Update 17
रांझा देवकी के स्तनों को लगातार दबाए जा रही थी और देवकी को उत्तेजित किए जा रही थी देवकी फिर बोलती है
देवकी,,,क्या ये सही होगा रांझा की मै अपने ही पुत्र के साथ सम्बंध बनाऊं। नंदिनी और विक्रम तो नादान है उनकी गलती माफ है, लेकिन मैं तो उन दोनों की मां हूं, मै तो समझदार हूं, मै ये गलती कैसे कर सकती हूं।
रांझा,,,ये गलती नहीं है देवकी।ये तो स्त्री और पुरूष का नैसर्गिक आकर्षण है जो कभी भी किसी से आकर्षित हो सकते हैं, भले ही रिश्ते में दोनो मां बेटे ही क्यों ना हो।
रांझा की कामुक बातों से और स्तन मिंजने से देवकी झड़ जाती है और तब से नहा कर बाहर निकल जाती है। तभी देवकी को एक शरारत सूझती है। वह कहती हैं
रांझा, मै राजमाता हूं और यहां नंगी खड़ी हूं और तू घाघरा चोली पहन कर मेरे सामने खड़ी है। शरम नहीं आई तुझे। चल तू भी निकाल अपना घाघरा।
और ये बोलते हुए उसने जैसे ही रांझा के घाघरे का नाड़ा खोला, रांझा का घाघरा सरसराते हुए उसके पैरों में गिर गया और देवकी के सामने रांझा भी कमर के नीचे पूरी नंगी हो गई जिसे देख कर देवकी ने कहा
जो कहो रांझा, तुम्हारी योनि गजब की सुंदर है
और ऐसा कह कर उसने रांझा की योनि को सहलाने लगी और अपनी एक उंगली उसकी योनि में घुसा दिया। लेकिन ये क्या, देवकी की पूरी उंगली सरसरती हुई रांझा की योनि में ऐसे घुस गया जैसे उसकी योनि चुदाने के कारण फिसलन भरी हो। देवकी तो खेली खाई थी ही।उसने अपनी उंगली निकाल कर जैसे सुंघा, उसे वीर्य की खुशबु आई। तब देवकी बोलती है
अच्छा, तब महारानी जी को सही में कोई यार मिल गया है। तभी कहूं इतनी कामुक क्यों हो रही हैं ये। अच्छा, बता कौन है तेरा नया यार। जल्दी बता।
रांझा,, वो कोई नही है देवकी, ये योनि तो तुमसे कामुक बातें कर के गीली हो गई है।
देवकी,,, क्यों अनाड़ी समझा है क्या तुमने मुझे जो तू मुझे बरगला रही है, दो बच्चे पैदा किए है मैने अपनी योनि से।
रांझा देवकी को बताना तो चाह रही थी लेकिन थोड़ा नाटक कर के, ताकि देवकी थोड़ा उत्तेजित हो जाए।
रांझा,,वो वो,,,,
वो वो क्या, तू बताती क्यो नही। तू तो ऐसे हिचक रही है जैसे तू अपने बेटे से ही चूड़ कर आई है।
हां, देवकी , तू बिल्कुल सही बोल रही है, वो मेरा पुत्र कलुआ ही है जिससे मैं चूड़ रही हूं।
देवकी ये सुनकर आश्चर्यचकित हो जाती है और कहती है
क्या सही में, ये कलुआ ही है। तू अपने पुत्र से ही चूड़ गई।
हां, देवकी, कुलुआ का लिंग इतना मोटा और तगड़ा है कि उसे देखकर मेरा दिल उसपे आ गया और फिर,,,,
अरे वाह , रांझा तूने तो बाजी मार ली। क्या तुम्हें बुरा नही लगा अपने पुत्रवका लिंग अपनी योनि में लेने से। और कैसे हुआ ये जरा ये विस्तार से बता ना ।
और ये कहते हुए देवकी रांझा की योनि में अपनी उंगली आगे पीछे करने लगती है और रांझा का हाथ पकड़ कर अपनी योनि पे रख देती है जिस पर रांझा भी उसकी योनि सहलाने लगती है और रांझा देवकी को सारी घटना विस्तार से बताने लगती है की कैसे कैसे उसके सम्बंध उसके पूत्र से ही बन गए और वह सारी घटना पूरे विस्तार से रांझा को बताती है । रांझा के ऐसे बोलने और बताने से दोनो उत्तेजित हो कर कई बार झड़ जाती हैं और रांझा इस कामुक अंदाज में बोलती भी है की देवकी उत्तेजित हो जाती है। रांझा देवकी की योनि में उंगली अंदर बाहर करते हुए कहती है,,
लेकिन देवकी विक्रम का लिंग भी तो बहुत आकर्षक है, तुमने जब उसका लिंग अपने हाथ में लिया था तब क्या तुम्हे उसे अपनी योनि में डालने का जरा भी मन नहीं किया। यदि मैं तुम्हारे स्थान पर रहती तो मैं तो उसे अपनी योनि लिए बिना नहीं रह पाती। वो तो तुम थी की तुमने अपने ऊपर काबू कर लिया।
देवकी कामवासना में डूबकर कहती है,,
मन तो बहुत किया था रांझा, लेकिन क्या करूं हिम्मत नही हो पाई। महाराज के गुजरने के कितने वर्षों बाद मुझे लिंग के दर्शन हुए थे और वो भी इतने बलिष्ठ शरीर वाले मेरे पुत्र की। गजब का आकर्षण है मेरे पुत्र में, रांझा, रात मे मन तो मेरा भी करता है पुरूष संसर्ग का, पुरुष के साथ सम्भोग करने का। लेकिन क्या करूं, डर लगता है कई जान ना जाए और कहीं गर्भ ना ठहर जाए, नहीं तो मैं किसी को क्या मुंह दिखाऊंगी।
अगर तुम्हारा मन विक्रम के साथ सम्भोग करने को तैयार है, तो तुम्हें अपने मन की सुननी चाहिए।सच कहूं देवकी, जो आनंद अपने पुत्र के साथ छुड़ाई करने में है वो किसी के साथ नहीं है। मै अपने अनुभव से कह रही हूं और मैंने तो विक्रम की आंखों में तुम्हारे लिए प्यार देखा है । तुम एक कदम भी आगे बढ़ोगी तो वह अपने प्यार का इजहार कर देगा। और जैसे वह अपनी बहन को सब से छुप कर चोद रहा है वैसे ही छुप छुप कर तुमदोनो भी chudai करना और मेरे तरफ से निश्चिन्त रहना। मै किसी को नहीं बोलूंगी।
लेकिन ये गलत होगा रांझा, वो मेरा पुत्र है।
पुत्र के साथ ही मजा है देवकी। जो मजा मुझे मेरे पुत्र के साथ आ रहा है वो मुझे अपने पति के साथ कभी नहीं आया। और देवकी क्यों झूठ बोलती हो, मैने स्वयं देखा है तुम अपने पुत्र के लिंग को बार बार ललचाई नजरों से देख रही थी । ( ऐसा कहते हुए रांझा देवकी के निपल्स को मसल देती है जिससे देवकी आहे भरते हुए कमुक्तावश बोलती है)
क्या करूं देवकी विक्रम का लंद है ही ऐसा की जब भी देखती हूं मेरी नजर विक्रम के लंद पर चली जाती है अभी कल दिन भर धोती में उसके लिंग को ताड़ती रही। काश वो मुझे चोद देता।
और ऐसा बोलते हुए वो झड़ जाती है। झड़ने के बाद उसे होश आता है की वो क्या कह गई। इधर रांझा मंद मंद मुस्कुराती रहती है। देवकी को गुमसुम देख रांझा उसे सामान्य करने के लिए कहती है
अब मुंह मत लटका। मै तेरी बात किसी से नहीं कहूंगी। चल मुस्कुरा और मेरी तरफ से निश्चिन्त रह, मै ये राज अपने तक सीमित रखूंगी। अपने बेटे से यौन संबंध बनाना सामाजिक रूप से गलत हो सकता है लेकिन शारीरिक रूप से नहीं। पुरुष और स्त्री के बीच आकर्षण नैसर्गिक है। लिंग केवल योनि और योनि केवल लिंग को पहचानती है। और तू मुझे तो जानती ही है, मै जान दे दूंगी, लेकिन तुम्हे बदनाम नहीं होने दूंगी।
फिर देवकी भी मुस्कुराने लगती है और फिर तैयार हो कर विक्रम के कक्ष की ओर चल देती है। रांझा भी अपने घर की ओर चल देती है क्यों कि उसे कलुआ को लेकर विक्रम को देखने भी जाना था।
इधर राजा विक्रम आपनी शैय्या पर लेटे रहते हैं तो देवकी पहुंचती है और सबसे पहले विक्रम के पैरों में औषधि की मालिश करती है और फिर विक्रम को संतरे खिलाने लगती है। तभी विक्रम बोलते हैं
आपके हाथ से संतरे खाने का अलग ही आनंद है माते। उसमे अलग खुशबू आ जाती है। लेकिन मुझे संतरे से अच्छा आम चूसने में ज्यादा मजा आता है और देवकी के स्तनों की ओर देखकर बोलता है। देवकी विक्रम की नजरों को भांप लेती है और शरमा जाती है। फिर देवकी केला छिल कर उसे देती है, तो विक्रम भी एक केला देवकी को खिला देता है और कहता है
माते, आपको कैसे केले पसंद है, छोटे वाले या बड़े वाले। ( ये कहते हुए विक्रम अपने लिंग को अपने हाथ से धोती के ऊपर से ही मसल देते हैं जिसे देवकी देख लेती है और मजे लेते हुए कहती है
मुझे तो लंबे और मोटे केले पसंद है पुत्र। छोटे से पर नही भरता।
ठीक है मां, तब मै तुम्हें मोटा और लम्बा केला खिलाऊंगा अपने हाथ से, खाओगी ना मां अपने बेटे के हाथ से।
हां बेटा, कोई बेटा प्यार से अपनी मां को केला खिलाएगा तो कौन मां नहीं खाना चाहेगी। और ये बोल कर वह मुस्कुरा देती है। फिर विक्रम को उठाकर गिलास में रखा हुआ दूध पिलाने लगती है जिसे पीने मे विक्रम नखरे दिखाने लगता है।
नहीं मां, मै ये दूध नहीं पियूंगा।
पी ले बेटा, इससे तेरी कमजोरी दूर होगी।
नहीं, तुम्हें पता है न मुझे गाय का दूध नहीं पसंद। मुझे तो ताजा दूध पीना है।
ऐसा बोलते हुए विक्रम अपनी मां के स्तनों को देखता है जिसे देवकी देख लेती है और विक्रम की बाते समझकर शरमा जाती है और कहती है
बेटा बचपन से ही तुझे गाय का दूध पसंद नहीं है। अब तो तुम बड़े हो गए हो, दूध पीना सिख लो।
फिर राजा विक्रम थोड़ा सा दूध पीकर बैठते हैं और देवकी एक बार फिर औषधि विक्रम के पैरों में लगाती है कि अचानक देवकी की चोली में अचानक मधुमक्खी घुस जाती है और उसके स्तन पर काट देती है जिससे देवकी जोर से चिल्लाती है और छटपटाने लगती है। लेकिन वो मधुमक्खी चोली में ही फस जाती है और एक बार फिर काट देती है। देवकी घबराहट में अपनी चोली निकाल देती है जिससे उसके दोनों स्तन विक्रम के सामने नंगे हो जाते हैं। मधुमक्खी चोली में ही फसी थी जो आज होकर भाग गई। लेकिन उसने देवकी के स्तन पर दो जगह काट लिया था। वह दर्द से परेशान हो जाती है तो राजा विक्रम आपनी शैय्या पर बैठाते हैं और स्तन पर काटे हुए स्थान पर पर वही औषधि लगा देते हैं जिससे देवकी को थोड़ा आराम मिलता है।लेकिन वहां मधुमक्खी का डंक फसा रहता है जिसे देख कर वे कहते हैं
माते, मधुमक्खी का डंक अंदर ही रह गया है उसे निकलना पड़ेगा नही तो जब तक ये अंदर रहेगा , दर्द करता रहेगा।
हां , पुत्र दर्द बहुत कर रहा है, अगर तुम्हे आपत्ति ना हो तो तू ही निकल दे डंक।
आप जैसा कहे माते।
और ऐसा कह कर राजा विक्रम अपनी मां के स्तन पर फसे मधुमक्खी के डंक को हाथों के दोनो अंगूठों से दबाकर निकलते हैं। डंक निकलने में विक्रम के हाथ देवकी के निप्पल को छू जाते हैं जिससे उसकी मुंह से आह निकल जाती है। फिर राजा विक्रम डंक निकालकर बोलते हैं
लो मां, दोनों डंक निकल गए
पुत्र आज तू नहीं होता तो पता नही क्या हो जाता
और ये कह कर वह अपनी चोली पहनने के लिए उठाती है तो विक्रम चोली पकड़ लेता है और कहता है
चोली मत पहनो मां, ऐसे ही बैठो न, देखो कितनी गर्मी है तुम्हें भी आराम मिलेगा
पागल हो गए हो क्या विक्रम जो तुम मुझे बिना चोली के बैठने को बोल रहे हो
माते यहां कक्ष में कोई नहीं है और मैंने सबको बता दिया है कि कोई मेरी अनुमति के बिना नहीं आएगा। और मैने तो तुम्हारे स्तन देख ही लिए । अब स्तन एक बार देखे या कई बार, बात तो बराबर ही है।और तुम्हारे स्तन बड़े प्यारे हैं मां। इन्ही प्यारे स्तनों का दूध पीकर मैं बड़ा हुआ हूं ना। तो मुझसे कैसा शरमानl । बैठो ना ऐसे ही। देखो मैं भी तो ऊपर से नंगा ही हूं।
तुम्हे मेरे स्तन कैसे अच्छे लगने लगे पुत्र। तू तो नंदिनी के जवान स्तनों का मर्दन कर ही रहा है। उसके स्तनों के सामने मेरे स्तन की क्या बिसात।
नंदिनी के स्तन भी सुंदर है माते, लेकिन जो आकर्षण आपके स्तन में है, वो कहीं और कहां। आपके ये गोल गोल गुलाबी चुचुक ( निपल्स) मादक लग रहे हैं। नंदिनी का आकर्षण अलग है और आपका अलग।
अच्छा जी, तो अब मां के भी स्तन पसंद आने लगे पुत्र को
अब मां आपके जैसी सुन्दर होगी तो किस पुत्र का दिल नहीं आएगा मां पर। और एक बात बताऊं माते, हरेक पुत्र की पहली पसंद उसकी मां ही होती है।
छी, कैसी बात करते हो पुत्र। ये गलत है।
देवकी ये बातें करती है, लेकिन चोली पहनने का कोई प्रयास नहीं करती और विक्रम के सामने नंगे स्तनों में ही बैठी रहती है और कहती है
पुत्र तुम इतना कहते हो तो नहीं पहनती हूं चोली। लेकिन ये किसी को भी मत बताना, नंदिनी को भी नहीं
ठीक है माते, लेकिन एक बात कहूं, मुझे आपके स्तन चूसने का मन हो रहा है। इसका दूध पीना है मुझे।
इसमें अब दूध नहीं आता पुत्र।
लेकिन मुझे पीना है मां और मेरे पीने से ये कौन सा घिस जायेगा।
इस पर देवकी मुस्कुराने लगती है और कहती है
तू नहीं मानेगा , तू बचपन से ही जिद्दी है
और ऐसा बोलकर वह विक्रम को गोद में ले लेती है जो एक स्तन को लेकर मुंह में चूसने लगता है और दूसरे स्तन को हाथ से मसलने लगता है जिससे देवकी की आह निकलने लगती है और उसकी योनि गीली हो जाती है। इधर मां के स्तन चूसने से विक्रम भी उत्तेजित हो जाते हैं और उसका लिंग उसकी धोती में खड़ा हो जाता है जिसे देवकी देख लेती है और सिहर जाती है ।
इसी बीच कक्ष पाल बाहर से आवाज देता है की रांझा और कलुआ आए हैं जो मिलने की अनुमति चाहते हैं। राजा विक्रम दोनो को अंदर भेजने को कहते हैं। कक्ष पाल के आवाज देने पर देवकी झटके से विक्रम को अलग करती है और अपनी चोली पहन लेती है। तभी रांझा और कलुआ अंदर आते हैं। कलुआ राजा को शीश झुकाता है और राजमाता के पैर छूने को झुकता है तो रांझा भी तुरंत कलुआ के साथ साथ देवकी के पैर छूती है तो देवकी दोनो को खुश रहने का आशीर्वाद देती है। लेकिन देवकी धीरे से रांझा से पूछती है
तूने क्यू पैर छुए कलुआ के साथ , रांझा।
मैने अपने पुत्र के साथ एक नई जिंदगी की शुरुआत की है इसीलिए उसके साथ तुम्हारा आशीर्वाद लिया है की हम दोनों मां बेटा की जिंदगी इसी तरह खुशी खुशी कटेऔर हमारे प्यार में कभी कोई नही आए।
इस पर देवकी बहुत खुश होती है और कहती है
सच्चे प्यार को तो पूरी कायनात भी सफल कर देती है। तुम्हारा और कलुआ का प्यार एकदम निश्छल है तो इसमें कोई बाधा नहीं है। तुम दोनो मां बेटे जीवन का आनंद उठाओ।
फिर अचानक विक्रम को कहती है
पुत्र, अभी उपसेनापति का पद रिक्त है, और कलुआ उस पद के लिए सर्वथा उपयुक्त है तो तुम क्यों न कलुआ को उपसेनापति नियुक्त कर देते हो।
हां, माते, ये तो मैने सोचा ही नहीं। क्यों मित्र तुम तैयार हो इसके लिए।
जैसा आपका आदेश राजन, कलुआ ने कहा।
आदेश नहीं, आग्रह है मित्र। मित्र को आदेश नही, आग्रह करते हैं। आज से अभी से तुम उपसेनापति हो और तुम उपसेनापति के लिए बने घर में धाय मां के साथ रहोगे। तुम्हारे घर पहुंचने के पूर्व तुम्हारा सारा समान तुम्हारे नए घर में पहुंचा जाएगा।
और राजा विक्रम , कक्ष पाल को बुलाकर रांझा का सारा समान नए घर में रखने आदेश दे देता है। इस पर रांझा के आंखों में आसूं आ जाते हैं और वह देवकी के पैरों में गिर जाती है जिसे देवकी उठा कर गले लगा लेती है और कहती है
ये क्या कर रही है तू। तेरा स्थान तो मेरे हृदय में है और तेरे हाथ का स्थान कही और।
नहीं देवकी, तूने मुझ दासी के पुत्र को उपसेनापटी बना दिया, तुम्हारा ये उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगी।
अरे आज तुम पुत्र के साथ जोड़े मे आई हो तो कुछ उपहार मिलना ही था।
ठीक है, लेकिन तुम्हें मेरी एक बात माननी होगी । आज दोपहर का खाना तुम हमारे नए घर में खाओ।
ये कैसे संभव है रांझा। देखो विक्रम को चोट लगी है।
नहीं मां, मै अब ठीक हूं।में चलूंगा, कक्ष में बंद बंद मेरा दम घुट रहा है। मै भी थोड़ा घूमना चाहता हूं।
ठीक है पुत्र, है चलते हैं इनके घर।
फिर रांझा और कुलूआ अपने नए घर में आ जाते है। उनका सारा समान तब तक आ गया रहता है। घर में जाते ही ही कलुआ रांझा को आलिंगन में लेकर जकड़ लेता है और उसके होठों पर चुम्बन अंकित कर लेता है। और कहता है
मां , आज तुम्हारे आशीर्वाद से मै उपसेनापति हो गया।
हां, पुत्र ये हमारे जीवन की नई शुरुआत है। लगता है मेरी योनि ने तुम्हे बहुत सारा आशीर्वाद दिया है।
और ये कह कर हसने लगती है। फिर दोनो थोड़ा समान जगह पर रखने लगते है और इधर राजा विक्रम भी देवकी के साथ रांझा के घर की ओर चल देते हैं।
इधर काम करने से रांझा की चोली गीली हो गई और उसके स्तन चोली में बिल्कुल साफ दिखने लगे। उन्हें देख कर कलुआ गरम हो गया और वह चोली के ऊपर से ही अपनी मां की चूची चूसने लगा। तब रांझा ने अपनी चोली खोल दी और और कलुआ का लंद पकड़ लिया और सहलाने लगी। कलुआ रांझा को उठाकर शैय्या पर ले जाता है और उसका घाघरा उठा कर उसकी योनि चोदने लगता है। दोनो ये भूल जाते हैं कि दोनो नए घर में है और कोई आनेवाला है और तभी राजा विक्रम और देवकी वहा पहुंच जाते हैं और जैसे उसके कक्ष में प्रवेश करते हैं, कलुआ और रांझा को चोदाई करते हुए पाते हैं। कलुआ और रांझा इन्हें देख कर सन्न रह जाते हैं और हड़बड़ी में उठते हैं तो कलुआ का लिंग सभी को दिख जाता है। लेकिन रांझा तुरंत अपना घाघरा गिरा देती है, लेकिन उसके स्तन राजा विक्रम देख लेते हैं। इधर देवकी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्यों कि वो तो सब जानती ही थी ।
फिर राजा विक्रम दूसरे कक्ष में जाकर बैठ जाते हैं। पीछे से कलुआ आता है और चुपचाप उसके सामने सिर झुकाकर बैठ जाता है। राजा विक्रम बोलते है,,
तुम्हारे जैसा निकृष्ट प्राणी नही देखा मैने। तुम्हे दुनिया में अपनी मां छोड़ कर कोई और नहीं मिला, ये सब करने का। तुम्हे तो जीने का कोई हक ही नहीं।
कलुआ चुपचाप सर झुकाए विक्रम की बातें सुन रहा था। तभी उसे विक्रम के हसने की आवाज आती है तो वह सिर उठा कर देखता है तो विक्रम हस रहा था। उसे कुछ समझ मे नही आया। तो विक्रम ने कहा
अपना चेहरा तो देखो, कैसी रोनी सूरत बनाई है। क्यू घबरा रहे हो, तूने कोई पाप नहीं किया है, प्यार ही तो किया है। मुझे तुम्हारे इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है।
सच मित्र!!
हां मित्र, तुम तो बहुत भाग्यशाली हो। जो पुत्र भाग्यशाली होते हैं उन्हें ही उनकी मां की योनि सम्भोग के लिए मिल पाती है। वैसे धाय मां के स्तन भी बड़े कसे हुए हैं। तुम पर कोई कृपा है जो तुम्हारी मां तुम्हारे सामने अपनी टांगे खोल कर चुडवा रही है। काश तुम्हारे जैसी किस्मत सबकी हो।
हां, ये तो है मित्र। मां बड़े मन से चुदवती है मुझसे।
उधर देवकी रांझा को बोलती है
हाय, काम से कम रात तक का तो सब्र किया होता। वैसे कलुआ का लंद भी बड़ा और तगड़ा है, तभी मैं कहूं तेरा दिल अपने पुत्र के लिंग पर कैसे आ गया।
फिर रांझा दोनों को खाने के लिए रसोई में बुलाती हैं। रांझा पूड़ी बेल रही थी और सामने विक्रम कलुआ और देवकी बैठे थे। लेकिन रांझा अपने टांगे खोल कर बैठी थी और घाघरा घुटने तक था जिससे उसकी योनि दिख रही थी। विक्रम और कलुआ की नजर घाघरे के अंदर योनि पर पड़ जाती है तो दोनो एक दूसरे को देखते हैं और विक्रम मुस्कुरा देता है तो कलुआ झेंप जाता है। देवकी ये देख लेती है तो थोड़ा खांस देती है। रांझा देवकी को देखती है तो वह उसे घाघरा ठीक करने का इशारा करती है जिससे रांझा अपना घाघरा नीचे कर लेती है। तभी विक्रम कलुआ को बोलते है
धाय मां के स्तन बड़े कसे है।
ये बात देवकी भी सुन लेती है तो कहती है
रांझा के इन्ही स्तनों का भी ताजा दूध पिया है तुमने विक्रम, जिनकी कसी होने की बात कह रहे हो।
तो राजा विक्रम कहां हर माननेवाले थ, उन्होंने कहा
तब तो मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना कलुआ का,,
इसी पर सभी हंस देते हैं लेकिन रांझा झेंप जाती है।फिर सभी खाना खा कर बैठ जाते है और बातें करने लगते हैं।
देवकी, ,,,तुम बहुत खुश नसीब हो रांझा जो तुम्हे कलुआ जैसा प्यार करनेवाला पुत्र मिला।
रांझा,, हां, देवकी तू सही कह रही है। लेकिन जब शादी हो जायेगी तब तो ये अपनी मां को भूल ही जायेगा।
कलुआ,,ये न कही मां। मै तो शादी ही नहीं करूंगा।
देवकी,,शादी तो करनी ही होगी।
कलुआ,,,मै शादी करना चाहता हूं। लेकिन अपनी मां से ही।
रांझा,,,,ये तू क्या कह रहा है।
विक्रम,,,बिल्कुल सही कह रहा है कलुआ। आओ अभी तुम दोनो की शादी संपन्न करा दें।
कलुआ,,,लेकिन कैसे मित्र, अभी पिता श्री जीवित है
विक्रम,,कोई बात नही, तुम्हारे पिता के साथ तुम्हारी मां की शादी सामाजिक हुई थी लेकिन तुम दोनो की शादी गुप्त रहेगी।
देवकी ,,, जब पुरुष दो शादी कर सकता है तो स्त्री क्यू नही पहले पति के रहते दूसरी शादी कर सकती है। जरूर कर सकती है। आओ तुम दोनो पूजा घर में।
और वहा पहुंचकर देवकी सिंदूर की दुनिया निकलती है और कहती है
ये के पुत्र, भर दे अपनी मां की मांग सिंदूर से
तब कलुआ चुटकी ने सिंदूर लेता है और अपनी मां की मांग भर देता है। रांझा के लिए ये सब सपने जैसा था।
तभी देवकी अपना एक हार निकलती है और कलुआ को देते हुए कहती है
लो पुत्र, अपनी मां को मंगलसूत्र पहना कर उसे अपना बना लो।
तब कलुआ रांझा को मंगलसूत्र पहनाता है और उसे गले लगा लेता है और कहता है
मां, इस शादी के बाद भी तुम मेरी प्यारी मां ही रहोगी और मैं तुम्हे मां के रूप में ही तुम्हें चोदूंगा।
फिर दोनो साथ साथ देवकी के पैर छू कर आशीर्वाद लेते हैं तो देवकी दोनों को उठा कर गले लगा लेती है और धीरे से कहती है
कलुआ अब अपनी मां को इतना चोदो की हमे जल्दी ही खुशखबरी मिले।
इस पर सभी ठहाका लगा कर हस देते हैं।