ThanksWow very nice story keep going
पेशाब से आगे बढ़ भाई
Nice updateसुनीता रोज की तरह अगली सुबह सोकर उठती है फिर नहाने की तैयारी करनी लगती है
वह बाथरूम में जाकर व्रश करने लगती है
जब वह ब्रश कर रही होती है तब उसे राजेश का ख्याल आता है
वह अपने मन में कहती हैं राजेश को अगर किसी चीज की जरूरत होगी तो कहीं वह सोकर उठ न गया हो
अरे मुझे उसके कमरे में जाकर देखना चाहिए
वह ब्रश करने के बाद वह नाइटी पहने हुए राजेश के कमरे की ओर चल पड़ती है
राजेश के कमरे का दरवाजा लॉक नहीं था क्योंकि वह दरवाजा बंद नहीं कर सकता था अतः वह दरवाजा धकेल कर कमरे में प्रवेश कर गई
सुनीता ने राजेश को देखा कि वह लेटा हुआ परंतु उसकी आंख खुली हुई है वह राजेश से कहती है गुड मॉर्निंग बेटा कैसे हो
राजेश अपनी मां सुनीता से कहती हैं गुड मॉर्निंग मम्मी मैं ठीक हूं मम्मी
सुनीता कहती है बेटा मैं यहां देखने आई थी कि तुम्हे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है तुम्हें मेरी मदद की आवश्यकता तो नहीं है
राजेश कुछ बोलता नहीं है इस समय राजेश को जोरो से पेशाब के साथ-साथ टॉयलेट भी लग रहा होता है लेकिन एक बड़ी समस्या हो गई थी पेशाब के कारण उसका लिंग पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जैसा किअधिकांश लोगों के साथ सुबह-सुबह होता है इसलिए राजेश वह अपनी मां को बताने में हिचकी जा रहा था कि उसे जोरों की पेशाब और टॉयलेट लग रहा है
वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करें
तभी सुनीता को ये महसूस हो जाता है की राजेश को जरूर कोई समस्या है पर वह मुझे बता नहीं पा रहा है
वह राजेश को फिर से पूछती है बेटा बताओ क्या कुछ समस्या है तुम शरमाओ मत
मां के जोर देने पर राजेश शर्माते हुए धीरे से कहता है
मां वह पेशाब और टॉयलेट भी लगी है
सुनीता कहती हैं बेटा इसमें शर्माने की क्या बात है चलो उठो
इस समय राजेश का शरीर चादर से ढका हुआ था और उसका लिंग उसके लोवर मे सीधा खड़ा हुआ था
अभी सुनीता इससे अनजान थी
इधर राजेश सोच रहा था अब क्या होगा इस हालत में देखेगी तो क्या समझेगी
इधर सुनीता राजेश को उठाने के लिए चादर उसके शरीर से हटा देती है
जैसे ही चादर उठाती है तो उसकी नजर राजेश के लोअर पर जाती है वह देखती है कि लोवर का सामने वाला भाग एकदम उठा हुआ है
हुआ समझ जाती है कि उसके बेटा कॉ लिंग इस समय खड़ा हुआ है
यह सोचते ही उसके शरीर में कपकपी आने लगती है
उसे बहुत ही शर्मिंदा महसूस होने लगती है वह सोचने लगती है हे भगवान मैं कहां फस गई यह मेरी कैसे परीक्षा ले रहे हो
फिर भी वह सोचती है कि मुझे राजेश की मदद तो करनी होगी और वह हिम्मत जुटा कर कहती है चलो बेटा उठो और राजेश को बेड से उठाती है बेटा चलो बाथरूम में
इस समय राजेश बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी मां को अपने लोवर को घूरते हुए देख लिया था उसे बहुत ही खराब महसूस हो रहा था
राजेश बाथरूम की ओर जाने लगता है पीछे पीछे सुनीता चली जाती है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था अब क्या होगा
राजेश टॉयलेट सीट के पास जाकर खड़ा हो जाता है वह टॉयलेट सीट में बैठने के लिए घुम जाता है
सुनीता को मालूम था कि अब क्या करना होगा वह नीचे झुक कर राजेश लोवर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच कर उसके पैरों से पूरा अलग कर देती है
इस समय सुनीता अपनी नजरों को दूसरी ओर कर ली थी अब अंडरवियर निकालने की बारी थी
सुनीता का हाथ कापने लगा
वह अपने कांपते हुए हाथों से राजेश के अंदर वियर को पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे करने लगी
जैसे ही वह नीचे की राजेश का लिंग उछलकर उसके मुख के सामने आ गया सुनीता की नजरें ना चाहते हुए भी उसके लिंग की ओर चला गया
इस समय सुनीता का दिल की धड़कन बड़ गई थी उसकी सांसे तेज होने लगी थी
सुनीता विकास के विशाल लंड को देखकर उसके शरीर में सिहरन होने लगी
वह अपने आप को बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी कुछ छन राजेश के लंड* को देखने के बाद वह खड़ाीहो गई
इस समय राजेश भी बहुत ही शर्म महसूस कर रहा था
सुनीता राजेश से बोली लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो
मैं बाहर बैठी हूं जब टॉयलेट हो जाए तो मुझे बताना और बाहर चली गई
बाहर जाते हुए व बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा बंद कर दी ताकि राजेश बिना किसी झिझक के अच्छे से टॉयलेट कर सके और जाकर वह बेड पर बैठ गई और अभी जो घटना घटित हुई उसे सोच कर बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी
इधर राजेश टॉयलेट सीट पर बैठ जाता है उसका लंड सीधा खड़ा था
जब राजेश टॉयलेट करने के लिए अपनी गांड पर जोर लगाता है उसके लंड से मूत निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर पड़ने लगता है क्योंकि राजेश का लिंग खड़ा था जिससे उसकी मूत टॉयलेट सीट के अंदर ना जाकर उड़ता हुआ सीधे बाथरूम के दरवाजे पर गिरने लगा
पेशाब के दरवाजे पर गिरने की आवाज सुनकर सुनीता चौक जाती है और वह बाथरूम की ओर चली जाती है
यह देखने के लिए कि क्या हुआ वह दरवाजा खोल देती है जैसे ही दरवाजा खोलती है पेशाब सुनीता के ऊपर गिरने लगता है
राजेश या देख कर डर जाता है यह क्या हो गया वह पेशाब करना बंद कर देता है
सुनीता राजेश बेटा यह क्या किया मेरा पूरा कपड़ा खराब हो गया
मुझे माफ कर दो मा वह बहुत ही शर्मिंदा होने लगा
मैंने यह जानबूझकर नहीं किया मुझे माफ कर दो
सुनीता यह सोचने लगती है कि आखिर यह हुआ कैसे
तब वह राजेश के लंड* की ओर देखती है जो कि अभी भी खड़ा हुआ था
वह समझ जाती है माजरा क्या है
बेटा गलती मेरी है पहले तुम्हें पेशाब करा देना चाहिए था
हां मम्मी तुम सही कह रही
सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा तुम पहले पेशाब कर लो
राजेश टॉयलेट सीट से खड़ा हो जाता है इस समय उसका लंड खड़ा हुआ था
वह यूरिनल पाट के सामने जाकर खड़ा हो जाता है
इस समय उसका लंड ऊपर की ओर था
सुनीता समझ चुकी थी उसे क्या करना है
वह राजेश के लिंग को पीछे से अपने दाएं हाथ से पकड़ लेती है और सीधा कर देती है ताकि पेशाब यूरिनल पाठ में चली जाए
सुनीता लिंग को पकड़कर शर्म महसूस कर रही थी फिर सोचने लगी कि राजेश का लैंड कितना मोटा और लंबा है
उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी इधर राजेश को अपनी मां द्वारा लंड को पकड़ना बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था उसका भी शरीर कप कपा रहा था
पेशाब कर लेने के बाद सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो मैं बाहर बैठी हूं
राजेश टॉयलेट सीट में बैठकर टॉयलेट करने लगता है
Thanks broGajab writting bhai, ese hi slow phase ke sath romance with sex hona chahiye, limited character ke sath bahut saandar kahani ho skti hai ye bhai
Mom-daudhar lesbian ki bhi sambhawna hai,
Baap-beti sambadh ki bhi,
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Or last me all togehther groupsex ki bhi
Keep it up nice and slow bro![]()
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