• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

Sanju@

Well-Known Member
5,119
20,550
188
मंगली ने अपने खाट के बाजू अपने पति का खाट लगा दिया, उसमे एक नया चादर बिछा दिया।
मंगली _लो बबुवा , सो जाओ।
राजेश खाट पे सो गया।
मंगली भी अपनी खाट पे सो गई।
राजेश को नींद नहीं आ रहा था, क्यू की उसका land तो अभी अकड़ा हुआ था, उसने मंगली और बंशी की chudai जो देख लिया था।
करीब आधा घंटा बाद,,
राजेश अपनी खाट से उठ कर बैठ गया।
मंगली की नींद भी नहीं लगी थी।
मंगली _बबूवा, अभी तक सोए नही।
राजेश _ओ काकी प्यास लगी थी।
मंगली अपनी अपनी खाट से उठी और कीचन से पानी लाने के लिए जाने लगी।
राजेश की नजर उसकी मटकती गाड़ पड़ पड़ी तो उसका land और झटके मारने लगा।
राजेश ने पानी पिया।
राजेश खाट पर लेट गया
मंगली _अरे बबुआ तुम्हारी तबियत तो ठीक है न।
राजेश _नही काकी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है। बड़ी तकलीफ हो रही है।
मंगली _अरे बाबुवा, कहा तकलीफ है।
राजेश _रहने दो काकी आप जानकर भी क्या करोगी?
मंगली _अरे बबूवा, तकलीफ क्या है? मुझे तो बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू।
राजेश _अरे काकी, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊं क्या तकलीफ है, आप मुझे गलत समझने लगोगी।
आप मुझे गंदा लड़का समझोगी।
मंगली _मैं गलत नहीं समझूंगी, तकलीफ क्या है बताओ।
राजेश _काकी, अब क्या बताऊं, मुझे बताने में शर्म आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ शर्माना तो लड़कियों का काम है तुम तो लड़के हो। लड़के होकर शर्मा रहे हो। चलो बताओ बात क्या है अपने काकी से शर्माने की आवश्यकता नही।
राजेश _ओ काकी क्या है न कि मेरे,,,,
मंगली _अरे रूक क्यू गए, बबुआ बताओ,,,
राजेश _ओ काकी,,, मेरे,,, नुनु में,,,,, बड़ा दर्द है,,,
मंगली नुनु शब्द सुनकर शर्मा गई,,,
मंगली _क्यू बाबुवा, क्या huwa तुम्हारे नुनु को,, मुंह छिपाते हुए बोली, और मुस्कुराने लगी।
राजेश _ओ आपको और काका को घर के पीछे, जब से देखा है न, तब से दर्द कर रहा है।
मंगली, शर्म से पानी पानी हो गई।
मंगली _अरे बबुआ अब क्या बताऊं तुम्हे? मैने तुम्हारे काका को मना भी की थी घर में सब मेहमान है ऐसे में, ये करना ठीक नहीं, पर दारू पीने के बाद तो तुम्हारे काका अपने पर काबू ही नही रख पाते।
आखिर वही huwa जिसका डर था तुम वहा आ गए।
राजेश _माफ करना काकी मुझे पता होता की आप आप और काका वहा, कुश्ती लड़ रहे हैं तो मैं वहा नही जाता।
मंगली _कुश्ती शब्द सुनकर, मंगली शर्म से पानी पानी होने लगी।
मंगली _, अरे जो नई होना था वो तो हो गया। अब कर भी क्या सकते हैं?
अब तेरा तकलीफ दूर कैसे होगा? ये बताओ।
राजेश _काकी, आप चाहे तो तकलीफ दूर कर सकती हो,,
मंगली _वो कैसे बबुआ?
राजेश _मेरे नुनु से पानी निकालकर।
मंगली शर्मा गई,,,
राजेश _अरे काकी, थोड़ा तेल लगाकर मालिश कर दोगी तो, मुझे दर्द से राहत मिल जायेगी। और मैं चैन से सकूंगा।
मंगली _मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ लडका समझती थी, तू तो बदमाश निकला, अपनी काकी को मूठ मारने कह रहा है। तुम तो अपनी काकी को गंदी औरत समझने लगे।
मंगली, नाराज होते हुवे बोली।
राजेश _काकी आप तो नाराज हो गई, माफ करना मुझसे गलती हो गई।
राजेश अपनी खाट से उठ गया।
राजेश _काकी मैं दोस्तो के साथ सो ने जा रहा हूं। आप नाराज मत होइए।
राजेश जाने को huwa
मंगली _अरे रुको, बाबुवा।
नाराज हो गए क्या अपने काकी से,,
राजेश _नही तो
मंगली _फिर यहां से जा क्यूं रहे हो।
राजेश _यहां रहने से दर्द तो कम होगा नही, बल्कि और बढ़ेगा, इसलिए यहां से जाना ही अच्छा है।
मंगली _अच्छा ठीक है, दिखाओ अपना नुनु मैं मालिश कर देती हूं।
बबुआ तुम्हारे जगह कोई और होता तो खुद ही यहां से जाने कह देती, पर तुमको निराश करने की हिम्मत मुझमें नहीं है,और मेरी क्या इस गांव की किसी भी औरत में नही होगी।
पर हां यह बात किसी से कहना मत नही तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। पता नही गांव के कितने लोगो ने मुझे फसाने की कोशिश की पर पराया मर्द के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
राजेश _अरे काकी ऐसी बात है तो मैं आपका पतिव्रता धर्म नही तोड़ना चाहता। मुझे जाने दीजिए।
काकी _अरे बबुआ तुम्हे निराश करके अपनी पतिव्रता धर्म बचा के रखूंगी, तो मेरे दिल को बिलकुल अच्छा नही लगेगा।
राजेश _काकी ठीक से सोच लो बाद में मुझे दोष न देना कि मैने आपका पतिव्रता धर्म को भ्रष्ट कर दिया।
काकी _नही दूंगी बाबा नही दूंगी। चल अब तू खाट में लेट जा मैं सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
मंगली मुस्कुराते हुवे कमरे से जाने लगी तभी राजेश ने उसकी चूतड पे चिकोटी कांट ली।
मंगली _उई मां, बदमाश बड़ा जोर से चिकोटी कांटा, अपनी काकी से शरारत करता है। आती हूं तब बताती हूं तुझे।
मंगली कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म कर लें आई।
मंगली _चलो दिखाओ अपना नुनु,
राजेश ने अपना पैंट और चड्डी ने खिसका कर लंद बाहर निकाल दिया। लंद हवा में लहराने लगा।
मंगली , आश्चर्य से देखने लगी।
राजेश _क्या huwa काकी?
मंगली _ये क्या है re इतना बड़ा?
ये नुनु है।
राजेश _तो।
मंगली _इतना बड़ा तो किसी घोड़े का होता है!
राजेश _काकी, जल्दी करो न बड़ा तकलीफ हो रही है।
राजेश का लंद देखकर मंगली की boor पानी छोड़ने लगी।
मंगली, हाथो में तेल लेकर लंद की मालिश करना शुरू कर दी।
काफी देर तक मालिश करने के बाद भी जब लंद से पानी नही निकला।
मंगली _कितने देर से हिला रही, तेरा तो पानी ही नहीं निकल रहा है re, तेरा काका का तो हाथ लगाते ही पानी छोड़ देता है।
मेरा तो हाथ भी दर्द करने लगा।
राजेश _काकी, ये इतना आसानी से पानी नही छोड़ने वाला। मेरे घोड़े को बड़ी प्यास लगी है। जब तक जी भर कर कूवे का पानी नही पिएगा। ये उल्टी नही करेगा। इसे अपने कुवे का पानी पिलाओ।
मंगली _मतलब तू मेरे कुंवे की खुदाई करना चाहता है।
राजेश _अगर आप इजाजत दो।
मंगली _तू अपने इतने बड़े हथियार से खुदाई करेगा न, तो नसे में खर्राटे भरने वाले भी जाग जायेंगे।
राजेश _तो चलो घर के पीछे चलते है।kuwe की खुदाई करने। राजेश ने एक हाथ से मंगली की boor को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
मंगली की पेटीकोट boor की पानी से गीली हो चुकी थी।
मंगली _अब तेरी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी। नही तो रात भर प्यास से तड़फता रहेगा तेरा घोड़ा।मुस्कुराते हुवे बोली।
तू चल मैं लाल टेन लेके आती हूं। और जाने से पहले एक बार देख लो सब सो तो रहे है न।
राजेश ने कमरे में जाकर देखा जहा मेहमान सी रहे थे। सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे।
राजेश _काकी, सभी घोड़े बेच कर सो रहे है, चलो जल्दी। मेरे घोड़े को पानी पिला दो।
मंगली _अरे बबुआ आती हूं, थोड़ा धीरज धर।
राजेश घर के पीछे चला गया, कुछ देर बाद मंगली भी वहा लाल टेन, चादर और तकिया लेकर पहुंच गई।
मंगली _और बबुआ, बाजू वाले झोपड़ी में चलते है वहा दरवाजा लगा huwa है।
इस झोपड़ी में दरवाजा न होने के कारण कोई भी देख सकता है। जैसे तुमने देख लिया।
घर के पीछे झोपड़ी में रखे पैर को जमीन पर बराबर से फैला कर, चादर बिछा दिया और तकिया लगा दिया।
राजेश ने मंगली को खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। और उसकी ब्लाउज का बटन खोल कर उसे शरीर से अलग कर दिया।
उसकी बड़ी बड़ीगोरे गोरे सुडौल चुचियों को देखकर उसका लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने उसके स्तनों को हाथ में पकड़ कर मसलना और चूसना शुरु कर दिया।
मंगली सिसकने लगी।
राजेश का लंद देखकर उसकी हालत पहले से ही खराब थी।
राजेश ने एक हाथ, मंगली के पिटिकोट के अंदर डाल दिया और उसकी boor को मसलने लगा।
मंगली के हाथ पैर उटेजना के मारे कपकापने लगे।
राजेश एक हाथ से चूची को तो दूसरे हाथ से boor को मसल रहा था।
मंगली उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी।
मंगली _बबुआ अब बस करो, और kuwe की खुदाई शुरू करो।
राजेश _काकी, आपका kuwa तो, पूरा लबा लब पानी से भर गया है। डुबकी लगाकर खुदाई करने में मजा आयेगा।
राजेश ने मंगली को चादर पे लिटाकर, अपना पैंट और चड्डी उतार दिया।
उसकी टांगे फैला कर बीच में उकडु बैठ गया।
उसकी मस्त चिकनी, गुदाज boor को हाथ से सहलाने लगा।
उसकी मस्त चिकनी chut देख कर लंद झटके मारने लगा।
राजेश देर न करते हुए, अपना लंद को पकड़ा और मंगली के कुंवे का रास्ता दिखाया।
फिर एक जोर का धक्का मारकर, एक ही बार में लंद को boor में आधा से ज्यादा अंदर कर दिया। योनि एकदम गीली थी फिर लंद मोटा होने के कारण boor लंद को जकड़ा हुआ था। धक्के से मंगली के मुंह से उई मां निकल गया।
मंगली _ऐसा कोई धक्का मारता है क्या, एक ही बार में घुसा दिया। मेरी boor फट गई।
राजेश _सॉरी काकी, रहा नही जा रहा था।
राजेश ने, मंगली की चुचियों को मसल मसल कर कुन्वे की खुदाई करना शुरू कर दिया।
राजेश धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया।
लंद boor में गच गैच अंदर बाहर होने लगा।
लंद लंबा होने के करना,boor की अंतिम छोर तक जा रहा था।
राजेश ने तभी एक जोर का धक्का मारा, लंद का टोपा सीधा मंगली के बच्चे दानी से टकराया।
मंगली का पूरा बदन अंदर से झनझना गया।
राजेश मंगली की boor दनादन ठोकने लगा।
लंद मंगली की boor में कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली को अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह जन्नत में पहुंच चुकी थी।chudai की ऐसा सुख उसे मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना नही की थी
वह राजेश को एकदम से जकड़ ली थी।
राजेश गचा गाच पेले जा रहा था।
मंगली के मुंह से मादक सिसकारी निकल रही थी झोपड़े में उसकी चूड़ियों की खनक गूंज रही थी।
फ़च फाच, खन खन और आह उन आई मां,, मर गई मां,,, आई,, उन,,,
राजेश _अरे काकी सच में तू तो बड़ी मस्त मॉल है, चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी रानी।
एकदम कसा कसा अंदर जा रहा है।
लगता है काका ठीक से ठुकाई नही किए है
राजेश बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को मसल मसल कर पेले जा रहा था।
मंगली के boor का पानी नीचे चादर पर टपक रहा था।
मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजी हो गई की वह खुद को ज्यादा देर तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ ली।
आई मां,, मर,, गई,,, आह,,, उसकी आंखो की पुतलियां पलट गई। वह जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
वह राजेश को जोर से जकड़ ली राजेश उसके ऊपर लेट कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
इधर मधु अपने कमरे में सोई थी।
उसका बच्चा, अचानक रोने लगा। मधु की नींद खुल गई। वह अपने बच्चे को चुप कराते हुवे, अपनी ब्लाउज खोल कर एक चूची का निपल बच्चे के मुंह में डाल दिया।
लो बेटा दूदू पी ले, लगता है मुन्ने को भूख लगी है। वह उसके बालो को प्यार से सहलाने लगी।
उधर कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने मंगली को घोड़ी बना कर। गच गच चोदना शुरू कर दिया।
राजेश इतना जोर जोर से धक्के मारने लगा की। मंगली चीखने चिल्लाने लगी।
झोपड़ा, मधु के कमरे के ठीक पीछे था।
घर की दीवार तो ईट से बना था, लेकिन घर का छत कच्छा था, खपरैल से बना थी। जिसके कारण मंगली की चीखे मधु को सुनाई पढ़ने लगी।
मधु _ये कैसी आवाज है?
वह ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगी।
इधर राजेश बड़ी तेजी से लंद को boor में अंदर बाहर कर रहा था झोपड़ी में थप थप, फच फच, खन खन, आह उन आई मां,,,, आई,,,
की आवाज गूंजने लगा।
तभी मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई।
मंगली _कहा से सीखा है re ऐसा chudai करना,,, आह मां,, पूरा,,, उई मां,,
राजेश _क्या huwa काकी,,, मजा तो आ रहा है न, ले और ले,,, बड़ी मस्त chut है तेरी,
मंगली की कमर पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था।
मंगली _को संभोग का असीम सुख प्राप्त हो रहा था।
उसकी boor से पानी की धार बह रही थी।
लंद बड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली खुद को ज्यादा देर रोक न सकी और फिर से जोर से चीखते हुवे झड़ने लगी।
मंगली _आह,,, माई गई re,,,,
मंगली नीचे लुड़क गई, राजेश भी उसके ऊपर लेट गया।
चीख इतनी जोर की थी जिसे सुनकर मधु भी डर गई।
मधु, यह पता करने की पीछे आखिर चल क्या रहा है, और कौन इतनी जोर से चीखी।
वह अपने कमरे से निकल कर अपनी मां को बताने उसके कमरे में गई। उसकी मां कमरे में नही थी।
वह डर गई, कही ये मां की चीखे तो नही थी,
कही उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया, वह घबरा गई, वह कमरे में अपने बापू को ढूंढी। बंसी घोड़े बेच कर सो रहा था।
हे भगवान बापू तो यहां सोया huwa है फिर मां,,
वह घबरा गई।
इधर राजेश ने मंगली की चूची मसल मसल और चूस कर फिर गर्म कर दिया।
राजेश लेट गया, और मंगली को अपने लंद पर बैठने को कहा।
इधर मंगली राजेश की मर्दानगी देख हैरान थी, वह दो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी राजेश झड़ा नहीं था। उसका लंद हवा में झटके मार रहा था।
मंगली राजेश के लंद को हाथ में पकड़ी और अपनी boor का रास्ता दिखाते हुए उस पर बैठ गई।
राजेश ने अपने दोनो हाथो से उसके चूतड पकड़ लिया और अपनी कमरे उठा उठा कर चोदना शुरू कर दिया।
इधर मधु मां के साथ कुछ अनहोनी न हो गया हो घबरा कर वह घर के पीछे गई और अपने कमरे के पीछे झोपड़ी की ओर गई। झोपड़ी का दरवाजा अंदर से बंद था।
झोपड़ी के अंदर हल्की रोशनी दिखाई पड़ी।
मधु अंदर क्या चल रहा है जानने के लिए कान दरवाजे से लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी।
मंगली की मादक सिसकारी उसे सुनाई पड़ी।
वह अंदर का दृश्य देखने के लिए दरवाजे पर छेद ढूंढने लगी। उसे एक छेद मिल गया। वह जब छेद में आंखे डाल अंदर का दृश्य देखी तो दंग रह गई।
उसकी मां किसी के ऊपर नंगी होकर उछल रही थी।
वह अपनी मां की ऐसा रूप देख कर दंग रह गई।
जो मां हमेशा उसे संस्कार की पाठ पढ़ाया करती थी कि पराया मर्द के बारे में सोचना भी पाप है आज निर्लज होकर chud रही है, हे भगवान उसे यकीन नही हो रहा था।
वह यह जानने के लिए की उसकी मां किसके लंद पर उछल रही है, वह पहचानने की कोशिश करने लगी पर उसका चेहरा दिखाई नही दे रहा था।
जब लाख कोशिश करने के बाद वह जान ने सकी की नीचे कौन लेटा है। वह घर में गई और मेहमानों के कमरे में जाकर देखी सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे। सभी लोग तो सोए हुवे थे पर राजेश उसे नजर नहीं आया।
मधु _हे भगवान क्या मां राजेश भैया से chud रही है। उसे घोर आश्चर्य huwa वह अपने कमरे में जाकर लेट गई।
यह सोचते हुए की मां राजेश भैया से chud रही है।
उसकी शरीर रक्त प्रवाह तेज हो गया।
उधर मंगली की मादक सिसकारी और चीखे उसके कानो में अभी भी सुनाई पड़ रही थी।
मधु की boor में पानी भरने लगा, वह अपनी एक उंगली से अपनी boor रगड़ने लगी।
वह राजेश को इमेज कर अपनी boor में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
वह बहुत अधिक उत्तेजित होने लगी आज तक मधु ने किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोची नही थी, गांव के कई लड़के उसे फासने की कोशिश करते है पर वह कभी भी किसी पर ध्यान नहीं दी।
मगर आज उसकी मां को राजेश से chudte देख पता नही क्या हो गया। उसकी शरीर बहुत अधिक गर्म हो गई।
वह तेजी से अपनी उंगली को अपनी boor में अंदर बाहर कर सिसकने लगी।
मधु _राजेश भैया मुझे यकीन नही हो रहा है, तुम अपनी से लगभग दोगुनी उम्र की औरत को चोद रहे हो। क्या तुम्हे chut की कमी है, एक बार बोलेंगे तो पूरी गांव की लडकिया तुम्हारे नीचे लेट जाएगी।
मां तू बड़ी किस्मत वाली है। जो राजेश भैया का सानिध्य तुम्हे मिल रहा है।
Chut में उंगली अंदर बाहर करते हुए मधु इतनी उत्तेजित हो गई की, वह राजेश भैया कहते हुए झड़ने लगी।
आह मां,,,,
उसे ऐसा आनंद तो अपने पति के साथ चुदने में भी नहीं आया था जितना आनंद उसे राजेश के नाम का लेकर boor में उंगली डाल झड़ने में आया।

वह कुछ देर सुस्ताने लगी।
इधर उसके कानो में अभी भी, मंगली की मादक सिसकारी और बीच बीच में चीखने की आवाज सुनाई पड़ रही थी जिससे मधु फिर गर्म हो गई।
मधु _हे भगवान राजेश भैया में कितना पवार है जो एक बुरी औरत की चीख निकाल रहा है, कितने देर से चोदे जा रहा है।
उसकी boor फिर पानी छोड़ने लगी।
मधु फिर से अपनी boor सहलाने लगी।
मधु सोचने लगी _अगर राजेश भैया का सानिध्य पाना है तो यही अच्छा मौका है। नही तो जिंदगी भर उसके सानिध्य के लिए तरसना पड़ेगा। मुझे यह मौका नहीं खोना चाहिए।
वह अपनी पलंग से उठी और कमरे से निकल कर घर के पीछे जाने लगी। पीछे जाने से पहले मेहमानों के कमरे में गई देखा सभी अभी भी घोड़े बेच के सो रहे थे।
वह सीधे घर के पीछे झोपड़ी के पास जाकर छेद से देखी। राजेश मंगली के पीछे करवट लेकर लेट कर मंगली के एक टांग उठा कर दनादन पेल रहा था।
उसने दरवाजा खटखटाया।
मंगली और राजेश चौक गए।
Chudai रोक दिया।
मंगली _राजेश बेटा ये कौन आ गया अब क्या होगा?
राजेश_काकी तुम घबराओ मत मैं देखता हूं।
राजेश ने अपना चड्डी और पैंट पहना।
मंगली ने अपनी शरीर को साड़ी से ढक ली।
राजेश दरवाजे से बाहर निकला।
राजेश _अरे मधु तुम, यहां।
मधु _भैया, मां अंदर है क्या? घर में देखी तो कही नजर नहीं आई। घर के पीछे किसी की चीखने की आवाज सुनाई पड़ी तो इधर देखने आई।
मां ठीक तो है न, मुझे उसकी बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश कुछ देर सोचा,,,
मधु _राजेश भैया मुझे पता है अंदर क्या हो रहा है, आपको घबराने की आवश्यकता नही है। मैं किसी से इस बारे में कुछ नही कहूंगी।
राजेश _फिर आई क्यू?
मां की चीख सुनकर उसकी चिंता होने लगी तो पूछने आई हूं वह ठीक तो है न।
राजेश _काकी बिल्कुल ठीक है।
मधु _मुझे मां से मिलना है।
राजेश _ठीक है आ जाओ।
मधु अंदर गई, तो मंगली नीचे चादर पे लेटी थी और शरीर को साड़ी से ढक ली थी।
मंगली _अरे मधु तुम, बेटी तुम्हे यहां नही आना था।
मधु _मां मैने किसी की चीखे सुनी तो डर गया आपके कमरे में गया आप नही मिली, मुझे आपकी चिंता होने लगी कही आपके साथ कुछ अनहोनी तो नही हो गया। आपको ढूंढते यहां आ गई।

मंगली _अरे बेटी तुम्हारे आने से मैं कितना लज्जित महसूस कर रही हूं, तुमको यहां नही आना था। मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। तुमयहां से चली जाओ बेटीऔर हा अपनी बापू को इस बारे में मत बताना, नही तो उसे मुंह नही दिखा पाऊंगी।
मधु _मां मैं बापू को कुछ नही बताऊंगी पर आपको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी।
मधु _कैसी बात बेटी?
मधु _मुझे भी राजेश भैया के साथ सोना है। भैया से बोलो की मेरे सोए।
मंगली _बेटी ये तू क्या कह रही है?
मधु _मां जब आप सो सकती है राजेश भैया के साथ तो मैं क्यू नही?
मंगली _बेटी किसी पराया पुरुष के साथ सोना अच्छी बात नहीं है। आज तुम राजेश के साथ सोवोगी कल राजेश नही होगा तो, गांव के किसी दूसरे लड़को को बुलाने लगोगी।
इससे घर के बड़ी बदनामी होगी। किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इससे अच्छा तो तू अपनी ससुराल चली जा।
मधु _मां, मैं आपसे वादा करती हूं की मैं किसी दूसरे लड़के के साथ सोने के बारे में कभी सोचूंगी भी नहीं। बापू की मान सम्मान का ध्यान रखूंगी। पर राजेश भैया के साथ मुझे सोने दो।
देखो न आप ही तो मुझे हमेशा संस्कार की पाठ सिखाती थी और खुद ही राजेश भैया के साथ सोने लगी।
मंगली _अरे बेटी, तुम्हारे बापू के अलावा किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोचा नही था। पर राजेश को मैं मना नही कर पाई बेटी, इसके लिए मुझे माफ कर दो।
मधु _जानती हू मां तुम शायद ही गांव में कोई महिला हो जो राजेश को मना करे।
मां मैं भी तो एक महिला हू मै भी राजेश भैया का सानिध्य चाहती हूं।
मंगली _ठीक है बेटी पर वादा कर की तू राजेश के अलावा गांव के किसी भी पुरुष के साथ सोने के बारे में नही सोंचेगी।
मधु _मां मैने कहा न मैं घर की मान मर्यादा का हमेशा ध्यान रखूंगी।
मंगली _तो फिर ठीक है, राजेश, तुम मधु की इच्छा पूरी कर देना।
बेटी अब तुम कमरे से जाओ मैं साड़ी पहन लूं। मैं यहां से चली जाऊंगी, उसके बाद तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
बबुआ तुम मधु के साथ सोकर उसकी इच्छा पूरी कर देना।
राजेश _काकी, मुझे आपके साथ अभी और करना है, मेरा मन अभी नही भरा है, तुम भी यही रहो न हम तीनो साथ में सोएंगे।
मंगली _babuwa तू ये क्या कह रहा है, मैं क्या मधु के सामने ही नंगी होकर तुम्हारे साथ सो जाऊं, न बाबा मुझसे नही हो पाएगा।
राजेश _अरे काकी, बहुत मजा आएगा। प्लीज मेरी भी बात मान लो तुम दोनो।
मधु _मां, अब भैया कह रहा है तो मान लो न उसकी बात।
मंगली _अरे बेटी, मुझे तुम्हारे सामने बड़ी शर्मिंदगी महसूस होगी।
मधु _मां मैने देखा किस तुम राजेश भैया के ऊपर नंगी बैठ कर उछल रही थी। इतना होने के बाद अब क्या शर्माना।
मंगली _अरे बबुआ दरवाजा बंद कर दे कोई और न आ जाए।
राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया।
मधु राजेश के पास जाकर उसके गले में अपना हाथ डाल दिया।
राजेश ने अपने दोनो हाथ से मधु की चूतड को पकड़ लिया। फिर उसकी ओंठ को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
मधु भी राजेश का सहयोग करने लगी।
उसके बाद मधु राजेश के गाल सीने को चूमता huwa नीचे बड़ा।
राजेश के पैंट का बटन खोल कर नीचे कर दिया उसका अंडरवियर भी खीच दिया।
राजेश का मोटा और लंबा लंद उसके आंखो के सामने आ गया। वह आश्चर्य से देखने लगी।
मधु _हाय दईया इतना बड़ा। तभी कहूं मां इतनी चीख चिल्ला क्यू रही थी।
मंगली _अरे बेटी तू नही ले पाएगी, राजेश का, तेरे बस की बात नहीं,मंगली हसने लगी।
मधु _मां, मैं भी कुवारी नही हूं एक बच्चे की मां हूं।
मधु राजेश का लंद हाथ में लेकर हिलाने लगी।
राजेश _मधु, मुंह में लेकर चूसो।
मधु _भैया, आपका तो बहुत बड़ा है, मुंह में नही आ पाएगा।
राजेश _अरे जितना आ सकता है उतना लेके चूसो। मधु राजेश के टट्टो को चाटने लगी।
फिर लंद का टोपा मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी, उसके बाद जितना अंदर जा सकता था, मुंह में लेकर चूसने लगी।
राजेश _हां ऐसे ही, तुम बहुत अच्छे से चूस रही हो। मजा आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ हमे तो नही चुसवाया अपना मूसल। आज तक कभी चूसी नही। मैं भी तो देखूं कैसा लगता है।
राजेश _काकी, आ जाओ तुम भी।
मंगली उठ के बैठ गई।
रामधु _लो मां अब तुम चूसो।
मंगली ने राजेश का लंद मुंह में डाल कर चूसने लगी।
इधर राजेश मधु की साड़ी खींचने लगा।
मधु अब पेटीकोट और ब्लाऊज़ में रह गई। मधु ने अपनी ब्लाउज भी निकाल दी। वह अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई। उसकी दूध से भरी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर राजेश का लंद मंगली के मुंह में झटके मारने लगा।
राजेश मधु को अपने पास खींचा और उसकी चूचियां पकड़ कर मसल मसल कर दूध निचोड़ निचोड़ कर पीना शुरू कर दिया। फिर एक हाथ से पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी boor मसलने लगा।
मधु के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी। उसकी boor से पानी निकल कर पेटीकोट को गीला करने लगा।
इधर मंगली राजेश के के लंद को मुंह में भर कर चूस रही थी राजेश उसके मुंह में हल्का हल्का धक्का भी मार रहा था।
राजेश ने मधु की पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेटी कोट सरसराकर मधु के पैरो में गिर गया।
राजेश अपने हाथ से मधु की boor को सहलाया। मधु की boor में झांटे थी।
राजेश ने एक उंगली उसकी boor में डाल दिया।
मधु चिहुंक उठी।
फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश ने अब दो उंगली अंदर डाल दिया। और boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु की boor पानी फेकने लगी। मधु के मुंह से, आह उन आन माई,,,
निकलने लगी।
राजेश _मधु चल अब तो घोड़ी बन जा।
मधु घोड़ी बन गई।
राजेश दो उंगली boor में डाल कर फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश _काकी अब डाल दो अपनी बेटी के boor में मेरा लंद।
मंगली राजेश के लंद को पकड़ कर मधु की boor में सेट कर दी।
राजेश ने एक धक्का मारा।
मधु _उई मां,,,,
लंद का टोपा अंदर चला गया।
राजेश झुककर मधु की स्तन पकड़ कर मसलने लगा उसकी चूची से दूध फुहारा निकल नीचे गिरने लगा।
अब राजेश एक जोर का धक्का मारा,
मधु _उई मां,,,
भैया थोड़ा आराम से डालो तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है।
लंद boor फाड़कर,आधा अंदर चला गयाथा ।
अब राजेश मधु की कमर पकड़ कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
लंद boor में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
मधु को बहुत मजा आने लगा।
इधर राजेश अपना धक्का बढ़ाने लगा।
राजेश एक जोर का धक्का मारा लंद, मधु की बच्चेदानी से टकराया।
मधु का पूरा शरीर झनझना गया।
राजेश मधु की boor की दनादन ठुकाई करने लगा। मधु चीखने चिल्लाने लगी। मादक सिसकारी निकालने लगी।
वह संभोग की परम सुख को प्राप्त कर रही थी। उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी कमर को आगे पीछे कर राजेश का सहयोग करने लगी
झोपड़ी में मधु की मादक सिसकारी,, आह उन आई,,, चूड़ियों की खनक खन खन,,,,
लंद का boor में जाने की फ्च फच की आवाज गूंजने लगी।
राजेश को भी मधु को चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। लंद boor में कसा कसा अंदर बाहर आ जा रहा था।
इधर मधु की chudai देख मंगली बहुत गर्म हो गई वह अपनी उंगली अपनी boor में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
राजेश _काकी, मधु को चोदने में बहुत मजा आ रहा है, देखो ना लंद मधु की boor में कितना कसा कसा अंदर बाहर हो रहा है।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
काकी, थोड़ा चूस कर फिर से अंदर डाल दो।
मंगली राजेश केboor के रस से भीगा लंद मुंह में लेकर चूसने लगी कुछ देर चूसने के बाद राजेश के लंद को फिर से मधु की boor ने सेट कर दिया।
राजेश फिर एक जोर का धक्का मारा लंद एक ही बार में जड़ तक boor में घुस गया।
मधु चीख उठी।
राजेश अब मधु की कमर पकड़ कस कस कर चोदने लगा। मधु फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
राजेश तेज रफ्तार से चोदने लगा। मधु का पूरा शरीर कपकपाने लगा, वह खुद को रोक न सकी और चीखते हुवे झड़ने लगी।
मधु नीचे लुड़क गई।
राजेश का लंद अभी अकड़ा हुआ था। वह झटके मार रहा था।
उसने मंगली को कमरा पकड़ कर उठा लिया और अपना लंद उसकी boor में डालकर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली _चीखने चिलाने लगी।
इधर मधु आंखे खोली, उसने राजेश को अपनी मां को गोद में उठा कर चोदते हुवे आश्चर्य से देखने लगी।
और फिर गर्म होने लगी।
इधर मंगली की हालत खराब हो गई वह फिर ऐसी chudai भी होता है वह सांची न थी, वह कुछ देर की chudai में ही झड़ने लगी। राजेश से बच्ची की तरह चिपक गई। आह मां,, आह माई,,,,
राजेश उसे कुछ देर अपने से चिपकाया रखा फिर से नीचे लिटा दिया।
उसके बाद उसने मधु को अपनी गोद में उठा लिया और हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली राजेश की मर्दानगी देख कर दंग रह गई।
राजेश मधु को हवा में उछाल उछाल कर कुछ देर चोदने के बाद राजेश मधु को लेकर लेट गया।
मधु लंद में उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश मधु की हिलती चुचियों को थाम लिया और मुंह में भर कर उसकी दूध पीने लगा। और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर लंद को boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु को ऐसा सेक्स सुख मिल रहा था जिसकी कल्पना नही की थी वह कुछ देर में चीखतेहुए फिर से झड़ने लगी।
वह राजेश से कस कर लिपट गई थी। कुछ देर बाद राजेश उसे बाजू लिटा दिया।
और मंगली के ऊपर आ गया।
मंगली के चूतड के नीचे तकिया रख दिया। और लंद को एक ही बार में फाच से अंदर कर दिया।
उकड़ू बैठ कर उसकी चूचियों मसल मसल कर चोदना शुरू कर दिया।
मंगली की चीखे फिर से कमरे में गूंजने लगी। वह मंगली को तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से न झड़ गई।
मंगली के झड़ने के बाद राजेश मधु के ऊपर आ गया और उसकी चूतड के नीचे तकिया रखकर,boor चोदना शुरू कर दिया।
लंद पूरी जड़ तक अन्दर बाहर होने लगा।
मधु चीखने लगी।
उसका रोम रोम झनझनाने लगा। राजेश तेज गति से चोदने लगा। अब वह झड़ने की स्थिति में आ चुका था।
राजेश जोर जोर से चोदते हुवे एक करारा धक्का मारा और,,,
आह मां आह,,, आह ह ह,, आ,,,
राजेश मधु की boor में लंबी लंबी पिचकारी मार कर उसकी योनि को पूरी तरह भर दिया।
गर्म गर्म वीर्य मधु की boor में जाने से मधु भी एक बार फिर झड़ने लगी।
राजेश मधु के ऊपर ढेर हो गया। मधु अपनी सीने से राजेश को कस लिया।
कुछ देर बाद राजेश बाजू में लुड़क गया।
तीनो सुस्ताने लगे।
कुछ देर बाद, मधु और मंगली दोनो राजेश से लिपट कर सोने लगी।
राजेश को मां बेटी को एक साथ चोदने में बड़ा मज़ा आया था।
कुछ देर बाद तीनो नार्मल हुवे।
राजेश _काकी मजा आया की नही।
मंगली _बबुआ तुमने तो मेरी बरसो की प्यास बुझा दी, लगता है भगवान ने मेरी बरसो की प्यास बुझाने के लिए ही यहां भेजा था।
राजेश _और मधु तुमको।
मधु _भैया तुमने तो पूरी जन्नत की सैर करा दी।

मंगली _मधु बेटा, अब ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नही कोई आ न जाए, कपड़े पहन कर अपनी कमरे में जाओ।
मधु , और कमली उठ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगी, उसने अपनी boor की हालात देखी। उनकी boor बुरी तरह फट चुकी थी।
उसका मुंह ऐसा खुल गया था की जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देने पर boor की हालत हो जाती है।
दोनो कपड़े पहनने लगे राजेश उन्हे कपड़े पहनता देखने लगा।
मंगली _अरे बबुआ तू यही सोएगा क्या?
तू भी कपड़े पहन ले।
राजेश भी उठा और कपड़े पहनने लगा।
तीनो वहा से चले गए।
घर मे पहुंचे तो सभी अभी भी गहरे नींद में सोए हुवे थे।
राजेश खाट में जाकर सो गया। मधु भी अपने कमरे में जाकर सो गई। और मंगली भी।
इधर सुबह होते ही सभी लोग उठ गए।
सबसे पहले मंगली उठी वह साफ सफाई करने लगी।
इधर भुवन और उसके दोस्त भी उठ गए।
भुवन _अरे राजेश कहा है, कही दिख नही रहा।
बंशी _अरे बेटा राजेश को नींद नही आ रही थी तो तुम्हारी काकी के कमरे में सोने को बोल दिया था। वह कमरे में सो रहा होगा।
भुवन _चलो भई तालाब की ओर चलते है फ्रेस होने।
काका _राजेश को भी उठा देता हूं ।
मंगली _बबुआ का नींद रात में काफी लेट से लगा है, मधु के बापू उसे सोने दो।
सभी मेहमान तालाब की ओर चले गए।
सुबह के आठ बजे ,,
घर का काम निपटाने के बाद,,,
मंगली, मधु के कमरे में गई।
अरे बेटी और कितनी देर तक सोएगी। सुबह के आठ बज गए है।
मधु _क्या? मेहमान लोग चले गए क्या?
मंगली _वे सभी तालाब की ओर गए है। राजेश कमरे में सोया huwa है।
मैं उसे उठाने जा रही तू भी उठ जा।
मधु उठने को हुई, दर्द से आह,,,
मंगली _क्या huwa बेटी।
मधु _मां boor सूज गई है दर्द कर रहा है।
मंगली _बेटी, कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। मेरी भी boor सूज गई है।
बुरी तरह ठोका है बदमाश ने।
मंगली हस्ते हुवे कमरे से बाहर आई,,,
अपने कमरे में गई,,,
उसने देखा राजेश अभी भी खाट में गहरी नींद में सोया था। मूत भर जाने के कारण उसका लंद अभी भी खड़ा था।
मंगली _राजेश के खाट में बैठ गई,,,
अरे बेटा और कितने देर तक सोएगा।
राजेश का नींद खुला।
राजेश _अरे काकी सब उठ गए क्या?
मंगली _सब उठ कर तालाब की ओर चले गए हैं।
राजेश _ओह, मेरे बारे में पूछे होंगे।
मंगली _हां, मैने कहा की तू रात में काफी लेट से सोया है, उसे सोने दो।
चलो तुम भी उठो और पीछे जाकर फ्रेश हो जाओ मैं चाय बनाकर लाती हूं।
तभी मधु भी कमरे में आ गई।
वह अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पिला रही थी।
राजेश _मधु थोड़ा मुझे भी पिलाओ।
काकी _बबुआ, रात भर निचोड़ा है फिर भी मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
काकी _पिला दे बेटी, इसे भी।
राजेश खाट में बैठ गया।
और मधु को अपने गोद में बिठा लिया।
मधु एक चूची को अपने बच्चे को पिला रही थी राजेश दूसरा चूची, मुंह में भर कर पीने लगा।
तभी लोगो की आने की आवाज आई।
काकी _बबुआ लगता है मेहमान लोग आ रहे है, अब जाओ तुम भी फ्रेश होकर आ जाओ। मैं चाय बनाती हूं।
राजेश _ठीक है काकी।
Fantastic update
राजेश भुवन और साथी अपनी पार्टी करके बंसी काका के घर ही सो जाते हैं राजेश को नींद नहीं आ रही थी वह पेशाब करने जाता है तो वह वहां बंसी और मंगली की चूदाई देख लेता है और उत्तेजित हो जाता है तो बंसी उसे मंगली काकी के पास सोने भेजते हैं वहां वह मंगली काकी को अपनी परेशानी बताता है दोनों में घर के पीछे चूदाई होती हैं मधु अपनी मां की चीख सुनकर देखने जाती है वहां का सीन देखकर वह गरम हो जाती है अपने आप को शांत करने के बाद भी वह उत्तेजित हो जाती है और वह राजेश से चूदने का फैसला कर लेती है राजेश सारी रात दोनों मां बेटी की दमदार चूदाई करता है दोनों को असीम सुख प्राप्त होता है
 

Skb21

Well-Known Member
3,188
5,111
158
मंगली ने अपने खाट के बाजू अपने पति का खाट लगा दिया, उसमे एक नया चादर बिछा दिया।
मंगली _लो बबुवा , सो जाओ।
राजेश खाट पे सो गया।
मंगली भी अपनी खाट पे सो गई।
राजेश को नींद नहीं आ रहा था, क्यू की उसका land तो अभी अकड़ा हुआ था, उसने मंगली और बंशी की chudai जो देख लिया था।
करीब आधा घंटा बाद,,
राजेश अपनी खाट से उठ कर बैठ गया।
मंगली की नींद भी नहीं लगी थी।
मंगली _बबूवा, अभी तक सोए नही।
राजेश _ओ काकी प्यास लगी थी।
मंगली अपनी अपनी खाट से उठी और कीचन से पानी लाने के लिए जाने लगी।
राजेश की नजर उसकी मटकती गाड़ पड़ पड़ी तो उसका land और झटके मारने लगा।
राजेश ने पानी पिया।
राजेश खाट पर लेट गया
मंगली _अरे बबुआ तुम्हारी तबियत तो ठीक है न।
राजेश _नही काकी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है। बड़ी तकलीफ हो रही है।
मंगली _अरे बाबुवा, कहा तकलीफ है।
राजेश _रहने दो काकी आप जानकर भी क्या करोगी?
मंगली _अरे बबूवा, तकलीफ क्या है? मुझे तो बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू।
राजेश _अरे काकी, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊं क्या तकलीफ है, आप मुझे गलत समझने लगोगी।
आप मुझे गंदा लड़का समझोगी।
मंगली _मैं गलत नहीं समझूंगी, तकलीफ क्या है बताओ।
राजेश _काकी, अब क्या बताऊं, मुझे बताने में शर्म आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ शर्माना तो लड़कियों का काम है तुम तो लड़के हो। लड़के होकर शर्मा रहे हो। चलो बताओ बात क्या है अपने काकी से शर्माने की आवश्यकता नही।
राजेश _ओ काकी क्या है न कि मेरे,,,,
मंगली _अरे रूक क्यू गए, बबुआ बताओ,,,
राजेश _ओ काकी,,, मेरे,,, नुनु में,,,,, बड़ा दर्द है,,,
मंगली नुनु शब्द सुनकर शर्मा गई,,,
मंगली _क्यू बाबुवा, क्या huwa तुम्हारे नुनु को,, मुंह छिपाते हुए बोली, और मुस्कुराने लगी।
राजेश _ओ आपको और काका को घर के पीछे, जब से देखा है न, तब से दर्द कर रहा है।
मंगली, शर्म से पानी पानी हो गई।
मंगली _अरे बबुआ अब क्या बताऊं तुम्हे? मैने तुम्हारे काका को मना भी की थी घर में सब मेहमान है ऐसे में, ये करना ठीक नहीं, पर दारू पीने के बाद तो तुम्हारे काका अपने पर काबू ही नही रख पाते।
आखिर वही huwa जिसका डर था तुम वहा आ गए।
राजेश _माफ करना काकी मुझे पता होता की आप आप और काका वहा, कुश्ती लड़ रहे हैं तो मैं वहा नही जाता।
मंगली _कुश्ती शब्द सुनकर, मंगली शर्म से पानी पानी होने लगी।
मंगली _, अरे जो नई होना था वो तो हो गया। अब कर भी क्या सकते हैं?
अब तेरा तकलीफ दूर कैसे होगा? ये बताओ।
राजेश _काकी, आप चाहे तो तकलीफ दूर कर सकती हो,,
मंगली _वो कैसे बबुआ?
राजेश _मेरे नुनु से पानी निकालकर।
मंगली शर्मा गई,,,
राजेश _अरे काकी, थोड़ा तेल लगाकर मालिश कर दोगी तो, मुझे दर्द से राहत मिल जायेगी। और मैं चैन से सकूंगा।
मंगली _मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ लडका समझती थी, तू तो बदमाश निकला, अपनी काकी को मूठ मारने कह रहा है। तुम तो अपनी काकी को गंदी औरत समझने लगे।
मंगली, नाराज होते हुवे बोली।
राजेश _काकी आप तो नाराज हो गई, माफ करना मुझसे गलती हो गई।
राजेश अपनी खाट से उठ गया।
राजेश _काकी मैं दोस्तो के साथ सो ने जा रहा हूं। आप नाराज मत होइए।
राजेश जाने को huwa
मंगली _अरे रुको, बाबुवा।
नाराज हो गए क्या अपने काकी से,,
राजेश _नही तो
मंगली _फिर यहां से जा क्यूं रहे हो।
राजेश _यहां रहने से दर्द तो कम होगा नही, बल्कि और बढ़ेगा, इसलिए यहां से जाना ही अच्छा है।
मंगली _अच्छा ठीक है, दिखाओ अपना नुनु मैं मालिश कर देती हूं।
बबुआ तुम्हारे जगह कोई और होता तो खुद ही यहां से जाने कह देती, पर तुमको निराश करने की हिम्मत मुझमें नहीं है,और मेरी क्या इस गांव की किसी भी औरत में नही होगी।
पर हां यह बात किसी से कहना मत नही तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। पता नही गांव के कितने लोगो ने मुझे फसाने की कोशिश की पर पराया मर्द के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
राजेश _अरे काकी ऐसी बात है तो मैं आपका पतिव्रता धर्म नही तोड़ना चाहता। मुझे जाने दीजिए।
काकी _अरे बबुआ तुम्हे निराश करके अपनी पतिव्रता धर्म बचा के रखूंगी, तो मेरे दिल को बिलकुल अच्छा नही लगेगा।
राजेश _काकी ठीक से सोच लो बाद में मुझे दोष न देना कि मैने आपका पतिव्रता धर्म को भ्रष्ट कर दिया।
काकी _नही दूंगी बाबा नही दूंगी। चल अब तू खाट में लेट जा मैं सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
मंगली मुस्कुराते हुवे कमरे से जाने लगी तभी राजेश ने उसकी चूतड पे चिकोटी कांट ली।
मंगली _उई मां, बदमाश बड़ा जोर से चिकोटी कांटा, अपनी काकी से शरारत करता है। आती हूं तब बताती हूं तुझे।
मंगली कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म कर लें आई।
मंगली _चलो दिखाओ अपना नुनु,
राजेश ने अपना पैंट और चड्डी ने खिसका कर लंद बाहर निकाल दिया। लंद हवा में लहराने लगा।
मंगली , आश्चर्य से देखने लगी।
राजेश _क्या huwa काकी?
मंगली _ये क्या है re इतना बड़ा?
ये नुनु है।
राजेश _तो।
मंगली _इतना बड़ा तो किसी घोड़े का होता है!
राजेश _काकी, जल्दी करो न बड़ा तकलीफ हो रही है।
राजेश का लंद देखकर मंगली की boor पानी छोड़ने लगी।
मंगली, हाथो में तेल लेकर लंद की मालिश करना शुरू कर दी।
काफी देर तक मालिश करने के बाद भी जब लंद से पानी नही निकला।
मंगली _कितने देर से हिला रही, तेरा तो पानी ही नहीं निकल रहा है re, तेरा काका का तो हाथ लगाते ही पानी छोड़ देता है।
मेरा तो हाथ भी दर्द करने लगा।
राजेश _काकी, ये इतना आसानी से पानी नही छोड़ने वाला। मेरे घोड़े को बड़ी प्यास लगी है। जब तक जी भर कर कूवे का पानी नही पिएगा। ये उल्टी नही करेगा। इसे अपने कुवे का पानी पिलाओ।
मंगली _मतलब तू मेरे कुंवे की खुदाई करना चाहता है।
राजेश _अगर आप इजाजत दो।
मंगली _तू अपने इतने बड़े हथियार से खुदाई करेगा न, तो नसे में खर्राटे भरने वाले भी जाग जायेंगे।
राजेश _तो चलो घर के पीछे चलते है।kuwe की खुदाई करने। राजेश ने एक हाथ से मंगली की boor को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
मंगली की पेटीकोट boor की पानी से गीली हो चुकी थी।
मंगली _अब तेरी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी। नही तो रात भर प्यास से तड़फता रहेगा तेरा घोड़ा।मुस्कुराते हुवे बोली।
तू चल मैं लाल टेन लेके आती हूं। और जाने से पहले एक बार देख लो सब सो तो रहे है न।
राजेश ने कमरे में जाकर देखा जहा मेहमान सी रहे थे। सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे।
राजेश _काकी, सभी घोड़े बेच कर सो रहे है, चलो जल्दी। मेरे घोड़े को पानी पिला दो।
मंगली _अरे बबुआ आती हूं, थोड़ा धीरज धर।
राजेश घर के पीछे चला गया, कुछ देर बाद मंगली भी वहा लाल टेन, चादर और तकिया लेकर पहुंच गई।
मंगली _और बबुआ, बाजू वाले झोपड़ी में चलते है वहा दरवाजा लगा huwa है।
इस झोपड़ी में दरवाजा न होने के कारण कोई भी देख सकता है। जैसे तुमने देख लिया।
घर के पीछे झोपड़ी में रखे पैर को जमीन पर बराबर से फैला कर, चादर बिछा दिया और तकिया लगा दिया।
राजेश ने मंगली को खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। और उसकी ब्लाउज का बटन खोल कर उसे शरीर से अलग कर दिया।
उसकी बड़ी बड़ीगोरे गोरे सुडौल चुचियों को देखकर उसका लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने उसके स्तनों को हाथ में पकड़ कर मसलना और चूसना शुरु कर दिया।
मंगली सिसकने लगी।
राजेश का लंद देखकर उसकी हालत पहले से ही खराब थी।
राजेश ने एक हाथ, मंगली के पिटिकोट के अंदर डाल दिया और उसकी boor को मसलने लगा।
मंगली के हाथ पैर उटेजना के मारे कपकापने लगे।
राजेश एक हाथ से चूची को तो दूसरे हाथ से boor को मसल रहा था।
मंगली उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी।
मंगली _बबुआ अब बस करो, और kuwe की खुदाई शुरू करो।
राजेश _काकी, आपका kuwa तो, पूरा लबा लब पानी से भर गया है। डुबकी लगाकर खुदाई करने में मजा आयेगा।
राजेश ने मंगली को चादर पे लिटाकर, अपना पैंट और चड्डी उतार दिया।
उसकी टांगे फैला कर बीच में उकडु बैठ गया।
उसकी मस्त चिकनी, गुदाज boor को हाथ से सहलाने लगा।
उसकी मस्त चिकनी chut देख कर लंद झटके मारने लगा।
राजेश देर न करते हुए, अपना लंद को पकड़ा और मंगली के कुंवे का रास्ता दिखाया।
फिर एक जोर का धक्का मारकर, एक ही बार में लंद को boor में आधा से ज्यादा अंदर कर दिया। योनि एकदम गीली थी फिर लंद मोटा होने के कारण boor लंद को जकड़ा हुआ था। धक्के से मंगली के मुंह से उई मां निकल गया।
मंगली _ऐसा कोई धक्का मारता है क्या, एक ही बार में घुसा दिया। मेरी boor फट गई।
राजेश _सॉरी काकी, रहा नही जा रहा था।
राजेश ने, मंगली की चुचियों को मसल मसल कर कुन्वे की खुदाई करना शुरू कर दिया।
राजेश धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया।
लंद boor में गच गैच अंदर बाहर होने लगा।
लंद लंबा होने के करना,boor की अंतिम छोर तक जा रहा था।
राजेश ने तभी एक जोर का धक्का मारा, लंद का टोपा सीधा मंगली के बच्चे दानी से टकराया।
मंगली का पूरा बदन अंदर से झनझना गया।
राजेश मंगली की boor दनादन ठोकने लगा।
लंद मंगली की boor में कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली को अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह जन्नत में पहुंच चुकी थी।chudai की ऐसा सुख उसे मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना नही की थी
वह राजेश को एकदम से जकड़ ली थी।
राजेश गचा गाच पेले जा रहा था।
मंगली के मुंह से मादक सिसकारी निकल रही थी झोपड़े में उसकी चूड़ियों की खनक गूंज रही थी।
फ़च फाच, खन खन और आह उन आई मां,, मर गई मां,,, आई,, उन,,,
राजेश _अरे काकी सच में तू तो बड़ी मस्त मॉल है, चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी रानी।
एकदम कसा कसा अंदर जा रहा है।
लगता है काका ठीक से ठुकाई नही किए है
राजेश बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को मसल मसल कर पेले जा रहा था।
मंगली के boor का पानी नीचे चादर पर टपक रहा था।
मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजी हो गई की वह खुद को ज्यादा देर तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ ली।
आई मां,, मर,, गई,,, आह,,, उसकी आंखो की पुतलियां पलट गई। वह जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
वह राजेश को जोर से जकड़ ली राजेश उसके ऊपर लेट कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
इधर मधु अपने कमरे में सोई थी।
उसका बच्चा, अचानक रोने लगा। मधु की नींद खुल गई। वह अपने बच्चे को चुप कराते हुवे, अपनी ब्लाउज खोल कर एक चूची का निपल बच्चे के मुंह में डाल दिया।
लो बेटा दूदू पी ले, लगता है मुन्ने को भूख लगी है। वह उसके बालो को प्यार से सहलाने लगी।
उधर कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने मंगली को घोड़ी बना कर। गच गच चोदना शुरू कर दिया।
राजेश इतना जोर जोर से धक्के मारने लगा की। मंगली चीखने चिल्लाने लगी।
झोपड़ा, मधु के कमरे के ठीक पीछे था।
घर की दीवार तो ईट से बना था, लेकिन घर का छत कच्छा था, खपरैल से बना थी। जिसके कारण मंगली की चीखे मधु को सुनाई पढ़ने लगी।
मधु _ये कैसी आवाज है?
वह ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगी।
इधर राजेश बड़ी तेजी से लंद को boor में अंदर बाहर कर रहा था झोपड़ी में थप थप, फच फच, खन खन, आह उन आई मां,,,, आई,,,
की आवाज गूंजने लगा।
तभी मंगली इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई।
मंगली _कहा से सीखा है re ऐसा chudai करना,,, आह मां,, पूरा,,, उई मां,,
राजेश _क्या huwa काकी,,, मजा तो आ रहा है न, ले और ले,,, बड़ी मस्त chut है तेरी,
मंगली की कमर पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था।
मंगली _को संभोग का असीम सुख प्राप्त हो रहा था।
उसकी boor से पानी की धार बह रही थी।
लंद बड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
मंगली खुद को ज्यादा देर रोक न सकी और फिर से जोर से चीखते हुवे झड़ने लगी।
मंगली _आह,,, माई गई re,,,,
मंगली नीचे लुड़क गई, राजेश भी उसके ऊपर लेट गया।
चीख इतनी जोर की थी जिसे सुनकर मधु भी डर गई।
मधु, यह पता करने की पीछे आखिर चल क्या रहा है, और कौन इतनी जोर से चीखी।
वह अपने कमरे से निकल कर अपनी मां को बताने उसके कमरे में गई। उसकी मां कमरे में नही थी।
वह डर गई, कही ये मां की चीखे तो नही थी,
कही उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया, वह घबरा गई, वह कमरे में अपने बापू को ढूंढी। बंसी घोड़े बेच कर सो रहा था।
हे भगवान बापू तो यहां सोया huwa है फिर मां,,
वह घबरा गई।
इधर राजेश ने मंगली की चूची मसल मसल और चूस कर फिर गर्म कर दिया।
राजेश लेट गया, और मंगली को अपने लंद पर बैठने को कहा।
इधर मंगली राजेश की मर्दानगी देख हैरान थी, वह दो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी राजेश झड़ा नहीं था। उसका लंद हवा में झटके मार रहा था।
मंगली राजेश के लंद को हाथ में पकड़ी और अपनी boor का रास्ता दिखाते हुए उस पर बैठ गई।
राजेश ने अपने दोनो हाथो से उसके चूतड पकड़ लिया और अपनी कमरे उठा उठा कर चोदना शुरू कर दिया।
इधर मधु मां के साथ कुछ अनहोनी न हो गया हो घबरा कर वह घर के पीछे गई और अपने कमरे के पीछे झोपड़ी की ओर गई। झोपड़ी का दरवाजा अंदर से बंद था।
झोपड़ी के अंदर हल्की रोशनी दिखाई पड़ी।
मधु अंदर क्या चल रहा है जानने के लिए कान दरवाजे से लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी।
मंगली की मादक सिसकारी उसे सुनाई पड़ी।
वह अंदर का दृश्य देखने के लिए दरवाजे पर छेद ढूंढने लगी। उसे एक छेद मिल गया। वह जब छेद में आंखे डाल अंदर का दृश्य देखी तो दंग रह गई।
उसकी मां किसी के ऊपर नंगी होकर उछल रही थी।
वह अपनी मां की ऐसा रूप देख कर दंग रह गई।
जो मां हमेशा उसे संस्कार की पाठ पढ़ाया करती थी कि पराया मर्द के बारे में सोचना भी पाप है आज निर्लज होकर chud रही है, हे भगवान उसे यकीन नही हो रहा था।
वह यह जानने के लिए की उसकी मां किसके लंद पर उछल रही है, वह पहचानने की कोशिश करने लगी पर उसका चेहरा दिखाई नही दे रहा था।
जब लाख कोशिश करने के बाद वह जान ने सकी की नीचे कौन लेटा है। वह घर में गई और मेहमानों के कमरे में जाकर देखी सभी लोग नींद में खर्राटे भर रहे थे। सभी लोग तो सोए हुवे थे पर राजेश उसे नजर नहीं आया।
मधु _हे भगवान क्या मां राजेश भैया से chud रही है। उसे घोर आश्चर्य huwa वह अपने कमरे में जाकर लेट गई।
यह सोचते हुए की मां राजेश भैया से chud रही है।
उसकी शरीर रक्त प्रवाह तेज हो गया।
उधर मंगली की मादक सिसकारी और चीखे उसके कानो में अभी भी सुनाई पड़ रही थी।
मधु की boor में पानी भरने लगा, वह अपनी एक उंगली से अपनी boor रगड़ने लगी।
वह राजेश को इमेज कर अपनी boor में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
वह बहुत अधिक उत्तेजित होने लगी आज तक मधु ने किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोची नही थी, गांव के कई लड़के उसे फासने की कोशिश करते है पर वह कभी भी किसी पर ध्यान नहीं दी।
मगर आज उसकी मां को राजेश से chudte देख पता नही क्या हो गया। उसकी शरीर बहुत अधिक गर्म हो गई।
वह तेजी से अपनी उंगली को अपनी boor में अंदर बाहर कर सिसकने लगी।
मधु _राजेश भैया मुझे यकीन नही हो रहा है, तुम अपनी से लगभग दोगुनी उम्र की औरत को चोद रहे हो। क्या तुम्हे chut की कमी है, एक बार बोलेंगे तो पूरी गांव की लडकिया तुम्हारे नीचे लेट जाएगी।
मां तू बड़ी किस्मत वाली है। जो राजेश भैया का सानिध्य तुम्हे मिल रहा है।
Chut में उंगली अंदर बाहर करते हुए मधु इतनी उत्तेजित हो गई की, वह राजेश भैया कहते हुए झड़ने लगी।
आह मां,,,,
उसे ऐसा आनंद तो अपने पति के साथ चुदने में भी नहीं आया था जितना आनंद उसे राजेश के नाम का लेकर boor में उंगली डाल झड़ने में आया।

वह कुछ देर सुस्ताने लगी।
इधर उसके कानो में अभी भी, मंगली की मादक सिसकारी और बीच बीच में चीखने की आवाज सुनाई पड़ रही थी जिससे मधु फिर गर्म हो गई।
मधु _हे भगवान राजेश भैया में कितना पवार है जो एक बुरी औरत की चीख निकाल रहा है, कितने देर से चोदे जा रहा है।
उसकी boor फिर पानी छोड़ने लगी।
मधु फिर से अपनी boor सहलाने लगी।
मधु सोचने लगी _अगर राजेश भैया का सानिध्य पाना है तो यही अच्छा मौका है। नही तो जिंदगी भर उसके सानिध्य के लिए तरसना पड़ेगा। मुझे यह मौका नहीं खोना चाहिए।
वह अपनी पलंग से उठी और कमरे से निकल कर घर के पीछे जाने लगी। पीछे जाने से पहले मेहमानों के कमरे में गई देखा सभी अभी भी घोड़े बेच के सो रहे थे।
वह सीधे घर के पीछे झोपड़ी के पास जाकर छेद से देखी। राजेश मंगली के पीछे करवट लेकर लेट कर मंगली के एक टांग उठा कर दनादन पेल रहा था।
उसने दरवाजा खटखटाया।
मंगली और राजेश चौक गए।
Chudai रोक दिया।
मंगली _राजेश बेटा ये कौन आ गया अब क्या होगा?
राजेश_काकी तुम घबराओ मत मैं देखता हूं।
राजेश ने अपना चड्डी और पैंट पहना।
मंगली ने अपनी शरीर को साड़ी से ढक ली।
राजेश दरवाजे से बाहर निकला।
राजेश _अरे मधु तुम, यहां।
मधु _भैया, मां अंदर है क्या? घर में देखी तो कही नजर नहीं आई। घर के पीछे किसी की चीखने की आवाज सुनाई पड़ी तो इधर देखने आई।
मां ठीक तो है न, मुझे उसकी बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश कुछ देर सोचा,,,
मधु _राजेश भैया मुझे पता है अंदर क्या हो रहा है, आपको घबराने की आवश्यकता नही है। मैं किसी से इस बारे में कुछ नही कहूंगी।
राजेश _फिर आई क्यू?
मां की चीख सुनकर उसकी चिंता होने लगी तो पूछने आई हूं वह ठीक तो है न।
राजेश _काकी बिल्कुल ठीक है।
मधु _मुझे मां से मिलना है।
राजेश _ठीक है आ जाओ।
मधु अंदर गई, तो मंगली नीचे चादर पे लेटी थी और शरीर को साड़ी से ढक ली थी।
मंगली _अरे मधु तुम, बेटी तुम्हे यहां नही आना था।
मधु _मां मैने किसी की चीखे सुनी तो डर गया आपके कमरे में गया आप नही मिली, मुझे आपकी चिंता होने लगी कही आपके साथ कुछ अनहोनी तो नही हो गया। आपको ढूंढते यहां आ गई।

मंगली _अरे बेटी तुम्हारे आने से मैं कितना लज्जित महसूस कर रही हूं, तुमको यहां नही आना था। मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। तुमयहां से चली जाओ बेटीऔर हा अपनी बापू को इस बारे में मत बताना, नही तो उसे मुंह नही दिखा पाऊंगी।
मधु _मां मैं बापू को कुछ नही बताऊंगी पर आपको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी।
मधु _कैसी बात बेटी?
मधु _मुझे भी राजेश भैया के साथ सोना है। भैया से बोलो की मेरे सोए।
मंगली _बेटी ये तू क्या कह रही है?
मधु _मां जब आप सो सकती है राजेश भैया के साथ तो मैं क्यू नही?
मंगली _बेटी किसी पराया पुरुष के साथ सोना अच्छी बात नहीं है। आज तुम राजेश के साथ सोवोगी कल राजेश नही होगा तो, गांव के किसी दूसरे लड़को को बुलाने लगोगी।
इससे घर के बड़ी बदनामी होगी। किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इससे अच्छा तो तू अपनी ससुराल चली जा।
मधु _मां, मैं आपसे वादा करती हूं की मैं किसी दूसरे लड़के के साथ सोने के बारे में कभी सोचूंगी भी नहीं। बापू की मान सम्मान का ध्यान रखूंगी। पर राजेश भैया के साथ मुझे सोने दो।
देखो न आप ही तो मुझे हमेशा संस्कार की पाठ सिखाती थी और खुद ही राजेश भैया के साथ सोने लगी।
मंगली _अरे बेटी, तुम्हारे बापू के अलावा किसी पराया मर्द के बारे में कभी सोचा नही था। पर राजेश को मैं मना नही कर पाई बेटी, इसके लिए मुझे माफ कर दो।
मधु _जानती हू मां तुम शायद ही गांव में कोई महिला हो जो राजेश को मना करे।
मां मैं भी तो एक महिला हू मै भी राजेश भैया का सानिध्य चाहती हूं।
मंगली _ठीक है बेटी पर वादा कर की तू राजेश के अलावा गांव के किसी भी पुरुष के साथ सोने के बारे में नही सोंचेगी।
मधु _मां मैने कहा न मैं घर की मान मर्यादा का हमेशा ध्यान रखूंगी।
मंगली _तो फिर ठीक है, राजेश, तुम मधु की इच्छा पूरी कर देना।
बेटी अब तुम कमरे से जाओ मैं साड़ी पहन लूं। मैं यहां से चली जाऊंगी, उसके बाद तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
बबुआ तुम मधु के साथ सोकर उसकी इच्छा पूरी कर देना।
राजेश _काकी, मुझे आपके साथ अभी और करना है, मेरा मन अभी नही भरा है, तुम भी यही रहो न हम तीनो साथ में सोएंगे।
मंगली _babuwa तू ये क्या कह रहा है, मैं क्या मधु के सामने ही नंगी होकर तुम्हारे साथ सो जाऊं, न बाबा मुझसे नही हो पाएगा।
राजेश _अरे काकी, बहुत मजा आएगा। प्लीज मेरी भी बात मान लो तुम दोनो।
मधु _मां, अब भैया कह रहा है तो मान लो न उसकी बात।
मंगली _अरे बेटी, मुझे तुम्हारे सामने बड़ी शर्मिंदगी महसूस होगी।
मधु _मां मैने देखा किस तुम राजेश भैया के ऊपर नंगी बैठ कर उछल रही थी। इतना होने के बाद अब क्या शर्माना।
मंगली _अरे बबुआ दरवाजा बंद कर दे कोई और न आ जाए।
राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया।
मधु राजेश के पास जाकर उसके गले में अपना हाथ डाल दिया।
राजेश ने अपने दोनो हाथ से मधु की चूतड को पकड़ लिया। फिर उसकी ओंठ को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
मधु भी राजेश का सहयोग करने लगी।
उसके बाद मधु राजेश के गाल सीने को चूमता huwa नीचे बड़ा।
राजेश के पैंट का बटन खोल कर नीचे कर दिया उसका अंडरवियर भी खीच दिया।
राजेश का मोटा और लंबा लंद उसके आंखो के सामने आ गया। वह आश्चर्य से देखने लगी।
मधु _हाय दईया इतना बड़ा। तभी कहूं मां इतनी चीख चिल्ला क्यू रही थी।
मंगली _अरे बेटी तू नही ले पाएगी, राजेश का, तेरे बस की बात नहीं,मंगली हसने लगी।
मधु _मां, मैं भी कुवारी नही हूं एक बच्चे की मां हूं।
मधु राजेश का लंद हाथ में लेकर हिलाने लगी।
राजेश _मधु, मुंह में लेकर चूसो।
मधु _भैया, आपका तो बहुत बड़ा है, मुंह में नही आ पाएगा।
राजेश _अरे जितना आ सकता है उतना लेके चूसो। मधु राजेश के टट्टो को चाटने लगी।
फिर लंद का टोपा मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी, उसके बाद जितना अंदर जा सकता था, मुंह में लेकर चूसने लगी।
राजेश _हां ऐसे ही, तुम बहुत अच्छे से चूस रही हो। मजा आ रहा है।
मंगली _अरे बबुआ हमे तो नही चुसवाया अपना मूसल। आज तक कभी चूसी नही। मैं भी तो देखूं कैसा लगता है।
राजेश _काकी, आ जाओ तुम भी।
मंगली उठ के बैठ गई।
रामधु _लो मां अब तुम चूसो।
मंगली ने राजेश का लंद मुंह में डाल कर चूसने लगी।
इधर राजेश मधु की साड़ी खींचने लगा।
मधु अब पेटीकोट और ब्लाऊज़ में रह गई। मधु ने अपनी ब्लाउज भी निकाल दी। वह अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई। उसकी दूध से भरी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर राजेश का लंद मंगली के मुंह में झटके मारने लगा।
राजेश मधु को अपने पास खींचा और उसकी चूचियां पकड़ कर मसल मसल कर दूध निचोड़ निचोड़ कर पीना शुरू कर दिया। फिर एक हाथ से पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी boor मसलने लगा।
मधु के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी। उसकी boor से पानी निकल कर पेटीकोट को गीला करने लगा।
इधर मंगली राजेश के के लंद को मुंह में भर कर चूस रही थी राजेश उसके मुंह में हल्का हल्का धक्का भी मार रहा था।
राजेश ने मधु की पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेटी कोट सरसराकर मधु के पैरो में गिर गया।
राजेश अपने हाथ से मधु की boor को सहलाया। मधु की boor में झांटे थी।
राजेश ने एक उंगली उसकी boor में डाल दिया।
मधु चिहुंक उठी।
फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश ने अब दो उंगली अंदर डाल दिया। और boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु की boor पानी फेकने लगी। मधु के मुंह से, आह उन आन माई,,,
निकलने लगी।
राजेश _मधु चल अब तो घोड़ी बन जा।
मधु घोड़ी बन गई।
राजेश दो उंगली boor में डाल कर फिर अंदर बाहर करने लगा।
राजेश _काकी अब डाल दो अपनी बेटी के boor में मेरा लंद।
मंगली राजेश के लंद को पकड़ कर मधु की boor में सेट कर दी।
राजेश ने एक धक्का मारा।
मधु _उई मां,,,,
लंद का टोपा अंदर चला गया।
राजेश झुककर मधु की स्तन पकड़ कर मसलने लगा उसकी चूची से दूध फुहारा निकल नीचे गिरने लगा।
अब राजेश एक जोर का धक्का मारा,
मधु _उई मां,,,
भैया थोड़ा आराम से डालो तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है।
लंद boor फाड़कर,आधा अंदर चला गयाथा ।
अब राजेश मधु की कमर पकड़ कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
लंद boor में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
मधु को बहुत मजा आने लगा।
इधर राजेश अपना धक्का बढ़ाने लगा।
राजेश एक जोर का धक्का मारा लंद, मधु की बच्चेदानी से टकराया।
मधु का पूरा शरीर झनझना गया।
राजेश मधु की boor की दनादन ठुकाई करने लगा। मधु चीखने चिल्लाने लगी। मादक सिसकारी निकालने लगी।
वह संभोग की परम सुख को प्राप्त कर रही थी। उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी कमर को आगे पीछे कर राजेश का सहयोग करने लगी
झोपड़ी में मधु की मादक सिसकारी,, आह उन आई,,, चूड़ियों की खनक खन खन,,,,
लंद का boor में जाने की फ्च फच की आवाज गूंजने लगी।
राजेश को भी मधु को चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। लंद boor में कसा कसा अंदर बाहर आ जा रहा था।
इधर मधु की chudai देख मंगली बहुत गर्म हो गई वह अपनी उंगली अपनी boor में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
राजेश _काकी, मधु को चोदने में बहुत मजा आ रहा है, देखो ना लंद मधु की boor में कितना कसा कसा अंदर बाहर हो रहा है।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
काकी, थोड़ा चूस कर फिर से अंदर डाल दो।
मंगली राजेश केboor के रस से भीगा लंद मुंह में लेकर चूसने लगी कुछ देर चूसने के बाद राजेश के लंद को फिर से मधु की boor ने सेट कर दिया।
राजेश फिर एक जोर का धक्का मारा लंद एक ही बार में जड़ तक boor में घुस गया।
मधु चीख उठी।
राजेश अब मधु की कमर पकड़ कस कस कर चोदने लगा। मधु फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
राजेश तेज रफ्तार से चोदने लगा। मधु का पूरा शरीर कपकपाने लगा, वह खुद को रोक न सकी और चीखते हुवे झड़ने लगी।
मधु नीचे लुड़क गई।
राजेश का लंद अभी अकड़ा हुआ था। वह झटके मार रहा था।
उसने मंगली को कमरा पकड़ कर उठा लिया और अपना लंद उसकी boor में डालकर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली _चीखने चिलाने लगी।
इधर मधु आंखे खोली, उसने राजेश को अपनी मां को गोद में उठा कर चोदते हुवे आश्चर्य से देखने लगी।
और फिर गर्म होने लगी।
इधर मंगली की हालत खराब हो गई वह फिर ऐसी chudai भी होता है वह सांची न थी, वह कुछ देर की chudai में ही झड़ने लगी। राजेश से बच्ची की तरह चिपक गई। आह मां,, आह माई,,,,
राजेश उसे कुछ देर अपने से चिपकाया रखा फिर से नीचे लिटा दिया।
उसके बाद उसने मधु को अपनी गोद में उठा लिया और हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
मंगली राजेश की मर्दानगी देख कर दंग रह गई।
राजेश मधु को हवा में उछाल उछाल कर कुछ देर चोदने के बाद राजेश मधु को लेकर लेट गया।
मधु लंद में उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश मधु की हिलती चुचियों को थाम लिया और मुंह में भर कर उसकी दूध पीने लगा। और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर लंद को boor में अंदर बाहर करने लगा।
मधु को ऐसा सेक्स सुख मिल रहा था जिसकी कल्पना नही की थी वह कुछ देर में चीखतेहुए फिर से झड़ने लगी।
वह राजेश से कस कर लिपट गई थी। कुछ देर बाद राजेश उसे बाजू लिटा दिया।
और मंगली के ऊपर आ गया।
मंगली के चूतड के नीचे तकिया रख दिया। और लंद को एक ही बार में फाच से अंदर कर दिया।
उकड़ू बैठ कर उसकी चूचियों मसल मसल कर चोदना शुरू कर दिया।
मंगली की चीखे फिर से कमरे में गूंजने लगी। वह मंगली को तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से न झड़ गई।
मंगली के झड़ने के बाद राजेश मधु के ऊपर आ गया और उसकी चूतड के नीचे तकिया रखकर,boor चोदना शुरू कर दिया।
लंद पूरी जड़ तक अन्दर बाहर होने लगा।
मधु चीखने लगी।
उसका रोम रोम झनझनाने लगा। राजेश तेज गति से चोदने लगा। अब वह झड़ने की स्थिति में आ चुका था।
राजेश जोर जोर से चोदते हुवे एक करारा धक्का मारा और,,,
आह मां आह,,, आह ह ह,, आ,,,
राजेश मधु की boor में लंबी लंबी पिचकारी मार कर उसकी योनि को पूरी तरह भर दिया।
गर्म गर्म वीर्य मधु की boor में जाने से मधु भी एक बार फिर झड़ने लगी।
राजेश मधु के ऊपर ढेर हो गया। मधु अपनी सीने से राजेश को कस लिया।
कुछ देर बाद राजेश बाजू में लुड़क गया।
तीनो सुस्ताने लगे।
कुछ देर बाद, मधु और मंगली दोनो राजेश से लिपट कर सोने लगी।
राजेश को मां बेटी को एक साथ चोदने में बड़ा मज़ा आया था।
कुछ देर बाद तीनो नार्मल हुवे।
राजेश _काकी मजा आया की नही।
मंगली _बबुआ तुमने तो मेरी बरसो की प्यास बुझा दी, लगता है भगवान ने मेरी बरसो की प्यास बुझाने के लिए ही यहां भेजा था।
राजेश _और मधु तुमको।
मधु _भैया तुमने तो पूरी जन्नत की सैर करा दी।

मंगली _मधु बेटा, अब ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नही कोई आ न जाए, कपड़े पहन कर अपनी कमरे में जाओ।
मधु , और कमली उठ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगी, उसने अपनी boor की हालात देखी। उनकी boor बुरी तरह फट चुकी थी।
उसका मुंह ऐसा खुल गया था की जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देने पर boor की हालत हो जाती है।
दोनो कपड़े पहनने लगे राजेश उन्हे कपड़े पहनता देखने लगा।
मंगली _अरे बबुआ तू यही सोएगा क्या?
तू भी कपड़े पहन ले।
राजेश भी उठा और कपड़े पहनने लगा।
तीनो वहा से चले गए।
घर मे पहुंचे तो सभी अभी भी गहरे नींद में सोए हुवे थे।
राजेश खाट में जाकर सो गया। मधु भी अपने कमरे में जाकर सो गई। और मंगली भी।
इधर सुबह होते ही सभी लोग उठ गए।
सबसे पहले मंगली उठी वह साफ सफाई करने लगी।
इधर भुवन और उसके दोस्त भी उठ गए।
भुवन _अरे राजेश कहा है, कही दिख नही रहा।
बंशी _अरे बेटा राजेश को नींद नही आ रही थी तो तुम्हारी काकी के कमरे में सोने को बोल दिया था। वह कमरे में सो रहा होगा।
भुवन _चलो भई तालाब की ओर चलते है फ्रेस होने।
काका _राजेश को भी उठा देता हूं ।
मंगली _बबुआ का नींद रात में काफी लेट से लगा है, मधु के बापू उसे सोने दो।
सभी मेहमान तालाब की ओर चले गए।
सुबह के आठ बजे ,,
घर का काम निपटाने के बाद,,,
मंगली, मधु के कमरे में गई।
अरे बेटी और कितनी देर तक सोएगी। सुबह के आठ बज गए है।
मधु _क्या? मेहमान लोग चले गए क्या?
मंगली _वे सभी तालाब की ओर गए है। राजेश कमरे में सोया huwa है।
मैं उसे उठाने जा रही तू भी उठ जा।
मधु उठने को हुई, दर्द से आह,,,
मंगली _क्या huwa बेटी।
मधु _मां boor सूज गई है दर्द कर रहा है।
मंगली _बेटी, कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। मेरी भी boor सूज गई है।
बुरी तरह ठोका है बदमाश ने।
मंगली हस्ते हुवे कमरे से बाहर आई,,,
अपने कमरे में गई,,,
उसने देखा राजेश अभी भी खाट में गहरी नींद में सोया था। मूत भर जाने के कारण उसका लंद अभी भी खड़ा था।
मंगली _राजेश के खाट में बैठ गई,,,
अरे बेटा और कितने देर तक सोएगा।
राजेश का नींद खुला।
राजेश _अरे काकी सब उठ गए क्या?
मंगली _सब उठ कर तालाब की ओर चले गए हैं।
राजेश _ओह, मेरे बारे में पूछे होंगे।
मंगली _हां, मैने कहा की तू रात में काफी लेट से सोया है, उसे सोने दो।
चलो तुम भी उठो और पीछे जाकर फ्रेश हो जाओ मैं चाय बनाकर लाती हूं।
तभी मधु भी कमरे में आ गई।
वह अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पिला रही थी।
राजेश _मधु थोड़ा मुझे भी पिलाओ।
काकी _बबुआ, रात भर निचोड़ा है फिर भी मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
काकी _पिला दे बेटी, इसे भी।
राजेश खाट में बैठ गया।
और मधु को अपने गोद में बिठा लिया।
मधु एक चूची को अपने बच्चे को पिला रही थी राजेश दूसरा चूची, मुंह में भर कर पीने लगा।
तभी लोगो की आने की आवाज आई।
काकी _बबुआ लगता है मेहमान लोग आ रहे है, अब जाओ तुम भी फ्रेश होकर आ जाओ। मैं चाय बनाती हूं।
राजेश _ठीक है काकी।
Super excellent work ek or maa beti ki Jodi chud gayi Rajesh se waiting for next
 

rajesh bhagat

Active Member
1,137
6,339
144
दोपहर तक सभी मेहमान, बिदा लेकर अपने अपने घर चले गए। घर के सभी लोग घर के बरामदे में ही बैठे थे।
भुवन _अच्छा मां, मैं खेत जा रहा हूं। कल कोई खेत गए नही थे, जानवर कही खेत में नुकसान न पहुंचा दिया हो।
शेखर _अरे भुवन रुको मैं भी चलता हूं, काफी दिन हो गए खेत को देखे।
केशव _ये तो बड़ी अच्छी बाट है। चलो खेत की ओर टहल कर आते हैं।
भुवन _राजेश कहा है दिख नही रहा है।
सुनीता _वो तो कमरे में लेटा हुआ है।
भुवन _अच्छा उसे आराम करने दो, चलो चाचाजी हम लोग, खेत चलते है।
भुवन, केशव और शेखर तीनो खेत के लिए निकल पड़े।
पदमा _स्वीटी और आरती नही दिख रही है।
पूनम _वो तो मधु और आरती भी अपने कमरे में आराम कर रही है।
पदमा _सुनीता, तुम भी थक गई होगी, मेहमान नवाजी में, तुम भी कुछ देर आराम कार लो। मैं भी अपने कमरे में जा रही आराम करने।
पदमा अपने कमरे में आराम करने चली गई।
पूनम कीचन में कुछ काम था, वह कीचन का काम निपटाने चली गई।
सुनीता भी अपने कमरे में आई ।
राजेश पहले से ही लेटा हुआ था।
सुनीता _अरे बेटा सो गया है क्या मुझे भी थोड़ा आराम करने है, उठो।
राजेश _अरे मां मुझे नींद आ रही है सोने दो।
सुनीता _मुझे भी थोड़ा आराम करने है तुम कही और चले जाओ।
राजेश _अरे मां कोई भी कमरा खाली नहीं है कहा जाऊं। तुम भी बाजू में सो जाओ।
सुनीता _बदमाश, तेरा कोई भरोसा नहीं, कही गंदी हरकत करने लगा तो, किसी ने पकड़ लिया तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
चल जा यहां से।
राजेश बेमन से उठा?
क्या मां आप भी न, थोड़ा देर सोने देती तो क्या बिगड़ जाता।
सुनीता _न न तुम्हारा कोई भरोसा नहीं, पता नही क्या करने लगो।
राजेश ने सुनीता को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया।
सुनीता _अरे गंदा लड़का छोड़ मुझे। कोई आ गया तो।
राजेश_अरे मां तुम कल चली जावोगी। मुझे थोड़ा आज प्यार तो कर लेने दे।
राजेश, सुनीता की गर्दन चूमता huwa उसकी स्तन को मसलने लगा।
सुनीता _अरे बेटा, कोई आ जाएगा समझा कर, तू यही चाहता है क्याकि तुम्हारी मां किसी से नजरे न मिला सके, तो ठीक है करके अपनी मनमर्जी।
राजेश, सुनीता को छोड़ दिया। सुनीता गोद से उठ गई।
राजेश मुंह फूला कर जाने लगा ।
सुनीता, मुस्कुराने लगी।
राजेश, कमरे से बाहर आया। आंगन में खाट था उसे बरामदे में ले आया। उसे बरामदे में लगाकर लेट गया।
तभी वहा कीचन का काम निपटा कर पूनम आई।
पूनम _अरे देवर जी तुम तो कमरे के अंदर सो रहे थे। बाहर खाट लगा कर क्यू सोने लगे। चाची ने भगा दिया क्या?
पूनम हसने लगी,,,
राजेश _तो, तुम हस क्यू रही हो,,,

राजेश को गुस्सा आया, उसने पुनम की हाथ खीच कर, खाट में गिरा दिया और जकड़ लिया।
पूनम _देवर जी ये क्या कर हो, छोड़ो मुझे, किसी ने देख लिया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चलो अपनी दूदू पिलाओ काफी दिन हो गए हैं तुम्हारे दूदू पिए।
पूनम _पागल हो गए हो क्या? घर में इतने लॉग है और,,,
मुझे बदनाम करना चाहते हो क्या?
कल पी लेना जब घर में कोई नहीं होगा। अभी छोड़ो कोई भी आ सकता है।
तभी ज्योति कमरे से निकली। उसे प्यास लगी थी, तो पानी पीने,,
ज्योति _पूनम,,, उसने गुस्से से आवाज दी।
पूनम हड़बड़ाते हुए खाट से उठी।
ज्योति _घर में इतने लोग है और गंदी हरकत,,,
पूनम _माफ करना दीदी, देवर जी को ही समझाओ, जबरदस्ती पकड़ रखा था।
ज्योति _तू भी कम नहीं है,,
पूनम, अपने कमरे चली गई।
ज्योति _ये क्या राजेश, घर में इतने लोग है और कुछ मान मर्यादा का तो ख्याल रखो। कही चाची को पता चल गया तो यहां की औरतों को तुमने अपना रखैल बना रखा है।
राजेश _माफ करना दीदी।
राजेश करवट लेके सो गया।
ज्योति कीचन में जाकर, पानी पी और अपने कमरे में गई। एक तकिया और चादर ले आई।
ज्योति _राजेश ये खाट पे ऐसा ही सो गया है। उठो मैं चादर बिछा देती हूं।
राजेश, खाट से उठ गया।
ज्योति ने चादर बिछा कर तकिया लगा दिया।
ज्योति _लो अब सो जाओ।
राजेश बिना कुछ बोले खाट पे करवट लेकर लेट गया।
ज्योति को लगा कि राजेश उससे नाराज हो गया है।
वह खाट मैं बैठी,,
ज्योति _नाराज हो गए क्या अपनी दीदी से।
राजेश _नही तो,

ज्योति _तो मुंह क्यू फूला लिया है?
देखो बात को समझा करो, चाची को ये सब पता चला न तो वो क्या समझेगी? वह तुम्हे गांव में रहने नही देगी, अपने साथ शहर ले जायेगी।
राजेश _सॉरी _दीदी।
आप ठीक कह रही है मुझे अपनी जज्बातों पर काबू रखना चाहिए।
ज्योति _ज्योति उसकी बालो को सहलाते हुए,,,
चल अब सो जा, और अभी ऐसा कोई हरकत ना करना जिससे घर में तमाशा हो जाए।
राजेश _जी दी।


ज्योति वहा से चली गई। करीब एक घंटे के बाद राजेश को सविता का फोन आया।
सविता _अरे राजेश तू तुम कहा हो।
राजेश _घर में ही हूं चाची।
सविता _सुनीता दीदी को फोन देना मुझे कुछ काम था।
राजेश _ठीक है चाची।
राजेश कमरे में गया, मां,,
सुनीता _क्या huwa बेटा?
राजेश _चाची का फोन है, वो आपसे बात करना चाहती हैं।
सुनीता _हां बोलो सविता।
सविता _दीदी, सुना है की आप लोग कल घर जा रही है।
सुनीता _हा सविता ।
सविता _दीदी कितने दिनों बाद गांव आई हो और इतनी जल्दी जा भी रही, मेरे घर तो आई ही नहीं।
सुनीता _अब क्या बताऊं सविता, बैंक वालो को छुट्टी के लिए बड़ी दिक्कत होती है, बड़ी मुश्किल से तीन दिनों की छुट्टी मिली थी।
सबिता _अगर ऐसी बात है तो आज रात का भोजन सबको यही करना है, मैं कुछ नहीं जानती।
सुनीता _ठीक है सविता हम लोग शाम को तुम्हारे घर आ रहे है।
सबिता _सुनिता दीदी, मन मुटाव के कारण पदमा दीदी अभी तक मेरे घर नही आई है उसे जरूर लेके आना।
सुनीता _हा तू चिंता मत कर सभी लोग आयेंगे।
सविता _ठीक है दीदी, मैं इंतजार कर रही हूं आप सभी का। मैं फोन रखती हूं।
सुनीता _ठीक है सविता।
राजेश _क्या बात है मां? चाची क्यू फोन लगाई थी।
सुनीता _अरे बेटा, तुम्हारी चाची सबको अपना घर बुलाई है। आज रात का भोजन वही करने बोल रही है।
बेटा जाओ अपनी ताई को उठा दो,,, बोलना सविता के घर जाना है सबको,,
राजेश _ठीक है मां,,
राजेश, पदमा के कमरे की दरवाजा खटखटाया,,
पदमा _, अरे कौन है?
राजेश _अरे ताई मैं हूं, राजेश।
पदमा, बाहर आई।
पदमा _क्या huwa,कुछ काम था क्या?
राजेश _हूं,,
पदमा _बोलो क्या काम था!
अंदर चलो फिर बताता हूं।
राजेश कमरे के अंदर गया और पलंग पे लेट गया।
पदमा _पलंग किनारे बैठ गया और बोली
क्या काम था बोलो?
राजेश _सविता चाची का फोन था। मां पापा कल घर चलेजाएंगे न तो, सबको अपने घर बुला रहे है।
मां ने आपको बता ने और तैयार होने के लिए कहा है।
पदमा _ओह ठीक है अपनी मां से कहना मैं तैयार होकर आती हूं। बच्चो को भी बोल दे तैयार होने।
राजेश को शरारत सूझी।
अच्छा कौन सी साड़ी पहन कर जावोगी। मुझे दिखाओ।
पदमा _अच्छा तुम ही बता दो कौन सी साड़ी पहनू।
पदमा ने अपने आलमारी से कुछ साड़ी निकाल कर दिखाने लगी।
राजेश ने उसमे से एक पसंद किया।
पदमा _ये ठीक है।
राजेश _चलो इसे पहन कर दिखाओ।
पदमा _क्या मैं तुम्हारे सामने ही कपड़े बदलू।
राजेश _तो क्या huwa?
आप तो ऐसे चौंक रही है जैसे बिना कपड़ो के आपको देखा ही नहीं है।
पदमा शर्म से पानी पानी हो गई,,
पदमा _धत बदमाश।
राजेश _चलो अपनी साड़ी उतारो,,
पदमा _कोई आ गया तो,,
राजेश _सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे हैं। अभी कोई नही आयेगी।
राजेश _अच्छा ठीक है आप नही उतार रही तो मैं आपकी मदद कर देता हूं।
राजेश ने पदमा की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया।
पदमा _बेटा, तू बाहर जा न, मत कर, कोई आ जाएगा।
राजेश ने साड़ी को खींचा, पदमा गोल गोल घूमने लगी। पूरा साड़ी राजेश के हाथो में आ गया।
राजेश _आओ ब्लाउज को भी निकाल देता हूं।
पदमा _अरे बेटा अब जाओ न समझा करो कोई आ जायेगा।
राजेश पदमा के पास गया और पदमा को अपनी बाहों में जकड़ लिए उसकी ओंठ चूसने लगा।
पदमा के हाथ पैर कपकपने लगे।
उसके बाद
राजेश ने ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी स्तन नंगे हो गए।
उसकी बड़ी बड़ी सुडौल मस्त चूचियों को देखकर राजेश का लंद तन गया।
राजेश चुचियों को हाथ से पकड़ कर मसलते हुवे ओंठ चूसने लगा।
एक हाथ नीचे ले जाकर boor सहलाने लगा।
पदमा की हालत खराब हो गई। उसकी boor पानी छोड़ने लगा।
अब राजेश उसकी चूची को बारी बारी मुंह में भर कर चूसने लगा।
पदमा _अरे बेटा अभी मत कर, कोई आ जाएगा समझा कर, रात में कर लेना।
राजेश _सच में आज रात में देगी। कोई बहाना तो नही करेगी।
पदमा _न,कोई बहाना नही करूंगी। ले लेना, अभी छोड़।
राजेश _अच्छा ठीक है, मेरा थोड़ा सा चूस दे।
खड़ा हो गया है।
राजेश ने अपना लोवर नीचे पैंट का चैन खीच दिया चड्डी से लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश का मोटा लंद मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश प्यार से उसकी बाल सहलाने लगा।
राजेश को मजा आने लगा,,
कुछ देर चूसने के बाद,,,
पदमा _अब जाओ,,, रात में कर लेना जो भी करना है।
राजेश _अच्छा ठीक है। जाता हूं। एक किस तो दे दो, जानेमन ।
पदमा शर्मा गई। राजेश ने पदमा की गालों को चूम लिया, और वहा से चला गया।
वह अपने मां के कमरे में गया।
सुनीता भी कपड़े बदल रही थी।
राजेश _मां ये कोई दूसरी साड़ी पहनो न, ये उतनी अच्छी नहीं है।
सुनीता_अच्छा कौन सी साड़ी पहनू तुम ही बताओ।
राजेश ने सूटकेस से साड़ी छांट कर निकाल कर दी, इसे पहनो।
सुनीता _अच्छा अब जाओ, मुझे साड़ी पहनना है।
राजेश ने सुनीता को पीछे से बाहों में भर लिया।
अपना खड़ा लंद उसकी गाड़ में धसा दिया।
सुनीता _हे भगवान तेरा तो खड़ा है re
राजेश _तो ठंडा करदो न। एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुवे कहा। एक हाथ से boor मसलने लगा।

सुनीता _ उई मां, नही न, कोई आ जायेगा, तुम जाओ यहां से। सुनीता के हाथ पैर कपकपाने लगी। उसकी boor में पानी भरने लगा।
राजेश _मां, करने दो न।
सुनीता _नई न समझा कर कोई आ जायेगा।
राजेश _अच्छा ठीक है, थोड़ा चूस दो फिर चला जाऊंगा।
राजेश _ने अपना पैंट का चैन खीच दिया। चड्डी खिसका कर लंद बाहर निकाल। जो हवा में झटके मार रहा था।
सुनीता ने लंद को सहलाया फिर नीचे बैठ गई और लंद को मुंह में भर कर चूसने लगीं।
राजेश को बहुत मजा आने लगा।
वह सुनीता की बालो को प्यार से सहलाने लगी।
कुछ देर बाद सुनीता ने चूसना बंद कर दिया।
सुनीता _चल अब जा।
राजेश _न, पहले बोलो, रात में देगी न, बोलो।
सुनीता _कोशिश करुंगी, अगर हो सके तो।
राजेश _ठीक है।
राजेश _जाओ स्वीटी और आरती को भी कह दो, अपने चाची के यहां जाने के लिए तैयार होने।
राजेश आरती के कमरे में गया।
ज्योति ने दरवाजा खोला।
ज्योति _राजेश तुम, कुछ काम था।
राजेश _दीदी, आरती और स्वीटी को तैयार होने के लिए बोली है मां ने, सविता चाची के यहां जाना है।
ज्योति _ठीक है उन दोनो को उठा देती हूं।
ज्योति ने दोनो को उठाया वे भी तैयार होने लगी।

इधर पदमा तैयार होकर आई,
राजेश _अरे ताई बड़ी सुंदर लग रही हो इस साड़ी में, आंख मारते हुवे कहा
पदमा शर्मा गई।
वह,
पुनम को आवाज दी।
पूनम कमरे से बाहर आई।
पूनम _मां जी तुमने मुझे आवाज दी।
पदमा _अरे बहु हम लोग सविता के घर जा रहे है तुम ज्योति और घर का ख्याल रखना।
पूनम _मां जी मेरी भी बड़ी इच्छा थी।
चाची के यहां जाने की। मुझे भी जाना है।
अरे बहु तू भी चली गई तो, ज्योति अकेली हो जायेगी।
राजेश _अरे ताई, भाभी का मन है तो उसे भी जाने दो। मैं रह जाता हूं, घर में। मैं तो चाची के घर आता जाता रहता हूं।
पदमा _अच्छा ठीक है, जाओ बहु तू भी जल्दी तैयार हो जा।
पूनम खुश हो गई वह भी तैयार होने लगी।
सभी लोग तैयार होकर अपने अपने कमरे से निकले।
सुनीता _4बज गए है चलो, बेचारी राह देख रही होगी।
राजेश तुम भुवन को फोन लगाकर बता दो की हम सब सविता के घर जा रहे है। तुम्हारे पापा और ताऊ जी को भी वही भेजना, और उसे भी वही भोजन करने के लिए कह देना।
राजेश _ठीक है मां।
आरती के साथ ज्योति की लड़की, मुन्नी भी चली गई। अब घर में ज्योति राजेश और उसकी छोटा बच्चा ही रह गया।

राजेश बरामदे में लगा टीवी चालू कर न्यूज देखने लगा।
ज्योति राजेश के पास आई।
ज्योति _राजेश, तुम्हारे लिए चाय बना दू।
राजेश _ठीक है दीदी।
ज्योति ने दोनो के लिए चाय बना लाई।
राजेश खाट में बैठा था। ज्योति भी वही पर कुर्सी लगाकर बैठ गई।
दोनो चाय पीने लगे।
राजेश _अरे दीदी चाय तो बहुत अच्छी बनी है। पहली बात आपके हाथो का बना चाय पी रहा हूं।
ज्योति _हा, पूनम रहती है तो घर का काम मुझे करने ही नही देती।
राजेश _चलो अच्छा huws जो मैं यहां रह गया आपके हाथो का बना चाय, जो पीने को मिला।
ज्योति _तुम कहो तो तुम्हारे लिए कुछ खाने को बना दू।
राजेश _दीदी, एक घंटे बाद प्याज पकोड़े बना देना मेरे लिए।
ज्योति _ठीक है, मैं पकोड़े के लिए बेसन का घोल तैयार करके राख देती हूं।
उधर सविता, बड़ी खुश थी।
वह मेहमानों के लिए चाय नाश्ता की तैयारी करने लगी।
सुनीता _अरे सविता घर तो बहुत अच्छा बनाया है तुम लोगो ने। शहरो की तरह।
सविता _शुक्रिया दीदी।
सुनीता _ये फोटो तुम्हारी लड़कियों की है न।
, बड़ी प्यारी है। सविता _हा दीदी, ये मेरी लड़कियों की फोटो है।मेरी लडकिया घर में होती तो आप लोगो से मिलकर बड़ी खुश हो जाती।
सविता, मेहमानों के लिए चाय नाश्ता बनाती है।
इधर ज्योति भी राजेश के लिए पकोड़े तलने लगती हैं।
पकोड़े तल कर, चाय बनाती है और ले आती है।
राजेश पकोड़े खाने लगता है।
राजेश _दीदी वाह सच में पकोड़े बड़ा स्वादिष्ट बना है। तुम नही खा रही हो।
ज्योति _नही, डॉक्टर ने 2माह तक तले भुने चीजे खाने से मना किया है।
राजेश _ओह।
राजेश ने पकोड़े खा कर चाय पी लिया।
ज्योति _अच्छा राजेश मैं थोड़ा बर्तन धो रही थोड़ा कीचन का काम निपटा रही तुम मुन्ने की तरफ ध्यान रखना।
राजेश _ठीक है दीदी।
ज्योति _बर्तन धोने चली गई।
कुछ देर बाद मुन्ने की रोने की आवाज आने लगी।
राजेश कमरे में गया और मुन्ने को चुप कराने की कोशिश करने लगा। मुन्ना बहुत छोटा था इसलिए वह उसे गोद में उठा ने से डर लगा। कही गड़बड़ न हो जाए।
वह कीचन में जाकर ज्योति को बताया मुन्ना रो रहा है।
ज्योति _मैं अभी आती हू।
राजेश मुन्ने को फिर चुप कराने की कोशिश करने लगा।
आले आहे लगता है मुन्ने को भूख लगी है, मम्मी अभी आयेगी मुन्ने को दूदू पिलाएगी। उसे प्यार से पुचकारने लगा। ज्योति कमरे में आई और राजेश को बच्चो जैसी हरकत करता देख हसनी लगी।
ज्योति _अरे तू तो बच्चो जैसी हरकत करने लगा है।
राजेश _दीदी बच्चे को खुश करने के लिए बच्चा बनना पढ़ता है न।
लगता है मुन्ने को भूख लगी है।
ज्योति को देखते ही मुन्ना फिर रोने लगा।
ज्योति मुन्ने को गोद में लेकर खाट में बैठ गई।
अ ले अ ले मुन्ने को भूख लगी है।
ज्योति ने अपना पल्लू हटाया और ब्लाउज का बटन खोल दिया एक चूची मुन्ने के मुंह में डाल दिया।
मुन्ना चूची पीने लग गया।
राजेश ने जब ज्योति के दूध से भरी भारी स्तन को देखा।
राजेश _दीदी आपके दूदू तो पहले से और बड़े बड़े हो गए है।
ज्योति हसने लगी,,,
ज्योति _हूं, इसमें दूध भरे है न, इसलिए।
राजेश_दीदी इसमें तो खूब दूध निकलता होगा।
ज्योति _हा re, इसमें इतना दूध बन रहा है की, दर्द करने लगता है।
राजेश _अरे दीदी मुन्ना दूध नही पीता क्या?
ज्योति _मुन्ना अभी छोटा है न ज्यादा दूध नही पी पाता।
राजेश _फिर क्या करती हो।
ज्योति _स्तन जब भारी हो कर दर्द करने लगता है तो उसे हाथो से निकलना पड़ता है।
राजेश_ओह, फिर क्या करती हो दूध का।
ज्योति _अब क्या कर सकती हु, दूध को निकाल कर घर में जो बछड़ा है न उसे दे देती हूं।
राजेश _ओह, दीदी मुझे क्यू नही दे देती, मैं पी लूंगा।
ज्योति हसने लगी,,,
ज्योति _अच्छा तू पिएगा।
राजेश _औरत का दूध, बड़ा पौष्टिक होता है। सुना है इसे पीने से पुरषों को बहुत ताकत मिलती है और उसका पुरुषत्व भी बढ़ता है।
ज्योति _तू पीना चाहता है तो बछड़े को न पिलाकर मैं तुम्हे पीने दे दूंगी।
तभी मुन्ना कुछ देर दूध पीने के बाद पीना बंद कर दिया।
ज्योति _लो मुन्ने का पेट भर गया।
स्तन काफी भारी हो गया है दूध निकालना पड़ेगा नही तो दर्द करने लगेगा।
ज्योति _तू पिएगा दूध।
राजेश _हा दीदी!
ज्योति _ठीक है, जा कीचन से जाकर गिलास ले आ मैं निकाल देती हूं फिर तुम पी लेना।
राजेश _अरे दीदी, अभी तो घर में कोई नहीं है, मुंह से ही पिला दो न।
ज्योति _कोई आ गया तो,,
राजेश _दीदी सभी रात में सविता चाची के घर से भोजन करके ही लौटेंगे।
ज्योति _फिर भी कोई आ गया तो, एक काम करो बाहर का दरवाजा बंद कर दो,,
राजेश _ठीक है दीदी मैं अभी आया।
राजेश दरवाजा बंद करने चला गया और ज्योति मुन्ने को खाट पे सुला दी।
राजेश दरवाजा बंद कर कमरे में आया।
ज्योति आरती के पलंग में बैठ राजेश का वेट कर रही थी।
राजेश ज्योति के बगल में बैठ गया।
राजेश ज्योति के गोद में सर रख के लेट गया।
ज्योति ने अपनी ब्लाउज का बटन खोल दी दूध से भरे बड़ी बड़ी स्तन राजेश के आंखो के सामने झूलने लगा।
राजेश का लंद टन टना गया।
राजेश ने एक स्तन हाथ से पकड़ा और उसकी निप्पल मुंह में भर लिया और मसल मसल कर चूसने लगा।
दूध की फौवारा निकल कर राजेश के मुंह में जाने लगा।
राजेश दूध को गटक गटक कर पीने लगा।
राजेश _दीदी आपके दूध तो बड़े ही स्वादिष्ट है। एकदम मीठा है।
ज्योति हसने लगी।
ज्योति _क्या तुम्हे पसन्द आया?
राजेश _हूं, बहुत।
राजेश ने बारी बारी से मसल मसल कर निचोड़ निचोड़ कर पीने लगा।
इधर राजेश का लंद खड़ा होकर दर्द करने लगा।
राजेश ने दूध को चूस चूस कर खाली कर दिया।
ज्योति _तुम तो बिल्कुल बच्चो की तरह पी रहा है re, कही तुम पुनम का दूध तो नहीं पीता।
राजेश _कभी कभी देती है तो पी लेता हूं।
ज्योति _तभी तो कहूं, एकदम अनुभवी की तरह कैसे पी रहे हो ।
मेरा पूरा दूध ही निचोड़ डाला। अब हल्का लग रहा है स्तन।
अब बस करो।
राजेश _दीदी थोड़ा और पीने दो न बड़ा मज़ा आ रहा है।
ज्योति _इतना पीने के बाद भी जी नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
राजेश, दोनो चुचियों को पी कम और उससे खेल ज्यादा रहा था। उसका लंद तो पहले से ही लंबा मोटा होकर दर्द कर रहा था। इधर दूध मसलने से ज्योति भी गर्म हो गई।
ज्योति _राजेश अब बस करो, दूध अब हल्की लग रही है। जब भारी हो जायेगा तो फिर पी लेना।
राजेश _दीदी आपका तकलीफ तो दूर हो गया, मेरा बड़ गया।
ज्योति _कैसी तकलीफ।
राजेश _पैंट के अंदर दर्द करने लगा है।
ज्योति _क्यू क्या हो गया?
राजेश _खुद ही देख लो।
राजेश ने अपना पैंट का चैन खीच दिया और लंद को चड्डी से बाहर निकाल लिया।
ज्योति _बदमाश तेरा तो खड़ा हो गया है।
राजेश का लंद हवा में झटके मार रहा था।
लंद को देखकर ज्योति की boor पानी छोड़ने लगा।
राजेश _दीदी मेरी तकलीफ तो दूर करो।
ज्योति ने राजेश का लंद पकड़ कर हिलाने लगी।
कुछ देर बाद राजेश दूध चूसना बंद कर, पलंग पर पीठ केबल लेट गया और अपना पैंट उतार दिया।
ज्योति लंद के पास बैठ गई और मुंह में लेकर चूसने लगी। उसके अंडकोष को चाटने लगी।
राजेश ज्योति का बाल सहलाने लगा।
कुछ देर लंद चूसने के बाद,,
ज्योति _तेरा तो आसानी से झड़ता नही है re कब तक चूसती रहूंगी।
चोदेगा क्या?
राजेश _दीदी शुभ काम में देरी क्यू,
ज्योति _पर मेरी chut अभी बच्चे जनने के बाद ढीली हो गई है, अभी ठीक होने में थोड़ा समय और लगेगा। तुम्हे मजा आयेगा की नही,,
राजेश _अरे दीदी, तुम्हारी इच्छा हो रही है क्या डलवाने की तो कर लो।
ज्योति _मन तो कर रहा है।
राजेश _फिर कर लो न अगर तुम्हे दिक्कत न हो तो।
ज्योति _, वैसे तो डॉक्टर लोग महीने दिन तक चुदने से मना करती हैं, पर तेरे दूध पीने और लंद देखकर बड़ी इच्छा हो रही है।
राजेश _तो कर लो न अपनी इच्छा पूरी।
ज्योति _पर तुम ज्यादा तेज मत चोदना।
राजेश _ठीक है।
ज्योति _बेड पर चढ़ गई और अपनी चड्डी उतार कर राजेश का लंद पकड़ी और अपनी boor पर रख कर बैठ गई।
लंद boor में आसानी से समा गया।
ज्योति _धीरे धीरे उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ज्योति के कूल्हे को थाम लिया था।
ज्योति _धीरे धीरे उछल रही थी।
लंद फैच फुच की आवाज करता huwa अंदर बाहर हो रहा था।
दोनो को बहुत मजा आ रहा था।
ज्योति लंद पर तब तक उछलती रही जब तक वह झड़ नही गई।
आह माई,, आह,, करते हुए राजेश के ऊपर लेट गई।
राजेश अपनी बाहों मे जकड़ लिया।
कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने ज्योति को करवट लेकर लिटा दिया और उसकी टांगे उठा कर लन्ड को बर में पेल दिया।
हल्के हल्के धक्के मारने लगा, लन्ड boor में अंदर बाहर होने लगा।
एक बार फिर से दोनो को मजा आने लगा।
कुछ देर तक इसी आसन में चोदने के बाद, राजेश ने ज्योति को घोड़ी बना दिया और पीछे से लन्ड boor में पेल दिया,,
राजेश ज्योति की कमर पकड़ कर लंद अंदर बाहर करने लगा।
कमरे में ज्योति की सिसकारी और चूड़ियों की खनक गूंजने लगा,, आह उन आई मां आह,,, खन खन खन खन,,,, दोनो को बहुत मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद ज्योति फिर से झड़ गई।
ज्योति थक गई,,,
ज्योति _राजेश बस करो अब मैं थक गई,,,
राजेश ने अपना लन्ड ज्योति की boor से बाहर निकाल दिया।
उसका लंद ज्योती की boor का पानी पीकर और मोटा लंबा हो गया था।
राजेश का मन अभी और चोदने का था पर ज्योति की स्थिति को देखकर उसने अपने मन में काबू रखना ही उचित समझा।
ज्योति जब नार्मल हुई उसने देखा राजेश का अभी भी खड़ा है।
ज्योति _राजेश, आज रात तुम पूनम को चोद लेना मैं उसे खुद ही बोल दूंगी तुमसे चुदने।
राजेश _ठीक है दीदी।
 
Last edited:

Sushil@10

Active Member
1,677
1,889
143
दोपहर तक सभी मेहमान, बिदा लेकर अपने अपने घर चले गए। घर के सभी लोग घर के बरामदे में ही बैठे थे।
भुवन _अच्छा मां, मैं खेत जा रहा हूं। कल कोई खेत गए नही थे, जानवर कही खेत में नुकसान न पहुंचा दिया हो।
शेखर _अरे भुवन रुको मैं भी चलता हूं, काफी दिन हो गए खेत को देखे।
केशव _ये तो बड़ी अच्छी बाट है। चलो खेत की ओर टहल कर आते हैं।
भुवन _राजेश कहा है दिख नही रहा है।
सुनीता _वो तो कमरे में लेटा हुआ है।
भुवन _अच्छा उसे आराम करने दो, चलो चाचाजी हम लोग, खेत चलते है।
भुवन, केशव और शेखर तीनो खेत के लिए निकल पड़े।
पदमा _स्वीटी और आरती नही दिख रही है।
पूनम _वो तो मधु और आरती भी अपने कमरे में आराम कर रही है।
पदमा _सुनीता, तुम भी थक गई होगी, मेहमान नवाजी में, तुम भी कुछ देर आराम कार लो। मैं भी अपने कमरे में जा रही आराम करने।
पदमा अपने कमरे में आराम करने चली गई।
पूनम कीचन में कुछ काम था, वह कीचन का काम निपटाने चली गई।
सुनीता भी अपने कमरे में आई ।
राजेश पहले से ही लेटा हुआ था।
सुनीता _अरे बेटा सो गया है क्या मुझे भी थोड़ा आराम करने है, उठो।
राजेश _अरे मां मुझे नींद आ रही है सोने दो।
सुनीता _मुझे भी थोड़ा आराम करने है तुम कही और चले जाओ।
राजेश _अरे मां कोई भी कमरा खाली नहीं है कहा जाऊं। तुम भी बाजू में सो जाओ।
सुनीता _बदमाश, तेरा कोई भरोसा नहीं, कही गंदी हरकत करने लगा तो, किसी ने पकड़ लिया तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
चल जा यहां से।
राजेश बेमन से उठा?
क्या मां आप भी न, थोड़ा देर सोने देती तो क्या बिगड़ जाता।
सुनीता _न न तुम्हारा कोई भरोसा नहीं, पता नही क्या करने लगो।
राजेश ने सुनीता को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया।
सुनीता _अरे गंदा लड़का छोड़ मुझे। कोई आ गया तो।
राजेश_अरे मां तुम कल चली जावोगी। मुझे थोड़ा आज प्यार तो कर लेने दे।
राजेश, सुनीता की गर्दन चूमता huwa उसकी स्तन को मसलने लगा।
सुनीता _अरे बेटा, कोई आ जाएगा समझा कर, तू यही चाहता है क्याकि तुम्हारी मां किसी से नजरे न मिला सके, तो ठीक है करके अपनी मनमर्जी।
राजेश, सुनीता को छोड़ दिया। सुनीता गोद से उठ गई।
राजेश मुंह फूला कर जाने लगा ।
सुनीता, मुस्कुराने लगी।
राजेश, कमरे से बाहर आया। आंगन में खाट था उसे बरामदे में ले आया। उसे बरामदे में लगाकर लेट गया।
तभी वहा कीचन का काम निपटा कर पूनम आई।
पूनम _अरे देवर जी तुम तो कमरे के अंदर सो रहे थे। बाहर खाट लगा कर क्यू सोने लगे। चाची ने भगा दिया क्या?
पूनम हसने लगी,,,
राजेश _तो, तुम हस क्यू रही हो,,,

राजेश को गुस्सा आया, उसने पुनम की हाथ खीच कर, खाट में गिरा दिया और जकड़ लिया।
पूनम _देवर जी ये क्या कर हो, छोड़ो मुझे, किसी ने देख लिया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चलो अपनी दूदू पिलाओ काफी दिन हो गए हैं तुम्हारे दूदू पिए।
पूनम _पागल हो गए हो क्या? घर में इतने लॉग है और,,,
मुझे बदनाम करना चाहते हो क्या?
कल पी लेना जब घर में कोई नहीं होगा। अभी छोड़ो कोई भी आ सकता है।
तभी ज्योति कमरे से निकली। उसे प्यास लगी थी, तो पानी पीने,,
ज्योति _पूनम,,, उसने गुस्से से आवाज दी।
पूनम हड़बड़ाते हुए खाट से उठी।
ज्योति _घर में इतने लोग है और गंदी हरकत,,,
पूनम _माफ करना दीदी, देवर जी को ही समझाओ, जबरदस्ती पकड़ रखा था।
ज्योति _तू भी कम नहीं है,,
पूनम, अपने कमरे चली गई।
ज्योति _ये क्या राजेश, घर में इतने लोग है और कुछ मान मर्यादा का तो ख्याल रखो। कही चाची को पता चल गया तो यहां की औरतों को तुमने अपना रखैल बना रखा है।
राजेश _माफ करना दीदी।
राजेश करवट लेके सो गया।
ज्योति कीचन में जाकर, पानी पी और अपने कमरे में गई। एक तकिया और चादर ले आई।
ज्योति _राजेश ये खाट पे ऐसा ही सो गया है। उठो मैं चादर बिछा देती हूं।
राजेश, खाट से उठ गया।
ज्योति ने चादर बिछा कर तकिया लगा दिया।
ज्योति _लो अब सो जाओ।
राजेश बिना कुछ बोले खाट पे करवट लेकर लेट गया।
ज्योति को लगा कि राजेश उससे नाराज हो गया है।
वह खाट मैं बैठी,,
ज्योति _नाराज हो गए क्या अपनी दीदी से।
राजेश _नही तो,

ज्योति _तो मुंह क्यू फूला लिया है?
देखो बात को समझा करो, चाची को ये सब पता चला न तो वो क्या समझेगी? वह तुम्हे गांव में रहने नही देगी, अपने साथ शहर ले जायेगी।
राजेश _सॉरी _दीदी।
आप ठीक कह रही है मुझे अपनी जज्बातों पर काबू रखना चाहिए।
ज्योति _ज्योति उसकी बालो को सहलाते हुए,,,
चल अब सो जा, और अभी ऐसा कोई हरकत ना करना जिससे घर में तमाशा हो जाए।
राजेश _जी दी।


ज्योति वहा से चली गई। करीब एक घंटे के बाद राजेश को सविता का फोन आया।
सविता _अरे राजेश तू तुम कहा हो।
राजेश _घर में ही हूं चाची।
सविता _सुनीता दीदी को फोन देना मुझे कुछ काम था।
राजेश _ठीक है चाची।
राजेश कमरे में गया, मां,,
सुनीता _क्या huwa बेटा?
राजेश _चाची का फोन है, वो आपसे बात करना चाहती हैं।
सुनीता _हां बोलो सविता।
सविता _दीदी, सुना है की आप लोग कल घर जा रही है।
सुनीता _हा सविता ।
सविता _दीदी कितने दिनों बाद गांव आई हो और इतनी जल्दी जा भी रही, मेरे घर तो आई ही नहीं।
सुनीता _अब क्या बताऊं सविता, बैंक वालो को छुट्टी के लिए बड़ी दिक्कत होती है, बड़ी मुश्किल से तीन दिनों की छुट्टी मिली थी।
सबिता _अगर ऐसी बात है तो आज रात का भोजन सबको यही करना है, मैं कुछ नहीं जानती।
सुनीता _ठीक है सविता हम लोग शाम को तुम्हारे घर आ रहे है।
सबिता _सुनिता दीदी, मन मुटाव के कारण पदमा दीदी अभी तक मेरे घर नही आई है उसे जरूर लेके आना।
सुनीता _हा तू चिंता मत कर सभी लोग आयेंगे।
सविता _ठीक है दीदी, मैं इंतजार कर रही हूं आप सभी का। मैं फोन रखती हूं।
सुनीता _ठीक है सविता।
राजेश _क्या बात है मां? चाची क्यू फोन लगाई थी।
सुनीता _अरे बेटा, तुम्हारी चाची सबको अपना घर बुलाई है। आज रात का भोजन वही करने बोल रही है।
बेटा जाओ अपनी ताई को उठा दो,,, बोलना सविता के घर जाना है सबको,,
राजेश _ठीक है मां,,
राजेश, पदमा के कमरे की दरवाजा खटखटाया,,
पदमा _, अरे कौन है?
राजेश _अरे ताई मैं हूं, राजेश।
पदमा, बाहर आई।
पदमा _क्या huwa,कुछ काम था क्या?
राजेश _हूं,,
पदमा _बोलो क्या काम था!
अंदर चलो फिर बताता हूं।
राजेश कमरे के अंदर गया और पलंग पे लेट गया।
पदमा _पलंग किनारे बैठ गया और बोली
क्या काम था बोलो?
राजेश _सविता चाची का फोन था। मां पापा कल घर चलेजाएंगे न तो, सबको अपने घर बुला रहे है।
मां ने आपको बता ने और तैयार होने के लिए कहा है।
पदमा _ओह ठीक है अपनी मां से कहना मैं तैयार होकर आती हूं। बच्चो को भी बोल दे तैयार होने।
राजेश को शरारत सूझी।
अच्छा कौन सी साड़ी पहन कर जावोगी। मुझे दिखाओ।
पदमा _अच्छा तुम ही बता दो कौन सी साड़ी पहनू।
पदमा ने अपने आलमारी से कुछ साड़ी निकाल कर दिखाने लगी।
राजेश ने उसमे से एक पसंद किया।
पदमा _ये ठीक है।
राजेश _चलो इसे पहन कर दिखाओ।
पदमा _क्या मैं तुम्हारे सामने ही कपड़े बदलू।
राजेश _तो क्या huwa?
आप तो ऐसे चौंक रही है जैसे बिना कपड़ो के आपको देखा ही नहीं है।
पदमा शर्म से पानी पानी हो गई,,
पदमा _धत बदमाश।
राजेश _चलो अपनी साड़ी उतारो,,
पदमा _कोई आ गया तो,,
राजेश _सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे हैं। अभी कोई नही आयेगी।
राजेश _अच्छा ठीक है आप नही उतार रही तो मैं आपकी मदद कर देता हूं।
राजेश ने पदमा की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया।
पदमा _बेटा, तू बाहर जा न, मत कर, कोई आ जाएगा।
राजेश ने साड़ी को खींचा, पदमा गोल गोल घूमने लगी। पूरा साड़ी राजेश के हाथो में आ गया।
राजेश _आओ ब्लाउज को भी निकाल देता हूं।
पदमा _अरे बेटा अब जाओ न समझा करो कोई आ जायेगा।
राजेश पदमा के पास गया और पदमा को अपनी बाहों में जकड़ लिए उसकी ओंठ चूसने लगा।
पदमा के हाथ पैर कपकपने लगे।
उसके बाद
राजेश ने ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी स्तन नंगे हो गए।
उसकी बड़ी बड़ी सुडौल मस्त चूचियों को देखकर राजेश का लंद तन गया।
राजेश चुचियों को हाथ से पकड़ कर मसलते हुवे ओंठ चूसने लगा।
एक हाथ नीचे ले जाकर boor सहलाने लगा।
पदमा की हालत खराब हो गई। उसकी boor पानी छोड़ने लगा।
अब राजेश उसकी चूची को बारी बारी मुंह में भर कर चूसने लगा।
पदमा _अरे बेटा अभी मत कर, कोई आ जाएगा समझा कर, रात में कर लेना।
राजेश _सच में आज रात में देगी। कोई बहाना तो नही करेगी।
पदमा _न,कोई बहाना नही करूंगी। ले लेना, अभी छोड़।
राजेश _अच्छा ठीक है, मेरा थोड़ा सा चूस दे।
खड़ा हो गया है।
राजेश ने अपना लोवर नीचे पैंट का चैन खीच दिया चड्डी से लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश का मोटा लंद मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश प्यार से उसकी बाल सहलाने लगा।
राजेश को मजा आने लगा,,
कुछ देर चूसने के बाद,,,
पदमा _अब जाओ,,, रात में कर लेना जो भी करना है।
राजेश _अच्छा ठीक है। जाता हूं। एक किस तो दे दो, जानेमन ।
पदमा शर्मा गई। राजेश ने पदमा की गालों को चूम लिया, और वहा से चला गया।
वह अपने मां के कमरे में गया।
सुनीता भी कपड़े बदल रही थी।
राजेश _मां ये कोई दूसरी साड़ी पहनो न, ये उतनी अच्छी नहीं है।
सुनीता_अच्छा कौन सी साड़ी पहनू तुम ही बताओ।
राजेश ने सूटकेस से साड़ी छांट कर निकाल कर दी, इसे पहनो।
सुनीता _अच्छा अब जाओ, मुझे साड़ी पहनना है।
राजेश ने सुनीता को पीछे से बाहों में भर लिया।
अपना खड़ा लंद उसकी गाड़ में धसा दिया।
सुनीता _हे भगवान तेरा तो खड़ा है re
राजेश _तो ठंडा करदो न। एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुवे कहा। एक हाथ से boor मसलने लगा।

सुनीता _ उई मां, नही न, कोई आ जायेगा, तुम जाओ यहां से। सुनीता के हाथ पैर कपकपाने लगी। उसकी boor में पानी भरने लगा।
राजेश _मां, करने दो न।
सुनीता _नई न समझा कर कोई आ जायेगा।
राजेश _अच्छा ठीक है, थोड़ा चूस दो फिर चला जाऊंगा।
राजेश _ने अपना पैंट का चैन खीच दिया। चड्डी खिसका कर लंद बाहर निकाल। जो हवा में झटके मार रहा था।
सुनीता ने लंद को सहलाया फिर नीचे बैठ गई और लंद को मुंह में भर कर चूसने लगीं।
राजेश को बहुत मजा आने लगा।
वह सुनीता की बालो को प्यार से सहलाने लगी।
कुछ देर बाद सुनीता ने चूसना बंद कर दिया।
सुनीता _चल अब जा।
राजेश _न, पहले बोलो, रात में देगी न, बोलो।
सुनीता _कोशिश करुंगी, अगर हो सके तो।
राजेश _ठीक है।
राजेश _जाओ स्वीटी और आरती को भी कह दो, अपने चाची के यहां जाने के लिए तैयार होने।
राजेश आरती के कमरे में गया।
ज्योति ने दरवाजा खोला।
ज्योति _राजेश तुम, कुछ काम था।
राजेश _दीदी, आरती और स्वीटी को तैयार होने के लिए बोली है मां ने, सविता चाची के यहां जाना है।
ज्योति _ठीक है उन दोनो को उठा देती हूं।
ज्योति ने दोनो को उठाया वे भी तैयार होने लगी।

इधर पदमा तैयार होकर आई,
राजेश _अरे ताई बड़ी सुंदर लग रही हो इस साड़ी में, आंख मारते हुवे कहा
पदमा शर्मा गई।
वह,
पुनम को आवाज दी।
पूनम कमरे से बाहर आई।
पूनम _मां जी तुमने मुझे आवाज दी।
पदमा _अरे बहु हम लोग सविता के घर जा रहे है तुम ज्योति और घर का ख्याल रखना।
पूनम _मां जी मेरी भी बड़ी इच्छा थी।
चाची के यहां जाने की। मुझे भी जाना है।
अरे बहु तू भी चली गई तो, ज्योति अकेली हो जायेगी।
राजेश _अरे ताई, भाभी का मन है तो उसे भी जाने दो। मैं रह जाता हूं, घर में। मैं तो चाची के घर आता जाता रहता हूं।
पदमा _अच्छा ठीक है, जाओ बहु तू भी जल्दी तैयार हो जा।
पूनम खुश हो गई वह भी तैयार होने लगी।
सभी लोग तैयार होकर अपने अपने कमरे से निकले।
सुनीता _4बज गए है चलो, बेचारी राह देख रही होगी।
राजेश तुम भुवन को फोन लगाकर बता दो की हम सब सविता के घर जा रहे है। तुम्हारे पापा और ताऊ जी को भी वही भेजना, और उसे भी वही भोजन करने के लिए कह देना।
राजेश _ठीक है मां।
आरती के साथ ज्योति की लड़की, मुन्नी भी चली गई। अब घर में ज्योति राजेश और उसकी छोटा बच्चा ही रह गया।

राजेश बरामदे में लगा टीवी चालू कर न्यूज देखने लगा।
ज्योति राजेश के पास आई।
ज्योति _राजेश, तुम्हारे लिए चाय बना दू।
राजेश _ठीक है दीदी।
ज्योति ने दोनो के लिए चाय बना लाई।
राजेश खाट में बैठा था। ज्योति भी वही पर कुर्सी लगाकर बैठ गई।
दोनो चाय पीने लगे।
राजेश _अरे दीदी चाय तो बहुत अच्छी बनी है। पहली बात आपके हाथो का बना चाय पी रहा हूं।
ज्योति _हा, पूनम रहती है तो घर का काम मुझे करने ही नही देती।
राजेश _चलो अच्छा huws जो मैं यहां रह गया आपके हाथो का बना चाय, जो पीने को मिला।
ज्योति _तुम कहो तो तुम्हारे लिए कुछ खाने को बना दू।
राजेश _दीदी, एक घंटे बाद प्याज पकोड़े बना देना मेरे लिए।
ज्योति _ठीक है, मैं पकोड़े के लिए बेसन का घोल तैयार करके राख देती हूं।
उधर सविता, बड़ी खुश थी।
वह मेहमानों के लिए चाय नाश्ता की तैयारी करने लगी।
सुनीता _अरे सविता घर तो बहुत अच्छा बनाया है तुम लोगो ने। शहरो की तरह।
सविता _शुक्रिया दीदी।
सुनीता _ये फोटो तुम्हारी लड़कियों की है न।
, बड़ी प्यारी है। सविता _हा दीदी, ये मेरी लड़कियों की फोटो है।मेरी लडकिया घर में होती तो आप लोगो से मिलकर बड़ी खुश हो जाती।
सविता, मेहमानों के लिए चाय नाश्ता बनाती है।
इधर ज्योति भी राजेश के लिए पकोड़े तलने लगती हैं।
पकोड़े तल कर, चाय बनाती है और ले आती है।
राजेश पकोड़े खाने लगता है।
राजेश _दीदी वाह सच में पकोड़े बड़ा स्वादिष्ट बना है। तुम नही खा रही हो।
ज्योति _नही, डॉक्टर ने 2माह तक तले भुने चीजे खाने से मना किया है।
राजेश _ओह।
राजेश ने पकोड़े खा कर चाय पी लिया।
ज्योति _अच्छा राजेश मैं थोड़ा बर्तन धो रही थोड़ा कीचन का काम निपटा रही तुम मुन्ने की तरफ ध्यान रखना।
राजेश _ठीक है दीदी।
ज्योति _बर्तन धोने चली गई।
कुछ देर बाद मुन्ने की रोने की आवाज आने लगी।
राजेश कमरे में गया और मुन्ने को चुप कराने की कोशिश करने लगा। मुन्ना बहुत छोटा था इसलिए वह उसे गोद में उठा ने से डर लगा। कही गड़बड़ न हो जाए।
वह कीचन में जाकर ज्योति को बताया मुन्ना रो रहा है।
ज्योति _मैं अभी आती हू।
राजेश मुन्ने को फिर चुप कराने की कोशिश करने लगा।
आले आहे लगता है मुन्ने को भूख लगी है, मम्मी अभी आयेगी मुन्ने को दूदू पिलाएगी। उसे प्यार से पुचकारने लगा। ज्योति कमरे में आई और राजेश को बच्चो जैसी हरकत करता देख हसनी लगी।
ज्योति _अरे तू तो बच्चो जैसी हरकत करने लगा है।
राजेश _दीदी बच्चे को खुश करने के लिए बच्चा बनना पढ़ता है न।
लगता है मुन्ने को भूख लगी है।
ज्योति को देखते ही मुन्ना फिर रोने लगा।
ज्योति मुन्ने को गोद में लेकर खाट में बैठ गई।
अ ले अ ले मुन्ने को भूख लगी है।
ज्योति ने अपना पल्लू हटाया और ब्लाउज का बटन खोल दिया एक चूची मुन्ने के मुंह में डाल दिया।
मुन्ना चूची पीने लग गया।
राजेश ने जब ज्योति के दूध से भरी भारी स्तन को देखा।
राजेश _दीदी आपके दूदू तो पहले से और बड़े बड़े हो गए है।
ज्योति हसने लगी,,,
ज्योति _हूं, इसमें दूध भरे है न, इसलिए।
राजेश_दीदी इसमें तो खूब दूध निकलता होगा।
ज्योति _हा re, इसमें इतना दूध बन रहा है की, दर्द करने लगता है।
राजेश _अरे दीदी मुन्ना दूध नही पीता क्या?
ज्योति _मुन्ना अभी छोटा है न ज्यादा दूध नही पी पाता।
राजेश _फिर क्या करती हो।
ज्योति _स्तन जब भारी हो कर दर्द करने लगता है तो उसे हाथो से निकलना पड़ता है।
राजेश_ओह, फिर क्या करती हो दूध का।
ज्योति _अब क्या कर सकती हु, दूध को निकाल कर घर में जो बछड़ा है न उसे दे देती हूं।
राजेश _ओह, दीदी मुझे क्यू नही दे देती, मैं पी लूंगा।
ज्योति हसने लगी,,,
ज्योति _अच्छा तू पिएगा।
राजेश _औरत का दूध, बड़ा पौष्टिक होता है। सुना है इसे पीने से पुरषों को बहुत ताकत मिलती है और उसका पुरुषत्व भी बढ़ता है।
ज्योति _तू पीना चाहता है तो बछड़े को न पिलाकर मैं तुम्हे पीने दे दूंगी।
तभी मुन्ना कुछ देर दूध पीने के बाद पीना बंद कर दिया।
ज्योति _लो मुन्ने का पेट भर गया।
स्तन काफी भारी हो गया है दूध निकालना पड़ेगा नही तो दर्द करने लगेगा।
ज्योति _तू पिएगा दूध।
राजेश _हा दीदी!
ज्योति _ठीक है, जा कीचन से जाकर गिलास ले आ मैं निकाल देती हूं फिर तुम पी लेना।
राजेश _अरे दीदी, अभी तो घर में कोई नहीं है, मुंह से ही पिला दो न।
ज्योति _कोई आ गया तो,,
राजेश _दीदी सभी रात में सविता चाची के घर से भोजन करके ही लौटेंगे।
ज्योति _फिर भी कोई आ गया तो, एक काम करो बाहर का दरवाजा बंद कर दो,,
राजेश _ठीक है दीदी मैं अभी आया।
राजेश दरवाजा बंद करने चला गया और ज्योति मुन्ने को खाट पे सुला दी।
राजेश दरवाजा बंद कर कमरे में आया।
ज्योति आरती के पलंग में बैठ राजेश का वेट कर रही थी।
राजेश ज्योति के बगल में बैठ गया।
राजेश ज्योति के गोद में सर रख के लेट गया।
ज्योति ने अपनी ब्लाउज का बटन खोल दी दूध से भरे बड़ी बड़ी स्तन राजेश के आंखो के सामने झूलने लगा।
राजेश का लंद टन टना गया।
राजेश ने एक स्तन हाथ से पकड़ा और उसकी निप्पल मुंह में भर लिया और मसल मसल कर चूसने लगा।
दूध की फौवारा निकल कर राजेश के मुंह में जाने लगा।
राजेश दूध को गटक गटक कर पीने लगा।
राजेश _दीदी आपके दूध तो बड़े ही स्वादिष्ट है। एकदम मीठा है।
ज्योति हसने लगी।
ज्योति _क्या तुम्हे पसन्द आया?
राजेश _हूं, बहुत।
राजेश ने बारी बारी से मसल मसल कर निचोड़ निचोड़ कर पीने लगा।
इधर राजेश का लंद खड़ा होकर दर्द करने लगा।
राजेश ने दूध को चूस चूस कर खाली कर दिया।
ज्योति _तुम तो बिल्कुल बच्चो की तरह पी रहा है re, कही तुम पुनम का दूध तो नहीं पीता।
राजेश _कभी कभी देती है तो पी लेता हूं।
ज्योति _तभी तो कहूं, एकदम अनुभवी की तरह कैसे पी रहे हो ।
मेरा पूरा दूध ही निचोड़ डाला। अब हल्का लग रहा है स्तन।
अब बस करो।
राजेश _दीदी थोड़ा और पीने दो न बड़ा मज़ा आ रहा है।
ज्योति _इतना पीने के बाद भी जी नही भरा है क्या?
राजेश _नही।
राजेश, दोनो चुचियों को पी कम और उससे खेल ज्यादा रहा था। उसका लंद तो पहले से ही लंबा मोटा होकर दर्द कर रहा था। इधर दूध मसलने से ज्योति भी गर्म हो गई।
ज्योति _राजेश अब बस करो, दूध अब हल्की लग रही है। जब भारी हो जायेगा तो फिर पी लेना।
राजेश _दीदी आपका तकलीफ तो दूर हो गया, मेरा बड़ गया।
ज्योति _कैसी तकलीफ।
राजेश _पैंट के अंदर दर्द करने लगा है।
ज्योति _क्यू क्या हो गया?
राजेश _खुद ही देख लो।
राजेश ने अपना पैंट का चैन खीच दिया और लंद को चड्डी से बाहर निकाल लिया।
ज्योति _बदमाश तेरा तो खड़ा हो गया है।
राजेश का लंद हवा में झटके मार रहा था।
लंद को देखकर ज्योति की boor पानी छोड़ने लगा।
राजेश _दीदी मेरी तकलीफ तो दूर करो।
ज्योति ने राजेश का लंद पकड़ कर हिलाने लगी।
कुछ देर बाद राजेश दूध चूसना बंद कर, पलंग पर पीठ केबल लेट गया और अपना पैंट उतार दिया।
ज्योति लंद के पास बैठ गई और मुंह में लेकर चूसने लगी। उसके अंडकोष को चाटने लगी।
राजेश ज्योति का बाल सहलाने लगा।
कुछ देर लंद चूसने के बाद,,
ज्योति _तेरा तो आसानी से झड़ता नही है re कब तक चूसती रहूंगी।
चोदेगा क्या?
राजेश _दीदी शुभ काम में देरी क्यू,
ज्योति _पर मेरी chut अभी बच्चे जनने के बाद ढीली हो गई है, अभी ठीक होने में थोड़ा समय और लगेगा। तुम्हे मजा आयेगा की नही,,
राजेश _अरे दीदी, तुम्हारी इच्छा हो रही है क्या डलवाने की तो कर लो।
ज्योति _मन तो कर रहा है।
राजेश _फिर कर लो न अगर तुम्हे दिक्कत न हो तो।
ज्योति _, वैसे तो डॉक्टर लोग महीने दिन तक चुदने से मना करती हैं, पर तेरे दूध पीने और लंद देखकर बड़ी इच्छा हो रही है।
राजेश _तो कर लो न अपनी इच्छा पूरी।
ज्योति _पर तुम ज्यादा तेज मत चोदना।
राजेश _ठीक है।
ज्योति _बेड पर चढ़ गई और अपनी चड्डी उतार कर राजेश का लंद पकड़ी और अपनी boor पर रख कर बैठ गई।
लंद boor में आसानी से समा गया।
ज्योति _धीरे धीरे उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ज्योति के कूल्हे को थाम लिया था।
ज्योति _धीरे धीरे उछल रही थी।
लंद फैच फुच की आवाज करता huwa अंदर बाहर हो रहा था।
दोनो को बहुत मजा आ रहा था।
ज्योति लंद पर तब तक उछलती रही जब तक वह झड़ नही गई।
आह माई,, आह,, करते हुए राजेश के ऊपर लेट गई।
राजेश अपनी बाहों मे जकड़ लिया।
कुछ देर सुस्ताने के बाद राजेश ने ज्योति को करवट लेकर लिटा दिया और उसकी टांगे उठा कर लन्ड को बर में पेल दिया।
हल्के हल्के धक्के मारने लगा, लन्ड boor में अंदर बाहर होने लगा।
एक बार फिर से दोनो को मजा आने लगा।
कुछ देर तक इसी आसन में चोदने के बाद, राजेश ने ज्योति को घोड़ी बना दिया और पीछे से लन्ड boor में पेल दिया,,
राजेश ज्योति की कमर पकड़ कर लंद अंदर बाहर करने लगा।
कमरे में ज्योति की सिसकारी और चूड़ियों की खनक गूंजने लगा,, आह उन आई मां आह,,, खन खन खन खन,,,, दोनो को बहुत मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद ज्योति फिर से झड़ गई।
ज्योति थक गई,,,
ज्योति _राजेश बस करो अब मैं थक गई,,,
राजेश ने अपना लन्ड ज्योति की boor से बाहर निकाल दिया।
उसका लंद ज्योती की boor का पानी पीकर और मोटा लंबा हो गया था।
राजेश का मन अभी और चोदने का था पर ज्योति की स्थिति को देखकर उसने अपने मन में काबू रखना ही उचित समझा।
ज्योति जब नार्मल हुई उसने देखा राजेश का अभी भी खड़ा है।
ज्योति _राजेश, आज रात तुम पूनम को चोद लेना मैं उसे खुद ही बोल दूंगी तुमसे चुदने।
राजेश _ठीक है दीदी।
Awesome update and nice story
 
Top