pawanqwert
Member
- 485
- 1,670
- 123
Shandaar jabardast excellent update३० – ये तो सोचा न था…
[(२९ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
इतने में शालिनी की नजर हाइवे से सटे जंगल में जुगनू के झुंड पर पड़ी. वो उत्साहित हो गई. शहर में जुगनू कहां देखने मिलते है!
‘वो देखो जुगनू !’ कहते हुए फोन बगल में रख कर वो प्रसन्न होते हुए कार के बाहर निकली.
उसी वक्त अपनी कॉन्फरन्स कॉल निपटा कर सुभाष ने अपना फोन बंद किया.
और
उसी वक्त हाईवे से सटी झाड़ियों में से किसी ने सुभाष पर निशाना दागा : धांय धांय…
पहली गोली सुभाष को छाती पर लगी, वो चीखते हुए कार के बोनेट पर लुढ़क गया…
और दूसरी गोली दो सेकंड पहले कार के बाहर निकली हुई शालिनी की बांह और दाहिने स्तन की गोलाई के दरमियान से पार हुई… ]
जुगल
एक भव्य बंगलो में जुगल ने कार दाखिल की. कार पार्क तो कर दी पर उसे अंडरवियर और बनियान में बाहर निकलने शर्म आ रही थी. झनक ने कहा. ‘यहां है कौन जो तुमको अजीब हालात में देख लेगा? मैं और मेरे पापा के अलावा घर में कोई नहीं रहता, चलो पहले चांदनी भाभी को सुला देते है.’
बेहोश चांदनी को जुगल ने गोद में उठा लिया, वो और झनक घर के मेईन दरवाजे के बाहर के आलीशान बरामदे तक पहुंचे। झनक घर का दरवाजा खोले उससे पहले पहली मंजिल पर से एक सरदार जी नीचे उतरे. ‘ये कोई धर्मशाला है? कोई भी कभी भी आ जाता है?’ गुर्राकर उन्होंने पूछा और जुगल और झनक को गुस्से से देखने लगे. ४५- ४८ साल के उस आदमी के ऐसे सवाल से जुगल सहम गया. पर झनक तेजी से सरदार जी के करीब जा कर उनको लिपट कर प्यार से बोली. ‘पापा! अपने माल की यूं बहार वालों के सामने बेइज्जती मत करो, ये मेरा दोस्त है जुगल और ये इनकी भाभी चांदनी, चांदनी की तबियत ठीक नहीं.’
‘हम्म्म. ठीक तो तुम दोनों के कपड़े भी नहीं.’ सरदार जी ने जुगल और झनक को निहारते हुए कहा.
‘वो एक लंबी कहानी है अब आप बोर मत करो. सो जाओ.’ कह कर झनक ने घर का दरवाजा खोला और जुगल से कहा. ‘आओ.’
जुगल चांदनी को लेकर घर में दाखिल हुआ.
***
जगदीश
हाईवे के करीब की पाटिल नर्सिंग होम में जगदीश कॉरिडोर में बेसब्री से चक्कर काट रहा था.
पिछले पंद्रह मिनट उसके लिए एक फास्ट मोशन फिल्म जैसी थी जिसका वो बौखलाया हुआ किरदार था. पहले जगदीश ने सुभाष को पीछे खुद बैठा था वहां, कार की पीछे की सीट में बैठाया. उसकी छाती पर गोली लगी थी वहां तूलिका का दुपट्टा कस के बांध दिया. फिर शालिनी के दुपट्टे को चीर कर दो टुकड़े किये और एक टुकड़ा उसकी घायल बांह पर कस के बांधा दूसरा उसके घायल स्तन पर लपेटा. गोली शालिनी के ड्रेस और ब्रा को जलाती हुई स्तन और बांह को जख्मी करते हुए पीछे निकल गई थी. शालिनी की बांह और स्तन दोनों जगह से खून टपक रहा था. शालिनी डर और फायरिंग की वजह से बेहोश हो गई थी. उसे पीछे की सीट पर सुभाष के बगल में बैठाया. तूलिका गोलीबारी और सुभाष के लुढ़क जाने से आघात से पुतला बन गई थी. जगदीश ने तुरंत कार ड्राइव की. बिना वक्त गंवाएं वो कार चला कर जो पहली शॉप दिखी वहां रुका और मोहिते को कॉल लगा कर जो हुआ वो दो वाक्य में बता दिया. मोहिते ने पूछा की इस वक्त तुम लोग कहां हो? जगदीश ने उस दुकानवाले को फोन पकड़ा कर लोकेशन बताने कहा. मोहिते ने उस दुकान वाले से बात की. बात करने के बाद दूसरी ही मिनट में दुकान वाले ने अपनी सिगरेट बीड़ी की दूकान बंद कर दी और जगदीश से कहा मेरी बाइक को फॉलो कीजिये.
पांच मिनट में वो लोग पाटिल नर्सिंग होम में थे और दूसरी पांच मिनट के बाद डॉक्टर ने शालिनी और सुभाष दोनों की ट्रीटमेंट शुरू कर दी थी…
सुभाष को पहली गोली लगी तब से ले ले कर अब तक कुल पंद्रह मिनट बीत चुके थे.
और हॉस्पिटल के कॉरिडोर में जगदीश बेसब्री से चक्कर काट रहा था…
***
जुगल
झनक ने चांदनी के लिए एक डबल बेड वाला कमरा खोला था. जुगल को अपने पापा का नाइट गाउन दिया था जिसे लपेटे जुगल बेहोश चांदनी को निहार रहा था, इस उम्मीद में की अब भाभी होश में आये तो खुदा करे अजिंक्य की हरकतों को भूल चुकी हो और नॉर्मल तरीके से पेश आये…
चांदनी ने आंखें खोल कर अगल बगल देखा. फिर जुगल को देखा. जुगल आशंका के साथ चांदनी को देखता रहा की अब भाभी क्या बोलेगी!
‘पापा…’ चांदनी ने जुगल को देखते हुए कहा.
जुगल की आंखों में आंसू आ गए.
तभी चाय लेकर झनक कमरे में दाखिल हुई. जुगल को चाय देते हुए उसने पूछा. ‘तुम रो क्यों रहे हो?’
‘मम्मी….’ चांदनी ने कहा. जुगल और झनक ने चौंक कर चांदनी की ओर देखा. चांदनी झनक को मम्मी कह रही थी.
झनक चांदनी के पास गई और पूछा. ‘क्या हुआ?’
डरी हुई लड़की की तरह सहम सहम कर चांदनी ने पूछा. ‘पापा अब भी मुझ से नाराज है?’
झनक की आंखें भी चांदनी के इस मासूम सवाल से भर आई. उसने चांदनी को बांहों में ले कर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा. ‘नहीं, चांदनी, मम्मी पापा - कोई तुम से नाराज नहीं…’
चांदनी छोटी बच्ची की तरह झनक की छाती में अपना सर छुपा कर आंखें मूंद गई…
जुगल अपना सिर थाम कर पलंग पर बैठ पड़ा.
***
जगदीश
‘देखिए, मी. सुभाष की चेस्ट से गोली तो निकाल दी है पर उनकी स्थिति गंभीर है. अभी भी ऑपरेशन चल रहा है, खून काफी बह गया है. हॉस्पिटल का खून का स्टॉक ख़तम है…’
‘आप मेरा खून ले लीजिये, यूनिवर्सल टाइप है डॉक्टर, ओ नेगेटिव -’
‘ओह यह तो अच्छी बात है…चलिए. खून की जरुरत पड़ेगी ही.’
डॉक्टर के साथ वॉर्ड की ओर जाते हुए जगदीश ने पूछा. ‘और शालिनी की स्थिति क्या है?’
‘उनको पंद्रह मिनट में होश आ जाएगा. लकिली उनको कोई सीरियस चोट नहीं लगी. हाथ और लेफ्ट ब्रेस्ट को स्लाइटली छूते हुए गोली पास हो गई ऐसा लग रहा है. हाथ में जरा ज्यादा घाव हुआ है पर ब्रेस्ट को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, पर ब्रेस्ट की केर लेनी होगी. सूझन हो गई है, जो और भी बढ़ सकती है. रिलीफ के लिए ऑइंटमेंट अवेलेबल है पर बहुत सावधानी से, एकदम लाइट टच से वो अप्लाई करना होता है, डोंट वरी नर्स वील डु धेट…’
‘ओके’ राहत महसूस करते हुए जगदीश ने पूछा. ‘डिस्चार्ज कब तक मिलेगा उनको?’
‘दो दिन में शायद, कल चेक कर के बताता हूं.’
वॉर्ड में डॉक्टर की सूचना अनुसार जगदीश का खून लिया गया. खून देने के बाद जगदीश ने डॉक्टर से कहा. ‘सुभाष की ट्रीटमेंट में पैसे का कोई इस्यु नहीं है यह मैं आपसे क्लियर करना चाहता हूं.’
‘मी. सुभाष पुलिस डिपार्टमेंट से है, करेक्ट?’ डॉक्टर ने पूछा.
‘जी, पर ट्रीटमेंट के लिए हम डिपार्टमेंट पर डिपेंड नहीं रहेंगे, आप को कोई भी डिसीज़न लेना हो तो मुझसे बात करके कॉल ले लीजियेगा, सुभाष की रिकवरी बहुत महत्वपूर्ण है.’
‘आई अंडरस्टैंड. मी. रस्तोगी.’ डॉक्टर ने कहा और एक नर्स से पूछा. ‘वो लेडी पेशेंट को होश आया?’
‘अभी तक नहीं…’ नर्स ने जगदीश की ओर देखते हुए जवाब दिया.
‘आप उनके वॉर्ड में वेइट कर सकते हो, कुछ ही देर में उनको होश आ जाएगा.’
‘थैंक्स डॉक्टर’ कह कर जगदीश शालिनी के वॉर्ड की ओर जा ही रहा था की उसे कॉरिडोर में गुमसुम बैठी हुई तूलिका दिखी. और जगदीश को बहुत गिल्ट हो आई : इस भागादौड़ी में वो तूलिका को तो भूल ही गया था! सुभाष इतनी गंभीर हालत में है - उस पर क्या बीत रही होगी! वो होंसला अफ़ज़ाई करने तूलिका की ओर बढ़ा…
***
जुगल
चांदनी झनक को लिपट कर सो गई थी. जुगल को इस नई मुसीबत से उलझन हो गई थी. चांदनी भाभी उसे पापा और झनक को अपनी मम्मी समझ रही थी - ये क्या बखेड़ा है? इसका उपाय क्या?
चांदनी ने झनक के साथ ही खाना खाया था, जुगल ने थोड़ा खाना खाया पर चांदनी भाभी की हालत उसे परेशान कर रही थी, सो वो ढंग से खा नहीं पाया. चांदनी के सो जाने के बाद झनक ने उसकी बगल से उठने की कोशिश की पर चांदनी नींद में भी झनक का हाथ छोड़ नहीं रही थी.
‘यार ये तो छोड़ नहीं रही, लगता है यहीं सोना पड़ेगा आज…’ झनक ने जुगल से धीमी आवाज में कहा ताकि चांदनी की नींद में खलल न हो.
जुगल ने धीमी आवाज में पूछा. ‘तो मैं कहीं और सो जाऊं ?’
‘क्यों? इतना बड़ा तो बेड है…’ झनक ने आश्चर्य से कहा.
‘ओके.’ जुगल ने पलंग के दूसरे छोर पर लेटते हुए कहा.
‘लेटो मत, यहां आओ -मुझे कपडे निकालने में हेल्प करो, ये हाथ यह छोड़ नहीं रही. ज्यादा हिलडुल सकती मैं - कहीं इनकी नींद खुल न जाए…’ झनक ने कहा.
कपडे निकालने में हेल्प? जुगल हैरान होते हुए उठ कर झनक के करीब गया. झनक ने घुटने तक का स्कर्ट पहना था और स्लीवलेस टॉप. जुगल के करीब जाते झनक ने मूड कर अपनी पीठ जुगल की और करते हुए कहा. ‘टॉप ऊपर करके ब्रा का हुक निकाल दो…’
जुगल एक पल हिचकिचाया फिर उसने टॉप ऊपर कर के ब्रा के हुक खोल दिए. और ठगा सा खड़ा रह गया. झनक ने मुंह फेर कर उसे देखते हुए कुछ चिढ के साथ धीमी आवाज में कहा. ‘अब ब्रा निकालो! खड़े क्या हो?’
जुगल के लिए यह सब अनपेक्षित था. उसने चुपचाप ब्रा को निकालना शुरू किया. पर उसे जम नहीं रहा था. आखिर अपने स्तनों पर से झनक ने ब्रा को खिसकाया और जुगल को आंखों से ब्रा खींच लेने इशारा किया. ब्रा खींचते हुए जुगल झनक के स्लीवलेस टॉप की कांख के गैप में से सुडौल और सुगोल स्तन की झांकी कर रहा था तब झनक ने उसे अपने स्कर्ट की और इशारा किया. जुगल फिर उलझ गया और झनक की ओर देखता रहा. झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘पेंटी-’
पेंटी ! निकालनी होगी? मुझे?
जुगल आश्चर्यचकित हो कर झनक के पैरो के पास बैठा. झनक लेटी हुई थी. जुगल ने स्कर्ट में हाथ डाला और झनक की पेंटी खींची… घुटने तक झनक की पेंटी खींच ली तभी कमरे में झनक ने पापा - सरदार जी दाखिल हुए. जुगल उनको देख सहम कर बूत बन गया…
***
जगदीश
तूलिका के करीब जगदीश ने बैठ कर कहा. ‘सोरी तूलिका, यह सब जो हो गया…’
जगदीश को देख तूलिका उसकी बांहों में चिपक कर रोने लगी. तूलिका इस तरह उससे लिपट जाएगी यह जगदीश ने कल्पना नहीं की थी. तूलिका के पूर्ण विकसित स्तन जगदीश की छाती में दब रहे थे, इस हालात में भी ऐसे संस्पर्श से जगदीश को अनचाही उत्तेजना हो गई. तूलिका को सांत्वना देने उसकी पीठ सहलाते हुए जगदीश ने कहा. ‘रो क्यों रही हो? सुभाष ठीक हो जाएगा, डॉक्टर ने कहा है चिंता की कोई बात नहीं….’
तूलिका ने अपने आपको जगदीश के साथ और ज्यादा चिपकाया. जगदीश ने बलपूर्वक उसे अपने से जुदा करते हुए कहा. ‘खुद को संभालो तूलिका-’
तूलिका अपने आंसू पोंछने लगी….
***
जुगल
झनक ने जुगल से चिढ कर कहा. ‘निकालो न पेंटी ? क्या हुआ? रुक क्यों गए?’
जुगल ने बौखला कर पेंटी निकाल कर बगल में रखी.
सरदार जी ने झनक से पूछा. ‘अब कैसी है चांदनी?’
झनक ने सरदार जी को धीमी आवाज में कहा. ‘कोई फर्क नहीं. मेरा हाथ ही नहीं छोड़ रही.’
जुगल अपने सोने की जगह पर आया. सरदार जी बाहर जाने के लिए मुड़े और जाते जाते जुगल से धीमी आवाज में पूछा. ‘कुछ पीने की इच्छा है?’
जुगल हां में सर हिलाते हुए सरदार जी के साथ कमरे के बाहर निकला.
***
जगदीश
नर्स को बिनती करके जगदीश ने तूलिका के आराम करने का इंतज़ाम किया और शालिनी के वॉर्ड में गया. शालिनी को होश आ चुका था और नर्स उसकी बांह के घाव का ड्रेसिंग कर रही थी.
जगदीश शालिनी के सामने देख मुस्कुराते हुए पलंग के एक छोर पर शालिनी के करीब बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में ले कर पूछा. ‘दर्द हो रहा है?’
शालिनी ने मुस्कुराकर कहा. ‘अब तक हो रहा था, आप आ गए तो नहीं हो रहा.’
जगदीश यह सुन थोड़ा झेंप गया. ड्रेसिंग करते हुए नर्स भी यह सुन कर मुस्कुराने लगी.
शालिनी ने पूछा. ‘सुभाष भाई कैसे है?’
‘अब खतरे से बाहर है.’
‘थैंक गॉड…’ शालिनी भावुकता से बोली. फिर जगदीश को पूछा. ‘डांटना नहीं है मुझे ?’
जगदीश ने शालिनी को आश्चर्य से देखते हुए पूछा. ‘क्यों डाटूंगा ?’
‘क्या जरूरत थी कार के बाहर निकलने की ऐसा गुस्सा नहीं करोगे?’
‘नहीं शालिनी.’ जगदीश ने शालिनी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ‘तुम्हारी इसमें कोई गलती नहीं. होना था- हो गया.’
शालिनी ने जगदीश की हथेली दबा कर कहा. ‘मैं तो डर रही थी की आप मुझ पर बहुत नाराज होंगे.’
जगदीश ने शालिनी के नाजुक होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा. ‘चुप रहो.अब ज्यादा बोलो मत.’
शालिनी बस मुस्कुरा दी. शालिनी के मुस्कुराने की वजह उसके होठ हिले जो जगदीश ने होठों पर रखी अपनी उंगली तले महसूस किया. एक सनसनी सी उसके जहेन में दौड़ गई. उसने अपनी उंगली शालिनी के होंठो से हटा ली.
शालिनी को अस्पताल का गाउन पहनाया गया था जो काफी ढीला था. शालिनी के स्तन उस ढीले गाउन में ज्यादा बड़े लग रहे थे ऐसा जगदीश को लगा. फिर उसने सोचा की शायद ब्रा निकलवाई गई होगी इसलिए ऐसा लगता होगा? फिर उसे लगा कि यह मैं क्या सोच रहा हूं !
बांह का ड्रेसिंग हो जाने के बाद नर्स ने शालिनी के इजा ग्रस्त स्तन पर की पट्टी निकालना शुरू किया. जगदीश यह देख हिचकिचाया और खड़े होते हुए नर्स से कहा. ‘मैं बाहर जाता हूं…’
शालिनी ने आश्चर्य से पूछा. ‘क्यों? अभी तो आये हो!’
जगदीश ने कहा. ‘वापस आ जाऊंगा, अभी तुम्हारा ड्रेसिंग हो रहा है… मेरा रुकना ठीक नहीं…’
‘ऐसा कुछ नहीं, अगर पेशेंट को प्रॉब्लम नहीं तो चलेगा.’ नर्स ने हंस कर कहा.
शालिनी को तो हैरानी हो रही थी. उसने जगदीश की हथेली थामते हुए पूछा. ‘मुझे क्यों प्रॉब्लम होगी! आप बैठे रहिये.’
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’
जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.
जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?
(३० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश