Neelamkumari
Member
- 344
- 579
- 93
Shandaar update४० – ये तो सोचा न था…
[(३९ में आपने पढ़ा : झनक सोच में पड़ गई. जुगल ने उसका चेहरा थाम कर पूछा. ‘क्या हुआ?’
‘तुम चांदनी और मुझ पर तरस खा रहे हो ऐसा तो नहीं?’
‘पागल लड़की. अगर मैं किसी पर मेहरबानी कर रहा हूं तो मुझ पर. मेरे सामने प्यार का सागर है और मैं आंखें मूंद कर सिर झुकाए बैठा था. अब मैंने आंखें खोल दी है.’
झनक ने जुगल को अपने आगोश में खींच चूमना शुरू कर दिया…. ]
जुगल
झनक ने जुगल का चेहरा थाम कर उसके होठों पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की. जुगल धीरे धीरे मदहोश होने लगा. झनक ने जुगल के होंठों पर अपनी जीभ इस तरह से फेरी जैसे जलते अंगार से अगन की ज्वाला फूटे उस अंदाज में पवन की लहर छूती है. जुगल के दिल की धड़कनें तेज हो गई.
‘झनक, आई लव यू....’ जुगल ने कहा.
झनक ने अपनी जीभ जुगल के मुंह में फेरते हुए जुगल के लिंग को मुठ्ठी में जकड़ा, लिंग अभी अपने तेवर में नहीं था. कुछ निराश हो कर झनक ने कहा. ‘जुगल, मुझे दिल का लगाव नहीं, लिंग का तनाव चाहिए.’
झनक की इस साफ़ शिकायतनुमा बात से जुगल ऑकवर्ड फिल करने लगा. उसके लिंग में अभी नर्मी थी. झनक ने मुस्कुराकर कर कहा. ‘मुझे पता है इस की गुड मोर्निंग कैसे होगी वो...’ कह कर वो चांदनी की पीठ थपथपाते हुए उसे उठाने लगी.’चांदनी....उठ जाओ.’
जुगल और भी ओड फिल करते हुए बोला. ‘अरे उनको क्यों जगा रही हो?’
‘इसलिए क्योंकि ये जगेगी तो...’ कहते हुए जुगल के लिंग को हिला कर कहा. ‘ये जगेगा....’ और फिर से चांदनी से पीठ पर थपथपाते हुए कहा. ‘चांदनी?’
चांदनी ने आंखें मलते हुए झनक की ओर देखा.
‘चलो उठो, जल्दी से ब्रश कर के आओ. पापा का मूड बनाना है...शाबाश बेटा....!’
चांदनी तेजी से उठ कर बाथरूम जाने लगी. जुगल देखता रह गया. बाथरूम में जा कर चांदनी ने दरवाजा बंद किया तब जुगल ने झनक से पूछा. ‘पापा का मूड?’
‘मतलब तुम्हारा मूड.’
‘हां, पर मेरा मूड भाभी कैसे बनायेगी?’
‘जुगल. एक बात समझ लो.’ झनक ने कहा. ‘तुम मुझे प्यार करते हो, पर बहुत वेजिटेरियन, तीन बार तुम मुझे नंगी देख चुके हो पर तुम्हारी आंखों में कोई ललक नहीं आती बल्कि सिर्फ तारीफ झलकती है...’
‘झनक, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो...’
‘जानती हूं. तुम ने अपने जहन में मुझे सौंदर्य की देवी बना कर रखा है, पर मुझे सुंदरता की देवी नहीं बनना, भोग की दासी बनना है. रात को तुम मेरे करीब आ गए थे पर मैंने कहा की -देर रात हो गई है, सो जाते है – पता है क्यों?’
‘क्यों?’
‘क्यों की मैंने देखा तुम्हारी आंखों में जितना प्यार था उतना तुम्हारे बरमूडा में उठाव नहीं था…’
जुगल लाजवाब हो गया फिर बोला.
‘मैं कोशिश करूंगा झनक पर भाभी को क्यों...’
‘अरे भाभी ही तो तुम्हारे अंदर के मर्द को जगाने की चाबी है... तुम बहुत मासूम और शरीफ आदमी हो जुगल पर तुम्हारे अंदर एक लार टपकाता ठरकी भी है, हर मर्द में होता है. पर वो छिपा रहता है. हर छिपे ठरकी की बाहर निकलने की खडकी अलग होती है, तुम्हारे अंदर के ठरकी की खिड़की तुम्हारी भाभी चांदनी है....’
‘क्या बकवास है ये झनक, चांदनी भाभी मेरी मां समान है.’
‘तो? मां, बहन, भाभी यह सब रिश्ते बाहर के आदमी को दीखते है, अंदर छिप कर बैठे ठरकी आदमी की दो नहीं सिर्फ एक आंख होती है और उस आंख में से केवल सफ़ेद पानी निकलता है...’
‘पर मैं चांदनी भाभी को-’
‘हमने जब चांदनी को अजिंक्य के चंगुल से बचाया तब पता है मैं उस घर के तहखाने से बिना कपड़ो के बिलकुल नंगी बाहर आई थी?’
‘हां याद है...’
‘तब मुझे देख तुम उत्तेजित नहीं हुए थे. पर जब हम घर में घुसे और देखा की अजिंक्य चांदनी पर जबरदस्ती कर रहा है और चांदनी अजिंक्य के सामने अपनी मतवाली गांड उठा कर पूछ रही थी ‘अब बराबर दिख रहा है क्या?- याद है?’
‘प्लीज़ वो सब याद मत दिलाओ...’
‘कोई शौक नहीं मुझे यह सब याद दिलाने का, कुछ कारण है पूछने का, बोलो याद है?’
‘हां, याद है. तो?’
‘तो यह की आदित्य का यह जानवर जैसा व्यवहार देख कर तुम्हारी आंखें गुस्से से लाल हो गई थी, हाथ सख्ती से कठोर हो गए थे साथ साथ-'
‘साथ साथ क्या?’
‘साथ साथ तुम्हारे लंड में कैसा उफान आया था यह तुम्हें पता नहीं होगा पर मैंने देखा था.’
‘क्या बोल रही हो तुम!’ जुगल ने आघात के साथ पूछा.
‘हां, चांदनी की वो उभरी हुई गांड के गोले और उसका वो एकदम समर्पण की आवाज में पूछना कि ‘ठीक से दिख रहा है ?’ - यह देख और सुन कर तुम एकदम गरम हो गए थे…’
जुगल ने अपना सर झुका दिया…
‘जुगल.’ झनक ने जुगल के दोनों हाथ थाम कर कहा. ‘चांदनी भाभी तुम्हारी ठरक का, तुम्हारी फेंटसी का एक हाई पॉइंट है. बेशक तुम अपनी भाभी का बहुत सम्मान करते हो पर तुम्हारे अंदर का ठरकी चांदनी में भाभी नहीं बल्कि सेक्स का फटाका देखता है.’
जुगल सोच में पड़ गया. झनक ने कहा. ‘इस में बुरा मानने जैसा कुछ नहीं. तुम जानवरों की तरह भाभी को भोगना चाहते हो ऐसा नहीं, पर चांदनी तुम्हारी सेक्स फेंटसी है यह भी सच है.’
जुगल ने झनक की ओर देख कर पूछा.
‘अब तुम्हारा इरादा क्या है?’
‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए तुम्हारी यह कमजोरी ताकत की तरह काम आयेगी. डॉक्टर ने कहा था की तुम्हे पहले चांदनी के बुरे पापा की यादें मिटानी है और फिर प्यार करने वाला पति पेश करना है.’
‘हां पर अभी तुम चांदनी के साथ क्या करना चाहती हो? उठा कर फ्रेश होने जो भेज दिया ?’
‘ट्रीटमेंट.’
‘यहां? घर पर?’
‘डॉक्टर ने कहा था घर पर हो सके तो बेहतर.’
‘झनक. मैं बहुत उलझ गया हूं.’
‘कुछ उलझन की बात नहीं. तुम्हे पहले चांदनी के अच्छे वाले ठरकी बाप बनना है फिर प्रेमी..’
‘अच्छा ठरकी बाप होता है क्या?’
‘नहीं होता. पर तुम्हें बनना होगा. क्योंकि उसका सौतेला बाप बुरा ठरकी बाप था. अगर तुम सिर्फ अच्छे बाप बनोगे तो चांदनी कनेक्ट ही नहीं कर पाएगी कि तुम उसके बाप हो...डॉक्टर ने कहा है कि सेक्स और सितम यह दो चीजें चांदनी अपने बाप के साथ रिलेट कर रही है. तुम्हे सेक्स रखना है और सितम हटा देना है – दोनों हटाओगे तो चांदनी कन्फ्यूज़ हो जायेगी के तुम उसके पापा नहीं हो...’
जुगल ने अपना सर थाम लिया. फिर अचानक सर उठा कर पूछा. ‘पर ट्रीटमेंट की बात कहां बीच में आ गई? बात तो मेरी और तुम्हारी हो रही थी?’
‘तुम्हे पाना है तो मुझे शुरुआत पैकेज डील से करनी पड़ेगी.’
‘पैकेज डील?’
‘बेटी के साथ मां..’
जुगल झनक को ताकता रह गया....
झनक ने अपना फोन डायल करते हुए कहा. ‘डॉक्टर से एक बार बात कर लेती हूं.’
***
जगदीश
जगदीश की छाती पर हुस्न बानो का हाथ दबाव डाल रहा था सो उसकी आंखें खुल गई. उसने देखा तो वो और हुस्न बानो नंगे एक दुसरे को लिपटे पड़े थे. जगदीश ने समय देखा साडे छह बज रहे थे. हुस्न बानो नींद में थी.
जगदीश ने होले से अपने आप को अलग किया. अपने कपडे पहने और फिर हुस्न बानो को पेंटी पहनाई. पेंटी पहनाते वक्त उसने हुस्न बानो की योनि को प्यार से सहलाया. हुस्न बानो इस स्पर्श से जग गई.
‘बट्टा...’ वो हंस कर बोली.
जगदीश योनि को सहलाते हुए हुस्न बानो को चूमने लगा. फिर उसने हुस्न बानो के कान में धीमी आवाज में कहा. ‘आराम करो. अभी से उठने की जरूरत नहीं.’ और उसे गाउन पहनाने लगा. गाउन पहनते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के हाथ अपने स्तन पर रख दिए.
जगदीश ने बारी बारी दोनों स्तनों को चूमा और कहा. ‘सो जाओ. अभी सुबह होने में थोड़ा समय है.’ और गाउन पहना दिया. हुस्न बानो मुस्कुराई और सो गई. जगदीश कमरे के बाहर निकला. बाहर रात वाली नर्स कुर्सी पर बैठ कर झपकी ले रही थी. जगदीश ने उसे जगाया. वो आंखें मलते हुए पूछने लगी.
‘हुस्न बानो ठीक है? कोई परेशानी?’
‘ठीक है. कोई परेशानी नहीं.’
‘आइस पेक की जरूरत पड़ी थी?’
‘वो तो बहुत काम आया.’ जगदीश ने मुस्कुराकर कहा. और पूछा.‘डॉक्टर उठ गए है?
‘कब से. जोगिंग कर रहे है.’
जगदीश बाहर की ओर जाने लगा. तभी बाहर से डॉक्टर जोगिंग ट्रेक पहने हुए दाखिल हुए और जगदीश से बोले. ‘हाय मी. रस्तोगी... गुड़ मॉर्निंग!’
***
जुगल
झनक ने जुगल से कहा. ‘अब चांदनी नहा कर आती ही होगी. तूम औंधे पड़े रहना और याद है ना क्या करना है?’
‘मुझे टेंशन हो रही है झनक.’
‘मैं हूं ना?’ झनक ने मुस्कुराकर कहा.
जुगल बिस्तर पर औंधे मुंह लेट गया.
बाथरूम का दरवाजा खुला. पर चांदनी बाहर नहीं आई. झनक बाथरूम के पास गई और चांदनी का हाथ थाम कर धीरे से बोली. ‘आज पापा का मूड अच्छा है, डरो मत. आओ.’
चांदनी ने आशंकित नजरो से झनक को देखा.
झनक ने मुस्कुराकर कहा. ‘मम्मी है ना साथ में? चलो.’
चांदनी डरते हुए बाहर आई.
चांदनी ने पेटीकोट और शर्ट पहने थे.
झनक ने कहा. ‘पापा को क्या अच्छा लगता है पता है ना? पेटीकोट ऊपर कर दो बेटा...’
चांदनी ने तुरंत अपना पेटीकोट का छोर उठा कर कमर पर खोंस दिया. अब वो छोटे स्कर्ट जैसा हो गया. झनक ने कान में पूछा. ‘पेंटी तो नहीं पहनी ना?’
चांदनी ने ना में सर हिलाया.
झनक ने उसका माथा चूमा और जुगल से कहा. ‘देखो आपकी बेटी नहा कर आ गई है...’
जुगल ने सिर घुमाए बिना कहा. ‘चांदनी?’
‘हां पापा...’ चांदनी ने सहमी हुई आवाज में कहा.
‘पापा को पप्पी करो बेटा.’
चांदनी ने झनक की ओर देखा. झनक ने हां में सर हिलाते हुए चांदनी को जुगल की ओर किया. डरते हुए चांदनी जुगल के पास गई. फिर से उसने झनक को देखा. झनक ने इशारे से झुक कर पप्पी करने कहा. चांदनी धीरे से झुक कर जुगल के गाल पर पप्पी करने लगी. जुगल ने अपना हाथ बढ़ा कर चांदनी को कमर से पकड़ा. चांदनी कांप उठी. झनक की ओर देखने लगी. झनक ने उसे इशारे से हौसला दिया. जुगल कमर पर से हाथ नीचे सरका कर चांदनी के पेटीकोट में उभरे नितंब सहलाने लगा. फिर धीरे से अपना हाथ पेटीकोट के अंदर किया और चांदनी के बड़े बड़े नितंब को होले होले दबाना शुरू कर दिया...चांदनी की हालत पतली थी...उसका अनुभव कहता था की अभी पापा उसके नितंब पर अपने नाख़ून गडा देंगे जब तक की उसकी चीख न निकल जाए...फिर जोरों से अपने हाथ से फटकार फटकार कर नितंब को लाल लाल कर देंगे और चिल्ला चिल्लाकर पूछेंगे : ‘रंडी तेरी गांड इतनी बड़ी क्यों है छिनाल? किस के लोडे खा खा कर ये इतनी चौड़ी हो गई है...’ –चांदनी ने इस होनेवाली यातना के डर के मारे अपनी आंखें मूंद ली थी और वो कांप रही थी...
***
जगदीश
चाय पीते हुए डोक्टर टेबल पर पड़े रिपोर्ट देख रहे थे. सामने जगदीश चुपचाप बैठा चाय पी रहा था.
तभी नाईट डयूटी वाली सिस्टर अंदर आई और डॉक्टर से बोली.
‘मिरेकल डोक्टर. शी इज एब्सोल्युटली फाइन.’
‘बी.पी.?’
‘बी.पी.नोर्मल, हार्ट रेट फाइन, बोडी टेम्परेचर परफेक्ट... आई कान्ट बिलीव!’
डॉक्टर ने जगदीश से पूछा. ‘रात में कोई जादू किया आपने ?’
जगदीश ने पूछा. ‘ऐसा क्यों कह रहे हो?’
डोक्टर अभी जो रिपोर्ट की फ़ाइल देख रहे थे उसे जगदीश की ओर करते हुए कहा. ‘खुद देख लो कल रात तक हुस्न बानो की हालत क्या थी! रात को आप आये और कुछ घंटे के बाद अभी सुबह वो बिल्कुल नॉर्मल हो गई है!’ क्या किया आपने?
जगदीश क्या कहता? – हमने सेक्स किया यह कैसे कह दे!
***
जुगल.
चांदनी ने अभी भी अपनी आंखें खोली नहीं थी. उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था. पापा उसके नितंब सहलाते हुए कह रहे थे. ‘मेरी बेटी कितनी प्यारी है! कितनी सुंदर है!’
पापा ने इतने प्यार से न कभी बात की थी न छुआ था!
उसने आंखें खोल कर अविश्वास भरी नजरो से झनक की ओर देखा.
झनक करीब आई और चांदनी का माथा सहलाते हुए पूछने लगी.
‘हमारी बेटी की गांड कैसी लग रही है यह बताओ.’
‘बहुत प्यारी, भरी भरी...खिली खिली -जी करता है चूमता रहूं...’
‘ओहो...’! झनक ने हंस कर कहा. ‘तो चूमो ना?’
‘बेटी अगर इजाजत दे तो...’
झनक ने चांदनी से पूछा. ‘पापा पूछ रहे है वो तुमको थोड़ा लाड करे तो चलेगा?’
पापा लाड करेंगे!
वो भी पूछ कर !
चांदनी को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही है!
झनक ने फिर से पूछा. ‘परमिशन है पापा को ? वो आप को लाड करें?’
चांदनी ने शरमाकर ‘हां’ में सर हिलाया.
‘ऐसे नहीं बेटा. पापा को अपने मुंह से बोलो.’ झनक ने कहा.
‘यस पापा.’ चांदनी ने हिम्मत कर के कहा.
‘माय गुड गर्ल।’ कह कर जुगल ने चांदनी को अपनी बांहों में खिंचा...
***
जगदीश
‘हुस्न बानो बहुत एग्रेसिव हो गई थी. उसके अंदर जैसे कोई तूफ़ान आया था. अंदर से कोई जलन हो रही थी और वो उस जलन के कारण छटपटा रही थी.’ डॉक्टर ने कहा. ‘आप के साथ हुस्न बानो का क्या कनेक्शन है यह समझ नहीं आ रहा पर आप से मिलने के बाद हुस्न बानो में पॉजिटिव फर्क आ जाता है. मेरा एक सुझाव है. क्या कुछ दिन आप हुस्न बानो को अपने साथ अपने घर रख सकते हो?’
जगदीश सोच में पड़ गया.
‘आप को कन्विनियंट नहीं तो कोई बात नहीं...’ डॉक्टर ने जगदीश की ओर से तुरंत जवाब न आने पर कहा.
‘नहीं डॉक्टर, बात कन्वीनियंस की नहीं, दिक्कत यह है कि अभी कुछ काम से मैं घर के बाहर ही हूं, एक हफ्ते से घर नहीं जा पाया. अभी घर जाने में समय है, पर जब जाऊंगा, हुस्न बानो को अपने साथ ले जा सकता हूं. वो जल्दी ठीक हो यही तो मैं भी चाहता हूं.’
‘वेरी गुड.’ डॉक्टर ने कहा.
तभी जगदीश का फोन बजा. सामने मोहिते था.
‘हां मोहिते.’
‘शालिनी गायब है.’ मोहिते ने कहा.
‘गायब है! क्या मतलब?’ जगदीश ने टेन्स हो कर पूछा.
‘तुम लोगों का कमरा खुला था. मैंने अंदर झांका तो कोई नहीं था. मैं अंदर गया तो मेज पर एक चिट्ठी दिखी. जो शायद शालिनी ने लिखी है.’
‘क्या लिखा है चिट्ठी में!’ पूछते हुए जगदीश और टेन्स हो गया.
‘सिर्फ एक शब्द.’ मोहिते ने कहा. ‘गुड बाय.’
जगदीश ने कहा. ‘मैं तुरंत पहुंचता हूं.’ और फोन काट कर डॉक्टर के सामने देखा. डॉक्टर ने कहा.
‘लगता है कोई इमरजेंसी है. आप जाइए. हम फिर बात कर लेंगे.’
‘थेंक यु डॉक्टर.’ कह कर जगदीश तेजी से निकल गया.
***
जुगल
चांदनी की दोनों नितंबों को अपने दोनों हाथो से दबाते हुए जुगल ने चांदनी के होठ चूमना शुरू किया. फिर उसके कान में फुसफुसाया. ‘मेरी प्यारी बच्ची...आई लव यु बच्चा’
चांदनी की आंखों में ख़ुशी से आंसु आ गए. वो बोली. ‘लव यु पापा...’ और झनक की ओर देख कर मुस्कुराई. झनक ने चांदनी को दूसरे गाल पर चूमते हुए कहा. ‘लव यु बेटा.’
जुगल ने झनक को अपनी ओर खिंच कर पूछा. ‘मेरी पप्पी?’
झनक ने जुगल के होठ चुसना शुरू कर दिया... चांदनी के नितंब सहलाते हुए जगल ने झनक का चुम्मा लिया. तब झनक ने जुगल के लिंग को सहला कर जुगल के कान में कहा.
‘मैंने कहा था ना? देखो ये तुम्हारा सामान कैसे तन गया है अब!’
जुगल ने चांदनी से कहा. ‘अब बेटा आप बाहर जाओ, मम्मी ओर पापा आते है...’
चांदनी अपना पेटीकोट ठीक करते हुए बाहर जाने लगी और जुगल ने झनक को बांहों में खींचा.
(४० -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश