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Incest ये तो सोचा न था…

rakeshhbakshi

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Interesting updates, anna ne chandini ko jaane ke liye he kaha tah, fir be vajah Chandni unknown admi ke saath bhagne ki kya jaroorat.........
Yeh baat tohdi confuse karrahi hai writer Sahab
सर, प्रकरण २४ में सुधारणा की है और फिर से लिख कर अभी पोस्ट किया है-
कान पकड़ने के लिए शुक्रिया—
 
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rakeshhbakshi

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सर, प्रकरण २४ में सुधारणा की है और फिर से लिख कर अभी पोस्ट किया है-
 

rakeshhbakshi

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Wonderful Update and timely.
Wating for next long update
सर, प्रकरण २४ में सुधारणा की है और फिर से लिख कर अभी पोस्ट किया है-
 

rakeshhbakshi

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Waiting bro
सर, प्रकरण २४ में सुधारणा की है और फिर से लिख कर अभी पोस्ट किया है-
 

Motaland2468

Well-Known Member
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२४ – ये तो सोचा न था…( यह प्रकरण पुनः लिखा गया है)

मेरे पाठक मित्रों,

यह मेरी पहली इरोटिक कहानी है.

लिखने में अभी कच्चा हूं. गलती रह जाती है.

इस धारावाहिक का २४वां प्रकरण कल मैंने पोस्ट किया उस के बाद कुछ प्रतिक्रिया मिली जिससे मुझे समझ में आया की कुछ हिस्से मैंने ढीले छोड़ दिए है.

इसलिए इस प्रकरण को पुनः लिख कर पोस्ट कर रहा हूं.

आज रात तक अगला प्रकरण - २५ वा पोस्ट हो जाएगा…

उम्मीद है इस नए लेखक की गलतियों को आप उदार दिल से माफ़ करोगे-
इस प्रकरण में जो हिस्सा रिराइट किया है वो लाल अक्षरों में बोल्ड टाइप में है.

फिर एक बार सब से क्षमा मांगता हूं.

शुक्रिया -
AssNova
शुक्रिया -
Game888 शुक्रिया -Lib am ----मेरा कान पकड़ने के लिए…


[(२३ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

बुवा ने जगदीश और शालिनी को एक आसन पर बिठाया. और दोनों को कुमकुम से तिलक किया और कहा.

‘आप दोनों मेरे घर पाहुणे (अतिथि) बन कर आये ये माझा (मेरा) सौभाग्य. ईश्वर आप दोनों के प्रेम में सदा बढ़ौती करें. सदा आप दोनों तन और मन से एक दूसरे को समर्पित रहो और हमेशा एक दूसरे को इसी तरह प्यार करते रहो इस के लिए यह छोटी सी पूजा कर रही हूं मेरे बच्चों …’

जगदीश और शालिनी एक दूसरे को देखते रह गए…]



अन्ना गणेशी हाउस

उस औरत ने जुगल से कहा. ‘मैंने अपने कानों से सुना.’

‘क्या?’ जुगल ने पूछा. ‘मुझे रेप करते हुए सुना? रेप करते वक्त कोई देख सकता है. सुन कैसे सकता है? क्या बोल रही हो तुम?

‘तुम ने कल रात किसी लड़की के साथ सेक्स किया वो बात तुमने आज एक लड़की को बताया था वो मैंने सुना.’

जुगल को समझ में आया की झनक के साथ यह बात मैंने की थी वो शायद इस औरत ने सुनी है.

उसने पूछा. ‘तो?’

‘तो वो लड़की अन्ना की बहन थी. और क्या?’ उस औरत ने जुगल से कहा.

जुगल ने अन्ना से पूछा. ‘अच्छा तो जिससे मैंने बात की थी वो झनक आप की बहन है? गुड. बुलाओ उसे. उसे सब पता है.’

‘मुट्टालटनम…!’ अन्ना जोर से जुगल की ओर देख कर गुस्से से दहाड़ा. ‘ जो लड़की से तू बात किया वो नहीं, जो लड़की का तुम रेप किया वो मेरा भेन है.’

चांदनी और जुगल अन्ना की ऊँची आवाज से थोड़ा सहम गए. फिर जुगल ने कहा.

‘आप चीख कर बोलोगे उससे क्या होगा? मैं फिर आप को कह रहा हूं की मैंने कोई बलात्कार नहीं किया.’

‘तुम कल रात सेक्स किया?’ अन्ना ने जुगल को पूछा.

‘हां, किया.’

‘किसके साथ?’

जुगल चुप हो गया. चांदनी का दिल धड़कने लगा. जुगल बोला. ‘वो मुझे लगा की मेरी वाइफ है पर गलती से कोई और लड़की-’

‘मालुम. मैं पूछा वो लड़की कौन?’

‘नहीं पता.’

‘वो मेरा भेन.’

‘ये आप को किसने बोला? अगर मैंने रेप किया होता तो आपकी बहन मुझे रोकती नहीं ? मना नहीं करती?’

‘अबी मेरा भेन बेहोश. उसको होश आएगा तब मैं उसको पूछेगा वो क्या किया - तुम क्या किया - फिर तुम्हारा एकाउंट क्लियर. तुम्हारा लाइफ को एन्ड करनेका. समझ में आया?’

‘अन्ना, आप बात समझो. मेरे साथ आपकी बहन नहीं थी. कोई और था.’

‘तुम को क्या मालूम? तुम बोला तुम को नहीं पता कौन वो लड़की!

अन्ना की इस बात पर जुगल के पास कोई जवाब नहीं था.

***

पूजा संपन्न हुई.

फिर बुवा ने जगदीश और शालिनी को खाना परोसा.और दोनों के साथ बातें करने लगी.

‘इतनी सुंदर और सुशील बहु तुम को कहां मिली?’ बुवाने जगदीश से पूछा.

जगदीश ने शालिनी की और देखा और मुस्कुराया. शालिनी के गाल लाल हो गये.

***


अन्ना गणेशी हाउस

‘वो लड़की आपकी बहन नहीं थी ये मुझे पता है.’ चांदनी ने कहा.

‘इस को नहीं मालूम और तुम को मालूम?’ अन्ना ने अविश्वास के साथ पूछा. फिर आगे बोला. ‘तुम्हारा मरद का भाई को बचाने को तुम झूठ बोलता. हम को मालुम. तुम इडली खा लिया, अभी जाने का.’ और अपने आदमीओं की और देख कर कहा. ‘चक्कू, इस लेडीज़ को टेक्सी में बिठाने का.’ और चांदनी से कहा. ‘चलो. तुम अबी जाने का.’

‘और जुगल?’ चांदनी ने पूछा.

‘वो नहीं आने का. हम उसका अंतिम क्रिया करने का.’

‘आप समझते क्यों नहीं? कल रात जुगल के साथ जो लड़की थी उसे मैं जानती हूं. वो आप की बहन नहीं थी.’

अन्ना और जुगल दोनों ने चांदनी को आश्चर्य से देखा.

अन्ना ने कहा. ‘कौन था वो लड़की?’

‘मैंने कहा ना वो आपकी बहन नहीं थी…’

‘मुट्टालटनम…!’ अन्ना फिर जोर से दहाड़ कर बोला. ‘कौन था वो लड़की- बोलने का !’

‘वो मैं थी.’ चांदनी ने कहा और सुन कर सब शॉक्ड हो गये.

***

ग्यारह बजने में अभी दो घंटे की देर थी. शालिनी ने कहा.

‘दो घंटे आप सो जाओ. आप को आराम की जरूरत है. सूझन कम हो जायेगी.’

जगदीश कुछ जवाब दे उससे पहले उसका सेल फोन बजा. जगदीश ने देखा तो मोहिते था.

‘हां मोहिते?’ जगदीश ने फोन पर पूछा. मोहिते ने बताया की उसका दोस्त जो उनको मुंबई ले जाने वाला है वो जल्दी फ्री हो गया है. क्या आधे घंटे में आप लोग निकल सकते हो? जगदीश ने कहा. ‘हम तो तैयार है, पांच मिनट में निकल सकते है.’

मोहिते ने कहा की ‘ठीक है, तो सूरी आधे घंटे में आप लोगो को पिक अप करने आएगा.’

‘फाइन.’ कह कर जगदीश ने फोन काटा और शालिनी को कहा. ‘हम आधे घंटे में निकल रहे है.

‘ठीक है, आप कार में आराम कर लेना.’ शालिनी ने कहा और उठ कर बाहर जाते हुए बोली. ‘बुवा से बता देती हूं की जल्दी निकल रहे है...’

***


अन्ना गणेशी हाउस

‘छी…!’ अन्ना ने कहा. ‘तुम कितना नीच औरत ! अपना मरद का भाई को बचाने के लिए कितना गंदा झूठ बोलता!’

चांदनी को समझ में नहीं आया की अब जो सच है इस बात का अन्ना को कैसे यकीन दिलाये!

उसने जुगल की और देखा. जुगल भी कन्फ्यूज़्ड था.


चांदनी ने अन्ना से कहा. ‘कोई औरत ऐसी बात झूठ मुठ नहीं बोलती, किसी की जान लेने तक की बात हो रही है इसलिए यह शर्मनाक बात मुझे कहनी पड रही है-’

पर अन्ना कुछ बोले उससे पहले जुगल ने कहा. ‘भाभी, बस भी करो- मेरी जान जायेगी वो चलेगा पर आप ऐसी बातों से मुझे बचाने की कोशिश न करें प्लीज़…’

यह सुनकर चांदनी स्तब्ध रह गई, जो बात उसके लिए एक ऐसी गलती और एक ऐसा बदनसीब जिसे वो अपनी स्मृति से काट कर फेंक देना चाहती थी और जिसने एक लगातार रिसते जख्म की तरह उसका आत्म सम्मान घायल कर दिया था वो बात आज विवशता से प्रकट रूप से रखने के बाद किसी को विश्वसनीय नहीं लग रही थी!

अन्ना ने चांदनी से गरज कर कहा. ‘चुप चाप इधर से जाने का.तुम्हारा बकवास से इसको हम जिंदा नहीं छोड़ने का.’


इतने में लाइट गई. चारो और अंधेरा छा गया.

‘ये लाइट भी- मुट्टालटनम…!’ अन्ना अंधेरे में फिर जोर से दहाड़ कर बोला.

अचानक चांदनी के कान में किसी ने कहा. ‘चांदनी, मैं अजिंक्य, तुम्हारी कॉलेज फ्रेंड स्वीटी का भाई…’

चांदनी को याद नहीं आया की कौन स्वीटी! कौन अजिंक्य? उस अजिंक्य ने कान में आगे कहा. ‘लाइट गई है, यही मौका है, मैं तुम्हे यहां से बचा सकता हूं. चलो.खड़ी हो जाओ.’

चांदनी खड़ी हो गई. उस आदमी ने चांदनी का हाथ थामा और अंधेरे में उसे खींच कर चलने लगा.


चांदनी रुक गई. अजिंक्य ने कहा. ‘लाइट कभी भी आ सकती है, प्लीज़ जल्दी चलो…’

चांदनी ने कहा. ‘जुगल? उसे छोड़ कर मैं नहीं जाउंगी-’

‘ऑफकोर्स जुगल को भी भगा रहे है चांदनी, बाहर मिलेगा, अब चलो जल्दी-’


***

मोहिते का मित्र सुभाष सूरी जब कार ले कर जगदीश और शालिनी को लेने आया तब शालिनी जाते हुए बुवा को गले मिल कर शुक्रिया कहने लगी. बुवाने जगदीश से कहा. ‘तुम बहुत लापरवाह हो. अपने पैर में आज तुमने चोट लगवा कर इस लड़की को बहुत दुखी किया, बहुत रुलाया. ध्यान रहें ऐसा फिर मत करना…’

जगदीश बुवा के पैर छू कर बोला. ‘अब नहीं होगा ऐसा.आप बिलकुल चिंता न करें.’

अन्ना गणेशी हाउस

अंधेरे में किस खिड़की से कुड़वा कर वो अजिंक्य चांदनी को बाहर ले आया उसे समझ में नहीं आया. पर इस अनजान आदमी पर भरोसा कर के चांदनी बाहर तो आ गई. अजिंक्य ने उस इमारत के कंपाउंड में पार्क एक कार की डिक्की खोल कर चांदनी को कहा. ‘इसमें छिप जाओ. मैं थोड़ी देर में आता हूं, अभी हम निकल गए तो अन्ना को मुझ पर शक हो जाएगा…

‘पर जुगल, मेरा देवर ?’ चांदनी ने डिक्की में बैठते हुए पूछा.


‘उसे दूसरी कार में छिपाया है, पहले यहां से निकलते है…’ कह कर अजिंक्य ने डिक्की बंद कर दी.

***

सुभाष सूरी ने जगदीश से हाथ मिलाते हुए कहा. ‘मैं सुभाष. सुभाष सूरी, और ये मेरी वाइफ - तूलिका. बंड्या की बहन…. ‘

‘जी, हेलो…’ जगदीश ने कार को टिक कर खड़ी तूलिका से हंस कर हाथ जोड़ कर कहा. ‘आप मोहिते की बहन हो! अच्छा, ये शालिनी… ‘

फाइनली बुवा को बाय करते हुए चारो जन कार में बैठे. सुभाष ड्राइविंग सीट पर और उसके बगल में उसकी पत्नी तूलिका. पीछे की सीट पर जगदीश और शालिनी.

कार में बैठते हुए जगदीश की सोच और चेहरा - दोनों पर शिकन सी हो गई.

सोच में शिकन इसलिए की मोहिते ने बताया क्यों नहीं की सूरी उसका बहनोई है! उसने कहा की ‘मेरा कलीग सूरी उसकी वाइफ के साथ मुंबई जा रहा है…’ जब की उसने कहना चाहिए था की - मेरे बहन और बहनोई मुंबई जा रहे है…

और चेहरे पर शिकन इसलिए क्योंकि उसे अंडकोष में हल्का सा दर्द होने लगा था…

शालिनी ने चेहरे पर शिकन देख पूछा. ‘दर्द हो रहा है?’

‘हल्का सा… तुम फ़िक्र मत करो… ‘ जगदीश ने फीकी मुस्कान के साथ बैठते हुए कहा.

पर शालिनी टेन्स हो गई….

***


अन्ना गणेशी हाउस

लाइट आ गई पर जब अन्ना और जुगल ने देखा की चांदनी गायब है तो दोनों को झटका लगा.

‘ये औरत किधर !’ अन्ना ने बौखला कर अपने दोनों आदमीओं से पूछा.

वो दोनों भी हैरान थे.

अलबत्ता उन दो में से एक - अजिंक्य - हैरानी की एक्टिंग कर रहा था….


‘ये क्या नया लफड़ा है ? छोकरे लोग को बोलो - पोट्टी को ढूंढने का.’ अन्ना की आवाज में चीख , बौखलाहट और तनाव - सब शामिल था.

‘अन्ना मैं खुद भी जाता हूं ढूंढने… ज्यादा दूर नहीं गई होगी…’ अजिंक्य ने कहा.

अन्ना ने अजिंक्य को इशारे से जाने को कहा.

***

कार मुंबई की और बढ़ने लगी. सूरी कार ड्राइव करते हुए जगदीश के साथ बात कर रहा था. उसका स्वभाव बहुत बातूनी था. जगदीश छोटे छोटे जवाब दे रहा था. क्योंकि उसे बहुत बोलने की आदत नहीं थी और अंडकोष में हल्का सा दर्द शुरू हो गया था. उस दर्द की लकीर उसके चेहरे पर बनती जा रही थी. जगदीश की नजर कार के आगे के विंड स्क्रीन के बीचो बीच लगे ड्राइविंग मिरर में बार बार जा रही थी उस मिरर में से देखते हुए सुभाष जगदीश से बात कर रहा था और सुभाष की पत्नी और मोहिते की बहन तूलिका भी जगदीश को घूरे जा रही थी. जगदीश सुभाष की बातों को ‘हां - बराबर - सही है…’ जैसे जवाब देते हुए ‘यह तूलिका मुझे क्यों ताक रही है?’ यह भी सोच रहा था. शालिनी की नजर लगातार जगदीश के चेहरे पर थी और उसे समझ में आ रहा था की शायद जगदीश को दर्द फिर शुरू हो गया है.

शालिनी से रहा न गया. औरों के सामने पूछना जम नहीं रहा था सो उसने जगदीश को एसएमएस किया
: दर्द हो रहा है?

जगदीश मेसज पढ़ कर शालिनी की ओर देख हल्का सा मुस्कुराया और एसएमएस से जवाब दिया : हां, थोड़ा. टेंशन मत लो.

शालिनी ने तुरंत एसएमएस किया : कार रुकवाईऐ. वॉशरूम जा कर पेंटी निकाल दीजिये.

जवाब में जगदीश ने इशारे से शालिनी को धीरज रखने का इशारा किया.

शालिनी ने फिर एसएमएस किया
: अभी के अभी गाड़ी रुकवाईए…

जगदीश ने शालिनी को देखा, वो बहुत गुस्से में दिख रही थी.

जगदीश ने सुभाष से पूछा. ‘गाड़ी में पेट्रोल भरवाना है या टैंक फूल है?’

‘भरवाना है, अभी दो मिनिट में पेट्रोल पंप आएगा.’

जगदीश ने कहा. ‘ओके.’ और शालिनी की और देखा.

शालिनी कार की खिड़की के बाहर देखने लगी.

जगदीश ने फिर ड्राइवर मिरर में देखा तो तूलिका उसे ही देखे जा रही थी!

अब इसे क्या चाहिए होगा ! - जगदीश ने सोचा.

***

पूना - हाईवे

कार की डिक्की में परेशान चांदनी को बाहर से आवाज सुनाई दी.. ‘ तुम इस तरफ जाओ और तुम उस तरफ देखो - साली भाग कर जाऐगी कहां ? मैं कार ले के हाईवे पर ढूंढता हूं…’

और फिर कार शुरू होने की आवाज आई, कार चलने लगी, चांदनी का दिल धड़कने लगा : कौन है ये अजिंक्य? स्वीटी का भाई पर उसे स्वीटी नाम की अपनी कोई कॉलेज फ्रेंड याद नहीं आ रही थी! पर ये लड़का उसका नाम जानता है मतलब है तो कोई परिचित…
और क्या सिर्फ मैं भागी हूं इस जगह से? जुगल? क्या जुगल को नहीं भगाया? मुझे झूठ बोला ?

***

कार पेट्रोल पंप पर रुकी हुई थी. सुभाष पेट्रोल भरवा रहा था. जगदीश वॉशरूम गया था. कुछ देर में लौटा. शालिनी ने नजरो से पूछा : पेंटी निकाल दी ना ? जगदीश ने नजरो से ‘हां.’ कहा. शालिनी के चेहरे पर सुकून आया. पेट्रोल भरवा दिया गया. सुभाष ने कार स्टार्ट की. अचानक शालिनी ने कहा.

‘आप लोग बातें कीजिये मैं थोड़ा लेट जाती हूं…’

‘हां हां भाभी जी, आप आराम से सो जाइए, मुंबई को अभी बहुत देर है…’

और शालिनी जगदीश के घुटने पर सर रख कर लेट गई. जगदीश ने शालिनी को देखा. शालिनी ने जगदीश की और देखे बिना जेब से एक छोटी सी शीशी निकाली. और जगदीश को दिखाई. जगदीश ने शीशी हाथ में ले के देखा. शीशी में तेल था. जगदीश ने चौंक कर शालिनी को देखा.शालिनी मुस्कुराई और जगदीश के हाथों से शीशी ले ली और करवट बदल कर अपना चहेरा जगदीश के पेट की और किया और जगदीश के पेंट की ज़िप खोलने लगी…

***


अन्ना गणेशी हाउस

चांदनी के गायब होने से बौखलाए हुए अन्ना पर फोन आया. उसकी बेटी अस्पताल में बेहोश पड़ी थी. वहां से उसके आदमी का फोन था. टेन्स हो कर अन्ना ने फोन उठाया.

‘भेन होश में आया?’ धड़कते दिल के साथ अन्ना ने पूछा.

‘हां अन्ना होश आया… डॉक्टर बोला- अभी भी सीरियस है - पांच छे दिन इधर रखना पड़ेगा…’

‘होश आया!’ अन्ना इमोशनल हो आंखें मुण्ड कर बुदबुदाया : स्वामी मुरगन…. ! फिर आंखें खोल कर फोन पर बोला. ‘कुछ बोला कौन उसके साथ ऐसा किया?’

‘हां , बोली कुट्टी और उसका भाई था अन्ना…’

‘कुट्टी!’ अन्ना को आघात लगा. ‘कुट्टी इतना बड़ा धोखा दिया!’

‘अन्ना - कुट्टी को छोड़ेगा नहीं…’

पर अन्ना ने शोक में फोन काट दिया. कुट्टी उसका भरोसे का आदमी था. वो उसकी बहन के साथ ऐसा करेगा यह अन्ना सोच भी नहीं सकता था…

‘प्लीज़ मेरी बात सुनो…’ जुगल की आवाज अन्ना को सुनाई दी. और उसे ख़याल आया की ये आदमी को गलत ही पकड़ लिया है. पर अन्ना कुछ बोले उससे पहले एक लड़की की आवाज सुनाई दी-


‘ई का ? ससुर का नाती इंहा अपनी मैया का मुजरा लेत रहील बा !’

अचानक एक देहाती कपडे पहनी हुई एक देहाती लड़की उस हॉल में घुस आई और जुगल के सामने खड़ी हो कर कमर पर हाथ रख कर गुस्से में बोली.

अन्ना यह देख चौंक पड़ा. बाहर से अन्ना के दो आदमी दौड़ कर उस लड़की के पीछे आ गए और लड़की को पकड़ने आगे बढ़े. अन्ना ने उनको इशारे से रोक कर लड़की से पूछा. ‘कौन रे तुम ?’

‘ई मादरचोद से पूछो हम कौन ? ससुरा कल शराब पी कर हमरा मुंह काला किया और सुबह भाग गया…’

अन्ना का भेजा घूम गया. जुगल को देख उसने तिरस्कार से पूछा. ‘क्या आदमी है तुम? कितना लड़की के साथ सोता?’

जुगल को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है. लड़की ने अपने स्कर्ट की जेब से मोबाइल लगा कर कहा. ‘बापू, हम को मिल गया है… का करे? इंहा बैठ रहेल - अपने घरवालों के साथ…’

अन्ना ने तुरंत उस लड़की से कहा. ‘हम इसका घरवाला नहीं…’

पर लड़की फोन पर बिज़ी थी. ‘स्पीकर पर रखें? रुको…’ कह कर फोन का स्पीकर ऑन किया. और बोली. ‘हां बापू अब सब सुन सकते है, बोलो.’

‘उस कमीने के बाप को दे फोन…’ स्पीकर से किसी आदमी की आवाज़ आई.

लड़की ने अन्ना को फोन दिया.

अन्ना ने बोला ‘हम इसका बाप नहीं.’

‘बाप हो या चाचा… ई साला अब बचेगा नहीं, कान खोल कर सुन लो - हमार लड़की की इज्जत से खेलत रहा हराम का जना ? आज ही उसको हमार कजरी के साथ शादी करना होगा. आज और अभी…’

अन्ना ने यह सुन कर लड़की की और देखा.

‘कजरी को फोन दो…’

अन्ना ने लड़की को फोन दिया.

‘कजरी?’ स्पीकर से आवाज आई..

‘हां बापू.’

‘चक्कू घुसा दे उस मादर जात के पिल्ले के पिछवाड़े में…’

‘पर बापू.’

‘बोला वो कर पहले नहीं तो तेरी चमड़ी उधेड़ दूंगा… घुसा चक्कू उसकी गांड में-’

कजरी ने दूसरे हाथ से अपनी स्कर्ट की जेब से छोटासा चाक़ू निकाला. सब देखते रह गये. कजरी जुगल के पास गई और बोली.’खड़ा हो.’

जुगल कजरी को देखते हुए खड़ा हुआ. कजरी ने जुगल को आंख मारी. जुगल ने पहचाना : ये तो झनक है!

‘पतलून खोल.’

जुगल ने हाथ जोड़े. ‘मुझे माफ कर दो कजरी….’

‘पतलून उतार वर्ना फाड़ डालूंगी….’

जुगल ने पेंट खोल दी. कजरी बनी हुई झनक ने जुगल को पकड़ कर घुमाया. और उसकी अंडरवियर में नितंबो के बीच जोर से अपना चाक़ू घुसा दिया. जुगल दर्द के मारे चीख पड़ा. सब यह देख कर सख्ते में आ गये.

‘घुसा दिया बापू. चीख सुनी ना ?’

‘शाब्बाश, अब उस कमीने को लेकर आ - आज इसको तुझसे शादी करना पड़ेगा… लेके आ साले को घसीट कर और सुन - इंहा आने तक चाक़ू पिछवाड़े में घुसाये रखना -’

कजरी ने जुगल का कॉलर पकड़ा और बोला. ‘चल.’

जुगल एक हाथ से अपनी पेंट और दूसरे हाथ से अपने पीछे चक्कू घुसाया था वहां हाथ दबाये पीड़ा से कराहते हुए बोला. ‘कजरी माफ़ कर दे मुझे…’ और अन्ना को देख कर बोला. ‘कुछ बोलो इस लड़की को…’

‘हम कुछ नहीं बोलनेका. तुम चुपचाप जाने का. जाओ जाओ….’ अन्ना कुत्ते को भगा रहे हो उस तरह बोला.

और कजरी जुगल को कॉलर से पकड़ कर बाहर की ओर जाने लगी. जुगल एक हाथ अपने नितंबों पर दबाते हुए और दूसरे हाथ से अपना पेंट सम्भालते हुए धीरे धीरे कजरी के साथ जाने लगा. जाते जाते उसने अन्ना की और देखा. अन्ना ने तिरस्कार से ‘जाओ यहां से के’ मतलब में अपना हाथ झटका…

*****

जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली थी. शालिनी का हाथ उसके पेंट की पेंट की ज़िप में था. वो जगदीश के अंडकोष को हलके हाथो से मालिश कर रही थी…जगदीश ने अपनी कमर पर नैपकिन रख दिया था. ताकि शालिनी जो कर रही थी वो किसी को दिखे नहीं. जगदीश को बहुत राहत मिल रही थी…

अचानक सुभाष ने झटके के साथ कार स्लो कर दी…. और तूलिका के हाथ से पानी की बोतल का ढक्क्न उछल कर जगदीश के पैर के पास पड़ा. जगदीश वो ढक्क्न उठाने झुके उससे पहले उसकी कमर से नेपकिन निचे गिर पड़ा और बोतल का ढक्क्न लेने पीछे मूड कर झुकी हुई तूलिका ने देखा की शालिनी का हाथ जगदीश की पेंट की खुली हुई ज़िप में है… शालिनी का सर जगदीश के पेट की ओर था और वो अपने काम में खोई हुई थी. जगदीश ने तेजी से नैपकिन उठा कर शालिनी के हाथ को फिर ढक दिया. तूलिका ने बोतल का ढक्कन उठाया और जगदीश को देख मुस्कुराई और फिर मूड कर बैठ गई और बोतल से पानी पीते हुए ड्राइविंग मिरर से जगदीश को देखने लगी…


(२४ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
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Game888

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२४ – ये तो सोचा न था…( यह प्रकरण पुनः लिखा गया है)

मेरे पाठक मित्रों,

यह मेरी पहली इरोटिक कहानी है.

लिखने में अभी कच्चा हूं. गलती रह जाती है.

इस धारावाहिक का २४वां प्रकरण कल मैंने पोस्ट किया उस के बाद कुछ प्रतिक्रिया मिली जिससे मुझे समझ में आया की कुछ हिस्से मैंने ढीले छोड़ दिए है.

इसलिए इस प्रकरण को पुनः लिख कर पोस्ट कर रहा हूं.

आज रात तक अगला प्रकरण - २५ वा पोस्ट हो जाएगा…

उम्मीद है इस नए लेखक की गलतियों को आप उदार दिल से माफ़ करोगे-
इस प्रकरण में जो हिस्सा रिराइट किया है वो लाल अक्षरों में बोल्ड टाइप में है.

फिर एक बार सब से क्षमा मांगता हूं.

शुक्रिया -
AssNova
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Game888 शुक्रिया -Lib am ----मेरा कान पकड़ने के लिए…


[(२३ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

बुवा ने जगदीश और शालिनी को एक आसन पर बिठाया. और दोनों को कुमकुम से तिलक किया और कहा.

‘आप दोनों मेरे घर पाहुणे (अतिथि) बन कर आये ये माझा (मेरा) सौभाग्य. ईश्वर आप दोनों के प्रेम में सदा बढ़ौती करें. सदा आप दोनों तन और मन से एक दूसरे को समर्पित रहो और हमेशा एक दूसरे को इसी तरह प्यार करते रहो इस के लिए यह छोटी सी पूजा कर रही हूं मेरे बच्चों …’

जगदीश और शालिनी एक दूसरे को देखते रह गए…]



अन्ना गणेशी हाउस

उस औरत ने जुगल से कहा. ‘मैंने अपने कानों से सुना.’

‘क्या?’ जुगल ने पूछा. ‘मुझे रेप करते हुए सुना? रेप करते वक्त कोई देख सकता है. सुन कैसे सकता है? क्या बोल रही हो तुम?

‘तुम ने कल रात किसी लड़की के साथ सेक्स किया वो बात तुमने आज एक लड़की को बताया था वो मैंने सुना.’

जुगल को समझ में आया की झनक के साथ यह बात मैंने की थी वो शायद इस औरत ने सुनी है.

उसने पूछा. ‘तो?’

‘तो वो लड़की अन्ना की बहन थी. और क्या?’ उस औरत ने जुगल से कहा.

जुगल ने अन्ना से पूछा. ‘अच्छा तो जिससे मैंने बात की थी वो झनक आप की बहन है? गुड. बुलाओ उसे. उसे सब पता है.’

‘मुट्टालटनम…!’ अन्ना जोर से जुगल की ओर देख कर गुस्से से दहाड़ा. ‘ जो लड़की से तू बात किया वो नहीं, जो लड़की का तुम रेप किया वो मेरा भेन है.’

चांदनी और जुगल अन्ना की ऊँची आवाज से थोड़ा सहम गए. फिर जुगल ने कहा.

‘आप चीख कर बोलोगे उससे क्या होगा? मैं फिर आप को कह रहा हूं की मैंने कोई बलात्कार नहीं किया.’

‘तुम कल रात सेक्स किया?’ अन्ना ने जुगल को पूछा.

‘हां, किया.’

‘किसके साथ?’

जुगल चुप हो गया. चांदनी का दिल धड़कने लगा. जुगल बोला. ‘वो मुझे लगा की मेरी वाइफ है पर गलती से कोई और लड़की-’

‘मालुम. मैं पूछा वो लड़की कौन?’

‘नहीं पता.’

‘वो मेरा भेन.’

‘ये आप को किसने बोला? अगर मैंने रेप किया होता तो आपकी बहन मुझे रोकती नहीं ? मना नहीं करती?’

‘अबी मेरा भेन बेहोश. उसको होश आएगा तब मैं उसको पूछेगा वो क्या किया - तुम क्या किया - फिर तुम्हारा एकाउंट क्लियर. तुम्हारा लाइफ को एन्ड करनेका. समझ में आया?’

‘अन्ना, आप बात समझो. मेरे साथ आपकी बहन नहीं थी. कोई और था.’

‘तुम को क्या मालूम? तुम बोला तुम को नहीं पता कौन वो लड़की!

अन्ना की इस बात पर जुगल के पास कोई जवाब नहीं था.

***

पूजा संपन्न हुई.

फिर बुवा ने जगदीश और शालिनी को खाना परोसा.और दोनों के साथ बातें करने लगी.

‘इतनी सुंदर और सुशील बहु तुम को कहां मिली?’ बुवाने जगदीश से पूछा.

जगदीश ने शालिनी की और देखा और मुस्कुराया. शालिनी के गाल लाल हो गये.

***


अन्ना गणेशी हाउस

‘वो लड़की आपकी बहन नहीं थी ये मुझे पता है.’ चांदनी ने कहा.

‘इस को नहीं मालूम और तुम को मालूम?’ अन्ना ने अविश्वास के साथ पूछा. फिर आगे बोला. ‘तुम्हारा मरद का भाई को बचाने को तुम झूठ बोलता. हम को मालुम. तुम इडली खा लिया, अभी जाने का.’ और अपने आदमीओं की और देख कर कहा. ‘चक्कू, इस लेडीज़ को टेक्सी में बिठाने का.’ और चांदनी से कहा. ‘चलो. तुम अबी जाने का.’

‘और जुगल?’ चांदनी ने पूछा.

‘वो नहीं आने का. हम उसका अंतिम क्रिया करने का.’

‘आप समझते क्यों नहीं? कल रात जुगल के साथ जो लड़की थी उसे मैं जानती हूं. वो आप की बहन नहीं थी.’

अन्ना और जुगल दोनों ने चांदनी को आश्चर्य से देखा.

अन्ना ने कहा. ‘कौन था वो लड़की?’

‘मैंने कहा ना वो आपकी बहन नहीं थी…’

‘मुट्टालटनम…!’ अन्ना फिर जोर से दहाड़ कर बोला. ‘कौन था वो लड़की- बोलने का !’

‘वो मैं थी.’ चांदनी ने कहा और सुन कर सब शॉक्ड हो गये.

***

ग्यारह बजने में अभी दो घंटे की देर थी. शालिनी ने कहा.

‘दो घंटे आप सो जाओ. आप को आराम की जरूरत है. सूझन कम हो जायेगी.’

जगदीश कुछ जवाब दे उससे पहले उसका सेल फोन बजा. जगदीश ने देखा तो मोहिते था.

‘हां मोहिते?’ जगदीश ने फोन पर पूछा. मोहिते ने बताया की उसका दोस्त जो उनको मुंबई ले जाने वाला है वो जल्दी फ्री हो गया है. क्या आधे घंटे में आप लोग निकल सकते हो? जगदीश ने कहा. ‘हम तो तैयार है, पांच मिनट में निकल सकते है.’

मोहिते ने कहा की ‘ठीक है, तो सूरी आधे घंटे में आप लोगो को पिक अप करने आएगा.’

‘फाइन.’ कह कर जगदीश ने फोन काटा और शालिनी को कहा. ‘हम आधे घंटे में निकल रहे है.

‘ठीक है, आप कार में आराम कर लेना.’ शालिनी ने कहा और उठ कर बाहर जाते हुए बोली. ‘बुवा से बता देती हूं की जल्दी निकल रहे है...’

***


अन्ना गणेशी हाउस

‘छी…!’ अन्ना ने कहा. ‘तुम कितना नीच औरत ! अपना मरद का भाई को बचाने के लिए कितना गंदा झूठ बोलता!’

चांदनी को समझ में नहीं आया की अब जो सच है इस बात का अन्ना को कैसे यकीन दिलाये!

उसने जुगल की और देखा. जुगल भी कन्फ्यूज़्ड था.


चांदनी ने अन्ना से कहा. ‘कोई औरत ऐसी बात झूठ मुठ नहीं बोलती, किसी की जान लेने तक की बात हो रही है इसलिए यह शर्मनाक बात मुझे कहनी पड रही है-’

पर अन्ना कुछ बोले उससे पहले जुगल ने कहा. ‘भाभी, बस भी करो- मेरी जान जायेगी वो चलेगा पर आप ऐसी बातों से मुझे बचाने की कोशिश न करें प्लीज़…’

यह सुनकर चांदनी स्तब्ध रह गई, जो बात उसके लिए एक ऐसी गलती और एक ऐसा बदनसीब जिसे वो अपनी स्मृति से काट कर फेंक देना चाहती थी और जिसने एक लगातार रिसते जख्म की तरह उसका आत्म सम्मान घायल कर दिया था वो बात आज विवशता से प्रकट रूप से रखने के बाद किसी को विश्वसनीय नहीं लग रही थी!

अन्ना ने चांदनी से गरज कर कहा. ‘चुप चाप इधर से जाने का.तुम्हारा बकवास से इसको हम जिंदा नहीं छोड़ने का.’


इतने में लाइट गई. चारो और अंधेरा छा गया.

‘ये लाइट भी- मुट्टालटनम…!’ अन्ना अंधेरे में फिर जोर से दहाड़ कर बोला.

अचानक चांदनी के कान में किसी ने कहा. ‘चांदनी, मैं अजिंक्य, तुम्हारी कॉलेज फ्रेंड स्वीटी का भाई…’

चांदनी को याद नहीं आया की कौन स्वीटी! कौन अजिंक्य? उस अजिंक्य ने कान में आगे कहा. ‘लाइट गई है, यही मौका है, मैं तुम्हे यहां से बचा सकता हूं. चलो.खड़ी हो जाओ.’

चांदनी खड़ी हो गई. उस आदमी ने चांदनी का हाथ थामा और अंधेरे में उसे खींच कर चलने लगा.


चांदनी रुक गई. अजिंक्य ने कहा. ‘लाइट कभी भी आ सकती है, प्लीज़ जल्दी चलो…’

चांदनी ने कहा. ‘जुगल? उसे छोड़ कर मैं नहीं जाउंगी-’

‘ऑफकोर्स जुगल को भी भगा रहे है चांदनी, बाहर मिलेगा, अब चलो जल्दी-’


***

मोहिते का मित्र सुभाष सूरी जब कार ले कर जगदीश और शालिनी को लेने आया तब शालिनी जाते हुए बुवा को गले मिल कर शुक्रिया कहने लगी. बुवाने जगदीश से कहा. ‘तुम बहुत लापरवाह हो. अपने पैर में आज तुमने चोट लगवा कर इस लड़की को बहुत दुखी किया, बहुत रुलाया. ध्यान रहें ऐसा फिर मत करना…’

जगदीश बुवा के पैर छू कर बोला. ‘अब नहीं होगा ऐसा.आप बिलकुल चिंता न करें.’

अन्ना गणेशी हाउस

अंधेरे में किस खिड़की से कुड़वा कर वो अजिंक्य चांदनी को बाहर ले आया उसे समझ में नहीं आया. पर इस अनजान आदमी पर भरोसा कर के चांदनी बाहर तो आ गई. अजिंक्य ने उस इमारत के कंपाउंड में पार्क एक कार की डिक्की खोल कर चांदनी को कहा. ‘इसमें छिप जाओ. मैं थोड़ी देर में आता हूं, अभी हम निकल गए तो अन्ना को मुझ पर शक हो जाएगा…

‘पर जुगल, मेरा देवर ?’ चांदनी ने डिक्की में बैठते हुए पूछा.


‘उसे दूसरी कार में छिपाया है, पहले यहां से निकलते है…’ कह कर अजिंक्य ने डिक्की बंद कर दी.

***

सुभाष सूरी ने जगदीश से हाथ मिलाते हुए कहा. ‘मैं सुभाष. सुभाष सूरी, और ये मेरी वाइफ - तूलिका. बंड्या की बहन…. ‘

‘जी, हेलो…’ जगदीश ने कार को टिक कर खड़ी तूलिका से हंस कर हाथ जोड़ कर कहा. ‘आप मोहिते की बहन हो! अच्छा, ये शालिनी… ‘

फाइनली बुवा को बाय करते हुए चारो जन कार में बैठे. सुभाष ड्राइविंग सीट पर और उसके बगल में उसकी पत्नी तूलिका. पीछे की सीट पर जगदीश और शालिनी.

कार में बैठते हुए जगदीश की सोच और चेहरा - दोनों पर शिकन सी हो गई.

सोच में शिकन इसलिए की मोहिते ने बताया क्यों नहीं की सूरी उसका बहनोई है! उसने कहा की ‘मेरा कलीग सूरी उसकी वाइफ के साथ मुंबई जा रहा है…’ जब की उसने कहना चाहिए था की - मेरे बहन और बहनोई मुंबई जा रहे है…

और चेहरे पर शिकन इसलिए क्योंकि उसे अंडकोष में हल्का सा दर्द होने लगा था…

शालिनी ने चेहरे पर शिकन देख पूछा. ‘दर्द हो रहा है?’

‘हल्का सा… तुम फ़िक्र मत करो… ‘ जगदीश ने फीकी मुस्कान के साथ बैठते हुए कहा.

पर शालिनी टेन्स हो गई….

***


अन्ना गणेशी हाउस

लाइट आ गई पर जब अन्ना और जुगल ने देखा की चांदनी गायब है तो दोनों को झटका लगा.

‘ये औरत किधर !’ अन्ना ने बौखला कर अपने दोनों आदमीओं से पूछा.

वो दोनों भी हैरान थे.

अलबत्ता उन दो में से एक - अजिंक्य - हैरानी की एक्टिंग कर रहा था….


‘ये क्या नया लफड़ा है ? छोकरे लोग को बोलो - पोट्टी को ढूंढने का.’ अन्ना की आवाज में चीख , बौखलाहट और तनाव - सब शामिल था.

‘अन्ना मैं खुद भी जाता हूं ढूंढने… ज्यादा दूर नहीं गई होगी…’ अजिंक्य ने कहा.

अन्ना ने अजिंक्य को इशारे से जाने को कहा.

***

कार मुंबई की और बढ़ने लगी. सूरी कार ड्राइव करते हुए जगदीश के साथ बात कर रहा था. उसका स्वभाव बहुत बातूनी था. जगदीश छोटे छोटे जवाब दे रहा था. क्योंकि उसे बहुत बोलने की आदत नहीं थी और अंडकोष में हल्का सा दर्द शुरू हो गया था. उस दर्द की लकीर उसके चेहरे पर बनती जा रही थी. जगदीश की नजर कार के आगे के विंड स्क्रीन के बीचो बीच लगे ड्राइविंग मिरर में बार बार जा रही थी उस मिरर में से देखते हुए सुभाष जगदीश से बात कर रहा था और सुभाष की पत्नी और मोहिते की बहन तूलिका भी जगदीश को घूरे जा रही थी. जगदीश सुभाष की बातों को ‘हां - बराबर - सही है…’ जैसे जवाब देते हुए ‘यह तूलिका मुझे क्यों ताक रही है?’ यह भी सोच रहा था. शालिनी की नजर लगातार जगदीश के चेहरे पर थी और उसे समझ में आ रहा था की शायद जगदीश को दर्द फिर शुरू हो गया है.

शालिनी से रहा न गया. औरों के सामने पूछना जम नहीं रहा था सो उसने जगदीश को एसएमएस किया
: दर्द हो रहा है?

जगदीश मेसज पढ़ कर शालिनी की ओर देख हल्का सा मुस्कुराया और एसएमएस से जवाब दिया : हां, थोड़ा. टेंशन मत लो.

शालिनी ने तुरंत एसएमएस किया : कार रुकवाईऐ. वॉशरूम जा कर पेंटी निकाल दीजिये.

जवाब में जगदीश ने इशारे से शालिनी को धीरज रखने का इशारा किया.

शालिनी ने फिर एसएमएस किया
: अभी के अभी गाड़ी रुकवाईए…

जगदीश ने शालिनी को देखा, वो बहुत गुस्से में दिख रही थी.

जगदीश ने सुभाष से पूछा. ‘गाड़ी में पेट्रोल भरवाना है या टैंक फूल है?’

‘भरवाना है, अभी दो मिनिट में पेट्रोल पंप आएगा.’

जगदीश ने कहा. ‘ओके.’ और शालिनी की और देखा.

शालिनी कार की खिड़की के बाहर देखने लगी.

जगदीश ने फिर ड्राइवर मिरर में देखा तो तूलिका उसे ही देखे जा रही थी!

अब इसे क्या चाहिए होगा ! - जगदीश ने सोचा.

***

पूना - हाईवे

कार की डिक्की में परेशान चांदनी को बाहर से आवाज सुनाई दी.. ‘ तुम इस तरफ जाओ और तुम उस तरफ देखो - साली भाग कर जाऐगी कहां ? मैं कार ले के हाईवे पर ढूंढता हूं…’

और फिर कार शुरू होने की आवाज आई, कार चलने लगी, चांदनी का दिल धड़कने लगा : कौन है ये अजिंक्य? स्वीटी का भाई पर उसे स्वीटी नाम की अपनी कोई कॉलेज फ्रेंड याद नहीं आ रही थी! पर ये लड़का उसका नाम जानता है मतलब है तो कोई परिचित…
और क्या सिर्फ मैं भागी हूं इस जगह से? जुगल? क्या जुगल को नहीं भगाया? मुझे झूठ बोला ?

***

कार पेट्रोल पंप पर रुकी हुई थी. सुभाष पेट्रोल भरवा रहा था. जगदीश वॉशरूम गया था. कुछ देर में लौटा. शालिनी ने नजरो से पूछा : पेंटी निकाल दी ना ? जगदीश ने नजरो से ‘हां.’ कहा. शालिनी के चेहरे पर सुकून आया. पेट्रोल भरवा दिया गया. सुभाष ने कार स्टार्ट की. अचानक शालिनी ने कहा.

‘आप लोग बातें कीजिये मैं थोड़ा लेट जाती हूं…’

‘हां हां भाभी जी, आप आराम से सो जाइए, मुंबई को अभी बहुत देर है…’

और शालिनी जगदीश के घुटने पर सर रख कर लेट गई. जगदीश ने शालिनी को देखा. शालिनी ने जगदीश की और देखे बिना जेब से एक छोटी सी शीशी निकाली. और जगदीश को दिखाई. जगदीश ने शीशी हाथ में ले के देखा. शीशी में तेल था. जगदीश ने चौंक कर शालिनी को देखा.शालिनी मुस्कुराई और जगदीश के हाथों से शीशी ले ली और करवट बदल कर अपना चहेरा जगदीश के पेट की और किया और जगदीश के पेंट की ज़िप खोलने लगी…

***


अन्ना गणेशी हाउस

चांदनी के गायब होने से बौखलाए हुए अन्ना पर फोन आया. उसकी बेटी अस्पताल में बेहोश पड़ी थी. वहां से उसके आदमी का फोन था. टेन्स हो कर अन्ना ने फोन उठाया.

‘भेन होश में आया?’ धड़कते दिल के साथ अन्ना ने पूछा.

‘हां अन्ना होश आया… डॉक्टर बोला- अभी भी सीरियस है - पांच छे दिन इधर रखना पड़ेगा…’

‘होश आया!’ अन्ना इमोशनल हो आंखें मुण्ड कर बुदबुदाया : स्वामी मुरगन…. ! फिर आंखें खोल कर फोन पर बोला. ‘कुछ बोला कौन उसके साथ ऐसा किया?’

‘हां , बोली कुट्टी और उसका भाई था अन्ना…’

‘कुट्टी!’ अन्ना को आघात लगा. ‘कुट्टी इतना बड़ा धोखा दिया!’

‘अन्ना - कुट्टी को छोड़ेगा नहीं…’

पर अन्ना ने शोक में फोन काट दिया. कुट्टी उसका भरोसे का आदमी था. वो उसकी बहन के साथ ऐसा करेगा यह अन्ना सोच भी नहीं सकता था…

‘प्लीज़ मेरी बात सुनो…’ जुगल की आवाज अन्ना को सुनाई दी. और उसे ख़याल आया की ये आदमी को गलत ही पकड़ लिया है. पर अन्ना कुछ बोले उससे पहले एक लड़की की आवाज सुनाई दी-


‘ई का ? ससुर का नाती इंहा अपनी मैया का मुजरा लेत रहील बा !’

अचानक एक देहाती कपडे पहनी हुई एक देहाती लड़की उस हॉल में घुस आई और जुगल के सामने खड़ी हो कर कमर पर हाथ रख कर गुस्से में बोली.

अन्ना यह देख चौंक पड़ा. बाहर से अन्ना के दो आदमी दौड़ कर उस लड़की के पीछे आ गए और लड़की को पकड़ने आगे बढ़े. अन्ना ने उनको इशारे से रोक कर लड़की से पूछा. ‘कौन रे तुम ?’

‘ई मादरचोद से पूछो हम कौन ? ससुरा कल शराब पी कर हमरा मुंह काला किया और सुबह भाग गया…’

अन्ना का भेजा घूम गया. जुगल को देख उसने तिरस्कार से पूछा. ‘क्या आदमी है तुम? कितना लड़की के साथ सोता?’

जुगल को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है. लड़की ने अपने स्कर्ट की जेब से मोबाइल लगा कर कहा. ‘बापू, हम को मिल गया है… का करे? इंहा बैठ रहेल - अपने घरवालों के साथ…’

अन्ना ने तुरंत उस लड़की से कहा. ‘हम इसका घरवाला नहीं…’

पर लड़की फोन पर बिज़ी थी. ‘स्पीकर पर रखें? रुको…’ कह कर फोन का स्पीकर ऑन किया. और बोली. ‘हां बापू अब सब सुन सकते है, बोलो.’

‘उस कमीने के बाप को दे फोन…’ स्पीकर से किसी आदमी की आवाज़ आई.

लड़की ने अन्ना को फोन दिया.

अन्ना ने बोला ‘हम इसका बाप नहीं.’

‘बाप हो या चाचा… ई साला अब बचेगा नहीं, कान खोल कर सुन लो - हमार लड़की की इज्जत से खेलत रहा हराम का जना ? आज ही उसको हमार कजरी के साथ शादी करना होगा. आज और अभी…’

अन्ना ने यह सुन कर लड़की की और देखा.

‘कजरी को फोन दो…’

अन्ना ने लड़की को फोन दिया.

‘कजरी?’ स्पीकर से आवाज आई..

‘हां बापू.’

‘चक्कू घुसा दे उस मादर जात के पिल्ले के पिछवाड़े में…’

‘पर बापू.’

‘बोला वो कर पहले नहीं तो तेरी चमड़ी उधेड़ दूंगा… घुसा चक्कू उसकी गांड में-’

कजरी ने दूसरे हाथ से अपनी स्कर्ट की जेब से छोटासा चाक़ू निकाला. सब देखते रह गये. कजरी जुगल के पास गई और बोली.’खड़ा हो.’

जुगल कजरी को देखते हुए खड़ा हुआ. कजरी ने जुगल को आंख मारी. जुगल ने पहचाना : ये तो झनक है!

‘पतलून खोल.’

जुगल ने हाथ जोड़े. ‘मुझे माफ कर दो कजरी….’

‘पतलून उतार वर्ना फाड़ डालूंगी….’

जुगल ने पेंट खोल दी. कजरी बनी हुई झनक ने जुगल को पकड़ कर घुमाया. और उसकी अंडरवियर में नितंबो के बीच जोर से अपना चाक़ू घुसा दिया. जुगल दर्द के मारे चीख पड़ा. सब यह देख कर सख्ते में आ गये.

‘घुसा दिया बापू. चीख सुनी ना ?’

‘शाब्बाश, अब उस कमीने को लेकर आ - आज इसको तुझसे शादी करना पड़ेगा… लेके आ साले को घसीट कर और सुन - इंहा आने तक चाक़ू पिछवाड़े में घुसाये रखना -’

कजरी ने जुगल का कॉलर पकड़ा और बोला. ‘चल.’

जुगल एक हाथ से अपनी पेंट और दूसरे हाथ से अपने पीछे चक्कू घुसाया था वहां हाथ दबाये पीड़ा से कराहते हुए बोला. ‘कजरी माफ़ कर दे मुझे…’ और अन्ना को देख कर बोला. ‘कुछ बोलो इस लड़की को…’

‘हम कुछ नहीं बोलनेका. तुम चुपचाप जाने का. जाओ जाओ….’ अन्ना कुत्ते को भगा रहे हो उस तरह बोला.

और कजरी जुगल को कॉलर से पकड़ कर बाहर की ओर जाने लगी. जुगल एक हाथ अपने नितंबों पर दबाते हुए और दूसरे हाथ से अपना पेंट सम्भालते हुए धीरे धीरे कजरी के साथ जाने लगा. जाते जाते उसने अन्ना की और देखा. अन्ना ने तिरस्कार से ‘जाओ यहां से के’ मतलब में अपना हाथ झटका…

*****

जगदीश ने अपनी आंखें मूंद ली थी. शालिनी का हाथ उसके पेंट की पेंट की ज़िप में था. वो जगदीश के अंडकोष को हलके हाथो से मालिश कर रही थी…जगदीश ने अपनी कमर पर नैपकिन रख दिया था. ताकि शालिनी जो कर रही थी वो किसी को दिखे नहीं. जगदीश को बहुत राहत मिल रही थी…

अचानक सुभाष ने झटके के साथ कार स्लो कर दी…. और तूलिका के हाथ से पानी की बोतल का ढक्क्न उछल कर जगदीश के पैर के पास पड़ा. जगदीश वो ढक्क्न उठाने झुके उससे पहले उसकी कमर से नेपकिन निचे गिर पड़ा और बोतल का ढक्क्न लेने पीछे मूड कर झुकी हुई तूलिका ने देखा की शालिनी का हाथ जगदीश की पेंट की खुली हुई ज़िप में है… शालिनी का सर जगदीश के पेट की ओर था और वो अपने काम में खोई हुई थी. जगदीश ने तेजी से नैपकिन उठा कर शालिनी के हाथ को फिर ढक दिया. तूलिका ने बोतल का ढक्कन उठाया और जगदीश को देख मुस्कुराई और फिर मूड कर बैठ गई और बोतल से पानी पीते हुए ड्राइविंग मिरर से जगदीश को देखने लगी…


(२४ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Perfect ...... अब कहानी सही ट्रैक पर है , thank you sir
 

Strange Love

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Wah maza Aa Gaya...ab dekhte hai aage kya hota hai...jugal aur chandni ke beech bhu erotic scenes dikhao jaise jagdish aur shalini ke beech ho raha hai
 
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rakeshhbakshi

I respect you.
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Perfect ...... अब कहानी सही ट्रैक पर है , thank you sir
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धन्यवाद आपका.... :)
 
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