मैंने हिंदी भाषा पर इतनी अच्छी साध किसी की नहीं देखी!!
इतना श्रेष्ट शब्द चयन, इतना उत्कृष्ठ व्याकरण, इतनी बलिष्ठ लेखनी!!!
आप धन्य है प्रभु...।
incest कहानियाँ तो इस साइट पर बहुत हैं पर आपको पढ़ कर ज्ञात हुआ की इसे लिखना किसी को नहीं आता।
इन्सेस्ट कहानी तो सबसे कम आँच पर पकती है!!
समाज के वो नियम जिन पर मनुष्य जीवन भर चलता आया है रातों रात नहीं टूट सकते....
वो झिझक एकदम से नहीं मिट सकती।
ऐसे mental blocks को हटाने में संयोगों और परिस्थितियों की भी अहम भागीदारी होती है।
नहीं तो ये सिर्फ़ लोगों की फ़ैंटसी मात्र नहीं रह जाती बल्कि हर घर में आम बात हो जाती!!
उन कुंठाओं को जगाना गिली लकड़ी में आग लगाने जैसा होता है!! जो की अन्य लेखकगण नहीं समझ रहे. उनकी कहानियों में तो एक दो बार नग्न देख कर कामेच्छा जाग जाती है और तीसरे इन्सिडेंट में स्खलन
आपको पढ़ कर लगा ही नहीं कोई विकृत विषय वस्तु पढ़ रहे हैं!
जैसा चरित्र मानचित्र आपने अपने पात्रों का बनाया सचमें उनसे प्रेम और सहानुभूति हो गयी!
ऐसी मीठी और कम आँच पर धीरे धीरे पकती खीर जैसी आपकी ये रचना अपने हम तक पहुँचाई इसका हार्दिक आभार।
आपके व्यावसायिक लेखन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ...
पर लिखना ना छोड़ें!
दूसरी कोई कहानी अवश्य शुरू करें, आपकी लेखनी को जो माँ सरस्वती का आशीर्वाद है, उसकी कुछ बूँदें हम पाठकों पर भी छिड़कते रहें!!
आपकी अगली कृति की प्रतीक्षा में.....
इतना श्रेष्ट शब्द चयन, इतना उत्कृष्ठ व्याकरण, इतनी बलिष्ठ लेखनी!!!
आप धन्य है प्रभु...।
incest कहानियाँ तो इस साइट पर बहुत हैं पर आपको पढ़ कर ज्ञात हुआ की इसे लिखना किसी को नहीं आता।
इन्सेस्ट कहानी तो सबसे कम आँच पर पकती है!!
समाज के वो नियम जिन पर मनुष्य जीवन भर चलता आया है रातों रात नहीं टूट सकते....
वो झिझक एकदम से नहीं मिट सकती।
ऐसे mental blocks को हटाने में संयोगों और परिस्थितियों की भी अहम भागीदारी होती है।
नहीं तो ये सिर्फ़ लोगों की फ़ैंटसी मात्र नहीं रह जाती बल्कि हर घर में आम बात हो जाती!!
उन कुंठाओं को जगाना गिली लकड़ी में आग लगाने जैसा होता है!! जो की अन्य लेखकगण नहीं समझ रहे. उनकी कहानियों में तो एक दो बार नग्न देख कर कामेच्छा जाग जाती है और तीसरे इन्सिडेंट में स्खलन
आपको पढ़ कर लगा ही नहीं कोई विकृत विषय वस्तु पढ़ रहे हैं!
जैसा चरित्र मानचित्र आपने अपने पात्रों का बनाया सचमें उनसे प्रेम और सहानुभूति हो गयी!
ऐसी मीठी और कम आँच पर धीरे धीरे पकती खीर जैसी आपकी ये रचना अपने हम तक पहुँचाई इसका हार्दिक आभार।
आपके व्यावसायिक लेखन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ...
पर लिखना ना छोड़ें!
दूसरी कोई कहानी अवश्य शुरू करें, आपकी लेखनी को जो माँ सरस्वती का आशीर्वाद है, उसकी कुछ बूँदें हम पाठकों पर भी छिड़कते रहें!!
आपकी अगली कृति की प्रतीक्षा में.....
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