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Incest ये तो सोचा न था…

Lib am

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३३ – ये तो सोचा न था…

[(३२ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
‘बताना पड़ेगा जुगल, कोई चारा नहीं. चांदनी को सेक्स्युअल एब्यूज़ की वजह से सदमा लगा है. इसकी ट्रीटमेंट के लिए उसके पति का मौजूद होना निहायत जरूरी है.’

‘और तुम्हारा भाई आये तब तक डॉक्टर से मिल लो, अभी एक घंटे में आप लोग चांदनी को लेकर निकलो. मैंने डॉक्टर को फोन कर दिया है.’

जुगल सोच में पड़ गया. : दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? भैया सह पायेंगे ?

दोनों भाई सोच रहे थे की जो कभी सोचा न था वो हो रहा है - क्या बात करें? ]


जगदीश

जगदीश ने जुगल को कॉल लगाने से पहले अपने मामाजी को फोन लगाया…

इंदौर

इंदौर शहर के बिज़नेस सेंटर पालिका बाज़ार प्लाज़ा कम्पाउंड की पारस स्टील्स की ऑफिस में लैंडलाइन फोन की रिंग बजी. कंपनी के बॉस पारस नाथ बिष्ट ने फोन उठाया. उनके भानजे जगदीश का फोन था.

‘बोलो बेटा.’ पारस नाथ ने कहा.

‘मामाजी, आप की हेल्प चाहिए.’

‘क्या हुआ?’

‘मामाजी एक मिनट - में आप को फिर से कॉल करता हूं. ‘

मामाजी कुछ पूछे उससे पहले फोन कट गया.


***

जगदीश

जगदीश मामाजी से फोन पर कुछ बताये उससे पहले एक नर्स दौड़ कर जगदीश के पासा कर बोली.

‘प्लीज़ सर, जल्दी से आइए….’

जगदीश टेन्स हो गया.

‘मामाजी एक मिनट - मैं आप को फिर से कॉल करता हूं.‘ कह कर फोन काट कर जगदीश ने नर्स से पूछा. ‘क्या हुआ?’

‘प्लीज़ मेरे साथ आइए.’ नर्स तेजी से अस्पताल के कॉरिडोर में बढ़ते हुए बोली. ‘आपकी मैडम को बहुत पेईन हो रहा है…’

वॉर्ड में गया तो शालिनी उसकी एकटक राह देख रही थी.

जगदीश ने बेड पर बैठ कर शालिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर मृदुता से पूछा. ’क्या हो रहा है?’

‘दर्द हो रहा है…’

‘कहां ? बांह में?’

शालिनी ने ना में सर हिलाया.

‘छाती में?’

शालिनी ने फिर ना में सर हिलाया.

‘और कहां हो सकता है!’ जगदीश को आश्चर्य हुआ.

‘बताती हूं, गुस्सा मत होना…’

‘तुम्हे दर्द हो रहा है तो मैं गुस्सा क्यों करूंगा ! बोलो क्या हुआ?’

‘आप को देखने का जी कर रहा था…’

जगदीश देखता रह गया. फिर पूछा.

‘मतलब दर्द नहीं हो रहा था?’

‘क्या बोलती सिस्टर को? उनको देखना है बुला लाओ?’ बोलते हुए शालिनी ने शर्मा कर अपना मुंह छिपा लिया.

जगदीश को एकदम से सुझा नहीं की शालिनी को क्या कहे. उसने अगल बगल देखा तो नर्स आपस में उनको देख सरगोशी करते हुए हंस रही हो ऐसा उसे लगा. उसने शालिनी की ओर देखा.

शालिनी ने डरते हुए पूछा.’नाराज हो?’

‘नहीं.’ जगदीश ने मुस्कुराके कहा.’सोचता हूं, चांदनी को यहीं बुला लूं...’

‘सच?’ शालिनी उत्साह में आ गई. ‘दी आएगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.’

‘हां, तुम्हें भी एक कंपनी मिल जाएगी और मुझे कुछ काम से जाना है, मैं भी निकल पाऊंगा.’

‘आप मेरी वजह से फंस गए हो क्या?’ शालिनी ने गिरे हुए चेहरे के साथ पूछा.

‘फंस नहीं गया, क्यों उल्टा मतलब निकाल रही हो!’

‘अच्छा अच्छा नहीं फंसे हो बस ? आप नाराज मत होइए… प्लीज़.’

‘मैं चांदनी से बात करके आता हूं, ठीक है? जाऊं?’

शालिनी ने स्मित करते हुए ‘हां’ में सर हिलाया. जगदीश वॉर्ड के बाहर आया.

***


इंदौर

फिर फोन बजा. पारस नाथ बिष्ट ने देखा तो जगदीश नहीं बल्कि जुगल का था.

‘मामाजी एक हेल्प चाहिए.’

‘क्या हुआ?’ दोनों भाइओ की एक जैसी शुरुआत से पारस नाथ थोड़े टेन्स हो गए.

‘मुझे महीने भर के लिए कंपनी के काम से कहीं भेज रहे हो ऐसा बड़े भैया को बताना है...’

‘ओह!’ पारस नाथ ने इतना ही कहा. जुगल कभी झूठ नहीं बोलता था. अगर किसी झूठ में वो उनको भी शामिल कर रहा है तो मामला गंभीर है. उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं पूछते हुए कहा. ‘ठीक है, मैं कह दूंगा की तुम्हे महीने भर के लिए कलकत्ता भेजा है. ठीक है?’

‘बहुत शुक्रिया मामाजी. ये बात शालिनी को भी पता नहीं चलनी चाहिए कि मैं कलकत्ता नहीं गया- आप और मेरे सिवा यह किसी को भी भनक तक नहीं आनी चाहिए.’

‘जुगल, सब ठीक तो है?’

‘ठीक नहीं पर मैं ठीक कर लूँगा. फिर सब बात आपको बताता हूं.’

‘बेटा, पैसे है तुम्हारे पास?’

‘है. बस इतना एक महिना सम्हाल लो...’

‘कोई फिकर मत कर और लगे की मामला हाथ से जा रहा है तो आधी रात को भी मुझे फोन कर सकता है- ठीक है?’

‘मामाजी... थैंक्स, रखता हूं.’ जुगल की आवाज से पता चल रहा था की उसकी आवाज में आंसू का गीलापन उसे बोलने नहीं दे रहा था इसलिए उसने फोन काटा. सब शुभ हो ऐसी पारस नाथ ने मन ही मन में प्रार्थना की.

फोन रखते ही जगदीश का कॉल आया.

‘हां बेटा, तुझे कोई हेल्प चाहिए थी?’

एक पल के लिए जगदीश हिचकिचाया. मामाजी को कहना था की हफ्तेभर के लिए जुगल को कंपनी के काम से कहीं भेज दो.अर्जंट तौर पर. -यह विनती वो मामाजी से करना चाहता था पर उसे यह बात कहने में अटपटा लग रहा था. शालिनी के घावों की रिकवरी होने में एक हफ्ता लग जाएगा. जुगल को यह सब बातें जगदीश नहीं बताना चाहता था. डोक्टर ने कहा था की हप्तेभर में शालिनी के जिस्म पर से जख्म पर से निशाँ एकदम फीके पड़ जायेंगे. एक हप्ते का समय कैसे खड़ा किया जाय? इसलिए उसने मामाजी को फोन किया था, जैसे तैसे बात करने की हिम्मत जुटाई तो नर्स ने बात नहीं करने दी. और अब जब फिर से फोन लगाया तो जगदीश को बात कहना जम नहीं रहा था...

‘जगदीश? हल्लो?’

‘हां , मामाजी...’

‘कुछ बोलो भई...बात क्या है?

‘कोई नहीं वो जुगल-’ फिर जगदीश रुक गया, आगे क्या बोलना यह उसे सुझा नहीं.

‘जुगल अब एक महीने बाद मुंबई आएगा जगदीश, अचानक मुझे उसे कलकत्ता भेजना पड़ा.’

‘ओह!’ जगदीश ने राहत की सांस लेते हुए कहा.

‘क्या हुआ? जुगल का कोई जरूरी काम था क्या?’

‘नहीं उसका फोन नहीं लग रहा तो चिंता हो रही थी. अच्छा हुआ आपने बता दिया...’

‘और तो कोई बात नहीं ना?’

‘नहीं मामाजी, सब ठीक है.’

‘वो औरत से कुछ पता चला? गोविंद को होश आया?’

अचानक जगदीश को हुस्न बानो और अस्पताल में पड़े गोविंद मामा की याद आई... लाइफ में इतना कुछ हो रहा था की सब ऊपर नीचे हो गया था...

‘वो औरत की दिमागी हालत अभी खस्ता ही है, पर मुंबई आने से पहले एक बार फिर मैं उससे बात करने की कोशिश करूंगा .’

‘ठीक है, आ जाओ फिर बात करते है.’

‘जी मामाजी.’ कह कर जगदीश ने फोन रखा.


***


जगदीश

जुगल खुद महीने भर के लिए शालिनी से मिल नहीं पायेगा यह सुन कर जगदीश के मन से एक बड़ा बोज सा उतर गया था. अब चांदनी से क्या बात करें? क्या सच में उसे यहां बुला लेना चाहिए? हां यही ठीक रहेगा, चांदनी को समझाया जा सकता है की पिछले तीन दिनों में क्या गड़बड़ी हुई और कैसे वो और शालिनी फंस गए थे. चांदनी शालिनी के साथ रहेगी, अगर यहां से डॉक्टर शालिनी को डिस्चार्ज दे दे तो दोनों साथ में मुंबई भी जा सकते है. और मैं हुस्न बानो और गोविंद मामा से एक बार मिलने निकल जाऊंगा....

यह सोच कर जगदीश ने चांदनी को फोन लगाया पर चांदनी का फोन बंद है ऐसा मैसेज आया. जगदीश उलझ गया की कल रात से चांदनी का फोन बंद क्यों आ रहा है? इतने में जुगल का फोन आया. जुगल ने कलकत्ता जा रहा हूं यह बात की, जगदीश ने कहा की वो तो मामाजी से पता चला पर चांदनी कहां है उसका फोन ही नहीं लग रहा. जुगल ने कहा.

‘चांदनी भाभी का फोन पानी में गिर गया था, बंद हो गया है, मेरे साथ है लो बात करो.’

‘हल्लो’

‘हल्लो चांदनी?’

‘आप तो शादी में पहुंचे ही नहीं?’

‘अरे सब गड़बड़ हो गया.क्या बताऊ तुम्हे- पर ये तुम्हारी आवाज को क्या हो गया?’

‘अरे वो ही गलती से बर्फ वाला पानी पी लिया सो आवाज बैठ गई है..’

‘चांदनी, खुद को किस बात से तकलीफ होती है यह कोई कैसे भूल सकता है?’ जगदीश ने चिढ कर कहा.

‘जी, सॉरी बाबा, अब सुनो मुझे कल से ले कर सत्ताविस दिनों के लिए नासिक जाना है. मैं सोचती हूं यहीं से चली जाऊं.’

‘नासिक! क्यों ?’

‘विपश्यना शिबिर है... कई दिनों से मुझे विपश्यना के लिए जाना था... तो चली ही जाती हूं, अगर आप को कोई एतराज़ न हो तो-’

‘ठीक है, एतराज़ वाली कोई बात नहीं पर तुम्हारी तैयारी है? ऐसे बाहर से ही जा रही हो?’

‘विपश्यना में कोई चीज की जरूरत ही नहीं पड़ती...’

‘ठीक है, टेक केयर. विपश्यना ख़तम होते मुझे कोल करना मैं लेने आ जाऊंगा.’

‘ओके. जुगल से बात करनी है?’

‘हां.’ फिर जगदीश ने जुगल से कुछ फॉर्मल बातें की और फोन काटा. इस बात की ख़ुशी के साथ की चीजे अपने आप सेट हो गई, जुगल से कोई झूठ नहीं बोलना पड़ा. पर चांदनी को उसने मीस किया. खेर, चांदनी को कई दिनों से विपश्यना के लिए जाना ही था.

अब आगे क्या करना है? – यह जगदीश सोच रहा था की उसे मोहिते आता हुआ दिखा.

***


जुगल

‘अच्छा हुआ तुमे याद आ गया की तुम्हारी भाभी को बर्फ की एलर्जी है, अपना पत्ता चल गया.’ झनक ने जुगल से खुश होते हुए कहा. पर जुगल खुश नहीं दिख रहा था.

‘मिल गया न करीब एक महिना जुगल ! अब क्यों परेशान हो? इतने समय में चांदनी भाभी जरुर ठीक हो जायेगी...’

‘हां.’ जुगल ने छोटा सा जवाब दिया.

झनक समज गई, जुगल को झूठ बोलने की पीड़ा हो रही है.

***


जगदीश

‘अब तुलिका कैसी है?’

तुलिका को बुखार आ गया था, अस्पताल में एक बेड पर उसे आराम करने की व्यवस्था कर दी थी.

‘बुखार कम हुआ है पर अभी भी है और वो जिद कर रही है की अब यहां नहीं रुकना, अस्पताल में उसका दम घुटता है. अब यह कोई अपना गांव तो है नहीं! और सुभाष को डिस्चार्ज मिलने तक तुलिका को वापस अपने गांव भी भेज नहीं सकते. उसे कहां ले जाऊं? थोड़ी दुरी पर एक सरकारी गेस्ट हाउस है. मैंने जुगाड़ लगा कर वहां एक कमरे का इंतजाम किया है. डॉक्टर से बात कर के वहीं ले जाता हूं.’

‘अच्छी बात है, कितनी दूरी पर है ये गेस्ट हाउस?’

‘नजदीक ही है – यहां से आठ या दस किलोमीटर....’

‘मोहिते! तुम पगला गए हो? सुभाष यहां ट्रीटमेंट ले रहा है और उसकी पत्नी को तू दस किलोमीटर दूर ठहेरायेगा?’

‘पर कोई चारा भी तो नहीं जगदीश, और कहां रुके?’

‘अरे? यहां मैंने ‘कदंब रिसोर्ट’ की बहुत सारी एड देखी, ये रिसोर्ट बिलकुल आसपास में ही है ना?’

‘ओ भाई! जरा जमीन पर आओ. रिसोर्ट अमीर लोगों की अय्याशी के लिए होते है. वहां का एक दिन का भाड़ा पता है?’

‘हां भाडा जरा ज्यादा होगा पर कभी कभी हमें एडजस्ट करना पड़ता है...’

‘नहीं.’ मोहिते ने दृढ़ आवाज में कहा. पर जगदीश ने उसकी एक न सुनी और ‘कदंब रिसोर्ट’ में एक छोटा सा आउट हाउस बुक करा ही लिया. जब मोहिते ने आपत्ति उठाई तब जगदीश ने कहा. ‘मुझको और शालिनी को भी आराम करने के लिए जगह चाहिए ना? शालिनी भी अस्पताल से ऊब गई होगी...’ तब मोहिते के पास कोई दलील नहीं बची.


***

मोहिते


‘कदंब रिसोर्ट’ के आलिशान आउटहाउस के मुलायम गद्दे पर तुलिका कंबल ओढ़ कर सोई थी. उसका बुखार अभी गया नहीं था.

इतने महेंगे आउट हाउस में मोहिते कभी रुका नहीं था. डबल बेड वाले चार बड़े बड़े कमरे थे बीच में एक बड़ा होल था. फ़ूड सर्विस और दूसरी सेवा के लिए इंटरकॉम था, बाहर सुंदर बगीचा था.

और इतनी बड़ी जगह में अभी वो और उसकी बहन तुलिका दो ही जन रुके हुए थे. तुलिका तो सोई हुई थी, सो मोहिते को लग रहा था यहां अभी वो अकेला ही है.

रिसोर्ट की फ़ूड सर्विस बहुत अच्छी थी. ऑर्डर करते ही दस मिनट में चाय और ब्रेड बटर आ गए थे.चाय पीते हुए मोहिते जगदीश के साथ की बातें याद कर रहा था.

‘तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है की तूलिका मुझ में सेक्सुअली इंटरस्टेड है ?’ मोहिते ने पूछा था.

‘तूलिका को पता नहीं कि हम अच्छे दोस्त है. उसे लगा होगा की कोई नया नया पहचान वाला है.. तभी उसने इतना बड़ा झूठ बोल दिया की मैं उस पर लाइन मारता हूं…. उसने ये कभी नहीं सोचा होगा की तुम उस पर भरोसा न कर के मेरी बात पर विश्वास करोगे…’

‘पर ऐसी बातों से उसे क्या फायदा ?’

‘अगर कोई उसे सेक्सुअलि एब्यूज़ करता है और यह वो तुम्हे बताती है तो तुम्हारा ध्यान उसकी सेक्स अपील पर जाएगा - यह एक लॉजिक हो सकता है…’

मोहिते यह सुन सोच में पड़ गया.

‘अच्छा एक बात बताओ, तुमने मुझे यह कहा कि तुम्हारा एक कलीग मुझे और शालिनी को मुंबई ले जाएगा.. कलीग के साथ उसकी बीवी भी होगी… मोहिते - तुमने यह नहीं बताया की तुम्हारे बहन और जीजा हमें मुंबई ले जाएंगे! ऐसा क्यों ? ‘

‘ ऍक्च्युली मैं तूलिका से बात नहीं करता, तूलिका की शादी को चार साल हो गए. और पिछले तीन साल से हम लोग बात नहीं करते…इसलिए मैंने बताया नहीं था की ये मेरे बहन और जीजा है..’

‘अरे ऐसा क्यों?’

‘एक बार किसी बात पर हमारा झगड़ा हो गया फिर मैंने बात करना बंद कर दिया… अब तो ये भी याद नहीं की वो कौनसी बात थी जिस पर हमारा झगड़ा हुआ था.. अगर ये सुभाष के साथ ऐसा जानलेवा हादसा नहीं हुआ होता तो अब भी हम बात नहीं कर रहे होते…’

‘अब तुमने क्या सोचा है?’

‘समझ में नहीं आता की तूलिका को क्या कहु?’

‘मेरी बात मानो तो उसे समझने की कोशिश करो. हो सकता है की मेरा अंदाज़ा गलत हो. हो सकता है कोई और वजह से तूलिका ने ऐसी बात की हो…’

मोहिते सुनता रहा.

जगदीश ने आगे कहा. ‘किसी भी हाल में तूलिका पर गुस्सा मत होना. उसके साथ तल्खी से पेश मत आना. उसकी बातें सुन लेना. समझ में आये तो ठीक, न समझ में आए तो भी ठीक.‘

‘पर गुस्सा आये ऐसा वो करे तो भी गुस्सा न करूं ? ये क्या बात हुई?’ मोहिते ने पूछा.

‘वैसे भी हमारी औरतें बहुत कुछ सहती है मोहिते, उन पर हम लोग और बोजा तो न बढ़ाएं ?’

इस बात का मोहिते कोई जवाब नहीं दे पाया था.

***


सब चीजें कंट्रोल में नजर आ रही थी.

-तूलिका ने ग़लतफ़हमी खड़ी करने की कोशिश की पर मोहिते और जगदीश उस बात में फंसे नहीं.

-जुगल से शालिनी कैसे घायल हुई यह बात छुपाने में जगदीश कामयाब रहा.

-जगदीश को जुगल ने यह पता नहीं चलने दिया की चांदनी की स्थिति क्या हो गई है.

पर तूलिका, मोहिते , जगदीश, शालिनी, जुगल और चांदनी के साथ अगले कुछ घंटों में क्या बवंडर होने वाला है यह किसी को नहीं पता.

-जुगल का जो पहलू झनक के घर पर खुला उससे न की सिर्फ जुगल बल्कि जगदीश को भी फर्क पड़ने वाला है यह किसी को भी अंदाजा नहीं.

जिस तरह शतरंज की बाजी में घोड़ा ढाई कदम ही चलता है पर सारा सेटिंग हिला देता है - क्योंकि वो टेढ़ा चलता है.

उस तरह जीवन की बाजी में सेक्स यह ढाई अक्षर का तत्व सारा सेटिंग हिला देता है - क्योंकि यह भी टेढ़ा चलता है.

-सब चीजें कंट्रोल में नजर आ रही थी.

पर यह तूफ़ान के पहले की शांति थी.


(३३ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
दोनो भाई एक जैसी परिस्थिति में फस गए है और दोनो ही एक दूसरे को बता ना ही नही चाहते है। मोहिते भी अपनी बहन की वजह से परेशान है। क्या जुगल चांदनी को ठीक करने के लिए सेक्स की हेल्प लेगा। क्या शालिनी जगदीश को अपनी और झुका पाएगी।
सुंदर अपडेट।
 

sexyswati

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सॉरी मैं आपसे सहमत नहीं ...
अबतक जो भी इन्सेस्ट स्टोरीज मैंने पढ़ी है..... उसमे से पहले दस में ये स्टोरी शुमार होंगी.
खैर पसंद अपनी अपनी। .. किसी को रोमांटिक सेक्स पसंद है तो किसी को घपाघप
:):):)
 
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sexyswati

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राकेश जी ,
अब आप जगदीश -शालिनी और जुगल -चांदनी ,मोहिते-तूलिका के बीच रोमांस और सेक्स का वर्णन लिखेंगे तो सभी को अच्छा लगेगा।
हर अपडेट्स में कई फिजूल के पात्रो का आप समावेश करते जा रहे हे वो अब बोरियत देने लगे हे सबको केवल प्यार और सेक्स में रूचि हे
चांदनी का भी अपने पापा के साथ वाला किस्सा बहुत हो गया हे ,उसे आप जुगल के साथ सेक्स कराकर ख़तम कर सकते हो की चाँदनी जुगल के साथ अनजाने में हुए सेक्स के अपराधबोध में ये सब कर रही थी ,
जगदीश और शालनी अब करीब आ गए हे रिसोर्ट में शालिनी के स्तनों का मानमर्दन और सेक्स की कहानी पढ़ना अच्छा लगेगा।
ये तो केवल मेरे सुझाव हे वैसे आप जिस निरंतरता के साथ ये कहानी लिखेंगे ऐसा कभी सोचा नहीं था।
वैसे आपने बहुत शानदार कथानक पर ये स्टोरी लिखी हे लेकिन बस ये समझिये की इस साइट पर केवल रोमांस और सेक्स स्टोरी ही पसंद की जाती हे और सबको इन्तजार हे जगदीश कब शालिनी के साथ सेक्स करेगा और चांदनी कब जुगल के साथ मजा लेगी
"रिसोर्ट में शालिनी के स्तनों का मानमर्दन और सेक्स की कहानी पढ़ना अच्छा लगेगा " Nice idea:):)
 

mastmast123

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सॉरी मैं आपसे सहमत नहीं ...
अबतक जो भी इन्सेस्ट स्टोरीज मैंने पढ़ी है..... उसमे से पहले दस में ये स्टोरी शुमार होंगी.
खैर पसंद अपनी अपनी। .. किसी को रोमांटिक सेक्स पसंद है तो किसी को घपाघप
:):):)
मुझे भी घपा घप् पसंद नहीं है बिल्कुल भीं, लेकिन शालीन sex approach or sex talks and sex activity which arouse your breath without being too vulgar n cheap, अगर sex sensuality erotism नहीं है तो फिर ये forum नहीं उनके liye जिन्हें सेक्स kick चाहिए, आपने भी यही request किया था rakesh जी कि कुछ kinky भी चलने दीजिये साथ साथ,,,,
 

SKYESH

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राकेश जी ,
अब आप जगदीश -शालिनी और जुगल -चांदनी ,मोहिते-तूलिका के बीच रोमांस और सेक्स का वर्णन लिखेंगे तो सभी को अच्छा लगेगा।
हर अपडेट्स में कई फिजूल के पात्रो का आप समावेश करते जा रहे हे वो अब बोरियत देने लगे हे सबको केवल प्यार और सेक्स में रूचि हे
चांदनी का भी अपने पापा के साथ वाला किस्सा बहुत हो गया हे ,उसे आप जुगल के साथ सेक्स कराकर ख़तम कर सकते हो की चाँदनी जुगल के साथ अनजाने में हुए सेक्स के अपराधबोध में ये सब कर रही थी ,
जगदीश और शालनी अब करीब आ गए हे रिसोर्ट में शालिनी के स्तनों का मानमर्दन और सेक्स की कहानी पढ़ना अच्छा लगेगा।
ये तो केवल मेरे सुझाव हे वैसे आप जिस निरंतरता के साथ ये कहानी लिखेंगे ऐसा कभी सोचा नहीं था।
वैसे आपने बहुत शानदार कथानक पर ये स्टोरी लिखी हे लेकिन बस ये समझिये की इस साइट पर केवल रोमांस और सेक्स स्टोरी ही पसंद की जाती हे और सबको इन्तजार हे जगदीश कब शालिनी के साथ सेक्स करेगा और चांदनी कब जुगल के साथ मजा लेगी

sex story to bahut hai.......................

but yaha par jis tarah se RAKESH ji ne describe kia hai ..............................mind blowing ..........Juhi ji....

har update main .....ek alag hi nkhar hai................kuchh alag hi milta hai ......jo hamare prediction se alag hi hota hai ........

rakeshhbakshi
 
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