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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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prkin

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इस विषय पर कहानी लिखना बहुत कठिन होता है.
क्या कब और कितना लिखना है?
पर मुझे विश्वास है कि ये कहानी अच्छी चलेगी, लेखक को लय में आने में समय लग सकता है, पर एक बार उन्होंने सही गति पकड़ ली तो इस कहानी का कोई पर्याय नहीं होगा।

All the best Ravi2019 Bhai.
 

Ravi2019

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Update 8

इधर राजमहल में भी शान्ति छाई हुई थी। सभी अतथियों के जाने के बाद राजपरिवार के सभी सदस्य अपने अपने कक्ष में आराम करने के लिए जा चुके थे। रात्रि का तीसरा पहर था। राजमहल में चारों ओर मसालें जल रही थी। रांझा कोई गीत गुनगनाते हुए घूम रही थी कि सेवकों ने सभी सामान वापस जगह पर रखा है कि नहीं। आखिर वो भी राजमाता की मुंहबोली सेविका जो थी और इस राजपरिवार के लिए परिवार के सदस्य से कम नहीं थी, राजा विक्रम सेन और राजकुमारी नंदिनी उसे धाईं मां बुलाते थे, ,,,बचपन में
उन्होंने रांझा का दूध जो पिया है। रांझा केवल कहने को दासी थी ,,,,,लेकिन उसकी हैसियत राजपरिवार के किसी सदस्य से कम ना थी। उसका पुत्र कालू राजा विक्रम के उम्र का ही था,,,तभी तो वह राजा विक्रम को बचपन में दूध पिला पाती थी क्युकी उस समय उसके स्तनों में दूध आता था और जब राजमाता देवकी रात में महाराज सुर सेन की बाहों में नंगी होकर सम्भोग में लीन रहती,,,,उस समय रांझा ही देवकी के पुत्र पुत्री को अपने पुत्र के साथ संभालती और उन्हें अपने स्तनों से दूध पिलाती। महाराज सुर सेन देवकी की शारीरिक सुंदरता के इतने दीवाने थे कि हर रात देवकी को बिना चोदे नहीं मानते थे,,,,तभी तो देवकी को भी संभोग की लत लग गई थी,,,,यहां तक की देवकी को जब माहवारी आई होती तब भी महाराज उसे चोदे बिना नहीं छोड़ते थे।

इधर रंझा सारी व्यवस्था देखकर राजमाता देवकी के कक्ष की ओर चल देती है जहां देवकी अब सोने की तैयारी कर रही थी। देवकी ने भी राजकीय वस्त्र निकाल कर पतले कपड़े की चोली और घाघरा पहन लिया था जो वह सोते समय पहना करती थी । रं झा देवकी के कक्ष के बाहर पहुंच कर द्वार से ही प्रवेश की अनुमति मांगती है...

राजमाता क्या मै अंदर आ सकती हूं ,,,

कौन है,,, रांझा,,,, आजा तुझे किसने रोका है कमिनी,,,

जो आज्ञा राजमाता,,,,ऐसा कहकर वह कक्ष में प्रवेश कर जाती है और देखती है की देवकी सोने की तैयारी कर रही थी,,,,

मैंने आपको परेशान तो नहीं किया देवकी इतनी रात को

अरे नहीं ,,,, कौन सा मै सुहागन हूं जो पति के साथ बिस्तर गर्म करने के लिए रात का इंतजार करती हूं। और तू मुई मेरे जले पर नमक छिड़कती है। ,,,, ऐसा बोलकर देवकी मुस्कुरा देती है

राजमाता मुझे माफ़ करना,,,मेरा कहने का ये मतलब नहीं था,,,,

तू तो वास्तव में डर गई पगली,,,मै तो मजाक कर रही थी

हे हे हे,,, मैं भी तो मजाक ही कर रही थी,,, मैं क्यों डरूं तुमसे,,,तुम्हारे कई राज जानती हूं मै,,,,ऐसा बोलकर रांझा दांत निकाल कर वह हस देती है।

आजा रांझा,,,,क्या बताऊं ,,,,आज बहुत थकावट सी हो गई है,,,दिन भर दौड़ते ही रहे,,,और फिर रात में महाभोज,,,,पूरा शरीर टूट रहा है,,,, और कमर में बहुत दर्द हो रहा है,,,लगता है अब मै बूढ़ी हो गई हूं,,,

अरे तो मै तो हूं ना,,तुम्हारी दासी,,,आओ लेट जाओ बिस्तर पर,,,मै तुम्हारे शरीर की मालिश कर देती हूं,, और तू बूढ़ी कहां हुई है,,,अभी भी तुझे देखकर बुड्ढों के लिंग तुम्हहारी योनि को सलामी देने के लिए खड़े हो जाएं,,,,

अब बस कर,,, ये ठीक रहेगा,, आ जा थोड़ी मालिश कर दे और हां ,,, थोड़ा तेल भी ले ले,,,तेल से मालिश कर देगी तो सारा दर्द दूर हो जाएगा,,

अभी लाती हूं देवकी,,,तू तब तक बिस्तर पे लेट जा

रांझा फटाफट जाती है और औषधीय तेल की शीशी ले आती है जो राज वैद्य ने खास तैयार किया था। तब तक देवकी बिस्तर पे पेट के बल लेट जाती है,,,

रांझा देवकी के पीठ पर तेल गिर।कर तेल मालिश करने लगती है और उसके कंधे से लेकर कमर तक मालिश करने लगती है। लेकिन बीच में देवकी की चोली मालिश करने में दिक्कत कर रही थी। तो रांझा बोलती है

देवकी तेरी चोली परेशान के रही है मालिश करने में,,,निकाल दे इसे तो मै अच्छे से तेरी मालिश कर दू,,,

ठीक है,,,तू रुक जरा,, मेरी चोली की डोर तो खोल दे पीछे से।

देवकी के कहने पर रांझा उसकी चोली की डोर खोल देती है और चोली के दोनो भागो को अलग कर देती है जिससे देवकी की पूरी पीठ नंगी हो जाती है। रांझा अब पूरे पीठ पे अच्छे से मालिश करने लगती है और हाथ उसकी कमर तक ले जाती है जहां से देवकी का घाघरा शुरु होता था और देवकी से कहती है

देवकी तेरी नंगी पीठ कितनी चिकनी है,, मन करता है इसकी सहलाती ही रहूं

चुप छीनाल,,,तू बड़ी वैश्या है रे,,,औरत होकर औरत की नंगी पीठ तुझे अच्छी लगती है,,,

अब तेरा शरीर है ही संगमरमर की तरह तो क्यों ना अच्छा लगे मुझे,,,,रांझा ने कहा

अच्छा ठीक है चुप कर,,, अब मालिश पे ध्यान दे,,,देवकी ने जवाब दिया लेकिन मन ही मन अपनी
जवानी की प्रशंसा सुनकर वह रोमांचित ही रही थी,,,

फिर रांझा बात छेड़ते हुए कहती है,,,देवकी आज तो तु गजब की सुन्दर लग रही थी,,,राजकुमारी नंदिनी तुम्हारे सामने फीकी पड़ गई थी,,,तुम तो नंदिनी की बहन लग रही थी,,

तू कुछ भी बोलती रहती है रांझा,,,कहा राजकुमारी नंदिनी का कोमल यौवन और कहां मेरा बूढ़ा बदन,,,कोई तुलना ही नहीं है,,,तू केवल मेरा मन रखने को बोलती है,,,

नहीं देवकी, मै सच बोल रही हूं,,,,देखा नहीं सभी तुम्हे कैसे घुर रहे थे,,,और तो और तुम्हारा प्रिय पुत्र विक्रम भी तुम्हारे यौवन का रस पिये जा रहा था,,,और ऐसा बोलकर रांझा एक कुटिल मुस्कान मुस्कुराती है,,,

ये सुनकर देवकी शरमा जाती है और तकिए में अपना मुंह छिपा लेती है।

अब जरा सीधी लेट जा देवकी ,,आगे भी मालिश कर दूं,,,

ऐसा कहने पर देवकी सीधी लेट जाती है जिसके स्तन अभी चोली से ढके होते है,,,रांझा देवकी के कंधे ,गर्दन से होते हुए चोली के खुले भाग तक मालिश करने लगती है, लेकिन चोली के कारण वह ठीक से मालिश नहीं कर पाती है और कहती है,,,

ये चोली तो हटा देवकी,,,कितनी परेशानी हो रही है मालिश करने में और तेरी चुची की भी मालिश नहीं हो पा रही है,,,

नहीं नहीं ,,,रहने दे,,,ऐसे ही मालिश कर दे

तू आज शरमा क्यों रही है,,तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे मैंने तुम्हारी चूचियों को नंगा देखा ही नहीं है,,,ले हटा ,,,मै ही इसे हटा देती हूं और ऐसा बोलकर देवकी के स्तन पर से चोली हटा देती है,,,,और अब देवकी की चूची पूरी नंगी होकर बाहर निकाल जाती है जिसे देखकर रांझा आश्चर्य से बोलती है,,

ये क्या देवकी तुम्हारे स्तन तो पूरे खड़े है,,,,क्या बात है महाराज की याद आ रही है या फिर ------

अब तू नंगी करके मालिश करेगी तो चूची तो कड़क होगी ही ना,,,चल तू मालिश कर

रांझा फिर मालिश करने लगती है और इस बार हाथो में तेल लेकर उसकी चूची पे लगने लगती है और जोर जोर से मालिश करने लगती है। देवकी के बड़े बड़े स्तन को हाथों ने भरकर उसे मसलने लगती है और शरारत करती हुई उसके चूचुकों की अपनी उंगलियों से मसल देती है जिससे देवकी की आह निकल जाती है,,,और उसकी काम भावना उमंगे मारने लगती है,,,,वह रांझा से बोलती है,,,,

ये क्या कर रही है छीनल,, देख नहीं रही मुझे दर्द हो था है,,,,

देवकी ये दर्द की सिसकारी नहीं,ये तो मजा की सिसकारी है और ऐसा बोलकर उसकी एक चूची को अपने मुंह में लेकर चूस लेती है,, जिस पर देवकी उसके सर पर एक चपत लगती है और कहती है

अब हो गया रण्डी साली,,,तू मालिश कर और एक हल्दी सी कामुक मुस्कान देती है

रांझा देवकी की छाती और पेट की मालिश करती है और फिर पैर की मालिश करने देवकी के पैरो के तरफ जाकर बैठ जाती है,,,और उसके पैरो के तलवे और पिंडली की मालिश करने लगती है,,,और देवकी से कहती हैi----

अपना घाघरा थोड़ा ऊपर उठा लो तो मै अच्छे से तुम्हारे पैरों की मालिश कर दूं

इस पर देवकी अपना घाघरा घुटनों तक के लेती है और रांझा उसके पैरो पर घटनो तक मालिश करने लगती है

तू बहुत अचछा मालिश करती है रांझा,,,मेरे पैरो का दर्द बहुत कम हो गया है,,,देवकी ने कहा

अभी कहा मालिश हुई है ठीक से,,,अभी मै तुम्हारे जांघों की मालिश करूंगी तब देखना तुम्हारे शरीर का दर्द कैसे खत्म होता है और ऐसा कहते हुए देवकी के घाघरे को उसके घुटनो से ऊपर सरकाकर जांघों के ऊपर चढ़ा देती है,,,जिससे देवकी की दोनो टांगे जांघों तक नंगी हो जाती है,,,वह उपर से तो नंगी थी ही अब नीचे भी उसके पैर नंगे हो जाते हैं,,,,वह देवकी के पैरों की अच्छे से मालिश करने लगती है और हाथो को नीचे से ले जाकर उसके जांघों की जड़ों तक घाघरे के अंदर से हाथ ले जाती है,,,फिर वह देवकी से कहती है,,,

देवकी अपना घाघरा भी निकाल दे, नहीं तो तेल से तेरा घाघरा गंदा हो जाएगा और ये तेल तो और दाग छोड़ता है ,एक बार लग गया तो छूटता ही नहीं है,,,लेकिन देवकी घाघरा खोलने में आना काना करती है और कहती है,,,,,

मुझे शरम आ रही है रांझा,,,आज मै पूरी नंगी नहीं होऊंगी

अगर घाघरा नहीं उतरोगी तो एक तो घाघरा गंदा होगा,,, दूसरे तुम्हारी मालिश ठीक से नहीं हो पाएगी

ठीक है,,,तो एक शर्त है,,,तू क्यों कपड़े पहने है,,,चल तू भी निकाल कपड़े,,,

ये कौनसी बड़ी बात है ,,,ये लो मैं निकाल देती हूं अपने कपड़े और एक ही झटके में अपनी चोली निकाल कर फेंक देती है,,,,

घाघरा भी तो निकाल दे,,,देवकी ने कहा

इस पर रांझा कुछ सोचती है,,,तब तक देवकी उसके घाघरे का नाड़ा खोल देती है जिससे रांझा का घाघरा सरसराता हुआ उसके पैरों में गिर जाता है और वह पूरी मादरजात नंगी हो जाती है,,,उसकी बुर आज पहली बार देवकी की सामने थी जिसे देखकर देवकी मुस्कुरा देती है और कहती है

तेरी बुर पर तो बहुत घने जंगल है रांझा ,,, इस जंगल को पार कर गुफा तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता होगा और ये कहकर देवकी उसके बुर को अपने हाथ से सहला देती है जिससे रांझा की आह निकल जाती है,,,,और देवकी मुस्कुराने लगती है,,,,तब देवकी कहती है,,,

अब तो खुश राजमाता ,,,, जो मुझे पूरी नंगी कर दिया,,,,आओ अब मै तुम्हारी मालिश कर दूं और ऐसा बोलकर उसके घाघरे को उसके पैरो से निकालने लगती है जिसे देवकी के उन्नत नितंब रोक रहे थे,,,देवकी समझ जाती है और अपने गान्ड थोड़ी सी ऊपर उठती है जिससे देवकी का घाघरा आराम से उसके पैरो से निकल जाता है और वह पूरी नंगी अपने बिस्तर पर लेटी रहती है ,,,रांझा हाथों में तेल लेकर देवकी के पैरों की मालिश करने लगती है और अब अपने हाथ से उसके जांघ की मालिश करने लगती है,,,वह मालिश करते हुए जैसे हाथ उपर ले जाती उसकी उंगलियां देवकी की योनि के बालों से छू जाती,,,रांझा मालिश करते हुए कहती है,,,,

एक बात कहूं,,,, तुम्हारी योनि में आज अलौकिक चमक दिख रही है,,,क्या किसी ने दर्शन कर लिए आपकी योनि के,,,,

चुप कर बेशरम ,,,ऐसा क्या है इस योनि में जो आज ये अलौकिक हो गई,,,

रांझा मालिश करते करते अपने हाथ में तेल लेकर देवकी की बुर पे हाथ रख देती है जिससे देवकी गन गना जाती है,,,रांझा बड़े प्यार से देवकी की योनि की मालिश करने लगती है और उसको निहारने लगती है,,,,

रांझा देवकी की बुर को मालिश करते हुए कहती है

एक बात पूछूं,,, बुरा तो नहीं मानोगी,,,

नहीं , पूछ क्या पूछना है,,आज तू बड़ी पूछ पूछ कर बातें कर रही है

रांझा उसकी बुर को सहलाते हुए कहती है,,,

देवकी ,,,तुम्हे तुम्हारे बेटे का लंड आज सुबह देख कर कैसा लगा,,,

देवकी ने इस प्रश्न की आशा नहीं की थी, क्यों की उसने सोचा की ये बात रांझा संकोचवश कहीं ये बात नहीं बोलेगी,,,लेकिन यहां रांझा ने तो प्रश्न कर दिया था,,,
राजमाता के कक्ष में सन्नाटा छा गया था ,,,केवल दो सांसे बहुत तेज चल रही थी,,,एक तो देवकी की ओर दूसरे रांझा की,,,लेकिन रांझा कहा रुकनेवाला थी,,,उसने फिर कहा,,,,

बताओ ना देवकी ,,कैसा लगा तुम्हे अपने प्यारे बेटे का लंड

और ऐसा कहते हुए उसकी कामुक सिसकियां भी निकल रही थी और वह देवकी की बुर को भी हौले हौले सहलाए जा रही थी।

ये तू क्या पूछ रही है रांझा ,,,तू नहीं जानती वो मेरा पुत्र है और एक मा अपने पुत्र के बारे में ऐसा नहीं सोच सकती,,, (अब देवकी क्या बताएं की वह अपने पुत्र का लंड देखकर खुद पागल हो गई है )

देवकी मैंने खुद देखा है तुम्हे उसका खड़ा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए,,,मुझसे ना छुपाओ,,,,योनि बेटा या पति नहीं देखती,,उसे तो बस मोटा लौड़ा चाहिए होता भले ही वह उसके बेटे का ही क्यों ना हो।

रांझा की बातो से देवकी गरम हो जाती है और उसकी बुर पनिया जाती है जिसे रांझा महसूस करती है और यह देख कर वह एक हाथ ऊपर ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगती है और उसके चुचुकों को अपनी उंगली के बीच फसाकर मसलने लगती है जिससे देवकी पूरी गरम हो जाती है। ऐसा देख कर रांझा देवकी की योनि के भग्नासे ( clutorics ) को अपनी उंगली से रगड़ने लगती है जिससे देवकी ओर गरम हो जाती है और मचलने लगती है। रांझा समझ जाती है कि देवकी गरम हो गई है,,,,, और फिर वह बात आगे बढ़ती है,,,,

बताओ ना देवकी चुप क्यों हो,,,मैंने अपनी आंखो से देखा था कि तुमने अपने पुत्र का लौड़ा हाथ में पकड़ा हुआ था और तुम उसके लन्ड को छोड़ ही नहीं रही थी और उधर विक्रम भी तुम्हारी चूची को पकड़े हुआ था,,,मुझे तो बहुत दमदार लंड लगा तेरे पुत्र का,,, अगर वो मेरा बेटा होता तो मै आज ही उससे चुदवा ली होती,,,

ऐसा बोलते बोलते रांझा अपनी एक उंगली देवकी की बुर में डाल देती है और जोर जोर से रगड़ने लगती है।।। वह अपनी ऊंगली देवकी की बुर में खूब अंदर बाहर करने लगती है जिससे देवकी सिसकने लगती है और पूरी मस्ती में आ जाती है,,
रांझा फिर कहती है,,,
देवकी मैंने देखा था तुम कैसी ललचाई नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी,,,मेरी भी आंखे उसके लौड़े से हट ही नहीं रहीं थीं,,,

इस पर देवकी सिसकियां लेते हुए मस्ती मे कहती है,,,,,

हां मैंने अपने पुत्र का लंड देखा है,,बहुत प्यारा लंड है उसका ,,, उसके लन्ड की गोरी चमड़ी और गुलाबी सुपाड़ा,,, हाय क्या गजब ढा रहा था,,, और उस पर उसकी फूली हुई नसें मुझे पागल बना रही थी,,,मेरी नज़रे तो उसके लौड़े से हट ही नहीं रहीं थी रांझा,,,मै आज दिन भर उसी की यादों में खोई रही,,,रांझा जरा जल्दी जल्दी मेरी योनि में उंगली कर,,,सहा नहीं जा रहा,,,,आज उसका मोटा लौड़ा हाथ में लेकर छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था,,,वो तो अच्छा हुआ की तू आ गई ,,,नहीं तो आज पता नहीं क्या हो जाता,,,विक्रम के लौड़े में इतनी जान है की अगर कोई स्त्री एक बार देख ले तो बिना सम्भोग किए नहीं मानेगी,,,,

देवकी ऐसे ही बड़बड़ाए जा रही थी मस्ती में और रांझा उसके बुर में उंगली किए का रही थी,,,कमरे में देवकी की योनि की खुशबू फैल गई थी,,,जिस पर रांझा कहती हा

देवकी तुम्हारे योनि की मदमस्त गंध पूरे कक्ष में फ़ैल गई है,,,, मै ना कहती थी कि आज तुम्हारी योनि में आज अलौकिक सुंदरता दिख रही है मुझे,,,

अरे ये मेरी योनि की अलौकिक सुंदरता तो मेरे पुत्र के लिंग के दर्शन का कमाल है,,,जबसे उसका लन्ड देखा है,,,,या यों कहें कि जबसे उसके लिंग को हाथ में लेकर पकड़ा है तबसे मेरी बुर में भूचाल मचा हुआ है,,,सुबह से ही मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,क्या बताऊं महाराज के जाने के बाद आज पहली बार लंड पकड़ा था और वह भी इतना शानदार लंड,,,,देवकी ने कहा,,,

देवकी अगर अपने पुत्र का लंड देख कर तेरी योनि का यह हाल है तो तू अपने पुत्र के साथ संभोग क्यों नहीं कर लेती,,,आखिर उसी ने ना तुम्हारे हाथ में अपना लन्ड दिया होगा ,,,और तो और उसने तो तुम्हारी चूचियों को भी पकड़ रखा था,,,और दबा भी रहा था,, आखिर उसे भी तुम्हारे साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा रही होगी,,,

ऐसा कैसे हो सकता है रांझा,,,आखिर वो मेरा पुत्र है,,,मेरी कोख से जन्मा है,,,और उसी कोख में उसके लंड से चुदवा कर मै उसका वीर्य कैसे गिरवा सकती हूं,,तेरे में बड़ी आग लगी है तो तू ही अपने पुत्र के साथ क्यों नहीं सम्भोग करती ,,,,जो तू मुझे समझा रही है,,,,

राजा विक्रम यदि मेरे पुत्र होते तो मै तो कब का उनसे चुदवा ली होती देवकी,,,,उनका खड़ा लंड तो मुझे भूल ही नहीं रहा है,,

रांझा और देवकी के बीच कामुक वार्ता लप चल रही थी और रांझा देवकी की बुर में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ कर चोदन करने लगती जिससे देवकी को और भी मस्ती च ढ़ जाती है और वह कामुक सिसकियां निकालने लगती है,,, और वह कहती हैं

इतनी ही गर्मी अगर तेरे बुर में लगी है तो चुदवा ले ना अपने बेटे से ,,, वह भी तो विक्रम का हमउम्र ही है और लंबा चौड़ा भी है,,, उसका लन्ड भी तो मोटा ही होगा,,,,क्यों री रांझा,,

ऐसा ना बोल देवकी वो मेरा बेटा है,,,

तो ऐसे ही विक्रम भी तेरा पुत्र है छिनाल जिससे चुदवाने की तू मुझे बोल रही है,,,मा और पुत्र के बीच यौन संबंध अवैध होता है जिसकी इजाजत समाज कभी नहीं देता है,,,

तो मै कौन सा समाज के सामने चुदवाने को बोल रही हूं,,, अकेले में छुप कर चुदवा ले ,,,किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा,,,,

रांझा की कामुक बातों से राजमाता देवकी की यौन भावनाएं एकदम बढ़ गई थीं जिसमें देवकी को खूब मजा आ रहा था ,,, क्यों कि कामुक बातों के साथ रांझा देवकी की बुर भी अपनी उंगलियों से चोद रही थी,,,,

और तेज चोद रांझा,,,और तेज,,,और तेज,,,,मै झड़ने वाली हूं,,,और ऐसा बोलते बोलते देवकी चरमोत्कर्ष पा लेती है और वह झड़ जाती है ,,,,उसका बदन अचानक अकड़ जाता है,,,उसकी बुर से योनि रस की धार बह निकलती है जिससे रांझा की पूरी हथेली गीली हो जाती है जिसे रांझा अपने नाक के पास लाकर सुंग्घटी है और कहती है,,

अदभुत,,अत्यंत मादक सुंगध है देवकी,,तुम्हारे बुर से निकले हुए अमृत का,,,

और ऐसा बोलकर वह देवकी के बुर से निकले पानी की वह चाट लेती है,,,,

छी तू बड़ी गन्दी है रांझा,,कोई बुर का पानी चाटता है क्या,,,देवकी ने कहा,,,अब झड़ने के बाद देवकी को थोड़ी आत्मग्लानि होती है कि अभी थोड़ी देर पहले वह कैसे बातें कर रही थी,,,, और उसके चेहरे पर शर्म का भाव आ जाता है,,,,

आज के लिए बस इस अपडेट में इतना ही,,,,आगे देखते है और क्या होता है,,,
 
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