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Incest यह क्या हुआ

Sanju@

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दोपहर होने के बाद, पदमा भुवनऔर अपने पति के लिए भोजन लेकर खेत चली गईं। वह चिंतित थी, कि राजेश के हवेली जाने पर ठाकुर उसे कोइ नुकसान न पहुंचा दे।
इधर राजेश भी पलंग पर लेट कर सोच रहा था कि मां के साथ गांव में ये सब गुजरी है इसका जिक्र कभी किया नहीं।
ठाकुर ने जो किया है उसका हिसाब तो उससे लेना पड़ेगा, और दादा जी की हास्य में किसका हाथ था, उसका भी पता लगाना होगा।

राजेश के कमरे मे पुनम पहुंची।
पुनम _क्या कर रहे हो, देवर जी।
राजेश _कुछ नही भौजी, आराम कर रहा था। कुछ काम था क्या?
पुनम _देवर जी, मां जी बता रही थी की आज हवेली में पार्टी रखा है जिसमे ठाकुर ने तुम्हे बुलाया है।
क्या ये सच है?
राजेश _हा, भौजी।
पुनम _पर देवर जी, ठाकुर साहब तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझता है, फिर तूमको कैसे बुलाया है? मां जी कह रही थी की ठाकुर की बेटी के कहने पर बुलाया है?
राजेश _हो सकता है भौजी, ठाकुर की बेटी दिव्या के कहने पर मुझे पार्टी में बुलाया गया हो।
पुनम _देवर जी कहीं ठाकुर की बेटी के साथ तुम्हारा कोइ चक्कर तो नही है।
राजेश _अरे, नही भौजी ऐसी कोई बात नही।
जब मैं ट्रैन से गांव आ रहा था तो दिव्या जी भी उसी ट्रैन से अपने गांव आ रही थी, कुछ बदमाश उससे बदतमीजी कर रही थी।
मैने उसकी मदद की, तभी से उससे जान पहचान huwa
पुनम _ओह मैं तो समझ रही थी कि ठाकुर की बेटी तुम्हारी गर्लफ्रेंड तो नही।
राजेश हसने लगा।
राजेश _भौजी आप भी न।
पुनम _वैसे देवर जी, तुम बताने वाले थे की तुम्हारी गर्लफ्रेंड के साथ आखिर किस बात को लेकर झगड़ा huwa, आखिर वह तुम्हे क्यो छोड़ कर चली गईं।
राजेश _रहनी दो भौजी, वह बात आपको बताने लायक नही है?
पुनम _देवर जी ऐसे क्या बात है, जो अपनी भौजी को नही बता सकते?
राजेश _भौजी, मेरी गलतियों की वजह से ही वह से ही उसने मुझे छोड़ दिया।
पुनम _मैं भी तो जानू की आखिर मेरे देवर से क्या इतनी बड़ी गलती हो गई जो, छोड़ कर चली गईं।
राजेश _मैं आपको बता नही सकता भौजी।
पुनम _ठिक है देवर जी, आप बताना नही चाहते हो अपने भौजी को तो, कोइ बात नही।
वैसे तुम तो बड़े स्मार्ट हो, कोइ भी अच्छी लडकी मिल जाएगी।
जो तुम्हे छोड़ कर चली गई उसे भुल जाओ।
और कोइ नई देखो।
पुनम _वैसे तुम्हे कैसी लडकी चाहिए?
राजेश ने मजाक में कहा,
राजेश _बिलकुल आप ही की तरह?
पुनम _धत बदमाश?
ऐसी क्या खास बात है मुझमें?
राजेश _कोइ एक बात हो तो बताऊं।
पुनम _मैं भी तो जानू, मेरी देवर को मुझमें क्या खास दिखाई देता है।
राजेश _रहने दो आप बुरा मान जाएंगी।
पुनम _अरे नही मानूंगी, बता तो सही।
राजेश _ये लंबी लंबीबाल, ये गोरे गोरे गाल, ये कजरारी आंखे , ये रस भरी गुलाबी ओंठ,
पतली क़मर, गहरी नाभी, और,,,
पुनम _और क्या देवर जी,,,
राजेश _और बड़े बड़े दूध से भरे चूची,,,
पुनम शर्मा गई,,
पुनम _धत, तुम तो बड़े बदमाश निकले, लगता है अपनी भौजी पे बुरी नियत रखते हो,,
राजेश _अरे भौजी, मैने तो कहा था कि आप बुरा मान जाएंगी,,,
पुनम _मुझे क्या पता था कि तुम मेरे स्तन के बारे में ऐसे बोलेंगे।
मतलब तुम्हारी नजर मेरी स्तनों पर रहती हैं।
राजेश _ जवान हूं न क्या करू, नजर फिसल जाती है,माफ कर देना भौजी गलती हो गई, अब नही देखूंगा?
पुनम _क्या नही देखोगे?
राजेश ने उसकी चूचियों के तरफ इशारे करते हुए कहा?
इसकी ओर,,
पुनम शर्मा गई,,
पुनम _छी देवर जी आप सच में न बड़े बदमाश है?
लगता, है तुम्हारी लैला ने तुम्हे किसी और के साथ देख लिया था, और तुमसे नाराज होकर, तुम्हें छोड़ कर चली गई।
राजेश _वाह भौजी आप तो अंतर्यामी है।
पुनम _मतलब मैने जो कहा वो सच है।
राजेश _हूं।
पुनम _मतलब तुम भी अपनें भईया के जैसे शादी के पहले ही इधर उधर मुंह मार चूके हो।
राजेश _मतलब, भुवन भईया भी शादी से पहले ही सब सीख लिया था।
पुनम _हा,
भुवन _यह बात आपको कैसे पता चला।
पुनम _शादी के कुछ दिनो के बाद ही, उसने ख़ुद ही मुझ बता दिया।
राजेश _तो आपको बुरा नही लगा।
पुनम _बुरा तो लगा, पर कर भी क्या सकती थी? यहां के सभी लड़को का लगभग यहीं हाल है।
शादी के पहले ही, सब इधर उधर मुंह मारते फिरते है।
राजेश _कहीं आप भी तो शादी के पहले,,,
पुनम _छी देवर जी, मैं आपको ऐसी लगती हूं क्या?
शादी के पहले कई लड़के मुझसे अपनी हसरते पूरी करना चाहते थे, मैने उसे ऐसा सबक सिखाया की वे आज भी मुझे देख कर डरते हैं हा।
राजेश _अरे भौजी, यह जानकर तो अब मुझ भी आपसे डर लगने लगा।
कहीं आप मुझे भी सबक न सीखा दे।
पुनम _मतलब तू, सच में मुझपे बुरी नजर रखता है।
राजेश _कहा तो था, जवान हूं कभी कभी नजर फिसल जाती है।
पुनम _तूमको मूझसे डरने की जरूरत नही।
राजेश _क्यू भौजी, मूझसे भी तो कोइ खता हो सकती है?
पुनम _तुम मेरे देवर हो मैं तुम्हे प्यार से समझा दूंगी कि जो तुम चाह रहे हो वो गलत है।
राजेश _वाह भई, ये तो अच्छी बात है, मतलब हम आपसे मजाक कर सकते है?
पुनम _हूं।
राजेश _भौजी, दूध पीने ने का मन कर रहा है। अगर दूध बचा हो तो पिला देती, अपने देवर को।
पुनम समझ गई राजेश किस दूध की बात कर रहा है?
पुनम नाराज होते हुईं,,
दूध तो बहुत है,,
अभी लाती हूं लोटा भरकर,,,
राजेश _अरे नही भौजी मैं तो मजाक कर रहा था।
पुनम _मैं भी मजाक कर रही हूं,,
दोनो हसने लगे,,,

इधर ग्राम पंचायत भवन में पंच और सरपंच की बैठक रखा गया था।
गांव के लोगो ने सरकार के आवास योजना के तहत आवेदन लगाया था।
गांव के क़रीब 600परिवारों ने आवास के लिए आवेदन पंचायत में दिया था, जिसका पंच सरपंच द्वारा प्रस्ताव पारित कर, पंचायत विभाग के पास भेजा जाना था।
पिछले कई सालो से ग्राम पंचायत के द्वारा प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा गया था, परंतु आज तक गांव के किसी भी गरीब परिवार को इसका लाभ नहीं मिल पाया था।
सचिव _सरपंच जी, पिछले साल भी हमने इन लोगो का आवास हेतु प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा था।
पर विधयक जी, इस गांव के लोगो को योजना का लाभ होने से रोक देते हैं।
इस बार हमें विधायक जी से बात करनी चाहिए, ताकि गांव के गरीब लोगो को भी सरकार की आवास योजना का लाभ मिल सके।
सभी पंचों ने भी सचिव की बातो का समर्थन किया।
सरपंच _लगता है गरीब लोगो की भलाई के लिए, न चाहते हुवे भी विधायक जी से मिलना पड़ेगा। हम सब कल उससे मिलने उसके लक्षमण पुर कार्यालय चलेंगे
इधर शाम होते ही पदमा और भुवन खेत से घर आ जाते है।
भुवन राजेश के कमरे मे पहुंचता है।
राजेश _भुवन भाई आ गए खेत से।
भुवन _हा, राजेश।
राजेश मां बता रही थी कि तुम्हे हवेली की किसी पार्टी में बुलाया गया है, इस बात को लेकर मां चिंतित है।
राजेश _ताई तो फालतू ही चिन्ता कर रही है।
भुवन _राजेश चिंतित तो मैं भी हूं, ठाकुर सुरज पूर वालो से नफरत करता है फिर तुम्हे बुलाया क्यू है?
तभी पदमा भी वहां पहुंच गई।
पदमा _राजेश बेटा मैं तुम्हे हवेली में अकेले जाने नही दूंगी। अगर तुम्हे कुछ हो गया तो सुनीता को क्या जवाब दुंगी? क्यू भेजा मेरे बेटे को,,
बेटा तुम अकेले नहीं भुवन भी तुम्हारे साथ जायेगा।
भुवन _हा राजेश तुम वहां अकेले नहीं जाओगे, मैं भी चलूंगा तुम्हारे साथ।
राजेश _ठीक है भईया , दोनो साथ चलेंगे।
पदमा की चिन्ता थोडा कम हुई।
भुवन घर में फ्रेश huwa
थोड़ी देर बाद पुनम चाय लेकर राजेश और भुवन को चाय दी।
भुवन _राजेश कितने बजे चलना है पार्टी में।
राजेश _भईया, 7बजे निकलेंगे।
राजेश और भुवन दोनो आंगन में बैठे बात चीत कर रहे थे तभी आरती वहा पहुंची।
आरती _भईया, आप लोग पार्टी में जा रहे हैं। ठाकुर की बेटी ने आपको अपनी पार्टी में बुलाया है, उसके लिए क्या लें जाओगे।
भुवन _हां राजेश खाली हाथ जाना ठीक रहेगा क्या?
चलो लक्षमण पुर से कोइ गिफ्ट खरीद लाते है।
पुनम _इतने बड़े लोग है उनके सामने हमारी कोई औकात नही,उन्हे गिफ्ट में देगें क्या?
राजेश _हम दिव्या जी को फूल भेंट करेंगे। एक खुबसूरत राजकुमारी के लिए खुबसूरत फूल।

आरती _भईया, हमारे बाड़ी में तो बहुंत सारे खुबसूरत और खुशबू दार फूल खिले हुवे है, मैं उन फूलो से गुलदस्ता बना देती हूं। दिव्या जी खुश हो जाएगी।

पदमा _चुप कर, करमजली मैं राजेश को ठाकुर की बेटियो से दूर रहने कह रही तुम उसे खुश करने की बात कर रही। बेटा उन्हे कोई फूल वूल देने की जरूरत नही, उन्हे बधाई दे देना वही काफी है।

पुनम _मां जी आप भी न, ऐसे ही खाली हाथ थोड़े ही जायेंगे। आरती तुम गुलदस्ता बना दो, बधाई के साथ गुलदस्ता दे देना।
राजेश _ताई भौजी ठीक कह रही है, हम बधाई के साथ गुलदस्ता भेंट करेंगे।
आरती बाड़ी में जाकर गुलदस्ता के लिए फूल तोड़ने लगती है।
7बजे राजेश और भुवन पार्टी में जाने के लिए तैयार हो जाते है।
आरती के द्वारा बनाए गुलदस्ता ले कर वे दोनो भान गढ़ के लिए निकल पड़ते हैं।
इधर हवेली में पार्टी की सारी तैयारी हो चुकी है।
मेहमान भी आने लगे थे।
पार्टी में शामिल होने राजधानी से खेल मंत्री भी पहुंच रहे थे। वे अपने साथ अपनी पत्नी और बेटा विक्की को भी ला रहा था।
विक्की _डैड, ये आप मुझे कहा ला रहे है, मुझे ये इलाका बहुत पिछड़ा हुआ लग रहा है।
मंत्री _चुप कर नालायक, तुम किसी काम के तो हो नही। मैने उद्योगपति के इकलौती बेटी रिया को अपनी प्रेम जाल में फसाने को कहा था, ताकि उसकी करोड़ों की संपत्ति तुम्हे मिले। वह काम तो ठीक से कर नही सका।
मेरा तुम दोनो को यहां लाने के पीछे एक उद्देश्य है। ठाकुर की दो बेटी है बड़ी बेटी तो राजनीति करना चाहती है, वह शादी करना नहीं चाहती। छोटे लडकी के लिए तुमसे शादी की बात ठाकुर से करना चाहता हूं। वे इस क्षेत्र के जमीदार है। उनके पूर्वज इस क्षेत्र के राजा थे। अरबों की संपत्ति है उसके पास। अगर तुम्हारी शादी उसकी बेटी से तय हो गया तो उसकी सारी संपत्ति हमारी हो जाएगी।
विक्की _ओह डैड ये बात है आप पहले क्यू नही बताए।
मंत्री _देखो बेटा तुम वहां कोइ उल्टी सीधी हरकत न करना, जिससे मामला बिगड़ जाए। ठाकुर और उसके परिवार वालों के बीच एक संस्कारी लडका की तरह पेश आना।
मंत्री _ठीक है डैड, इस बार कोइ गलती नहीं होगी।
मंत्री अपनी बीवी से कहता है। तुम भी रागनी ठाकुर साहब थोड़े रंगीले स्वभाव के है।
अगर ठाकुर तुमसे कोइ मजाक करे तो तुम भी हस के जवाब देना।
रागिनी _ठीक है जी।
मंत्री _तुम दोनो को किसी भी तरह से ठाकुर साहब और उसकी बेटी का दिल जीतना है । वे इस रिश्ते के लिए तैयार हो जाए।

कुछ देर में वे हवेली पहुंच जाते है।
ठाकुर _आइए मंत्री जी आइए, मुझे पूरा भरोसा था की आप जरूर आयेंगे।
मंत्री _ठाकुर साहब, हम अच्छे दोस्त हैं, आप बुलाए और हम न आए ऐसा हो सकता है क्या भला? देखो मैं अपने साथ किसको लाया हूं।
ये हैं मेरा बेटा विक्की।
बेटा पैर छुओ ठाकुर साहब का।
विक्की _प्रणाम अंकल।
ठाकुर _अरे जीते रहो बेटा।
मंत्री _और इनसे मिलो ये है मेरी पत्नि रागिनी।
रागनी _नमस्ते भाई साहब।
ठाकुर _नमस्ते भाभी जी। आप से मिलकर बड़ी खुशी हुईं।
मंत्री जी भाभी जी बहुत सुंदर है।
भाभी जी के आने से पार्टी की रौनक में चांद चांद लग गया।
रागिनी _शुक्रिया भाई साहब तारीफ के लिए।
मंत्री जी _अरे यार आपके बेटियां और भाभी कहा हैं।
ठाकुर _आओ मैं तुम्हे अपनी पत्नि और बेटी से मिलाता हूं।
ठाकुर मंत्री, रागनी और विक्की को अपने पत्नि और बेटियो से मिलाने ले जाता हैं। जो इसी पार्टी हाल में थी।
ठाकुर _अरे रत्ना।
ठकुराइन _क्या है जी?
ठाकुर _इनसे मिलो, मंत्री जी और भाभी जी और उनका बेटा विक्की इतने दूर से हमारे बुलावे पर दिव्या को बधाई देने आए है।
रत्ना _नमस्ते भाई साहब, नमस्ते दीदी। बड़ी खुशी हुईं आप लोग यहाँ आए।
रागिनी _मैं तो बहुत पहले से ही आप लोगो से मिलना चाहती थी, आज मौका मिला, तो चले आए। कैसी है आप दीदी। आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुईं।
रत्ना_मुझे भी बड़ी खुशी हो रही है।
मंत्री _विक्की बेटा पैर छुओ भाभी जी का।
विक्की _नमस्ते आंटी।
रत्ना _हमेशा खुश रहो बेटा।
ठाकुर _मंत्री ये है मेरी बड़ी बेटी गीता।
गीता ने मंत्री और उसकी पत्नि का पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
ठाकुर _और ये है मेरी छोटी बेटी दिव्या।
दिव्या ने भी दोनो का पैर छूकर प्रणाम किया।
मंत्री और उसकी पत्नि ने दिव्या को डाक्टर बनने पर बधाई दिया।
मंत्री _ठाकुर साहब आपके दोनो बेटियां तो होनहार के साथ काफी सुन्दर भी है।
विक्की बेटा तुम भी दिव्या को बधाई दो।
विक्की _बहुत बहुत बधाई दिव्या जी, आपको डाक्टर बनने पर। आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुईं।
दिव्या _जी शुक्रिया।
मंत्री _ठाकुर साहब बच्चो को आपस में मिलजुल लेने दो, चलो हम लोग उधर चलकर बात करते हैं।
ठाकुर _अरे क्यू नही मंत्री जी, आइए।
लगभग सारे मेहमान आ चूके थे जो दिव्या को डाक्टर बनने पर बधाई दे रहे थे। विक्की दिव्या और गीता के साथ बात चीत कर उसे अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा था।
रत्ना और रागिनी अन्य महिलाओं के साथ
के साथ बात चीत में लगे थे।
पर दिव्या का मन किसी का राह देख रहा था।

इधर भुवन और राजेश हवेली के मेन गेट पर पहुंचे।
ठाकुर के आदमी को दरवाज़े पर खड़े थे।
ठाकुर का आदमी भुवन को देखकर पहचान गया की यह सुरज पूर का रहने वाला है।
ठाकुर का आदमी _अरे तुम तो सूरजपुर के रहने वाले हो, तुम यहां क्या करने आए हो, चले जाओ यहां से।
भुवन _देखो हमें भी पार्टी में बुलाया गया है, हम ऐसे ही नहीं आए है।
ठाकुर का आदमी हसने लगा,

तूमको मालिक ने बुलाया है, क्यू पिटना चाहते हो अपनी खैरियत चाहते हो तो यहां से चले जाओ।
भुवन_नही, हम सच कह रहे है।
ठाकुर के आदमी और भुवन के बीच बहस होने लगा।
उनके बीच बहस होता देख, ठाकुर का खास आदमी, माखन वहा आया,
माखन ने कहा _क्या बात है तुम लोग बहस क्यू कर रहे।
ठाकुर का आदमी _ये सुरज पूर के रहने वाले हैं इनका कहना है की ठाकुर ने इन्हे पार्टी में।
भुवन _भईया हम ठीक कह रहे हैं, ठाकुर ने हमें बुलाया है।
राजेश _आपको यकीन नहीं है तो ठाकुर साहब से पुछ लो, उनसे कहना कि सुरज पूर से राजेश नाम का लडका आया है।
माखन _ठीक है, तुम लोग यहीं रुको, मैं मलिक से पुछ कर आता हूं।
माखन _पहरेदार इनपर कड़ी नजर रखना।
पहरेदार _ठीक है माखन भईया।
माखन पार्टी हाल में गया, वहा ठाकुर के पास गया,,
ठाकुर _क्या बात है माखन
माखन _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है। कह रहा है की पार्टी में आपने उसे बुलाया है। क्या ये सच है?
ठाकुर _वे कहा है?
माखन _हमने उसे दरवाज़े पर रोक रखा है।
ठाकुर _उसे अंदर आने दो।
माखन _ठीक है मालिक।

माखन ने पहरेदार को कहा की उन्हे अंदर आने दो।
भुवन और राजेश दोनो पार्टी हाल में गए।
अभी लोग अपने में मस्त थे।
राजेश दिव्या को ढूंढने लगा।
दिव्या ने दूर से ही राजेश को देख लिया,,,
दिव्या के चेहरे पर मुस्कान आ गया।
भुवन _राजेश दिव्या जी कौन है?
राजेश _भईया,वो वहा खड़ी है आओ चलते है।
राजेश और भुवन दोनो दिव्या के पास पहुंचे।
राजेश _दिव्या जी, आपको बहुत बहुत बधाई डाक्टर बनने के लिए, ये लीजिए खुबसूरत से राजकुमारी के लिए, खुबसूरत सा फूल।
दिव्या _थैंक यू, राजेश, वाह बहुत अच्छी खुशबू आ रही है फूलो से । तुम इतने लेट क्यू हो गए? मैं तुम्हारा वेट कर रहा था।
भुवन _क्या करे दिव्या जी आपके पहरेदार हमें आने नही दे रहे थे।
दिव्या जी _क्या, पर क्यू?
राजेश _अरे छोड़िए न दिव्या जी इन बातो को, ये मेरे भुवन भईया है।
भुवन _नमस्ते जी।
दिव्या _नमस्ते भुवन भईया।
राजेश आओ मैं तुम्हे अपनी मां से मिलाता हूं।
दिव्या राजेश को रत्ना के पास ले गया।
दिव्या _मां इनसे मिलो ये वही राजेश है जिसने ट्रैन पे मैरी मदद किया था।
राजेश _नमस्ते मां जी।
रत्ना _जी ता रह बेटा। बेटा हम तुम्हारा अहसान जिंदगी भर नही भूलेंगे। बड़ी इच्छा थी तुमसे मिलने की अच्छा हुवा जो पार्टी में आए।
दिव्या _राजेश ये मैरी दीदी है इनसे तो कल मिल चूके थे।
राजेश _नमस्ते गीता दी।
गीता _नमस्ते राजेश कैसे हो, बड़ी खुशी हुईं तुम यहां आए।
तभी वहा पर विक्की पहुंचा।
विक्की _तुम राजेश हो न।
राजेश _और तुम विक्की।
विक्की _तुम यहां गांव में क्या कर रहे हो?
राजेश _यहीं सवाल मैं आपसे पूछूं तो।
विक्की _मेरे डैड तो दिव्या जी के पिता जी के अच्छे दोस्त हैं। तो हम पार्टी में आए है।
गीता _क्या तुम एक दूसरे को जानते हो।
विक्की _हम लोग एक ही कालेज में पढ़ते थे।
राजेश तुमने बताया नही तुम यहां कैसे?
राजेश _मैं अपने दादा जी का गांव आया huwa हूं।
विक्की _ओह तो तुम्हारे पिता जी इस क्षेत्र के रहने वाले हैं।
वैसे राजेश, मुझे पता चला है की निशा तुम्हे छोड़ कर हमेशा के लिए लंदन चली गईं, क्या ये सच है?
गीता _ये निशा कौन है?
विक्की _निशा राजेश की गर्लफ्रेंड, कहो या प्यार। क्यू राजेश।
राजेश चुप रहा,,,
विक्की _राजेश, लगता है तूम बुरा मान गए। अरे चलो छोड़ो उस बात को।
विक्की _यार राजेश अब तुम यहां आए हो तो कुछ गाने वाने का प्रोग्राम हो जाए। तुम तो बढ़िया गाते हो।
दिव्या _राजेश , क्या सच में तुम गाते हो?
अगर ऐसा है तो प्लीज गांव न।
राजेश _दिव्या जी, गाने के लिए गुनगुनाने का मन भी होना चाहिए।
दिव्या _राजेश, मुझे भी इस पार्टी में खास मजा नही आ रहा है। मेरे लिए एक गाना सुनादो। प्लीज।
तभी विक्की ने माइक पर अलाउंस कर दिया।
लेडिस एंड जेंटल मैन, पार्टी में आप लोगो के मनोरंजन के लिए, मिस्टर राजेश आप लोगो को गाना सुनाने जा रहे हैं कृपया ताली बजाकर उनका स्वागत कीजिए।
वहा मौजूद लोग ताली बजाने लगते है।
ठाकुर और मुनीम एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं।
दिव्या _राजेश, प्लीज।
दिव्या के रिक्वेस्ट करने पर राजेश गाना शुरू करता है।
राजेश _दिल की तन्हाई को,,,,,
दिल की तन्हाई को आवाज़ बना लेते हैं,,
दर्द जब हद से गुजरता है तो गा लेते है?
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश को हवेली से बुलावा आने पर सब परेशान है राजेश पूनम के साथ मस्ती मजाक कर रहा है विक्की जले पर नमक छिड़कने आ गया
 

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राजेश के गीत पर वहा पर मौजूद सभी लोगो ने जमकर ताली बजाया।
राजेश के गीत गाने के बाद,,
ठाकुर _अरे माइक वाले कहा है, कोई अच्छे से म्यूजिक लगाव, सब डांस करेंगे।
माइक वाला _जी ठाकुर साहब।
माइक वाले ने डांस म्यूजिक लगाया।
मंत्री _अरे विक्की बेटा, जाओ दिव्या बेटी के साथ डांस करो।
वहा मौजूद लोग,अपने अपने पार्टनर के साथ डांस करने लगे।
ठाकुर ने मंत्री जी की बीवी से कहा _भाभी जी, आइए न डांस करते हैं।
रागनी ने मंत्री जी की ओर देखा,
मंत्री _जाओ भाग्यवान, मेरे तरफ क्या देख रही हो,, पार्टी में, नाच गाना तो चलता ही है।
रागनी ठाकुर के साथ डांस करने लगी।
ठाकुर, रागिनी के की एक हाथ से क़मर और एक हाथ से उसकी हाथ पकड़ कर डांस करने लगा।
इधर विक्की और दिव्या भी डांस करने लगे। सभी लोग डांस करने में मस्त हो गए।
राजेश, सभी लोगो को डांस करता देख, डाइनिंग टेबल पर बैठ, निशा को याद करने लगा।
भुवन _राजेश क्या huwa, चलो हम लोग भी डांस करते हैं।
राजेश _नही भईया, मेरा मन नही आप जाओ।
डांस करते हुए, ठाकुर ने रागिनी से कहा ,,
ठाकुर _भाभी जी सच में आप कमाल की लग रही है। मंत्री जी की किस्मत पे मुझे जलन हो रही है।
रागिनी _ठाकुर साहब, आखिर मुझमें ऐसी क्या खास बात आपको नजर आया।
ठाकुर _भाभी से सर से पांव तक, आप कयामत लग रही है। एकदम गजाला।
मंत्री जी और मैं मैं एक दूसरे को तो काफी अरसे से जानते है, लेकिन आपसे पहली बार मुलाकात हो रही है। मुझे पता नही था की मंत्री जी की बीबी इतनी सुन्दर है।
रागिनी _अगर पहले ही जान जाते तो क्या करते?
ठाकुर साहब _आपसे दोस्ती कर लेता।
रागिनी _ठाकुर साहब, दोस्ती तो अब हो जाएगी। मैं तो उससे आगे की सोच रही हूं। अगर आप तैयार हो तो।
ठाकुर _अरे भाभी जी, आपके मन में क्या है मैं भी तो जानू, कहिए न।
रागिनी _ठाकुर साहब _क्यू न हम रिश्तेदार बन जाए। फिर दोस्ती हो ही जाएगी।
ठाकुर _मैं कुछ समझा नही भाभी जी, कुछ खुलकर बताइए।
रागिनी _ भाई साहब,विक्की हमारा इकलौता बेटा है। विक्की और दिव्या की शादी हो जाए तो, कैसा रहेगा? हम रिश्तेदार बन जायेंगे। कहिए आपका क्या विचार हैं?
ठाकुर _अरे भाभी जी, ये तो बड़ी खुशी की बात है? मैरी बेटी को एक अच्छा परिवार मिल जायेगा, और मुझे एक खुबसूरत समधन।
रागिनी _ठाकुर साहब आप भी ना, एकदम रंगीले है।
ठाकुर _भाभी जी, आप जैसी खुबसूरत औरत पास हो तो मन मचलेगा ही।
मैं कह रहा था की रिश्तेदार बनने से पहले क्यू ना हम एक दूसरे को अच्छी तरह से जान लें।
मंत्री जी को तो अरसे से जानते है। हम तो आपसे पहली बार मिल रहे हैं। मैं चाहता हूं की रिश्ता तय करने से पहले क्यू ना हम एकदूसरे को अच्छे से जान लें।
रागिनी _कहिए, क्या जानना चाहते हैं आप मेरे बारे में।
ठाकुर _भई ऐसे भीड़ भाड़ में तो हम एक दूसरे को जान नही पाएंगे, एक दूसरे को अच्छे से जानने के लिए, तो कुछ समय हमे अकेले में बिताना पड़ेगा।
रागिनी _भाई साहब आपके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे,
रागिनी मुस्कुराते हुए बोली।
ठाकुर ने रागिनी को अपनी ओर खीच कर चिपका लिया, और डांस करने लगा।
रागिनी _भाई साहब ये आप क्या कर रहे हैं, लोगो की नजर हम पर है।
ठाकुर _हाय, मन तो कर रहा है एक चुम्मा ले लू। अगर आप इजाज़त दे।
रागिनी _अच्छा जी, इतने लोगो के बीच ऐसा कर पाएंगे आप।
ठाकुर _आप इजाज़त तो दीजिए।
रागिनी _अच्छा जी, लो आपको इजाज़त दिया, मैं भी तो देखूं आप लोगो के बीच किस कैसे करते हैं?
ठाकुर _अभी देख लो।
तभी ठाकुर ने अपने आदमी को इशारा किया।
ठाकुर का आदमी घर में लगे ट्रांसफार्मर का फ्यूज निकाल दिया। बिजली चली गईं।
बिजली के जाते ही ठाकुर ने रागिनी की ओंठ को अपने मूंह में भर कर चूसने लगा।
ठाकुर के आदमी ने एक मिनट बाद फिर फ्यूज लगा दिया।
बिजली फिर आ गई।
तब तक ठाकुर अपना काम कर चुका था।

ठाकुर _क्यू मान गए न हमें?
रागिनी _आप में तो काफी जोश भरा है।
ठाकुर _मौका तो देकर देखिए। जन्नत की सैर न करा दिया तो कहना।
रागनी _मंत्री जी, का क्या होगा?
ठाकुर _आप उसकी चिन्ता न करें। उसका भी समाधान है मेरे पास।
रागिनी _अच्छा तो ठीक है , मैं भी देखना चाहूंगी आप कहा तक ले जाते है हमें।
इधर दिव्या ने जब देखा राजेश अकेला बैठा है, वह
विक्की से बोली,,
दिव्या _एक मिनट मैं अभी आई।
विक्की _ओके।
दिव्या, राजेश के पास पहुंची, जो कोने में बैठा था।
दिव्या _राजेश, तुम यहां अकेले क्यू बैठो हो, कोइ बात है क्या?
राजेश चुप रहा,,
दिव्या _ने राजेश की मोबाइल पर निशा की फोटो देख कर बोली।
दिव्या _तुम निशा को मिस कर रहे हो।
राजेश _निशा मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी, मैंने अपनी गलती की वजह से उसे खो दिया।
दिव्या _राजेश, अगर तुम्हारा प्यार सच्चा होगा तो वह एक दिन जरूर वापस आयेगी।
राजेश _नही, दिव्या जी, अब वह कभी वापस नहीं आएगी। मैं उसकी नजरो में गीर चुका हूं।
इधर ठाकुर ने सभी लोगो को भोजन करने के निवेदन किया।
दिव्या _राजेश, चलो कुछ खा लो।
तभी भुवन वहा पहुंचा _राजेश, दिव्या जी ठिक कह रही है, यहां बहुत सारे व्यंजन बना huwa है। चलो भोजन का आनंद लेते है।
इधर सभी लोग, डिनर का मजा लेने लगते है।
राजेश _भुवन भईया जाओ आप भोजन कर लो।
दिव्या _राजेश चलो तुम भी,,
राजेश _दिव्या जी मेरा मन नही कर रहा,,,
दिव्या ने नौकरों को बुलाया और कई प्रकार के व्यंजनों का प्लेट टेबल पर लगाने को कहा।
कुछ ही देर में
नौकरों ने कई प्रकार के व्यंजनों का प्लेट टेबल लगा दिया।
तभी वहा विक्की पहुंच गया।
विक्की _दिव्या जी, हमें तो आपने खाने के लिए पूछा ही नहीं।
दिव्या _आओ तुम भी बैठो।
विक्की _वाउ बहुत अच्छी खुशबू आ रही है, भोजन की। मेरा मन पसन्द का डिस है सारे।
विक्की खाना एक प्लेट से निकाल कर खाना शुरू कर देता है।
दिव्या _भुवन भईया, आप भी खाइए।
भुवन _जी, दिव्या जी।
दिव्या ने एक प्लेट में कुछ व्यंजन निकाला और राजेश की ओर बढ़ाया।
दिव्या _लो राजेश इसे टेस्ट करो।
राजेश _दिव्या जी आप लीजिए, आप भी लीजिए।
दिव्या _मैं बाद में लूंगी।
राजेश _थोडा सा तो लीजिए, हमारे साथ।
विक्की _हा दिव्या जी आप भी लीजिए।
दिव्या ने भी थोडा भोजन अपने लिए निकाला।
चारो भोजन करने लगे।

विक्की को राजेश और भुवन के साथ दिव्या का इस तरह भोजन करना अच्छा तो नही लग रहा था, पर उसे एक संस्कारी लडका की तरह वर्ताव करना था।
इस लिए वह किसी प्रकार का टिप्पणी नहीं किया।

सभी मेहमान भोजन कर लेने के बाद, ठाकुर से इजाज़त लेकर घर जाने लगे।
राजेश _दिव्या जी, आपके पार्टी में आकार हमें बहुत अच्छा लगा, अब हम भी घर के लिए निकलते है रात काफी हो चुकी है।
दिव्या _ठीक है राजेश।
और पार्टी में आने के लिए शुक्रिया।
राजेश _धन्यवाद तो हमें कहना चाहिए दिव्या जी हमें पार्टी में बुलाया। इतने बड़े बड़े लोगो के बीच।
इतना सम्मान दिया।
दिव्या _ये सब खुशियां तो तुम्हारे वजह से ही है राजेश, अगर तुम ट्रैन में मेरे साथ नही होते तो, पता नहीं क्या होता?
तभी वहा गीता पहुंची,,
गीता _दिव्या, तु यहां है? उधर मां तुम्हे ढूंढ रही हैं, चलो।
दिव्या _जी दी।
राजेश _अच्छा दिव्या जी हम चलते हैं।
दिव्या _ठीक राजेश।
राजेश _गीता दी हम निकल रहे है।
हाथ जोड़ कर राजेश ने कहा।
गीता _ठिक है राजेश। वैसे तुम बहुत अच्छा गाते हो।
राजेश _शुक्रिया दी।

राजेश और भुवन दोनो अपने बाइक से घर के लिए निकल पड़े, रात काफी हो चुकी थी।
दोनो घर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया।
पदमा दरवाजा खोली।
पदमा _आ गए बेटे।
भुवन _हा मां। मां आप अभी तक जग रही है।
पदमा _बेटा, मुझे तो तुम दोनो की चिन्ता थी। वहा सब ठीक होगा की नही।
राजेश _ताई, सब ठीक रहा, आप बेकार ही चिन्ता कर रही थी।
भुवन _हा मां राजेश ठीक कह रहा है।
पदमा _बेटा तुम लोग खाना तो खाए हो न।
भुवन _मां वहा तो बहुत सारा व्यंजन बनाया गया था, बड़े बड़े लोग आए थे। मुझे तो बहुत अच्छा लगा वहा। ऐसा भोजन तो मैने पहली बार करने को मिला। मजा आ गया।
पदमा _बस बस ज्यादा तारीफ मत करो। उन लोगों से दूर रहने में ही भलाई है। कब अपना रंग बदल दे। रात बहुत हो चुकी है, जाओ दोनो अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
भुवन _जी मां।
राजेश और भुवान दोनो अपने कमरे में चले गए।
जब भुवन कमरे मे पहुंचा।
पुनम _आ गए आप।
भुवन _अरे तुम अभी तक जग रही हो।
पुनम _जब पति और देवर दुश्मन के घर गया हो तो निंद किसे आयेगी। वैसे कैसा रहा पार्टी?
भुवन _मत पूछो। बहुत मजा आया।
जानती हो राजेश ने पार्टी में गीत गाया। सभी लोगो ने खुब ताली बजाई।
पुनम _अच्छा, तो देवर जी को गाना भी गाने आता है।
अच्छा उस गुलदस्ते को ठाकुर की बेटी को दिए की नही।
भुवन _हा, ठाकुर की बेटी दिव्या गुलदस्ता की बड़ी तारीफ की।
उसे बहुत पसंद आया। उसने राजेश भाई का बहुत ध्यान रखा।
पुनम _, क्या? दिव्या जी, राजेश का ध्यान रखा।
भुवन _हा।
पुनम _दिखने में कैसी है ठाकुर की बेटी। बड़ी बेटी को तो मैं देख चुकी हु। जिला पंचायत अध्यक्ष जो है।चुनाव प्रचार में जो आई थी। बड़ी सुन्दर है अपनी मां ठकुराइन की तरह। छोटी बेटी दिव्या दिखने में कैसी है।
भुवन _दिव्या जी भी बहुत सुंदर है। वह दिखने में डाक्टर नही कोइ हिरोइन लगती है।
पुनम _अच्छा।
भुवन _हां।
सब कुछ तो ठीक था पर शहर से एक लडका आया था, मंत्री जी का बेटा। मेरा जी कर रहा था की उस का मुंह तोड़ दू साले की।
पुनम _क्यू जी क्या किया उसने।
भुवन _वह राजेश को ठाकुर की बेटियो के सामने नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा था। वह कह रहा था की निशा नाम की कोइ राजेश की गर्लफ्रेंड थी जो राजेश को छोड़ कर चली गईं। उसकी बातो से राजेश उदास हो गया। मेरा तो मन कर रहा था कि साले की थोपड़ा तोड़ दू।
पुनम _हूं, राजेश ने मुझे भी बताया था कि वह जिस लडकी को चाहता था वह उसे छोड़ कर चली गईं।
भुवन _देखो, तुम भी राजेश को समझाना जो लड़की उसे छोड़ कर चली गईं उसे लेकर वह दुखी न रहे।
यहां गांव में भी एक से बड़ कर एक लडकिया है, उनमे से किसी को पसंद करले। जो huwa है उसे भुल जाए।
पुनम _हूं, कल बात करुंगी उससे।
चलो अब सो जाओ रात काफी हो चुकी है।
भुवन _अरे मेरी रानी, कितने दिनो के बाद तो आज रात में साथ में सोने का मौका मिला है, और तुम ऐसे ही सो जाने बोल रही हो।
पुनम _नही जी आज मेरा मूड नहीं।
भुवन _अरे अभी तुम्हारा मूड बना देते है।
पुनम _तुम भी न बीना लिए मानोगे नही।
भुवन _पुनम के ऊपर आ गया, उसकी ब्लाउज खोल कर, उसकी चूचियों से खेलने लगा।
फिर वह नीचे गया और उसकी चड्डी उतार कर उसकी बुर चाटने लगा।
पुनम गर्म हो गई उसकी बुर से पानी बहने लगा।
उसके मूंह से सिसकारी निकलने लगी।
भुवन, अपना खड़ा land पुनम की मस्त फूली हुई चिकनी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया।

इधर हवेली में सारे मेहमान चले गए। मंत्री और उसका परिवार रह गया।
ठाकुर _रत्ना, आज मंत्रीजी और उसका परिवार यहीं रुकेंगे, तुम मेरे बाजू वाले कमरे में मंत्री जी की सोने की व्यवस्था करवा दो। विक्की के लिए कोइ अच्छा सा कमरा बता दो।
रत्ना _ठीक है जी।
रत्ना, रागिनी को लेकर उसे कमरे में छोड़ आई। इधर ठाकुर मंत्री को अपनें कमरे में लेकर चला गया।
ठाकुर अकेला ही सोता था।
कमरे में जाने के बाद।
ठाकुर _आइए मंत्री जी, बैठिए। काफी दिन हो गए साथ में बैठ कर पिए हुए।
ठाकुर ने अपने नौकर से अपनी खास सेविका, तारा बाई को बुलाने कहा।
कुछ देर में तारा बाई वहा पहुंची।
तारा बाई _ठाकुर साहब आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _आओ तारा।
मंत्री जी ये हमारी खास सेविका है तारा बाई।
मंत्री तारा बाई को गौर से देखने लगा।
तारा बाई काफी सुन्दर थी।
ठाकुर _तारा हम दोनों के लिए पैग बनाओ।
तारा बाई _जी ठाकुर साहब।
मंत्री _ठाकुर साहब मुझे आपसे कुछ बाते करनी है।
ठाकुर साहब _अरे मंत्री जी पहले एक एक पैग तो हो जाए, फिर बार करेंगे।
तारा ने दोनो के लिए पैग बनाया।
और दोनो की ओर रम का प्याला बढ़ाया।
तारा _लीजिए मंत्री जी।
मंत्री ने प्याला उठाते हुए कहा _बड़ी सुंदर हो तुम।
ठाकुर _मंत्री जी लगता है, तारा तुमको पसन्द आया।
तारा जाओ मंत्री जी के गोद में बैठ कर उसे पिलाओ।
तारा मंत्री की गोद में बैठ गया। और शराब पिलाने लगा।
मंत्री _ठाकुर साहब आप भी तो लीजिए।
ठाकुर भी एक पैग शराब पी लिया।
इधर तारा बाई ने मंत्री को अपने हाथो से शराब पिलाया।
ठाकुर _बोलो मंत्री जी आप कुछ बोलने वाले थे मुझसे।
मंत्री _ठाकुर साहब, मैं सोच रहा था कि क्यू ना हम अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दे। अपनी बेटी दिव्या का हाथ मेरे बेटे विक्की के हाथ में देकर। कहिए क्या ख्याल है आपका।
ठाकुर _अरे मंत्री जी, ये तो बड़ी खुशी की बात है की मेरी बेटी आपके घर बहु बनकर जाएगी।
मंत्री _तो क्या आपको ये रिश्ता मंजूर है?
ठाकुर _यार, तुमको कभी न बोला है। तुम भी तो राज घराने परिवार से हो, हमारे अच्छे दोस्त हो। दिव्या के लिए इससे अच्छा रिश्ता मिलेगा कहां।
मंत्री _यार तुमने शादी के लिए हा कह कर मेरा दिल जीत लिया।
मंत्री जी जी आज बड़ी खुशी का दिन है, जी भर कर पीजिए। तारा और पैग बनाओ मंत्री जी के लिए।
मंत्री _ठाकुर साहब आप भी तो लीजिए।
ठाकुर _हा हा मैं भी ले रहा हूं।
मंत्री को तारा बाई ने अपने हाथो से कई पैग बना कर पिलाया।
मंत्री जी नसे में वही लुड़क गए।
ठाकुर _तारा तुम मंत्री जी का ख्याल रखो, मैं उसकी बीबी का ख्याल रखने जा रहा हूं।
तारा मुस्कुराते हुए बोली,,
जी ठाकुर साहब,,
ठाकुर साहब मोंगरे की माला को सूंघते हुए रागिनी के कमरे में पहुंचा।
रागिनी एक खुबसूरत सी नाइटी पहनी हुई थी।
ठाकुर साहब आप, मंत्री जी कहा है।
ठाकुर _मंत्री जी रिश्तेदार बनने की खुशी में कुछ ज्यादा ही पी ली है वह हमारे कमरे मे आराम कर रहे हैं। अब वह सुबह ही उठ पाएंगे। हमारी खास सेविका तारा बाई उसकी देखभाल कर रही है।
मुझे लगा की नई जगह है आपको डर न लगे इसलिए आपका ख्याल रखने आया हूं।
क्यू ना हम रिश्तेदार बनने से पहले एक दूसरे को अच्छे से जान लें।
रागिनी _हूं, क्या जानना है मेरे बारे में।मुस्कुराते हुवे बोली।
ठाकुर _अरे भाभी जी आप हमें बैठने नही बोलोगी।
सच में इस नाइटी में कयामत लग रही हो।
ठाकुर ने रागिनी को पीछे से अपने बाहों भर लिया।
रागिनी _अरे ठाकुर जी बड़े उतावले लग रहे हो पहले दरवाजा तो बंद कर लेने दो।
ठाकुर _जब से आई हो तुम्हे पाने को बेचैन हूं, मेरी जान। अब रहा नही जा रहा।
ठाकुर ने रागिनी को अपनी बाहों में उठाकर बेड तक लाया और उसे बेड पर पटक दिया।
और उसके ऊपर आ गया।
ठाकुर ने रागिनी के ओंठो को जी भर कर चूसा।
फिर उसे अपने ऊपर ले लिया।
ठाकुर _आज तो तुम्हे मैं जन्नत की सैर कराऊंगा।
रागिनी _अच्छा देखते हैं कहा तक टिकते हो।
ठाकुर अपना पजामा ओर चड्डी उतार कर नीचे से नंगा हो गया।
ठाकुर का land खड़ा था।
ठाकुर _लो चूसो मेरी जान।
रागिनी ने ठाकुर की land की ओर देखा। उसका land मंत्री जी के land से बड़ा था।
रागिनी _वैसे तो आपका हथियार अच्छा है, देखते हैं इसमें कितना दम है।
रागिनी ने ठाकुर का land चूसना शुरू कर दिया।
ठाकुर का land एकदम कड़क हो गया।
ठाकुर _उतार दो मेरी जान अपनी सारे कपड़े।
रागिनी _एक एक कर अपनी सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई।
ठाकुर _वाह सच में क्या मॉल हो तुम।
ठाकुर ने रागिनी को बेड पर लिटा दिया खुद उसके ऊपर आ गया।
ठाकुर _हाय क्या मस्त चूचे है तेरी।
ठाकुर, रागनी के चूचों पर टूट पड़ा। जी भर कर मसल मसल चूसा।
फिर पूरे बदन को चाटते हुए उसकी बुर तक पहुंचा।
ठाकुर _हाय क्या मस्त चूत है तेरी,
चूत चाटने लगा। रागिनी के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
ठाकुर की हरकतों से रागनी बहुत उत्तेजित हो गई।
रागिनी _ठाकुर साहब कब तक चांटते रहोगे, अब बर्दास्त नही हो रहा, डाल दो अंदर।
ठाकुर रागनी के दोनो टांगे फैला दिया और उसके टांगो के बीच उकड़ू बैठ गया। अपना land को रागिनी की बुर में रखकर गच से पेल दिया।land एक ही धक्के में सरसराता huwa बुर के अंदर चला गया।
उसके बाद ठाकुर रागनी की चूची पकड़ कर दनादन चोदना शुरु कर दिया।
कमरे मे रागिनी की मादक सिसकारी, फैच फच गच गच की आवाज़ गूंजने लगा।
आसन बदल बदल कर ठाकुर ने रागिनी को जमकर चोदा और उसे जन्नत की सैर कराया।
आधे घण्टे चोदने के बाद अपना पानी रागिनी की बुर में छोड़ कर उसके बाजू में लुड़क गया।
कुछ देर दोनो सुस्ताया।
रागिनी _सच में ठाकुर साहब आपमें तो अभी भी जवानों की तरह मर्दानगी है। थका दिया मुझे।
ठाकुर _अभी मेरी मर्दानगी देखि कहा है मेरी जान। अभी तो पूरी रात बाकी है।

वे एक दूसरे से बात चीत करते रहे, तारीफ करते रहे।
ठाकुर का फिर से खड़ा हो गया।
वह रागिनी को फिर से जमकर चोदा।
इस बार क़रीब घंटा भर चोदने के बाद उसका पानी गिरा।
दोनो थक गए थे। एक दूसरे के बाहों में सो गए।
रागिनी का नींद खुला तो देखा सुबह के 6बजने वाले हैं।
उसने ठाकुर को उठाया।
रागिनी _ठाकुर साहब अब आप जल्दी से जाइए यहां से कहीं मंत्री जी आ गए तो मुसीबात हो जाएगी।
ठाकुर _हाय तुमने मेरा दिल खुश कर दिया, क्या मस्त मॉल है तु, तेरी लेने में बड़ा मज़ा आया। चलो एक और करते हैं।
रागिनी _न बाबा, अभी नही कोई भी आ सकता है। वैसे भी अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। अब तो कई मौके मिलेंगे हमे मिलने के।
ठाकुर _हाय तब तो जल्दी शादी करानी पड़ेगी बच्चो की, ताकि तुम्हे और भोगने का मौका मिल सके।
Awesome update
ठाकुर और रागिनी तो रंगीन मिजाज निकले एक ही मीटिंग में दोनों ने सारी रात रंगीन कर ली ठाकुर ने मंत्री को सबाब में उतारकर मंत्री की पत्नी को लपेट लिया
 

sunoanuj

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Bahut hee behatareen update diya hai !
 

Ajju Landwalia

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अगले दिन सुबह उठते ही अखाड़ा, चला गया, वहा अखाड़े पे लड़के कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे।
बिरजू _अरे राजेश, आओ।
राजेश _अरे बिरजू भईया, लगता है कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी बड़े जोरों से चल रही है।
बिरजू _हा राजेश, इस बार लड़के बड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस बार हर हाल में यह प्रतियोगिता जितना है।
हर बार भानगढ़ वाले ही यह प्रतियोगिता जीतता आया है।
पर इस बार हम उन्हे कड़ी टक्कर देना चाहते हैं।
राजेश, मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
राजेश _बोलो बिरजू भईया क्या बात है?
बिरजू _क्यू न तुम भी हमारी कबड्डी टीम में शामिल हो जाओ।
मुझे लगता है हमारी टीम अभी परफेक्ट नही है। तुम्हारा शरीर एकदम फिट है।
राजेश_पर बिरजू भईया मैने तो कभी कबड्डी खेली नही है।
बिरजू _राजेश, कबड्डी ताकत और दिमाक दोनो का खेल है और मुझे लगता है ये दोनो तुम्हारे पास है।
अभी कबड्डी प्रतियोगिता में थोड़ा समय है तब तक तुम अच्छे से सीख जाओगे।
राजेश _बिरजू भईया, आप कह रहे हो तो मैं टीम में शामिल होने तैयार हूं, लेकिन सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। किसी ने मना किया तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।
बिरजू के दोस्त _राजेश, तुम भी कबड्डी की प्रैक्टिस करो, अगर तुम्हारा खेल अच्छा लगा तो कोइ तुम्हारे टीम में शामिल होने से नाराज नहीं होंगे।
बिरजू _हा, ये ठीक रहेगा।
राजेश _ठीक है।
बिरजू _तो ठीक है, चलो आज से ही प्रैक्टिस शुरू कर दो।
राजेश भी उन लोगों के साथ प्रैक्टिस करने लगा।
इधर हवेली में मंत्री और उसके परिवार घर जाने के लिए तैयार हो गए।
मंत्री _अच्छा ठाकुर साहब अब हमें इजाज़त दीजिए।
ठाकुर _अरे यार, नाश्ता तैयार हो चूका है। नाश्ता करके निकलना, मैं तो कह रहा था कि भाभी जी और विक्की को कुछ दिनो के लिए यहीं छोड़ दो। अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। हमारे परिवार एक दूसरे को अच्छे से जान लेंगे।
मंत्री जी _ठाकुर साहब, इन लोगो को यहीं कुछ दिनो के लिए छोड़ तो देता, पर कुछ काम है, कुछ मेहमान भी घर में आने वाले हैं इसलिए जाना जरूरी है।
कुछ दिनो बाद विक्की को भेज दूंगा, दिव्या और विक्की एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लेंगे।
ठाकुर _ठीक है ठाकुर साहब जैसी आपकी ईच्छा। आइए नाश्ता करते है।
मंत्री और ठाकुर के परिवार सभी डाइनिंग हॉल में एक साथ बैठ कर भोजन करने लगते है।
ठाकुर अपने बीबी रत्ना से कहा,,
ठाकुर _रत्ना, मंत्री जी अपने बेटे विक्की के लिए दिव्या का हाथ मांग रहे हैं।
मैंने तो कहा ये हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है। तुम्हारा क्या विचार है।
रत्ना _जैसे आप उचित समझे, पर एक बार दिव्या को पुछ लेते तो,,,
ठाकुर _दिव्या हमारी लाडली बेटी है, हम जो भी फ़ैसला लेंगे उसकी भलाई के लिए लेंगे। वैसे तुम कह रही हो तो अभी पुछ लेते हैं।
बेटी दिव्या, विक्की के साथ शादी होने से तुम्हे कोइ एतराज तो नही। मैने तो हा कह दिया है, फिर भी अगर तुम्हे कोइ आपत्ति हो तो कह सकती हो,,
दिव्या ने अपनी मां की ओर देखा,,
वह क्या कहे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दिव्या _पिता जी, इतनी जल्दी शादी, अभी तो मुझे बड़ा सा हॉस्पिटल खोलकर लोगो की सेवा करनी है। मैं डाक्टर ही इसलिए बनी हूं की हमारा क्षेत्र काफी पिछड़ा है यहां के लोगो को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है, मैं शादी करके यहां से चली गई तो, मेरा डाक्टर बनने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
मंत्री _अरे बेटा, तुम चिन्ता मत करो, तुम चाहो तो शादी के बाद यहीं रहना, विक्की, आना जाना करता रहेगा।
ठाकुर _लो, बेटी अब तो तुम्हारा डाक्टर बनने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और शादी भी।
अब तो कोइ समस्या नहीं न,,
दिव्या _जी पापा,,
दिव्या और कुछ बोल नहीं पाई।
ठाकुर _लो मंत्री जी, मिठाई खाओ, अब तो सभी तैयार है शादी के लिए।
ठाकुर ने रागनी के पैर को अपनें पैर से सहलाया और आंखे मारी।
रागिनी मुस्कुराने लगी।
भाभी जी क्यू न आप कुछ दिन यहीं रुक जाती, यहां पहाड़, झरने घांटी, और भी बहुत कुछ है देखने के लिए। आपको कुछ दिन स्वर्ग की सैर करा देते।
रागिनी _भाई साहब मेरी भी बड़ी ईच्छा थी स्वर्ग की सैर करने की पर क्या करे मजबूरी है जाना पड़ेगा।
ठाकुर _कोइ बात नहीं भाभी जी अब तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। जन्नत की सैर जब आवोगी तब करा देगें।
रागिनी की पैर को अपनें पैर से सहलाते हुए कहा।
नाश्ता कर लेने के बाद, मंत्री और उसके परिवार ठाकुर परिवार से इजाज़त लेकर घर चले गए।
इधर ठाकुर कुछ समय के बाद लक्षमण पुर कार्यालय चले गए जहा लोगो की समस्या सुनते थे।
इधर राजेश जब आखाड़ा से आया।
भुवन _अरे राजेश, आ गया अखाड़े से।
राजेश _हां, भईया।
भुवन _जाओ नहाकर तैयार हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं। मुझे बापू के लिए नाश्ता लेकर खेत भी जाना है।
राजेश _ठीक है भईया।
राजेश पीछे बाड़ी में जाकर फ्रेश होकर नहाने लगा।
तभी वहा पुनम नाश्ता बनाने के बाद बर्तन धोने के लिए बर्तन धोने पहुंची।
पुनम _क्यू देवर जी कैसा रहा कल की पार्टी?
राजेश _भुवन भईया ने तो बताया होगा ही भौजी!
पुनम _तुम्हारे भईया तो बता रहा था कि तुमने पार्टी में गाना गया। तुमने कभी बताया नही की तुम गाना भी गाते हो।
राजेश _आपने तो कभी पूछा नही भौजी।
पुनम _अच्छा ये बताओ अपनी भौजी को कब गाना सुनाओगे?
राजेश _आप जब कहो, पर गाना सुनाने के बदले दोगी क्या?
पुनम _क्या चाहिए तूमको?
राजेश _जो मांगूंगा वो दोगी, बोलो?
पुनम _मुझे पता है तुम क्या मांगोगे?
राजेश _अच्छा, ये मैं भी तो जानू, मैं क्या मांगने वाला हूं?
पुनम _मां का दूध।
दोनो खिलखिलकर हसने लगे।
राजेश _वाह भौजी तुम तो अंतर्यामी हो? बिना बताए ही जान जाती हो।
पुनम _बच्चू मुझे सब पता है तुम्हारे इरादे क्या है?
पुनम बर्तन धो रही थी, और राजेश अपने बदन में साबुन लगा रहा था।
राजेश _क्या इरादे है भौजी, मैं भी तो जानू?
पुनम _यहीं कि तुम्हारे इरादे नेक नही है।
राजेश _वो कैसे?
पुनम _तुम्हारे उम्र के लड़के दूध पीता कम है और दूध के गुब्बारे से खेलता ज्यादा है।
राजेश _हूं, मतलब तुम मुझे उन्ही लड़को में से एक समझती हो। मैं वैसा नही हूं? मैं उससे खेलूंगा नही सिर्फ पियूंगा।
पुनम _न बाबा, तुम्हारे उम्र के लड़को का कोइ भरोसा नहीं। मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली।
राजेश _ठीक है फिर मैं भी गाना तभी सुनाऊंगा, जब दोगी?
पुनम _ मतलब तुम मतलबी हो।
पुनम नाराज होते हुए बोली?
राजेश _अरे भौजी, लगता है तुम नाराज हो गई। मैं तो मजाक कर रहा था। हम फ्री में सुना देगें अपनी भौजी को गाना। पर सही समय आने पर।
पुनम _प्रोमिस।
राजेश _प्रोमिस।
पुनम बर्तन धो कर चली।
राजेश भी नहाकर चला गया।
नाश्ता करने के बाद भुवन खेत चला गया और राजेश आईएएस की तैयारी करने लगा।
इधर सरपंच, सचिव और पंचगण विधायक जी से मिलने के लिए उसके लक्ष्मण पुर कार्यालय पहुंचे।
कार्यलय के सामने विधायक जी से मिलने लोगो की भीड़ थी। विधायक के पी ए से लोग अपने आने का प्रयोजन बता रहे थे।
एक एक करके विधायक का पीए विधायक से मिलने के लिए अंदर भेज रहे थे।
पीए _विधायक जी, सुरज पूर के सरपंच सविता जी अपने को लेकर आए हैं आपसे मिलने।
ठाकुर _क्या? सुरज पूर की सरपंच आई है?
वे लोग क्यू आए हैं? उन्हे पता है हम उनसे मिलना नही चाहते फिर भी। क्या समस्या लेकर आए है?
पीए _आवास योजना से संबंधित है।
ठाकुर _हा हा हा, आखिर मेरे चौखट पे आने मजबूर हो ही गए।
पीए _क्या करना है विधायक जी। उन्हे अंदर भेजूं।
ठाकुर _आने दो, मैं भी तो जानू, देखू क्या फरियाद करते हैं, पर सिर्फ सरपंच को ही अंदर भेजना।
पीए _ठीक है विधायक जी।
पीए ने बाहर जाकर सविता से कहा सिर्फ सरपंच ही अंदर जा सकता है?
सविता ने सभी लोगो से कहा की तुम लोग यहीं रुको मैं विधायक जी से मिलकर आती हूं।
सविता अंदर गई।
ठाकुर _आइए सविता जी, कहिए क्या फरियाद लेकर आई है आप।
सविता _नमस्ते विधायक जी।
ठाकुर _नमस्ते, आइए बैठिए।
विधायक _कहिए क्या सेवा कर सकता हूं मैं।
विधायक ने अपने अपने सेवक से कहा।
सविता जी पहली बार हमारे कार्यालय में आई है। इनके लिए चाय वगैरा लाओ।
सविता _नही विधायक जी इसकी कोइ आवश्यकता नहीं।
ठाकुर _अरे, सरपंच साहिबा, पहली बार आई हो हमारे कार्यालय, चाय वगैरा तो लीजिए।
कहिए क्या सेवा कर सकता हूं आपका।
सविता _विधायक जी, जानती हूं की आप सुरज पूर वालो को पसन्द नही करते फिर भी मैं मजबूर हो कर आपके पास आई हूं।
ठाकुर _कहिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई की हमारे पास आपको आना पड़ा, मैं भी तो जानू, हा हा हा,,,
सविता _विधायक जी, हमारे गांव के गरीब लोगो को आवास योजना का लाभ अब तक नही मिल पाया है। हम हर साल प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजते हैं लेकिनसुरज पूर के किसी भी गरीब परिवार का, आवास पास नही होता।
गांव के गरीब लोग बहुत दुखी हैं।
ठाकुर _सविता जी, इसमें मैं क्या कर सकता हूं। पंचायत मंत्री ही आपके समस्या का समाधान कर सकते है । उनसे मिलिए।
सविता _पिछले वर्ष उनके पास गई थी, आश्वासन दिया था लेकिन किसी का भी आवास स्वीकृत नहीं huwa,
अगर मंत्री जी से आप बात करते तो, आखिर आप हमारे विधायक है।
ठाकुर _सुरज पूर वालो ने हमें बहुत दुख पहुंचाया है। हम उनका अनुसंसा क्यू करेंगे सविता जी।
आप हमसे बेकार ही उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपकी पर्सनल कोइ सेवा हो तो बताइए, उस पर विचार कर सकता हूं।
सविता _विधायक जी, मेरी पर्सनल कोइ समस्या है नही, गांव के गरीब लोगो के लिए ही आई थी। अगर हो सके तो उनके भलाई के लिए आवास स्वीकृत करा दीजिए। बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।
ठाकुर_सविता जी कहा न मैं गांव वालो की कोइ मदद नहीं कर सकता, आप जा सकती है।
सविता निराश होकर, वापस जाने लगी।
तभी ठाकुर ने कहा,,,
देखिए सविता जी, आपको निराश होकर इस तरह हमारे कार्यालय से जाता देख बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है।
अगर तुम चाहो तो, सुरज पूर वालो की आवास के लिए मंत्री जी से अनुसांसा कर सकता हूं, पर इससे हमें क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _यहीं तो दिक्कत है न अगर समझ जाती तो निराश होकर जाना नही पड़ता। हमें अपने दुश्मनों की मदद करने के बदले
क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं आपको विश्वास दिलाती हूं इस बार चुनाव में गांव के सारे वोट आपको ही मिलेंगे।
ठाकुर _सविता जी मुझे सुरज पूर वालो का वोट नही चाहिए। हम तो चुनाव ऐसे ही जीत जायेंगे।
सविता _तो विधायक जी, आप क्या चाहते हैं?
विधायक _सविता जी हमें तो बस आपका साथ चाहिए।
सविता _विधायक जी, मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _सविता जी, हम चाहते है की कुछ समय हमारे साथ बिताओ।
सविता _विधायक जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
विधायक _देखिए सविता जी अगर गांव के लोगो का आवास पास हो गया, तो आप पर लोगो का भरोसा बड़ेगा । नही तो लोग तो यहीं कहेंगे की एक भी योजना का लाभ दिला नही पाई, इन्हे सरपंच बनाने का क्या फायदा?
सविता _विधायक जी, मैं अपनी सरपंच पद बनाए रखने के लिए, अपनी इज़्ज़त नही बेच सकती।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो इतना समय दिया।
विधायक _ठीक है, सविता जी जाइए? कोइ जबरदस्ती तो है नही, फिर भी विचार बदल जाए तो आ जाना।
सविता वहा से चली गई, लोगो ने बाहर जाने पर पूछा की क्या huwa
सविता ने कहा, विधायक जी ने आवास योजना की स्वीकृत हेतु अनुसंसा करने से इंकार कर दिया।
लोग निराश होकर गांव लौट गए।


घर जाने के बाद सविता ने काफी विचार किया और अन्त में यह निष्कर्ष निकाला की वह गांव के लोगो को उनका हक दिला पाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे देगी।
अगले दिन सविता ने ग्राम सभा का आयोजन रखा।
लोगो को पता चल चुका था कि आज सविता जी सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
यह बात पुरे गांव में फैल गया।
इस बात की जिक्र जब भुवन और राजेश नाश्ता करने बैठे थे। पदमा ने छेड़ा।
पदमा _बेटा भुवन आज तुम खेत मत जाओ। आज प्रात: दस बजे तुम्हारी चाची ने ग्राम सभा रखा है। लोगो से पता चला है कि तुम्हारी चाची सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
राजेश _ताई ये आप क्या कह रही है?
पुनम _हां मैने भी यहीं सुना है?
राजेश _पर चाची ऐसा क्यू कर रही है?
पदमा _यह तो ग्राम सभा में ही सविता बताएगी आखिर वह सरपंच पद से इस्तीफा क्यू दे रही है।
भुवन बेटा तुम ग्राम सभा में चले जाना, पता तो चले कि आखिर बात क्या है?

भुवन _ठीक है मां।
प्रातः 10बजे, भुवन ने पदमा से कहा,,,
मां मैं ग्राम पंचायत कार्यालय जा रहा हूं। ग्राम सभा में,,
पदमा _ठीक है बेटा,,
भुवन जा रहा था तभी,,
राजेश _रुको, भुवन भईया, मैं भी जाना चाहता हूं आपके साथ।
भुवन _अरे राजेश, तुम वहां जा कर क्या करोगे?
राजेश _मैं भी देखना चाहता हूं की गांव में ग्राम सभा कैसे होता है?
भुवन _ठीक है, राजेश तुम्हारी ईच्छा है तो तुम भी चलो।
राजेश और भुवन दोनो ग्राम सभा में शामिल होने ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल पड़े।
उधर ग्राम पंचायत के सभा हाल में गांव के लोग एकत्रित हो चूके थे।
सरपंच, सचिव और पंच गण, अपने स्थान पर बैठ चूके थे।
तभी राजेश और भुवन भी वहां पहुंचे।
ग्राम सभा की कार्यवाही शुरू हुई।
सरपंच ने अपन बाते लोगो के बीच रखी।
सविता _आप सभी ग्राम वासी, यह जानने के उत्सुक होंगे की अचानक से यह ग्राम सभा क्यू रखा गया है?
मैने बहुत प्रयास किया की शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामवासी को भी मिले लेकिन मैं यह कार्य करने में असमर्थ रही। कल मैने और पंचों ने आवास योजना का लाभ हमारे गांव के गरीब लोगो को मिल सके जो झोपड़ी में रहने मजबूर हैं, उनके आवास को स्वीकृत कराने विधायक जी के कार्यालय गए थे।
लेकिन मैं यह कार्य करा पाने में असमर्थ रही।
मुझे लगता है कि मेरी जगह कोइ और सरपंच हो तो शायद वह यह कार्य स्वीकृत करा पाए।
चूंकि मैं शासन के किसी भी योजना का लाभ गांव के लोगो को दिला पा रही अतः मुझे पद पर बने रहने का कोइ अधिकार नहीं। इसलिए मैने सरपंच पद से इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।
मेरी जगह किसी अन्य पंच को यह जिम्मेदारी दिया जाए जो गांव के लोगो को शासन के योजनाओं का लाभ दिला सके।
आप सभी से निवेदन है कि मेरी बातो पर विचार करते हुए, किसी अन्य व्यक्ति को सरपंच के पद के लिए अपना सहमति बनाए।
सभी अपन विचार रखेंगे।
वहा पर मौजूद एक पंच ने कहा _सरपंच जी, विधायक जी तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझते हैं। वह नही चाहते की सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमारे गांव के लोगो को हो, इस बात से हम सभी अवगत है। ऐसे में मुझे नही लगता की कोइ यह कार्य करा पायेगा।
आप अपना स्तीफा देने का विचार त्याग दीजिए। फिर भी किसी को लगता है कि वह यह कार्य करा सकता है तो वह सामने आए। अपनी बात रखे।
लोग आपस में चर्चा करने लगे। काफी समय हो गया कोई व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कह सके की मैं लोगो को शासन की योजना का लाभ दिला सकता हूं। मैं सरपंच बनने इच्छुक हूं।
काफी समय हो जाने के बाद,,
गांव के एक व्यक्ति ने कहा _सरपंच जी, गांव में ऐसा कोई भी नही है जो विधायक जी के नाराजगी के चलते, लोगो को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सके।
गांव वालो का नसीब ही खराब है, पता नही कब तक हमे सुविधाओ से वंचित होना पड़ेगा।
सरपंच जी आपके स्तीफा देने से कोइ लाभ नहीं इसलिए, आप सरपंच पद से इस्तीफा देने का ख्याल छोड़ दीजिए।
क्यों भाईयो,,
सभी लोगो ने उस व्यक्ति की बातो में अपनी सहमति दिया।

सचिव _आगे हमें क्या करना चाहिए , इस पर आप लोग अपना विचार दीजिए।
कोइ भी लोग सामने नही आए की आगे क्या करना चाहिए।
राजेश वहा मौजूद था अब तक सभी की बातो को सुन रहा था और चुप था।
वह अपने स्थान से खड़ा होकर कहा,,
राजेश _अगर आप लोग मुझे अनुमति दे तो मैं आप लोगों के सामने अपना विचार रखना चाहता हूं।
सभा में मौजूद सभी लोग राजेश की ओर देखने लगे।
सचिव _आप अपना विचार देने के लिए मंच के सामने आइए और पहले अपना परिचय दीजिए।
राजेश मंच के सामने गया।
राजेश _मेरा नाम राजेश है। मेरे पिता जी का नाम शेखर है, और मानव प्रसाद मेरे दादा जी थे उसके दूसरे बेटे का मै पुत्र हूं। मैं कुछ दिन पहले ही यहां गांव आया हूं।
सचिव _कहिए आपके विचार से आगे हमें क्या करना चाहिए?
राजेश _देखिए, मुझे लगता है विधायक जी से पुनः मिलना चाहिए। उससे बाते करनी चाहिए। आखिर वह हमारे भी विधायक है। अपनी क्षेत्र के लोगो को शासन की सुविधा का लाभ पहुंचाना उनका फर्ज है।
बिना किसी भेदभाव के सभी की निःस्वर्थ भाव से सेवा करने की उसने विधनसभा में सपथ ली है। हमें उसे उस सपथ की याद दिलानी चाहिए।
गांव वाले राजेश की बातो को सुन कर आपस में चर्चा करने लगे।
सरपंच ने कहा _हमने काफी प्रयास किया, विधायक जी हमारी बात नहीं मानने वाले। उसके पास फिर से जाने से कोइ फायदा नहीं।
राजेश _सरपंच जी मुझे लगता है हमे एक कोशिश और करनी चाहिए। मुझे लगता है विधायक जी हमारी बात जरूर मानेंगे।
तभी एक पंच ने कहा _अगर तुम्हे लगता है की विधायक जी जरूर कहना मानेंगे तो तुम ही क्यू नही चले जाते विधायक जी के पास, हमारा प्रतिनिधि बनकर।
दूसरे पंच ने कहा _अगर तुमने गांव वालो को आवास योजना का लाभ दिला दिया, तो गांव वाले तुम्हे अपना सरपंच घोषित कर देगें। और गांव वाले वही करेंगे जो तुम कहोगे,क्यो भाईयो?
सभी लोगो ने हा कहा,,,
राजेश _अगर आप लोग ये चाहते है की मैं विधायक जी के पास आप लोगो का प्रतिनिधि बनकर जाऊ तो ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।
एक पंच _कैसी शर्त?
राजेश _मैं सरपंच पद के लिए नही जाऊंगा, मैं गांव वालो के भलाई के लिए ही जाऊंगा इसलिए, चाची जी ही सरपंच बनी रहेगी। और यह गांव उनके निर्देशो पर ही सब की सहमति से चलेगी।
पंच गण _ठीक है हम सबको मंजूर है? हम सब भी देखना चाहते हैं तुम क्या कर सकते हो?
राजेश _ठीक है मैं आप लोगों का प्रतिनिधि बनकर कल विधायक जी से मिलूंगा।
ग्राम सभा का समापन पश्चात भुवन और राजेश घर पहुंचे।
इधर गांव वालों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि राजेश गांव का प्रतिनिधि बन कर विधायक जी से मिलने जायेगा। पर सभी को यहीं लग रहा था की कुछ होने वाला नहीं है ऊपर से ठाकुर का आदमी राजेश की पिटाई न कर दे।
यह बात जब पदमा को पता चली।
रात में भोजन करते समय,,,
पदमा _राजेश बेटा ये मैं क्या सुन रही हूं, तुम गांव वालो का प्रतिनिधि बनकर, ठाकुर से मिलने जा रहे हो।
राजेश _हा ताई ये सच है।
पदमा _बेटा तुम्हे, फालतू में आफत मोल लेने की क्या जरूरत थी? यह जानते हुए भी की ठाकुर सुरज पूर वालो की भलाई कभी नहीं चाहेगा।
राजेश _ताई, मुझे गांव वालो की भलाई के लिए ठाकुर से मिलने जाना ही होगा।
पदमा _पर बेटा, ये ठाकुर सही आदमी नही है, उसके आदमी तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
राजेश _ताई, आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। ऐसा कुछ नहीं होगा।
भुवन _मां, तुम चिन्ता न करो, राजेश के साथ मैं भी चला जाऊंगा।
राजेश _नही भुवन भईया, इस बार मुझे अकेले ही जाना होगा।
राजेश के इस फैसले से घर वाले सभी चिंतित हो गए।
अगले दिन सुबह राजेश आखाड़ा गया, वहा पर बिरजू और उसके दोस्तो ने कहा,, राजेश अगर तुम चाहो तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे।
राजेश _नही, दोस्तो यह काम मेरे अकेले जाने से ही हो पाएगा।
बिरजू _ठीक है राजेश , अगर किसी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बताना।
राजेश _ठीक है बिरजू भाई।

राजेश घर गया और नहाकर तैयार हो गया।
राजेश _ताई, मुझे आज्ञा दीजिए मैं ठाकुर से मिलने जा रहा हूं।
ताई _बेटा, तुम्हे भेजने का तो मेरा मन नही है लेकिन तु जाना ही चाहता है तो मैं भगवान से प्रार्थना करुंगी तुम कामयाब होकर घर लौटा।
राजेश _अच्छा भुवन भईया मैं चलता हूं।
भुवन _राजेश, को गले लगाकर कहा, राजेश मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होकर लौटोगे।
राजेश भुवन का बाइक लेकर भानगढ़ निकल गया।
वह ठाकुर के हवेली पर पहुंचा।
ठाकुर के आदमी ने उन्हे अंदर जाने से रोका।
पहरेदार _तुम फिर आ गए। इस बार क्यू आए हो।
राजेश _मुझे ठाकुर साहब से मिलना है।
पहरेदार _तुम यहीं ठहरो, ठाकुर साहब तुमसे मिलना चाहते हैं कि नही, पता करने दो।
पहरेदार ने एक आदमी को ठाकुर के पास भेजा, जाओ ठाकुर साहब को बता कर आओ की, सुरज पूर से राजेश आया है वह आपसे मिलना चाहता है।

वह आदमी हवेली के अंदर गया। इस समय ठाकुर साहब हवेली में अपने परिवार के साथ डाइनिंग हॉल में नाश्ता कर रहा था।
आदमी _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
ठाकुर _वह यहां क्यू आया है? उनसे कहो कोइ काम है तो मुझसे लक्षमण पुर कार्यालय में मिले।
रत्ना _ये आप क्या कह रहे हैं जी, राजेश ने हमारी बेटी की जान बचाई है और आप उससे घर में भी नही मिल सकते।
दिव्या _हा पापा, उनसे अन्य लोगो की तरह ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं।
रत्ना, ने उस आदमी से कहा जाओ राजेश को अंदर लेकर आओ।
ठाकुर _अपने बेटियो वालो के बीच अच्छा बनकर रहना चाहता था। इस लिए उनका विरोध नही कर सका, वह सोचने लगा की आखिर साला यहां करने क्या आया है?
वह आदमी चला गया और राजेश को अंदर लेकर आया।
राजेश _नमस्ते ठाकुर साहब, नमस्ते मां जी।
रत्ना _नमस्ते राजेश। कैसे हो।
राजेश _अच्छा हूं मां जी।
रत्ना _बेटा कैसे आए हो? कुछ काम था क्या?
राजेश _, हा मां जी। ठाकुर साहब से कुछ काम था।
ठाकुर _बोलो क्या काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप उस दिन मुझे, दिव्या जी की मदद करने के बदले इनाम देने वाले थे, उस दिन तो मुझे ईनाम की आवश्यकता नहीं थी इसलिए लिया नही। आज मुझे ईनाम की जरूरत है।
ठाकुर _ओह तो तुम ईनाम लेने के लिए यहां आए हो।
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा मुनीम जी से कहो राजेश को 2लाख रुपए दे दे।
राजेश _ये क्या ठाकुर साहब, एक राजा की बेटी की जान की कीमत सिर्फ 2लाख,
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा की मुनीम जी से कहना की इसको 5लाख रुपए दे दे।
राजेश _सिर्फ 5लाख, ठाकुर साहब मैं तो बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया था।
रत्ना _राजेश क्या चाहिए तुम्हे, तुम ही बताओ।
ठाकुर _बोलो कितनी रकम चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब मुझे पैसा नही चाहिए।
ठाकुर _अगर पैसा नही चाहिए तो क्या चाहिए तुम्हे?
राजेश _मैं चाहता हूं की आप अपना फर्ज पूरा करे।
ठाकुर _कैसा फर्ज?
राजेश _वही जब आपने, विधायक बनने के बाद, विधनसभा में सपथ ली थी कि आप बिना किसी भेद भाव के निःस्वार्थ भाव से सभी लोगो को समान समझते हुए लोगो की सेवा करेंगे।
ठाकुर _आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, घुमा फिरा कर बात क्यू कर रहे हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब गांव के गरीब लोग, जो आज भी झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उन्हे नही मिल पा रहा है। गांव के पंचायत द्वारा उनका आवास का प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है, आप उन्हे स्वीकृत करा दीजिए। यहीं मेरा ईनाम होगा।
ठाकुर _मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ये तो पंचायत मंत्री का काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप चाहे तो सब हो सकता है? पर लगता है कि आप मेरा ईनाम देने के इच्छुक नहीं है?
ठीक है ठाकुर साहब मैं जा रहा हूं। मैं गलत था जो आपसे उम्मीद लेकर यहां चला आया।
राजेश जाने लगा।
रत्ना _रुको राजेश।
अजी, ये आप क्या कर रहे हैं? जिस लड़के ने आपके घर की इज़्ज़त की रक्षा की, आप उसके लिए एक छोटा सा काम नही कर सकते।
गीता _हा पिता जी मां ठीक कह रही है, आपके लिए तो ये छोटा सा काम है। फिर आप राजेश को मना क्यू कर रहे हैं? कुछ समझ नहीं आया।
दिव्या _पिता जी, मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं है। आप इस क्षेत्र के विधायक भी है, गांव के लोगो की मदद करनी चाहिए।
ठाकुर बुरी तरह फस चुका था।
वह अपनी बेटियो की नजर में गिरना नही चाहता था।
दिव्या _राजेश पिता जी तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।
पिता जी आप अभी मंत्री जी को फोन लगाइए।
गीता _हा पापा, आप मंत्री जी से बात कीजिए, वो आपका कहना जरूर मानेंगे।
ठाकुर मजबूर हो गया, वह अपनी बेटियो की नजर में अच्छा बना रहना चाहता था।
ठाकुर _ठीक भाई अगर तुम सब यहीं चाहते हो तो मैं बात करता हूं।
ठाकुर ने मंत्री को काल किया।
पंचायत मंत्री _अरे ठाकुर साहब बोलो कैसे याद किया हमें।
ठाकुर _मंत्री जी बस आपकी मदद चाइए था।
मंत्री _कैसी मदद, हम ने कभी कोइ बात टाली है आपकी कहिए क्या सेवा करनी है?
ठाकुर _सुरज पूर वालो का आवास का प्रस्ताव का फाइल आपके कार्यालय पहुंची होगी। आप उसको स्वीकृत कर दीजिए।
मंत्री _पर ठाकुर साहब आप तो पहले सुरज पूर वालो का कोइ भी कार्य को स्वीकृत करने से मना किया था। फिर आज,,
ठाकुर _अब बात क्या हो वो आपको बाद में बताऊंगा मंत्री जी, फिर हाल तो आप मेरा यह काम कर दीजिए।
मंत्री जी _ठीक है ठाकुर साहब आपका यह काम हो जायेगा।
आप निश्चिंत रहिए।
ठाकुर _शुक्रिया मंत्री जी।
ठाकुर ने फोन रख दिया।
अपनी बेटियो से कहा,
लो भई तुम लोगो के कहने पर मैंने मंत्री जी से बात कर ली। अब तो तुम लोग खुश हो।
दिव्या अपने पिता के गले लग गई। थैंक क्यू पापा मुझे आपसे यहीं उम्मीद थी। वह खुश होकर बोली।
ठाकुर _मुझे लक्षमण पुर कार्यालय जाना है भाई मेरा नाश्ता हो गया।
ठाकुर साहब डाइनिंग हॉल से निकल कर अपने कमरे में आ गया।
ठाकुर अपने आप बड़बड़ाने लगा,,
ये शाला राजेश सच में बड़ा चालाक निकला, जो काम मैं कभी नही करना चाहता था, मुझे मेरी बेटियो के बीच फसा कर,वह काम मुझसे करवा लिया।
इस साले की इलाज कराना जरूरी है।
पर अभी कुछ करना ठीक नहीं, मुझे मौका ढूंढना होगा।
इधर राजेश ने दिव्या, रत्ना और गीता जी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद् दिया,,
गीता भी धरम पुर जाने की बात कह कर अपने कमरे मे चली गईं।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं।
रत्ना _अरे बेटा, तुम नाश्ता करके जाना।
दिव्या _हां राजेश, मां ठीक कह रही है आओ बैठो।
राजेश _नही दिव्या जी, आप लोगो ने मेरी मदद की यहीं बहुत है मेरे लिए।
रत्ना _और तुमने हमारी मदद की वह क्या कम है, अब चुप चाप बैठो और नाश्ता करो।
राजेश कुर्सी पर बैठ गया। रत्ना ने उसे नाश्ता परोसी।
रत्ना _बेटा तेरा दादा जी मेरे ससुर जी के साथ अक्सर हवेली आया करते थे। वे मेरे ससुर जी के साथ भोजन किया करते थे।
वे मेरे हाथो से बने भोजन की बड़ी तारीफ किया करते थे।
पर उस घटना के बाद मैं भोजन बना ना ही बंद कर दी।
दिव्या _राजेश, मुझे तो जब तुमने कहा की मदद के बदले ईनाम लेने आए हो तो बड़ा अजीब लगा। पर जब तुमने बताया कि अपने लिए नहीं गांव के गरीब लोगो के लिए आए हो तो तुम्हारे लिए मेरे मन में इज्जत और बड़ गया।
रत्ना _बेटा, सच में तुम अपने दादा पर गए हो, जो हमेशा गांव वालो की भलाई के बारे में ही सोचता था।
नाश्ता कर लेने के बाद राजेश रत्ना और दिव्या से इजाजत लेकर अपना गांव लौट गया।
घर जाने के बाद घर वालो, दोस्तो और गांव वालो ने पूछा, की बात बनी की नही।
राजेश ने कहा की, बात तो किया है, पर काम huwa की नही बाद में पता चलेगा।
लोग तो राजेश का मजाक उड़ा रहे थे।
राजेश लोगो को बिना कोइ जवाब दिए खामोश रहता था।
आई ए एस का प्री एग्जाम पास आ रहा था राजेश तैयारी में लग गया।
बीच बीच मे पुनम से हसी मजाक कर लिया करता था।
क़रीब दो सप्ताह बाद सचिव को विभाग से फोन आया की तुम्हारे गांव के सभी लोगो का आवास स्वीकृत हो गया है। एक सप्ताह के अंदर सभी पात्र लोगो का बैंक खाता नंबर जमा कर दे, ताकि आवास की राशि उसके खाते में जमा किया जा सके।
इस बात की जानकारी सरपंच पंच और गांव वालो को huwa तो वे आश्चर्य में पड़ गए। एक लड़के ने ये असंभव काम को कैसे संभव कर लिया।
गांव वाले खुशी के मारे झूम उठे वे सभी भुवन के घर की ओर दौड़े।
दरवाजा खटखटाया।
पदमा ने दरवाजा खोला,,
गांव वाले _राजेश घर में है क्या चाची?
पदमा _क्यू क्या काम है उनसे, तुम लोग यहां क्यू भीड़ लगा रखे हो।
चाची _राजेश ने कमाल कर दिया। हम सब का आवास स्वीकृत हो गया है, हे भगवान हमें तो यकीन नही हो रहा है।
पदमा _बहुत खुश हो गई,

गांव वाले _राजेश बाबू को बुलाओ न चाची,
पदमा ₹रुको मैं अभी बुलाती हूं।
पदमा राजेश के रूम में गई,,
बेटा राजेश गांव वाले तुमसे मिलने आए है।
राजेश _ताई क्या बात है?
पदमा _वे कह रहे हैं की उनका आवास पास हो गया है, तुम्हे धन्यवाद देना चाहते हैं।
राजेश _अच्छा, गांव के लोगो का आवास पास हो गया ये तो बड़ी खुशी की बात है?
राजेश घर से बाहर आया, लोगो ने नारा लगाना शुरू कर दिया,, राजेश बाबू जिंदा बाद,, राजेश बाबू जिंदा बाद।
गांव वालो ने राजेश को अपने कंधे पर बिठा लिया।
और बाजे गाजे के साथ गांव में घूमाने लगा। सभी खुशियां मनाने लगे।
आखिर राजेश ने वह काम कर दिया था जिसके बारे में गांव के लोगो ने सोचा नहीं था।
मंदिर के पुजारी को जन इस बात का पता चला तो लोगो से कहा की मैने तो पहले ही कहा था की राजेश फरिश्ता बनकर यहां आया है।
उस दिन सभी गांव वाले जम कर नाच गाना किए। और राजेश की तारीफ किया।
राजेश गांव वालो की नजरो में काफी ऊंचा उठ गया था। अब उनकी नजरो में वह साधारण लडका नही रह गया था।
रात में लोगो के खुशियों में शामिल होने के बाद।
जब वह घर पहुंचा तो पदमा ने उसकी आरती उतारी, मेरे बेटे को किसी की नजर न लगे आज तुमने हमारे परिवार का नाम रोशन कर दिया।
राजेश दिनभर लोगो के बीच रह कर थक चुका था।
पदमा _बेटा थक गए होगे जाओ आराम करो।
राजेश अपने कमरे में सोने चला गया।
कुछ देर बाद, पुनम कमरे में पहुंची,,
देवर जी सोने से पहले दूध तो पी लो,,
राजेश बेड से उठा और गिलास लेकर दूध पीने लगा।
राजेश को दूध पीता देख पुनम मुस्कुराने लगी,,,
राजेश _भौजी, आज दूध का स्वाद कुछ दूसरा है!
पुनम _क्यू देवर जी दूध आपको अच्छा नही लगा क्या?
राजेश _नही ऐसी बात नहीं है दूध तो काफी स्वादिष्ट और मीठा था।
ये किसी और गाय का दूध थी क्या?

पुनम शर्मा ते हुई बोली _हा देवर जी। ये किसी और गाय की दूध थी। तुम जिद करते थे न की मां की दूध मिल जाता तो मजा आ जाता।
तो मैंने आज एक मां की दूध पिलाया है आपको, अपने चहरे को अपनी हाथो से छिपा ली।
राजेश _कहीं आप अपनी दूध तो नहीं,,,
पुनम शर्म से पानी पानी होते हुए बोली, इस घर में और किसके दूध आते है,,
राजेश _धन्यवाद भौजी, मेरी ईच्छा पूरी करने के लिए, पर,,
पुनम _पर क्या देवर जी,,,
राजेश _अगर मूंह से पिला देती तो और मजा आ जाता,,
पुनम _धत देवर जी तुम भी न,,,
वह शर्म के मारे पानी पानी होती हुई अपने कमरे में भाग गई,,,,

Bahut hi umda update he rajesh bhagat Bhai,

Rajesh badi hi chalaki se thakur se gaanv valo ka kaam karwaya he...........

Punam ne bhi isi khushi me apna dudh pila diya rajesh ko........lekin glass se.........

Keep rocking Bro
 

Ek number

Well-Known Member
8,765
18,873
173
अगले दिन सुबह उठते ही अखाड़ा, चला गया, वहा अखाड़े पे लड़के कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे।
बिरजू _अरे राजेश, आओ।
राजेश _अरे बिरजू भईया, लगता है कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी बड़े जोरों से चल रही है।
बिरजू _हा राजेश, इस बार लड़के बड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस बार हर हाल में यह प्रतियोगिता जितना है।
हर बार भानगढ़ वाले ही यह प्रतियोगिता जीतता आया है।
पर इस बार हम उन्हे कड़ी टक्कर देना चाहते हैं।
राजेश, मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
राजेश _बोलो बिरजू भईया क्या बात है?
बिरजू _क्यू न तुम भी हमारी कबड्डी टीम में शामिल हो जाओ।
मुझे लगता है हमारी टीम अभी परफेक्ट नही है। तुम्हारा शरीर एकदम फिट है।
राजेश_पर बिरजू भईया मैने तो कभी कबड्डी खेली नही है।
बिरजू _राजेश, कबड्डी ताकत और दिमाक दोनो का खेल है और मुझे लगता है ये दोनो तुम्हारे पास है।
अभी कबड्डी प्रतियोगिता में थोड़ा समय है तब तक तुम अच्छे से सीख जाओगे।
राजेश _बिरजू भईया, आप कह रहे हो तो मैं टीम में शामिल होने तैयार हूं, लेकिन सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। किसी ने मना किया तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।
बिरजू के दोस्त _राजेश, तुम भी कबड्डी की प्रैक्टिस करो, अगर तुम्हारा खेल अच्छा लगा तो कोइ तुम्हारे टीम में शामिल होने से नाराज नहीं होंगे।
बिरजू _हा, ये ठीक रहेगा।
राजेश _ठीक है।
बिरजू _तो ठीक है, चलो आज से ही प्रैक्टिस शुरू कर दो।
राजेश भी उन लोगों के साथ प्रैक्टिस करने लगा।
इधर हवेली में मंत्री और उसके परिवार घर जाने के लिए तैयार हो गए।
मंत्री _अच्छा ठाकुर साहब अब हमें इजाज़त दीजिए।
ठाकुर _अरे यार, नाश्ता तैयार हो चूका है। नाश्ता करके निकलना, मैं तो कह रहा था कि भाभी जी और विक्की को कुछ दिनो के लिए यहीं छोड़ दो। अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। हमारे परिवार एक दूसरे को अच्छे से जान लेंगे।
मंत्री जी _ठाकुर साहब, इन लोगो को यहीं कुछ दिनो के लिए छोड़ तो देता, पर कुछ काम है, कुछ मेहमान भी घर में आने वाले हैं इसलिए जाना जरूरी है।
कुछ दिनो बाद विक्की को भेज दूंगा, दिव्या और विक्की एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लेंगे।
ठाकुर _ठीक है ठाकुर साहब जैसी आपकी ईच्छा। आइए नाश्ता करते है।
मंत्री और ठाकुर के परिवार सभी डाइनिंग हॉल में एक साथ बैठ कर भोजन करने लगते है।
ठाकुर अपने बीबी रत्ना से कहा,,
ठाकुर _रत्ना, मंत्री जी अपने बेटे विक्की के लिए दिव्या का हाथ मांग रहे हैं।
मैंने तो कहा ये हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है। तुम्हारा क्या विचार है।
रत्ना _जैसे आप उचित समझे, पर एक बार दिव्या को पुछ लेते तो,,,
ठाकुर _दिव्या हमारी लाडली बेटी है, हम जो भी फ़ैसला लेंगे उसकी भलाई के लिए लेंगे। वैसे तुम कह रही हो तो अभी पुछ लेते हैं।
बेटी दिव्या, विक्की के साथ शादी होने से तुम्हे कोइ एतराज तो नही। मैने तो हा कह दिया है, फिर भी अगर तुम्हे कोइ आपत्ति हो तो कह सकती हो,,
दिव्या ने अपनी मां की ओर देखा,,
वह क्या कहे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दिव्या _पिता जी, इतनी जल्दी शादी, अभी तो मुझे बड़ा सा हॉस्पिटल खोलकर लोगो की सेवा करनी है। मैं डाक्टर ही इसलिए बनी हूं की हमारा क्षेत्र काफी पिछड़ा है यहां के लोगो को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है, मैं शादी करके यहां से चली गई तो, मेरा डाक्टर बनने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
मंत्री _अरे बेटा, तुम चिन्ता मत करो, तुम चाहो तो शादी के बाद यहीं रहना, विक्की, आना जाना करता रहेगा।
ठाकुर _लो, बेटी अब तो तुम्हारा डाक्टर बनने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और शादी भी।
अब तो कोइ समस्या नहीं न,,
दिव्या _जी पापा,,
दिव्या और कुछ बोल नहीं पाई।
ठाकुर _लो मंत्री जी, मिठाई खाओ, अब तो सभी तैयार है शादी के लिए।
ठाकुर ने रागनी के पैर को अपनें पैर से सहलाया और आंखे मारी।
रागिनी मुस्कुराने लगी।
भाभी जी क्यू न आप कुछ दिन यहीं रुक जाती, यहां पहाड़, झरने घांटी, और भी बहुत कुछ है देखने के लिए। आपको कुछ दिन स्वर्ग की सैर करा देते।
रागिनी _भाई साहब मेरी भी बड़ी ईच्छा थी स्वर्ग की सैर करने की पर क्या करे मजबूरी है जाना पड़ेगा।
ठाकुर _कोइ बात नहीं भाभी जी अब तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। जन्नत की सैर जब आवोगी तब करा देगें।
रागिनी की पैर को अपनें पैर से सहलाते हुए कहा।
नाश्ता कर लेने के बाद, मंत्री और उसके परिवार ठाकुर परिवार से इजाज़त लेकर घर चले गए।
इधर ठाकुर कुछ समय के बाद लक्षमण पुर कार्यालय चले गए जहा लोगो की समस्या सुनते थे।
इधर राजेश जब आखाड़ा से आया।
भुवन _अरे राजेश, आ गया अखाड़े से।
राजेश _हां, भईया।
भुवन _जाओ नहाकर तैयार हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं। मुझे बापू के लिए नाश्ता लेकर खेत भी जाना है।
राजेश _ठीक है भईया।
राजेश पीछे बाड़ी में जाकर फ्रेश होकर नहाने लगा।
तभी वहा पुनम नाश्ता बनाने के बाद बर्तन धोने के लिए बर्तन धोने पहुंची।
पुनम _क्यू देवर जी कैसा रहा कल की पार्टी?
राजेश _भुवन भईया ने तो बताया होगा ही भौजी!
पुनम _तुम्हारे भईया तो बता रहा था कि तुमने पार्टी में गाना गया। तुमने कभी बताया नही की तुम गाना भी गाते हो।
राजेश _आपने तो कभी पूछा नही भौजी।
पुनम _अच्छा ये बताओ अपनी भौजी को कब गाना सुनाओगे?
राजेश _आप जब कहो, पर गाना सुनाने के बदले दोगी क्या?
पुनम _क्या चाहिए तूमको?
राजेश _जो मांगूंगा वो दोगी, बोलो?
पुनम _मुझे पता है तुम क्या मांगोगे?
राजेश _अच्छा, ये मैं भी तो जानू, मैं क्या मांगने वाला हूं?
पुनम _मां का दूध।
दोनो खिलखिलकर हसने लगे।
राजेश _वाह भौजी तुम तो अंतर्यामी हो? बिना बताए ही जान जाती हो।
पुनम _बच्चू मुझे सब पता है तुम्हारे इरादे क्या है?
पुनम बर्तन धो रही थी, और राजेश अपने बदन में साबुन लगा रहा था।
राजेश _क्या इरादे है भौजी, मैं भी तो जानू?
पुनम _यहीं कि तुम्हारे इरादे नेक नही है।
राजेश _वो कैसे?
पुनम _तुम्हारे उम्र के लड़के दूध पीता कम है और दूध के गुब्बारे से खेलता ज्यादा है।
राजेश _हूं, मतलब तुम मुझे उन्ही लड़को में से एक समझती हो। मैं वैसा नही हूं? मैं उससे खेलूंगा नही सिर्फ पियूंगा।
पुनम _न बाबा, तुम्हारे उम्र के लड़को का कोइ भरोसा नहीं। मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली।
राजेश _ठीक है फिर मैं भी गाना तभी सुनाऊंगा, जब दोगी?
पुनम _ मतलब तुम मतलबी हो।
पुनम नाराज होते हुए बोली?
राजेश _अरे भौजी, लगता है तुम नाराज हो गई। मैं तो मजाक कर रहा था। हम फ्री में सुना देगें अपनी भौजी को गाना। पर सही समय आने पर।
पुनम _प्रोमिस।
राजेश _प्रोमिस।
पुनम बर्तन धो कर चली।
राजेश भी नहाकर चला गया।
नाश्ता करने के बाद भुवन खेत चला गया और राजेश आईएएस की तैयारी करने लगा।
इधर सरपंच, सचिव और पंचगण विधायक जी से मिलने के लिए उसके लक्ष्मण पुर कार्यालय पहुंचे।
कार्यलय के सामने विधायक जी से मिलने लोगो की भीड़ थी। विधायक के पी ए से लोग अपने आने का प्रयोजन बता रहे थे।
एक एक करके विधायक का पीए विधायक से मिलने के लिए अंदर भेज रहे थे।
पीए _विधायक जी, सुरज पूर के सरपंच सविता जी अपने को लेकर आए हैं आपसे मिलने।
ठाकुर _क्या? सुरज पूर की सरपंच आई है?
वे लोग क्यू आए हैं? उन्हे पता है हम उनसे मिलना नही चाहते फिर भी। क्या समस्या लेकर आए है?
पीए _आवास योजना से संबंधित है।
ठाकुर _हा हा हा, आखिर मेरे चौखट पे आने मजबूर हो ही गए।
पीए _क्या करना है विधायक जी। उन्हे अंदर भेजूं।
ठाकुर _आने दो, मैं भी तो जानू, देखू क्या फरियाद करते हैं, पर सिर्फ सरपंच को ही अंदर भेजना।
पीए _ठीक है विधायक जी।
पीए ने बाहर जाकर सविता से कहा सिर्फ सरपंच ही अंदर जा सकता है?
सविता ने सभी लोगो से कहा की तुम लोग यहीं रुको मैं विधायक जी से मिलकर आती हूं।
सविता अंदर गई।
ठाकुर _आइए सविता जी, कहिए क्या फरियाद लेकर आई है आप।
सविता _नमस्ते विधायक जी।
ठाकुर _नमस्ते, आइए बैठिए।
विधायक _कहिए क्या सेवा कर सकता हूं मैं।
विधायक ने अपने अपने सेवक से कहा।
सविता जी पहली बार हमारे कार्यालय में आई है। इनके लिए चाय वगैरा लाओ।
सविता _नही विधायक जी इसकी कोइ आवश्यकता नहीं।
ठाकुर _अरे, सरपंच साहिबा, पहली बार आई हो हमारे कार्यालय, चाय वगैरा तो लीजिए।
कहिए क्या सेवा कर सकता हूं आपका।
सविता _विधायक जी, जानती हूं की आप सुरज पूर वालो को पसन्द नही करते फिर भी मैं मजबूर हो कर आपके पास आई हूं।
ठाकुर _कहिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई की हमारे पास आपको आना पड़ा, मैं भी तो जानू, हा हा हा,,,
सविता _विधायक जी, हमारे गांव के गरीब लोगो को आवास योजना का लाभ अब तक नही मिल पाया है। हम हर साल प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजते हैं लेकिनसुरज पूर के किसी भी गरीब परिवार का, आवास पास नही होता।
गांव के गरीब लोग बहुत दुखी हैं।
ठाकुर _सविता जी, इसमें मैं क्या कर सकता हूं। पंचायत मंत्री ही आपके समस्या का समाधान कर सकते है । उनसे मिलिए।
सविता _पिछले वर्ष उनके पास गई थी, आश्वासन दिया था लेकिन किसी का भी आवास स्वीकृत नहीं huwa,
अगर मंत्री जी से आप बात करते तो, आखिर आप हमारे विधायक है।
ठाकुर _सुरज पूर वालो ने हमें बहुत दुख पहुंचाया है। हम उनका अनुसंसा क्यू करेंगे सविता जी।
आप हमसे बेकार ही उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपकी पर्सनल कोइ सेवा हो तो बताइए, उस पर विचार कर सकता हूं।
सविता _विधायक जी, मेरी पर्सनल कोइ समस्या है नही, गांव के गरीब लोगो के लिए ही आई थी। अगर हो सके तो उनके भलाई के लिए आवास स्वीकृत करा दीजिए। बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।
ठाकुर_सविता जी कहा न मैं गांव वालो की कोइ मदद नहीं कर सकता, आप जा सकती है।
सविता निराश होकर, वापस जाने लगी।
तभी ठाकुर ने कहा,,,
देखिए सविता जी, आपको निराश होकर इस तरह हमारे कार्यालय से जाता देख बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है।
अगर तुम चाहो तो, सुरज पूर वालो की आवास के लिए मंत्री जी से अनुसांसा कर सकता हूं, पर इससे हमें क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _यहीं तो दिक्कत है न अगर समझ जाती तो निराश होकर जाना नही पड़ता। हमें अपने दुश्मनों की मदद करने के बदले
क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं आपको विश्वास दिलाती हूं इस बार चुनाव में गांव के सारे वोट आपको ही मिलेंगे।
ठाकुर _सविता जी मुझे सुरज पूर वालो का वोट नही चाहिए। हम तो चुनाव ऐसे ही जीत जायेंगे।
सविता _तो विधायक जी, आप क्या चाहते हैं?
विधायक _सविता जी हमें तो बस आपका साथ चाहिए।
सविता _विधायक जी, मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _सविता जी, हम चाहते है की कुछ समय हमारे साथ बिताओ।
सविता _विधायक जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
विधायक _देखिए सविता जी अगर गांव के लोगो का आवास पास हो गया, तो आप पर लोगो का भरोसा बड़ेगा । नही तो लोग तो यहीं कहेंगे की एक भी योजना का लाभ दिला नही पाई, इन्हे सरपंच बनाने का क्या फायदा?
सविता _विधायक जी, मैं अपनी सरपंच पद बनाए रखने के लिए, अपनी इज़्ज़त नही बेच सकती।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो इतना समय दिया।
विधायक _ठीक है, सविता जी जाइए? कोइ जबरदस्ती तो है नही, फिर भी विचार बदल जाए तो आ जाना।
सविता वहा से चली गई, लोगो ने बाहर जाने पर पूछा की क्या huwa
सविता ने कहा, विधायक जी ने आवास योजना की स्वीकृत हेतु अनुसंसा करने से इंकार कर दिया।
लोग निराश होकर गांव लौट गए।


घर जाने के बाद सविता ने काफी विचार किया और अन्त में यह निष्कर्ष निकाला की वह गांव के लोगो को उनका हक दिला पाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे देगी।
अगले दिन सविता ने ग्राम सभा का आयोजन रखा।
लोगो को पता चल चुका था कि आज सविता जी सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
यह बात पुरे गांव में फैल गया।
इस बात की जिक्र जब भुवन और राजेश नाश्ता करने बैठे थे। पदमा ने छेड़ा।
पदमा _बेटा भुवन आज तुम खेत मत जाओ। आज प्रात: दस बजे तुम्हारी चाची ने ग्राम सभा रखा है। लोगो से पता चला है कि तुम्हारी चाची सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
राजेश _ताई ये आप क्या कह रही है?
पुनम _हां मैने भी यहीं सुना है?
राजेश _पर चाची ऐसा क्यू कर रही है?
पदमा _यह तो ग्राम सभा में ही सविता बताएगी आखिर वह सरपंच पद से इस्तीफा क्यू दे रही है।
भुवन बेटा तुम ग्राम सभा में चले जाना, पता तो चले कि आखिर बात क्या है?

भुवन _ठीक है मां।
प्रातः 10बजे, भुवन ने पदमा से कहा,,,
मां मैं ग्राम पंचायत कार्यालय जा रहा हूं। ग्राम सभा में,,
पदमा _ठीक है बेटा,,
भुवन जा रहा था तभी,,
राजेश _रुको, भुवन भईया, मैं भी जाना चाहता हूं आपके साथ।
भुवन _अरे राजेश, तुम वहां जा कर क्या करोगे?
राजेश _मैं भी देखना चाहता हूं की गांव में ग्राम सभा कैसे होता है?
भुवन _ठीक है, राजेश तुम्हारी ईच्छा है तो तुम भी चलो।
राजेश और भुवन दोनो ग्राम सभा में शामिल होने ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल पड़े।
उधर ग्राम पंचायत के सभा हाल में गांव के लोग एकत्रित हो चूके थे।
सरपंच, सचिव और पंच गण, अपने स्थान पर बैठ चूके थे।
तभी राजेश और भुवन भी वहां पहुंचे।
ग्राम सभा की कार्यवाही शुरू हुई।
सरपंच ने अपन बाते लोगो के बीच रखी।
सविता _आप सभी ग्राम वासी, यह जानने के उत्सुक होंगे की अचानक से यह ग्राम सभा क्यू रखा गया है?
मैने बहुत प्रयास किया की शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामवासी को भी मिले लेकिन मैं यह कार्य करने में असमर्थ रही। कल मैने और पंचों ने आवास योजना का लाभ हमारे गांव के गरीब लोगो को मिल सके जो झोपड़ी में रहने मजबूर हैं, उनके आवास को स्वीकृत कराने विधायक जी के कार्यालय गए थे।
लेकिन मैं यह कार्य करा पाने में असमर्थ रही।
मुझे लगता है कि मेरी जगह कोइ और सरपंच हो तो शायद वह यह कार्य स्वीकृत करा पाए।
चूंकि मैं शासन के किसी भी योजना का लाभ गांव के लोगो को दिला पा रही अतः मुझे पद पर बने रहने का कोइ अधिकार नहीं। इसलिए मैने सरपंच पद से इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।
मेरी जगह किसी अन्य पंच को यह जिम्मेदारी दिया जाए जो गांव के लोगो को शासन के योजनाओं का लाभ दिला सके।
आप सभी से निवेदन है कि मेरी बातो पर विचार करते हुए, किसी अन्य व्यक्ति को सरपंच के पद के लिए अपना सहमति बनाए।
सभी अपन विचार रखेंगे।
वहा पर मौजूद एक पंच ने कहा _सरपंच जी, विधायक जी तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझते हैं। वह नही चाहते की सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमारे गांव के लोगो को हो, इस बात से हम सभी अवगत है। ऐसे में मुझे नही लगता की कोइ यह कार्य करा पायेगा।
आप अपना स्तीफा देने का विचार त्याग दीजिए। फिर भी किसी को लगता है कि वह यह कार्य करा सकता है तो वह सामने आए। अपनी बात रखे।
लोग आपस में चर्चा करने लगे। काफी समय हो गया कोई व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कह सके की मैं लोगो को शासन की योजना का लाभ दिला सकता हूं। मैं सरपंच बनने इच्छुक हूं।
काफी समय हो जाने के बाद,,
गांव के एक व्यक्ति ने कहा _सरपंच जी, गांव में ऐसा कोई भी नही है जो विधायक जी के नाराजगी के चलते, लोगो को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सके।
गांव वालो का नसीब ही खराब है, पता नही कब तक हमे सुविधाओ से वंचित होना पड़ेगा।
सरपंच जी आपके स्तीफा देने से कोइ लाभ नहीं इसलिए, आप सरपंच पद से इस्तीफा देने का ख्याल छोड़ दीजिए।
क्यों भाईयो,,
सभी लोगो ने उस व्यक्ति की बातो में अपनी सहमति दिया।

सचिव _आगे हमें क्या करना चाहिए , इस पर आप लोग अपना विचार दीजिए।
कोइ भी लोग सामने नही आए की आगे क्या करना चाहिए।
राजेश वहा मौजूद था अब तक सभी की बातो को सुन रहा था और चुप था।
वह अपने स्थान से खड़ा होकर कहा,,
राजेश _अगर आप लोग मुझे अनुमति दे तो मैं आप लोगों के सामने अपना विचार रखना चाहता हूं।
सभा में मौजूद सभी लोग राजेश की ओर देखने लगे।
सचिव _आप अपना विचार देने के लिए मंच के सामने आइए और पहले अपना परिचय दीजिए।
राजेश मंच के सामने गया।
राजेश _मेरा नाम राजेश है। मेरे पिता जी का नाम शेखर है, और मानव प्रसाद मेरे दादा जी थे उसके दूसरे बेटे का मै पुत्र हूं। मैं कुछ दिन पहले ही यहां गांव आया हूं।
सचिव _कहिए आपके विचार से आगे हमें क्या करना चाहिए?
राजेश _देखिए, मुझे लगता है विधायक जी से पुनः मिलना चाहिए। उससे बाते करनी चाहिए। आखिर वह हमारे भी विधायक है। अपनी क्षेत्र के लोगो को शासन की सुविधा का लाभ पहुंचाना उनका फर्ज है।
बिना किसी भेदभाव के सभी की निःस्वर्थ भाव से सेवा करने की उसने विधनसभा में सपथ ली है। हमें उसे उस सपथ की याद दिलानी चाहिए।
गांव वाले राजेश की बातो को सुन कर आपस में चर्चा करने लगे।
सरपंच ने कहा _हमने काफी प्रयास किया, विधायक जी हमारी बात नहीं मानने वाले। उसके पास फिर से जाने से कोइ फायदा नहीं।
राजेश _सरपंच जी मुझे लगता है हमे एक कोशिश और करनी चाहिए। मुझे लगता है विधायक जी हमारी बात जरूर मानेंगे।
तभी एक पंच ने कहा _अगर तुम्हे लगता है की विधायक जी जरूर कहना मानेंगे तो तुम ही क्यू नही चले जाते विधायक जी के पास, हमारा प्रतिनिधि बनकर।
दूसरे पंच ने कहा _अगर तुमने गांव वालो को आवास योजना का लाभ दिला दिया, तो गांव वाले तुम्हे अपना सरपंच घोषित कर देगें। और गांव वाले वही करेंगे जो तुम कहोगे,क्यो भाईयो?
सभी लोगो ने हा कहा,,,
राजेश _अगर आप लोग ये चाहते है की मैं विधायक जी के पास आप लोगो का प्रतिनिधि बनकर जाऊ तो ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।
एक पंच _कैसी शर्त?
राजेश _मैं सरपंच पद के लिए नही जाऊंगा, मैं गांव वालो के भलाई के लिए ही जाऊंगा इसलिए, चाची जी ही सरपंच बनी रहेगी। और यह गांव उनके निर्देशो पर ही सब की सहमति से चलेगी।
पंच गण _ठीक है हम सबको मंजूर है? हम सब भी देखना चाहते हैं तुम क्या कर सकते हो?
राजेश _ठीक है मैं आप लोगों का प्रतिनिधि बनकर कल विधायक जी से मिलूंगा।
ग्राम सभा का समापन पश्चात भुवन और राजेश घर पहुंचे।
इधर गांव वालों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि राजेश गांव का प्रतिनिधि बन कर विधायक जी से मिलने जायेगा। पर सभी को यहीं लग रहा था की कुछ होने वाला नहीं है ऊपर से ठाकुर का आदमी राजेश की पिटाई न कर दे।
यह बात जब पदमा को पता चली।
रात में भोजन करते समय,,,
पदमा _राजेश बेटा ये मैं क्या सुन रही हूं, तुम गांव वालो का प्रतिनिधि बनकर, ठाकुर से मिलने जा रहे हो।
राजेश _हा ताई ये सच है।
पदमा _बेटा तुम्हे, फालतू में आफत मोल लेने की क्या जरूरत थी? यह जानते हुए भी की ठाकुर सुरज पूर वालो की भलाई कभी नहीं चाहेगा।
राजेश _ताई, मुझे गांव वालो की भलाई के लिए ठाकुर से मिलने जाना ही होगा।
पदमा _पर बेटा, ये ठाकुर सही आदमी नही है, उसके आदमी तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
राजेश _ताई, आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। ऐसा कुछ नहीं होगा।
भुवन _मां, तुम चिन्ता न करो, राजेश के साथ मैं भी चला जाऊंगा।
राजेश _नही भुवन भईया, इस बार मुझे अकेले ही जाना होगा।
राजेश के इस फैसले से घर वाले सभी चिंतित हो गए।
अगले दिन सुबह राजेश आखाड़ा गया, वहा पर बिरजू और उसके दोस्तो ने कहा,, राजेश अगर तुम चाहो तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे।
राजेश _नही, दोस्तो यह काम मेरे अकेले जाने से ही हो पाएगा।
बिरजू _ठीक है राजेश , अगर किसी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बताना।
राजेश _ठीक है बिरजू भाई।

राजेश घर गया और नहाकर तैयार हो गया।
राजेश _ताई, मुझे आज्ञा दीजिए मैं ठाकुर से मिलने जा रहा हूं।
ताई _बेटा, तुम्हे भेजने का तो मेरा मन नही है लेकिन तु जाना ही चाहता है तो मैं भगवान से प्रार्थना करुंगी तुम कामयाब होकर घर लौटा।
राजेश _अच्छा भुवन भईया मैं चलता हूं।
भुवन _राजेश, को गले लगाकर कहा, राजेश मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होकर लौटोगे।
राजेश भुवन का बाइक लेकर भानगढ़ निकल गया।
वह ठाकुर के हवेली पर पहुंचा।
ठाकुर के आदमी ने उन्हे अंदर जाने से रोका।
पहरेदार _तुम फिर आ गए। इस बार क्यू आए हो।
राजेश _मुझे ठाकुर साहब से मिलना है।
पहरेदार _तुम यहीं ठहरो, ठाकुर साहब तुमसे मिलना चाहते हैं कि नही, पता करने दो।
पहरेदार ने एक आदमी को ठाकुर के पास भेजा, जाओ ठाकुर साहब को बता कर आओ की, सुरज पूर से राजेश आया है वह आपसे मिलना चाहता है।

वह आदमी हवेली के अंदर गया। इस समय ठाकुर साहब हवेली में अपने परिवार के साथ डाइनिंग हॉल में नाश्ता कर रहा था।
आदमी _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
ठाकुर _वह यहां क्यू आया है? उनसे कहो कोइ काम है तो मुझसे लक्षमण पुर कार्यालय में मिले।
रत्ना _ये आप क्या कह रहे हैं जी, राजेश ने हमारी बेटी की जान बचाई है और आप उससे घर में भी नही मिल सकते।
दिव्या _हा पापा, उनसे अन्य लोगो की तरह ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं।
रत्ना, ने उस आदमी से कहा जाओ राजेश को अंदर लेकर आओ।
ठाकुर _अपने बेटियो वालो के बीच अच्छा बनकर रहना चाहता था। इस लिए उनका विरोध नही कर सका, वह सोचने लगा की आखिर साला यहां करने क्या आया है?
वह आदमी चला गया और राजेश को अंदर लेकर आया।
राजेश _नमस्ते ठाकुर साहब, नमस्ते मां जी।
रत्ना _नमस्ते राजेश। कैसे हो।
राजेश _अच्छा हूं मां जी।
रत्ना _बेटा कैसे आए हो? कुछ काम था क्या?
राजेश _, हा मां जी। ठाकुर साहब से कुछ काम था।
ठाकुर _बोलो क्या काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप उस दिन मुझे, दिव्या जी की मदद करने के बदले इनाम देने वाले थे, उस दिन तो मुझे ईनाम की आवश्यकता नहीं थी इसलिए लिया नही। आज मुझे ईनाम की जरूरत है।
ठाकुर _ओह तो तुम ईनाम लेने के लिए यहां आए हो।
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा मुनीम जी से कहो राजेश को 2लाख रुपए दे दे।
राजेश _ये क्या ठाकुर साहब, एक राजा की बेटी की जान की कीमत सिर्फ 2लाख,
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा की मुनीम जी से कहना की इसको 5लाख रुपए दे दे।
राजेश _सिर्फ 5लाख, ठाकुर साहब मैं तो बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया था।
रत्ना _राजेश क्या चाहिए तुम्हे, तुम ही बताओ।
ठाकुर _बोलो कितनी रकम चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब मुझे पैसा नही चाहिए।
ठाकुर _अगर पैसा नही चाहिए तो क्या चाहिए तुम्हे?
राजेश _मैं चाहता हूं की आप अपना फर्ज पूरा करे।
ठाकुर _कैसा फर्ज?
राजेश _वही जब आपने, विधायक बनने के बाद, विधनसभा में सपथ ली थी कि आप बिना किसी भेद भाव के निःस्वार्थ भाव से सभी लोगो को समान समझते हुए लोगो की सेवा करेंगे।
ठाकुर _आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, घुमा फिरा कर बात क्यू कर रहे हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब गांव के गरीब लोग, जो आज भी झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उन्हे नही मिल पा रहा है। गांव के पंचायत द्वारा उनका आवास का प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है, आप उन्हे स्वीकृत करा दीजिए। यहीं मेरा ईनाम होगा।
ठाकुर _मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ये तो पंचायत मंत्री का काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप चाहे तो सब हो सकता है? पर लगता है कि आप मेरा ईनाम देने के इच्छुक नहीं है?
ठीक है ठाकुर साहब मैं जा रहा हूं। मैं गलत था जो आपसे उम्मीद लेकर यहां चला आया।
राजेश जाने लगा।
रत्ना _रुको राजेश।
अजी, ये आप क्या कर रहे हैं? जिस लड़के ने आपके घर की इज़्ज़त की रक्षा की, आप उसके लिए एक छोटा सा काम नही कर सकते।
गीता _हा पिता जी मां ठीक कह रही है, आपके लिए तो ये छोटा सा काम है। फिर आप राजेश को मना क्यू कर रहे हैं? कुछ समझ नहीं आया।
दिव्या _पिता जी, मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं है। आप इस क्षेत्र के विधायक भी है, गांव के लोगो की मदद करनी चाहिए।
ठाकुर बुरी तरह फस चुका था।
वह अपनी बेटियो की नजर में गिरना नही चाहता था।
दिव्या _राजेश पिता जी तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।
पिता जी आप अभी मंत्री जी को फोन लगाइए।
गीता _हा पापा, आप मंत्री जी से बात कीजिए, वो आपका कहना जरूर मानेंगे।
ठाकुर मजबूर हो गया, वह अपनी बेटियो की नजर में अच्छा बना रहना चाहता था।
ठाकुर _ठीक भाई अगर तुम सब यहीं चाहते हो तो मैं बात करता हूं।
ठाकुर ने मंत्री को काल किया।
पंचायत मंत्री _अरे ठाकुर साहब बोलो कैसे याद किया हमें।
ठाकुर _मंत्री जी बस आपकी मदद चाइए था।
मंत्री _कैसी मदद, हम ने कभी कोइ बात टाली है आपकी कहिए क्या सेवा करनी है?
ठाकुर _सुरज पूर वालो का आवास का प्रस्ताव का फाइल आपके कार्यालय पहुंची होगी। आप उसको स्वीकृत कर दीजिए।
मंत्री _पर ठाकुर साहब आप तो पहले सुरज पूर वालो का कोइ भी कार्य को स्वीकृत करने से मना किया था। फिर आज,,
ठाकुर _अब बात क्या हो वो आपको बाद में बताऊंगा मंत्री जी, फिर हाल तो आप मेरा यह काम कर दीजिए।
मंत्री जी _ठीक है ठाकुर साहब आपका यह काम हो जायेगा।
आप निश्चिंत रहिए।
ठाकुर _शुक्रिया मंत्री जी।
ठाकुर ने फोन रख दिया।
अपनी बेटियो से कहा,
लो भई तुम लोगो के कहने पर मैंने मंत्री जी से बात कर ली। अब तो तुम लोग खुश हो।
दिव्या अपने पिता के गले लग गई। थैंक क्यू पापा मुझे आपसे यहीं उम्मीद थी। वह खुश होकर बोली।
ठाकुर _मुझे लक्षमण पुर कार्यालय जाना है भाई मेरा नाश्ता हो गया।
ठाकुर साहब डाइनिंग हॉल से निकल कर अपने कमरे में आ गया।
ठाकुर अपने आप बड़बड़ाने लगा,,
ये शाला राजेश सच में बड़ा चालाक निकला, जो काम मैं कभी नही करना चाहता था, मुझे मेरी बेटियो के बीच फसा कर,वह काम मुझसे करवा लिया।
इस साले की इलाज कराना जरूरी है।
पर अभी कुछ करना ठीक नहीं, मुझे मौका ढूंढना होगा।
इधर राजेश ने दिव्या, रत्ना और गीता जी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद् दिया,,
गीता भी धरम पुर जाने की बात कह कर अपने कमरे मे चली गईं।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं।
रत्ना _अरे बेटा, तुम नाश्ता करके जाना।
दिव्या _हां राजेश, मां ठीक कह रही है आओ बैठो।
राजेश _नही दिव्या जी, आप लोगो ने मेरी मदद की यहीं बहुत है मेरे लिए।
रत्ना _और तुमने हमारी मदद की वह क्या कम है, अब चुप चाप बैठो और नाश्ता करो।
राजेश कुर्सी पर बैठ गया। रत्ना ने उसे नाश्ता परोसी।
रत्ना _बेटा तेरा दादा जी मेरे ससुर जी के साथ अक्सर हवेली आया करते थे। वे मेरे ससुर जी के साथ भोजन किया करते थे।
वे मेरे हाथो से बने भोजन की बड़ी तारीफ किया करते थे।
पर उस घटना के बाद मैं भोजन बना ना ही बंद कर दी।
दिव्या _राजेश, मुझे तो जब तुमने कहा की मदद के बदले ईनाम लेने आए हो तो बड़ा अजीब लगा। पर जब तुमने बताया कि अपने लिए नहीं गांव के गरीब लोगो के लिए आए हो तो तुम्हारे लिए मेरे मन में इज्जत और बड़ गया।
रत्ना _बेटा, सच में तुम अपने दादा पर गए हो, जो हमेशा गांव वालो की भलाई के बारे में ही सोचता था।
नाश्ता कर लेने के बाद राजेश रत्ना और दिव्या से इजाजत लेकर अपना गांव लौट गया।
घर जाने के बाद घर वालो, दोस्तो और गांव वालो ने पूछा, की बात बनी की नही।
राजेश ने कहा की, बात तो किया है, पर काम huwa की नही बाद में पता चलेगा।
लोग तो राजेश का मजाक उड़ा रहे थे।
राजेश लोगो को बिना कोइ जवाब दिए खामोश रहता था।
आई ए एस का प्री एग्जाम पास आ रहा था राजेश तैयारी में लग गया।
बीच बीच मे पुनम से हसी मजाक कर लिया करता था।
क़रीब दो सप्ताह बाद सचिव को विभाग से फोन आया की तुम्हारे गांव के सभी लोगो का आवास स्वीकृत हो गया है। एक सप्ताह के अंदर सभी पात्र लोगो का बैंक खाता नंबर जमा कर दे, ताकि आवास की राशि उसके खाते में जमा किया जा सके।
इस बात की जानकारी सरपंच पंच और गांव वालो को huwa तो वे आश्चर्य में पड़ गए। एक लड़के ने ये असंभव काम को कैसे संभव कर लिया।
गांव वाले खुशी के मारे झूम उठे वे सभी भुवन के घर की ओर दौड़े।
दरवाजा खटखटाया।
पदमा ने दरवाजा खोला,,
गांव वाले _राजेश घर में है क्या चाची?
पदमा _क्यू क्या काम है उनसे, तुम लोग यहां क्यू भीड़ लगा रखे हो।
चाची _राजेश ने कमाल कर दिया। हम सब का आवास स्वीकृत हो गया है, हे भगवान हमें तो यकीन नही हो रहा है।
पदमा _बहुत खुश हो गई,

गांव वाले _राजेश बाबू को बुलाओ न चाची,
पदमा ₹रुको मैं अभी बुलाती हूं।
पदमा राजेश के रूम में गई,,
बेटा राजेश गांव वाले तुमसे मिलने आए है।
राजेश _ताई क्या बात है?
पदमा _वे कह रहे हैं की उनका आवास पास हो गया है, तुम्हे धन्यवाद देना चाहते हैं।
राजेश _अच्छा, गांव के लोगो का आवास पास हो गया ये तो बड़ी खुशी की बात है?
राजेश घर से बाहर आया, लोगो ने नारा लगाना शुरू कर दिया,, राजेश बाबू जिंदा बाद,, राजेश बाबू जिंदा बाद।
गांव वालो ने राजेश को अपने कंधे पर बिठा लिया।
और बाजे गाजे के साथ गांव में घूमाने लगा। सभी खुशियां मनाने लगे।
आखिर राजेश ने वह काम कर दिया था जिसके बारे में गांव के लोगो ने सोचा नहीं था।
मंदिर के पुजारी को जन इस बात का पता चला तो लोगो से कहा की मैने तो पहले ही कहा था की राजेश फरिश्ता बनकर यहां आया है।
उस दिन सभी गांव वाले जम कर नाच गाना किए। और राजेश की तारीफ किया।
राजेश गांव वालो की नजरो में काफी ऊंचा उठ गया था। अब उनकी नजरो में वह साधारण लडका नही रह गया था।
रात में लोगो के खुशियों में शामिल होने के बाद।
जब वह घर पहुंचा तो पदमा ने उसकी आरती उतारी, मेरे बेटे को किसी की नजर न लगे आज तुमने हमारे परिवार का नाम रोशन कर दिया।
राजेश दिनभर लोगो के बीच रह कर थक चुका था।
पदमा _बेटा थक गए होगे जाओ आराम करो।
राजेश अपने कमरे में सोने चला गया।
कुछ देर बाद, पुनम कमरे में पहुंची,,
देवर जी सोने से पहले दूध तो पी लो,,
राजेश बेड से उठा और गिलास लेकर दूध पीने लगा।
राजेश को दूध पीता देख पुनम मुस्कुराने लगी,,,
राजेश _भौजी, आज दूध का स्वाद कुछ दूसरा है!
पुनम _क्यू देवर जी दूध आपको अच्छा नही लगा क्या?
राजेश _नही ऐसी बात नहीं है दूध तो काफी स्वादिष्ट और मीठा था।
ये किसी और गाय का दूध थी क्या?

पुनम शर्मा ते हुई बोली _हा देवर जी। ये किसी और गाय की दूध थी। तुम जिद करते थे न की मां की दूध मिल जाता तो मजा आ जाता।
तो मैंने आज एक मां की दूध पिलाया है आपको, अपने चहरे को अपनी हाथो से छिपा ली।
राजेश _कहीं आप अपनी दूध तो नहीं,,,
पुनम शर्म से पानी पानी होते हुए बोली, इस घर में और किसके दूध आते है,,
राजेश _धन्यवाद भौजी, मेरी ईच्छा पूरी करने के लिए, पर,,
पुनम _पर क्या देवर जी,,,
राजेश _अगर मूंह से पिला देती तो और मजा आ जाता,,
पुनम _धत देवर जी तुम भी न,,,
वह शर्म के मारे पानी पानी होती हुई अपने कमरे में भाग गई,,,,
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अगले दिन सुबह उठते ही अखाड़ा, चला गया, वहा अखाड़े पे लड़के कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे।
बिरजू _अरे राजेश, आओ।
राजेश _अरे बिरजू भईया, लगता है कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी बड़े जोरों से चल रही है।
बिरजू _हा राजेश, इस बार लड़के बड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस बार हर हाल में यह प्रतियोगिता जितना है।
हर बार भानगढ़ वाले ही यह प्रतियोगिता जीतता आया है।
पर इस बार हम उन्हे कड़ी टक्कर देना चाहते हैं।
राजेश, मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
राजेश _बोलो बिरजू भईया क्या बात है?
बिरजू _क्यू न तुम भी हमारी कबड्डी टीम में शामिल हो जाओ।
मुझे लगता है हमारी टीम अभी परफेक्ट नही है। तुम्हारा शरीर एकदम फिट है।
राजेश_पर बिरजू भईया मैने तो कभी कबड्डी खेली नही है।
बिरजू _राजेश, कबड्डी ताकत और दिमाक दोनो का खेल है और मुझे लगता है ये दोनो तुम्हारे पास है।
अभी कबड्डी प्रतियोगिता में थोड़ा समय है तब तक तुम अच्छे से सीख जाओगे।
राजेश _बिरजू भईया, आप कह रहे हो तो मैं टीम में शामिल होने तैयार हूं, लेकिन सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। किसी ने मना किया तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।
बिरजू के दोस्त _राजेश, तुम भी कबड्डी की प्रैक्टिस करो, अगर तुम्हारा खेल अच्छा लगा तो कोइ तुम्हारे टीम में शामिल होने से नाराज नहीं होंगे।
बिरजू _हा, ये ठीक रहेगा।
राजेश _ठीक है।
बिरजू _तो ठीक है, चलो आज से ही प्रैक्टिस शुरू कर दो।
राजेश भी उन लोगों के साथ प्रैक्टिस करने लगा।
इधर हवेली में मंत्री और उसके परिवार घर जाने के लिए तैयार हो गए।
मंत्री _अच्छा ठाकुर साहब अब हमें इजाज़त दीजिए।
ठाकुर _अरे यार, नाश्ता तैयार हो चूका है। नाश्ता करके निकलना, मैं तो कह रहा था कि भाभी जी और विक्की को कुछ दिनो के लिए यहीं छोड़ दो। अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। हमारे परिवार एक दूसरे को अच्छे से जान लेंगे।
मंत्री जी _ठाकुर साहब, इन लोगो को यहीं कुछ दिनो के लिए छोड़ तो देता, पर कुछ काम है, कुछ मेहमान भी घर में आने वाले हैं इसलिए जाना जरूरी है।
कुछ दिनो बाद विक्की को भेज दूंगा, दिव्या और विक्की एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लेंगे।
ठाकुर _ठीक है ठाकुर साहब जैसी आपकी ईच्छा। आइए नाश्ता करते है।
मंत्री और ठाकुर के परिवार सभी डाइनिंग हॉल में एक साथ बैठ कर भोजन करने लगते है।
ठाकुर अपने बीबी रत्ना से कहा,,
ठाकुर _रत्ना, मंत्री जी अपने बेटे विक्की के लिए दिव्या का हाथ मांग रहे हैं।
मैंने तो कहा ये हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है। तुम्हारा क्या विचार है।
रत्ना _जैसे आप उचित समझे, पर एक बार दिव्या को पुछ लेते तो,,,
ठाकुर _दिव्या हमारी लाडली बेटी है, हम जो भी फ़ैसला लेंगे उसकी भलाई के लिए लेंगे। वैसे तुम कह रही हो तो अभी पुछ लेते हैं।
बेटी दिव्या, विक्की के साथ शादी होने से तुम्हे कोइ एतराज तो नही। मैने तो हा कह दिया है, फिर भी अगर तुम्हे कोइ आपत्ति हो तो कह सकती हो,,
दिव्या ने अपनी मां की ओर देखा,,
वह क्या कहे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दिव्या _पिता जी, इतनी जल्दी शादी, अभी तो मुझे बड़ा सा हॉस्पिटल खोलकर लोगो की सेवा करनी है। मैं डाक्टर ही इसलिए बनी हूं की हमारा क्षेत्र काफी पिछड़ा है यहां के लोगो को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है, मैं शादी करके यहां से चली गई तो, मेरा डाक्टर बनने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
मंत्री _अरे बेटा, तुम चिन्ता मत करो, तुम चाहो तो शादी के बाद यहीं रहना, विक्की, आना जाना करता रहेगा।
ठाकुर _लो, बेटी अब तो तुम्हारा डाक्टर बनने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और शादी भी।
अब तो कोइ समस्या नहीं न,,
दिव्या _जी पापा,,
दिव्या और कुछ बोल नहीं पाई।
ठाकुर _लो मंत्री जी, मिठाई खाओ, अब तो सभी तैयार है शादी के लिए।
ठाकुर ने रागनी के पैर को अपनें पैर से सहलाया और आंखे मारी।
रागिनी मुस्कुराने लगी।
भाभी जी क्यू न आप कुछ दिन यहीं रुक जाती, यहां पहाड़, झरने घांटी, और भी बहुत कुछ है देखने के लिए। आपको कुछ दिन स्वर्ग की सैर करा देते।
रागिनी _भाई साहब मेरी भी बड़ी ईच्छा थी स्वर्ग की सैर करने की पर क्या करे मजबूरी है जाना पड़ेगा।
ठाकुर _कोइ बात नहीं भाभी जी अब तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। जन्नत की सैर जब आवोगी तब करा देगें।
रागिनी की पैर को अपनें पैर से सहलाते हुए कहा।
नाश्ता कर लेने के बाद, मंत्री और उसके परिवार ठाकुर परिवार से इजाज़त लेकर घर चले गए।
इधर ठाकुर कुछ समय के बाद लक्षमण पुर कार्यालय चले गए जहा लोगो की समस्या सुनते थे।
इधर राजेश जब आखाड़ा से आया।
भुवन _अरे राजेश, आ गया अखाड़े से।
राजेश _हां, भईया।
भुवन _जाओ नहाकर तैयार हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं। मुझे बापू के लिए नाश्ता लेकर खेत भी जाना है।
राजेश _ठीक है भईया।
राजेश पीछे बाड़ी में जाकर फ्रेश होकर नहाने लगा।
तभी वहा पुनम नाश्ता बनाने के बाद बर्तन धोने के लिए बर्तन धोने पहुंची।
पुनम _क्यू देवर जी कैसा रहा कल की पार्टी?
राजेश _भुवन भईया ने तो बताया होगा ही भौजी!
पुनम _तुम्हारे भईया तो बता रहा था कि तुमने पार्टी में गाना गया। तुमने कभी बताया नही की तुम गाना भी गाते हो।
राजेश _आपने तो कभी पूछा नही भौजी।
पुनम _अच्छा ये बताओ अपनी भौजी को कब गाना सुनाओगे?
राजेश _आप जब कहो, पर गाना सुनाने के बदले दोगी क्या?
पुनम _क्या चाहिए तूमको?
राजेश _जो मांगूंगा वो दोगी, बोलो?
पुनम _मुझे पता है तुम क्या मांगोगे?
राजेश _अच्छा, ये मैं भी तो जानू, मैं क्या मांगने वाला हूं?
पुनम _मां का दूध।
दोनो खिलखिलकर हसने लगे।
राजेश _वाह भौजी तुम तो अंतर्यामी हो? बिना बताए ही जान जाती हो।
पुनम _बच्चू मुझे सब पता है तुम्हारे इरादे क्या है?
पुनम बर्तन धो रही थी, और राजेश अपने बदन में साबुन लगा रहा था।
राजेश _क्या इरादे है भौजी, मैं भी तो जानू?
पुनम _यहीं कि तुम्हारे इरादे नेक नही है।
राजेश _वो कैसे?
पुनम _तुम्हारे उम्र के लड़के दूध पीता कम है और दूध के गुब्बारे से खेलता ज्यादा है।
राजेश _हूं, मतलब तुम मुझे उन्ही लड़को में से एक समझती हो। मैं वैसा नही हूं? मैं उससे खेलूंगा नही सिर्फ पियूंगा।
पुनम _न बाबा, तुम्हारे उम्र के लड़को का कोइ भरोसा नहीं। मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली।
राजेश _ठीक है फिर मैं भी गाना तभी सुनाऊंगा, जब दोगी?
पुनम _ मतलब तुम मतलबी हो।
पुनम नाराज होते हुए बोली?
राजेश _अरे भौजी, लगता है तुम नाराज हो गई। मैं तो मजाक कर रहा था। हम फ्री में सुना देगें अपनी भौजी को गाना। पर सही समय आने पर।
पुनम _प्रोमिस।
राजेश _प्रोमिस।
पुनम बर्तन धो कर चली।
राजेश भी नहाकर चला गया।
नाश्ता करने के बाद भुवन खेत चला गया और राजेश आईएएस की तैयारी करने लगा।
इधर सरपंच, सचिव और पंचगण विधायक जी से मिलने के लिए उसके लक्ष्मण पुर कार्यालय पहुंचे।
कार्यलय के सामने विधायक जी से मिलने लोगो की भीड़ थी। विधायक के पी ए से लोग अपने आने का प्रयोजन बता रहे थे।
एक एक करके विधायक का पीए विधायक से मिलने के लिए अंदर भेज रहे थे।
पीए _विधायक जी, सुरज पूर के सरपंच सविता जी अपने को लेकर आए हैं आपसे मिलने।
ठाकुर _क्या? सुरज पूर की सरपंच आई है?
वे लोग क्यू आए हैं? उन्हे पता है हम उनसे मिलना नही चाहते फिर भी। क्या समस्या लेकर आए है?
पीए _आवास योजना से संबंधित है।
ठाकुर _हा हा हा, आखिर मेरे चौखट पे आने मजबूर हो ही गए।
पीए _क्या करना है विधायक जी। उन्हे अंदर भेजूं।
ठाकुर _आने दो, मैं भी तो जानू, देखू क्या फरियाद करते हैं, पर सिर्फ सरपंच को ही अंदर भेजना।
पीए _ठीक है विधायक जी।
पीए ने बाहर जाकर सविता से कहा सिर्फ सरपंच ही अंदर जा सकता है?
सविता ने सभी लोगो से कहा की तुम लोग यहीं रुको मैं विधायक जी से मिलकर आती हूं।
सविता अंदर गई।
ठाकुर _आइए सविता जी, कहिए क्या फरियाद लेकर आई है आप।
सविता _नमस्ते विधायक जी।
ठाकुर _नमस्ते, आइए बैठिए।
विधायक _कहिए क्या सेवा कर सकता हूं मैं।
विधायक ने अपने अपने सेवक से कहा।
सविता जी पहली बार हमारे कार्यालय में आई है। इनके लिए चाय वगैरा लाओ।
सविता _नही विधायक जी इसकी कोइ आवश्यकता नहीं।
ठाकुर _अरे, सरपंच साहिबा, पहली बार आई हो हमारे कार्यालय, चाय वगैरा तो लीजिए।
कहिए क्या सेवा कर सकता हूं आपका।
सविता _विधायक जी, जानती हूं की आप सुरज पूर वालो को पसन्द नही करते फिर भी मैं मजबूर हो कर आपके पास आई हूं।
ठाकुर _कहिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई की हमारे पास आपको आना पड़ा, मैं भी तो जानू, हा हा हा,,,
सविता _विधायक जी, हमारे गांव के गरीब लोगो को आवास योजना का लाभ अब तक नही मिल पाया है। हम हर साल प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजते हैं लेकिनसुरज पूर के किसी भी गरीब परिवार का, आवास पास नही होता।
गांव के गरीब लोग बहुत दुखी हैं।
ठाकुर _सविता जी, इसमें मैं क्या कर सकता हूं। पंचायत मंत्री ही आपके समस्या का समाधान कर सकते है । उनसे मिलिए।
सविता _पिछले वर्ष उनके पास गई थी, आश्वासन दिया था लेकिन किसी का भी आवास स्वीकृत नहीं huwa,
अगर मंत्री जी से आप बात करते तो, आखिर आप हमारे विधायक है।
ठाकुर _सुरज पूर वालो ने हमें बहुत दुख पहुंचाया है। हम उनका अनुसंसा क्यू करेंगे सविता जी।
आप हमसे बेकार ही उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपकी पर्सनल कोइ सेवा हो तो बताइए, उस पर विचार कर सकता हूं।
सविता _विधायक जी, मेरी पर्सनल कोइ समस्या है नही, गांव के गरीब लोगो के लिए ही आई थी। अगर हो सके तो उनके भलाई के लिए आवास स्वीकृत करा दीजिए। बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।
ठाकुर_सविता जी कहा न मैं गांव वालो की कोइ मदद नहीं कर सकता, आप जा सकती है।
सविता निराश होकर, वापस जाने लगी।
तभी ठाकुर ने कहा,,,
देखिए सविता जी, आपको निराश होकर इस तरह हमारे कार्यालय से जाता देख बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है।
अगर तुम चाहो तो, सुरज पूर वालो की आवास के लिए मंत्री जी से अनुसांसा कर सकता हूं, पर इससे हमें क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _यहीं तो दिक्कत है न अगर समझ जाती तो निराश होकर जाना नही पड़ता। हमें अपने दुश्मनों की मदद करने के बदले
क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं आपको विश्वास दिलाती हूं इस बार चुनाव में गांव के सारे वोट आपको ही मिलेंगे।
ठाकुर _सविता जी मुझे सुरज पूर वालो का वोट नही चाहिए। हम तो चुनाव ऐसे ही जीत जायेंगे।
सविता _तो विधायक जी, आप क्या चाहते हैं?
विधायक _सविता जी हमें तो बस आपका साथ चाहिए।
सविता _विधायक जी, मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _सविता जी, हम चाहते है की कुछ समय हमारे साथ बिताओ।
सविता _विधायक जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
विधायक _देखिए सविता जी अगर गांव के लोगो का आवास पास हो गया, तो आप पर लोगो का भरोसा बड़ेगा । नही तो लोग तो यहीं कहेंगे की एक भी योजना का लाभ दिला नही पाई, इन्हे सरपंच बनाने का क्या फायदा?
सविता _विधायक जी, मैं अपनी सरपंच पद बनाए रखने के लिए, अपनी इज़्ज़त नही बेच सकती।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो इतना समय दिया।
विधायक _ठीक है, सविता जी जाइए? कोइ जबरदस्ती तो है नही, फिर भी विचार बदल जाए तो आ जाना।
सविता वहा से चली गई, लोगो ने बाहर जाने पर पूछा की क्या huwa
सविता ने कहा, विधायक जी ने आवास योजना की स्वीकृत हेतु अनुसंसा करने से इंकार कर दिया।
लोग निराश होकर गांव लौट गए।


घर जाने के बाद सविता ने काफी विचार किया और अन्त में यह निष्कर्ष निकाला की वह गांव के लोगो को उनका हक दिला पाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे देगी।
अगले दिन सविता ने ग्राम सभा का आयोजन रखा।
लोगो को पता चल चुका था कि आज सविता जी सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
यह बात पुरे गांव में फैल गया।
इस बात की जिक्र जब भुवन और राजेश नाश्ता करने बैठे थे। पदमा ने छेड़ा।
पदमा _बेटा भुवन आज तुम खेत मत जाओ। आज प्रात: दस बजे तुम्हारी चाची ने ग्राम सभा रखा है। लोगो से पता चला है कि तुम्हारी चाची सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
राजेश _ताई ये आप क्या कह रही है?
पुनम _हां मैने भी यहीं सुना है?
राजेश _पर चाची ऐसा क्यू कर रही है?
पदमा _यह तो ग्राम सभा में ही सविता बताएगी आखिर वह सरपंच पद से इस्तीफा क्यू दे रही है।
भुवन बेटा तुम ग्राम सभा में चले जाना, पता तो चले कि आखिर बात क्या है?

भुवन _ठीक है मां।
प्रातः 10बजे, भुवन ने पदमा से कहा,,,
मां मैं ग्राम पंचायत कार्यालय जा रहा हूं। ग्राम सभा में,,
पदमा _ठीक है बेटा,,
भुवन जा रहा था तभी,,
राजेश _रुको, भुवन भईया, मैं भी जाना चाहता हूं आपके साथ।
भुवन _अरे राजेश, तुम वहां जा कर क्या करोगे?
राजेश _मैं भी देखना चाहता हूं की गांव में ग्राम सभा कैसे होता है?
भुवन _ठीक है, राजेश तुम्हारी ईच्छा है तो तुम भी चलो।
राजेश और भुवन दोनो ग्राम सभा में शामिल होने ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल पड़े।
उधर ग्राम पंचायत के सभा हाल में गांव के लोग एकत्रित हो चूके थे।
सरपंच, सचिव और पंच गण, अपने स्थान पर बैठ चूके थे।
तभी राजेश और भुवन भी वहां पहुंचे।
ग्राम सभा की कार्यवाही शुरू हुई।
सरपंच ने अपन बाते लोगो के बीच रखी।
सविता _आप सभी ग्राम वासी, यह जानने के उत्सुक होंगे की अचानक से यह ग्राम सभा क्यू रखा गया है?
मैने बहुत प्रयास किया की शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामवासी को भी मिले लेकिन मैं यह कार्य करने में असमर्थ रही। कल मैने और पंचों ने आवास योजना का लाभ हमारे गांव के गरीब लोगो को मिल सके जो झोपड़ी में रहने मजबूर हैं, उनके आवास को स्वीकृत कराने विधायक जी के कार्यालय गए थे।
लेकिन मैं यह कार्य करा पाने में असमर्थ रही।
मुझे लगता है कि मेरी जगह कोइ और सरपंच हो तो शायद वह यह कार्य स्वीकृत करा पाए।
चूंकि मैं शासन के किसी भी योजना का लाभ गांव के लोगो को दिला पा रही अतः मुझे पद पर बने रहने का कोइ अधिकार नहीं। इसलिए मैने सरपंच पद से इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।
मेरी जगह किसी अन्य पंच को यह जिम्मेदारी दिया जाए जो गांव के लोगो को शासन के योजनाओं का लाभ दिला सके।
आप सभी से निवेदन है कि मेरी बातो पर विचार करते हुए, किसी अन्य व्यक्ति को सरपंच के पद के लिए अपना सहमति बनाए।
सभी अपन विचार रखेंगे।
वहा पर मौजूद एक पंच ने कहा _सरपंच जी, विधायक जी तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझते हैं। वह नही चाहते की सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमारे गांव के लोगो को हो, इस बात से हम सभी अवगत है। ऐसे में मुझे नही लगता की कोइ यह कार्य करा पायेगा।
आप अपना स्तीफा देने का विचार त्याग दीजिए। फिर भी किसी को लगता है कि वह यह कार्य करा सकता है तो वह सामने आए। अपनी बात रखे।
लोग आपस में चर्चा करने लगे। काफी समय हो गया कोई व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कह सके की मैं लोगो को शासन की योजना का लाभ दिला सकता हूं। मैं सरपंच बनने इच्छुक हूं।
काफी समय हो जाने के बाद,,
गांव के एक व्यक्ति ने कहा _सरपंच जी, गांव में ऐसा कोई भी नही है जो विधायक जी के नाराजगी के चलते, लोगो को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सके।
गांव वालो का नसीब ही खराब है, पता नही कब तक हमे सुविधाओ से वंचित होना पड़ेगा।
सरपंच जी आपके स्तीफा देने से कोइ लाभ नहीं इसलिए, आप सरपंच पद से इस्तीफा देने का ख्याल छोड़ दीजिए।
क्यों भाईयो,,
सभी लोगो ने उस व्यक्ति की बातो में अपनी सहमति दिया।

सचिव _आगे हमें क्या करना चाहिए , इस पर आप लोग अपना विचार दीजिए।
कोइ भी लोग सामने नही आए की आगे क्या करना चाहिए।
राजेश वहा मौजूद था अब तक सभी की बातो को सुन रहा था और चुप था।
वह अपने स्थान से खड़ा होकर कहा,,
राजेश _अगर आप लोग मुझे अनुमति दे तो मैं आप लोगों के सामने अपना विचार रखना चाहता हूं।
सभा में मौजूद सभी लोग राजेश की ओर देखने लगे।
सचिव _आप अपना विचार देने के लिए मंच के सामने आइए और पहले अपना परिचय दीजिए।
राजेश मंच के सामने गया।
राजेश _मेरा नाम राजेश है। मेरे पिता जी का नाम शेखर है, और मानव प्रसाद मेरे दादा जी थे उसके दूसरे बेटे का मै पुत्र हूं। मैं कुछ दिन पहले ही यहां गांव आया हूं।
सचिव _कहिए आपके विचार से आगे हमें क्या करना चाहिए?
राजेश _देखिए, मुझे लगता है विधायक जी से पुनः मिलना चाहिए। उससे बाते करनी चाहिए। आखिर वह हमारे भी विधायक है। अपनी क्षेत्र के लोगो को शासन की सुविधा का लाभ पहुंचाना उनका फर्ज है।
बिना किसी भेदभाव के सभी की निःस्वर्थ भाव से सेवा करने की उसने विधनसभा में सपथ ली है। हमें उसे उस सपथ की याद दिलानी चाहिए।
गांव वाले राजेश की बातो को सुन कर आपस में चर्चा करने लगे।
सरपंच ने कहा _हमने काफी प्रयास किया, विधायक जी हमारी बात नहीं मानने वाले। उसके पास फिर से जाने से कोइ फायदा नहीं।
राजेश _सरपंच जी मुझे लगता है हमे एक कोशिश और करनी चाहिए। मुझे लगता है विधायक जी हमारी बात जरूर मानेंगे।
तभी एक पंच ने कहा _अगर तुम्हे लगता है की विधायक जी जरूर कहना मानेंगे तो तुम ही क्यू नही चले जाते विधायक जी के पास, हमारा प्रतिनिधि बनकर।
दूसरे पंच ने कहा _अगर तुमने गांव वालो को आवास योजना का लाभ दिला दिया, तो गांव वाले तुम्हे अपना सरपंच घोषित कर देगें। और गांव वाले वही करेंगे जो तुम कहोगे,क्यो भाईयो?
सभी लोगो ने हा कहा,,,
राजेश _अगर आप लोग ये चाहते है की मैं विधायक जी के पास आप लोगो का प्रतिनिधि बनकर जाऊ तो ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।
एक पंच _कैसी शर्त?
राजेश _मैं सरपंच पद के लिए नही जाऊंगा, मैं गांव वालो के भलाई के लिए ही जाऊंगा इसलिए, चाची जी ही सरपंच बनी रहेगी। और यह गांव उनके निर्देशो पर ही सब की सहमति से चलेगी।
पंच गण _ठीक है हम सबको मंजूर है? हम सब भी देखना चाहते हैं तुम क्या कर सकते हो?
राजेश _ठीक है मैं आप लोगों का प्रतिनिधि बनकर कल विधायक जी से मिलूंगा।
ग्राम सभा का समापन पश्चात भुवन और राजेश घर पहुंचे।
इधर गांव वालों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि राजेश गांव का प्रतिनिधि बन कर विधायक जी से मिलने जायेगा। पर सभी को यहीं लग रहा था की कुछ होने वाला नहीं है ऊपर से ठाकुर का आदमी राजेश की पिटाई न कर दे।
यह बात जब पदमा को पता चली।
रात में भोजन करते समय,,,
पदमा _राजेश बेटा ये मैं क्या सुन रही हूं, तुम गांव वालो का प्रतिनिधि बनकर, ठाकुर से मिलने जा रहे हो।
राजेश _हा ताई ये सच है।
पदमा _बेटा तुम्हे, फालतू में आफत मोल लेने की क्या जरूरत थी? यह जानते हुए भी की ठाकुर सुरज पूर वालो की भलाई कभी नहीं चाहेगा।
राजेश _ताई, मुझे गांव वालो की भलाई के लिए ठाकुर से मिलने जाना ही होगा।
पदमा _पर बेटा, ये ठाकुर सही आदमी नही है, उसके आदमी तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
राजेश _ताई, आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। ऐसा कुछ नहीं होगा।
भुवन _मां, तुम चिन्ता न करो, राजेश के साथ मैं भी चला जाऊंगा।
राजेश _नही भुवन भईया, इस बार मुझे अकेले ही जाना होगा।
राजेश के इस फैसले से घर वाले सभी चिंतित हो गए।
अगले दिन सुबह राजेश आखाड़ा गया, वहा पर बिरजू और उसके दोस्तो ने कहा,, राजेश अगर तुम चाहो तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे।
राजेश _नही, दोस्तो यह काम मेरे अकेले जाने से ही हो पाएगा।
बिरजू _ठीक है राजेश , अगर किसी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बताना।
राजेश _ठीक है बिरजू भाई।

राजेश घर गया और नहाकर तैयार हो गया।
राजेश _ताई, मुझे आज्ञा दीजिए मैं ठाकुर से मिलने जा रहा हूं।
ताई _बेटा, तुम्हे भेजने का तो मेरा मन नही है लेकिन तु जाना ही चाहता है तो मैं भगवान से प्रार्थना करुंगी तुम कामयाब होकर घर लौटा।
राजेश _अच्छा भुवन भईया मैं चलता हूं।
भुवन _राजेश, को गले लगाकर कहा, राजेश मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होकर लौटोगे।
राजेश भुवन का बाइक लेकर भानगढ़ निकल गया।
वह ठाकुर के हवेली पर पहुंचा।
ठाकुर के आदमी ने उन्हे अंदर जाने से रोका।
पहरेदार _तुम फिर आ गए। इस बार क्यू आए हो।
राजेश _मुझे ठाकुर साहब से मिलना है।
पहरेदार _तुम यहीं ठहरो, ठाकुर साहब तुमसे मिलना चाहते हैं कि नही, पता करने दो।
पहरेदार ने एक आदमी को ठाकुर के पास भेजा, जाओ ठाकुर साहब को बता कर आओ की, सुरज पूर से राजेश आया है वह आपसे मिलना चाहता है।

वह आदमी हवेली के अंदर गया। इस समय ठाकुर साहब हवेली में अपने परिवार के साथ डाइनिंग हॉल में नाश्ता कर रहा था।
आदमी _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
ठाकुर _वह यहां क्यू आया है? उनसे कहो कोइ काम है तो मुझसे लक्षमण पुर कार्यालय में मिले।
रत्ना _ये आप क्या कह रहे हैं जी, राजेश ने हमारी बेटी की जान बचाई है और आप उससे घर में भी नही मिल सकते।
दिव्या _हा पापा, उनसे अन्य लोगो की तरह ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं।
रत्ना, ने उस आदमी से कहा जाओ राजेश को अंदर लेकर आओ।
ठाकुर _अपने बेटियो वालो के बीच अच्छा बनकर रहना चाहता था। इस लिए उनका विरोध नही कर सका, वह सोचने लगा की आखिर साला यहां करने क्या आया है?
वह आदमी चला गया और राजेश को अंदर लेकर आया।
राजेश _नमस्ते ठाकुर साहब, नमस्ते मां जी।
रत्ना _नमस्ते राजेश। कैसे हो।
राजेश _अच्छा हूं मां जी।
रत्ना _बेटा कैसे आए हो? कुछ काम था क्या?
राजेश _, हा मां जी। ठाकुर साहब से कुछ काम था।
ठाकुर _बोलो क्या काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप उस दिन मुझे, दिव्या जी की मदद करने के बदले इनाम देने वाले थे, उस दिन तो मुझे ईनाम की आवश्यकता नहीं थी इसलिए लिया नही। आज मुझे ईनाम की जरूरत है।
ठाकुर _ओह तो तुम ईनाम लेने के लिए यहां आए हो।
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा मुनीम जी से कहो राजेश को 2लाख रुपए दे दे।
राजेश _ये क्या ठाकुर साहब, एक राजा की बेटी की जान की कीमत सिर्फ 2लाख,
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा की मुनीम जी से कहना की इसको 5लाख रुपए दे दे।
राजेश _सिर्फ 5लाख, ठाकुर साहब मैं तो बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया था।
रत्ना _राजेश क्या चाहिए तुम्हे, तुम ही बताओ।
ठाकुर _बोलो कितनी रकम चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब मुझे पैसा नही चाहिए।
ठाकुर _अगर पैसा नही चाहिए तो क्या चाहिए तुम्हे?
राजेश _मैं चाहता हूं की आप अपना फर्ज पूरा करे।
ठाकुर _कैसा फर्ज?
राजेश _वही जब आपने, विधायक बनने के बाद, विधनसभा में सपथ ली थी कि आप बिना किसी भेद भाव के निःस्वार्थ भाव से सभी लोगो को समान समझते हुए लोगो की सेवा करेंगे।
ठाकुर _आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, घुमा फिरा कर बात क्यू कर रहे हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब गांव के गरीब लोग, जो आज भी झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उन्हे नही मिल पा रहा है। गांव के पंचायत द्वारा उनका आवास का प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है, आप उन्हे स्वीकृत करा दीजिए। यहीं मेरा ईनाम होगा।
ठाकुर _मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ये तो पंचायत मंत्री का काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप चाहे तो सब हो सकता है? पर लगता है कि आप मेरा ईनाम देने के इच्छुक नहीं है?
ठीक है ठाकुर साहब मैं जा रहा हूं। मैं गलत था जो आपसे उम्मीद लेकर यहां चला आया।
राजेश जाने लगा।
रत्ना _रुको राजेश।
अजी, ये आप क्या कर रहे हैं? जिस लड़के ने आपके घर की इज़्ज़त की रक्षा की, आप उसके लिए एक छोटा सा काम नही कर सकते।
गीता _हा पिता जी मां ठीक कह रही है, आपके लिए तो ये छोटा सा काम है। फिर आप राजेश को मना क्यू कर रहे हैं? कुछ समझ नहीं आया।
दिव्या _पिता जी, मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं है। आप इस क्षेत्र के विधायक भी है, गांव के लोगो की मदद करनी चाहिए।
ठाकुर बुरी तरह फस चुका था।
वह अपनी बेटियो की नजर में गिरना नही चाहता था।
दिव्या _राजेश पिता जी तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।
पिता जी आप अभी मंत्री जी को फोन लगाइए।
गीता _हा पापा, आप मंत्री जी से बात कीजिए, वो आपका कहना जरूर मानेंगे।
ठाकुर मजबूर हो गया, वह अपनी बेटियो की नजर में अच्छा बना रहना चाहता था।
ठाकुर _ठीक भाई अगर तुम सब यहीं चाहते हो तो मैं बात करता हूं।
ठाकुर ने मंत्री को काल किया।
पंचायत मंत्री _अरे ठाकुर साहब बोलो कैसे याद किया हमें।
ठाकुर _मंत्री जी बस आपकी मदद चाइए था।
मंत्री _कैसी मदद, हम ने कभी कोइ बात टाली है आपकी कहिए क्या सेवा करनी है?
ठाकुर _सुरज पूर वालो का आवास का प्रस्ताव का फाइल आपके कार्यालय पहुंची होगी। आप उसको स्वीकृत कर दीजिए।
मंत्री _पर ठाकुर साहब आप तो पहले सुरज पूर वालो का कोइ भी कार्य को स्वीकृत करने से मना किया था। फिर आज,,
ठाकुर _अब बात क्या हो वो आपको बाद में बताऊंगा मंत्री जी, फिर हाल तो आप मेरा यह काम कर दीजिए।
मंत्री जी _ठीक है ठाकुर साहब आपका यह काम हो जायेगा।
आप निश्चिंत रहिए।
ठाकुर _शुक्रिया मंत्री जी।
ठाकुर ने फोन रख दिया।
अपनी बेटियो से कहा,
लो भई तुम लोगो के कहने पर मैंने मंत्री जी से बात कर ली। अब तो तुम लोग खुश हो।
दिव्या अपने पिता के गले लग गई। थैंक क्यू पापा मुझे आपसे यहीं उम्मीद थी। वह खुश होकर बोली।
ठाकुर _मुझे लक्षमण पुर कार्यालय जाना है भाई मेरा नाश्ता हो गया।
ठाकुर साहब डाइनिंग हॉल से निकल कर अपने कमरे में आ गया।
ठाकुर अपने आप बड़बड़ाने लगा,,
ये शाला राजेश सच में बड़ा चालाक निकला, जो काम मैं कभी नही करना चाहता था, मुझे मेरी बेटियो के बीच फसा कर,वह काम मुझसे करवा लिया।
इस साले की इलाज कराना जरूरी है।
पर अभी कुछ करना ठीक नहीं, मुझे मौका ढूंढना होगा।
इधर राजेश ने दिव्या, रत्ना और गीता जी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद् दिया,,
गीता भी धरम पुर जाने की बात कह कर अपने कमरे मे चली गईं।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं।
रत्ना _अरे बेटा, तुम नाश्ता करके जाना।
दिव्या _हां राजेश, मां ठीक कह रही है आओ बैठो।
राजेश _नही दिव्या जी, आप लोगो ने मेरी मदद की यहीं बहुत है मेरे लिए।
रत्ना _और तुमने हमारी मदद की वह क्या कम है, अब चुप चाप बैठो और नाश्ता करो।
राजेश कुर्सी पर बैठ गया। रत्ना ने उसे नाश्ता परोसी।
रत्ना _बेटा तेरा दादा जी मेरे ससुर जी के साथ अक्सर हवेली आया करते थे। वे मेरे ससुर जी के साथ भोजन किया करते थे।
वे मेरे हाथो से बने भोजन की बड़ी तारीफ किया करते थे।
पर उस घटना के बाद मैं भोजन बना ना ही बंद कर दी।
दिव्या _राजेश, मुझे तो जब तुमने कहा की मदद के बदले ईनाम लेने आए हो तो बड़ा अजीब लगा। पर जब तुमने बताया कि अपने लिए नहीं गांव के गरीब लोगो के लिए आए हो तो तुम्हारे लिए मेरे मन में इज्जत और बड़ गया।
रत्ना _बेटा, सच में तुम अपने दादा पर गए हो, जो हमेशा गांव वालो की भलाई के बारे में ही सोचता था।
नाश्ता कर लेने के बाद राजेश रत्ना और दिव्या से इजाजत लेकर अपना गांव लौट गया।
घर जाने के बाद घर वालो, दोस्तो और गांव वालो ने पूछा, की बात बनी की नही।
राजेश ने कहा की, बात तो किया है, पर काम huwa की नही बाद में पता चलेगा।
लोग तो राजेश का मजाक उड़ा रहे थे।
राजेश लोगो को बिना कोइ जवाब दिए खामोश रहता था।
आई ए एस का प्री एग्जाम पास आ रहा था राजेश तैयारी में लग गया।
बीच बीच मे पुनम से हसी मजाक कर लिया करता था।
क़रीब दो सप्ताह बाद सचिव को विभाग से फोन आया की तुम्हारे गांव के सभी लोगो का आवास स्वीकृत हो गया है। एक सप्ताह के अंदर सभी पात्र लोगो का बैंक खाता नंबर जमा कर दे, ताकि आवास की राशि उसके खाते में जमा किया जा सके।
इस बात की जानकारी सरपंच पंच और गांव वालो को huwa तो वे आश्चर्य में पड़ गए। एक लड़के ने ये असंभव काम को कैसे संभव कर लिया।
गांव वाले खुशी के मारे झूम उठे वे सभी भुवन के घर की ओर दौड़े।
दरवाजा खटखटाया।
पदमा ने दरवाजा खोला,,
गांव वाले _राजेश घर में है क्या चाची?
पदमा _क्यू क्या काम है उनसे, तुम लोग यहां क्यू भीड़ लगा रखे हो।
चाची _राजेश ने कमाल कर दिया। हम सब का आवास स्वीकृत हो गया है, हे भगवान हमें तो यकीन नही हो रहा है।
पदमा _बहुत खुश हो गई,

गांव वाले _राजेश बाबू को बुलाओ न चाची,
पदमा ₹रुको मैं अभी बुलाती हूं।
पदमा राजेश के रूम में गई,,
बेटा राजेश गांव वाले तुमसे मिलने आए है।
राजेश _ताई क्या बात है?
पदमा _वे कह रहे हैं की उनका आवास पास हो गया है, तुम्हे धन्यवाद देना चाहते हैं।
राजेश _अच्छा, गांव के लोगो का आवास पास हो गया ये तो बड़ी खुशी की बात है?
राजेश घर से बाहर आया, लोगो ने नारा लगाना शुरू कर दिया,, राजेश बाबू जिंदा बाद,, राजेश बाबू जिंदा बाद।
गांव वालो ने राजेश को अपने कंधे पर बिठा लिया।
और बाजे गाजे के साथ गांव में घूमाने लगा। सभी खुशियां मनाने लगे।
आखिर राजेश ने वह काम कर दिया था जिसके बारे में गांव के लोगो ने सोचा नहीं था।
मंदिर के पुजारी को जन इस बात का पता चला तो लोगो से कहा की मैने तो पहले ही कहा था की राजेश फरिश्ता बनकर यहां आया है।
उस दिन सभी गांव वाले जम कर नाच गाना किए। और राजेश की तारीफ किया।
राजेश गांव वालो की नजरो में काफी ऊंचा उठ गया था। अब उनकी नजरो में वह साधारण लडका नही रह गया था।
रात में लोगो के खुशियों में शामिल होने के बाद।
जब वह घर पहुंचा तो पदमा ने उसकी आरती उतारी, मेरे बेटे को किसी की नजर न लगे आज तुमने हमारे परिवार का नाम रोशन कर दिया।
राजेश दिनभर लोगो के बीच रह कर थक चुका था।
पदमा _बेटा थक गए होगे जाओ आराम करो।
राजेश अपने कमरे में सोने चला गया।
कुछ देर बाद, पुनम कमरे में पहुंची,,
देवर जी सोने से पहले दूध तो पी लो,,
राजेश बेड से उठा और गिलास लेकर दूध पीने लगा।
राजेश को दूध पीता देख पुनम मुस्कुराने लगी,,,
राजेश _भौजी, आज दूध का स्वाद कुछ दूसरा है!
पुनम _क्यू देवर जी दूध आपको अच्छा नही लगा क्या?
राजेश _नही ऐसी बात नहीं है दूध तो काफी स्वादिष्ट और मीठा था।
ये किसी और गाय का दूध थी क्या?

पुनम शर्मा ते हुई बोली _हा देवर जी। ये किसी और गाय की दूध थी। तुम जिद करते थे न की मां की दूध मिल जाता तो मजा आ जाता।
तो मैंने आज एक मां की दूध पिलाया है आपको, अपने चहरे को अपनी हाथो से छिपा ली।
राजेश _कहीं आप अपनी दूध तो नहीं,,,
पुनम शर्म से पानी पानी होते हुए बोली, इस घर में और किसके दूध आते है,,
राजेश _धन्यवाद भौजी, मेरी ईच्छा पूरी करने के लिए, पर,,
पुनम _पर क्या देवर जी,,,
राजेश _अगर मूंह से पिला देती तो और मजा आ जाता,,
पुनम _धत देवर जी तुम भी न,,,
वह शर्म के मारे पानी पानी होती हुई अपने कमरे में भाग गई,,,,
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश कबड्डी सीख रहा है और वह इस बार भानगढ़ वालो को हरा देगा राजेश ने बड़ी चालाकी से गांव वालों की समस्या का समाधान कर दिया लेकिन अब वह ठाकुर के लिए एक मुसीबत बन गया है ठाकुर जरूर कुछ उल्टी सीधी हरकत करने वाला है
पूनम ने दूध पिलाने वाली इच्छा पूरी कर दी है लेकिन गिलास में डालकर
 
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