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Incest ये तो सोचा न था…

sunoanuj

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सख्त बेक पेइन - बैठ कर लिखना गंवारा नहीं हो रहा.

यह मेरा महत्वाकांक्षी राइटिंग प्रोजेक्ट है - इसे इस तरह ढील देना जान पर आ रहा है-

बस कुछ समय और दोस्तों-
Take your time bro and get well soon 💐💐🎉
 

Strange Love

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Sabki personal life hoti hai , tu bhi tab xforum par aata hai jab free hota hai , story likhna koi choti baat nahi hai bahut time lagta hai aur phokat me likhne ka matlab nahi banta lekin phir bhi writer likhta hai , starting me writer motivated rehta hai par jab response nahi milte toh demotivate ho jaata hai, maanta hoon ki writer forum se thoda escape hone ke liye bahane banate hai lekin bahut baar asliyat me problems aa jaati hai health issues family problems, job ya travelling aur sabse badi problem toh ye hai ki aisi stories ko chhupke likhna padta hai , appreciate karo writer ko....
Abe chal chal kisi aur ko sikha...maine tujhse nahi bola tha jo tu beech me tang ada raha hai...maine bhi 2 stories complete kiya hai forum pe doosre id se aur mujhko pata hai writer hone ka kya Matlab hai...apna gyan apne paas rakha kar samjha
 
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Motaland2468

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Abe chal chal kisi aur ko sikha...maine tujhse nahi bola tha jo tu beech me tang ada raha hai...maine bhi 2 stories complete kiya hai forum pe doosre id se aur mujhko pata hai writer hone ka kya Matlab hai...apna gyan apne paas rakha kar samjha
O bhai agar tumne do story likhi hai or complete bhi ki hai to plot main deta hu blki puri story deta hu tu likh kar dikha khali bakchodi mat kr
 

mastmast123

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Sabki personal life hoti hai , tu bhi tab xforum par aata hai jab free hota hai , story likhna koi choti baat nahi hai bahut time lagta hai aur phokat me likhne ka matlab nahi banta lekin phir bhi writer likhta hai , starting me writer motivated rehta hai par jab response nahi milte toh demotivate ho jaata hai, maanta hoon ki writer forum se thoda escape hone ke liye bahane banate hai lekin bahut baar asliyat me problems aa jaati hai health issues family problems, job ya travelling aur sabse badi problem toh ye hai ki aisi stories ko chhupke likhna padta hai , appreciate karo writer ko....
तो क्यों लिखते हो, doctor prescription है जो करना ही पड़ेगा, किसी ने request की है कि लिखो, जब लिखना खुद ही शुरू किया है अपने मन से तो फिर ये resposibality ह writer की वो उसे पुरा समय दे चाहे जो situation हो, हर कार्य की अपनी छिपी हुई जाबदरियाँ हैं जो दिखती नहीं पर निभाई जाती है, निभाना पड़ता है, obligation है जो चुकाना पड़ता है, अगर इतनी dedication नहीं है अनुशासन है self decipline नहीं है तो लिखना शुरू ही क्यों करते हो, कोई हाथ जोड़कर नहीं कहता है, स्वयं का निर्णय है, स्वयं हो पुरा करना होगा, चूक होगी तो लोग याद दिलाएंगे ही, इसमें मुँह फुलाने वाली या ego hurt जैसी क्या बात है,
ये बात each n every writer को समझनी ही पड़ेगी, आँसुं बहाने से कुछ नही होगा,,,,
 
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mastmast123

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Abe chal chal kisi aur ko sikha...maine tujhse nahi bola tha jo tu beech me tang ada raha hai...maine bhi 2 stories complete kiya hai forum pe doosre id se aur mujhko pata hai writer hone ka kya Matlab hai...apna gyan apne paas rakha kar samjha
True, सच कहा आपने, मगर चार line लिख कर लेखक समझने वाले ये बात गंभीरता से नहीं लेते, वो सोचते है जब तक मन करेगा या जब मन करेगा तब लिखेंगे, जब मन किया तब बंद,,, ये लेखक नहीं कलम घिस्सु है,,,,,, इनको भाव नही देकर लोग अच्छा करते है, अपने आप इनका लेखक पन एक दिन समाप्त हो जाता है, जो दूसरे के लिए लिखते है वे ऐसे ही होते है, जो खुद की खुशी के लिए लिखते है वो critisism को posetive लेते है और सुधार करते हैं अपनी आदतों का और अपने लेखन का
आप सही बोले हो, ऐसे लोगों को आईना दिखाना ही होगा,,,
 

Strange Love

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O bhai agar tumne do story likhi hai or complete bhi ki hai to plot main deta hu blki puri story deta hu tu likh kar dikha khali bakchodi mat kr
Bakchodi chhod apne kaam se kaam rakh...faltu me gyan na pel yaha pe...mujhe writer se koi problem nahi...aur mai wait karne ke liye bhi tayyar hu par yaaha pe tum jaise kuchh faltu log aake gyan dene lagte hai to tum log ki bevkoofi dekh kar dimag ka dahi ho jata hai..

Phir se bol raha hu apne kaam se kaam rakh aur jyada gyan na pel
 
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तो क्यों लिखते हो, doctor prescription है जो करना ही पड़ेगा, किसी ने request की है कि लिखो, जब लिखना खुद ही शुरू किया है अपने मन से तो फिर ये resposibality ह writer की वो उसे पुरा समय दे चाहे जो situation हो, हर कार्य की अपनी छिपी हुई जाबदरियाँ हैं जो दिखती नहीं पर निभाई जाती है, निभाना पड़ता है, obligation है जो चुकाना पड़ता है, अगर इतनी dedication नहीं है अनुशासन है self decipline नहीं है तो लिखना शुरू ही क्यों करते हो, कोई हाथ जोड़कर नहीं कहता है, स्वयं का निर्णय है, स्वयं हो पुरा करना होगा, चूक होगी तो लोग याद दिलाएंगे ही, इसमें मुँह फुलाने वाली या ego hurt जैसी क्या बात है,
ये बात each n every writer को समझनी ही पड़ेगी, आँसुं बहाने से कुछ नही होगा,,,,
Sahi kaha bhai...writer ko koi problem nahi hai...usne apni problem batayi aur humne agree bhi kiya par ye Tyler herro jaise bevkoof logo ke samajh se bahar ki cheez hai... Yaha pe readers aur writer ke beech conversation ho raha hai par kuchh akal ke abdhe beech me ghus ke apna gyan pelne lag jate hai
 
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True, सच कहा आपने, मगर चार line लिख कर लेखक समझने वाले ये बात गंभीरता से नहीं लेते, वो सोचते है जब तक मन करेगा या जब मन करेगा तब लिखेंगे, जब मन किया तब बंद,,, ये लेखक नहीं कलम घिस्सु है,,,,,, इनको भाव नही देकर लोग अच्छा करते है, अपने आप इनका लेखक पन एक दिन समाप्त हो जाता है, जो दूसरे के लिए लिखते है वे ऐसे ही होते है, जो खुद की खुशी के लिए लिखते है वो critisism को posetive लेते है और सुधार करते हैं अपनी आदतों का और अपने लेखन का
आप सही बोले हो, ऐसे लोगों को आईना दिखाना ही होगा,,,
Ye baat bhi aapki ekdam sahi hai...yaha pe quality control kuchh nahi hai. Xforum par 70% se jyada story incomplete hai aur ispe criticism karo Kuchh dalle aakar gyan pelne lag jate hai.

I agree with you.

And again I am not against the writer. I am against Tyler herro and motal and type people who try suppress us if we raise any issue with the writer. Jabki bechara writer humble hai aur usne accept kiya hai ki Kuchh problems ki baad wo story continue karega.

Now I think we should stop arguing and ignore Tyler and Mota type people and wait for new updates.
 

rakeshhbakshi

I respect you.
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३९ – ये तो सोचा न था…

[(३८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा : ‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’
‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया. ]

जुगल

जुगल ने झनक का चेहरा अपने दोनों हाथों में थामा और निहारा. मुस्कुराया. फिर अपनी आंखें मूंद ली. दो पल के बाद उसने आंखें खोली तो झनक अपने टॉप के बटन लगा रही थी. जुगल ने आश्चर्य से पूछा. ‘क्या हुआ?’

‘कुछ नहीं, रात काफी हो गई है सो जाते है.’ झनक ने मुस्कुराकर कर कहा और अपने चेहरे पर से जुगल का हाथ हटा कर कहा ‘गुड़ नाइट.’

जुगल देखता रह गया. झनक जा कर चांदनी के बगल में लेट गई.

जुगल को समझ में नहीं आया की झनक को अचानक क्या हो गया. वो चुपचाप कमरे की बत्ती बुझा कर चांदनी की दूसरी और सो गया.

***

जगदीश

जगदीश अभी भी शालिनी के स्तनों के बीच अपने मुंह को दबाये हुए पड़ा था. शालिनी का हाथ जगदीश के बरम्यूडा में गया. जगदीश के उत्तुंग लिंग को अभी शालिनी ने छुआ ही था इतने में जगदीश का सेलफोन बजा. जगदीश की फोन रिसीव करने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी पर शालिनी ने उठ कर जगदीश का फोन उठा कर देखा और जगदीश से कहा. ‘डॉ. कुलकर्णी…’

जगदीश ने चौंक कर आंखें खोली. डॉ. कुलकर्णी यानी प्रकृति उपचार केंद्र-लोनावला- जहां हुस्न बानो का उपचार चल रहा था. जगदीश ने उठ कर फोन रिसीव किया.

‘हुस्न बानो ने उधम मचा रखा है, आप आ सकते हो?’ डॉ. कुलकर्णी ने कहा.

‘कैसा उधम?’

‘चीजे पटक रही है, तोड़ फोड़ कर रही है कोई रोकने जाए तो हमला कर रही है…’

‘घंटे भर में पहुंचता हूं.’ कह कर जगदीश ने फोन काटा और शालिनी से कहा. ‘मुझे जाना होगा, अभी ही.’

‘जी.’ शालिनी ने कुर्ती पहनते हुए कहा. ‘पर इतनी रात?’

‘मामला अरजन्ट है.’ जगदीश ने इतना ही कहा. और फटाफट तैयार हो गया. फिर शालिनी के करीब आया, उसका चेहरा थाम कर कहा. ‘तुम डिवोर्स नहीं ले रही. थोड़ा भरोसा रखो मुझ पर. मैं सब ठीक कर दूंगा.’

शालिनी ने जवाब में फीका मुस्कुरा दी.

जगदीश ने उसे बांहों में कस कर कहा. ‘पगली बच्ची!’ फिर उसे अलग करते हुए कहा. ‘में दो ढाई घंटे में लौटूंगा. तब तक कोई फोन कॉल नहीं, कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं. समझी?’

शालिनी ने ‘हां’ में सर हिलाया.

जगदीश ने कमरे के बाहर निकल कर मोहिते को फोन लगा कर कार या टैक्सी कहीं से मिलेगी क्या यह पूछा. मोहिते ने पांच मिनिट का समय मांगा. दस मिनिट के बाद एक हवलदार गेस्ट हाउस के गेट पर सुभाष की कार लेकर आया और जगदीश को कार दे कर चला गया. जगदीश ने तेजी से लोनावला की राह थामी.

***

हुस्न बानो.

लोनावला पहुंचते हुए जगदीश को सुबह के चार बज गए. प्रकृति उपचार केंद्र में सभी सोये हुए थे. डॉ. कुलकर्णी भी अभी अभी सोये है ऐसा बताते हुए ड्यूटी पर मौजूद वॉर्डबॉय ने पूछा. ‘जगाऊं डॉक्टर साहब को?’

‘नहीं. मुझे बताओ हुस्ना बानो के क्या हाल है?’

‘वो बिलकुल भी ठीक नहीं. आप सिस्टर से बात कीजिये.’ कह कर वार्ड बॉय उसे एक नर्स के पास ले गया. जगदीश ने उससे हुस्न बानो का हाल पूछा.

‘आप?’ सिस्टर ने पूछा.

जगदीश ने अपना नाम बताया और खुद की पहचान हुस्न बानो के केयर टेकर के रूप में दी. नर्स ने बताया कि हुस्न बानो लगातार सब पर अटैक कर रही है. एक घंटे पहले उनको हलकी मात्रा में सिडक्टिव दी है ताकि थोड़ा आराम कर सके. पर उसकी हालत नाजुक है कभी भी जाग सकती है. जगदीश ने कहा ‘मैं उनके कमरे में बैठता हूं.’

नर्स जगदीश को हुस्न बानो के कमरे में ले गई. हुस्न बानो सो रही थी. कमरे में एक कुर्सी थी जगदीश वहां बैठते हुए बोला. ‘थैंक्स, मैं यहीं रुकता हूं.’

‘सर, आप का यहां रुकना ठीक नहीं वो आप पर हमला कर सकती है…’

‘डोंट वरी, मैं मैनेज कर लूंगा.’

नर्स हिचकिचाहट के साथ बाहर गई. दो मिनट में फिर से लौट कर एक थर्मोस फ्लास्क देते हुए बोली. ‘इस फ्लास्क में आइस पैक है. अगर इनकी आंख खुल गई और वायोलंट बिहेव करे तो इनके सिर पर ये आइस पैक रगड़ने की कोशिश करना. पर सावधानी से, यह आप पर हमला भी कर सकती है.’

फ्लास्क ले कर जगदीश ने कहा. ‘ठीक है.’

फिर सोई हुई हुस्न बानो को देखा और सोचा : क्या हुआ होगा?

***

जुगल

जुगल बहुत व्यग्र मनोदशा में सोया था. चांदनी भाभी कैसे ठीक होगी? कब ठीक होगी? क्या इलाज के लिए उसे चांदनी भाभी के साथ प्यार करना पड़ेगा जैसा डॉक्टर बता रहे थे? फिजिकल प्यार ? पर यह कैसे संभव है! चांदनी भाभी तो मां समान है… पर झनक तो कह रही थी की उस रात मैंने चांदनी भाभी को ही शालिनी समझ कर…

  • आगे जुगल सोच नहीं पाता था, शर्म और आत्म ग्लानि से उसका मन भारी हो जाता था.
अब क्या एक बार उसने गलती से किया था वैसा कुछ उसे जान बुझ कर करना होगा? यह उसकी कैसी परीक्षा है? नहीं नहीं कुछ भी हो जाय वो चांदनी भाभी के साथ फिजिकल कोई भी ऐसी वैसी हरकत नहीं कर सकता - सुबह डॉक्टर को सच बता कर पूछना होगा की अब इलाज कैसे हो सकता है बताओ.

पर क्या वो ऐसा डॉक्टर को कह पायेगा?

फिलहाल चांदनी भाभी की रिकवरी बहुत जरुरी है - इस रिकवरी के लिए अगर फिझीकल रिश्ता बनाना पड़े तो बनाना चाहिए - आखिर वो चांदनी भाभी की भलाई के लिए यह करेगा - कौनसा वासना के कारण करेगा ?

जुगल की नींद तितर बितर हो चुकी थी. आंख तो लग गई थी पर बड़े अजीबोगरीब डरावने सपने उसे नींद में परेशान कर रहे थे. सपने में वो अचानक किसी पहाड़ पर से खाई की ओर लुढ़कने लगा वो असहाय हो कर अपने आप को खाई में गिरता हुआ महसूस करने लगा… उसे लगा इस तरह खाई में खो कर वो मर जाएगा - बचने की कोई उम्मीद उस में नहीं बची थी तभी अचानक जैसे किसी ने उसका हाथ थाम लिया. जुगल ने देखा तो वो चिलम बाबा थे!

‘बाबा…!’ वो इतना ही बोल पाया.

‘अरे शून्य बुद्धि !मैंने तुझे कहा था कि तेरी दो मां है, दो बाप है, चार पत्नी है, दो बहनें है और कितने लोग चाहिए तुझे रे!’

‘हां बाबा, कहा था.’

‘फिर भी तू इस सोच के फेरे में अटका पड़ा है?’

जुगल बाबा को ताकता रह गया. फिर बोला. ‘पर चांदनी भाभी मेरी मां जैसी है…’

चिलम बाबा ने उसका चेहरा थाम कर कहा. ‘पगले, तू जो प्यार से करेगा, जो प्यार के लिए करेगा वो पाप नहीं, इस संसार में प्यार से बड़ा कोई भाई नहीं, कोई बेटा नहीं, कोई बाप नहीं…’

जुगल भौचक्का रह गया, बुदबुदाते स्वर में उसने पूछा. ‘मतलब मैं चांदनी भाभी को -’

‘हां.’

जुगल आश्चर्य से देखता रह गया.

‘शून्य बुद्धि ! जो इंजेक्शन तेरे पास है वो तुझे डॉक्टर बना रहा है. डॉक्टर का काम केवल इलाज करना है.’

और जुगल की आंखें खुल गई. अपनी आंखें मल कर उसने अभी अभी आये हुए सपने को याद कर समझने की कोशिश की….

***

हुस्न बानो

अचानक आहे सुनाई देने पर जगदीश की आंखें खुल गई. उसने बेड पर सोइ हुई हुस्न बानो की ओर देखा, हुस्न बानो ने उनको ओढ़ाई गई चद्द्र हटा दी थी. और अपने हाथ अपने दो पैरों के बीच रगड़ते हुए वो आहे भर रही थी. जगदीश उठ कर बेड के करीब गया. देखा तो हुस्न बानो ने नींद में ही अपना पेशंट गाउन उपर अपने पेट तक उठा लिया था, अपनी पेंटी निचे खिसका दी थी और अपनी योनि को सहलाते हुए आहे भर रही थी. आंखें बंद थी और चहेरे पर बहुत पीड़ा थी. क्या हो रहा होगा? योनि में जलन ? जगदीश ने सोचा और उसे आइस पैक याद आया. उसने तेजी से फ्लास्क खोला और हुस्न बानो के करीब बैठ कर आइस पैक हुस्न बानो की योनि पर रगड़ने लगा. इस तरह नग्न योनि को इतना करीब से देखने और छूने के कारण जगदीश ने अपने लिंग में तनाव महसूस किया पर उसने योनि पर आइस पैक रगड़ना जारी रखा. कुछ ही पलों में हुस्न बानो के चेरे पर पीड़ा कम हुई हो ऐसा लगा, अब उनकी आहे सिसकियों में बदल गई. दरमियान जगदीश ने उत्तेजना के कारण अपने लिंग को पेंट की ज़िप खोल कर बाहर करना लाजमी समझा क्योंकि वो अपने टेस्टिकल पर दबाव महसूस करने लगा था.


CH-39-Husn-2

एक हाथ से अपने लिंग को सहलाते हुए और दूसरे हाथ से हुस्न बानो की योनि को आइस पैक रगड़ते हुए जगदीश मोहित हो कर नग्न योनि को निहारने लगा. हुस्न बानो की उम्र चालीस से अधिक होगी. पर योनि अत्यंत आकर्षक लग रही थी. योनि के इर्द गिर्द के बाल देख जगदीश की उत्तेजना और बढ़ रही थी. अचानक उसने आवाज सुनी : ‘बट्टा ?’ उसने चौंक कर हुस्न बानो की और देख तो हुस्न बानो उसे देख मुस्कुरा रही थी. जगदीश ने उनकी और देखते ही हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथ फैला कर जगदीश को मानो न्योता दिया. जगदीश खड़ा हो कर हुस्न बानो पर झुका. हुस्न बानो ने उसे अपनी बांहो में बांध कर उसका मुंह चूमना शुरू किया. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली. उसने महसूस किया की हुस्न बानो ने उसका लिंग थाम लिया है और वो उसके कान में सरगोशी से बोली ‘बट्टा !’

जगदीश अब तक ताड़ नहीं पाया था की बट्टा किस बला का नाम है पर हुस्न बानो को खुश देख वह मुस्कुरा दिया. हुस्न बानो ने एक हाथ से जगदीश का लिंग सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपना गाउन निकालने की कोशिश की. यह देख जगदीश ने हुस्न बानो का गाउन निकाल दिया. अब हुस्न बानो ब्रा और पेंटी में थी. पेंटी जांघो तक खिसकी हुई और ब्रा तो हुस्न बानो ऊपर गले की ओर खिसका कर अपने स्तन जगदीश को पेश कर रही थी. जगदीश अत्यंत उत्तेजित हो कर हुस्न बानो के मांसल स्तनों में अपना चहेरा रगड़ने लगा. और एक निपल होठों में खिंच कर चूसने लगा. हुस्न बानो जगदीश के लिंग को तेजी से मसलने लगी. जगदीश ने अपने दोनों हाथों से हुस्न बानो के बड़े बड़े नितंब थाम लिए और उनको दबाते हुए स्तनों को बारी बारी चूसने लगा. हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को अपनी योनि की ओर खींचा. जगदीश का धैर्य जवाब दे रहा था. आइस पैक बगल में रख कर उसने योनि पर अपनी उंगली सहेलाई और योनि के होठों को नजाकत से खोलते हुए उंगली को योनि की फांक में इस कदर फेरा जिस तरह डायरी के पन्नों में सहेज कर रखे गये पीपल के पुराने पत्ते को कोई छूता है, या आंखों में काजल लगाते वक्त जितनी नजाकत से आंखों की किनारी पर काजल दंडिका को लगाया जाता है, या सूरज की पहली किरण जिस कोमलता से रात के आगोश में लिपटी धरती को छूती है… हुस्न बानो ने ऐसी सिसकारी ली जिसमे तड़प और तृप्ति का मिश्र सुर सम्माहित था. जगदीश ने हुस्न बानो के चेहरे को निहारा. हुस्न बानो जगदीश के लिंग को सहलाते हुए बहुत मंद स्वर में कुछ बड़बड़ाई जो जगदीश को सुनाई तो नहीं दिया पर हुस्न बानो की होठों की हरकत से उसे समझ में आया की हुस्न बानो ‘बट्टा’ बुदबुदा रही थी. क्या है यह बट्टा ! जो भी है पर यह हुस्न बानो की ख़ुशी का इजहार है यह तो तय है. जगदीश ने हुस्न बानो के दोनों स्तनों को कोमलता से सहलाते हुए अपनी जीभ से हुस्न बानो के होठों को चाटना शुरु कर दिया….

***

जुगल

जुगल के चेहरे पर फैसला लेने के बाद जो अडिगता उभरती है वो देखी जा सकती थी. उसने समय देखा सुबह के छह बज रहे थे. बगल में झनक सोई थी, चांदनी को सुलाते सुलाते वो भी वहीं सो गई थी.

जुगल ने झनक के मासूम चेहरे को निहारा फिर उसके माथे को चूमा और चांदनी के पास गया. नींद में खोई चांदनी का सिर सहलाने लगा. वो उसे जगाने ही वाला था की झनक उठ पड़ी. ‘क्या कर रहे हो?’ उसने जुगल के हाथ को थाम कर धीमी आवाज में पूछा.

‘भाभी को उठा रहा हूं ?’

‘क्यों?’

‘प्यार करने के लिए…’

‘सुबह छह बजे भाभी को प्यार करोगे?’

‘प्यार टाइम देख कर किया जाता है?’

‘नहीं पर ये अचानक भाभी के लिए प्यार कहां से फुट पड़ा?’

जुगल ने जवाब में झनक के होंठों को चूमा और कहा. ‘सिर्फ भाभी के लिए नहीं, तुम्हारे लिए भी…’

‘रात में कोई आ कर जादू कर गया क्या?’

‘कोई आया नहीं था - मैं कहीं गया था… छोडो वो बात, झनक अब तक मैं बहुत उलझा हुआ था की क्या सही क्या गलत क्या पाप क्या पुण्य- पर अब मेरे दिलो दिमाग पर से सारे बादल हट गए है. अब मैं न अपने आप को रोकूंगा न समाज के बंधनो को मेरी मन की बातों के आड़े आने दूंगा…अगर प्यार से इलाज होता है, अगर प्यार से सुकून मिलता है अगर प्यार से समस्याए हल होती है तो मैं अपने आप को प्यार के हवाले कर दूंगा….’

‘फिर तुम्हारी पत्नी शालिनी? उसे क्या जवाब दोगे ? क्या उससे तुम बेवफाई नहीं करोगे अगर जी में आया उसे प्यार करने लगोगे?’

‘शालिनी को यही कहूंगा की प्यार में वफ़ा -बेवफ़ा जैसा कुछ नहीं होता. शालिनी के साथ बेवफाई न करने के ख़याल से मैं चांदनी भाभी के साथ न्याय नहीं कर पा रहा न तुम्हारे प्यार को न्याय दे रहा, झनक - प्यार इतना जालिम तानशाह नहीं हो सकता जो प्रेमीओं को बंधुआ मजदुर बना दे.’

‘वाह वाह जुगल बाबा! आज तो बड़ा ज्ञान बांट रहे हो! बीवी सामने नहीं इसलिए?’

‘शालिनी अगर प्यार को समझती है तो मेरी बात समझ जाएगी वर्ना -’

‘वर्ना ? उसे छोड़ दोगे ? अलग हो जाओगे?’

‘शालिनी को मैं प्यार करता हूं! प्यार में क्या छोड़ देना और अलग होना! ऐसा कुछ नहीं होता झनक - आदमी या तो प्यार करता है या नहीं करता पर प्यार करना छोड़ नहीं सकता. अगर शालिनी को मेरी बातें समझ में न आये तो मैं राह देखूंगा की प्यार के सही माने उसे समझ में आये.’

झनक सोच में पड़ गई. जुगल ने उसका चेहरा थाम कर पूछा. ‘क्या हुआ?’



CH-39
‘तुम चांदनी और मुझ पर तरस खा रहे हो ऐसा तो नहीं?’

‘पागल लड़की. अगर मैं किसी पर मेहरबानी कर रहा हूं तो मुझ पर. मेरे सामने प्यार का सागर है और मैं आंखें मूंद कर सिर झुकाए बैठा था. अब मैंने आंखें खोल दी है.’

झनक ने जुगल को अपने आगोश में खींच चूमना शुरू कर दिया…



(३९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
 
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