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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Raja maurya

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Update 15
फिर कलुआ नहा कर आता है और दोनो मां बेटे साथ में बैठ नाश्ता करते हैं और फिर दोनों अपने खेत की ओर चल पड़े। रांझा ने पोटली में रोटी और प्याज दोपहर में खाने को ले लिया था। अब रास्ते में रांझा आगे आगे तो कलुआ उसके पीछे चल रहा था। आज कलुआ पहली बार अपनी मां के साथ ऐसे चल रहा था कि उसका सारा ध्यान अपनी मां की हिलती हुई गांड़ पर थी । पगडंडी पे रांझा मटक मटक कर चल रही थी जिससे उसकी गांड़ पूरी हिल रही थी। आज पहली बार कलुआ को अपनी मां की गांड़ देख कर लंद टाइट होने लगा था और उसे जोरो की पेशाब लग जाती है। तो वो बोलता है
मां, थोड़ा रुक जाओ, मुझे पेशाब लगी है।
अच्छा, रुक जाती हूं, तू जा कर ले पेशाब ।घर से पेशाब कर के नही चला था क्या
और ऐसा कह कर वो अपने बेटे के लंद को देखती है, तो उसे वहां उभार दिखता है। इधर कलुआ पगडंडी के किनारे खड़ा होकर अपनी धोती में से लंद निकाल कर पेशाब करने लगता है। रांझा भी तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंद को देख कर सिहर जाती है। फिर कहती है

कितना पेशाब करेगा बेटा। आज पूरे साल की पेशाब निकलेगा क्या। पेशाब कर लिया हो तो अब चल।

ठीक है मां, चलता हूं। यह कह कर कलुआ चल देता है और मन में सोचता है ( मां ये लंद तुम्हारी गांड़ देख कर ही खड़ा हुआ है, लेकिन तुम्हें कैसे बताऊं) फिर दोनो अपने खेत की ओर चल पड़े।
वहां पहुंच कर दोनो अपने खेत पर काम में लग जाते हैं। दोनो खेत की सुहाई करने लगते हैं जिससे खेत से खर पतवार साफ कर के उसे अगली फसल को तैयार कर सकें। लेकिन मौसम गर्म हो चुका इसलिए दोनों दोपहर तक थक जाते हैं और रांझा कहती है
चल बेटा रोटी खा ले और आ जा बरगद के पेड़ के नीचे जरा सुस्ता ले, कितना काम करेगा।
इस पर कलुआ भी धोती अपनी कमर में खोसे आ गया और खेत के बगल से बह रही नदी में जाकर हाथ मुंह धोकर आता है और पेड़ की छाव में बैठ जाता है। रांझा रोटी की पोटली खोलती है और कलुआ से सामने रख कर बैठ जाती है और कहती है
खा ले बेटा, उसके बाद आराम कर लेते हैं।
रांझा अपनी साड़ी घुटनों तक सरका कर कलुआ के सामने जांघ खोल कर बैठी थी,इतनी गर्मी जो थी और रोटी खा रही थी। रांझा के ऐसे बैठने से कलुआ की नजर बार बार अपनी मां की जांघों की जड़ मे चली जा रही थी। रांझा कलुआ की नजर को भांप लेती है और मन में सोचती है ( हाय दईया, ये तो मेरी योनि देखना चाह रहा है, बेशरम कहीं का ) ऐसा सोच कर वह मन में मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें भींच लेती है। लेकिन ये ख्याल आते ही उसकी योनि गीली हो जाती है।
खाना खा कर दोनों वहीं आराम करने लगते हैं। तभी रांझा को पेशाब आती है और वह पेड़ के पीछे पेशाब करने चली जाती है। कलुआ जाग रहा था। वह समझ गया कि मां पेशाब करने गई है। वह भी चुपके से उठता है और पेड़ के पीछे चला जाता है जहां रांझा साड़ी उठा कर पेशाब कर रही थी और उसकी गांड़ दिख रही थी। कलुआ ने पहली बार औरत की गांड़ देखी थी भले वह उसकी अपनी सगी मां की ही थी। कलुआ का लंद खड़ा हो जाता है और वह धोती के ऊपर से ही लंद को सहलाने लगता है। इधर रांझा को लगता है कि पीछे कोई खड़ा है तो वह झटके से सिर पीछे घुमा कर देखती है तो कलुआ को खड़े होकर अपना लंद सहलाते देख लेती है। दोनों की नजर आपस में मिलती है तो कलुआ सकपका जाता है,कलुआ ने सोचा नहीं था कि मां ऐसे घूम जायेगी। दोनो कुछ देर तक एक दूसरे की आंखों में देखते हैं। फिर कलुआ वहां से भाग जाता है। रांझा भी पेशाब करके वापस वहा आती है और लेट जाती है। थोड़ी देर में कलुआ रांझा के चिल्लाने की आवाज सुन कर उठता है तो देखता है कि थोड़ी दूर पर रांझा पैर उठाए चिल्ला रही है। कलुआ भागते हुए वहां पहुंचता है तो रांझा कहती है
पैर में कांटा चुभ गया है बेटे, बहुत दर्द हो रहा है।
मैं देखता हूं मा, आप थोड़ा पैर उठाओ।
ऐसा कहकर वह रांझा का पैर उठा देता है और तलवे के नीचे कांटा देखने लगता है। कांटा तो नही दिखता है। लेकिन पैर उठाने से साड़ी भी ऊपर हो जाती है और रांझा की जांघें खुल जाती हैं। कलुआ कांटा खोजने में व्यस्त था। तभी उसने जैसे अपना सिर उठाया उसे अपनी मां की योनि दिख गई। अपनी मां की योनि इतनी आसानी से देख कर वह उत्तेजित हो गया।उसे रांझा की योनि पे हल्के हल्के बाल दिख रहे थे। रांझा की योनि सुंदर तो थी ही तभी तो राजमाता देवकी ने भी उसकी योनि की प्रशंसा की थी। कलुआ कुछ देर अपनी मां की योनि देखता रहा फिर अपना लंद धोती के ऊपर से रगड़ दिया।
तभी रांझा यह जानते हुए कि उसका पुत्र उसकी योनि देख रहा है, कहती है
कांटा मिला पुत्र।
नहीं माते, कांटा तो नही मिला।
तो लगता है दूसरे पैर में कांटा चुभ गया है, आओ पेड़ की छाव में देखते हैं।
फिर दोनो पेड़ की छाव में बैठ जाते हैं और रांझा घुटने मोड़ कर लेट जाती है
कलुआ , लाओ मां, कांटा देख लूं।
हां बेटा देख ले।लेकिन देख कही हिरण या नीलगाय तो नहीं आ रहे।नही तो दूसरी फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। एक काम कर, तू पेड़ पर चढ़ कर देख लें हिरण या कोई और जानवर कही से आ तो नही रहे हैं। ( रांझा पेड़ पर से चारों ओर दिखवाकर आश्वस्त हो जाना चाहती थी की इस गर्मी में कोई इधर आ तो नही रहा है क्योंकि उस पेड़ से 2 कोस की दूरी तक की चीजे दिख जाती थी।
कलुआ पेड़ के सबसे ऊपर तने पर चढ़ कर देखता है और कहता है
यहां से कोसों दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा ना ही कोई आदमी है न ही कोई जानवर। तुम जानवर की बात कर रही हो मां, यहां तो चिड़िया भी नहीं दिख रही है।
ठीक है बेटा तब तू नीचे आ जा।

कलुआ नीचे आता है और अपनी मां के दूसरे पैर में कांटा ढूंढने लगा। रांझा पेड़ के नीचे साड़ी घुटनों तक उठा कर लेटी थी, ब्लाउज पर से आंचल हटा हुआ था। आज गर्मी बहुत ज्यादा थी और पसीना बहुत निकल रहा था। इसलिए रांझा की चोली फिर से गीली हो गई थी और उसके स्तन ब्लाउज में बिल्कुल साफ दिख रहे थे। इधर कलुआ इस तरह रांझा के पैर उठा कर कांटा देख रहा था कि रांझा की साड़ी उसके जांघों तक आ पहुंची। और उसके बीच इतनी जगह बन गई की रांझा की योनि साफ साफ दिखने लगी। कलुआ अपनी मां की योनि देख कर मंत्र मुग्ध हो गया जिसे रांझा देख लेती है और शर्मा जाती है , लेकिन योनि पनिया जाती है। वह कहती हैं
कांटा मिला पुत्र।
नहीं मां, मै देख रहा हूं
मैं देख रही हूं तुम कांटा नहीं खोज पा रहे हो , अच्छे से कांटा खोजो और ऐसे बोल कर मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल देती है जिससे उसकी योनि और साफ साफ दिखने लगती है।
कलुआ कुछ झेंपता है लेकिन मन मे सोचता है लगता है बात कुछ बनेगी मां भी मूड में है। वह कांटा ढूंढने के बहाने अपनी मां की योनि को देख कर मंत्र मुग्ध हो गया था। उत्तेजना से उसका लंद उसकी धोती में खड़ा हो गया था जिसे रांझा भी देख लेती है और मन ही मन मुस्कुराने लगती है। और कहती है
लगता है कांटा नहीं मिलेगा बेटा और ऐसा बोलते हुए अपनी जांघें बंद कर लेती है।वो थोड़ा कलुआ को तरसाना चाह रही थी।
मैं तो कांटा ही ढूंढ रहा था, अब नहीं मिला तो इसमें मेरी गलती थोड़े ही है। लेकिन मां, मै एक बताऊं तुम्हारे पैर बड़े मुलायम हैं और ऐसा बोल कर वह रांझा के जांघ पर अपने हाथ फेर देता है।
तभी रांझा बोल पड़ती है
आजा बेटा , तू भी थोड़ा आराम कर ले। फिर उसकी धोती की ओर देखते हुए कहती हैं
बेटा तुझे पेशाब आई है क्या।
रांझा के ऐसा पूछने से कलुआ सकपका जाता है और कहता है
नहीं मां, ऐसा नहीं है
तो फिर तुम्हारी धोती में तुम्हारा लिंग क्यों खड़ा है
अपनी मां के इतना खुल्लम खुल्ला पूछने से कलुआ घबरा भी जाता है और उत्तेजना भी महसूस करता है और बात को थोड़ा आगे बढ़ाना चाह रहा था।
तभी उसकी नजर अपनी मां की चोली पे पड़ी जो पसीने से पूरी भीग गई थी। तब वह कहता है
मां, तुम्हारी चोली तो पसीने से पूरी भीग गई है और तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख रहे हैं जैसे सुबह दिख रहे थे।
रांझा ने ऐसा सोचा नहीं था कि कलुआ इतने आराम से ये बात बोल देगा। लेकिन उसे सुनकर अच्छा लग रहा था। तभी कलुआ फिर बोलता है
मां, तुम अपनी चोली उतार ही दो , तो वह सुख भी जायेगी और तुम्हे भी थोड़ी ठंडक मिलेगी
अरे बेशरम, तू मुझे अपने सामने चोली उतरने को बोल रहा है, तुझे जरा भी शर्म नहीं आई अपनी मां से ये बात बोलते हुए।
नहीं मां, शर्म की बात नही है। मै तो इसलिए तुम्हें बोल रहा था की ऐसे भी चोली से तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख ही रहे हैं तो फिर इसको पहनने से क्या फायदा और यहां मेरे तुम्हारे अलावा कोई और है भी नहीं जो कहीं बतायेगा।
अच्छा तू ये ठीक कह रहा है।और ये कह कर वो अपनी चोली उतार कर कलुआ को पेड़ पर टांगने को दे देती है। लेकिन जो भी कहो, कलुआ जब अपने मां के स्तन बिना कपड़ों के देखता है तो वह पागल हो जाता है। उसने इतनी सुंदर चीज पहली बार जो देखी थी
वह उत्तेजनावश बोल पड़ता है
मां, तुम्हारे ये स्तन बहुत सुन्दर लग रहे हैं, कितने गोरे और मुलायम दिख रहे है।
हट बेशरम, पहले तो तुमने मुझे चोली निकालने को कहा और फिर उसे घूर रहा है।
अब मां, ये इतने सुन्दर है तो इसमें मेरी क्या गलती है और आज तक मैंने अभी तक किसी औरत के स्तन नहीं देखे थे, इसीलिए इनको देख कर मैं पागल हो गया। और मेरी तो कोई प्रेमिका भी नहीं है और ये बोलकर वह थोड़ा रूवासा हो जाता है। इस पर रांझा को बड़ा प्यार आता है और वह कहती है
कोई बात नही पुत्र , मैं हूं ना, देख ले इन स्तनों को जितना देखना चाहे, ये तेरे ही तो हैं, तूने ही तो इनका दूध पी पी कर इसे बड़ा कर दिया था। और तुम्हे भी पेशाब लगी है क्या । तुम्हारी धोती में उभार जो दिख रहा है।
हां मां, लगी तो है। मै अभी आया और ये बोल कर वह नदी के पास चला गया। लेकिन आज इन मां बेटे की किस्मत तो देखो। नदी से लौटते समय कलुआ का पैर फिसल गया और वह नदी के पानी मे गिर गया और उसकी धोती पूरी गीली होकर उसके पैर से चिपक गई। उसकी धोती में उसका लिंग साफ साफ दिखने लगा।
कलुआ जैसे अपनी मां के पास वह उसे देख कर हसने लगी और पूछा
ये तुम भीग कैसे गए, तुम्हारी धोती तो पूरी गीली हो गई।
हां मां, वो मै नदी में गिर गया था
इसपर रांझा हसने लगी है और कहती है
इसुलिये दूसरों पर नहीं हंसते। अब तुम्हारी ही धोती गीली हो गई और तुम्हारे अंदर का सब दिख रहा है, ऐसा कर तू भी धोती निकाल कर सूखने को डाल दें, जल्दी सुख जायेगी। इस पर कलुआ धोती खोल कर पेड़ पर सूखने को टांग देता है और रांझा के बगल में आ कर नंगा ही लेट जाता है। थोड़ी देर में वो रांझा के तरफ करवट लेता है और कहता है
एक बात कहूं, मां तुम बहुत खूबसूरत हो और बिना चोली के तुम्हारे ये स्तन बिल्कुल संगमरमर की तरह चमकदार और कोमल दिख रहे हैं, इन्ही से दूध पिया करता था ना मां। पिता जी कितने भग्यशाली है मां, जो उन्हें तुम्हारे जैसी सुन्दर पत्नी मिली है।
इस पर रांझा शरमा जाती है और बोलती है
धत्त बेटा, मै मां हूं, और पुत्र को अपनी मां से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए और न ही मां के इन अंगों को देखना ही चहिए।
लेकिन एक बात कहूंगी,
पुत्र तुम्हें ऐसे मुझे पेशाब करते हुए नही देखना चाहिए था, आखिर मैं मां हूं तुम्हारी। और किसी पुत्र को अपनी मां को पेशाब करते नहीं देखना चाहिए, ये गलत है।

वो मां मै आपकी पेशाब की आवाज सुन कर वहां चल गया था

कोई बात नहीं पुत्र, यहां तो कोई नहीं है।लेकिन किसी के भी सामने ऐसा मत करना। लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में। रांझा भी कलुआ के तरफ करवट लेकर लेट जाती है। कलुआ कहता है
मां, आपसे एक बात पूछूं,।
हां पूछो
आप गुस्सा तो नही करोगी।
नहीं करूंगी गुस्सा, अब पूछ तो।
मां, क्या पिता जी का लिंग भी मेरी तरह ही है या और बड़ा है।
ये क्या पूछ रहा है पुत्र।
मैने कहा था ना मां, आप गुस्सा करोगी।
अच्छा गुस्सा नही करती बेटा।
तो बताओ ना मां। (और कलुआ रांझा के नंगे कंधे पर हाथ रख कर कहता है।)
इस पर रांझा कलुआ के लिंग को देखती है और आहें भरते हुए कहती है
बिल्कुल तेरे पिताजी के लिंग की छाया है तेरा लिंग। मुझे ऐसा लग रहा है मै तेरा लिंग नहीं, तेरे पिताजी का लिंग देख रही हूं।
अपनी मां के देखने से कलुआ के लिंग मे तनाव आ जाता है और वह खड़ा हो कर अपनी मां को सलामी देने लगता है और कहता है
सच मां, मेरा लिंग बिलुल पिता जी की तरह ही है। इसीलिए ये आपको देख कर खड़ा हो गया।
तभी रांझा बोलती है,
बेटा ये क्यों खड़ा हुआ ये मुझे पता है इसने अपनी सहेली को देख लिया है, है ना और ये बोलकर वह मुस्कुरा देती है।
अभी जो तुम घाघरे के नीचे देख रहे थे, वह तुम्हें अपनी मां की नही देखनी चाहिए। यह पुत्र के लिए निषेध है।

इस पर कलुआ शरमा गया और कहा

लेकिन मुझे जो जगह बड़ी प्यारी दिख रही है जो तुम्हारी घाघरे के नीचे है। मेरी तो नजर ही नहीं हट रही है। बड़ी सुंदर है ये। मैने पहली बार देखी है।
अच्छा तो मेरे पुत्र को वो जगह प्यारी लगी। लेकिन पुत्र तुम्हे वो जगह नहीं देखनी चाहिए आओ, ।
लेकिन मां, अब तो मैने उसे देख लिया है। मुझे पिता जी से ईर्ष्या हो रही है जो इतनी सुंदर योनि के मालिक है वो।
अपने पुत्र द्वारा इतना खुल्लम खुल्ला बोलने से वह भी उत्तेजित हो जाती है। तभी कलुआ बोलता है
मां, इतनी गर्मी है। अपना घाघरा उतार दो ना। वैसे भी इसके नीचे जो तुमने छिपाया है वो तो मैने देख ही लिया है।
लेकिन अगर कोई आ गया तो
इतनी गर्मी की दोपहर में कौन आ रहा है मां।
इस पर रांझा अपना घाघरा उतार कर दूसरी तरफ रख देती है। अब दोनों मां बेटे पेड़ के नीचे नंगे लेटे थे। तभी कलुआ कहता है
मुझे तुम्हारा दूध पीना है मां।
तो पी ले बेटा, लेकिन किसी को भी पता नही चलना चाहिए।
बिल्कुल पता नही चलेगा और ये कह कर वो अपनी मां के एक स्तन को मुंह में लेता है और चूसने लगता है जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पी रहा हो। अपनी मां के स्तनग्र को होठों के बीच दबा कर चूसने लगता है और दूसरे हाथ से वह अपनी मां के दूसरे स्तन को दबाने लगता है। रांझा की आहें निकलने लगी और वह अपने पुत्र की बाहों मे पिघल रही थी। उसे अपने पेट पर अपने पुत्र का खडा लिंग चुभ रहा था जिसे कलुआ जन बुझ कर इसके नाभि पर रगड़ रहा था।इससे रांझा बहकने लगी। कलुआ कहता है
देखो ना मां, ये तुम्हें कितने प्यार से देख रहा है
रांझा देखती है तो सही में कलुआ का लंद उसे बड़े प्यार से देख रहा था। तभी कलुआ रांझा का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है जिससे रांझा मस्त हो जाती है और कलुआ के लिंग को पकड़ कर सहलाने लगी।
कलुआ _ मां, मैने आज पहली बार जिंदगी में योनि देखी है। मै इस पर पिता जी की तरह ही प्यार करना चाहता हूं।
रांझा _ लेकिन कोई जान गया तब
कलुआ _ कोई नहीं जानेगा मां और ऐसा बोल कर वह अपना एक हाथ सीधे उसकी योनि पर रख कर उसे सहलाने लगता है जिससे उसे झटका लगता है।
रांझा _ लेकिन ये बात किसी को भी मत बताना बेटा। ये बात हमारे तुम्हारे बीच राज रहेगी और ये कह कर वह कलुआ को आगोश मे ले लेती है। दोनो मां बेटे पुराने प्रेमी की तरह एक दूसरे से चिपक का चुम्बन लेने लगते हैं। इसी बीच कलुआ अपनी मां के ऊपर आ कर अपना लिंग उसकी योनि में डाल देता है जिससे रांझा पागल हो जाती है।। अपने ही पुत्र का लिंग अपनी योनि मे लेने का अलग ही आनंद आता है। फिर घमासान सम्भोग के बाद कलुआ अपनी मां की योनि में झड़ जाता है और अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में ही छोड़ देता है
Fantastic update Bhai
 

Ravi2019

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bahut khub

hot update bhai

Gajab update Bhai

बहुत ही लाजवाब कहानी


रवि भाई पुर्नआगमन की बधाई
कहानी के दोनों अपेडट ही शानदार है।
मजा आ गया।
अब रेगयूलर अपडेट देते रहना भाई।

Fantastic update Bhai
Thank you all
 

Ravi2019

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Update 16

इधर राजमहल में देवकी राजकुमारी नंदिनी के कक्ष से बाहर निकल कर अपने कक्ष की ओर चल देती है। वो अभी राजकुमारी के कक्ष में घटी घटना के सम्बन्ध में सोचती जा रही थी। वह अपने अंतर्द्वंद्व से जूझ रही थी कि क्या उसने अपने पुत्र और पुत्री के सम्बन्ध को स्वीकार कर सही किया या गलत। लेकिन फिर ये सोचती है की इसके अलावा मेरे पास रास्ता ही क्या था, अब दोनों बच्चे बड़े गए हैं, उन्हें रोक भी कैसे सकते हैं , और जो भी कहो मेरे पुत्र का लिंग इतना बड़ा , मोटा और तगड़ा है कि कोई भी स्त्री यदि इसे देख ले तो वह उसकी दिवानी हो जाए, तो मेरी युवा पुत्री का दिल अगर उसपे आ गया तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, भले वह उसका अपना सगा भाई ही क्यों ना हो। अपने पुत्र के लिंग को याद कर राजमाता देवकी की योनि गीली हो जाती है, जिसके अनुभव से वह शरमा जाती है और मन में खुद को गाली देती है, ' कमिनी अपने पुत्र के लिंग को सोच कर ही पनिया जाती है'. यही सोचते सोचते वह अपने कक्ष में पहुंच जाती है और सोने का प्रयास करती है। लेकिन पूरी रात करवट बदल कर गुजारती है।
ऐसे ही राजमहल में अगले दिन बिल्कुल शांति रहती है, एक तो राजा के जन्मदिन के अवसर पर हुए उत्सव की थकावट और दूसरे ये रात की घटना और आज रांझा भी खेतों में काम करने गई हुई थी। लेकिन एक शख्स था जो बहुत बेचैन था और वो शख्स कोई और नहीं राजा विक्रम थे। कल की घटनाएं उन्हें परेशान किए जा रही थी। कल उनके जीवन में स्त्रियों के आगमन का दिन रहा। एक ओर तो कल सुबह से अपनी मां के साथ हुई घटनाएं उन्हें अपनी मां के तरफ आकर्षित कर रही थी तो दूसरी तरफ अपनी बहन नंदिनी के साथ यौन सम्बंध बनाते समय रंगे हाथ पकडे जाना और मां का ये रिश्ता स्वीकार किया जाना , उन्हें रोमांचित कर रहा था। साथ ही कल अचानक अप्सरा सी सुन्दर राजकुमारी रत्ना से उनका विवाह तय होना उनके मन मे गुदगुदी पैदा कर रहा था। वह मन मे सोचते हैं, राजकुमारी रत्ना किसी भी तरह से मेरी मां और बहन से कम सुन्दर नहीं है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके ऊपर कुंवारी तो क्या शादीशुदा स्त्रियां भी मरती हैं। लेकिन राजा विक्रम अपनी मां के तरफ़ भी आकर्षित हो चुके थे। राजा विक्रम के पाव अनायास ही अपनी मां राजमाता देवकी के कक्ष की ओर मुड़ जाते हैं।
राजा विक्रम जब राजमाता देवकी के कक्ष में पहुंचे तो देवकी उस समय बाल संवार रही थी। जैसे ही उसने विक्रम को देखा तो वो चौंक गई और उसकी धड़कनें तेज हो गई। उसे राजा विक्रम का नग्न शरीर उसकी आंखों के सामने गुजर गया। वह हड़बड़ाहट में उठी और बोली
पुत्र अचानक यहां कैसे, अरे संदेशा भिजवा दिया होता।

क्यों मां, क्या एक पुत्र अपनी मां से मिलने बिना सूचना दिए नहीं आ सकता है क्या। और जिस पूत्र की मां आपके जैसी सुन्दर हो, वह तो बार बार आपके पास आना चाहेगा।
और ये बोलते हुए राजा विक्रम आगे बढ़ कर अपनी मां के चरण स्पर्श करता है।
इस पर देवकी शरमा जाती है और कहती है
बिल्कुल आ सकते हो पुत्र, और मुझ बूढ़ी को तुम सुन्दर कह रहे हो, ये मै जानती हूं कि तुम मेरा मन रखने के लिए बोल रहे हो
ये बोलते हुए देवकी अहलादित होकर विक्रम को अपने गले से लगा लेती है। अपनी मां के आलिंगन से राजा विक्रम को एक अलग अनुभूति होती है।
विक्रम कहते हैं
कल आपको देखने के बाद मै दावे के साथ कह सकता हूं कि आप तो सुंदरता की मूरत है ।
इस पर राजमाता देवकी झेंप जाती है और कुछ नहीं बोलती है। वह क्या बोलती, विक्रम ने कल उसके स्तन और योनि के दर्शन जो कर लिए थे।
फिर विक्रम और देवकी इधर उधर की बाते करने लगते हैं। राजा विक्रम अपनी मां से जो रोमांस करने आए थे वह हो चुका था। फिर राजा विक्रम अपनी मां से आज्ञा लेकर जैसे निकलते हैं वैसे ही उनका पैर मुड़ जाता है और वह अपनी मां के कक्ष के बाहर चबूतरे से गिर जाते हैं। उनकी गिरने की आवाज सुन कर राजमाता देवकी भी बाहर आती हैं और आनन फानन में उन्हें उठाकर उनके कक्ष में लाया जाता है। राजवैद्य भी दौड़ते हुए पहुंच जाते हैं और राजा को दिखने के बाद कहते हैं कि
कोई घबराने की बात नहीं है, केवल राजा के पैर में मोच आ गई है। मै इनके पैर बैठकर खपाची बांध देता हूं। दो तीन दिन में ये ठीक हो जाएंगे। तब तक इनका ध्यान रखना होगा। बिना सहारे के ये न उठे।
तब तक राजकुमारी नंदिनी भी आ चुकी थी और वह कहती है
मै रहूंगी अपने भाई के साथ और पूरा ध्यान रखूंगी।

नहीं पुत्री, मै विक्रम का ध्यान रख लूंगी। तुम राज काज का काम संभालो। विक्रम की अनुपस्थिति में तुम्हें ही सारा राज्य संभालना होगा।
इस पर समय की नजुकता समझते हुए नंदिनी देवकी की ये बात मन लेती है।
फिर देवकी विक्रम के देखभाल में लग जाती है। उसके पैरों में लेप लगती है और उसे पंखा झलती रहती है। राजा विक्रम को फिर प्यास लगती है तो देवकी पहले शैया पर बैठ जाती है फिर विक्रम को पकड़ कर उठाती है और अपने कन्धे का सहारा देकर पानी पिलाने लगती है। इस स्थिति में राजा विक्रम को अपनी मां के बदन की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, तो राजमाता देवकी को भी अपने पुत्र के बलिष्ठ शरीर का अनुभव होने लगता है। फिर राजा विक्रम पानी पीते हैं और फिर नजरे उठाकर बहुत प्यार से अपनी मां राजमाता देवकी की आंखों में देखते हैं और फिर अचानक राजमाता देवकी के खुले सीने पर एक जोरदार चुम्बन जड़ देते हैं जिससे देवकी बुरी तरह सिहर जाती है और कहती है

नहीं पुत्र नहीं, ये गलत है।अपनी मां के सीने पे चुम्बन लेना गलत है पुत्र।
क्षमा करें माते।आपके देह के मादक खुशबु से मै अपने को काबू में नहीं रख पाया और बहक गया था मां। आप बताएं इसमें मेरी क्या गलती है अगर आप इतनी सुंदर है तो।
राजा विक्रम के ऐसा बोलने से देवकी को अपनी सुन्दरता पे गुमान भी होता है और उसके मन में खुशी के लड्डू फ़ूटने लगे और वह इतराते हुए अपने सीने की आंचल से ढक लेती है।
देवकी पूरे दिन राजा विक्रम की सेवा करती रही और बीच बीच में राजा विक्रम के खड़े लिंग को धोती में देखती रही। इसके अलावा आज कुछ खास नही हुआ और रात में नंदिनी अपने कक्ष में सोने चली जाती है। लेकिन पूरी रात उसे नींद नहीं आती और वह ये सोच कर रोमांचित हुए जा रही थी कि उसका पुत्र ही उसके पीछे पागल हो गया है।
सुबह देवकी ब्रह्मा मुहूर्त में ही जग जाती है और अपने स्नानघर में जाकर नहाने लगती है। उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और अपने पैरों में उबटन लगा रही थी। तभी रांझा वहां पहुंच जाती है।
देवकी, आ गई कामिनी, ये भी कोई समय है आने का।
रांझा, माफ कर दो राजमाता, कल जरा सोने में विलम्ब हो गया था।
देवकी, तुझे कैसे सोने में विलम्ब हो गया था, कोई यार है क्या तेरा यहां, जो रात में तुझे सोने में विलम्ब हो गया और ये कह कर वो मुस्कुरा देती है।
रांझा भी आकर देवकी को उबटन लगाने लगती है और फिर कहती है
एक बात कहूं देवकी, बुरा तो नही मानोगी।
नहीं मैं तेरी बात का क्यों बुरा मानने लगी। तू तो मेरी राजदार है। बोल, क्या बोलना है तुझे।
देवकी तुम्हारी योनि कसी हुई और स्तन इतने सुडौल हैं कि कोई भी पुरुष तुम्हारे इन दिव्य अंगों का दर्शन कर ले तो वह तुम्हे चोदे बिना नहीं माने।
इस पर देवकी की सांसे उत्तेजना से फूलने लगती हैं, लेकिन वह कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप रांझा को देखती रहती है। रांझा फिर आगे बोलती है
देवकी एक बात कहूं, राजा विक्रम तुम्हारे इन स्तनों को प्यार से देख रहे थे और वो ही ना हो वो इनके दीवाने तो जरूर हो गए थे, तभी तो उन्होंने तुम्हारे स्तनों को सहलाया भी था और हां तुमने ही तो बताया था की उत्सव की रात को उन्होंने तुम्हारी योनि के दर्शन भी कर लिए थे।
इस पर देवकी पूरी गरम हो जाती है लेकिन केवल इतना ही बोलती है
चुप कर तू, वो मेरा पुत्र है और मां पुत्र के बारे मे ऐसी बातें नहीं करते, ये गलत है।
ये बात देवकी तो बोल जाती है, लेकिन उसे स्वयं ये बाते अच्छी लग रही थी और वो और बातें सुनना चाह रही थी।
मै सच कह रही हूं देवकी। मैंने विक्रम की आंखों तेरे लिए प्यार देखा है। वो तुम्हें अपना बनाना चाह रहा है। और मां और पुत्र के बीच कई ऐसे सम्बंध बनते हैं जो दुनिया की नजरो के सामने सभी नहीं आ पाता।
इस पर राजमाता देवकी मुस्कुराने लगती है और कहती है
तू तो बड़ी बड़ी बातें करने लगी है रांझा, क्या बात है कोई मिल गया है क्या जो तेरी योनि की प्यास को बुझा रहा है। और ये क्या , मै यहां नंगी हूं और तू पूरे कपड़े में हैं
रांझा, चल आ जा , तुझे दूध से नहला दूं
और फिर देवकी दूध और गुलाब के फूल से भरे पत्थर के टब में प्रवेश कर जाती है और रांझा उसके पीठ पर लगे उबटन को दूध से धोती है और तभी है शरारत सुझती है और वह पीछे से हाथ ले जाकर देवकी के दोनो स्तनों को हाथों में भर दबा देती है और उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से मिंज देती है जिससे देवकी की आह निकल जाती है।
देवकी, मत कर रांझा, कुछ कुछ होता है
रांझा, क्या होता है देवकी। सोच जब तुम्हारा पुत्र विक्रम तुम्हारे स्तनों का मर्दन करेगा तब तुम्हें कैसा लगेगा

विक्रम का नाम सुनते ही देवकी गरम हो जाती है और उसके स्तन कड़े होकर तन जाते हैं जिसे रांझा महसूस कर लेती हैऔर वह उसकी दोनो चुचियों को दबाने लगती है और कहती है
रांझा,,,,देख देवकी , अपने पुत्र का नाम सुनते ही तुम्हारे स्तन कड़े हो गए, ये भी विक्रम का हाथ ही खोज रहे हैं। हाय कितना मोटा और तगड़ा लंद है राजा विक्रम का, ,,,देखा था ना तुने और राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में दोनों नंगे कितने प्यारे लग रहे थे,।मेरी नजर तो राजा विक्रम के लिंग से हट ही नहीं रही थी,,पता नहीं तूने कैसे अपने को काबू में किया था,, मै तो बाहर खड़ी होकर चार बार झड़ी थी।
रांझा के ऐसा करने से देवकी मदहोश हो जाती है और वह कामुक होकर मदहोशी में बोलती है
देवकी,,,,तू सच कह रही है रांझा, मैने अपने को कैसे काबू किया हुआ था वो मै ही जानती हूं, क्या मस्त और तगड़ा लिंग है मेरे पुत्र का। और तो और वह भी मेरी तरफ आकर्षित है और उसने भी अपने जन्मदिन के दिन मेरी योनि और स्तन के दीदार कर लिए। समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं।
रांझा,,,,समझना क्या है देवकी, जब विक्रम भी तुमसे यौन संबंध बनाना चाहता है, तो तुम भी इस सम्बंध के लिए हामी भर दो, इसमें बुराई ही क्या है। और वैसे भी वह अपनी बहन को तो चोद ही रहा है जिसे तुमने स्वीकार भी कर लिया है, जैसे बहन को चोदेगा वैसे ही मां को भी चोदेगा,,,,,ये सारी बातें रांझा देवकी के स्तन को मसलते हुए कहती है।

आगे क्या होगा ये अगले अपडेट मे,,,
 

Mass

Well-Known Member
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आगे क्या होगा ये अगले अपडेट मे - Devki Vikram se chudne ke liye taiyyar ho jaayegi :)
Agle update kaa intezaar hain.. :)
 
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