विधायक ने अपने अपने सेवक से कहा।
सविता जी पहली बार हमारे कार्यालय में आई है। इनके लिए चाय वगैरा लाओ।
सविता _नही विधायक जी इसकी कोइ आवश्यकता नहीं।
ठाकुर _अरे, सरपंच साहिबा, पहली बार आई हो हमारे कार्यालय, चाय वगैरा तो लीजिए।
कहिए क्या सेवा कर सकता हूं आपका।
सविता _विधायक जी, जानती हूं की आप सुरज पूर वालो को पसन्द नही करते फिर भी मैं मजबूर हो कर आपके पास आई हूं।
ठाकुर _कहिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई की हमारे पास आपको आना पड़ा, मैं भी तो जानू, हा हा हा,,,
सविता _विधायक जी, हमारे गांव के गरीब लोगो को आवास योजना का लाभ अब तक नही मिल पाया है। हम हर साल प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजते हैं लेकिनसुरज पूर के किसी भी गरीब परिवार का, आवास पास नही होता।
गांव के गरीब लोग बहुत दुखी हैं।
ठाकुर _सविता जी, इसमें मैं क्या कर सकता हूं। पंचायत मंत्री ही आपके समस्या का समाधान कर सकते है । उनसे मिलिए।
सविता _पिछले वर्ष उनके पास गई थी, आश्वासन दिया था लेकिन किसी का भी आवास स्वीकृत नहीं huwa,
अगर मंत्री जी से आप बात करते तो, आखिर आप हमारे विधायक है।
ठाकुर _सुरज पूर वालो ने हमें बहुत दुख पहुंचाया है। हम उनका अनुसंसा क्यू करेंगे सविता जी।
आप हमसे बेकार ही उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपकी पर्सनल कोइ सेवा हो तो बताइए, उस पर विचार कर सकता हूं।
सविता _विधायक जी, मेरी पर्सनल कोइ समस्या है नही, गांव के गरीब लोगो के लिए ही आई थी। अगर हो सके तो उनके भलाई के लिए आवास स्वीकृत करा दीजिए। बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।
ठाकुर_सविता जी कहा न मैं गांव वालो की कोइ मदद नहीं कर सकता, आप जा सकती है।
सविता निराश होकर, वापस जाने लगी।
तभी ठाकुर ने कहा,,,
देखिए सविता जी, आपको निराश होकर इस तरह हमारे कार्यालय से जाता देख बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है।
अगर तुम चाहो तो, सुरज पूर वालो की आवास के लिए मंत्री जी से अनुसांसा कर सकता हूं, पर इससे हमें क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _यहीं तो दिक्कत है न अगर समझ जाती तो निराश होकर जाना नही पड़ता। हमें अपने दुश्मनों की मदद करने के बदले
क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं आपको विश्वास दिलाती हूं इस बार चुनाव में गांव के सारे वोट आपको ही मिलेंगे।
ठाकुर _सविता जी मुझे सुरज पूर वालो का वोट नही चाहिए। हम तो चुनाव ऐसे ही जीत जायेंगे।
सविता _तो विधायक जी, आप क्या चाहते हैं?
विधायक _सविता जी हमें तो बस आपका साथ चाहिए।
सविता _विधायक जी, मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _सविता जी, हम चाहते है की कुछ समय हमारे साथ बिताओ।
सविता _विधायक जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
विधायक _देखिए सविता जी अगर गांव के लोगो का आवास पास हो गया, तो आप पर लोगो का भरोसा बड़ेगा । नही तो लोग तो यहीं कहेंगे की एक भी योजना का लाभ दिला नही पाई, इन्हे सरपंच बनाने का क्या फायदा?
सविता _विधायक जी, मैं अपनी सरपंच पद बनाए रखने के लिए, अपनी इज़्ज़त नही बेच सकती।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो इतना समय दिया।
विधायक _ठीक है, सविता जी जाइए? कोइ जबरदस्ती तो है नही, फिर भी विचार बदल जाए तो आ जाना।
सविता वहा से चली गई, लोगो ने बाहर जाने पर पूछा की क्या huwa
सविता ने कहा, विधायक जी ने आवास योजना की स्वीकृत हेतु अनुसंसा करने से इंकार कर दिया।
लोग निराश होकर गांव लौट गए।
घर जाने के बाद सविता ने काफी विचार किया और अन्त में यह निष्कर्ष निकाला की वह गांव के लोगो को उनका हक दिला पाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे देगी।
अगले दिन सविता ने ग्राम सभा का आयोजन रखा।
लोगो को पता चल चुका था कि आज सविता जी सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
यह बात पुरे गांव में फैल गया।
इस बात की जिक्र जब भुवन और राजेश नाश्ता करने बैठे थे। पदमा ने छेड़ा।
पदमा _बेटा भुवन आज तुम खेत मत जाओ। आज प्रात: दस बजे तुम्हारी चाची ने ग्राम सभा रखा है। लोगो से पता चला है कि तुम्हारी चाची सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
राजेश _ताई ये आप क्या कह रही है?
पुनम _हां मैने भी यहीं सुना है?
राजेश _पर चाची ऐसा क्यू कर रही है?
पदमा _यह तो ग्राम सभा में ही सविता बताएगी आखिर वह सरपंच पद से इस्तीफा क्यू दे रही है।
भुवन बेटा तुम ग्राम सभा में चले जाना, पता तो चले कि आखिर बात क्या है?
भुवन _ठीक है मां।
प्रातः 10बजे, भुवन ने पदमा से कहा,,,
मां मैं ग्राम पंचायत कार्यालय जा रहा हूं। ग्राम सभा में,,
पदमा _ठीक है बेटा,,
भुवन जा रहा था तभी,,
राजेश _रुको, भुवन भईया, मैं भी जाना चाहता हूं आपके साथ।
भुवन _अरे राजेश, तुम वहां जा कर क्या करोगे?
राजेश _मैं भी देखना चाहता हूं की गांव में ग्राम सभा कैसे होता है?
भुवन _ठीक है, राजेश तुम्हारी ईच्छा है तो तुम भी चलो।
राजेश और भुवन दोनो ग्राम सभा में शामिल होने ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल पड़े।
उधर ग्राम पंचायत के सभा हाल में गांव के लोग एकत्रित हो चूके थे।
सरपंच, सचिव और पंच गण, अपने स्थान पर बैठ चूके थे।
तभी राजेश और भुवन भी वहां पहुंचे।
ग्राम सभा की कार्यवाही शुरू हुई।
सरपंच ने अपन बाते लोगो के बीच रखी।
सविता _आप सभी ग्राम वासी, यह जानने के उत्सुक होंगे की अचानक से यह ग्राम सभा क्यू रखा गया है?
मैने बहुत प्रयास किया की शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामवासी को भी मिले लेकिन मैं यह कार्य करने में असमर्थ रही। कल मैने और पंचों ने आवास योजना का लाभ हमारे गांव के गरीब लोगो को मिल सके जो झोपड़ी में रहने मजबूर हैं, उनके आवास को स्वीकृत कराने विधायक जी के कार्यालय गए थे।
लेकिन मैं यह कार्य करा पाने में असमर्थ रही।
मुझे लगता है कि मेरी जगह कोइ और सरपंच हो तो शायद वह यह कार्य स्वीकृत करा पाए।
चूंकि मैं शासन के किसी भी योजना का लाभ गांव के लोगो को दिला पा रही अतः मुझे पद पर बने रहने का कोइ अधिकार नहीं। इसलिए मैने सरपंच पद से इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।
मेरी जगह किसी अन्य पंच को यह जिम्मेदारी दिया जाए जो गांव के लोगो को शासन के योजनाओं का लाभ दिला सके।
आप सभी से निवेदन है कि मेरी बातो पर विचार करते हुए, किसी अन्य व्यक्ति को सरपंच के पद के लिए अपना सहमति बनाए।
सभी अपन विचार रखेंगे।
वहा पर मौजूद एक पंच ने कहा _सरपंच जी, विधायक जी तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझते हैं। वह नही चाहते की सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमारे गांव के लोगो को हो, इस बात से हम सभी अवगत है। ऐसे में मुझे नही लगता की कोइ यह कार्य करा पायेगा।
आप अपना स्तीफा देने का विचार त्याग दीजिए। फिर भी किसी को लगता है कि वह यह कार्य करा सकता है तो वह सामने आए। अपनी बात रखे।
लोग आपस में चर्चा करने लगे। काफी समय हो गया कोई व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कह सके की मैं लोगो को शासन की योजना का लाभ दिला सकता हूं। मैं सरपंच बनने इच्छुक हूं।
काफी समय हो जाने के बाद,,
गांव के एक व्यक्ति ने कहा _सरपंच जी, गांव में ऐसा कोई भी नही है जो विधायक जी के नाराजगी के चलते, लोगो को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सके।
गांव वालो का नसीब ही खराब है, पता नही कब तक हमे सुविधाओ से वंचित होना पड़ेगा।
सरपंच जी आपके स्तीफा देने से कोइ लाभ नहीं इसलिए, आप सरपंच पद से इस्तीफा देने का ख्याल छोड़ दीजिए।
क्यों भाईयो,,
सभी लोगो ने उस व्यक्ति की बातो में अपनी सहमति दिया।
सचिव _आगे हमें क्या करना चाहिए , इस पर आप लोग अपना विचार दीजिए।
कोइ भी लोग सामने नही आए की आगे क्या करना चाहिए।
राजेश वहा मौजूद था अब तक सभी की बातो को सुन रहा था और चुप था।
वह अपने स्थान से खड़ा होकर कहा,,
राजेश _अगर आप लोग मुझे अनुमति दे तो मैं आप लोगों के सामने अपना विचार रखना चाहता हूं।
सभा में मौजूद सभी लोग राजेश की ओर देखने लगे।
सचिव _आप अपना विचार देने के लिए मंच के सामने आइए और पहले अपना परिचय दीजिए।
राजेश मंच के सामने गया।
राजेश _मेरा नाम राजेश है। मेरे पिता जी का नाम शेखर है, और मानव प्रसाद मेरे दादा जी थे उसके दूसरे बेटे का मै पुत्र हूं। मैं कुछ दिन पहले ही यहां गांव आया हूं।
सचिव _कहिए आपके विचार से आगे हमें क्या करना चाहिए?
राजेश _देखिए, मुझे लगता है विधायक जी से पुनः मिलना चाहिए। उससे बाते करनी चाहिए। आखिर वह हमारे भी विधायक है। अपनी क्षेत्र के लोगो को शासन की सुविधा का लाभ पहुंचाना उनका फर्ज है।
बिना किसी भेदभाव के सभी की निःस्वर्थ भाव से सेवा करने की उसने विधनसभा में सपथ ली है। हमें उसे उस सपथ की याद दिलानी चाहिए।
गांव वाले राजेश की बातो को सुन कर आपस में चर्चा करने लगे।
सरपंच ने कहा _हमने काफी प्रयास किया, विधायक जी हमारी बात नहीं मानने वाले। उसके पास फिर से जाने से कोइ फायदा नहीं।
राजेश _सरपंच जी मुझे लगता है हमे एक कोशिश और करनी चाहिए। मुझे लगता है विधायक जी हमारी बात जरूर मानेंगे।
तभी एक पंच ने कहा _अगर तुम्हे लगता है की विधायक जी जरूर कहना मानेंगे तो तुम ही क्यू नही चले जाते विधायक जी के पास, हमारा प्रतिनिधि बनकर।
दूसरे पंच ने कहा _अगर तुमने गांव वालो को आवास योजना का लाभ दिला दिया, तो गांव वाले तुम्हे अपना सरपंच घोषित कर देगें। और गांव वाले वही करेंगे जो तुम कहोगे,क्यो भाईयो?
सभी लोगो ने हा कहा,,,
राजेश _अगर आप लोग ये चाहते है की मैं विधायक जी के पास आप लोगो का प्रतिनिधि बनकर जाऊ तो ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।
एक पंच _कैसी शर्त?
राजेश _मैं सरपंच पद के लिए नही जाऊंगा, मैं गांव वालो के भलाई के लिए ही जाऊंगा इसलिए, चाची जी ही सरपंच बनी रहेगी। और यह गांव उनके निर्देशो पर ही सब की सहमति से चलेगी।
पंच गण _ठीक है हम सबको मंजूर है? हम सब भी देखना चाहते हैं तुम क्या कर सकते हो?
राजेश _ठीक है मैं आप लोगों का प्रतिनिधि बनकर कल विधायक जी से मिलूंगा।
ग्राम सभा का समापन पश्चात भुवन और राजेश घर पहुंचे।
इधर गांव वालों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि राजेश गांव का प्रतिनिधि बन कर विधायक जी से मिलने जायेगा। पर सभी को यहीं लग रहा था की कुछ होने वाला नहीं है ऊपर से ठाकुर का आदमी राजेश की पिटाई न कर दे।
यह बात जब पदमा को पता चली।
रात में भोजन करते समय,,,
पदमा _राजेश बेटा ये मैं क्या सुन रही हूं, तुम गांव वालो का प्रतिनिधि बनकर, ठाकुर से मिलने जा रहे हो।
राजेश _हा ताई ये सच है।
पदमा _बेटा तुम्हे, फालतू में आफत मोल लेने की क्या जरूरत थी? यह जानते हुए भी की ठाकुर सुरज पूर वालो की भलाई कभी नहीं चाहेगा।
राजेश _ताई, मुझे गांव वालो की भलाई के लिए ठाकुर से मिलने जाना ही होगा।
पदमा _पर बेटा, ये ठाकुर सही आदमी नही है, उसके आदमी तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
राजेश _ताई, आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। ऐसा कुछ नहीं होगा।
भुवन _मां, तुम चिन्ता न करो, राजेश के साथ मैं भी चला जाऊंगा।
राजेश _नही भुवन भईया, इस बार मुझे अकेले ही जाना होगा।
राजेश के इस फैसले से घर वाले सभी चिंतित हो गए।
अगले दिन सुबह राजेश आखाड़ा गया, वहा पर बिरजू और उसके दोस्तो ने कहा,, राजेश अगर तुम चाहो तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे।
राजेश _नही, दोस्तो यह काम मेरे अकेले जाने से ही हो पाएगा।
बिरजू _ठीक है राजेश , अगर किसी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बताना।
राजेश _ठीक है बिरजू भाई।
राजेश घर गया और नहाकर तैयार हो गया।
राजेश _ताई, मुझे आज्ञा दीजिए मैं ठाकुर से मिलने जा रहा हूं।
ताई _बेटा, तुम्हे भेजने का तो मेरा मन नही है लेकिन तु जाना ही चाहता है तो मैं भगवान से प्रार्थना करुंगी तुम कामयाब होकर घर लौटा।
राजेश _अच्छा भुवन भईया मैं चलता हूं।
भुवन _राजेश, को गले लगाकर कहा, राजेश मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होकर लौटोगे।
राजेश भुवन का बाइक लेकर भानगढ़ निकल गया।
वह ठाकुर के हवेली पर पहुंचा।
ठाकुर के आदमी ने उन्हे अंदर जाने से रोका।
पहरेदार _तुम फिर आ गए। इस बार क्यू आए हो।
राजेश _मुझे ठाकुर साहब से मिलना है।
पहरेदार _तुम यहीं ठहरो, ठाकुर साहब तुमसे मिलना चाहते हैं कि नही, पता करने दो।
पहरेदार ने एक आदमी को ठाकुर के पास भेजा, जाओ ठाकुर साहब को बता कर आओ की, सुरज पूर से राजेश आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
वह आदमी हवेली के अंदर गया। इस समय ठाकुर साहब हवेली में अपने परिवार के साथ डाइनिंग हॉल में नाश्ता कर रहा था।
आदमी _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
ठाकुर _वह यहां क्यू आया है? उनसे कहो कोइ काम है तो मुझसे लक्षमण पुर कार्यालय में मिले।
रत्ना _ये आप क्या कह रहे हैं जी, राजेश ने हमारी बेटी की जान बचाई है और आप उससे घर में भी नही मिल सकते।
दिव्या _हा पापा, उनसे अन्य लोगो की तरह ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं।
रत्ना, ने उस आदमी से कहा जाओ राजेश को अंदर लेकर आओ।
ठाकुर _अपने बेटियो वालो के बीच अच्छा बनकर रहना चाहता था। इस लिए उनका विरोध नही कर सका, वह सोचने लगा की आखिर साला यहां करने क्या आया है?
वह आदमी चला गया और राजेश को अंदर लेकर आया।
राजेश _नमस्ते ठाकुर साहब, नमस्ते मां जी।
रत्ना _नमस्ते राजेश। कैसे हो।
राजेश _अच्छा हूं मां जी।
रत्ना _बेटा कैसे आए हो? कुछ काम था क्या?
राजेश _, हा मां जी। ठाकुर साहब से कुछ काम था।
ठाकुर _बोलो क्या काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप उस दिन मुझे, दिव्या जी की मदद करने के बदले इनाम देने वाले थे, उस दिन तो मुझे ईनाम की आवश्यकता नहीं थी इसलिए लिया नही। आज मुझे ईनाम की जरूरत है।
ठाकुर _ओह तो तुम ईनाम लेने के लिए यहां आए हो।
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा मुनीम जी से कहो राजेश को 2लाख रुपए दे दे।
राजेश _ये क्या ठाकुर साहब, एक राजा की बेटी की जान की कीमत सिर्फ 2लाख,
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा की मुनीम जी से कहना की इसको 5लाख रुपए दे दे।
राजेश _सिर्फ 5लाख, ठाकुर साहब मैं तो बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया था।
रत्ना _राजेश क्या चाहिए तुम्हे, तुम ही बताओ।
ठाकुर _बोलो कितनी रकम चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब मुझे पैसा नही चाहिए।
ठाकुर _अगर पैसा नही चाहिए तो क्या चाहिए तुम्हे?
राजेश _मैं चाहता हूं की आप अपना फर्ज पूरा करे।
ठाकुर _कैसा फर्ज?
राजेश _वही जब आपने, विधायक बनने के बाद, विधनसभा में सपथ ली थी कि आप बिना किसी भेद भाव के निःस्वार्थ भाव से सभी लोगो को समान समझते हुए लोगो की सेवा करेंगे।
ठाकुर _आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, घुमा फिरा कर बात क्यू कर रहे हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब गांव के गरीब लोग, जो आज भी झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उन्हे नही मिल पा रहा है। गांव के पंचायत द्वारा उनका आवास का प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है, आप उन्हे स्वीकृत करा दीजिए। यहीं मेरा ईनाम होगा।
ठाकुर _मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ये तो पंचायत मंत्री का काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप चाहे तो सब हो सकता है? पर लगता है कि आप मेरा ईनाम देने के इच्छुक नहीं है?
ठीक है ठाकुर साहब मैं जा रहा हूं। मैं गलत था जो आपसे उम्मीद लेकर यहां चला आया।
राजेश जाने लगा।
रत्ना _रुको राजेश।
अजी, ये आप क्या कर रहे हैं? जिस लड़के ने आपके घर की इज़्ज़त की रक्षा की, आप उसके लिए एक छोटा सा काम नही कर सकते।
गीता _हा पिता जी मां ठीक कह रही है, आपके लिए तो ये छोटा सा काम है। फिर आप राजेश को मना क्यू कर रहे हैं? कुछ समझ नहीं आया।
दिव्या _पिता जी, मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं है। आप इस क्षेत्र के विधायक भी है, गांव के लोगो की मदद करनी चाहिए।
ठाकुर बुरी तरह फस चुका था।
वह अपनी बेटियो की नजर में गिरना नही चाहता था।
दिव्या _राजेश पिता जी तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।
पिता जी आप अभी मंत्री जी को फोन लगाइए।
गीता _हा पापा, आप मंत्री जी से बात कीजिए, वो आपका कहना जरूर मानेंगे।
ठाकुर मजबूर हो गया, वह अपनी बेटियो की नजर में अच्छा बना रहना चाहता था।
ठाकुर _ठीक भाई अगर तुम सब यहीं चाहते हो तो मैं बात करता हूं।
ठाकुर ने मंत्री को काल किया।
पंचायत मंत्री _अरे ठाकुर साहब बोलो कैसे याद किया हमें।
ठाकुर _मंत्री जी बस आपकी मदद चाइए था।
मंत्री _कैसी मदद, हम ने कभी कोइ बात टाली है आपकी कहिए क्या सेवा करनी है?
ठाकुर _सुरज पूर वालो का आवास का प्रस्ताव का फाइल आपके कार्यालय पहुंची होगी। आप उसको स्वीकृत कर दीजिए।
मंत्री _पर ठाकुर साहब आप तो पहले सुरज पूर वालो का कोइ भी कार्य को स्वीकृत करने से मना किया था। फिर आज,,
ठाकुर _अब बात क्या हो वो आपको बाद में बताऊंगा मंत्री जी, फिर हाल तो आप मेरा यह काम कर दीजिए।
मंत्री जी _ठीक है ठाकुर साहब आपका यह काम हो जायेगा।
आप निश्चिंत रहिए।
ठाकुर _शुक्रिया मंत्री जी।
ठाकुर ने फोन रख दिया।
अपनी बेटियो से कहा,
लो भई तुम लोगो के कहने पर मैंने मंत्री जी से बात कर ली। अब तो तुम लोग खुश हो।
दिव्या अपने पिता के गले लग गई। थैंक क्यू पापा मुझे आपसे यहीं उम्मीद थी। वह खुश होकर बोली।
ठाकुर _मुझे लक्षमण पुर कार्यालय जाना है भाई मेरा नाश्ता हो गया।
ठाकुर साहब डाइनिंग हॉल से निकल कर अपने कमरे में आ गया।
ठाकुर अपने आप बड़बड़ाने लगा,,
ये शाला राजेश सच में बड़ा चालाक निकला, जो काम मैं कभी नही करना चाहता था, मुझे मेरी बेटियो के बीच फसा कर,वह काम मुझसे करवा लिया।
इस साले की इलाज कराना जरूरी है।
पर अभी कुछ करना ठीक नहीं, मुझे मौका ढूंढना होगा।
इधर राजेश ने दिव्या, रत्ना और गीता जी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद् दिया,,
गीता भी धरम पुर जाने की बात कह कर अपने कमरे मे चली गईं।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं।
रत्ना _अरे बेटा, तुम नाश्ता करके जाना।
दिव्या _हां राजेश, मां ठीक कह रही है आओ बैठो।
राजेश _नही दिव्या जी, आप लोगो ने मेरी मदद की यहीं बहुत है मेरे लिए।
रत्ना _और तुमने हमारी मदद की वह क्या कम है, अब चुप चाप बैठो और नाश्ता करो।
राजेश कुर्सी पर बैठ गया। रत्ना ने उसे नाश्ता परोसी।
रत्ना _बेटा तेरा दादा जी मेरे ससुर जी के साथ अक्सर हवेली आया करते थे। वे मेरे ससुर जी के साथ भोजन किया करते थे।
वे मेरे हाथो से बने भोजन की बड़ी तारीफ किया करते थे।
पर उस घटना के बाद मैं भोजन बना ना ही बंद कर दी।
दिव्या _राजेश, मुझे तो जब तुमने कहा की मदद के बदले ईनाम लेने आए हो तो बड़ा अजीब लगा। पर जब तुमने बताया कि अपने लिए नहीं गांव के गरीब लोगो के लिए आए हो तो तुम्हारे लिए मेरे मन में इज्जत और बड़ गया।
रत्ना _बेटा, सच में तुम अपने दादा पर गए हो, जो हमेशा गांव वालो की भलाई के बारे में ही सोचता था।
नाश्ता कर लेने के बाद राजेश रत्ना और दिव्या से इजाजत लेकर अपना गांव लौट गया।
घर जाने के बाद घर वालो, दोस्तो और गांव वालो ने पूछा, की बात बनी की नही।
राजेश ने कहा की, बात तो किया है, पर काम huwa की नही बाद में पता चलेगा।
लोग तो राजेश का मजाक उड़ा रहे थे।
राजेश लोगो को बिना कोइ जवाब दिए खामोश रहता था।
आई ए एस का प्री एग्जाम पास आ रहा था राजेश तैयारी में लग गया।
बीच बीच मे पुनम से हसी मजाक कर लिया करता था।
क़रीब दो सप्ताह बाद सचिव को विभाग से फोन आया की तुम्हारे गांव के सभी लोगो का आवास स्वीकृत हो गया है। एक सप्ताह के अंदर सभी पात्र लोगो का बैंक खाता नंबर जमा कर दे, ताकि आवास की राशि उसके खाते में जमा किया जा सके।
इस बात की जानकारी सरपंच पंच और गांव वालो को huwa तो वे आश्चर्य में पड़ गए। एक लड़के ने ये असंभव काम को कैसे संभव कर लिया।
गांव वाले खुशी के मारे झूम उठे वे सभी भुवन के घर की ओर दौड़े।
दरवाजा खटखटाया।
पदमा ने दरवाजा खोला,,
गांव वाले _राजेश घर में है क्या चाची?
पदमा _क्यू क्या काम है उनसे, तुम लोग यहां क्यू भीड़ लगा रखे हो।
चाची _राजेश ने कमाल कर दिया। हम सब का आवास स्वीकृत हो गया है, हे भगवान हमें तो यकीन नही हो रहा है।
पदमा _बहुत खुश हो गई,
गांव वाले _राजेश बाबू को बुलाओ न चाची,
पदमा ₹रुको मैं अभी बुलाती हूं।
पदमा राजेश के रूम में गई,,
बेटा राजेश गांव वाले तुमसे मिलने आए है।
राजेश _ताई क्या बात है?
पदमा _वे कह रहे हैं की उनका आवास पास हो गया है, तुम्हे धन्यवाद देना चाहते हैं।
राजेश _अच्छा, गांव के लोगो का आवास पास हो गया ये तो बड़ी खुशी की बात है?
राजेश घर से बाहर आया, लोगो ने नारा लगाना शुरू कर दिया,, राजेश बाबू जिंदा बाद,, राजेश बाबू जिंदा बाद।
गांव वालो ने राजेश को अपने कंधे पर बिठा लिया।
और बाजे गाजे के साथ गांव में घूमाने लगा। सभी खुशियां मनाने लगे।
आखिर राजेश ने वह काम कर दिया था जिसके बारे में गांव के लोगो ने सोचा नहीं था।
मंदिर के पुजारी को जन इस बात का पता चला तो लोगो से कहा की मैने तो पहले ही कहा था की राजेश फरिश्ता बनकर यहां आया है।
उस दिन सभी गांव वाले जम कर नाच गाना किए। और राजेश की तारीफ किया।
राजेश गांव वालो की नजरो में काफी ऊंचा उठ गया था। अब उनकी नजरो में वह साधारण लडका नही रह गया था।
रात में लोगो के खुशियों में शामिल होने के बाद।
जब वह घर पहुंचा तो पदमा ने उसकी आरती उतारी, मेरे बेटे को किसी की नजर न लगे आज तुमने हमारे परिवार का नाम रोशन कर दिया।
राजेश दिनभर लोगो के बीच रह कर थक चुका था।
पदमा _बेटा थक गए होगे जाओ आराम करो।
राजेश अपने कमरे में सोने चला गया।
कुछ देर बाद, पुनम कमरे में पहुंची,,
देवर जी सोने से पहले दूध तो पी लो,,
राजेश बेड से उठा और गिलास लेकर दूध पीने लगा।
राजेश को दूध पीता देख पुनम मुस्कुराने लगी,,,
राजेश _भौजी, आज दूध का स्वाद कुछ दूसरा है!
पुनम _क्यू देवर जी दूध आपको अच्छा नही लगा क्या?
राजेश _नही ऐसी बात नहीं है दूध तो काफी स्वादिष्ट और मीठा था।
ये किसी और गाय का दूध थी क्या?
पुनम शर्मा ते हुई बोली _हा देवर जी। ये किसी और गाय की दूध थी। तुम जिद करते थे न की मां की दूध मिल जाता तो मजा आ जाता।
तो मैंने आज एक मां की दूध पिलाया है आपको, अपने चहरे को अपनी हाथो से छिपा ली।
राजेश _कहीं आप अपनी दूध तो नहीं,,,
पुनम शर्म से पानी पानी होते हुए बोली, इस घर में और किसके दूध आते है,,
राजेश _धन्यवाद भौजी, मेरी ईच्छा पूरी करने के लिए, पर,,
पुनम _पर क्या देवर जी,,,
राजेश _अगर मूंह से पिला देती तो और मजा आ जाता,,
पुनम _धत देवर जी तुम भी न,,,
वह शर्म के मारे पानी पानी होती हुई अपने कमरे में भाग गई,,,,