• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest ये तो सोचा न था…

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,857
20,205
158
३७ – ये तो सोचा न था…

[(३६ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

बरम्यूडा नीचे होते ही जगदीश का पूर्ण रूप से तना हुआ लिंग शालिनी के सामने हिलोरे लेने लगा. शालनी चौंक पड़ी, टेस्टिकल नॉर्मल थे.शालिनी ऑक्वर्ड स्थिति में आ गई.जगदीश ने बरम्यूडा फिर से चढ़ा कर अपने लिंग को ढंकते हुए कहा.
‘रिलेक्स, शालिनी. न कोई सूजन है, न दर्द है, मुझे कुछ नहीं हुआ.’

‘जी पर वो आप ने हाथ अंदर किया था तो… मैं समझी..’

ढीली आवाज में शालिनी ने कहा, उसे सुझा नहीं की आगे क्या बोले.

‘मैं अपना लिंग सहला रहा था. ओके?’

जगदीश ने कहा.

‘ओह… आई एम सो सॉरी भैया –’

अपनी गलती पर लजा कर सर पीटते हुए शालिनी फिर अंदर भागती हुई सोचने लगी : क्या बुद्धू लड़की हूं मैं ! ऐसे कोई किसी की बरम्यूडा खींचता है क्या…! हे भगवान… मेरा क्या होगा…! ]


मोहिते

‘अब बस कर ताई… इसको जितना बड़ा करेगी तेरी कमर उतनी चौड़ी करेगा ये…’ मोहिते ने तूलिका का मुंह अपने लिंग से हटाते हुए कहा.

‘बंड्या, मेरी कमर का कमरा बना कर तू रहने आजा, लेकिन इसको मेरे सामने से मत हटा-’ कहते हुए तूलिका ने खड़े हो कर मोहिते के लिंग को मसलते हुए मोहिते कि छाती में अपना सिर रखा दिया और कहने लगी.

‘मेरी शादी हुई उससे पहले हमारे घर के पास मोहल्ले की कुत्ती ने आठ बच्चे जने थे वो याद है?’

‘हां, याद है.’

कुछ ही दिनों में वो सारे कुत्ते के पिल्ले बड़े हो गए थे- दो कुत्ती और छे कुत्ते थे…’

‘हां, पर उस बात का अभी क्या है?’

‘बंड्या, उन कुत्तों को देख कर मुझे बहुत जलन होती थी…’

‘जलन?’

‘और नहीं तो क्या वो सारे कुत्ते जब जी में आये तब किसी भी कुत्ती पर चढ़ जाते थे… कभी अपनी दोनों बहन कुत्तिया पर कभी अपनी मां कुत्ती पर…’

‘उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ताई….कितनी सेक्सी बातें करती हो… ’ कहते हुए मोहिते ने तपाक से तूलिका के पेटीकोट का नाडा खींच के खोल कर सरका दिया, अब तूलिका केवल पेंटी में थी… मोहिते ने पेंटी भी नीचे सरका दी. तब ‘ईश..श...श...श…’ कहते हुए अपनी नंगी योनि पर हाथ ढंक कर तूलिका शर्म से मूड गई. ऐसा करने से अब तूलिका के नितंब मोहिते के सामने आये. उन्हें दोनों हाथों से थाम कर मोहिते ने कहा. ’भाऊ ला गांड दाखवतेस का…’ ( भाई को गांड दिखा रही हो?)



G
upload pic

‘ईश..श्श्श… ‘ बोलते हुए लजा कर तूलिका ने अपने दोनों हाथों से अपने नितंब ढकने की बेमतलब कोशिश की. मोहिते ने आगे बढ़ कर तूलिका को पीछे से बांहों में खींचा और उसकी कमर पर अपने दोनों हाथ लपेटते हुए अपना तना लिंग तूलिका के नितंबों के गोलों के मध्य अवकाश में पिरोया. मोहिते का लिंग तूलिका के योनि मार्ग को होले से छूता हुआ, दो पैरों के बीच सट कर खड़ा रह गया. इस लिंग स्पर्श से तूलिका सिहर उठी. आंखें मूंद कर उसने हलकी सिसकारी भरी. मोहिते ने अब अपने दोनों हाथों में तूलिका के दोनों स्तनों को थामा और दोनों हाथों के अंगूठों से तूलिका के दोनों निपलों को इतनी नजाकत से छुआ जैसे कोई पुरानी किताब के पन्नों के बीच पड़े पीपल के सूखे पत्ते को होले से छूता है. ऐसे अपनी दोनों चूचियों की छुअन से तूलिका को लगा जैसे सूरज से तपती धरती पर बारिश की हल्की सी बौछार हुई हो. -ऐसी बौछार जो धरती को तृप्त तो नहीं करती बल्कि प्यास बढ़ाती है पर इस बढ़ी हुई प्यास में व्याकुलता नहीं होती किंतु शीतल अनुभव की नविन उत्साह पूर्ण अपेक्षा जगती है. तूलिका को इस अपेक्षा ने अधिक स्पर्श के लिए पूरे बदन में ललक जग गई. ‘बंड्या…’ तूलिका ने मदमत्त स्वर में कहा. इस स्वर में संबोधन नहीं था बल्कि यह उच्चारण एक प्रतिक्रिया थी, जैसे चातक पक्षी को बारिश की बूंदो की प्रतीक्षा रहती है वैसी स्पर्श प्रतीक्षा अब तूलिका के समग्र तन में व्याप्त हो चुकी थी और उस प्रतीक्षा का स्वर स्वरूप यह ‘बंड्या’ उच्चारण था. अर्थात इस उच्चारण में तड़प का निवेदन था.

‘काय झाल ग?’ (क्या हुआ ?) मोहिते ने तूलिका के कांधे पर अपना चहेरा रगड़ते हुए तूलिका के कान में सरगोशी से पूछा.

‘तू एवढी गरम का आहे ग, ताई ? ( तुम इतनी गरम क्यों हो दीदी?)

‘तू एवढा कामुक का आहे? ( तुम इतने कामुक क्यों हो?)

‘जिसकी बहन इतनी लावा जैसी उबल रही हो कि दिन में एक बार बदन की गोलाइयां और खाइयां देख लेने पर दिन भर लोडा नरम न हो वो भाई कामुक क्या होगा ताई, काम से जाएगा…’

‘जिसको खुद उसका भाई नजरो से नहला नहला कर तन बदन के एक एक इंच को आंखों से रोज चूमता हो वो बहन बर्फ होगी तब भी लावा बन जाएगी रे…’

‘ताई तू तो हलवा है हलवा… ‘ कहते हुए मोहिते ने झुक कर तूलिका की योनि सहलाई.

‘बंड्या…’ अत्यंत नशीले स्वर में तूलिका ने योनि स्पर्श से उत्तेजित होते हुए अपने दोनों पैरों को चौड़े करते हुए कहा. ‘ तेरी ताई का हलवा छब्बीस छब्बीस सालों से अपने भाई के लिए उबल रहा है - आज इसे ठंडा कर दे रे…’

‘ताई…’ तूलिका की योनि से अब झरने लगे रस में अपनी उंगलियों को मसलते हुए मोहिते ने जलती हुई आवाज में कहा.

‘भाई…’ अगन गोले की गर्मी से पिघलती मोम जैसे समर्पित स्वर में तूलिका ने कहा.

***


जुगल

जिस के साथ अनजाने में शालिनी समझ कर उसने सम्भोग किया था वो अपनी भाभी ही थी यह आघात जुगल के लिए होशलेवा था. वो सर थामे बैठ गया था पर झनक ने उसे होश खोने नहीं दिया.

‘जुगल, अभी इस बात का सोग मनाने का वक्त तुम्हारे पास नहीं है. हिम्मत रखो, यह बात मैंने अब तक नहीं बताई क्योंकि मैं समझ गई थी की तुम चांदनी का कितना सम्मान करते हो पर आज बताना पड़ा क्योंकि हो सकता है आज फिर तुम्हे चांदनी के साथ ऐसा कुछ करना पड़े जो केवल एक पति ही कर सकता है -’

जुगल इस तरह झनक के सामने देख उसकी बातें सुन रहा था जैसे वो उसे सजा ऐ मौत सुना रही हो.

‘जुगल, तुम सुन रहे हो?’

जुगल सिर्फ देखता रहा.

‘ठीक है, चलो यहां से चले जाते है. छोडो यह ट्रीटमेंट का चक्कर.’

झनक ने जुगल की बगल से खड़े होते हुए कहा.

जुगल ने चौंक कर पूछा. ‘तो फिर भाभी का क्या होगा?’

‘पता नहीं. तुम दोनों को संभालना मेरे बस में नहीं, अगर किसी रात नशे में तुमने तुम्हारी भाभी को पत्नी समझ कर चोद डाला था इस बात से तुम बौखला गए हो तो किसका इलाज करें? तुम्हारी भाभी को छोड़ कर अब क्या तुम्हारी ट्रीटमेंट करनी होगी? मैं तुम्हारी बहन हूं या साली? मुझे इतना सारा झंझट नहीं चाहिए, चलो.’

‘प्लीज़ नाराज मत हो झनक-’

‘मैं नाराज नहीं पर मेरे पास ऐसे चोचलो के लिए टाइम नहीं.’

इतने में डॉक्टर प्रियदर्शी ने बाहर आ कर जुगल से पूछा. ‘कोई समस्या है?’

‘नहीं डॉक्टर, चांदनी के लिए कुछ भी कर लूंगा, चलिए मैं रेडी हूं.’ जुगल ने खड़े होते हुए कहा और झनक की और देखा. डॉक्टर केबिन में जाने के लिए मुड़े और झनक ने जुगल को बांहो में खींच कर एक लिप किस कर के कहा. ‘गुड़ बॉय.’

******


जगदीश

जगदीश ने कमरे के दरवाजे को जांचा, खुला था. वो कमरे में दाखिल हुआ. बेड पर शालिनी औंधी पड़ी तकिये में मुंह छिपा कर सुबक सुबक कर रो रही थी. जगदीश उसके करीब जा कर बैठा और शालिनी की पीठ को सहलाते हुए बोला.

‘शालिनी?’

शालिनी ने तकिये से मुंह निकाला दुपट्टे से अपने आंसू पोंछे और जगदीश से थोड़ा दूर खिसक कर बैठते हुए बोली. ‘आप मुझ से नाराज नहीं?’

‘नहीं, तुम्हारा कोई कसूर नहीं, तुम्हे तो यह चिंता थी की कहीं मुझे कोई दर्द तो नहीं हो रहा. क्यों इस तरह खुद को कोस रही हो? यह रोना धोना क्या लगा रखा है?’

‘रोना किसी और बात का है, वो छोड़ो ना भैया.’

‘किस बात पर रो रही थी?’

‘आप क्यों पूछ रहे हो? मुझे नहीं बताना…’

‘क्यों नहीं बताना?’

‘भैया… क्यों जिद करते हो? वो मेरा पर्सनल मामला है - प्लीज़.’

‘ओके, ओके… एक शर्त पर.’

शालिनी ने जगदीश के सामने सवालिया नजरों से देखा.

‘मुस्कुरा दो.’ स्मित करते हुए कहा.

शालिनी साफ़ दिल से मुस्कुराते हुए बोली. ‘ भैया, आप बोलो तो कोई अपनी जान भी निकाल कर दे दे और आप मुस्कुराने की विनती कर रहे हो?’

‘शालिनी, तुम मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छा आदमी समझ रही हो. बता दूं ऐसा है नहीं - किसी गलतफहमी में मत रहना.’

‘अच्छा ! आप बुरे काम भी कर लेते हो? सुनाओ मुझे भी जरा.’

‘सुनोगी तो बड़ा आघात लगेगा, रहने दो.’

‘अब तो सुन कर ही रहूंगी. बोलो क्या बुरा काम किया है आपने?’

‘जी करता है मेरी करनी बता ही दूं ताकि यह जो तुम मेरे लिए ‘महान इंसान’ का तगमा अपनी नजरों में लिए मुझे देखती हो वो तो बंद हो.’

‘हां हां, बताइये.’

जगदीश ने शालिनी को निहारा फिर कहा. ‘जब तुम ने देखा की मेरा हाथ मेरे बरम्यूडा में है तब तुम्हें अंदाजा भी नहीं था कि मैं अपना लिंग सहला रहा हूं…’

‘जी…’ शालिनी थोड़ी हिचकिचाई. ऐसी किसी बात की उसे उम्मीद नहीं थी.

‘मैं अपना लिंग किसी को याद करते हुए सहला रहा था…’

‘जी…’ शालिनी अभी भी अंदाजा नहीं लगा पा रही थी की बात किस ओर जायेगी.

‘क्या तुम ऐसी कल्पना भी कर सकती हो की मैं जिसे याद कर रहा था वो चांदनी नहीं थी, कोई और औरत थी?’

यह बात शालिनी के लिए बिलकुल अनपेक्षित थी. पर उसे आघात नहीं लगा. उसने कहा.

‘ओके. पर भैया, पराई औरत के ख़याल में यूं उत्तेजित होना कोई बहुत बुरी बात नहीं है…’

‘पराई औरत से प्यार करना? यह तो बुरी बात है?’

शालिनी कुछ बोल नहीं सकी. प्यार? प्यार तो वो भी जगदीश से करने लगी थी! क्या प्यार करना बुरी बात है? हां शायद आप शादीशुदा हो तो किसी और से प्यार नहीं करना चाहिए.

‘जी, यह तो बुरी बात है.’ शालिनी ने मुस्कुराकर कहा.

‘तुम्हे हंसी आ रही है?’

‘वो कोई और बात पर हंसी आई, छोड़िए न, यह बताइये आप किस पराई औरत से प्यार करने लगे और कब से?’

‘यह सब हाल ही में हुआ… शालिनी.’ जगदीश ने गंभीर चेहरे से कहा.

शालिनी का दिल एक पल धड़कन चूक गया : कहीं जेठ जी भी मुझ से ही तो प्यार नहीं कर रहे ! जगदीश उसे याद करते हुए अपना लिंग सहला रहा है ऐसी कल्पना मात्र से शालिनी के बदन में बिजली सी दौड़ गई. उसने कांपती आवाज़ में पूछा. ‘मैं जान सकती हूं वो कौन है जिसे आप प्यार करने लगे हो?’

‘प्यार करने लगा ऐसा तो नहीं पर उस औरत के प्रति मैं आकर्षित हो गया और यह आकर्षण मुझे दोबारा भी हो सकता है…’

शालिनी अभी भी हैरान थी की यह किस औरत की बात होगी.

‘क्या हुआ, कब हुआ कुछ बताओगे?’

‘बताने जितनी कोई बड़ी बात है ही नहीं.’

शालिनी को लगा की यह बात मेरी नहीं शायद किसी और औरत की है. पर कौन होगा वो?

शालिनी ने कहा. ‘भले कितनी भी छोटी बात हो, मुझे जानना है. बताओ.’

‘याद है एक दिन म मैं मोहिते के साथ कहीं गया था?’

‘जिस दिन मेरे लिए ड्रेस ले आये थे?’

‘हां , उस दिन मैं एक औरत से मिला. मसाज करवाने. मसाज करवाते मेरी आंख लग गई. पर अचानक मेरी आंख खुल गई क्योंकि…’ जगदीश एक पल के लिए हिचकिचाया, फिर उसने बोल ही दिया. ’...क्योंकि वो मेरा लिंग चाट रही थी…’

‘क्या!’ शालिनी ने चौंक कर पूछा.

‘हां , मुझे बड़ा अजीब लगा. मैंने उनको मना किया ऐसा करने से. तब वो मुझे चूमने लगी.फिर-’

जगदीश बोलते हुए रुक गया. शालिनी ने पूछा. ‘फिर क्या?’

‘शैली, उस औरत के चूमने में कुछ ऐसा जादू था कि मैं भूल गया कि मैं उसे मना कर रहा था…’

‘तो फिर? बाद में आपने उसे प्यार किया !’ शालिनी ने अचरज से पूछा.

‘हां. प्यार किया. उसके शरीर को मैंने बहुत प्यार से सहलाया चूमा चाटा, चूसा. पहली बार मुझे एहसास हुआ की संभोग किये बिना केवल स्पर्श और चूमने चाटने से भी संभोग समान सुख मिल सकता है. खेर, पर यह सब बातें मैं तुम्हें क्यों बता रहा हूं ? वजह है. और वजह यह है कि तुम किसी मुगालते में मर रहों कि तुम्हारा यह जेठ दूध का धुला है और न ही मुझे सज्जन पुरुष का सम्मान दो.’

‘यही कहना था?’

‘क्या यह कम है?’

‘काम तो नहीं भैया , बहुत बड़ी बात बता दी पर लगता है और भी कुछ बात है जो आप कहना चाहते हो…’

जगदीश चुप रहा फिर बोला. ‘हां, एक और बात है जिसने मुझे हैरान कर दिया है. और वो बात यह है की मैंने चांदनी को धोखा दिया. उसकी पीठ पीछे मैंने किसी और स्त्री से प्यार किया. इस बात का मुझे बुरा क्यों नहीं लगा रहा. मैंने कोई गुनाह किया है ऐसा अफ़सोस क्यों नहीं हो रहा?

शालिनी भी यह सुन कर हैरान हो गई. उसने पूछा. ‘आप दीदी को यह सब बता दोगे ?’

‘हां. सब कुछ.’

‘उससे क्या होगा?’

‘उसे जानने का हक़ है की मैं कैसा आदमी हूं.’

उसी वक्त जगदीश का सेलफोन बजा. जगदीश यह देख कर हैरान रह गया को कॉल शालिनी के पिताजी - अनुराग अंकल का फोन था.

जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘तुम्हारे पिताजी का फोन है.’

शालिनी ने कहा. ‘कोई जरूरी बात होगी..’

जगदीश ने फोन रिसीव किया. कुछ औपचारिक बातों के बाद अनुराग अंकल मुद्दे पर आये. ‘शालिनी और जुगल के बीच कोई अनबन हुई है?’

‘नहीं तो, ऐसी कोई बात नहीं, आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’

‘मैं परेशान हो गया हूं बेटा…’ अनुराग अंकल ने कहा. ‘कुछ देर पहले शालिनी का फोन आया था, उसने कहा की वो डिवोर्स लेना चाहती है.’

‘क्या !’ चौंक कर जगदीश ने पूछा और शालिनी की ओर देखा. वो स्वस्थ चेहरे से जगदीश को देख रही थी. जगदीश ने अविश्वास भरी आवाज में पूछा. ‘यह आप क्या कह रहे हो?’

‘कुछ समझ में नहीं आता की अचानक क्या हो गया. जुगल बहुत अच्छा लड़का है और तुम्हारे जैसा बड़ा भाई होते हुए शालिनी को कोई परेशानी कैसे हो सकती है? ये लड़की ऐसी बात क्यों कर रही होगी?’

‘आप बिलकुल फ़िक्र न करें, मैं शालिनी से बात करूंगा.भूल जाओ डिवोर्स की बातें, बिलकुल निश्चिंत हो जाइए.ऐसा कुछ नहीं होगा.’

‘ठीक है पर’-

‘शालिनी के साथ मैं बात करूंगा, आप इस बात का टेंशन दिमाग से हटा दीजिये, मानो की शालिनी का को कोई कॉल आया ही नहीं था.’

‘थैंक्स बेटा, बाद में बात करते है - तुम देखो मामला क्या है.’ कह कर अनुराग अंकल ने फोन काटा.

जगदीश शालिनी के करीब जा कर बैठा और पूछा.

‘डिवोर्स लेना चाहती हो?’

‘हां.’

‘वजह?’

‘मैं किसी और से प्यार करने लगी हूं, जुगल को धोखे में नहीं रखना चाहती.’

‘किस से प्यार करने लगी हो?’

‘मतलब नहीं उस बात का.’

‘कैसे मतलब नहीं! बात डिवोर्स तक आ गई और मतलब नहीं ?’

‘उसे तो पता ही नहीं कि मैं उससे प्यार करती हूं.’

जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’

‘नहीं.’

‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’

‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’

‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’

‘आप.’

शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया.


(३७ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Wow mind blowing update hai rakeshhbakshi bhai,
Aakhir kar Shalini ne apne pyaar ka izhaar kar di hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,857
20,205
158
३८ – ये तो सोचा न था…

[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’

‘नहीं.’

‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’

‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’

‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’

‘आप.’

शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]


जगदीश

जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.

शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’

जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.

‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’

शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’

जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.



K-1
clinking beer mugs smileys

***

जुगल

जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :

‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.

‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’

‘मतलब?’

‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’

‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.

‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’

जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’

‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’

‘कितना धैर्य ? कितना समय?’

‘और पांच सेशन.’

‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.

‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’

‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.

‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.

रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’

‘इंप्रेस ?’

‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’

‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’

‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’

‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’

फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.

‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’

‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’

‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’

उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’

‘कितना महंगा?’

‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’

‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’

‘करेक्ट…’

‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’

‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.

फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.

अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.

‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.

जुगल चुप रहा था.

और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?

क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?

न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…

नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’

सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…

***


जगदीश

‘भैया !’

जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.

‘अब?’

‘क्या अब?’

‘अब हमारा क्या होगा?’

‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’

‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’

‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’

‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’

‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’

‘मतलब?’

‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’

जगदीश चुप हो गया.

शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’



shalini-6

कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…

***


जुगल

कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…

पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.

जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.

***


जगदीश


‘भैया…’

जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.

‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’

जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’

शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’

शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’

‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’

‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’

‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’

‘पर क्यों!’

‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’

‘या फिर?’

‘हुकुम.’

‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.

‘प्यार में इतना पावर होता है न?’

जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’

शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’

***


जुगल

चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’

‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.



Ch12

चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’

चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.

‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.

यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’

चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.

झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’

चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.

झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’

‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’

‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’

‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’

‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’

कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’

जुगल कुछ बोल नहीं पाया.

झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’

‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’

कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’

‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.

‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’

कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’

‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’

‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’

‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’

‘पर?’

‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’

‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.


(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
:superb: :good: :perfect: awesome update hai rakeshhbakshi bhai,
Behad hi shandaar, lajawab aur amazing update hai bhai,
 
  • Like
Reactions: Game888

Bhanupratap

New Member
5
16
3
३८ – ये तो सोचा न था…

[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’

‘नहीं.’

‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’

‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’

‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’

‘आप.’

शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]


जगदीश

जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.

शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’

जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.

‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’

शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’

जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.



K-1
clinking beer mugs smileys

***

जुगल

जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :

‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.

‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’

‘मतलब?’

‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’

‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.

‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’

जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’

‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’

‘कितना धैर्य ? कितना समय?’

‘और पांच सेशन.’

‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.

‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’

‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.

‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.

रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’

‘इंप्रेस ?’

‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’

‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’

‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’

‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’

फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.

‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’

‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’

‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’

उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’

‘कितना महंगा?’

‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’

‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’

‘करेक्ट…’

‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’

‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.

फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.

अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.

‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.

जुगल चुप रहा था.

और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?

क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?

न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…

नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’

सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…

***


जगदीश

‘भैया !’

जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.

‘अब?’

‘क्या अब?’

‘अब हमारा क्या होगा?’

‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’

‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’

‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’

‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’

‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’

‘मतलब?’

‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’

जगदीश चुप हो गया.

शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’



shalini-6

कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…

***


जुगल

कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…

पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.

जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.

***


जगदीश


‘भैया…’

जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.

‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’

जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’

शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’

शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’

‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’

‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’

‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’

‘पर क्यों!’

‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’

‘या फिर?’

‘हुकुम.’

‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.

‘प्यार में इतना पावर होता है न?’

जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’

शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’

***


जुगल

चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’

‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.



Ch12

चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’

चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.

‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.

यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’

चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.

झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’

चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.

झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’

‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’

‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’

‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’

‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’

कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’

जुगल कुछ बोल नहीं पाया.

झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’

‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’

कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’

‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.

‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’

कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’

‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’

‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’

‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’

‘पर?’

‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’

‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.


(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Devoice ki kya jrurat bina devoice ke jo adli badli hogi bo bhut erotic hoga baki bahut badiya update writer sahab ne kuchh achchha sochha hoga dekhte h aage kya hota h
 
  • Like
Reactions: Game888

Game888

Hum hai rahi pyar ke
3,014
6,101
143
Waiting for next update​
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

Colonel_RDX

Snap : rdx2036 Kik : doctor.Rdx
96
197
33
३८ – ये तो सोचा न था…

[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’

‘नहीं.’

‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’

‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’

‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’

‘आप.’

शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]


जगदीश

जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.

शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’

जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.

‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’

शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’

जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.



K-1
clinking beer mugs smileys

***

जुगल

जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :

‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.

‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’

‘मतलब?’

‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’

‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.

‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’

जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’

‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’

‘कितना धैर्य ? कितना समय?’

‘और पांच सेशन.’

‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.

‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’

‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.

‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.

रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’

‘इंप्रेस ?’

‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’

‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’

‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’

‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’

फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.

‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’

‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’

‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’

उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’

‘कितना महंगा?’

‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’

‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’

‘करेक्ट…’

‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’

‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.

फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.

अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.

‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.

जुगल चुप रहा था.

और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?

क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?

न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…

नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’

सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…

***


जगदीश

‘भैया !’

जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.

‘अब?’

‘क्या अब?’

‘अब हमारा क्या होगा?’

‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’

‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’

‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’

‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’

‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’

‘मतलब?’

‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’

जगदीश चुप हो गया.

शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’



shalini-6

कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…

***


जुगल

कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…

पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.

जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.

***


जगदीश


‘भैया…’

जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.

‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’

जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’

शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’

शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’

‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’

‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’

‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’

‘पर क्यों!’

‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’

‘या फिर?’

‘हुकुम.’

‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.

‘प्यार में इतना पावर होता है न?’

जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’

शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’

***


जुगल

चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’

‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.



Ch12

चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’

चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.

‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.

यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’

चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.

झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’

चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.

झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’

‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’

‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’

‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’

‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’

कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’

जुगल कुछ बोल नहीं पाया.

झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’

‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’

कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’

‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.

‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’

कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’

‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’

‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’

‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’

‘पर?’

‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’

‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.


(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
बहुत ही सुंदर एवं कामुक रचना।
 
  • Like
Reactions: sunoanuj

Curiousbull

Active Member
1,116
1,942
158
३८ – ये तो सोचा न था…

[(३७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने हैरान होकर पूछा. ‘डिवोर्स के बाद तुम उस आदमी के साथ नहीं रहोगी?’

‘नहीं.’

‘तो? डिवोर्स ले कर क्या करोगी?’

‘बैठ कर उसकी याद में आंसू बहाऊंगी.’

‘अब बताओगी भी की यह महान हीरो कौन है जिस से तुम्हे एक तरफ़ा प्यार भी हो गया और उस आदमी से बिना कोई बात किये तुम डिवोर्स भी ले लोगी? आखिर है कौन वो?’

‘आप.’

शालिनी ने कहा और जगदीश बूत बन देखता रह गया. ]


जगदीश

जगदीश ने शालिनी का चेहरा अपने हाथों में थामा और उसकी आंखों में देखा.

शालिनी चुपचाप जगदीश को देखती रही. जगदीश ने झुक कर शालिनी के होंठों पर अपने होंठ रखें. शालिनी ने अपनी आंखें मूंद ली. जगदीश ने शालिनी के होठ चूसे. शालिनी के बदन में बिजली दौड़ने लगी, कंपकंपी के साथ वो आंखें खोल कर जगदीश को देखते हुए बुदबुदाई.’भैया…’

जगदीश ने पलंग पर से खड़े होते हुए शालिनी को भी खड़ा किया.और बांहों में जकड कर कहा.

‘फिर से कहो कि मुझसे प्यार करती हो.’

शालिनी मुस्कुराई और जगदीश का चेहरा सहलाने लगी. अपनी नाजुक उंगलियों से उसने जगदीश की आंखें, नाक, गाल, होठ सहलाये… जगदीश ने बिनती के सुर में कहा ‘कहो ना शालिनी?’

जवाब में शालिनी ने जगदीश के होंठों पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया. जगदीश ने शालिनी की जीभ को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.



K-1
clinking beer mugs smileys

***

जुगल

जुगल और झनक चांदनी को लिए डॉक्टर प्रियदर्शी के क्लीनिक के वेटिंग रूम में राह देख रहे थे. जुगल को डॉक्टर के साथ कल की विज़िट की बातें याद आ रही थी :

‘मुझे कुछ पता नहीं की चांदनी के पापा कैसा व्यवहार करते थे. दरअसल चांदनी की शादी के एक साल पहले उनको पेरेलिसीस हो गया था और अभी भी वो बेड रेस्ट में है. और चांदनी ने कभी यह जीकर नहीं किया की उसके पापा उसे प्रताड़ित करते थे…’ जुगल ने डॉक्टर प्रियदर्शी को बताया.

‘चांदनी की अंडर मेस्मेराइज़ बातों से पता चलता है की चांदनी के पापा चांदनी को बहुत डराते थे और उसका यौन शोषण भी करते थे… इतनी बुरी तरह की वो यादें अभी भी उसे परेशान कर रही है. जुगल आप को अच्छे पापा बनना होगा.’

‘मतलब?’

‘चांदनी के दिमाग में टाइम क्लॉक उलट सुलट हो गया है. फिलहाल वो शादी के पहले के अपने शोषण के समय में है. उस समय के अनुभव चांदनी के लिए इतने पीड़ादायक है की हलका सा ट्रिगर उसे उस टाइम झोन में ढकेल देता है और वो अपनी डिग्निटी, अपना आत्म सम्मान भूल कर अचानक फिर से गुलाम बन जाती है. चांदनी के सौतेले पापा ने चांदनी को अपनी कठपुतली बना दिया था. फिर जब उनको पेरेलिसीस हो गया तब कहीं जाकर चांदनी का शोषण रुका होगा. वो थोड़ा नॉर्मल हुई, अपने आप को सम्हाल पाई और फिर उसकी आपसे शादी हुई होगी पर-’

‘पर?’ जुगल ने आशंका से पूछा था.

‘जुगल, आप के घर में चांदनी को स्नेह और सम्मान मिला होगा जिस की वजह से वह अपने त्रासदी वाले अतीत को भुला रही थी परन्तु यह आदित्य कांड हो गया और चांदनी के पुराने जख्म फिर हरे हो गए.’

जुगल और झनक ने एक दूसरे को देखा. झनक ने पूछा. ‘आप इस सिचुएशन में क्या सजेस्ट कर रहे हो?’

‘अगर आप लोग थोड़ा धैर्य रखें तो चांदनी की पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है ऐसा इन तीन सेशन पर से बोल सकता हूं.’

‘कितना धैर्य ? कितना समय?’

‘और पांच सेशन.’

‘मुझे क्या करना होगा?’ जुगल ने पूछा.

‘आदित्य की हत्या, चांदनी के पापा की पिटाई, पति के रूप में चांदनी से प्यार और सुरक्षा का व्यवहार.’

‘हत्या? ‘ जुगल ने चौंक कर पूछा.

‘हां.’ डॉक्टर प्रियदर्शी ने मुस्कुराकर कहा था.

रात जुगल बड़ी पशोपेश में उलझा रहा था. झनक के पापा सरदार जी उसे ड्रिंक के लिए बुलाने लगे तो वो चला गया. इस सब गड़बड़ी में यह झनक के पापा अचानक एक बड़ा किरदार बन गए थे यह जुगल को ड्रिंक लेते हुए अहसास हुआ. यह आदमी बड़ा अजीब था. झनक की योनि को निहारता हुआ उसका वीडियो फुटेज देख कर भी वो उस पर खफा नहीं हुआ था और उसे ड्रिंक ऑफर किया था और उस रात उससे कहा था. ‘अपने मां - बाप के बारे में बताओ जुगल, मैं तुमसे बहुत इंप्रेस हूं.’

‘इंप्रेस ?’

‘किसी लड़की की योनि को निहारने के लिए सौंदर्य दृष्टि चाहिए, तुम्हारी जगह कोई और होता तो भूखे भेड़िये की तरह मेरी बेटी पर टूट पड़ता. खेर तुम्हारी जगह कोई और होता तो उसे झनक अपने साथ यूं घर पर लाती भी नहीं. पर मुद्दा यह है की तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है. तुम झनक के सच्चे दोस्त हो, उसे भोग की नजर से नहीं पर सौंदर्य की नजर से देखते हो. कौन है तुम्हारे पिता? मैं उन से मिलना चाहता हूं.’

‘मेरे पिता मर गए है, आप को मेरी परवरिश अगर अच्छी लगती है तो पिता समान मेरे बड़े भाई जगदीश भैया की देन है.’

‘ओह, सॉरी. कब गुजर गए तुम्हारे पिता?’

‘पता नहीं. हम दोनों के लिए वो बहुत साल पहले गुजर गए- जब उन्हों ने हमारी मां को इस कदर धोखा दिया की मां ने आत्महत्या कर दी.’

फिर काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला था.

‘अपने बड़े भाई से कभी मिलाना मुझे.’ सरदार जी ने कहा था. ‘बहुत स्ट्रांग आदमी होना चाहिए यह जगदीश.’

‘बस यह भाभी ठीक हो जायें अंकल, इस हालात में तो मैं भाभी को भाई के पास नहीं ले जा सकता.’

‘प्रियदर्शी के हाथ में केस है तो अब यह फ़िक्र छोड़ दो जुगल.’

उस रात झनक ने कहा था की ‘प्रियदर्शी बहुत महंगा डॉक्टर है पर बहुत बढ़िया डॉक्टर है.’

‘कितना महंगा?’

‘वो टेंशन मत लो, पापा देख लेंगे…’

‘वो बात नहीं झनक, एक बार मैं मुंबई जाऊं फिर सारा अकाउंट सेटल कर दूंगा. बस भाभी ठीक हो जाए.’

‘करेक्ट…’

‘फिर भी डॉक्टर की फि का कोई अंदाजा?’

‘छोड़ न यार-’ झनक ने कहा था.

फिर जुगल ने बात खींची नहीं थी.

अब आज डॉक्टर ने पांच सेशन की बात कही थी.

‘प्रियदर्शी बहुत बढ़िया डॉक्टर है पुत्तर डोंट वरी - सब चंगा होगा.’ ड्रिंक के सिप लेते हुए सरदार जी ने कहा था.

जुगल चुप रहा था.

और आज भी सरदार जी के साथ शराब पीते हुए सोच रहा था की उसके साथ क्या से क्या हो गया. भाभी की यह क्या हालत हो गई? झनक कहां से मिल गई? आदित्य कहां से टपक पड़ा? यह सरदार कौन है जो मसीहा बन कर हेल्प कर रहा है? और वो क्या अब भैया को मुंह दिखाने काबिल रहा है जब की भाभी के साथ अनजाने में ही सही पर उसने सम्भोग कर लिया था?

क्या वो शालिनी के प्रेम का अब हकदार रहा है?

न वो अब चांदनी को मुंह दिखा सकता है, न बड़े भैया को न शालिनी को…

नशे में धुत वो जब सोने के लिए जाने लगा तब सरदार ने कहा ‘सम्हाल कर जाना पुत्तर…’ तब जुगल ने मूड कर कहा. ‘बहुत सारे रिश्तों की लाश ले कर चल रहा हूं अंकल. किस किस को सम्हालूंगा ?’

सरदार ने कोई जवाब नहीं दिया और जुगल लड़खड़ाते कदमो से चांदनी सो रही थी उस कमरे में दाखिल हुआ, अंदर का दृश्य देख उसका नशा उतरने लगा…

***


जगदीश

‘भैया !’

जगदीश ने शालिनी के सामने देखा.

‘अब?’

‘क्या अब?’

‘अब हमारा क्या होगा?’

‘मुझे नहीं पता कि क्या होगा. सच कहु तो इस बात पर भी काबू नहीं जो की फिलहाल हो रहा है…’

‘आप का मतलब हम दोनों के बीच जो अभी हुआ?’

‘अभी? शालिनी ? अभी ही हुआ है जो कुछ हुआ?’

‘अभी मैंने आपसे कहा कि मैं आप से प्यार करती हूँ और जवाब में आप मुझे चूमने लगे…’

‘यह तो चाहत का फूल अभी अपनी पंखुरी खोल पाया है लेकिन क्या फूल उस वक्त पैदा होता है जब वो खिलता है?’

‘मतलब?’

‘मतलब…’ जगदीश जब बोलने गया तभी शालिनी ने अपनी नाजुक उंगलियां जगदीश के होठों पर रखते हुए कहा. ‘प्लीज़ भैया, कुछ मत कहो…’

जगदीश चुप हो गया.

शालिनी ने अपनी कमीज़ निकाल दी. स्तन पर घाव के चलते उसने ब्रा नहीं पहनी थी. जगदीश शालिनी के आकर्षक बड़े बड़े स्तनों को निहारने लगा. फिर उसने पूछा. ‘कमीज़ क्यों निकाल दी? अभी दवाई लगानी है?’



shalini-6

कोई जवाब न देते हुए शालिनी जगदीश के करीब आई और अपने स्तन जगदीश के चहेरे पर रगड़ने लगी. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली और स्तन के ऐसे स्पर्श को महसूस करता हुआ खो सा गया. उसे लगा जैसे उसका चहेरा एक बंद किवाड़ है और शालिनी के स्तन के दोनों निपल किसी के हाथ की मुठ्ठी है जो उस किवाड़ को दस्तक दे रहे है. अगर आंखें खुल गई तो मानो चहेरे के किवाड़ खुल जाएंगे. पर क्या वो किवाड़ खोलना चाहता है? नहीं. उसे किवाड़ खोल कर इस दस्तक के मोहक अहसास को खोना नहीं था. उसने अपनी आंखें बंद ही रखी और स्तन अपने निपलों के जरिये उसके चेहरे पर दस्तक देते रहे…

***


जुगल

कमरे में दाखिल होते ही अंदर का दृश्य देख जुगल का नशा उतरने लगा…

पलंग पर झनक लेटी हुई थी, उसका स्कर्ट बिखर कर जांघो तक चढ़ गया था. और उसकी लाल रंग की पेंटी दिख रही थी. उसके टॉप के सारे बटन खुले हुए थे और ब्रा खिसक कर झनक के दोनों स्तनों को अनावृत कर रहे थे. चांदनी उसे लिपट कर उसका एक स्तन चूस रही थी और दूसरा स्तन हाथ में लिए सहला रही थी. चांदनी ने नाइट पजामा और शर्ट पहना हुआ था.

जुगल देखता रह गया. चांदनी झनक के स्तन चूसने में पूर्णत: खो गई थी और झनक चांदनी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए उसे देख रही थी. दोनों एक दूजे में ऐसे खोए हुए थे की जुगल कमरे में आया है इस बात की दोनों में से किसी ने दखल ही नहीं ली. शराब के नशे की वजह से जुगल ने भी इस बात की दखल नहीं ली की उसके कमरे में आने की किसी ने दखल नहीं ली. उसे चांदनी और झनक के बीच चल रहे इस प्रेम दृश्य से उत्तेजना महसूस होने लगी और अपना नाइट ड्रेस का पजामा नीचे सरका कर वो अपना लिंग सहलाते हुए दोनों को देखने लगा.

***


जगदीश


‘भैया…’

जगदीश ने आंखें खोल कर शालिनी को देखा.

‘कुछ बोलते क्यों नहीं?’

जगदीश ने जैसे ही कुछ बोलने अपना मुंह खोला शालिनी ने अपने स्तन का निपल जगदीश के होंठों के बीच रख दिया और हंस कर बोली. ‘बोलो बोलो… अब बोलो?’

शालिनी की इस मासूम हरकत पर जगदीश को हंसी आ गई. उसने आवेश में शालिनी को बांहों में खींच कर जोरो से कसा. शालिनी के बड़े बड़े स्तन जगदीश की छाती में दब कर चौड़ी गोलाई में तब्दील हो गये. शालिनी ने कसमसाती हुई आवाज में कहा. ‘और जोर से दबाओ भैया, कुचल दो मुझे और मेरे इन बड़े बड़े स्तनों को. नोच डालो मुझे...’

शालिनी को ऐसा कहते हुए सुन कर जगदीश ने उससे पूछा. ‘मैं क्या कोई बुल डोज़र हूँ जो तुम्हे कुचल दूंगा? शालिनी ! तुम मासूम प्यारी सी लड़की हो. तुम्हे प्यार करना चाहिए प्यार के अलावा और कुछ नहीं.’

‘बस अब और एक भी शब्द मत बोलना. प्यार करना हो तो प्यार करो, बातें मत करो.’

‘मैं देख रहा हूं तुम मुझे बोलने से बार बार रोक रही हो.’

‘हां. सही समझा आपने. बोलना ही मत.’

‘पर क्यों!’

‘बाद में बताउंगी. पर अभी न बोलो. प्लीज़? विनती समझो या फिर-’

‘या फिर?’

‘हुकुम.’

‘हुकुम? शालिनी तुम मुझ पर हुकुम चलाओगी?’ जगदीश ने अचरज से पूछा.

‘प्यार में इतना पावर होता है न?’

जगदीश इस स्मार्ट दलील के सामने चुप हो गया. मुस्कुराकर हाथ जोड़ कर बोला. ‘जी, महारानी. आपका हुकुम सर आंखों पर.’

शालिनी ने अपना सर जगदीश की छाती में छुपा कर कहा. ‘तो मेरा हुकुम है कि मुझे कुचल डालो…’

***


जुगल

चांदनी बार बार झनक के स्तन बदल कर चूस रही थी. जुगल झनक और चांदनी को देखते हुए अपना लिंग सहला रहा था. अचानक झनक का ध्यान जुगल पर गया, वो जुगल को अपना लिंग सहलाते हुए देख कर मुस्कुराई और उसने चांदनी से कहा.’चांदनी, पापा आ गए…’

‘पापा?’ डर कर चांदनी ने अपना चेहरा घुमा कर जुगल को देखा फिर कहा ‘सॉरी पापा…’ और तेजी से अपना पजामा खिसका कर अपने नग्न नितंब जुगल की ओर करते हुए चार पैरो पर मूड गई.



Ch12

चांदनी की ऐसी हरकतों से जुगल और झनक अब आदती होने लगे थे. जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए सख्त आवाज में कहा.’चांदनी अपना पजामा ठीक करो.’

चांदनी ने तेजी से पजामा ढंग से पहन लिया.

‘अब मम्मी का दूदू पीओ, जैसे अभी पी रही थी…’ जुगल ने अपना लिंग सहलाते हुए कहा.

यह सुन कर मुस्कुराते हुए झनक बोली. ‘लगता है आज तो पापा को भी मम्मी का दूदू पीना है…’

चांदनी यह सुन कर उलझ कर दोनों को बारी बारी देखने लगी.

झनक ने चांदनी से कहा. ‘बेटा, अब आप सो जाओ…बहुत रात हो गई है.’’

चांदनी ने तुरंत लेट कर, तकिये पर सर रख कर आंखें मूंद ली. झनक ने अपने टॉप के बटन बंद न करते हुए, अपने स्तनों को धजा की तरह लहराते हुए चांदनी को चददर ओढ़ाई और जुगल के करीब आ कर बैठी. जुगल झनक की सारी हरकतें अपना लिंग सहलाते हुए देख रहा था.

झनक ने जुगल के करीब बैठ कर उसके लिंग को देखते हुए पूछा. ‘क्या हो रहा है?’

‘तुम्हे क्या लगता है?क्या हो रहा है?’

‘मुझे लग रहा है की आज पहली बार तुमने मुझ में कोई लड़की देखि…’

‘तुम हमेशा से सुंदर लगी हो झनक.’

‘हां. पर सेक्सी आज लगी न तुम्हे?’

कहते हुए झनक ने जुगल के लिंग को थाम कर पूछा. ‘इसने अब तक तुम्हारी पत्नी के अलावा किसी और की शान में कभी सलामी दी है?’

जुगल कुछ बोल नहीं पाया.

झनक ने धीमी आवाज में कहा. ‘चांदनी को भी तुमने अपनी पत्नी समझा था इसलिए उस रात… वर्ना-’

‘सही कहा. पहली बार मुझे शालिनी के अलावा किसी और से सेक्स करने की इच्छा हो रही है.’

कह कर जुगल ने झनक के हाथ को अपने लिंग से हटा कर अपना पजामा कमर पर चढ़ा कर कहा. ’सोरी.’

‘क्या हुआ?’ झनक ने आश्चर्य से पूछा.

‘कुछ नहीं, सो जाओ, रात बहुत हो गई है.’

कहते हुए जुगल ने उठना चाहा पर झनक ने उसे खींच कर बैठा दिया और उसका पजामा नीचे सरका कर उसके अभी भी तने हुए लिंग को थाम कर पूछा. ‘पहली बार यह उठा है और तुम कहते हो की सो जाओ?’

‘तुम समझती क्यों नहीं झनक! यह ठीक नहीं… छोडो मुझे।’

‘अबे क्या ठीक नहीं? ये खड़ा तो हुआ है ना ? में कोई रेप कर रही हूं क्या?’

‘झनक, चांदनी भाभी तुम्हारे चूचियां चूस रही थी यह देख मैं उत्तेजित हो गया पर-’

‘पर?’

‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’

‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया.


(३८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Der se hi sahi par awesome update. Hope you are doing well.

Agla update thoda jaldi dijiyega
 
Last edited:

Game888

Hum hai rahi pyar ke
3,014
6,101
143
लगता है लेखक महोदय ने हफ्ते में एक अपडेट देने का मन बना लिया है
 
Top