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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Nevil singh

Well-Known Member
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राजमाता देवकी के कक्ष में दो सांसे खूब तेज चल रही थी। कमरे में देवकी और रांझा पूर्ण नग्न अवस्था में थी। अभी अभी देवकी झड़ी है और वह आंखे बंद कर अभी योनि में हुए घर्षण को याद कर आनंदित हो रही थी। वहीं रांझा भी पूरी नंगी देवकी के बगल में बैठकर उसके नंगे बदन को सहला रही थीं ताकि राजमाता थोड़ी सामान्य हो सके। फिर रांझा बोलती है ,,

देवकी तुम्हारा नंगा शरीर कितना सुन्दर है,,बिल्कुल तराशा हुआ,,,, संगमरमर की तरह स्वच्छ और सुन्दर है और उस पर तुम्हारी योनि पे हल्के बाल , उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। काश मै पुरुष होती,, तो मै अभी तुम्हरी योनि में अपना लिंग डालकर चोद देती तुम्हें। लेकिन अफसोस, ,,,,

तब देवकी कहती है,,, अब चुप कर रांझा ,,,मै सब जानती हूं,,,तू मेरी झूठी तारीफ करती है,,,,कहां मै अब बूढ़ी हो है हूं और तू कहती है की मेरा शरीर संगमरमर सा सुन्दर है,,,झूठी कहीं की,,,

नहीं राजमाता,,ऐसी बात नहीं है,,,आज तुम्हारा शरीर और खिला हुआ दिख रहा है,,,बिल्कुल नव यौवना की तरह,,,,और आज तो एक और खास बात हो गई है,,,और ऐसा कहकर वह एक कुटिल मुस्कान मुस्कुरा देती है,,,जिसे देवकी देख लेती है।

अच्छा,,अब मुंह बन्द कर अपना,,,साली छिनार,,देवकी ने कहा,,,,हालाकि रांझा की बातों से देवकी के मन में गुदगुदी सी हो रही थी।

अच्छा जी,,,मै चुप रहूं ,,,अपने पुत्र के लिंग के बारे में सोचकर पानी तो तू ही छोड़ रही थी ना ,,,,, अब तो भलाई का जमाना ही नहीं रह गया,,,एक तो बुर की मालिश करो,,,बुर में उंगली करो और फिर गालियां भी सुनो,,,,,रांझा ने कहा

अच्छा चल तू बुरा मत मान,,, मै मानती हूं कि मुझे आज बहुत अच्छा लगा ,,,महाराज के जाने के बाद पहली बार किसी ने मेरी योनि को सहलाया था और उसमें उंगली की थी और आज मै कई सालों के बाद झड़ी हूं,,,, हां ये सच है की इस दौरान मेरे पुत्र विक्रम के लिंग की बाते मुझे और उत्तजित कर रही थी । आज विक्रम के साथ हुई घटनाओं ने मुझे उद्वेलित कर दिया था। खैर छोड़ इन बातों को,,,,एक बात आज पता चली मुझे की तू भी बुर में उंगली अच्छे से करना जानती है।

देवकी आज सुबह ही मैंने तेरी नज़रों को पढ़ लिया था,,,जैसे तू विक्रम के लंड को देख रही थी और उसे अपने हाथों से पकड़ा हुआ था,,,तू तो अपने बेटे का लंड छोड़ना ही नहीं चाह रही थी,,,

ये तू सच कह रही है रांझा,,,,मेरा मन तो अपने पुत्र के लंबे मोटे खड़े को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था,,,कितना मनमोहक है मेरे बेटे का लन्ड,,,, वाह महाराज की याद आ गई,,,बिल्कुल अपने पिताश्री पर गया है विक्रम,,,,बिल्कुल हूबहू अपने पिता जैसा ही लौड़ा है उसका,,,,

इन कामुक बातों से दोनो उत्तेजित होने लगती हैं और उनकी सांसे तेज चलने लगती हैं,,,रांझा उत्तेजनावश अपना एक हाथ देवकी की चूची पर लेजाकर उसे दबाने लगत है और अपनी एक उंगली से उसके चूचूकों को रगड़ने लगती है जिससे देवकी ओर उत्तेजित और हो जाती है,,,देवकी खुद रांझा का दूसरा हाथ पकड़कर अपनी बुर पे रख कर रगड़ने लगती है,,,रांझा उसके भाग्नासे को अपनी उंगली से छेड़ने लगती है जिससे देवकी की उत्तेजना की कोई सीमा नहीं रहती है,,,,देवकी आहें भरने लगती है और अचानक फुर्ती से रांझा को अपनी ओर खींच कर उससे चिपक जाती है,,,उसे एक मानव शरीर की जरूरत महसूस होती है चाहे वो किसी का भी हो,,,,पुरुष का या स्त्री का,,,,देवकी रांझा को गले लगा कर अपने स्तन से उसके स्तन को रगड़ने लगती है जिसमें उसे असीम आनन्द की अनुभति होती है,,,, रांझा भी देवकी का साथ देने लगती है,,,दोनो का एक स्त्री के साथ सहवास का यह पहला अनुभव था,,,लेकिन देह की गर्मी उन्हें ऐसा करने को मजबुर कर रही थी,,, दोनों एक दूसरे से आलिंगनबद्ध होकर कााम सुख का आनंद ले रही थी। रांझा बोलती है --

देवकी, तू बहुत खूबसूरत है और तुम्हारे पुत्र और पुत्री भी तुम्हारी तरह ही अदभुत सुंदरता के मालिक है। राजा विक्रम को देख कर तो बुर में खुजली होने लगती है और राजकुमारी नंदिनी को देखकर तो अच्छों अच्छों का मन डोल जाए

कामवासना में लीन देवकी बोलती है,,,,तू सही कह रही है रांझा,,,मेरे पुत्र का लंड देखकर तो उससे नज़रे ही नहीं हटती है,,,,और आज तो ब्रह्म मुहूर्त में ही मुझे मेरे पुत्र के मोटे लंबे और तगड़े लंड का दर्शन हो गए,,,क्या शुभ दिन रहा आज,,,और एक बात बताऊं तुम्हें,,,आज रात में ही महाभोज के समय उसके स्नानागार में उसने भी मेरी योनि के दर्शन कर लिए, जब मै उसके स्नानागार में मूत्र त्याग करने गई थी,,,उसका तो मुंह खुला का खुला रह गया था,,,

सच देवकी,,,,क्या तुम्हारे पुत्र ने आज तुम्हारी बुर देख ली,,,अब तो वह भी तुम्हे चोदे बिना नहीं मानेगा,,,,लगता है आग दोनो तरफ लगी हुई है,,,,
रांझा ने कहा

हा रांझा ,,,,, स्नानागार में हम दोनों अपने अपने जननांगों को नंगे किए हुए एक दूसरे के सामने थे और मै अपने बेटे के लंड को और मेरा बेटा मेरी योनि को लगातार देखे जा रहा था,,, मैं तो अपने पुत्र के लंबे मोटे लिंग की दिवानी हो गईं हूं,,,मन करता है उसकी मालिश कर दूं,,, लेकिन क्या करूं वो मेरा बेटा है रांझा,,,

बेटा हुआ तो क्या हुआ देवकी ,,, लिंग और योनि मां और बेटा नहीं पहचानते,,, लंड को केवल बुर और बुर को केवल लंड चाहिए,,,बोल देवकी , चुदवाएगी ना तू अपने बेटे के लौड़े से,,,,

हा रांझा हा, मै अपने पुत्र के लौड़े से चुद्वाऊंगी,,,उसे मन ही मन मैंने सब कुछ सौंप दिया है,,,मै उसके लंड से अपनी बुर को चुदवा कर अपनी बुर की प्यास बुझाउंगी

और इस तरह दोनो कामुक बारे करते करते झड़ जाती है,,,

अब देखते है अगले अपडेट में क्या होता है,,,,
Khubsurat update dost
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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बेहतरीन, उमदा, ओर कामुक अपडेट दिया है आपने।
अगले अपडेट का इंतजार रहेगा बेसब्री से। ।
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Behtarin lekin update bahut chota laga yeh wala …
 
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