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ThanksAwesome update bhai
Ab Rajesh jayega gaon us thakur ko sabak sikhane
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Ab Rajesh jayega gaon us thakur ko sabak sikhane
ThanksAmazing awesome lajavab update
Lazawab umda Shandar Romantic updateराजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।
शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।
सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।
करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।
भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।
शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,
सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।
सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?
राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,
सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?
राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।
राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।
सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।
राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।
मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।
राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।
सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।
राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।
राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।
सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।
लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।
अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।
_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।
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Gajab , hotराजेश नाश्ता करने के बाद अपने पिता जी के साथ स्टेशन के लिए निकल पड़ा। सुनीता ने उसे अपना ख्याल रखने के लिए कहा।
स्टेशन पहुंचने के कुछ देर बाद भगत भी वहा राजेश का बैग लेकर पहुंच गया। क्यों कि राजेश का बैग तो उसी के निवास पर छूटा था।
कुछ देर बाद ट्रैन भी छूट गई।
शेखर _अपना ख्याल रखना बेटा, हाथ हिलाते हुए कहा।
राजेश _जी पापा।
ट्रैन शाम 6 बजे, लक्ष्मण पुर स्टेशन पहुंच चुका था।
भगत बाइक लेकर राजेश को लेने स्टेशन पर इन्तजार कर रहा था।
दोनो बाइक में बैठ कर गांव एक दूसरे से बाते करते हुवे गांव के लिए निकल पड़े।
घर पहुंचकर दोनो घर के आंगन में रखे चारपाई पर बैठ गए।
आरती _मां, कहा हो, राजेश भाई शहर से आ गए हैं।
पदमा _अरे राजेश बेटा आ गया।
राजेश _हा ताई,
पदमा _शहर में सब ठीक तो हैं न, तुम्हारे मां बाबू जी।
राजेश _सब अच्छे है ताई। तुम लोगो को याद कर रहे थे।
पदमा _बेटा तु थक गया होगा, जाओ हाथ मुंह धोकर फ्रेस हो जाओ। और अपने कमरे में थोड़ा आराम कर लो।
राजेश _ठीक है ताई।
भुवन _राजेश तुम आराम करो मैं दोस्तो से मिलकर आता हूं।
राजेश _ठीक है भुवन भाई।
पुनम _अरे रुको जी चाय बन चुकी है पहले चाय पी लो फिर जाना।
भुवन _अच्छा ठीक है लाओ।
आरती वही पर खड़ी थी उसके साथ एक तीन साल की लड़की भी थी।
राजेश _आरती, ये लड़की कौन है?
आरती _ये मुन्नी है? ज्योति दीदी की लड़की।
पदमा _अरे बेटा मैं तो बतानी ही भुल गई।
तुम्हारी बड़ी बहन ज्योति आई हुई है। कल तुम्हारे शहर जाने के कुछ घंटे बाद, दामाद जी ज्योति को छोड़ने आए थे। ज्योति कुछ महीने यहीं रहेगी।
उसका बच्चा आने वाला है, अभी 9वा महीना शुरू हुआ है। उसकी सास तो गुजर चुकी है। वहा उसकी देखभाल करने वाला कोइ है नही न, इसलिए दामाद जी यहां छोड़ गए।
राजेश ने मुन्नी को गोद में बिठा लिया। अरे मुन्नी तुम तो बहुत क्यूट हो। जानते हो मैं तुम्हारा कौन हू?
पदमा _अरे बेटा मुन्नी तो पहली बार तुमसे मिल रही हैं। कैसे जानेगी की तुम कौन हो?
मुन्नी बेटा ये तुम्हारे छोटे मामा है।
राजेश _अच्छा बोलो मुन्नी मैं कौन हूं?
मुन्नी _मामा।
राजेश _गुड ,मुझे पहले पता होता तुम लोग आए हो तो तुम्हारे लिए चाकलेट लेके आता।
सॉरी मुन्नी।
ताई ज्योति दीदी दिखाई नही दे रही है।
पदमा _वो आरती के कमरे में आराम कर रही होगी।
तभी वहा पुनम चाय लेकर आई।
लो जी चाय।
भुवन ने चाय का कप उठाया।
पुनम _देवर जी आप मुंह हाथ धोकर फ्रेस हो जाओ। फिर आपके लिए भी चाय लाती हु।
राजेश _ठीक है भौजी।
पदमा _मुन्नी बेटा आज मेरे पास।
मुन्नी राजेश की गोद से उतरकर, पदमा के पास चली गई।
पदमा _आरती बेटा जाओ तुम मुन्नी को थोड़ा बाहर घुमा के ले लाओ।
आरती मुन्नी को लेकर अपनी सहेली मधु के घर चली गई।
राजेश अपने कमरे में गया अपना कपड़ा उतार कर टी शर्ट और लोवर पहन लिया।
फिर फ्रेश होने घर के पीछे बाड़ा में चला गया।
जैसे ही वह मुतने के लिए मूत्रालय का दरवाजा धकेला।
अंदर का नजारा देख, उसके शरीर का रक्त प्रवाह बड़ गया।
अंदर ज्योति अपनी पेटीकोट और और साड़ी को कमर तक ऊपर उठा दी थी और अपनी टांगो को फैला कर खड़े खड़े मूत रही थी।
ज्योति का मुंह सामने दीवार की ओर था।
लेकिन जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज़ आई उसने पलट का देखा।
राजेश और ज्योति की नजर एक दूसरे से मिली।
राजेश शर्मिंदगी महसूस करते हुवे। वह वहा से वापस चला गया और दरवाज़े को बंद कर दिया।
इधर ज्योति भी शर्मिंदा महसूस कर रही थी पर उसे पेशाब जोरो की लगी थी। वह मूतना बंद नही की।
ज्योति का पेट काफी फूल गया था। पेट में आठ माह का बच्चा जो था। उसे बैठ कर मूतने में परेशानी होती थी। वह बड़ी मुस्किल से नीचे बैठ कर सुबह शौच कर पाती थी। बैठने में उसे दिक्कत होती थी।
जब महिला पेट से होती है तो धीरे धीरे बच्चा पेट में बढ़ता जाता है और पेट फूलने लगता है जिससे मूत्राशय में दबाव बड़ जाता है। जिसके कारण गर्भवती स्त्री को बार बार पेशाब लगती है।
बार बार वह मूतने के लिए नीचे बैठने से उसे दिक्कत थी इस लिए वह खड़े खड़े ही मूत रही थी, पर उससे गलती ये हो गई कि मूत्रालय की दरवाज़े की कुण्डी नही लगाई थी। मूतने के बाद वह भी शर्मिंदगी महसूस करने लगी।
कौन है ये लडका, और मूत्रालय में घुस गया। वैसे गलती मेरी भी है मैं दरवाजे की कुण्डी नही लगाई थी।
इधर राजेश बाड़ी से सीधा अपने कमरे में आकर बेड पर लेट गया।
वह सोचने लगा।
लगता है ये ज्योति दीदी थी, पता नहीं वह मेरे बारे में क्या सोच रही होगी। वह शर्मिंदा महसूस कर रहा था।
उधर ज्योति अपने मां के पास गई। जो कीचन में पुनम की मदद कर रही थी।
ज्योति _मां घर में कोइ आया था क्या?
पदमा _अरे आया था नही आया है? तेरा छोटा भाई। अभी शहर से आया, तुम्हे तो पता था न भुवन उसे स्टेशन से लेने गया है। पर तु ऐसे क्यू पुछ रही है कुछ huwa है क्या?
ज्योति _नही, ओ मैं कमरे से किसी की आवाज़ सुनी थी।
पदमा _हूं, वो राजेश की थी वह अपने कमरे में होगा, एक काम करो ये चाय ले जाओ उसके कमरे मे उसे दे देना और मिल भी लेना।
ज्योति इस स्थिति में नहीं थी कि वह राजेश के सामने में अभी जा सके राजेश ने अभी अभी ही उसे खड़े खड़े मूत ते देखा था, उसे अभी भी बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।
ज्योति _मां, अभी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही मैं बाद में मिलूंगी।
पदमा _अच्छा ठीक है जा तु अपने कमरे में जाकर आराम कर।
ज्योति अपने कमरे में चली गई।
पदमा _पता नही इसे क्या huwa पहले तो वह राजेश से मिलने के लिए उतावली हो रही थी। पर जब राजेश आया तो, बहाने बना रही,,,
पुनम _सासु मां, मैं देकर आ जाऊ, राजेश को चाय।
पदमा _ठीक है बहु जाओ, पर हा जाके उसके गोद में मत बैठ जाना। पहले तो आरती ही थी जिससे हमे सावधान रहना था अब तो ज्योति भी आ गई है। अगर किसी को हम लोगो के संबंधों के बारे में पता चल गया। तो किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहेंगे।
पुनम _ठीक है सासु मां।
पुनम चाय लेकर, राजेश के कमरे में गई।
इधर राजेश के आंखो के सामने, ज्योति जो खड़ी खड़ी खड़ी मूत रही थी, उसकी गोरी गोरी टांगे और मस्त नितंब नजर आ रहे थे। उस दृश्य को याद कर उसका लंद एकदम कठोर हो चुका था।
पुनम चाय लेकर कमरे में आई।
पुनम _देवर जी कहा खो गए हो।
राजेश होश में आया।
राजेश _कहीं नही भौजी।
पुनम _लो चाय पी लो।
वह टेबल पे चाय रख कर जाने लगी, तभी राजेश ने उसका हाथ पकड़ कर खीच कर अपने गोद में बिठा लिया।
पुनम _देवर जी ये क्या कर रहे हो, छोड़ो कोइ आ जायेगा।
राजेश ने पुनम की चूची को हाथ में पकड़ कर मसलने लगा।
पुनम राजेश के लंद के ऊपर बैठा huwa था।
उसे अहसास हुआ कि राजेश का लंद खड़ा है।
पुनम _अरे देवर जी तुम्हारा तो खड़ा हो गया है।
राजेश _हा, भौजी थोड़ा मुंह में लेकर, चूसकर इसे शांत कर दो।
पुनम _न बाबा, अभी कुछ नही कर सकती, ज्योति डी आई हुई है।
अगर उसने देख लिया, तो गजब हो जायेगा। सासु मां ने मुझे समझा कार यहां भेजी है।
अब चलो छोड़ो मुझे।
वह राजेश से अपने को छुड़ा कर भागने लगी।
दरवाजे के पास जाकर राजेश की ओर पलट कर देखी।
राजेश ने उसे अपनी दोनो हाथ फ़ैला कर आने को कहा,
पुनम _न में सिर हिलाते हुए, न अभी कुछ नही।
और वह मुस्कुराते हुवे कीचन में चली गई।
पदमा _बहु, राजेश को चाय देकर आने में इतनी देर क्यू कर दी?
पुनम _मां जी, जाते ही देवर जी ने मुझे अपने गोद में बिठा लिया।
मैने उसे छोड़ने को कहा, ज्योति दीदी आई हुई है। उसे पता चलेगा तो गजब हो जायेगा।
वो तो मान ही नहीं रहा था, कह रहा था कि बड़ा मन कर रहा है मुंह में लेकर ही शांत कर दो।
लेकिन मैंने उससे किसी तरह खुद को छुड़ा कर आ गई।
पदमा _, ठीक किया तुमने।
पुनम _पर सासु मां बेचारे का मन उतर गया।
मुझे अच्छा नही लगा। उसका लंद एकदम कठोर हो चुका था, जिसका एहसास मुझे उसके गोद पर बैठ ने से huwa था।
पदमा _अरे भावनाओ में बहकर तू दिन में उसके साथ कुछ मत करना, न उसे कुछ करने देना। नही तो पकड़ी जाएगी। खुद तो पकड़ी जाएगी और मेरा नाम उगल कर मुझे भी फसा देगी।
पुनम अपनी सास की बात को सुनकर हसने लगी।
इधर ज्योति सोच रही थी की वह राजेश के सामने कैसे जाएगी उससे कैसे बात करेगी?
करीब एक घंटे बाद भुवन बाहर घूम कर घर लौटा। और आंगन में रखे खाट पर लेट गया।
पदमा _अरे भुवन बेटा तुम आ गए।
अरे आरती जाओ राजेश को बुला लाओ।
भुवन बेटा जाओ हाथ मुंह धोकर, भोजन के लिए तैयार हो जाओ, भोजन करके तुम्हे खेत भी जाना है।
आरती, राजेश को उसके कमरे से बुला लाई।
राजेश aur भगत दोनो हाथ मुंह धोकर भोजन के लिए बैठ गए और बात चीत करने लगे।
पुनम ने दोनो को खाना परोसा।
खाना खाने के बाद, भगत खेत चला गया और राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
इधर कुछ देर बाद खेत से केशव भी आ गया।
सभी लोग भोजन करने लगे।
भोजन करने के बाद आरती और ज्योति कमरे में चली गई।
ज्योति, आरती के कमरे में ही सोती थी कमरा बड़ा था काफी जगह थी तो ज्योति के लिए एक खाट कमरे में और लगा दी गई थी जिसमे वह सोती थी।
मुन्नी आरती के आगे पीछे ही, मोसी मोसी करते हुए घूमती रहती थी और उसके साथ ही सोने लगी थी।
इधर पुनम सबसे आखिरी में भोजन करती थी।
तब तक पदमा बर्तनों को मांजती थी।
कीचन का सारा काम निपट जाने के बाद,,
पदमा _बहु, आज तुम दूध लेकर राजेश के कमरे में नही जाएगी।
पुनम जो दूध गर्म कर रही थी।
क्यू मां जी?
पदमा _तुम्हारा कोइ भरोसा नही। दुधारू गाय को देख कर कहीं सांड तुम पर चढ़ गया तो ,,, अभी सब जग रहे हैं।
दूध लेकर मैं जाऊंगी।
बहु _हूं, और कहीं वह तुम पर चढ़ गया तो।
पदमा _अरे वह मेरे साथ ऐसा नहीं करेगा , वह तो तभी करता है जब मैं उसे कहती हूं।
इस गलत फहमी में मत रहना, सांड जब उत्तेजित रहता है न तो सारा संस्कार भुल जाता है।
उसे गाय की बुर ही नजर आता है।
पदमा _अरे ऐसा कुछ नही होगा।
पुनम _अच्छा ठीक है जाइए।
पदम दूध लेकर राजेश के कमरे में चली गईं।
इधर पुनम को अपनी सास पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
ये बुढ़िया कबाब में हड्डी बन रही है। मैं भी इसकी बहु हू। बुढिया को अकेले मजा लेने नही दूंगी।
पदमा कमरे में पहुंची,,,
राजेश तो पुनम के आने का ही इन्तजार कर रहा था।
पर पहुंची पदमा,,
राजेश _अरे ताई आप, भौजी नही आई।
पदमा _अरे बेटा वो क्या है न की तुम्हारी भाभी कीचन में कुछ काम बचा है उसे निपटा रही है।
राजेश_ओह।
पदमा _लो दूध पी लो।
इधर राजेश तो पुनम के आने का इन्तजार कर रहा था ताकि उसकी मस्त चूचियां को मसला मसल कर उसका दूध पी सके।
उसका मूड खराब हो गया।
राजेश _ठीक है ताई रख दो पी लूंगा दूध।
पदमा _क्या huwa तुम्हारा मूड उखड़ गया क्या? अपनी भौजी के साथ कुछ करने का इरादा तो नही था।
देखो बेटा तुम्हारी ज्योति दीदी आई हुई है। आरती और तुम्हारे ताऊ जी भी घर पर है। हम तीनो के राज के बारे में अगर किसी को पता चल गया न तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
तुम तो काफी समझदार लड़के हो ,,,
राजेश बेड कुर्सी पर बैठा था वह खड़ा होकर पदमा को पीछे से बाहों में भर लिया।
राजेश _ताई आज मेरा बहुत मन कर रहा है?
पदमा _हूं, बहु ने बताया था मुझे? अभी सब जग रहे हैं।
सुनो मैं रात में आऊंगी तुम्हारे कमरे में तुम दरवाजा बंद मत रखना।
राजेश _और भौजी।
पदमा _हूं उसका आना जरूरी है।
राजेश _मुझे उसका दूध पीना है।
राजेश ने पदमा के कान में धीरे से कहा मैं उसकी दूध पी पी कर तुम्हे चोदूंगा।
पदमा शर्म से पानी पानी हो गई,,
पदमा _चल हट बदमाश, बोल दूंगी उसे भी रात में आने।
राजेश खूश हो गया।
पदमा कीचन में गई,,
पुनम _क्या huwa मां जी। बहुत खुश नजर आ रही हो।
पदमा _राजेश तो पूरा बदमाश हो गया है।
पुनम _क्या कर दिया देवर जी ने।
पदमा _अरे अब कुछ मत पुछ, जा अपने कमरे में जाकर सो जा।
पुनम _ठीक है मां जी जाती हूं।
पुनम जाने लगी।
ताभी पदमा बोली,,
पदमा _अच्छा सुन, तुम अपने कमरे का दरवाजा बंद मत करना।
पुनम _क्यू मां जी?
पदमा _तु राजेश से chudna चाहती हैं कि नही?
पुनम _हां मां जी।
पदमा _तो जो कह रही वो कर,,
पुनम _ठीक है सासु मां।
पुनम खुश हो गई,,,
उसकी बुर में पानी भरने लगा कि आज फिर राजेश से चुदेगी। क्या गजब का मजा आता है राजेश से चुदने में पूरे शरीर के अंदर और बाहर के सभी अंगों को हिला कर रख देता है।
वह अपने कमरे में मुस्कुराते हुवे चली गई और अपने मुन्ने को दूध पिलाने लगी और एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी।
वह रात होने का बेसब्री से इंतजार करने लगी ताकि सभी लोग सो जाए।
इधर पदमा भी अपने कमरे में जाकर लेट गई और अपने पति की सोने का इन्तजार करने लगी।
इधर राजेश भी पदमा और पुनम का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, आज ज्योति को खड़े खड़े अपनी टांग फैलाकर मूत ते देख काफी उत्तेजित हो चुका था।
आज पदमा और पुनम को जमकर चोदना चाहता था।
राजेश पलंग में लेटकर अपना लंद सहला रहा था जो खुब लंबा और मोटा हो चुका था।
तभी उसकी मोबाइल पर मैसेज आने की रिंग बजा।
उसने अपना मोबाइल उठा कर देखा, किसका मेसेज है।
व्हाट्सएप पर सुनीता का मेसेज आया था।
सुनीता _कैसे हो बेटा?
राजेश ने जब अपनी मां का मेसेज पड़ा, उसने जवाब देना शुरू किया
राजेश _मैं ठीक हू मां आप कैसी है?
सुनीता _मैं भी ठीक हूं बेटा। तुम्हे वहा पहुंचने में कोइ परेशानी तो नही हुई।
राजेश _नही मां ।
सुनीता _बेटा मैं कब से तुमसे बात करने ट्राई कर रही थी, लग ही नहीं पा रहा था शायद नेटवर्क का इशू था।
राजेश _हो सकता है मां।
सुनीता _बेटा तुमने भोजन किया।
राजेश _हा मां, भोजन कर सोने की कोशिश कर रहा हूं।
आप क्या कर रही है।
सुनीता _मैं भी सोने की कोशिश कर रहा हूं बेटा?
राजेश _पापा कहा है?
सुनीता _वो तो घोड़े बेच कर सो रहे हैं, हमेशा की तरह।
राजेश _ओह।
सुनिता _क्या तुम्हे अपनी मां की याद नहीं आ रही?
राजेश _मां तुम याद नहीं आती तो अभी तक सो चुका होता।
सुनीता _चल झूठा कहीं का।
इतने दिनो तक मेरे बैगर रह लिए थे अब कह रहे हो मेरी याद आ रही है।
राजेश _सच में मां तुम बहुत याद आ रही हो।
और तुम मुझे कितना मिस कर रही।
सुनीता _बहुंत।
राजेश _अच्छा मां तुम्हारा दर्द कम हुआ कि नही।
सुनीता शर्मा गई और लिखी,,,
सुनीता _तुमने कल बड़े बेरहमी से किया,,,
अभी भी दर्द कर रहा है, तुम बड़े बेरहम हो,
राजेश _सारी मां मैं काफी जोश में आ गया था, काफी दिनो बाद कर रहा था न,, शायद इसलिए।
एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
सुनीता _पूछो , बुरा नही मानूंगी।
राजेश _कल आपको मजा आया कि नही,,
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई,,,
राजेश _बताओ न मां,,,
पदमा _छी बेटा ये तुम कितने गंदे प्रश्न पूछते हो।
राजेश _बताओ न,, प्लीज तुम्हे अच्छा लगा न,,
पदमा _हूं।
राजेश का लंद झटके मारने लगा।
इधर सुनीता भी इस तरह की बात चीत से गर्म होने लगी।
राजेश ने आगे लिखा,,
राजेश _मां, मुझे भी कल बहुत मजा आया आपके साथ,,,
आप तो पहले से भी ज्यादा टाइट लग रही थी, लगता है पापा बिल्कुल ख्याल नही रखते।
सुनीता _बेटा, अगर तुम्हारा पापा ख्याल रखते तो, तुम्हारा क्या होता?
राजेश _हूं, ये भी सच है, मैं तो इस परम आनद से वंचित रह जाता।
सुनीता _तुम्हे तो खुश होने चाहिए, कि तुम्हारा पिता मेरा ख्याल नही रखते और तुम्हे मौका मिला मां का ख्याल रखने का।
राजेश _नही मां, पापा अगर आपका खयाल रखते तो मैं ज्यादा खुश रहता।
सुनीता _वो क्यू?
राजेश _मेरी मां काम सुख के लिए तड़पे मैं नही चाहता।
सुनीता _अच्छा इतना प्यार करते हो मुझसे,
राजेश _हा मां,
सुनीता _अगर तुम्हारे पिता जी ने मेरा ख्याल रखना शुरू कर दिए और मैने तुम्हे नही दी तब क्या करोगे?
राजेश _मां क्या नही दोगी? मैं समझा नही।
पदमा _वही जो कल किया था।
राजेश _मां मैने क्या किया था समझा नही थोड़ा ठीक से बताओ।
सुनीता _अरे,, बाबा,,,chudai
Chudai शब्द पढ़ते ही राजेश का लंद खुब झटके मारने लगा।
सुनीता भी बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी। वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और हवस में सब लिख बैठी।
राजेश _मां तुम्हे मुझसे चुदने में बड़ा मजा आता है कि पापा से चुदने मे।
सुनीता शर्म से गड़ी जा रही थी, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। पर वह बहुत गर्म हो चुकी थी।
राजेश के बार बार पूछने पर अपनी कपकपाती हाथो से लिखी।
सुनीता _तुम्हारे करने से ज्यादा मजा आता है।
राजेश _क्या करने से मां ठीक से बताओ समझा नही,,,
बार बार पूछने पर सुनीता ने कपकपाते हाथो से लिखी
सुनीता _chudai
राजेश का लंद फिर झटका मारा
राजेश ने आगे लिखा
राजेश _मां, तुम कल बता रही थी जब मैं तुम्हे चोद रहा था कि अंदर मत छोड़ना मेरा गर्भधारण का समय चल रहा है।
क्या औरतों का इज समय चुदने की इच्छा बड़ जाती है।
राजेश के इज तरह पूछने से सुनीता और बहुत उत्तेजित हो गई। उसकी बुर से पानी बहकर उसकी टांगो में बहने लगी।
राजेश _बताओ न मां।
सुनीता _हा
राजेश _मां तो आज भी बड़ी इच्छा हो रही होगी तुम्हारे चुदने की।
एक तरफ तो सुनीता शर्म से गड़ी जा रही थी तो दूसरी ओर हवस के कारण अपने बेटे के अश्लील सवालों का जवाब भी दे रहीथी ।
राजेश_बताओन मां।
सुनीता_हा।
राजेश_मां, अगर आज मैं घर में होता तो क्या आज भी चुदाती मुझसे।
सुनीता का बुरा हाल हो गया था। वह कपकपाती हाथो से लिखी।
सुनीता _हा
सुनीता की आगे और कुछ लिखने की हिम्मत नही हुई वह मोबाइल को बेड पर रख अपनी उंगली को बुर में ले जाकर भग्नासा को रगड़ी और कुछ ही देर में चीखते हुवे झड़ने लगी।
इधर राजेश ने देखा उसकी मां अब कोइ जवाब नही दे रही है। उसका लंद अपनी मां के साथ अश्लील चैटिंग करने से महालंड बन चुका था।
इधर पदमा ने देखा घर के सभी लोग सो चूके है अपने बिस्तर से उठ कर पहले पुनम के कमरे में गई।
पुनम तो पहले ही अपनी सासू मां के आने का इन्तजार कर रही थी।
पदमा _बहु , चलो राजेश के कमरे में।
पुनम अपने बिस्तर से उठ कर पदमा के पीछे पीछे राजेश के कमरे में चली गईं।
राजेश _बहुत देर लगा दी तुम दोनो ने।
पदमा _बेटा, तुम्हारे ताऊ जीकी नींद आज देर से लगी।
राजेश _चलो दोनो नंगी हो जाओ, मुझसे रहा नही जा रहा। देखो मेरा लंद का हाल।
राजेश ने अपने लोवर से लंद को बाहर निकाल कर दिखाया।
पुनम _अरे बाप re ये तो बहुत विकराल लग रहा है। सासु मां आज तो हम दोनो की खैर नहीं।
ये तो हमारी चीखे निकाल देगी।
पदमा _बहु तुम सही कह रही हो। यहां हम chudai करेंगे तो हमारी चीख से घर वाले उठ न जाए। चलो हम घर के पीछे बाड़ी में चलते है।
पुनम _पर वहा तो अंधेरा होगा।
पदमा _अरे कंडील ले जाते है, उसे जला लेंगे।
चलो बेटा राजेश।
राजेश, पुनम और पदमा तीनो कंडील और चटाई लेकर बाड़ी में चले गए।
बाड़ी में मिट्टी से दो बड़े बड़े कमरे बने थे।
एक में जानवरों को बांधा गया था और एक में जानवरों के खाने के लिए पैरा वगैरा रखा गया था।
वे पैरा वाला कमरे में चले गए।
पदमा ने कंडील जला दी। पैरा को जमीन में फैला दी और उसके ऊपर चटाई बिछा दी।
राजेश नंगा हो गया ।
पदमा और पुनम भी अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट निकाल कर नंगी हो गई।
दोनो को नंगी देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
पदमा और पुनम घुटने मोड़ कर बैठ गई। और राजेश के लंद को बारी बारी चूसने लगी।
राजेश ने दोनो के बाल जो बंधे थे उसको खोल दिए।
राजेश ने पदमा को ऊपर उठाया और दीवार पकड़ा कर झुका दिया।
उसकी चूत को चाटने लगा। पदमा तो पहले ही बहुत गीली हो चुकी थी।
पुनम ने राजेश का लंद हाथ में पकड़ कर पदमा की बुर में रखा दिया।
राजेश ने एक जोर का धक्का मारा।
लंद बुर चीरकर एक ही बार में अंदर घुस गया।
पदमा चीख उठी।
अब राजेश पुनम की चूची को मुंह में भरकर मसला मसल कर चूसने और दूध पीने लगा।
और अपना कमर हिला हिला कर पदमा की बुर चोदने लगा।
पदमा चीखने लगी।
राजेश लगातार gach gach पदमा की बुर में अपना लंद डाल रहा था। और दूसरी ओर पुनम की दूध पी रहा था। पुनम सिसक रही थी तो पदमा चीख रही थी क्यों की लंद पूर गहराई तक का रहा था उसका टोपा पदमा की गर्भासय को ठोक रहा था।
राजेश के बिना रुके लगातार चोदने से पदमा खुद को रोक न सकी और झड़ने लगी।
झड़ने के बाद पदमा लंद को निकालने के लिए हटने की कोशिश की पर राजेश ने उसकी कमर को पकड़ कर अपने लंद में कस लिया।
राजेश _साली ऐसी ही झुकी रह, नही तो मुझसे बुरा कोइ नही होगा।
पदमा वैसे ही झुकी रही। राजेश ने पुनम की चूची को मसल मसल कर फिर दूध पीने लगा और पदमा कोफिर gach gach चोदने लगा। वह जोर जोर से धक्का लगाने लगा। पदमा फिर चीखने लगी।
पदमा बर्दास्त न कर सकी और मूतने लगी।
पुनम हसने लगी।
राजेश ने पदमा को मूत ते देख और जोश में आ गया और कश कश कर चोदने लगा। कुछ देर में ही पदमा फिर झड़ने लगी।
करीब आधे घंटा तक ऐसे ही पदमा को चोदते रहा।
जब तक पुनम की दूध खाली नहीं हो गया।
पदमा की बुर का हाल बहुत खराब हो चुका था। जब राजेश ने अपना लंद बाहर निकाला।
उसकी बुर ऐसा फैल चुका था जैसे वह अभी अभी बच्चे को जनि हो।
पदमा चटाई में लेट गई और सुस्ताने लगी इधर राजेश। अब राजेश ने पुनम को भी झुका कर अपना लंद उसकी बुर में डाल कर जोर जोर से चोदने लगा पुनम चीखने लगी।
राजेश पुनम की कमर को दोनो हाथों से पकड़ कर gach gach चोद रहा था।
पदमा अपनी बहु को चुदाते हुवे देख रही थी।
पुनम को भी राजेश ने लगातार आधे घण्टे तक ऐसे ही चोदा, पुनम कई बार झड़ी और मूत भी चुकी थी।
जब राजेश ने अपना लंद बुर से बाहर निकाला तो पुनम की बुर की भी वही हालत हो गई थी जो पदमा की बुर की हुई थी।
पदमा अपनी बहु की बुर की हालात देख मुस्कुराने लगी।
राजेश अब चटाई पर लेट गया। और पदमा को ऊपर बैठने कहा। पदमा अपनी बहु को चुदाते देख फिर से गर्म हो गईथी वह राजेश के लंद पर बैठ कर उछल उछल कर चुदने लगी।
कुछ देर बाद पुनम को अपने लंद पर बिठा लिया। पुनम भी उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने अब खड़ा होकर पुनम को अपने लंद पर बिठा कर हवा में उछाल उछाल कर चोदना शुरू कर दिया। पुनम पहली बार ऐसी chud रही थी।
पदमा राजेश की ताकत को देखकर आश्चर्य में थी।
राजेश ने पुनम को लंद से उतार दिया।
पुनम की हालात बहुत खराब हो चुकी थी। वह चटाई पर लेट गई।
इधर राजेश ने पदमा को भी उसकी कमर पकड़ कर ऊपर उठाया और अपने लंद उसकी बुर में डाल कर हवा में उछाल उछाल कर चोदना शुरु कर दिया।
पदमा फिर चीखने चिल्लाने लगी।
कुछ देर इसी तरह chudai करने के बाद वह पदमा को नीचे उतार दिया।
पदमा की हालात भी खराब हो गई थी वह भी पुनम की बाजू में लेट कर सुस्ताने लगी।
दोनो की बुर में दर्द होने लगी थी।
इधर राजेश झड़ा नहीं था।
वह पुनम की टांग को फ़ैला कर उसके बीच आ गया और अपना लंद उसकी बुर में डालकर फिर से दनादन अंदर बाहर करने लगा।
पुनम के मुंह से चीख निकलने लगी।
पुनम _राजेश अब बस करो मैं अब नही chud पाऊंगी। प्लीज निकाल दो,,,
राजेश ने लंद पुनम की चूत से निकाल कर पदमा के टांगो के बीच आ कर उसकी बुर में डाल दिया और दनादन चोदने लगा।
पदमा चीखने चिल्लाने लगी। यह चीख दर्द और आनंद दोनो की थी।
पदमा _बेटा अब बस करो अब मैं और नही chud पाऊंगी, मेरा बुर दर्द करने लगा है।
राजेश ने अपना लंद निकाल दिया और खड़ा हो गया।
राजेश _मैं अभी झड़ा नहीं हु, चलो चूस कर मुझे झाड़ो।
पदमा और पुनम दोनो उठ कर बैठ गए और बारी बारी से लंद चूसने लगी।
पदमा _बेटा और कितना समय लगेगा झड़ने में, काफी समय हो गया है।
पुनम _हा राजेश तुम तो आज झड़ने का नाम ही नही ले रहे कहीं कोइ दवाई तो नही खा ली है।
राजेश हसने लगा,,,
अब तो इसे झाड़ने के लिए दूसरा छेद में डालना पड़ेगा।
पदमा _बेटा मैं समझी नहीं तुम किस छेद की बात कर रहे हो।
राजेश _ताई तुम झुको।
पदमा झुक गई। राजेश ने एक उंगली उसकी गाड़ में घुसा दिया।
पदमा चिहुंक उठी।
राजेश _मैं इस छेद की बात कर रहा हु ताई।
पुनम _देवर जी क्या तुम सासु मां की गाड़ चोदेंगे।
राजेश _हा, तभी मैं झड़ पाऊंगा।
पदमा _नही बेटा, मैने औरतों से सुनी जरूर है की कुछ महिलाए अपनी गाड़ भी मरवाती है पर अब तक कभी मैने गाड़ नही मरवाई।
तुम्हारा लंद तो बहुत मोटा है और गाड़ की छेद एकदम सकरी। मेरा तो गाड़ ही फट जायेगा।
मेरी गाड़ को मत मारो।
राजेश _ताई तुम तो बेकार ही डर रही, पहले थोड़ा दर्द जरूर होगा फिर बाद में बहुत मजा आएगा, आपको गाड़ मरवाने में। वैसे भी आपकी गाड़ की छेद काफी बड़ी है। भौजी की छेद से काफी बड़ी।
पदमा _नही बेटा, कहीं मैं दर्द से मर गई तो।
अरे नही ताई कुछ नही होगा मैं बहुत आराम से करूंगा।
भौजी जाओ तुम कीचन से घी ले आओ। उससे गाड़ मारने में आसानी होगी।
पुनम _ठीक है देवर जी।
राजेश ने पदमा की बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
उधर पुनम नंगी ही कीचन में चली गई और घी का डब्बा ले आई।
पुनम _लो देवर जी घी ले आई।
पुनम _भौजी मेरे लंद में अच्छे से लगा दो।
पुनम ने डब्बे से घी निकाल कर अच्छे से राजेश के लंद पर लगा कर मूठ मारने लगी।
राजेश ने डब्बे से घी निकाल कर अपनी उंगली से पदमा की गाड़ में भर दिया।
राजेश _भौजी तुम अपनी ब्लाउज को ताई की मुंह में डाल दो।
पुनम ने पदमा के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया।
अब राजेश अपनी दो उंगलियां गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर के बाद वह अपने लंद का टोपा उसकी गाड़ के छेद में रख दिया और दबाव बनाने लगा।
पुनम आश्चर्य से सब देख रही थी।
इधर राजेश ने कोशिश जारी रखा।
और कुछ देर बाद टोपा को गाड़ में घुसाने में कामयाब हो गया।
पदमा चीखना चाही पर मुंह में कपड़ा होने से घुटी घुटि आवाज़ ही निकाल पाई।
राजेश _, भौजी तुम ताई कि बुर चांटों।
पुनम पदमा के टांगो के नीचे लेट गईं और पदमा की बुर को चाटने लगी।
इधर राजेश ने हल्का हल्का दबाव बनाना जारी रखा और गाड़ फैलने लगा।
पुनम बुर चांट रही थी जिससे पदमा को दर्द के साथ मजा भी आ रहा था।
अब राजेश ने अपना लंद गाड़ में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया।
लंद धीरे धीरे गाड़ में नीचे उतर ता चला गया।
और एक समय आया जब आधे से ज्यादा लंद गाड़ के अंदर था।
अब राजेश ने अपना स्पीड बढ़ाया।
लंद गाड़ में अंदर बाहर होने लगा।
पदमा को बहुत दर्द हो रहा था।
उधर पुनम के द्वारा बुर चाटने से मजा भी आ रहा था।
धीरे धीरे गाड़ पूरी तरह फैल कर लंद को निगल गई।
अब राजेश पदमा की कमर पकड़ कर तेज़ तेज़ गाड़ मारना शुरू कर दिया।
राजेश ने लंद निकाल कर और अच्छे से गाड़ और लंद पर घी लगाया। गाड़ का छेद फैल चुका था।
अब लंद को गाड़ में डालने में राजेश को ज्यादा दिक्कत नही huwa।
राजेश ने लंद को धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुवे। पूरा घुसा देने के बाद अपना स्पीड बढ़ा दिया।
गाड़ पूरी तरह फैल गया अब राजेश का लंद आसानी से गाड़ में अंदर बाहर होने लगा।
पदमा को दर्द के साथ एक अलग ही मजा आने लगा जी बुर मरवाने से काफी अलग था।
गाड़ राजेश के लंद को एकदम से जकड़ा huwa था राजेश को गाड़ मारने में बहुत मजा आने लगा वह जोश में आकर जोर जोर से गाड़ मारना सुरू कर दिया।
पुनम अब खड़ी होकर राजेश को गाड़ मारते हुवे देखने लगी वह आश्चर्य से देख रही थी।
इतने बड़े लंद को गाड़ ने निगल लिया है और आसानी से लंद अंदर बाहर हो रहा है।
इधर पदमा को दर्द भी हो रहा था, और एक अलग मजा भी आ रहा था।
राजेश ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाया और हापते हुए झड़ने लगा।
फिर पुनम की ओंठो को जी भर कर चूसा और चटाई पर लुडकगया । राजेश का लंद गाड़ से बाहर निकलने पर पदमा राहत की सांस ली पर उसकी गाड़ और और बुर दोनो सूज गया था।
वह ठीक से खड़ा नही हो पा रही थी गाड़ छील गया था जिससे उसे जलन हो रही थी।
पदमा _राजेश तुमने तो मेरी गाड़ ही फाड़ दी बहुत जलन हो रही है।
राजेश _ताई आप चिन्ता न करो कल मैं दर्द का गोली लाकर तुमको दूंगा। कुछ दिनो में सूजन भी ठीक हो जाएगा। अब आपकी गाड़ खुल चुकी है इसके बाद गाड़ मरवाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
कुछ देर तीनो सुस्ताने के बाद अपने अपने कपड़े पहन कर अपने कमरे में जाने लगे।
पदमा तो ठीक से चल भी नहीं पा रहे थी।
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