Update 16
इधर राजमहल में देवकी राजकुमारी नंदिनी के कक्ष से बाहर निकल कर अपने कक्ष की ओर चल देती है। वो अभी राजकुमारी के कक्ष में घटी घटना के सम्बन्ध में सोचती जा रही थी। वह अपने अंतर्द्वंद्व से जूझ रही थी कि क्या उसने अपने पुत्र और पुत्री के सम्बन्ध को स्वीकार कर सही किया या गलत। लेकिन फिर ये सोचती है की इसके अलावा मेरे पास रास्ता ही क्या था, अब दोनों बच्चे बड़े गए हैं, उन्हें रोक भी कैसे सकते हैं , और जो भी कहो मेरे पुत्र का लिंग इतना बड़ा , मोटा और तगड़ा है कि कोई भी स्त्री यदि इसे देख ले तो वह उसकी दिवानी हो जाए, तो मेरी युवा पुत्री का दिल अगर उसपे आ गया तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, भले वह उसका अपना सगा भाई ही क्यों ना हो। अपने पुत्र के लिंग को याद कर राजमाता देवकी की योनि गीली हो जाती है, जिसके अनुभव से वह शरमा जाती है और मन में खुद को गाली देती है, ' कमिनी अपने पुत्र के लिंग को सोच कर ही पनिया जाती है'. यही सोचते सोचते वह अपने कक्ष में पहुंच जाती है और सोने का प्रयास करती है। लेकिन पूरी रात करवट बदल कर गुजारती है।
ऐसे ही राजमहल में अगले दिन बिल्कुल शांति रहती है, एक तो राजा के जन्मदिन के अवसर पर हुए उत्सव की थकावट और दूसरे ये रात की घटना और आज रांझा भी खेतों में काम करने गई हुई थी। लेकिन एक शख्स था जो बहुत बेचैन था और वो शख्स कोई और नहीं राजा विक्रम थे। कल की घटनाएं उन्हें परेशान किए जा रही थी। कल उनके जीवन में स्त्रियों के आगमन का दिन रहा। एक ओर तो कल सुबह से अपनी मां के साथ हुई घटनाएं उन्हें अपनी मां के तरफ आकर्षित कर रही थी तो दूसरी तरफ अपनी बहन नंदिनी के साथ यौन सम्बंध बनाते समय रंगे हाथ पकडे जाना और मां का ये रिश्ता स्वीकार किया जाना , उन्हें रोमांचित कर रहा था। साथ ही कल अचानक अप्सरा सी सुन्दर राजकुमारी रत्ना से उनका विवाह तय होना उनके मन मे गुदगुदी पैदा कर रहा था। वह मन मे सोचते हैं, राजकुमारी रत्ना किसी भी तरह से मेरी मां और बहन से कम सुन्दर नहीं है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके ऊपर कुंवारी तो क्या शादीशुदा स्त्रियां भी मरती हैं। लेकिन राजा विक्रम अपनी मां के तरफ़ भी आकर्षित हो चुके थे। राजा विक्रम के पाव अनायास ही अपनी मां राजमाता देवकी के कक्ष की ओर मुड़ जाते हैं।
राजा विक्रम जब राजमाता देवकी के कक्ष में पहुंचे तो देवकी उस समय बाल संवार रही थी। जैसे ही उसने विक्रम को देखा तो वो चौंक गई और उसकी धड़कनें तेज हो गई। उसे राजा विक्रम का नग्न शरीर उसकी आंखों के सामने गुजर गया। वह हड़बड़ाहट में उठी और बोली
पुत्र अचानक यहां कैसे, अरे संदेशा भिजवा दिया होता।
क्यों मां, क्या एक पुत्र अपनी मां से मिलने बिना सूचना दिए नहीं आ सकता है क्या। और जिस पूत्र की मां आपके जैसी सुन्दर हो, वह तो बार बार आपके पास आना चाहेगा।
और ये बोलते हुए राजा विक्रम आगे बढ़ कर अपनी मां के चरण स्पर्श करता है।
इस पर देवकी शरमा जाती है और कहती है
बिल्कुल आ सकते हो पुत्र, और मुझ बूढ़ी को तुम सुन्दर कह रहे हो, ये मै जानती हूं कि तुम मेरा मन रखने के लिए बोल रहे हो
ये बोलते हुए देवकी अहलादित होकर विक्रम को अपने गले से लगा लेती है। अपनी मां के आलिंगन से राजा विक्रम को एक अलग अनुभूति होती है।
विक्रम कहते हैं
कल आपको देखने के बाद मै दावे के साथ कह सकता हूं कि आप तो सुंदरता की मूरत है ।
इस पर राजमाता देवकी झेंप जाती है और कुछ नहीं बोलती है। वह क्या बोलती, विक्रम ने कल उसके स्तन और योनि के दर्शन जो कर लिए थे।
फिर विक्रम और देवकी इधर उधर की बाते करने लगते हैं। राजा विक्रम अपनी मां से जो रोमांस करने आए थे वह हो चुका था। फिर राजा विक्रम अपनी मां से आज्ञा लेकर जैसे निकलते हैं वैसे ही उनका पैर मुड़ जाता है और वह अपनी मां के कक्ष के बाहर चबूतरे से गिर जाते हैं। उनकी गिरने की आवाज सुन कर राजमाता देवकी भी बाहर आती हैं और आनन फानन में उन्हें उठाकर उनके कक्ष में लाया जाता है। राजवैद्य भी दौड़ते हुए पहुंच जाते हैं और राजा को दिखने के बाद कहते हैं कि
कोई घबराने की बात नहीं है, केवल राजा के पैर में मोच आ गई है। मै इनके पैर बैठकर खपाची बांध देता हूं। दो तीन दिन में ये ठीक हो जाएंगे। तब तक इनका ध्यान रखना होगा। बिना सहारे के ये न उठे।
तब तक राजकुमारी नंदिनी भी आ चुकी थी और वह कहती है
मै रहूंगी अपने भाई के साथ और पूरा ध्यान रखूंगी।
नहीं पुत्री, मै विक्रम का ध्यान रख लूंगी। तुम राज काज का काम संभालो। विक्रम की अनुपस्थिति में तुम्हें ही सारा राज्य संभालना होगा।
इस पर समय की नजुकता समझते हुए नंदिनी देवकी की ये बात मन लेती है।
फिर देवकी विक्रम के देखभाल में लग जाती है। उसके पैरों में लेप लगती है और उसे पंखा झलती रहती है। राजा विक्रम को फिर प्यास लगती है तो देवकी पहले शैया पर बैठ जाती है फिर विक्रम को पकड़ कर उठाती है और अपने कन्धे का सहारा देकर पानी पिलाने लगती है। इस स्थिति में राजा विक्रम को अपनी मां के बदन की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, तो राजमाता देवकी को भी अपने पुत्र के बलिष्ठ शरीर का अनुभव होने लगता है। फिर राजा विक्रम पानी पीते हैं और फिर नजरे उठाकर बहुत प्यार से अपनी मां राजमाता देवकी की आंखों में देखते हैं और फिर अचानक राजमाता देवकी के खुले सीने पर एक जोरदार चुम्बन जड़ देते हैं जिससे देवकी बुरी तरह सिहर जाती है और कहती है
नहीं पुत्र नहीं, ये गलत है।अपनी मां के सीने पे चुम्बन लेना गलत है पुत्र।
क्षमा करें माते।आपके देह के मादक खुशबु से मै अपने को काबू में नहीं रख पाया और बहक गया था मां। आप बताएं इसमें मेरी क्या गलती है अगर आप इतनी सुंदर है तो।
राजा विक्रम के ऐसा बोलने से देवकी को अपनी सुन्दरता पे गुमान भी होता है और उसके मन में खुशी के लड्डू फ़ूटने लगे और वह इतराते हुए अपने सीने की आंचल से ढक लेती है।
देवकी पूरे दिन राजा विक्रम की सेवा करती रही और बीच बीच में राजा विक्रम के खड़े लिंग को धोती में देखती रही। इसके अलावा आज कुछ खास नही हुआ और रात में नंदिनी अपने कक्ष में सोने चली जाती है। लेकिन पूरी रात उसे नींद नहीं आती और वह ये सोच कर रोमांचित हुए जा रही थी कि उसका पुत्र ही उसके पीछे पागल हो गया है।
सुबह देवकी ब्रह्मा मुहूर्त में ही जग जाती है और अपने स्नानघर में जाकर नहाने लगती है। उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और अपने पैरों में उबटन लगा रही थी। तभी रांझा वहां पहुंच जाती है।
देवकी, आ गई कामिनी, ये भी कोई समय है आने का।
रांझा, माफ कर दो राजमाता, कल जरा सोने में विलम्ब हो गया था।
देवकी, तुझे कैसे सोने में विलम्ब हो गया था, कोई यार है क्या तेरा यहां, जो रात में तुझे सोने में विलम्ब हो गया और ये कह कर वो मुस्कुरा देती है।
रांझा भी आकर देवकी को उबटन लगाने लगती है और फिर कहती है
एक बात कहूं देवकी, बुरा तो नही मानोगी।
नहीं मैं तेरी बात का क्यों बुरा मानने लगी। तू तो मेरी राजदार है। बोल, क्या बोलना है तुझे।
देवकी तुम्हारी योनि कसी हुई और स्तन इतने सुडौल हैं कि कोई भी पुरुष तुम्हारे इन दिव्य अंगों का दर्शन कर ले तो वह तुम्हे चोदे बिना नहीं माने।
इस पर देवकी की सांसे उत्तेजना से फूलने लगती हैं, लेकिन वह कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप रांझा को देखती रहती है। रांझा फिर आगे बोलती है
देवकी एक बात कहूं, राजा विक्रम तुम्हारे इन स्तनों को प्यार से देख रहे थे और वो ही ना हो वो इनके दीवाने तो जरूर हो गए थे, तभी तो उन्होंने तुम्हारे स्तनों को सहलाया भी था और हां तुमने ही तो बताया था की उत्सव की रात को उन्होंने तुम्हारी योनि के दर्शन भी कर लिए थे।
इस पर देवकी पूरी गरम हो जाती है लेकिन केवल इतना ही बोलती है
चुप कर तू, वो मेरा पुत्र है और मां पुत्र के बारे मे ऐसी बातें नहीं करते, ये गलत है।
ये बात देवकी तो बोल जाती है, लेकिन उसे स्वयं ये बाते अच्छी लग रही थी और वो और बातें सुनना चाह रही थी।
मै सच कह रही हूं देवकी। मैंने विक्रम की आंखों तेरे लिए प्यार देखा है। वो तुम्हें अपना बनाना चाह रहा है। और मां और पुत्र के बीच कई ऐसे सम्बंध बनते हैं जो दुनिया की नजरो के सामने सभी नहीं आ पाता।
इस पर राजमाता देवकी मुस्कुराने लगती है और कहती है
तू तो बड़ी बड़ी बातें करने लगी है रांझा, क्या बात है कोई मिल गया है क्या जो तेरी योनि की प्यास को बुझा रहा है। और ये क्या , मै यहां नंगी हूं और तू पूरे कपड़े में हैं
रांझा, चल आ जा , तुझे दूध से नहला दूं
और फिर देवकी दूध और गुलाब के फूल से भरे पत्थर के टब में प्रवेश कर जाती है और रांझा उसके पीठ पर लगे उबटन को दूध से धोती है और तभी है शरारत सुझती है और वह पीछे से हाथ ले जाकर देवकी के दोनो स्तनों को हाथों में भर दबा देती है और उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से मिंज देती है जिससे देवकी की आह निकल जाती है।
देवकी, मत कर रांझा, कुछ कुछ होता है
रांझा, क्या होता है देवकी। सोच जब तुम्हारा पुत्र विक्रम तुम्हारे स्तनों का मर्दन करेगा तब तुम्हें कैसा लगेगा
विक्रम का नाम सुनते ही देवकी गरम हो जाती है और उसके स्तन कड़े होकर तन जाते हैं जिसे रांझा महसूस कर लेती हैऔर वह उसकी दोनो चुचियों को दबाने लगती है और कहती है
रांझा,,,,देख देवकी , अपने पुत्र का नाम सुनते ही तुम्हारे स्तन कड़े हो गए, ये भी विक्रम का हाथ ही खोज रहे हैं। हाय कितना मोटा और तगड़ा लंद है राजा विक्रम का, ,,,देखा था ना तुने और राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में दोनों नंगे कितने प्यारे लग रहे थे,।मेरी नजर तो राजा विक्रम के लिंग से हट ही नहीं रही थी,,पता नहीं तूने कैसे अपने को काबू में किया था,, मै तो बाहर खड़ी होकर चार बार झड़ी थी।
रांझा के ऐसा करने से देवकी मदहोश हो जाती है और वह कामुक होकर मदहोशी में बोलती है
देवकी,,,,तू सच कह रही है रांझा, मैने अपने को कैसे काबू किया हुआ था वो मै ही जानती हूं, क्या मस्त और तगड़ा लिंग है मेरे पुत्र का। और तो और वह भी मेरी तरफ आकर्षित है और उसने भी अपने जन्मदिन के दिन मेरी योनि और स्तन के दीदार कर लिए। समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं।
रांझा,,,,समझना क्या है देवकी, जब विक्रम भी तुमसे यौन संबंध बनाना चाहता है, तो तुम भी इस सम्बंध के लिए हामी भर दो, इसमें बुराई ही क्या है। और वैसे भी वह अपनी बहन को तो चोद ही रहा है जिसे तुमने स्वीकार भी कर लिया है, जैसे बहन को चोदेगा वैसे ही मां को भी चोदेगा,,,,,ये सारी बातें रांझा देवकी के स्तन को मसलते हुए कहती है।
आगे क्या होगा ये अगले अपडेट मे,,,