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Incest यह क्या हुआ

sunoanuj

Well-Known Member
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मंगली ने अपने खाट के बाजू अपने पति का खाट लगा दिया, उसमे एक नया चादर बिछा दिया।
मंगली _लो बबुवा , सो जाओ।
राजेश खाट पे सो गया।
मंगली भी अपनी खाट पे सो गई।
राजेश को नींद नहीं आ रहा था, क्यू की उसका land तो अभी अकड़ा हुआ था, उसने मंगली और बंशी की chudai जो देख लिया था।
करीब आधा घंटा बाद,,
राजेश अपनी खाट से उठ कर बैठ गया।
मंगली की नींद भी नहीं लगी थी।
मंगली _बबूवा, अभी तक सोए नही।
राजेश _ओ काकी प्यास लगी थी।
मंगली अपनी अपनी खाट से उठी और कीचन से पानी लाने के लिए जाने लगी।
राजेश की नजर उसकी मटकती गाड़ पड़ पड़ी तो उसका land और झटके मारने लगा।
राजेश ने पानी पिया।
राजेश खाट पर लेट गया
मंगली _अरे बबुआ तुम्हारी तबियत तो ठीक है न।
राजेश _नही काकी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है। बड़ी तकलीफ हो रही है।
मंगली _अरे बाबुवा, कहा तकलीफ है।
राजेश _रहने दो काकी आप जानकर भी क्या करोगी?
मंगली _अरे बबूवा, तकलीफ क्या है? मुझे तो बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू।
राजेश _अरे काकी, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊं क्या तकलीफ है, आप मुझे गलत समझने लगोगी।
आप मुझे गंदा लड़का समझोगी।
मंगली _मैं गलत नहीं समझूंगी, तकलीफ क्या है बताओ।
राजेश _काकी, अब क्या बताऊं, मुझे बताने में शर्म आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ शर्माना तो लड़कियों का काम है तुम तो लड़के हो। लड़के होकर शर्मा रहे हो। चलो बताओ बात क्या है अपने काकी से शर्माने की आवश्यकता नही।
राजेश _ओ काकी क्या है न कि मेरे,,,,
मंगली _अरे रूक क्यू गए, बबुआ बताओ,,,
राजेश _ओ काकी,,, मेरे,,, नुनु में,,,,, बड़ा दर्द है,,,
मंगली नुनु शब्द सुनकर शर्मा गई,,,
मंगली _क्यू बाबुवा, क्या huwa तुम्हारे नुनु को,, मुंह छिपाते हुए बोली, और मुस्कुराने लगी।
राजेश _ओ आपको और काका को घर के पीछे, जब से देखा है न, तब से दर्द कर रहा है।
मंगली, शर्म से पानी पानी हो गई।
मंगली _अरे बबुआ अब क्या बताऊं तुम्हे? मैने तुम्हारे काका को मना भी की थी घर में सब मेहमान है ऐसे में, ये करना ठीक नहीं, पर दारू पीने के बाद तो तुम्हारे काका अपने पर काबू ही नही रख पाते।
आखिर वही huwa जिसका डर था तुम वहा आ गए।
राजेश _माफ करना काकी मुझे पता होता की आप आप और काका वहा, कुश्ती लड़ रहे हैं तो मैं वहा नही जाता।
मंगली _कुश्ती शब्द सुनकर, मंगली शर्म से पानी पानी होने लगी।
मंगली _, अरे जो नई होना था वो तो हो गया। अब कर भी क्या सकते हैं?
अब तेरा तकलीफ दूर कैसे होगा? ये बताओ।
राजेश _काकी, आप चाहे तो तकलीफ दूर कर सकती हो,,
मंगली _वो कैसे बबुआ?
राजेश _मेरे नुनु से पानी निकालकर।
मंगली शर्मा गई,,,
राजेश _अरे काकी, थोड़ा तेल लगाकर मालिश कर दोगी तो, मुझे दर्द से राहत मिल जायेगी। और मैं चैन से सकूंगा।
मंगली _मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ लडका समझती थी, तू तो बदमाश निकला, अपनी काकी को मूठ मारने कह रहा है। तुम तो अपनी काकी को गंदी औरत समझने लगे।
मंगली, नाराज होते हुवे बोली।
राजेश _काकी आप तो नाराज हो गई, माफ करना मुझसे गलती हो गई।
राजेश अपनी खाट से उठ गया।
राजेश _काकी मैं दोस्तो के साथ सो ने जा रहा हूं। आप नाराज मत होइए।
राजेश जाने को huwa
मंगली _अरे रुको, बाबुवा।
नाराज हो गए क्या अपने काकी से,,
राजेश _नही तो
मंगली _फिर यहां से जा क्यूं रहे हो।
राजेश _यहां रहने से दर्द तो कम होगा नही, बल्कि और बढ़ेगा, इसलिए यहां से जाना ही अच्छा है।
मंगली _अच्छा ठीक है, दिखाओ अपना नुनु मैं मालिश कर देती हूं।
बबुआ तुम्हारे जगह कोई और होता तो खुद ही यहां से जाने कह देती, पर तुमको निराश करने की हिम्मत मुझमें नहीं है,और मेरी क्या इस गांव की किसी भी औरत में नही होगी।
पर हां यह बात किसी से कहना मत नही तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। पता नही गांव के कितने लोगो ने मुझे फसाने की कोशिश की पर पराया मर्द के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
राजेश _अरे काकी ऐसी बात है तो मैं आपका पतिव्रता धर्म नही तोड़ना चाहता। मुझे जाने दीजिए।
काकी _अरे बबुआ तुम्हे निराश करके अपनी पतिव्रता धर्म बचा के रखूंगी, तो मेरे दिल को बिलकुल अच्छा नही लगेगा।
राजेश _काकी ठीक से सोच लो बाद में मुझे दोष न देना कि मैने आपका पतिव्रता धर्म को भ्रष्ट कर दिया।
काकी _नही दूंगी बाबा नही दूंगी। चल अब तू खाट में लेट जा मैं सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
मंगली मुस्कुराते हुवे कमरे से जाने लगी तभी राजेश ने उसकी चूतड पे चिकोटी कांट ली।
मंगली _उई मां, बदमाश बड़ा जोर से चिकोटी कांटा, अपनी काकी से शरारत करता है। आती हूं तब बताती हूं तुझे।
मंगली कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म कर लें आई।
मंगली _चलो दिखाओ अपना नुनु,
राजेश ने अपना पैंट और चड्डी ने खिसका कर लंद बाहर निकाल दिया। लंद हवा में लहराने लगा।
मंगली , आश्चर्य से देखने लगी।
राजेश _क्या huwa काकी?
मंगली _ये क्या है re इतना बड़ा?
ये नुनु है।
राजेश _तो।
मंगली _इतना बड़ा तो किसी घोड़े का होता है!
राजेश _काकी, जल्दी करो न बड़ा तकलीफ हो रही है।
राजेश का लंद देखकर मंगली की boor पानी छोड़ने लगी।
मंगली, हाथो में तेल लेकर लंद की मालिश करना शुरू कर दी।
काफी देर तक मालिश करने के बाद भी जब लंद से पानी नही निकला।
मंगली _कितने देर से हिला रही, तेरा तो पानी ही नहीं निकल रहा है re, तेरा काका का तो हाथ लगाते ही पानी छोड़ देता है।
मेरा तो हाथ भी दर्द करने लगा।
राजेश _काकी, ये इतना आसानी से पानी नही छोड़ने वाला। मेरे घोड़े को बड़ी प्यास लगी है। जब तक जी भर कर कूवे का पानी नही पिएगा। ये उल्टी नही करेगा। इसे अपने कुवे का पानी पिलाओ।
मंगली _मतलब तू मेरे कुंवे की खुदाई करना चाहता है।
राजेश _अगर आप इजाजत दो।
मंगली _तू अपने इतने बड़े हथियार से खुदाई करेगा न, तो नसे में खर्राटे भरने वाले भी जाग जायेंगे।
राजेश _तो चलो घर के पीछे चलते है।kuwe की खुदाई करने। राजेश ने एक हाथ से मंगली की boor को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
मंगली की पेटीकोट boor की पानी से गीली हो चुकी थी।
मंगली _अब तेरी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी। नही तो रात भर प्यास से तड़फता रहेगा तेरा घोड़ा।मुस्कुराते हुवे बोली।
तू चल मैं लाल टेन लेके आती हूं। और जाने से पहले एक बार देख लो सब सो तो रहे है न।
राजेश ने कमरे में जाकर देखा जहा मेहमान सी रहे थे। सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे।
राजेश _काकी, सभी घोड़े बेच कर सो रहे है, चलो जल्दी। मेरे घोड़े को पानी पिला दो।
मंगली _अरे बबुआ आती हूं, थोड़ा धीरज धर।
राजेश घर के पीछे चला गया, कुछ देर बाद मंगली भी वहा लाल टेन, चादर और तकिया लेकर पहुंच गई।
मंगली _और बबुआ, बाजू वाले झोपड़ी में चलते है वहा दरवाजा लगा huwa है।
इस झोपड़ी में दरवाजा न होने के कारण कोई भी देख सकता है। जैसे तुमने देख लिया।
घर के पीछे झोपड़ी में रखे पैर को जमीन पर बराबर से फैला कर, चादर बिछा दिया और तकिया लगा दिया।
राजेश ने मंगली को खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। और उसकी ब्लाउज का बटन खोल कर उसे शरीर से अलग कर दिया।
उसकी बड़ी बड़ीगोरे गोरे सुडौल चुचियों को देखकर उसका लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने उसके स्तनों को हाथ में पकड़ कर मसलना और चूसना शुरु कर दिया।
मंगली सिसकने लगी।
राजेश का लंद देखकर उसकी हालत पहले से ही खराब थी।
राजेश ने एक हाथ, मंगली के पिटिकोट के अंदर डाल दिया और उसकी boor को मसलने लगा।
मंगली के हाथ पैर उटेजना के मारे कपकापने लगे।
राजेश एक हाथ से चूची को तो दूसरे हाथ से boor को मसल रहा था।
मंगली उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी।
मंगली _बबुआ अब बस करो, और kuwe की खुदाई शुरू करो।
राजेश _काकी, आपका kuwa तो, पूरा लबा लब पानी से भर गया है। डुबकी लगाकर खुदाई करने में मजा आयेगा।
राजेश ने मंगली को चादर पे लिटाकर, अपना पैंट और चड्डी उतार दिया।
उसकी टांगे फैला कर बीच में उकडु बैठ गया।
उसकी मस्त चिकनी, गुदाज boor को हाथ से सहलाने लगा।
उसकी मस्त चिकनी chut देख कर लंद झटके मारने लगा।
राजेश देर न करते हुए, अपना लंद को पकड़ा और मंगली के कुंवे का रास्ता दिखाया।
फिर एक जोर का धक्का मारकर, एक ही बार में लंद को boor में आधा से ज्यादा अंदर कर दिया। योनि एकदम गीली थी फिर लंद मोटा होने के कारण boor लंद को जकड़ा हुआ था। धक्के से मंगली के मुंह से उई मां निकल गया।
मंगली _ऐसा कोई धक्का मारता है क्या, एक ही बार में घुसा दिया। मेरी boor फट गई।
राजेश _सॉरी काकी, रहा नही जा रहा था।
राजेश ने, मंगली की चुचियों को मसल मसल कर कुन्वे की खुदाई करना शुरू कर दिया।
राजेश धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया।
लंद boor में गच गैच अंदर बाहर होने लगा।
लंद लंबा होने के करना,boor की अंतिम छोर तक जा रहा था।
राजेश ने तभी एक जोर का धक्का मारा, लंद का टोपा सीधा मंगली के बच्चे दानी से टकराया।
मंगली का पूरा बदन अंदर से झनझना गया।
राजेश मंगली की boor दनादन ठोकने लगा।
लंद मंगली की boor में कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली को अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह जन्नत में पहुंच चुकी थी।chudai की ऐसा सुख उसे मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना नही की थी
वह राजेश को एकदम से जकड़ ली थी।
राजेश गचा गाच पेले जा रहा था।
मंगली के मुंह से मादक सिसकारी निकल रही थी झोपड़े में उसकी चूड़ियों की खनक गूंज रही थी।
फ़च फाच, खन खन और आह उन आई मां,, मर गई मां,,, आई,, उन,,,
राजेश _अरे काकी सच में तू तो बड़ी मस्त मॉल है, चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी रानी।
एकदम कसा कसा अंदर जा रहा है।
लगता है काका ठीक से ठुकाई नही किए है
राजेश बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को मसल मसल कर पेले जा रहा था।
मंगली के boor का पानी नीचे चादर पर टपक रहा था।
मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजी हो गई की वह खुद को ज्यादा देर तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ ली।
आई मां,, मर,, गई,,, आह,,, उसकी आंखो की पुतलियां पलट गई। वह जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
वह राजेश को जोर से जकड़ ली राजेश उसके ऊपर लेट कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
इधर मधु अपने कमरे में सोई थी।
उसका बच्चा, अचानक रोने लगा। मधु की नींद खुल गई। वह अपने बच्चे को चुप कराते हुवे, अपनी ब्लाउज खोल कर एक चूची का निपल बच्चे के मुंह में डाल दिया।
लो बेटा दूदू पी ले, लगता है मुन्ने को भूख लगी है। वह उसके बालो को प्यार से सहलाने लगी।
उधर कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने मंगली को घोड़ी बना कर। गच गच चोदना शुरू कर दिया।
राजेश इतना जोर जोर से धक्के मारने लगा की। मंगली चीखने चिल्लाने लगी।
झोपड़ा, मधु के कमरे के ठीक पीछे था।
घर की दीवार तो ईट से बना था, लेकिन घर का छत कच्छा था, खपरैल से बना थी। जिसके कारण मंगली की चीखे मधु को सुनाई पढ़ने लगी।
मधु _ये कैसी आवाज है?
वह ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगी।
इधर राजेश बड़ी तेजी से लंद को boor में अंदर बाहर कर रहा था झोपड़ी में थप थप, फच फच, खन खन, आह उन आई मां,,,, आई,,,
की आवाज गूंजने लगा।
तभी मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई।
मंगली _कहा से सीखा है re ऐसा chudai करना,,, आह मां,, पूरा,,, उई मां,,
राजेश _क्या huwa काकी,,, मजा तो आ रहा है न, ले और ले,,, बड़ी मस्त chut है तेरी,
मंगली की कमर पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था।
मंगली _को संभोग का असीम सुख प्राप्त हो रहा था।
उसकी boor से पानी की धार बह रही थी।
लंद बड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली खुद को ज्यादा देर रोक न सकी और फिर से जोर से चीखते हुवे झड़ने लगी।
मंगली _आह,,, माई गई re,,,,
मंगली नीचे लुड़क गई, राजेश भी उसके ऊपर लेट गया।
चीख इतनी जोर की थी जिसे सुनकर मधु भी डर गई।
मधु, यह पता करने की पीछे आखिर चल क्या रहा है, और कौन इतनी जोर से चीखी।
वह अपने कमरे से निकल कर अपनी मां को बताने उसके कमरे में गई। उसकी मां कमरे में नही थी।
वह डर गई, कही ये मां की चीखे तो नही थी,
कही उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया, वह घबरा गई, वह कमरे में अपने बापू को ढूंढी। बंसी घोड़े बेच कर सो रहा था।
हे भगवान बापू तो यहां सोया huwa है फिर मां,,
वह घबरा गई।
इधर राजेश ने मंगली की चूची मसल मसल और चूस कर फिर गर्म कर दिया।
राजेश लेट गया, और मंगली को अपने लंद पर बैठने को कहा।
इधर मंगली राजेश की मर्दानगी देख हैरान थी, वह दो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी राजेश झड़ा नहीं था। उसका लंद हवा में झटके मार रहा था।
मंगली राजेश के लंद को हाथ में पकड़ी और अपनी boor का रास्ता दिखाते हुए उस पर बैठ गई।
राजेश ने अपने दोनो हाथो से उसके चूतड पकड़ लिया और अपनी कमरे उठा उठा कर चोदना शुरू कर दिया।
इधर मधु मां के साथ कुछ अनहोनी न हो गया हो घबरा कर वह घर के पीछे गई और अपने कमरे के पीछे झोपड़ी की ओर गई। झोपड़ी का दरवाजा अंदर से बंद था।
झोपड़ी के अंदर हल्की रोशनी दिखाई पड़ी।
मधु अंदर क्या चल रहा है जानने के लिए कान दरवाजे से लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी।
मंगली की मादक सिसकारी उसे सुनाई पड़ी।
वह अंदर का दृश्य देखने के लिए दरवाजे पर छेद ढूंढने लगी। उसे एक छेद मिल गया। वह जब छेद में आंखे डाल अंदर का दृश्य देखी तो दंग रह गई।
उसकी मां किसी के ऊपर नंगी होकर उछल रही थी।
वह अपनी मां की ऐसा रूप देख कर दंग रह गई।
जो मां हमेशा उसे संस्कार की पाठ पढ़ाया करती थी कि पराया मर्द के बारे में सोचना भी पाप है आज निर्लज होकर chud रही है, हे भगवान उसे यकीन नही हो रहा था।
वह यह जानने के लिए की उसकी मां किसके लंद पर उछल रही है, वह पहचानने की कोशिश करने लगी पर उसका चेहरा दिखाई नही दे रहा था।
जब लाख कोशिश करने के बाद वह जान ने सकी की नीचे कौन लेटा है। वह घर में गई और मेहमानों के कमरे में जाकर देखी सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे। सभी लोग तो सोए हुवे थे पर राजेश उसे नजर नहीं आया।
मधु _हे भगवान क्या मां राजेश भैया से chud रही है। उसे घोर आश्चर्य huwa वह अपने कमरे में जाकर लेट गई।
यह सोचते हुए की मां राजेश भैया से chud रही है।
उसकी शरीर रक्त प्रवाह तेज हो गया।
उधर मंगली की मादक सिसकारी और चीखे उसके कानो में अभी भी सुनाई पड़ रही थी।
मधु की boor में पानी भरने लगा, वह अपनी एक उंगली से अपनी boor रगड़ने लगी।
वह राजेश को इमेज कर अपनी boor में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
वह बहुत अधिक उत्तेजित होने लगी आज तक मधु ने किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोची नही थी, गांव के कई लड़के उसे फासने की कोशिश करते है पर वह कभी भी किसी पर ध्यान नहीं दी।
मगर आज उसकी मां को राजेश से chudte देख पता नही क्या हो गया। उसकी शरीर बहुत अधिक गर्म हो गई।
वह तेजी से अपनी उंगली को अपनी boor में अंदर बाहर कर सिसकने लगी।
मधु _राजेश भैया मुझे यकीन नही हो रहा है, तुम अपनी से लगभग दोगुनी उम्र की औरत को चोद रहे हो। क्या तुम्हे chut की कमी है, एक बार बोलेंगे तो पूरी गांव की लडकिया तुम्हारे नीचे लेट जाएगी।
मां तू बड़ी किस्मत वाली है। जो राजेश भैया का सानिध्य तुम्हे मिल रहा है।
Chut में उंगली अंदर बाहर करते हुए मधु इतनी उत्तेजित हो गई की, वह राजेश भैया कहते हुए झड़ने लगी।
आह मां,,,,
उसे ऐसा आनंद तो अपने पति के साथ चुदने में भी नहीं आया था जितना आनंद उसे राजेश के नाम का लेकर boor में उंगली डाल झड़ने में आया।

वह कुछ देर सुस्ताने लगी।
इधर उसके कानो में अभी भी, मंगली की मादक सिसकारी और बीच बीच में चीखने की आवाज सुनाई पड़ रही थी जिससे मधु फिर गर्म हो गई।
मधु _हे भगवान राजेश भैया में कितना पवार है जो एक बुरी औरत की चीख निकाल रहा है, कितने देर से चोदे जा रहा है।
उसकी boor फिर पानी छोड़ने लगी।
मधु फिर से अपनी boor सहलाने लगी।
मधु सोचने लगी _अगर राजेश भैया का सानिध्य पाना है तो यही अच्छा मौका है। नही तो जिंदगी भर उसके सानिध्य के लिए तरसना पड़ेगा। मुझे यह मौका नहीं खोना चाहिए।
वह अपनी पलंग से उठी और कमरे से निकल कर घर के पीछे जाने लगी। पीछे जाने से पहले मेहमानों के कमरे में गई देखा सभी अभी भी घोड़े बेच के सो रहे थे।
वह सीधे घर के पीछे झोपड़ी के पास जाकर छेद से देखी। राजेश मंगली के पीछे करवट लेकर लेट कर मंगली के एक टांग उठा कर दनादन पेल रहा था।
उसने दरवाजा खटखटाया।
मंगली और राजेश चौक गए।
Chudai रोक दिया।
मंगली _राजेश बेटा ये कौन आ गया अब क्या होगा?
राजेश_काकी तुम घबराओ मत मैं देखता हूं।
राजेश ने अपना चड्डी और पैंट पहना।
मंगली ने अपनी शरीर को साड़ी से ढक ली।
राजेश दरवाजे से बाहर निकला।
राजेश _अरे मधु तुम, यहां।
मधु _भैया, मां अंदर है क्या? घर में देखी तो कही नजर नहीं आई। घर के पीछे किसी की चीखने की आवाज सुनाई पड़ी तो इधर देखने आई।
मां ठीक तो है न, मुझे उसकी बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश कुछ देर सोचा,,,
मधु _राजेश भैया मुझे पता है अंदर क्या हो रहा है, आपको घबराने की आवश्यकता नही है। मैं किसी से इस बारे में कुछ नही कहूंगी।
राजेश _फिर आई क्यू?
मां की चीख सुनकर उसकी चिंता होने लगी तो पूछने आई हूं वह ठीक तो है न।
राजेश _काकी बिल्कुल ठीक है।
मधु _मुझे मां से मिलना है।
राजेश _ठीक है आ जाओ।
मधु अंदर गई, तो मंगली नीचे चादर पे लेटी थी और शरीर को साड़ी से ढक ली थी।
मंगली _अरे मधु तुम, बेटी तुम्हे यहां नही आना था।
मधु _मां मैने किसी की चीखे सुनी तो डर गया आपके कमरे में गया आप नही मिली, मुझे आपकी चिंता होने लगी कही आपके साथ कुछ अनहोनी तो नही हो गया। आपको ढूंढते यहां आ गई।

मंगली _अरे बेटी तुम्हारे आने से मैं कितना लज्जित महसूस कर रही हूं, तुमको यहां नही आना था। मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। तुमयहां से चली जाओ बेटीऔर हा अपनी बापू को इस बारे में मत बताना, नही तो उसे मुंह नही दिखा पाऊंगी।
मधु _मां मैं बापू को कुछ नही बताऊंगी पर आपको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी।
मधु _कैसी बात बेटी?
मधु _मुझे भी राजेश भैया के साथ सोना है। भैया से बोलो की मेरे सोए।
मंगली _बेटी ये तू क्या कह रही है?
मधु _मां जब आप सो सकती है राजेश भैया के साथ तो मैं क्यू नही?
मंगली _बेटी किसी पराया पुरुष के साथ सोना अच्छी बात नहीं है। आज तुम राजेश के साथ सोवोगी कल राजेश नही होगा तो, गांव के किसी दूसरे लड़को को बुलाने लगोगी।
इससे घर के बड़ी बदनामी होगी। किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इससे अच्छा तो तू अपनी ससुराल चली जा।
मधु _मां, मैं आपसे वादा करती हूं की मैं किसी दूसरे लड़के के साथ सोने के बारे में कभी सोचूंगी भी नहीं। बापू की मान सम्मान का ध्यान रखूंगी। पर राजेश भैया के साथ मुझे सोने दो।
देखो न आप ही तो मुझे हमेशा संस्कार की पाठ सिखाती थी और खुद ही राजेश भैया के साथ सोने लगी।
मंगली _अरे बेटी, तुम्हारे बापू के अलावा किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोचा नही था। पर राजेश को मैं मना नही कर पाई बेटी, इसके लिए मुझे माफ कर दो।
मधु _जानती हू मां तुम शायद ही गांव में कोई महिला हो जो राजेश को मना करे।
मां मैं भी तो एक महिला हू मै भी राजेश भैया का सानिध्य चाहती हूं।
मंगली _ठीक है बेटी पर वादा कर की तू राजेश के अलावा गांव के किसी भी पुरुष के साथ सोने के बारे में नही सोंचेगी।
मधु _मां मैने कहा न मैं घर की मान मर्यादा का हमेशा ध्यान रखूंगी।
मंगली _तो फिर ठीक है, राजेश, तुम मधु की इच्छा पूरी कर देना।
बेटी अब तुम कमरे से जाओ मैं साड़ी पहन लूं। मैं यहां से चली जाऊंगी, उसके बाद तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
बबुआ तुम मधु के साथ सोकर उसकी इच्छा पूरी कर देना।
राजेश _काकी, मुझे आपके साथ अभी और करना है, मेरा मन अभी नही भरा है, तुम भी यही रहो न हम तीनो साथ में सोएंगे।
मंगली _babuwa तू ये क्या कह रहा है, मैं क्या मधु के सामने ही नंगी होकर तुम्हारे साथ सो जाऊं, न बाबा मुझसे नही हो पाएगा।
राजेश _अरे काकी, बहुत मजा आएगा। प्लीज मेरी भी बात मान लो तुम दोनो।
मधु _मां, अब भैया कह रहा है तो मान लो न उसकी बात।
मंगली _अरे बेटी, मुझे तुम्हारे सामने बड़ी शर्मिंदगी महसूस होगी।
मधु _मां मैने देखा किस तुम राजेश भैया के ऊपर नंगी बैठ कर उछल रही थी। इतना होने के बाद अब क्या शर्माना।
मंगली _अरे बबुआ दरवाजा बंद कर दे कोई और न आ जाए।
राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया।
मधु राजेश के पास जाकर उसके गले में अपना हाथ डाल दिया।
राजेश ने अपने दोनो हाथ से मधु की चूतड को पकड़ लिया। फिर उसकी ओंठ को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
मधु भी राजेश का सहयोग करने लगी।
उसके बाद मधु राजेश के गाल सीने को चूमता huwa नीचे बड़ा।
राजेश के पैंट का बटन खोल कर नीचे कर दिया उसका अंडरवियर भी खीच दिया।
राजेश का मोटा और लंबा लंद उसके आंखो के सामने आ गया। वह आश्चर्य से देखने लगी।
मधु _हाय दईया इतना बड़ा। तभी कहूं मां इतनी चीख चिल्ला क्यू रही थी।
मंगली _अरे बेटी तू नही ले पाएगी, राजेश का, तेरे बस की बात नहीं,मंगली हसने लगी।
मधु _मां, मैं भी कुवारी नही हूं एक बच्चे की मां हूं।
मधु राजेश का लंद हाथ में लेकर हिलाने लगी।
राजेश _मधु, मुंह में लेकर चूसो।
मधु _भैया, आपका तो बहुत बड़ा है, मुंह में नही आ पाएगा।
राजेश _अरे जितना आ सकता है उतना लेके चूसो। मधु राजेश के टट्टो को चाटने लगी।
फिर लंद का टोपा मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी, उसके बाद जितना अंदर जा सकता था, मुंह में लेकर चूसने लगी।
राजेश _हां ऐसे ही, तुम बहुत अच्छे से चूस रही हो। मजा आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ हमे तो नही चुसवाया अपना मूसल। आज तक कभी चूसी नही। मैं भी तो देखूं कैसा लगता है।
राजेश _काकी, आ जाओ तुम भी।
मंगली उठ के बैठ गई।
रामधु _लो मां अब तुम चूसो।
मंगली ने राजेश का लंद मुंह में डाल कर चूसने लगी।
इधर राजेश मधु की साड़ी खींचने लगा।
मधु अब पेटीकोट और ब्लाऊज़ में रह गई। मधु ने अपनी ब्लाउज भी निकाल दी। वह अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई। उसकी दूध से भरी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर राजेश का लंद मंगली के मुंह में झटके मारने लगा।
राजेश मधु को अपने पास खींचा और उसकी चूचियां पकड़ कर मसल मसल कर दूध निचोड़ निचोड़ कर पीना शुरू कर दिया। फिर एक हाथ से पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी boor मसलने लगा।
मधु के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी। उसकी boor से पानी निकल कर पेटीकोट को गीला करने लगा।
इधर मंगली राजेश के के लंद को मुंह में भर कर चूस रही थी राजेश उसके मुंह में हल्का हल्का धक्का भी मार रहा था।
राजेश ने मधु की पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेटी कोट सरसराकर मधु के पैरो में गिर गया।
राजेश अपने हाथ से मधु की boor को सहलाया। मधु की boor में झांटे थी।
राजेश ने एक उंगली उसकी boor में डाल दिया।
मधु चिहुंक उठी।
फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश ने अब दो उंगली अंदर डाल दिया। और boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु की boor पानी फेकने लगी। मधु के मुंह से, आह उन आन माई,,,
निकलने लगी।
राजेश _मधु चल अब तो घोड़ी बन जा।
मधु घोड़ी बन गई।
राजेश दो उंगली boor में डाल कर फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश _काकी अब डाल दो अपनी बेटी के boor में मेरा लंद।
मंगली राजेश के लंद को पकड़ कर मधु की boor में सेट कर दी।
राजेश ने एक धक्का मारा।
मधु _उई मां,,,,
लंद का टोपा अंदर चला गया।
राजेश झुककर मधु की स्तन पकड़ कर मसलने लगा उसकी चूची से दूध फुहारा निकल नीचे गिरने लगा।
अब राजेश एक जोर का धक्का मारा,
मधु _उई मां,,,
भैया थोड़ा आराम से डालो तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है।
लंद boor फाड़कर,आधा अंदर चला गयाथा ।
अब राजेश मधु की कमर पकड़ कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
लंद boor में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
मधु को बहुत मजा आने लगा।
इधर राजेश अपना धक्का बढ़ाने लगा।
राजेश एक जोर का धक्का मारा लंद, मधु की बच्चेदानी से टकराया।
मधु का पूरा शरीर झनझना गया।
राजेश मधु की boor की दनादन ठुकाई करने लगा। मधु चीखने चिल्लाने लगी। मादक सिसकारी निकालने लगी।
वह संभोग की परम सुख को प्राप्त कर रही थी। उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी कमर को आगे पीछे कर राजेश का सहयोग करने लगी
झोपड़ी में मधु की मादक सिसकारी,, आह उन आई,,, चूड़ियों की खनक खन खन,,,,
लंद का boor में जाने की फ्च फच की आवाज गूंजने लगी।
राजेश को भी मधु को चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। लंद boor में कसा कसा अंदर बाहर आ जा रहा था।
इधर मधु की chudai देख मंगली बहुत गर्म हो गई वह अपनी उंगली अपनी boor में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
राजेश _काकी, मधु को चोदने में बहुत मजा आ रहा है, देखो ना लंद मधु की boor में कितना कसा कसा अंदर बाहर हो रहा है।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
काकी, थोड़ा चूस कर फिर से अंदर डाल दो।
मंगली राजेश केboor के रस से भीगा लंद मुंह में लेकर चूसने लगी कुछ देर चूसने के बाद राजेश के लंद को फिर से मधु की boor ने सेट कर दिया।
राजेश फिर एक जोर का धक्का मारा लंद एक ही बार में जड़ तक boor में घुस गया।
मधु चीख उठी।
राजेश अब मधु की कमर पकड़ कस कस कर चोदने लगा। मधु फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
राजेश तेज रफ्तार से चोदने लगा। मधु का पूरा शरीर कपकपाने लगा, वह खुद को रोक न सकी और चीखते हुवे झड़ने लगी।
मधु नीचे लुड़क गई।
राजेश का लंद अभी अकड़ा हुआ था। वह झटके मार रहा था।
उसने मंगली को कमरा पकड़ कर उठा लिया और अपना लंद उसकी boor में डालकर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली _चीखने चिलाने लगी।
इधर मधु आंखे खोली, उसने राजेश को अपनी मां को गोद में उठा कर चोदते हुवे आश्चर्य से देखने लगी।
और फिर गर्म होने लगी।
इधर मंगली की हालत खराब हो गई वह फिर ऐसी chudai भी होता है वह सांची न थी, वह कुछ देर की chudai में ही झड़ने लगी। राजेश से बच्ची की तरह चिपक गई। आह मां,, आह माई,,,,
राजेश उसे कुछ देर अपने से चिपकाया रखा फिर से नीचे लिटा दिया।
उसके बाद उसने मधु को अपनी गोद में उठा लिया और हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली राजेश की मर्दानगी देख कर दंग रह गई।
राजेश मधु को हवा में उछाल उछाल कर कुछ देर चोदने के बाद राजेश मधु को लेकर लेट गया।
मधु लंद में उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश मधु की हिलती चुचियों को थाम लिया और मुंह में भर कर उसकी दूध पीने लगा। और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर लंद को boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु को ऐसा सेक्स सुख मिल रहा था जिसकी कल्पना नही की थी वह कुछ देर में चीखतेहुए फिर से झड़ने लगी।
वह राजेश से कस कर लिपट गई थी। कुछ देर बाद राजेश उसे बाजू लिटा दिया।
और मंगली के ऊपर आ गया।
मंगली के चूतड के नीचे तकिया रख दिया। और लंद को एक ही बार में फाच से अंदर कर दिया।
उकड़ू बैठ कर उसकी चूचियों मसल मसल कर चोदना शुरू कर दिया।
मंगली की चीखे फिर से कमरे में गूंजने लगी। वह मंगली को तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से न झड़ गई।
मंगली के झड़ने के बाद राजेश मधु के ऊपर आ गया और उसकी चूतड के नीचे तकिया रखकर,boor चोदना शुरू कर दिया।
लंद पूरी जड़ तक अन्दर बाहर होने लगा।
मधु चीखने लगी।
उसका रोम रोम झनझनाने लगा। राजेश तेज गति से चोदने लगा। अब वह झड़ने की स्थिति में आ चुका था।
राजेश जोर जोर से चोदते हुवे एक करारा धक्का मारा और,,,
आह मां आह,,, आह ह ह,, आ,,,
राजेश मधु की boor में लंबी लंबी पिचकारी मार कर उसकी योनि को पूरी तरह भर दिया।
गर्म गर्म वीर्य मधु की boor में जाने से मधु भी एक बार फिर झड़ने लगी।
राजेश मधु के ऊपर ढेर हो गया। मधु अपनी सीने से राजेश को कस लिया।
कुछ देर बाद राजेश बाजू में लुड़क गया।
तीनो सुस्ताने लगे।
कुछ देर बाद, मधु और मंगली दोनो राजेश से लिपट कर सोने लगी।
राजेश को मां बेटी को एक साथ चोदने में बड़ा मज़ा आया था।
कुछ देर बाद तीनो नार्मल हुवे।
राजेश _काकी मजा आया की नही।
मंगली _बबुआ तुमने तो मेरी बरसो की प्यास बुझा दी, लगता है भगवान ने मेरी बरसो की प्यास बुझाने के लिए ही यहां भेजा था।
राजेश _और मधु तुमको।
मधु _भैया तुमने तो पूरी जन्नत की सैर करा दी।

मंगली _मधु बेटा, अब ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नही कोई आ न जाए, कपड़े पहन कर अपनी कमरे में जाओ।
मधु , और कमली उठ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगी, उसने अपनी boor की हालात देखी। उनकी boor बुरी तरह फट चुकी थी।
उसका मुंह ऐसा खुल गया था की जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देने पर boor की हालत हो जाती है।
दोनो कपड़े पहनने लगे राजेश उन्हे कपड़े पहनता देखने लगा।
मंगली _अरे बबुआ तू यही सोएगा क्या?
तू भी कपड़े पहन ले।
राजेश भी उठा और कपड़े पहनने लगा।
तीनो वहा से चले गए।
घर मे पहुंचे तो सभी अभी भी गहरे नींद में सोए हुवे थे।
राजेश खाट में जाकर सो गया। मधु भी अपने कमरे में जाकर सो गई। और मंगली भी।
इधर सुबह होते ही सभी लोग उठ गए।
सबसे पहले मंगली उठी वह साफ सफाई करने लगी।
इधर भुवन और उसके दोस्त भी उठ गए।
भुवन _अरे राजेश कहा है, कही दिख नही रहा।
बंशी _अरे बेटा राजेश को नींद नही आ रही थी तो तुम्हारी काकी के कमरे में सोने को बोल दिया था। वह कमरे में सो रहा होगा।
भुवन _चलो भई तालाब की ओर चलते है फ्रेस होने।
काका _राजेश को भी उठा देता हूं ।
मंगली _बबुआ का नींद रात में काफी लेट से लगा है, मधु के बापू उसे सोने दो।
सभी मेहमान तालाब की ओर चले गए।
सुबह के आठ बजे ,,
घर का काम निपटाने के बाद,,,
मंगली, मधु के कमरे में गई।
अरे बेटी और कितनी देर तक सोएगी। सुबह के आठ बज गए है।
मधु _क्या? मेहमान लोग चले गए क्या?
मंगली _वे सभी तालाब की ओर गए है। राजेश कमरे में सोया huwa है।
मैं उसे उठाने जा रही तू भी उठ जा।
मधु उठने को हुई, दर्द से आह,,,
मंगली _क्या huwa बेटी।
मधु _मां boor सूज गई है दर्द कर रहा है।
मंगली _बेटी, कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। मेरी भी boor सूज गई है।
बुरी तरह ठोका है बदमाश ने।
मंगली हस्ते हुवे कमरे से बाहर आई,,,
अपने कमरे में गई,,,
उसने देखा राजेश अभी भी खाट में गहरी नींद में सोया था। मूत भर जाने के कारण उसका लंद अभी भी खड़ा था।
मंगली _राजेश के खाट में बैठ गई,,,
अरे बेटा और कितने देर तक सोएगा।
राजेश का नींद खुला।
राजेश _अरे काकी सब उठ गए क्या?
मंगली _सब उठ कर तालाब की ओर चले गए हैं।
राजेश _ओह, मेरे बारे में पूछे होंगे।
मंगली _हां, मैने कहा की तू रात में काफी लेट से सोया है, उसे सोने दो।
चलो तुम भी उठो और पीछे जाकर फ्रेश हो जाओ मैं चाय बनाकर लाती हूं।
तभी मधु भी कमरे में आ गई।
वह अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पिला रही थी।
राजेश _मधु थोड़ा मुझे भी पिलाओ।
काकी _बबुआ, रात भर निचोड़ा है फिर भी मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
काकी _पिला दे बेटी, इसे भी।
राजेश खाट में बैठ गया।
और मधु को अपने गोद में बिठा लिया।
मधु एक चूची को अपने बच्चे को पिला रही थी राजेश दूसरा चूची, मुंह में भर कर पीने लगा।
तभी लोगो की आने की आवाज आई।
काकी _बबुआ लगता है मेहमान लोग आ रहे है, अब जाओ तुम भी फ्रेश होकर आ जाओ। मैं चाय बनाती हूं।
राजेश _ठीक है काकी।
Bahut badhiya or kamuk update diya hai maa beti dono ko ek saath nipta diya ….

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शाही भोज सम्पन्न होने के बाद सभी अतिथि एवम खिलाड़ी अपने अपने घर के लिए हवेली के लिए रवाना हुए। रात के 12 बज चुके थे।
रत्नवती, सविता से बोली,,,
रत्ना वली _सविता जी, रात काफी हो गई है आज आप यहीं रूक जाइए, कल सुबह चली जाना।
सविता _नही , ठकुराइन। मैं भी घर निकलूंगी । मैंने अपने पति से कहा है कि मैं रात में वापस आ जाऊंगी।
रत्नवती _अच्छा ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल देती हूं, वह आपको घर छोड़ देगें।
सविता _ठकुराइन जी, मैं राजेश के साथ चली जाऊंगी, आप मेरी चिन्ता न कर
रत्नवती _हा ये ठीक रहेगा, आखिर राजेश आपका भतिजा है। आपकीसुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी भी है।
तभी वहां पर राजेशपहुंचा ,,,
राजेश _, मां जी, शाही भोज में सच में मजा आ गया। बहुत अच्छी व्यवस्था की थी आपने।
अब हम चलते है, रात काफी हो गई है।
रत्नवती _वो तो ठीक है पर आपलोग चाहो तो आज रात यहीं रूक सकते हो।
राजेश _मां जी सभी लड़के घर जाना चाहते है, घर वाले सबका वेट कर रहे है और कितना दूर है हमारा गांव यहां से, बिल्कुल पास ही है।
रत्नवती _अच्छा ठीक है। पर अपनी चाची को सम्हाल कर ले जाना अपनी बाइक पर रास्ता खराब है।
राजेश _जी आप चिन्ता न करे।
राजेश ने गीता और दिव्या को भी शुक्रिया कहा।
राजेश _गीता दी और दिव्या जी आप दोनो का शुक्रिया।
दिव्या _शुक्रिया किस लिए, हम भी तो जाने!
राजेश _भाई आप दोनो, ने मेरे साथ नृत्य जो लिए, हम सब की इच्छा पूरी की।

गीता _आपने काम ही ऐसा किया है। हम आपको निराश नहीं कर सकते थे।
राजेश _अच्छा, अब हम लो निकलते हैं।
दिव्या _राजेश ठीक है पर आप लोग अपना ख्याल रखना।

राजेश अपने दोस्तो के साथ, बाइक में गांव के लिए निकल पड़े
राजेश , सविता को ईनाम में मिली बाइक पे बिठाक,ए सुरज पुर के लिए निकल पड़ा, पीछे पीछे उनके दोस्त एवम टीम के बाकी खिलाड़ी भी अपनी अपनी बाइक से निकल पड़े।
रास्ते में रोड खराब था,,,
राजेश _चाची, सम्हल कर बैठना, कहीं गिर न जाओ, रोड में जगह जगह गढ्ढा है।
सविता _राजेश तुम ठीक कह रहे हो, पता नही ये रोड कब बनेगा।
राजेश _चाची आप चिन्ता न करे, वो दिन ज्यादा दूर नहीं है, देखना यह रोड ऐसा बनेगा, शहर के रोड से भी बहुत बढ़िया।
सविता _अब तो गांव वालोका भरोसा तुम पर और बड़ गया है।
सविता ने राजेश को अपने दोनो हाथो से उसके सीने को पकड़ लिया, ताकि वह गाड़ी के उछलने से गिर न जाए। जो बाइक उसे इनाम में मिला था उसका पिछे का सीट ऊंचा था। गाड़ी उछलने से वह गिर सकती थी। अतः वह राजेश को अपने दोनो हाथो से अच्छे से उसके सीने पर हाथ रख पकड़ी हुई थी।
तभी राजेश को सामने गढ्ढा देख ब्रेक मारना पड़ता था जिससे, सविता राजेश से एकदम चिपक जाती उसकी चूचियां राजेश के पीठ से दब जाती, यह प्रकिया बार बार होने से सविता, के शरीर में रक्त संचार बड़ गई। वह उत्तेजित होने लगी।
उसके मुंह से आह निकल जाती,,,
राजेश _चाची क्या huwa, कराही क्यू?
सविता _अरे कुछ नही huwa है, तुम सम्हाल कर गाड़ी चलाओ।
घर पहुंचते पहुंचते तो सविता की हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गई।
जब वे घर पहुंचे,, वह दरवाजा खटखटाया,, कुछ देर बाद, उसका पति माधव बाहर आया।
माधव _अरे आ गई, काफी रात कर दी,,
सविता _हां जी, अब रात के प्रोग्राम था तो लेट तो होगा ही,,
राजेश ने अपने चाचा का पैर छूकर , कहा,,
राजेश प्रणाम चाचा जी,
माधव _खुश रह, अरे यार तूने तो कमाल ही कर दिया गांव में तुम्हारे ही चर्चे हो रहे थे, मैं तो पछता रहा हूं आखिर मैच देखने, मैं क्यू नही गया। भुवन ने बताया की कैसे अकेले ही उस माखन को दबोच लिया।

राजेश _चाचा जी ये सब आपके आशीर्वाद के कारण हो पाया।
माधव _ये तुम्हारा बड़प्पन है राजेश, सच पूछो तो तुम असाधारण हो। पहले तो यह बात केवल हमारे गांव के लोग जानते थे अब तो पूरे जिले के लोगो को पता चल गया।
राजेश _अच्छा चाची अब, मुझे इजाजत दीजिए मैं घर के लिए निकलता हूं।
सविता _अरे राजेश, रात काफी हो गई है, घर में सब चुके होंगे।
अब तुम इतनी तात को घर जाकर क्यू सबकी नींद खराब करोगे, आज रात हमारे यहां सो जाओ, वैसे भी यह भी तुम्हारा ही घर है।
माधव _अरे हां यार, तुम आज हमारे घर ही सो जाओ, कल सुबह ही चले जाना। ये भी तुम्हारा ही घर है। मैं तो तुमसे कहता भी रहता हूं रात का खाना यहीं खा लिया करो। पर लगता है तुम तो हमे पराया समझते हो। भैया भाभी कभी आयेंगे तो मैं तुम्हारा शिकायत करूंगा।
राजेश _अरे चाचा जी, मैं आप लोग को अपना नही समझता तो, यहां गांव आता क्या? जैसे ताऊ और ताई जी मेरे लिए है वैसे आप दोनो भी मेरे लिए हो। अब भोजन आपके यहां करू या ताई के यहां मेरे लिए तो दोनो घर समान है।
माधव _अच्छा तो फिर आज रात यहीं रुको, भले कल सुबह चली जाना।
राजेश _अब आप इतना जिद कर रहे हैं तो रुकना ही पड़ेगा।
माधव _ये हुई न बात, अपनी बाइक को घर के अंदर ले आओ।
राजेश ने बाइक को घर के अंदर आंगन में ले आया।
सविता _सुनो जी मैं राजेश के सोने के लिए कमरे को थोड़ा साफ कर देती हूं, तब तक आप दोनो बाते करो।
माधव _ठीक है सविता।
माधव और राजेश दोनो हाल में बैठ कर बाते करने लगे।
माधव _यार जब हम छोटे थे तब बाबू की भाई कबड्डी खेलते थे। सुना है अपनी नेतृत्व में बाबू जी ने भी सुरज पुर को कई बार प्रतियोगिता जिताया था।
लगता है तुम सच में बाबू जी का पुनर्जन्म हो।
दोनो बात चीत कर रहे थे तभी सविता आई,,
सविता _राजेश, कमरे की सफाई हो गई है, जाओ अब तुम कमरे में आराम करो, रात काफी हो गई है।
माधव _हां भई राजेश, अब कल सुबह बात करेंगे, जाओ थक गए होगे, जाकर कमरे में आराम करो।

राजेश _ठीक है चाचा जी।
राजेश कमरे में चला गया।
मकान, शहरो जैसा बनाया गया था, कमरे में अटैच लेट बाथ था।
कमरे में जाने के बाद,,,
कुछ समय बाद सविता टावेल लेकर आई,,,
सविता _राजेश, ये टावेल ले लो, और अपने कपड़े चेंज करलो।
राजेश _थैंक यू चाची।
राजेश ने पैंट और शर्ट उतार, केवल चड्डी में रह गया, उसका बनियान खेल में फट गया था।
वह अपनी कमर पर टावेल, लपेट लिया और बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया, फिर बेड में आकर आराम करने लगा।
इधर सविता भी अपनी साड़ी ब्लाउज,उतार दी और ऊपर से नाइटी पहन ली।
माधव और सविता बेड पे आराम करने लगे।
सविता को अपनी पेंटी पर कुछ गीला पन महसूस हुई, वह अपने एक हाथ से चादर के नीचे अपनी पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर, चेक की सच में उसकी पेंटी गीली हो गई थी।
यह राजेश के बाइक में बैठने से,बाइक में ब्रेक लगाने के दौरान बार बार स्तनों के राजेश के पीठ से दब जाने के कारण, उत्तेजना बड़ जाने के कारण huwa था।
इधर राजेश को नींद नही आ रहा था, दिन भर हुवे घटना क्रम को वह याद कार रहा था, कबड्डी खेल फिर साही भोज, के कारण उसका बदन टीटी रहा था।
इधर कुच ही देर में माधव नींद में खर्राटे भरने लगा।
जबकि सविता को भी आज दिन भर के घटनाक्रम याद आने के कारण नींद नही आ रही थी।
सविता को लेटे करीब एक घंटा हो गया, उसे नींद नही आई थी तो वह यह देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आई की राजेश सोया है कि नही, उसे किसी चीज की आवश्यकता तो नही,,,
यह पता करने राजेश के कमरे की ओर, चली गई,,
उसने दरवाजा धकेल कर देख।
राजेश सोया नही था, कमरे का लाइट चालू था।
राजेश ने देखा की उसकी चाची आई है।
राजेश _चाची आप।
सविता _अरे मैं चेक करने आई थी, तू सोया है की नही, तुम तो जग रहे हो। क्यों नींद नही आ रही है क्या?
राजेश _,, हा, चाची।
सविता _पर क्यू?
किसी चीज की आवश्यकता तो नही?
राजेश _चाची एक गिलास, पानी तो लाना।
सविता _ओ हो मैं तो कमरे में पानी रखना ही भुल गई। अभी लाई।
सविता कीचन से पानी का बाटल लेकर आई।
सविता _लो पानी पी लो,,
राजेश ने बाटल से पानी पिया।
राजेश _चाची आप भी अभी तक सोई नही।
सविता _हां, तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
राजेश_मेरे बारे में क्या सोच रही थी?
सविता _यहीं की, तुम इस घर में पहली बार रात में रुके हो, नई जगह तुम्हे नींद आ भी रही है की नही।

राजेश _हा, चाची आपने सच कहा, नई जगह नींद नही आती, मुझे तो बहुत डर लगता है?
सविता हसने लगी,,,
सविता _तुम्हे भी डर लगता है, अकेले ही कई पहलवानों को पछाड़ दिए।
राजेश _चाची मुझे नई जगह इंसानों से नहीं भूतो से डर लगता है।
सविता हसने लगी,,,
क्या तुम्हे भूतो से डर लगता है? क्या ये घर तुम्हे भूत बंगला लग रहा है?
राजेश _क्या पता कहीं आस पास भूत हो तो, मेरे सोने के बाद मुझे खा जाएगा, तो ।
सविता _तुम तो छोटे बच्चो की तरह बात कर रहे हो, सविता हसने लगी।
राजेश _हा, भूतो के मामले में छोटा बच्चा ही हूं, जो दिखाई नहीं देता उससे लडूंगा कैसे?
सविता _तो क्या रात भर जागोगे?
राजेश _नींद नही आयेगी तो जगना ही पड़ेगा।
सविता _इस समस्या का कोइ हल तो होगा?
राजेश _है न इसका हल। तुम मेरे साथ सो जाओ, तुम साथ रहोगी तो मुझे डर नहीं लगेगा।
सविता _अच्छा जी, और तुम्हारे चाचा जी को क्या कहूंगी?
राजेश _चाचा जी से कह देना की राजेश को अकेला नींद नहीं आ रहा था, तो मैं उसके साथ सो गई।
सविता _चल हट बदमाश।
राजेश _चाची मेरे साथ सो जाओ न।
सविता _न बाबा, तुम्हारे चाचा जी को पता चला तो मैं उसे जवाब नही दे पाऊंगी मैं।
राजेश _अच्छा सुबह तक नही सो सकती तो कुछ समय तक ही सो जाओ जब मुझे नींद आ जाए तो, अपने कमरे में चली जाना, चाचा जी के पास।
सविता, कुछ सोचने लगी।
राजेश _चाची क्या सोचने लगी?
सविता _कुछ नही, अच्छा ठीक है, अभी तो तुम्हारे चाचा जी गहरी नींद में सोए हुए है। मैं एक घंटे यहीं रूक जाती हूं।
तुम सोने की कोशिश करो।
राजेश _अच्छा मेरे पास बैठो।
सविता बेड किनारे बैठ गई।
सविता _चलो अपनी आंखे बंद कर सोने की कोशिश करो।
राजेश _चाची, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है। नींद कहा से आयेगी।
सुनो एक सिगरेट मिलेगा।
सविता _क्या? तुम सिगरेट पीते हो।
मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था।
राजेश _वो कभी कभी, ले लेता हूं।
सविता _और क्या क्या करते हो कभी कभी ,मैं भी तो जानू?
राजेश _चाची होगा तो दो ना, आज पीने का मन कर रहा है, पूरा बदन दुख रहा है।
सविता _न, मैं तुम्हे सिगरेट पीने नही दूंगी, इससे अच्छा मैं सरसो तेल से बदन की मालिश कर देती हूं।
मैं अभी सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
सविता कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म करके लाती है।
सविता _चलो, तुम पेट के बल लेट जाओ। मैं तुम्हारे पीठ का पहले मालिश कर देती हूं।

राजेश पेट के बल लेट गया। सविता सरसो तेल पीठ में डाली, उसके बाद हाथो से मालिश करने लगी।
राजेश _वाह चाची आपके हाथो में तो जादू है, आपके हाथ लगते ही दर्द गायब होने लगा।
सविता _चलो अब पीठ के बल लेट जाओ, तुम्हारे हाथो की मालिश कर दू।
राजेश पीठ के बल लेट गया। सविता दोनो हाथो की बारी बारी से अच्छे से मालिश करने लगी।
राजेश ।
हाथो की मालिश करने के बाद सविता, के सीने की मालिश करने लगी।
राजेश सविता की ओर देखने लगा। सविता को जब लगा कि राजेश की नजर मुझे घूर रहा है?
सविता _क्या देख रहे हो?
राजेश _चाची तुम बड़ी सुन्दर लग रही हो इस नाइटी में।
सविता _देखो तुम ऐसे न देखो मेरी ओर, मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
राजेश _तो क्या देखू? इन दीवारों को। नजरे तो उसी पर जाएगी न जो खूबसूरत हो।
राजेश _चाची, हमने तुम्हारे गांव का नाम रोशन किया, बोलो किया की नही।
सविता _हूं।
राजेश _तो, तुमने तो हमे इनाम दिया ही नहीं।
सविता _अच्छा, क्या इनाम चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _युननन,,,
सविता _, तुम हकला क्यू रहे हो, बोलो क्या ईनाम चाहिए तुम्हे।
राजेश _चाची, डर लगता है कहीं तुम, बुरा तो नही मानोगी।
सविता _अरे नही मानूंगी, बताओ क्या चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _एक किस दे दो।
सविता _छी, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही। तुम कुछ और मांग लो।
राजेश _ठीक है हमे जो चाहिए था हमने मांग लिया, आगे आपकी मर्जी, देना है की नही।
सविता _न बाबा, मैं ये काम नही कर सकती।
राजेश _चाची, अब हो गया मालिश, रहने दो जाओ अपने कमरे में आराम करो?
सविता _अरे अभी तो तुम्हारे पैरो की मालिश बांकी है।
राजेश _अब सारा दर्द खत्म हो गया। धन्य वाद मालिश करने के लिए। अब आप जाइए, कहीं चाचा जी उठ गए हो तो,,,
सविता _क्यू नाराज हो गया क्या मुझसे?
राजेश _नही, तो ।
सविता _अभी तो तुम मुझे साथ सोने बोल रहे थे, अब जाने बोल रहे हो,, ।
राजेश _साथ सुलाने का भी क्या फायदा जब एक किस नही दे सकती। इसलिए जाओ, अपने कमरे में।
सविता _हूं, मतलब तुम मुझे अपने साथ सुलाकर किस लेना चाहते थे।
बच्चू, मैं तुम्हे शरीफ लडका समझता था, पर तुम बदमाश निकले।
राजेश _हा, मैं बदमाश हूं, आवारा हूं।
अब जाओ, चाचा जी के पास कहीं उठ न गए हो,,,।
सविता _अच्छा ठीक है, मेरे गालों पर एक किस ले लो, और कोइ दूसरी शरारत न करना।
राजेश _न, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। आप जाओ।
सविता _अब ले लो बोल रही हूं तो भी नाटक, मुझे नही पता था कि तुम इतने नाराज भी होते हो।
राजेश _चाची जी, मैं आपसे नाराजनही हूं, कृपया अब आप जाइए, मुझे नींद आ रही है।
सविता _अच्छा ठीक है जाती हूं।
सविता राजेश के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली गई।
। वहा देखा उसका पति अभी भी नींद में खर्राटे भर रहा था।
सविता, वहा से निकलकर फिर राजेश के कमरे में चली गई।
राजेश _अरे आप फिर वापस आ गई। क्या huwa
सविता _तुम्हारे चाचा जी तो अभी भी नींद में खर्राटे भर रहे है।
राजेश _तो,,
सविता _सोंची, भूतो की डर से तुम रात भर जागते रहे तो तुम्हारी तबियत बिगड़ न जाए।कुछ देर तुम्हारे साथ सो जाती हूं। तुम्हे नींद आने के बाद चलिजाऊंगी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है।
सविता _पर एक शर्त है।
राजेश _कैसी शर्त?
सविता _तुम मुझसे कोइ सरारत नही करोगे?
राजेश _ठीक है, अब आ जाओ बेड में।
राजेश बेड के एक छोर पे लेट गया।
सविता दूसरे किनारे लेट गई।
और चादर गले तक ओढ़ ली।
सविता _अब मेरे तरफ यू टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो।
राजेश _जुल्फे तेरी, चहेरा तेरा।
सविता _मुझे शर्म आ रही है।
राजेश _चलो अब मुझे मेरा ईनाम दो।
सविता _कौन सा ईनाम?
राजेश _वही किस वाली?

सविता _ठीक है, मेरे गालों पे ले लो, न दू तो तुम नाराज हो जाते हो।
राजेश, सविता के करीब आ गया।
हमें तो आपके होंटो पर किस करना है?
सविता _न बाबा, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही।
राजेश _तो कुछ देर के लिए आप मेरी प्रेमिका बन जाओ।
सविता _न, मैं तुम्हारी चाचा को धोखा नही दे सकती।
चलो गाल में ले लो।
सविता ने आंखे बंद कर ली।
राजेश ने उसकी गाल न चूम कर उसकीओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
सविता _ऊ न,,
करतीहुई राजेश को छुड़ाने लगी।
राजेश ने जब छोड़ा,,,
सविता _छी बेशरम आखिर, अपने मन की कर ही ली।
राजेश _या क्या चाची, तुमने ठीक से किस करने नही दी, छुड़ा दी। अब तुम्हे फिर से किस देना होगा। नही तो हम आपसे बात नहीं करेंगे।
सविता _नही बाबा, मैं और नही दे सकती, कहीं आस पास के भूतो न देख लिया तो, तुम्हारे चाचा जी को बता देगें मैं उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चाची ये तो मैने सोंचा ही नहीं। इसका भी उपाय है मेरे पास। हम ये चादर ओढ़ लेते है फिर भूत नही देख पाएगा हम अंदर क्या कर रहे है? क्यू कैसी रही आइडिया।
सविता _सविता, तुम्हारे पास तो बड़ा दिमाक है।
राजेश, सविता के ऊपर आ गया, और चादर ओढ़ लिया। फिर उसके ओंठ चूसने लगा।
सविता सिसकने लगी।
वह ओंठ चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे की ओर बड़ा और गर्दन को, चूमने लगा,
सविता सिसकते हुए बोली _छोड़ा न हो गया।
पर राजेश नही रुका आगे बढ़ता गया।
वह नाइटी का सामने का बटन खोल कर दूदू पीने लगा।
सविता सिसकने लगी।
राजेश अब बस करो हो गया,,
राजेश नीचे गया हाथ ले गया और एक हाथ से उसकी boor को रगड़ने लगा,,,
राजेश वहा नही,,,, वह सिसकते हुवे बोली।
पर राजेश नही रुका, वह पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेंटी गीली होने के कारण सविता ने पेंटी निकाला दी थी,,
राजेश ने, उसकी boor चाटना शुरु कर दिया,,,
सविता _राजेश क्या कर रहे हो, छी वहा गंदा है,, आह उन, आह,,,
राजेश नही रुका वह chut चूसता रहा, सविता की हालात खराब हो गई। वह बहुत उत्तेजित हो गई।
पहली बार कोइ उसकी chut चांट रहा था।
उसे बहुत मज़ा आने लगा। वह सिसकते हुवे राजेश की बालो को सहलाने लगी।
राजेश ने देर न करते हुवे अपना मोटा लंद उसकी boor के छेद में रखा और उसकी ओंठ चूसते हुवे, लंद का दबाव योनि पर डाला लंद धीरे धीरे सविता की योनि में सामने लगा।
अब राजेश अपनी कमर हिला हिला कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सविता राजेश के पीठ को जकड़ लिया।
उसे भी मजा आ रहा था।
अब राजेश उकडू बैठ गया सविता की टांगो को फैला दिया। और उसकी चूची। मसल मसल कर गप गप चोदने लगा।
सविता के मुंह से मादक सिसकारी निकलकर कमरे में गूंजने लगी।
आह उन, आह, आह मां,,,
राजेश लगातार चोदता रहा,,,
सविता राजेश को जोर से जकड़ ली और झड़ने लगी।

राजेश चोदना बंद कर, उसकी चूचियों को मसल मसल कर पीने लगा। ओंठ चूसने लगा।
जिससे सविता फिर गर्म हो गई।
उसकी मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश फिर से गप गप चोदने लगा।
फिर से सविताआह उह आई मां उन,,, आवाज़ निकालने लगी।
न राजेश छाड़ को फेक दिया और सविता को पलटाकर घोड़ी बना दिया।
राजेश फिर से सविता की कमर पकड़ कर gach gach चोदने लगा। कमरे में fuck fuk की आवाज़, सविता की चूड़ियों की खनक , उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगा।
राजेश जोर जोर से सविता को चोदने लगा। राजेश का लंद सविता की boor की गहराई में जाकर उसके बच्चे दानी को ठोकने लगा जिससे सविता को अलौकिक आनंद मिलने लगा।
Chudai में ऐसा मजा उसे पहले कभी नही मिला था।
वह अपनी कमर हिला हिला कर राजेश का साथ देने लगी।
राजेश ने उसकी नाइटी निकाल कर फेक दिया।
अब सविता सिर्फ पेटीकोट में थी।
राजेश सविता की दोनो चूचियां पकड़ कर

कर चोदने लगा।
राजेश को सविता को चोदने में एक अलग ही मजा आ रहा था। उसकी boor एकदम टाइट थी, लंद कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
बिल्कुल कुंवारी chut जैसा मजा दे रहा था।
इसके बाद राजेश सविता को कमर से पकड़ कर उठाया और बेड से नीचे उतार दिया, उसे बेड पकड़ा कर घोड़ी बनाकर कस कस कर चोदने लगा।
दोनो स्वर्ग का सैर करने लगे।
सविताको जो आनंद प्राप्त हो रहा था उसकी कल्पना उसने कभी नही की थी,। वह भी राजेश का पूरा साथ देने लगी।
राजेश ने चोदना बंद कर उसे खड़ा कर दिया फिर सविता को अपनी ओर घुमा कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
सविता भी बहुंत गर्म थी, वह भी राजेश की ओंठो को चूसने लगी।
राजेश ने सविता की पेटीकोट भी उतार दिया।
सविता नंगी हो गई।
राजेश ने सविता को बेड किनारे लिटा दिया और फिर से उसकी boor चांटा और अपना लंद उसकी boor में उतार दिया।
वह सविता की दोनो चुचियों को मसल मसल कर चोदने लगा।
कमरे में फिर से सविता की मादक सिसकारियां गूंजने लगी।
सविता को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने को न रोक सकी और राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर फिर से उसकी ओंठ चूसने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को अपनी गोद में उठा लिया, और अपने लंद को उसकी boor में डाल कर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
सविता राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर हवा में उछाल उछाल कर चोदने के बाद, उसे गोद में उठाकर बेड किनारे बैठ गया, उसके बाद दोनो एक दूसरे का ओंठ चूसने लगे।
राजेश , सविता को कमर उठा उठा कर चोदने लगा। सविता अपनी दोनो हाथ राजेश के गले में डालकर उछल उछल कर चुदने लगी, उसके बाद राजेश बेड पर लेट गया।
सविता उसके लंद पर बैठी रही।
राजेश के कंधे पर, हाथ रख उछल उछल कर चुदने लगी, राजेश भी सविता की कमर पकड़ कर नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर उसका सहयोग करने लगा।
सविता की कामुक सिसकारी और चूड़ियों की खनक कमरे में गूंज रही थी। दोनो को संभोग का परम आनंद प्राप्त हो रहा था।
सविता उछलते उछलते ही इतनी उत्तेजित हो गई, वह फिर से झड़ने लगी वह राजेश की बाहों में ढेर हो गई।
राजेश प्यार से उसकी पीठ को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को बेड में लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
और उसकी ओंठ चूसने लगा। उसकी चूची पीने लगा।
कुछ देर में ही सविता फिर गर्म हो गई।
राजेश ने सविता की कमर के नीचे तकिया लगा दिया। और अपना मोटा लंद उसकी योनि में डालकर चोदना शुरू कर दिया।
राजेश, सविता को इस पोजिशन में लगातार चोदता रहा। सविता फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
आखिर अन्त में राजेश ने कराहते हुवे वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी उसकी योनि में छोड़ने लगा।
सविता को बरसो बाद, अपनी योनि में गर्म वीर्य का अहसास पाकर फिर से झड़ने लगी।
उसकी योनि वीर्य से लबालब भर गई। और टांगो में बहने लगी।
राजेश सविता के ऊपर ढेर हो गया। सविता प्यार से उसका पीठ सहलाती रही।
कुछ देर बाद दोनो सामान्य हुवे।
दोनो थक चुके थे। दोनो जल्द ही नींद के आगोश में समा गए।
दो घंटे बाद सविता की नींद खुली, उसने देखा की रात के 3बज गए थे। वह बेड से उठी, और अपनी कपड़े पहनी। वह राजेश के पास बैठी राजेश सोया huwa था, उसकी बालो को प्यार से सहलाई और माथे पर चुम्बन ली। राजेश नंगा था। उसे चादर ओढ़ा दी।
उसके बाद वह कमरे से निकल कर अपने कमरे की ओर जाने लगी।
वह ठीक से चल नही पा रही थी, उसकी योनी में जलन हो रहा था। उसकी योनि अंदर छिल गई थी ।
वह अपने कमरे में गई। माधव अभी भी सोया huwa था। वह उसके बगल में जाकर ले गई।
जब वह उठी तो सुबह के 6बज चुके थे।
वह बाथरुम में नहाने गई।
उसने अपनी boor की हालत देखी जो सूज गई थी।
वह अपने आप से बोली।
कितना बड़ा लंद है बदमाश का, पूरी हो निचोड़ डाला मुझे। मैं तो इस शरीफ समझता था ये तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
Boor की क्या हालत बना दिया है अपने मूसल से।
वह नहाकर निकली अपने कपड़े पहनी फिर माधव के उठाया।
माधव उठ कर फ्रेस हुवा।
और दुकान खोलने चला गया। सविता कीचन में चाय बनाने लगी।
चाय बनाने के बाद वह पहले दुकान में जाकर अपने पति को चाय दी, उसके बाद चाय लेकर राजेश के कमरे मे गई।
राजेश अभी भी सोया था। उसका लंद अभी खड़ा था, पेशाब भर गया था।
सविता _लो इसका तो अभी भी खड़ा है।
वह मुस्कुराने लगी।
वह राजेश को आवाज़ दी।
सविता _महाशय, उठो, सुबह के 7बज गए हैं और कितने देर तक सोते रहोगे।
राजेश ने अपनी आंखे खोला, सामने सविता खड़ी थी।
सविता _महाशय,अरे 7बज गया है, नींद पूरी नहीं हुई है क्या ?
राजेश _अरे चाची, आपने पहले क्यू नही उठाई?
सविता _मैं सोंची रात में लेट से सोए हो तो नींद पूरी नहीं हुई होगी। मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आई थी,वैसे अगर और सोने की इच्छा है तो सो सकते हो।
राजेश _अरे नही चाची। मैं तो 6बजे के पहले ही उठ जाता हूं।
सविता _चलो उठो और फ्रेस हो कर चाय पी लो।
राजेश तो नंगा था। जैसे ही उसने चादर हटाया, उसका खड़ा लंद सविता के आंखो के सामने आ गया।
सविता कमरे से जाने को हुई तो राजेश ने उसकी हाथ पकड़ लिया।
सविता _अरे छोड़ो न क्या कर रहे हो?
राजेश ने उसे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया।
सविता _छोड़ो में, रात में इतना करने के बाद तुम्हारा मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही, राजेश ने उसकी गाल में किस करते हुए उसकी कानो में धीरे से कहा चाची चलो न एक बार फिर से करते हैं।
सविता _न बाबा। तूने तो मेरी हालात ही खराब कर दी हैमैं ठीक से चल भी नहीं पा रही। मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था, तुम तो बदमाश निकले, कहा से सीखा ये सब।
राजेश _चाची, जानकर क्या करोगी? कहा से सीखा है सब, चलो न एक बार और करते हैं।
सविता _न छोड़ो मुझे,,, बहुत से काम है।
राजेश _अच्छा ठीक है पर तुम्हे मेरी एक इच्छा पूरी करनी होगी।
सविता _, कैसी इच्छा?
राजेश_मुझे पेशाब करवाना होगा।
सविता _छी, तुम कितने गंदे हो, कोइ छोटा बच्चा भी नही कहता की मम्मी मुझे पेशाब करा दो और तुम,
राजेश _, चाची मेरी एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते। प्लीज चाची, मान जाओ न।
सविता _तू बड़ा जिद्दी है।
चल बाथरुम में।
राजेश बाथरुम में जाने लगा। उसके पीछे पीछे सविता भी गई।
सविता _बोलो, क्या करना है।
राजेश _पकड़ कर पेशाब कराओ और क्या?
सविता राजेश के पीछे खड़ी हो गई और राजेश का लंद अपने हाथो में पकड़ ली।
सविता _चलो, जल्दी करो।
राजेश _अरे चाची पेशाब ऐसे ही थोड़े ही बाहर आयेगी।
सविता _तो फिर,
राजेश थोड़ा आगे पीछे करो।
सविता _तू बड़ा बेशर्म है और मुझे भी बेशर्म बनाने में लगा है, पता नही कैसे मैं तुम्हारे बातो को मान लेती हूं। सविता राजेश के लंद को हिलाने लगी। राजेश ने जोर लगाया। पेशाब की तेज़ धार निकलने लगा।
पेशाब की धार बंद होने के बाद। सविता ने लंद हिला हिला कर आखिरी बूंद भी निकाल दिया।
उसके बस लंद कुछ नार्मल huwa।
उसके बाद दोनो कमरे में आए।
सविता _, अपने चाची के सामने नंगे ही रहोगे क्या?
राजेश _चाची तुम ही पहना दो ना चड्डी और टावेल।
सविता _हूं, तो यह भी मुझे करना पड़ेगा।
राजेश _हूं।
सविता ने राजेश को उसकी चड्डी पहनाकर टावेल लपेट दिया।
सविता _चलो चाय पी लो ठंडी हो जाएगी।
अपने हाथो से पियोगे या मुझे ही पिलाना पड़ेगा।
राजेश _अरे नही चाची, बहुत हो गया, अब आपको और तकलीफ नहीं दे सकता। मुझे माफ कर दीजिए।
सविता _किस बात के लिए माफी।
राजेश _आपको इतना तकलीफ दिया इसलिए,,
सविता _तू बड़ा शैतान है, पहले कैसे कैसे काम कराता है फिर माफी भी मांगता है।
अच्छा चाय पीकर तो बताओ, चाय कैसी बनी है?
सविता _आप तो पाक कला में निपुण हो चाय तो टेस्टी होगा।
राजेश ने चाय का एक घूंट पिया।
वाह सच में चाची बहुत ही टेस्टी बना है।
वचाची आपसे एक बात पूछनी थी।
सविता _पूछो क्या पूछनी है।
राजेश _अपनी कान पाक तो लाओ।
सविता अपनी कान राजेश के पास ले आया।
राजेश न धीरे से कहा _रात में आपको मजा आया कि नही।
सविता _सविता शर्मा गई।
वह वहा से चली जाने लगी।
राजेश _अरे चाची बताओ न,,,
उसके बाद राजेश, अपना शर्ट पैंट पहना और माधव और सविता से इजाजत लेकर,अपना बाइक लेकर अपने ताऊ जी के यहां चला गया।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश की टीम के जीतने की खुशी में ठाकुर के घर में एक भोज का आयोजन किया था राजेश को को इनाम मिल गया चाची को भी सलटा दिया सविता और राजेश के बीच पूरी रात दमदार चूदाई हुई सविता भी राजेश की दीवानी हो गई राजेश को भी बहुत मजा आया
 

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राजेश जब घर पहुंचा, पदमा ने उसे दरवाज़े पर ही रोक दिया।
पदमा _बेटा वही रुको।
राजेश _क्यू ताई?
पदमा ने अपनी बहु को आवाज़ लगाई।
बहु आरती की थाली लाना।
पुनम _जी मां जी।
पदमा _बेटा तू मैदान जीत के आया है, बड़े बड़े पहलवानों को मात दिया है। ऐसे ही थोड़े अंदर आने देगें।
पुनम ने आरती की थाली लाई।
पदमा ने राजेश का आरती उतारा और माथे पर तिलक लगाया।
राजेश ने पदमा और केशव का पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
पदमा _जी ता रह बेटा।
तकेशव _बेटा तूमने न केवल हमारे खानदान का नाम रोशन किया है बल्कि पूरे गांव को गौरांवित किया है।
राजेश _ताई ये सब आपके आशीर्वाद का फल है।
पुनम _देवर जी कौन सा बाइक इनाम में मिला हमे भी तो दिखाओ।
राजेश _भौजी, बाइक बाहर खड़ी है। अभी अंदर लाता हूं। राजेश ने बाइक घर के आंगन में ले आया।
घर के लोग बाइक देखने लगे।
पदमा _अरे बेटा जाओ तुम नहाधोकर फ्रेश हो जाओ। भुवन भी खेत से आता ही होगा।

राजेश नहाधोकार फ्रेश हो गया। कुछ देर बाद भुवन खेत से आया।
भुवन _अरे छोटे तूने तो कल कमाल ही कर दिया। हर तरफ तुम्हारा ही चर्चा है। मेरा तो सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।
राजेश _अरे भुवन भैया तुम साही भोज में क्यू नही रुके।
भुवन _अरे छोटे, खेत में आजकल जानवर कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है इसलिए मैच देखने के बाद, मैं खेत चला गया।
भुवन नहा धोकर फ्रेश huwa उसके, दोनो साथ में नाश्ता किए।
भुवन _आज तो अखबारों में तुम्हारे बारे में ही छपा है, कैसे अकेले ही फाइनल मैच जिताया। अब तो तुम्हे पूरे जिले के युवा अपना आदर्श मानने लगे हैं।
भानगढ़ वालो का घमंड तुम्हे तोड़ दिया।
ये बाइक तो नई मॉडल की है, चलाने में मजा आ जायेगा।
राजेश _भैया, ये बाइक आप रख लो।
भुवन _अरे नही, ये बाइक मुझ जैसे देहाती को कहा जचेगी। इस पर तो तुम ही जचोगे।
दोनो हसने लगे।
कुछ देर बाद भुवन खेत चला गया और राजेश exam की तैयारी करने लगा।
दोपहर। में पदमा के खेत चले जाने के बाद, पुनम कमरे में आई।
पुनम _देवर जी, आप तो दिखने में भोले भाले लगते हो, पर जिस तरह तुम बिस्तर में अच्छी अच्छी महिलाओं की पानी निकाल देते हो वैसे ही तुमने मैदान भी पहलवानों को पानी पिला दिया, आखिर इतनी ताकत आया कहा से,
राजेश ने पुनम को अपनी गोद में बिठा लिया।
राजेश _ये ताकत तो आप ही से मिला है भौजी।
पुनम _मुझसे।
राजेश हां, तुमसे, रोज अपनी ताजा दूध जो पिलाती थी।
पुनम _चल हट बदमाश कहीं का।
राजेश _क्यू झूठ कहा क्या मैने, मेरी प्यारी भौजी?
राजेश ने पुनम की ब्लाउज का बटन खोला और एक चूची मुंह में भर कर पीने लगा।
पुनम _आह, थोड़ा धीरे। तुम तो बिल्कुल बच्चे की तरह पीते हो।
राजेश _तभी तो ताकत मिलती है।
कुछ देर मसल मसल कर दूध पीने के बाद,,,
पुनम उत्तेजित हो गई। आह उन,,,

पुनम _अब पीते ही रहोगे की कुछ करोगे भी।
राजेश ने पुनम को अपने गोद में उठाया और बेड पे लेट गया।
पुनम उसका लंद चूसने लगी। और राजेश के लंद पर सवार होकर उछल उछल कर चुदने लगी जब तक वह झड़ नही गई।
पुनम झड़ने के बाद अपनी कपड़े ठीक की।
राजेश _ये क्या भौजी अभी तो मेरा huwa नही है।
पुनम _मेरा हो गया, ज्योति दी कहीं आ गई तो वह फिर मुझे डांटेगी। अब चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
राजेश को मोहन ने कॉल किया, बताया की शाम को सभी को अखाड़े में मिलना है।
अखाड़े के सभी सदस्य, शाम को इकठ्ठा हुवे।
सभी लड़को ने राजेश की तारीफ किया, अगर राजेश नही होता तो भानगढ़ वालो से इस बार भी हम जीत नही पाते।
मोहन _इनाम का रकम क्या करना चाहिए आप सभी अपना अपना राय दीजिए।
सभी लड़को ने अपना अपना विचार रखे कुछ ने कहा, यह इनाम राजेश के कारण ही मिल पाया, राजेश ही फैसला करेगा की इस इनाम के राशि का करना क्या है?
मोहन _हां राजेश, तुम ही बताओ क्या करना है ईनाम की राशि का।
राजेश _मेरा विचार है की, 10लाख रुपए में से 3लाख स्कूल को दान कर दिया जाए।
ताकि लाला जी ने जो जमीन स्कूल को दान दिया है, उसे समतल कर बच्चो के लिए खेल का मैदान बनाया जा सके, मैदान में बच्चो के लिए झूला और फिसलपट्टी बनाया जा सके।
3लाख रूपय से आखाड़ा में आधुनिक जिम का निर्माण किया जाए।
4लाख रुपए को युवा संगठन के खाते में ही रखा जाए ताकि आवश्यकता पढ़ने पर उसका सही उपयोग किया जा सके।
मेरा विचार यह भी है कि क्यू न हम यहां पुलिसएवम आर्मी भर्ती प्रशिक्षण केंद्र खोले।
यहां के अधिकांश युवा पुलिस और आर्मी में जाने के योग्य है लेकिन सही मार्गदर्शन के अभाव में आज बेरोजगार है हमारे युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा तो निश्चित रूप से उनका आर्मी और पुलिस में भर्ती होगा और देश सेवा के साथ साथ घर की आर्थिक स्थिति में सुधार भी होगी।
मोहन _विचार तो अच्छा है राजेश पर, ट्रेनिंग देगा कौन।
राजेश _यहां आसपास गांव में कोई रिटायर फौजी तो होगा।
मोहन _हा पास के गांव में ही है अभी अभी रिटायर huwa है।
राजेश _हम उनसे, मदद लेंगे। वे हमारे युवाओं को ट्रेनिंग देगें।
इसके लिए आवश्यक इसके लिए आवश्यक संसाधन इसी राशि से जुटाए जाएंगे।
मोहन _पर राजेश भैया आपको तो पता हैं हमारा क्षेत्र नक्सल क्षेत्र के अंतर्गत आता है जब नक्सलियों को पता चलेगा की हमने यहां पर पुलिस एवम आर्मी भर्ती हेतु प्रशिक्षण केंद्र खोले है तो वे हमसे नाराज हो जायेंगे।
लोग तो यह भी बताते है की अभि इस क्षेत्र का को नक्सली कमांडर है।वह हमारे गांव का ही है।
राजेश _अगर ऐसा है तो गांव के योग्य बेरोजगार युवाओं को नक्सली बनने से रोकने के लिए, उनका मार्गदर्शन करना और आवश्यक है।

सभी सदस्य राजेश के विचार से सहमत हो गए।
और गांव में पुलिस एवम आर्मी भर्ती एकेडमी खोलने पर प्रस्ताव पारित किया गया।

राजेश मीटिंग से वापस घर लौटा।
भुवन भी खेत से घर आ चुका था।
दोनो आंगन में रखे खाट पे बैठ कर चाय पी रहे थे। तभी राजेश को सविता ने फोन किया।
राजेश ने फोन उठाया।
सविता _राजेश, आज रात यहीं भोजन करना मैं तुम्हारे लिए खाना बना रही हूं।
राजेश _चाची, ताई से पूछना पड़ेगा।
पदमा _क्या huwa बेटा, किसका फोन है?
राजेश _ताई, चाची का फोन है, आज रात का भोजन अपने यहां करने बोल रही है, क्या बोलूं चाची को।
पदमा _अरे बेटा, अब मैं क्या बोलूं? मना तो कर नही सकती, आखिर तुम उसका भी भतीजा हो, चले जाना।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने सविता को बताया की वह समय पर आ जाएगा।
सविता शाम ढलते ही राजेश के लिए उसका पसिंदीदा भोजन बनाने लगी।
इधर भुवन अपने दोस्तो के साथ टहलने निकल गया। राजेश अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
राजेश रात में निर्धारित समय पर अपने चाचा जी के यहां रात्रि भोज के लिए पहुंच गया।
जब वह दुकान में पहुंचा,,
माधव _अरे राजेश आ गया।
राजेश _हा चाचा जी।
माधव _अच्छा किया।मैं तुम्हे काल करने ही वाला था। तुम्हारी चाची तुम्हारी राह देख रही है।
आज तुम्हारी चाची, तुम्हारे लिए कुछ खास बना रही है।
राजेश _अच्छा जरा मैं भी तो देखूं क्या बना रही है, मेरी प्यारी चाची।
माधव _जाओ, कीचन में होगी तुम्हारी चाची।
राजेश घर के अंदर गया।
वह इधर उधर देखा चाची नही थी। वह कीचन में गया।
सविता, व्यंजन बना रही थी। राजेश चुपके से गया और सविता को बाहों में भर लिया।
सविता चौंकी। वह पीछे मुड़ के देखी।
सविता _अरे बदमाश तू।
राजेश _देखने आया हु, क्या बना रही हो मेरे लिए।
सविता _जब बन जाय तब देख लेना, अभी जाओ, कहीं तुम्हारे चाचा जी आ गए तो, क्या समझेगा?
राजेश _यहीं की अपनी चाची को भतीजा प्यार कर रहा है?
सविता _चल हट बदमाश, तुम्हे तो मैं भोला भाला समझता था, पर तू तो आवारा निकला।
राजेश पीछे से सविता की ओंठ चूसते हुवे उसकी चूची मसलने लगा।
सविता _ऊं उन,,,,
छोड़ो न क्या कर रहे हो, तुम्हारे चाचा जी आ जायेंगे।
हे भगवान तुम्हारा तो फिर से खड़ा हो गया है।
राजेश _जब बाहों में एक खूबसूरत औरत हो तो मर्द का खड़ा होगा ही।
चाची चलो न एक राउंड हो जाए।
सविता _न बाबा, कल का पूरा छिल गया है, अभी भी जलन हो रही है। जब तक ठीक नही हो जाता कुछ नही मिलेगा।
राजेश _अच्छा तो अपने छोटे भतीजे को भूखे ही घर भेजोगे।
सविता _तो कर भी क्या सकते है?
राजेश _मुंह से शांत कर दो।
सविता _छी, मैने कभी गंदी हरकत नही की है?
राजेश _तो अब करलो।
सविता _न बाबा मुझसे नही होगा ये सब।
राजेश _कोशिश तो कर के देखो।
सविता _बोली न मुझसे नही होगा।
राजेश ने सविता को छोड़ दिया, और डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया।
सविता व्यंजन बना कर उसके पास गई ।
सविता _क्यू ,नाराज हो गए क्या मुझसे?
राजेश _नही, चलो मुझे भूख लगी है भोजन लगा दो। मुझे जल्दी जाना भी है।
सविता _अच्छा चलो कीचन में ट्राई करती हूं, पता नही मुझसे क्या क्या करवाओगे।
राजेश _अब रहने दो, मूड नहीं है।
सविता _हूं, इतनी नाराजगी।
सविता ने राजेश को उठाया और खींचते हुवे कीचन में ले गया। फिर उसके पैंट का बटन खोल के उसका लंद चड्डी से बाहर निकाल दिया।
और हिलाने सहलाने लगी।
राजेश का लंद अकड़ने लगा।
सविता ने कभी लंद को मुंह में नही ली थी।
वह राजेश का लंद का सुपाड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी। लंद मोटा और लंबा होता गया। राजेश को मजा आने लगा।
राजेश _चाची थोड़ा अंदर।
सविता राजेश का लंद मुंह में और अंदर लेकर चूसने लगी।
राजेश जैसा जैसा बोलते गया सविता वैसे वैसे ही करती गई।
राजेश को बहुत मजा आ रहा था। वह सविता की बाल पकड़ कर लंद को मुंह में अंदर बाहर करने लगा।
और अन्त में सविता के मुंह में ही झड़ गया।
सविता को इसकी उम्मीद नहीं थी। वह सिंक में जाकर, घो घो करते हुवे वीर्य से मुंह से उगलने लगी।
सविता _छी, बदमाश कितना गन्दा है तू, पूरा मुंह में छोड़ दिया।
राजेश _क्यू स्वाद अच्छा नही लगा क्या? विदेश में तो युवतियां बड़े मजे से पी जाती है? कहते है इसे पीने से औरतों की खूबसूरती और बड़ जाती है।
सविता _मुझे नही बढ़ानी है अपनी खूबसूरती।
राजेश _हां आप तो ऐसे ही बहुत खूबसूरत हो।
सविता _चलो हाथ मुंह धो कर डाइनिंग टेबल में बैठो मैं भोजन लगाती हूं।
राजेश _ठीक है चाची। लव यू।
सविता _चल हट बेशरम, मुस्कुराते हुवे बोली।
राजेश हाथ मुंह धोकर खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। सविता ने उसके लिए भोजन लगाया।
राजेश _वाह चाची भोजन से तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही है।
सविता _अच्छा, तो खा कर बताओ कैसा बना है?
राजेश भोजन करने लगा और भोजन की तारीफ भी।
सविता उसके बाजू बैठ कर राजेश को खाते हुवे देखने लगी।
राजेश _चाची आप तो इतनी अच्छी हो फिर ताऊ और ताई से अलग घर क्यू बनवाकर रहने लगी, कुछ कारण होगा?
सविता _हूं, भुवन की वजह से।
राजेश _भुवन भैया की वजह से।
सविता _हा भुवन की वजह से, वह बिगड़ गया था, मुझे छुप छुप कर देखता था जब मैं नहाती, कपड़े बदलती और एक बार तो उसने हद ही कर दिया।
जब मैं घर में अकेली थी, अपना कपड़ा बदल रही थी वह पीछे से मुझे जकड़ लिया।
चाची मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं आई लव यू।
मैने उसके गाल पे जोर का तमाचा लगाया।
जब दीदी आई तो मैंने सारी बाते बताई।
उसने भुवन को डांटा।
पदमा दीदी ने कहा की नया नया जवान huwa है। बहक गया होगा, उसे माफ कर दो। यह बात किसी से मत कहना, नही तो खानदान की बहुत बदनामी होगी।
मैने किसी को कुछ नही बताया, पर भुवन सुधरा नही वह उसके बाद भी तांक झांक करता रहा।
उसके बाद मैने तुम्हारे चाचा जी से अलग मकान बनाने के लिए कह दिया। तुम्हारे चाचा जी तो नही मान रहे थे, पर मैने जिद करके यह घर बनवाया।
जब हम लोग इस घर में आए तो पदमा दीदी हमसे नाराज हो गई और हमारे रिश्तों में थोड़ा खटास आ गया।


राजेश _ओह तो ये बात है?
पर भुवन भैया का भी क्या कसूर आप इतनी सुंदर जो हो? भुवन भैया के जगह कोइ भी नया नया जवान लडका हो उसका ध्यान भटकेगा ही।
चाची, पर एक बात समझा नही, आप मेरे कहने पर कल रात साथ में सोने कैसे तैयार हो गई?
सविता _तुम इतने प्यारे जो हो, मैं तुम्हे नाराज नही देख सकती।
तुम तो कोइ जादूगर हो पता नही क्या जादू कर दिया है मुझ पर, तुम्हारी गंदी गंदी बातो को मानने मजबूर हो जाती हूं।
राजेश _अच्छा तो आपको मेरी हरकते अच्छा नही लगता। सच बोलो।
सविता _शर्मा कर अपनी मुंह दोनो हाथो से छिपाने लगी।
फिर राजेश ने उसका हाथ पकड़ा तो वह छुड़ाकर कीचन में भाग गई।
राजेश ने भोजन कर लिया।
राजेश _चाची सच में भोजन बहुत स्वादिष्ट बना था।
अब मैं चलता हूं।
सविता _हूं।
राजेश घर से जाने लगा।
राजेश _चाची मैं जा रहा हूं।
सविता _हूं।
राजेश _ये क्या चाची? ऐसे ही घर भेज रही हो, मुंह मीठा नही करवाओगी।
सविता _मैं अभी मिठाई लाई।
वह कीचन में जाने लगी तभी राजेश ने उसे पीछे से पकड़ लिया।
राजेश _मिठाई खाकर नही तुम्हारे गुलाबी ओंठो का रस पीकर मुंह मीठा करना है।
राजेश _नही न छोड़ो तुम्हारे जी आ जायेंगे।
राजेश ने सविता की ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा।
उसके बाद वह वहा से चला गया।
सविता _ मुस्कुराती हुई,उसे देखने लगी।

अगले दिन सुबह, ज्योति प्रसव पीड़ा शुरू हो गया।
पदमा _अरे बेटा राजेश, लगता है ज्योति को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाना पड़ेगा। उसका प्रसव का समय आ चुका है।
राजेश _ताई मैं अभी दिव्या जी को फोन करता हूं।
वो अभी ड्यूटी पर गई नही होगी।
राजेश ने दिव्या को फोन किया।
राजेश _हेलो दिव्या जी।
दिव्या _राजेश क्या बात है?
राजेश _दिव्या जी ज्योति दीदी का कमर पे दर्द हो रही है।
दिव्या _राजेश लगता है उसका प्रसव का समय आ गया है। देखो तुम लोग घबराओ नहीं।
मै अभी वहा पहुंचती हूं।
दिव्या कुछ देर में अपनी कार लेकर वहा पहुंची।
राजेश _आइए दिव्या जी।
दिव्या _राजेश, ज्योति दीदी कहा है ।
राजेश _जी कमरे में है।
दिव्या कमरे में गई, पदमा वही थी।
दिव्या ने ज्योति का चेक अप किया।
दिव्या _मां जी ज्योति दीदी का प्रसव का समय आ गया है इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ेगा।
पदमा _अब तो सब कुछ आप ही के हाथो में है बिटिया।
दिव्या _मां जी, ज्योति दीदी को कार में बिठाओ और साथ में तुम भी चलो।
दिव्या _ठीक है बिटिया।
दिव्या कमरे से बाहर आया।
राजेश _दिव्या जी सब ठीक तो है न।
दिव्या _राजेश अभी तक तो सब ठीक है, हम दीदी को स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे है।
तभी ज्योति को लेकर पदमा कमरे से बाहर आई।
ज्योति दर्द से कराह रही थी।
उसे किसी तरह कार के सीट में लिटा दिया गया।
पदमा _राजेश बेटा तुम और भुवन बाइक पर आओ, मेरे और ज्योति के कपड़े रख लेना।
राजेश _ठीक है ताई।
करीब 20मिनट में ही कार से वे लक्ष्मण पुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए।
राजेश और भुवन भी कुछ ही देर में वहां बाइक से पहुंचे।
राजेश _ताई, ज्योति दी कहा है ।
पदमा _राजेश, दिव्या बिटिया ज्योति को डिलीवरी रूम में लेकर गई है।
हे भगवान सब अच्छे से हो जाए।
राजेश _ताई तुम चिन्ता न करो सब अच्छा ही होगा।
कुछ देर में दिव्या रूम से बाहर आई।
दिव्या _बधाई हो राजेश, ज्योति दीदी ने लड़के को जन्म दिया है।
पदमा _बेटी सब ठीक तो है न।
दिव्या _हां मां जी जच्चा और बच्चा दोनो ठीक है।
राजेश _धन्यवाद दिव्या जी, आप समय पर आ गई। और सब सम्हाल लिया।
दिव्या _राजेश ये तो मेरा कर्तव्य है।
पदमा _दिव्या बेटी क्या मैं अंदर जा सकती हूं।
दिव्या _हां हां क्यूं नही?
पदमा _भुवन बेटा अपने जीजा जी को फोन कर बता दो, और कहना मिठाई ले कर आए।
भुवन _ठीक है मां।
दिव्या _अच्छा राजेश मैं और मरीजों को देख कर आती हूं। आप लोग बैठो। मैं आती हूं फिर साथ में काफी पियेंगे।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
राजेश ने पुनम को फोन कर बता दिया की दीदी ने लड़के को जन्म दिया है। घर में सब खुश हो गए।
कुछ देर बाद राजेश और भुवन भी जच्चा बच्चा को देखने कमरे के अंदर गए।
ज्योति को बधाई दिया।
दिव्या वहा पहुंची।
राजेश _दिव्या जी, दीदी को कितने दिन रखेंगे यहां।
दिव्या _सब कुछ तो नार्मल है,2, 3दिनो में छुट्टी हो जाएगी।
पदमा _राजेश बेटा, तुम्हारा एक्जाम भी अब पास आ गया है, तुम घर जाकर अपनी पढ़ाई करो। भुवन तुम्हे खेत सम्हालना है, तुम भी तुम्हारे जीजा जी जब यहां आयेंगे। तुम भी घर चले जायेंगे।
दिव्या _हा राजेश, कोइ भी समस्या आया तो यहां मैं तो हूं ही, तुम अपनी पढ़ाई पे फोकस करो, तुम्हे कलेक्टर जो बनना है। दिव्या मुस्कुराते हुवे बोली।
राजेश कुछ समय तक वहा और रुका फिर वह घर आ गया। और पढ़ाई करने लगा।
राजेश ने प्रारंभिक परीक्षा उच्चतम अंको के साथ पास कर लिया था। मुख्य परीक्षा के लिए एक्जाम सेंटर केवल राजधानी में ही दिया गया था।
राजेश को मुख्य परीक्षा के लिए राजधानी जाना था।
तीन दिन में ज्योति को अस्पताल से छुट्टी मिल गया।
पदमा उसे लेकर घर पहुंची।
साथ में ज्योति के पति, धीरज भी आया।
राजेश से वह पहली बार मिला।
बात चीत के माध्यम से एक दूसरे को वे अच्छे से जाने।
घर में सभी के राय से बच्चे का जन्मोत्सम कार्यक्रम 15दिन बाद रखने का निर्णय लिया गया, तब तक राजेश का एग्जाम भी हो चुका रहेगा।
आखिर वह दिन आ ही गया जब राजेश को एग्जाम के लिए राजधानी जाना था।
जब वह घर से स्टेशन के लिए निकल रहा था तब ज्योति ने उससे कहा।
राजेश, तुमने कहा था न की जब मैं बच्चे को जन्म दूंगी तो जन्मोत्सव कार्यक्रम में चाची को लेकर आओगे। मैं चाची से एक बार मिलना चाहती हूं।
पदमा _हां बेटा, देवर जी और सुनीता को देखने आंखे तरस गई है। उन्हे एक बार गांव लेकर आना।
राजेश _ठीक है ताई, मां और पापा गांव जरूर आयेंगे। ये मेरा वादा है।
भुवन बाइक लेकर राजेश को स्टेशन छोड़ने चला गया।
राजेश ने सुनीता को फोन कर बता दिया था की आज शाम वह घर आ रहा है। आईएएस की मुख्य परीक्षा देने।
सुनीता ने यह बात, शेखर और स्वीटी को बताई। वे दोनो खुशी से उछल पड़े।
राजेश सुबह ट्रैन पर बैठा, भुवन ट्रैन बिठाकर घर वापस आ गया।
राजधानी पहुंचते राजेश को शाम 5बज गए।
घर में स्वीटी और सुनीता उसके आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।

राजेश जब घर पहुंचा।
स्वीटी ने दौड़ कर उसे गले लगा लिया।
स्वीटी _ओह भैया, आप आ गए।
राजेश _स्वीटी, मेरी प्यारी बहना कैसी है तू?
स्वीटी _मैं बिल्कुल ठीक हूं भैया।
राजेश _मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
भैया आप कितने दिन बाद आ रहे हो क्या हमारी याद नही आती।
राजेश _मैं अपनी प्यारी बहना को कभी भुल सकता हूं।
अच्छा मां कहा है।
स्वीटी _कीचन में है।
स्वीटी ने अपनी मां को आवाज़ लगाया।
मां देखो भैया आ गए हैं।
सुनीता कीचन से बाहर आई।
राजेश ने पैर छूकर प्रणाम।
सुनीता _अरे बेटा तू आ गया। जीता रह बेटा।
राजेश _मां तुम ठीक तो हो न।
सुनीता _मैं ठीक हूं बेटा, पर तुम पहले से कुछ कमजोर लग रहे हो। तुम ठीक तो हो न।
राजेश _मां हर मां को जब भी उसका बेटा बाहर से कुछ दिन बाद लौटता, कमजोर नजर आता है।
सुनीता _बेटा तू थक गया होगा। जाओ पहले फ्रेश हो जाओ। पता नही सुबह से कुछ खाया भी है की नही,मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लाती हूं।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश फ्रेश हो गया,कुछ देर बाद सुनीता रूम में आई उसे अपने हाथो से नाश्ता कराने लगी।
सुनीता _अरे बेटा जानते हो तुम्हारे प्रिया दीदी ने लड़के को जन्म दिया है। और तुम्हारे मामी ने भी।
राजेश _क्या ये बड़ी खुशी की बात है।
मां एक खुशखबरी गांव से भी है, ज्योति दीदी ने लड़के को जन्म दिया है।
सुनीता _ये तो बड़ी अच्छी बात है।
राजेश _मां,ज्योति दीदी बता रही थी जब तुम लोग गांव से यहां आए तो वह सिर्फ चार वर्ष की थी, आप ज्योति दीदी को बहुत प्यार करते थे।
मां वह आपको बहुत याद करती है। उसने मुझसे वादा ली है की उसके बच्चे के जन्म कार्यक्रम में आप लोगो को गांव लेकर आऊ।
आप साथ चलेंगी न।
सुनीता _बेटा ये तुमने कैसा वादा कर लिया। मैं भी उन लोगो को याद करती हूं। पर उस ठाकुर ने जो मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था उसे याद करते ही मैं कांप जाती हूं। मुझे आज भी वहा जाने से डर लगता है।
राजेश _मां क्या तुम्हे मेरे बाजुओं पर भरोसा नहीं।
मैं उन आंखो को बाहर निकाल दूंगा जो आपकी ओर बुरी नजर से देखे।
सुनीता _अरे बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है पर मैं नही चाहती मेरे कारण गांव में फिर कोइ पंगा हो।
राजेश _मां कोइ पंगा नहीं होगा। तुम बस चलने के लिए राजी हो जाओ।
सुनीता _अब तुमने वादा कर ही लिया है तो मुझे अपने बेटे का मान तो रखनी ही पड़ेगी।
राजेश _थैंक यू मां।
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया।
सुनीता _अच्छा बेटा अब छोड़ो, तुम थक गए होगे आराम करो, कल तुम्हे एग्जाम देने है तैयारी करो।
राजेश _ठीक है मां।
सुनीता वहा से चली गई।
राजेश परीक्षा की तैयारी करने लगा।
अगले दिन सुबह 9बजे नाश्ता करने के बाद अपने पिता और मां से आशीर्वाद लेकर, परीक्षा दिलाने exam सेंटर चला गया।
चूंकि मुख्य परीक्षा में 7पेपर होने थे। राजेश परीक्षा देकर घर आने के बाद फिर से तैयारी में जुट जाता
सुनीता उसकी खाने पीने का अच्छे से ख्याल रखती।इस प्रकार उसने 10दिनो में सात पेपर दिलाए।
आज आखिरी पेपर था।
आज उसने राहत महसूस किया। वह एग्जाम दिलाने के बाद, रास्ते में उसे सुजाता का ऑफीस नजर आया।
उवह पहले ही सुजाता के ऑफीस जाकर उससे माफी मांगना चाहता था। लेकिन परीक्षा के दबाव के कारण वह जा न सका। वह सिर्फ पढ़ाई में ही फोकस करना चाहता था।
आज लास्ट पेपर के बाद वह उससे मिलने के लिए ऑफिस गया।
वह गेट के सामने गया तो सुरक्षा गार्ड ने राजेश को पहचान लिया।
गार्ड _अरे राजेश बाबू आप, बड़े दिन बाद आपका आना huwa।
राजेश _सुजाता मैम है क्या, उससे मिलना था।
गार्ड _मैम तो अंदर है, आप वेटिंग रूम में बैठिए मैं उसकी पर्सनल सिकेटरी को बता के आता हूं कि आप मैम से मिलना चाहते हैं।
राजेश _ठीक है।
गार्ड ने सेकेटरी को बताया की राजेश नाम का लडका मैम से मिलना चाहता है। मैम उसे अच्छे से जानती है। सेकेटरी ने यह बात सुजाता को जाकर बताई।
सेकेटरी, राजेश से मिली उसने राजेश से कहा की मैम अभी कुछ निवेशकों से चर्चा कर रही है जब वह फ्री होगी तब मैं उनको बताऊंगी की आप उनसे मिलना चाहते हैं। तब तक आप वेट कीजिए।
राजेश _कोइ बात नही जी मैं वेट कर लूंगा।
राजेश करीब एक घंटे इन्तजार किया।
वह उस दिन को याद करने लगा जब पिछले बार वह गांव से राजधानी आया था तो सुजाता किस तरह उसके पास आकर लिपट गई थी, और खुब प्यार की । पर आज वह उससे मिलने इन्तजार कर रहा है।
सब समय का पहिया है जो घूम चुका था।


निवेशकों के जाने के बाद , सेकेटरी ने सुजाता को बताया की राजेश नाम का कोइ लडका पिछले एक घंटे से मिलने के लिए आपका इन्तजार कर रहा है।
वह चौंकी,,, उसने सीसीटीवी पर देखा, राजेश वेटिंग रूम में बैठा था।
उसने सेक्रेटरी से कहा, उनसे पूछो क्यू मिलना चाहता है मुझसे?
सेक्रेटरी ने राजेश से जाकर कहा की मैम पुछ रही है की क्या काम से आए हो।
राजेश _जी, बस ऐसे ही,,
सेक्रेटरी _बस ऐसे ही, सुजाता मैम कौन है मालूम है?वह विशाल एवम सुजाता ग्रुप्स की मालकिन है, उनसे मिलने के लिए लोगो को अपॉयमेंट लेना पड़ता है। तुम ऐसे ही उससे मिलने चले आए, जैसे तुम उसके रिश्तेदार हो। अजीब आदमी हो।
राजेश _देखिए मैम मुझे अच्छे से जानती है। आप उनसे कहिए सिर्फ एक बार मैं मिलना चाहता हूं।
प्लीज।
सेक्रेटरी _ठीक है। में मैडम से जाकर कहती हूं।
सीसी टीवी में उन दोनो को सुजात देख और बातचीत को सुन भी रही थी।

सेक्रेटरी ने सुजाता के पास जाकर बोली।
सेक्रेटरी _मैम, वह लडका कह रहा है की आपसे एक बार मिलना चाहता है, आप उसे अच्छे से जानती है।
सुजाता _देखो, उसे जाकर कह दो की, मुझे जरूरी मीटिंग में जाना है, मैं अभी किसी से नहीं मिल सकती।
वो यहां से चला जाए।
सेक्रेटरी _ठीक है मैम।
वह राजेश के पास गई।
सेक्रेटरी _देखो, तुम जो भी हो, अभी आपसे मैडम नही मिलना चाहती, उसके पास तुम्हारे लिए समय नहीं है। वह तुमको यहां से जाने बोली है।
राजेश वहा से मुंह लटका कर, निराश होकर वापस जाने लगा, उसके आंखो मे आंसू भर आया।
सीसीटीवी में सुजाता राजेश को जाते हुवे देखने लगी।
राजेश के जाने के बाद वह, अपनी चेयर पर बैठ कर फुट फुट कर रोने लगी।
कुछ देर बाद, कंपनी के सीईओ, सुजाता से मिलने आया।
विनोद _मैम आज आपकी मीटिंग है, लोग आपका वेट कर रहे हैं।
सुजाता _विनोद जी, आज मेरी तबियत ठीक नहीं है आप की मीटिंग कैंसल कर दो।
विनोद _ठीक है मैम। आप आराम करिए।
इधर राजेश के आंखो में आंसू भर आए थे वह घर जाने के बजाए नदी किनारे चला गया जब वह दुखी रहता था तब नदी किनारे जाकर बैठता था।
वह नदी किनारे बैठ कर अपनी पुराने यादों में खो गया।
उसे आज निशा बहुत याद आने लगी। ऐसे मौके पर वह ही उसे निराशा पन से बाहर निकालती थी।
पर वह भी उससे नाराज होकर जा चुकी थी।
राजेश निशा के साथ जिन जगहों पर समय बिताया था, उन जगहों पर वह जाने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे निशा उसका वहा इन्तजार कर रही हो, पर उसे वहां नही पाता, और निराशा हो जाता।
उसकी आत्मा यह गीत गाने लगा, वह इधर उधर भटकने लगा
बहुत ही शानदार अपडेट हैं राजेश घर गया तो पदमा ने आरती उतारकर उसका स्वागत किया राजेश ने जो काम किया था वह बहुत ही काबिले तारीफ था पदमा ने तो राजेश को अपनी चूत देकर बधाई दी राजेश ने ज्योति से वादा किया था कि वह उसको अपने चाचा चाची से मिलवाएगा राजेश ने ये बात सुनीता को भी बता दी है सुनीता गांव जाने के लिए राजी हो गई है देखते हैं अब कोई कांड न हो जाए राजेश एग्जाम के लिए घर आ गया है लास्ट एग्जाम देकर वह सुजाता से माफी मांगने उसके ऑफिस जाता है लेकिन सुजाता मिलने से मना कर देती हैं इस बात से दुखी दोनों ही हो जाते हैं वजह दोनों की अलग अलग है
 

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राजेश जब देर तक घर नहीं लौटा तो सुनीता चिंतित हुई। उसने राजेश को काल किया पर उसका मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था।
वह चिंतित होकर, भगत को काल किया शायद वह अपने दोस्तो के पास गया हो आज उसका आखरी पेपर जो था।
इस समय भगत अपने पार्टी के कार्य कर्ताओं के साथ मीटिंग में था।
भगत ने काल उठाया,,,
भगत _प्रणाम मां,
सुनीता _खुश रह बेटा।
भगत _मां जी कुछ काम था क्या? सब ठीक तो है न।
बड़े दिनो बाद याद की।
सुनीता _हां बेटा, मैं ये पूछने फोन लगाई थी कि क्या राजेश तुम्हारे साथ है?
भगत _मां जी, राजेश भाई तो गांव गया है न।
सुनीता _अरे नही बेटा, वो आईएएस का एक्जाम देने शहर आया huwa है न, आज लास्ट पेपर था।
भगत _क्या राजेश भाई शहर में ही है और मुझे बताया ही नहीं।
सुनीता _बेटा पेपर दिलाने के बाद वह दोपहर में ही घर आ जाता था। आज शाम हो गई अभी तक घर नहीं लौटा।
उसका फोन भी स्विच ऑफ बता रहा है। मुझे बड़ी चिन्ता हो रही है। जरा अपने दोस्तो से पता करो, राजेश कहा है?
भगत _मां जी आप चिन्ता न करे, राजेश भाई जहा भी होंगे सकुशल होंगे, मैं अभी आपको पता करके बताता हूं।
भगत ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा की उन्हे जरूरी काम से जाना है। कल हम लोग बात करेंगे।
सभी लोगो के चले जाने के बाद।
वह मन में सोचता है।
आखिर राजेश भाई गया कहा होगा।
शायद सुजाता मैम के साथ तो नही है।
वह सुजाता को फोन लगाया।
एक बार में काल नही उठाया तो वह दोबारा काल किया।
सुजाता घर आ चुकी थी।
अपने कमरे में आराम कर रही थी, वह राजेश के बारे में ही सोच रही थी। राजेश को लेकर दुखी थी।
सुजाता ने फोन उठाया।
सुजाता _हेलो कौन?
भगत _मैम मैं भगत
सुजाता _भगत तुम, क्यों फोन किए थे?
भगत _मैम मैं ये पूछने के लिए फोन लगाया था कि क्या राजेश आपके साथ है?
सुजाता _नही, क्यू क्या huwa उसे?
भगत _ओ मां जी ने फोन लगाया था, वह चिंतित है कि वह अब तक घर नहीं लौटा, उसका फोन भी बंद बता रहा है।
सुजाता _दोपहर में आया था मुझसे मिलने। मैं उससे नही मिली।
भगत _क्या? आप उनसे नही मिली। मगर क्यू?
सुजाता _यह तुम अपने उस आवारा दोस्त से पूछो। जो किसी का दिल तोड़ने के बाद, उसने मिलने की उम्मीद करता है।
दरअसल, रीता के जन्म दिन पर रीता ने राजेश से जन्म दिन की खुशी में उसकी प्यास बुझाने कहा, राजेश न चाहते हुवे भी वह मजबूर होकर सुजाता से झूठ बोल कर रीता के कमरे में गया और उसका प्यास बुझाया था, पर सुजाता ने दोनो को रंगे हाथो पकड़ लिया था, इससे सुजाता को गहरा सदमा लगा था।
वह राजेश से कभी न मिलने की कसम खा ली थी।
इधर भगत को समझ आ गया था कि सुजाता मैम और भगत के किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया है।
भगत _पर राजेश भाई जा कहा सकता है।
वह उन सभी जगह राजेश को ढूंढने निकल पड़ा जहा वह जा सकता था।
काफी खोज बिन के बाद राजेश का बाइक उसे नजर आया।
भगत _ये तो राजेश भाई का बाइक है, लगता है वह यहीं कहीं है।
वह बाइक मंदिर के पास खड़ा था।
भगत मंदिर में जाकर इधर उधर ढूंढने लगा।
राजेश को अकेला बैठा, उसने दूर से देख लिया। भगत राजेश के पास जाकर उसके बाजू में बैठ गया।
भगत _क्या सोच रहे हो भाई।
राजेश _भगत तुम यहां।
भगत _बस आपको ढूंढता huwa चला आया।
क्या huwa भाई आप कुछ निराश लग रहे हो।
राजेश _कुछ नही यार बस ऐसे ही, तू सुना कैसा चल रहा है तुम्हारा पार्टी का काम।
भगत _बहुत अच्छा चल रहा है भाई, नए नए लोग पार्टी से जुड़ रहे है। भाई तुम शहर आए हुवे हो और मुझे बताया ही नहीं। मुझे ये बात अच्छी नहीं लगी भाई।
राजेश _अरे यार एग्जाम का कुछ दबाव था। सॉरी।
भगत _अच्छा ठीक है। चलो चलते है बड़े दिनो बाद मिले है, चलो दोस्तो के साथ आज पार्टी करते है।
राजेश _अरे नही यार मेरा मूड नहीं है।
भगत _भाई मैं जानता हूं आप सुजाता मैम और निशा को लेकर निराश हो। भाई आपके चेहरे पर ये निराशा पन बिल्कुल ठीक नही लगता।
आप पर तो सैकड़ों लडकिया आज भी मरती है। फिर क्यू उन लोगो के लिए दुखी होते हो जिन्हे आपकी भावनाओं की कोइ कद्र नहीं है।
भाई भुल जाओ उन लोगो को।
राजेश _भगत तू नही जानता गलती मेरी ही है, मैं ही उन लोगो की भावनाओ को नही समझ पाया।
हर औरते एक जैसी नहीं होती।
मैने उनकी भावनाओं के साथ खेला है।
भगत _भाई, अगर ऐसी बात है तो चलो सुजाता मैम के यहां, उसके घर चलते हैं। आप उससे माफी मांग लेना।
राजेश _नही भगत, वह मुझसे मिलना नही चाहती,अब मैं उसके सामने गया तो यह मेरी निर्लजता होगी।
भगत _मां जी ने फोन लगाया था। वह तुम्हे लेकर चिंतित है आप का फोन भी स्विच ऑफ बता रहा है।
राजेश _ओह एग्जाम सेंटर में मोबाइल स्विच ऑफ कर जमा करा दिया जाता है न, मैं मोबाइल ऑन करना ही भुल गया।
तभी भगत को किसी का फोन आया।
भगत ने फोन उठाया।
फोन भगत के दोस्त निखिल का था।
निखिल _अबे कहा है तू, भूल गया क्या, कब से वेट कर रहा हूं।
भगत _ओह सॉरी यार, ओह हम अभी पहुंचते हैं।
निखिल _हम अभी पहुंचते है, और कौन आ रहा है बे।
भगत _अबे गांव से राजेश भाई आया huwa है। मैं भाई के साथ ही हूं।
निखिल _क्या राजेश भाई आया huwa है, ये तो बड़ी खुशी की बात है, तुम राजेश भाई को लेकर यहां पहुुंचो। मैं तुम लोगो का वेट कर रहा हूं।

भगत _भाई निखिल का फोन था, वही निखिल जिसके फार्म हाउस में हम लोग प्रोग्राम की तैयारी करते थे।वह बहुत बड़ा शॉपिंग मॉल खोला है, आज उसका उद्घाटन है।
मुझे आने को कहा था, मैं तो भुल ही गया था। मैने उसे बताया कि तुम शहर आए हो, वह दोनो का वेट कर रहा है। चलो चलते है।
राजेश _भगत, मेरा कहीं जाने का मन नही कर रहा, तुम जाओ।
भगत _भाई, तुम्हे अकेला छोड़कर, मैं कहीं नहीं जाने वाला।
राजेश _भगत, मेरी चिन्ता मत करो, मैं ठीक हूं, तुम जाओ।
भगत _नही भाई अगर आप नही चलेंगे तो मैं भी नही चलूंगा।
राजेश _भगत तु नही मानेगा, ठीक है चलो।
भगत _भाई रुको एक मिनट, मैं मां जी को फोन कर बता दूं की तुम मेरे साथ हो, वो चिंतित हैं।

भगत ने सुनीता को फोन लगाया,,
सुनीता _बेटा, राजेश का पता चला क्या?
भगत _हां, मां जी वो मेरे साथ ही है।
सुनीता _बेटा राजेश ठीक तो है न।
भगत _हा मां जी राजेश बिल्कुल ठीक है, आप चिन्ता न करे।
मैं राजेश भाई को अपने साथ, हमारे पुराने दोस्त के यहां ले जा रहा हूं, उसने नया शॉपिंग मॉल खोला है, उसका उद्घाटन है। दोस्तो के साथ मिलेगा तो राजेश भाई अच्छा फील करेगा।
सुनीता _क्यू? क्या huwa है राजेश को बेटा?
भगत _huwa तो कुछ नही है मां जी पर वो क्या है न की निशा और सुजाता मैम को लेकर राजेश कुछ अपसेट है।
सुनीता _हे भगवान, अब तक भुल नही पाया है उन लोगो को। फिर क्या किया है उन लोगो ने, मेरे बेटे के साथ।
भगत _कुछ नही मां जी, वो क्या है न कि राजेश भाई सुजाता मैम से मिलने उसकी ऑफीस गया था पर मैम ने मिलने से मना कर दिया।
सुनीता _ओह, राजेश को उसके ऑफीस जाने की क्या जरूरत था? भगत बेटा ज्यादा रात मत करना।
मैं राजेश को लेकर चिंतित हूं।
भगत _मां जी मैं राजेश अब मेरे साथ है आप बिल्कुल भी चिन्ता न करें।
सुनीता ठीक है बेटा।
भगत, राजेश को लेकर निखिल के शॉपिंग मॉल में ले गया, जहां आज उद्घाटन है।
उदघाटन में बड़े बड़े लोगो को इनवाइट किया गया था।
पूजा पाठ हो चुका था, रिबन काटना बांकि था।
निखिल के पिता जी सुजाता और रीता की कंपनी में शेयर होल्डर थे तो दोनो को भी आमंत्रित किया गया था।
रिबन भी सुजाता के हाथो से कटना था। इन सब बातो से भगत और राजेश अनजान था।
जब वे मॉल पहुंचे तो निखिल बहुत खुश हुआ।
राजेश और भगत ने निखिल को बधाई दिया।
वहा मॉल को बहुत अच्छे से सजाया गया था। मेहमानों के खाने पीने और उनके मनोरंजन के लिए संगीत की व्यवस्था भी किया गया था। आर्केस्ट्रा वाले अपनी प्रस्तुति दे रहे थे, मौजूद लोग उसका आनंद ले रहे थे।
कुछ समय के बाद रीता वहा पहुंची।
रीता ने गुलदस्ता भेट कर निखिल के पिता को बधाई दिया। जब वह हाल में गई तो उसकी नजर डाइनिंग टेबल पर बैठे राजेश और भगत पर पड़ी।
भगत ने जब रीता को देखा।
भगत _भाई ये चुड़ैल, यहां भी आ गई।
रीता दोनो के पास पहुंची।
रीता _ओह राजेश तुम यहां, वाट आर सरप्राईज।
वह राजेश के पास जाकर बैठ गई।
रीता _राजेश तुम यहां, तुमने मुझे फोन क्यू नही किया की तुम यहां शहर में हो।
राजेश _वो मेरा एग्जाम था न, मैं उसी पर फोकस कर रहा था, आज ही लास्ट पेपर था।
रीता _ओह राजेश मैं तो तुम्हे पहले भी बोली थी और अब भी बोल रही हूं, ये आई ए एस का चक्कर छोड़ो मेरी कंपनी ज्वाइन करो। मैं कई गुना ज्यादा पैसा दूंगी एक आई ए एस अफसर के तनख्वा से।
पर तुम हो की मानते ही नहीं।
तुम्हे यहां देख कर बता नही सकती मै कितनी खुश हूं।
राजेश, चलो हम यहां से किसी फाइव स्टार होटल में चलते है, कितने दिन बाद हम मिल रहे हैं।
भगत _मैम यदि राजेश भाई यहां से गया तो निखिल, हमारे दोस्त को कितना बुरा लगेगा।
रीता _भगत तुम चुप रहो मैं तुमसे बात नहीं कर रही।
राजेश _मैम भगत ठीक कह रहा है।
रीता _वैसे राजेश मैं कैसे लग रही हूं इस साड़ी में।
भगत _चुड़ैल, उसने धीरे से कहा।
रीता _भगत तुमने कुछ कहा?
भगत _जी मैने कहा कि तुम खूबसूरत और हॉट लग रही हो।
रीता _मैं तुमसे नही राजेश से पूछी हूं।
राजेश _भगत सही कह रहा है।
रीता _ओह थैंक यू।
तभी माइक से अलाउंस huwa, लीजिए दोस्तो हमारे बीच आज के खास मेहमान सुजाता मैम पहुंच चुकी है। सुजाता राजेश कोलेकर आज दुखी थी। वह यहां नही आना चाहती थी, पर उसने पहले आने के लिए सहमति दे दी थी। इसलिए उसे मन न करते हुए भी यहां आना पड़ा।
सुजाता मंच पर गई। सभी ने तालिया बजाकर उसका स्वागत किया। सुजाता ने हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया।
निखिल का डैड _आइए सुजाता जी, रिबन कांट कर शो रूम का उद्घाटन कीजिए।
सुजाता ने रिबन काटने के लिए आगे बड़ी।
इधर रीता को सुजाता से बड़ी जलन होती थी। वह सुजाता को नीचा दिखाने के लिए ही राजेश के करीब आई थी, पर न चाहते हुवे भी वह राजेश की अच्छाइयों और मर्दानगी की दीवानी हो गई थी।
जिस दिन सुजाता ने राजेश और रीता को उसकी कमरे पकड़ी थी।
रीता को बड़ी सुकुन मिली थी। जैसे उसने सुजाता को हरा दिया हो।
आज फिर सुजाता को जलाने का मौका था।
इधर राजेश और भगत एक दूसरे की ओर देखने लगे।
राजेश _भगत, तुमको पता था मैम यहां आने वाली है।
भगत _न में सिर हिलाया।
सुजाता ने रिबन कांटकर मॉल का उद्घाटन किया। सभी ने तालिया बजाया। सुजाता के साथ लोगो ने शॉपिंग मॉल का अवलोकन किया।

उसके बाद।
निखिल के डैड सुजाता को हाल में ले गया वहां रखे ,डाइनिंग टेबल पर सुजाता को बिठाया और खुद साथ में बैठ गया।
इधर जब से राजेश के साथ, रीता को पकड़ी थी। सुजाता रीता से बात चीत बंद कर दी थी।
रीता ने सुजाता को आवाज़ दी, हाय सुजू, आओ हमारे साथ बैठो।
सुजाता, चौंक कर रीता की ओर देखी।
जब उसने देखा राजेश उसके बाजू में बैठा हुआ है।
उस समय भगत वहा पर नही था, उसके पार्टी से जुड़े कुछ लोग मिल गए थे, उनके साथ चला गया। पार्टी के मुद्दे पर चर्चा करने।
राजेश और सुजाता की नजर एक दूसरे से मिली। राजेश ने नजरे झुका ली।
जबकि सुजाता को एक और सदमा लगा।
शाम को भगत ने उसके पास फोन किया था की राजेश, अभी तक घर नहीं पहुंचा है उसकी मां चिंतित है? उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ बता रहा है।
इसका मतलब ये मेरे ऑफीस से जाने के बाद ये रीता के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है।
पहले तो बहुत गुस्सा आया, फिर उसका दिल रोने लगा। उसकी आंखो से आंसू बहने लगा।
निखिल के डैड _क्या huwa सुजाता जी आप ठीक तो है न?
सुजाता _जी मैं ठीक हूं।
इधर आर्केस्ट्रा वालो ने गाना शुरू कर दिया,,,,
दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है,,,,
वह उस गाने में खुद को महसूस करने लगी,,,



इधर सुजाता की आंखो में आंसू देख रीता को बड़ी राहत मिल रहा था।
राजेश को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे?
गाना खतम होते ही सुजाता अपनी आंसू पोंछते हुवे वहा से चली गई।
सुजाता के जाने के बाद, राजेश बहुत दुखी हो गया और उसने वेटर को ड्रिंक लाने को कहा।
रीता के मना करने के बाउजूद शराब को पैग पे पैग पीने लगा। उसने रीता का एक न माना। जब भगत वहा आया तो उसने कई पैग पी लिया था।
भगत ने और पेग पीने से रोका, तब तक देर हो चुका था।
रीता _भगत मैने बहुत मना किया पर राजेश माना नही।
राजेश पर नशा हावी हो गया था वह नशे में बड़बड़ाने लगा। चले जाओ मुझे किसी की जरूरत नही, हां मैं आवारा हूं। मैं किसी के काबिल नहीं।
रीता _ओह भगत, इसे घर छोड़ आओ। नशा कुछ ज्यादा ही हावी हो गया है।
भगत _राजेश भाई क्या किया आपने? अब मैं मां जी को क्या जवाब दूंगा?
भगत राजेश को सहारा देकर उठाया और रीता अपने बाइक में बिठाकर अपने एक और दोस्त को साथ लेकर राजेश का घर ले गया।
उधर राजेश के घर में सब भोजन कर लिए थे। शेखर और स्वीटी अपने कमरे में आराम कर रहे थे। सुनीता राजेश के आने का वेट कर रही थी।
सुनीता ने जब दरवाजा खोला, उसने देखा राजेश होश में नहीं है, भगत राजेश को पकड़ रखा है।
सुनीता घबरा कर बोली,,,
सुनीता _क्या huwa राजेश को।
भगत _कुछ नही मां जी, थोड़ा सा शराब पी लिया है राजेश भाई ने।
सुनीता _क्या राजेश ने शराब पी लिया है।
हे भगवान, उसकी आंखों में आंसू भर आए।
राजेश चल नही पा रहा था।
उसे भगत किसी तरह उसके कमरे में ले जाकर लिया दिया।
सुनीता पीछे पीछे गई। राजेश की हालात देखकर फफक फफक कर रोने लगी।
राजेश बडबडा रहा था, चले जाओ सब मुझे छोड़ के, मैं आवारा हूं। मुझे किसी की जरूरत नही,,,, लड़खड़ाते आवाज़ में बोल रहा था।
फिर वह आंखे बंद कर सोने लगा।
भगत _सॉरी मां जी, मैं राजेश भाई का ख्याल नही रख सका। ये सब हो जायेगा। सोचा ही नहीं था।
सुनीता _बेटा जो होना था वो तो हो गया। गलती तुम्हारी नही है। गलती तो राजेश ने ही किया है। इन बड़े लोगो से मैने दूर रहने के लिए कहा था। पर ये माना नही, आखिर huwa वही जिसका डर था। काम निकल जाने के बाद छोड़ दिया मेरे बेटे को। सब इस्तेमाल कर रहे हैं मेरे बेटे का।
भगत _सुनीता से इजाजत लेकर चला गया।
उसके जाने के बाद सुनीता राजेश के कमरे में गई। उसके जूते उतारे।
फिर उसे चादर ओढ़ा कर, उसके कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली गई।
वह राजेश की हालात पर चिंतित थी। वह ठीक से सो नहीं सकी।
अगले सुबह जल्दी उठ गई और वह राजेश के कमरे में गई। राजेश अभी भी सोया हुआ था।
वह वहा से निकलकर अपने कमरे में गई और स्नान कर पूजा पाठ कर कीचन का काम सम्हालने लगी।
जब शेखर उठा, वह फ्रेस होकर अखबार पढ़ने लगा।
सुनीता चाय लेकर उसके पास गई।
शेखर _राजेश कल कितना समय आया। अभी तक उठा नही है। सब ठीक तो है न।
सुनीता _ओ रात 10 बजे। आया अपने दोस्त के यहां पार्टी में गया था न। इसलिए देर तक सोया है।
उसने शेखर को कुछ नहीं बताया।
सुबह के 8बज गए, राजेश उठा नही तब सुनीता उसके कमरे में गई।
उसने राजेश को उठाया।
सुनीता _राजेश बेटा, उठो कितना देर तक सोता रहेगा,,, उसने राजेश के बालो पर अपना हाथ फेरा।
राजेश ने अपनी आंखे खोला।
राुनीता _बेटा तू ठीक तो है न।
राजेश _हां मां, थोड़ा सिर में दर्द और शरीर में सुस्ती लग रही है।
सुनीता _बेटा क्यू पी तूने शराब।
राजेश _सॉरी मां।
सुनीता _बेटा क्या जरूरत थी, उस सुजाता की ऑफिस जाने की तुम्हे। वो बड़े लोग है बेटा। ये बड़े लोग, छोटे लोगो का केवल इस्तमाल करना जानते है। और जब काम निकल जाए तो दूध से मख्खी की तरह बाहर निकाल कर फेक देते है।
किसी के भावनाओ से इन्हे कोइ मतलब नहीं।
मुझे कसम दे आज के बाद तू कभी नही जायेगा उनसे मिलने।
मां तुम ठीक कहती हो इन बड़े लोगो को किसी भावनाओ से कोइ मतलब नहीं होता। अब मैं उन लोगो से दूर ही रहूंगा।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारे लिए नींबू पानी लाती हूं तुम पी लो, तुम्हे आराम लगेगा। फिर नहा कर तैयार हो जाओ। नाश्ता तैयार कर रही हूं। पता नही खाया भी है की नही।
सुनीता ने राजेश के लिए नींबू पानी लाया।
राजेश नींबू पानी पीकर थोड़ा आराम कर फ्रेस huwa फिर नहाकर। कीचन में आया उसे जोरो की भूख लगी थी।
सुनीता _मां तू नहा लिया बेटे।
राजेश _हां मां।
मां पापा और स्वीटी कहा है।
बेटा _तुम्हारे पापा तो ड्यूटी पर चला गया और स्वीटी कॉलेज के लिए तैयार हो रही है।
चल तू भी नाश्ता कर ले।
सुनीता ने राजेश के लिए नाश्ता लगाया।
फिर वह अपनी हाथो से राजेश को नाश्ता कराने लगी।
राजेश _मां तू कितनी अच्छी है।
सुनीता _चल झूठा कहीं का, अगर मैं अच्छी होती तो मेमेरी परवाह करता, कल वाली हरकत नही करता।
राजेश _सॉरी मां।
सुनीता _तू बदल गया है।
कैसे पहले तू मेरे आगे पीछे मंडराता था, भुल गया। बात बात में गले लगा लेता था।
पर उस निशा और उसकी मां ने पता नही तुम पर क्या जादू कर दिया है? अपनी मां की परवाह करना छोड़ दिया।
राजेश _अरे मां ऐसे क्यू बोल रही हो। तुम तो मेरी प्यारी मां हो?
सुनीता _अच्छा बेटा मुझे मार्केट जाना है कुछ सामान खरीदने तू चलेगा साथ में।
राजेश _क्यू नही, मां ये भी पूछने की बात है!
सुनीता _अच्छा मैं कीचन का काम निपटाती हूं फिर चलेंगे।
राजेश _ठीक है मां।
तभी वहां स्वीटी आई।
मां मैं कालेज जा रही। बाय भैया।
स्वीटी कालेज चली गई।
कीचन का काम निपटाने के बाद।
तैयार होने के लिए सुनीता अपनी कमरे में गई। वहा से राजेश को आवाज़ लगाई।
राजेश _क्या है मां?
सुनीता _अरे बेटा मैं कौन सा साड़ी पहनु, इसमें से देख कर बताओ।
राजेश _मां कोइ सी भी साड़ी पहन लो, आप पर तो सभी साड़ी जचेगी। तुम इतनी सुंदर जो हो।
सुनीता _चल झूठा कहीं का मैं इतनी सुंदर होती तो उस सुजाता और निशा के लिए देवदास नही बनता।
सुनीता ने एक पारदर्शी साड़ी निकाल ली और एक ब्लाउज जो सामने और पीछे से कुछ ज्यादा ही खुला हुआ था।
सुनीता _अच्छा अब मैं तैयार हो रही हूं जाओ तुम भी कमरे में जाकर तैयार हो जाओ।
राजेश _ठीक है मां।
सुनीता तैयार होने लगी। वह अपनी ओंठो पर लिपिस्टिक भी लगा ली।
जब राजेश तैयार होकर सुनीता के कमरे में आया तो सुनीता को देखता रह गया।
बहुत खूबसूरत हॉट और सेक्सी लग रही थी।
सुनीता _ऐसा क्या देख रहा है re
राजेश _ने सुनीता को पीछे से बाहों में भर लिया और कहा, तुम खूबसूरत और हॉट लग रही हो।
किसी पर बिजली गिराने का इरादा है क्या?
सुनीता _हूं।
राजेश _किस पर मैं भी तो जानू कौन है वो खुशनसीब।
सुनीता _है एक देवदास? जो अपनी मां को भी भुल जाता है।
अब छोड़ो, और मेरी झूठी तारीफ मत करो।
राजेश _अरे मैं सच कह रहा हूं। बड़ी हॉट लग रही हूं। मुझे छोड़ने का मन नही कर रहा है।
सुनीता _अच्छा। तो क्या करने का मन कर रहा है?
राजेश _अपनी हॉट मां को प्यार करने का।
तभी राजेश दोनो हाथो से उसकी चूची मसलने लगा।
सुनीता _अभी कुछ नहीं मिलेगा। मार्केट से आने के बाद सोचूंगी। छोड़ो मुझे।
राजेश _अरे मां एक किस ही दे दो।
सुनीता _उन हूं, अभी कुछ नही।
तभी राजेश के लंद में तनाव आ गया।
मां ऐसे ही चलूंगा क्या !लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे?
सुनीता _अच्छा ठीक है तुम घर में ही रहो, मैं मार्केट से आती हूं ठीक है।
राजेश _ठीक है जाओ, मैं भी जाता हूं । सुजाता के घर,,,
सुनीता _तू तो अपनी मां को ब्लैक मेल करने लगा।
राजेश _आप मजबूर जो कर रही हो।
सुनीता _तुम बहुत समय लेते हो। अभी नही।
राजेश _अरे नही मां जल्दी हो जायेगा।
राजेश सुनीता की ओंठ चूसने लगा। अब सुनीता भी राजेश का साथ देने लगी।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश पहले ही सुजाता और निशा को लेकर दुखी था इसलिए भगत उसे निखिल के मॉल के उद्घाटन में लेकर जाता है लेकिन वहां उसे रीता और सुजाता मिल जाती हैं रीता सुजाता से बदला लेने के लिए राजेश के चिपक जाती है जो आग में घी डालने का काम करती हैं सुजाता की नजर में वह और गिर जाता है सुजाता एक और गलतफहमी का शिकार हो जाती है सुनीता राजेश को ग़म से बाहर निकालने के लिए अपने अस्त्र का प्रयोग कर रही है
 

Ajju Landwalia

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मंगली ने अपने खाट के बाजू अपने पति का खाट लगा दिया, उसमे एक नया चादर बिछा दिया।
मंगली _लो बबुवा , सो जाओ।
राजेश खाट पे सो गया।
मंगली भी अपनी खाट पे सो गई।
राजेश को नींद नहीं आ रहा था, क्यू की उसका land तो अभी अकड़ा हुआ था, उसने मंगली और बंशी की chudai जो देख लिया था।
करीब आधा घंटा बाद,,
राजेश अपनी खाट से उठ कर बैठ गया।
मंगली की नींद भी नहीं लगी थी।
मंगली _बबूवा, अभी तक सोए नही।
राजेश _ओ काकी प्यास लगी थी।
मंगली अपनी अपनी खाट से उठी और कीचन से पानी लाने के लिए जाने लगी।
राजेश की नजर उसकी मटकती गाड़ पड़ पड़ी तो उसका land और झटके मारने लगा।
राजेश ने पानी पिया।
राजेश खाट पर लेट गया
मंगली _अरे बबुआ तुम्हारी तबियत तो ठीक है न।
राजेश _नही काकी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है। बड़ी तकलीफ हो रही है।
मंगली _अरे बाबुवा, कहा तकलीफ है।
राजेश _रहने दो काकी आप जानकर भी क्या करोगी?
मंगली _अरे बबूवा, तकलीफ क्या है? मुझे तो बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू।
राजेश _अरे काकी, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊं क्या तकलीफ है, आप मुझे गलत समझने लगोगी।
आप मुझे गंदा लड़का समझोगी।
मंगली _मैं गलत नहीं समझूंगी, तकलीफ क्या है बताओ।
राजेश _काकी, अब क्या बताऊं, मुझे बताने में शर्म आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ शर्माना तो लड़कियों का काम है तुम तो लड़के हो। लड़के होकर शर्मा रहे हो। चलो बताओ बात क्या है अपने काकी से शर्माने की आवश्यकता नही।
राजेश _ओ काकी क्या है न कि मेरे,,,,
मंगली _अरे रूक क्यू गए, बबुआ बताओ,,,
राजेश _ओ काकी,,, मेरे,,, नुनु में,,,,, बड़ा दर्द है,,,
मंगली नुनु शब्द सुनकर शर्मा गई,,,
मंगली _क्यू बाबुवा, क्या huwa तुम्हारे नुनु को,, मुंह छिपाते हुए बोली, और मुस्कुराने लगी।
राजेश _ओ आपको और काका को घर के पीछे, जब से देखा है न, तब से दर्द कर रहा है।
मंगली, शर्म से पानी पानी हो गई।
मंगली _अरे बबुआ अब क्या बताऊं तुम्हे? मैने तुम्हारे काका को मना भी की थी घर में सब मेहमान है ऐसे में, ये करना ठीक नहीं, पर दारू पीने के बाद तो तुम्हारे काका अपने पर काबू ही नही रख पाते।
आखिर वही huwa जिसका डर था तुम वहा आ गए।
राजेश _माफ करना काकी मुझे पता होता की आप आप और काका वहा, कुश्ती लड़ रहे हैं तो मैं वहा नही जाता।
मंगली _कुश्ती शब्द सुनकर, मंगली शर्म से पानी पानी होने लगी।
मंगली _, अरे जो नई होना था वो तो हो गया। अब कर भी क्या सकते हैं?
अब तेरा तकलीफ दूर कैसे होगा? ये बताओ।
राजेश _काकी, आप चाहे तो तकलीफ दूर कर सकती हो,,
मंगली _वो कैसे बबुआ?
राजेश _मेरे नुनु से पानी निकालकर।
मंगली शर्मा गई,,,
राजेश _अरे काकी, थोड़ा तेल लगाकर मालिश कर दोगी तो, मुझे दर्द से राहत मिल जायेगी। और मैं चैन से सकूंगा।
मंगली _मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ लडका समझती थी, तू तो बदमाश निकला, अपनी काकी को मूठ मारने कह रहा है। तुम तो अपनी काकी को गंदी औरत समझने लगे।
मंगली, नाराज होते हुवे बोली।
राजेश _काकी आप तो नाराज हो गई, माफ करना मुझसे गलती हो गई।
राजेश अपनी खाट से उठ गया।
राजेश _काकी मैं दोस्तो के साथ सो ने जा रहा हूं। आप नाराज मत होइए।
राजेश जाने को huwa
मंगली _अरे रुको, बाबुवा।
नाराज हो गए क्या अपने काकी से,,
राजेश _नही तो
मंगली _फिर यहां से जा क्यूं रहे हो।
राजेश _यहां रहने से दर्द तो कम होगा नही, बल्कि और बढ़ेगा, इसलिए यहां से जाना ही अच्छा है।
मंगली _अच्छा ठीक है, दिखाओ अपना नुनु मैं मालिश कर देती हूं।
बबुआ तुम्हारे जगह कोई और होता तो खुद ही यहां से जाने कह देती, पर तुमको निराश करने की हिम्मत मुझमें नहीं है,और मेरी क्या इस गांव की किसी भी औरत में नही होगी।
पर हां यह बात किसी से कहना मत नही तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। पता नही गांव के कितने लोगो ने मुझे फसाने की कोशिश की पर पराया मर्द के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
राजेश _अरे काकी ऐसी बात है तो मैं आपका पतिव्रता धर्म नही तोड़ना चाहता। मुझे जाने दीजिए।
काकी _अरे बबुआ तुम्हे निराश करके अपनी पतिव्रता धर्म बचा के रखूंगी, तो मेरे दिल को बिलकुल अच्छा नही लगेगा।
राजेश _काकी ठीक से सोच लो बाद में मुझे दोष न देना कि मैने आपका पतिव्रता धर्म को भ्रष्ट कर दिया।
काकी _नही दूंगी बाबा नही दूंगी। चल अब तू खाट में लेट जा मैं सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
मंगली मुस्कुराते हुवे कमरे से जाने लगी तभी राजेश ने उसकी चूतड पे चिकोटी कांट ली।
मंगली _उई मां, बदमाश बड़ा जोर से चिकोटी कांटा, अपनी काकी से शरारत करता है। आती हूं तब बताती हूं तुझे।
मंगली कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म कर लें आई।
मंगली _चलो दिखाओ अपना नुनु,
राजेश ने अपना पैंट और चड्डी ने खिसका कर लंद बाहर निकाल दिया। लंद हवा में लहराने लगा।
मंगली , आश्चर्य से देखने लगी।
राजेश _क्या huwa काकी?
मंगली _ये क्या है re इतना बड़ा?
ये नुनु है।
राजेश _तो।
मंगली _इतना बड़ा तो किसी घोड़े का होता है!
राजेश _काकी, जल्दी करो न बड़ा तकलीफ हो रही है।
राजेश का लंद देखकर मंगली की boor पानी छोड़ने लगी।
मंगली, हाथो में तेल लेकर लंद की मालिश करना शुरू कर दी।
काफी देर तक मालिश करने के बाद भी जब लंद से पानी नही निकला।
मंगली _कितने देर से हिला रही, तेरा तो पानी ही नहीं निकल रहा है re, तेरा काका का तो हाथ लगाते ही पानी छोड़ देता है।
मेरा तो हाथ भी दर्द करने लगा।
राजेश _काकी, ये इतना आसानी से पानी नही छोड़ने वाला। मेरे घोड़े को बड़ी प्यास लगी है। जब तक जी भर कर कूवे का पानी नही पिएगा। ये उल्टी नही करेगा। इसे अपने कुवे का पानी पिलाओ।
मंगली _मतलब तू मेरे कुंवे की खुदाई करना चाहता है।
राजेश _अगर आप इजाजत दो।
मंगली _तू अपने इतने बड़े हथियार से खुदाई करेगा न, तो नसे में खर्राटे भरने वाले भी जाग जायेंगे।
राजेश _तो चलो घर के पीछे चलते है।kuwe की खुदाई करने। राजेश ने एक हाथ से मंगली की boor को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
मंगली की पेटीकोट boor की पानी से गीली हो चुकी थी।
मंगली _अब तेरी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी। नही तो रात भर प्यास से तड़फता रहेगा तेरा घोड़ा।मुस्कुराते हुवे बोली।
तू चल मैं लाल टेन लेके आती हूं। और जाने से पहले एक बार देख लो सब सो तो रहे है न।
राजेश ने कमरे में जाकर देखा जहा मेहमान सी रहे थे। सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे।
राजेश _काकी, सभी घोड़े बेच कर सो रहे है, चलो जल्दी। मेरे घोड़े को पानी पिला दो।
मंगली _अरे बबुआ आती हूं, थोड़ा धीरज धर।
राजेश घर के पीछे चला गया, कुछ देर बाद मंगली भी वहा लाल टेन, चादर और तकिया लेकर पहुंच गई।
मंगली _और बबुआ, बाजू वाले झोपड़ी में चलते है वहा दरवाजा लगा huwa है।
इस झोपड़ी में दरवाजा न होने के कारण कोई भी देख सकता है। जैसे तुमने देख लिया।
घर के पीछे झोपड़ी में रखे पैर को जमीन पर बराबर से फैला कर, चादर बिछा दिया और तकिया लगा दिया।
राजेश ने मंगली को खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। और उसकी ब्लाउज का बटन खोल कर उसे शरीर से अलग कर दिया।
उसकी बड़ी बड़ीगोरे गोरे सुडौल चुचियों को देखकर उसका लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने उसके स्तनों को हाथ में पकड़ कर मसलना और चूसना शुरु कर दिया।
मंगली सिसकने लगी।
राजेश का लंद देखकर उसकी हालत पहले से ही खराब थी।
राजेश ने एक हाथ, मंगली के पिटिकोट के अंदर डाल दिया और उसकी boor को मसलने लगा।
मंगली के हाथ पैर उटेजना के मारे कपकापने लगे।
राजेश एक हाथ से चूची को तो दूसरे हाथ से boor को मसल रहा था।
मंगली उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी।
मंगली _बबुआ अब बस करो, और kuwe की खुदाई शुरू करो।
राजेश _काकी, आपका kuwa तो, पूरा लबा लब पानी से भर गया है। डुबकी लगाकर खुदाई करने में मजा आयेगा।
राजेश ने मंगली को चादर पे लिटाकर, अपना पैंट और चड्डी उतार दिया।
उसकी टांगे फैला कर बीच में उकडु बैठ गया।
उसकी मस्त चिकनी, गुदाज boor को हाथ से सहलाने लगा।
उसकी मस्त चिकनी chut देख कर लंद झटके मारने लगा।
राजेश देर न करते हुए, अपना लंद को पकड़ा और मंगली के कुंवे का रास्ता दिखाया।
फिर एक जोर का धक्का मारकर, एक ही बार में लंद को boor में आधा से ज्यादा अंदर कर दिया। योनि एकदम गीली थी फिर लंद मोटा होने के कारण boor लंद को जकड़ा हुआ था। धक्के से मंगली के मुंह से उई मां निकल गया।
मंगली _ऐसा कोई धक्का मारता है क्या, एक ही बार में घुसा दिया। मेरी boor फट गई।
राजेश _सॉरी काकी, रहा नही जा रहा था।
राजेश ने, मंगली की चुचियों को मसल मसल कर कुन्वे की खुदाई करना शुरू कर दिया।
राजेश धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया।
लंद boor में गच गैच अंदर बाहर होने लगा।
लंद लंबा होने के करना,boor की अंतिम छोर तक जा रहा था।
राजेश ने तभी एक जोर का धक्का मारा, लंद का टोपा सीधा मंगली के बच्चे दानी से टकराया।
मंगली का पूरा बदन अंदर से झनझना गया।
राजेश मंगली की boor दनादन ठोकने लगा।
लंद मंगली की boor में कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली को अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह जन्नत में पहुंच चुकी थी।chudai की ऐसा सुख उसे मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना नही की थी
वह राजेश को एकदम से जकड़ ली थी।
राजेश गचा गाच पेले जा रहा था।
मंगली के मुंह से मादक सिसकारी निकल रही थी झोपड़े में उसकी चूड़ियों की खनक गूंज रही थी।
फ़च फाच, खन खन और आह उन आई मां,, मर गई मां,,, आई,, उन,,,
राजेश _अरे काकी सच में तू तो बड़ी मस्त मॉल है, चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी रानी।
एकदम कसा कसा अंदर जा रहा है।
लगता है काका ठीक से ठुकाई नही किए है
राजेश बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को मसल मसल कर पेले जा रहा था।
मंगली के boor का पानी नीचे चादर पर टपक रहा था।
मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजी हो गई की वह खुद को ज्यादा देर तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ ली।
आई मां,, मर,, गई,,, आह,,, उसकी आंखो की पुतलियां पलट गई। वह जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
वह राजेश को जोर से जकड़ ली राजेश उसके ऊपर लेट कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
इधर मधु अपने कमरे में सोई थी।
उसका बच्चा, अचानक रोने लगा। मधु की नींद खुल गई। वह अपने बच्चे को चुप कराते हुवे, अपनी ब्लाउज खोल कर एक चूची का निपल बच्चे के मुंह में डाल दिया।
लो बेटा दूदू पी ले, लगता है मुन्ने को भूख लगी है। वह उसके बालो को प्यार से सहलाने लगी।
उधर कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने मंगली को घोड़ी बना कर। गच गच चोदना शुरू कर दिया।
राजेश इतना जोर जोर से धक्के मारने लगा की। मंगली चीखने चिल्लाने लगी।
झोपड़ा, मधु के कमरे के ठीक पीछे था।
घर की दीवार तो ईट से बना था, लेकिन घर का छत कच्छा था, खपरैल से बना थी। जिसके कारण मंगली की चीखे मधु को सुनाई पढ़ने लगी।
मधु _ये कैसी आवाज है?
वह ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगी।
इधर राजेश बड़ी तेजी से लंद को boor में अंदर बाहर कर रहा था झोपड़ी में थप थप, फच फच, खन खन, आह उन आई मां,,,, आई,,,
की आवाज गूंजने लगा।
तभी मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई।
मंगली _कहा से सीखा है re ऐसा chudai करना,,, आह मां,, पूरा,,, उई मां,,
राजेश _क्या huwa काकी,,, मजा तो आ रहा है न, ले और ले,,, बड़ी मस्त chut है तेरी,
मंगली की कमर पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था।
मंगली _को संभोग का असीम सुख प्राप्त हो रहा था।
उसकी boor से पानी की धार बह रही थी।
लंद बड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली खुद को ज्यादा देर रोक न सकी और फिर से जोर से चीखते हुवे झड़ने लगी।
मंगली _आह,,, माई गई re,,,,
मंगली नीचे लुड़क गई, राजेश भी उसके ऊपर लेट गया।
चीख इतनी जोर की थी जिसे सुनकर मधु भी डर गई।
मधु, यह पता करने की पीछे आखिर चल क्या रहा है, और कौन इतनी जोर से चीखी।
वह अपने कमरे से निकल कर अपनी मां को बताने उसके कमरे में गई। उसकी मां कमरे में नही थी।
वह डर गई, कही ये मां की चीखे तो नही थी,
कही उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया, वह घबरा गई, वह कमरे में अपने बापू को ढूंढी। बंसी घोड़े बेच कर सो रहा था।
हे भगवान बापू तो यहां सोया huwa है फिर मां,,
वह घबरा गई।
इधर राजेश ने मंगली की चूची मसल मसल और चूस कर फिर गर्म कर दिया।
राजेश लेट गया, और मंगली को अपने लंद पर बैठने को कहा।
इधर मंगली राजेश की मर्दानगी देख हैरान थी, वह दो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी राजेश झड़ा नहीं था। उसका लंद हवा में झटके मार रहा था।
मंगली राजेश के लंद को हाथ में पकड़ी और अपनी boor का रास्ता दिखाते हुए उस पर बैठ गई।
राजेश ने अपने दोनो हाथो से उसके चूतड पकड़ लिया और अपनी कमरे उठा उठा कर चोदना शुरू कर दिया।
इधर मधु मां के साथ कुछ अनहोनी न हो गया हो घबरा कर वह घर के पीछे गई और अपने कमरे के पीछे झोपड़ी की ओर गई। झोपड़ी का दरवाजा अंदर से बंद था।
झोपड़ी के अंदर हल्की रोशनी दिखाई पड़ी।
मधु अंदर क्या चल रहा है जानने के लिए कान दरवाजे से लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी।
मंगली की मादक सिसकारी उसे सुनाई पड़ी।
वह अंदर का दृश्य देखने के लिए दरवाजे पर छेद ढूंढने लगी। उसे एक छेद मिल गया। वह जब छेद में आंखे डाल अंदर का दृश्य देखी तो दंग रह गई।
उसकी मां किसी के ऊपर नंगी होकर उछल रही थी।
वह अपनी मां की ऐसा रूप देख कर दंग रह गई।
जो मां हमेशा उसे संस्कार की पाठ पढ़ाया करती थी कि पराया मर्द के बारे में सोचना भी पाप है आज निर्लज होकर chud रही है, हे भगवान उसे यकीन नही हो रहा था।
वह यह जानने के लिए की उसकी मां किसके लंद पर उछल रही है, वह पहचानने की कोशिश करने लगी पर उसका चेहरा दिखाई नही दे रहा था।
जब लाख कोशिश करने के बाद वह जान ने सकी की नीचे कौन लेटा है। वह घर में गई और मेहमानों के कमरे में जाकर देखी सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे। सभी लोग तो सोए हुवे थे पर राजेश उसे नजर नहीं आया।
मधु _हे भगवान क्या मां राजेश भैया से chud रही है। उसे घोर आश्चर्य huwa वह अपने कमरे में जाकर लेट गई।
यह सोचते हुए की मां राजेश भैया से chud रही है।
उसकी शरीर रक्त प्रवाह तेज हो गया।
उधर मंगली की मादक सिसकारी और चीखे उसके कानो में अभी भी सुनाई पड़ रही थी।
मधु की boor में पानी भरने लगा, वह अपनी एक उंगली से अपनी boor रगड़ने लगी।
वह राजेश को इमेज कर अपनी boor में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
वह बहुत अधिक उत्तेजित होने लगी आज तक मधु ने किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोची नही थी, गांव के कई लड़के उसे फासने की कोशिश करते है पर वह कभी भी किसी पर ध्यान नहीं दी।
मगर आज उसकी मां को राजेश से chudte देख पता नही क्या हो गया। उसकी शरीर बहुत अधिक गर्म हो गई।
वह तेजी से अपनी उंगली को अपनी boor में अंदर बाहर कर सिसकने लगी।
मधु _राजेश भैया मुझे यकीन नही हो रहा है, तुम अपनी से लगभग दोगुनी उम्र की औरत को चोद रहे हो। क्या तुम्हे chut की कमी है, एक बार बोलेंगे तो पूरी गांव की लडकिया तुम्हारे नीचे लेट जाएगी।
मां तू बड़ी किस्मत वाली है। जो राजेश भैया का सानिध्य तुम्हे मिल रहा है।
Chut में उंगली अंदर बाहर करते हुए मधु इतनी उत्तेजित हो गई की, वह राजेश भैया कहते हुए झड़ने लगी।
आह मां,,,,
उसे ऐसा आनंद तो अपने पति के साथ चुदने में भी नहीं आया था जितना आनंद उसे राजेश के नाम का लेकर boor में उंगली डाल झड़ने में आया।

वह कुछ देर सुस्ताने लगी।
इधर उसके कानो में अभी भी, मंगली की मादक सिसकारी और बीच बीच में चीखने की आवाज सुनाई पड़ रही थी जिससे मधु फिर गर्म हो गई।
मधु _हे भगवान राजेश भैया में कितना पवार है जो एक बुरी औरत की चीख निकाल रहा है, कितने देर से चोदे जा रहा है।
उसकी boor फिर पानी छोड़ने लगी।
मधु फिर से अपनी boor सहलाने लगी।
मधु सोचने लगी _अगर राजेश भैया का सानिध्य पाना है तो यही अच्छा मौका है। नही तो जिंदगी भर उसके सानिध्य के लिए तरसना पड़ेगा। मुझे यह मौका नहीं खोना चाहिए।
वह अपनी पलंग से उठी और कमरे से निकल कर घर के पीछे जाने लगी। पीछे जाने से पहले मेहमानों के कमरे में गई देखा सभी अभी भी घोड़े बेच के सो रहे थे।
वह सीधे घर के पीछे झोपड़ी के पास जाकर छेद से देखी। राजेश मंगली के पीछे करवट लेकर लेट कर मंगली के एक टांग उठा कर दनादन पेल रहा था।
उसने दरवाजा खटखटाया।
मंगली और राजेश चौक गए।
Chudai रोक दिया।
मंगली _राजेश बेटा ये कौन आ गया अब क्या होगा?
राजेश_काकी तुम घबराओ मत मैं देखता हूं।
राजेश ने अपना चड्डी और पैंट पहना।
मंगली ने अपनी शरीर को साड़ी से ढक ली।
राजेश दरवाजे से बाहर निकला।
राजेश _अरे मधु तुम, यहां।
मधु _भैया, मां अंदर है क्या? घर में देखी तो कही नजर नहीं आई। घर के पीछे किसी की चीखने की आवाज सुनाई पड़ी तो इधर देखने आई।
मां ठीक तो है न, मुझे उसकी बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश कुछ देर सोचा,,,
मधु _राजेश भैया मुझे पता है अंदर क्या हो रहा है, आपको घबराने की आवश्यकता नही है। मैं किसी से इस बारे में कुछ नही कहूंगी।
राजेश _फिर आई क्यू?
मां की चीख सुनकर उसकी चिंता होने लगी तो पूछने आई हूं वह ठीक तो है न।
राजेश _काकी बिल्कुल ठीक है।
मधु _मुझे मां से मिलना है।
राजेश _ठीक है आ जाओ।
मधु अंदर गई, तो मंगली नीचे चादर पे लेटी थी और शरीर को साड़ी से ढक ली थी।
मंगली _अरे मधु तुम, बेटी तुम्हे यहां नही आना था।
मधु _मां मैने किसी की चीखे सुनी तो डर गया आपके कमरे में गया आप नही मिली, मुझे आपकी चिंता होने लगी कही आपके साथ कुछ अनहोनी तो नही हो गया। आपको ढूंढते यहां आ गई।

मंगली _अरे बेटी तुम्हारे आने से मैं कितना लज्जित महसूस कर रही हूं, तुमको यहां नही आना था। मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। तुमयहां से चली जाओ बेटीऔर हा अपनी बापू को इस बारे में मत बताना, नही तो उसे मुंह नही दिखा पाऊंगी।
मधु _मां मैं बापू को कुछ नही बताऊंगी पर आपको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी।
मधु _कैसी बात बेटी?
मधु _मुझे भी राजेश भैया के साथ सोना है। भैया से बोलो की मेरे सोए।
मंगली _बेटी ये तू क्या कह रही है?
मधु _मां जब आप सो सकती है राजेश भैया के साथ तो मैं क्यू नही?
मंगली _बेटी किसी पराया पुरुष के साथ सोना अच्छी बात नहीं है। आज तुम राजेश के साथ सोवोगी कल राजेश नही होगा तो, गांव के किसी दूसरे लड़को को बुलाने लगोगी।
इससे घर के बड़ी बदनामी होगी। किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इससे अच्छा तो तू अपनी ससुराल चली जा।
मधु _मां, मैं आपसे वादा करती हूं की मैं किसी दूसरे लड़के के साथ सोने के बारे में कभी सोचूंगी भी नहीं। बापू की मान सम्मान का ध्यान रखूंगी। पर राजेश भैया के साथ मुझे सोने दो।
देखो न आप ही तो मुझे हमेशा संस्कार की पाठ सिखाती थी और खुद ही राजेश भैया के साथ सोने लगी।
मंगली _अरे बेटी, तुम्हारे बापू के अलावा किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोचा नही था। पर राजेश को मैं मना नही कर पाई बेटी, इसके लिए मुझे माफ कर दो।
मधु _जानती हू मां तुम शायद ही गांव में कोई महिला हो जो राजेश को मना करे।
मां मैं भी तो एक महिला हू मै भी राजेश भैया का सानिध्य चाहती हूं।
मंगली _ठीक है बेटी पर वादा कर की तू राजेश के अलावा गांव के किसी भी पुरुष के साथ सोने के बारे में नही सोंचेगी।
मधु _मां मैने कहा न मैं घर की मान मर्यादा का हमेशा ध्यान रखूंगी।
मंगली _तो फिर ठीक है, राजेश, तुम मधु की इच्छा पूरी कर देना।
बेटी अब तुम कमरे से जाओ मैं साड़ी पहन लूं। मैं यहां से चली जाऊंगी, उसके बाद तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
बबुआ तुम मधु के साथ सोकर उसकी इच्छा पूरी कर देना।
राजेश _काकी, मुझे आपके साथ अभी और करना है, मेरा मन अभी नही भरा है, तुम भी यही रहो न हम तीनो साथ में सोएंगे।
मंगली _babuwa तू ये क्या कह रहा है, मैं क्या मधु के सामने ही नंगी होकर तुम्हारे साथ सो जाऊं, न बाबा मुझसे नही हो पाएगा।
राजेश _अरे काकी, बहुत मजा आएगा। प्लीज मेरी भी बात मान लो तुम दोनो।
मधु _मां, अब भैया कह रहा है तो मान लो न उसकी बात।
मंगली _अरे बेटी, मुझे तुम्हारे सामने बड़ी शर्मिंदगी महसूस होगी।
मधु _मां मैने देखा किस तुम राजेश भैया के ऊपर नंगी बैठ कर उछल रही थी। इतना होने के बाद अब क्या शर्माना।
मंगली _अरे बबुआ दरवाजा बंद कर दे कोई और न आ जाए।
राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया।
मधु राजेश के पास जाकर उसके गले में अपना हाथ डाल दिया।
राजेश ने अपने दोनो हाथ से मधु की चूतड को पकड़ लिया। फिर उसकी ओंठ को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
मधु भी राजेश का सहयोग करने लगी।
उसके बाद मधु राजेश के गाल सीने को चूमता huwa नीचे बड़ा।
राजेश के पैंट का बटन खोल कर नीचे कर दिया उसका अंडरवियर भी खीच दिया।
राजेश का मोटा और लंबा लंद उसके आंखो के सामने आ गया। वह आश्चर्य से देखने लगी।
मधु _हाय दईया इतना बड़ा। तभी कहूं मां इतनी चीख चिल्ला क्यू रही थी।
मंगली _अरे बेटी तू नही ले पाएगी, राजेश का, तेरे बस की बात नहीं,मंगली हसने लगी।
मधु _मां, मैं भी कुवारी नही हूं एक बच्चे की मां हूं।
मधु राजेश का लंद हाथ में लेकर हिलाने लगी।
राजेश _मधु, मुंह में लेकर चूसो।
मधु _भैया, आपका तो बहुत बड़ा है, मुंह में नही आ पाएगा।
राजेश _अरे जितना आ सकता है उतना लेके चूसो। मधु राजेश के टट्टो को चाटने लगी।
फिर लंद का टोपा मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी, उसके बाद जितना अंदर जा सकता था, मुंह में लेकर चूसने लगी।
राजेश _हां ऐसे ही, तुम बहुत अच्छे से चूस रही हो। मजा आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ हमे तो नही चुसवाया अपना मूसल। आज तक कभी चूसी नही। मैं भी तो देखूं कैसा लगता है।
राजेश _काकी, आ जाओ तुम भी।
मंगली उठ के बैठ गई।
रामधु _लो मां अब तुम चूसो।
मंगली ने राजेश का लंद मुंह में डाल कर चूसने लगी।
इधर राजेश मधु की साड़ी खींचने लगा।
मधु अब पेटीकोट और ब्लाऊज़ में रह गई। मधु ने अपनी ब्लाउज भी निकाल दी। वह अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई। उसकी दूध से भरी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर राजेश का लंद मंगली के मुंह में झटके मारने लगा।
राजेश मधु को अपने पास खींचा और उसकी चूचियां पकड़ कर मसल मसल कर दूध निचोड़ निचोड़ कर पीना शुरू कर दिया। फिर एक हाथ से पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी boor मसलने लगा।
मधु के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी। उसकी boor से पानी निकल कर पेटीकोट को गीला करने लगा।
इधर मंगली राजेश के के लंद को मुंह में भर कर चूस रही थी राजेश उसके मुंह में हल्का हल्का धक्का भी मार रहा था।
राजेश ने मधु की पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेटी कोट सरसराकर मधु के पैरो में गिर गया।
राजेश अपने हाथ से मधु की boor को सहलाया। मधु की boor में झांटे थी।
राजेश ने एक उंगली उसकी boor में डाल दिया।
मधु चिहुंक उठी।
फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश ने अब दो उंगली अंदर डाल दिया। और boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु की boor पानी फेकने लगी। मधु के मुंह से, आह उन आन माई,,,
निकलने लगी।
राजेश _मधु चल अब तो घोड़ी बन जा।
मधु घोड़ी बन गई।
राजेश दो उंगली boor में डाल कर फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश _काकी अब डाल दो अपनी बेटी के boor में मेरा लंद।
मंगली राजेश के लंद को पकड़ कर मधु की boor में सेट कर दी।
राजेश ने एक धक्का मारा।
मधु _उई मां,,,,
लंद का टोपा अंदर चला गया।
राजेश झुककर मधु की स्तन पकड़ कर मसलने लगा उसकी चूची से दूध फुहारा निकल नीचे गिरने लगा।
अब राजेश एक जोर का धक्का मारा,
मधु _उई मां,,,
भैया थोड़ा आराम से डालो तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है।
लंद boor फाड़कर,आधा अंदर चला गयाथा ।
अब राजेश मधु की कमर पकड़ कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
लंद boor में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
मधु को बहुत मजा आने लगा।
इधर राजेश अपना धक्का बढ़ाने लगा।
राजेश एक जोर का धक्का मारा लंद, मधु की बच्चेदानी से टकराया।
मधु का पूरा शरीर झनझना गया।
राजेश मधु की boor की दनादन ठुकाई करने लगा। मधु चीखने चिल्लाने लगी। मादक सिसकारी निकालने लगी।
वह संभोग की परम सुख को प्राप्त कर रही थी। उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी कमर को आगे पीछे कर राजेश का सहयोग करने लगी
झोपड़ी में मधु की मादक सिसकारी,, आह उन आई,,, चूड़ियों की खनक खन खन,,,,
लंद का boor में जाने की फ्च फच की आवाज गूंजने लगी।
राजेश को भी मधु को चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। लंद boor में कसा कसा अंदर बाहर आ जा रहा था।
इधर मधु की chudai देख मंगली बहुत गर्म हो गई वह अपनी उंगली अपनी boor में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
राजेश _काकी, मधु को चोदने में बहुत मजा आ रहा है, देखो ना लंद मधु की boor में कितना कसा कसा अंदर बाहर हो रहा है।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
काकी, थोड़ा चूस कर फिर से अंदर डाल दो।
मंगली राजेश केboor के रस से भीगा लंद मुंह में लेकर चूसने लगी कुछ देर चूसने के बाद राजेश के लंद को फिर से मधु की boor ने सेट कर दिया।
राजेश फिर एक जोर का धक्का मारा लंद एक ही बार में जड़ तक boor में घुस गया।
मधु चीख उठी।
राजेश अब मधु की कमर पकड़ कस कस कर चोदने लगा। मधु फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
राजेश तेज रफ्तार से चोदने लगा। मधु का पूरा शरीर कपकपाने लगा, वह खुद को रोक न सकी और चीखते हुवे झड़ने लगी।
मधु नीचे लुड़क गई।
राजेश का लंद अभी अकड़ा हुआ था। वह झटके मार रहा था।
उसने मंगली को कमरा पकड़ कर उठा लिया और अपना लंद उसकी boor में डालकर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली _चीखने चिलाने लगी।
इधर मधु आंखे खोली, उसने राजेश को अपनी मां को गोद में उठा कर चोदते हुवे आश्चर्य से देखने लगी।
और फिर गर्म होने लगी।
इधर मंगली की हालत खराब हो गई वह फिर ऐसी chudai भी होता है वह सांची न थी, वह कुछ देर की chudai में ही झड़ने लगी। राजेश से बच्ची की तरह चिपक गई। आह मां,, आह माई,,,,
राजेश उसे कुछ देर अपने से चिपकाया रखा फिर से नीचे लिटा दिया।
उसके बाद उसने मधु को अपनी गोद में उठा लिया और हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली राजेश की मर्दानगी देख कर दंग रह गई।
राजेश मधु को हवा में उछाल उछाल कर कुछ देर चोदने के बाद राजेश मधु को लेकर लेट गया।
मधु लंद में उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश मधु की हिलती चुचियों को थाम लिया और मुंह में भर कर उसकी दूध पीने लगा। और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर लंद को boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु को ऐसा सेक्स सुख मिल रहा था जिसकी कल्पना नही की थी वह कुछ देर में चीखतेहुए फिर से झड़ने लगी।
वह राजेश से कस कर लिपट गई थी। कुछ देर बाद राजेश उसे बाजू लिटा दिया।
और मंगली के ऊपर आ गया।
मंगली के चूतड के नीचे तकिया रख दिया। और लंद को एक ही बार में फाच से अंदर कर दिया।
उकड़ू बैठ कर उसकी चूचियों मसल मसल कर चोदना शुरू कर दिया।
मंगली की चीखे फिर से कमरे में गूंजने लगी। वह मंगली को तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से न झड़ गई।
मंगली के झड़ने के बाद राजेश मधु के ऊपर आ गया और उसकी चूतड के नीचे तकिया रखकर,boor चोदना शुरू कर दिया।
लंद पूरी जड़ तक अन्दर बाहर होने लगा।
मधु चीखने लगी।
उसका रोम रोम झनझनाने लगा। राजेश तेज गति से चोदने लगा। अब वह झड़ने की स्थिति में आ चुका था।
राजेश जोर जोर से चोदते हुवे एक करारा धक्का मारा और,,,
आह मां आह,,, आह ह ह,, आ,,,
राजेश मधु की boor में लंबी लंबी पिचकारी मार कर उसकी योनि को पूरी तरह भर दिया।
गर्म गर्म वीर्य मधु की boor में जाने से मधु भी एक बार फिर झड़ने लगी।
राजेश मधु के ऊपर ढेर हो गया। मधु अपनी सीने से राजेश को कस लिया।
कुछ देर बाद राजेश बाजू में लुड़क गया।
तीनो सुस्ताने लगे।
कुछ देर बाद, मधु और मंगली दोनो राजेश से लिपट कर सोने लगी।
राजेश को मां बेटी को एक साथ चोदने में बड़ा मज़ा आया था।
कुछ देर बाद तीनो नार्मल हुवे।
राजेश _काकी मजा आया की नही।
मंगली _बबुआ तुमने तो मेरी बरसो की प्यास बुझा दी, लगता है भगवान ने मेरी बरसो की प्यास बुझाने के लिए ही यहां भेजा था।
राजेश _और मधु तुमको।
मधु _भैया तुमने तो पूरी जन्नत की सैर करा दी।

मंगली _मधु बेटा, अब ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नही कोई आ न जाए, कपड़े पहन कर अपनी कमरे में जाओ।
मधु , और कमली उठ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगी, उसने अपनी boor की हालात देखी। उनकी boor बुरी तरह फट चुकी थी।
उसका मुंह ऐसा खुल गया था की जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देने पर boor की हालत हो जाती है।
दोनो कपड़े पहनने लगे राजेश उन्हे कपड़े पहनता देखने लगा।
मंगली _अरे बबुआ तू यही सोएगा क्या?
तू भी कपड़े पहन ले।
राजेश भी उठा और कपड़े पहनने लगा।
तीनो वहा से चले गए।
घर मे पहुंचे तो सभी अभी भी गहरे नींद में सोए हुवे थे।
राजेश खाट में जाकर सो गया। मधु भी अपने कमरे में जाकर सो गई। और मंगली भी।
इधर सुबह होते ही सभी लोग उठ गए।
सबसे पहले मंगली उठी वह साफ सफाई करने लगी।
इधर भुवन और उसके दोस्त भी उठ गए।
भुवन _अरे राजेश कहा है, कही दिख नही रहा।
बंशी _अरे बेटा राजेश को नींद नही आ रही थी तो तुम्हारी काकी के कमरे में सोने को बोल दिया था। वह कमरे में सो रहा होगा।
भुवन _चलो भई तालाब की ओर चलते है फ्रेस होने।
काका _राजेश को भी उठा देता हूं ।
मंगली _बबुआ का नींद रात में काफी लेट से लगा है, मधु के बापू उसे सोने दो।
सभी मेहमान तालाब की ओर चले गए।
सुबह के आठ बजे ,,
घर का काम निपटाने के बाद,,,
मंगली, मधु के कमरे में गई।
अरे बेटी और कितनी देर तक सोएगी। सुबह के आठ बज गए है।
मधु _क्या? मेहमान लोग चले गए क्या?
मंगली _वे सभी तालाब की ओर गए है। राजेश कमरे में सोया huwa है।
मैं उसे उठाने जा रही तू भी उठ जा।
मधु उठने को हुई, दर्द से आह,,,
मंगली _क्या huwa बेटी।
मधु _मां boor सूज गई है दर्द कर रहा है।
मंगली _बेटी, कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। मेरी भी boor सूज गई है।
बुरी तरह ठोका है बदमाश ने।
मंगली हस्ते हुवे कमरे से बाहर आई,,,
अपने कमरे में गई,,,
उसने देखा राजेश अभी भी खाट में गहरी नींद में सोया था। मूत भर जाने के कारण उसका लंद अभी भी खड़ा था।
मंगली _राजेश के खाट में बैठ गई,,,
अरे बेटा और कितने देर तक सोएगा।
राजेश का नींद खुला।
राजेश _अरे काकी सब उठ गए क्या?
मंगली _सब उठ कर तालाब की ओर चले गए हैं।
राजेश _ओह, मेरे बारे में पूछे होंगे।
मंगली _हां, मैने कहा की तू रात में काफी लेट से सोया है, उसे सोने दो।
चलो तुम भी उठो और पीछे जाकर फ्रेश हो जाओ मैं चाय बनाकर लाती हूं।
तभी मधु भी कमरे में आ गई।
वह अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पिला रही थी।
राजेश _मधु थोड़ा मुझे भी पिलाओ।
काकी _बबुआ, रात भर निचोड़ा है फिर भी मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
काकी _पिला दे बेटी, इसे भी।
राजेश खाट में बैठ गया।
और मधु को अपने गोद में बिठा लिया।
मधु एक चूची को अपने बच्चे को पिला रही थी राजेश दूसरा चूची, मुंह में भर कर पीने लगा।
तभी लोगो की आने की आवाज आई।
काकी _बबुआ लगता है मेहमान लोग आ रहे है, अब जाओ तुम भी फ्रेश होकर आ जाओ। मैं चाय बनाती हूं।
राजेश _ठीक है काकी।

Gazab ki update he rajesh bhagat Bhai,

Uttejna aur kamukta se bharpur..............

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