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Incest ये तो सोचा न था…

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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sunoanuj

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Bahut barhiya or gajab update… akhir chilam baba ne gyan de hee diya … chalo dekhte hain aagay kya hai… bahut barhiya likh rahe ho mitr… agle bhag ki pratiksha mein… 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👌👌👌
 

Ek number

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३९ – ये तो सोचा न था…

[(३८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा : ‘पर यह गलत है, तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारा अच्छा दोस्त मानते है, उन्हें लगता है की मैं तुम्हे भोग की चीज नहीं समझता. और मैं कैसे क्या…’
‘पापा को मैं जवाब दूंगी, तुम वो फ़िक्र मत करो.’

‘क्या जवाब दोगी ? ऐसी बातों के सवाल जवाब नहीं होते झनक.’

‘मैं बोलूंगी पापा को की आप तो नहीं लेते मेरी फिर दूसरों को तो देने दो मुझे?’

जुगल यह सुन कर ठगा सा रह गया. ]


जुगल

जुगल ने झनक का चेहरा अपने दोनों हाथों में थामा और निहारा. मुस्कुराया. फिर अपनी आंखें मूंद ली. दो पल के बाद उसने आंखें खोली तो झनक अपने टॉप के बटन लगा रही थी. जुगल ने आश्चर्य से पूछा. ‘क्या हुआ?’

‘कुछ नहीं, रात काफी हो गई है सो जाते है.’ झनक ने मुस्कुराकर कर कहा और अपने चेहरे पर से जुगल का हाथ हटा कर कहा ‘गुड़ नाइट.’

जुगल देखता रह गया. झनक जा कर चांदनी के बगल में लेट गई.

जुगल को समझ में नहीं आया की झनक को अचानक क्या हो गया. वो चुपचाप कमरे की बत्ती बुझा कर चांदनी की दूसरी और सो गया.

***


जगदीश

जगदीश अभी भी शालिनी के स्तनों के बीच अपने मुंह को दबाये हुए पड़ा था. शालिनी का हाथ जगदीश के बरम्यूडा में गया. जगदीश के उत्तुंग लिंग को अभी शालिनी ने छुआ ही था इतने में जगदीश का सेलफोन बजा. जगदीश की फोन रिसीव करने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी पर शालिनी ने उठ कर जगदीश का फोन उठा कर देखा और जगदीश से कहा. ‘डॉ. कुलकर्णी…’

जगदीश ने चौंक कर आंखें खोली. डॉ. कुलकर्णी यानी प्रकृति उपचार केंद्र-लोनावला- जहां हुस्न बानो का उपचार चल रहा था. जगदीश ने उठ कर फोन रिसीव किया.

‘हुस्न बानो ने उधम मचा रखा है, आप आ सकते हो?’ डॉ. कुलकर्णी ने कहा.

‘कैसा उधम?’

‘चीजे पटक रही है, तोड़ फोड़ कर रही है कोई रोकने जाए तो हमला कर रही है…’

‘घंटे भर में पहुंचता हूं.’ कह कर जगदीश ने फोन काटा और शालिनी से कहा. ‘मुझे जाना होगा, अभी ही.’

‘जी.’ शालिनी ने कुर्ती पहनते हुए कहा. ‘पर इतनी रात?’

‘मामला अरजन्ट है.’ जगदीश ने इतना ही कहा. और फटाफट तैयार हो गया. फिर शालिनी के करीब आया, उसका चेहरा थाम कर कहा. ‘तुम डिवोर्स नहीं ले रही. थोड़ा भरोसा रखो मुझ पर. मैं सब ठीक कर दूंगा.’

शालिनी ने जवाब में फीका मुस्कुरा दी.

जगदीश ने उसे बांहों में कस कर कहा. ‘पगली बच्ची!’ फिर उसे अलग करते हुए कहा. ‘में दो ढाई घंटे में लौटूंगा. तब तक कोई फोन कॉल नहीं, कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं. समझी?’

शालिनी ने ‘हां’ में सर हिलाया.

जगदीश ने कमरे के बाहर निकल कर मोहिते को फोन लगा कर कार या टैक्सी कहीं से मिलेगी क्या यह पूछा. मोहिते ने पांच मिनिट का समय मांगा. दस मिनिट के बाद एक हवलदार गेस्ट हाउस के गेट पर सुभाष की कार लेकर आया और जगदीश को कार दे कर चला गया. जगदीश ने तेजी से लोनावला की राह थामी.

***


हुस्न बानो.

लोनावला पहुंचते हुए जगदीश को सुबह के चार बज गए. प्रकृति उपचार केंद्र में सभी सोये हुए थे. डॉ. कुलकर्णी भी अभी अभी सोये है ऐसा बताते हुए ड्यूटी पर मौजूद वॉर्डबॉय ने पूछा. ‘जगाऊं डॉक्टर साहब को?’

‘नहीं. मुझे बताओ हुस्ना बानो के क्या हाल है?’

‘वो बिलकुल भी ठीक नहीं. आप सिस्टर से बात कीजिये.’ कह कर वार्ड बॉय उसे एक नर्स के पास ले गया. जगदीश ने उससे हुस्न बानो का हाल पूछा.

‘आप?’ सिस्टर ने पूछा.

जगदीश ने अपना नाम बताया और खुद की पहचान हुस्न बानो के केयर टेकर के रूप में दी. नर्स ने बताया कि हुस्न बानो लगातार सब पर अटैक कर रही है. एक घंटे पहले उनको हलकी मात्रा में सिडक्टिव दी है ताकि थोड़ा आराम कर सके. पर उसकी हालत नाजुक है कभी भी जाग सकती है. जगदीश ने कहा ‘मैं उनके कमरे में बैठता हूं.’

नर्स जगदीश को हुस्न बानो के कमरे में ले गई. हुस्न बानो सो रही थी. कमरे में एक कुर्सी थी जगदीश वहां बैठते हुए बोला. ‘थैंक्स, मैं यहीं रुकता हूं.’

‘सर, आप का यहां रुकना ठीक नहीं वो आप पर हमला कर सकती है…’

‘डोंट वरी, मैं मैनेज कर लूंगा.’

नर्स हिचकिचाहट के साथ बाहर गई. दो मिनट में फिर से लौट कर एक थर्मोस फ्लास्क देते हुए बोली. ‘इस फ्लास्क में आइस पैक है. अगर इनकी आंख खुल गई और वायोलंट बिहेव करे तो इनके सिर पर ये आइस पैक रगड़ने की कोशिश करना. पर सावधानी से, यह आप पर हमला भी कर सकती है.’

फ्लास्क ले कर जगदीश ने कहा. ‘ठीक है.’

फिर सोई हुई हुस्न बानो को देखा और सोचा : क्या हुआ होगा?

***


जुगल

जुगल बहुत व्यग्र मनोदशा में सोया था. चांदनी भाभी कैसे ठीक होगी? कब ठीक होगी? क्या इलाज के लिए उसे चांदनी भाभी के साथ प्यार करना पड़ेगा जैसा डॉक्टर बता रहे थे? फिजिकल प्यार ? पर यह कैसे संभव है! चांदनी भाभी तो मां समान है… पर झनक तो कह रही थी की उस रात मैंने चांदनी भाभी को ही शालिनी समझ कर…

  • आगे जुगल सोच नहीं पाता था, शर्म और आत्म ग्लानि से उसका मन भारी हो जाता था.
अब क्या एक बार उसने गलती से किया था वैसा कुछ उसे जान बुझ कर करना होगा? यह उसकी कैसी परीक्षा है? नहीं नहीं कुछ भी हो जाय वो चांदनी भाभी के साथ फिजिकल कोई भी ऐसी वैसी हरकत नहीं कर सकता - सुबह डॉक्टर को सच बता कर पूछना होगा की अब इलाज कैसे हो सकता है बताओ.

पर क्या वो ऐसा डॉक्टर को कह पायेगा?

फिलहाल चांदनी भाभी की रिकवरी बहुत जरुरी है - इस रिकवरी के लिए अगर फिझीकल रिश्ता बनाना पड़े तो बनाना चाहिए - आखिर वो चांदनी भाभी की भलाई के लिए यह करेगा - कौनसा वासना के कारण करेगा ?

जुगल की नींद तितर बितर हो चुकी थी. आंख तो लग गई थी पर बड़े अजीबोगरीब डरावने सपने उसे नींद में परेशान कर रहे थे. सपने में वो अचानक किसी पहाड़ पर से खाई की ओर लुढ़कने लगा वो असहाय हो कर अपने आप को खाई में गिरता हुआ महसूस करने लगा… उसे लगा इस तरह खाई में खो कर वो मर जाएगा - बचने की कोई उम्मीद उस में नहीं बची थी तभी अचानक जैसे किसी ने उसका हाथ थाम लिया. जुगल ने देखा तो वो चिलम बाबा थे!

‘बाबा…!’ वो इतना ही बोल पाया.

‘अरे शून्य बुद्धि !मैंने तुझे कहा था कि तेरी दो मां है, दो बाप है, चार पत्नी है, दो बहनें है और कितने लोग चाहिए तुझे रे!’

‘हां बाबा, कहा था.’

‘फिर भी तू इस सोच के फेरे में अटका पड़ा है?’

जुगल बाबा को ताकता रह गया. फिर बोला. ‘पर चांदनी भाभी मेरी मां जैसी है…’

चिलम बाबा ने उसका चेहरा थाम कर कहा. ‘पगले, तू जो प्यार से करेगा, जो प्यार के लिए करेगा वो पाप नहीं, इस संसार में प्यार से बड़ा कोई भाई नहीं, कोई बेटा नहीं, कोई बाप नहीं…’

जुगल भौचक्का रह गया, बुदबुदाते स्वर में उसने पूछा. ‘मतलब मैं चांदनी भाभी को -’

‘हां.’

जुगल आश्चर्य से देखता रह गया.

‘शून्य बुद्धि ! जो इंजेक्शन तेरे पास है वो तुझे डॉक्टर बना रहा है. डॉक्टर का काम केवल इलाज करना है.’

और जुगल की आंखें खुल गई. अपनी आंखें मल कर उसने अभी अभी आये हुए सपने को याद कर समझने की कोशिश की….

***


हुस्न बानो

अचानक आहे सुनाई देने पर जगदीश की आंखें खुल गई. उसने बेड पर सोइ हुई हुस्न बानो की ओर देखा, हुस्न बानो ने उनको ओढ़ाई गई चद्द्र हटा दी थी. और अपने हाथ अपने दो पैरों के बीच रगड़ते हुए वो आहे भर रही थी. जगदीश उठ कर बेड के करीब गया. देखा तो हुस्न बानो ने नींद में ही अपना पेशंट गाउन उपर अपने पेट तक उठा लिया था, अपनी पेंटी निचे खिसका दी थी और अपनी योनि को सहलाते हुए आहे भर रही थी. आंखें बंद थी और चहेरे पर बहुत पीड़ा थी. क्या हो रहा होगा? योनि में जलन ? जगदीश ने सोचा और उसे आइस पैक याद आया. उसने तेजी से फ्लास्क खोला और हुस्न बानो के करीब बैठ कर आइस पैक हुस्न बानो की योनि पर रगड़ने लगा. इस तरह नग्न योनि को इतना करीब से देखने और छूने के कारण जगदीश ने अपने लिंग में तनाव महसूस किया पर उसने योनि पर आइस पैक रगड़ना जारी रखा. कुछ ही पलों में हुस्न बानो के चेरे पर पीड़ा कम हुई हो ऐसा लगा, अब उनकी आहे सिसकियों में बदल गई. दरमियान जगदीश ने उत्तेजना के कारण अपने लिंग को पेंट की ज़िप खोल कर बाहर करना लाजमी समझा क्योंकि वो अपने टेस्टिकल पर दबाव महसूस करने लगा था.


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एक हाथ से अपने लिंग को सहलाते हुए और दूसरे हाथ से हुस्न बानो की योनि को आइस पैक रगड़ते हुए जगदीश मोहित हो कर नग्न योनि को निहारने लगा. हुस्न बानो की उम्र चालीस से अधिक होगी. पर योनि अत्यंत आकर्षक लग रही थी. योनि के इर्द गिर्द के बाल देख जगदीश की उत्तेजना और बढ़ रही थी. अचानक उसने आवाज सुनी : ‘बट्टा ?’ उसने चौंक कर हुस्न बानो की और देख तो हुस्न बानो उसे देख मुस्कुरा रही थी. जगदीश ने उनकी और देखते ही हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथ फैला कर जगदीश को मानो न्योता दिया. जगदीश खड़ा हो कर हुस्न बानो पर झुका. हुस्न बानो ने उसे अपनी बांहो में बांध कर उसका मुंह चूमना शुरू किया. जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली. उसने महसूस किया की हुस्न बानो ने उसका लिंग थाम लिया है और वो उसके कान में सरगोशी से बोली ‘बट्टा !’

जगदीश अब तक ताड़ नहीं पाया था की बट्टा किस बला का नाम है पर हुस्न बानो को खुश देख वह मुस्कुरा दिया. हुस्न बानो ने एक हाथ से जगदीश का लिंग सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपना गाउन निकालने की कोशिश की. यह देख जगदीश ने हुस्न बानो का गाउन निकाल दिया. अब हुस्न बानो ब्रा और पेंटी में थी. पेंटी जांघो तक खिसकी हुई और ब्रा तो हुस्न बानो ऊपर गले की ओर खिसका कर अपने स्तन जगदीश को पेश कर रही थी. जगदीश अत्यंत उत्तेजित हो कर हुस्न बानो के मांसल स्तनों में अपना चहेरा रगड़ने लगा. और एक निपल होठों में खिंच कर चूसने लगा. हुस्न बानो जगदीश के लिंग को तेजी से मसलने लगी. जगदीश ने अपने दोनों हाथों से हुस्न बानो के बड़े बड़े नितंब थाम लिए और उनको दबाते हुए स्तनों को बारी बारी चूसने लगा. हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को अपनी योनि की ओर खींचा. जगदीश का धैर्य जवाब दे रहा था. आइस पैक बगल में रख कर उसने योनि पर अपनी उंगली सहेलाई और योनि के होठों को नजाकत से खोलते हुए उंगली को योनि की फांक में इस कदर फेरा जिस तरह डायरी के पन्नों में सहेज कर रखे गये पीपल के पुराने पत्ते को कोई छूता है, या आंखों में काजल लगाते वक्त जितनी नजाकत से आंखों की किनारी पर काजल दंडिका को लगाया जाता है, या सूरज की पहली किरण जिस कोमलता से रात के आगोश में लिपटी धरती को छूती है… हुस्न बानो ने ऐसी सिसकारी ली जिसमे तड़प और तृप्ति का मिश्र सुर सम्माहित था. जगदीश ने हुस्न बानो के चेहरे को निहारा. हुस्न बानो जगदीश के लिंग को सहलाते हुए बहुत मंद स्वर में कुछ बड़बड़ाई जो जगदीश को सुनाई तो नहीं दिया पर हुस्न बानो की होठों की हरकत से उसे समझ में आया की हुस्न बानो ‘बट्टा’ बुदबुदा रही थी. क्या है यह बट्टा ! जो भी है पर यह हुस्न बानो की ख़ुशी का इजहार है यह तो तय है. जगदीश ने हुस्न बानो के दोनों स्तनों को कोमलता से सहलाते हुए अपनी जीभ से हुस्न बानो के होठों को चाटना शुरु कर दिया….

***


जुगल

जुगल के चेहरे पर फैसला लेने के बाद जो अडिगता उभरती है वो देखी जा सकती थी. उसने समय देखा सुबह के छह बज रहे थे. बगल में झनक सोई थी, चांदनी को सुलाते सुलाते वो भी वहीं सो गई थी.

जुगल ने झनक के मासूम चेहरे को निहारा फिर उसके माथे को चूमा और चांदनी के पास गया. नींद में खोई चांदनी का सिर सहलाने लगा. वो उसे जगाने ही वाला था की झनक उठ पड़ी. ‘क्या कर रहे हो?’ उसने जुगल के हाथ को थाम कर धीमी आवाज में पूछा.

‘भाभी को उठा रहा हूं ?’

‘क्यों?’

‘प्यार करने के लिए…’

‘सुबह छह बजे भाभी को प्यार करोगे?’

‘प्यार टाइम देख कर किया जाता है?’

‘नहीं पर ये अचानक भाभी के लिए प्यार कहां से फुट पड़ा?’

जुगल ने जवाब में झनक के होंठों को चूमा और कहा. ‘सिर्फ भाभी के लिए नहीं, तुम्हारे लिए भी…’

‘रात में कोई आ कर जादू कर गया क्या?’

‘कोई आया नहीं था - मैं कहीं गया था… छोडो वो बात, झनक अब तक मैं बहुत उलझा हुआ था की क्या सही क्या गलत क्या पाप क्या पुण्य- पर अब मेरे दिलो दिमाग पर से सारे बादल हट गए है. अब मैं न अपने आप को रोकूंगा न समाज के बंधनो को मेरी मन की बातों के आड़े आने दूंगा…अगर प्यार से इलाज होता है, अगर प्यार से सुकून मिलता है अगर प्यार से समस्याए हल होती है तो मैं अपने आप को प्यार के हवाले कर दूंगा….’

‘फिर तुम्हारी पत्नी शालिनी? उसे क्या जवाब दोगे ? क्या उससे तुम बेवफाई नहीं करोगे अगर जी में आया उसे प्यार करने लगोगे?’

‘शालिनी को यही कहूंगा की प्यार में वफ़ा -बेवफ़ा जैसा कुछ नहीं होता. शालिनी के साथ बेवफाई न करने के ख़याल से मैं चांदनी भाभी के साथ न्याय नहीं कर पा रहा न तुम्हारे प्यार को न्याय दे रहा, झनक - प्यार इतना जालिम तानशाह नहीं हो सकता जो प्रेमीओं को बंधुआ मजदुर बना दे.’

‘वाह वाह जुगल बाबा! आज तो बड़ा ज्ञान बांट रहे हो! बीवी सामने नहीं इसलिए?’

‘शालिनी अगर प्यार को समझती है तो मेरी बात समझ जाएगी वर्ना -’

‘वर्ना ? उसे छोड़ दोगे ? अलग हो जाओगे?’

‘शालिनी को मैं प्यार करता हूं! प्यार में क्या छोड़ देना और अलग होना! ऐसा कुछ नहीं होता झनक - आदमी या तो प्यार करता है या नहीं करता पर प्यार करना छोड़ नहीं सकता. अगर शालिनी को मेरी बातें समझ में न आये तो मैं राह देखूंगा की प्यार के सही माने उसे समझ में आये.’

झनक सोच में पड़ गई. जुगल ने उसका चेहरा थाम कर पूछा. ‘क्या हुआ?’



CH-39
‘तुम चांदनी और मुझ पर तरस खा रहे हो ऐसा तो नहीं?’

‘पागल लड़की. अगर मैं किसी पर मेहरबानी कर रहा हूं तो मुझ पर. मेरे सामने प्यार का सागर है और मैं आंखें मूंद कर सिर झुकाए बैठा था. अब मैंने आंखें खोल दी है.’

झनक ने जुगल को अपने आगोश में खींच चूमना शुरू कर दिया…



(३९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
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Neelamkumari

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rakeshhbakshi

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४० – ये तो सोचा न था…

[(३९ में आपने पढ़ा : झनक सोच में पड़ गई. जुगल ने उसका चेहरा थाम कर पूछा. ‘क्या हुआ?’
‘तुम चांदनी और मुझ पर तरस खा रहे हो ऐसा तो नहीं?’

‘पागल लड़की. अगर मैं किसी पर मेहरबानी कर रहा हूं तो मुझ पर. मेरे सामने प्यार का सागर है और मैं आंखें मूंद कर सिर झुकाए बैठा था. अब मैंने आंखें खोल दी है.’

झनक ने जुगल को अपने आगोश में खींच चूमना शुरू कर दिया…. ]


जुगल

झनक ने जुगल का चेहरा थाम कर उसके होठों पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की. जुगल धीरे धीरे मदहोश होने लगा. झनक ने जुगल के होंठों पर अपनी जीभ इस तरह से फेरी जैसे जलते अंगार से अगन की ज्वाला फूटे उस अंदाज में पवन की लहर छूती है. जुगल के दिल की धड़कनें तेज हो गई.

‘झनक, आई लव यू....’ जुगल ने कहा.

झनक ने अपनी जीभ जुगल के मुंह में फेरते हुए जुगल के लिंग को मुठ्ठी में जकड़ा, लिंग अभी अपने तेवर में नहीं था. कुछ निराश हो कर झनक ने कहा. ‘जुगल, मुझे दिल का लगाव नहीं, लिंग का तनाव चाहिए.’

झनक की इस साफ़ शिकायतनुमा बात से जुगल ऑकवर्ड फिल करने लगा. उसके लिंग में अभी नर्मी थी. झनक ने मुस्कुराकर कर कहा. ‘मुझे पता है इस की गुड मोर्निंग कैसे होगी वो...’ कह कर वो चांदनी की पीठ थपथपाते हुए उसे उठाने लगी.’चांदनी....उठ जाओ.’

जुगल और भी ओड फिल करते हुए बोला. ‘अरे उनको क्यों जगा रही हो?’

‘इसलिए क्योंकि ये जगेगी तो...’ कहते हुए जुगल के लिंग को हिला कर कहा. ‘ये जगेगा....’ और फिर से चांदनी से पीठ पर थपथपाते हुए कहा. ‘चांदनी?’

चांदनी ने आंखें मलते हुए झनक की ओर देखा.

‘चलो उठो, जल्दी से ब्रश कर के आओ. पापा का मूड बनाना है...शाबाश बेटा....!’

चांदनी तेजी से उठ कर बाथरूम जाने लगी. जुगल देखता रह गया. बाथरूम में जा कर चांदनी ने दरवाजा बंद किया तब जुगल ने झनक से पूछा. ‘पापा का मूड?’

‘मतलब तुम्हारा मूड.’

‘हां, पर मेरा मूड भाभी कैसे बनायेगी?’

‘जुगल. एक बात समझ लो.’ झनक ने कहा. ‘तुम मुझे प्यार करते हो, पर बहुत वेजिटेरियन, तीन बार तुम मुझे नंगी देख चुके हो पर तुम्हारी आंखों में कोई ललक नहीं आती बल्कि सिर्फ तारीफ झलकती है...’

‘झनक, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो...’

‘जानती हूं. तुम ने अपने जहन में मुझे सौंदर्य की देवी बना कर रखा है, पर मुझे सुंदरता की देवी नहीं बनना, भोग की दासी बनना है. रात को तुम मेरे करीब आ गए थे पर मैंने कहा की -देर रात हो गई है, सो जाते है – पता है क्यों?’

‘क्यों?’

‘क्यों की मैंने देखा तुम्हारी आंखों में जितना प्यार था उतना तुम्हारे बरमूडा में उठाव नहीं था…’

जुगल लाजवाब हो गया फिर बोला.

‘मैं कोशिश करूंगा झनक पर भाभी को क्यों...’

‘अरे भाभी ही तो तुम्हारे अंदर के मर्द को जगाने की चाबी है... तुम बहुत मासूम और शरीफ आदमी हो जुगल पर तुम्हारे अंदर एक लार टपकाता ठरकी भी है, हर मर्द में होता है. पर वो छिपा रहता है. हर छिपे ठरकी की बाहर निकलने की खडकी अलग होती है, तुम्हारे अंदर के ठरकी की खिड़की तुम्हारी भाभी चांदनी है....’

‘क्या बकवास है ये झनक, चांदनी भाभी मेरी मां समान है.’

‘तो? मां, बहन, भाभी यह सब रिश्ते बाहर के आदमी को दीखते है, अंदर छिप कर बैठे ठरकी आदमी की दो नहीं सिर्फ एक आंख होती है और उस आंख में से केवल सफ़ेद पानी निकलता है...’

‘पर मैं चांदनी भाभी को-’

‘हमने जब चांदनी को अजिंक्य के चंगुल से बचाया तब पता है मैं उस घर के तहखाने से बिना कपड़ो के बिलकुल नंगी बाहर आई थी?’

‘हां याद है...’

‘तब मुझे देख तुम उत्तेजित नहीं हुए थे. पर जब हम घर में घुसे और देखा की अजिंक्य चांदनी पर जबरदस्ती कर रहा है और चांदनी अजिंक्य के सामने अपनी मतवाली गांड उठा कर पूछ रही थी ‘अब बराबर दिख रहा है क्या?- याद है?’

‘प्लीज़ वो सब याद मत दिलाओ...’

‘कोई शौक नहीं मुझे यह सब याद दिलाने का, कुछ कारण है पूछने का, बोलो याद है?’

‘हां, याद है. तो?’

‘तो यह की आदित्य का यह जानवर जैसा व्यवहार देख कर तुम्हारी आंखें गुस्से से लाल हो गई थी, हाथ सख्ती से कठोर हो गए थे साथ साथ-'

‘साथ साथ क्या?’

‘साथ साथ तुम्हारे लंड में कैसा उफान आया था यह तुम्हें पता नहीं होगा पर मैंने देखा था.’

‘क्या बोल रही हो तुम!’ जुगल ने आघात के साथ पूछा.

‘हां, चांदनी की वो उभरी हुई गांड के गोले और उसका वो एकदम समर्पण की आवाज में पूछना कि ‘ठीक से दिख रहा है ?’ - यह देख और सुन कर तुम एकदम गरम हो गए थे…’

जुगल ने अपना सर झुका दिया…

‘जुगल.’ झनक ने जुगल के दोनों हाथ थाम कर कहा. ‘चांदनी भाभी तुम्हारी ठरक का, तुम्हारी फेंटसी का एक हाई पॉइंट है. बेशक तुम अपनी भाभी का बहुत सम्मान करते हो पर तुम्हारे अंदर का ठरकी चांदनी में भाभी नहीं बल्कि सेक्स का फटाका देखता है.’

जुगल सोच में पड़ गया. झनक ने कहा. ‘इस में बुरा मानने जैसा कुछ नहीं. तुम जानवरों की तरह भाभी को भोगना चाहते हो ऐसा नहीं, पर चांदनी तुम्हारी सेक्स फेंटसी है यह भी सच है.’

जुगल ने झनक की ओर देख कर पूछा.

‘अब तुम्हारा इरादा क्या है?’

‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए तुम्हारी यह कमजोरी ताकत की तरह काम आयेगी. डॉक्टर ने कहा था की तुम्हे पहले चांदनी के बुरे पापा की यादें मिटानी है और फिर प्यार करने वाला पति पेश करना है.’

‘हां पर अभी तुम चांदनी के साथ क्या करना चाहती हो? उठा कर फ्रेश होने जो भेज दिया ?’

‘ट्रीटमेंट.’

‘यहां? घर पर?’

‘डॉक्टर ने कहा था घर पर हो सके तो बेहतर.’

‘झनक. मैं बहुत उलझ गया हूं.’

‘कुछ उलझन की बात नहीं. तुम्हे पहले चांदनी के अच्छे वाले ठरकी बाप बनना है फिर प्रेमी..’

‘अच्छा ठरकी बाप होता है क्या?’

‘नहीं होता. पर तुम्हें बनना होगा. क्योंकि उसका सौतेला बाप बुरा ठरकी बाप था. अगर तुम सिर्फ अच्छे बाप बनोगे तो चांदनी कनेक्ट ही नहीं कर पाएगी कि तुम उसके बाप हो...डॉक्टर ने कहा है कि सेक्स और सितम यह दो चीजें चांदनी अपने बाप के साथ रिलेट कर रही है. तुम्हे सेक्स रखना है और सितम हटा देना है – दोनों हटाओगे तो चांदनी कन्फ्यूज़ हो जायेगी के तुम उसके पापा नहीं हो...’

जुगल ने अपना सर थाम लिया. फिर अचानक सर उठा कर पूछा. ‘पर ट्रीटमेंट की बात कहां बीच में आ गई? बात तो मेरी और तुम्हारी हो रही थी?’

‘तुम्हे पाना है तो मुझे शुरुआत पैकेज डील से करनी पड़ेगी.’

‘पैकेज डील?’

‘बेटी के साथ मां..’

जुगल झनक को ताकता रह गया....

झनक ने अपना फोन डायल करते हुए कहा. ‘डॉक्टर से एक बार बात कर लेती हूं.’

***


जगदीश

जगदीश की छाती पर हुस्न बानो का हाथ दबाव डाल रहा था सो उसकी आंखें खुल गई. उसने देखा तो वो और हुस्न बानो नंगे एक दुसरे को लिपटे पड़े थे. जगदीश ने समय देखा साडे छह बज रहे थे. हुस्न बानो नींद में थी.

जगदीश ने होले से अपने आप को अलग किया. अपने कपडे पहने और फिर हुस्न बानो को पेंटी पहनाई. पेंटी पहनाते वक्त उसने हुस्न बानो की योनि को प्यार से सहलाया. हुस्न बानो इस स्पर्श से जग गई.

‘बट्टा...’ वो हंस कर बोली.

जगदीश योनि को सहलाते हुए हुस्न बानो को चूमने लगा. फिर उसने हुस्न बानो के कान में धीमी आवाज में कहा. ‘आराम करो. अभी से उठने की जरूरत नहीं.’ और उसे गाउन पहनाने लगा. गाउन पहनते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के हाथ अपने स्तन पर रख दिए.



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जगदीश ने बारी बारी दोनों स्तनों को चूमा और कहा. ‘सो जाओ. अभी सुबह होने में थोड़ा समय है.’ और गाउन पहना दिया. हुस्न बानो मुस्कुराई और सो गई. जगदीश कमरे के बाहर निकला. बाहर रात वाली नर्स कुर्सी पर बैठ कर झपकी ले रही थी. जगदीश ने उसे जगाया. वो आंखें मलते हुए पूछने लगी.

‘हुस्न बानो ठीक है? कोई परेशानी?’

‘ठीक है. कोई परेशानी नहीं.’

‘आइस पेक की जरूरत पड़ी थी?’

‘वो तो बहुत काम आया.’ जगदीश ने मुस्कुराकर कहा. और पूछा.‘डॉक्टर उठ गए है?

‘कब से. जोगिंग कर रहे है.’

जगदीश बाहर की ओर जाने लगा. तभी बाहर से डॉक्टर जोगिंग ट्रेक पहने हुए दाखिल हुए और जगदीश से बोले. ‘हाय मी. रस्तोगी... गुड़ मॉर्निंग!’

***


जुगल

झनक ने जुगल से कहा. ‘अब चांदनी नहा कर आती ही होगी. तूम औंधे पड़े रहना और याद है ना क्या करना है?’


Ch-40-Ch40

‘मुझे टेंशन हो रही है झनक.’

‘मैं हूं ना?’ झनक ने मुस्कुराकर कहा.

जुगल बिस्तर पर औंधे मुंह लेट गया.

बाथरूम का दरवाजा खुला. पर चांदनी बाहर नहीं आई. झनक बाथरूम के पास गई और चांदनी का हाथ थाम कर धीरे से बोली. ‘आज पापा का मूड अच्छा है, डरो मत. आओ.’

चांदनी ने आशंकित नजरो से झनक को देखा.

झनक ने मुस्कुराकर कहा. ‘मम्मी है ना साथ में? चलो.’

चांदनी डरते हुए बाहर आई.

चांदनी ने पेटीकोट और शर्ट पहने थे.

झनक ने कहा. ‘पापा को क्या अच्छा लगता है पता है ना? पेटीकोट ऊपर कर दो बेटा...’

चांदनी ने तुरंत अपना पेटीकोट का छोर उठा कर कमर पर खोंस दिया. अब वो छोटे स्कर्ट जैसा हो गया. झनक ने कान में पूछा. ‘पेंटी तो नहीं पहनी ना?’

चांदनी ने ना में सर हिलाया.

झनक ने उसका माथा चूमा और जुगल से कहा. ‘देखो आपकी बेटी नहा कर आ गई है...’

जुगल ने सिर घुमाए बिना कहा. ‘चांदनी?’

‘हां पापा...’ चांदनी ने सहमी हुई आवाज में कहा.

‘पापा को पप्पी करो बेटा.’

चांदनी ने झनक की ओर देखा. झनक ने हां में सर हिलाते हुए चांदनी को जुगल की ओर किया. डरते हुए चांदनी जुगल के पास गई. फिर से उसने झनक को देखा. झनक ने इशारे से झुक कर पप्पी करने कहा. चांदनी धीरे से झुक कर जुगल के गाल पर पप्पी करने लगी. जुगल ने अपना हाथ बढ़ा कर चांदनी को कमर से पकड़ा. चांदनी कांप उठी. झनक की ओर देखने लगी. झनक ने उसे इशारे से हौसला दिया. जुगल कमर पर से हाथ नीचे सरका कर चांदनी के पेटीकोट में उभरे नितंब सहलाने लगा. फिर धीरे से अपना हाथ पेटीकोट के अंदर किया और चांदनी के बड़े बड़े नितंब को होले होले दबाना शुरू कर दिया...चांदनी की हालत पतली थी...उसका अनुभव कहता था की अभी पापा उसके नितंब पर अपने नाख़ून गडा देंगे जब तक की उसकी चीख न निकल जाए...फिर जोरों से अपने हाथ से फटकार फटकार कर नितंब को लाल लाल कर देंगे और चिल्ला चिल्लाकर पूछेंगे : ‘रंडी तेरी गांड इतनी बड़ी क्यों है छिनाल? किस के लोडे खा खा कर ये इतनी चौड़ी हो गई है...’ –चांदनी ने इस होनेवाली यातना के डर के मारे अपनी आंखें मूंद ली थी और वो कांप रही थी...

***


जगदीश

चाय पीते हुए डोक्टर टेबल पर पड़े रिपोर्ट देख रहे थे. सामने जगदीश चुपचाप बैठा चाय पी रहा था.

तभी नाईट डयूटी वाली सिस्टर अंदर आई और डॉक्टर से बोली.

‘मिरेकल डोक्टर. शी इज एब्सोल्युटली फाइन.’

‘बी.पी.?’

‘बी.पी.नोर्मल, हार्ट रेट फाइन, बोडी टेम्परेचर परफेक्ट... आई कान्ट बिलीव!’

डॉक्टर ने जगदीश से पूछा. ‘रात में कोई जादू किया आपने ?’

जगदीश ने पूछा. ‘ऐसा क्यों कह रहे हो?’

डोक्टर अभी जो रिपोर्ट की फ़ाइल देख रहे थे उसे जगदीश की ओर करते हुए कहा. ‘खुद देख लो कल रात तक हुस्न बानो की हालत क्या थी! रात को आप आये और कुछ घंटे के बाद अभी सुबह वो बिल्कुल नॉर्मल हो गई है!’ क्या किया आपने?

जगदीश क्या कहता? – हमने सेक्स किया यह कैसे कह दे!

***


जुगल.

चांदनी ने अभी भी अपनी आंखें खोली नहीं थी. उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था. पापा उसके नितंब सहलाते हुए कह रहे थे. ‘मेरी बेटी कितनी प्यारी है! कितनी सुंदर है!’

पापा ने इतने प्यार से न कभी बात की थी न छुआ था!

उसने आंखें खोल कर अविश्वास भरी नजरो से झनक की ओर देखा.

झनक करीब आई और चांदनी का माथा सहलाते हुए पूछने लगी.

‘हमारी बेटी की गांड कैसी लग रही है यह बताओ.’

‘बहुत प्यारी, भरी भरी...खिली खिली -जी करता है चूमता रहूं...’

‘ओहो...’! झनक ने हंस कर कहा. ‘तो चूमो ना?’

‘बेटी अगर इजाजत दे तो...’

झनक ने चांदनी से पूछा. ‘पापा पूछ रहे है वो तुमको थोड़ा लाड करे तो चलेगा?’

पापा लाड करेंगे!

वो भी पूछ कर !

चांदनी को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही है!

झनक ने फिर से पूछा. ‘परमिशन है पापा को ? वो आप को लाड करें?’

चांदनी ने शरमाकर ‘हां’ में सर हिलाया.

‘ऐसे नहीं बेटा. पापा को अपने मुंह से बोलो.’ झनक ने कहा.

‘यस पापा.’ चांदनी ने हिम्मत कर के कहा.

‘माय गुड गर्ल।’ कह कर जुगल ने चांदनी को अपनी बांहों में खिंचा...

***


जगदीश

‘हुस्न बानो बहुत एग्रेसिव हो गई थी. उसके अंदर जैसे कोई तूफ़ान आया था. अंदर से कोई जलन हो रही थी और वो उस जलन के कारण छटपटा रही थी.’ डॉक्टर ने कहा. ‘आप के साथ हुस्न बानो का क्या कनेक्शन है यह समझ नहीं आ रहा पर आप से मिलने के बाद हुस्न बानो में पॉजिटिव फर्क आ जाता है. मेरा एक सुझाव है. क्या कुछ दिन आप हुस्न बानो को अपने साथ अपने घर रख सकते हो?’

जगदीश सोच में पड़ गया.

‘आप को कन्विनियंट नहीं तो कोई बात नहीं...’ डॉक्टर ने जगदीश की ओर से तुरंत जवाब न आने पर कहा.

‘नहीं डॉक्टर, बात कन्वीनियंस की नहीं, दिक्कत यह है कि अभी कुछ काम से मैं घर के बाहर ही हूं, एक हफ्ते से घर नहीं जा पाया. अभी घर जाने में समय है, पर जब जाऊंगा, हुस्न बानो को अपने साथ ले जा सकता हूं. वो जल्दी ठीक हो यही तो मैं भी चाहता हूं.’

‘वेरी गुड.’ डॉक्टर ने कहा.

तभी जगदीश का फोन बजा. सामने मोहिते था.

‘हां मोहिते.’

‘शालिनी गायब है.’ मोहिते ने कहा.

‘गायब है! क्या मतलब?’ जगदीश ने टेन्स हो कर पूछा.

‘तुम लोगों का कमरा खुला था. मैंने अंदर झांका तो कोई नहीं था. मैं अंदर गया तो मेज पर एक चिट्ठी दिखी. जो शायद शालिनी ने लिखी है.’

‘क्या लिखा है चिट्ठी में!’ पूछते हुए जगदीश और टेन्स हो गया.

‘सिर्फ एक शब्द.’ मोहिते ने कहा. ‘गुड बाय.’

जगदीश ने कहा. ‘मैं तुरंत पहुंचता हूं.’ और फोन काट कर डॉक्टर के सामने देखा. डॉक्टर ने कहा.

‘लगता है कोई इमरजेंसी है. आप जाइए. हम फिर बात कर लेंगे.’

‘थेंक यु डॉक्टर.’ कह कर जगदीश तेजी से निकल गया.

***


जुगल

चांदनी की दोनों नितंबों को अपने दोनों हाथो से दबाते हुए जुगल ने चांदनी के होठ चूमना शुरू किया. फिर उसके कान में फुसफुसाया. ‘मेरी प्यारी बच्ची...आई लव यु बच्चा’

चांदनी की आंखों में ख़ुशी से आंसु आ गए. वो बोली. ‘लव यु पापा...’ और झनक की ओर देख कर मुस्कुराई. झनक ने चांदनी को दूसरे गाल पर चूमते हुए कहा. ‘लव यु बेटा.’

जुगल ने झनक को अपनी ओर खिंच कर पूछा. ‘मेरी पप्पी?’

झनक ने जुगल के होठ चुसना शुरू कर दिया... चांदनी के नितंब सहलाते हुए जगल ने झनक का चुम्मा लिया. तब झनक ने जुगल के लिंग को सहला कर जुगल के कान में कहा.

‘मैंने कहा था ना? देखो ये तुम्हारा सामान कैसे तन गया है अब!’

जुगल ने चांदनी से कहा. ‘अब बेटा आप बाहर जाओ, मम्मी ओर पापा आते है...’

चांदनी अपना पेटीकोट ठीक करते हुए बाहर जाने लगी और जुगल ने झनक को बांहों में खींचा.



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(४० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
 
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४० – ये तो सोचा न था…

[(३९ में आपने पढ़ा : झनक सोच में पड़ गई. जुगल ने उसका चेहरा थाम कर पूछा. ‘क्या हुआ?’
‘तुम चांदनी और मुझ पर तरस खा रहे हो ऐसा तो नहीं?’

‘पागल लड़की. अगर मैं किसी पर मेहरबानी कर रहा हूं तो मुझ पर. मेरे सामने प्यार का सागर है और मैं आंखें मूंद कर सिर झुकाए बैठा था. अब मैंने आंखें खोल दी है.’

झनक ने जुगल को अपने आगोश में खींच चूमना शुरू कर दिया…. ]


जुगल

झनक ने जुगल का चेहरा थाम कर उसके होठों पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की. जुगल धीरे धीरे मदहोश होने लगा. झनक ने जुगल के होंठों पर अपनी जीभ इस तरह से फेरी जैसे जलते अंगार से अगन की ज्वाला फूटे उस अंदाज में पवन की लहर छूती है. जुगल के दिल की धड़कनें तेज हो गई.

‘झनक, आई लव यू....’ जुगल ने कहा.

झनक ने अपनी जीभ जुगल के मुंह में फेरते हुए जुगल के लिंग को मुठ्ठी में जकड़ा, लिंग अभी अपने तेवर में नहीं था. कुछ निराश हो कर झनक ने कहा. ‘जुगल, मुझे दिल का लगाव नहीं, लिंग का तनाव चाहिए.’

झनक की इस साफ़ शिकायतनुमा बात से जुगल ऑकवर्ड फिल करने लगा. उसके लिंग में अभी नर्मी थी. झनक ने मुस्कुराकर कर कहा. ‘मुझे पता है इस की गुड मोर्निंग कैसे होगी वो...’ कह कर वो चांदनी की पीठ थपथपाते हुए उसे उठाने लगी.’चांदनी....उठ जाओ.’

जुगल और भी ओड फिल करते हुए बोला. ‘अरे उनको क्यों जगा रही हो?’

‘इसलिए क्योंकि ये जगेगी तो...’ कहते हुए जुगल के लिंग को हिला कर कहा. ‘ये जगेगा....’ और फिर से चांदनी से पीठ पर थपथपाते हुए कहा. ‘चांदनी?’

चांदनी ने आंखें मलते हुए झनक की ओर देखा.

‘चलो उठो, जल्दी से ब्रश कर के आओ. पापा का मूड बनाना है...शाबाश बेटा....!’

चांदनी तेजी से उठ कर बाथरूम जाने लगी. जुगल देखता रह गया. बाथरूम में जा कर चांदनी ने दरवाजा बंद किया तब जुगल ने झनक से पूछा. ‘पापा का मूड?’

‘मतलब तुम्हारा मूड.’

‘हां, पर मेरा मूड भाभी कैसे बनायेगी?’

‘जुगल. एक बात समझ लो.’ झनक ने कहा. ‘तुम मुझे प्यार करते हो, पर बहुत वेजिटेरियन, तीन बार तुम मुझे नंगी देख चुके हो पर तुम्हारी आंखों में कोई ललक नहीं आती बल्कि सिर्फ तारीफ झलकती है...’

‘झनक, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो...’

‘जानती हूं. तुम ने अपने जहन में मुझे सौंदर्य की देवी बना कर रखा है, पर मुझे सुंदरता की देवी नहीं बनना, भोग की दासी बनना है. रात को तुम मेरे करीब आ गए थे पर मैंने कहा की -देर रात हो गई है, सो जाते है – पता है क्यों?’

‘क्यों?’

‘क्यों की मैंने देखा तुम्हारी आंखों में जितना प्यार था उतना तुम्हारे बरमूडा में उठाव नहीं था…’

जुगल लाजवाब हो गया फिर बोला.

‘मैं कोशिश करूंगा झनक पर भाभी को क्यों...’

‘अरे भाभी ही तो तुम्हारे अंदर के मर्द को जगाने की चाबी है... तुम बहुत मासूम और शरीफ आदमी हो जुगल पर तुम्हारे अंदर एक लार टपकाता ठरकी भी है, हर मर्द में होता है. पर वो छिपा रहता है. हर छिपे ठरकी की बाहर निकलने की खडकी अलग होती है, तुम्हारे अंदर के ठरकी की खिड़की तुम्हारी भाभी चांदनी है....’

‘क्या बकवास है ये झनक, चांदनी भाभी मेरी मां समान है.’

‘तो? मां, बहन, भाभी यह सब रिश्ते बाहर के आदमी को दीखते है, अंदर छिप कर बैठे ठरकी आदमी की दो नहीं सिर्फ एक आंख होती है और उस आंख में से केवल सफ़ेद पानी निकलता है...’

‘पर मैं चांदनी भाभी को-’

‘हमने जब चांदनी को अजिंक्य के चंगुल से बचाया तब पता है मैं उस घर के तहखाने से बिना कपड़ो के बिलकुल नंगी बाहर आई थी?’

‘हां याद है...’

‘तब मुझे देख तुम उत्तेजित नहीं हुए थे. पर जब हम घर में घुसे और देखा की अजिंक्य चांदनी पर जबरदस्ती कर रहा है और चांदनी अजिंक्य के सामने अपनी मतवाली गांड उठा कर पूछ रही थी ‘अब बराबर दिख रहा है क्या?- याद है?’

‘प्लीज़ वो सब याद मत दिलाओ...’

‘कोई शौक नहीं मुझे यह सब याद दिलाने का, कुछ कारण है पूछने का, बोलो याद है?’

‘हां, याद है. तो?’

‘तो यह की आदित्य का यह जानवर जैसा व्यवहार देख कर तुम्हारी आंखें गुस्से से लाल हो गई थी, हाथ सख्ती से कठोर हो गए थे साथ साथ-'

‘साथ साथ क्या?’

‘साथ साथ तुम्हारे लंड में कैसा उफान आया था यह तुम्हें पता नहीं होगा पर मैंने देखा था.’

‘क्या बोल रही हो तुम!’ जुगल ने आघात के साथ पूछा.

‘हां, चांदनी की वो उभरी हुई गांड के गोले और उसका वो एकदम समर्पण की आवाज में पूछना कि ‘ठीक से दिख रहा है ?’ - यह देख और सुन कर तुम एकदम गरम हो गए थे…’

जुगल ने अपना सर झुका दिया…

‘जुगल.’ झनक ने जुगल के दोनों हाथ थाम कर कहा. ‘चांदनी भाभी तुम्हारी ठरक का, तुम्हारी फेंटसी का एक हाई पॉइंट है. बेशक तुम अपनी भाभी का बहुत सम्मान करते हो पर तुम्हारे अंदर का ठरकी चांदनी में भाभी नहीं बल्कि सेक्स का फटाका देखता है.’

जुगल सोच में पड़ गया. झनक ने कहा. ‘इस में बुरा मानने जैसा कुछ नहीं. तुम जानवरों की तरह भाभी को भोगना चाहते हो ऐसा नहीं, पर चांदनी तुम्हारी सेक्स फेंटसी है यह भी सच है.’

जुगल ने झनक की ओर देख कर पूछा.

‘अब तुम्हारा इरादा क्या है?’

‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए तुम्हारी यह कमजोरी ताकत की तरह काम आयेगी. डॉक्टर ने कहा था की तुम्हे पहले चांदनी के बुरे पापा की यादें मिटानी है और फिर प्यार करने वाला पति पेश करना है.’

‘हां पर अभी तुम चांदनी के साथ क्या करना चाहती हो? उठा कर फ्रेश होने जो भेज दिया ?’

‘ट्रीटमेंट.’

‘यहां? घर पर?’

‘डॉक्टर ने कहा था घर पर हो सके तो बेहतर.’

‘झनक. मैं बहुत उलझ गया हूं.’

‘कुछ उलझन की बात नहीं. तुम्हे पहले चांदनी के अच्छे वाले ठरकी बाप बनना है फिर प्रेमी..’

‘अच्छा ठरकी बाप होता है क्या?’

‘नहीं होता. पर तुम्हें बनना होगा. क्योंकि उसका सौतेला बाप बुरा ठरकी बाप था. अगर तुम सिर्फ अच्छे बाप बनोगे तो चांदनी कनेक्ट ही नहीं कर पाएगी कि तुम उसके बाप हो...डॉक्टर ने कहा है कि सेक्स और सितम यह दो चीजें चांदनी अपने बाप के साथ रिलेट कर रही है. तुम्हे सेक्स रखना है और सितम हटा देना है – दोनों हटाओगे तो चांदनी कन्फ्यूज़ हो जायेगी के तुम उसके पापा नहीं हो...’

जुगल ने अपना सर थाम लिया. फिर अचानक सर उठा कर पूछा. ‘पर ट्रीटमेंट की बात कहां बीच में आ गई? बात तो मेरी और तुम्हारी हो रही थी?’

‘तुम्हे पाना है तो मुझे शुरुआत पैकेज डील से करनी पड़ेगी.’

‘पैकेज डील?’

‘बेटी के साथ मां..’

जुगल झनक को ताकता रह गया....

झनक ने अपना फोन डायल करते हुए कहा. ‘डॉक्टर से एक बार बात कर लेती हूं.’

***


जगदीश

जगदीश की छाती पर हुस्न बानो का हाथ दबाव डाल रहा था सो उसकी आंखें खुल गई. उसने देखा तो वो और हुस्न बानो नंगे एक दुसरे को लिपटे पड़े थे. जगदीश ने समय देखा साडे छह बज रहे थे. हुस्न बानो नींद में थी.

जगदीश ने होले से अपने आप को अलग किया. अपने कपडे पहने और फिर हुस्न बानो को पेंटी पहनाई. पेंटी पहनाते वक्त उसने हुस्न बानो की योनि को प्यार से सहलाया. हुस्न बानो इस स्पर्श से जग गई.

‘बट्टा...’ वो हंस कर बोली.

जगदीश योनि को सहलाते हुए हुस्न बानो को चूमने लगा. फिर उसने हुस्न बानो के कान में धीमी आवाज में कहा. ‘आराम करो. अभी से उठने की जरूरत नहीं.’ और उसे गाउन पहनाने लगा. गाउन पहनते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के हाथ अपने स्तन पर रख दिए.



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जगदीश ने बारी बारी दोनों स्तनों को चूमा और कहा. ‘सो जाओ. अभी सुबह होने में थोड़ा समय है.’ और गाउन पहना दिया. हुस्न बानो मुस्कुराई और सो गई. जगदीश कमरे के बाहर निकला. बाहर रात वाली नर्स कुर्सी पर बैठ कर झपकी ले रही थी. जगदीश ने उसे जगाया. वो आंखें मलते हुए पूछने लगी.

‘हुस्न बानो ठीक है? कोई परेशानी?’

‘ठीक है. कोई परेशानी नहीं.’

‘आइस पेक की जरूरत पड़ी थी?’

‘वो तो बहुत काम आया.’ जगदीश ने मुस्कुराकर कहा. और पूछा.‘डॉक्टर उठ गए है?

‘कब से. जोगिंग कर रहे है.’

जगदीश बाहर की ओर जाने लगा. तभी बाहर से डॉक्टर जोगिंग ट्रेक पहने हुए दाखिल हुए और जगदीश से बोले. ‘हाय मी. रस्तोगी... गुड़ मॉर्निंग!’

***


जुगल

झनक ने जुगल से कहा. ‘अब चांदनी नहा कर आती ही होगी. तूम औंधे पड़े रहना और याद है ना क्या करना है?’


Ch-40-Ch40

‘मुझे टेंशन हो रही है झनक.’

‘मैं हूं ना?’ झनक ने मुस्कुराकर कहा.

जुगल बिस्तर पर औंधे मुंह लेट गया.

बाथरूम का दरवाजा खुला. पर चांदनी बाहर नहीं आई. झनक बाथरूम के पास गई और चांदनी का हाथ थाम कर धीरे से बोली. ‘आज पापा का मूड अच्छा है, डरो मत. आओ.’

चांदनी ने आशंकित नजरो से झनक को देखा.

झनक ने मुस्कुराकर कहा. ‘मम्मी है ना साथ में? चलो.’

चांदनी डरते हुए बाहर आई.

चांदनी ने पेटीकोट और शर्ट पहने थे.

झनक ने कहा. ‘पापा को क्या अच्छा लगता है पता है ना? पेटीकोट ऊपर कर दो बेटा...’

चांदनी ने तुरंत अपना पेटीकोट का छोर उठा कर कमर पर खोंस दिया. अब वो छोटे स्कर्ट जैसा हो गया. झनक ने कान में पूछा. ‘पेंटी तो नहीं पहनी ना?’

चांदनी ने ना में सर हिलाया.

झनक ने उसका माथा चूमा और जुगल से कहा. ‘देखो आपकी बेटी नहा कर आ गई है...’

जुगल ने सिर घुमाए बिना कहा. ‘चांदनी?’

‘हां पापा...’ चांदनी ने सहमी हुई आवाज में कहा.

‘पापा को पप्पी करो बेटा.’

चांदनी ने झनक की ओर देखा. झनक ने हां में सर हिलाते हुए चांदनी को जुगल की ओर किया. डरते हुए चांदनी जुगल के पास गई. फिर से उसने झनक को देखा. झनक ने इशारे से झुक कर पप्पी करने कहा. चांदनी धीरे से झुक कर जुगल के गाल पर पप्पी करने लगी. जुगल ने अपना हाथ बढ़ा कर चांदनी को कमर से पकड़ा. चांदनी कांप उठी. झनक की ओर देखने लगी. झनक ने उसे इशारे से हौसला दिया. जुगल कमर पर से हाथ नीचे सरका कर चांदनी के पेटीकोट में उभरे नितंब सहलाने लगा. फिर धीरे से अपना हाथ पेटीकोट के अंदर किया और चांदनी के बड़े बड़े नितंब को होले होले दबाना शुरू कर दिया...चांदनी की हालत पतली थी...उसका अनुभव कहता था की अभी पापा उसके नितंब पर अपने नाख़ून गडा देंगे जब तक की उसकी चीख न निकल जाए...फिर जोरों से अपने हाथ से फटकार फटकार कर नितंब को लाल लाल कर देंगे और चिल्ला चिल्लाकर पूछेंगे : ‘रंडी तेरी गांड इतनी बड़ी क्यों है छिनाल? किस के लोडे खा खा कर ये इतनी चौड़ी हो गई है...’ –चांदनी ने इस होनेवाली यातना के डर के मारे अपनी आंखें मूंद ली थी और वो कांप रही थी...

***


जगदीश

चाय पीते हुए डोक्टर टेबल पर पड़े रिपोर्ट देख रहे थे. सामने जगदीश चुपचाप बैठा चाय पी रहा था.

तभी नाईट डयूटी वाली सिस्टर अंदर आई और डॉक्टर से बोली.

‘मिरेकल डोक्टर. शी इज एब्सोल्युटली फाइन.’

‘बी.पी.?’

‘बी.पी.नोर्मल, हार्ट रेट फाइन, बोडी टेम्परेचर परफेक्ट... आई कान्ट बिलीव!’

डॉक्टर ने जगदीश से पूछा. ‘रात में कोई जादू किया आपने ?’

जगदीश ने पूछा. ‘ऐसा क्यों कह रहे हो?’

डोक्टर अभी जो रिपोर्ट की फ़ाइल देख रहे थे उसे जगदीश की ओर करते हुए कहा. ‘खुद देख लो कल रात तक हुस्न बानो की हालत क्या थी! रात को आप आये और कुछ घंटे के बाद अभी सुबह वो बिल्कुल नॉर्मल हो गई है!’ क्या किया आपने?

जगदीश क्या कहता? – हमने सेक्स किया यह कैसे कह दे!

***


जुगल.

चांदनी ने अभी भी अपनी आंखें खोली नहीं थी. उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था. पापा उसके नितंब सहलाते हुए कह रहे थे. ‘मेरी बेटी कितनी प्यारी है! कितनी सुंदर है!’

पापा ने इतने प्यार से न कभी बात की थी न छुआ था!

उसने आंखें खोल कर अविश्वास भरी नजरो से झनक की ओर देखा.

झनक करीब आई और चांदनी का माथा सहलाते हुए पूछने लगी.

‘हमारी बेटी की गांड कैसी लग रही है यह बताओ.’

‘बहुत प्यारी, भरी भरी...खिली खिली -जी करता है चूमता रहूं...’

‘ओहो...’! झनक ने हंस कर कहा. ‘तो चूमो ना?’

‘बेटी अगर इजाजत दे तो...’

झनक ने चांदनी से पूछा. ‘पापा पूछ रहे है वो तुमको थोड़ा लाड करे तो चलेगा?’

पापा लाड करेंगे!

वो भी पूछ कर !

चांदनी को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही है!

झनक ने फिर से पूछा. ‘परमिशन है पापा को ? वो आप को लाड करें?’

चांदनी ने शरमाकर ‘हां’ में सर हिलाया.

‘ऐसे नहीं बेटा. पापा को अपने मुंह से बोलो.’ झनक ने कहा.

‘यस पापा.’ चांदनी ने हिम्मत कर के कहा.

‘माय गुड गर्ल।’ कह कर जुगल ने चांदनी को अपनी बांहों में खिंचा...

***


जगदीश

‘हुस्न बानो बहुत एग्रेसिव हो गई थी. उसके अंदर जैसे कोई तूफ़ान आया था. अंदर से कोई जलन हो रही थी और वो उस जलन के कारण छटपटा रही थी.’ डॉक्टर ने कहा. ‘आप के साथ हुस्न बानो का क्या कनेक्शन है यह समझ नहीं आ रहा पर आप से मिलने के बाद हुस्न बानो में पॉजिटिव फर्क आ जाता है. मेरा एक सुझाव है. क्या कुछ दिन आप हुस्न बानो को अपने साथ अपने घर रख सकते हो?’

जगदीश सोच में पड़ गया.

‘आप को कन्विनियंट नहीं तो कोई बात नहीं...’ डॉक्टर ने जगदीश की ओर से तुरंत जवाब न आने पर कहा.

‘नहीं डॉक्टर, बात कन्वीनियंस की नहीं, दिक्कत यह है कि अभी कुछ काम से मैं घर के बाहर ही हूं, एक हफ्ते से घर नहीं जा पाया. अभी घर जाने में समय है, पर जब जाऊंगा, हुस्न बानो को अपने साथ ले जा सकता हूं. वो जल्दी ठीक हो यही तो मैं भी चाहता हूं.’

‘वेरी गुड.’ डॉक्टर ने कहा.

तभी जगदीश का फोन बजा. सामने मोहिते था.

‘हां मोहिते.’

‘शालिनी गायब है.’ मोहिते ने कहा.

‘गायब है! क्या मतलब?’ जगदीश ने टेन्स हो कर पूछा.

‘तुम लोगों का कमरा खुला था. मैंने अंदर झांका तो कोई नहीं था. मैं अंदर गया तो मेज पर एक चिट्ठी दिखी. जो शायद शालिनी ने लिखी है.’

‘क्या लिखा है चिट्ठी में!’ पूछते हुए जगदीश और टेन्स हो गया.

‘सिर्फ एक शब्द.’ मोहिते ने कहा. ‘गुड बाय.’

जगदीश ने कहा. ‘मैं तुरंत पहुंचता हूं.’ और फोन काट कर डॉक्टर के सामने देखा. डॉक्टर ने कहा.

‘लगता है कोई इमरजेंसी है. आप जाइए. हम फिर बात कर लेंगे.’

‘थेंक यु डॉक्टर.’ कह कर जगदीश तेजी से निकल गया.

***


जुगल

चांदनी की दोनों नितंबों को अपने दोनों हाथो से दबाते हुए जुगल ने चांदनी के होठ चूमना शुरू किया. फिर उसके कान में फुसफुसाया. ‘मेरी प्यारी बच्ची...आई लव यु बच्चा’

चांदनी की आंखों में ख़ुशी से आंसु आ गए. वो बोली. ‘लव यु पापा...’ और झनक की ओर देख कर मुस्कुराई. झनक ने चांदनी को दूसरे गाल पर चूमते हुए कहा. ‘लव यु बेटा.’

जुगल ने झनक को अपनी ओर खिंच कर पूछा. ‘मेरी पप्पी?’

झनक ने जुगल के होठ चुसना शुरू कर दिया... चांदनी के नितंब सहलाते हुए जगल ने झनक का चुम्मा लिया. तब झनक ने जुगल के लिंग को सहला कर जुगल के कान में कहा.

‘मैंने कहा था ना? देखो ये तुम्हारा सामान कैसे तन गया है अब!’

जुगल ने चांदनी से कहा. ‘अब बेटा आप बाहर जाओ, मम्मी ओर पापा आते है...’

चांदनी अपना पेटीकोट ठीक करते हुए बाहर जाने लगी और जुगल ने झनक को बांहों में खींचा.



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(४० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
दोनों ही ओर कहानी बढ़िया चल रही है....
लेकिन शालिनी कहाँ चली गई... उसके मन में क्या है?
 

AssNova

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४० – ये तो सोचा न था…
waaah !!!!!!!!
badhe dino baad padh rha hu , mai to bhul hi gaya tha ki aap likhte bhi hain
gajab ki lekhni hai
ek pal itna pyaar shalini aur jagdish me aur dusre hi pal shalini bas good bye kah ke gayab

vaise bechari chandini , usne itna kuch saha hoga iska to bilkul bhi idea nhi tha
chandini apne pita se to pyaar karne lagegi lekin jugal se kab karna shuru karegi ?
ye baap beti ka chakkar ajeeb lag rha hai khair ye jaruri bhi hai .

--KEEP up the good work & Keep updating--
 
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