लो सफर शुरू हो गया।३८ – ये तो सोचा न था…
[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’
‘नहीं.’
‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’
‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’
‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’
‘आप.’
शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]
जगदीश
जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.
शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’
जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.
‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’
शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’
जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.
clinking beer mugs smileys
***
जुगल
जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :
‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.
‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’
‘मतलब?’
‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’
‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.
‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’
जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’
‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’
‘कितना धैर्य ? कितना समय?’
‘और पांच सेशन.’
‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.
‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’
‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.
‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.
रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’
‘इंप्रेस ?’
‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’
‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’
‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’
‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’
फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.
‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’
‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’
‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’
उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’
‘कितना महंगा?’
‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’
‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’
‘करेक्ट…’
‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’
‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.
फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.
अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.
‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.
जुगल चुप रहा था.
और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?
क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?
न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…
नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’
सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…
***
जगदीश
‘भैया !’
जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.
‘अब?’
‘क्या अब?’
‘अब हमारा क्या होगा?’
‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’
‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’
‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’
‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’
‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’
‘मतलब?’
‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’
जगदीश चुप हो गया.
शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’
कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…
***
जुगल
कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…
पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.
जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.
***
जगदीश
‘भैया…’
जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.
‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’
जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’
शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’
शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’
‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’
‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’
‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’
‘पर क्यों!’
‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’
‘या फिर?’
‘हुकुम.’
‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.
‘प्यार में इतना पावर होता है न?’
जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’
शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’
***
जुगल
चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’
‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.
चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’
चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.
‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.
यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’
चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.
झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’
चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.
झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’
‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’
‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’
‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’
‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’
कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’
‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’
कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’
‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.
‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’
कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’
‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’
‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’
‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’
‘पर?’
‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’
‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’
‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’
‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’
जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.
(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश
Fantastic update३८ – ये तो सोचा न था…
[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’
‘नहीं.’
‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’
‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’
‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’
‘आप.’
शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]
जगदीश
जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.
शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’
जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.
‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’
शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’
जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.
clinking beer mugs smileys
***
जुगल
जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :
‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.
‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’
‘मतलब?’
‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’
‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.
‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’
जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’
‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’
‘कितना धैर्य ? कितना समय?’
‘और पांच सेशन.’
‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.
‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’
‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.
‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.
रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’
‘इंप्रेस ?’
‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’
‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’
‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’
‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’
फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.
‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’
‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’
‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’
उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’
‘कितना महंगा?’
‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’
‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’
‘करेक्ट…’
‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’
‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.
फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.
अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.
‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.
जुगल चुप रहा था.
और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?
क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?
न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…
नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’
सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…
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जगदीश
‘भैया !’
जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.
‘अब?’
‘क्या अब?’
‘अब हमारा क्या होगा?’
‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’
‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’
‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’
‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’
‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’
‘मतलब?’
‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’
जगदीश चुप हो गया.
शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’
कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…
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जुगल
कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…
पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.
जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.
***
जगदीश
‘भैया…’
जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.
‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’
जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’
शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’
शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’
‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’
‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’
‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’
‘पर क्यों!’
‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’
‘या फिर?’
‘हुकुम.’
‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.
‘प्यार में इतना पावर होता है न?’
जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’
शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’
***
जुगल
चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’
‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.
चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’
चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.
‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.
यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’
चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.
झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’
चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.
झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’
‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’
‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’
‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’
‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’
कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’
‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’
कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’
‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.
‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’
कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’
‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’
‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’
‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’
‘पर?’
‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’
‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’
‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’
‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’
जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.
(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश