Vikash007
हम तेरे दीवाने हैं
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SuparItni sunder byakhya hindi me khi dekhne ko nhi milegi
SuparItni sunder byakhya hindi me khi dekhne ko nhi milegi
जी, अब देखें जुगल क्या कर पाता है—Ab ek or hero peda hoga jugal jo heroin ki jaan bachayge lekin dekhna hoga ki kese bachayga or heroin ko kis halat me bachayge janne ki liye kal ka intezar h
////vahin idhar tulika to kuchh jyada hi bada dhundh rahi hai,////![]()
amazing update hai rakeshhbakshi bhai,
ye jhanak to bahot hi pahunchi hui cheej nikli hai,
chandni ke paas bhi time par pahunch to gayi hai, lekin ye ajinkya kuchh jyada hi shana hai,
vahin idhar tulika to kuchh jyada hi bada dhundh rahi hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
जरूर. और बताइयेगा कि ठीक लग रहा है क्या?धन्यवाद, पढ़ के कॉमेंट्स देता हूं आज।
Thank you so much Rakesh brotherआप की बात समझता हूं - और मानता भी हूं - ऐसी इच्छा प्रकट करने के लिए आप का शुक्र गुजार हूं.
आप की किसी भी बात का बुरा लगने का कोई प्रश्न ही नहीं. आप बतौर पाठक अपनी बात रख रहे हो. यह आपका हक भी है और फ़र्ज़ भी -
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Rakesh Bhai२५ – ये तो सोचा न था…
[(२४ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
अचानक सुभाष ने झटके के साथ कार स्लो कर दी…. और तूलिका के हाथ से पानी की बोतल का ढक्क्न उछल कर जगदीश के पैर के पास पड़ा. जगदीश वो ढक्क्न उठाने झुके उससे पहले उसकी कमर से नेपकिन निचे गिर पड़ा और बोतल का ढक्क्न लेने पीछे मूड कर झुकी हुई तूलिका ने देखा की शालिनी का हाथ जगदीश की पेंट की खुली हुई ज़िप में है… शालिनी का सर जगदीश के पेट की ओर था और वो अपने काम में खोई हुई थी. जगदीश ने तेजी से नैपकिन उठा कर शालिनी के हाथ को फिर ढक दिया. तूलिका ने बोतल का ढक्कन उठाया और जगदीश को देख मुस्कुराई और फिर मूड कर बैठ गई और बोतल से पानी पीते हुए ड्राइविंग मिरर से जगदीश को देखने लगी…]
जुगल
अन्ना के घर से बाहर आने के बाद जुगल अपनी कार की ओर मुड़ते हुए बोला: ‘झनक अपनी कार यहां है. ‘
बाहर खड़े हुए अन्ना के आदमी के सामने झनक और जुगल ने अगुवा करने वाली, और अगुवा होनेवाला का अभिनय जारी रखा. कार स्टार्ट कर के १०० फुट की दूरी पर जा कर जुगल ने कार रोकी और अपना पेंट ठीक करते हुए झनक से कहा. ‘यार तेरे जैसी लड़की मैंने आज तक देखी नहीं…’
‘यु मीन कपडे पहने हुए भी मैं लाजवाब हूं ?’ झनक ने हंस कर पूछा.
‘यस. हर हाल में लाजवाब. क्या दिमाग लगाया- अन्ना ने तुरंत ही छोड़ दिया.’
‘शायद अन्ना को पता चल गया होगा की उसकी बहन का रेप किसने किया है..’
‘तुम को सब कैसे पता? तुम्हे कैसे पता की मुझे अन्ना ने यहां पकड़ रखा है?, ये कैसे पता की अन्ना की बहन का रेप हुआ है? और ये कैसे पता की वो रेप मैंने नहीं किसी और ने किया है?’
‘तुम यहां हो यह मुझे कैसे पता उसका जवाब मैं तुम्हे अभी नहीं दे सकती.’
‘मेरा पीछा कर रही थी?’
‘पीछा तो नहीं पर हां , तुम्हें ट्रैक कर रही थी.’
‘वो क्यों?’
‘बताउंगी. पर नथिंग पर्सनल -’
‘मतलब तुमको मुझसे प्यार हो गया है - ऐसा कुछ नहीं ना ?’
‘नहीं. पर हुआ भी हो तो क्या? टेंशन क्या है?’
‘झनक, मैं शादीशुदा हूं.’
‘तो?’
‘तो? मतलब…’ जुगल को सुझा नहीं की क्या बोलना.
‘ओके. शादीशुदा हो तो प्यार के लिए अवेलेबल नहीं...सिर्फ सेक्स कर सकते हो?’
‘क्या बोल रही हो?’
‘जो देखा था वो. वो तुम्हारी बीवी थी क्या?’
‘मैं वैसा आदमी नहीं हूं झनक, तुमको मैंने बताया था की उसे बीवी समझ के–’
‘ओके ओके, तुम जैसे बोरिंग आदमी का कुछ नहीं हो सकता.’
‘पर अन्ना की बहन के रेप के बारे में भी तुम जानती हो?’
‘कल रात मेरे नसीब में यही देखना लिखा था - कौन किस के साथ सेक्स कर रहा है..’
‘ओह!’
‘चलो, अपने बम्स पेंट में बांध दिए हो तो अब गाड़ी चलाओ.’
‘एक प्रॉब्लम अभी बाकी है झनक, मेरी भाभी के साथ मैं यहां लाया गया था. बीच में पांच मिनिट के लिए लाइट गई तो वो गायब हो गई.’
‘ओह! फोन लगाओ अपनी भाभी को-’
***
चांदनी
चांदनी जिस कार की डिक्की में थी उस कार को अजिंक्य ड्राइव कर रहा था. उसका सेलफोन बजा. ड्राइव करते हुए अजिंक्य ने फोन रिसीव किया.
‘हां अन्ना ? अब तक मिली नहीं वो… ढूंढ रहा हूं -’
‘मत ढूंढ. भेन के साथ बुरा किया वो कुट्टी. ये दोनों को भूल जाओ.’ - फोन पर अन्ना ने कहा.
‘ओके अन्ना. तो कुट्टी को उठाना है ?’
‘अभी नहीं. मैं बोलता. मैं बाद में फोन करता.’ कह कर अन्ना ने फोन काटा.
अजिंक्य के चेहरे पर मुस्कान आई.
चांदनी डिक्की में परेशान थी. और उसका फोन आउट ऑफ़ सिग्नल…
***
जगदीश
शालिनी की मुलायम उंगलियों से जगदीश के टेस्टिकल का मसाज चल ही रहा था. कार भी चल रही थी, सुभाष सूरी की बातें भी और तूलिका की ड्राइविंग मिरर से जगदीश के साथ नजरबाजी भी…
हाइवे पर एक होटल देखते हुए सुभाष ने कार स्लो करते हुए कहा. ‘चाय पीते है जगदीश - क्या बोलते हो?’
‘जरूर.’ कहते हुए जगदीश ने शालिनी की पीठ होले से थपथपाई. शालिनी सावधानी से अपना हाथ जगदीश पेंट से निकालते हुए उठ बैठी. और नेपकिन तले जगदीश ने पेंट की ज़िप ठीक से लगा दी.
कार रुकी. सुभाष बाहर निकला. शालिनी भी बाहर निकली. तूलिका बाहर निकल कर अपनी सीट पर झुक कर कुछ ढूंढ ने लगी. जगदीश ने बाहर निकलते हुए रुक कर सहज ही तूलिका से पूछा. ‘कुछ गिर गया है?’
‘हां, तूलिका ने मुस्कुराकर कहा. ‘मेरे बालो का क्लिप मिल नहीं रहा. देखो आप की तरफ गिरा है क्या ?’
जगदीश अपनी सीट के पास देखने लगा. अब तूलिका आगे की दो सीट के बिच से अपना सिर पीछे की सीट तक लाते हुए बोली. ‘ठीक से देखिए ना, दिख जाएगा… ‘
जगदीश ने तूलिका की ओर देखा. जिस तरह तूलिका झुकी हुई थी उसकी साडी का पल्लू निचे ढल चूका था और ब्लाउज़ की धार से उसके स्तन बहार छलक रहे थे. एक क्षण जगदीश की नजर उन स्तनों पर टिकी, तभी तूलिका ने पूछा. ‘दिखा ? देखिये न ठीक से बड़ा वाला क्लिप है….’ जगदीश ने चौंक कर तूलिका क्या बोल रही है - इस अचंभे के साथ उसकी और देखा तब तूलिका ने मुस्कुराकर कहा. ‘हाथ टटोलिए… शायद मिल जाये…’
जगदीश शॉक्ड हो गया.
बाहर राह देख रहे सुभाष ने कंटालते हुए कहा. ‘अग जाऊ दे, दुसऱ्या क्लिप नाही का तुझ कळे? (अब छोड़ो भी, दूसरा क्लिप नहीं है क्या तुम्हारे पास?)
शालिनी ने कहा. ‘अरे तूलिका दीदी, मेरे पास है बड़ी क्लिप… ‘
तूलिका ने पल्लू ठीक करते हुए कार से अपना सिर बाहर कर, कहा. ‘हां आपकी क्लिप भी बड़ी है…’ इतना बोल कर तब तक कार के बाहर आ चुके जगदीश को एक लुक दिया. जगदीश ने अपना मुंह फेर कर सुभाष से कहा. ‘चाय का आइडिया अच्छा है…चलो चाय पीते है.’
***
जुगल
‘भाभी का फोन नहीं लग रहा….’
‘नेटवर्क नहीं होगा.’ झनक ने जवाब दिया.
इतने में झनक का फोन बजा. : ‘हां पापा ?’
सामने पापाने जो कुछ कहा वो झनक ने सुना फिर इतना ही पूछा. ‘अभी? इसी वक्त? ओके? आप तस्वीर और डिटेल भेजिए.’
और फोन काट कर जुगल से कहा. ‘मुझे जाना होगा. अभी.’
‘पर झनक मुझे तुम्हारी हेल्प की जरूरत है, भाभी को ढूंढना है…’
‘ तुम ढूंढो, मैं तुम्हें एक घंटे में ज्वाइन करूंगी. पर अभी मैं रुक नहीं सकती.’
इतने में झनक के फोन में मेसेज का टोन बजा. झनक ने चेक किया. अजिंक्य की तस्वीर थी. फिर अजिंक्य का एड्रेस भी आया. झनक ने अजिंक्य की तस्वीर को ध्यान से निहारा. फिर जुगल से कहा. ‘सोरी जुगल. अर्जन्ट जाना होगा.पर मैं यह काम घंटे भर में निपटा लुंगी फिर तुम्हारी भाभी को ढूंढ़ लेंगे. डोंट वरी. उनका फोन नंबर मुझे भेज दो.’
‘फोन नंबर से तुम क्या करोगी?’
‘भेज दो जुगल. फ़ालतू सवाल मत करो.’
‘क्या तुम पापा से बोल नहीं सकती की अभी तुम नहीं सकती?’
‘नहीं बोल सकती.’
‘तुम क्या पापा की गुलाम हो?’
‘गुलाम नहीं, पापा की रखैल हूं.’
जुगल यह सुन शोक हो कर चुप हो गया. झनक ने कहा. ‘चलो गाड़ी स्टार्ट करो.’
‘मैं तुम्हारे साथ नहीं आऊंगा… मुझे मेरी भाभी का पता लगाना है…’
‘मैं तुम्हे साथ आने नहीं कह रही, मुझे थोड़ा आगे तक छोड़ दो. आगे मेरी गाडी खड़ी है. ‘
जुगल ने बेमन से अपनी कार स्टार्ट की. कुछ फिट कार आगे चलने पर एक कार और एक बाइक साइड में पार्क किये हुए दिखे. झनक ने वो देख कर कहा. ‘रोको, वो रही मेरी गाडी.’
जुगल ने कार रोकी. झनक कार से उतर कर जाने लगी. जुगल ने ऊंची आवाज में पूछा.
‘तुम्हारी गाड़ी कौनसी है? कार या बाइक?’
‘जो स्टार्ट हो जाये…’ कहते हुए झनक ने पहले बाइक ट्राई की. स्टार्ट हो गई. जुगल झनक को देखता रह गया. झनक बाइक मोड़ कर जुगल के पास आई. और बोली.
‘चल हैंडसम. मिलती हूं एक घंटे में.’
‘पक्का?’
‘घोंचू, तुम्हारे काम से नहीं मुझे अपने काम से मिलना है, इसलिए पक्का मिलूंगी.’
और जुगल कुछ बोले उससे पहले बाइक भगाते हुए तेजी से निकल गई. जुगल बाइक को जाती हुई देखता रह गया. उस बाकी की नंबर प्लेट के नीचे लिखा था : मजनू की घोड़ी. वो पढ़ते हुए जुगल ने सोचा : ये बाइक झनक की होगी? या ऐसे ही किसी की बाइक उठा कर चली गई!
***
चांदनी.
अजिंक्य ने कार अपने घर के कंपाउंड में ली. यह एक छोटा सा पुराने स्टाइल का बंगला था.
कार पार्क करके उसने डिक्की खोली. चांदनी बाहर निकली. अगल बगल देखते हुए उसने पूछा.
‘ये कहां आये है हम?’
‘मेरे घर. चलो. वो लोग जुगल को लेकर शायद पहुंच गए होंगे, हमारी राह देख रहे होंगे. आओ.’
कहते हुए वो घर की और बढ़ा. चांदनी का बदन डिक्की में सिकुड़ कर अकड़ गया था. उसने अपने हाथ पैर स्ट्रेच किये. पैर ज्यादा अकड़ गए थे, दोनों पैरो को चांदनी ने बारी बारी जोर से हिलाया. उसके एक पैर से उसकी पायल निकल के गिर पड़ी जिस पर उसका ध्यान नहीं गया. अजिंक्य ने अपने घर के दरवाजे के लॉक को खोलते हुए कहा. ‘चलो चांदनी, आ जाओ…’
चांदनी ने घर की और बढ़ते हुए कहा. ‘यहां तो कोई नहीं.’
‘बस आते ही होंगे. मैं फोन करता हूं. तुम बैठो तो…’
दोनों घर में दाखिल हुए. अजिंक्य ने घर का दरवाजा बंद कर दिया. चांदनी ने वो नहीं देखा. अजिंक्य ने फोन लगाया और बात की. ‘तुम लोग पहुंचे क्यों नहीं? ओके ओके. जुगल ठीक है? फाइन.’ फोन पर बात करते हुए उसने चांदनी को ‘सब ठीक’ के मतलब में अपना अंगूठा वेव किया. चांदनी को इस सुनकर, देख कर राहत हुई.
अजिंक्य ने फोन पर पूछा. ‘पंद्रह मिनिट? ठीक है आ जाओ.’ और फोन काट कर चांदनी से कहा. ‘पंद्रह मिनिट में वो लोग जुगल को ले कर आ जाएंगे.
इतने में चांदनी का फोन बजा. चांदनी ने फोन देखा. अजिंक्य टेन्स हो गया पर उसने सहज स्वर में पूछा. ‘किसका फोन है?’
‘पता नहीं.’ बोल क्र चांदनी रिसीव करने वाली थी की अजिंक्य ने कहा, ‘नहीं चांदनी मत उठाओ. रिस्की है…’
चांदनी सहम गई. फोन बजता रहा. फिर कट गया. अजिंक्य ने फोन चेक कर के कहा. ‘अच्छा हुआ नहीं उठाया, यह फोन अन्ना के आदमी का हो सकता है.’
चांदनी यह सुनकर डर गई.
अजिंक्य ने फोन चांदनी को देने के बजाय स्विच ऑफ़ करते हुए कहा. ‘कुछ देर फोन बंद रहने दो. प्लीज़.’ और फोन एक और रख दिया. और चांदनी से पूछा. ‘तुम क्या लोगी? चाय कोफ़ी?’
‘कुछ नहीं. जुगल आ जाए तो बस, हम लोग मुंबई निकल जाए…’
‘रिलेक्स, अब तुम खतरे से बाहर हो.’
‘थैंक्स अजिंक्य. सोरी पर मुझे तुम्हारी बहन स्वीटी याद ही नहीं आ रही… या फिर उसका घर का नाम स्वीट होगा और कॉलेज का नाम कोई और?’
अजिंक्य यह सुन कर हंस पड़ा और बोला. ‘नहीं नहीं, दरअसल बात कुछ और है. वो हुआ यूं की-’
तभी अजिंक्य के घर की डोर बेल बजी. अजिंक्य खड़ा होते हुए बोला.’लगता है जुगल आ गया.’
और दरवाजे के पास गया. चांदनी हॉल में बैठी थी. हॉल और घर के दरवाजे के बीच एक तीन फुट का बारामदा था और हॉल के दरवाजे पर पर्दा लगा था. सो दरवाजे पर कौन आया यह हॉल में से नहीं दीखता था.
अजिंक्य ने बारमदे में जा कर करीब पड़े टेबल पर से एक रिमोट उठाया और दरवाजा खोला. बाहर झनक खड़ी थी.
‘जी?’ अजिंक्य ने विवेक के साथ पूछा.
‘अजिंक्य?’ झनक ने पूछा.
‘जी हां. आप?’
‘तुम्हारी शामत.’ पलक झपकाए बिना झनक ने कहा.
‘हाव इंटरेस्टिंग ! मिस शामत, अंदर तो आइए…’ अजिंक्य दरवाजे हट कर झनक के आने का रास्ता छोड़ा.’
‘मैं आने नहीं, तुम्हें ले जाने आई हूं.’
‘माय प्लेज़र बेबी. ‘ अजिंक्य ने मुस्कुराकर कर कहा.
झनक ने दहलीज लांघ कर अंदर पैर रखा. तुरंत अजिंक्य ने अपने हाथ का रिमोट का बटन दबाया. झनक ने पैर रखा था वो हिस्सा खिसक गया. झनक ने संतुलन खोया और नीचे के हिस्से में धंस गई. अजिंक्य ने फिर रिमोट का बटन दबाया. झनक गिरी थी वो गेप फिर ठीक हो गया. रिमोट टेबल पर रख कर अजिंक्य हॉल में आया. और चांदनी से कहा.
‘जुगल नहीं आया, कोई और था.’
‘ओह.’ चांदनी ने कहा. ‘अजिंक्य मुझे प्यास लगी है, पानी दो ना…’
‘श्योर. ‘ कह कर अजिंक्य किचन जा कर पानी की बोतल ले आया.
पानी पी कर चांदनी ने पूछा. ‘हां, स्वीटी के बारे में तुम कुछ बता रहे थे.’
‘हां, मैं कह रहा था कि मैं स्वीटी का भाई नहीं हूं . इन फैक्ट तुम्हारी किसी भी सहेली का भाई नहीं हूं…’
चांदनी स्तब्ध हो गई. ‘तो फिर तुम मुझे कैसे जानते हो?’
‘चांदनी तुम नवी मुंबई की एम.सी. एम कॉलेज की स्टूडेंट हो.’
‘हां. तुम मेरी कॉलेज में थे?’ चांदनी टेन्स होने लगी.
‘तुम्हारी कॉलेज तो नहीं आता था पर तुम्हारी कॉलेज के बाहर कुछ मनचले नौ जवान खड़े हो कर कॉलेज की लड़कीओ को सताते थे वो याद है?
‘मतलब?’ चांदनी और टेन्स हो गई.
‘मैं उन मनचले लड़को में से एक था.’
‘फ़ालतू बातें जाने दो अजिंक्य, तुम मुझे यहां क्यों ले आये हो?’
‘डिटेल में बताऊं या शॉर्ट में?’
‘एक वाक्य में बताओ.’
‘तुम्हारी गांड की वजह से. चांदनी, यहां मैं तुम्हे तुम्हारी गांड की वजह से ले आया हूं.’
यह सुन चांदनी भौचक्की रह गई…
(२५ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश![]()
Congratulations Rajesh brother
दोस्तों,
यह कहानी २४ फरवरी को मैंने यहां पोस्ट करनी शुरू की.
आज बराबर एक महीना हो गया.
इस एक महीने में इस कहानी को आप लोगों ने बहुत सराहा… प्यार दिया. नया लेखक होने के बावजूद मुझे साथ दिया-
एक महीने में करीब ३५० टिप्पणियां, दो लाख, सत्तर हजार व्यू! प्रति प्रकरण के औसत दस हजार पाठक…!
बहुत शुक्रिया,
बड़ी महेरबानी….
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-ये तो सोचा न था….
bangla purano song