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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

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Update - 2
आज राज्य में बहुत ही खुशी का दिन था........................ नाडा खोलते ही घाघरा सरसराते हुए उसके पैरों में गिर जाता है जिससे वह अपने आप को शीशे मे पुरी नंगी देखकर वह फिर शर्मा जाती है. उसकी योनि पे घुंघराले झांटे उसकी खूबसूरती और बढ़ा रहे थे. उसकी योनि पे झांटे ना तो कम थी ना ही बहुत घनी जो उसकी योनि को सबसे अलग बनाती थी. तभी तो महाराज उनकी योनि के दिवाने थे और हर रात इनकी चुदाई करके ही सोते थे.
Bhai
अद्भुत । सुरुवात में ही मजा आ गया। ये आगे भी बहुत मजा दिने वाला होगा।

लेकिन योनी पे झँटे खूबसूरत कैसे हो सकते हैं। ये तो सफाचट , क्लिन ही चार चांद लगाते हैं। हा अब रानी सहिबा या महाराजा को वो अच्छे लगाते है तो आप हम क्या कर सकते हैं।

भाइ सुरुवात धान्सु है।
 
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Rebel.desi

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अपडेट 10

इधर देवकी और रांझा दोनो कामुक क्रिया के बाद झड़ जाती हैं और राजमाता देवकी को अब गजब की शांति मिलती हैं और राजमाता की नींद आने लगती है। रांझा देवकी के शरीर की मालिश करती है और फिर उसके नंगे शरीर पर रेशम की एक चादर डाल कर कक्ष के बाहर निकल जाती है। वह भी सुबह की ही जगी थी और अभी के काम क्रीड़ा के बाद वह भी आराम करना चाह रही थीं । लेकिन एक स्त्री के साथ कामक्रीड़ा की अनुभति उसे भी मदहोश किए जा रही थी और उसका उसका अंग अंग प्रफुल्लित हो गया था। वह एक मदभरी गीत गुनगनाते हुए फुदकते हुए अपने झोपड़े कि ओर जाने लगती है जो राजमहल के एक किनारे पर स्थित था।

रांझा जैसे ही राजा विक्रम और राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बीच में पहुंचती है वैसे ही वह गुप्त रास्ते पर राजा विक्रम के कक्ष से एक परछाई को निकलते हुए देखती है ( यह गुप्त मार्ग एक ऐसा रास्ता है जो राजपरिवार के सदस्यों के कक्षों को जोड़ता है और जिसकी जानकारी राजमहल के राजदारों को ही पता है तथा यह मार्ग एक सुरंग से जाकर मिल जाता है जिससे जमीन के अंदर अंदर ही जंगल में पहुंचा जा सकता है )

परछाई देख कर वह सोच में पड़ जाती है कि इतनी रात को कौन राजा विक्रम के कक्ष से निकल सकता है। कहीं राजा किसी विपत्ति में तो नहीं। वह उसी उधेड़बुन में रहती है और फिर उस परछाई का पीछा करने का निर्णय लेती है। वह भी उस परछाई का पीछा करने लगती है और देखती है कि कोई मजबूत कद काठी का आदमी है जो कम्बल से खुद को ढके हुए है और वह राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बाहर आकर रुक जाता है और पीछे मूड कर देखता है की कोई उसे देख तो नहीं रहा। वह जैसे ही पिछे मुड़ता है रांझा खंभे की ओट में छिप जाती है। जब वो परछाई निश्चिंत हो जाती है कि किसी ने उसे नहीं देखा है तब वह राजकुमारी के कक्ष में प्रवेश कर जाता है। रांझा यह देख कर जोर से चिल्लाना चाहती है लेकिन फिर उसके मन में आता है की वो देख ले की कौन है जो इतनी रात को राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में जाता है। उसके दिमाग में आज सुबह वाली घटना कौंध जाती है जब उसने राजकुमारी नंदिनी के स्तन पर दांत गड़ाने का निशान देखा था और उसकी योनि पे लालिमा देखी थी। वह सोचती है कि हो ना हो यह वही आदमी होगा जिससे नंदिनी के शारीरिक संबंध बने होंगे। वह भी धीरे धीरे बिना कोई आवाज किए हुए नंदिनी के कक्ष के बाहर खड़ी हो जाती है और परदे के ओट से कक्ष के अन्दर देखने लगती है। यह मार्ग चुकी गुप्त मार्ग था इसलिए इस रास्ते पर कोई प्रहरी या संतरी नहीं था जिससे पकड़े जाने का खतरा भी नहीं था और जैसा पहले बताया गया है उस समय राजमहल के कक्ष के द्वार पर दरवाजे नहीं हुआ करते थी , बल्कि मोटे परदे लगे होते थे। रांझा इन्हीं परदे के ओट से कमरे में झकने लगती है और देखती है की,,,,,,,,

नंदिनी के कमरे में नंदिनी बड़े से आइने के सामने बैठ कर अपने बाल संवार रही है और उसकी पीठ कक्ष के द्वार की ओर थी जिससे रांझा केवल नंदिनी की पीठ देख पा रही थी। राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में दीप जल रहे थे जिससे पूरा कमरा रौशनी से नहाया हुआ था। कमरे के हरेक कोने में गुलाब के गुलदस्ते रखे हुए थे तो बीचोबीच रजनीगंधा के फूलों का गुलदस्ता रखा हुआ था जिसकी भीनी भीनी खुशबू पूरे कमरे में फ़ैल रही थी और पूरे कमरे के माहौल को रोमांटिक बनाए हुई थी नंदिनी के कक्ष का पूरा माहौल कामुक बना हुआ था,,ऐसा लगता था उसका कमरा किसी कुंवारी राजकुमारी का न होकर विवाहिता स्त्री का हो।

वह साया भी नंदिनी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसके कंधों पर अपना हाथ रख देता है जिससे नंदिनी सिहर जाती है और वह साया कहता है,,,लो मै आ गया,,,तुम मेरा ही इंतजार कर रही थी ना,,,,

नंदिनी ऐसा सुनकर तुरंत ही पीछे मुड़ती है और मुस्कुराते हुए उस साए के चेहरे को देखती है तब तक उस साए ने भी अपना कम्बल गिरा दिया जिससे पता चलता है कि वह साया एक पुरुष है। नंदिनी उसके चेहरे को देखती है और तुरंत ही उस साए को गले से लगा कर चिपक जाती है। दोनो के शरीर एक दूसरे से चिपक जाती है।नंदिनी के स्तन उस पुरुष की छाती में दब जाते हैं। और नंदिनी कहती है,,,

मैं कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,कितनी देर कर दी तुमने आने में,,,,मुझे लगा आज तुम आओगे ही नहीं और मुझे आज की रात तड़प कर है बितानी होगी,,,,

अभी तक रांझा को उस साए का चेहरा नहीं दिखा था जिससे अभी वह इसी उधेड़बन में थी कि आखिर इस राजमहल में ऐसा है कौन ,,जो राजकुमारी के जिस्म से चिपका हुआ है,,,ऐसी हिमाकत करने की कौन हिम्मत कर सकता है,,,
इधर नंदिनी उस साए से चिपकी खड़ी रहती है और दोनो कुछ नहीं बोलते,,,,सिर्फ आलिंगनबद्ध होकर एक दूसरे के शरीर की गर्मी को महसूस कर रहे थे। नंदिनी कहती है,,,,

आए हो तो पहले ,,आओ औषधि वाली दूध पी लो जो मैंने खासकर तुम्हारे लिए बनवाई है

और ऐसा कह कर उस साए से अलग होती है और कमर में हाथ डालकर सिंघासन के तरफ ले जाने के लिए आगे बढ़ती है और वह साया भी आगे बढ़ने के लिए जैसे ही घूमता है उसका चेहरा दरवाजे के तरफ हो जाता है,,,जिसे देखकर रांझा आवाक रह जाती है,,,उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है,,,उसका सिर घूमने लगता है,,,उसे लगता है मानो अभी धरती फट जायेगी,,,वह देख कर दंग रह जाती है कि वह साया और कोई नहीं राजा विक्रम थे जो इतनी रात में मिलने के लिए अपनी बहन के कक्ष में पधारे थे वो भी छिप कर,,,उसे दाल में काला नजर आता है और वह वहीं छिप कर अंदर का नजारा देखने लगती है,,,,

अंदर कमरे में नंदिनी अपने भाई विक्रम को आसन पर बैठाती है और ग्लास में रखा दूध उसे पीने को देती है और कहती है

कहा जाता है कि पुरुष को रात में स्त्री से मिलने के पूर्व दूध अवश्य पीना चाहिए और इस दूध में तो राज वैद्य द्वारा दी गई औषधि मिली है जो पुरुषत्व को मजबूत करती है,,,

लेकिन तुम्हारा अनुज तो पहले से ही मजबूत है बहन,,क्या आपको इसका भान नहीं है,,,,

ऐसा ना कहे भ्राता मेरा कहने का ऐसा मतलब नहीं था,,,आपकी मर्दानगी पे तो राज्य की हरेक स्त्री आहें भरती है,,, आपकी इसी मर्दानगी की तो मै दीवानी हो गई हूं,,,

राजा विक्रम आधा ग्लास दूध पीकर आधा नंदिनी को पीने को देते है जिसे नंदिनी सहर्ष पी लेती है और उसके होठों पर दूध की एक परत लग जाती है जिसे देख कर राजा विक्रम अपनी बहन नंदिनी के होठों पर लगे दूध को अपने जीभ से साफ कर देते हैं जिसपर नंदिनी उसे घुर कर देखती है,,,इसपर विक्रम मुस्कुरा देते है और अगले ही पल अपने होंठ अपनी बहन नंदिनी के होठों पर रख कर चूसने लगते हैं,,,नंदिनी भी अपने भाई के साथ चुम्बन में पूरा साथ देने लगती है और दोनो एक दूसरे में खो जाते हैं। इधर रांझा अंदर का ये दृश्य देख कर आवाक रह जाती है और सोचती है कि क्या राजपरिवार में भी भाई और बहन ऐसे संबंध बना सकते हैं,,,

इधर दोनो भाई बहन चुम्बन का आनंद ले रहे थे और दोनों एक दूसरे को छोड़ना ही नहीं चाह रहे थे,,,केवल उम्म्महह उम्म्मह की आवाज कमरे में गूंज रही थी,,,काफी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग होते है और दोनो के होठ बिल्कुल लाल हो जाते है,,,राजा विक्रम कहते हैं,,,

तुम्हारे होंठ कितने मुलायम है बहन ,,इन्हे छोड़ने को जी नहीं करता,,,
इस पर नंदिनी शरमा जाती है और बोलती है,,,

तुम्हारे होठ भी कम कामुक नहीं है भ्राता,,,तुम्हारे होंठ छोड़ने को जी नहीं करता ,,, तभी तो तुम पर सभी स्त्रियां मरती है,,,देखा था आज कितनी रानियां तुम्हे ही देखे जा रही थीं,,,

लेकिन मै तो केवल अपनी इस प्यारी बहन को ही देख रहा था,,,,आज बहुत खूबसूरत दिख रहीं थीं आप,,,लग रहा था कोई अप्सरा धरती पर उतर आई है,,,,

हां तो क्यों नहीं लगती मै सुन्दर,,,आज मेरे प्यारे भाई का जन्मदिवस जो था,,,और ऐसा कह कर वह राजा विक्रम के गालों पर एक चुम्बन के लेती है और फिर कहती है,,,

अब तो तुम्हारी शादी भी तय हो गई राजकुमारी रत्ना से ,,,वह भी बेहद खूबसूरत है,,,

एक भाई के लिए सबसे सुन्दर उसकी बहन ही होती है,,,उसके बाद ही कोई होती है,,,अगर तुम मेरी बहन नहीं होती तो मै तुमसे ही विवाह करता,,,लेकिन कमबख्त ये रिवाज हमें ऐसा करने से रोक रहे है,,,

और ऐसा कहकर राजा विक्रम अपनी बहन नंदिनी को गले लगा लेते है और गले लगे लगे एक हाथ नंदिनी की पीठ पे लेजाकर सहलाने लगते हैं जिससे नंदिनी कामुक आवाज निकालती है,,,,फिर वह अपनी बहन की चुन्नी को हटा देते है और अपना एक हाथ अपनी बहन की चोली पर ले जाकर रख देते है और चोली के ऊपर से ही अपनी बहन के स्तन को दबाने लगते हैं,,,

जिस पर नंदिनी कहती है,,, मत करो,,,लेकिन वह अपने भाई का हाथ अपने स्तन पर से नहीं हटाती है,,,राजा विक्रम अपने हाथ पीछे ले जाकर नंदिनी की चोली की डोर खींच देते है जिससे उसकी चोली खुल जाती है और नंदिनी खुद अपने हाथ से चोली बाहर निकाल देती है जिससे उसके स्तन पूरे नंगे होकर उसके भाई के आंखों के सामने आ जाते हैं जिसे देखकर राजा विक्रम पागल हो जाते हैं और अपना मुंह नीचे लें जाकर अपनी बहन के एक स्तन को चूसने लगते है और दूसरे हाथ से दूसरी चुची को दबाने लगतए है जिससे नंदिनी की उत्तेजना बढ़ जाती है और वह भी अपने भाई के छाती पे हाथ फेरने लगती है और उसके निपल्स को कुरेदने लगती है जो राजा विक्रम को भी आनंद डे रहा था,,, और वे भी अपने दांत से नंदिनी के चुचूक को कांट लेते हैं जिससे उसके मुंह से आह निकल जाती है,,, राजा विक्रम अपना चेहरा उठा कर नंदिनी की आंखों में देखते हुए कहते हैं,,,

बहन ,तुम्हारे स्तन बहुत सुंदर है,,,ये जितने सुन्दर चोली में दिखते है उससे कहीं ज्यादा सुन्दर ये नंगे दिखते हैं,,,बिल्कुल संगमरमर की तरह चमक रहे है ये,,, मन करता है इन्हे चूसता ही रहूं,,,,बहुत भाग्यशाली होगा वह पुरुष जिसके साथ तुम्हारा विवाह होगा,,,

ऐसा ना कहो भाई,,,मै तो तुम्हारे साथ ही विवाह करना चाहती हूं,,,अपने भाई की पत्नी बनना चाहती हूं,,,,लेकिन मै भी समझती हूं ये मर्यादा की दीवार हम भाई बहन की एक नहीं होने देगी,,,लेकिन एक बात मै बता दूं मै भले ही कहीं और ब्याही जाऊं लेकिन मेरा पहला प्यार तुम है रहोगे,,,

ऐसी बात चीत से दोनो भाई बहन भावुक हो जाते हैं और दोनो एक दूसरे की गले लगा लेते हैं,,,दोनो ऊपर से बिल्कुल नंगे रहते है और नंदिनी के नंगे स्तन राजा विक्रम की छाती में धसें रहते है और नंदिनी अपने स्तन अपने भाई की छाती से रगड़ रही थी,,,दोनो ऊपर से तो नंगे थे ,,,लेकिन नीचे नंदिनी ने घाघरा तो राजा विक्रम ने रेशमी धोती पहन रखा था,,,,राजा विक्रम अपने हाथ को अपनी बहन की नंगी पीठ पर घुमाते हुए नीचे ले जाते है और घाघरे के ऊपर से ही नंदिनी की गांड़ को सहलाते हुए दबोचने लगते हैं जिससे नंदिनी आहें भरने लगती है,,,इधर नंदिनी भी अपने भाई के नंगे पीठ पे हाथ फेरते हुए हाथ नीचे ले जाती है और उसके गान्ड को दबाने लगी है,,फिर राजा विक्रम अपने हाथ आगे लाकर नंदिनी के घाघरे के ऊपर से ही उसकी बुर सहलाने लगते है,,इधर नंदिनी भी अपना हाथ आगे लाकर अपने भाई के खड़े लंड को धोती के उपर से ही पकड़ लेती है और उसे मुट्ठी में बांध कर सहलाने लगत है,,,फिर राजा विक्रम बोलते हैं,,,,

बहन मुझे तुम्हारी नंगी गान्ड और चूत देखनी है,,,

तो रोका किसने है भाई,,, खोल दो मेरा घाघरा और कर दो मुझे पूरी नंगी,,,
इतना सुनना था कि राजा विक्रम थोड़ा पीछे हटते हैं और अपने हाथ से अपनी बहन के घाघरे का नाड़ा खोल देते हैं जिससे घाघरा सरसराकर नंदिनी के पैरों में गिर जाता है और वह पूरी नंगी होकर अपने भाई के सामने खड़ी रहती है,,,नंदिनी भी अपने भाई की धोती की गांठ खोल देती है जिससे राजा विक्रम भी पूरे नंगे ही जाते हैं,,,अब दोनो भाई बहन एक दूसरे के सामने पूरे नंगे खड़े होते है,,,अब स्थिति ये थी की दोनो भाई बहन आमने सामने नंगे खड़े रहते हैं और राजा विक्रम का लंड जिसपर हल्के हल्के बाल थे, वो अपनी बहन की बुर की सलामी देते हुए खड़ा था,,,,नंदिनी के भी स्तन उत्तेजना में तने थे और उसकी बुर पानिया रही थी,,, दोनों भाई बहन ने से कोई कुछ नहीं बोल रहा था,,,केवल दो सांसे खूब तेज चल रही थी,,,
राजा विक्रम अपना हाथ नीचे ले जाते है और अपनी बहन की नंगी बुर पे रखकर सहलाने लगते है और दूसरे हाथ से नंदिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पे रख देते हैं जिसे हाथ में लेकर नंदिनी रगड़ने लगती है,,, अब राजा विक्रम अपनी बहन की nangibvur सहला रहे थे तो नंदिनी अपने भाई के मोटे लौड़े को हाथ ले लेकर आगे पीछे कर रही थी,,,राजा विक्रम कहते हैं,,,,

आपकी बुर बहुत चिकनी है बहन,,, मन करता है इसे सहलाता है रहूं,,,

मेरा भी यही हाल है भाई,,,मै तो तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूं,,जी करता है इसे खा ही जाऊं,,, और ऐसा कहकर नंदिनी नीचे बैठ जाती है और अपने भाई के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है जिससे राजा विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है,,,थोड़ी देर बाद राजा विक्रम नंदिनी को उपर उठाते हैं और उसे गोद में उठाकर शय्या पर के जाते हैं,,,इस तरह नंगी होकर अपने भाई की गोदी में देख कर नंदिनी शरमा जाती है और अपना मुंह अपने भाई की छाती में छुपा लेती है,,,राजा विक्रम अपनी बहन की नंगे ही बिस्तर पर लिटा देते हैं और फिर अपनी नंगी बहन के नंगे स्तन की छोटे बच्चे की तरह चूसने लगते है और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी बुर सहलाने लगते हैं,,,,और फिर उसके शरीर पे नीचे जाकर उसकी दोनो टांगे फैला देते हैं और उसके दोनों पैरों के बीच में मुंह लगाकर उसकी बुर पे अपने होंठ रख देते है,,,,और अपनी जीभ से अपनी बहन की बुर चाटने लगते हैं,,,नंदिनी अपने भाई के सिर की अपने हाथ से पकड़कर अपने बुर पे दबाने लगती है,,,राजा विक्रम भी अपनी बहन की बुर की खुशबू से मदहोश हुए जा रहे थे,,,,कुछ देर बुर चटवाने के बाद नंदिनी अपने भाई को ऊपर खींचती है और अपने ऊपर गिरा कर जकड़ लेती है और फिर बहुत ही कामुक आवाज में कहती है,,,

केवल चूत ही चटोगे अपनी बहन की या कुछ और भी करोगे भाई,,,और ऐसा कह कर अपने भाई का लंड अपने हाथ में लेकर रगड़ने लगती है,,,

अगर आपकी अनुमति हो दीदी तो मै अपना लन्ड आपकी योनि में डालकर चोदना चाहता हूं तुम्हे,,,

तो तुम्हे रोका किसने है भाई,,,आओ अपनी बहन की बुर को अपने लौड़े से चोदो,,,उसकी चोद चोद कर उसका भोसड़ा बना दो मेरे भाई,,,मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है ,,, देखो कैसे आंसू बहा रही है और ऐसा कहकर अपने दोनो हाथों से अपने बुर को फैला कर दिखती है जिससे राजा विक्रम अपने हाथो से पकड़ लेते है,,,और अपना खड़ा लंड अपनी बहन की नंगी बुर में डाल देते हैं,,,जैसे ही राजा विक्रम का बड़ा लौड़ा नंदिनी की बुर में जाता है उसकी चीख निकल जाती है,,,फिर उसे भी मजा आने लगता है और वह अपने भाई को जोश दिलाते हुए कहने लगी,,,

और जोर से चोदो भाई,,और जोर से चोदो अपनी बहन की बुर को,,,ये तुम्हारे लंड की दीवानी है,,,इसे हर रात तुम्हारा लौड़ा चाहिए और वह ऐसे ही बड़बड़ाते रहती है,,,

फिर करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो भाई बहन पसीने से लथ पथ एक दूसरे से चिपके चुदाई ने मगन रहते है,,,फिर नंदिनी कहती है,,,

मै झड़ने वाली हूं भाई,,,
मै भी झड़ने वाला हूं बहन,,,

लेकिन तू अपना लंड बाहर निकाल भाई और माल भी बाहर निकाल,,,नहीं तो गर्भ ठहर जाएगा,,,

चुदाई से नंदिनी झड़ जाती है और राजा विक्रम अपना लन्ड अपनी बहन की योनि से बाहर निकाल कर उसके स्तन पर अपना वीर्य गिरा देता है जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाटने लग जाती है,,
Bahut Shaandaar Sambhog Update ...
 

"SCAM"

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Ravi2019 bhai

Bahut umda. Bahut sexi story hai.

Ha update 6 me bahut sthan par raajkumari ratna ki jagah raajmaata ka naam hai. Agar time mile to edit kar dena.

Kahaani dhansu hai, bahut dur tak jaayega
 

Napster

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राजा विक्रम ने अपनी सगी बडी बहन को बडे ही जबरदस्त तरीके से चोद कर उसकी चुद का भोसडा बना डाला और उनकी भरपूर चुदाई की राजदार बनी रांझा वो अब क्या गुल खिलाती हैं
देखते हैं अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट में प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ravi2019

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Update 11

इधर रांझा परदे के ओट से भाई बहन की चुदाई देख कर गरम हो रही थी और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने घाघरे को उठा कर अपनी योनि को सहला रही थी और अपनी एक उंगली अपनी बुर में डाल कर चोद रही थी और वह भाई बहन की चुदाई देख कर इतनी गर्म हो जाती है कि जल्दी ही वह झड़ जाती है और उसे तब होश आता है की अभी क्या हो रहा था। वह इतनी बड़ी घटना राजमाता को इसी समय बताने का निर्णय लेती है और भागते हुए राजमाता देवकी के कक्ष की ओर जाती है।
उधर देवकी अपने कक्ष में सोने का प्रयास कर ही रही थी कि रांझा भागती हुई उसके कमरे में दाखिल हो जाती है और देवकी को जगाते हुए कहती है--

उठो देवकी उठो,,,देखो आज अनर्थ ही गया,,,

देवकी धीरे से आंखे खोलती है और बोलती है ---

क्या हो गया,,,इतनी परेशान क्यों है तू,,पहले आराम से बैठ और बता क्या हुआ है,,,,

बैठने का समय नहीं है देवकी,,,आज जो हुआ वह कभी नहीं हुआ,,,तू भी देखेगी तो मेरी तरह ही परेशान हो जाएगी,,,

अच्छा तू बता,,,बात क्या है ,,, पहेलियां मत बुझा,,,

ऐसा कहते हुए देवकी उठ कर बैठ जाती है जिससे उसके शरीर के ऊपरी हिस्से से रेशमी चादर सरक कर नीचे जांघों पर आ जाती है और देवकी ऊपर से पुनः पूरी नंगी हो जाती है,,जिसे देखकर रांझा कहती है----

जल्दी से अपनी चोली और घाघरा पहन कर अपने स्तन और योनि को ढक देवकी और मेरे साथ चल,,,

इतनी रात्रि को मै कहा चलूं,,कुछ बताएगी भी तू मुझे रांझा,,,

बताने का समय नहीं है देवकी,,, तू पहले घाघरा चोली पहन और मेरे साथ चल,,,,

रांझा के कहने पर देवकी बिस्तर से नंगी ही उठती है और देवकी उसके पैरो में घाघरा पहनाने लगती है और उसके घाघरे का नाड़ा बांधने के लिए नीचे बैठ जाती है,,,बैठते ही उसके सामने देवकी की योनि सामने आ जाती है जिसे रांझा देख कर फिर कामुक ही जाती है और कामुकता वश उसकी योनि फैलाकर चूसने लगती है जिससे देवकी की आह निकल जाती है। देवकी की योनि को चाटते हुए कहती है,,,

तुम्हारी योनि कितनी प्यारी है देवकी,,,देख लेने पर उसे चूमे बिना मन ही नहीं मानता है,,,तुम रानियों की बात ही कुछ और होती है न,,,बिल्कुल अप्सरा लगती हो तुम राजघराने की स्त्रियां,,,अब समझ में आया कि महाराज तुम्हारी योनि के इतने दीवाने क्यों थे और क्यों तुम्हे रोज चोदे बिना नहीं मानते थे,,,

अरे नहीं रांझा ऐसी बात नहीं है,,,तू भी बहुत सुंदर है और तेरी योनि भी बहुत सुंदर और प्यारी है,,,मुझे तो तुम्हारी योनि बहुत पसन्द आई और योनि तो सभी औरतों की एक ही तरह की होती है,,,चाहे मेरा हो या तेरा,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को उपर उठाती है और उसके घाघरे को उठाकर उसकी योनि को सहलाने लगती है और उसकी आंखों में देखते हुए कहती है

मुझे तेरी योनि बहुत पसन्द है,,तभी तो मैंने तुम्हारे साथ सहवास किया है,,, और तू अपने मन से ये ख्याल निकाल दे की तू सुन्दर नहीं है,,, तू तो मेरी बड़ी बहन,दोस्त , राजदार सबकुछ है,,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को गले लगा लेती है और जोर से भींच कर अपने नंगे स्तन उसके स्तन से दबा देती है जिससे रांझा की सिसकी निकाल जाती है,,,फिर देवकी बोलती है

अब बोल इतनी रात को क्या आफत आ गई थी

देवकी के कहने पर रांझा को जैसे कुछ याद आता है और वह कहती है,,,

जल्दी से अपनी चोली पहन और चल मेरे साथ

और ऐसा कहकर वह फटाफट देवकी को चोली पहनाती है और उसके हाथ पकड़ कर लगभग खींचते हुए कक्ष के बाहर ले जाती है,,,जिस पर देवकी कहती है,,,

कुछ बताएगी भी की आखिर माजरा क्या है और तू मुझे कहा लिए जा रही है,,,,

कुछ बताने का समय नहीं है देवकी,,,तू चल मेरे साथ और अपनी आंखों से ही सब देख ले,,,

और ऐसा कहते हुए रांझा खींचते हुए देवकी को लेकर राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बाहर पहुंच कर रुक जाती है और कहती है,,,

खुद ही देख ले

क्या देखूं रांझा,,,तू बता तो सही,,,

नहीं, मैं बता तो नहीं सकती,,,तू खुद ही देख ले

और ऐसा बोलकर धीरे से नंदिनी के द्वार का पर्दा हल्का सा हटा देती है और कहती है

अंदर का नजारा देख ले देवकी,,,

देवकी झल्ला कर अंदर का नजारा देखती है तो वह एकदम सन्न रह जाती है
उस समय अंदर नंदिनी के कक्ष में राजा विक्रम नंदिनी की चुदाई कर अपना लन्ड उसकी योनि से निकाल रहे थे
देवकी उस समय अपने पुत्र राजा विक्रम को अपनी बहन नंदिनी की योनि से लंड निकालते हुए देखती है और राजा विक्रम नंदिनी के स्तनों पर अपना वीर्य गिरा रहे थे जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाट रही थी,,

राजमाता देवकी अपने पुत्र पुत्री को ऐसा नीच कर्म करता देख कर आवाक रह जाती है,,,कुछ देर के लिए उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है,,,वह सोचती है की क्या कमी रह गई हमारे लालन पालन में जो मैं अपने पुत्र पुत्री को अच्छा संस्कार ना दे सकी,,,,वह कुछ सोच नहीं पा रही थी,,,उसे लग रहा था कि अभी जमीन फट जाए और वह उसमे समा जाए,,,

लेकिन थोड़ी देर में उसे होश आता है और गुस्से से उसका चेहरा तमतमा जाता है,,उस वक्त उसके क्रोध की कोई सीमा नहीं रहती है,,, और इसी क्रोध में वह राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में प्रवेश कर जाती है और क्रोध में चिल्लाती है,,,

नंदिनी,,,,,,,

ऐसे अचानक अपनी मा की आवाज सुनने से राजा विक्रम और नंदिनी दोनो चौंक जाते है और घबराहट में कक्ष के द्वार की ओर देखते हैं तो अपनी माता को वहां खड़ा पाते हैं जो उस समय गुस्से में आग बबूला कक्ष के द्वार पर खड़ी थी,,,और गुस्से में कहती है,,,

कुत्तों,,ये क्या पाप कर रहे हो तुम दोनों,,, तुमदोनो को शर्म नहीं आती,,,भाई बहन होकर तुम दोनों यौन संबंध बना रहे हो,,,,भाई बहन के बीच यौन संबंध वर्जित है,,तुम दोनों की मती मारी गई है क्या,,,,,,, मै तुम दोनों की खाल खींच लूंगी,

और ऐसा कहकर वह अपने पुत्र राजा विक्रम को धक्का देकर अपनी पुत्री नंदिनी से अलग करती है,,,अभी राजमाता देवकी भूल जाती है कि अभी वह खुद मा होकर अपने पुत्र से यौन संबध बनाने का सोच कर झड़ी है और अभी भाषण चोद रही है,,, हो सकता है देवकी के अंदर नंदिनी से ईर्ष्या का भाव आ गया हो और वह अपने पुत्र के लंबे मोटे लौड़े का उदघाटन खुद करना चाह रही हो,,जिसके कारण वह और आग बबूला हो रही हो,,, खैर देवकी के इतना गुस्सा होने दोनो डर जाते है,,,और देवकी गुस्से में नंदिनी को एक थप्पड़ जड़ देती है और राजा विक्रम के पीठ पर एक मुक्का जड़ देती है,,,राजा विक्रम नंगे ही अपनी माता देवकी की संभालने का प्रयास करते है,,,लेकिन वो गुस्से में उसे झटक देती है,,,उसे इस बात का खयाल नहीं रहता है कि उसके दोनों जवान बच्चे पूरे नंगे है,,,इस दौरान रांझा कक्ष के बाहर ही रहती है,,,,

देवकी गुस्से में कहती है ,,,तुम दोनों को जीने का कोई हक नहीं है ,,,तुम दोनों ने घोर पाप किया है ,,,,,
और ये कहते हुए कक्ष में रखे तलवार को अपने हाथ में लेकर राजकुमारी नंदिनी की ओर टूट पड़ती है और कहती है की मै तुम दोनों को खत्म कर दूंगी,,मै एक क्षत्रानी है और मै ये पाप बर्दास्त नहीं कर सकती,,,

राजा विक्रम राजमाता कें गुस्से को देख कर कांप जाते है और उन्होंने सोचा की अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो अनर्थ हो जायेगा,,,और वे जल्दी से राजमाता देवकी के सामने आकर घुटने टेक कर बैठ जाते हैं और सिर झुका कर कहते है,,,

माते,,यदि आपको लगता है की हमने इतना बड़ा पाप किया है तो ये लो मैं आपके सामने गर्दन झुकाएं बैठा हूं ,,,आप काट दो मेरी गर्दन,,,

राजमाता गुस्से में तलवार लिए बढ़ती है और राजा विक्रम के सामने आकर गुस्से में तलवार चलाने के लिए ऊपर हवा में उपर उठाती है और जब नीचे गर्दन झुका कर देखती है तो अपने प्यारे लाडले पुत्र को सिर झुकाए हुए घुटनों पे बल बैठा पाती है तो,,,
अचानक से उसका गुस्सा गायब हो जाता है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है और उसके हाथ से तलवार छूट कर नीचे जमीन पर गिर जाती है,,,वह फुट फुट कर रोते हुए अपने लाडले पुत्र के सामने सामने बैठ जाती है और रोते हुए कहती है,,,

क्यों किया पुत्र तुमने ऐसा पुत्र,,,,क्यों किया ,,, कोई इस रिश्ते के बारे में जान जाएगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे,,,और ये कहते हुए वह अपने पुत्र को नंगे ही गले लगा लेती है और कहती है,,,

ये ग़लत है बेटे,, और ऐसा कह कर वह फिर खुद को कोसने लगती है,,,
मैंने भी गलत किया पुत्र,,,मै अपने ही लाडले और लाडली को गुस्से में मारने चली थी,,,ये वही हाथ हैं ना जिनके हाथ में तलवार थी,,,इन्हे इसकी सजा मिलनी ही चाहिए और ऐसा कह कर वह अपने हाथ दीवार पर मारने लगती है,,, और कहती है,,,
मुझसे आज बड़ा पाप होने जा रहा था,,, मुझे माफ़ कर दो मेरे प्यारे बच्चों,,,तब तक नंदिनी भी उनके पास आ चुकी थी और अपनी मां के इस व्यवहार से आश्चर्य चकित थी,,,वह भी वही अपनी मा और भाई के सामने नंगे ही बैठ जाती है,,,
राजमाता देवकी फिर रोते हुए अपने लाडले बच्चों को गले लगाकर पूछती है,,,,

क्यों किया तुम दोनों ने ऐसा ,,क्यों किया ,,बताओ अगर कोई जान गया तो क्या हो जाता,,,,
और वह अपने दोनो बच्चों को बैठे बैठे ही गले लगा कर रोने लगती है,,,,
 
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