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Incest ये तो सोचा न था…

Lib am

Well-Known Member
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३१ – ये तो सोचा न था…

[(३० – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?]


दूसरे दिन सुबह

जगदीश


सुबह तड़के एक और नाजुक ऑपरेशन के बाद सुभाष अब खतरे से पूरी तरह बाहर था पर अस्पताल में उसे और दस दिन रुकना पड़ेगा. शालिनी को दूसरे दिन शाम तक डिस्चार्ज मिल जाएगा. उसे अब अस्पताल की कैंटीन तक जाने की रजामंदी मिली थी. जगदीश, शालिनी और मोहिते अस्पताल की कैंटीन में सुबह का चाय नाश्ता कर रहे थे. जगदीश कुछ खोया खोया था. शालिनी ने यह नोटिस किया. जगदीश से पूछा की क्या हुआ है पर जगदीश बात टाल गया.

‘हमला करने वालों के निशाने पर कौन था ? मैं या सुभाष ?’ जगदीश ने पूछा.

‘यह लोग साजन भाई के कनेक्शन में तो नहीं थे. नाइनटी नाइन परसेंट यह मामला डिपार्टमेंट के अगेंस्ट है…’

मोहिते ने जवाब दिया. फिर कुछ पल सभी चुपचाप नाश्ता करते रहे.

मोहिते भी कुछ परेशान सा था. नाश्ता निपटाने के बाद उसने जगदीश का हाथ थाम कर कहा. ‘मुझे तुमसे दो बातें करनी है. एक तो यह की सुभाष के लिए तुमने जो कुछ भी किया…’

‘अरे!’ जगदीश ने सुभाष का हाथ झटक कर कहा. ‘कोई बड़ी बात नहीं, मेरी जगह पर कोई भी होता तो जो करता वो ही मैंने भी किया.’

‘अरे पर-’ मोहिते कुछ बोलने गया तब शालिनी ने मोहिते को कहा. ‘ प्लीज़ ऐसी बातें कर के हमें शर्मिंदा न कीजिये मोहित भाई-’

तब मोहिते ने शालिनी से कहा. ‘आप को पता है इन्होने सुभाष के लिए क्या किया? मैं वक्त पर अस्पताल ले आने की और अपना खून देने की बात नहीं कर रहा. मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दो गुना फी केश चुका कर इन्होने सुभाष के आज सुबह के ऑपरेशन का इंतज़ाम किया यह आप को पता है?’

शालिनी को यह पता नहीं था. उसने जगदीश की ओर देखा. जगदीश ने शालिनी के सामने देख एक स्मित किया और मोहिते से कहा. ‘ऐसी बातों का ढिंढोरा नहीं पीटते. छोडो. बताओ दूसरी क्या बात कहनी है?’

‘वो बाद में कहूंगा.’ मोहिते ने कहा.

चाय ख़त्म हुई. शालिनी खड़े होते हुए बोली. ‘आप लोग बातें कीजिए, मेरा ड्रेसिंग का समय हुआ है… मैं चलती हूं.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने कहा. ‘दूसरी बात थोड़ी अजीब है, समझ में नहीं आता की कैसे कहु…’

‘अरे इतना संकोच क्यों?’

‘बात ही ऐसी है की…’

‘अब बता भी दो.’

मोहिते ने गला साफ किया. उसी वक्त शालिनी वापस आई जो अपना सेल फोन टेबल पर गलती से भूल गई थी. मोहिते केंटीन के दरवाजे की ओर पीठ कर के बैठा था सो शालिनी आ रही है यह उसे नहीं दिखा और जगदीश कपूर ध्यान मोहिते की बातों में था सो उसने भी शालिनी लौटी यह नहीं देखा.. शालिनी दोनों की ओर बढ़ी और यहां मोहिते ने कहा. ‘ तूलिका ने तुम्हारी शिकायत की है…’

यह सुन शालिनी ठिठक कर खड़ी रह गई.

जगदीश ने मुस्कुराकर पूछा.

‘अच्छा ? मेरी शिकायत?’

‘ जगदीश, यह मत समझो कि मुझे उसकी बात पर यकीं है पर उसने शिकायत की है.’

‘ठीक है, क्या शिकायत यह तो बताओ?’

‘वो जाने दो, मुझे लगता है की तूलिका पगला गई है…मुझे समझ में नहीं आ रहा की वो तुम्हारे बारे में गलत बात क्यों बोल रही है.’

शालिनी अब भी पीछे खड़ी मोहिते की बात सुन रही थी. जगदीश ने अब शालिनी को देखा फिर मोहिते से कहा.

‘पर क्या किया मैंने वो तो बताया होगा न तूलिका ने?’

‘बकवास बातें कर रही थी…’

‘मैं बताऊं , तूलिका ने क्या शिकायत की होगी?’

शालिनी और मोहिते दोनों ने जगदीश को आश्चर्य से देखा.

जगदीश ने कहा. ‘तूलिका ने कहा होगा की कार में सफर करते वक्त मैं सारा समय ड्राइविंग मिरर से उसी को ताड़ रहा था ?’

‘हां.’ मोहिते ने कहा. ‘यह उसने कहा.’

‘और यह भी की होटल के वॉशरूम की संकरी गली में मैंने उसे जबरदस्ती किस कर दी?’

शालिनी और मोहिते को और आश्चर्य हुआ. मोहिते ने कहा. ‘हां यह भी कहा तूलिका ने…’

‘और सुभाष को यहां एडमिट किया तब सांत्वना देने के बहाने मैंने उसे बांहों में ले लिया?’

‘ओह जगदीश क्या है यह सब? मतलब क्या उसकी सारी शिकायते सही है? बिलकुल यही बातें तूलिका ने मुझे बताई है…’ मोहिते ने हैरानी के साथ पूछा.

जगदीश सिर्फ मुस्कुराया, शालिनी अब मोहिते के सामने आ कर कुछ गुस्से में बोली. ‘यह सब हुआ होगा यह सच है पर शिकायत झूठी है…’

‘भाभी आप!’ मोहिते शालिनी को देख बौखला गया. ‘आप छुप कर हमारी बातें सुन रही थी?’

‘हां, छुप कर सुनना पड़ता है, क्योंकि इनको तो संत आदमी का ओस्कार एवॉर्ड लेना है इसलिए इन के सर पर हाथी आ कर बैठ जाएगा तब भी ये तो उफ़ नहीं करेंगे!’ जगदीश को गुस्से से देखते हुए शालिनी ने जवाब दिया.

मोहिते को कुछ समझ में नहीं आया. जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘अरे मुझ पर क्यों बिगड़ रही हो?’

‘आप तो चुप ही रहो, हम बाद में बात करेंगे.’ शालिनी ने जगदीश से कातर आवाज में कहा. फिर मोहिते से पूछा. ‘समझ में आया क्या हुआ वो?’

मोहिते उलझन भरे चेहरे के साथ बोला. ‘कुछ भी नहीं, आप क्या कहना चाहती हो? प्लीज़ साफ़ साफ़ कहो.’

‘मोहिते भाई, तूलिका इन पर चांस मार रही थी, पर इन्हो ने उसे भाव नहीं दिया सो वो उल्टा दांव खेल कर अपनी इमेज बचा रही है - और कोई बात नहीं.’

मोहिते सोच में पड़ गया. फिर उसने शालिनी से पूछा. ‘आप को यह सब पता था?’

‘नहीं. मैंने तो अभी यह सब सुना, ये मोबाइल लेने वापस आई इस लिए सुनने मिला वरना ये तो मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं बताते….’

‘पर आप को ये सब हुआ वो ही जब पता नहीं, तो किसने किया होगा ये कैसे आप इतने यकीन से कह रहे हो?’ मोहिते ने शालिनी से पूछा.

शालिनी ने कहा. ‘मोहिते भाई, मैं तूलिका को नहीं जानती, पर इनको तो जानती हूं ना? ये इतने सीधे इन्सान है की अगर किसी कमरे में यह मुझे किसी अनजान लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिले तब भी मैं यही समझूंगी की ‘कपडे निकालने की कोई ठोस वजह होगी - किसी लड़की को भोगने के लिए ये कपडे नहीं उतारेंगे…’

जगदीश ने शालिनी को उसका फोन देते हुए कहा. ‘बस. ये लो अपना फोन. अब जाओ. जरूरत से ज्यादा तुमने सुन भी लिया और बोल भी लिया.जाओ, तुम्हारा ड्रेसिंग का टाइम हो गया है.’

शालिनी ने जाते हुए मोहिते से कहा. ‘तूलिका का बचपना है ये, पर आप तो बड़े हो. बड़ो की तरह सोचना.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने अपना सिर पकड़ लिया. जगदीश ने कहा. ‘शालिनी की बात मन पर मत लेना, हर किसी को अपना ही सिक्का सच्चा लगता है. उसे मैं बेगुनाह लगता हूँ और तुम्हे तुम्हारी बहन निर्दोष लगती होगी- और ऐसा लगना गलत भी नहीं…’

जगदीश की बात काटते हुए मोहिते ने कहा. ‘न मैं तुम्हे गुनहगार मानता हूँ न मेरी बहन को निर्दोष. भाभी की सारी बातों से मैं सहमत हूं . मेरी दिक्कत यह है की तूलिका ने तुम्हारे नाम की झूठी शिकायत क्यों की होगी? इससे उसे क्या फायदा होगा?’

‘मैं समझता हूं तूलिका ने ऐसा क्यों किया. बता सकता हूं, पर क्या तुम सच्चाई झेल पाओगे?

मोहिते अब बहुत टेन्स हो गया. बोला. ‘ऐसे डायलॉग मारोगे तो मुझे सुने बिना चैन नहीं पड़ेगा, बोल दो भाई जो बोलना हो!’

‘तूलिका तुमसे प्यार करती है मोहिते - सेक्सुअल प्यार.’

मोहिते के पैरों तले से गोया जमीं खिसक गई…

***


जुगल

सुबह का वक्त था जुगल ब्रश कर के चाय का इतंज़ार कर रहा था. चांदनी भाभी बाथरूम में नहा रही थी. झनक दोनों के लिए चाय ले कर आई. जुगल को चाय दे कर झनक बैठ कर साथ में चाय पीते हुए जुगल को पूछने लगी.

‘रात को पापा के साथ कितनी शराब पी ?’

‘खास नहीं.’

‘कमरे में तुम लौटे तब होश में तो थे?’

‘बिलकुल होश में था. क्यों ऐसा पूछ रही हो?’

‘रात को मैं तो सो गई थी पर तुमने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की थी ना?’

‘अपनी बेहूदा बातें बंद करो.’ जुगल ने चिढ कर कहा.

‘जुगल.’ झनक की आवाज गंभीर थी. जुगल ने उसकी ओर देखा. झनक ने कहा.

‘इस घर में हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. ओके? अगर तुमने कोई हरकत की होगी तो वो कैमरे में दर्ज हुई होगी. और पापा ने अब तक देख भी लिया होगा. सो अगर तुमने कोई हरकत की है तो उसे छुपाना बिलकुल नहीं. बस यही कहना था.’ और इतना कह कर खड़े हो कर बाथरूम की ओर जाते हुए मनमे सोच रही थी. ‘चांदनी भाभी को नहाने में इतना समय क्यों लग रहा है?

और जुगल सीसीटीवी कैमरा वाली बात सुनकर सख्ते में आ गया था. पिछली रात उसने काफी नशा किया था. क्या नशे में उसने कोई गड़बड़ी की होगी?

जुगल सहम गया. - ये साला शराब बहुत बुरी चीज है… कुछ याद ही नहीं रहता.. पिछली बार भी शराब के नशे में किसी को शालिनी समझ कर…

जुगल अब टेन्स हो गया- रात को उसने कुछ ऐसा किया था जो नहीं करना चाहिए?

वो याद करे उससे पहले बाथरूम से चांदनी की आवाज आई : ‘पापा, ये मम्मी देखो ना जबरदस्ती पेंटी पहना रही है… ‘

चांदनी की शिकायत से परेशान होता हुआ जुगल बाथरूम की और गया. बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. बाहर खड़े हो कर जुगल ने पूछा . ‘क्या प्रॉब्लम है?’

‘मैंने पेंटी नहीं पहनी थी, मम्मी ने पहना दी.’

‘तो बराबर है ना चांदनी? पेंटी पहननी ही चाहिए…’ जुगल बच्चो को समझाने के सुर में बोला.

‘पापा, फिर आप गुस्सा नहीं करोगे ना की मैंने पेंटी क्यों पहनी है? पनिशमेंट तो नहीं दोगे मुझे? ‘

जुगल यह सुन कर कांप उठा : चांदनी भाभी ने क्या क्या सहा है अपने पिता से!

***


जगदीश

मोहिते खड़े होते हुए बोला. ‘चलो अब यहाँ से उठते है.’

‘मैंने तूलिका के बारे में जो कहा वो क्यों कहा यह नहीं जानना ?’

‘नहीं.’

जगदीश मोहिते को देखता रहा.

मोहिते ने कहा. ‘इसलिए नहीं सुनना, क्योंकि मुझे डर है कि तुम मुझे कन्विंस कर दोगे की मेरी बहन मुझ पर सेक्सुअली मरती है.’

‘तो? तुम सच से इतना डरते क्यों हो?’

‘पागल हो गए हो जगदीश? तुम्हें अंदाजा है तुम क्या बोल रहे हो? तूलिका मेरी सगी बहन है - सगी.’

‘मेरे बोलने से ये हो जाएगा? या ये है इसलिए मैं बोल रहा हूं?’ जगदीश ने पूछा.

‘वो कुछ भी हो.’ मोहिते ने झुंझलाकर कहा. ‘तुम कह रहे हो वो अगर सच हो तब भी मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता.’

जगदीश आगे कुछ बोले उससे पहले एक वॉर्डबॉय आया और जगदीश से कहने लगा. ‘सर वो ड्रेसिंग के लिए प्रॉब्लम हो रही है, आप की मेडम ने आप को बुलाया है…’

जगदीश ने खड़े होते हुए मोहिते से कहा. ‘ मोहिते इस मामले में कोई गर कुछ कर सकता है तो केवल तुम कर सकते हो. वो तुम्हारी बहन है और उसे तुम अनाथ की तरह समस्या सहने अकेली छोड़ नहीं सकते. यह एक प्रॉब्लम है और इसका हल ढूंढना होगा. इस बात पर सोचना. मैं मिलता हूँ शालिनी की ड्रेसिंग के बाद.’

और वॉर्डबॉय के साथ चला गया.

***


जुगल

जुगल झनक के पापा, सरदार जी के सामने बैठा था. उन्होंने जरूरी बात करने बुलाया था. क्या बात होगी यह सोच कर जुगल का दिल धड़क रहा था. सरदार जी ने उसे आया हुआ देख कर पूछा.

‘झनक नहीं आई?’

‘उसे भी बुलाया है?’

‘हां, तुम दोनों से बात करनी है. तुम्हारी भाभी की हालत ठीक नहीं कोई एक्शन जल्द लेनी होगी जुगल.’

‘जी.’

‘दूसरी बात, कल रात हम अलग हुए उसके बाद तुम होश में थे?’

जुगल का दिल जोरों से धड़कने लगा. - क्या रात को उसने झनक के साथ कुछ गलत किया होगा?

***


जगदीश

‘उई मां…’ जोरो से शालिनी चीख पड़ी. उसके स्तन पर ऑइंटमेंट लगाती हुई नर्स फिर सहम गई और जगदीश की ओर देखने लगी.

नर्स की यह तीसरी कोशिश थी. वो शालिनी के घायल स्तन पर हीलिंग ऑइंटमेंट लगाने की कोशिश करती थी और शालिनी जोरो से चीख पड़ती थी,इसलिए जगदीश को बुलाया था.

जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ थोड़ा सह लो शालिनी, वर्ना इलाज कैसे होगा?’

‘कल से अब तक मैंने कोई शिकायत की? आज दर्द हो रहा है इसलिए चीख रही हूं ना? मुझे क्या चीखने में मजा आता है?’ शालिनी ने जगदीश को कहा.

बात तो यह भी ठीक थी. जगदीश इस पर कुछ बोल नहीं पाया. उसने नर्स से पूछा. ‘पर मुझे क्यों बुलाया यहां ? इस मामले में मैं क्या कर सकता हूं ?’

‘ये दवा लगाना बहुत जरूरी है सर.’ नर्स ने नम्रता से कहा. ‘आप ट्राई करोगे क्या?‘

‘मैं?’ जगदीश ने चौंककर पूछा. ‘ट्राई ? मतलब मैं दवा लगाऊं?’

नर्स ने हां में सिर हिलाया. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने पूछा. ‘आप को जमेगा?’

जगदीश उलझ गया. क्या करना चाहिए? उसे समझ नहीं आया.

नर्स ने शालिनी की छाती पर गाउन ढंकते हुए कहा. ‘रात को जो सिस्टर ड्यूटी पर थी उन्होंने कहा है की मैडम को पेईन होगा तो उनका हसबंड को बुला लेना, हसबंड सामने होगा तो मैडम को पेईन नहीं होगा…’

जगदीश ने नर्स से कहा. ‘ठीक है, लाओ मैं कोशिश करता हूं.’

नर्स ने जगदीश को दवा दी.

जगदीश शालिनी के करीब बैठा.

नर्स शालिनी के पलंग पर कपड़े का पार्टीशन खींचते हुए बाहर चली गई.

पलंग की चारो ओर कपडे का पार्टीशन था. जगदीश और शालिनी एक अजीब प्राइवेसी में एक दूसरे के साथ अब अकेले थे -

जगदीश ने एक हाथ में दवा थाम कर दूसरे हाथ से शालिनी की छाती पर से गाउन हटाया.

शालिनी का विशाल स्तन अपनी घायल स्थिति में जगदीश को ताकने लगा…

यह पल भी कभी आएगा यह जगदीश ने कभी सोचा न था…

***


जुगल

‘लगता है तुमको कुछ याद नहीं.’

सरदार जी ने करीब के टेबल पर पड़े कम्प्यूटर को ऑन करते हुए कहा. ‘खुद देख लो. यह सीसीटीवी फुटेज…’

जुगल सांस थामे देखने लगा.

कमरे में वो नशे में धुत हालत में दाखिल हुआ.

पलंग के पास गया.

पलंग पर चांदनी और झनक गहरी नींद में थे.

झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…

जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…

और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…

जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था…


(३१ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)


Zanak
शालिनी अब खुद कुछ ना कुछ करवा के ही रहेगी अपने साथ। बेचारी चांदनी, कहीं इलाज के नाम पर चांदनी के साथ फिर से परिणय तो नही करना पड़ेगा जुगल को। झनक के साथ भी तो कुछ नहीं कर दिया इसने, अब झनक का बाप या तो जुगल का पेशवा तोड़ देगा या फिर झनक के साथ उसकी शादी का ऑफर देगा। तूलिका की तूती भी आखिर बज ही गई, अब देखते है मोहित कैसे हैंडल करता है। धांसू अपडेट।
 

rakeshhbakshi

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शालिनी अब खुद कुछ ना कुछ करवा के ही रहेगी अपने साथ। बेचारी चांदनी, कहीं इलाज के नाम पर चांदनी के साथ फिर से परिणय तो नही करना पड़ेगा जुगल को। झनक के साथ भी तो कुछ नहीं कर दिया इसने, अब झनक का बाप या तो जुगल का पेशवा तोड़ देगा या फिर झनक के साथ उसकी शादी का ऑफर देगा। तूलिका की तूती भी आखिर बज ही गई, अब देखते है मोहित कैसे हैंडल करता है। धांसू अपडेट।
वाह !
क्या कलरफुल प्रतिक्रिया है!!
आपका बहुत बहुत शुक्रिया...
 

rakeshhbakshi

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:lol::lol:
Gajab likh rhe ho sir , kuch smjh me hi nhi aa rha ki story badh kis taraf rhi hai
ye tulika aur mohite ka scene kaha se aa gaya bich me , waaah ..............
har update me ek twist dete ho aap
aab to sar chakrane laga hai aapki story padh ke

upar se ye chandini abhi tak recover nhi ho paai , itna gahra sadma kaise lag skta hai
isse pahle uske saath ye sab kabhi nhi hua ?? badha ajeeb hai


Ye jhanak ke pita bhi gajab aadmi hain , ek jawan mard unki beti ki panty utaar rha tha ye dekhte hue bhi kuch kaha nhi unhone usko , aur to aur sharaab offer ki
mamla kya hai ?


Khair , really amazed by your dedication to this story and your regular updates !!
आप के सारे शक
आपके अंदाजे
आपके सारे संभावित मोड़ कल्पना
और
सारे सवाल सर आंखों पर
पर
जो लिखा गया है उस का भी आनंद उठाइये
ऐसी बिनती....
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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३० – ये तो सोचा न था…

[(२९ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
इतने में शालिनी की नजर हाइवे से सटे जंगल में जुगनू के झुंड पर पड़ी. वो उत्साहित हो गई. शहर में जुगनू कहां देखने मिलते है!

‘वो देखो जुगनू !’ कहते हुए फोन बगल में रख कर वो प्रसन्न होते हुए कार के बाहर निकली.

उसी वक्त अपनी कॉन्फरन्स कॉल निपटा कर सुभाष ने अपना फोन बंद किया.

और

उसी वक्त हाईवे से सटी झाड़ियों में से किसी ने सुभाष पर निशाना दागा : धांय धांय…

पहली गोली सुभाष को छाती पर लगी, वो चीखते हुए कार के बोनेट पर लुढ़क गया…

और दूसरी गोली दो सेकंड पहले कार के बाहर निकली हुई शालिनी की बांह और दाहिने स्तन की गोलाई के दरमियान से पार हुई… ]


जुगल

एक भव्य बंगलो में जुगल ने कार दाखिल की. कार पार्क तो कर दी पर उसे अंडरवियर और बनियान में बाहर निकलने शर्म आ रही थी. झनक ने कहा. ‘यहां है कौन जो तुमको अजीब हालात में देख लेगा? मैं और मेरे पापा के अलावा घर में कोई नहीं रहता, चलो पहले चांदनी भाभी को सुला देते है.’

बेहोश चांदनी को जुगल ने गोद में उठा लिया, वो और झनक घर के मेईन दरवाजे के बाहर के आलीशान बरामदे तक पहुंचे। झनक घर का दरवाजा खोले उससे पहले पहली मंजिल पर से एक सरदार जी नीचे उतरे. ‘ये कोई धर्मशाला है? कोई भी कभी भी आ जाता है?’ गुर्राकर उन्होंने पूछा और जुगल और झनक को गुस्से से देखने लगे. ४५- ४८ साल के उस आदमी के ऐसे सवाल से जुगल सहम गया. पर झनक तेजी से सरदार जी के करीब जा कर उनको लिपट कर प्यार से बोली. ‘पापा! अपने माल की यूं बहार वालों के सामने बेइज्जती मत करो, ये मेरा दोस्त है जुगल और ये इनकी भाभी चांदनी, चांदनी की तबियत ठीक नहीं.’

‘हम्म्म. ठीक तो तुम दोनों के कपड़े भी नहीं.’ सरदार जी ने जुगल और झनक को निहारते हुए कहा.

‘वो एक लंबी कहानी है अब आप बोर मत करो. सो जाओ.’ कह कर झनक ने घर का दरवाजा खोला और जुगल से कहा. ‘आओ.’

जुगल चांदनी को लेकर घर में दाखिल हुआ.

***


जगदीश

हाईवे के करीब की पाटिल नर्सिंग होम में जगदीश कॉरिडोर में बेसब्री से चक्कर काट रहा था.

पिछले पंद्रह मिनट उसके लिए एक फास्ट मोशन फिल्म जैसी थी जिसका वो बौखलाया हुआ किरदार था. पहले जगदीश ने सुभाष को पीछे खुद बैठा था वहां, कार की पीछे की सीट में बैठाया. उसकी छाती पर गोली लगी थी वहां तूलिका का दुपट्टा कस के बांध दिया. फिर शालिनी के दुपट्टे को चीर कर दो टुकड़े किये और एक टुकड़ा उसकी घायल बांह पर कस के बांधा दूसरा उसके घायल स्तन पर लपेटा. गोली शालिनी के ड्रेस और ब्रा को जलाती हुई स्तन और बांह को जख्मी करते हुए पीछे निकल गई थी. शालिनी की बांह और स्तन दोनों जगह से खून टपक रहा था. शालिनी डर और फायरिंग की वजह से बेहोश हो गई थी. उसे पीछे की सीट पर सुभाष के बगल में बैठाया. तूलिका गोलीबारी और सुभाष के लुढ़क जाने से आघात से पुतला बन गई थी. जगदीश ने तुरंत कार ड्राइव की. बिना वक्त गंवाएं वो कार चला कर जो पहली शॉप दिखी वहां रुका और मोहिते को कॉल लगा कर जो हुआ वो दो वाक्य में बता दिया. मोहिते ने पूछा की इस वक्त तुम लोग कहां हो? जगदीश ने उस दुकानवाले को फोन पकड़ा कर लोकेशन बताने कहा. मोहिते ने उस दुकान वाले से बात की. बात करने के बाद दूसरी ही मिनट में दुकान वाले ने अपनी सिगरेट बीड़ी की दूकान बंद कर दी और जगदीश से कहा मेरी बाइक को फॉलो कीजिये.

पांच मिनट में वो लोग पाटिल नर्सिंग होम में थे और दूसरी पांच मिनट के बाद डॉक्टर ने शालिनी और सुभाष दोनों की ट्रीटमेंट शुरू कर दी थी…

सुभाष को पहली गोली लगी तब से ले ले कर अब तक कुल पंद्रह मिनट बीत चुके थे.

और हॉस्पिटल के कॉरिडोर में जगदीश बेसब्री से चक्कर काट रहा था…

***


जुगल

झनक ने चांदनी के लिए एक डबल बेड वाला कमरा खोला था. जुगल को अपने पापा का नाइट गाउन दिया था जिसे लपेटे जुगल बेहोश चांदनी को निहार रहा था, इस उम्मीद में की अब भाभी होश में आये तो खुदा करे अजिंक्य की हरकतों को भूल चुकी हो और नॉर्मल तरीके से पेश आये…

चांदनी ने आंखें खोल कर अगल बगल देखा. फिर जुगल को देखा. जुगल आशंका के साथ चांदनी को देखता रहा की अब भाभी क्या बोलेगी!

‘पापा…’ चांदनी ने जुगल को देखते हुए कहा.

जुगल की आंखों में आंसू आ गए.

तभी चाय लेकर झनक कमरे में दाखिल हुई. जुगल को चाय देते हुए उसने पूछा. ‘तुम रो क्यों रहे हो?’

‘मम्मी….’ चांदनी ने कहा. जुगल और झनक ने चौंक कर चांदनी की ओर देखा. चांदनी झनक को मम्मी कह रही थी.

झनक चांदनी के पास गई और पूछा. ‘क्या हुआ?’

डरी हुई लड़की की तरह सहम सहम कर चांदनी ने पूछा. ‘पापा अब भी मुझ से नाराज है?’

झनक की आंखें भी चांदनी के इस मासूम सवाल से भर आई. उसने चांदनी को बांहों में ले कर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा. ‘नहीं, चांदनी, मम्मी पापा - कोई तुम से नाराज नहीं…’

चांदनी छोटी बच्ची की तरह झनक की छाती में अपना सर छुपा कर आंखें मूंद गई…

जुगल अपना सिर थाम कर पलंग पर बैठ पड़ा.

***


जगदीश

‘देखिए, मी. सुभाष की चेस्ट से गोली तो निकाल दी है पर उनकी स्थिति गंभीर है. अभी भी ऑपरेशन चल रहा है, खून काफी बह गया है. हॉस्पिटल का खून का स्टॉक ख़तम है…’

‘आप मेरा खून ले लीजिये, यूनिवर्सल टाइप है डॉक्टर, ओ नेगेटिव -’

‘ओह यह तो अच्छी बात है…चलिए. खून की जरुरत पड़ेगी ही.’

डॉक्टर के साथ वॉर्ड की ओर जाते हुए जगदीश ने पूछा. ‘और शालिनी की स्थिति क्या है?’

‘उनको पंद्रह मिनट में होश आ जाएगा. लकिली उनको कोई सीरियस चोट नहीं लगी. हाथ और लेफ्ट ब्रेस्ट को स्लाइटली छूते हुए गोली पास हो गई ऐसा लग रहा है. हाथ में जरा ज्यादा घाव हुआ है पर ब्रेस्ट को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, पर ब्रेस्ट की केर लेनी होगी. सूझन हो गई है, जो और भी बढ़ सकती है. रिलीफ के लिए ऑइंटमेंट अवेलेबल है पर बहुत सावधानी से, एकदम लाइट टच से वो अप्लाई करना होता है, डोंट वरी नर्स वील डु धेट…’

‘ओके’ राहत महसूस करते हुए जगदीश ने पूछा. ‘डिस्चार्ज कब तक मिलेगा उनको?’

‘दो दिन में शायद, कल चेक कर के बताता हूं.’

वॉर्ड में डॉक्टर की सूचना अनुसार जगदीश का खून लिया गया. खून देने के बाद जगदीश ने डॉक्टर से कहा. ‘सुभाष की ट्रीटमेंट में पैसे का कोई इस्यु नहीं है यह मैं आपसे क्लियर करना चाहता हूं.’

‘मी. सुभाष पुलिस डिपार्टमेंट से है, करेक्ट?’ डॉक्टर ने पूछा.

‘जी, पर ट्रीटमेंट के लिए हम डिपार्टमेंट पर डिपेंड नहीं रहेंगे, आप को कोई भी डिसीज़न लेना हो तो मुझसे बात करके कॉल ले लीजियेगा, सुभाष की रिकवरी बहुत महत्वपूर्ण है.’

‘आई अंडरस्टैंड. मी. रस्तोगी.’ डॉक्टर ने कहा और एक नर्स से पूछा. ‘वो लेडी पेशेंट को होश आया?’

‘अभी तक नहीं…’ नर्स ने जगदीश की ओर देखते हुए जवाब दिया.

‘आप उनके वॉर्ड में वेइट कर सकते हो, कुछ ही देर में उनको होश आ जाएगा.’

‘थैंक्स डॉक्टर’ कह कर जगदीश शालिनी के वॉर्ड की ओर जा ही रहा था की उसे कॉरिडोर में गुमसुम बैठी हुई तूलिका दिखी. और जगदीश को बहुत गिल्ट हो आई : इस भागादौड़ी में वो तूलिका को तो भूल ही गया था! सुभाष इतनी गंभीर हालत में है - उस पर क्या बीत रही होगी! वो होंसला अफ़ज़ाई करने तूलिका की ओर बढ़ा…

***


जुगल

चांदनी झनक को लिपट कर सो गई थी. जुगल को इस नई मुसीबत से उलझन हो गई थी. चांदनी भाभी उसे पापा और झनक को अपनी मम्मी समझ रही थी - ये क्या बखेड़ा है? इसका उपाय क्या?

चांदनी ने झनक के साथ ही खाना खाया था, जुगल ने थोड़ा खाना खाया पर चांदनी भाभी की हालत उसे परेशान कर रही थी, सो वो ढंग से खा नहीं पाया. चांदनी के सो जाने के बाद झनक ने उसकी बगल से उठने की कोशिश की पर चांदनी नींद में भी झनक का हाथ छोड़ नहीं रही थी.

‘यार ये तो छोड़ नहीं रही, लगता है यहीं सोना पड़ेगा आज…’ झनक ने जुगल से धीमी आवाज में कहा ताकि चांदनी की नींद में खलल न हो.

जुगल ने धीमी आवाज में पूछा. ‘तो मैं कहीं और सो जाऊं ?’

‘क्यों? इतना बड़ा तो बेड है…’ झनक ने आश्चर्य से कहा.

‘ओके.’ जुगल ने पलंग के दूसरे छोर पर लेटते हुए कहा.

‘लेटो मत, यहां आओ -मुझे कपडे निकालने में हेल्प करो, ये हाथ यह छोड़ नहीं रही. ज्यादा हिलडुल सकती मैं - कहीं इनकी नींद खुल न जाए…’ झनक ने कहा.

कपडे निकालने में हेल्प? जुगल हैरान होते हुए उठ कर झनक के करीब गया. झनक ने घुटने तक का स्कर्ट पहना था और स्लीवलेस टॉप. जुगल के करीब जाते झनक ने मूड कर अपनी पीठ जुगल की और करते हुए कहा. ‘टॉप ऊपर करके ब्रा का हुक निकाल दो…’

जुगल एक पल हिचकिचाया फिर उसने टॉप ऊपर कर के ब्रा के हुक खोल दिए. और ठगा सा खड़ा रह गया. झनक ने मुंह फेर कर उसे देखते हुए कुछ चिढ के साथ धीमी आवाज में कहा. ‘अब ब्रा निकालो! खड़े क्या हो?’

जुगल के लिए यह सब अनपेक्षित था. उसने चुपचाप ब्रा को निकालना शुरू किया. पर उसे जम नहीं रहा था. आखिर अपने स्तनों पर से झनक ने ब्रा को खिसकाया और जुगल को आंखों से ब्रा खींच लेने इशारा किया. ब्रा खींचते हुए जुगल झनक के स्लीवलेस टॉप की कांख के गैप में से सुडौल और सुगोल स्तन की झांकी कर रहा था तब झनक ने उसे अपने स्कर्ट की और इशारा किया. जुगल फिर उलझ गया और झनक की ओर देखता रहा. झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘पेंटी-’

पेंटी ! निकालनी होगी? मुझे?

जुगल आश्चर्यचकित हो कर झनक के पैरो के पास बैठा. झनक लेटी हुई थी. जुगल ने स्कर्ट में हाथ डाला और झनक की पेंटी खींची… घुटने तक झनक की पेंटी खींच ली तभी कमरे में झनक ने पापा - सरदार जी दाखिल हुए. जुगल उनको देख सहम कर बूत बन गया…

***


जगदीश

तूलिका के करीब जगदीश ने बैठ कर कहा. ‘सोरी तूलिका, यह सब जो हो गया…’

जगदीश को देख तूलिका उसकी बांहों में चिपक कर रोने लगी. तूलिका इस तरह उससे लिपट जाएगी यह जगदीश ने कल्पना नहीं की थी. तूलिका के पूर्ण विकसित स्तन जगदीश की छाती में दब रहे थे, इस हालात में भी ऐसे संस्पर्श से जगदीश को अनचाही उत्तेजना हो गई. तूलिका को सांत्वना देने उसकी पीठ सहलाते हुए जगदीश ने कहा. ‘रो क्यों रही हो? सुभाष ठीक हो जाएगा, डॉक्टर ने कहा है चिंता की कोई बात नहीं….’

तूलिका ने अपने आपको जगदीश के साथ और ज्यादा चिपकाया. जगदीश ने बलपूर्वक उसे अपने से जुदा करते हुए कहा. ‘खुद को संभालो तूलिका-’

तूलिका अपने आंसू पोंछने लगी….

***


जुगल

झनक ने जुगल से चिढ कर कहा. ‘निकालो न पेंटी ? क्या हुआ? रुक क्यों गए?’

जुगल ने बौखला कर पेंटी निकाल कर बगल में रखी.

सरदार जी ने झनक से पूछा. ‘अब कैसी है चांदनी?’

झनक ने सरदार जी को धीमी आवाज में कहा. ‘कोई फर्क नहीं. मेरा हाथ ही नहीं छोड़ रही.’

जुगल अपने सोने की जगह पर आया. सरदार जी बाहर जाने के लिए मुड़े और जाते जाते जुगल से धीमी आवाज में पूछा. ‘कुछ पीने की इच्छा है?’

जुगल हां में सर हिलाते हुए सरदार जी के साथ कमरे के बाहर निकला.

***


जगदीश

नर्स को बिनती करके जगदीश ने तूलिका के आराम करने का इंतज़ाम किया और शालिनी के वॉर्ड में गया. शालिनी को होश आ चुका था और नर्स उसकी बांह के घाव का ड्रेसिंग कर रही थी.

जगदीश शालिनी के सामने देख मुस्कुराते हुए पलंग के एक छोर पर शालिनी के करीब बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में ले कर पूछा. ‘दर्द हो रहा है?’

शालिनी ने मुस्कुराकर कहा. ‘अब तक हो रहा था, आप आ गए तो नहीं हो रहा.’

जगदीश यह सुन थोड़ा झेंप गया. ड्रेसिंग करते हुए नर्स भी यह सुन कर मुस्कुराने लगी.

शालिनी ने पूछा. ‘सुभाष भाई कैसे है?’

‘अब खतरे से बाहर है.’

‘थैंक गॉड…’ शालिनी भावुकता से बोली. फिर जगदीश को पूछा. ‘डांटना नहीं है मुझे ?’

जगदीश ने शालिनी को आश्चर्य से देखते हुए पूछा. ‘क्यों डाटूंगा ?’

‘क्या जरूरत थी कार के बाहर निकलने की ऐसा गुस्सा नहीं करोगे?’

‘नहीं शालिनी.’ जगदीश ने शालिनी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ‘तुम्हारी इसमें कोई गलती नहीं. होना था- हो गया.’

शालिनी ने जगदीश की हथेली दबा कर कहा. ‘मैं तो डर रही थी की आप मुझ पर बहुत नाराज होंगे.’

जगदीश ने शालिनी के नाजुक होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा. ‘चुप रहो.अब ज्यादा बोलो मत.’

शालिनी बस मुस्कुरा दी. शालिनी के मुस्कुराने की वजह उसके होठ हिले जो जगदीश ने होठों पर रखी अपनी उंगली तले महसूस किया. एक सनसनी सी उसके जहेन में दौड़ गई. उसने अपनी उंगली शालिनी के होंठो से हटा ली.

शालिनी को अस्पताल का गाउन पहनाया गया था जो काफी ढीला था. शालिनी के स्तन उस ढीले गाउन में ज्यादा बड़े लग रहे थे ऐसा जगदीश को लगा. फिर उसने सोचा की शायद ब्रा निकलवाई गई होगी इसलिए ऐसा लगता होगा? फिर उसे लगा कि यह मैं क्या सोच रहा हूं !

बांह का ड्रेसिंग हो जाने के बाद नर्स ने शालिनी के इजा ग्रस्त स्तन पर की पट्टी निकालना शुरू किया. जगदीश यह देख हिचकिचाया और खड़े होते हुए नर्स से कहा. ‘मैं बाहर जाता हूं…’

शालिनी ने आश्चर्य से पूछा. ‘क्यों? अभी तो आये हो!’

जगदीश ने कहा. ‘वापस आ जाऊंगा, अभी तुम्हारा ड्रेसिंग हो रहा है… मेरा रुकना ठीक नहीं…’

‘ऐसा कुछ नहीं, अगर पेशेंट को प्रॉब्लम नहीं तो चलेगा.’ नर्स ने हंस कर कहा.

शालिनी को तो हैरानी हो रही थी. उसने जगदीश की हथेली थामते हुए पूछा. ‘मुझे क्यों प्रॉब्लम होगी! आप बैठे रहिये.’

जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?


(३० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
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३१ – ये तो सोचा न था…

[(३० – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?]


दूसरे दिन सुबह

जगदीश


सुबह तड़के एक और नाजुक ऑपरेशन के बाद सुभाष अब खतरे से पूरी तरह बाहर था पर अस्पताल में उसे और दस दिन रुकना पड़ेगा. शालिनी को दूसरे दिन शाम तक डिस्चार्ज मिल जाएगा. उसे अब अस्पताल की कैंटीन तक जाने की रजामंदी मिली थी. जगदीश, शालिनी और मोहिते अस्पताल की कैंटीन में सुबह का चाय नाश्ता कर रहे थे. जगदीश कुछ खोया खोया था. शालिनी ने यह नोटिस किया. जगदीश से पूछा की क्या हुआ है पर जगदीश बात टाल गया.

‘हमला करने वालों के निशाने पर कौन था ? मैं या सुभाष ?’ जगदीश ने पूछा.

‘यह लोग साजन भाई के कनेक्शन में तो नहीं थे. नाइनटी नाइन परसेंट यह मामला डिपार्टमेंट के अगेंस्ट है…’

मोहिते ने जवाब दिया. फिर कुछ पल सभी चुपचाप नाश्ता करते रहे.

मोहिते भी कुछ परेशान सा था. नाश्ता निपटाने के बाद उसने जगदीश का हाथ थाम कर कहा. ‘मुझे तुमसे दो बातें करनी है. एक तो यह की सुभाष के लिए तुमने जो कुछ भी किया…’

‘अरे!’ जगदीश ने सुभाष का हाथ झटक कर कहा. ‘कोई बड़ी बात नहीं, मेरी जगह पर कोई भी होता तो जो करता वो ही मैंने भी किया.’

‘अरे पर-’ मोहिते कुछ बोलने गया तब शालिनी ने मोहिते को कहा. ‘ प्लीज़ ऐसी बातें कर के हमें शर्मिंदा न कीजिये मोहित भाई-’

तब मोहिते ने शालिनी से कहा. ‘आप को पता है इन्होने सुभाष के लिए क्या किया? मैं वक्त पर अस्पताल ले आने की और अपना खून देने की बात नहीं कर रहा. मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दो गुना फी केश चुका कर इन्होने सुभाष के आज सुबह के ऑपरेशन का इंतज़ाम किया यह आप को पता है?’

शालिनी को यह पता नहीं था. उसने जगदीश की ओर देखा. जगदीश ने शालिनी के सामने देख एक स्मित किया और मोहिते से कहा. ‘ऐसी बातों का ढिंढोरा नहीं पीटते. छोडो. बताओ दूसरी क्या बात कहनी है?’

‘वो बाद में कहूंगा.’ मोहिते ने कहा.

चाय ख़त्म हुई. शालिनी खड़े होते हुए बोली. ‘आप लोग बातें कीजिए, मेरा ड्रेसिंग का समय हुआ है… मैं चलती हूं.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने कहा. ‘दूसरी बात थोड़ी अजीब है, समझ में नहीं आता की कैसे कहु…’

‘अरे इतना संकोच क्यों?’

‘बात ही ऐसी है की…’

‘अब बता भी दो.’

मोहिते ने गला साफ किया. उसी वक्त शालिनी वापस आई जो अपना सेल फोन टेबल पर गलती से भूल गई थी. मोहिते केंटीन के दरवाजे की ओर पीठ कर के बैठा था सो शालिनी आ रही है यह उसे नहीं दिखा और जगदीश कपूर ध्यान मोहिते की बातों में था सो उसने भी शालिनी लौटी यह नहीं देखा.. शालिनी दोनों की ओर बढ़ी और यहां मोहिते ने कहा. ‘ तूलिका ने तुम्हारी शिकायत की है…’

यह सुन शालिनी ठिठक कर खड़ी रह गई.

जगदीश ने मुस्कुराकर पूछा.

‘अच्छा ? मेरी शिकायत?’

‘ जगदीश, यह मत समझो कि मुझे उसकी बात पर यकीं है पर उसने शिकायत की है.’

‘ठीक है, क्या शिकायत यह तो बताओ?’

‘वो जाने दो, मुझे लगता है की तूलिका पगला गई है…मुझे समझ में नहीं आ रहा की वो तुम्हारे बारे में गलत बात क्यों बोल रही है.’

शालिनी अब भी पीछे खड़ी मोहिते की बात सुन रही थी. जगदीश ने अब शालिनी को देखा फिर मोहिते से कहा.

‘पर क्या किया मैंने वो तो बताया होगा न तूलिका ने?’

‘बकवास बातें कर रही थी…’

‘मैं बताऊं , तूलिका ने क्या शिकायत की होगी?’

शालिनी और मोहिते दोनों ने जगदीश को आश्चर्य से देखा.

जगदीश ने कहा. ‘तूलिका ने कहा होगा की कार में सफर करते वक्त मैं सारा समय ड्राइविंग मिरर से उसी को ताड़ रहा था ?’

‘हां.’ मोहिते ने कहा. ‘यह उसने कहा.’

‘और यह भी की होटल के वॉशरूम की संकरी गली में मैंने उसे जबरदस्ती किस कर दी?’

शालिनी और मोहिते को और आश्चर्य हुआ. मोहिते ने कहा. ‘हां यह भी कहा तूलिका ने…’

‘और सुभाष को यहां एडमिट किया तब सांत्वना देने के बहाने मैंने उसे बांहों में ले लिया?’

‘ओह जगदीश क्या है यह सब? मतलब क्या उसकी सारी शिकायते सही है? बिलकुल यही बातें तूलिका ने मुझे बताई है…’ मोहिते ने हैरानी के साथ पूछा.

जगदीश सिर्फ मुस्कुराया, शालिनी अब मोहिते के सामने आ कर कुछ गुस्से में बोली. ‘यह सब हुआ होगा यह सच है पर शिकायत झूठी है…’

‘भाभी आप!’ मोहिते शालिनी को देख बौखला गया. ‘आप छुप कर हमारी बातें सुन रही थी?’

‘हां, छुप कर सुनना पड़ता है, क्योंकि इनको तो संत आदमी का ओस्कार एवॉर्ड लेना है इसलिए इन के सर पर हाथी आ कर बैठ जाएगा तब भी ये तो उफ़ नहीं करेंगे!’ जगदीश को गुस्से से देखते हुए शालिनी ने जवाब दिया.

मोहिते को कुछ समझ में नहीं आया. जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘अरे मुझ पर क्यों बिगड़ रही हो?’

‘आप तो चुप ही रहो, हम बाद में बात करेंगे.’ शालिनी ने जगदीश से कातर आवाज में कहा. फिर मोहिते से पूछा. ‘समझ में आया क्या हुआ वो?’

मोहिते उलझन भरे चेहरे के साथ बोला. ‘कुछ भी नहीं, आप क्या कहना चाहती हो? प्लीज़ साफ़ साफ़ कहो.’

‘मोहिते भाई, तूलिका इन पर चांस मार रही थी, पर इन्हो ने उसे भाव नहीं दिया सो वो उल्टा दांव खेल कर अपनी इमेज बचा रही है - और कोई बात नहीं.’

मोहिते सोच में पड़ गया. फिर उसने शालिनी से पूछा. ‘आप को यह सब पता था?’

‘नहीं. मैंने तो अभी यह सब सुना, ये मोबाइल लेने वापस आई इस लिए सुनने मिला वरना ये तो मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं बताते….’

‘पर आप को ये सब हुआ वो ही जब पता नहीं, तो किसने किया होगा ये कैसे आप इतने यकीन से कह रहे हो?’ मोहिते ने शालिनी से पूछा.

शालिनी ने कहा. ‘मोहिते भाई, मैं तूलिका को नहीं जानती, पर इनको तो जानती हूं ना? ये इतने सीधे इन्सान है की अगर किसी कमरे में यह मुझे किसी अनजान लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिले तब भी मैं यही समझूंगी की ‘कपडे निकालने की कोई ठोस वजह होगी - किसी लड़की को भोगने के लिए ये कपडे नहीं उतारेंगे…’

जगदीश ने शालिनी को उसका फोन देते हुए कहा. ‘बस. ये लो अपना फोन. अब जाओ. जरूरत से ज्यादा तुमने सुन भी लिया और बोल भी लिया.जाओ, तुम्हारा ड्रेसिंग का टाइम हो गया है.’

शालिनी ने जाते हुए मोहिते से कहा. ‘तूलिका का बचपना है ये, पर आप तो बड़े हो. बड़ो की तरह सोचना.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने अपना सिर पकड़ लिया. जगदीश ने कहा. ‘शालिनी की बात मन पर मत लेना, हर किसी को अपना ही सिक्का सच्चा लगता है. उसे मैं बेगुनाह लगता हूँ और तुम्हे तुम्हारी बहन निर्दोष लगती होगी- और ऐसा लगना गलत भी नहीं…’

जगदीश की बात काटते हुए मोहिते ने कहा. ‘न मैं तुम्हे गुनहगार मानता हूँ न मेरी बहन को निर्दोष. भाभी की सारी बातों से मैं सहमत हूं . मेरी दिक्कत यह है की तूलिका ने तुम्हारे नाम की झूठी शिकायत क्यों की होगी? इससे उसे क्या फायदा होगा?’

‘मैं समझता हूं तूलिका ने ऐसा क्यों किया. बता सकता हूं, पर क्या तुम सच्चाई झेल पाओगे?

मोहिते अब बहुत टेन्स हो गया. बोला. ‘ऐसे डायलॉग मारोगे तो मुझे सुने बिना चैन नहीं पड़ेगा, बोल दो भाई जो बोलना हो!’

‘तूलिका तुमसे प्यार करती है मोहिते - सेक्सुअल प्यार.’

मोहिते के पैरों तले से गोया जमीं खिसक गई…

***


जुगल

सुबह का वक्त था जुगल ब्रश कर के चाय का इतंज़ार कर रहा था. चांदनी भाभी बाथरूम में नहा रही थी. झनक दोनों के लिए चाय ले कर आई. जुगल को चाय दे कर झनक बैठ कर साथ में चाय पीते हुए जुगल को पूछने लगी.

‘रात को पापा के साथ कितनी शराब पी ?’

‘खास नहीं.’

‘कमरे में तुम लौटे तब होश में तो थे?’

‘बिलकुल होश में था. क्यों ऐसा पूछ रही हो?’

‘रात को मैं तो सो गई थी पर तुमने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की थी ना?’

‘अपनी बेहूदा बातें बंद करो.’ जुगल ने चिढ कर कहा.

‘जुगल.’ झनक की आवाज गंभीर थी. जुगल ने उसकी ओर देखा. झनक ने कहा.

‘इस घर में हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. ओके? अगर तुमने कोई हरकत की होगी तो वो कैमरे में दर्ज हुई होगी. और पापा ने अब तक देख भी लिया होगा. सो अगर तुमने कोई हरकत की है तो उसे छुपाना बिलकुल नहीं. बस यही कहना था.’ और इतना कह कर खड़े हो कर बाथरूम की ओर जाते हुए मनमे सोच रही थी. ‘चांदनी भाभी को नहाने में इतना समय क्यों लग रहा है?

और जुगल सीसीटीवी कैमरा वाली बात सुनकर सख्ते में आ गया था. पिछली रात उसने काफी नशा किया था. क्या नशे में उसने कोई गड़बड़ी की होगी?

जुगल सहम गया. - ये साला शराब बहुत बुरी चीज है… कुछ याद ही नहीं रहता.. पिछली बार भी शराब के नशे में किसी को शालिनी समझ कर…

जुगल अब टेन्स हो गया- रात को उसने कुछ ऐसा किया था जो नहीं करना चाहिए?

वो याद करे उससे पहले बाथरूम से चांदनी की आवाज आई : ‘पापा, ये मम्मी देखो ना जबरदस्ती पेंटी पहना रही है… ‘

चांदनी की शिकायत से परेशान होता हुआ जुगल बाथरूम की और गया. बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. बाहर खड़े हो कर जुगल ने पूछा . ‘क्या प्रॉब्लम है?’

‘मैंने पेंटी नहीं पहनी थी, मम्मी ने पहना दी.’

‘तो बराबर है ना चांदनी? पेंटी पहननी ही चाहिए…’ जुगल बच्चो को समझाने के सुर में बोला.

‘पापा, फिर आप गुस्सा नहीं करोगे ना की मैंने पेंटी क्यों पहनी है? पनिशमेंट तो नहीं दोगे मुझे? ‘

जुगल यह सुन कर कांप उठा : चांदनी भाभी ने क्या क्या सहा है अपने पिता से!

***


जगदीश

मोहिते खड़े होते हुए बोला. ‘चलो अब यहाँ से उठते है.’

‘मैंने तूलिका के बारे में जो कहा वो क्यों कहा यह नहीं जानना ?’

‘नहीं.’

जगदीश मोहिते को देखता रहा.

मोहिते ने कहा. ‘इसलिए नहीं सुनना, क्योंकि मुझे डर है कि तुम मुझे कन्विंस कर दोगे की मेरी बहन मुझ पर सेक्सुअली मरती है.’

‘तो? तुम सच से इतना डरते क्यों हो?’

‘पागल हो गए हो जगदीश? तुम्हें अंदाजा है तुम क्या बोल रहे हो? तूलिका मेरी सगी बहन है - सगी.’

‘मेरे बोलने से ये हो जाएगा? या ये है इसलिए मैं बोल रहा हूं?’ जगदीश ने पूछा.

‘वो कुछ भी हो.’ मोहिते ने झुंझलाकर कहा. ‘तुम कह रहे हो वो अगर सच हो तब भी मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता.’

जगदीश आगे कुछ बोले उससे पहले एक वॉर्डबॉय आया और जगदीश से कहने लगा. ‘सर वो ड्रेसिंग के लिए प्रॉब्लम हो रही है, आप की मेडम ने आप को बुलाया है…’

जगदीश ने खड़े होते हुए मोहिते से कहा. ‘ मोहिते इस मामले में कोई गर कुछ कर सकता है तो केवल तुम कर सकते हो. वो तुम्हारी बहन है और उसे तुम अनाथ की तरह समस्या सहने अकेली छोड़ नहीं सकते. यह एक प्रॉब्लम है और इसका हल ढूंढना होगा. इस बात पर सोचना. मैं मिलता हूँ शालिनी की ड्रेसिंग के बाद.’

और वॉर्डबॉय के साथ चला गया.

***


जुगल

जुगल झनक के पापा, सरदार जी के सामने बैठा था. उन्होंने जरूरी बात करने बुलाया था. क्या बात होगी यह सोच कर जुगल का दिल धड़क रहा था. सरदार जी ने उसे आया हुआ देख कर पूछा.

‘झनक नहीं आई?’

‘उसे भी बुलाया है?’

‘हां, तुम दोनों से बात करनी है. तुम्हारी भाभी की हालत ठीक नहीं कोई एक्शन जल्द लेनी होगी जुगल.’

‘जी.’

‘दूसरी बात, कल रात हम अलग हुए उसके बाद तुम होश में थे?’

जुगल का दिल जोरों से धड़कने लगा. - क्या रात को उसने झनक के साथ कुछ गलत किया होगा?

***


जगदीश

‘उई मां…’ जोरो से शालिनी चीख पड़ी. उसके स्तन पर ऑइंटमेंट लगाती हुई नर्स फिर सहम गई और जगदीश की ओर देखने लगी.

नर्स की यह तीसरी कोशिश थी. वो शालिनी के घायल स्तन पर हीलिंग ऑइंटमेंट लगाने की कोशिश करती थी और शालिनी जोरो से चीख पड़ती थी,इसलिए जगदीश को बुलाया था.

जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ थोड़ा सह लो शालिनी, वर्ना इलाज कैसे होगा?’

‘कल से अब तक मैंने कोई शिकायत की? आज दर्द हो रहा है इसलिए चीख रही हूं ना? मुझे क्या चीखने में मजा आता है?’ शालिनी ने जगदीश को कहा.

बात तो यह भी ठीक थी. जगदीश इस पर कुछ बोल नहीं पाया. उसने नर्स से पूछा. ‘पर मुझे क्यों बुलाया यहां ? इस मामले में मैं क्या कर सकता हूं ?’

‘ये दवा लगाना बहुत जरूरी है सर.’ नर्स ने नम्रता से कहा. ‘आप ट्राई करोगे क्या?‘

‘मैं?’ जगदीश ने चौंककर पूछा. ‘ट्राई ? मतलब मैं दवा लगाऊं?’

नर्स ने हां में सिर हिलाया. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने पूछा. ‘आप को जमेगा?’

जगदीश उलझ गया. क्या करना चाहिए? उसे समझ नहीं आया.

नर्स ने शालिनी की छाती पर गाउन ढंकते हुए कहा. ‘रात को जो सिस्टर ड्यूटी पर थी उन्होंने कहा है की मैडम को पेईन होगा तो उनका हसबंड को बुला लेना, हसबंड सामने होगा तो मैडम को पेईन नहीं होगा…’

जगदीश ने नर्स से कहा. ‘ठीक है, लाओ मैं कोशिश करता हूं.’

नर्स ने जगदीश को दवा दी.

जगदीश शालिनी के करीब बैठा.

नर्स शालिनी के पलंग पर कपड़े का पार्टीशन खींचते हुए बाहर चली गई.

पलंग की चारो ओर कपडे का पार्टीशन था. जगदीश और शालिनी एक अजीब प्राइवेसी में एक दूसरे के साथ अब अकेले थे -

जगदीश ने एक हाथ में दवा थाम कर दूसरे हाथ से शालिनी की छाती पर से गाउन हटाया.

शालिनी का विशाल स्तन अपनी घायल स्थिति में जगदीश को ताकने लगा…

यह पल भी कभी आएगा यह जगदीश ने कभी सोचा न था…

***


जुगल

‘लगता है तुमको कुछ याद नहीं.’

सरदार जी ने करीब के टेबल पर पड़े कम्प्यूटर को ऑन करते हुए कहा. ‘खुद देख लो. यह सीसीटीवी फुटेज…’

जुगल सांस थामे देखने लगा.

कमरे में वो नशे में धुत हालत में दाखिल हुआ.

पलंग के पास गया.

पलंग पर चांदनी और झनक गहरी नींद में थे.

झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…

जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…

और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…

जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था…


(३१ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)


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Sandip2021

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३१ – ये तो सोचा न था…

[(३० – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?]


दूसरे दिन सुबह

जगदीश


सुबह तड़के एक और नाजुक ऑपरेशन के बाद सुभाष अब खतरे से पूरी तरह बाहर था पर अस्पताल में उसे और दस दिन रुकना पड़ेगा. शालिनी को दूसरे दिन शाम तक डिस्चार्ज मिल जाएगा. उसे अब अस्पताल की कैंटीन तक जाने की रजामंदी मिली थी. जगदीश, शालिनी और मोहिते अस्पताल की कैंटीन में सुबह का चाय नाश्ता कर रहे थे. जगदीश कुछ खोया खोया था. शालिनी ने यह नोटिस किया. जगदीश से पूछा की क्या हुआ है पर जगदीश बात टाल गया.

‘हमला करने वालों के निशाने पर कौन था ? मैं या सुभाष ?’ जगदीश ने पूछा.

‘यह लोग साजन भाई के कनेक्शन में तो नहीं थे. नाइनटी नाइन परसेंट यह मामला डिपार्टमेंट के अगेंस्ट है…’

मोहिते ने जवाब दिया. फिर कुछ पल सभी चुपचाप नाश्ता करते रहे.

मोहिते भी कुछ परेशान सा था. नाश्ता निपटाने के बाद उसने जगदीश का हाथ थाम कर कहा. ‘मुझे तुमसे दो बातें करनी है. एक तो यह की सुभाष के लिए तुमने जो कुछ भी किया…’

‘अरे!’ जगदीश ने सुभाष का हाथ झटक कर कहा. ‘कोई बड़ी बात नहीं, मेरी जगह पर कोई भी होता तो जो करता वो ही मैंने भी किया.’

‘अरे पर-’ मोहिते कुछ बोलने गया तब शालिनी ने मोहिते को कहा. ‘ प्लीज़ ऐसी बातें कर के हमें शर्मिंदा न कीजिये मोहित भाई-’

तब मोहिते ने शालिनी से कहा. ‘आप को पता है इन्होने सुभाष के लिए क्या किया? मैं वक्त पर अस्पताल ले आने की और अपना खून देने की बात नहीं कर रहा. मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दो गुना फी केश चुका कर इन्होने सुभाष के आज सुबह के ऑपरेशन का इंतज़ाम किया यह आप को पता है?’

शालिनी को यह पता नहीं था. उसने जगदीश की ओर देखा. जगदीश ने शालिनी के सामने देख एक स्मित किया और मोहिते से कहा. ‘ऐसी बातों का ढिंढोरा नहीं पीटते. छोडो. बताओ दूसरी क्या बात कहनी है?’

‘वो बाद में कहूंगा.’ मोहिते ने कहा.

चाय ख़त्म हुई. शालिनी खड़े होते हुए बोली. ‘आप लोग बातें कीजिए, मेरा ड्रेसिंग का समय हुआ है… मैं चलती हूं.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने कहा. ‘दूसरी बात थोड़ी अजीब है, समझ में नहीं आता की कैसे कहु…’

‘अरे इतना संकोच क्यों?’

‘बात ही ऐसी है की…’

‘अब बता भी दो.’

मोहिते ने गला साफ किया. उसी वक्त शालिनी वापस आई जो अपना सेल फोन टेबल पर गलती से भूल गई थी. मोहिते केंटीन के दरवाजे की ओर पीठ कर के बैठा था सो शालिनी आ रही है यह उसे नहीं दिखा और जगदीश कपूर ध्यान मोहिते की बातों में था सो उसने भी शालिनी लौटी यह नहीं देखा.. शालिनी दोनों की ओर बढ़ी और यहां मोहिते ने कहा. ‘ तूलिका ने तुम्हारी शिकायत की है…’

यह सुन शालिनी ठिठक कर खड़ी रह गई.

जगदीश ने मुस्कुराकर पूछा.

‘अच्छा ? मेरी शिकायत?’

‘ जगदीश, यह मत समझो कि मुझे उसकी बात पर यकीं है पर उसने शिकायत की है.’

‘ठीक है, क्या शिकायत यह तो बताओ?’

‘वो जाने दो, मुझे लगता है की तूलिका पगला गई है…मुझे समझ में नहीं आ रहा की वो तुम्हारे बारे में गलत बात क्यों बोल रही है.’

शालिनी अब भी पीछे खड़ी मोहिते की बात सुन रही थी. जगदीश ने अब शालिनी को देखा फिर मोहिते से कहा.

‘पर क्या किया मैंने वो तो बताया होगा न तूलिका ने?’

‘बकवास बातें कर रही थी…’

‘मैं बताऊं , तूलिका ने क्या शिकायत की होगी?’

शालिनी और मोहिते दोनों ने जगदीश को आश्चर्य से देखा.

जगदीश ने कहा. ‘तूलिका ने कहा होगा की कार में सफर करते वक्त मैं सारा समय ड्राइविंग मिरर से उसी को ताड़ रहा था ?’

‘हां.’ मोहिते ने कहा. ‘यह उसने कहा.’

‘और यह भी की होटल के वॉशरूम की संकरी गली में मैंने उसे जबरदस्ती किस कर दी?’

शालिनी और मोहिते को और आश्चर्य हुआ. मोहिते ने कहा. ‘हां यह भी कहा तूलिका ने…’

‘और सुभाष को यहां एडमिट किया तब सांत्वना देने के बहाने मैंने उसे बांहों में ले लिया?’

‘ओह जगदीश क्या है यह सब? मतलब क्या उसकी सारी शिकायते सही है? बिलकुल यही बातें तूलिका ने मुझे बताई है…’ मोहिते ने हैरानी के साथ पूछा.

जगदीश सिर्फ मुस्कुराया, शालिनी अब मोहिते के सामने आ कर कुछ गुस्से में बोली. ‘यह सब हुआ होगा यह सच है पर शिकायत झूठी है…’

‘भाभी आप!’ मोहिते शालिनी को देख बौखला गया. ‘आप छुप कर हमारी बातें सुन रही थी?’

‘हां, छुप कर सुनना पड़ता है, क्योंकि इनको तो संत आदमी का ओस्कार एवॉर्ड लेना है इसलिए इन के सर पर हाथी आ कर बैठ जाएगा तब भी ये तो उफ़ नहीं करेंगे!’ जगदीश को गुस्से से देखते हुए शालिनी ने जवाब दिया.

मोहिते को कुछ समझ में नहीं आया. जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘अरे मुझ पर क्यों बिगड़ रही हो?’

‘आप तो चुप ही रहो, हम बाद में बात करेंगे.’ शालिनी ने जगदीश से कातर आवाज में कहा. फिर मोहिते से पूछा. ‘समझ में आया क्या हुआ वो?’

मोहिते उलझन भरे चेहरे के साथ बोला. ‘कुछ भी नहीं, आप क्या कहना चाहती हो? प्लीज़ साफ़ साफ़ कहो.’

‘मोहिते भाई, तूलिका इन पर चांस मार रही थी, पर इन्हो ने उसे भाव नहीं दिया सो वो उल्टा दांव खेल कर अपनी इमेज बचा रही है - और कोई बात नहीं.’

मोहिते सोच में पड़ गया. फिर उसने शालिनी से पूछा. ‘आप को यह सब पता था?’

‘नहीं. मैंने तो अभी यह सब सुना, ये मोबाइल लेने वापस आई इस लिए सुनने मिला वरना ये तो मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं बताते….’

‘पर आप को ये सब हुआ वो ही जब पता नहीं, तो किसने किया होगा ये कैसे आप इतने यकीन से कह रहे हो?’ मोहिते ने शालिनी से पूछा.

शालिनी ने कहा. ‘मोहिते भाई, मैं तूलिका को नहीं जानती, पर इनको तो जानती हूं ना? ये इतने सीधे इन्सान है की अगर किसी कमरे में यह मुझे किसी अनजान लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिले तब भी मैं यही समझूंगी की ‘कपडे निकालने की कोई ठोस वजह होगी - किसी लड़की को भोगने के लिए ये कपडे नहीं उतारेंगे…’

जगदीश ने शालिनी को उसका फोन देते हुए कहा. ‘बस. ये लो अपना फोन. अब जाओ. जरूरत से ज्यादा तुमने सुन भी लिया और बोल भी लिया.जाओ, तुम्हारा ड्रेसिंग का टाइम हो गया है.’

शालिनी ने जाते हुए मोहिते से कहा. ‘तूलिका का बचपना है ये, पर आप तो बड़े हो. बड़ो की तरह सोचना.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने अपना सिर पकड़ लिया. जगदीश ने कहा. ‘शालिनी की बात मन पर मत लेना, हर किसी को अपना ही सिक्का सच्चा लगता है. उसे मैं बेगुनाह लगता हूँ और तुम्हे तुम्हारी बहन निर्दोष लगती होगी- और ऐसा लगना गलत भी नहीं…’

जगदीश की बात काटते हुए मोहिते ने कहा. ‘न मैं तुम्हे गुनहगार मानता हूँ न मेरी बहन को निर्दोष. भाभी की सारी बातों से मैं सहमत हूं . मेरी दिक्कत यह है की तूलिका ने तुम्हारे नाम की झूठी शिकायत क्यों की होगी? इससे उसे क्या फायदा होगा?’

‘मैं समझता हूं तूलिका ने ऐसा क्यों किया. बता सकता हूं, पर क्या तुम सच्चाई झेल पाओगे?

मोहिते अब बहुत टेन्स हो गया. बोला. ‘ऐसे डायलॉग मारोगे तो मुझे सुने बिना चैन नहीं पड़ेगा, बोल दो भाई जो बोलना हो!’

‘तूलिका तुमसे प्यार करती है मोहिते - सेक्सुअल प्यार.’

मोहिते के पैरों तले से गोया जमीं खिसक गई…

***


जुगल

सुबह का वक्त था जुगल ब्रश कर के चाय का इतंज़ार कर रहा था. चांदनी भाभी बाथरूम में नहा रही थी. झनक दोनों के लिए चाय ले कर आई. जुगल को चाय दे कर झनक बैठ कर साथ में चाय पीते हुए जुगल को पूछने लगी.

‘रात को पापा के साथ कितनी शराब पी ?’

‘खास नहीं.’

‘कमरे में तुम लौटे तब होश में तो थे?’

‘बिलकुल होश में था. क्यों ऐसा पूछ रही हो?’

‘रात को मैं तो सो गई थी पर तुमने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की थी ना?’

‘अपनी बेहूदा बातें बंद करो.’ जुगल ने चिढ कर कहा.

‘जुगल.’ झनक की आवाज गंभीर थी. जुगल ने उसकी ओर देखा. झनक ने कहा.

‘इस घर में हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. ओके? अगर तुमने कोई हरकत की होगी तो वो कैमरे में दर्ज हुई होगी. और पापा ने अब तक देख भी लिया होगा. सो अगर तुमने कोई हरकत की है तो उसे छुपाना बिलकुल नहीं. बस यही कहना था.’ और इतना कह कर खड़े हो कर बाथरूम की ओर जाते हुए मनमे सोच रही थी. ‘चांदनी भाभी को नहाने में इतना समय क्यों लग रहा है?

और जुगल सीसीटीवी कैमरा वाली बात सुनकर सख्ते में आ गया था. पिछली रात उसने काफी नशा किया था. क्या नशे में उसने कोई गड़बड़ी की होगी?

जुगल सहम गया. - ये साला शराब बहुत बुरी चीज है… कुछ याद ही नहीं रहता.. पिछली बार भी शराब के नशे में किसी को शालिनी समझ कर…

जुगल अब टेन्स हो गया- रात को उसने कुछ ऐसा किया था जो नहीं करना चाहिए?

वो याद करे उससे पहले बाथरूम से चांदनी की आवाज आई : ‘पापा, ये मम्मी देखो ना जबरदस्ती पेंटी पहना रही है… ‘

चांदनी की शिकायत से परेशान होता हुआ जुगल बाथरूम की और गया. बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. बाहर खड़े हो कर जुगल ने पूछा . ‘क्या प्रॉब्लम है?’

‘मैंने पेंटी नहीं पहनी थी, मम्मी ने पहना दी.’

‘तो बराबर है ना चांदनी? पेंटी पहननी ही चाहिए…’ जुगल बच्चो को समझाने के सुर में बोला.

‘पापा, फिर आप गुस्सा नहीं करोगे ना की मैंने पेंटी क्यों पहनी है? पनिशमेंट तो नहीं दोगे मुझे? ‘

जुगल यह सुन कर कांप उठा : चांदनी भाभी ने क्या क्या सहा है अपने पिता से!

***


जगदीश

मोहिते खड़े होते हुए बोला. ‘चलो अब यहाँ से उठते है.’

‘मैंने तूलिका के बारे में जो कहा वो क्यों कहा यह नहीं जानना ?’

‘नहीं.’

जगदीश मोहिते को देखता रहा.

मोहिते ने कहा. ‘इसलिए नहीं सुनना, क्योंकि मुझे डर है कि तुम मुझे कन्विंस कर दोगे की मेरी बहन मुझ पर सेक्सुअली मरती है.’

‘तो? तुम सच से इतना डरते क्यों हो?’

‘पागल हो गए हो जगदीश? तुम्हें अंदाजा है तुम क्या बोल रहे हो? तूलिका मेरी सगी बहन है - सगी.’

‘मेरे बोलने से ये हो जाएगा? या ये है इसलिए मैं बोल रहा हूं?’ जगदीश ने पूछा.

‘वो कुछ भी हो.’ मोहिते ने झुंझलाकर कहा. ‘तुम कह रहे हो वो अगर सच हो तब भी मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता.’

जगदीश आगे कुछ बोले उससे पहले एक वॉर्डबॉय आया और जगदीश से कहने लगा. ‘सर वो ड्रेसिंग के लिए प्रॉब्लम हो रही है, आप की मेडम ने आप को बुलाया है…’

जगदीश ने खड़े होते हुए मोहिते से कहा. ‘ मोहिते इस मामले में कोई गर कुछ कर सकता है तो केवल तुम कर सकते हो. वो तुम्हारी बहन है और उसे तुम अनाथ की तरह समस्या सहने अकेली छोड़ नहीं सकते. यह एक प्रॉब्लम है और इसका हल ढूंढना होगा. इस बात पर सोचना. मैं मिलता हूँ शालिनी की ड्रेसिंग के बाद.’

और वॉर्डबॉय के साथ चला गया.

***


जुगल

जुगल झनक के पापा, सरदार जी के सामने बैठा था. उन्होंने जरूरी बात करने बुलाया था. क्या बात होगी यह सोच कर जुगल का दिल धड़क रहा था. सरदार जी ने उसे आया हुआ देख कर पूछा.

‘झनक नहीं आई?’

‘उसे भी बुलाया है?’

‘हां, तुम दोनों से बात करनी है. तुम्हारी भाभी की हालत ठीक नहीं कोई एक्शन जल्द लेनी होगी जुगल.’

‘जी.’

‘दूसरी बात, कल रात हम अलग हुए उसके बाद तुम होश में थे?’

जुगल का दिल जोरों से धड़कने लगा. - क्या रात को उसने झनक के साथ कुछ गलत किया होगा?

***


जगदीश

‘उई मां…’ जोरो से शालिनी चीख पड़ी. उसके स्तन पर ऑइंटमेंट लगाती हुई नर्स फिर सहम गई और जगदीश की ओर देखने लगी.

नर्स की यह तीसरी कोशिश थी. वो शालिनी के घायल स्तन पर हीलिंग ऑइंटमेंट लगाने की कोशिश करती थी और शालिनी जोरो से चीख पड़ती थी,इसलिए जगदीश को बुलाया था.

जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ थोड़ा सह लो शालिनी, वर्ना इलाज कैसे होगा?’

‘कल से अब तक मैंने कोई शिकायत की? आज दर्द हो रहा है इसलिए चीख रही हूं ना? मुझे क्या चीखने में मजा आता है?’ शालिनी ने जगदीश को कहा.

बात तो यह भी ठीक थी. जगदीश इस पर कुछ बोल नहीं पाया. उसने नर्स से पूछा. ‘पर मुझे क्यों बुलाया यहां ? इस मामले में मैं क्या कर सकता हूं ?’

‘ये दवा लगाना बहुत जरूरी है सर.’ नर्स ने नम्रता से कहा. ‘आप ट्राई करोगे क्या?‘

‘मैं?’ जगदीश ने चौंककर पूछा. ‘ट्राई ? मतलब मैं दवा लगाऊं?’

नर्स ने हां में सिर हिलाया. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने पूछा. ‘आप को जमेगा?’

जगदीश उलझ गया. क्या करना चाहिए? उसे समझ नहीं आया.

नर्स ने शालिनी की छाती पर गाउन ढंकते हुए कहा. ‘रात को जो सिस्टर ड्यूटी पर थी उन्होंने कहा है की मैडम को पेईन होगा तो उनका हसबंड को बुला लेना, हसबंड सामने होगा तो मैडम को पेईन नहीं होगा…’

जगदीश ने नर्स से कहा. ‘ठीक है, लाओ मैं कोशिश करता हूं.’

नर्स ने जगदीश को दवा दी.

जगदीश शालिनी के करीब बैठा.

नर्स शालिनी के पलंग पर कपड़े का पार्टीशन खींचते हुए बाहर चली गई.

पलंग की चारो ओर कपडे का पार्टीशन था. जगदीश और शालिनी एक अजीब प्राइवेसी में एक दूसरे के साथ अब अकेले थे -

जगदीश ने एक हाथ में दवा थाम कर दूसरे हाथ से शालिनी की छाती पर से गाउन हटाया.

शालिनी का विशाल स्तन अपनी घायल स्थिति में जगदीश को ताकने लगा…

यह पल भी कभी आएगा यह जगदीश ने कभी सोचा न था…

***


जुगल

‘लगता है तुमको कुछ याद नहीं.’

सरदार जी ने करीब के टेबल पर पड़े कम्प्यूटर को ऑन करते हुए कहा. ‘खुद देख लो. यह सीसीटीवी फुटेज…’

जुगल सांस थामे देखने लगा.

कमरे में वो नशे में धुत हालत में दाखिल हुआ.

पलंग के पास गया.

पलंग पर चांदनी और झनक गहरी नींद में थे.

झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…

जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…

और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…

जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था…


(३१ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)


Zanak
Magical writing.....
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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Amazing update with outstanding story writing skills.
Suspense in a peak level with twist and turns, really speaking we are addicted to this story writer Sahab
 

Ek number

Well-Known Member
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३० – ये तो सोचा न था…

[(२९ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
इतने में शालिनी की नजर हाइवे से सटे जंगल में जुगनू के झुंड पर पड़ी. वो उत्साहित हो गई. शहर में जुगनू कहां देखने मिलते है!

‘वो देखो जुगनू !’ कहते हुए फोन बगल में रख कर वो प्रसन्न होते हुए कार के बाहर निकली.

उसी वक्त अपनी कॉन्फरन्स कॉल निपटा कर सुभाष ने अपना फोन बंद किया.

और

उसी वक्त हाईवे से सटी झाड़ियों में से किसी ने सुभाष पर निशाना दागा : धांय धांय…

पहली गोली सुभाष को छाती पर लगी, वो चीखते हुए कार के बोनेट पर लुढ़क गया…

और दूसरी गोली दो सेकंड पहले कार के बाहर निकली हुई शालिनी की बांह और दाहिने स्तन की गोलाई के दरमियान से पार हुई… ]


जुगल

एक भव्य बंगलो में जुगल ने कार दाखिल की. कार पार्क तो कर दी पर उसे अंडरवियर और बनियान में बाहर निकलने शर्म आ रही थी. झनक ने कहा. ‘यहां है कौन जो तुमको अजीब हालात में देख लेगा? मैं और मेरे पापा के अलावा घर में कोई नहीं रहता, चलो पहले चांदनी भाभी को सुला देते है.’

बेहोश चांदनी को जुगल ने गोद में उठा लिया, वो और झनक घर के मेईन दरवाजे के बाहर के आलीशान बरामदे तक पहुंचे। झनक घर का दरवाजा खोले उससे पहले पहली मंजिल पर से एक सरदार जी नीचे उतरे. ‘ये कोई धर्मशाला है? कोई भी कभी भी आ जाता है?’ गुर्राकर उन्होंने पूछा और जुगल और झनक को गुस्से से देखने लगे. ४५- ४८ साल के उस आदमी के ऐसे सवाल से जुगल सहम गया. पर झनक तेजी से सरदार जी के करीब जा कर उनको लिपट कर प्यार से बोली. ‘पापा! अपने माल की यूं बहार वालों के सामने बेइज्जती मत करो, ये मेरा दोस्त है जुगल और ये इनकी भाभी चांदनी, चांदनी की तबियत ठीक नहीं.’

‘हम्म्म. ठीक तो तुम दोनों के कपड़े भी नहीं.’ सरदार जी ने जुगल और झनक को निहारते हुए कहा.

‘वो एक लंबी कहानी है अब आप बोर मत करो. सो जाओ.’ कह कर झनक ने घर का दरवाजा खोला और जुगल से कहा. ‘आओ.’

जुगल चांदनी को लेकर घर में दाखिल हुआ.

***


जगदीश

हाईवे के करीब की पाटिल नर्सिंग होम में जगदीश कॉरिडोर में बेसब्री से चक्कर काट रहा था.

पिछले पंद्रह मिनट उसके लिए एक फास्ट मोशन फिल्म जैसी थी जिसका वो बौखलाया हुआ किरदार था. पहले जगदीश ने सुभाष को पीछे खुद बैठा था वहां, कार की पीछे की सीट में बैठाया. उसकी छाती पर गोली लगी थी वहां तूलिका का दुपट्टा कस के बांध दिया. फिर शालिनी के दुपट्टे को चीर कर दो टुकड़े किये और एक टुकड़ा उसकी घायल बांह पर कस के बांधा दूसरा उसके घायल स्तन पर लपेटा. गोली शालिनी के ड्रेस और ब्रा को जलाती हुई स्तन और बांह को जख्मी करते हुए पीछे निकल गई थी. शालिनी की बांह और स्तन दोनों जगह से खून टपक रहा था. शालिनी डर और फायरिंग की वजह से बेहोश हो गई थी. उसे पीछे की सीट पर सुभाष के बगल में बैठाया. तूलिका गोलीबारी और सुभाष के लुढ़क जाने से आघात से पुतला बन गई थी. जगदीश ने तुरंत कार ड्राइव की. बिना वक्त गंवाएं वो कार चला कर जो पहली शॉप दिखी वहां रुका और मोहिते को कॉल लगा कर जो हुआ वो दो वाक्य में बता दिया. मोहिते ने पूछा की इस वक्त तुम लोग कहां हो? जगदीश ने उस दुकानवाले को फोन पकड़ा कर लोकेशन बताने कहा. मोहिते ने उस दुकान वाले से बात की. बात करने के बाद दूसरी ही मिनट में दुकान वाले ने अपनी सिगरेट बीड़ी की दूकान बंद कर दी और जगदीश से कहा मेरी बाइक को फॉलो कीजिये.

पांच मिनट में वो लोग पाटिल नर्सिंग होम में थे और दूसरी पांच मिनट के बाद डॉक्टर ने शालिनी और सुभाष दोनों की ट्रीटमेंट शुरू कर दी थी…

सुभाष को पहली गोली लगी तब से ले ले कर अब तक कुल पंद्रह मिनट बीत चुके थे.

और हॉस्पिटल के कॉरिडोर में जगदीश बेसब्री से चक्कर काट रहा था…

***


जुगल

झनक ने चांदनी के लिए एक डबल बेड वाला कमरा खोला था. जुगल को अपने पापा का नाइट गाउन दिया था जिसे लपेटे जुगल बेहोश चांदनी को निहार रहा था, इस उम्मीद में की अब भाभी होश में आये तो खुदा करे अजिंक्य की हरकतों को भूल चुकी हो और नॉर्मल तरीके से पेश आये…

चांदनी ने आंखें खोल कर अगल बगल देखा. फिर जुगल को देखा. जुगल आशंका के साथ चांदनी को देखता रहा की अब भाभी क्या बोलेगी!

‘पापा…’ चांदनी ने जुगल को देखते हुए कहा.

जुगल की आंखों में आंसू आ गए.

तभी चाय लेकर झनक कमरे में दाखिल हुई. जुगल को चाय देते हुए उसने पूछा. ‘तुम रो क्यों रहे हो?’

‘मम्मी….’ चांदनी ने कहा. जुगल और झनक ने चौंक कर चांदनी की ओर देखा. चांदनी झनक को मम्मी कह रही थी.

झनक चांदनी के पास गई और पूछा. ‘क्या हुआ?’

डरी हुई लड़की की तरह सहम सहम कर चांदनी ने पूछा. ‘पापा अब भी मुझ से नाराज है?’

झनक की आंखें भी चांदनी के इस मासूम सवाल से भर आई. उसने चांदनी को बांहों में ले कर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा. ‘नहीं, चांदनी, मम्मी पापा - कोई तुम से नाराज नहीं…’

चांदनी छोटी बच्ची की तरह झनक की छाती में अपना सर छुपा कर आंखें मूंद गई…

जुगल अपना सिर थाम कर पलंग पर बैठ पड़ा.

***


जगदीश

‘देखिए, मी. सुभाष की चेस्ट से गोली तो निकाल दी है पर उनकी स्थिति गंभीर है. अभी भी ऑपरेशन चल रहा है, खून काफी बह गया है. हॉस्पिटल का खून का स्टॉक ख़तम है…’

‘आप मेरा खून ले लीजिये, यूनिवर्सल टाइप है डॉक्टर, ओ नेगेटिव -’

‘ओह यह तो अच्छी बात है…चलिए. खून की जरुरत पड़ेगी ही.’

डॉक्टर के साथ वॉर्ड की ओर जाते हुए जगदीश ने पूछा. ‘और शालिनी की स्थिति क्या है?’

‘उनको पंद्रह मिनट में होश आ जाएगा. लकिली उनको कोई सीरियस चोट नहीं लगी. हाथ और लेफ्ट ब्रेस्ट को स्लाइटली छूते हुए गोली पास हो गई ऐसा लग रहा है. हाथ में जरा ज्यादा घाव हुआ है पर ब्रेस्ट को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, पर ब्रेस्ट की केर लेनी होगी. सूझन हो गई है, जो और भी बढ़ सकती है. रिलीफ के लिए ऑइंटमेंट अवेलेबल है पर बहुत सावधानी से, एकदम लाइट टच से वो अप्लाई करना होता है, डोंट वरी नर्स वील डु धेट…’

‘ओके’ राहत महसूस करते हुए जगदीश ने पूछा. ‘डिस्चार्ज कब तक मिलेगा उनको?’

‘दो दिन में शायद, कल चेक कर के बताता हूं.’

वॉर्ड में डॉक्टर की सूचना अनुसार जगदीश का खून लिया गया. खून देने के बाद जगदीश ने डॉक्टर से कहा. ‘सुभाष की ट्रीटमेंट में पैसे का कोई इस्यु नहीं है यह मैं आपसे क्लियर करना चाहता हूं.’

‘मी. सुभाष पुलिस डिपार्टमेंट से है, करेक्ट?’ डॉक्टर ने पूछा.

‘जी, पर ट्रीटमेंट के लिए हम डिपार्टमेंट पर डिपेंड नहीं रहेंगे, आप को कोई भी डिसीज़न लेना हो तो मुझसे बात करके कॉल ले लीजियेगा, सुभाष की रिकवरी बहुत महत्वपूर्ण है.’

‘आई अंडरस्टैंड. मी. रस्तोगी.’ डॉक्टर ने कहा और एक नर्स से पूछा. ‘वो लेडी पेशेंट को होश आया?’

‘अभी तक नहीं…’ नर्स ने जगदीश की ओर देखते हुए जवाब दिया.

‘आप उनके वॉर्ड में वेइट कर सकते हो, कुछ ही देर में उनको होश आ जाएगा.’

‘थैंक्स डॉक्टर’ कह कर जगदीश शालिनी के वॉर्ड की ओर जा ही रहा था की उसे कॉरिडोर में गुमसुम बैठी हुई तूलिका दिखी. और जगदीश को बहुत गिल्ट हो आई : इस भागादौड़ी में वो तूलिका को तो भूल ही गया था! सुभाष इतनी गंभीर हालत में है - उस पर क्या बीत रही होगी! वो होंसला अफ़ज़ाई करने तूलिका की ओर बढ़ा…

***


जुगल

चांदनी झनक को लिपट कर सो गई थी. जुगल को इस नई मुसीबत से उलझन हो गई थी. चांदनी भाभी उसे पापा और झनक को अपनी मम्मी समझ रही थी - ये क्या बखेड़ा है? इसका उपाय क्या?

चांदनी ने झनक के साथ ही खाना खाया था, जुगल ने थोड़ा खाना खाया पर चांदनी भाभी की हालत उसे परेशान कर रही थी, सो वो ढंग से खा नहीं पाया. चांदनी के सो जाने के बाद झनक ने उसकी बगल से उठने की कोशिश की पर चांदनी नींद में भी झनक का हाथ छोड़ नहीं रही थी.

‘यार ये तो छोड़ नहीं रही, लगता है यहीं सोना पड़ेगा आज…’ झनक ने जुगल से धीमी आवाज में कहा ताकि चांदनी की नींद में खलल न हो.

जुगल ने धीमी आवाज में पूछा. ‘तो मैं कहीं और सो जाऊं ?’

‘क्यों? इतना बड़ा तो बेड है…’ झनक ने आश्चर्य से कहा.

‘ओके.’ जुगल ने पलंग के दूसरे छोर पर लेटते हुए कहा.

‘लेटो मत, यहां आओ -मुझे कपडे निकालने में हेल्प करो, ये हाथ यह छोड़ नहीं रही. ज्यादा हिलडुल सकती मैं - कहीं इनकी नींद खुल न जाए…’ झनक ने कहा.

कपडे निकालने में हेल्प? जुगल हैरान होते हुए उठ कर झनक के करीब गया. झनक ने घुटने तक का स्कर्ट पहना था और स्लीवलेस टॉप. जुगल के करीब जाते झनक ने मूड कर अपनी पीठ जुगल की और करते हुए कहा. ‘टॉप ऊपर करके ब्रा का हुक निकाल दो…’

जुगल एक पल हिचकिचाया फिर उसने टॉप ऊपर कर के ब्रा के हुक खोल दिए. और ठगा सा खड़ा रह गया. झनक ने मुंह फेर कर उसे देखते हुए कुछ चिढ के साथ धीमी आवाज में कहा. ‘अब ब्रा निकालो! खड़े क्या हो?’

जुगल के लिए यह सब अनपेक्षित था. उसने चुपचाप ब्रा को निकालना शुरू किया. पर उसे जम नहीं रहा था. आखिर अपने स्तनों पर से झनक ने ब्रा को खिसकाया और जुगल को आंखों से ब्रा खींच लेने इशारा किया. ब्रा खींचते हुए जुगल झनक के स्लीवलेस टॉप की कांख के गैप में से सुडौल और सुगोल स्तन की झांकी कर रहा था तब झनक ने उसे अपने स्कर्ट की और इशारा किया. जुगल फिर उलझ गया और झनक की ओर देखता रहा. झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘पेंटी-’

पेंटी ! निकालनी होगी? मुझे?

जुगल आश्चर्यचकित हो कर झनक के पैरो के पास बैठा. झनक लेटी हुई थी. जुगल ने स्कर्ट में हाथ डाला और झनक की पेंटी खींची… घुटने तक झनक की पेंटी खींच ली तभी कमरे में झनक ने पापा - सरदार जी दाखिल हुए. जुगल उनको देख सहम कर बूत बन गया…

***


जगदीश

तूलिका के करीब जगदीश ने बैठ कर कहा. ‘सोरी तूलिका, यह सब जो हो गया…’

जगदीश को देख तूलिका उसकी बांहों में चिपक कर रोने लगी. तूलिका इस तरह उससे लिपट जाएगी यह जगदीश ने कल्पना नहीं की थी. तूलिका के पूर्ण विकसित स्तन जगदीश की छाती में दब रहे थे, इस हालात में भी ऐसे संस्पर्श से जगदीश को अनचाही उत्तेजना हो गई. तूलिका को सांत्वना देने उसकी पीठ सहलाते हुए जगदीश ने कहा. ‘रो क्यों रही हो? सुभाष ठीक हो जाएगा, डॉक्टर ने कहा है चिंता की कोई बात नहीं….’

तूलिका ने अपने आपको जगदीश के साथ और ज्यादा चिपकाया. जगदीश ने बलपूर्वक उसे अपने से जुदा करते हुए कहा. ‘खुद को संभालो तूलिका-’

तूलिका अपने आंसू पोंछने लगी….

***


जुगल

झनक ने जुगल से चिढ कर कहा. ‘निकालो न पेंटी ? क्या हुआ? रुक क्यों गए?’

जुगल ने बौखला कर पेंटी निकाल कर बगल में रखी.

सरदार जी ने झनक से पूछा. ‘अब कैसी है चांदनी?’

झनक ने सरदार जी को धीमी आवाज में कहा. ‘कोई फर्क नहीं. मेरा हाथ ही नहीं छोड़ रही.’

जुगल अपने सोने की जगह पर आया. सरदार जी बाहर जाने के लिए मुड़े और जाते जाते जुगल से धीमी आवाज में पूछा. ‘कुछ पीने की इच्छा है?’

जुगल हां में सर हिलाते हुए सरदार जी के साथ कमरे के बाहर निकला.

***


जगदीश

नर्स को बिनती करके जगदीश ने तूलिका के आराम करने का इंतज़ाम किया और शालिनी के वॉर्ड में गया. शालिनी को होश आ चुका था और नर्स उसकी बांह के घाव का ड्रेसिंग कर रही थी.

जगदीश शालिनी के सामने देख मुस्कुराते हुए पलंग के एक छोर पर शालिनी के करीब बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में ले कर पूछा. ‘दर्द हो रहा है?’

शालिनी ने मुस्कुराकर कहा. ‘अब तक हो रहा था, आप आ गए तो नहीं हो रहा.’

जगदीश यह सुन थोड़ा झेंप गया. ड्रेसिंग करते हुए नर्स भी यह सुन कर मुस्कुराने लगी.

शालिनी ने पूछा. ‘सुभाष भाई कैसे है?’

‘अब खतरे से बाहर है.’

‘थैंक गॉड…’ शालिनी भावुकता से बोली. फिर जगदीश को पूछा. ‘डांटना नहीं है मुझे ?’

जगदीश ने शालिनी को आश्चर्य से देखते हुए पूछा. ‘क्यों डाटूंगा ?’

‘क्या जरूरत थी कार के बाहर निकलने की ऐसा गुस्सा नहीं करोगे?’

‘नहीं शालिनी.’ जगदीश ने शालिनी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ‘तुम्हारी इसमें कोई गलती नहीं. होना था- हो गया.’

शालिनी ने जगदीश की हथेली दबा कर कहा. ‘मैं तो डर रही थी की आप मुझ पर बहुत नाराज होंगे.’

जगदीश ने शालिनी के नाजुक होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा. ‘चुप रहो.अब ज्यादा बोलो मत.’

शालिनी बस मुस्कुरा दी. शालिनी के मुस्कुराने की वजह उसके होठ हिले जो जगदीश ने होठों पर रखी अपनी उंगली तले महसूस किया. एक सनसनी सी उसके जहेन में दौड़ गई. उसने अपनी उंगली शालिनी के होंठो से हटा ली.

शालिनी को अस्पताल का गाउन पहनाया गया था जो काफी ढीला था. शालिनी के स्तन उस ढीले गाउन में ज्यादा बड़े लग रहे थे ऐसा जगदीश को लगा. फिर उसने सोचा की शायद ब्रा निकलवाई गई होगी इसलिए ऐसा लगता होगा? फिर उसे लगा कि यह मैं क्या सोच रहा हूं !

बांह का ड्रेसिंग हो जाने के बाद नर्स ने शालिनी के इजा ग्रस्त स्तन पर की पट्टी निकालना शुरू किया. जगदीश यह देख हिचकिचाया और खड़े होते हुए नर्स से कहा. ‘मैं बाहर जाता हूं…’

शालिनी ने आश्चर्य से पूछा. ‘क्यों? अभी तो आये हो!’

जगदीश ने कहा. ‘वापस आ जाऊंगा, अभी तुम्हारा ड्रेसिंग हो रहा है… मेरा रुकना ठीक नहीं…’

‘ऐसा कुछ नहीं, अगर पेशेंट को प्रॉब्लम नहीं तो चलेगा.’ नर्स ने हंस कर कहा.

शालिनी को तो हैरानी हो रही थी. उसने जगदीश की हथेली थामते हुए पूछा. ‘मुझे क्यों प्रॉब्लम होगी! आप बैठे रहिये.’

जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?


(३० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
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३१ – ये तो सोचा न था…

[(३० – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’

जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.

जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?]


दूसरे दिन सुबह

जगदीश


सुबह तड़के एक और नाजुक ऑपरेशन के बाद सुभाष अब खतरे से पूरी तरह बाहर था पर अस्पताल में उसे और दस दिन रुकना पड़ेगा. शालिनी को दूसरे दिन शाम तक डिस्चार्ज मिल जाएगा. उसे अब अस्पताल की कैंटीन तक जाने की रजामंदी मिली थी. जगदीश, शालिनी और मोहिते अस्पताल की कैंटीन में सुबह का चाय नाश्ता कर रहे थे. जगदीश कुछ खोया खोया था. शालिनी ने यह नोटिस किया. जगदीश से पूछा की क्या हुआ है पर जगदीश बात टाल गया.

‘हमला करने वालों के निशाने पर कौन था ? मैं या सुभाष ?’ जगदीश ने पूछा.

‘यह लोग साजन भाई के कनेक्शन में तो नहीं थे. नाइनटी नाइन परसेंट यह मामला डिपार्टमेंट के अगेंस्ट है…’

मोहिते ने जवाब दिया. फिर कुछ पल सभी चुपचाप नाश्ता करते रहे.

मोहिते भी कुछ परेशान सा था. नाश्ता निपटाने के बाद उसने जगदीश का हाथ थाम कर कहा. ‘मुझे तुमसे दो बातें करनी है. एक तो यह की सुभाष के लिए तुमने जो कुछ भी किया…’

‘अरे!’ जगदीश ने सुभाष का हाथ झटक कर कहा. ‘कोई बड़ी बात नहीं, मेरी जगह पर कोई भी होता तो जो करता वो ही मैंने भी किया.’

‘अरे पर-’ मोहिते कुछ बोलने गया तब शालिनी ने मोहिते को कहा. ‘ प्लीज़ ऐसी बातें कर के हमें शर्मिंदा न कीजिये मोहित भाई-’

तब मोहिते ने शालिनी से कहा. ‘आप को पता है इन्होने सुभाष के लिए क्या किया? मैं वक्त पर अस्पताल ले आने की और अपना खून देने की बात नहीं कर रहा. मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दो गुना फी केश चुका कर इन्होने सुभाष के आज सुबह के ऑपरेशन का इंतज़ाम किया यह आप को पता है?’

शालिनी को यह पता नहीं था. उसने जगदीश की ओर देखा. जगदीश ने शालिनी के सामने देख एक स्मित किया और मोहिते से कहा. ‘ऐसी बातों का ढिंढोरा नहीं पीटते. छोडो. बताओ दूसरी क्या बात कहनी है?’

‘वो बाद में कहूंगा.’ मोहिते ने कहा.

चाय ख़त्म हुई. शालिनी खड़े होते हुए बोली. ‘आप लोग बातें कीजिए, मेरा ड्रेसिंग का समय हुआ है… मैं चलती हूं.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने कहा. ‘दूसरी बात थोड़ी अजीब है, समझ में नहीं आता की कैसे कहु…’

‘अरे इतना संकोच क्यों?’

‘बात ही ऐसी है की…’

‘अब बता भी दो.’

मोहिते ने गला साफ किया. उसी वक्त शालिनी वापस आई जो अपना सेल फोन टेबल पर गलती से भूल गई थी. मोहिते केंटीन के दरवाजे की ओर पीठ कर के बैठा था सो शालिनी आ रही है यह उसे नहीं दिखा और जगदीश का पूरा ध्यान मोहिते की बातों में था सो उसने भी शालिनी लौटी यह नहीं देखा...शालिनी दोनों की ओर बढ़ी और यहां मोहिते ने कहा. ‘तूलिका ने तुम्हारी शिकायत की है…’

यह सुन शालिनी ठिठक कर खड़ी रह गई.

जगदीश ने मुस्कुराकर पूछा.

‘अच्छा ? मेरी शिकायत?’

‘ जगदीश, यह मत समझो कि मुझे उसकी बात पर यकीं है पर उसने शिकायत की है.’

‘ठीक है, क्या शिकायत यह तो बताओ?’

‘वो जाने दो, मुझे लगता है की तूलिका पगला गई है…मुझे समझ में नहीं आ रहा की वो तुम्हारे बारे में गलत बात क्यों बोल रही है.’

शालिनी अब भी पीछे खड़ी मोहिते की बात सुन रही थी. जगदीश ने अब शालिनी को देखा फिर मोहिते से कहा.

‘पर क्या किया मैंने वो तो बताया होगा न तूलिका ने?’

‘बकवास बातें कर रही थी…’

‘मैं बताऊं , तूलिका ने क्या शिकायत की होगी?’

शालिनी और मोहिते दोनों ने जगदीश को आश्चर्य से देखा.

जगदीश ने कहा. ‘तूलिका ने कहा होगा की कार में सफर करते वक्त मैं सारा समय ड्राइविंग मिरर से उसी को ताड़ रहा था ?’

‘हां.’ मोहिते ने कहा. ‘यह उसने कहा.’

‘और यह भी की होटल के वॉशरूम की संकरी गली में मैंने उसे जबरदस्ती किस कर दी?’

शालिनी और मोहिते को और आश्चर्य हुआ. मोहिते ने कहा. ‘हां यह भी कहा तूलिका ने…’

‘और सुभाष को यहां एडमिट किया तब सांत्वना देने के बहाने मैंने उसे बांहों में ले लिया?’

‘ओह जगदीश क्या है यह सब? मतलब क्या उसकी सारी शिकायते सही है? बिलकुल यही बातें तूलिका ने मुझे बताई है…’ मोहिते ने हैरानी के साथ पूछा.

जगदीश सिर्फ मुस्कुराया, शालिनी अब मोहिते के सामने आ कर कुछ गुस्से में बोली. ‘यह सब हुआ होगा यह सच है पर शिकायत झूठी है…’

‘भाभी आप!’ मोहिते शालिनी को देख बौखला गया. ‘आप छुप कर हमारी बातें सुन रही थी?’

‘हां, छुप कर सुनना पड़ता है, क्योंकि इनको तो संत आदमी का ओस्कार एवॉर्ड लेना है इसलिए इन के सर पर हाथी आ कर बैठ जाएगा तब भी ये तो उफ़ नहीं करेंगे!’ जगदीश को गुस्से से देखते हुए शालिनी ने जवाब दिया.

मोहिते को कुछ समझ में नहीं आया. जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘अरे मुझ पर क्यों बिगड़ रही हो?’

‘आप तो चुप ही रहो, हम बाद में बात करेंगे.’ शालिनी ने जगदीश से कातर आवाज में कहा. फिर मोहिते से पूछा. ‘समझ में आया क्या हुआ वो?’

मोहिते उलझन भरे चेहरे के साथ बोला. ‘कुछ भी नहीं, आप क्या कहना चाहती हो? प्लीज़ साफ़ साफ़ कहो.’

‘मोहिते भाई, तूलिका इन पर चांस मार रही थी, पर इन्हो ने उसे भाव नहीं दिया सो वो उल्टा दांव खेल कर अपनी इमेज बचा रही है - और कोई बात नहीं.’

मोहिते सोच में पड़ गया. फिर उसने शालिनी से पूछा. ‘आप को यह सब पता था?’

‘नहीं. मैंने तो अभी यह सब सुना, ये मोबाइल लेने वापस आई इस लिए सुनने मिला वरना ये तो मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं बताते….’

‘पर आप को ये सब हुआ वो ही जब पता नहीं, तो किसने किया होगा ये कैसे आप इतने यकीन से कह रहे हो?’ मोहिते ने शालिनी से पूछा.

शालिनी ने कहा. ‘मोहिते भाई, मैं तूलिका को नहीं जानती, पर इनको तो जानती हूं ना? ये इतने सीधे इन्सान है की अगर किसी कमरे में यह मुझे किसी अनजान लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिले तब भी मैं यही समझूंगी की ‘कपडे निकालने की कोई ठोस वजह होगी - किसी लड़की को भोगने के लिए ये कपडे नहीं उतारेंगे…’

जगदीश ने शालिनी को उसका फोन देते हुए कहा. ‘बस. ये लो अपना फोन. अब जाओ. जरूरत से ज्यादा तुमने सुन भी लिया और बोल भी लिया.जाओ, तुम्हारा ड्रेसिंग का टाइम हो गया है.’

शालिनी ने जाते हुए मोहिते से कहा. ‘तूलिका का बचपना है ये, पर आप तो बड़े हो. बड़ो की तरह सोचना.’

शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने अपना सिर पकड़ लिया. जगदीश ने कहा. ‘शालिनी की बात मन पर मत लेना, हर किसी को अपना ही सिक्का सच्चा लगता है. उसे मैं बेगुनाह लगता हूँ और तुम्हे तुम्हारी बहन निर्दोष लगती होगी- और ऐसा लगना गलत भी नहीं…’

जगदीश की बात काटते हुए मोहिते ने कहा. ‘न मैं तुम्हे गुनहगार मानता हूँ न मेरी बहन को निर्दोष. भाभी की सारी बातों से मैं सहमत हूं . मेरी दिक्कत यह है की तूलिका ने तुम्हारे नाम की झूठी शिकायत क्यों की होगी? इससे उसे क्या फायदा होगा?’

‘मैं समझता हूं तूलिका ने ऐसा क्यों किया. बता सकता हूं, पर क्या तुम सच्चाई झेल पाओगे?

मोहिते अब बहुत टेन्स हो गया. बोला. ‘ऐसे डायलॉग मारोगे तो मुझे सुने बिना चैन नहीं पड़ेगा, बोल दो भाई जो बोलना हो!’

‘तूलिका तुमसे प्यार करती है मोहिते - सेक्सुअल प्यार.’

मोहिते के पैरों तले से गोया जमीं खिसक गई…

***


जुगल

सुबह का वक्त था जुगल ब्रश कर के चाय का इतंज़ार कर रहा था. चांदनी भाभी बाथरूम में नहा रही थी. झनक दोनों के लिए चाय ले कर आई. जुगल को चाय दे कर झनक बैठ कर साथ में चाय पीते हुए जुगल को पूछने लगी.

‘रात को पापा के साथ कितनी शराब पी ?’

‘खास नहीं.’

‘कमरे में तुम लौटे तब होश में तो थे?’

‘बिलकुल होश में था. क्यों ऐसा पूछ रही हो?’

‘रात को मैं तो सो गई थी पर तुमने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की थी ना?’

‘अपनी बेहूदा बातें बंद करो.’ जुगल ने चिढ कर कहा.

‘जुगल.’ झनक की आवाज गंभीर थी. जुगल ने उसकी ओर देखा. झनक ने कहा.

‘इस घर में हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. ओके? अगर तुमने कोई हरकत की होगी तो वो कैमरे में दर्ज हुई होगी. और पापा ने अब तक देख भी लिया होगा. सो अगर तुमने कोई हरकत की है तो उसे छुपाना बिलकुल नहीं. बस यही कहना था.’ और इतना कह कर खड़े हो कर बाथरूम की ओर जाते हुए मनमे सोच रही थी. ‘चांदनी भाभी को नहाने में इतना समय क्यों लग रहा है?

और जुगल सीसीटीवी कैमरा वाली बात सुनकर सख्ते में आ गया था. पिछली रात उसने काफी नशा किया था. क्या नशे में उसने कोई गड़बड़ी की होगी?

जुगल सहम गया. - ये साला शराब बहुत बुरी चीज है… कुछ याद ही नहीं रहता.. पिछली बार भी शराब के नशे में किसी को शालिनी समझ कर…

जुगल अब टेन्स हो गया- रात को उसने कुछ ऐसा किया था जो नहीं करना चाहिए?

वो याद करे उससे पहले बाथरूम से चांदनी की आवाज आई : ‘पापा, ये मम्मी देखो ना जबरदस्ती पेंटी पहना रही है… ‘

चांदनी की शिकायत से परेशान होता हुआ जुगल बाथरूम की और गया. बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. बाहर खड़े हो कर जुगल ने पूछा . ‘क्या प्रॉब्लम है?’

‘मैंने पेंटी नहीं पहनी थी, मम्मी ने पहना दी.’

‘तो बराबर है ना चांदनी? पेंटी पहननी ही चाहिए…’ जुगल बच्चो को समझाने के सुर में बोला.

‘पापा, फिर आप गुस्सा नहीं करोगे ना की मैंने पेंटी क्यों पहनी है? पनिशमेंट तो नहीं दोगे मुझे? ‘

जुगल यह सुन कर कांप उठा : चांदनी भाभी ने क्या क्या सहा है अपने पिता से!

***


जगदीश

मोहिते खड़े होते हुए बोला. ‘चलो अब यहाँ से उठते है.’

‘मैंने तूलिका के बारे में जो कहा वो क्यों कहा यह नहीं जानना ?’

‘नहीं.’

जगदीश मोहिते को देखता रहा.

मोहिते ने कहा. ‘इसलिए नहीं सुनना, क्योंकि मुझे डर है कि तुम मुझे कन्विंस कर दोगे की मेरी बहन मुझ पर सेक्सुअली मरती है.’

‘तो? तुम सच से इतना डरते क्यों हो?’

‘पागल हो गए हो जगदीश? तुम्हें अंदाजा है तुम क्या बोल रहे हो? तूलिका मेरी सगी बहन है - सगी.’

‘मेरे बोलने से ये हो जाएगा? या ये है इसलिए मैं बोल रहा हूं?’ जगदीश ने पूछा.

‘वो कुछ भी हो.’ मोहिते ने झुंझलाकर कहा. ‘तुम कह रहे हो वो अगर सच हो तब भी मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता.’

जगदीश आगे कुछ बोले उससे पहले एक वॉर्डबॉय आया और जगदीश से कहने लगा. ‘सर वो ड्रेसिंग के लिए प्रॉब्लम हो रही है, आप की मेडम ने आप को बुलाया है…’

जगदीश ने खड़े होते हुए मोहिते से कहा. ‘ मोहिते इस मामले में कोई गर कुछ कर सकता है तो केवल तुम कर सकते हो. वो तुम्हारी बहन है और उसे तुम अनाथ की तरह समस्या सहने अकेली छोड़ नहीं सकते. यह एक प्रॉब्लम है और इसका हल ढूंढना होगा. इस बात पर सोचना. मैं मिलता हूँ शालिनी की ड्रेसिंग के बाद.’

और वॉर्डबॉय के साथ चला गया.

***


जुगल

जुगल झनक के पापा, सरदार जी के सामने बैठा था. उन्होंने जरूरी बात करने बुलाया था. क्या बात होगी यह सोच कर जुगल का दिल धड़क रहा था. सरदार जी ने उसे आया हुआ देख कर पूछा.

‘झनक नहीं आई?’

‘उसे भी बुलाया है?’

‘हां, तुम दोनों से बात करनी है. तुम्हारी भाभी की हालत ठीक नहीं कोई एक्शन जल्द लेनी होगी जुगल.’

‘जी.’

‘दूसरी बात, कल रात हम अलग हुए उसके बाद तुम होश में थे?’

जुगल का दिल जोरों से धड़कने लगा. - क्या रात को उसने झनक के साथ कुछ गलत किया होगा?

***


जगदीश

‘उई मां…’ जोरो से शालिनी चीख पड़ी. उसके स्तन पर ऑइंटमेंट लगाती हुई नर्स फिर सहम गई और जगदीश की ओर देखने लगी.

नर्स की यह तीसरी कोशिश थी. वो शालिनी के घायल स्तन पर हीलिंग ऑइंटमेंट लगाने की कोशिश करती थी और शालिनी जोरो से चीख पड़ती थी,इसलिए जगदीश को बुलाया था.

जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ थोड़ा सह लो शालिनी, वर्ना इलाज कैसे होगा?’

‘कल से अब तक मैंने कोई शिकायत की? आज दर्द हो रहा है इसलिए चीख रही हूं ना? मुझे क्या चीखने में मजा आता है?’ शालिनी ने जगदीश को कहा.

बात तो यह भी ठीक थी. जगदीश इस पर कुछ बोल नहीं पाया. उसने नर्स से पूछा. ‘पर मुझे क्यों बुलाया यहां ? इस मामले में मैं क्या कर सकता हूं ?’

‘ये दवा लगाना बहुत जरूरी है सर.’ नर्स ने नम्रता से कहा. ‘आप ट्राई करोगे क्या?‘

‘मैं?’ जगदीश ने चौंककर पूछा. ‘ट्राई ? मतलब मैं दवा लगाऊं?’

नर्स ने हां में सिर हिलाया. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने पूछा. ‘आप को जमेगा?’

जगदीश उलझ गया. क्या करना चाहिए? उसे समझ नहीं आया.

नर्स ने शालिनी की छाती पर गाउन ढंकते हुए कहा. ‘रात को जो सिस्टर ड्यूटी पर थी उन्होंने कहा है की मैडम को पेईन होगा तो उनका हसबंड को बुला लेना, हसबंड सामने होगा तो मैडम को पेईन नहीं होगा…’

जगदीश ने नर्स से कहा. ‘ठीक है, लाओ मैं कोशिश करता हूं.’

नर्स ने जगदीश को दवा दी.

जगदीश शालिनी के करीब बैठा.

नर्स शालिनी के पलंग पर कपड़े का पार्टीशन खींचते हुए बाहर चली गई.

पलंग की चारो ओर कपडे का पार्टीशन था. जगदीश और शालिनी एक अजीब प्राइवेसी में एक दूसरे के साथ अब अकेले थे -

जगदीश ने एक हाथ में दवा थाम कर दूसरे हाथ से शालिनी की छाती पर से गाउन हटाया.

शालिनी का विशाल स्तन अपनी घायल स्थिति में जगदीश को ताकने लगा…

यह पल भी कभी आएगा यह जगदीश ने कभी सोचा न था…

***


जुगल

‘लगता है तुमको कुछ याद नहीं.’

सरदार जी ने करीब के टेबल पर पड़े कम्प्यूटर को ऑन करते हुए कहा. ‘खुद देख लो. यह सीसीटीवी फुटेज…’

जुगल सांस थामे देखने लगा.

कमरे में वो नशे में धुत हालत में दाखिल हुआ.

पलंग के पास गया.

पलंग पर चांदनी और झनक गहरी नींद में थे.

झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…

जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…

और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…

जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था…


(३१ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)


Zanak
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Kadak Londa Ravi

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Kahi ye Jhanak jugal aur jagdish ki bahan to nhi aur jhanak ka baap jugal aur jagdish ka baap bhi to nhi , pata nhi kyu aisi feeling aa rhi hai


Shayad ek to jisne jugal ko janm diya aur dusri uski maa samaan bhabhi chandini ?


Jugal apne badhe bhai ko apne pita samaan hi manta hai to is hisaab se ek baap jagdish aur dusra uska asli baap hona chahiye
aur


Shalini , Jhanak aur chanidni lag rhi hain lekin ye chauthi kaun hone waali hai ?



vaise baba ke vartalaap se to aisa laga ki is kahani me main role jugal ko hi nibahana hai , lekin abhi to uski shuruwaat hui nhi hai , kahani ka jyada focus to jagdish par hi hai abhi
jis tarah jagdish ke man me chal rhi hai haar baat koi shabdo me likha gaya hai us tarah ki seva abhi tak jugal ke character koi nhi mili







bahano ka to kuch smjh nhi aaya sir ji , kuch hint de skte ho to ???
कही जगदीश के साथ कोई अनहोनी तो नही होगी
तभी तो सालनी चांदनी तालुका और jhanak 4 पत्नियां हो सकती है
और कोई न्यू कैरेक्टर जुड़ने की आसंका है
देखते है राइटर साहब ने कहा तक और क्या सोचा है
 
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