Kadak Londa Ravi
Roleplay Lover
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Wo hisse jo behad erotic Lage२८ – ये तो सोचा न था…
[(२७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
उन अदभुत नितंबों का कामुक मर्दन और उस स्त्री की योनि से टपकते हुए रस को देख जुगल ने भयंकर उत्तेजित होते हुए सोचा : नहीं चांदनी भाभी किसी अन्य पुरुष के साथ इस स्थिति में नहीं हो सकती. यह तो मजे ले रही है. भाभी इस तरह गालियां खाते हुए किसी पराये मर्द के साथ आनंद ले यह संभव ही नहीं.....
तभी अजिंक्य ने चांदनी के बाल पकड़ कर उसका चहेरा घुमाते हुए कहा -
‘आ...ह - क्या चीज है यार तू भी! ‘
जुगल को झटका लगा : अजिंक्य ने उस स्त्री के बाल थाम क्र मोड़ा हुआ चहेरा दिखा वो चांदनी भाभी का था…
उसने न आव देखा न ताव और—]
जुगल ने खिड़की से किचन के कमरे में छलांग लगाईं, और उसके पीछे झनक ने….
किचन से सटे कमरे में हॉल था और हॉल में चांदनी के साथ अजिंक्य खिलवाड़ कर रहा था….
किचन और हॉल के बीच दो फुट का तिरछा पैसेज था- वो पैसेज पार करने पर हॉल शुरू होता था.
चांदनी भाभी को इस स्थिति में देख जुगल के सर पर खून सवार हो गया था.
खिड़की से किचन में दाखिल हो जाने के बाद हॉल में जाने को मुश्किल से एक मिनिट लग सकता है.
पर पर पर…
यह एक मिनिट अचानक थम गई, फ्रिज हो गई. जुगल बूत बन गया, और उसके पीछे आती हुई झनक भी-
दोनों अचानक पुतले की तरह थम गये.
क्योंकि किचन और हॉल के दौरान के उस दो फुट के पैसेज में एक सांप का जोड़ा आपस में उलझा हुआ था. वो दो प्यार कर रहे थे या झगड़ रहे थे यह समझना मुश्किल था पर दोनों थे बहुत उत्तेजित और बड़े जोश में एक दूसरे के साथ लगे हुए थे.
जख मार कर जुगल को रुक जाना पड़ा. वो भौंचक्का हो कर इस मार्ग अवरोधक को देखता रुक गया.
जुगल क्यों अचानक रुक गया यह झनक को भी आश्चर्य हुआ, उसने जुगल की नजरो का पीछा करते हुए सांप युगल को देखा और उसने अपने मुंह से निकलने वाली चीख को जैसे तैसे रोका और इससे पहले की वो कुछ बोले उसने अपने दाहिने पैर पर कुछ महसूस किया… झनक ने अपने दाहिने पैर को देखा तो उसके होश उड़ गये... एक सांप उस पैर पर बल खाता हुआ चढ़ रहा था…
झनक ने डरते हुए अपने आगे पुतला बन खड़े हुए जुगल का हाथ थाम कर खींचा, जुगल ने झनक को देखा, झनक ने उसे अपने पैर की ओर इशारा किया. जुगल झनक के पैर पर सांप को चढ़ते हुए देख और परेशां हो गया. झनक को बहुत डर लग रहा था…उसमे अपना पैर झटक कर सांप को नीचे गिराने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी - कहीं सांप ने डस लिया तो?
झनक के पैर पर सांप इस तरह चढ़ रहा था जैसे किसी पेड़ की शाखा पर चढ़ रहा हो. झनक और जुगल अपनी सांस थामे उस सांप को पैर पर चढ़ते हुए देखते रहे… सांप झनक ने पहनी हुई जुगल की पेंट की जेब तक पहुंचा, फिर वो जेब में घुसा और जेब में उसने अपना आधा शरीर ले लिया… गोया वो पेंट की जेब न हो और किसी पेड़ में उसके रहने की मांद हो!
दूसरी और किचन और हॉल के बीच के पैसेज में उन दो सांपों की हरकतों में उग्रता आ गई और दोनों सांप उछल उछल कर एक दूजे से भिड़ने लगे…
जुगल और झनक को मजबूरन रुक जाना पड़ा. वो अब हिलने के भी काबिल नहीं रहे. सांप अत्यंत संवेदनशील जीव होता है - अगर उसे लगे की उसकी जान खतरे में है तो वो सुरक्षा के लिए डस सकता है.
एक एक पल जुगल को भारी पड़ रहा था, वो अजिंक्य को पकड़ कर पीटना चाहता था, चांदनी भाभी को इस त्रासदी से बचना चाहता था. पर-
क्या करना चाहिए ऐसी स्थिति में ? -अपने दिमाग में उभरते लावा को काबू में रख कर जुगल सोचने पर विवश हुआ.
अगर उसे एक मिनट मिल जाती - केवल एक मिनट- बस एक मिनट शांति से सोचने पर वो इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता था की अगर उसने स्फूर्ति से छलांग लगा कर किचन और हॉल के बीच का फासला तय कर लिया तो सांप से किसी तरह के खतरे के बिना हॉल में जाकर अजिंक्य को दबोच सकता है.
-जरूरत थी केवल उस एक मिनिट की स्वस्थता की.
पर जुगल की वो एक मिनिट स्वस्थ न रह सकी.
क्योंकि सांप के इस अनपेक्षित अवरोध ने जुगल और झनक को अगवा कर लिया था पर अजिंक्य तो पूरी तरह से मुक्त था अपनी मनमानी करने को. न तो उसे यह पता था की जुगल वहां आ गया है और उसे देख रहा है, न उसे सांप के बारे में पता था. इस वक्त अजिंक्य के लिए भोग का समय था. उसके सामने बिलकुल नग्न अवस्था में वो लड़की मौजूद थी जिसके लिए वो हमेशा तरसा था -
-और उस एक मिनिट में जो कुछ हुआ उसके गवाह बन कर जुगल का सारा क्रोध प्रश्नार्थक चिन्ह में बदल गया.
बगल के कमरे में कोई और उसकी हरकतों को देख रहा है उससे बेखबर अजिंक्य अपनी हवस के परवान पर था. चांदनी के नितंबों को बेरहमी से अपनी मुट्ठियों में कुचलते हुए उसने चांदनी से पूछा.
‘ये गांड के मस्त गोले किस के लिए है?’
‘आप के लिए है.’ चांदनी ने तुरंत जवाब दिया.
जिस त्वरा से चांदनी भाभी ने जवाब दिया वो सुन जुगल को एक आघात लगा, उसने झनक की ओर देखा. झनक क्या बोलती? बोलना तो वैसे भी दोनों के लिए ही संभव नहीं था - आवाज से सांप का ध्यान उनकी और जा सकता था…
जुगल अजीब असहायता महसूस करते हुए अजिंक्य की हरकते और चांदनी भाभी की प्रतिक्रिया देख रहा था.
जुगल ने देखा की अजिंक्य ने चांदनी भाभी के नितंब को फिर अपने हाथों में बेदर्दी से दबोचा और कहा.’तेरी गांड तो एकदम रांड जैसी है रे! इसे दबाओ तो साला चूत से पानी छूट रहा है देख–’
चांदनी की योनि से रस की धार बह रही थी. नीचे जमीन पर वो रस टपक रहा था - जो जुगल ने भी देखा और झनक ने भी.
‘साली हो गई न गरम तू भी लोडे की चाह में?’ अजिंक्य ने हंसते हुए पूछा.
जुगल इस अप्रत्याशित सच से बौखला कर अपनी आंखें मूंद गया : क्या यह सब चांदनी भाभी एन्जॉय कर रही है!
इस ख़याल से वो खौलने लगा…. कुछ देर पहले चांदनी भाभी का कमर से झुक झुक कर यह पूछना कि ‘अब ? ठीक से दिख रहा है…?’ – जुगल को याद आया, क्या इतनी सहजता से भाभी अपनी योनि किसी को दिखा सकती है? जब किसी पर जबरदस्ती हो रही हो तो वो क्या इतनी दिलचस्पी या आतुरता से पूछता है की - ‘अब ? ठीक से दिख रहा है…?’ अजिंक्य की हरकतों से भाभी की योनि से पानी छूट रहा है! मतलब ? उसका भेजा आग पर रखी हांड़ी की तरह उबलने लगा…
हताशा, क्रोध, अपमान बोध और विवशता के प्रचंड मिश्र भाव से वो खड़ा खड़ा बेहोश हो गया या जो भी देख सुन और सोच रहा था उसमे इतना उलझ गया की समय का उसे भान ही नहीं रहा….
अचानक अजिंक्य की आवाज से उसके विचार टूटे. उसने आंखें खोली तो अजिंक्य के हाथ में रंग थे. अजिंक्य कब और कहां से रंग लाया यह जुगल को समझ में नहीं आया. होली खेलने वाले रंग ले कर अजिंक्य क्या करना चाहता होगा ?
अजिंक्य चांदनी के नितंबों पर रंग मलते हुए बोला.
‘मेरी गांड सुंदरी, इस गांड के प्यार में मैंने एक गाना बनाया है सुन -’
और ‘ भीगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा’ गाने की तर्ज पर अजिंक्य चांदनी के नितंबों को रंग लगाते हुए गाने लगा…:
प्यारी गांड तेरी
प्यासा लंड मेरा
लगे मक्खन सा
मुझे तन तेरा
झटके ऐसे तू दे
सभी के तन जाये
कभी मेरे साथ
खोल ये दो गुब्बार
हाय रे सुबह तक
गांड से करू प्यार
वो…ओ ..ओ ..ओह…हो…
यह सब जुगल के लिए नाकाबिले बर्दाश्त हो गया- अचानक पैसेज में पड़े सांपों को बिसर कर वो हॉल में कूदा और अजिंक्य को गरदन में दबोच कर बोला : ‘हरामजादे !’
जुगल के पीछे झनक भी छलांग पार कर उस सांपों को पार कर के आई, और अजिंक्य के सामने खड़ी हो गई.
अचानक इन दोनों को देख अजिंक्य बौखला गया. जुगल अंडरवियर और बनियान में था और झनक पेंट शर्ट में, अजिंक्य कुछ बोलने गया इतने में उसकी नजर झनक की पेंट की जेब में लटकते हुए सांप पर गई और वो दिग्मूढ़ हो गया. जुगल ने अजिंक्य को भयंकर जोश के साथ एक झापड़ लगाईं, अजिंक्य जमीन पर गिर गया. जुगल को इतना गुस्सा आ रहा था की अजिंक्य को क्या करें यह उसे सूझ नहीं रहा था, इतने में उसकी नजर झनक की पेंट की जेब में लटकते सांप पर गई, क्रोध में होश खो कर जुगल ने उस सांप के जेब के बाहर लटकते हिस्से को पकड़ कर बाहर खिंचा और गोया वो सांप न हो बल्कि हंटर हो उस तरह उस सांप से अजिंक्य को फटके मारने लगा. जुगल को इस तरह सांप से मारते हुए देख अजिंक्य इतना आतंकित हो गया की उसका पेशाब छूट गया. उसे अपने बचाव के लिए गिड़गिड़ाना भी सूझ नहीं रहा था. तीन चार फटके के बाद सांप जुगल के हाथ से सरक गया पर वो भी अधमरा हो गया था सो सरक कर अजिंक्य की छाती पर गिर पड़ा. , जुगल अब पागलो की तरह जमीं पर पड़े अजिंक्य को लातें मारने लगा. अजिंक्य को लगा की वो पगला जाएगा. जुगल भयंकर क्रोध में उसे मारे जा रहा था और उसकी छाती पर अधमरा सांप पड़ा था… झनक ने जुगल को कहा. ‘जुगल एक मिनट… ‘ पर जुगल के सर पर जैसे भूत सवार था, वो बिना किसी विचार या तर्क के बस अजिंक्य को मारे जा रहा था. झनक ने जुगल को पीछे से बांहों में जकड़ कार रोकना चाहा, जुगल झनक की इस हरकत से एक पल के लिए रुका, अजिंक्य डर और अपराध बोध से ऐसा सुन्न हो गया था की उफ्फ तक नहीं कर पा रहा था और जुगल को इतना क्रोध आ रहा था की उसे लगा वो फट पड़ेगा, ऐसे में जब झनक ने उसको पीछे से बांहो में ले जकड़ कर रोका तब वो पागल हाथी की तरह दहाड़ा - तभी अजिंक्य के लिंग पर उसकी नजर गई जो अभी उसकी पेंट की ज़िप के बाहर मुरझा कर लटक रहा था - जिसे अंदर करने का अजिंक्य को मौका ही नहीं मिला था… उस लिंग को देखते हुए जुगल को फिर क्रोध का एक बड़ा एटेक आया और अपने दोनों पैरो से उछाल कर जुगल उस लिंग पर यूं कूदा जैसे वो अजिंक्य के लिंग को कूट कूट कर पीस डालना चाहता हो - अजिंक्य के मुंह से इस अप्रत्याशित आघात से जानलेवा चीख निकल गई और मारे पीड़ा के वो बेहोश हो गया... फिर भी जुगल उसे लातें मारता रहा, अंतत: झनक ने जुगल को जोरो से धकेल कर गिरा दिया और कहा. ‘बस करो जुगल, वो बेहोश हो गया है - मर जाएगा...’
‘तो मर जाने दो मादर चोद को-’ जुगल ने दहाड़ कर कहा.
‘अब अगर अजिंक्य को तुमने छुआ तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगी.’ झनक ने जुगल से भी ऊंची आवाज में चेतावनी दी.
जुगल एक क्षण के लिए सहम गया पर वो आगे कुछ बोले उससे पहले चांदनी की आवाज सुनाई दी…
‘मेरे पैर दर्द कर रहे है… प्लीज़ आइए ना !’
जुगल और झनक ने यह सुन कर चौंकते हुए चांदनी की ओर देखा. इस अफरा तफरी में वे दोनों का ध्यान अजिंक्य पर ही था, चांदनी की ओर देखा भी नहीं था…
चांदनी अब भी सोफे को दोनों हाथ से थाम कर अपने नितंब ऊंचे उठाये हुए योनि दिखा रही थी और विनती कर रही थी. ‘... प्लीज़, पापा… आई एम बेड गर्ल…मुझे पनीश कीजिए...अब आइए ना...’
जुगल और झनक चांदनी की इस स्थिति और ऐसी बात सुनकर हक्के बक्के रह गए…
(२८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश![]()
चांदनी वाकई में अपने पास्ट के खौफ में चली गई थी। अब जुगल क्या करेगा क्या वो चांदनी को समझेगा या उसका फायदा उठाएगा? सुंदर अपडेट।२८ – ये तो सोचा न था…
[(२७ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
उन अदभुत नितंबों का कामुक मर्दन और उस स्त्री की योनि से टपकते हुए रस को देख जुगल ने भयंकर उत्तेजित होते हुए सोचा : नहीं चांदनी भाभी किसी अन्य पुरुष के साथ इस स्थिति में नहीं हो सकती. यह तो मजे ले रही है. भाभी इस तरह गालियां खाते हुए किसी पराये मर्द के साथ आनंद ले यह संभव ही नहीं.....
तभी अजिंक्य ने चांदनी के बाल पकड़ कर उसका चहेरा घुमाते हुए कहा -
‘आ...ह - क्या चीज है यार तू भी! ‘
जुगल को झटका लगा : अजिंक्य ने उस स्त्री के बाल थाम क्र मोड़ा हुआ चहेरा दिखा वो चांदनी भाभी का था…
उसने न आव देखा न ताव और—]
जुगल ने खिड़की से किचन के कमरे में छलांग लगाईं, और उसके पीछे झनक ने….
किचन से सटे कमरे में हॉल था और हॉल में चांदनी के साथ अजिंक्य खिलवाड़ कर रहा था….
किचन और हॉल के बीच दो फुट का तिरछा पैसेज था- वो पैसेज पार करने पर हॉल शुरू होता था.
चांदनी भाभी को इस स्थिति में देख जुगल के सर पर खून सवार हो गया था.
खिड़की से किचन में दाखिल हो जाने के बाद हॉल में जाने को मुश्किल से एक मिनिट लग सकता है.
पर पर पर…
यह एक मिनिट अचानक थम गई, फ्रिज हो गई. जुगल बूत बन गया, और उसके पीछे आती हुई झनक भी-
दोनों अचानक पुतले की तरह थम गये.
क्योंकि किचन और हॉल के दौरान के उस दो फुट के पैसेज में एक सांप का जोड़ा आपस में उलझा हुआ था. वो दो प्यार कर रहे थे या झगड़ रहे थे यह समझना मुश्किल था पर दोनों थे बहुत उत्तेजित और बड़े जोश में एक दूसरे के साथ लगे हुए थे.
जख मार कर जुगल को रुक जाना पड़ा. वो भौंचक्का हो कर इस मार्ग अवरोधक को देखता रुक गया.
जुगल क्यों अचानक रुक गया यह झनक को भी आश्चर्य हुआ, उसने जुगल की नजरो का पीछा करते हुए सांप युगल को देखा और उसने अपने मुंह से निकलने वाली चीख को जैसे तैसे रोका और इससे पहले की वो कुछ बोले उसने अपने दाहिने पैर पर कुछ महसूस किया… झनक ने अपने दाहिने पैर को देखा तो उसके होश उड़ गये... एक सांप उस पैर पर बल खाता हुआ चढ़ रहा था…
झनक ने डरते हुए अपने आगे पुतला बन खड़े हुए जुगल का हाथ थाम कर खींचा, जुगल ने झनक को देखा, झनक ने उसे अपने पैर की ओर इशारा किया. जुगल झनक के पैर पर सांप को चढ़ते हुए देख और परेशां हो गया. झनक को बहुत डर लग रहा था…उसमे अपना पैर झटक कर सांप को नीचे गिराने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी - कहीं सांप ने डस लिया तो?
झनक के पैर पर सांप इस तरह चढ़ रहा था जैसे किसी पेड़ की शाखा पर चढ़ रहा हो. झनक और जुगल अपनी सांस थामे उस सांप को पैर पर चढ़ते हुए देखते रहे… सांप झनक ने पहनी हुई जुगल की पेंट की जेब तक पहुंचा, फिर वो जेब में घुसा और जेब में उसने अपना आधा शरीर ले लिया… गोया वो पेंट की जेब न हो और किसी पेड़ में उसके रहने की मांद हो!
दूसरी और किचन और हॉल के बीच के पैसेज में उन दो सांपों की हरकतों में उग्रता आ गई और दोनों सांप उछल उछल कर एक दूजे से भिड़ने लगे…
जुगल और झनक को मजबूरन रुक जाना पड़ा. वो अब हिलने के भी काबिल नहीं रहे. सांप अत्यंत संवेदनशील जीव होता है - अगर उसे लगे की उसकी जान खतरे में है तो वो सुरक्षा के लिए डस सकता है.
एक एक पल जुगल को भारी पड़ रहा था, वो अजिंक्य को पकड़ कर पीटना चाहता था, चांदनी भाभी को इस त्रासदी से बचना चाहता था. पर-
क्या करना चाहिए ऐसी स्थिति में ? -अपने दिमाग में उभरते लावा को काबू में रख कर जुगल सोचने पर विवश हुआ.
अगर उसे एक मिनट मिल जाती - केवल एक मिनट- बस एक मिनट शांति से सोचने पर वो इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता था की अगर उसने स्फूर्ति से छलांग लगा कर किचन और हॉल के बीच का फासला तय कर लिया तो सांप से किसी तरह के खतरे के बिना हॉल में जाकर अजिंक्य को दबोच सकता है.
-जरूरत थी केवल उस एक मिनिट की स्वस्थता की.
पर जुगल की वो एक मिनिट स्वस्थ न रह सकी.
क्योंकि सांप के इस अनपेक्षित अवरोध ने जुगल और झनक को अगवा कर लिया था पर अजिंक्य तो पूरी तरह से मुक्त था अपनी मनमानी करने को. न तो उसे यह पता था की जुगल वहां आ गया है और उसे देख रहा है, न उसे सांप के बारे में पता था. इस वक्त अजिंक्य के लिए भोग का समय था. उसके सामने बिलकुल नग्न अवस्था में वो लड़की मौजूद थी जिसके लिए वो हमेशा तरसा था -
-और उस एक मिनिट में जो कुछ हुआ उसके गवाह बन कर जुगल का सारा क्रोध प्रश्नार्थक चिन्ह में बदल गया.
बगल के कमरे में कोई और उसकी हरकतों को देख रहा है उससे बेखबर अजिंक्य अपनी हवस के परवान पर था. चांदनी के नितंबों को बेरहमी से अपनी मुट्ठियों में कुचलते हुए उसने चांदनी से पूछा.
‘ये गांड के मस्त गोले किस के लिए है?’
‘आप के लिए है.’ चांदनी ने तुरंत जवाब दिया.
जिस त्वरा से चांदनी भाभी ने जवाब दिया वो सुन जुगल को एक आघात लगा, उसने झनक की ओर देखा. झनक क्या बोलती? बोलना तो वैसे भी दोनों के लिए ही संभव नहीं था - आवाज से सांप का ध्यान उनकी और जा सकता था…
जुगल अजीब असहायता महसूस करते हुए अजिंक्य की हरकते और चांदनी भाभी की प्रतिक्रिया देख रहा था.
जुगल ने देखा की अजिंक्य ने चांदनी भाभी के नितंब को फिर अपने हाथों में बेदर्दी से दबोचा और कहा.’तेरी गांड तो एकदम रांड जैसी है रे! इसे दबाओ तो साला चूत से पानी छूट रहा है देख–’
चांदनी की योनि से रस की धार बह रही थी. नीचे जमीन पर वो रस टपक रहा था - जो जुगल ने भी देखा और झनक ने भी.
‘साली हो गई न गरम तू भी लोडे की चाह में?’ अजिंक्य ने हंसते हुए पूछा.
जुगल इस अप्रत्याशित सच से बौखला कर अपनी आंखें मूंद गया : क्या यह सब चांदनी भाभी एन्जॉय कर रही है!
इस ख़याल से वो खौलने लगा…. कुछ देर पहले चांदनी भाभी का कमर से झुक झुक कर यह पूछना कि ‘अब ? ठीक से दिख रहा है…?’ – जुगल को याद आया, क्या इतनी सहजता से भाभी अपनी योनि किसी को दिखा सकती है? जब किसी पर जबरदस्ती हो रही हो तो वो क्या इतनी दिलचस्पी या आतुरता से पूछता है की - ‘अब ? ठीक से दिख रहा है…?’ अजिंक्य की हरकतों से भाभी की योनि से पानी छूट रहा है! मतलब ? उसका भेजा आग पर रखी हांड़ी की तरह उबलने लगा…
हताशा, क्रोध, अपमान बोध और विवशता के प्रचंड मिश्र भाव से वो खड़ा खड़ा बेहोश हो गया या जो भी देख सुन और सोच रहा था उसमे इतना उलझ गया की समय का उसे भान ही नहीं रहा….
अचानक अजिंक्य की आवाज से उसके विचार टूटे. उसने आंखें खोली तो अजिंक्य के हाथ में रंग थे. अजिंक्य कब और कहां से रंग लाया यह जुगल को समझ में नहीं आया. होली खेलने वाले रंग ले कर अजिंक्य क्या करना चाहता होगा ?
अजिंक्य चांदनी के नितंबों पर रंग मलते हुए बोला.
‘मेरी गांड सुंदरी, इस गांड के प्यार में मैंने एक गाना बनाया है सुन -’
और ‘ भीगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा’ गाने की तर्ज पर अजिंक्य चांदनी के नितंबों को रंग लगाते हुए गाने लगा…:
प्यारी गांड तेरी
प्यासा लंड मेरा
लगे मक्खन सा
मुझे तन तेरा
झटके ऐसे तू दे
सभी के तन जाये
कभी मेरे साथ
खोल ये दो गुब्बार
हाय रे सुबह तक
गांड से करू प्यार
वो…ओ ..ओ ..ओह…हो…
यह सब जुगल के लिए नाकाबिले बर्दाश्त हो गया- अचानक पैसेज में पड़े सांपों को बिसर कर वो हॉल में कूदा और अजिंक्य को गरदन में दबोच कर बोला : ‘हरामजादे !’
जुगल के पीछे झनक भी छलांग पार कर उस सांपों को पार कर के आई, और अजिंक्य के सामने खड़ी हो गई.
अचानक इन दोनों को देख अजिंक्य बौखला गया. जुगल अंडरवियर और बनियान में था और झनक पेंट शर्ट में, अजिंक्य कुछ बोलने गया इतने में उसकी नजर झनक की पेंट की जेब में लटकते हुए सांप पर गई और वो दिग्मूढ़ हो गया. जुगल ने अजिंक्य को भयंकर जोश के साथ एक झापड़ लगाईं, अजिंक्य जमीन पर गिर गया. जुगल को इतना गुस्सा आ रहा था की अजिंक्य को क्या करें यह उसे सूझ नहीं रहा था, इतने में उसकी नजर झनक की पेंट की जेब में लटकते सांप पर गई, क्रोध में होश खो कर जुगल ने उस सांप के जेब के बाहर लटकते हिस्से को पकड़ कर बाहर खिंचा और गोया वो सांप न हो बल्कि हंटर हो उस तरह उस सांप से अजिंक्य को फटके मारने लगा. जुगल को इस तरह सांप से मारते हुए देख अजिंक्य इतना आतंकित हो गया की उसका पेशाब छूट गया. उसे अपने बचाव के लिए गिड़गिड़ाना भी सूझ नहीं रहा था. तीन चार फटके के बाद सांप जुगल के हाथ से सरक गया पर वो भी अधमरा हो गया था सो सरक कर अजिंक्य की छाती पर गिर पड़ा. , जुगल अब पागलो की तरह जमीं पर पड़े अजिंक्य को लातें मारने लगा. अजिंक्य को लगा की वो पगला जाएगा. जुगल भयंकर क्रोध में उसे मारे जा रहा था और उसकी छाती पर अधमरा सांप पड़ा था… झनक ने जुगल को कहा. ‘जुगल एक मिनट… ‘ पर जुगल के सर पर जैसे भूत सवार था, वो बिना किसी विचार या तर्क के बस अजिंक्य को मारे जा रहा था. झनक ने जुगल को पीछे से बांहों में जकड़ कार रोकना चाहा, जुगल झनक की इस हरकत से एक पल के लिए रुका, अजिंक्य डर और अपराध बोध से ऐसा सुन्न हो गया था की उफ्फ तक नहीं कर पा रहा था और जुगल को इतना क्रोध आ रहा था की उसे लगा वो फट पड़ेगा, ऐसे में जब झनक ने उसको पीछे से बांहो में ले जकड़ कर रोका तब वो पागल हाथी की तरह दहाड़ा - तभी अजिंक्य के लिंग पर उसकी नजर गई जो अभी उसकी पेंट की ज़िप के बाहर मुरझा कर लटक रहा था - जिसे अंदर करने का अजिंक्य को मौका ही नहीं मिला था… उस लिंग को देखते हुए जुगल को फिर क्रोध का एक बड़ा एटेक आया और अपने दोनों पैरो से उछाल कर जुगल उस लिंग पर यूं कूदा जैसे वो अजिंक्य के लिंग को कूट कूट कर पीस डालना चाहता हो - अजिंक्य के मुंह से इस अप्रत्याशित आघात से जानलेवा चीख निकल गई और मारे पीड़ा के वो बेहोश हो गया... फिर भी जुगल उसे लातें मारता रहा, अंतत: झनक ने जुगल को जोरो से धकेल कर गिरा दिया और कहा. ‘बस करो जुगल, वो बेहोश हो गया है - मर जाएगा...’
‘तो मर जाने दो मादर चोद को-’ जुगल ने दहाड़ कर कहा.
‘अब अगर अजिंक्य को तुमने छुआ तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगी.’ झनक ने जुगल से भी ऊंची आवाज में चेतावनी दी.
जुगल एक क्षण के लिए सहम गया पर वो आगे कुछ बोले उससे पहले चांदनी की आवाज सुनाई दी…
‘मेरे पैर दर्द कर रहे है… प्लीज़ आइए ना !’
जुगल और झनक ने यह सुन कर चौंकते हुए चांदनी की ओर देखा. इस अफरा तफरी में वे दोनों का ध्यान अजिंक्य पर ही था, चांदनी की ओर देखा भी नहीं था…
चांदनी अब भी सोफे को दोनों हाथ से थाम कर अपने नितंब ऊंचे उठाये हुए योनि दिखा रही थी और विनती कर रही थी. ‘... प्लीज़, पापा… आई एम बेड गर्ल…मुझे पनीश कीजिए...अब आइए ना...’
जुगल और झनक चांदनी की इस स्थिति और ऐसी बात सुनकर हक्के बक्के रह गए…
(२८ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश![]()
Wo hisse jo behad erotic Lage
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प्यारी गांड तेरी
प्यासा लंड मेरा
लगे मक्खन सा
मुझे तन तेरा
झटके ऐसे तू दे
सभी के तन जाये
कभी मेरे साथ
खोल ये दो गुब्बार
हाय रे सुबह तक
गांड से करू प्यार
वो…ओ ..ओ ..ओह…हो…
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‘ये गांड के मस्त गोले किस के लिए है?’
‘आप के लिए है.’
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मेरे पैर दर्द कर रहे है… प्लीज़ आइए ना !’
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प्लीज़, पापा… आई एम बेड गर्ल…मुझे पनीश कीजिए...अब आइए ना...’